NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-vitan-chapter-3/

अतीत में दबे पाँव NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3

अतीत में दबे पाँव Questions and Answers Class 12 Hindi Vitan Chapter 3

अतीत में दबे पाँव प्रश्न उत्तर NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 1.
सिंधु-सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे? (C.B.S.E. Delhi, 2008, 2010 Set-I, A.I. C.B.S.E. 2016, A.I. C.B.S.E. 2011 Set-I, 2012 Set-I, 2018)
अथवा
कला की दृष्टि से हड़प्पा सभ्यता समृद्ध थी पाठ के आधार पर सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (A.I.C.B.S.E. 2014, Set-I, II, III)
अथवा
‘अतीत में दबे पाँव के लेखक ने मुअनजो-दडो की सभ्यता को किस आधार पर ‘लो प्रोफाइल सभ्यता’ कहा है ?(C.B.S.E. 2007, Set-II, 2014, Set-I)
उत्तर
लेखक ‘ओम थानवी’ ने अपनी यात्रा के समय जब सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़े दो महानगरों मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के घरों, गलियों, सड़कों और खुदाई में वास्तुशिल्प से जुड़े सामान को देखा तो यह निष्कर्ष निकाला कि अगर सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ विश्व की अन्य सभ्यताओं की तुलना की जाए तो सिंधु घाटी की सभ्यता साधन संपन्न थी उसमें कृत्रिमता एवं आडंबर नहीं था। इस निष्कर्ष स्वरूप उन्होंने कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जो इस प्रकार हैं

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

जब मोहनजोदड़ो स्थित एक छोटा-सा संग्रहालय देखने गए तो वहाँ उन्होंने एक अलग बात अनुभव की कि इस संग्रहालय में औज़ार तो हैं परंतु हथियार कोई नहीं है। अगर सिंधु से लेकर हरियाणा तक खुदाई में मिले अवशेषों पर गौर किया जाए तो हे हथियार कहीं भी नहीं हैं। जिस प्रकार प्रत्येक राजा के पास हथियारों की एक बड़ी खेप होती है परंतु यहाँ हथियार नाम की चीज़ नहीं है। पुरातात्विक विद्वानों के लिए यह बड़ा प्रश्न है कि सिंधु सभ्यता में शासन और सामाजिक प्रबंध के तौर-तरीके क्या रहे होंगे? यहाँ की सभ्यता में अनुशासन तो है परंतु किसी सत्ता के बल के द्वारा नहीं है।

यह अनुशासन वहाँ की नगर-योजना, वास्तुकला, मुहरों, ठप्पों, जल-व्यवस्था, साफ़-सफ़ाई और सामाजिक व्यवस्था आदि की एकरूपता में देखी जा सकती है। दूसरी सभ्यताओं में प्रशासन राजतंत्र और धर्मतंत्र द्वारा संचालित है। वहाँ बड़े-बड़े सुंदर महल, पूजा स्थल, भव्य मूर्तियाँ, पिरामिड और मंदिर मिले हैं। राजाओं और धर्माचार्यों की समाधियाँ भी दूसरी सभ्यताओं में भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी नावें मिली हैं जबकि मिस्र की सभ्यता में बड़ी नावों का प्रचलन था।

सांस्कृतिक धरातल पर यह तथ्य सामने आता है कि सिंधु घाटी की सभ्यता दूसरी सभ्यताओं से अलग एवम स्वाभाविक, साधारण जीवन-शैली पर आधारित थी। सिंध सभ्यता के सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कतिक जीवन में किसी प्रकार की कत्रिमता एवं आडंबर दिखाई नहीं पडता जबकि अन्य सभ्यताओं में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते अनेक प्रमाण मौजद हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है संपन्न थी परंतु उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। इसलिए इसे ‘लो प्रोफाइल सभ्यता’ भी कहा जाता है।

