CBSE Class 12

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 8 हल्दीघाटी

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं ददत

(क) आर्यभुवि शाटीतः का विराजते?
उत्तर
हल्दीघाटी।

(ख) उषसि हल्दीघाटी कीदृशीं शोभां दधाति?
उत्तर
काञ्चनकाञ्चनीयाम्।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी

(ग) सनयः तनयः कः अस्ति?
उत्तर
प्रतापः।

(घ) के नीलेन पक्षण खम् अ
उत्तर
सुशुकाः।

(ङ) वरभुवः सुषमा कथं सम्भासते?
उत्तर
अत्युदारा।

(च) तमः सहचरी का कथिता?
उत्तर
विद्युत्।

(छ) प्रतापनृपतेः अस्रधारा कतिधा अभवत् ?
उत्तर
शतधा।

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प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) मूर्तिमती हल्दीघाटी कथम् आटीकते?
उत्तर
मूर्तिमती हल्दीघाटी शाटीव आटीकते।

(ख) कदा हल्दीघाटी मतिमाननीयां शोभां दधाति?
उत्तर
हल्दीघाटी मतिमाननीयां शोभाम् उषसि दधाति ।

(ग) पिकालिगीतिः किमिव मातुः पूजनं करोति?
उत्तर
पिकालिगीतिः पञ्चोपचारमिव मातुः पूजनं करोति।

(घ) कथं क्वणन्तः सुशुकाः विलसन्ति?
उत्तर
‘श्रीराम’ नाम मधुरं क्वणन्तः सुशुकाः विलसन्ति ।

(ङ) हल्दीघाटी केषां स्थली अस्ति?
उत्तर
हल्दीघाटी चकितचेतकचक्रमाणां, कटिलकन्तपराक्रमाणाम. अमराणां प्रियतमा नरपामराणां भयकरी स्थली चास्ति।

(च) वरभुवः अत्युदारा सुषमा कीदृशी भासते?
उत्तर
वरभुवः अत्युदारा सुषमा हर्षाङ्कितः भासते।

(छ) प्रकृतिः केषां पञ्चपदार्थानामुपचारेण पूजनं करोति?
उत्तर
प्रकृतिः पुष्पं, फलं, गन्धवहः समीरः, अमला खद्योतपंक्तिः, पिकालिगीतिः च इति पञ्चपदार्थानामुपचारेण पूजनं करोति।

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प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु वाक्येषु रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) मूर्तिमती हल्दीघाटी जयति।
उत्तर
का हल्दीघाटी जयति?

(ख) या उषसि शोभां दधाति।
उत्तर
या कदा शोभां दधाति?

(ग) तरूणां ततिः कदम्बकृतमर्मरम् आतनोति।
उत्तर
केषां ततिः कम् आतनोति?

(घ) निर्जनवने कुररी मातेव रोदिति।
उत्तर
निर्जनवने का मातेव रोदिति?

(ङ) मातुः पञ्चोपचार पूजनं करोति।
उत्तर
कस्याः पञ्चोपचार पूजनं करोति?

(च) अस्रधारा शतधा अभवत्
उत्तर
अस्रधारा कतिधा अभवत् ?

(छ) असुतः अपि प्रियतमा स्थली।
उत्तर
कस्मात् अपि प्रियतमा स्थली?

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां पदेषु सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कुरुत
उत्तर
(क) स्वाधीनतार्यभुवि = स्वाधीनता + आर्यभुवि।
(ख) दधाति + उषसि = दधात्युषसि।
(ग) ततिस्तरूणाम् = ततिः + तरूणाम् ।
(घ) सुशुका विलसन्ति = सुशुकाः + विलसन्ति।
(ङ) तदनु = तत् + अनु।

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प्रश्न 5.
अधोलिखितपदेषु प्रकृति प्रत्ययं च पृथक् कुरुत
प्रकृतिः प्रत्ययः
उत्तर
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी 14

प्रश्न 6.
अधः प्रदत्तं श्लोकं मञ्जूषाप्रदत्तपदैः रिक्तस्थानानि पूरयित्वा पुनः लिखत ”
उत्तर
प्राची यदा हसति हे प्रिय! मन्दमन्दं
वायुर्यदा वहति नन्दनजं मरन्दम्।
या प्रत्यहं किल तदा मतिमाननीयां
शोभां दधत्युषसि काञ्चनकाञ्चनीयाम् ।।

प्रश्न 7.
विशेषणानि विशेष्याणि च योजयित्वा पुनः लिखत
विशेषणानि – विशेष्याणि
उत्तर
(क) सुशोचिः — शाटी
(ख) पारतन्त्र्याः — कातराः
(ग) प्रतापी — तनयः
(घ) क्वणन्तः — सुशुकाः
(ङ) शतधा — अस्रधारा
(च) नीलेन — पक्षनिवहेन
(छ) अमला — खद्योतपंक्तिः

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प्रश्न 8.
अधोलिखितानां पदानां व्याकरणनुसारं पदपरिचयः दीयताम्
उत्तर
(क) स्वाधीनता = स्वाधीन शब्द + तल प्रत्यय + टाप् प्रत्यय।
(ख) माननीया =’मान् + अनीयर् प्रत्यय + टाप् प्रत्यय।
(ग) सन्तः = अस् धातु + शतृ प्रत्यय, पु. प्रथमा वि. बहुवचन।
(घ) तमः = तमस् शब्द, नपुं., प्रथमा विः एकवचन।
(ङ) सम्भासते = सम् उप. + भास् धातु, आत्मनेपदी, लट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचन।
(च) स्थली = स्थल शब्द + ङीष् प्रत्यय।
(छ) माता = मा धातु + तृच् प्रत्यय, प्रथमा वि. एकवचन।

प्रश्न 9.
हल्दीघाटीयद्धस्य ऐतिहासिक परिचयः हिन्दी/आंग्ल/संस्कृतभाषया देयः ।
उत्तर
संस्कृत-अनुवाद-1576 तमे वर्षे मुगलशासक-अकबरस्य राजपूतशासक प्रतापस्य च मध्ये हल्दीघाटी नाम्नि स्थाने युद्धः अभवत् । महाराणाप्रतापं विहाय अन्यैः सर्वेः अपि राजपूतशासकैः मुगलानाम् अधीनता स्वीकृता किन्तु प्रतापेण एव मुगलशासकैः सह युद्धं कृतम्। हिन्दूसंस्कृतेः रक्षणार्थं तेन दृढः प्रयासः कृतः ।

तेन मुगलशासकैः सह मैत्रीसंबन्धः वैवाहिकसम्बन्धः वा नैव स्वीकृतः । मुगलशासकः अकबरः प्रतापेन सह मैत्री सम्बन्ध स्थापयितुम् इच्छति स्म किन्तु सः सफलः नाभवत् । सः वीरः पूर्णसाहसेन युद्धमकरोत् किन्तु अन्ते सः पराजितः अभवत्।

हिन्दी-अनुवाद-हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में मुगल सम्राट अकबर तथा राजपूत शासक महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी नामक स्थान पर हुआ। महाराणा प्रताप के अतिरिक्त सभी राजपूत शासकों ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी केवल महाराणा प्रताप ने मुगलों से लोहा लिया।

प्रताप ने हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने बाकि राजपूत शासकों की तरह मुगलों से न तो मैत्री समबन्ध स्थापित किए और न ही वैवाहिक सम्बन्धों को बढ़ावा दिया। अकबर ने अपने दूतों के द्वारा महाराणा प्रताप से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाने की कोशिशें की लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। अतः अकबर ने मुगल साम्राज्य को बढ़ाने तथा महाराणा प्रताप ने हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए युद्ध किए। महाराणा प्रताप ने वीरता से युद्ध में संघर्ष किया किन्तु अन्त में वह हार गया।

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English-Translation-The war of Haldi Ghati was fought between Mugal emperor Akbar and great Rajput administrator Maharana Pratap in 1576 at Haldi Ghati place. Except Maharana Pratap, all the Rajput administrators accepted defeat. Only Maharana Pratap fought very bravely against the Mughal.

Pratap tried very hard to save the Indian, culture and civilisation. He neither accepted friendship with Mughal emperors nor promoted marriage relationships of any type. Akbar tried to establish arricable relationship with Maharana.

He sent his messengers several time for treaty but was proved in vain. So Akbar fought for the expansion of his empire while Maharana fought to save the Indian culture and civilisation. Although Maharana fought bravely in the battle he lost in the end.

प्रश्न 10.
महाराणाप्रतापस्य स्वातन्त्र्यसङ्घर्ष हिन्दी/आंग्ल/संस्कृतभाषया वर्णयत।
उत्तर
संस्कृत-अनुवाद-महाराणाप्रतापस्य जन्म राजपूत-शासकस्य गृहे अभवत्। बाल्यकालात् एव सः युद्धप्रेमी हिन्दूसंस्कृतेः पोषकः चासीत् । असिचालनं कृपाणचालनं अश्वारोहणं च तस्मै रोचते स्म। अन्ते मुगुलशासकाः तेन पराजिताः।

हिन्दी-अनुवाद-महाराणा प्रताप का जन्म एक राजपूत शासक के घर हुआ। बचपन से ही वे युद्ध-प्रेमी तथा हिन्दू संस्कृति के प्रबल पोषक थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी ऐसे ही माहौल में हुई। वे बचपन से ही तलवार तथा भाले चलाने में निपुण थे। उनको घुड़सवारी का बड़ा शौक था। बाद में वे ऐसे राजपूत शासक के रूप में उभरे जिन्होंने मुगल शासकों से लोहा लिया।

English-Translation—Maharana Pratap was born in a Rajput family. From the childhood he was very fond of fighting and he was a true saviour of Hindu culture. He learnt to operate sword and Javelin like several other weapons. He was very fond of riding horse. Later on, he emerged as a very strong Rajput emperor who fought against Mughals.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 8 हल्दीघाटी Summary Translation in Hindi and English

1.स्वाधीनताऽर्यभुवि मूर्तिमती समाना
राणा प्रताप बलवीर्यविभासमाना।
आटीकते समुपमा नहि यां सुशोचिः
शाटीव सा जयति काचन हल्दिघाटी।
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हिन्दी सरलार्थ-चमकदार साड़ी की तरह, राणा प्रताप के बल एवं पराक्रम से सुशोभित स्वाधीनता की साक्षात् मूर्ति जिसके समान कोई अन्य उपमान नहीं ऐसी आर्यावर्त में स्थित हल्दीघाटी की जय हो।।

Meaning in English-Haldighati which situated in Aryavarta may be victorious which looks beautiful like a saree, which is endowed with the strength and prowess of Rana Pratap, which does not have any comparison and which is embodied in the form of freedom.

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2. प्राची यदा हसति हे प्रिय! मन्दमन्दं
वायुर्यदा वहति नन्दनजं मरन्दम् ।
या प्रत्यहं किल तदा मतिमाननीयां
शोभां दधत्युषसि काञ्चनकाञ्चनीयाम्।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी 3
हिन्दी सरलार्थ-हे प्रिय! जब पूर्व दिशा मन्द-मन्द हँसती है, जब वायु नन्दन में उत्पन्न पराग को वहन करती है उस समय विद्वानों के द्वारा सम्मानित प्रतिदिन उषाकाल में वह हल्दीघाटी स्वर्णिम शोभा को धारण करती है।

Meaning in English-Oh dear! Haldigahti looks very beautiful in the early morning by the beauty of her scholers when the east direction laughs slowly and the wind blows gently containing the pollen of the flowers which grow in he Nandan forest.

3. मा कातराः! स्पृशत मां प्रिय-पारतन्त्र्याः !
अद्यापि यन्न विहिता जननी स्वतन्त्रा।।
यत्रेदमेव गदतीव ततिस्तरूणां
शाखाकदम्ब-कृत-मर्मरमातनोति।।
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हिन्दी सरलार्थ-पराधीनता से प्रेम करने वालो हे कायरो! मुझे मत छुओ क्योंकि अब तक भी तुम मातृभूमि को स्वतन्त्र नहीं कर पाए हो जहाँ वृक्षों की पंक्तियाँ मानो इसी बात को कहती हुई अपनी वृक्षशाखाओं की मर्मर ध्वनि को फैला रही हैं।

Meaning in English-oh dependence-loving cowards! Do not touch me because you are not able to make our motherland free by now even where the rows of trees are conveying this idea and they are spreading this susurration sound of their branches.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी

4. वीराग्रणीरभय-युद्धकलाकलापः
क्वाऽस्तेऽद्य हा! स तनयः सनयः प्रतापी।
अत्रत्य निर्जनवनेऽथ यदा कदाचिद्
क्व मातेव रोदिति सखे! कुररी नु काचित् ।।
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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी 6
हिन्दी सरलार्थ-बड़े दुःख की बात है कि आज वीरों में श्रेष्ठ, युद्धकलाओं में निपुण, नीतियुक्त, प्रतापी वह पुत्र कहाँ है? हे मित्र! इस निर्जन वन में जब क्रौञ्ची रोती है तो , लगता है कि अपने वीर पुत्र प्रताप को स्मरण कर भारतमाता रो रही है।

Meaning in English–It is very sad! where is that glorious son who was a great warrior and well-versed in the art of fighting and plitics. Oh friend! whenever the Kraunchi bird cires in this lonely forest it seems to be that mother land India is weeping to remember her glorious son

5. पुष्पं फलं तदनु गन्धवहः समीरः
खद्योत-पंक्तिरमला च पिकालि-गीतिः।
अद्यापि यंत्र सरल-प्रकृति-प्रणीतं
पञ्चोपचारमिव पूजनमस्ति मातुः।।
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हिन्दी सरलार्थ-आज भी सरल प्रकृति से निर्मित पुष्प, फल, सुगन्धित वायु, निर्मल जुगनु की पंक्ति तथा कोयलों के गीत-ये पाँचों मिलकर मानों भारतमाता का पूजन करते हैं।

Meaning in English-Even today it appears that all these five namely flowers, fruits, forgrant wind, the sacred glow-worms and the songs of cuckoos made up of simple-nature altogether worship the mother land India.

6. नीलेन पक्ष-निवहेन खमाहसन्तः
चञ्च्वा फलानि विमलानि समञ्चयन्तः।
‘श्रीराम’ नाम मधुरं मधुरं क्वणन्तः
अद्यापि यत्र सुशुका विलसन्ति सन्तः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी 8

हिन्दी सरलार्थ-आज भी जहाँ नीले पंख समूह से आकाश का उपहास करते हुए चोंच से निर्मल फलों को चमकाते हुए, श्रीराम के नाम का मधुर-मधुर शब्द करते हुए सुन्दर तोतों की तरह सज्जन सुशोभित होते हैं।

Meaning in English–Even today beautiful parrots look beautiful like the gentlemen who make fun of sky with their blue-coloured feathers, who make the fruits shine with their beaks and who produce the sound of the name of shri Rama.

