Author name: Prasanna

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 66)

प्र० 1. कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर- कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने सन् 1665 में की थी। उन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से कार्क की पतली काट के अवलोकन पर पाया कि इनमें अनेक छोटे-छोटे प्रकोष्ठ हैं, जिसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी मालूम पड़ती है। इन प्रकोष्ठों (Compartments) को उन्होंने कोशिका कहा। Cell (कोशिका) लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है- ‘छोटा कमरा’।

प्र० 2. कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?
उत्तर- कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई इसलिए कहते हैं क्योंकि एक कोशिका स्वतंत्र रूप से जीवन के सभी क्रियाकलापों को करने में सक्षम होती है। सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं। कोशिका के अंदर कोशिकांग होते हैं। जिसके कारण कोई कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य करती है। ये कोशिकांग मिलकर एक मूलभूत इकाई (Fundamental unit)
बनाते हैं, जिसे कोशिका कहते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 68)

प्र० 1. CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अंदर तथा बाहर जाते हैं? इस पर चर्चा करें।
उत्तर- कोशिका से CO2 अंदर तथा बाहर विसरण प्रक्रिया द्वारा जाते हैं। जब कोशिका के बाहरी पर्यावरण में CO2 की सांद्रता कोशिका में स्थित CO2 की सांद्रता की अपेक्षा कम होती है तो उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर विसरण द्वारा कोशिका से CO2 बाहर निकल जाती है। CO2 एक कोशिकीय अपशिष्ट होता है जो कोशिका में एकत्र होकर उसकी सांद्रता बढ़ाता है। पानी का भीतर तथा बाहर जाना परासरण प्रक्रिया द्वारा होता है।

जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively permeable membrane) द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं। प्लज्मा झिल्ली (Plasma membrane) से जल की गति जल में घुले पदार्थों की मात्रा के कारण भी प्रभावित होती है। इस प्रकार परासरण में जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जुल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाते हैं।

प्र० 2. प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर- प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली इसलिए कहते हैं क्योंकि यह कुछ पदार्थों को अंदर अथवा बाहर आने-जाने देती हैं, सभी पदार्थों को नहीं। यह अन्य पदार्थों की गति को भी रोकती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 70)

प्र० 1. क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 1
उत्तर- केंद्रकीय क्षेत्र- (2) बहुत कम स्पष्ट होता है क्योंकि इसमें
केंद्रक झिल्ली नहीं होती। ऐसे अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र में केवल क्रोमैटिन पदार्थ होता है और उसे केंद्रकाये कहते हैं।
(4) झिल्लीयुक्त कोशिका अंगक उपस्थित।।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 73)

प्र० 1. क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं, जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर- ऐसे दी अंगकों के नाम हैं-
(a) माइटोकॉन्ड्रिया।
(b) प्लैस्टिड इनमें इनके अपने आनुवंशिक पदार्थ DNA होते हैं।

प्र० 2. यदि किसी कोशिका को संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर- यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है तो कोशिका श्वसन, व्यर्थ पदार्थों को साफ़ करना, नए प्रोटीन बनाना, पोषण प्राप्त करना आदि कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं तथा अंततः कोशिका मृत हो जाती है और इसे लाइसोसोम पाचित कर देता है।

प्र० 3. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर- जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ भी कहते हैं।

प्र० 4. कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता
उत्तर- प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
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प्र० 2. प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर-
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प्र० 3. यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर- यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो कोशिकांग लाइसोसोम फट जाएँगे और लाइसोसोम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर लेंगे। इस स्थिति में कोशिका जीवित नहीं रह पाएँगे क्योंकि पदार्थ अंदर-बाहर आसानी से आ-जा सकेंगे।
अतः कोशिका में रासायनिक पदार्थों का संगठन सुचारु रूप से नहीं रह पाएगा।

प्र० 4. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर-
(i) यदि कोशिका में गॉल्जी उपकरण नहीं होंगे तो लाइसोसोम का बनना बंद हो जाएगा तथा कोशिका का अपशिष्ट निपटान नहीं हो पाएगा।
(ii) गॉल्जी उपकरण के बिना ER में संश्लेषित पदार्थ कोशिका के अंदर तथा बाहर विभिन्न क्षेत्रों में नहीं आ पाएँगे क्योंकि गॉल्जी उपकरण में ये पदार्थ पैक किए जाते हैं और भेजे जाते हैं।
(iii) गॉल्जी उपकरण के बिना पदार्थों का संचयन (Storage), रूपांतरण (Modification) तथा बंद करना (Packaging) नहीं हो पाएगा।

प्र० 5. कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर- माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का बिजलीघर है क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया ATP (ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं। ATP
कोशिका की ऊर्जा है।

प्र० 6. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर-
(i) लिपिड- चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (SER) में लिपिड का संश्लेषण होता है।
(ii) प्रोटीन- खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (RER) पर लगे राइबोसोम में प्रोटीन का संश्लेषण होता है।

प्र० 7. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर- अमीबा अपना भोजन एंडोसाइटोसिस (Endocytosis) प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं। अमीबा की प्लैज्मा झिल्ली या कोशिका झिल्ली लचीली होती है, जिसकी सहायता से यह भोजन के कणों को ग्रहण कर लेता है। जब भोज्य पदार्थ उसके संपर्क में आता है तो वह उसे चारों ओर से अपने कूटपाद से घेर लेता है। यह एक प्यालीनुमा रचना होती है, जिसे खाद्य रिक्तका या खाद्य रसधानी (Food vacuole) कहते हैं। पाचन क्रिया एंजाइम के द्वारा खाद्य रसधानी में होती है। पाचित भोजन निकटवर्ती कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। तथा जिसका पाचन नहीं होता, वह खाद्य रिक्तिका के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
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प्र०8. परासरण क्या है?
उत्तर- परासरण विसरण की एक विशिष्ट विधि है, जिसमें जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) द्वारा उच्च जल की सांद्रता (शुद्ध जल या तनु विलयन) से निम्न जल की सांद्रता (सांद्र विलयन) की ओर जाते हैं।

प्र० 9. निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें-
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो, जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,

(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।

आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो
(i) ‘B’ तथा ‘C’ खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
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(i) परासरण के कारण B और C कप में जल एकत्रित हो जाता है क्योंकि कच्चे आलू से बने दोनों कप वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य करते हैं और जल परासरण विधि से खोखले आलुओं के भीतर चला जाता है। यह एक अल्पपरासरण दाबी विलयन तथा आलू के कपों के अंदर जाने वाले जल की मात्रा उससे बाहर | आने वाले जल की मात्रा से अधिक होगी। परंतु जः। कुछ समय बाद इसमें चीनी और नमक डाला जाता है तो पुनः जल आलू के कप के भीतर चला जाता है। ऐसा बहि:परासरण (Exosmosis) के कारण होता है।

(ii) आलू ‘A’ नियंत्रण का कार्य करता है तथा यह | एक मानक स्थिति है, जिससे स्थिति B, C तथा D की तुलना की जाती है। इससे यह इंगित होता है कि आलू कप में जल की गति केवल अंदर से खाली होने पर नहीं हो सकती।

(iii) आलू कप ‘A’ में जल एकत्रित नहीं हुआ क्योंकि आलू के अंदर तथा ५९, जल की सांद्रता में कोई अंतर नहीं था। अत: यह एक समपरासरण की स्थिति थी। परासरण के लिए सांद्रता में अंतर होना आवश्यक होता है।

कप D उबले आलू का था, जिसमें एक चम्मच चीनी थी। उबला होने के कारण वह वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य नहीं करेगा, जिसके कारण आलू कप D से जल में कोई शुद्ध गति नहीं हो सकी। क्योंकि उबले हुए आलू की कोशिका मृत हो जाती है तथा इसकी झिल्ली की पारगम्यता खत्म हो जाती है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1. हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर

  1. हीरे के प्रेमी उसे साफ-सुथरा, खरादा हुआ और आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना चाहते हैं।
  2. लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी में सनने के सुख को दुर्लभ माना है। तेल और मट्ठे से सिझाई हुई जिस अखाड़े की मिट्टी को देवताओं पर चढ़ाया जाता है, उसको अपनी देह पर लगाना संसार के सबसे दुर्लभ सुख के समान है।
  3. मिट्टी की आभा का नाम ‘धूल’ है और मिट्टी के रंग-रूप की पहचान उसकी धूल से ही होती है।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर

1. माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं। माँ की गोद से उतरकर बच्चा मातृभूमि पर कदम रखता है। घुटनों के बल चलना सीखता है फिर धूल से सनकर विविध क्रीड़ाएँ करता है। शिशु का बचपन मातृभूमि की गोद में धूल से सनकर निखर उठता है। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। यह धूल ही है जो | शिशु के मुँह पर पड़कर उसकी स्वाभाविक सुंदरता को उभारती है। अभिजात वर्ग ने प्रसाधन सामग्री में बड़े-बड़े आविष्कार किए, परंतु शिशु के मुँह पर छाई वास्तविक गोधूलि की तुलना में वह सामग्री कोई मूल्य नहीं रखती।।

