Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Questions and Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9 Question Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Question and Answers

प्रश्न 1.
1942 का आंदोलन क्या था?
उत्तर:
अगस्त, 1942 में भारत में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से चली आ रही असंतोष की परिणति थी। पूरे भारत में 1942 में युवा पीढ़ी ने विशेष विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने हिंसक और शांतिपूर्ण-दोनों तरह की कार्यवाहियों से बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया। 1942 के दंगों में पुलिस और सेना की गोलाबारी में हजारों लोग मारे गए तथा घायल हुए।

प्रश्न 2.
लेखक ने अकाल के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन के 170 वर्षों में सबसे भयंकर अकाल पड़ा। इसका प्रभाव बंगाल तथा पूर्वी और दक्षिणी भारत पर पड़ा। इसकी तुलना 1766 ई. से 1770 के दौरान बंगाल और बिहार की भयंकर अकालों से की जा सकती है। इसके बाद भयंकर महामारी फैली, जैसे-हैजा और मलेरिया।

प्रश्न 3.
अकाल के दौरान क्या अंतर्विरोध दिखाई पड़ रहे थे?
उत्तर:
अकाल के दौरान कलकत्ता की सड़कों पर लाशें बिछी पड़ी थी तो दूसरी ओर अमीर तबके के लोग नाच-गाने, राग-रंग में मस्त थे। उनके सामाजिक जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया था। दावतों तथा विलासिता का प्रदर्शन हो रहा था। उनका जीवन उल्लास से भरा था।

प्रश्न 4.
टैगोर ने मृत्यु-शैय्या पर पड़े हुए क्या कहा था?
उत्तर:
टैगोर ने मृत्यु-शैय्या पर पड़े हुए कहा था कि ये अंग्रेज कैसा भारत छोड़ेंगे? कितनी नग्न दुर्गति है? अंत में उनकी सदियों पुरानी प्रशासन की धारा सूख जाएगी तो वे अपने पीछे कितनी कीचड़ और कचरा छोड़ जाएंगे।

प्रश्न 5.
अकाल युद्ध के बाद प्रकृति क्या करती है?
उत्तर:
अकाल युद्ध के बाद प्रकृति अपना कायाकल्प करती है। नए प्रकार से सृजन- कार्य होता है। लड़ाई के मैदान फूलों और हरी घास से भर जाते हैं।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Questions and Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Summary

भारत में अगस्त, 1942 में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से जो कुछ होता आ रहा था, उसकी परिणति थी।

व्यापक उथल-पुथल और उसका दमन- जनता की ओर से अकस्मात् संगठित प्रदर्शन और विस्फोट जिसका अंत हिंसात्मक संघर्ष और तोड़-फोड़ होता था। इससे जनता की तीव्रता का पता चलता था। 1942 में पूरी युवा पीढ़ी ने विशेष रूप से विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने हिंसक और शांतिपूर्ण दोनों की तरह की कार्यवाहियों में महत्त्वपूर्ण काम किया। 1942 के दंगों में पुलिस और सेना की गोलीबारी से मारे गए और घायलों की संख्या सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1028 लोग मरे और 3200 लोग घायल हुए। जनता के अनुसार मृतकों की संख्या 25000 थी। संभवतः यह संख्या कुछ ज्यादा रही हो, पर 10000 की संख्या ठीक होगी।

भारत की बीमारी : अकाल- भारत तन और मन दोनों से बीमार था। उन दिनों अकाल पड़ा। इसका व्यापक असर बंगाल और दक्षिणी भारत पर पड़ा। पिछले 170 सालों में यह सबसे बड़ा और विनाशकारी था। इसकी तुलना 1766 ई. से 1770 ई. के दौरान बिहार और बंगाल के उन भयंकर अकालों से की जा सकती है जो ब्रिटिश शासन की स्थापना के आरंभिक परिणाम थे। इसके बाद महामारी फैली, विशेषकर हैजा और मलेरिया।

हजारों की संख्या में लोग काल का ग्रास बन गए। कोलकाता की सड़कों पर लाशें बिछी थीं। ऊपरी तबके के लोगों में विलासिता जारी थी। उनका जीवन उल्लास से भरा था। सन् 1943 के उत्तरार्द्ध में अकाल के उन भयंकर दिनों में जैसा अंतर्विरोध कोलकाता में दिखाई दिया, वैसा पहले कभी नहीं था। भारत गरीबी और भुखमरी के कगार पर था। भारत में ब्रिटिश शासन पर बंगाल की भयंकर बरबादी ने और उड़ीसा मालाबार और दूसरे स्थानों पर पड़ने वाले अकाल ने आखिरी फैसला दे दिया कि जब अंग्रेज जाएँगे तो क्या छोड़ेंगे। वे अपने पीछे कचरा और कीचड़ ही छोड़ेंगे।

भारत का सजीव सामर्थ्य- अकाल और युद्ध के बावजूद प्रकृति अपना कायाकल्प करती है और कल के लड़ाई के मैदान को आज फूल और हरी घास से ढक देती है। मनुष्य के पास स्मृति का विलक्षण गुण होता है। आज जो बीते हुए कल की संतान हैं, खुद अपनी जगह अपनी संतान आने वाले कल को दे जाते हैं। कमजोर आत्मा वाले लोग समर्पण कर देते हैं, लेकिन बाकी लोग मशाल को आगे ले जाते हैं और आने वाले मार्गदर्शकों को सौंप देते हैं।

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