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7. अत्र प्रताप-नृपतेः प्रकट-प्रतापा
एकाऽपि हन्त! शतधाऽभवदस्रधारा ।
युद्धेऽधिकोशमपि शत्रुवधे क्रमेण
ज्योत्स्ना तमः-सहचरी चपलेति चित्रम् ।।
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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 हल्दीघाटी 10
हिन्दी सरलार्थ-दुःख है कि यहाँ राजा प्रताप के तेज को प्रकट करने वाली कृपाण की ज्योत्स्ना क्रम से अन्धकार के साथ चलने वाली (म्यान) विद्युत बन गई यह विचित्र बात है।

Meaning in English-Oh! One stream of tears which manifested the prowess of king Pratap appeared to be hundred of streams of tears. It is suprising again that at the time of the killing of the enemies the light of the sword which remains in the sheath appeared to be lightning which walk with darkness simultaneously.

8. सैषा स्थली चकित-चेतकचक्रमाणां
सैषा स्थली कुटिलकुन्तपराक्रमाणाम्।
सैषा स्थली प्रियतमाऽप्यसुतोऽमराणां
सैषा स्थली भयकरी नर-पामराणाम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ-यह चेतक की अद्भुत भ्रमण-स्थली है, यह कुटिल भाले की पराक्रम-स्थली है, यह देवताओं की प्राणों से बढ़कर प्रियतम स्थली है और यही नीच-प्राणियों को भयभीत करने वाली स्थली है।

Meaning in English-This is the extra-ordinary place of walking for Chetak, this is the place of showing prowess of the crooked spear, this is the beautiful place for the Gods which is more affectionate than the life itself for them and this is the place which cause fear for the wicked people.

9. वीक्ष्य प्रभा हसित-चारु-पुरन्दराणां
सङ्ग स नृत्यममलं शिखिसुन्दराणाम्
सम्भासते वरभुवः सुषमात्युदारः
हषोङ्कितो हरितहीरक-कण्ठहारः।।

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हिन्दी सरलार्थ-श्रेष्ठ भूमि की शोभा से अत्यन्त उदार और हर्ष से युक्त, हरे रंग के हीरे का कण्ठाहार वाली, अपनी प्रभा से सुन्दर इन्द्र को उपहसित करने वाली तथा मनोहारी मयूरों के निर्मल नृत्य के साथ वह सुशोभित होती है।

Meaning in English-That Haldighati looks beautiful with the charming and happy land, wearing the necklace of green-diamond which makes fun of lord Indra even and where peacocks attract people with; their beautiful dance.

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) कः कण्टकजालम् पश्यति?
उत्तर
क्रमेलकः।

(ख) शर्बरी केन भाति?
उत्तर
चन्द्रेण।

(ग) कः गुणं वेत्ति?
उत्तर
गुणी।

(घ) अजीर्णे किं भेषजम् अस्ति?
उत्तर
वारि।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

(ङ) सर्वस्य लोचनं किम् अस्ति?
उत्तर
शास्त्रम्।

(च) कः निरन्तरं प्रलपति?
उत्तर
अल्पज्ञः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) केषां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ?
उत्तर
सर्वविदां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ।

(ख) के सर्वलोकस्य दासाः सन्ति?
उत्तर
आशायाः दासाः सर्वलोकस्य दासाः सन्ति।

(ग) केन कुलं विभाति?
उत्तर
सुपुत्रेण कुलं विभाति।

(घ) सिंहः केन विभाति?
उत्तर
सिंहः बलेन विभाति।

(ङ) भेजनान्ते किं विषम्?
उत्तर
भोजनान्ते वारि विषम्।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

प्रश्न 3.
रेखाङ्कित पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क). विधात्रा अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम्
उत्तर
केन अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम् ?

(ख) विद्यावतां विद्या एव रूपम् अस्ति।
उत्तर
केषाम् विद्या एव रूपम् अस्ति?

(ग) लक्ष्मीः शूरं प्राप्नोति।
उत्तर
का शूरं प्राप्नोति?

(घ). बली बलं वेति।
उत्तर
बली किं वेति?

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

(ङ) शास्त्रं परोक्षार्थस्य दर्शकम् अस्ति।
उत्तर
शास्त्रं कस्य दर्शकम् अस्ति?

(च) कांस्यम् अतितरां निनादं करोति।
उत्तर
किम् अतितरां निनादं करोति?

प्रश्न 4.
उचितपदैः सह रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) ये आशायाः दासाः ते सर्वलोकस्य दासाः (भवन्ति)। येषाम् आशा दासा (भवति) – तेषां सर्वं दासायते। ल्यप्

(ख). एकेन अपि विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण सर्व कुलम् आह्लादितं यथा चन्द्रेण शर्वरी।

(ग) लक्ष्मीः उत्साहसम्पन्नम् अदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेषु असक्तम् शूरम् कृतज्ञम्
दृढ़सौहृदम् च निवासहेतोः स्वयं याति।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

प्रश्न 5.
प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 16

प्रश्न 6.
पर्यायवाचिभिः सह मेलनं कुरुत यथा-स्वायत्तम् स्वाधीनम्
उत्तर
(क) विमुच्य – परित्यज्य
(ख) क्रमेलकः – उष्ट्रः
(ग) याति – गच्छति ।
(घ) कुलालस्य – कुम्भकारस्य
(ड) शर्वरी – रात्रिः
(च) वेत्ति – जानाति
(छ) करी – गजः
(ज) अजस्रम् -निरन्तरम्
(झ) प्रलपति – कथयति
(ञ) मुहूर्तमात्रम् – क्षणमात्रम्

प्रश्न 7.
विलोमपदैः सह योजयत
यथा-स्वायत्तम् पराधीनम् .
उत्तर-
(क) अज्ञतायाः – विद्वत्तायाः .
(ख) अपण्डितानाम् – पंण्डितानाम्
(ग) बुधाः – मूर्खाः
(घ) मानम् – अपमानम्
(ड) खलानाम् – सज्जनानाम्
(च) याति  – आयाति ।
(छ) कृतज्ञम् – अकृतज्ञम्
(ज) आशायाः  – निराशायाः
(झ) आसक्तम् – अनासक्तम्
(ञ) कृतम् – अकृतम्
(ट) जीर्णे – अजीर्णे

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

प्रश्न 8.
विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
यथा-शूरम् —- पुरुषम् उत्तर
(क) एकन – सुपत्रण
(ख) अज्पज्ञः – पुरुषः
(ग) सर्वम् – कुलम्
(घ) एकम् – लोकम्
(ड) सुमहान् –

प्रश्न 9.
कः केन विभाति ।
उत्तर:
(क) गुणी – गुणेन
(ख) शर्वरी – चन्द्रेण
(ग) विद्वान् – विद्यया
(घ) सिंहः – बलेन
(ड) कुलम् – सुपुत्रेण

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

प्रश्न 10.
अधोलिखितानि पदानि उचितरूपेण संयोज्य वाक्यानि रचयत
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 17
उत्तर
1. विधात्रा छादनं विनिर्मितम् ।
2. लक्ष्मीः शूरं पश्यति।
3. मौनम् सर्वविदाम् भूषणम् अस्ति।
4. शर्वरी शोभते।

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् Summary Translation in Hindi and English

1.स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा
विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः।
विशेषतः सर्वविदां समाजे
विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 1
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 2
हिन्दी सरलार्थ-विधाता ने मूों के अपने हाथ में रहने वाले तथा अत्यन्त हितकारी मौन को मूर्खता को छिपाने का ढक्कन बनाया है जो विद्वानों की सभा में विशेष रूप – से आभूषण हो जाता है।

Meaning in English-The Creator has created silence as a perpetually beneficial cover of ignorance in ones own power (under ones own control). Silence is the ornament for the fools especially in the assembly of the learned men.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

2. रूपं प्रसिद्धं न बुधास्तदाहु
विद्यावतां वस्तुत एव.रूपम्।
अपेक्षया रूपवतां हि विद्या
मानं लभन्तेऽतितरां जगत्याम् ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 3
हिन्दी सरलार्थ-(सामान्य रूप में) प्रचलित रूप ही वास्तविक रूप नहीं है-ऐसा विद्वान् लोग कहते हैं तथा विद्वानों का रूप ही वास्तविक रूप है। सुन्दर लोगों की अपेक्षा विद्यावान व्यक्ति ही संसार में अत्यधिक मान प्राप्त करते हैं।

Meaning in English-The scholars say that the external beauty which is generally understood is not the real beauty and the beauty of knowledge is the real beauty of the learned people. The learned people achieve much more respect as compared to those who have outward beauty only.

3. न दुर्जनः सजजनतामुपैति शठः सहस्रैरपि शिक्ष्यमाणः ।
चिरं निमग्नोऽपि सुधा-समुद्रे न मन्दरो मार्दवमभ्युपैति।। …
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 4
हिन्दी सरलार्थ-हजार लोगों के द्वारा शिक्षित किया जाता हुआ भी धोखेबाज दुष्ट सज्जनता को प्राप्त नहीं करता जिस प्रकार बहुत समय तक अमृत के समुद्र में डुबोया हुआ मंदराचल भी कभी कोमलता को प्राप्त नहीं करता। (अर्थात् वस्तु अथवा व्यक्ति अपने सहज स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता।)

Meaning in English-A wicked rascal does not become gentleman even if he is taught variously by thousards of good people as the Mandarachal mountain does not become soft even it is plunged in the ocean of nectar for a long time.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

4. कर्णामृतं सूक्तिरसं विमुच्य दोषेषु यत्नः समुहान् खलानाम्।
निरीक्षते केलिवनं प्रविश्य क्रमेलकः कण्टकजालमेव ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 5
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 6
हिन्दी सरलार्थ-दुष्ट लोग कानों के अमृत स्वरूप सुन्दर वचनों के महत्वपूर्ण भावों को छोड़कर दोषपूर्ण वचनों के प्रति अत्यन्त प्रयत्नशील रहते है जिस प्रकार ऊँट प्रमोदवन में प्रवेश करके भी केवल झाड़ियों को ही ढूंढता है अर्थात् ऊँट राजस्थान में झाड़ियों को ही प्राप्त करता है अतः उसे वही प्रिय होती हैं तथा सुन्दर पल्लवित-पुष्पित उपवनों में जाकर भी वह झाड़ियों की ही खोज में लगा रह कर समय और जीवन नष्ट करता है। सत्य है अपने स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता, स्वभाव सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।

Meaning in English-The wicked people give up the meaningful beautiful words which produce beautiful sense like nectar for the ears.. and make great effort to hear imperfect senseless) sayings just as a camel enters into a park which is full of green flowers but he leaves such a park and goes to the bushes only. So a living being never gives up his nature even if it brings harm to him.

5. उत्साहंसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् ।
शूरं कृतज्ञं दृढसौहृदञ्च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः।।
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हिन्दी सरलार्थ-उत्साहपूर्ण समय पर कार्य करने वाला, कार्य की उचित विधि को जानने वाला, बुराइयों में न लगा हुआ, शूरवीर, कृतज्ञ तथा मित्रता को दृढ़तापूर्वक निभाने वाला-ऐसे गुणवान् मनुष्य के पास लक्ष्मी रहने के लिए स्वयं चली जाती है।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

Meaning in English–The goddess of wealth goes herself to live with a person who is enthusiastic, who performs his works at proper time, who knows proper way of performing the works, who is not engaged in evils, who is brave, grateful and always careful of his friends.

6.दीर्घप्रयासेन कृतं हि वस्तु निमेषमात्रेण भजेद् विनाशम् ।
कर्तुं कुलालस्य तु वर्षमेकं भेत्तुं हि दण्डस्य मुहूर्तमात्रम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ-किसी वस्तु के निर्माण में बहुत प्रयत्न लगाया जाता है किन्तु … क्षणभर में ही वह विनाश को प्राप्त कर लेती है जिस प्रकार कुम्हार किसी वस्तु का (घड़े आदि का) निर्माण करने के लिए एक वर्ष तक का समय और प्रयत्न लगाता है किन्तु उसको नष्ट करने के लिए डण्डे के प्रहार का एक क्षणमात्र काफी है। .

Meaning in English-Great effort is required for making a thing while it can be destroyed in a short moment only just as a pitcher-maker takes a long-time of full one year and much effort also is required to make a pitcher etc. but only a blow of a stick of a very small time is required to destroy that.

7. आरंभेत हि कर्माणि श्रान्तः श्रान्तः पुनः पुनः।
कर्माण्यारभमाणं हि पुरुषं श्रीनिषेवते।। शब्दार्थ
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हिन्दी सरलार्थ-थका हुआ होने पर भी मनुष्य को बार बार कार्य आरम्भ करना चाहिए (कार्य का अभ्यास करना चाहिए), क्योंकि कार्य आरम्भ करने वाले पुरुष को ही धन
और सफलता प्राप्त होती है।

Meaning in English-Aman should again and again begin his works even if he is tired because a man who performs his works-alone can achieve wealth and success.

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8. एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना।।
आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी।।
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हिन्दी सरलार्थ-जैसे एक चन्द्रमा से रात्रि प्रकाशयुक्त (और आनन्दित) हो जाती है ऐसे ही एक सज्जन विद्यायुक्त अच्छे पुत्र से सारा परिवार आहादित हो जाता है।

Meaning in English-Just as the whole night is delighted with one moon similarly the whole family is delighted with one gentle and well-educated worthy son only.

9. गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गणः
बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः।
पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः
करी च सिंहस्य बलं न मूषकः।।
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हिन्दी सरलार्थ–गुणवान् व्यक्ति ही गुण को जानता है निर्गुण नहीं, बलशाली बल को समझता है निर्बल नहीं, कोयल वसन्ते के महत्व को समझती है कौआ नहीं, इसी प्रकार शेर का बल हाथी होता है चूहा नहीं। (अर्थात् निर्गुण को गुणों का ज्ञान ही नहीं होता, उसके लिए . गुणों का कोई महत्व नहीं होता, शक्तिशाली के लिए बल अत्यन्त महत्वपूर्ण है निर्बल को बल-प्रदर्शन से कोई प्रयोजन नहीं, इसी प्रकार कोयल वसन्त ऋतु में ही मधुर आवाज सुनाती है, अतः इसके लिए वसन्त महत्वपूर्ण है कौवे के लिए नहीं और शेर हाथी पर ही अपना बल दिखाता है चूहे पर नहीं, हाथी उसके लिए महत्वपूर्ण है चूहा नहीं।)

Meaning in English-A virtuous man only knows the value of virtues not a vitueless person; a powerful man only knows the value of power and not the weak one, a cuckoo sings only in spring season, so time of spring is valuable for the cuckoo and not for the crow. Similarly a lion shows his strength in fighting with an elephant only and not with the mouse. (so one shows his strength to the person of equal strength only.)