2. हमारी सभ्यता धूल से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है। हवाई किले बनाती है। वास्तविकता से दूर रहती है परंतु धूल के महत्व को नहीं समझती। यह सभ्यता अपने बच्चों को धूल में नहीं खेलने देना चाहती। धूल से उसकी बनावटी सुंदरता सामने आ जाएगी। उसके नकली सलमें-सितारे धुंधले पड़ जाएँगे। धूल के प्रति उसमें हीनभावना है। इस प्रकार हमारी सभ्यता आकाश की बुलंदियों को छूना चाहती है। वह हीरों का प्रेमी है, धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानती।।

3. अखाड़े की मिट्टी शरीर को पहचानती है। यह साधारण मिट्टी नहीं होती है। इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। और देवताओं पर चढ़ाया जाता है। ऐसी मिट्टी में सनना परम सुख है। जहाँ इसके स्पर्श से मांसपेशियाँ फूल उठती हैं। शरीर मजबूत और व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। वही इसमें चारों खाने चित्त होने पर विश्व-विजेता होने के सुख का अहसास होता है। लेखक की दृष्टि में इसके स्पर्श से वंचित होने से बढ़कर दूसरा कोई दुर्भाग्य नहीं है।

4. श्रद्धा विश्वास का प्रतीक है। भक्ति हृदय की भावनाओं का बोध कराती है। प्यार का बंधन स्नेह की भावनाओं को जोड़ता है। लोग कहते हैं कि धूल के समान तुच्छ कोई नहीं है, जबकि सभी धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं। वीर योद्धा धूल को आँखों से लगाकर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर
भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति और स्नेह व्यक्त करने का सर्वोत्तम साधन है।

5. इस पाठ में लेखक ने बताया है कि जो लोग गाँव से जुड़े हुए हैं। वे यह कल्पना ही नहीं कर सकते कि धूल के बिना भी कोई शिशु हो सकता है। वे धूल से सने हुए बच्चे को ‘धूलि भरे हीरे’ कहते हैं। आधुनिक नगरीय सभ्यता बच्चों को धूल में खेलने से मना करती है। नगर में लोग कृत्रिम वातावरण में जीने पर विवश होते हैं। नगर की सभ्यता को बनावटी, नकली और चकाचौंध भरी कहा गया है। यहाँ लोगों को काँच के हीरे ही प्यारे लगते हैं। नगरीय सभ्यता में गोधूलि का महत्त्व नहीं होता जबकि ग्रामीण परिवेश का यह अलंकार है। नगरों में तो धूल-धक्कड़ होती है गोधूलि नहीं।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1.
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को क्यों श्रेष्ठ मानता है?
2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?
3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
4. ‘हीरा वही घन चोट न टूटे’-का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
6. ‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?
उत्तर

1. लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को इसलिए श्रेष्ठ मानता है क्योंकि यह धूल उनके सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देती है। यहाँ कृत्रिम प्रसाधन सामग्री की निरर्थकता को प्रकट किया गया है। फूलों के ऊपर रेणु उनकी शोभा को बढ़ाती है। वही शिशु के मुँह पर उसकी स्वाभाविक पवित्रता को निखार देती है। सौंदर्य प्रसाधन उसे इतनी सुंदरता प्रदान नहीं करते जितनी धूल करती है। इसलिए लेखक धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना कर ही नहीं सकता।

2. लेखक ने धूल और मिट्टी में विशेष अंतर नहीं माना है। उसके अनुसार मिट्टी और धूल में उतना ही अंतर है। जितना कि शब्द और रस में, देह और जान में अथवा चाँद और चाँदनी में होता है। जिस प्रकार ये अलग-अलग होते हुए भी एक हैं, उसी प्रकार धूल और मिट्टी अलग नाम होकर भी एक ही हैं। मिट्टी की आभा का नाम धूल। है और मिट्टी के रंग-रूप की पहचान उसकी धूल से होती है, जीवन के सभी अनिवार्य सार तत्त्व मिट्टी से ही मिलते हैं। जिन फूलों को हम अपनी प्रिय वस्तुओं का उपमान बनाते हैं, वे सब मिट्टी की ही उपज हैं। रूप, रस, गंध, स्पर्श इन्हें मिट्टी की देन माना जा सकता है। मिट्टी में जब चमक उत्पन्न होती है तो वह धूल की पवित्र रूप ले लेती है। यही धूल हमारी संस्कृति की पहचान है।

3.  ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनगिनत सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है• ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े बच्चे धूल से सने दिखाई देते हैं। यह धूल उनके मुख पर उनकी सहज पवित्रता को निखार देती है।

  • गाँव के अखाड़ों में भी धूल का प्रभाव दिखाई देता है यहाँ की मिट्टी तेल और मछे से सिझाई हुई होती है। जिसे देवता पर भी चढ़ाया जाता है।
  • ग्रामीण परिवेश में शाम के समय जंगल से लौटते हुए गायों के खुरों से उठती धूल गोधूलि की पवित्रता को प्रमाणित करती है।
  • सूर्यास्त के उपरांत बैलगाड़ी के निकल जाने के बाद उसके पीछे उड़नेवाली धूल रुई के बादल के समान दिखाई देती है या ऐरावत हाथी के नक्षत्र-पथ की भाँति जहाँ की तहाँ स्थिर रह जाती है।
  • चाँदनी रात में मेले जानेवाली गाड़ियों के पीछे जो कवि की कल्पना उड़ती चलती है, वह शिशु के मुँह पर, धूल की पंखुड़ियों के समान सौंदर्य बनकर छा जाती है।
  • गाँव के किसानों के हाथ-पैर तथा मुँह पर छाई धूल हमारी सभ्यता को प्रकट करती है।

4.  इस पंक्ति में लेखक ने हीरे और काँच में तुलना करते हुए कहा है कि सच्चा हीरा वही होता है जो हथौड़े की चोट पड़ने पर भी नहीं टूटता। काँच और हीरे में यही मुख्य अंतर है। धूल भरे हीरे में ऊपरी धूल को न देखकर भीतरी चमक को निहारना चाहिए जो अटूट होती है। यह अमरता का दृढ़ प्रकाश प्रस्तुत करती है। काँच की चमक को देखकर मोहित हो जाना मूर्खता है। हीरे की परख जौहरी ही कर सकता है। हीरा शाश्वतता का स्पष्ट प्रमाण है तो काँच क्षणिकता का। हीरा एक न एक दिन अपनी अमरता का बोध कराकर काँच की नश्वरता को प्रमाणित करता है। लेखक के अनुसार धूल में लिपटा किसान आज भी अभिजात वर्ग की उपेक्षा का पात्र है। किसान उसकी उपेक्षा सहनकर मिट्टी से प्यार करता है और अपने परिश्रम से अन्न पैदा करता है। यह उसके परिश्रमी होने का प्रमाण है। वह ऐसा हीरा है जो धूल से भरा है। हीरा अपनी कठोरता के लिए जाना जाता है जो हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता। इसी प्रकार से भारतीय किसान भी कठोर परिश्रम से नहीं घबराता है इसलिए वह अटूट है।

5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाएँ अलग हैं। धूल जीवन का यथार्थवादी गद्य हैं तो धूलि उसकी कविता है। अर्थात् हमारा शरीर जिस धूल और मिट्टी से बना है, वही धूल उसकी वास्तविकता प्रकट करती है और इसी धूल शब्द को कवियों ने धूलि के रूप में अभिव्यजित किया है। धूली छायावादी दर्शन है। इसकी वास्तविकता छायावादी कविता के समान संदिग्ध है। धूरि लोक संस्कृति का नवीन जागरण है अर्थात् भारतीय संस्कृति में कवियों ने धूरि शब्द का प्रयोग करके अपनी प्राचीन सभ्यता को प्रकट करना चाहा है। इसी प्रकार गौ-गोपालों के पद संचालन से उड़नेवाली मिट्टी को गोधूलि कहा गया है। इन सबका रंग चाहे एक ही हो किंतु रूप में भिन्नता है, मिट्टी काली, पीली, लाल तरह-तरह की होती है। लेकिन धूल कहते ही शरत् के धुले-उजले बादलों का स्मरण हो जाता है।
धूल है

6.  ‘धूल’ पाठ में लेखक ने धूल की महिमा, माहात्म्य व उपलब्धता व उपयोगिता का वर्णन किया है। इस पाठ के
माध्यम से लेखक ने मजदूर किसानों के महत्व को स्पष्ट किया है। उनका मानना है कि धूल से सना व्यक्ति घृणा अथवा उपेक्षा का पात्र नहीं होता बल्कि धूल तो परिश्रमी व्यक्ति का परिधान है। धूल से सना शिशु धूलि भरा हीरा’ कहलाता है। आधुनिक सभ्यता में पले लोग धूल से घृणा करते हैं। वे यह नहीं जानते कि धूल अथवा मिट्टी ही जीवन का सार है। मिट्टी में ही सब पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इसलिए सती मिट्टी को सिर से, सिपाही आँखों से तथा आम नागरिक स्नेह से स्पर्श करता है। अतः लेखक ने देश-प्रेम और संस्कृति की प्रतीक धूल को विभिन्न सूक्तियों, लोकोक्तियों तथा उदाहरणों के माध्यम से प्रतिपादित किया है।

