NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

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बाज़ार दर्शन NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12

बाज़ार दर्शन Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 12

पाठ के साथ

Bazar Darshan Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 1.
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ? (C.B.S.E. Delhi 2009, 2011, Set-I, A.I.C.B.S.E. 2012, Set-1)
उत्तर :
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित असर पड़ता है
(i) बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य उसकी ओर उसी प्रकार से खिंचा चला जाता है जिस प्रकार चुंबक लोहे की ओर खिंचा को चला जाता है।
(ii) ऐसी अनेक वस्तुओं का निमंत्रण जिन्हें मनुष्य खरीदने हेतु लालायित हो उठता है उस तक अपने-आप पहुँच जाता है।
(iii) मनुष्य को सभी सामान ज़रूरी और आरामदायक प्रतीत होता है।
(iv) मनुष्य को जिस वस्तु की आवश्यकता भी न हो उसे भी वह खरीदने पर मजबूर हो जाता है।
(v) बाजार का जादू उतरने पर मनुष्य को आभास होता है कि जो आरामदायक फैंसी वस्तुएँ उसने खरीदी थीं वे सब आराम देने की अपेक्षा उसे दुख पहुँचाती हैं।
(vi) वस्तुओं की उपयोगिता का पता चलने पर मनुष्य के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।
(vii) बहुतायत वस्तुएँ खरीदने पर मनुष्य स्वयं को अपराधी महसूस करने लगता है।

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बाजार दर्शन पाठ के प्रश्न उत्तर NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 2.
बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है ? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है ?
अथवा
भूमंडलीकरण के इस दौर में भगत जी जैसे लोग क्या प्रेरणा देते हैं? (A.I. C.B.S.E. 2016, Set-II)
उत्तर
बाजार में भगत जी का स्वाभिमानी, निश्चेष्ट, आत्मसंयमी, मितव्ययी, दृढ़ निश्चयी आदि विशेषताओं से परिपूर्ण व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है। भगत जी एक स्वाभिमानी और निश्चेष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिन्हें बाजार का आकर्षण, सौंदर्य, चहल-पहल, बड़ी-बड़ी दुकानें अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकती और न ही उसके स्वाभिमान को डिगा सकती हैं। वे आत्मसंयमी और मितव्ययी पुरुष हैं। धन की कमी न होने के कारण भी वे बाजार में फिजूलखर्ची पर विश्वास नहीं करते।

केवल उतनी ही वस्तुएँ खरीदते हैं जितनी उनकी आवश्यकता है और वे भी केवल अच्छे मूल्य में खरीदते हैं। बाजारू आकर्षण में फंसकर धन को नहीं लुटाते। हाँ हमारी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है। जिस प्रकार शांत, निश्चेष्ट, संयमी भगत जी का आचरण है और जैसे वह बाजार के आकर्षण और सौंदर्य को देखकर उससे ज़रा-सा भी मोहित नहीं होता इसी प्रकार यदि आज के उपभोक्तावाद और बाजारवाद के समाज में यदि प्रत्येक मनुष्य स्वाभिमान, संयम, मितव्यय और दृढ़ निश्चय से अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुएँ खरीदें।

बाज़ार के आकर्षण और सौंदर्य में फँसकर अनुपयोगी वस्तुओं को न लें तो वास्तव में उसका मन अशांत नहीं होगा। वह अपने मन में बेकार की इच्छाओं को वश में करके यदि फ़िजूलखर्ची पर काबू पा लेगा तो उसका जीवन भी शांत, स्वाभिमानी, मितव्ययी बन जाएगा। यदि समाज का प्रत्येक मनुष्य ऐसा करे तो निश्चय ही समाज में शांति स्थापित होगी।