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10. अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।।
भोजने चामृतं वारि भेजनान्ते विषापहम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ-अपच हो जाने पर जल दवा है, भोजन पच जाने पर ग्रहण किया हुआ जल शक्ति प्रदान करने वाला है, भोजन करते समय ग्रहण किया हुआ जल साक्षात् अमृत है किन्त भोजन के अन्त में लिया जल हुआ विष के समान त्याज्य होता है।

Meaning in English-The water, taken at the time of indigestion, is useful like medicine. It produces strength, if it is taken when the food is digested. If water is taken at the time of eating the food it is valuable like the nectar but it is harmful like the poison if it is take at the end of meals, so it should be avoided at the end of the meals.

11. अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम् ।
सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः।।

हिन्दी सरलार्थ-शास्त्र अनेक सन्देहों का नाश करने वाला तथा गुप्त अर्थ को प्रकट करने वाला होता है। शास्त्र सबका नेत्र है, जिनके पास शास्त्र (शास्त्रीय ज्ञान) नहीं वह तो अंधा ही है (अर्थात् शास्त्र ज्ञान से हीन व्यक्ति अन्धा तथा पूरी तरह मूर्ख, ज्ञानहीन ही होता है।)

Meaning in English-The knowledge of shastras removes the doubts and provides secret meanings also. It is (called) the eye (eye-sight) for every one and he is blind only who does not have (knowledge of the) shastras. (The poet here wants to say that without the knowledge of shástras one is just like a blind or a fool.)

12. अल्पज्ञ एव पुरुषः प्रलपत्यजस्रं
पाण्डित्यसम्भृतमतिस्तु भितप्रभाषी।
कास्यं यथा हि कुरुतेऽतितरां निनादं
तद्वत् सुवर्णमिह नैव करोति नादम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ-अल्पज्ञ पुरुष निरन्तर ही बकबक करता रहता है जबकि … ज्ञानयुकत तथा निश्चित बुद्धि वाला मनुष्य कम बोलने वालो होता है। इसी प्रकार कांसा गिरने पर बहुत अधिक शोर करता है जबकि सोना बिलकुल शोर नहीं करता अर्थात् कवि कहना चाहता है विद्वान् व्यक्ति सोने के समान बिलकुल शोर नहीं करते, वे अपने गुणों का बखान या व्यर्थ की बकबक नहीं करते तथा बहुत कम बोलते हैं।

Meaning in English-A man with little knowledge chatters too much while a scholar and a firm-minded man speaks very little, Similarly (the pot made of) bronze make great sound (when it falls on the earth) while the gold does not make the sound at all (when fallen.) So, the wiseman speaks very little while the man with little knowledge chatters very much and he does not make sound like gold.

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) धाराराज्ये को राजा प्रजाः पर्यपालयत?
उत्तर
सिन्धुलः।

(ख) सिन्धुलः कस्मै राज्यम् अयच्छत् ?
उत्तर
मुजाय।

(ग) सिन्धुलः कस्य उत्सङ्गे भोज मुमोच?
उत्तर
मुञ्जस्य।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

(घ) मुजः कं.मुख्यामात्यं दूरीकृतवान् ?
उत्तर
बुद्धिसागरम्।

(ङ) कः विच्छायवदनः अभूत् ?
उत्तर
मुजः।

(च) मुजः कं समाकारितवान् ?
उत्तर
वत्सराजम्।

(छ) वत्सराजः भोज रथे निवेश्य कुत्र नीतवान् ? .
उत्तर
वनम्

(ज) कृतयुगालंकारभूतः क आसीत् ? रिभूतः क आसीत्?
उत्तर
राजा मान्धाता।.

(झ) महोदधौ सेतुः केन रचितः?
उत्तर
रामेण !

(ञ) कः वहनौ प्रवेशं निश्चितवान् ?
उत्तर
मुजः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) भोजः कस्य पुत्रः आसीत?
उत्तर
भोजः सिन्धुलस्य पुत्रः आसीत्।

(ख) सिन्धुलः किं विचारयामास?
उत्तर
सिन्धुलः विचारयामास-यद्यहं राज्यलक्ष्मीभारधारणसमर्थं सहोदरमपहाय राज्य पुत्राय प्रयच्छामि तदा लोकापवादः। अथवा बालं मे पुत्रं मुजो राज्यलोभाद्विषादिना मारयिष्यति तदा दत्तमपि राज्यं वृथा !

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

(ग) सभायां कीदृशः ब्राह्मणः आगतवान्।
उत्तर
सभायां ज्योतिः शास्त्रपारंगतः ब्राह्मणः आगतवान् ।

(घ) कः भोजस्य जन्मपत्रिकां निर्मितवान् ?
उत्तर
ज्योतिःशास्त्रपारंगतः ब्राह्मणः भोजस्य जन्मपत्रिकां निर्मितवान्।

(ङ) मुञ्जः किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर
मुञ्जः अचिन्तयत् यदि राजलक्ष्मीः भोजकुमारं गमिष्यति तदाहं जीवन्नापि मृतः।

(च) वत्सराजः भोजं कुत्र नीतवान्?
उत्तर
वत्सराजः भोजं वनं नीतवान्।

(छ) वत्सराजः कम् अनमत् ?
उत्तर
वत्सराजः बुद्धिसागरम् अनमत् ।

(ज) मुञ्जः कापालिकं किम् उक्तवान् ?
उत्तर
मुजः कापालिकं स्वपुत्रं प्राणदानेन रक्षितुम् उक्तवान्।

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) सिन्धुलस्य भोजः पुत्र अभवत् ।
उत्तर
कस्य भोजः पुत्र अभवत् ?

(ख) सिन्धुलः राज्यं मुञ्जाय अयच्छत् ।
उत्तर
सिन्धलः राज्यं कस्मै अयच्छत?

(ग) एकदा एकः ब्राह्मणः सभायाम आगच्छत।
उत्तर
एकदा एकः ब्राह्मणः कुत्र आगच्छत् ?

(घ) मुजः भोजस्य जन्मपत्रिकाम् अदर्शयत् ।
उत्तर
मुञ्जः कस्य जन्मपत्रिकाम् अदर्शयत् ?

(ङ) वत्सराजः भोजं गृहाभ्यन्तरे ररक्ष।
उत्तर
वत्सराजः कम् गृहाभ्यन्तरे ररक्ष?

(च) मुजः सभामागतं कापालिक दण्डवत् प्राणमत्।
उत्तर
मुञ्जः सभामागतं कम् दण्डवत् प्राणमत् ?

(छ) भोजः चिरं प्रजाः पालितवान् ।
उत्तर
भोजः चिरं काः पीलतवान् ।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

प्रश्न 4.
प्रकतिप्रत्ययविभागं कुरुत-.. यथा
उपसर्गः
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प्रश्न 5.
प्रकृति-प्रत्ययं नियुज्य शब्द लिखत
यथा = आ + सीद् + ल्यप् = आसाद्य
उत्तर
(क) जीव् + शत् = जीवन्।
(ख) मृ + क्त = मृतः।
(ग) चिन्त् + क्त्वा = चिन्तयित्वा।।
(घ) हन् + तव्यत् = हन्तव्यम्।
(ङ) आ + नी + तव्यत् = आनेतव्यम्।
(च) नि + शम् + ल्यप् = निशम्य।
(छ) नम् + क्त्वा = नत्वा ।
(ज) आ + कर्ण + ल्यप् = आकर्ण्य ।
(झ) नि + क्षिप् + ल्यप् = निक्षिप्य।
(ञ) मन् + क्त्वा = मत्वा।
(भ) ज्ञा + क्त्वा = ज्ञात्वा।
(ट) नी + क्तवतु = नीतवान् ।
(ठ) आ + पद् + क्त = आपन्नः।
(ढ) हन् + क्तवतु = हतवान्।
(ण) आ + दिश् + क्त = आदिष्टः ।

प्रश्न 6.
उचित-अथैः सह मेलनं कुरुत यथा-वसुमती-पृथ्वी
उत्तर
(क) निशीथे = रात्रौ।
(ख) प्रणिपत्य = प्रणम्य।
(ग) निशम्य = श्रुत्वा।
(घ) पार्वे = समीपे
(ङ) विपिने = वने।
(च) दशास्यान्तकः = रामः।
(छ) दिवम् = स्वर्गम्।
(ज) अधीत्य = पठित्वा
(झ) महोदधौ = समुद्रे।
(ज) यास्यति = गमिष्यति।

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प्रश्न 7.
मञ्जूषायां प्रदत्तैः अव्ययशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत
तु, एव, तदा, किमर्थम्, पुरा, चिरम् ।
उत्तर
पुरा सिन्धुलः नाम राजा आसीत् । सः चिरम् प्रजाः पर्यपालयत् । वृद्धावस्थायां तस्य एकः पुत्र अभवत् । तदा सः अचिन्तयत् किमर्थम् न स्वपुत्रं भ्रातुः मुञ्जस्य उत्सङ्गे समर्पयामि : सिन्धुलः पुत्रं मुञ्जस्य उत्सङ्गे समर्प्य एव परलोकम् अगच्छत् । सिन्धुले दिवंगते मुञ्जस्य मनसि लोभः समुत्पन्नः । लोभाविष्टः सः तुः मुञ्जस्य विनाशार्थम् उपायं चिन्तितवान्।

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं लिखत-
(क) यथा-पर्यपालयत्
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प्रश्न 9.
विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
यथा – महाबलम् – मुजम्
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) बालम् – पुत्रम्
दत्तम् – राज्यम्
दिवंगते – राजनि
ज्योतिःशास्त्रपारंगतः – ब्राह्मणः
इमाम् – भविष्यवाणीम्
बङ्गदेशाधीश्वरम् – वत्सराजम्
सन्तप्तः – मुञ्जः

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योग्यता विस्तारः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानाम् आभाणकानां समानार्थकानि वाक्यानि पाठे अन्वेष्टव्यानि-
उत्तर-
1. चेहरा फीका पड़ गया = विच्छायवदनोऽभूत्।
2. जैसी आपकी आज्ञा = देनदेशः प्रमाणम्। ।
3. लोगों में बात फैल गई = इति कथा लोकेषु प्रसृता।

प्रश्न 2.
पौराणिकपरम्परायां चत्वारः युगाः मताः। ते यथा
उत्तर
पौराणिकपरम्परा में चार युग माने गए हैं
1. कृतयुगः (सत्ययुगः)
2. त्रेतायुगः
3. द्वापरयुगः
4. कलियुगः।

प्रश्न 3.
मान्धाता सूर्यवंशस्य प्रतापी राजा अभवत् । तेन प्रजायाः पालनं सम्यक्तया कृतम् । सः स्वयुगस्य अलङ्कारभूतः नृप आसीत्।
उत्तर
मान्धाता सूर्यवंश के अत्यन्त तेजस्वी राजा हुए। उसने प्रजा का पालन बहुत अच्छी तरह से किया। वह अपने समय का अत्यन्त उत्कृष्ट राजा था।

Bhaswati Class 12 Solutions 7 नैकेनापि समं गता वसुमती Summary Translation in Hindi and English

संकेत-पुरा धाराराज्ये …………. यथेच्छं पृच्छ।
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हिन्दी-अनुवाद-प्राचीन समय में धारा राज्य में सिन्धुल नामक राजा ने बहुत समय तक प्रजाओं का पालन किया। वृद्धावस्था में उसका ‘भोज’ यह पुत्र उत्पन्न हुआ। जब वह पाँच वर्ष का हुआ तब पिता ने अपना बुढ़ापा जानकर मुख्य मन्त्रियों को बुलाकर मुज्ज नामक अपने छोटे भाई को अत्यधिक बलवान् देखकर तथा पुत्र को बालक देखकर सोचा-यदि मैं राजलक्ष्मी का भार उठाने में समर्थ अपने छोटे भाई मुञ्ज को छोड़कर राज्य अपने पुत्र को दे दूँ तो लोगों में निन्दा होगी अथवा यह भी हो सकता है कि मेरे पुत्र को जो अभी बालक है, मुञ्ज राज्य के लालच से विष आदि देकर मरवा दे।

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तब दिया हुआ राज्य भी व्यर्थ हो जाएगा। इस प्रकार पुत्र की हानि और वंश का विनाश होगा-ऐसा विचारकर राज्य को मुञ्ज को देकर उसकी गोद में भोज़ को डाल दिया। उसके बाद राजा के परलोक चले जाने पर क्रम से राज्य की सम्पदा को प्राप्त कर चुकने वाले मुञ्ज ने बुद्धिसागर नामक मुख्यमन्त्री को व्यापार के लिए पैसा देकर दूर करके उसके स्थान पर किसी और को स्थापित किया। तब एक बार ज्योतिषशास्त्र में निपुण कोई ब्राह्मण आकर राजा से बोला-हे राजन् ! लोग मुझे सर्वज्ञ कहते हैं। इसलिए आप भी इच्छानुसार कुछ पूछे।

English-Translation-In the olden time, in Dhara kingdom, king Sindhula protected his subjects for long. In the old age, his son named Bhoja was born. At the age of five years, his father Bhoja, knowing his old-age, called his eminent ministers and finding his younger brother Munja to be very powerful and his son still a child, thought.

‘If setting aside my brother Munja who is capable of bearing the burden of the kingdom, I install my son as a king then there will be public consure against me.

Moreover, Munja, out of greed for kingdom, may kill my son who is still a child through poison etc. In that case the given kingdom will be useless and there will be loss of son and extinction of the family. Therefore, giving away his kingdom to Munja he put Bhoja, in his lap.

Then gradually, after the death of the king, Munja having obtained the wealth of the kingdom, removed the chief-minister named Buddhi Sagar by giving him money for business and appointed another one in his place. Then, once a Brahman, expert in the science of Astrology, came to the king and said !-Oh king! People call me omniscient. Therefore, you may ask me something whateven you desire…

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संकेत-ततो…………………… उक्तवान् ।
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हिन्दी-अनुवाद-तब मुञ्ज ने कहा-भोज की जन्मपत्रिका बनाओ। ब्राह्मण ने जन्म पत्रिका बनाकर कहा

English-Translation-Then Munja said—Make the horoscope of Bhoja. Then after making the horoscope, the brahman said.

पञ्चाशत्पञ्चवर्षाणि सप्तमासदिनत्रयम् ।
भोजराजेन भोक्तव्यः सगौडो दक्षिणापथः ।।
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हिन्दी सरलार्थ-भोजराज पचपन वर्ष, सात महीने तथा तीन दिन गौड देश (बंगाल). सहित दक्षिण भारत पर राज्य का भोग करें।

English-Translation-Bhoja Raja will enjoy the kingdom of the south India along with the Gauda country (Bengal) for fifty-five years, seven months and three days.

