Author name: Prasanna

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 39 पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 39 पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 39

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को क्या आज्ञा दे रखी थी ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को आज्ञा दे रखी थी कि पुत्र बिछोह से दुःखी राजा धृतराष्ट्र को किसी भी तरह की व्यथा न पहुँचने पाए।

प्रश्न 2.
भीमसेन का धृतराष्ट्र के प्रति कैसा व्यवहार था ?
उत्तर:
भीमसेन का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार ठीक नहीं था। वह धृतराष्ट्र की किसी आज्ञा को परिणत नहीं होने देता था। कभी-कभी वह धृतराष्ट्र को सुनाते हुए यह कह देता था कि दुर्योधन और उसके साथी अपनी नासमझी के कारण मारे गए।

प्रश्न 3.
धृतराष्ट्र के प्रति भीम के ऐसे व्यवहार का क्या कारण था ?
उत्तर:
भीमसेन दुर्योधन, दुःशासन आदि द्वारा किए गए अत्याचारों और अपमानों को भुला नहीं पाता था। भीमसेन के मन में बातें अमिट रूप से अंकित हो चुकी थीं। इस कारण न तो वह अपना पुराना वैर भूल पाता था और न ही क्रोध को ही दबा पाता था।

प्रश्न 4.
धृतराष्ट्र के मन में वन जाने का विचार क्यों आया ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र का जी सुख भोग में नहीं लग रहा था। भीमसेन की अप्रिय बातों से भी उनका मन खिन्न हो जाता था। वे बहुत वृद्ध भी हो गए थे। धीरे-धीरे उनके मन में विराग आ गया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 39 पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार

प्रश्न 5.
धृतराष्ट्र युधिष्ठिर के पास क्यों गए ? धृतराष्ट्र की बातें सुनकर युधिष्ठिर ने क्या कहा ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र युधिष्ठिर से वन जाने की अनुमति लेने गए। धृतराष्ट्र का यह विचार जानकर युधिष्ठिर खिन्न होकर बोले आज से आपका ही पुत्र युयुत्सु राजगद्दी पर बैठे या जिसे आप चाहें राजा बना दें अथवा शासन की बागडोर अपने हाथ में ले लें। मैं वन में चला जाऊँगा। राजा मैं नहीं आप हैं ऐसी हालत में मैं आपको अनुमति कैसे दे सकता हूँ।

प्रश्न 6.
युधिष्ठिर के अनुमति न देने पर धृतराष्ट्र ने क्या किया ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र ने आचार्य कृप और विदुर से कहा कि आप लोग महाराज युधिष्ठिर को समझाकर मुझे अनुमति दिलाइए। इस प्रकार उनके कहने से युधिष्ठिर ने अनुमति दे दी।

प्रश्न 7.
धृतराष्ट्र के साथ और कौन-कौन वन हो गए ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र के साथ गांधारी, कुंती और संजय भी वन को गए। उन्होंने वन में तीन वर्ष तक तपस्वियों का सा जीवन व्यतीत किया।

प्रश्न 8.
युधिष्ठिर ने कुंती को वन जाने से रोकते हुए क्या कहा ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने कहा-“माँ, तुम वन क्यों जा रही हो। तुम्हारा जाना ठीक नहीं है। तुम्हीं ने हमें आशीर्वाद देकर युद्ध के लिए भेजा था। अब तुम ही हमें छोड़कर वन को जाने लगीं। इतना कहते-कहते युधिष्ठिर का गला भर आया। कुंती अपने निश्चय पर अटल रही। युधिष्ठिर उनको वन जाते अवाक् खड़े देखते रहे।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 39 पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 39

कौरवों पर विजय पा लेने के बाद सारे राज्य पर पांडवों का एकछत्र राज्य हो गया। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को आज्ञा दे रखी थी कि पुत्रों के विछोह से दुःखी राजा धृतराष्ट्र को किसी भी तरह की व्यथा न पहुँचाई जाए। धृतराष्ट्र भी पांडवों से स्नेहपूर्वक व्यवहार करते थे। भीमसेन के व्यवहार से धृतराष्ट्र कभी-कभी दुखी हो जाते थे। बात यह थी कि दुर्योधन, दुःशासन आदि द्वारा किए गए अत्याचारों और अपमानों का दुखद स्मरण भीमसेन के मन में अमिट रूप से अंकित हो चुका था। इस कारण वह न तो पुराने वैर को भुला पाता था और न ही क्रोध को दबा पाता था। धृतराष्ट्र का मन किसी भी सुख भोग में नहीं लगता था। उनके मन में विराग आ गया। इन बातों में गांधारी उनका अनुसरण किया करती थी। एक दिन धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर के पास जाकर कहा कि हमारे वंश की परंपरागत प्रथा के अनुसार हम वृद्धों को वल्कल धारण करके वन में जाना चाहिए। अब तुम्हारी भलाई की कामना करता हुआ है वन में जाना चाहता हूँ। तुम्हें इस बात की अनुमति हमें देनी चाहिए। युधिष्ठिर ने खिन्न होकर कहा-आप चाहे. अपने ” पुत्र को राजा बना दें या स्वयं शासन की बागडोर हाथ में ले लें। राजा आप हैं मैं नहीं अतः मैं आपको कैसे अनुमति दे सकता हूँ। वन में आप नहीं मैं जाऊँगा।