Atit Me Dabe Paon Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 2.
‘सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाज-पोषित था।’ ऐसा क्यों कहा गया? (C.B.S.E. Sample Paper, C.B.S.E. Delhi 2018, A.I. C.B.S.E. 2009, 2012 Set-1)
उत्तर :
सिंधु सभ्यता की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियाँ और प्रवृत्तियाँ मानवता पर आधारित हैं। सिंधु सभ्यता मानव निर्मित और मानव आधारित है। सिंधु घाटी की खुदाई से मिले अवशेषों और खंडहरों को देखकर यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि सिंधु सभ्यता के लोग साधारण जीवन जीने वाले और अनुशासन प्रिय थे।

सिंधु सभ्यता का मुख्य व्यवसाय पशु-पालन एवं कृषि माना जाता है। वे पशुओं के साथ सहज जीवन जीते थे। खुदाई से मिट्टी की एक बैलगाड़ी मिली है। बैलगाड़ी किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर हो सकती है जिसमें भव्यता और आडंबर कहीं भी दिखाई देता है। सिंधु सभ्यता में घरों के खंडहरों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है।

ये आकार में छोटे और साधारण परिवेश से मेल खाते हैं। दो मंजिला इमारतों की भी कल्पना की गई है। परंतु बहुमंजिला महल और भव्य इमारतें भी होंगी ऐसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बरतनों और मृद भाँड़ों को देखकर भी यही कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता में खान-पान में साधारण बरतनों का प्रया। किया जाता था। सिंधु सभ्यता में औज़ारों का प्रयोग तो बहुत मिलता है परंतु हथियार भी प्रयोग में होते होंगे इसका कोई प्रमाण नहीं है।

वे लोग अनुशासन प्रिय थे परंतु यह अनुशासन किसी ताकत या बल के द्वारा कायम नहीं किया गया बल्कि लोग अपने मन और कर्म से ही अनुशासन प्रिय थे। बड़े मंदिरों और देवी-देवताओं की बड़ी मूर्तियों के अवशेष भी नदारद हैं।

अगर सिंधु सभ्यता से जुड़े ले: धर्मपरायण होते तो इस खुदाई में किसी बड़े मंदिर और मूर्तियों के अवशेष अवश्य मिलते। मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक दाढ़ीवाले नका की छोटी मूर्ति मिली है परंतु यह मूर्ति किसी राजतंत्र या धर्मतंत्र की प्रमाण नहीं कही जा सकती। विश्व की अन्य सभ्यताओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन से भी यही अनुमान लगाया जा सकता है कि सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो कि समाज पोषित है, राजपोषित अथवा धर्मपोषित नहीं है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Ateet Mein Dabe Paon Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 3.
पुरातत्व के किन चिहनों के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि-सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ : से अनुशासित सभ्यता थी। (C.B.S.E. Delhi 2009, A.I. C.B.S.E. 2009)
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के लोग सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मानवीय एवं अनुशासन प्रिय थे। पुरातात्विक खोजों में बरतनों, सोने की सूइयों, मृद-भांडों, छोटी नावों, बैलगाड़ी, छोटे-छोटे घर, तंग सीढ़ियाँ, नगर-योजना, जल व्यवस्था आदि मानवीय जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। औजार मनुष्य के व्यवसाय से जुड़े होते हैं। कृषि एवम पशुपालन सिंधु सभ्यता के दो मुख्य व्यवसाय थे। संग्रहालय में रखी चीजों को अगर गौर से देखें तो वहाँ औज़ार जैसी चीजें तो बहुत रखी हैं परंतु हथियार कोई नहीं है।

हथियार राजतंत्र की पहचान होते हैं। राजा और हथियारों का समन्वय एक सामान्य-सी बात है। हथियारों और ताकत के बल से सिंधु घाटी के लोगों को अनुशासित किया गया हो ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता। वे जीवन में आत्मीयतापूर्ण अनुशासन रखते थे। अपने काम-धंधे में मस्त थे। यहाँ किसी बड़े राजा का शासन था अथवा अनुशासन राजा के डर से पैदा हुआ हो, यह दूर की बात लगती है। अपने-अपने कार्यों और धंधों से जुड़े लोग समझ से ही अनुशासित हैं; उनको किसी ताकत से अनुशासित नहीं किया जा सकता। पुरातात्विक चिह्नों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता ताकत से शासित की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।