संकेत-भोजविषयिणीम् …………………………………. तेन किमुक्तम् ?
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हिन्दी-अनुवाद-भोज के विषय में इस भविष्यवाणी को सुनकर राजा के मुख की कान्ति उड़ गई। तब ब्राह्मण को भेजकर रात में शय्या पर लेटकर राजा सोचने लगा-यदि राजलक्ष्मी भोजकुमार को प्राप्त होगी तो मैं जीवित ही मर जाऊँगा। तब उसने अकेले ही कुछ सोचकर बङ्गदेश के राजा वत्सराज को बुलाया। धारानगरी में आकर राजा को प्रणाम करके वत्सराज बैठ गया।

महल को एकान्त (सुनसान) करके राजा ने वत्सराज से कहा–तुम भोज को भुवनेश्वरी के जंगल में रात में मार देना तथा कटा हुआ उसका सिर मेरे पास अन्तःपुर में लाना। ऐसा सुनकर राजा को प्रणाम करके वत्सराज ने कहा-यद्यपि महाराज का आदेश प्रमाण है फिर भी मैं कुछ कहना चाहता हूँ, अपराधयुक्त होते हुए भी मेरे वचन क्षमा कर दिए जाएँ। महाराज! पुत्र का वध कदापि हितकर नहीं होता।

वत्सराज के ऐसे शब्द सुनकर, क्रुद्ध होकर राजा ने कहा-तुम मेरे सेवक हो, मैं जो कहता हूँ वैसा ही करो। तब ‘राजा की आज्ञा का पालन करना चाहिए’ ऐसा मानकर वत्सराज चुप हो गया। बाद में न चाहते हुए भी वत्सराज भोज को रथ में बिठाकर रात्रि में जंगल में ले गया। वहाँ अपने वध की योजना को जानकर भोज ने वत्सराज से कुछ कहा।

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उसके वचनों से वैराग्ययुक्त होकर वत्सराज ने पुनः उसे नहीं मारा अपितु घर आकर, भोज को घर के अन्दर भूमि पर रखकर उसकी रक्षा की। फिर कृत्रिम रूप से पुनः भोज का मस्तक बनाकर राजमहल . जाकर वत्सराज ने राजा से कहा-श्रीमान् ने जो आज्ञा दी थी वह पूरी कर दी गई है। तब . भोजराज का वध जानकर राजा ने उससे पूछा-हे वत्सराज! तलवार से प्रहार के समय उसने । क्या कहा?

English-Translation. On hearing this prediction about Bhioja king lost his beauty. Then he sent back the brahman and laid down on his bed at night and thought-If the wealth of the kingdom goes to Bhoja Kumar then I can not remain alive. Then being alone he thought of something. After that he called for king Vatsraja of Bangal. Vatsraja came to the city of Dhara, he bowed to the king and sat down there.

After making the palace lonely the king said to Vatsaraja—you should kill Bhoja at night in the forest of Bhuvaneshwari and bring his cut head near me in my palace. Having heard this Vatsraja bowed to the king and said-Even if I should completely follow the order of my majesty still I want to say something. Even if my words are guilty, still I should be excused. Oh king! the assassination of the son is never beneficial.

Oh hearing such words of Vatsaraja the king became angry and said-you are my attendant. You should follow what I say. Then, the king’s order should be followed’-considering so, Vatsaraja kept quiet. Then not willing to do so, still Vatsaraja placed Bhoja in the chariot and he took him forcibly to the forest at night.

Then knowing the planning of his own assassination Bhoja said something to Vatsaraja. Having detachment from the world by his words Vatsaraja did not kill him again but he came back to his house, placed Bhoja inside the house and he protected him. Then Vatsaraja again got an artificial skull of Bhoja, After that he went to the palace and said to the king-the orders of the majesty have been carried out.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

Then having known the assassination of Bhoja raja being accomplished the king asked him-Oh Vatsaraja! what did the son say when he was being killed by the sword?

संकेत-वत्सराजेन च राज्ञे …………. श्लोकः समर्पितः
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हिन्दी-अनुवाद-तब वत्सराज ने राजा के लिए भोज के अन्तिम सन्देश के रूप में दिया गया श्लोक प्रस्तुत किया
English Translation-Then Vatsraja presented this verse which was sent by Bhoja as the last-message for the king

मान्धाता च महीपतिः कृतयुगालङ्कारभूतो गतः
सेतुर्येन महोदधौ विरचितः क्वासौ दशास्यान्तकः।
अन्ये वापि युधिष्ठिरप्रभृतयो याता दिवं भूपते!
नैकेनापि समं गता वसुमती नूनं त्वया यास्यति।।
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हिन्दी सरलार्थ-हे राजन् ! सतयुग के आभूषण के समान राजा मान्धाता चला गया (मृत्यु को प्राप्त हो गया), महासागर पर पुल बनाने वाला तथा रावण का अन्त करने वाला वह राम अब कहाँ है? (अर्थात् नहीं है)। युधिष्ठिर आदि दूसरे राजा भी स्वर्ग सिधार गए। यह पृथ्वी किसी एक के साथ ही नहीं गई लेकिन लगता है निश्चय ही यह आपके साथ जाएगी।

Meaning in English-Oh king! King Mandhata, the ornament of the Satya age-passed away. Where is that Rama who built a bridge on the ocean and who was the destoryer of ten headed i.e. Ravana? Other kings like. Yudhishthira and others also died. This earth did not go certainly with any one of these kings but it seems that it will surely go with you.”

संकेत-श्लोकमिमम् …………….. पालितवान् । (पृष्ठ 54)
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती 11NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती 12NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती 13

हिन्दी-अनुवाद-इस श्लोक को पढ़कर शोक से व्याकुल मुज ने प्रायश्चित करने … के लिए अपने को अग्नि को सौंपने का निश्चय किया। राजा के अग्नि में प्रवेश के कार्यक्रम को सुनकर वत्सराज ने बुद्धिसागर को प्रणाम करके धीरे-धीरे कहा. हे तात! मेरे द्वारा भोजराज सुरक्षित है। पुनः बुद्धिसागर ने उसके कान में कुछ कहा जिसे सुनकर वत्सराज वहाँ से चला गया। पुनः राजा के अग्निप्रवेश के समय कोई तान्त्रिक सभा में आया।

सभा में आए हए उस तान्त्रिक को दण्डवत् प्रणाम करके मुञ्ज ने कहा-हे योगीन्द्र ! मेरे द्वारा मारे हुए महापापी के पुत्र की प्राणदान देकर रक्षा करें। तब तान्त्रिक ने कहा-हे राजन् ! डरो नहीं। भगवान शिव की कृपा से वह जीवित हो जाएगा। तब तान्त्रिक की योजना के अनुसार भोज को श्मशान भूमि में लाया गया। तब “योगी के द्वारा भोज जीवित कर दिया गया” लोगों में यह कथा फैल गई। तब हाथी पर बैठाकर भोज राजभवन में लाया गया।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 7 नैकेनापि समं गता वसुमती

तब प्रसन्न मन राजा मुञ्ज भोज को राजसिंहासन पर बिठाकर अपनी पटरानियों के साथ तपोवन में चला गया तथा कठोर तपस्या करने लगा और भोज ने दीर्घकाल तक प्रजाओं का पालन किया।

English-Translation-Having recited this verse Munja became very sad and he decided to enter into the fire as a repentence. On hearing the news of the king entering into fire Vatsaraja bowed to Buddhi Sagar and said slowly-Oh respectable one! Bhojaraja is well-protected.

Then Buddhi Sagar said something in his ear, on hearing which Vatsaraja went away from there. Then at the time of king’s enterance into the fire some Tantrika came to the assembly.

Munja saluted with his head-bent to that Tantrika who was present in the assembly and said Oh great Yogil please protect my son by offering him life. Then the tantrika said, Oh king! Do not be afraid. He will be alive by the grace of Lord Shiva. Then Bhoja was brought to the penance ground according to the plan of the tantrika. Then “Bhoja has been brought back to life by the Yogi”, this story became popular among the people.

Then, climbing on the back of the elephant, Bhoja was brought to the royal palace. And the happy king Vunja placed Bhoja on the royal throne and being accompained by his chief queens he went to the penance-grove. He then practised severe penance there. Bhoja then, also protected his subjects for a long-time.

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 5 दौवारिकस्य निष्ठा

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Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 5 दौवारिकस्य निष्ठा

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) प्रतापदुर्गदौवारिकः कस्य ध्वनिम् इव अश्रौषीत् ?
उत्तर
पादक्षेपस्य।

(ख) काषायवासाः धृततुम्बीपात्रः भव्यमूर्तिः इति एते शब्दाः कस्य विशेषणानि सन्ति?
उत्तर
संन्यासिनः।

(ग) कः तुरीयाश्रमसेवी अस्ति?
उत्तर
संन्यासी।

(घ) महाराजस्य सन्ध्योपासनसमयः कदा भवति?
उत्तर
पूर्वाहने।

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(ङ) के उत्कोचलोभेन स्वामिनं वञ्चयन्ति?
उत्तर
नीचाः।

(च) त्यज! नाहं पुनरायास्यामि, नाहं पुनरेवं कथयिष्यामि,महाशयोऽसि, दयस्व इति कः अवदत्?
उत्तर
संन्यासी।

(छ) दौवारिकस्य निष्ठा केन परीक्षिता?
उत्तर
गौरसिंहेन।

प्रश्न  2.
एकवाक्येन उत्तरं दीयताम्

(क): रात्रौ के के प्रविशन्ति?
उत्तर
रात्रौ परिचिता वा प्राप्तपरिचयपत्रा वा आहूता वा प्रविशन्ति।

(ख) दीपस्य समीपमागत्य संन्यासिना किम् उक्तम् ?
उत्तर
दीपस्य समीपमागत्य संन्यासिना उक्तम् “दौवारिक! न मां प्रत्यभिजानासि?”

(ग) महाराजं प्रत्यभिज्ञाय दौवारिकः किम् अवदत् ?
उत्तर
महाराज प्रत्यभिज्ञाय दौवारिकः अवदत् ‘आः! कथं श्रीमान् गौरसिंह? आर्य! क्षम्यतामनुचितव्यवहार एतस्य ग्राम्यवराकस्य।’

(घ) कः कम् कठोरभाषणैः तिरस्करोति?
उत्तर
दौवारिकः संन्यासिनं कठोरभाषणैः तिरस्करोतिः।

(ङ) ‘दौवारिकस्य निष्ठा’ अयं पाठः कस्मात् गन्थात् गृहीतः?
उत्तर
‘दौवारिकस्य निष्ठा’ अयं पाठः ‘शिवराजविजय’ नाम उपन्यासार

(च) शिवगणाः कीदृशाः आसन् ?
उत्तर
शिवगणाः विश्वसनीयाः आसन्।

(छ) दौवारिकः संन्यासिन कम् अमन्यत?
उत्तर
सिनं कस्यापि देशद्रोहिणः गूढचरम् अमन्यत।

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प्रश्न 3.
प्रश्ननिर्माणं रेखाङ्कितानि पदान्याधृत्यं कुरुत

(क) महाराजशिववीरस्य आज्ञां वयं शिरसा वहामः।
उत्तर
कस्य आज्ञा वयं शिरसा दहामः?

(ख) नीचा उत्कोचलोभेन स्वामिनं कश्यत्विा आत्मानम् अन्धतमसे पातयन्ति।
उत्तर
के उत्कोचलोभेन स्वामिनं वञ्यत्विा आत्मानम् अन्धतमसे पातयन्ति?

(ग) दुर्गाध्यक्षः एव यथोचितम् व्यवहरिष्यति।
उत्तर
कः एव यथोचितम् व्यवहरिष्यति?

(घ) दौवारिकः संन्यासिनम् आकृष्य नयन्नेव प्रचलितः
उत्तर
दौवारिकः कम् आकृष्य नयन्नेव प्रचलितः?

(ङ) दौवारिकस्य पृष्ठे हस्तं विन्यस्यन् संन्यासिरूपो गौरसिंहः अवदत्।
उत्तर
कस्य पृष्ठे हस्तं विन्यस्यन् संन्यासिरूपो गौरसिंहः अवदत् ?

(च) दीपस्य समीपमागत्य संन्यासिना उक्तम् ।
उत्तर
दीपस्य समीपमागत्य केन उक्तम् ?

(छ) संन्यासी तुरीयाश्रमसेवी इति प्रणम्यते।
उत्तर
कः तुरीयाश्रमसेवी इति प्रणम्यते।

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प्रश्न 4.
समासविग्रहः क्रियताम्
उत्तर-
(क) प्रतापदुर्गदौवारिकः = प्रतापदुर्गस्य दौवारिकः ।
(ख) दीपप्रकाशे = दीपानां प्रकाशे।
(ग) क्षणानन्तरम् = क्षणस्य अनन्तरम् ।
(घ) पादध्वनिः = पादयोः ध्वनिः।
(ङ) द्वाःस्थेन = द्वारे स्थितः यः सः, तेन।
(च) कठोरभाषणैः = कठोराणि च तानि भाषणानि, तैः।
(छ) गम्भीरस्वरेण = गम्भीरेण स्वरेण ।

प्रश्न 5.
सन्धिच्छेदः क्रियताम्
उत्तर-
(क) किञ्चिदन्धकारे = किञ्चित् + अन्धकारे
(ख) शान्तो भव = शान्तः + भव।
(ग) अद्यापि = अद्य + अपि।
(घ) इत्येवम् = इति + एवम्।.
(ङ) कोऽत्र = कः + अत्र।
(च) तदधुनैव = तत् + अधुना + एव।।
(छ) क्षान्तोऽयमपराधः = क्षान्तः + अयम् + अपराधः ।
(ज) बहूक्तम् = बहु + उक्तम्।

प्रश्न 6.
उपसर्ग-प्रकृति/प्रकृति-प्रत्यय-विभागं दर्शयत
उत्तर
(क) निधाय = नि उपसर्ग, √ , ल्यप.प्रत्यय।
(ख) प्रत्यागतम् = प्रति + आ उपसर्ग √ गम्, क्त प्रत्यय।
(ग) विदधानः = वि उपसर्ग + √धा, शानच् प्रत्यय।…
(घ) निरीक्षमाणः = निर् उपसर्ग, √ ईक्ष्, शानच् प्रत्यय।
(ङ) भाषमाणेन = √ भाष्, शानच् प्रत्यय।
(च) अभिज्ञाय = अभि उपसर्ग √ ज्ञा, ल्यप् प्रत्यय।
(छ) पश्यन् = √ दृश्, शतृ प्रत्यय।
(ज) अनुत्तरयन् = अन् + उद् उपसर्ग √ तु, शतृ प्रत्यय।

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प्रश्न 7.
विशेषणं विशेष्येन सह योजयत
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) गम्भीरेण – स्वरेण
(ख) मुमुर्षः – जनः
(ग) कठोरैः – भाषणैः
(घ) परिष्कृतम् – पारदभस्म
(ङ) कपटी – संन्यासिन्
(च) उत्कोचलोभी – नीचः
(छ) देशद्रोहिणः – गूढचरः
(ज) आहूताः – अभ्यागताः

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 5 दौवारिकस्य निष्ठा Summary Translation in Hindi and English

1. संकेत-संवृत्ते किञ्चिदन्धकारे ………………… अभूदालापः
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हिन्दी-अनुवाद-कुछ अन्धकार होने पर बन्दूक कंधे पर रखकर, अच्छी तरह से (चारों ओर) देखता हुआ तथा आते-जाते हुए को जानतें समझते हुए प्रतापदुर्ग के द्वारपाल ने किसी के पैरों की आवाज सुनी। फिर रुककर सामने देखते हुए दीपक का प्रकाश होने पर भी किसी को न देखते हुए गंभीर स्वर में कहा-‘अरे! यहाँ कौन है? कौन है यहाँ?”