Bazar Darshan Class 12 Question Answer प्रश्न 3.
‘बाजारूपन’ से क्या तात्पर्य है ? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजार की सार्थकता : किसमें है ? (Delhi C.R.S.E. 2016, A.I.C.B.S.E. 2011, Set-III, Outside Delhi 2017, Set-III)
उत्तर :
‘बाजारूपन’ से तात्पर्य कपट बढ़ाने से है अर्थात सद्भाव की कमी। सद्भाव की कमी के कारण आदमी परस्पर भाई, मित्र और पड़ोसी आदि को भूल जाता है। मनुष्य केवल सबके साथ कोरे ग्राहक जैसा व्यवहार करता है। उसे कोई भाई, मित्र या पड़ोसी दिखाई नहीं देता है। बाजारूपन के कारण मनुष्य को केवल अपना लाभ-हानि ही दिखाई देता है। इस भावना से शोषण भी होने लगता है। जो व्यक्ति ये जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं उन्हें किस वस्तु की आवश्यकता है ऐसे व्यक्ति ही बाजार को सार्थकता प्रदान कर सकते हैं। ये लोग कभी भी ‘पर्चेजिंग पावर’ के गर्व में नहीं डूबते। इन्हीं लोगों को अपनी चाहत का अहसास होता है जिसके आधार पर बाजार को सार्थकता प्राप्त होती है।

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Bajar Darshan Question Answer NCERT Solutions  प्रश्न 4.
बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता; वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय-शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर
हाँ, हम इस बात से सहमत हैं कि बाजार किसी का लिंग, जाति-धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, बल्कि वह सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति को देखता है। बाजार एक ऐसा स्थल है जहाँ पर हर जाति, लिंग, धर्म का व्यक्ति जाता है। वहाँ किसी को भी धर्म-जाति के आधार पर नहीं पहचाना जाता बल्कि प्रत्येक निम्न, उच्च, अमीर-गरीब की पहचान वहाँ एक ग्राहक के रूप में होती है। इस दृष्टि से इस स्थल पर पहुँचकर प्रत्येक धर्म, जाति, मजहब का मनुष्य केवल ग्राहक कहलाता है।

बाजार की दृष्टि में यहाँ सब उसके ग्राहक होते हैं और वह ग्राहक का कभी धर्म, जाति या मज़हब देखकर व्यवहार नहीं करता बल्कि वह तो सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति देखकर ही उसके साथ व्यवहार करता है। यानी जो मनुष्य जितनी क्रय-शक्ति रखता है बाजार उसे उतना ही महत्व देता है, उतना ही सम्मान देता है। इस प्रकार बाजार एक प्रकार से सामाजिक समता की रचना कर रहा है। जहाँ प्रत्येक धर्म, जाति, मजहब, अमीर-गरीब, निम्न-उच्च पहुँचकर केवल ग्राहक कहलाता है।

Bajar Darshan NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 5.
आप अपने तथा समाज से कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करें
(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
(ख) पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
उत्तर :
(क) समकालीन समाज में ऐसे अनेक प्रसंग हैं जहाँ हम पैसे को शक्ति का परिचायक बनता हुआ देखते हैं। आज समाज के प्रत्येक सरकारी या निजी कार्यालयों में जहाँ भी देखिए पैसे के बल पर कोई भी काम करवा लीजिए। भ्रष्टाचार, आतंकवाद पैसे की शक्ति के सर्वोत्तम उदाहरण हैं। पैसे देकर किसी भी बड़े-छोटे अधिकारी से कोई भी काम निकलवा लीजिए। कोर्ट में सजा प्राप्त कैदी को पैसे देकर छुड़वा लिया जाता है और बेकसूर इनसान को फाँसी पर चढ़ा दिया जाता है। पैसे के बल पर आतंकवादी किसी भी देश पर हमला कर देते हैं। अमेरिका पर हमला हो, चाहे भारतीय संसद पर हमला या कश्मीर में सदियों से चले आ रहे हमले सब पैसे की शक्ति के परिचायक हैं। संभवतः वर्तमानकाल में पैसा कोई भी कार्य करवा सकता है।

(ख) प्रायः देखा जाता है कि किसी मनुष्य के पास धन-दौलत, ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं होती। उसके पास गाड़ी, बंगला आदि सभी सुविधाएँ होती हैं लेकिन वह शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होता। उसे अनेक बीमारियाँ आ घेरती हैं। उसका पल-पल जीना दूभर लगता है। उसे एक-एक पल एक-एक युग के समान प्रतीत होता है। ऐसी दशा में उसके चारों

पाठ के आस-पास

Bajar Darshan Class 12 Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 1.
बाजार दर्शन पाठ में बाजार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है, आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
(क) मन खाली हो
(ख) मन खाली न हो
(ग) मन बंद हो
(घ) मन में नकार हो
उत्तर :
(क) बाज़ार जाते समय जब हमारा मन खाली हो अर्थात हमारे मन में कोई इच्छा न हो। जब हम बाजार जाते हैं तो यदि हमारे मन में कोई सामान खरीदने की इच्छा ही नहीं है तो हमारे बाज़ार जाने का कोई औचित्य नहीं है। यदि ऐसी स्थिति में हम बाज़ार जाते हैं तो बाज़ार के आकर्षण में फँसना स्वाभाविक है।

