NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

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सहर्ष स्वीकारा है NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5

सहर्ष स्वीकारा है Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 5

कविता के साथ

Saharsh Swikara Hai Question Answer Class 12 प्रश्न 1.
टिप्पणी कीजिए-गरबीली ग़रीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल। (C.R.S.E. 2010, Set-1 )
उत्तर :
गरबीली गरीबी – गरबीली गरीबी से अभिप्राय है गर्वीली गरीबी अर्थात गर्वयुक्त दरिद्रता। गरीबी में मनुष्य हताश, निराश, दुखी हो अपना धैर्य खो बैठता है। जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण सात्विक नहीं रहता लेकिन यहाँ कवि ने ऐसी गरीबी का चित्रण किया है जिसमें डूबकर वह हताश, निराश एवं दुखी नहीं होता बल्कि धैर्य, साहस और स्वाभिमान से उसका मुकाबला करता है। वह इस गरीबी में जीकर भी खुश है, आनंदित है। उसे गरीबी युक्त जीवन से कोई शोक या वेदना नहीं होती बल्कि वह गर्व से जीवन-यापन करता है। इसलिए कवि ने गरीबी को गरबीली गरीबी कहा है।

भीतर की सरिता – भीतर की सरिता है आंतरिक सरिता या हृदय रूपी सरिता। यहाँ कवि ने हृदय में नदी का अभेद आरोपण किया है। जिस प्रकार नदी पवित्र होती है, उसका पानी पवित्र होता है; धाराएँ पवित्र होती हैं; किनारे पवित्र होते हैं। उसी प्रकार हृदय भी पवित्र और उसमें उदित सभी भाव भी पवित्र हैं। जैसे सरिता के साथ मिलकर सब कुछ पवित्र बन जाता है उसी प्रकार कवि के भाव भी हृदय में आकर तथा उससे प्रवाहित होकर पवित्र बन जाते हैं।

बहलाती, सहलाती आत्मीयता – बहलाती, सहलाती आत्मीयता अर्थात बहलाने, सहलानेवाला अपनापन । इससे अभिप्राय यह है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के साथ उसका अटूट संबंध है। समाज में मनुष्य के अनेक ऐसे सगे-संबंधी या चाहने वाले होते हैं जो दुख-सुख, राग-विराग प्रत्येक स्थिति में उसको सहयोग देते हैं अर्थात सुख-दुख में मनुष्य के कुछ अपने लोग उसको ढाँढस देते हैं।

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इसलिए मनुष्य पर जब भी दुख, पीड़ा या निराशा की घड़ी आती है तो उसके आत्मीय जन उसे सांत्वना देते हैं उसके दुखों को सहलाने का प्रयास भी करते हैं। उन पर प्रेमरूपी मरहम भी लगाना चाहते हैं। यही वह आत्मीयता है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में बहलाती और सहलाती है। लेकिन प्रस्तुत कविता में कवि जीवन में इतना दुखी और निराश हो चुका है कि उसे आत्मीयजन की बहलाती, सहलाती आत्मीयता भी सहन नहीं होती।

ममता के बादल – ममता के बादल से अभिप्राय है ममता रूपी बादल या प्रेम के बादल। यहाँ कवि ने ममता पर बादलों का अभेद आरोप किया है। जिस प्रकार बादल अपनी वर्षा से पृथ्वी को जलमग्न तथा हरा-भरा कर सबको सुख प्रदान करते हैं उसी प्रकार प्रेम रूपी बादल अपने भावों से प्रेमी जन को आनंद प्रदान कर आनंदविभोर कर देते हैं। उनके जीवन में खुशियाँ भर देते हैं। लेकिन यहाँ कवि को प्रेम, खुशियाँ शायद अच्छी नहीं लगती इसलिए उन्हें ये ममता के बादलों की कोमलता भी पीड़ादायक प्रतीत होती