7. लेखक का विचार है कि गोधूलि पर अनेक कवियों ने कविता लिखी है, परंतु वे उस धूलि को सजीवता से चित्रित नहीं कर पाए हैं, जो गाँवों में संध्या के समय गाएँ चराकर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैर से उठकर सारे वातावरण में फैल जाती है। अधिकांश कवि शहर के रहने वाले हैं और शहरों में धूल-धक्कड़ तो होता है, परंतु गाँव की गोधूलि नहीं होती इसलिए वे गाँव की गोधूलि का सजीव वर्णन अपनी कविताओं में नहीं कर पाए। हिंदी कविता की सबसे सुंदर पंक्ति है जिसके कारण धूलि भरे हीरे कहलाएगा’ परंतु फिर भी विडंबना यह है कि कवियों की लेखनी पर नगरीय सभ्यता विस्तार के कारण विराम-चिह्न लग गया है।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए
1.
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता का निखार देती है।
2. ‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की’-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।
4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
उत्तर

1. इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि शिशु धूल-मिट्टी से सना हुआ ही अच्छा लगता है। धूल
के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रकार धूल से सने शिशु को ‘धूलि भरे हीरे’ कहा जाता है। जैसे फूल के ऊपर पड़े हुए धूल के कण उसकी शोभा को बढ़ा देते हैं वैसे ही शिशु के मुँह पर पड़ी हुई धूल उसके सहज स्वरूप को और भी निखार देती है। उस समय बड़ी-बड़ी खोजों से उपलब्धं किसी भी कृत्रिम प्रसाधन सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। अर्थात् मिट्टी यदि विविध आकार देती है तो धूल मुख की कांति शोभायमान करती है। जीवन कर्मशील हो उठता है इसलिए धूल को व्यर्थ नहीं मानना चाहिए।

2. इस पंक्ति द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि धूल से सने बच्चे को गोद में उठानेवाला व्यक्ति धन्य है, जो अपने शरीर से धूल को स्पर्श करते हैं। चाहे यह धूल उन बच्चों के माध्यम से उन्हें स्पर्श करती हो जिन्हें वह गोद में उठाए रहते हों। लेखक ने धूल की उपयोगिता और महिमा का वर्णन करते हुए ग्रामीण वातावरण में पले-बढ़े बच्चों को धन्य बतलाया है, क्योंकि इनका बचपन गाँव के गलियारों की धूल में बीता होता है, उनके कर्ता-पिता भी धन्य हैं जो धूल-धूसरित अपने शिशु को अंक से लिपटा लेते हैं। फलस्वरूप वह पवित्र धूल उनके शरीर को पवित्र कर देती है। इसलिए कवि ने उन्हें धूल भरे हीरे कहकर संबोधित किया है।

3. शरीर अगर मिट्टी है तो आत्मा उसका सार तत्व है। मिट्टी शरीर को विभिन्न आकार देती है तो धूल जीवन की स्वाभाविकता को बनाए रखती है। जिस प्रकार शब्द में रस निहित होता है, देह में प्राण और चंद्रमा में चाँदनी का वास होता है और उन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार धूल और मिट्ट दोनों एक ही हैं। मिट्टी के रंग-रूप की पहचान धूली से होती है। धूल जीवन की सरलता व भोलेपन को बनाए रखती है। इससे हम अपनी सभ्यता से जुड़े रहते हैं।

4. लेखक का मानना है कि हमारी देशभक्ति का स्तर इतना गिर गया है कि हम अपने देश की मिट्टी को आदर देने के स्थान पर उसका तिरस्कार करते हैं। हम अपने देश को छोड़कर विदेशों की ओर भाग रहे हैं। लेखक का यह संदेश है कि यदि हमारे भीतर अपने देश के प्रति ज़रा-सा भी प्रेम है तो हम उसकी धूल को चाहे माथे से न लगाएँ परंतु कम से कम उसका स्पर्श करने से पीछे न हटें। अपने देश की धूल का सम्मान करें। उससे घृणा न करें तथा उसे तुच्छ न समझकर उसके महत्त्व को समझें।

5. लेखक ने काँच और हीरे में अंतर बताते हुए कहा है कि हीरा अनमोल होता है। उसके भीतर की चमक चाहे हमारी आँखों के सामने से ओझल रहे किंतु वह अमर होता है। वह कभी गहरी चोट लगने पर भी टूटता नहीं है और कभी पलटकर वार नहीं करता। वास्तविक हीरे की परख हथौड़े की चोट पर खरी उतरती है। हीरे को पहचानने के लिए पारखी दृष्टि अनिवार्य है नहीं तो काँच की चमक मन मोह लेती है। हीरे को देखकर उसके प्रेमी उसे साफ़-सुथरा, खरादा हुआ, आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना चाहते हैं। उसके भीतरी सुंदरता का भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। काँच की चमक नश्वरता का प्रतीक है। उसके पीछे दौड़ना मूर्खता का पर्याय है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिए
उदाहरणः विज्ञापित-वि (उपसर्ग) ज्ञापित
संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निद्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन। उत्तर संसर्ग
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 1

प्रश्न 2.
लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे मुहावरे प्रयोग किए हैं। धूल से | संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए। उत्तर
उत्तर

  1. धूल में मिलना-मोहन ने परिश्रम से चित्रकारी की थी लेकिन मीता ने उस पर पानी डालकर उसे धूल में । मिला दिया।
  2. धूल से खेलना-हम बचपन से ही धूल से खेल-खेलकर बड़े हुए हैं।
  3. धूल चाटना-पुलिस की मार खाकर अपराधी धूल चाटने लगा।
  4. धूल फाँकना-अखिल इतनी डिग्रियाँ होते हुए काम न मिलने कारण इधर-उधर धूल फाँकता फिर रहा है।
  5. धूल उड़ना-चुनाव हार जाने के कारण उसके घर पर धूल उड़ने लगी। जात

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
शिव मंगल सिंह सुमन की कविता ‘मिट्टी की महिमा’ , नरेश मेहता की कविता ‘मृतिका’ तथा सर्वेश्वर
दयाल सक्सेना की ‘धूल’ शीर्षक से लिखी कविताओं को पुस्तकालय में ढूँढ़कर पढ़िए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें। परियोजना कार्य

प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने शरीर और मिट्टी को लेकर संसार की असारता का जिक्र किया है। इस असारता का वर्णन अनेक भक्त कवियों ने अपने काव्य में किया है। ऐसी कुछ रचनाओं का संकलन कर कक्षा में भित्ति पत्रिका में लगाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
2. खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर

  1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी | अमीरी-गरीबी की श्रेणी का भी पता चलता है।
  2. खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर | रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे।
  3. उस स्त्री को देखकर लेखक को उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। उसे देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। वह नीचे झुककर उसकी अनुभूति को समझना चाहता था तब उसकी पोशाक इसमें अड़चन बन गई।
  4. उस स्त्री का लड़का तेईस बरस का था। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर खेती करके परिवार का गुजारा करता था। एक दिन वह सुबह मुँह-अंधेरे खेत में बेलों से पके खरबूजे चुन रहा था कि गीली मेड़ की तरावट में आराम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फेंक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
  5. उस बुढ़िया का बेटा मर चुका था। लोगों को पता था कि बुढ़िया को दिए उधार के लौटाने की कोई संभावना नहीं
    है। इसलिए अब बुढ़िया को कोई भी उधार देने को तैयार नहीं था।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड्चन बन जाती है?
3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढिया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?
6. बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर

1. मनुष्य की पहचान उसकी पोशाक से होती है। यह पोशाक ही मनुष्य को समाज में अधिकार दिलाती है। उसका दर्जा निश्चित करता है। जीवन के बंद दरवाजे खोल देता है। यदि हम समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में हमारी पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है। जिस प्रकार वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने में रोके रखती है।

2. जब भी ऐसी परिस्थिति आती है कि किसी दु:खी व्यक्ति को देखकर व्यथा और दुःख का भाव उत्पन्न होता है। हमें उसके दु:ख का कारण जानने के लिए उसके समीप बैठने में हमारी पोशाक बंधन और अड़चन बन जाती है। उत्तम पोशाक हमें नीचे झुकने नहीं देती। यह हमें अमीरी का बोध कराती है। मानव-मानव के बीच दूरियाँ बढ़ाने का काम पोशाक करती है। ये पोशाक ही नियमों का उल्लंघन करती है। यदि हम निचली श्रेणियों के दुःख को कम करके उन्हें दिलासा देना चाहते हैं तो ये पोशाक उसके लिए अड़चन बन जाती है।

3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रुकावट बन गई। जब उसने उस खरबूजे बेचनेवाली स्त्री को घुटनों पर सिर रखकर रोते देखा और बाजार में खड़े लोगों का उस स्त्री के संबंध में बातें करते देखा तो लेखक का मन दुःखी हो उठा। कारण जानना चाहते हुए भी वह ऐसा नहीं कर पाया। यद्यपि व्यक्ति का मन दूसरों के दुःख में दुःखी होता है, परंतु पोशाक परिस्थितिवश उसे झुकने नहीं देती।

4. भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर खेती करके परिवार का निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाज़ार में बेचने के लिए कभी-कभी वह चला जाया करता था। वह घर का एकमात्र सहारा था। उसके घर में खानेवाले अधिक और कमानेवाला एक ही था। उनके घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई थी। घर के बेटे पर सभी की आशाएँ टिकी होती हैं। भगवाना ही था जिस पर घर के सभी सदस्यों की आशाएँ टिकी हुई थीं। परिवार का निर्वाह
करने के लिए वह छोटे-बड़े काम करके घर के सदस्यों का ध्यान रखता था।

5. लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन, बुढिया खरबूजे बेचने इसलिए चली गई क्योंकि उसके पास जो कुछ था भगवाना की मृत्यु के बाद दान-दक्षिणा में खत्म हो चुका था। बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। मजबूरी के कारण बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन जाना पड़ा था। भूख अच्छे-अच्छे लोगों को भी हिलाकर रख देती है। मृत्यु का दु:ख हो, या खुशी का आभास हो लेकिन पेट की आग घर से बाहर निकलने के लिए विवश कर देती है।

6. अमीर और गरीब में जन्मजात अंतर होता है। अमीर को दुःख मनाने का अधिकार है गरीब को नहीं। बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि वह महिला अपने जवान बेटे की मृत्यु के कारण अढ़ाई-मास तक पलंग से उठ न सकी। पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद मूर्छित हो जाती थी। शहर भर के लोगों के हृदय उसके पुत्र शोक को देखकर द्रवित हो उठे थे। दूसरी ओर लोग बुढ़िया पर ताने कस रहे थे। वे उसकी मजबूरी से कोसों दूर थे। उसके दु:ख को वे समझ नहीं पा रहे थे। क्योंकि वह उस संभ्रांत महिला की भाँति बीमार न पड़कर अपना दुःख भुलाकर बाज़ार में खरबूजे बेचकर अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबंध करने आई थी जो कि लोगों के मन में खटक रहा था। दु:ख का अधिकार अमीर-गरीब में भेदभाव उत्पन्न करता है। थोड़ा-सा दु:ख जहाँ अमीरी को हिला देता है वहाँ बड़े-से-बड़ा दुःख भी गरीब को सहज बने रहने पर मजबूर कर देता है। बुढ़िया के दुःख और संभ्रांत महिला के दु:ख में यही अंतर था।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
2. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
3. लड़के को बचाने के लिए बुढिया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
4. लेखक ने बुढ़िया के दु:ख का अंदाजा कैसे लगाया?
5. इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर

1. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। एक आदमी घृणा से थूकते हुए कह रहा था कि बेटे की मृत्यु को अभी पूरे दिन नहीं हुए और यह दुकान लगाकर बैठी है। पेट की रोटी ही इनके लिए सब कुछ है। जैसी नीयत होती है; वैसी ही बरकत भगवान देता है। जवान लड़के की मौत हुई है, बेहया दुकान लगाकर बैठी है। सभी अपने व्यंग्य वाणों से उस स्त्री पर ताने कसे जा रहे थे। वह बेबसी से सिर झुकाए बैठी थी।

2. पास-पड़ोसवालों से लेखक को पता चला कि बुढ़िया का 23 बरस का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के बाहर डेढ़ बीघा जमीन में खेती कर अपने परिवार को निर्वाह करता था। कभी-कभी वह खरबूजे भी बेचता था। मुँह अंधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुनते हुए गीली मेड़े की तरावट पर आराम कर रहे साँप पर उसका पैर पड़ गया। साँप के डसने से उसकी मृत्यु हो गई।

3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने ओझा को बुलाकर झाड़-फेंक करवाया। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा दी गई। घर में जो कुछ आटा या अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे, भगवाना से लिपट-लिपटकर रोए, पर सर्प के विष से उसका सारा बदन काला पड़ गया था और लडका मर गया।

4. लेखक को जब आस-पड़ोसवालों ने वास्तविकता बताई तो वे बुढ़िया की विवशता को समझ गए। घर में जब कमानेवाला कोई न रहे तो मौत की परवाह न करके घर से बाहर निकलना ही पड़ता है। परंतु दूसरे लोग किसी भी परिस्थिति में चैन नहीं लेने देते। वैसे भी उन्हें गरीबों के दुःख का अंदाजा नहीं होता। लेखक इसी सोच में डूबे हुए बुढिया के दुःख का अंदाजा लगा रहे थे कि अमीर लोग अपने दुःख को बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करते हैं। वह बेहोश होने का नाटक करते हैं। और कई दिनों तक बिस्तर पर पड़े रहते हैं। परंतु लेखक जानता था कि बुढ़िया अपने मन में दु:खे को दबाए हुए है। अपनी बेबसी के अनुसार अपना दुःख दर्शा रही है।

5. ‘दुःख का अधिकार’ शीर्षक अत्यंत सटीक है। संपूर्ण कथावस्तु दो वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है पहला शोषित वर्ग
है जिसके शोषण का समाज को ‘अहसास नहीं है और दूसरा शोषक वर्ग, जिसका दुःख लोगों के हृदय तक पहुँचता है और आँखों से आँसू बहने लगते हैं। गरीब के दु:ख से लोग सर्वथा वंचित रहते हैं। उसके जीवन की कठिनाइयों को समझना नहीं चाहते। शोक या गर्म के लिए उसे सहूलियत नहीं देना चाहते। दु:खी होने को भी एक अधिकार मानते हैं। दु:ख मनाने का अधिकार भी केवल संपन्न वर्ग को है। दु:ख तो सभी को होता है, पर संपन्न वर्ग इस दु:ख का दिखावा करता है, गरीब को कमाने-खाने की चिंता दम नहीं लेने देती। अतः दु:ख को अधिकार शीर्षक पूर्णतया उपयुक्त है।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सबे रोटी का टुकड़ा है।
3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर
1. आशय-प्रस्तुत कहानी देश में फैले अंधविश्वासों और ऊँच-नीच के भेदभाव का पर्दाफाश करती है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि दु:ख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है। कहानी धनी लोगों की अमानवीयता और गरीबों की विवशता को उजागर करती है। लेखक पोशाक के विषय में वर्णन करते हुए कहता है कि जिस प्रकार पतंग को डोर के अनुसार नियंत्रित किया जाता है तथा जब डोर पतंग से अलग हो जाती है, तब,पतंग हवा के साथ बहती हुई उड़ती है। और हवा के कारण अचानक ही धरती पर नहीं आ गिरती। किसी न किसी वस्तु में अटककर रह जाती है। वैसी ही स्थिति हमारी पोशाक के कारण उत्पन्न होती है। खास पोशाक के कारण व्यक्ति आसमानी बातें करने लगता है। उसकी पोशाक उसे अपनी अमीरी का आभास कराती है। वह गरीबों को अपने बराबर स्थान नहीं देना चाहता। उसकी स्थिति त्रिशंकु जैसी हो जाती है। वह चाहते हुए भी किसी के दुःख-दर्द में शामिल नहीं हो सकता। इसी तरह लेखक भी नीचे झुककर उस गरीब स्त्री का दुःख बाँटना चाहता था, किंतु उसकी पोशाक उसमें बाधा उत्पन्न करती है।

2. आशय-आशय यह है कि समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों, कानूनों व परंपराओं का पालन करना पड़ता है तभी वह सामाजिक प्राणी कहलाता है क्योंकि समाज में अपनी दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्यों को दिया जाता है। इस कहानी में बुढिया को घर की मज़बूरी फुटपाथ पर खरबूजे बेचने के लिए विवशकर देती है। वह दिल पर पत्थर रखकर लोगों के ताने सहन करती है। लोग ताना देते हुए कहते हैं कि इनके लिए बेटा-बेटी, पति-पत्नी और धर्म-ईमान सभी कुछ रोटी ही होती है। लोग किसी की विवशता पर हँस तो सकते है, परंतु उसका सहारा नहीं बन सकते। पेट की आग उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर देती है। दूसरों से सहानुभूति के स्थान पर ताने सुनने पड़े तो मन फूट-फूटकर रोने को चाहता है। ऐसा ही कहानी में उस बुढ़िया के साथ हुआ था।

3. आशय-इस पंक्ति का आशय यह है कि आज के इस समाज में दु:ख मनाने का अधिकार भी केवल धनी वर्ग को होता है। यह सत्य है कि दुःख सभी को तोड़कर रख देता है। दु:ख में मातम सभी मनाना चाहते हैं चाहे वह अमीर हो या गरीब। दुःख का सामना होने पर सभी विवश हो जाते हैं। गरीब व्यक्ति के पास न तो दु:ख मनाने की सुविधा है न समय है वह तो रोजी-रोटी के चक्कर में ही उलझा रहता है। संपन्न वर्ग शोक का दिखावा अवश्य करता है। परंतु वे अभागे लोग जिन्हें न दुःख मनाने का अधिकार है और न अवकाश। जो परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते हैं, उन्हें पेट की ज्वाला को शांत करने के लिए दु:खी होते हुए भी काम करना पड़ता है। इस प्रकार निचली श्रेणी के लोगों को रोटी की चिंता दु:ख मनाने के अधिकार से वंचित कर देती है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो-
(क) कङ्घा , पतंग, चञ्चल, ठण्डा, सम्बन्ध।
(ख) कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
(ग) अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
(घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।
(ङ) अंधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।
उत्तर
ध्यान दो कि ङ, ऊ, ए, न और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं-इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा; जैसे-अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्गों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है; जैसे-संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ङ’।। (‘) यह चिह्न है अनुस्वार का और (*) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण-बेटा-बेटी ।
उत्तर
पाठ में दिए गए शब्द-युग्मः बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, पोता-पोती, झाड़ना-फेंकना, छन्नी-ककना, दुअन्नी-चवन्नी। अन्य शब्द-युग्म इस प्रकार हैं- आते-जाते, धर्म-ईमान, दान-दक्षिणा

प्रश्न 4.
पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए बंद दरवाजे खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर
बंद दरवाजे खोल देना-इसका अर्थ है कि जहाँ पहले सुनवाई नहीं होती थी, वहाँ अब बात सुनी जाती है। जहाँ पहले अपमान होता था, वहाँ अब मान-सम्मान होता है।