(ख) मन खाली न हो अर्थात बाज़ार जाते समय हमारे मन में पहले से ही सामान खरीदने हेतु इच्छाएँ होनी चाहिए क्योंकि यदि हमारे मन में पहले से ही सामान की सूची होती है तो हम केवल आवश्यकतानुसार सामान ही खरीदते हैं फ़िजूल सामान खरीदकर नहीं लाते।

(ग) यदि हमारा मन बंद होगा तो हम शून्य बन जाएँगे और जबकि शून्य केवल परमात्मा है। वह संपूर्ण है बाकि सब अपूर्ण है। इसीलिए मन बंद नहीं रह सकता।

(घ) जब हम बाजार जाते हैं तो हमें बाज़ार चारों तरफ से सुंदर, सुसज्जित एवं आकर्षक प्रतीत होता है। वह हमें अपने आकर्षण में . फँसा लेना चाहता है लेकिन यदि हमारे मन में नकार का भाव हो तो बाज़ार चाहकर भी हमें अपने आकर्षण में फँसा नहीं सकता।

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Class 12 Hindi Bazar Darshan Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 2.
बाजार दर्शन पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है ? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते मानती हैं ?
उत्तर :
बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने कई प्रकार के ग्राहकों का चित्रण किया है
(i) ऐसे ग्राहक जिनका मन खाली होता है।
(ii) वे ग्राहक जिनका मन भरा होता है।
(iii) वे ग्राहक जो यह जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए।
(iv) ऐसे ग्राहक जो नहीं जानते कि उन्हें क्या चाहिए।
(v) ऐसे ग्राहक जिनपर बाजार के आकर्षण और सौंदर्य का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(vi) मितव्ययी और संयमी ग्राहक।
(vii) अपव्ययी और असंयमी ग्राहक।
(viii) वे ग्राहक जो एक-दो वस्तु खरीदने हेतु बाजार जाते हैं लेकिन जब लौटकर आते हैं तो अनेक बंडल साथ लेकर आते मैं स्वयं को मितव्ययी और संयमी ग्राहक मानता हूँ, जो बाजार की शान-ओ-शौकत से प्रभावित न होकर आवश्यकतानुरूप खरीददारी करता हूँ। फिजूल सामान कभी नहीं लेता जिससे बाद में पछताना पड़े।

Bazar Darshan Class 12 Ncert Solutions NCERT Solutions प्रश्न 3.
आप बाजार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाजार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं ? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नज़र आती है ?
उत्तर :
(i) मॉल की संस्कृति अर्थात जहाँ मनुष्य को प्रत्येक सामान एक ही स्थल पर एक ही छत के नीचे प्राप्त हो जाए। इस स्थल पर जीवन में प्रयुक्त प्रत्येक वस्तु उपलब्ध होती है।

(ii) सामान्य बाजार अर्थात जहाँ मनुष्य की सामान्य व्यवहार में प्रयोग की जानेवाली वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हों। इस बाज़ार में अधिक आकर्षण और शान-ओ-शौकत का ध्यान रखा जाता है ताकि ग्राहकों को अपने आकर्षण में फंसाया जाए। मनुष्य न चाहते हुए भी आकर्षित हो जाए।

(iii) हाट की संस्कृति से अभिप्राय किसी दुकान विशेष से है। जहाँ पर ग्राहक की इच्छा-पूर्ति का भरपूर खयाल होता है। प्रत्येक दुकानदार ग्राहक को अपना बनाना चाहता है। इसलिए वह वस्तुओं के मूल्य में ग्राहक की इच्छा का भी खयाल रखता है। हमारे विचार से पर्चेजिंग पावर सामान्य बाजार में नजर आती है।