धृतराष्ट्र ने कहा-मेरे मन में वन में जाकर तपस्या करने की बड़ी प्रबल इच्छा है। वन में जाने का मेरा समय है तुम्हारा नहीं। धृतराष्ट्र आचार्य कृप एवं विदुर से बोले कि आप ही युधिष्ठिर को समझाकर मुझे वन जाने की अनुमति दिलाइए। इस प्रकार वन जाने की अनुमति पाकर गांधारी के कंधे पर हाथ रखकर लाठी टेकते हुए वन को रवाना हुए। गांधारी ने आँखों पर पट्टी बाँध रखी थी अतः माता कुंती भी उनके साथ रवाना हुई। धर्मराज समझ रहे थे कि माता कुंती गांधारी को थोड़ी दूर विदा करने के लिए उनके साथ जा रही हैं। युधिष्ठिर ने माता कुंती से पूछा कि आप वन में क्यों जा रही हो। अब तुम भी हमें छोड़कर वन को जाने लगीं। उनके आग्रह करने पर भी कुंती अपने निश्चय पर अटल रही। धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती ने तीन वर्ष तक वन में तपस्वियों का सा जीवन व्यतीत किया। संजय भी उनके साथ थे।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 38 युधिष्ठिर की वेदना

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 38 युधिष्ठिर की वेदना

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 38

प्रश्न 1.
धृतराष्ट्र के हाव-भाव देखकर श्रीकृष्ण ने क्या किया ?
उत्तर:
जब श्रीकृष्ण ने देखा कि पुत्र शोक के कारण धृतराष्ट्र क्रोध में हैं तो उन्होंने भीमसेन को एक ओर हटा लिया और उसके स्थान पर लोहे की एक प्रतिमा दृष्टिहीन राजा धृतराष्ट्र के आगे लाकर खड़ी कर दी। राजा ने प्रतिमा को भीम समझ कर छाती से लगाया। उन्हें याद आया कि भीम ने उनके कितने ही प्यारे बेटों को मार डाला। धृतराष्ट्र ने क्षुब्ध होकर प्रतिमा को जोर से छाती से लगाकर कसा। प्रतिमा खंड-खंड हो गई।

प्रश्न 2.
प्रतिमा के खंड-खंड होने पर धृतराष्ट्र विलाप क्यों करने लगे ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र को अपनी भूल का अहसास हुआ कि क्रोध में आकर उन्होंने यह क्या अनर्थ कर डाला। मैंने भीम की हत्या कर दी। यह कहकर वे बुरी तरह विलाप करने लगे।

प्रश्न 3.
द्रौपदी की स्थिति कैसी थी ? गांधारी ने उसे क्या समझाया ?
उत्तर:
द्रौपदी अपने पाँचों सुकुमार पुत्रों के मारे जाने से शोक-विह्वल होकर रो रही थी। उसकी इस अवस्था पर गांधारी को वहुत दया आई। वह बोली बेटी दुःखी मत होओ। मै और तुम एक जैसी ही हैं। हमें सांत्वना देने वाला कौन है ? इस सबकी दोषी तो मैं ही हूँ। मेरे ही दोष के कारण आज कुल का सर्वनाश हुआ है।

प्रश्न 4.
युधिष्ठिर के मन में क्या बात समा गई थी ? उन्होंने क्या निश्चय किया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर के मन में यह बात समा गई थी कि हमने अपने बंधु-बांधवों को मारकर राज्य पाया है। उनका मन विरत हो गया। उन्होंने वन जाने का निश्चय कर लिया ताकि वह इस पाप का प्रायश्चित कर सकें।

प्रश्न 5.
बाकी पांडवों ने युधिष्ठिर को क्या समझाया ?
उत्तर:
बाकी पांडवों के युधिष्ठिर को समझाया कि हमारे माता-पिता, आचार्य, बंधु सभी आप ही हैं। द्रौपदी भी इस वाद-विवाद में पीछे न रही। वह बोली-“अब तो आपका यही कर्तव्य है कि राजोचित धर्म का पालन करते हुए राज्य शासन करें और चिंता न करें।”

प्रश्न 6.
शासन सूत्र संभालने से पहले युधिष्ठिर कहाँ गए ?
उत्तर:
शासन-सूत्र संभालने से पहले युधिष्ठिर वहाँ गए जहाँ भीष्म शर-शय्या पर लेटे हुए थे। भीष्म ने युधिष्ठिर को उपदेश दिया और धर्म का मर्म समझाया। धृतराष्ट्र भी युधिष्ठिर के पास आकर सांत्वना देते हुए बोले-“बेटा तुम्हें इस प्रकार शोक-विहवल नहीं होना चाहिए। दुर्योधन ने जो मूर्खताएं की थीं उनको सही समझकर मैंने धोखा खाया और अपने सौ पुत्रों को खोया। अब तुम्हीं मेरे पुत्र हो। तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 38 युधिष्ठिर की वेदना

