Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 17 भीम और हनुमान

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 17 भीम और हनुमान

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 17

प्रश्न 1.
द्रौपदी ने भीमसेन को क्या लाने के लिए कहा और क्यों ?
उत्तर:
द्रौपदी जब आश्रम के बाहर खड़ी थी तभी उनके पास एक सुंदर फूल आकर गिरा। ऐसा सुंदर फूल उसने पहले कभी नहीं देखा था। द्रौपदी ने भीमसेन से ऐसे ही कुछ और फूल लाने को कहा।

प्रश्न 2.
फूल की तलाश में निकले भीमसेन कहाँ पहुँचे ? वहाँ उन्होंने क्या देखा ?
उत्तर:
फूल की तलाश में निकले भीमसेन केले के पेड़ों के विशाल बगीचे के पास पहुंचे। उस बगीचे में एक भारी बंदर रास्ता रोके लेटा था।

प्रश्न 3.
भीमसेन के यह कहने पर कि मैं किसी जानवर को नहीं लाँघता, बंदर ने क्या कहा ?
उत्तर:
बंदर ने भीमसेन से कहा कि यदि मुझे लाँघना उचित न लगता हो तो मेरी इस पूँछ को उठाकर एक ओर रख दो।

प्रश्न 4.
भीमसेन को विस्मय क्यों हुआ ?
उत्तर:
भीमसेन जब उस बंदर की पूँछ उठाने लगे तो वह उनसे हिली भी नहीं। उनको इस बात का विस्मय हुआ कि आखिर यह महाबली कौन है?

प्रश्न 5.
भीमसेन के पूछने पर बंदर ने अपने बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
बंदर ने बताया कि मैं हनुमान हूँ।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 17 भीम और हनुमान

प्रश्न 6.
भीमसेन की श्रद्धा-भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान ने क्या आशीर्वाद दिया?
उत्तर:
हनुमान ने भीमसेन को आशीर्वाद देते हुए कहा-‘भीम युद्ध के समय तुम्हारे भाई अर्जुन के रथ पर फहराने वाली ध्वजा पर मैं ही विद्यमान रहूँगा। विजय तुम्हारी ही होगी।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 17

सुहावना मौसम था। द्रौपदी आश्रम के बाहर खड़ी थी। तभी एक सुंदर सा फूल द्रौपदी के पास आकर गिरा। द्रौपदी भीमसेन के पास जाकर बोली क्या तुम जाकर कुछ ऐसे ही फूल ला सकते हो। द्रौपदी की इच्छा पूरी करने के लिए भीमसेन फूल की तलाश में निकल पड़े। वे केलों के पेड़ों वाले बगीचे के पास पहुँचे। बगीचे के बीच एक बहुत भारी बंदर रास्ता रोके बैठा हुआ था। भीमसेन से उस बंदर ने कहा अस्वस्थ होने के कारण मैं लेटा हुआ था तुमने आकर मुझे जगा दिया। भीमसेन को उस बंदर की बातों पर बहुत क्रोध आया। भीमसेन ने अपना परिचय दिया और अपने रास्ते से हट जाने को कहा। बंदर ने कहा कि मैं उठने में असमर्थ हूँ इसलिए तुम मुझे लाँघकर आगे चले जाओ। भीमसेन ने कहा कि मैं किसी जानवर को लाँघना उचित नहीं समझता। बंदर ने कहा भाई मुझे जरा बताना कि वह हनुमान कौन था जो समुद्र को लाँघ गया था। भीमसेन ने कड़ककर कहा “क्या आप वीर हनुमान को नहीं जानते ? बंदर ने कहा-‘शांत हो जाओ यदि मुझे लाँघना अनुचित लगता है तो मेरी पूँछ को उठाकर इधर रख दो और चले जाओ। भीमसेन ने बंदर की पूँछ उठाने का बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह उसे हिला भी न सका। भीमसेन की बलिष्ठों के प्रति बहुत श्रद्धा थी। भीमसेन के पूछने पर बंदर ने बताया कि मैं ही हनुमान हूँ। भीमसेन का अहंकार चूर हो गया था। भीमसेन ने वीर हनुमान को दंडवत् प्रणाम किया। हनुमान ने आशीर्वाद देते हुए कहा युद्ध के समय तुम्हारे भाई अर्जुन के रथ पर फहराने वाली ध्वजा पर विद्यमान रहँगा। विजय तुम्हारी ही होगी। इसके बाद हनुमान ने भीमसेन को झरने के पास खिले हुए सुंगधित फूल दिखाए। भीमसेन द्रौपदी के लिए खिले हुए सुंदर फूल लेकर आ गया।

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