Class 12 Hindi Chapter 12 Question Answer NCERT Solutions  प्रश्न 4.
लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
हाँ, हम इस विचार से सहमत हैं कि कभी-कभी बाजार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। सामान्यतः देखा जाता है कि जब मनुष्य को किसी वस्तु की अधिक आवश्यकता होती है तो वह बाजार में जाकर उस वस्तु को पाना चाहता है। बाजार में दुकानदार विक्रेता ग्राहक की मानसिकता को पढ़ लेता है, यदि उसे किसी मनुष्य की अत्यधिक आवश्यकता का आभास हो जाए तो वह उस वस्तु के दाम बढ़ा-चढ़ाकर बोलता है। ग्राहक को भी उस वस्तु की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इसलिए वह भी उसी विक्रेता के मनचाहे मूल्य में उस वस्तु को खरीद लेता है। इस प्रकार कभी-कभी बाजार में मनुष्य की आवश्यकता भी शोषण का रूप धारण कर लेती है।

बाजार दर्शन पाठ कक्षा 12 Pdf NCERT Solutions प्रश्न 5.
‘स्त्री माया न जोड़े’ यहाँ ‘माया’ शब्द किस ओर संकेत कर रहा है ? क्या स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त है
अथवा
परिस्थिति वश ? वे कौन-सी परिस्थितियाँ होंगी जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं ?
उत्तर :
यहाँ ‘माया’ शब्द धन, पैसा, दौलत की ओर संकेत कर रहा है। स्त्रियों द्वारा माया अर्थात संपत्ति जोड़ना प्रकृति प्रदत्त है। नारी प्रकृतिवश अपनी संपत्ति को जोड़कर रखना चाहती है। जब स्त्री का पति मृत्यु को प्राप्त हो जाए, उसे अपनी संतान के भविष्य की चिंता होने लगे, उनकी शिक्षा और शादी आदि की बातें उसे सताने लगें, स्त्री को अपने पति का कर्ज चुकाना हो, कर्जदार कर्ज वसूली हेतु स्त्री को बार-बार कहता हो, वह अपने जीवन में तरक्की कर नाम कमाना चाहती हो या किसी से प्रतिस्पर्धा रखती हो। उसे अपनी गरिमा व अस्मिता का खयाल आकर सताने लगे आदि परिस्थितियाँ किसी भी स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देंगी।

आपसदारी

Bazar Darshan Question Answer NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 1.
ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से ले लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है–भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिए
चाह गई चिंता गई मनुआँ बेपरवाह
जाको कछु न चाहिए सोइ सहंसाह। -कबीर

2. विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ (जिसपर ‘पहेली’ फ़िल्म बनी है) के अंश को पढ़कर आप देखेंगे कि भगत जी की संतुष्ट जीवन-दृष्टि की तरह ही गड़ेरिए की जीवन-दृष्टि है। इससे आपके भीतर क्या भाव जगते हैं ? “गड़रिया बगैर कहे ही उसके दिल की बात समझ गया, पर अंगूठी कबूल नहीं की। काली दाढ़ी के बीच पीले दाँतों की हँसी हँसते हुए बोला, ‘मैं कोई राजा नहीं हूँ जो न्याय की कीमत वसूल करूँ। मैंने तो अटका काम निकाल दिया और यह अंगूठी मेरे किस काम की! न ये अँगुलियों में आती है, न तड़े में। मेरी भेड़ें भी मेरी तरह गँवार हैं। घास तो खाती हैं, पर सोना सूंघती तक नहीं। बेकार की वस्तुएँ तुम अमीरों को ही शोभा देती हैं।’ -विजयदान देथा

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3. बाज़ार पर आधारित लेख नकली सामान पर नकेल ज़रूरी का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
(क) नकली सामान के खिलाफ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?
(ख) उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनानेवाली कंपनियों का क्या नैतिक दायित्व है?
(ग) ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए।

नकली सामान पर नकेल ज़रूरी

अपना क्रेता वर्ग बढ़ाने की होड़ में एफएमसीजी यानी तेजी से बिकनेवाले उपभोक्ता उत्पाद बनानेवाली कंपनियाँ गाँव के बाजारों में नकली सामान भी उतार रही हैं। कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिनपर न तो निर्माण तिथि होती है और न ही उस तारीख का जिक्र होता है जिससे पता चले कि अमुक सामान के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। आउटडेटेड या पुराना पड़ चुका सामान भी गाँव-देहात के बाजारों में खप रहा है। ऐसा उपभोक्ता मामलों के जानकारों का मानना है। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य की मानें तो जागरूकता अभियान में तेजी लाए बगैर इस गोरखधंधे पर लगाम कसना नामुमकिन है।