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 38

यधिष्ठिर रोती बिलखती हुई स्त्रियों के समूह को पार करते हुए भाइयों व श्रीकृष्ण सहित धृतराष्ट्र के पास आए। धृतराष्ट्र के हाव-भाव से श्रीकृष्ण ने अंदाजा लगा लिया था कि धृतराष्ट्र पुत्र शोक के कारण क्रोध में हैं। उन्होंने भीमसेन को एक तरफ हटा लिया तथा उसके स्थान पर लोहे की प्रतिमा को आगे कर दिया। धृतराष्ट्र ने भीम समझकर लोहे की प्रतिमा का ऐसा आलिंगन किया कि प्रतिमा चूर-चूर हो गई। धृतराष्ट्र को जब यह ख्याल आया कि मैंने क्रोध में आकर मूर्खतावश क्या कर डाला तो वह विलाप करने लगे। श्रीकृष्ण ने कहा-राजन् हम पहले ही जानते थे कि आप क्रोध में आकर ऐसा कर सकते हैं इसलिए हमने भीमसेन की जगह लोहे की मूर्ति को आगे कर दिया था। आपके क्रोध का ताप मूर्ति पर उतर कर शांत हो गया। भीमसेन अभी जीवित है धृतराष्ट्र ने पांडवों को आशीर्वाद देकर विदा किया। गांधारी ने अपने दग्ध-हृदय को धीरे-धीरे शांत किया और पांडवों को आशीर्वाद देकर विदा किया। इसके बाद सभी गांधारी के पास गए। युधिष्ठिर आदि सब चले गए परंतु अपने पांचों सुकुमार बालकों के मारे जाने के कारण शोक-विह्वल द्रौपदी गांधारी के पास ही रुक गई। गांधारी को द्रौपदी पर बहुत दया आई, वह बोली-“बेटी हम दोनों की दशा एक जैसी ही है। हमें सांत्वना देने वाला कोई नहीं है। इस सबकी दोपी मैं ही हूँ।

युधिष्ठिर के मन में यह समा गई थी कि हमने अपने ही बंधु-बांधवों को मारकर राज्य पाया है। उनके मन को भारी व्यथा पहुँची। उनका मन विरत हो गया। अंत में उन्होंने वन जाने का निश्चय कर लिया। उसके भाइयों ने उन्हें बहुत समझाया और अनुरोध किया कि हमारे माता-पिता, आचार्य बंधु सब आप ही हैं आपको राजोचित धर्म का पालन करते हुए शासन करना चाहिए। शासन-सूत्र ग्रहण करने से पहले युधिष्ठिर भीष्म के पास गए। पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को धर्म का मर्म समझाया और उपदेश दिया। धृतराष्ट्र भी युधिष्ठिर के पास आकर सांत्वना देते हुए बोले-“बेटा तुम्हें इस प्रकार शोक-विह्वल नहीं होना चाहिए। दुर्योधन ने जो मूर्खताएँ की थीं, उनको सही समझकर मैंने धोखा खाया। मेरे सौ-के सौ पुत्र इस तरह काल-कवलित हो गए जैसे-स्वप्न में मिला हुआ, घर नींद खुलने पर लुप्त हो जाता है। अब तुम्हीं मेरे पुत्र हो।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 37 अश्वत्थामा

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 37 अश्वत्थामा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 37

प्रश्न 1.
दुर्योधन का हाल जानकर अश्वत्थामा ने क्या प्रतिज्ञा की ?
उत्तर:
अश्वत्थामा को वह सब याद था जिस कुचक्र से उसके पिता को मारा गया था। दुर्योधन के सामने जाकर अश्वत्थामा ने प्रतिज्ञा की कि वह आज रात ही में पांडवों को नष्ट करके रहेगा।

प्रश्न 2.
अश्वत्थामा ने पांचालों को किस प्रकार नष्ट किया ?
उत्तर:
अश्वत्थामा धृष्टद्युम्न से बहुत क्षुब्ध था क्योंकि उसने ही द्रोणाचार्य का सिर धड़ से अलग किया था। अश्वत्थामा ने धृष्टद्युम्न के शिविर में घुसकर सोए हुए धृष्टद्युम्न को पैरों तले ऐसा कुचला कि वह तत्काल ही मर गया। इसके बाद अश्वत्थामा ने अन्य पांचाल वीरों को बुरी तरह कुचल कर मार डाला।

प्रश्न 3.
पांचालों और द्रोपदी के पुत्रों को मारने के बाद अश्वत्थामा कहाँ पहुँचा ?
उत्तर:
पांचालों और द्रौपदी के पुत्रों को मारने के बाद अश्वत्थामा वहाँ गया जहाँ दुर्योधन पड़ा हुआ था। वहाँ जाकर अश्वत्थामा ने कहा-“महाराज दुर्योधन! आप अभी जीवित हैं क्या ? देखिए आपके लिए मैं ऐसा समाचार लाया हूँ कि जिसे सुनकर आपका कलेजा अवश्य ठंडा होगा। मैंने सारे पांचालों व पांडव पुत्रों को खत्म कर दिया है।

प्रश्न 4.
दुर्योधन ने प्रसन्न होकर क्या कहा ?
उत्तर:
दुर्योधन ने प्रश्न होकर अश्वत्थामा से कहा कि गुरु भाई अश्वत्थामा, आपने मेरी खातिर वह काम किया है जो पितामह भीष्म और महावीर कर्ण भी न कर पाए। इतना कहकर दुर्योधन ने अपने प्राण त्याग दिए।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 37 अश्वत्थामा

प्रश्न 5.
इस युद्ध के बाद दोनों पक्षों से कौन-कौन जीवित बचे ?
उत्तर:
इस युद्ध के बाद पांडव पक्ष से सात व्यक्ति जीवित बचे तथा कौरव पक्ष से अश्वत्थामा, कृतवर्मा व कृपाचार्य केवल तीन व्यक्ति ही जीवित बचे।

प्रश्न 6.
शोक-विह्वल द्रौपदी ने युधिष्ठिर से क्या कहा ?
उत्तर:
शोक-विह्वल द्रौपदी ने युधिष्ठिर से कहा कि पापी अश्वत्थामा से बदला लेने वाला हमारे यहाँ कोई नहीं रहा?