यदि आदमी की पोशाक अच्छी होती है तो लोग उसका आदर-सत्कार करते हैं। उसे कहीं भी आने-जाने से रोका नहीं जाता/उसके लिए सभी रास्ते खुले होते हैं।

निर्वाह करना-पेट भरना/घर का खर्च चलाना/कमाकर परिवार का पालन-पोषण करना। भगवाना सब्ज़ी-तरकारी बोकर परिवार का निर्वाह करता था।

भूख से बिलबिलाना-भूख के कारण तड़पना, भूख से रोना। खाने-पीने की सामग्री न होने के कारण बुढ़िया के पोते-पोतियाँ भूख से व्याकुल हो रहे थे। घर का आर्थिक स्थिति डगमगाने लगती है तो बच्चे भूख से बिलबिलाने लगते हैं।
कोई चारा न होना-कोई उपाय न होना।
भगवाना की माँ के पास अपने पोता-पोती को पेट भरने के लिए तथा बहू की दवा-दारू करने के लिए पैसे नहीं थे। कोई उधार भी नहीं देता था। घर में जब कमाई का कोई उपाय नहीं रहता तो दुःख भरे क्षणों में भी कमाई के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। बुढिया के पास इसके अतिरिक्त कोई साधन नहीं था कि वह बाज़ार में खरबूजे बेचने जाती।

शोक से द्रवित हो जाना-दुःख से हृदय पिघल जाना। लेखक खरबूजे बेचनेवाली बुढ़िया के रोने से दु:खी था। किसी के दु:ख को देखकर स्वयं भी दुःखी होने का भाव प्रकट होता है। प्रतिष्ठित लोगों के दुःख को देखकर लोगों के हृदय पिघलने लगते हैं। उन लोगों के दुःख को प्रकट करने का तरीका अत्यंत मार्मिक होता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 3
उत्तर
(क)

  1. छन्नी-ककना-बुढिया माँ ने अपने पुत्र को बचाने के लिए छन्नी-ककना तक बेच दिए।
  2. अढ़ाई-मास-आज से ठीक अढाई मास बाद हमारी वार्षिक परिक्षाएँ शुरू हो जाएँगी।
  3. पास-पड़ोस-मेरे पास-पड़ोस में सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं।
  4. दुअन्नी-चवन्नी-महिला को गरीब जानकर किसी ने उसे दुअन्नी-चवन्नी भी उधार न दी।
  5. मुँह-अँधेरे-मेरे दादा जी को मुँह-अँधेरे उठकर सैर करने की आदत है।
  6. झाड़ना-फेंकना-मोहन डॉक्टर के इलाज करने की बजाए ओझा से झाड़ना-फेंकना करवाने में अधिक विश्वास रखता है।

(ख)

  1. फफक-फफककर-अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही बुढ़िया फफक-फफकर रोने लगी।
  2. बिलख-बिलखकर-अध्यापिका की डाँट पड़ते ही छात्रा बिलख-बिलखकर रोने लगी।
  3. तड़प-तड़पकर-साँप से काटे जाने पर भगवाना ने तड़प-तड़पकर प्राण दे दिए।
  4. लिपट-लिपटकर-घायल होने के कारण पुत्र पिता से लिपट-लिपटकर रोने लगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए-
(क)
1. लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
2. उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
3. चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
1.
अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
2. भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।उत्तर
(क)

  1. रमेश बिस्तर से उठते ही पेट दर्द से बिलबिलाने लगा।
  2. बच्चे को चुप कराने के लिए बाजार से खिलौना लाना ही होगा।
  3. गरीबी के कारण मोहन को छोटी उम्र में नौकरी ही क्यों न करना पड़े।

(ख)

  1. अरे जो जैसे बोता है, वैसा ही काटता है।
  2.  कविता जो एक बार यहाँ आई तो फिर नहीं गई।

योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है। इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
यदि आपने भगवाना की माँ जैसी किसी दुखिया को देखा है तो उसकी कहानी लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पता कीजिए कि कौन-से साँप विषैले होते हैं? उनके चित्र एकत्र कीजिए और भित्ति पत्रिका में लगाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
4. हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
5. मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
6. रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
7. कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर

  1. अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचंद कर रहे थे।
  2. सागरमाथा शब्द से तात्पर्य है ‘सागर के माथे के समान’ तथा एवरेस्ट को सागरमाथा के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थानीय नाम था इसलिए लेखिका को यह नाम पसंद आया। एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है।
  3. एवरेस्ट की तरफ गौर से देखते हुए लेखिका को एक भारी बर्फ का फूल दिखा जो पर्वत शिखर पर लहराता एक ध्वज-सा लग रहा था।
  4. हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार घायल हो गए।
  5. एक शेरपा कुली की मृत्यु तथा चार के घायल होने के कारण अभियान दल के सदस्यों के चेहरे पर छाए अवसाद को देखकरकर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु को भी सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
  6. एवरेस्ट शिखर पर चढ़ाई के दौरान जलवायु अनुकूल नहीं थी। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलावों के कारण रसोई सहायक  मृत्यु हो गई।
  7. कैंप चार साउथ कोल में 29 अप्रैल को सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था।
  8. लेखिका ने जब साउथ कोल के बेस कैंप में शेरपा कुली को देखा तो उन्होंने उसे अपना परिचय यह कहकर दिया कि मैं बिलकुल ही नौसिखिया हूँ और यह मेरा पहला अभियान है।
  9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने बधाई देते हुए कहा, “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा। देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।”

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-

1. नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
2. डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर

1. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौचक्की होकर देखती रही। उसने बेस-कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन एवरेस्ट और उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह इसके सौंदर्य को देखकर प्रभावित हुई। ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

2. डॉ. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं

  • अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।
  • लट्ठों और रस्सियों को उपयोग करना।
  • बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।
  • अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसी भी अनजान पथ पर जाते हुए यह जानकारी महत्वपूर्ण थी। पर्वतीय यात्रा से पूर्व तैयारी करनी पड़ती है। यदि विस्तृत जानकारी न हो तो। रोमांचक यात्रा खतरनाक मोड़ ले लेती है।

3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा कि वह एक पक्की पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए। कठिन रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। ऐसा लगता था कि जैसे पर्वतीय स्थानों की जानकारी उन्हें पहले से ही हो। यद्यपि एवरेस्ट का उनका पहला अभियान था। तेनजिंग का उनके कंधे पर हाथ रखकर प्रोत्साहन
देना उन्हें अच्छा लगा।

4. लेखिका को लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा और आठ अन्य शरीर से मजबूत और ऊँचाइयों में रहनेवाले शेरपाओं के साथ चढ़ाई करनी थी। जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ कोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए थे। अगले दिन सुबह 6.20 पर वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उसके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। अन्य पर्वतारोहियों के साथ चढ़ते हुए खतरों से जूझना उनकी आदत हो गई थी।

5. जब लेखिको गहरी नींद में सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ का पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था। लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ किया और लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखंडों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका। यदि थोड़ी-सी भी देर हो जाती तो उसका सीधा अर्थ था-मृत्यु।

6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी के लिए खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिण्डर इकट्ठे किए। इसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे साथियों की सहायता के लिए एक थरमस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
3. लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
4. लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर
1. उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल का नेतृत्व करते हुए पहली बड़ी बाधा खंभु हिमपात की स्थिति से पर्वतारोहियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ कर दिया है। उन्होंने यह बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा इंडियों से रास्ता चिनित कर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और बर्फ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी बदलाव व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।

2. बर्फ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात बनाता है। हिमपात अनियमित और अनिश्चित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के ढहने से अकसर बर्फ में हलचल हो जाती है। इससे बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें तुरंत गिर जाती हैं और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें अकसर गहरी-गहरी चौड़ी दरारों का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।

3. लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। साँसें लेने में कठिनाई होने लगी। एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना को भी पीछे छोड़ दिया। कैप नष्ट हो गया था। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।

4. जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेंद्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। बर्फीली हवाएँ चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय वगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका को ‘की’ से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने ‘की’ को देखा। वह लेखिका को देखकर हक्का-बक्का रह गया।

5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे

  • बेसकैंप : यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक
    गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाइयों का परिचय यहीं दिया।
  • कैंप एक : यह हिमपात से 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। यहाँ हिमपात से सामान उठाकर कैंप तक लाए जाने | का अभ्यास किया गया।
  • कैंप दोः 16 मई प्रातः सभी लोग इस कैंप पर पहुँचे। जिस शेरपा की टाँग टूट गई उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
  • कैंप तीनः यह ल्होत्से पहाड़ियों के आंगन में स्थित था। यहाँ नाइलॉन के बने तंबू में लेखिका और उसके सभी साथी सोए हुए थे। इसमें 10 व्यक्ति थे रात 12.50 बजे एक हिमखंड उन पर आ गिरा।
  • कैंप चारः यह समुद्र के 7900 मीटर ऊपर था। यहीं से साउथ कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई। यह 29 अप्रैल 1984 को अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा ने लगाया था।
  • साउथ कोल कैंपः यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
  • शिखर कैंप: यह पर्वत की सर्वोत्तम चोटी से ठीक नीचे स्थित है। इस कैंप में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घंटे में पहुंच गए।

6. चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट पर जमी बर्फ सीधी और ढलाऊ थी। चट्टानें इतनी भुरभुरी थीं मानो शीशे की चादरें बिछी हों। बर्फ़ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। दक्षिण शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके झुरझुरी बर्फ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी। वहाँ अपने-आप को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन है इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ़ को तोड़कर अपने टिकने योग्य स्थान बनाया।

7. लेखिका के व्यवहार से सहयोग और सहायता का परिचय तब मिलता है जब उसने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने एक थरमस को जूस से तथा दूसरे को गरम चाय से भरकर बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उसके इस प्रयास को खतरनाक बताया तो बचेंद्री ने जवाब दिया “मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ, इसलिए इस दल में आई हूँ। शारीरिक रूप से ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए?” यह भावना उसकी सहयोगी प्रवृत्ति को दर्शाती है।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए
1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
2. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र ख्याल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर
1. आशय-ये शब्द कर्नल खुल्लर ने अभियान दल के सदस्यों को कहे थे। जिनका आशय था कि एवरेस्ट पर पहुँचना एक महान अभियान है जिसमें खतरे तो रहते ही हैं। कभी-कभी किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है। इसमें कदम-कदम पर जान जाने का खतरा होता है। यदि ऐसा कठिन कार्य करते हुए मृत्यु भी हो जाए तो उसे स्वाभाविक घटना के रूप में लेना चाहिए। बहुत हाय-तौबा नहीं मचानी चाहिए क्योंकि ऐसे महान अभियानों में यह भी संभव है।

2. आशय-हिमपात का अव्यवस्थित ढंग से गिरना स्वयं में डरावना था। धरातल में दरार पड़ने का विचार और हिमपात तथा ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने की बात सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने से कई बार धरातल पर ये दरारें बहुत गहरी और चौड़ी बर्फ से ढकी हुई गुफाओं में बदल जाती थीं, जिनमें धंसकर मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि इनके सारे अभियान में यह हिमपात लगभग एक दर्जन पर्वतारोहियों और कुलियों का प्रतिदिन प्रभावित करता रहेगा। उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा।

3. आशय-लेखिका एवरेस्ट शंकुनुमा चोटी पर पहुँचनेवाली प्रथम महिला थी। वह अपने साहस और हिम्मत से अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुँच गई थी। वहाँ दो व्यक्तियों का इकट्ठे खड़े होना असंभव था। बर्फ़ के फावड़े से खुदाई करके उन्होंने अपने आपको सुरक्षित कर लिया और घुटनों के बल बैठकर सागरमाथा के ताज को चूम लिया। पूजा-अर्चना करते हुए लेखिका ने लाल कपड़े में दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लपेटी। बर्फ में उसे दबाया व माता-पिता का स्मरण करने लगी। यह लेखिका के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़नेवाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए-
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायजा लेना, नौसिखिया
उत्तर
निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है।
लेखिका ने नमचे बाज़ार में पहुँचकर सबसे पहले एवरेस्ट को देखा था वह उसे देखते ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो गई। इसलिए लेखिका इसे मात्र देखा न कहकर निहारा’ कहती है।
धसकना-नीचे को फँसना।
जब धरती का कुछ हिस्सा नीचे की ओर दब जाता है उसे धसकना कहते हैं।
खिसकना-अपनी जगह से हटकर परे चले जाना।
हिमपात से बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें खिसक जाती हैं।
सागरमाथा-संसार का सबसे ऊँचा स्थान।
जिस स्थान ने बचेंद्री पाल ने हिमालय की चढ़ाई आरंभ की, वह स्थान समुद्र तल का सर्वोच्च स्थान है इसलिए उसे सागरमाथा ठीक ही कहा गया है।
नौसिखिया-अनजान।
तेनजिंग के सामने बचेंद्री पाल ने स्वयं को नौसिखिया पर्वतारोही कहा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
(क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।
(ख) क्या तुम भयभीत थीं।
(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री।
उत्तर

  1. उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
  2. “क्या तुम भयभीत हो”?
  3. “तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली? बचेंद्री”।

प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उदाहरण-हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।
टेढ़ी-मेढ़ी, हक्का-बक्का, गहरे-चौड़े, इधर-उधर, आस-पास, लंबे-चौड़े।
उत्तर
टेढ़ी-मेढ़ी-पहाड़ों पर सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं।
गहरे-चौड़े-बर्फ के बड़े ग्लेशियर गिरने से गहरे-चौड़े गड्ढे पड़ गए थे।
आस-पास-हमारे विद्यालय के आस-पास बहुत हरियाली है।।
हक्का-बक्का-अपने माता-पिता को पार्टी में आया देखकर रमेश हक्का-बक्का रह गया।
इधर-उधर-चोरी पकड़े जाने पर रमेश सहायता के लिए इधर-उधर देखने लगा।
लंबे-चौड़े-नेता लोग वादे तो लंबे-चौड़े करते हैं परंतु उनमें से एक भी पूरा नहीं करते।

प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 2<

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए-
जैसे- पुत्र-सुपुत्र।।
वास, व्यवस्थित, कूल, गति, रोहण, रक्षित
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 3

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रियाविशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
(क) मैं …………………………. यह कार्य कर लूंगा।।
(ख) बादल घिरने के ………………………… ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत ……………………………. इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को ………………………… गाँव जाना था।
उत्तर
(क) मैं सुबह तक यह कार्य कर लूंगा।।
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंग्रेज़ी शब्दों का चयन कर उनका अर्थ लिखिए।-
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4

प्रश्न 2.
पर्वतारोहण से संबंधित दस चीजों के नाम लिखिए।-
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5

प्रश्न 3.
तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट’ क्यों पड़ा? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Read More »

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्र शेखर वेंकट रामन

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे? ।
2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उत्तर
1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे। उनके अंदर सशक्त वैज्ञानिक जिज्ञासा थी। फलस्वरूप वे विश्वविख्यात वैज्ञानिक बने।।

2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में समुद्र के नीला होने का कारण जानने की जिज्ञासा उठी। उन्होंने सोचा कि समुद्र का रंग नीला होने के अलावा और कुछ क्यों नहीं होता।

3. रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने हमेशा रामन् को इन दोनों विषयों के प्रति आकर्षित किया। इस कारण आगे चलकर रामन् ने जगत प्रसिद्ध पाई।

4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने अनेक देशी और विदेशी वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया।

5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना वैज्ञानिक अध्ययन और शोधकार्य करने की थी।

6. ‘रामन-प्रभाव’ की खोज के पीछे समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था। उन्होंने आगे उसी | दिशा में प्रयोग किए। जिसकी परिणति रामन्-प्रभाव’ की महत्त्वपूर्ण खोज के रूप में हुई।

7. प्रकाश की तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने | सूक्ष्म कणों की तुलना बुलेट से की और उसे ‘फोटॉन’ नाम दिया।

8. रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज बनाया। पहले उस नाम के लिए ‘इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
5. रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर
1. . कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे अपनी सारा जीवन शोधकार्यों को पूरा करने में लगाए, परंतु | इसे कैरियर के रूप में अपनाने की उनके पास कोई खास व्यवस्था नहीं थी।

2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने यह भ्रांति तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है।

3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद खाली था और आशुतोष मुखर्जी ने उनसे इस पद को स्वीकार करने का आग्रह किया। प्रोफेसर की नौकरी की अपेक्षा उनकी सरकारी नौकरी ज्यादा वेतन तथा सुविधा से भरी थी, फिर भी उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी को स्वीकार किया, क्योंकि उनके लिए सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक सरस्वती की साधना थी इसलिए यह निर्णय करना सचमुच हिम्मत का काम था।

4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया–

  1. सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से उन्हें सम्मानित किया गया।
  2. सन् 1929 में ‘सर’ की उपाधि दी गई।
  3. सन् 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  4. सन् 1954 में ‘भारत-रत्न’ से सम्मानित किए गए। |
  5. रोम का मेत्यूसी पदक मिला।
  6.  रायल सोसाइटी का यूज पदक मिला।
  7. फिलोडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रेंकलिन पदक मिला।
  8.  सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार मिला आदि।

5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतवर्ष को एक नया सम्मान और आत्मविश्वास दिया। रामन् नवयुवकों के प्रेरणास्रोत बन गए। उन्होंने एक नयी भारतीय चेतना को जन्म दिया। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के प्रति समर्पित थे। उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध के बाद भी उन्होंने सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया और देश के भावी नागरिकों को भी एक सफल वैज्ञानिक
बनने की प्रेरणा दी।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 50-60 शब्दों में) लिखिए

1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
2. रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
3. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
4. देश के वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
5. सर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेशों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है, क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिलकुल विपरीत थीं। वे बहुत महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो गई थी। समय की कमी थी। स्वतंत्र शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं थीं। ले-देकर कलकत्ता में एक छोटी-सी प्रयोगशाला ही थी जिसमें बहुत कम उपकरण थे। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में शोध कार्य दृढ़ इच्छा शक्ति से ही संभव था। यह रामन् के मन का दृढ़ हठ था, जिसके कारण वे शोध जारी रख सके। इसलिए उनके प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है। यह हठयोग विज्ञान से संबंधित था, इसलिए आधुनिक कहना उचित था।

