Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 3 Question Answers Summary दो वरदान

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 3

प्रश्न 1.
राम का विवाह हो जाने के बाद दशरथ के मन में क्या इच्छा बची थी? वे क्या चाहते थे?
उत्तर:
राम के विवाह के बाद दशरथ की इच्छा थी कि राम का राज्याभिषेक कर दिया जाए। राम को अयोध्या की प्रजा भी बहुत चाहती है। राम राज-काज में हाथ बंटाने लगे थे। दशरथ अब वृद्ध हो चले थे। उनके शरीर के अंग भी शिथिल होने लगे थे। वे अपने जीवन काल में ही राम को राजा बना देना चाहते थे।

प्रश्न 2.
राम को राजा बनाने के लिए दशरथ ने क्या किया?
उत्तर:
राम को राजा बनाने के लिए पहले तो उन्होंने मुनि वशिष्ठ से परामर्श किया फिर उन्होंने राज-दरबार बुलाया और सभासदों की राय माँगी। सबने एकमत से दशरथ के प्रस्ताव का स्वागत किया।

प्रश्न 3.
राज्याभिषेक की तैयारियों के अवसर पर भरत और शत्रुघ्न कहाँ गए हुए थे?
उत्तर:
राज्याभिषेक के अवसर से पहले ही दोनों भाई अपनी ननिहाल गए हुए थे। भरत के नाना भरत को अयोध्या आने नहीं देना चाहते थे। वे उससे बहुत स्नेह करते थे।

प्रश्न 4.
मंथरा ने राज्याभिषेक की तैयारियाँ देखकर क्या किया?
उत्तर:
कैकेयी की दासी मंथरा ने जब राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ देखीं तो वह क्रोध की अग्नि में जल उठी। वह सीधे कैकेयी के महल में पहुँची। उसने कैकेयी को जगाकर यह समाचार दिया कि राम का राज्याभिषेक होना है। यह समाचार सुनकर कैकेयी प्रसन्न हुई। मंथरा ने कैकेयी को समझाया कि यदि राम राजा बन गए तो तुम्हारी स्थिति तो दासियों जैसी हो जाएगी।
मंथरा के समझाने-बुझाने पर कैकेयी की बुद्धि फिर गई।

प्रश्न 5.
मंथरा ने कैकेयी से क्या करने को कहा?
उत्तर:
मंथरा ने कैकेयी से कहा कि महाराज दशरथ ने तुम्हें दो वर दिए थे। आज उनको माँगने का समय आ गया है। एक वर से तुम भरत के लिए राजगदी माँग लो और दूसरे से राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

प्रश्न 6.
मंथरा ने राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगने की सलाह क्यों दी?
उत्तर:
मंथरा ने ऐसी सलाह इसलिए दी ताकि इस अवधि के दौरान भरत राज्य पर अपनी पकड़ मजबूत कर ले और चौदह वर्ष के बाद जब राम अयोध्या आएँ तब तक लोग उनको भूल जाएँगे।

प्रश्न 7.
दशरथ ने रानी कैकेयी के महल में जाकर क्या देखा?
उत्तर:
राजा दशरथ ने देखा कि कैकेयी महल में नहीं है। सेवकों से पता चला कि कैकेयी कोप-भवन में है। यह जानकर दशरथ को चिंता हुई। दशरथ उसे मनाने के लिए कोप-भवन पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कैकेयी मैले कपड़े पहनकर कोप-भवन में लेटी हुई थी, उसके बाल बिखरे हुए थे।

प्रश्न 8.
दशरथ के काफी मनाने के बाद कैकेयी ने क्या कहा?
उत्तर:
दशरथ ने कैकेयी को मनाने का पूरा प्रयत्न किया, परंतु वह कुछ बोल ही नहीं रही थी। काफी विनती के बाद कैकेयी ने कहा कि पहले मुझे वचन दो कि जो मैं माँगूंगी उसे पूरा करोगे। दशरथ ने तुरंत हामी भर दी।

प्रश्न 9.
कैकेयी ने राजा दशरथ से कौन-से दो वर माँगे?
उत्तर:
कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वर माँगे-पहले में भरत के लिए राजतिलक और दूसरे में राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास।

प्रश्न 10.
कैकेयी द्वारा वर माँगने पर दशरथ की क्या दशा हुई?
उत्तर:
कैकेयी ने जब दशरथ से कहा कि कल सुबह राम का नहीं बल्कि भरत का राज्याभिषेक होगा, तो दशरथ अचंभित रह गए, मानों उन पर वज्रपात हो गया हो। जब कैकेयी ने अगला वर माँगा कि राम को चौदह वर्ष का वनवास हो। यह सुनकर दशरथ का चेहरा सफेद पड़ गया। उनका सिर चकराने लगा। वे मूर्छित होकर गिर पड़े।

प्रश्न 11.
माँग को अस्वीकार करने पर कैकेयी ने कौन-सा अंतिम हथियार चलाया?
उत्तर:
दशरथ ने जब कैकेयी की माँग को अस्वीकार कर दिया तो कैकेकी ने दशरथ से कहा-“अपने वचन से पीछे हटना रघुकुल का अनादर है। ऐसा करने पर आप दुनिया को मुँह दिखाने योग्य नहीं रहेंगे। यदि आप मुझे दिये वचन नहीं निभाओगे तो मैं विष पीकर अपनी जान दे दूँगी। यह कलंक आपके माथे लगेगा।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 3 Summary