प्रश्न 7.
द्रौपदी की स्थिति देखकर पांडवों ने क्या किया ?
उत्तर:
पांडव अश्वत्थामा को खोजते हुए गंगा नदी के तट पर पहुंचे, जहाँ अश्वत्थामा छिपा हुआ था। भीम और अश्वत्थामा का युद्ध हुआ। इस युद्ध में अश्वत्थामा हार गया।

प्रश्न 8.
धृतराष्ट्र अपने कुल की स्त्रियों को लेकर कहाँ गए ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र अपने कुल की निःसहाय स्त्रियों को लेकर समर-भूमि में गए, जहाँ एक ही वंश के बंधु-बांधवों ने एक दूसरे से भयानक युद्ध करके अपने ही कुल का सर्वनाश कर दिया था।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 37 अश्वत्थामा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 37

दुर्योधन पर जो कुछ बीती, उसका हाल सुनकर अश्वत्थामा बहुत दुःखी हुआ। वह वहाँ पहुँचा जहाँ दुर्योधन मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था। दुर्योधन के सामने जाकर अश्वत्थामा ने प्रतिज्ञा कि की वह आज ही रात में पांडवों को नष्ट करके रहेगा। दुर्योधन ने अपने आसपास खड़े हुए लोगों से कहकर अश्वत्थामा को कौरव सेना का सेनापति बनाया। रात को अश्वत्थामा कृतवर्मा व कृपाचार्य एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। कृतवर्मा और कृपाचार्य को नींद आ गई परंतु अश्वत्थामा सोच रहा था कि मैं अभी अपने पिता के हत्यारे को क्यों न मार दूं। अश्वत्थामा पांडवों के शिविर की ओर चल दिया। कृपाचार्य और कृतवर्मा भी उसके साथ थे। अश्वत्थामा ने धृष्टद्युम्न के शिविर में घुसकर धृष्टद्युम्न को कुचल डाला। इसके बाद अन्य पांचाल वीरों को भी मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद इन्होंने वहाँ आग लगा दी। सोए सैनिक जाग गए। कुछ जिंदा ही जल गए। अश्वत्थामा ने एक-एक को बड़ी निर्दयता के साथ मारा। इसके बाद वह दुर्योधन के पास गया और बोला मैं आपके लिए ऐसा अच्छा समाचार लाया हूँ जिसे सुनकर आपका कलेजा जरूर ठंडा होगा। मैंने सारे पांचाल खत्म कर दिए और पांडवों के भी सभी पुत्र मारे दिये। यह सुनकर दुर्योधन बहुत प्रसन्न हुआ। वह बोला-“गुरु भाई अश्वत्थामा, आपने मेरी खातिर जो काम किया है वह पितामह भीष्म और महावीर कर्ण भी न कर सके। इतना कहकर दुर्योधन ने अपने प्राण त्याग दिए।

द्रौपदी की स्थिति बहुत दयनीय हो रही थी। वह युधिष्ठिर के पास आकर कातर स्वर में पुकार उठी कि क्या इस पापी अश्वत्थामा से बदला लेने वाला हमारे यहाँ कोई नहीं रहा? द्रौपदी की यह अवस्था देखकर पांडव अश्वत्थामा की खोज में निकल पड़े। उन्होंने गंगा तट पर छिपे हुए अश्वत्थामा का पता लगा लिया। भीमसेन और अश्वत्थामा में भयंकर युद्ध हुआ अंत में अश्वत्थामा हार गया। अश्वत्थामा ने पांडव वंश का नामोनिशान तक मिटा दिया होता यदि उत्तरा का गर्भ न बचता। उत्तरा ने समय पर परीक्षित को जन्म दिया। यही परीक्षित पांडव वंश का एक मात्र चिह्न रह गया था। हस्तिनापुर में असहाय स्त्रियों और बच्चों के हृदय विदारक रुदन के अलावा और कुछ नहीं था। युद्ध समाप्त होने पर हजारों निःसहाय स्त्रियों को लेकर वृद्ध महाराज धृतराष्ट्र समर भूमि में गए जहाँ एक ही वंश के बंधु-बांधवों ने युद्ध करके अपने ही कुल का सर्वनाश कर डाला था। धृतराष्ट्र बीती बातों का स्मरण करके विलाप करने लगे।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 36 कर्ण और दुर्योधन भी मारे गए

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 36 कर्ण और दुर्योधन भी मारे गए