Ateet Mein Dabe Paon NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 4.
‘यह सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती; वे आकाश की तरफ़ अधूरा रह जाता हैं। लेकिन उन सारे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं उसके पार झाँक रहे हैं।’ इसके पीछे लेखक का क्या आशय है?
उत्तर :
लेखक ‘ओम थानवी’ अपनी यात्रा के समय मोहनजोदड़ो नगर की सड़कों, गलियों और घरों में घूमते हैं। वे वहाँ की एक-एक चीज़ को देखकर तत्कालीन समय की अनुभूतियों से जुड़ना चाहते हैं। बौद्ध स्तूप, गढ़, महाकुंड और स्नानागार को देखने के पश्चात जब वे घरों में प्रवेश करते हैं तो टूटे-फूटे घरों को देखकर भावुक हो जाते हैं। मोहनजोदड़ो में सड़कें, बाजार, रईसों और कामगारों की बस्तियाँ हैं। सड़क के दोनों तरफ़ घर हैं। ये घर एक व्यवस्थित नगर-योजना के अनुसार बनाए गए हैं।

इन एक मंजिला घरों में प्रवेश करते लेखक कहते हैं, “यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था अब भी वहीं है। आप इसकी किसी भी दीवार पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहरी पर पाँव रखकर आप सहसा सहम सकते हैं। रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रुन-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरों में मिट्टी के रंग में देखा है।

सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती; वे आकाश की तरफ़ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झाँक रहे हैं।” इस कथन के पीछे लेखक का आशय है कि इन टूटे-फूटे घरों की सीढ़ियों पर खड़े होकर आप दुनिया (विश्व) को देख सकते हैं अर्थात विश्व सभ्यता के दर्शन कर सकते हैं। क्योंकि सिंधु सभ्यता विश्व की महान सभ्यताओं में से एक है।

सिंधु सभ्यता आडंबर रहित एवं अनुशासन प्रिय है इसलिए सिंधु सभ्यता के माध्यम से विश्व सभ्यता को देखा जा सकता है। खंडहरों से मिले अवशेषों और इन टूटे-फूटे घरों से केवल सिंधु सभ्यता का इतिहास ही देखा जा सकता है बल्कि उससे कहीं आगे मानवता को भी देखा जा सकता है। ऐसे कौन-से कारण रहे होंगे कि ये महानगर आज केवल खंडहर बनकर रह गए हैं अथवा ये बड़े महानगर क्यों उजड़ गए। इस प्रकार इन सीढ़ियों पर चढ़कर किसी इतिहास की ही खोज नहीं करना चाहते बल्कि सिंधु सभ्यता के सभ्य मानवीय समाज को देखना चाहते हैं।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 Question Answer प्रश्न 5.
टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती ज़िंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज़ : होते हैं। इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। (C.B.S.E. 2011 Set-l, II, 2012 Set-II)
उत्तर :
सिंधु घाटी की खुदाई में मिले स्तूप, गढ़, स्नानागार, टूटे-फूटे घर, चौड़ी और कम चौड़ी सड़कें, गलियाँ, बैलगाड़ियाँ, सीने की सूइयाँ, छोटी-छोटी नावें किसी भी सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास कही जा सकती हैं। इन टूटे-फूटे घरों के खंडहर उस सभ्यता की ऐतिहासिक कहानी बयान करते हैं। मिट्टी के बरतन, मूर्तियाँ, औजार आदि चीजें उस सभ्यता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को नापने का बढ़िया औजार हो सकते हैं परंतु मोहनजोदड़ो के ये टूटे-फूटे घर अभी इतिहास नहीं बने हैं। इन घरों में अभी धड़कती जिंदगियों का अहसास होता है।

संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा सामान भले ही अजायबघर में रख दिया हो परंतु शहर अभी वहीं हैं जहाँ कभी था। अभी भी आप इस शहर की किसी दीवार के साथ पीठ टिकाकर सुस्ता सकते हैं। वे घर अब चाहे खंडहर बन गए हों परंतु जब आप इन घरों की देहरी पर कदम रखते हैं तो आप थोड़े सहम जाते हैं क्योंकि यह भी किसी का घर रहा होगा। जब किसी के घर में अनाधिकार से प्रवेश करते हैं तो डर लगना स्वाभाविक है। आप किसी रसोई की खिड़की के साथ खड़े होकर उसमें पकते पकवान की गंध ले सकते हैं।

अभी सड़कों के बीच से गुजरती बैलगाड़ियों की रुन-झुन की आवाज़ सुन सकते हैं। ये सभी घर टूटकर खंडहर बन गए हैं परंतु इनके बीच से गुजरती सांय-सांय करती हवा आपको कुछ कह जाती है। अब ये सब घर एक बड़ा घर बन गए हैं। सब एक-दूसरे में खुलते हैं। लेखक का मानना है कि “लेकिन घर एक नक्शा ही नहीं होता। हर घर का एक चेहरा और संस्कार होता है।

भले ही वह पाँच हजार साल पुराना घर क्यों न हों।” इस प्रकार लेखक इन टूटे-फूटे खंडहरों से गुजरते हुए इन घरों में किसी मानवीय संवेदनाओं का संस्पर्श करते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास होने के साथ-साथ धड़कती जिंदगी के अनछुए समयों का भी दस्तावेज़ होते हैं। इसी कारण इसे अनेक लोग ‘लो प्रोफाइल’ सभ्यता भी कहते हैं।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Atit Me Dabe Pav Question Answer NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 6.
इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है, जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा परंतु इससे आपके मन में उस नगर का एक तसवार बनती है। किसी ऐसे ऐतिहासिक स्थल, जिसको आपने नज़दीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
हरियाणा में स्थित ‘कुरुक्षेत्र’ एक विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। कुरुक्षेत्र का इतिहास सदियों पुराना है। वेदों में कुरुक्षेत्र का वर्णन मिलता है। कुरुक्षेत्र को मूलत: ‘महाभारत’ से जोड़कर देखा जा सकता है। अगर मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है तो कुरुक्षेत्र श्रीकृष्ण की कर्मस्थली है। कुरुक्षेत्र की खुदाई के फलस्वरूप पुरातात्विक विद्वानों को कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो महाभारत काल से जुड़े हैं। सरस्वती नदी महाभारत के युद्ध की उत्तरी सीमा को निर्धारित करती थी। कुरुक्षेत्र के आस-पास 48 कोस की भूमि को महाभारत की युद्ध भूमि कहा जाता है। इस 48 कोस भूमि में महाभारत कालीन अनेक अवशेष श्रीकृष्ण संग्रहालय कुरुक्षेत्र में विद्यमान हैं।

श्रीकृष्ण जी ने गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र स्थित ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था। वहाँ स्थित ‘वट वृक्ष’ महाभारतकालीन माना जाता है। कहते हैं इसी वट वृक्ष के नीचे श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश अर्जुन को दिया था। कुरुक्षेत्र का एक नाम स्थाणेश्वर (थानेसर) रहा है। थानेसर अंतिम हिंदू सम्राट हर्षवर्धन की राजधानी था। हर्षवर्धनकालीन अनेक अवशेष खुदाई के समय मिले हैं। कुरुक्षेत्र स्थित शेख चिल्ली के मकबरे के पीछे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विभाग द्वारा निरंतर खुदाई का कार्य जारी है जिसके फलस्वरूप इतिहास के कुछ और पन्ने खोले जा सकते हैं।