एक क्षण के बाद पुनः वही पैरों की आवाज सुनाई पड़ी। फिर क्रोधपूर्वक उसने कहा- “यह कौन बहरा है जो मुझे उत्तर न देकर मरने की इच्छा से यहाँ आ रहा है?” इसके पश्चात् “द्वारपाल! शान्त हो जाओ, क्यों व्यर्थ में मरने वाला और बहरा कहते हो?” इस प्रकार बोलने वाले को बिना देखे ही गम्भीर स्वर में स्निग्ध वाणी को (द्वारपाल ने) सुना (इसके पश्चात् (द्वारपाल ने कहा)

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‘तो क्या आप अभी तक महाराज के आदेश को नहीं जानते हैं कि द्वारपाल या पहरेदार के द्वारा तीन बार पूछने पर भी उत्तर न देने वाले को मार दिया जाना चाहिए?’ द्वारपाल के ऐसे कहने पर-क्षमा करें, मैं आ रहा हूँ, आकर सब कुछ बताऊँगा’ ऐसा कहते हुए बारह वर्षीय भिक्षु बालक से अनुकरण किए जाते हुए काषाय वस्त्रधारी, तुम्बी पात्र लिए हुए, भव्यमूर्ति वाले किसी संन्यासी को द्वारपाल ने देखा। तब उन दोनों में इस प्रकार का वार्तालाप हुआ

English-Translation-When it was little dark, the gatekeeper of Pratap fort, who was carrying a gun on his shoulder, who was looking all around carefully and watching all the people who were coming and going, heard some one’s sound of foot-step. Then he stopped and looked . forward being unable to see anyone in the light of lamp even. He asked in slow voice- ‘Oh! who is there? who is there?”

After a moment, the same sound of foot-step was again heard. Then he asked angrily—“Who is this deaf man that is coming here, willing to die, without answering me.”

After that without seeing any one he heard someone saying in soft speech-—”Oh gatekeeper! keep quiet. Why do you call me deaf and one willing to die uselessly?” After that the door keeper said—What! Do you not know by now even the king’s order that one should be killed who do not answer being questioned by the gatekeeper or the watchman even for three times?’ When gatekeeper said so, he saw a beautiful.

sannyasin who was wearing soffron-coloured-clothes holding an earthen or wooden-pot and who was followed by a twelve-years young beggar saying-‘Please excuse me, I am just coming. I will tell you everything after coming there.’ Then this conversation took place between the too .

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संकेत-संन्यासी-कथमस्मान् ………………… (तथा कृत्वा) कथ्यताम् । (पृष्ठ 35)

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हिन्दी-अनुवाद-संन्यासी-हम संन्यासियों को भी तुम कठोर भाषण से क्यों तिरस्कृत करते हो?
द्वारपाल – भगवन् ! आप संन्यासी हैं, चतुर्थ आश्रम के सेवी हैं, अतः आपको प्रणाम है परन्तु आप स्वामी के आदेश का उल्लंघन करके अपना परिचय दिए बिना चले आ रहे हैं,
इसलिए मैं क्रुद्ध हो रहा हूँ।
संन्यासी-सत्य है, तुम्हारा अपराध क्षमा किया किन्तु संन्यासियों, ब्रह्मचारियों, पण्डितों, स्त्रियों तथा बालकों से कुछ भी नहीं पूछना। अपना परिचय न देने पर भी उन्हें प्रवेश करने
देना।
द्वारपाल-संन्यासी! संन्यासी बहुत कह चुके हो, अब रुको। हम द्वारपाल लोग ब्रह्मा की आज्ञा भी नहीं मानते हैं। केवल महाराज शिववीर की आज्ञा को शिरोधार्य करते हैं। पूर्वाह्न में महाराज के सन्ध्या-पूजन के समय आप जैसे लोगों के मिलने का समय होता है, रात्रि में नहीं।
संन्यासी-तो क्या कोई भी रात्रि में प्रवेश नहीं करता?
द्वारपाल-(क्रोधपूर्वक) कोई भी क्यों नहीं प्रवेश करता? परिचित अथवा परिचय पत्र प्राप्त अथवा आमन्त्रित लोग प्रवेश करते हैं न कि आप जैसे आए हुए कोई भी लोग।
संन्यासी-द्वारपाल! यहाँ आओ, कुछ कान में कहना चाहता हूँ। द्वारपाल-(वैसा करके) कहिए।

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English-Translation Why do you insult us by such harsh words?

Gatekeeper-Oh lord! You are a Sannyasin, you are serving the fourth Ashrama, So I bow to you but as you did not obey our lord’s order and are trying to enter without giving your introduction, sol am getting angry.

Sannyasin-O.K., you have been excused. but Sannyasins, Brahmacharis, Pandits, ladies and children should not be asked anything. They should be allowed to enter without giving their introduction even.

Gatekeeper – Oh Sannyasin! OhSannyasin! you have said much, now you keep quiet. We, the gatekeepers, do not accept the order of Brahma even. We follow completely the oreder of great king Shivavira only. The enterance of the people like you is possible only in the noming when our lord worships God and it is not possible during night

Sannyasin – Then, does no. one enter during night?

Gatekeeper – (Angrily). Why no one enters? The people who are well known or who occupy the identity cards or who are invited enter but not people like you.

Sannyasin – Oh gatekeeper ! Come here, I want to tell you something in your ear.

Gatekeeper (Doing so) – Please tell.

संकेत-सन्यासी यदि त्वं ………………….. विजयन्ते। (पृष्ठ 36)

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हिन्दी -अनुवाद-संन्यासी-यदि तुम प्रवेश करने से मुझे न रोको तो तुम्हें मैं इसी समय परिष्कृत पारद भस्म दे दूँ जिससे रत्ती भर से भी तुम पचास तोले तक ताँबे का सोना बना सकते हो। द्वारपाल-अरे! कपटी संन्यासी! तुम विश्वासघात और स्वामी से वंचना सिखा रहे हो? वे कोई और ही. नीच लोग होते हैं जो रिश्वत के लोभ से स्वामी को छलकर अपने को गहन अन्धकार (घोर नरक) में गिराते हैं, हम महाराज शिवाजी के सेवक ऐसे नहीं है। (संन्यासी का हाथ पकड़कर) इधर आओ और सच-सच बताओ तुम कौन हो? कहाँ से आए हो? अथवा किसने तुम्हें भेजा है?

मैं तो तुम्हें किसी देशद्रोही का गुप्तचर मानता हूँ। (हाथ खींचकर) तो दुर्गाध्यक्ष के समीप आओ। वे ही तुम्हें पहचानकर तुम्हारे साथ उचित व्यवहार करेंगे। तब संन्यासी ने अनेक बार कहा- ‘छोड़ दो, मैं पुनः नहीं आऊँगा, मैं ऐसा नहीं कहूँग आप महान् हैं, दया करो, दया करो।’ द्वारपाल तो उसे खींचकर ले जाने लगा।

इसके बाद दीपक के पास आकर संन्यासी ने कहा- “द्वारपाल! क्या तुम मुझे नहीं, पहचानते?” तब द्वारपाल ने उस संन्यासी को अच्छी प्रकार से देखा और पहचान लिया तथा कहा- “अरे! क्या आप श्रीमान् गौरसिंह जी हैं? आर्य! इस बेचारे गँवार के अनुचित व्यवहार को क्षमा करें।” यह सुनकर द्वारपाल के पीठ पर हाथ फेरते हुए संन्यासी वेषधारी गौरसिंह ने कहा-“हे द्वारपाल ! मैंने तुम्हारी अच्छी प्रकार से परीक्षा ले ली है, तुम यथायोग्य पद पर ही नियुक्त किए गए हो। तुम्हारे जैसे लोम ही वास्तव में पुरस्कार प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं और दोनों लोकों को जीतते हैं।

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English-Translation—If you do not prevent me from entering then I give you just now the ash of purified-mercury. By its very small quantity you can convert huge amount of (52 tolas) brass into gold.

Sannyasin-On fraud Sannyasin! you are teaching me violation of trust and deceiving the lord. They may be some other people who fall into deep hell by deceiving their kingdue to the greed of taking bribe. We the attendants of lord Shivaji are not of such nature.

(Holding Sannyasin with his hand) Come here and tell the truth who are you? From where have you come? By whom have you been sent? I consider you to be a spy of some traitor. So, come near the controller of the fort. After recognising you, he will only behave properly with you.

Then that Sannyasin said many times—“Leave me, I will not come here again. I will not say so again. You are a great man. Please have mercy on me.’ The gatekeeper tried to pull him.

After that, the Sannyasin came near the lamp and said-“Oh gatekeeper! Do you not recognise me?” Then the gatekeeper looked seriously towards the Sannyasin and said—“Oh! Are you Shri Gaur Singh Ji? Oh Sir ! Please excuse the uncultured behaviour of this poor uneducated man.”

On hearing this that Sannyasi who was Gaur Singh actually patted the back of that gatekeeper and said. .
“Oh gatekeeper! you have been examined by me seriously and have been placed on the proper past. People like you only deserve prizes and get success in both the worlds.

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) केषाम् अन्वयः कालिदासेन विवक्षितः?
उत्तर
रघूणाम्।

(ख) रघुवंशिनः अन्ते केन तनुं त्यजन्ति?
उत्तर
योगेन।

(ग) महीक्षिताम् आधः कः आसीत् ?
उत्तर
मनः।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

(घ) कासां पितरः केवलं जन्महेतवः?
उत्तर
प्रजानाम्

(ङ) कः प्रियः अपि त्याज्यः?
उत्तर
दुष्टः

(च) दिलीपः प्रजानां भूत्यर्थं कम् अग्रहीत?
उत्तर
बलिम्।

(छ) राजेन्दुः दिलीपः रघूणामन्वये क्षीरनिधौ कः इव प्रसूतः?
उत्तर
इन्दः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् कीदृशः निगदितः?
उत्तर
महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् आद्यः निगदितः।

(ख) कालिदासः तनुवाग्भिवः सन् अपि तद्गुणैः कथं प्रचोदितः?
उत्तर
कालिदासः तनुवाग्भिवः सन् अपि तद्गुणैः चापलाय प्रचोदितः !

(ग) के तं (रघुवंश) श्रोतुमर्हन्ति?
उत्तर
सदसद्व्यक्तिहेतवः सन्तः तं श्रोतुमर्हन्ति।

(घ) दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भः कीदृशः आसीत्?
उत्तर
दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भ आगमैः सदृशः आसीत्।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

(ङ) रविः रस किमर्थम् आदते?
उत्तर
रविः रसं सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते।

प्रश्न 3.
रेखाकितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) सः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत्।
उत्तर
कः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत् ?

(ख) प्रजानां विनयाधानात् सः पिता आसीत्।
उत्तर
कासां विनयाधानात सः पिता आसीत ?

(ग) मनीषिणां माननीयः मनुः आसीत्।।
उत्तर
केषां माननीयः मनुः आसीत् ?

(घ) शुद्धिमति अन्वये दिलीपः प्रसूतः।
उत्तर
शुद्धिमति कस्मिन् दिलीपः प्रसूतः ?

(ङ) पितरः जन्महेतवः आसन् ।
उत्तर
के जन्महेतवः आसन् ?

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां भावार्थ हिन्दी/आंग्ल/संस्कृत स्वभाषया लिखत

(क) प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत्। .
उत्तर
हिन्दी-कुछ राजा अपने स्वार्थ हेतु प्रजा से बहुत अधिक कर लेते हैं जो निन्दनीय है किन्तु राजा दिलीप अपनी प्रजा से थोड़ा-सा ही कर लेता था तथा वह संचित धन को भी प्रजा की भलाई में ही लगा लेता था अपने किसी निजी स्वार्थ में नहीं-यही भाव अभिव्यक्त किया गया है यहाँ।

English-In this line the great poet Kalidasa wants to convey that Dilipa was an ideal king. He used to collect very small amount from his subject as the tax and he used to spend that money for the welfare of his subjects and not for his personal reason.

संस्कृत-राजा दिलीपः स्वप्रजा यः तासां कल्याणार्थमेव बलिं गृह्णाति स्म । तस्य धनस्य प्रयोगः सः प्रजानां कल्याणायैव करोति स्म न तु स्वार्थाय-अयमेवास्ति भावः अस्याः पंक्तेः ।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

(ख) आगमैः सदृशारम्भः आरम्भसदृशोदयः।
उत्तर
हिन्दी-प्रस्तुत पंक्ति में कवि यही कहना चाहते हैं कि राजा दिलीप ने अत्यधिक शास्त्रों का अध्ययन किया हुआ था जिसके कारण वे कार्यों का आरम्भ भी बहुत सुन्दर रूप से करते थे तथा कार्यों के उत्तम आरम्भ के अनुसार ही कार्यों का परिणाम (सफलता) भी उत्तम मिलता था।

English-The poet wants to tell here that king Dilipa had studied many shastras. So he used to begin his works according to knowledge of the shastras and as the works were begun properly he used to achieve good results also. So he usd to perform all his works in the proper manner as prescribed in the shastras.

संस्कृत-अत्र कविः कथयितुं वाञ्छति यत् राजा दिलीपः सर्वमपि कार्यजातं शास्त्रानुकुलविधिना आरभते स्म । अत एव यदा कार्यारम्भः सुष्ठु भवति तदा कार्याणां परिणामः अपि सम्यगेव लभ्यते स्म-नात्रसन्देहः । एवं कार्यारम्भः शास्त्रोक्तविधिना एव कर्त्तव्यः।

(ग) स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।
उत्तर
हिन्दी-राजा दिलीप अपनी प्रजा की सब प्रकार की शिक्षा, रक्षा तथा पालन पोष्ण का ध्यान रखता था। इसलिए सच्चे अर्थों में वह उनका पिता कहलाने का अधिकारी। था, उनक अपने पिता केवल जन्म देने के कारण मात्र थे। यहाँ कवि यही भाव प्रस्तुत करना चाहते हैं कि वास्तव में पिता अपनी सन्तान का पालन-पोषण, रक्षण, शिक्षण सब कुछ करता है तभी वह पिता कहलाने का अधिकारी होता है और ये सारे, कार्य राजा दिलीप अपनी प्रजा के लिए कर रहे थे अतः वह ही उनके सच्चे अर्थों में पिता कहलाने के अधिकारी थे, उनके अपने पिता नहीं।

English-King Dilipa used to take proper care of the education, protection, nourishment etc. of his subjects. This is the responsibility of the father. So he was the real father of his subjects and their own fathers were the cause of giving birth to them only.