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 36

प्रश्न 1.
द्रोणाचार्य के मारे जाने पर कौरव सेना का सेनापति कौन बना ?
उत्तर:
द्रोणाचार्य के मारे जाने पर कर्ण कौरव सेना का सेनापति बना। शल्य कर्ण के सारथी बने।

प्रश्न 2.
भीम ने दुःशासन का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
जब दुःशासन ने देखा कि भीम कर्ण पर टूट पड़ा है तो उसने भीम पर बाणों की वर्षा आरंभ कर दी। भीम ने दुःशासन को एक धक्का देकर नीचे गिरा दिया और उसका एक-एक अंग तोड़-मरोड़ डाला। इस प्रकार भीम ने दुःशासन का वध करके अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।

प्रश्न 3.
कृष्ण ने अर्जुन को कर्ण के वार से कैसे बचाया ?
उत्तर:
कर्ण ने अर्जुन पर जब एक आग उगलता हुआ बाण चलाया तो कृष्ण ने रथ को पाँव के अगूंठे से दबा दिया। इस प्रकार रथ जमीन में पाँच अंगुल नीचे धंस गया। कृष्ण की इस युक्ति से अर्जुन मरते-मरते बचा।

प्रश्न 4.
जब कर्ण का रथ धरती में धंस गया तो कर्ण ने अर्जुन से क्या कहा ?
उत्तर:
कर्ण अर्जुन से बोला-अर्जुन! जरा ठहरो। मेरे रथ का पहिया धरती में धंस गया है। पांडु-पुत्र तुम्हें धर्म-युद्ध करने का जो यश प्राप्त है उसे व्यर्थ न गंवाओ। मैं जमीन पर खड़ा रहूँ और तुम रथ पर बैठे-बैठे मुझ पर बाण चलाओ यह ठीक नहीं होगा।

प्रश्न 5.
अर्जुन ने कर्ण का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
जब कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया था और कर्ण रथ के पहिये को धरती से निकालने का प्रयत्न कर रहा था, ठीक उसी समय कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने एक ही बाण से कर्ण का सिर धड़ से अलग कर दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 36 कर्ण और दुर्योधन भी मारे गए

प्रश्न 6.
कृपाचार्य ने दुर्योधन को क्या समझाया ?
उत्तर:
कृपाचार्य ने दुर्योधन से कहा कि राजन! अब तुम्हारा यही कर्तव्य है कि पांडवों से किसी प्रकार संधि कर लो। अब युद्ध बंद करना ही श्रेयस्कर है।

प्रश्न 7.
कर्ण की मृत्यु के बाद कौरव सेना का सेनापति किसे बनाया गया ?
उत्तर:
कर्ण की मृत्यु के बाद शल्य को कौरव सेना का सेनापति बनाया गया।

प्रश्न 8.
शल्य की मृत्यु किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
पांडव सेना के संचालन का पूरा उत्तरदायित्व युधिष्ठिर ने अपने कंधों पर लेकर शल्य पर आक्रमण किया। युधिष्ठिर ने शल्य पर शक्ति का प्रयोग किया। शक्ति लगने से मद्रराज शल्य मृत होकर रथ पर ही गिर पड़े।

प्रश्न 9.
शकुनि का वध किसने किया ?
उत्तर:
शकुनि का वध सहदेव के नुकीले बाण से हुआ। सहदेव के एक बाण से ही शकुनि का सिर कटकर भूमि पर गिर पड़ा।

प्रश्न 10.
दुर्योधन अपने प्राण बचाकर कहाँ छिप गया था ?
उत्तर:
दुर्योधन अपने प्राण बचाकर एक जलाशय में छिप गया था। पांडव उसे खोजते-खोजते वहीं जा पहुंचे।

प्रश्न 11.
दुर्योधन की मृत्यु किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
जलाशय पर जाकर पांडवों ने दुर्योधन को ललकारा। दुर्योधन ललकार सुनकर बाहर आया। दुर्योधन ने कहा कि मैं एक साथ सबसे युद्ध नहीं कर सकता तुम एक-एक करके मेरे साथ युद्ध करो। सबसे पहले भीम और दुर्योधन में युद्ध होने लगा। तभी कृष्ण का इशारा पाकर भीम ने दुर्योधन की जंघा पर गदा से वार किया। जंघा टूटने से दुर्योधन जमीन पर गिर पड़ा। इस प्रकार दुर्योधन का अंत हो गया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 36 कर्ण और दुर्योधन भी मारे गए

