Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 25 राजदूत संजय

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 25 राजदूत संजय are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 25 राजदूत संजय

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 25

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर ने किसे दूत बनाकर हस्तिनापुर भेजा ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने पांचाल नरेश के पुरोहित को दूत बनाकर हस्तिनापुर भेजा। दूत ने जाकर कहा कि पांडव युद्ध नहीं चाहते अतः आप उनको उनका राज्य देने की कृपा करें।

प्रश्न 2.
भीष्म ने कर्ण से क्रोधित होकर क्या कहा ?
उत्तर:
भीष्म ने कर्ण से कहा कि तुम बेकार कर रहे हो यदि हम युधिष्ठिर के दूत के कहे अनुसार संधि नहीं करेंगे, तो निश्चय ही युद्ध छिड़ जाएगा और उसमें हम सबको पराजित होकर मृत्यु के मुँह में जाना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
भीष्म की बातें सुनकर धृतराष्ट्र ने क्या निश्चय किया ?
उत्तर:
भीष्म की बातों से सभा में खलबली मच गई। धृतराष्ट्र ने संजय को दूत बनाकर उपप्लव्य नगर भेजने का निश्चय किया।

प्रश्न 4.
संजय ने युधिष्ठिर को जाकर धृतराष्ट्र का क्या संदेश दिया ?
उत्तर:
संजय ने जाकर कहा कि धृतराष्ट्र युद्ध नहीं करना चाहते वह तो आपकी मित्रता चाहते हैं। आप सदा से न्याय पर स्थिर हैं अतः आप भी युद्ध की चाह न करें।

प्रश्न 5.
युधिष्ठिर ने संजय से क्या कहा ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने संजय से कहा कि श्रीकृष्ण दोनों पक्षों के लोगों के हितचिंतक हैं। वह जो सलाह देंगे वैसा ही मैं करूँगा। कौरवों की राजसभा में जाकर मेरी ओर से संदेश देना कि हमें केवल पाँच गाँव ही दे दें हम पाँचों भाई इसी में संतोष कर लेंगे।

प्रश्न 6.
पांडवों द्वारा पाँच गाँव मांगे जाने पर दुर्योधन ने क्या कहा ?
उत्तर:
दुर्योधन का कहना था कि पांडव हमारे सैन्य बल को देखकर ही पाँच गाँव की याचना कर रहे हैं। हमारी ग्यारह अक्षौहिणी सेना देखकर पांडवों के मन में भय उत्पन्न हो गया है। अब मैं उन्हें सुई की नोंक के बराबर भी भूमि नहीं देना चाहता।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 25 राजदूत संजय

प्रश्न 7.
युधिष्ठिर कृष्ण को हस्तिनापुर जाने से क्यों मना कर रहे थे ?
उत्तर:
युधिष्ठिर का कहना था कि दुर्योधन का कोई भरोसा नहीं है कि वह कब क्या कर बैठे। मुझे भय है कि वह कहीं आप पर ही प्रहार न कर दे।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 25

दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी सेना एकत्र करने के बाद शांति के प्रयास प्रारंभ किए। युधिष्ठिर की ओर ने पांचाल के राजपुरोहित राजदूत बनकर हस्तिनापुर गए। उसने जाकर कहा कि युधिष्ठिर का विचार है कि युद्ध से संसार का नाश ही होगा, वे युद्ध नहीं चाहते। यही उचित होगा कि आप उनका राज्य देने की कृपा करें। भीष्म ने राजदूत की बात का समर्थन किया। भीष्म की बात कर्ण को अप्रिय लगी। वह बोला कि पांडवों ने प्रतिज्ञा भंग की है अतः उन्हें बारह बरस के लिए और वनवास जाना होगा। भीष्म ने कहा कि यदि हम संधि नहीं करेंगे तो युद्ध अवश्य छिड़ेगा और सबको पराजय का मुख देखना पड़ेगा। भीष्म की बातों से राजसभा में खलबली मच गई। धृतराष्ट्र ने निश्चय किया कि अपनी तरफ से संजय को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजा जाए और युद्ध रोकने का यथासंभव प्रयास किया जाए। संजय उपप्लव्य के लिए रवाना हो गए। वहाँ जाकर उन्होंने कहा कि महाराज धृतराष्ट्र ने आप सभी की कुशल पूछी है और वे चाहते हैं कि युद्ध को टाला जाए। संयज की बातें सुनकर युधिष्ठिर बोले श्रीकृष्ण दोनों पक्षों के लोगों के हितचिंतक हैं जो ये सलाह देंगे मैं मानूँगा। श्रीकृष्ण जी बोले-मैं स्वयं हस्तिनापुर जाऊँगा। मेरी भी यही इच्छा है कि कौरवों के साथ संधि हो सकती है। युधिष्ठिर ने संजय से कहा कि मेरी तरफ से महाराज को संदेश देना कि हम युद्ध नहीं चाहते। हमको पाँच गाँव भी दे दिए जाएं तो हम पाँचों भाई संतोष कर लेंगे। संजय ने युधिष्ठिर का संदेश जाकर महाराज धृतराष्ट्र को सुनाया। भीष्म ने दोबारा फिर दुर्योधन को समझाया परंतु दुर्योधन ने अपने पिता से कहा कि आप कैसे भोले हैं जो यह भी नहीं समझते कि पांडव हमारे सैन्य बल को देखकर डर गए हैं तभी तो वे पाँच गाँवों की याचना कर रहे हैं। धृतराष्ट्र ने कहा कि जब पाँच गाँव देने से ही युद्ध टल सकता है तो अब हट न करो। अपने पिता के उपदेशों से चिढ़कर दुर्योधन ने कहा कि मैं अब सुई की नोक के बराबर भी भूमि नहीं दूंगा। अब फैसला युद्ध भूमि में ही होगा।

उधर संजय के जाने के बाद श्रीकृष्ण ने स्वयं हस्तिनापुर जाकर युद्ध से बचाने की चेष्ठा करने का आश्वासन दिया। हम अपनी ओर से युद्ध न हो इसका हर संभव प्रयास करेंगे। इतना कहकर श्रीकृष्ण हस्तिनापुर के लिए विदा हुए।

error: Content is protected !!