संस्कृत-राजा दिलीपः स्वप्रजानां पालनं, रक्षणं, शिक्षणं च करोति स्म। पिता सः एव — कथयितुं शक्यते यः स्वप्रजानामेतानि कार्याणि सम्पादयति । अतः स एव तासां पिता आसीत्। अयमेव भावः अस्ति अस्याः पंक्तेः । प्रजानां पितरः तु केवलं जन्महेतवः आसन् ।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

(घ) अनन्यशासनामुर्वी शशासैकपुरीमिव।
उत्तर-
हिन्दी-राजा दिलीप चारों ओर समुद्र से घिरी हुई सम्पूर्ण पृथ्वी पर अकेले बिना किसी परिश्रम के शासन करते थे तथापि उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि जैसे वे इतने विशाल राज्य के शासक हों । उन्होंने हमेशा ऐसा अनुभव किया कि जैसे वे छोटी-सी नगरी पर शासन कर रहे हों। इस प्रकार यहाँ कवि यही कहना चाहते हैं कि इतनी विशाल पृथ्वी पर भी राजा दिलीप पल शासन कर रहे थे जैसे वे एक छोटी-सी नगरी पर शासन कर रहे हों क्योंकि उन्हें शासन में किसी प्रकार का कोई कष्ट भी अनुभव नहीं हो रहा था।

English-King Dilipa alone ruled over the whole earth as a small city and he did not face any difficulty even in ruling the whole earth. So, he was such an experienced and efficient ruler that he easily and efficiently ruled over the whole earth without facing any difficulty—this is the idea of this line.

संस्कृत,-अस्याः पंक्तेः अयमेव भावः यत् राजा दिलीपः अतियोग्यः शासकः आसीत्। सम्पूर्णां पृथ्वीं सः एकाकी एव पालयति स्म, तत्रापि सः किमपि कष्टं नानुभवति स्म । सम्पूर्णामेव पृथ्वीं सः लघुपुरीमिव पालयति स्म-इदमेव कथयितुं वाञ्छति कविः अत्र ।

प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु विपरीतार्थमेलनं कुरुत
उत्तर-
1. यौवने = वार्धक्ये
2. मौनम् = चपलताम्
3. त्याज्यः = ग्राह्यः
4. शशासं = शासनम् न अकरोत्
5. क्षता = अक्षता।

प्रश्न 6.
अधोलिखितेषु प्रकृति-प्रत्यय-विभागः क्रियताम्-.
उत्तर-
1. आगत्य = आ + गम् धातु, ल्यप् प्रत्यय।
2. उत्स्रष्टुम् = उत् + सृज् धातु, तुमुन् प्रत्यय।
3. समंत = सम् + मन् धातु, क्त प्रत्यय।
4. त्याज्यः = त्यज् धातु, यत् प्रत्यय।
5. शिष्टः = शास् धातु, क्त प्रत्यय।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

प्रश्न 7.
सन्धिम् सन्धि-विच्छेदं वा कुरुत
उत्तर-
1. तनुवाग्विभवोऽपि =तनुवाग्विभवः + अपि।
2. योगेनान्ते = योगेन + अन्ते।
3. ताभ्यः + बलिम् = ताभ्यो बलिम्।

प्रश्न 8.
अधोलिखितस्य श्लोकद्वयस्य अन्वयं कुरुत
(i) प्रजानां विनयाधानाद्रक्षणाद्भरणादपि।
स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।।
उत्तर
प्रजानाम् विनयाधानात् रक्षणात् भरणात् अपि सः पिता, तासाम् पितरः केवलम् जन्महेतवः।

(ii) स वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम् ।
अनन्यशासनममुर्वी शशासकैकपुरीमिव ।।
उत्तर- सः वेलावप्रवलयाम् परिखीकृतसागराम् अनन्यशासनाम् उर्वीम् एकपुरीम् इव शशास।

प्रश्न 9.
अधोलिखितेषु विशेषण-विशेष्ययोः मेलनं कुरुत
उत्तर
विशेषण – विशेष्य
1. माननीयः – मनुः
2. राजेन्दुः – दिलीपः
3. जन्महेतवः – पितरः
4. उरगक्षता – अङ्गली
5. तस्य – आर्तस्य

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः Summary Translation in Hindi and English

1. त्यागाय संभृतार्थानां सत्याय मितभाषिणाम्।
यशसे विजिगीषूणां प्रजायै गृहमेधिनाम् ।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 1
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 2
हिन्दी-अनुवाद-जो दान करने के लिए धन इकट्ठा करते थे, सत्यपालन के लिए कम बोलते थे, यश फैलाने के लिए विजय प्राप्त करते थे तथा सन्तान प्राप्ति के लिए विवाह करते थे।
English-Translation – Those who collected wealth to donote only, who used to speak very little to protect truth, used to win to spread fame and used to marry to get off spring.

2. शैशवेऽभ्यस्तविद्यानाम् यौवने विषयैषिणाम् ।
वार्द्धके मुनिवृत्तीनां योगेनान्ते तनुत्यजाम् ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 3
हिन्दी-अनुवाद-जो बाल्यावस्था में विद्याभ्यास करते थे, युवावस्था में विषयों का उपभोग करते थे, वृद्धावस्था में मुनियों के समान तपस्या करते थे, अन्त में परमात्मा का ध्यान करते हुए शरीर का त्याग करते थे।
English-Translation-Who used to achieve education in childhood, who used to enjoy worldly- pleasures in their youth, who used to perform penance like the sages in their old age and who used to give up their lives by meditation at last.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

3. रघूणामन्वयं वक्ष्ये तनुवाग्विभवोऽपि सन्।
तदगुणैः कर्णमागत्य चापलाय प्रचोदितः।।..
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 4
हिन्दी-अनुवाद-यद्यपि मेरी वाणी में सामर्थ्य कम है फिर भी उपरोक्त गुणों से युक्त रघुवंशियों के कुल का ही मैं वर्णन करूंगा, क्योंकि उनके गुणों ने मेरे कान के समीप आकर मुझे प्रेरित किया है।
English-Translation—Though I have very little power of speech still I will describe the family of the Raghu’s race because their merits have inspired me to do so.

4. ‘वैवस्वतो मनुर्नाम माननीयो मनीषिणाम्।
आसीन्महीक्षितामायः प्रणवश्छन्दसामिव ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 5
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 6
हिन्दी -अनुवाद-जिस प्रकार वेदों में सर्वप्रथम ओंकार (महत्वपूर्ण) है उसी प्रकार राजाओं में सर्वप्रथम तथा विद्वानों में अत्यन्त पूज्य विवस्वान् के पुत्र मनु नामक हुए। English-Translation-There was king Manu, son of Vivasvan (God Sun) who was the first king and very respectable among the scholars as Om is very respectable (and pronounced in the beginning) of the Vedas.

5. तदन्वयेशुद्धिमति प्रसूतः शुद्धिमत्तरः।
दिलीप इति राजेन्दुिरिन्दुः क्षीरनिधाविव ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 7
हिन्दी-अनुवाद-मनु के उस अत्यन्त पवित्र वंश में उस वंश से भी अधिक पवित्र श्रेष्ठ राजा दिलीप उसी प्रकार हुए जैसे समुद्र से अत्यधिक पवित्र चन्द्रमा उत्पन्न हुआ है।
English-Translation-Just as very scared moon comes out of the sacred ocean, similarly the great king Dilipa took birth in the sacred race of Manu.

6. आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः।
आगमैः सदृशारम्भः आरम्भसदृशोदयः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 8
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 9
हिन्दी-अनुवाद-राजा दिलीप की बुद्धि उनके शरीर की आकृति जैसी तीक्ष्ण थी, तीक्ष्ण बुद्धि के अनुसार शास्त्रों का अभ्यास बहुत अच्छा करते थे, शास्त्रों के अभ्यास के अनुसार कार्यों का आरम्भ बहुत अच्छा करते थे तथा कार्यारम्भ उत्तम होने से उन्हें सफलता भी उत्तम मिलती थी।
English Translation-King Dilipa had very sharp intellect like his beautiful body. He used to study shastras seriously according to his . sharp intellect. He used to begin his works beautifully according to his sharp intellect and he used to obtain good result according to beginning the works beautifully.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

7. प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमगृहीत्।
सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते हि.रसं रविः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 10
हिन्दी-अनुवाद-जिस प्रकार सूर्य अपनी किरणों से जल सोखकर (वर्षा के रूप में) हजार गुणा देता है उसी प्रकार राजा दिलीप भी अपनी प्रजा से कर लेकर (उनके कल्याण के लिए) हजार गुणा करके दे देता था।
English-Translation Just as sun absorbs water from the occean and returns it in thounsand times in the form of rain, similarly king Dilipa also collected tax from his subjects but used to spend that thousand times for their welfare only.

8. ज्ञाने मौनं क्षमा शक्तौ त्यागे श्लाघाविपर्ययः।
गुणा गुणानुबन्धित्वात्तस्य सप्रसवा इव ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 11
हिन्दी-अनुवाद-जानते हुए भी चुप रहना, शक्ति होते हुए भी क्षमा करना, दान देकर भी आत्मप्रशंसा न करना आदि विरोधी गुण राजा दिलीप में सगे भाई की तरह रहते थे।
English Translation-King Dilipa used to remain silent even if he knew the things, he used to forgive even if he was powerful and he used to donate but never expected self-praise-so such contradictory qualities existed in him peacefully just like real brothers.

9. प्रजानां विनयाधानाद्रक्षणाद्भरणादपि।
स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 12
हिन्दी-अनुवाद-अपनी प्रजा को विनम्रता की शिक्षा देने से, उनकी रक्षा करने से तथा उनका पालन-पोषण करने से राजा दिलीप ही वास्तव में उनके पिता थे, उनके अपने पिता
तो केवल जन्म देने का कारण मात्र थे।
English-Translation–King Dilipa was the real father of his subjects by teaching them good-conduct (or politeness), by protecting them and by nourishing them up and their parents were parents by giving them birth only.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

10.द्वेष्योऽपि संमतः शिष्टस्तस्यार्तस्य यथौषधम् ।
त्याज्यो दुष्टः प्रियोऽप्यासीदगुलीवोरगक्षता।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 13
हिन्दी-अनुवाद-सज्जन शत्रु होते हुए भी राजा दिलीप को वैसे ही प्रिय था जैसे रोगी की औषधि प्रिय होती है तथा दुष्ट प्रिय होते हुए भी वैसे ही त्याज्य था जैसे साँप से इसी हुई अंगुली।
English-Translation—He loved gentleman very much being enemy even just as the medicine is liked by the patient even if it is not sweet and the wicked being his relative even was to be abandoned for him like the finger bitten by the snake.

11. स वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम् ।
अनन्यशासनममुर्वी शशासैकपुरीमिव ।।
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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 15
हिन्दी-अनुवाद-उस राजा दिलीप ने समुद्र के तटरूपी परकोटे वाली तथा सागर रूपी चारदीवारी वाली, दूसरे राजा के शासन से रहित सम्पूर्ण पृथ्वी का शासन बिना किसी परिश्रम दे ऐसे किया जैसे कोई एक नगरी का शासन करता है।
English Translation-That King Dilipa alone ruled the whole-earth easily like a small city the earth which was having the bank of the ocean as its ramparts and the boundary wall as the ocean.

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

अभ्यासः

एकपदेन उत्तरत
प्रश्न 1.
(क) एकशरीरसंक्षिप्ता का रक्षितव्या?
उत्तर
पृथिवी।

(ख) शरीरे कः प्रहरति?
उत्तर
अरिः

(ग) स्वजनः कुत्र प्रहरति?
उत्तर
हृदये।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

(घ) कैकेय्याः भर्ता केन समः आसीत् ?
उत्तर
शक्रेण।

(ङ) कः मातुः परिवादं श्रोतुं न इच्छति?
उत्तर
रामः

(च) केन लोकं युवतिरहितं कर्तुं निश्चयः कृतः?
उत्तर
लक्ष्मणेन।

(छ) प्रतिमा नाटकस्य रचयिता कः?
उत्तर
महाकविर्भासः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) रामस्य अभिषेकः कथं निवृत्तः?
उत्तर
कैकेय्याः वचनात् रामस्य अभिषेकः निवृत्तः।

(ख) दशरथस्य मोहं श्रुत्वा लक्ष्मणेन रोषेण किम् उक्तम् ?
उत्तर
दशरथस्य मोहं श्रुत्वा लक्ष्मणेन उक्तम्-धुनः स्पृश मा दयाम्

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

(ग) लक्ष्मणेन किंकर्तुं निश्चयः कृतः?
उत्तर
लक्ष्मणेन लोकं युवतिरहितं कर्तुं निश्चयः कृतः।

(घ) रामेण त्रीणि पातकानि कानि उक्तानि?
उत्तर
ताते धनुः मुञ्चनम्, मातरि च शरम्, अनुजं भरतं हननम् च इति रामेण त्रीणि पातकानि उक्तानि।

(ङ) रामः लक्ष्मणस्य रोषं कथं प्रतिपादयति?
उत्तर
रामः लक्ष्मणस्य रोष प्रतिपादयितुं तातस्य, मातुः भरतस्य. वापि हन्तुं कथयति।

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) मया एकाकिना गन्तव्यम्।
उत्तर
केन एकाकिना गन्तव्यम् ?

(ख) दोषेषु बाह्मम् अनुजं भरतं हनानि।
उत्तर
केषु बाह्मम् अनुजं भरतं हनानि?

(ग) राज्ञा हस्तेन एव विसर्जितः।
उत्तर
केन हस्तेन एव विसर्जितः?

(घ) पार्थिवस्य वनगमननिवृत्तिः भविष्यति।
उत्तर
कस्य वनगमननिवृत्तिः भविष्यति?

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

(ङ) शरीरे अरिः प्रहरति।
उत्तर
कुत्र अरिः प्रहरति?