जनकपुर से अयोध्या लौटने के बाद राजा दशरथ के मन में एक ही इच्छा थी कि अब राम का राज्याभिषेक हो जाए। दशरथ ने राम को राज-काज के कार्यों में भी शामिल करना शुरू कर दिया। राम इस जिम्मेदारी को भली-प्रकार निभा रहे थे। प्रजा भी उनको बहुत चाहती थी। राजा दशरथ वृद्ध हो चले थे। दशरथ ने मुनि वशिष्ठ से विचार-विमर्श करने के बाद राज-दरबार में घोषणा की कि मैं अब राज-काज संभालने के योग्य नहीं रहा, अतः मैं चाहता हूँ कि यह भार अब राम को सौंप दिया जाए। यदि आप लोगों का मत इससे भिन्न हो तो मुझे बता दीजिए। मैं उस पर भी विचार करने को तैयार हूँ।

सभा ने एक स्वर में राजा दशरथ के प्रस्ताव का स्वागत किया। राम की जय-जयकार होने लगी। दशरथ ने कहा कि मेरी इच्छा है कि कल प्रातः ही राम का राज्याभिषेक कर दिया जाए। राज्याभिषेक की तैयारियाँ होने लगीं। भरत और शत्रुघ्न इस समय अयोध या में नहीं थे। भरत शत्रुघ्न के साथ अपनी ननिहाल केकय गए हुए थे। उनके नाना उनको वहाँ आने ही नहीं देते थे। यदि भरत के पास समाचार पहुँचाया भी जाता तो एक दिन में उनका लौटना संभव नहीं था।

राज्याभिषेक की तैयारियाँ कैकेयी की दासी मंथरा ने भी देखी। मंथरा को इस चहल-पहल का कारण समझ नहीं आया। उसको कौशल्या की दासी से पूछने पर पता चला कि राम का राज्याभिषेक होना है। मंथरा ईर्ष्या से जल-भुन गई। वह केवल भरत को ही राजा देखना चाहती थी। मंथरा सीधी कैकेयी के राजभवन में गई। वह सो रही थी। मंथरा ने उनको जगाते हुए कहा-यह समय सोने का नहीं है। महाराज दशरथ ने कल प्रातः राम का राज्याभिषेक करने का निर्णय लिया है। कैकेयी ने कहा-“यह तो बहुत शुभ समाचार है। राम राजा बनेंगे, इससे बढ़कर खुशी की और क्या बात होगी। मंथरा ने कैकेयी को तरह-तरह से समझाया कि यदि राम राजा बनेंगे तो कौशल्या राजमाता होंगी। तुम्हारी स्थिति तो दासियों जैसी हो जाएगी। दशरथ ने षड्यंत्र करके भरत को ननिहाल भेज दिया। कैकेयी ने मंथरा को फटकार लगाई, परन्तु उस पर कोई असर नहीं हुआ।

कैकेयी पर मंथरा की बातों का असर होने लगा था। कैकेयी का सिर चकराने लगा था। प्रसन्नता की जगह उस पर क्रोध का असर दिखाई देने लगा था। कैकेयी मंथरा से बोली-“बताओ मैं क्या करूँ?” मंथरा ने कैकेयी के पास जाकर कहा-“रानी याद करो, महाराज दशरथ ने तुम्हें एक बार दो वरदान दिये थे। आज उन वरदानों को माँगने का समय है। एक वचन से भरत के लिए राजगद्दी मांग लो तथा दूसरे से राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास। चौदह वर्षों के बाद जब राम लौटेंगे तब तक भरत की राज-काज पर पूरी पकड़ हो चुकी होगी और प्रजा भी राम को भूल चुकी होगी।

कैकेयी मंथरा के कहने पर अव्यवस्थित होकर कोप-भवन में जाकर लेट गईं। दशरथ राम के राज्याभिषेक का समाचार सबसे पहले कैकेयी को ही देने आए तो कैकेयी भवन में नहीं थी। सेवकों से पूछने पर दशरथ को पता चला कि कैकेयी कोप-भवन में हैं। दशरथ को चिंता हुई। कोप-भवन में सभी कुछ अस्त-व्यस्त था। कैकेयी बाल बिखेरे लेटी हुई थी। दशरथ ने उनसे पूछा कि तुम्हें क्या दुख है। तुम जो कुछ भी माँगोगी, तुम्हें मिलेगा। काफी विनती करने के बाद कैकेयी ने कहा कि पहले मुझे एक वचन दें कि जो मैं माँगूंगी, वह मिलेगा। दशरथ से वचन लेकर कैकेयी ने कहा कि “कल सुबह राज्याभिषेक भरत का होगा, राम का नहीं”। राजा दशरथ यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। कैकेयी ने फिर दूसरा वर माँगा कि “राम को चौदह वर्ष का वनवास हो”। यह सुनते ही दशरथ का चेहरा सफेद पड़ गया। वे मूर्छित हो गए, जैसे ही उनकी मूर्छा टूटती, वे कैकेयी को समझाने का प्रयास करते, परन्तु कैकेयी अपनी बात पर अडिग थी। दशरथ को बार-बार मूर्छा आती रही। दशरथ के वचन न मानने पर कैकेयी ने रघुकुल की रीति की याद दिलाई। दशरथ कैकेयी को समझाते रहे। इसी प्रकार सारी रात बीत गई।

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