उपभोक्ता मामलों की जानकार पुष्पा गिरि माँ जी का कहना है, ‘इसमें दो राय नहीं कि गाँव-देहात के बाजारों में नकली सामान बिक रहा है। महानगरीय उपभोक्ताओं को अपने शिकंजे में कसकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, खासकर ज्यादा उत्पाद बेचनेवाली कंपनियाँ, गाँव का रुख कर चुकी हैं। वे गाँववालों के अज्ञान और उनके बीच जागरूकता के अभाव का पूरा फ़ायदा उठा रही हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कानून ज़रूर हैं लेकिन कितने लोग इनका सहारा लेते हैं यह बताने की जरूरत नहीं।

गुणवत्ता के मामले में जब शहरी उपभोक्ता ही उतने सचेत नहीं हो पाए हैं तो गाँववालों से कितनी उम्मीद की जा सकती है।’ इस बारे में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य जस्टिस एस०एन० कपूर का कहना है, ‘टी०वी० ने दूर-दराज के गाँवों तक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुंचा दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ विज्ञापन पर तो बेतहाशा पैसा खर्च करती हैं लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता को लेकर वे चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं। नकली सामान के खिलाफ जागरूकता पैदा करने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी मिलकर ठोस काम कर सकते हैं।

ऐसा कि कोई प्रशासक भी न कर पाए। बेशक, इस कड़वे सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि गुणवत्ता के प्रति जागरूकता के लिहाज से शहरी समाज भी कोई ज्यादा सचेत नहीं है। यह खुली हुई बात है कि किसी बड़े ब्रांड का लोकल संस्करण शहर या महानगर का मध्य या निम्न मध्यवर्गीय उपभोक्ता भी खुशी-खुशी खरीदता है। यहाँ जागरूकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वह ऐसा सोच – समझकर और अपनी जेब की हैसियत को जानकर ही कर रहा है। फिर गाँववाला उपभोक्ता ऐसा क्यों न करे।

पर फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि यदि समाज में कोई गलत काम हो रहा है तो उसे रोकने के जतन न किए जाएँ। यानी नकली सामान के इस गोरखधंधे पर विराम लगाने के लिए जो कदम या अभियान शुरू करने की जरूरत है वह तत्काल हो। (हिंदुस्तान 6 अगस्त, 2006, साभार) -विद्यार्थी स्वयं अपने अध्यापक/अध्यापिका से अन्य विषयों पर चर्चा करें।’

Bazaar Darshan Class 12 Ncert Solutions प्रश्न 4.
प्रेमचंद की कहानी-‘ईदगाह’ के हामिद और उसके दोस्तों का बाजार से क्या संबंध बनता है ? विचार करें।
उत्तर :
हामिद और उसके मित्र ईदगाह के निकट लगे मेले में गए थे जहाँ वे तरह-तरह की सुंदर वस्तुओं, उपयोगी वस्तुओं और खाने-पीने की वस्तुओं को देखते रहे। उनके पास पैसे थे-किसी के पास अधिक तो किसी के पास कम। उन्होंने पैसों के आधार पर वस्तुओं की उपयोगिता को परखा था। हामिद ने उपयोगी सामान चिमटा खरीदा तो उसके मित्रों ने अपनी खुशी को पूरा किया।

विज्ञापन की दुनिया

प्रश्न 1.
आपने समाचार-पत्रों, टी०वी० आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभाने का प्रयास किया जाता है।
नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।
1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु
2. विज्ञापन में आए पात्र और उसका औचित्य
3. विज्ञापन की भाषा
उत्तर :
टूथपेस्ट का विज्ञापन
(1) विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु-ग्राहकों को उलझाने के लिए सुंदर चुने गए लड़कों और लड़कियों के चमकीले दाँतों की अपेक्षा उनके सुंदर दमकते चेहरों के चित्र दिखाए गए। इनके अर्धनग्न शरीर का दाँतों की सफ़ाई से संबंध और औचित्य समझ नहीं आया। विज्ञापन का विषय-वस्तु दाँतों की चमक से दूसरों को लुभाना था।