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 36

द्रोण के मारे जाने पर कर्ण कौरव सेना के सेनापति बने। अर्जुन की रक्षा करता हुआ भीम कर्ण पर टूट पड़ा। जब दुःशासन ने यह देखा तो उसने भीम पर बाणों की वर्षा कर दी। तभी भीम ने दुःशासन को एक धक्के में नीचे गिरा दिया और उसका एक-एक अंग तोड़ मरोड़ डाला। इस प्रकार भीम की प्रतिज्ञा पूरी हुई। उधर अर्जुन और कर्ण का युद्ध हो रहा था। कर्ण के एक बाण से अर्जुन का मुकुट दूर जा गिरा। इसी बीच कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया वह अपने रथ का पहिया निकालने लगा तभी कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने कर्ण पर बाण चलाया जिससे कर्ण का सिर कटकर जमीन पर गिर पड़ा। दुर्योधन को जब कर्ण की मृत्यु की खबर मिली तो उसके शोक की सीमा न रही। कृपाचार्य ने दुर्योधन को पांडवों से संधि करने की सलाह दी। परंतु दुर्योधन को यह सलाह पसंद नहीं आई। इसके बाद मद्रराज शल्य को कौरव सेना का सेनापति बनाया गया। पांडवों की सेना के संचालन का पूरा दायित्व युधिष्ठिर ने अपने कंधों पर ले लिया। युधिष्ठिर ने शल्य पर शक्ति का प्रयोग किया और मद्रराज शल्य मृत होकर रथ पर गिर पड़े। शल्य के मारे जाने पर कौरव सेना असहाय हो गई। उधर सहदेव के एक बाण से शकुनि का सिर धड़ से अलग हो गया। इस प्रकार कौरव सेना के सारे वीर सदा के लिए चिरनिद्रा में विलीन हो गए। अब अकेला दुर्योधन बचा था। दुर्योधन अकेला ही गदा लेकर जलाशय की ओर चल पड़ा। तभी पांडव उसे खोजते हुए वहीं पहुंच गए। उन्होंने दुर्योधन को युद्ध के लिए ललकारा। दुर्योधन ने कहा कि मेरे सभी साथी मारे जा चुके हैं। मुझे राज्य का लोभ नहीं। अब सारा राज्य तुम्हारा है। निश्चिंत होकर इसका उपभोग करो। युधिष्ठिर ने कहा तुम तो कहते थे कि मैं सुई की नोंक के बराबर भी भूमि नहीं दूंगा। युधिष्ठिर की ये बातें सुनकर दुर्योधन युद्ध के लिए तैयार हो गया। वह बोला एक-एक कर तुम सभी मेरे साथ युद्ध कर सकते हो। दुर्योधन और भीम का युद्ध होने लगा। इसी बीच कृष्ण का इशारा पाकर भीम ने दुर्योधन की जंघा पर गदा से प्रहार किया। वह अधमरी अवस्था में भूमि पर गिर पड़ा। दुर्योधन कृष्ण से कहने लगा कि तुमने कुचक्र रचकर हमारे सभी महारथियों को मरवा दिया।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 35

प्रश्न 1.
भूरिश्रवा का अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भूरिश्रवा का युद्ध सात्यकि के साथ चल रहा था। सात्यकि को घायल अवस्था में भूरिश्रवा पकड़कर खींच रहा था। तभी अर्जुन ने देखा कि भूरिश्रवा पैर से सात्यकि के शरीर को दबा रहा है और खड़ग से उसके ऊपर वार करने वाला है। अर्जुन ने एक बाण चलाया जिससे भूरिश्रवा का दाहिना हाथ तलवार सहित कटकर दूर जा गिरा। भूरिश्रवा ने अर्जुन के इस कृत्य का विरोध किया इसी बीच अन्य वीरों के मना करने के बाद भी सात्यकि ने भूरिश्रवा का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी लोगों ने सात्यकि की निंदा की।

प्रश्न 2.
अर्जुन ने जयद्रथ का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
अर्जुन कौरव सेना को तितर-बितर करता हुआ वहाँ पहुँच गया जहाँ जयद्रथ था। तभी ऐसा लगने लगा कि सूर्यास्त होने वाला है। दुर्योधन यह देखकर वहुत प्रसन्न हुआ। तभी कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जयद्रथ सूर्य की ओर देख रहा है और समझ रहा है कि सूर्य अस्त हो गया है। प्रतिज्ञा पूरी करने का यही अवसर है। तभी अर्जुन ने अपने गांडीव से एक तेज बाण छोड़ा जो जयद्रथ के सिर को धड़ से अलग करते हुए सिर को उड़ा ले गया।

प्रश्न 3.
जयद्रथ का सिर कहाँ जाकर गिरा ?
उत्तर:
जयद्रथ के पिता वृद्धक्षत्र अपने आश्रम में संध्या वंदना कर रहे थे तभी उनकी गोद में जयद्रथ का कटा हुआ सिर आकर गिरा। जब बूढ़े वृद्धक्षत्र ने देखा तो उसी क्षण उसके सिर के भी सौ टुकड़े हो गए।

प्रश्न 4.
घटोत्कच किस प्रकार वीरगति को प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
घटोत्कच और कर्ण का युद्ध चल रहा था। घटोत्कच ने कर्ण को बहुत परेशान कर रखा था। घटोत्कच ने कर्ण को . बहुत पीड़ा पहुँचाई। कर्ण ने आपे से बाहर होकर इन्द्र द्वारा दी हुई उस शक्ति का प्रयोग कर दिया जो उसने अर्जुन को मारने के लिए सुरक्षित रखी थी। इसके प्रयोग से अर्जुन का संकट तो टल गया परंतु घटोत्कच मारा गया।