प्रश्न 4.
अधोलिखितेषु संवादेषु कः कं प्रति कथयति इति लिखत
उत्तर
संवादः – कः कथयति? – के प्रति कथयति.
(क) एकशरीर संक्षिप्ता पृथिवी रक्षितव्या। रामः। – काञ्चुकीयं – प्रति।
(ख) अलमुपहतासु स्त्रीबुद्धिषु स्वमार्जवमुप निक्षेप्तुम् । – काञ्चुकीयः – रामं प्रति।
(ग) नवनृपतिविमर्शे नास्ति शङ्का प्रजानाम्। – रामः । – काञ्चुकीयं प्रति
(घ) रोदितव्ये काले सौमित्रिणा धनुर्गृहीतम्। – सीता। – राम प्रति।
(ड) न शक्नोमि रोषं धारयितुम्। – लक्ष्मणः।। – रामं प्रति।
(च) एनामुद्दिश्य देवतानां प्रणामः क्रियते। – सीता। – रामं प्रति।
(छ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः। – लक्ष्मणः। – रामं प्रति।

प्रश्न 5.
पाठमाश्रित्य ‘रामस्य’ ‘लक्ष्मणस्य’ च चारित्रिक-वैशिष्ट्यं हिन्दी/अंग्रेजी-संस्कृत भाषया लिखत।
उत्तर
रामस्य चारित्रिक वैशिष्ट्यम्
रामः भातृभक्तः पितृभक्तः चास्ति। सः स्वानुजेषु स्निह्यति। कैकेयी स्वपुत्राय भरताय राज्यं वाञ्छति, रामाय च वनवासम्-इति ज्ञात्वा अपि रामः तस्याः निन्दां श्रोतुं न तत्परः। एवं तां प्रति तस्य अनन्या भक्तिभावना दृश्यते । वनगमनस्य पितरादेशं सः सहर्ष स्वीकरोति। अनेन तस्य पितृभक्तिः स्पष्टरूपेण दरिदृश्यते। भरते लक्ष्मणे च तस्य स्नेहभावना पदे पदे दृश्यते। आभिरेव विशेषताभिः सः नाटकस्य नायकपदम् अलंकरोति।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

राम के चरित्र की विशेषताएँ

पाठ के आधार पर श्री राम के चरित्र में मातृ-पितृ भक्ति, बड़ों का सम्मान, अपनी प्रजा तथा छोटे भाइयों के प्रति स्नेह की भावना आदि गुण स्पष्ट दिखाई देते हैं। जब काञ्चुकीय उनकी राज्यच्युति तथा चौदह वर्षों के वनवास का कारण माता कैकेयी को बताता है तो वह इसमें माता की दुर्भावना न मानकर किसी अच्छे परिणाम के बारे में ही कहते हैं। वह माता के बारे में कुछ भी अपशब्द सुनने को तैयार नहीं होते।

इस प्रकार माता के प्रति उनकी अनन्य भक्ति भावना लक्षित होते है। पिता के द्वारा दी गई वनगमन की आज्ञा को वे सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं, इससे पिता के प्रति उनकी अद्भुत आदरभावना भी प्रकट होती है। कैकेयी के द्वारा भरत । के लिए राज्य माँगने पर वे उससे तनिक भी ईर्ष्या नहीं करते। लक्ष्मण के प्रति उनका अथाह स्नेह भी झलकता है। यहाँ वे लक्ष्मण से सीता को वनगमन से रोकने का आग्रह करते हैं-उनकी यही चारित्रिक विशेषताएँ उन्हें नाटक का नायक सिद्ध करती हैं।

Characteristics of Rama:

According to this lesson Rama is depicted as the devotee of his parents. He respects his elders and loves his youngers and his subjects also. When Kaikeyi is declared to be the cause of the loss of his kingdom, he is not at all prepared to listen against his mother Kaikeyi. This shows his feeling of devotion towards his step mother even. When his father Dashratha asks him to go the forest he happily accepts his order.

Thus he has full faith in his father. He has attachment towards his younger brothers. He is not at all jealous when  Kaikeyi demands for kingdom for his son Bharata. He loves Lakshmana very much. He asks Lakshmana, to prevent Sita from going to the forest-all of these characteristics make him the hero of the play.

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लक्ष्मणस्य चारित्रिक वैशिष्ट्यम्

राम इव लक्ष्मणः अपि पितृभक्तःअस्ति किन्तु तस्मिन् विनम्रतायाः अभावः दृश्यते । सः . अतीव क्रोधी उद्धतः चास्ति । भरताय राज्यप्राप्तिं विज्ञाय सः कैकेयी प्रति अपशब्दान् उच्चारयति ।

सः अखिलं लोकं युवतीहीनं कर्तुं वाञ्छति । सः राममपि धनुः धारयितुं कथयति । एवं सः अतीव उद्धतः अस्ति किन्तु सः रामस्य उपासकः भक्तः चास्ति। लक्ष्मण के चरित्र की विशेषताएँ राम की तरह लक्ष्मण भी पितृभक्त तथा बड़े भाई का सम्मान करने वाला है किन्तु वह शीघ्र क्रोधयुक्त हो जाता है। कैकेयी के द्वारा भरत, के लिए राज्य माँग लेने पर. वह सारे विश्व को युवतीहीन कर देना चाहता है। राम का वनवास सुनकर जब दशरथ मूर्च्छित हो जाते हैं तो वह शीघ्र राम से धनुष उठाने को कहता है। इस प्रकार वह अत्यन्त उद्धत स्वभाव का है लेकिन राम का वह सच्चा उपासक तथा भक्त है।

Characteristics of Lakshmana

Like Rama, Lakshmana also is a true devotee of his elders and his parents. But he becomes angry very soon. When Kaikeyi demands kingdom for his son Bharata and asks Rama to go to the forest for fourteen years, he becomes extremely angry. He wants to destroy all the ladies of the world. He asks Rama to uphold the bow. So, he is extremely arrogant but he is the real devotee of Rama.

प्रश्न 6.
पाठात् चित्वा अव्ययपदानि लिखत-उदाहरणानि ननु, तत्र……….।
उत्तर
अथ, अत्र, च, खलु, श्रोतुम्, पुरतः, कर्तुम्, इदानीम् आदि ।

प्रश्न 7.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृति-प्रत्ययौ पृथक् कृत्वा लिखत
उत्तर
(क) परित्रातव्य = त्रा धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ख) वक्तव्यम् = वच् धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ग) रक्षितव्या = रक्षु धातु + तव्यत् प्रत्यय।।
(घ) भवितव्यम् = भू धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ड) पुत्रवती = पुत्र शब्द + वतुप् प्रत्यय।
(च) श्रोतुम् = श्रु धातु + तुमुन् प्रत्यय ।
(छ) विसर्जितः = सृज् धातु + क्त प्रत्यय।.
(ज) गतः = गम् धातु + क्त प्रत्यय ।
(झ) क्षोभितः = क्षुभ् धातु + क्त प्रत्यय।
(ञ) धारयितुम् = धृ धातु + तुमुन् प्रत्यय ।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

प्रश्न 8.
अधोलिखितानां पदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः
उत्तर
(क) शरीरे = आत्मा शरीरे वसति ।
(ख) प्रहरति = अरिः शरीरे प्रहरति ।
(ग) भर्ता = ईश्वरः संसारस्य भर्ता अस्ति।
(घ) अभिषेकः = देवालये ईश्वरस्य अभिषेकः क्रियते।।
(ड) पार्थिवस्य = इयं पार्थिवस्य प्रतिमा अस्ति।
(च) प्रजानाम् = राजा प्रजानां पालकः भवति।
(छ) हस्तेन = सः हस्तेन तर्जयति।
(ज) धैर्यसागरः = लक्ष्मणः धैर्यसागरः कथितः।
(झ) पश्यामि = अहमेकं सिंहं पश्यामि ।
(ञ) करेणुः = करेणुः पङ्के क्रीडति।
(ट) गन्तव्यम् = अधुना त्वंया न गन्तव्यम् ।

प्रश्न 9.
अधोलिखितानां स्वभाषया भावार्थं लिखत

(क) शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा ।
उत्तर
शत्रु के कटु शब्दों का कष्ट बाह्य अंगों पर पड़ता है किन्तु अपने सगे सम्बन्धियों की बातों का कष्ट हृदय पर पड़ता है जो अत्यन्त दुःखदायक होता है। अंगों के घाव तो धीरे-धीरे भर जाते हैं किन्तु हृदय के घाव आसानी से नहीं भरते। वे मनुष्य को जीवन-भर कचोटते, कष्ट पहुँचाते रहते हैं-यही भाव अभिव्यक्त किया गया है. यहाँ।

(ख) नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजानाम्।
उत्तर
जब काञ्चुकीय श्रीराम से कहता है कि कैकेयी के कहने से आपका अभिषेक रुक गया है तब श्री राम इसमें अनेक अच्छाइयाँ. या गुण बताते हुए कहते हैं कि राज्याभिषेक न होने का एक लाभ यह होगा कि प्रजा के मन में ऐसी कोई चिन्ता नहीं रहेगी कि नया राजा कैसा होगा क्योंकि पुराने राजा के स्वभाव आदि से सारी प्रजा परिचित होगी। अतः इन पंक्तियों का भाव यही है कि पुराना राजा बने रहने से प्रजा की चिन्ता अब बिलकुल समाप्त हो गई।

(ग) यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयाम्।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में लक्ष्मण का कैकेयी के प्रति रोष प्रकट किया गया है। कैकेयी के दुर्वचनों से ही राजा दशरथ मूर्छित हुए हैं जो किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा । अतः लक्ष्मण कहते है कि यदि आप राजा दशरथ की मूर्छा की बात को सहन नहीं कर पा रहे तो इसका प्रतिकार प्रकट करने के लिए धनुष धारण क्यों नहीं करते, क्यों आप शान्तिपूर्वक बैठे हो। कैकेयी के प्रति दया भावना को त्यागकर आपको शीघ्र धनुष धारण करना चाहिए- यही भाव अभिव्यक्त करना चाहता है कवि यहाँ अर्थात् कैकेयी के प्रति केवल शब्दों से नहीं अपितु धनुष उठाकर, प्रहार करके आपको अपना रोष तथा राजा की मूर्छा को न सहन कर पाने की भावना प्रकट करनी चाहिए।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

(घ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में जब राम लक्ष्मण को यह समझाते हैं कि तुम क्यों इतना क्रोध कर रहे हो, चाहे भरत राजा बनें या मैं-इसमें कोई अन्तर नहीं, तब लक्ष्मण श्री राम से कहते हैं कि जिस राज्य के कारण इतना भयंकर दुःख उत्पन्न हुआ है उस राज्य के विषय में मुझे कोई अभिलाषा नहीं है किन्तु मुझे इस बात से दुःख है कि आपको चौदह वर्ष का वनवास का कष्ट भी तो सहन करना होगा। अर्थात् लक्ष्मण को श्रीराम के वनवास का कष्ट अधिक पीड़ा पहुँचा रहा है, राजा कोई भी बन जाए उन्हें अभिलाषा नहीं है।

प्रश्न 10.
अधोलिखितेषु सन्धिच्छेदः कार्यः
उत्तर-
1. रक्षितव्येति = रक्षितव्या + इति।
2. गुणेनात्र = गुणेन + अत्र।
3. शरीरेऽरिः = शरीरे + अरिः।
4. स्वजनस्तया = स्वजनः + तथा।।
5. येनाकार्यम् = येन + अकार्यम् ।
6. खल्वस्मत् = खलु + अस्मत्।
7. किमप्यामितम् = किम् + अपि + अभिमतम् ।
8. हस्तेनैव = हस्तेन + एव।
9. दग्धुकामेव = दग्धुकामा + इव.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 3 मातुराञा गरीयसी Summary Translation in Hindi and English

संकेत-काञ्चुकीयः-परित्रायतां………….. नास्ति प्रतीकारः ।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी 1
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी 2

हिन्दी सरलार्थ-(प्रवेश करके)
काञ्चुकीय-कुमार, बचाइए, बचाइए।
राम-आर्य: किसे बचाना है?
काञ्चुकीय-महाराज को।
राम-महाराज को? आर्य, तो यह कहो कि एक शरीर में स्थित समस्त पृथ्वी की रक्षा . करो। अच्छा तो यह विपत्ति कहाँ से आई?
काञ्चुकीय-अपने ही व्यक्ति से।
राम-क्या अपने ही व्यक्ति से । हाय। तब तो इसका निवारण (दूर करने का उपाय) । भी नहीं हो सकता।

Meaning in English-(Having entered)
Kanchukiya-Oh! Prince! Please protect.
Ram-Oh Gentleman! Who is to be protected?
Kanchukaye-Our great king.
Ram-Is the great king (to be protected)? Then say, protect the whole earth, existing in one body (that is the king). Then tell, from whom did this problem take place?

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

Kenchukiye-From our own person. Oh! Then it cannot be overcome.

1. शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा।
कस्य स्वजनशब्दो मे लज्जामुत्पादयिष्यति।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी 3
हिन्दी सरलार्थ-शत्रु शरीर पर प्रहार करता है किन्तु स्वजन (अपने लोग) हृदय – पर चोट करते हैं। किसके लिए प्रयुक्त स्वजन शब्द मुझे लज्जित कराएगा?
Meaning in English-The enemy attacks on the external parts of, the body while the near relatives attack on the heart. The word ‘one’s own relatives or people’ is used for whom and will cause shame for …… me(I do not know)?

संकेत-काञ्चुकीयः-तत्रभवत्याः…………………….. श्रूयताम्
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी 4

हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-आदरणीय कैकेयी से यह आपत्ति आई।
राम-क्या माताजी से? तब तो इसका परिणाम अवश्य ही अच्छा होगा।
काञ्चुकीय – कैसे?
राज – सुनो
English-Translation
Kanchukiya—This problem has come from Kaikeyi’s side.
Ram-What, from mother’s side? Then it will definitely have a good result.
Kanchukiya-How?
Ram-Listen.

2.यस्याः शक्रसमो भर्ता मया पुत्रवती च या।
फले कस्मिन् स्पृहा तस्या येनाकार्यं करिष्यति।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी 5
हिन्दी सरलार्थ-जिसका पति इन्द्र क समान है और मैं जिसका पुत्र हूँ उसे किस . फल की अभिलाषा हो सकती है, जिसके लिए वह ऐसा बुरा काम करेंगी?
Meaning in English-Whose husband is like Indra and who has the son like me, to fufifil which desire she will do such an evil deed?