Saharsh Swikara Hai Class 12 प्रश्न 2.
इस कविता में और भी टिप्पणी योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें।
उत्तर
मुसकाता चाँद-मुसकाता चाँद अर्थात मुसकराता हुआ चंद्रमा। रात्रि के गहन अंधकार में जब चंद्रमा अपनी शीतल चाँदनी लेकर उदित होता है तो वह चारों ओर व्याप्त अंधकार को मिटाकर अपनी उज्ज्वल चाँदनी बिखेर देता है। रात्रि के गहन अंधकार पर फैला चंद्रमा मुसकराता हुआ प्रतीत होता है। उसी प्रकार कवि की आत्मा पर ईश्वर का चेहरा या स्वरूप खिलता या मुसकराता रहता है। कवि की आत्मा पर प्रभु का स्वरूप चाँद की तरह मुसकराता हुआ छाया रहता है। इसीलिए कवि ने प्रभु को मुसकाता चाँद कहा है।

Saharsh Swikara Hai Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 3.
व्याख्या कीजिए :
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है?
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रातभर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!
उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है?
उत्तर :
कृपया व्याख्या के लिए व्याख्या-भाग देखिए।
कवि चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में इसलिए नहाना चाहता है क्योंकि उस सत्ता द्वारा ढका और घिरा हुआ उसका रमणीय प्रकाश अब उससे सहन नहीं होता। ममता रूपी बादलों की मँडराती कोमलता भी उसके हृदय को पीड़ादायक लगती है। उसकी आत्मा कमजोर और शक्तिहीन हो गई है। उसकी छाती होनी को देख छटपटाने लगती है और उसे अब आत्मीय-जन की बहलाती, सहलाती आत्मीयता भी सहन नहीं होती।

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सहर्ष स्वीकारा है कविता के प्रश्न उत्तर Class 12 प्रश्न 4.
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय उजेला अब सहा नहीं जाता है।

(क) यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?

(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा?

(ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरनेवाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है? इस वैपरीत्य को व्यक्त करनेवाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।

(घ) कवि अपने संबोध्य (जिसको कविता संबोधित है। कविता का ‘तुम’) को पूरी तरह भूल जाना चाहता है, इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशों को ध्यान में रखकर उत्तर दें।।
उत्तर
(क) यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए ‘दक्षिणी-धूवी’ विशेषण का इस्तेमाल किया गया है। इससे अति कठोरता और कष्टों की अधिकता का अर्थ प्रकट होता है। मानव-जीवन सरल-सीधा नहीं है। उसकी जटिलताएँ दक्षिण-धूवी जीवन के कष्टों के समान ही है।

(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में अपने जीवन के दुखों को अमावस्या कहा है, जिससे वह चाहकर भी अपना पीछा नहीं छड़वा पाता।

(ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरनेवाली स्थिति कार्यों में लीन होने की है | इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है या मेरा जो होता-सा लगता है, होता-सा संभव है सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है, कार्यों का वैभव है अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है | वह तुम्हें प्यारा है। इस वैपरीत्य को व्यक्त करनेवाला शब्द कार्य है। कार्य ही मनुष्य के सुख-दुःख को भुलाता है और मनुष्य को सबलता और साहस प्रदान करता है।

(घ) कवि ने अपने संबोधन को पूरी तरह भूलकर कार्य में लीन हो जाने की बात की है। कोई भी व्यक्ति अपने काम में लीन होकर ही अपने कष्टों को विस्मृत कर सकता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

Class 12 Hindi Chapter 5 Question Answer प्रश्न 5.
बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है-और कविता के शीर्षक ‘सहर्ष स्वीकारा है’ में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत कविता में कवि एक ओर तो कहता है कि मैंने सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक, राग-विराग, आशा-निराशा आदि भावों को सहर्ष स्वीकार किया है लेकिन दूसरी ओर उन्हें आत्मीय जन की बहलाती-सहलाती आत्मीयता भी अच्छी नहीं लगती। यहाँ दोनों भाव एक-दूसरे के विपरीत दिखाई देते हैं लेकिन कवि ने अपने यौवन-काल में जब उनके शरीर में शक्ति, विश्वास और स्वाभिमान होगा तब उन्होंने जीवन में आनेवाली अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति का डटकर सामना किया होगा।