प्रश्न 5.
द्रोणाचार्य का वध करने के लिए पांडवों ने क्या कुचक्र रचा ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि कुचक्र रचकर ही द्रोणाचार्य को मारा जा सकता है। अतः योजना के अनुसार भीम ने अश्वत्थामा नाम के हाथी का वध कर दिया और शोर मचा दिया कि मैंने अश्वत्थामा को मार दिया। द्रोणाचार्य यह सुनकर विचलित हो गए। उन्होंने सत्य जानने के लिए युधिष्ठिर से पूछा। उन्होंने भी कह दिया अश्वत्थामा मारा गया बाद में धीरे से कह दिया ‘लेकिन हाथी’ तभी पांडवों ने शोर मचा दिया। इसी बीच धृष्टद्युम्न ने खड़ग के एक ही वार से द्रोणाचार्य का सिर धड़ से अलग कर दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 35

एक तरफ अर्जुन और जयद्रथ का युद्ध चल रहा था दूसरी ओर भूरिश्रवा ने सात्यकि को ऊपर उठाकर जमीन पर पटक दिया। भूरिश्रवा सात्यकि को घसीटने लगा। अर्जुन ने जब यह देखा तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उधर भूरिश्रवा सात्यकि के शरीर को पाँव से दबाकर तलवार से वार करने ही वाला था तभी अर्जुन के एक बाण से उसका दाहिना हाथ कटकर तलवार समेत दूर जा गिरा। अर्जुन के हमले के विरोध में भूरिश्रवा ने आमरण अनशन शुरु कर दिया। तब अर्जुन बोला कि मैंने अपने बाणों की पहुँच तक किसी साथी का वध न होने देने की प्रतिज्ञा कर रखी है। सात्यकि की रक्षा करना मेरा धर्म है। भूरिश्रवा अर्जुन की बातों से संतुष्ट हो गया। कुछ ही घड़ी बीतने पर अचानक सात्यकि ने भूरिश्रवा का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी लोगों ने सात्यकि के इस कार्य की निंदा की।

अर्जुन कौरव सेना को तितर-बितर करता हुआ जयद्रथ तक पहुँच गया। उधर सूर्यास्त होने को था। दुर्योधन प्रसन्न था कि अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं कर पाएगा। तभी जयद्रथ भी सूर्य की ओर देखने लगा। इसी बीच कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने अपने गांडीव से एक तेज बाण छोड़कर जयद्रथ का सिर काट दिया। श्रीकृष्ण ने कहा कि जयद्रथ का सिर जमीन पर न गिरने पाए। अर्जुन ने ऐसा ही किया। जयद्रथ का सिर अपने आश्रम में संध्या वंदना कर रहे उनके पिता वृद्धक्षत्र की गोद में जा गिरा जब युधिष्ठिर ने जान लिया कि अर्जुन के हाथों जयद्रथ का वध हो गया है तो वे दूने उत्साह के साथ सेना लेकर द्रोण पर टूट पड़े। चौदहवें दिन का युद्ध देर रात तक चलता रहा। उधर घटोत्कच ने कर्ण को इतनी पीड़ा पहुँचाई कि अर्जुन के लिए सुरक्षित रखी गई इन्द्र की दी हुई शक्ति का प्रयोग उसे घटोत्कच पर करना पड़ा। घटोत्कच मारा गया। तभी कृष्ण ने कहा कि आचार्य को कुचक्र रचकर ही परास्त करना होगा। इस व्यवस्था के अनुसार भीम ने जाकर अश्वत्थामा नाम के हाथी को मार दिया। भीम जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि मैंने अश्वत्थामा को मार दिया है। द्रोणाचार्य ने जब यह सुना तो वह विचलित हो गए। आचार्य द्रोण ने युधिष्ठिर से पूछा तो उन्होंने कह दिया कि अश्वत्थामा मारा गया, लेकिन हाथी। इसके बाद भीम तथा अन्य पांडवों ने शोर मचा दिया। इसी बीच धृष्टद्युम्न ने खड़ग के एक ही वार से आचार्य की गरदन धड़ से अलग कर दी।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 34 युधिष्ठिर की चिंता और कामना

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 34 युधिष्ठिर की चिंता और कामना

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 34

प्रश्न 1.
धृष्टद्युम्न ने द्रोण को युद्ध में क्यों उलझाए रखा ?
उत्तर:
धृष्टद्युम्न का मानना था कि यदि जयद्रथ की रक्षा हेतु द्रोण भी चले गए तो अनर्थ हो जाएगा। द्रोणाचार्य को रोके रखने के इरादे से धृष्टद्युम्न ने द्रोण पर आक्रमण जारी रखा। धृष्टद्युम्न की इस चाल के कारण कौरव सेना तीन हिस्सों में बँटकर कमजोर पड़ गई।

प्रश्न 2.
पांचाल सेना के रथ सवार धृष्टद्युम्न को युद्ध भूमि से क्यों हटा ले गए ?
उत्तर:
द्रोण के साथ युद्ध में धृष्टद्युम्न पर द्रोण ने भारी प्रहार किये। सात्यकि ने बीच में आकर धृष्टद्युम्न पर हमले को विफल कर दिया। द्रोण के हमले से बचाने के लिए रथ सवार उसे मैदान से हटा ले गए।

प्रश्न 3.
युधिष्ठिर ने धृष्टद्युम्न को क्या आदेश दिया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने धृष्टधुम्न से कहा कि तुम्हें अभी जाकर द्रोणाचार्य पर आक्रमण करना चाहिए नहीं तो डर है कि कहीं आचार्य के हाथों सात्यकि का वध न हो जाए।