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 मातुराञा गरीयसी

संकेत-काञ्चुकीयः-कुमार! अलमुपहतासु ……………………… श्रूयताम्,
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हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-कुमार! स्वभाव से बुराई की ओर जाने वाली स्त्री बुद्धियों पर अपने सरल स्वभाव का आरोपण मत करो। उसी के कहने से आपका अभिषेक होते होते रुक गया है।
राम-आर्य! इसमें निश्चित ही बहुत-सी भलाइयाँ हैं।
काञ्चुकीय – कैसे?
राम – सुनो

English-Translation
Kanchukiya-Oh prince! Don’t think of simplicity about the mentality of ladies who have bad-intention. Your corontion has been stopped by her words only.
Ram-Oh gentleman! There are definitely good things in it
Kanchukiya-How?
Ram-Listen

3. वनगमननिवृत्तिः पार्थिवस्यैव ताव
न्मम पितृपरवत्ता बालभावः स एव ।
नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजाना
मथ च न परिभोगैर्वञ्चिता भ्रातरो मे।।
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हिन्दी सरलार्थ-(प्रथम) तो राजा का वन जाना रुक गया, दूसरे-मैं पिता के अधीन. ही रह गया, तीसरा-मुझे बचपन का आनन्द लेने का अवसर मिल गया, चौथा नया राजा कैसा होगा-प्रजा को ऐसी चिन्ता भी नहीं होगी और अन्तिम लाभ यह है कि मेरे भाई राजा के भोगों से भी वचिंत नहीं हुए।
Meaning in English-The first benefit of it is that the king will not go to the forest now, secondly I am still under the protection of respected father, thirdly I can still enjoy the childhood, fourthly the people will not be worried about the nature of the new king and lastly my dear brothers can still enjoy the pleasures of the kingdom.

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संकेतं-काञ्चुकीयः-अथ च …………………..कुतः
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हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-उसने जो बिना बुलाए आकर राजा से यह कहा कि भरत का राजपद पर अभिषेक करो, क्या यह लोभ के बिना है? … राम-आर्य, आप हम पर अधिक स्नेह रखने के कारण वास्तविकता को नहीं देख पा रहे हैं। क्योंकि-
English Translation
Kanchukiya-She came here without being called and said that Bharata may be coronated as the king-does her this saying not contain greed?
Ram-Oh gentleman! You do not see reality by having too much of affection in me. Because

4. शल्के विपणितं राज्यं पत्रार्थे यदि याच्यते।
तस्या लोभोऽत्र नास्माक भ्रातृराज्यापहारिणाम्।।
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हिन्दी सरलार्थ-विवाह-शुल्क में पुत्र के लिए प्रतिज्ञा किए हुए राज्य को वह माँग रही है-इसमें उसका लोभ है, किन्तु क्या भाई के राज्य को छीनने वाले हम लोगों की बुरी भावना . लोभ नहीं है?
Meaning in English-She is demanding for his son the kingdom which was promised at the time of marriage–this shows her greed but we want to snatch the kingdom of our brother–does this ill-feeling not show greed?

संकेत-काञ्चुकीयः-अथ …………….. ततस्तदानीम,
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हिन्दी-अनुवाद
काञ्चुकीय-तब फिर…..!
राम-इससे अधिक मैं माताजी की निन्दा सुनना नहीं चाहता। महाराज का कुशल समाचार बताइए।
काञ्चुकीय-तब, उस समय,
English-Translation Kanchukiya Then…..
Ram-I do not want to hear mother’s criticism anymore. Tell me the well-being of the great-king.
Kanchukiya— Then, at that time.

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5. शोकादवचनाद् राज्ञा हस्तेनैव विसर्जितः।
किमप्यभिमतं मन्ये मोहं च नृपतिर्गतः।।
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हिन्दी सरलार्थ-शोक के कारण महाराज कुछ बोल न सके, तब उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे जाने को कहा। इससे मैं समझता हूँ कि (आपके वियोग को सहन न कर पाने से) राजा किसी अभीष्ट मूर्छा को प्राप्त हो गए।
Meaning in English-Being grieved, the king could not speak and; by waving his hand he asked me to go. By us I think that the king willingly fainted due to the sorrow of your separation.

संकेत-रामः- कथं मोहमुपगतः।………….विलोक्य

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हिन्दी-अनुवाद राम-क्या, मूर्छित हो गए।
क्या! क्या! मूर्छित हो गए?
यदि राजा का मूर्छित होना नहीं सह सकते, तो धनुष उठाओ दया छोड़ो।
राम-(सुनकर, सामने देखकर)
English-Translation
Ram-What, he became senseless?
(Behind the curtain)
What, What, he lost the senses?
If you cannot hear the news that he became senseless, then hold the bow,give up mercy.
Ram-(On hearing, looking in front.)

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6. अक्षोभ्यः क्षोभितः केन लक्ष्मणो धैर्यसागरः।
येन रुष्टेन पश्यामि शताकीर्णमिवाग्रतः।। (तः प्रविशति लक्ष्मणः)
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हिन्दी सरलार्थ-क्षुब्ध न होने वाले धैर्य के सागर लक्ष्मण को किसने उत्तेजित कर दिया? क्रुद्ध हुआ वह ऐसा लगता है कि जैसे मेरे आगे सैंकड़ों वीर हों। (तब हाथ में धनुष-बाण लिए हुए लक्ष्मण का प्रवेश)
Meaning in English-Who has irritated Lakshmana who is the ocean of patience and who never gets irritated? Being angry he alone appears to be hundred of warriors standing in front of me… (Then enters Lakshmana taking bow and arrow in his hand.)

7. लक्ष्मणः-(सक्रोधम्) कथं कथं मोहमुपगत इति।
यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयां
स्वजननिभृतः सर्वोप्येवं मूदुः परिभूयते।
अथ न रुचितं मुञ्च त्वं मामहं कृतनिश्चयो
युवतिरहितं लोकं कर्तुं यतश्छलिता क्यम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ लक्ष्मण-(क्रोध से) क्यों, क्यों मूर्छित हो गए? ” यदि महाराज का मूर्छित होना नहीं सह सकते तो धनुष उठाओ, दया मत करो। स्वजनों के कार्यों पर चुपचाप विनम्र बने रहने वाले कोमल स्वभाव वाले पुरुषों का इसी प्रकार तिरस्कार होता है किन्तु यदि आपको धनुष उठाने की बात पसंद न हो तो मुझे आज्ञा दीजिए, मैंने इस संसार को युवति-रहित करने का निश्चय किया है, क्योंकि एक युवति ने हमें छल लिया है।

Meaning in English-
Lakshmana (Angrily)-Why, why is he senseless?
” If you cannot bear the state of being senselessness of the great king, : then hold the bow and don’t show mercy: The soft hearted people who tolerate the deeds of their relatives are insulted in this very way but if .you do not like the idea of upholding the bow, then please allow me to do so. I have firmly decided to make this world free from ladies because one lady has deceived us.

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संकेत-सीता-आर्यपुत्र! ……………….नाम
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हिन्दी-अनुवाद सीता-आर्यपुत्र! रोने के समय लक्ष्मण ने धनुष उठाया है। निश्चय ही इसका प्रयास आश्चर्यजनक है।
राम-लक्ष्मण! यह क्या है?
लक्ष्मण-क्या है? कैसे?
English-Translation
Sita-Dear husband! Lakshmana. took the bow at the time of :- weeping: His effort is really surprising.
Rama-Oh Lakshmana! What is this?
Lakshmana-What is this why?

8. क्रमप्राप्ते हृते राज्ये भुवि शोच्यासने नपे।
इदानीमपि सन्देहः किं क्षमा निर्मनस्विता।।
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हिन्दी सरलार्थ-क्रम-परम्परा से मिलने वाले राज्य के छीन लिए जाने पर तथा महाराज के शोचनीय स्थिति में पृथ्वी पर लेटने पर, अब भी आपको संदेह क्यों है? क्या यह क्षमा है या आत्माभिमानशून्यता?
Meaning in English-When, the kingdom which is achieved according to seniority is snatched away and the great king is lying on the earth in a critical state why are you still doubtful? Is it forbearance or absence of self-respect?

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9. रामः-सुमित्रामातः। अस्मद्राज्यभ्रंशो भवत उद्योगं जनयति। आः अण्डितः खलु भवान्।।
भरतो वा भवेद् राजा वयं वा ननु तत् समम् ।
यदि तेऽस्ति धनुश्श्लाघा सा राजा परिपाल्यतम् ।।
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हिन्दी सरलार्थ-राम-लक्ष्मण! हमारा राज्य से हीन होना तुम्हें इतना भड़का रहा है। ओह तुम निश्चय ही विवेक शून्य हो गए हो। चाहे भरत राजा हो अथवा मैं, तुम्हारे लिए . दोनों समान है। यदि तुम्हें अपनी धनुर्विधा पर गर्व है तो उस नए राजा भरत की रक्षा करो।
Meaning in English-Oh Lakshmana! You are so aggressive by the news of our loss of kingdom! Oh! You have really lost your wisdom. Whether Bharata becomes the king or I may be the king both are same for you. If you are proud of your archery then protect the new king Bharata.

संकेत-लक्ष्मणः-न शक्नोमि रोषं धारयितुम् । भवतु भवतु गच्छामस्तावत्। (प्रस्थितः)

10. रामः-त्रैलोक्यं दग्धुकामेव ललाटपुटसंस्थिता।
भृकुटिर्लक्ष्मणस्यैषा नियतीव व्यवस्थिता ।।
सुमित्रामातः। इतस्तावत्।
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हिन्दी सरलार्थ
लक्ष्मण-मैं क्रोध को नहीं रोक सकता। अच्छा मैं चलता हूँ। (प्रस्थान)
राम-संसार को भस्म करना चाहती हुई सी लक्ष्मण के मस्तक पर स्थित ये टेढ़ी भौंहे भाग्य के समान निश्चय किए हुए हैं। लक्ष्मण! इधर तो आओ।
Meaning in English
Lakshmana-I cannot control my anger: I am going now: (Goes)
Rama—These crooked eyebrows on the forehead of Lakshmana which seem to destroy the world are firm like destiny.
Oh Lakshmana! Come here.

संकेत-लक्ष्मणः-आर्य! अयमस्मि। .
रामः-भवतः स्थैर्यमुत्पादयता मयैवमभिहितम् । उच्यतामिदानीम् ।

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11. ताते.धनुर्नमयि सत्यमवेक्षमाणे
मुञ्चानि मातरि शरं स्वधनं हरन्त्याम् ।
दोषेषु बाह्यमनुजं भरतं हनानि
किं रोषणाय रुचिरं त्रिषु पातकेषु।।
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हिन्दी सरलार्थ लक्ष्मण-आर्य, मैं उपस्थित हूँ।
राम-तुम्हारा क्रोध शान्त करने के लिए मैंने ऐसा कह दिया। अब तुम्हीं बताओं। क्या मैं सत्य का पालन करने वाले पिता के विरुद्ध धनुष उठाऊँ? या राज्य को लेने वाली माता पर बाण चलाऊँ? या निर्दोष प्रिय भाई भरत का वंध करूँ? इन तीनों पापों में से कौन सा पाप ‘तुम्हारे क्रोध को शान्त करने के लिए उचित है? (किससे तुम्हारा क्रोध शान्त हो सकता है?)
Meaning in English
Lakshmana-Sir, I have come here.
Rama-I have said so just to pacify your anger. Now you tell May I hold the bow against father who always follows truth? Or I may throw arrow towards mother Kaikeyi who wants kingdom or I may kill my younger brother Bharata who has not committed any sin? Of these three sins, which sin can pacify your anger?

संकेत-लक्ष्मणः-(सवाष्पम्) हा धिक् ! अस्मानविज्ञायोपालभसे।

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12. यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः।
वर्षाणि किल वस्तव्यं चर्तुदश वने त्वया।। 

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हिन्दी सरलार्थ
लक्ष्मण-(आँसू भरकर) हाय! बड़े कष्ट की बात है? आप मेरे अभिप्राय को न समझकर मुझे उलाहना दे रहे हैं। जिस राज्य के कारण भयंकर दुःख उत्पन्न हुआ ऐसे राज्य की प्राप्ति में मेरी कोई अभिलाषा नहीं है। (यह मैं इसलिए कह रहा हूँ। कि आपको चौदह वर्षों तक वन में ही रहना होमा)…

Meaning in English-
Lakshmana-(With tears) Oh! It is very sad that you are taunting me without understanding my intention.
I am not at all interested in obtaining that kingdom which created lot of sorrow. I am saying so because you will have to stay in the forest for fairteen years now.

वन-रामः-अत्र मोहमुपगतस्तत्रभवान् । हन्त! निवेदितमप्रभुत्वम् । मैथिलि!

13. मलार्थेऽनया दत्तान् वल्कलास्तावदानय।
करम्यन्यैर्नृपर्धर्म नैवाप्तं नोपपादितम् ।।

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हिन्दी सरलार्थ
राम-क्या इसी कारण पिताजी मूर्छित हो गए? बड़े दुःख की बात है कि उन्होंने अपनी अधीरता प्रकट कर दी। हे सीता!
इसके द्वारा दिए गए वल्कल वस्त्रों को मंगल कार्य के सम्पादन के लिए ले आओ। मैं अब इस अवस्था में उस धर्म का पालन करूँगा जिसका पालन अन्य राजाओं के द्वारा नहीं किया गया।

Meaning in English
Rama-Did father become senseless due to this very reason only? Oh! It is very sad that he showed his intolerance. Oh Sita! Please bring the clothes of bark of trees which were given by her to fulfill this sacred deed. I will follow that righteous path in this small age now, which was not followed by other kings even.

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संकेत-सीता-गृहात्वार्यपुत्रः।………… वारयितुमत्रभवतीम्।
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हिन्दी सरलार्थ सीता-आर्यपुत्र, लीजिए। राम-सीता! क्या निश्चय किया? सीता-मैं तो आपकी सहधर्मचारिणी हूँ राम–मुझे तो अकेले ही वन में जाना है सीता-इसीलिए तो मैं आपके साथ चल रही हूँ। राम-वहाँ तो वन में रहना होगा। सीता-वह तो मेरे लिए महल होगा। … राम-सास-ससुर की सेवा भी तुम्हें करनी चाहिए। सीता-इसके लिए मैं देवताओं का प्रणाम करती हूँ। राम-लक्ष्मण ! इसे रोको। लक्ष्मण-आर्य! ऐसे शुभ अवसर पर आदरणीया को रोकने का साहस मुझमें नहीं है।

Meaning in English
Sita-Please take my dear husband.
Rama-Oh Sita! What have you decided?
Sita-lamyour ideal-wife.
Rama-I have to go alone to the forest.
Sita-That is why, I am going with you.
Rama-We will have to stay in the forest there.
Sita-That will be a palace for me.
Rama-It is your duty to serve your mother in law and father in law.
Sita-I bow to the Gods in.this respect (to excuse me)
Rama-Oh Lakshmana! Prevent her from going with us.
Lakshmana-Respected brother! I cannot prevent her from going ‘ at this good moment.

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हो। कैकेयी के प्रति दया भावना को त्यागकर आपको शीघ्र धनुष धारण करना चाहिए- यही भाव अभिव्यक्त करना चाहता है कवि यहाँ अर्थात् कैकेयी के प्रति केवल शब्दों से नहीं अपितु धनुष उठाकर, प्रहार करके आपको अपना रोष तथा राजा की मूर्छा को न सहन कर पाने की भावना प्रकट करनी चाहिए।

 

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