Atit Me Dabe Paon Class 12 Hindi Question Answer प्रश्न 7.
नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु र घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तर्क दें। (C.B.S.E. Delhi 2009)
उत्तर :
सिंधुघाटी सभ्यता के महानगर मोहनजोदड़ो की जल-व्यवस्था का वर्णन लेखक ने इस प्रकार किया है किस्तूप के टीले से दाईं तरफ़ लंबी गली के आगे एक ‘महाकुंड’ है। यह भी पता चला है कि इस गली को ‘दैव मार्ग’ कहा जाता है।

माना यह भी जाता है कि सिंधु सभ्यता में स्नान किसी अनुष्ठान का अंग होता था। यह कुंड करीब चालीस फुट लंबा और पच्चीस फुट चौड़ा है। इसकी गहराई सात फुट है। इस कुंड के उत्तर और दक्षिण दिशा में सीढ़ियाँ नीचे कुंड में उतरती हैं। इस कुंड के तीन तरफ़ साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर दिशा में दो पंक्तियों में आठ स्नानघर हैं। इनके दरवाजे एक-दूसरे के सामने न खुलकर सीधे खुलते हैं। ये स्नानागार सिंधु सभ्यता की वास्तुकला के अनूठे नमूने हैं।

इस कुंड में पक्की ईंटों का जमाव है। ईंटों के जमाव के कारण न तो कुंड का पानी जमीन में रिसता है न ही ‘अशुद्ध जल कुंड में प्रवेश करता है। कुंड के पार्श्व की दीवारों के साथ दूसरी दीवारें भी खड़ी की गई जिसमें सफ़ेद डामर का प्रयोग किया गया है। कुंड में पानी भरने के लिए एक वरफ़ कुआँ बनाया गया है। क्योंकि दोहरे धेरै वाला यह एकमात्र कुआँ है इसलिए इस कुएँ को पवित्र कुआँ माना जा सकता है।

कुंड से पानी बाहर निकालने के लिए नालियाँ बनी हुई हैं। इन नालियों की खास बात यह है कि ये ऊपर से पक्की ईंटों से ढकी मोहनजोदड़ो नगर में सड़क के दोनों ओर घर हैं परंतु किसी भी घर का दरवाजा सड़क की ओर नहीं खुलता। पहले मुख्य गली में प्रवेश करना पड़ता है इसके बाद घर की गली में और फिर घर में। प्रत्येक घर में एक स्नानघर है। घर के भीतर से पानी या मैला पानी नालियों के माध्यम से बाहर हौदी में आता है और फिर बड़ी नालियों में चला जाता है।

कहीं-कहीं नालियाँ ऊपर से खुली हैं परंतु अधिकतर नालियाँ ऊपर से बंद हैं। नगर में इमारतों के बाहर कुओं का प्रबंध है। ये कुएँ पक्की ईंटों के बने हैं। सिंधु सभ्यता से जुड़े इतिहासकारों का मानना है कि यह सभ्यता विश्व में पहली ज्ञात संस्कृति है जो कुएँ खोदकर भू-जल तक पहुँची। अकेले मोहनजोदड़ो नगर में सात सौ कुएँ हैं। इस प्रकार मोहनजोदड़ो में पानी की व्यवस्था सभ्य समाज की पहचान है। लेखक द्वारा यह प्रश्न उठाना कि नदी, कुएँ, कुंड, स्नानागार और बेजोड़ पानी निकासी व्यवस्था क्या सिंधु सभ्यता की नव्य जल-संस्कृति है; बिलकुल ठीक है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Ateet Me Dabe Paon Class 12 Hindi NCERT Solutions प्रश्न 8.
सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है। इस लेख में मोहनजोदड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है। क्या आपके मन में इससे कोई भिन्न धारणा या भाव भी पैदा होता है ? इन संभावनाओं पर कक्षा में समूह चर्चा करें।
उत्तर :
मेरे मन में तो कोई अन्य धारणा या भाव पैदा नहीं होता यदि आपके मन में कोई अन्य विचार उत्पन्न हो रहा हो तो अन्य विद्यार्थियों के साथ चर्चा कीजिए।

error: Content is protected !!