प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण के पाञ्चजन्य शंख की ध्वनि से युधिष्ठिर विचलित क्यों हो गए ? उन्होंने क्या किया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने जब कृष्ण के पाञ्चजन्य की ध्वनि सुनी तो उन्होंने सोचा कि अर्जुन संकट में है। उन्होंने सात्यकि से अर्जुन की सहायता के लिए जाने को कहा। सात्यकि के चले जाने पर द्रोणाचार्य ने पांडव सेना पर जोरदार आक्रमण कर दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 34 युधिष्ठिर की चिंता और कामना

प्रश्न 5.
जब युधिष्ठिर ने भीम को अर्जुन की सहायता के लिए भेजा तो धृष्टद्युम्न ने क्या कहकर भीम को आश्वस्त दिया ?
उत्तर:
भीम ने धृष्टद्युम्न से कहा कि मैं युधिष्ठिर को तुम्हारे भरोसे छोड़कर जा रहा हूँ। धृष्टद्युम्न ने भीम से कहा कि तुम विश्वास रखो, द्रोण मेरा वध किए बगैर युधिष्ठिर को नहीं पकड़ पाएगा।

प्रश्न 6.
अर्जुन को सुरक्षित देखकर भीम ने सिंहनाद क्यों किया ?
उत्तर:
भीम ने सिंहनाद इसलिए किया ताकि युधिष्ठिर समझ जाएँ कि अर्जुन सुरक्षित है।

प्रश्न 7.
कर्ण और भीम के युद्ध का वर्णन करो ?
उत्तर:
कर्ण और भीम में भयंकर युद्ध होने लगा। भीमसेन उत्तेजना और उग्रता की प्रतिमूर्ति सा दिखाई दे रहा था। कर्ण जो कुछ करता था धीरज के साथ करता था। कर्ण और भीम के युद्ध में भीमसेन के रथ के घोड़े मारे गए। उसका धनुष भी कट गया। कर्ण ने भीम की ढाल को भी काट दिया। भीम कर्ण के रथ पर चढ़ गया। कर्ण ने अपने को भीमसेन की झपट से बचा लिया। भीम नीचे जमीन पर कूदकर विलक्षण युद्ध करने लगा।

प्रश्न 8.
भीम पूरी तरह कर्ण की गिरफ्त में था फिर भी कर्ण ने भीम का वध क्यों नहीं किया ?
उत्तर:
कर्ण चाहता तो भीम को मार सकता था परंतु वह निहत्थे भीम को मारना नहीं चाहता था। कर्ण को माता कुंती को दिया वचन याद था कि वह अर्जुन के अतिरिक्त किसी पांडव को युद्ध में नहीं मारेगा।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 34 युधिष्ठिर की चिंता और कामना

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 34

दुर्योधन को अर्जुन का पीछा करते देख पांडव सेना ने शत्रुओं पर जोरदार आक्रमण किया। धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य को रोके रखने के लिए उन पर लगातार आक्रमण जारी रखा। धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य के रथ पर चढ़कर द्रोण पर पागलों की भाँति वार किया। क्रोध में आकर द्रोण ने पैना बाण चलाया। सात्यकि ने उस बाण को बीच में ही काट दिया अन्यथा वह धृष्टद्युम्न के प्राण ही ले लेता। इसी बीच पांचाल सेना के रथ सवार धृष्टद्युम्न को वहाँ से हटा ले गए। सात्यकि द्रोण से युद्ध करता रहा तभी युधिष्ठिर ने अपने आस-पास के वीरों को सात्यकि की सहायता के लिए भेजा। युधिष्ठिर ने द्रोण पर हमला करने के लिए धृष्टद्युम्न को एक बड़ी सेना के साथ भेजा। इसी समय श्रीकृष्ण के पाञ्चजन्य शंख की ध्वनि सुनाई पड़ी। युधिष्ठिर चिंतित हो गए कि अर्जुन संकट में है। युधिष्ठिर ने सभी को अर्जुन की सहायता के लिए कहा। सात्यकि ने कहा कि आपकी रक्षा का भार हमारे ऊपर है। सात्यकि के जाते ही द्रोणाचार्य ने पांडव सेना पर हमला तेज कर दिया। युधिष्ठिर ने भीम को भी अर्जुन की सहायता के लिए भेज दिया। भीग उस स्थान पर पहुंच गया जहाँ अर्जुन और जयद्रथ का युद्ध चल रहा था। भीम ने सिंहनाद किया। जिसे सुनकर युधिष्ठिर आश्वस्त हो गए कि अर्जुन सुरक्षित है। थोड़े ही समय में दुर्योधन भी वहाँ आ गया और बुरी तरह हारकर मैदान छोड़कर भाग गया। द्रोण के कहने पर दुर्योधन फिर उसी स्थान पर आ गया जहाँ अर्जुन और जयद्रथ का युद्ध हो रहा था। भीम और कर्ण में रोमांचकारी युद्ध हुआ। कर्ण ने भीम को शस्त्र हीन कर दिया। भीम कूद कर कर्ण के रथ पर जा चढ़ा। कर्ण भीम को आसानी से मार सकता था परंतु उसको कुंती को दिया वचन याद था कि वह अर्जुन के अतिरिक्त किसी पांडव को नहीं मारेगा।

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