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(2) विज्ञापन में आए पात्र और उनका औचित्य-विज्ञापन में सामान्य स्तर के वे लोग नहीं हैं जो देश की जनता का मुख्य रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं। उसमें उच्च स्तरीय ऐसे मॉडलों को दिखाया गया जो अपनी कृत्रिम मुसकान से ग्राहकों को मूर्ख बनाने की कला में निपुण हैं। उनकी उपस्थिति का औचित्य केवल एक ही है-सामान्य देशवासियों को लुभाकर उन्हें अपने उत्पाद की ओर आकृष्ट करना। उपभोक्तावाद में केवल ग्राहक की जेब देखी जाती है और उसे अपने उत्पाद की ओर आकृष्ट करना ही उद्देश्य होता है।

(3) विज्ञापन की भाषा-विज्ञापन की भाषा आकर्षक है। सरल और सरस है। मन को लुभाती है। हर ग्राहक उस विशेष टूथपेस्ट को खरीद कर वैसा ही दिखना और वैसा ही करना चाहता है जो विज्ञापन में दिखाया गया।

प्रश्न 2.
अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है ? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भी अच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो।
उत्तर :
बिक्री बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीके

  • रंग-बिरंगे विज्ञापन तैयार करना।
  • छूट का लालच देना।
  • बच्चों और महिलाओं को उत्पाद की ओर विशेष रूप से आकृष्ट करना।
  • बैनर्स, होर्डिंगज, पत्र-पत्रिकाएँ, अखबार, टी० वी०, सिनेमा, इंटरनेट आदि के द्वारा लोगों के मन में घर कर जाने का प्रयत्न करना।
  • अभिनेताओं/अभिनेत्रियों/खिलाड़ियों/सुंदर मॉडलों के माध्यम से जनता को आकृष्ट करना।

उपभोक्ता को गुमराह होने से बचाने तथा बिक्री को बढ़ाने की तकनीक

  • विज्ञापनों के पात्रों को आम जनता में से चुनना।
  • दाम पर नियंत्रण रखना।
  • अन्य उत्पादों से तुलना करना।
  • उत्पाद की उपयोगिता तथा गुणवत्ता को ध्यान में रखना।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
विभिन परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी। अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
औपचारिक भाषा-प्रयोग

  • पैसा पावर है।
  • पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है
  • बाजार आमंत्रित करता है।
  • बाजार में एक जादू है।

अनौपचारिक भाषा-प्रयोग

  • बाजार जाओ तो खाली मन न हो।
  • मन खाली हो, तब बाजार न जाओ।
  • मन खाली नहीं रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है। कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करनेवाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पड़वा लेने में मददगार होते हैं।
उत्तर :
(i) बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो।
(ii) जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है।
(iii) लू में जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहिए।
(iv) पानी भीतर हो, लू का लूपन व्यर्थ हो जाता है।
(v) मन लक्ष्य से भरा हो तो बाजार भी फैला-का-फैला ही रह जाएगा

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प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए
(क) पैसा पावर है।
(ख) पैसे की उस पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।
(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।
(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते। ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल! अब तक आपने जो पाठ पढ़े उनमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यावों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर :
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए
(क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।
(ख) लोग संयमी भी होते हैं।
(ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।

ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान-क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसेमुझे

मुझे किताब भी चाहिए। (मुझे महत्वपूर्ण है।)
मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्वपूर्ण है।)

आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का भी निर्माण कीजिए जिसमें ये तीनों निपात एक साथ आते हों।
उत्तर :
ही – (i) मैं वहाँ ही रहँगा।
मुझे यह पुस्तक ही खरीदनी है।
मैं कल ही पूजा के घर गई थी।

भी – (ii) मोहन को भी पढ़ना चाहिए।
उसे भी तुम्हारे साथ जाना चाहिए।
पिछले वर्ष मैं भी मुंबई गई थी।

तो – (i) अभी तो बहुत काम बाकी है।
आप तो उससे कभी नहीं मिले, फिर उसे कैसे पहचानेंगे।
(iv) उसके आने से पहले ही मुझे भी तो चले जाना चाहिए।
(v) राम खेला ही नहीं तो उसे भी इनाम क्यों दे रहे हैं ?

चर्चा करें

प्रश्न 1.
पर्चेजिंग पावर से क्या अभिप्राय है ?
बाजार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है ? आपकी मदद के लिए संकेत दिया जा रहा है
(क) सामाजिक विकास के कार्यों में।
(ख) ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सदढ़ करने में …….. ।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं हल करें।

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