उन्होंने राग-विराग, सुख-दुख, आशा-निराशा, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक आदि भावों को सहर्ष अंगीकार किया हो लेकिन जब वे बुढ़ापे की ओर पदार्पण कर रहे होंगे या उनका आत्मविश्वास डगमगा गया होगा या शरीर में शक्ति नहीं होगी तो उन्हें लगा होगा कि उनके शरीर में अब इतनी भी शक्ति नहीं रही कि वे आत्मीय जन को बहलाती, सहलाती आत्मीयता को भी सहन कर सकें।

शायद आत्मिक शक्ति न होने के कारण उनके जीवन पर ऐसी परिस्थितियाँ आई जीवन में अनुकूल प्रतिकूल प्रत्येक भाव को सहर्ष स्वीकार करनेवाला व्यक्ति आत्मीय जन की सहानुभूति भी सहन नहीं कर सका तथा उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि अब आत्मीय जन की बहलाती, सहलाती आत्मीयता भी सहन नहीं होती।

कविता के आस-पास

Saharsh Svikara Hai Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 1.
अतिशय मोह भी क्या त्रास का कारक है ? माँ का दूध छूटने का कष्ट जैसे एक ज़रूरी कष्ट है, वैसे ही कुछ और जरूरी कष्टों की सूची बनाएँ।
उत्तर :
अतिशय मोह अर्थात बहुत अधिक ममता भी त्रास का कारक है। यह सच है कि अत्यधिक मोह किसी के भी हृदय में त्रास को पैदा करता है। इसी मोह के कारण मनुष्य में अनेक बुरी आदतें पैदा हो जाती हैं। माँ का दूध छूटने के कष्ट के समान अन्य जरूरी कष्ट निम्नलिखित हैं

  • घुटनों के बल सरककर चलना, घूमना
  • बोतल से दूध पीना छूटना
  • नग्न रहना आदि।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Question Answer प्रश्न 2.
‘प्रेरणा’ शब्द पर सोचिए। उसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए जीवन के वे प्रसंग याद कीजिए जब माता-पिता, दीदी-भैया, शिक्षक या कोई महापुरुष/महानगरी आपके अँधेरे क्षणों में प्रकाश भर गए।
उत्तर :
‘प्रेरणा’ एक ऐसा शब्द है जो जीवन में शक्ति का संचार करता है। इसे प्राप्त कर मनुष्य पृथ्वी से उठकर आसमान को छू सकता है। अपने जीवन की दिशा बदल सकता है। जीवन में प्रेरणा का बहुत महत्त्व है। यह जीवन को शिखर पर पहुंचा सकती है। इससे कर्महीन मनुष्य परिश्रमी बन जाता है। चोर, डाकू, संत महात्मा बन जाते हैं। मनुष्य के जीवन में माता-पिता, दीदी, भैया, शिक्षक और महापुरुष अनेक प्रेरक होते हैं।

ये सभी प्रेरक मनुष्य को अंधकार के क्षणों में प्रेरणा प्रदान करते हैं। मेरे माता-पिता, दीदी, भैया तथा शिक्षकों ने भी मेरे जीवन के अंधेरे क्षणों में प्रेरणा प्रदान कर मुझे अंधेरे से बाहर निकाला तथा आज उन्हीं की प्रेरणा से में उन्नति के शिखर पर पहुँचा हूँ।

Saharsh Sweekara Hai Class 12 प्रश्न 3.
‘भय’ शब्द पर सोचिए। सोचिए कि मन में किन-किन चीजों का भय बैठा है? उससे निबटने के लिए आप क्या करते हैं और कवि की मन:स्थिति से अपनी मनःस्थिति की तुलना कीजिए।
उत्तर :
‘भय’ का शाब्दिक अर्थ है डर डर से हमारे मन में ऐसी भावना पैदा हो जाती है जिससे मन अशांत और असंतुलित हो जाता है। मेरे मन में सुख-दुख, प्रेम-विरह, भविष्य तथा शिक्षा के प्रति भय बैठा है। उससे निपटने के लिए मैं अनेक योजनाएं बनाता हूँ। उनसे संघर्ष करने के लिए मेहनत करता हूँ तथा लोगों से सलाह लेता हूँ। कवि अपने जीवन में आए सुख-दुख के राग-विराग को सहर्ष स्वीकार करता है लेकिन मैं उनका सामना करने हेतु संघर्ष करता हूँ।

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