2. रामन् की खोज को ‘राम-प्रभाव’ के नाम को जाना जाता है। रामन् ने अनेक ठोस और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरणों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन तरल या रवेदार पदार्थ से गुजरते हुए उनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणाम से या तो ये ऊर्जा का कुछ अंश पा जाते हैं या कुछ खो देते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण में बदलाव लाती हैं। एकवर्षीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुरजते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है उसी के अनुसार उसका वर्ग परिवर्तित हो जाता है।

3. रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था। यह मुश्किल तकनीक है और ग़लतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् ‘स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी के कारण पदार्थों का संश्लेषण करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो सका।

4. रामन् के अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी तथा वे देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे जब उन्हें संघर्ष करना पड़ा। इसलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की जो बंगलौर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर अर्थात् ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के नाम से जानी जाती है। भौतिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका आरंभ की। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे करंट साइंस’ नामक पत्रिका का संपादन करते थे। रामन् केवल प्रकाश की किरणों तक ही नहीं सिमटे थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व कें प्रकाश से पूरे देश को आलोकित और प्रकाशित किया।

5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने कहीं भाषण के द्वारा अपना संदेश प्रसारित नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन जिस प्रकार से जिया वह भाषण से भी प्रभावी संदेश देने का माध्यम था। उनका कर्मशील जीवन मुखर संदेश से भी प्रखर था। उन्होंने वैज्ञानिक शोध में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सरकारी नौकरी में रहते हुए भी कलकत्ता की प्रयोगशाला में प्रयोग करते रहे। जब उन्हें भौतिकी विभाग के प्रोफेसर की नौकरी मिली तो कम वेतन और कम सुख-सुविधाओं के बावजूद भी उन्होंने वह नौकरी स्वीकार कर ली। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें धन और सुख-सुविधा का मोह त्यागकर शोध या किसी अन्य कल्याणकारी कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार अनेक नवयुवकों को शोध के लिए प्रेरित किया वह भी अनुकरणीय है। उन्होंने राष्ट्रीयता एवं भारतीय संस्कारों को नहीं त्यागा। उन्होंने अपना दक्षिण भारतीय पहनावा भी नहीं छोड़ा।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

1. उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
2. हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
3. यह अपने-आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर
1. आशय-वेंकट रामन् सच्चे सरस्वती साधक थे। वे जिज्ञासु प्रकृति के वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। उन्होंने सरकारी सुख-सुविधाओं की अपेक्षा वैज्ञानिक खोजों को अधिक महत्त्व दिया। इसके लिए वित्त-विभाग की ऊँची नौकरी छोड़ दी। कलकत्ता विश्वविद्यालय की कम सुविधावाली नौकरी स्वीकार कर ली। इस प्रकार वे शिक्षण पाने व देने के काम को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे और उन्होंने यही किया।

2. आशय-हमारे आसपास के वातावरण में अनेक प्रकार की वस्तुएँ बिखरी होती हैं। उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन बिखरी चीजों को सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो उन्हें नया रूप दे सकते हैं। इन घटनाओं को अनुसंधान करनेवाले खोजियों की तलाश रहती है।

3. आशय-हठयोग का अर्थ है-जिद करनेवाला। वह यह नहीं देखता कि परिस्थितियाँ उसके अनुकूल हैं या नहीं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह अपनी इच्छा शक्ति को दबने नहीं देता। अपने कार्य को पूरा करके ही रहता है। रामन् कलकत्ता में सरकारी नौकरी करने के दौरान भी बहू बाजार में स्थिति इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की कामचलाऊ प्रयोगशाला के कामचलाऊ उपकरणों से प्रयोग करते थे। यह अपने-आप में आधुनिक हठयोग का उदाहरण है।

प्रश्न (घ)
उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैंगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट।
1. रामन् का पहला शोध पत्र ………………… में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज …………………… के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ……………………….. था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ……………………… नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए …………………….. का सहारा लिया जाता था।
उत्तर

  1. रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगजीन में प्रकाशित हुआ था।
  2. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
  3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ सांइस था।
  4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जाना जाता है।
  5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं, जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके। .
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 1
उत्तर
(क) प्रमाण-प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
(ख) प्रणाम-हमें प्रात:काल उठकर माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए।
(ग) धारणा-मेरी धारणा है कि सारे चोर बुरे इंसान नहीं होते।
(घ) धारण-मेरे पिता जी ने मौन व्रत धारण किया है।
(ङ) पूर्ववर्ती-भारत के पूर्ववर्ती इलाकों में बिजली की कमी हो रही है।
(च) परवर्ती-सम्राट अशोक के परवर्ती शासकों ने मौर्य साम्राज्य को कमज़ोर कर दिया।
(छ) परिवर्तन-परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
(ज) प्रवर्तन-गौतम बुद्ध ने बौद्ध मत का प्रवर्तन किया।

प्रश्न 2.
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से …………………… हैं।
उत्तर
अशक्त

(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ……………………. रूप से नौकरी दे दी गई है।
उत्तर
स्थायी

(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और …………………….. पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
उत्तर
तरल

उत्तर आज बाजार में देशी और …………………….. दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
उत्तर
विदेशी

उत्तर सागर की लहरों को आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद ………………… में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर
विकर्षण

प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है
उदाहरण—चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है। उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुख-सुविधा …………………………
(ख) अच्छा-खासा ………………………..
(ग) प्रचार-प्रसार …………………………
(घ) आस-पास …………………………..
उत्तर
      (क) मालिक अपने कर्मचारियों की सुख-सुविधा का ध्यान रखता है।
      (ख) रामन् का विश्व-भर में अच्छा-खासा प्रभाव था।
      (ग) हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।
      (घ) हमें अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चहिए।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 2
उत्तर
<NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 3

प्रश्न 5.
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग में आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए। घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह
उत्तर
घंटों खोए रहते-बहुत देर तक ध्यान में लीन रहते।।
स्वाभाविक रुझान बनाए रखना-सहज रूप से रुचि बनाए रखना।
अच्छा-खासा काम किया-अच्छी मात्रा में ढेर सारा काम किया।
हिम्मत का काम था-कठिन काम था।
सटीक जानकारी-बिलकुल सही और प्रमाणिक जानकारी।
काफी ऊँचे अंक हासिल किए-बहुत अच्छे अंक पाए।
कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था-बहुत मेहनत के बाद शीघ्र संस्थान की स्थापना की थी।
मोटी तनख्वाह-बहुत अधिक आय या वेतन।

प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर मिलान कीजिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 4
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 5

प्रश्न 7.
पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर
पाठ में आए रंग-बैंजनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।।
अन्य रंग-काला, सफेद, गुलाबी, मैरुन, मुंगिया, तोतिया, फिरोज़ी, भूरा, सलेटी।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरणः उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
उत्तर

  1. मुझे विद्यालय तो जाना ही था।
  2. उसे कार्य तो करना ही पड़ेगा।
  3. आप कब तक ऐसे ही बैठे रहेंगे।
  4. रमेश ने ही मुझे बुलाया था।
  5. तुम हमेशा ही प्रथम आते हो।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘विज्ञान का मानव विकास में योगदान’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत में किन-किन वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार मिला है? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें। |

प्रश्न 3.
न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. रंग की शोभा ने क्या कर दिया?
2. बादल किसकी तरह हो गए थे?
3. लोग किन-किन चीजों का वर्णन करते हैं?
4. कीचड़ से क्या होता है?
5. कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
6. नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
7. कीचड़ कहाँ सुंदर लगता है?
8. ‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर

  1.  रंग की शोभा ने उत्तर दिशा में जमकर थोड़े समय के लिए लालिमा फैला दी।
  2. जब लालिमा की जगह श्वेत बादलों ने ले ली, तब वे श्वेत कपास की तरह हो गए।
  3. लोग आकाश, पृथ्वी और जलाशयों के सौंदर्य का वर्णन करते हैं, परंतु कीचड़ का वर्णन कोई नहीं करते। कीचड़ की सुंदरता पर किसी का भी ध्यान नहीं जाता।
  4. कीचड़ में कोई पैर डालना पसंद नहीं करता। इससे शरीर गंदा हो जाता है तथा कपड़े मैले हो जाते हैं। कीचड़ के | लिए किसी को सहानुभूति नहीं होती।
  5. कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ, फोटोग्राफ़र पसंद करते हैं। साथ ही अन्य कलाप्रेमी भी गत्तों, दीवारों तथा वस्त्रों में इस रंग को पसंद करते हैं।
  6. नदी के किनारे कीचड़ तब सुंदर दिखाई देता है जब वह सूखकर टुकड़े में विभाजित हो जाती है। जब गर्मी से उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं। नदी के किनारे जब समतल और चिकना कीचड़ एक साथ फैला होता है तब वह सुंदर दिखता है।
  7. नदी के किनारे मीलों तक फैला हुआ समतल और चिकना कीचड़ बहुत सुंदर प्रतीत होता है। इस सूखे कीचड़ पर बगुलों तथा अन्य पक्षियों के पचिह्न बहुत सुंदर लगते हैं। इस सूखे कीचड़ पर गाय, बैल, पाड़े, भेड़े तथा बकरियों के पचिह्न भी सुंदर लगते हैं। पाड़े के सींगों के चिह्न भी सुंदर प्रतीत होते हैं।
  8. ‘पंक’ शब्द कीचड़ के लिए आता है जबकि पंकज अर्थात् कीचड़ में पैदा होनेवाले कमल के लिए आता है। ‘पंक’
    अर्थात् कीचड़ से सब घृणा करते हैं। परंतु पंकज अर्थात् कमल शब्द सुनते ही हमारा मन पुलकित हो जाता है।
    जबकि वह पंकज पंके में ही उत्पन्न होता है।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती? ।
2. ज़मीन ठोस होने पर उस पर किनके पचिह्न अंकित होते हैं?
3. मनुष्य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता?
4. पहाड़ लुप्त कर देनेवाले कीचड़ की क्या विशेषता है?
उत्तर
1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति नहीं होती क्योंकि लोग केवल ऊपरी शोभा को ही देखते हैं। वे स्थिरता के साथ विचार नहीं करते हैं। लोग कीचड़ को गंदा मानते हैं। उन्हें लगता है कि कीचड़ से शरीर गंदा होता है, कपड़े मैले होते हैं। किसी को भी अपने शरीर पर कीचड़ उछालना अच्छा नहीं लगता यही कारण है कि किसी को भी कीचड़ से सहानुभूति नहीं होती है।

