Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 12 Question Answers Summary राम का राज्याभिषेक

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 12

प्रश्न 1.
विभीषण क्यों चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में ही रुकें?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन यहाँ रुककर युद्ध की थकान उतार लें और राम के सानिध्य में उसको भी कुछ रीति-नीति सीखने का अवसर मिले।

प्रश्न 2.
राम ने लंका में रुकने का विभीषण का आग्रह स्वीकार क्यों नहीं किया?
उत्तर:
राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला था। इस अवधि में उन्हें वन में ही वास करना था। वनवास की अवधि पूरी हो चुकी थी। उनको अयोध्या लौटने की जल्दी थी, क्योंकि भरत ने उनसे वचन लिया था कि यदि वे चौदह वर्ष के बाद भी नहीं आए तो वह अपने प्राण दे देगा।

प्रश्न 3.
पुष्पक विमान में कौन-कौन सवार हुए थे?
उत्तर:
पुष्पक विमान में राम, लक्ष्मण और सीता के अतिरिक्त हनुमान, सुग्रीव और विभीषण भी थे। किष्किंधा से उन्होंने सुग्रीव की पत्नी तारा और रूपा को भी साथ ले लिया।

प्रश्न 4.
राम विमान में सवार होकर सीता को मार्ग में क्या-क्या दिखाते हुए गए?
उत्तर:
राम सीता को प्रमुख स्थानों के बारे में बताते जा रहे थे। जब राम ने सीता को पंचवटी दिखानी चाही तो सीता ने अपनी आँखें बंद कर ली।

प्रश्न 5.
राम ने हनुमान को अयोध्या क्यों भेजा?
उत्तर:
राम सीधे अयोध्या नहीं जाना चाहते थे। उनके मन में एक प्रश्न था कि कहीं चौदह वर्ष की इस अवधि में भरत को सत्ता का मोह तो नहीं हो गया। हनुमान को पहले भेजकर राम भरत के हृदय की थाह लेना चाहते थे। उनका विचार था कि यदि मेरे अयोध्या लौटने की खबर से यदि भरत को प्रसन्नता नहीं हुई तो वे अयोध्या नहीं जायेंगे।

प्रश्न 6.
हनुमान को देखकर भरत की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:
हनुमान ने जब राम के लौटने की बात बताई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। यह शुभः समाचार उन तक पहुँचाने के लिए वे हनुमान को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे। उनके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव था।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

प्रश्न 7.
नंदीग्राम में राम का स्वागत किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
राम का विमान जब नंदीग्राम उतरा तो वहाँ राम का भव्य स्वागत हुआ। आकाश राम के जयघोष से गूंज उठा। राम ने विमान से उतरकर भरत को गले से लगाया, माताओं को प्रणाम किया। भरत भागते हुए आश्रम के भीतर गए और राम की खड़ाऊँ लेकर आए। झुककर अपने हाथों से राम के पैरों में खड़ाऊँ पहनाईं। सबकी आँखें खुशी के आँसुओं से नम थीं।

प्रश्न 8.
राम ने पुष्पक विमान कुबेर को क्यों लौटा दिया?
उत्तर:
यह पुष्पक विमान कुबेर का ही था। रावण ने इस विमान को कुबेर से बलात् छीना था।

प्रश्न 9.
अयोध्या नगरी राम के स्वागत में किस प्रकार सजी थी?
उत्तर:
पूरी अयोध्या नगरी को फूलों से सजाया गया था। नगर घी के दीपों से जगमगा रहा था। वाद्य-यंत्रों की झंकार सुनाई पड़ रही थी। नगरवासी प्रसन्न थे।

प्रश्न 10.
सीता ने अपना बहुमूल्य हार किसको दिया और क्यों?
उत्तर:
सीता ने अपना बहुमूल्य हार हनुमान को दिया। सीता हनुमान की भक्ति और उनके पराक्रम से बहुत खुश थीं।

प्रश्न 11.
राम कैसे राजा थे? उनका राज्य कैसा था?
उत्तर:
राम के राज्य में किसी को कष्ट नहीं था। सब सुखी थे। किसी के साथ किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं था। कोई बीमार नहीं पड़ता था। खेत हरे-भरे थे। पेड़ फलों से लदे रहते थे। राम न्यायप्रिय थे। गुणों के सागर थे। उनका राज्य राम-राज्य था।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 12 Summary

विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में रुकें जिससे उनके सानिध्य में रहकर उसको भी कुछ रीति-नीति सीखने का अवसर मिले। राम तो चौदह वर्ष के वनवास में थे। उन्होंने लंका में कदम तक भी न रखा था। सीता को संदेश भिजवाने के लिए भी हनुमान को ही भेजा था। राम ने विभीषणं से कहा कि मेरी चौदह वर्ष की वनवास की अवधि समाप्त होने वाली है। यदि मैं तत्काल नहीं लौटा तो भरत प्राण दे देंगे। मैंने भरत को वचन दिया था। विभीषण ने राम के सामने दूसरा प्रस्ताव रखा कि वह भी उनके साथ अयोध्या चलना चाहता है। राम ने विभीषण के इस प्रस्ताव को सहर्ष मान लिया। सुग्रीव और हुनमान को भी राम ने अयोध्या आमंत्रित किया। ये सभी पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या की ओर चल पड़े।

राम सीता के साथ ही विमान में बैठे थे। वे सीता को रास्ते में पड़ने वाले प्रमुख स्थानों को दिखाते जा रहे थे। सीता के आग्रह पर विमान किष्किंधा में उतारा। सीता अपने साथ सुग्रीव की रानियों-तारा और रूपा को भी साथ ले जाना चाहती थीं। रास्ते में पंचवटी आई तो राम ने पंचवटी की ओर इशारा किया तो सीता ने आँखें मूंद लीं। वह अब पंचवटी को देखना नहीं चाहती थीं। गंगा के संगम पर ऋषि भरद्वाज के आश्रम में विमान उतारा गया। वे लोग रात में वहीं रुके। राम ने वहीं से हनुमान को अयोध्या भेजा ताकि भरत को उनके आने की सूचना दी जा सके और भरत की प्रतिक्रिया भी जान सकें कि राम के लौटने पर वह प्रसन्न हैं या नहीं। राम ने सोच रखा था यदि भरत का मन बदल गया होगा तो वे अयोध्या नहीं जायेंगे। जैसे ही, हनुमान ने राम के आने की सूचना दी भरत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे यह शुभ समाचार देने के लिए हनुमान का बार-बार धन्यवाद कर रहे थे। हनुमान भरत से विदा लेकर राम के पास लौट आए।

अगले दिन विमान प्रयाग से श्रृंगवेरपुर होते हुए सरयू नदी के किनारे पहुँचा। सभी ने अयोध्या को प्रणाम किया। अयोध्या में राज्याभिषेक की तैयारियाँ चल रही थीं। शत्रुघ्न राज्याभिषेक की तैयारियों में लगे थे। महल से तीनों रानियाँ नंदीग्राम के लिए चल पड़ीं, क्योंकि राम को पहले भरत से मिलना था, जो नंदीग्राम में रहते थे। राम का विमान नंदीग्राम में उतरा। वहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया। राम ने भरत को गले से लगा लिया। माताओं को प्रणाम किया। भरत आश्रम के भीतर जाकर राम की खड़ाऊँ उठा लाए। भरत ने झुककर अपने हाथों से राम के पैरों में पहनायीं। राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में ही अपना तपस्वी बांना उतार दिया और राजसी वस्त्र धारण किए। जन-समूह उनकी जय-जयकार करते हुए अयोध्या की ओर चल दिया। राम ने पुष्पक विमान कुबेर को लौटा दिया। यह विमान रावण ने कुबेर से बलात् छीन लिया था।

सजी-धजी अयोध्या नगरी राम के दर्शन से आह्लादित थी। भरत ने अयोध्या का राज्य राम को नंदीग्राम में ही लौटा दिया था। राम के राज्याभिषेक के लिए पूरा नगर सुसज्जित था और दीपों से जगमगा रहा था। फूलों से सुवासित एवं वाद्य यंत्रों से झंकृत था। अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता दोनों रत्न-जटित सिंहासन पर बैठे हुए थे। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे थे। राम ने सीता को बहुमूल्य हार दिया। प्रजाजनों ने अनेक वस्तुएँ उपहार में दी। सीता ने अपने गले का हार उतारा। वे दुविधा में थीं कि किसे दें। राम ने सीता से कहा-जिस पर तुम सर्वाधिक प्रसन्न हो, उसे दे दो। सीता ने वह हार हनुमान को भेंट कर दिया। सीता हनुमान की भक्ति और पराक्रम से बहुत खुश थीं। कुछ ही दिनों में सारे अतिथि एक-एक कर चले गए। हनुमान कहीं नहीं गए। वे राम की सेवा के लिए राम-दरबार में ही रहे। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर राज किया। उनके राज्य में सभी सुखी थे। किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं था। उनका राज्य राम-राज्य कहलाया।

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