2. जमीन ठोस होने पर उस पर गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि के पदचिह्न अंकित होते हैं। ये जानवर, जब कीचड़ की ठोस जमीन पर ही अपने पैरों के निशान अंकित करते हैं तब वह शोभा देखते ही बनती है। इस जमीन पर जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते हैं तब उनके पचिह्न और सींगों के चिह्न अनोखी शोभा उत्पन्न करते हैं। ये चिह्न ऐसे प्रतीत होते
हैं जैसे महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास लिख दिया गया हो। इसकी शोभा अलग-सी प्रतीत होती है।

3. मनुष्य को यह भान नहीं होता है कि जो वह अन्न खाता है, वह अन्न कीचड़ से उत्पन्न होता है। यह पता लगने पर वह शायद कीचड़ का तिरस्कार नहीं करता क्योंकि कीचड़ में ही सभी प्रकार के अन्न उत्पन्न होते हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि हम कीचड़ का तिरस्कार करते हैं।

4. पहाड़ लुप्त कर देनेवाले कीचड़ की यह विशेषता है कि वहाँ बहुत अधिक कीचड़ होता है। ऐसा दृश्य गंगा नदी के किनारे या सिंधु नदी के किनारे तो मिलता ही है। इससे बढ़कर खंभात में मही नदी के सामने जो विशाल और अति गहरा कीचड़ फैला हुआ है, उसमें पूरा का पूरा पहाड़ लुप्त हो सकता है। वहाँ सब ओर कीचड़ ही कीचड़
देखने को मिलता है। यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक है।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?
2. कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?
उत्तर

  1. कीचड़ का रंग श्रेष्ठ कलाकारों, चित्रकारों और मूर्तिकारों को खुश करता है। वे पकाए हुए मिट्टी के बर्तनों पर यही रंग करना पसंद करते हैं। छायाकार भी जब फोटो खींचते हैं तो एक आधी जगह पर कीचड़ जैसा रंग देखना पसंद करते हैं। वे इस रंग को देखकर खुश होते हैं। इनके अतिरिक्त आम लोग हैं जो घर की दीवारों पर, पुस्तक के गत्तों पर और पोशाकों पर यह रंग पसंद करते हैं।
  2. जब कीचड़ सूख जाता है तब उसके टुकड़े हो जाते हैं और यह सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। ज्यादा गर्मी से इन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं। ये सूखकर टेढ़े हो जाते हैं तब ये टुकड़े सुखाए हुए खोपरों जैसे दिखाई देते हैं। नदी के किनारे समतल और चिकना कीचड़ सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते हैं तो कीचड़ पर अंकित पचिह्न और सींगों के चिह्न देखने से ऐसा लगता है कि अभी-अभी भैंसों के कुल का महाभारत हुआ हो।
  3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदी के किनारे दिखाई देता है। ज्यादा गर्मी से जब इन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं, वे टेढ़े हो जाते हैं। वे सुखाए हुए खोपरे जैसे दिखाई देते हैं। नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला होता है तब वह दृश्य कुछ कम खूबसूरत नहीं होता।
  4. लेखक ने कवियों की धारणा को युक्तिशून्य ठीक ही कहा है। वे बाहरी सुंदरता पर ध्यान देते हैं किंतु आंतरिक सुंदरता और उपयोगिता को बिलकुल नहीं देखते। यह कविजन कीचड़ में उगनेवाले कमल को तो बहुत सम्मान देते हैं परंतु कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। वे केवल सौंदर्य को महत्त्व देते हैं। उन्हें उत्पन्न करनेवाले कारणों का सम्मान
    नहीं करते।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

1. नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिहने से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस | कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
2. “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम!
उत्तर
1. आशय-नदी किनारे कीचड़ जब सूखकर ठोस हो जाता है तो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं। तब नदी के किनारे उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं। वे सींग से सींग भिड़ाकर लड़ते हैं और अपने पैरों तथा सींगों से कीचड़ खोद डालते हैं तो वह दृश्य भैंसों के परिवार के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास सामने लाकर उपस्थित कर देता है। ऐसा लगता है कि ये सारा इतिहास इसी कीचड़ में लिखा गया है। अर्थात् कीचड़ में छपे चिह्न उस युद्ध की सारी स्थिति का वर्णन कर देते हैं।

2. आशय-कवि पंक से उत्पन्न कमल की तो प्रशंसा करते हैं किंतु पंक को महत्त्व नहीं देते। उनके अनुसार एक अच्छी चीज़ को स्वीकार करने के लिए उससे जुड़ी अन्य चीज़ों को या व्यक्तियों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। वासुदेव कृष्ण को कहा जाता है और लोग उनकी पूजा करते हैं तो उसका अर्थ यह नहीं है उसके पिता वसुदेव को भी पूजें। इसी प्रकार हम हीरे को मूल्यवान मानते हैं किंतु उसके जनक पत्थर और कोयले की तो प्रशंसा नहीं करते हैं। इसी प्रकार मोती को गले में डालते हैं पर उससे जुड़ी सीप को गले में धारण नहीं करते। कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय में बहस करना उचित नहीं है इसलिए उनसे बात न की जाए तो अच्छा है। ये अपनी मनमानी करते हैं। इन्हें जो अच्छा लगे वो ठीक है। इसके आगे वे किसी की नहीं सुनते।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 1
उत्तर
जलाशय – सर, सरोवर, तालाब
सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर
पंकज – नीरज, जलज, कमल
पृथ्वी – धारा, भूमि, धरती
आकाश – अंबर, नभ, व्योम

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए
(क) कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
(ख) क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है।
(ग) हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।
(घ) पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।
(ङ) आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
उत्तर
     (क) का – संबंध कारक
     (ख) का – संबंध कारक, ने-कर्ता कारक
     (ग) से – करण कारक
     (घ) पर – अधिकरण कारक
     (ङ) की – संबंध कारक

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 2
उत्तर
आकर्षक – नायक के आकर्षक व्यक्तित्व को देखकर सभी दर्शक प्रभावित हुए बिना न रह सके।
यथार्थ – हमें कल्पना नहीं यथार्थ को महत्त्व देना चाहिए।
तटस्थता – न्याय करते हुए हमें तटस्थता की नीति अपनानी चाहिए।
कलाविज्ञ – प्रदर्शनी में बड़े-बड़े कलाविज्ञों ने उपस्थित होकर अपने विचार प्रस्तुत किए।
पदचिह्न – महापुरुषों के पचिह्नों पर चलकर ही हम अपना जीवन महान बना सकते हैं।
अंकित – नेताजी का नाम हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
तृप्ति – स्वादिष्ट भोजन पाकर संन्यासी को तृप्ति हुई।
सनातन – हमें अपनी सनातन परंपराओं का पालन करना चाहिए।
लुप्त – आज शेर संसार से धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं।
जाग्रत – आज भारत अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है।
घृणास्पद – कीचड़ से लथपथ मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है।
युक्तिशून्य – मेरे मुहल्ले के नेता जी के सभी तर्क युक्तिशून्य थे।
वृत्ति – मदन विनम्र वृत्ति का बालक है।

प्रश्न 4.
नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए
(क) देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
…………………………………………………….
(ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए।
……………………………………………………
(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है।
…………………………………………………
उत्तर
    (क) देखते-देखते मेरा मित्र मेरी आँखों से ओझल हो गया।
    (ख) हम सभी को शीघ्रता से अब घर पहुँचना चाहिए।
    (ग) कमल कीचड़ से ही पैदा होता है।

प्रश्न 5.
न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए-
(क) तुम घर ………………….. जाओ
 उत्तर
मत

(ख) मोहन कल ……………………….. आएगा।
उत्तर
नहीं

(ग) उसे …………………….. जाने क्या हो गया है?
उत्तर

(घ) डाँटो ……………………….. प्यार से कहो।
उत्तर
 मत

(ङ) मैं वहाँ कभी …………………………. जाऊँगा।
उत्तर
नहीं

(च) …………………. वह बोला ………………….. मैं।
उत्तर
न, न

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखें तथा अपने अनुभवों को लिखें।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कीचड़ में पैदा होनेवाली फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र में दिखाएँ कि धान की फसल प्रमुख रूप से किन-किन प्रांतों में उपजाई जाती है?
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
क्या कीचड़ ‘गंदगी’ है? इस विषय पर अपनी कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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