NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

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संसार पुस्तक है NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 12

Class 6 Hindi Chapter 12 संसार पुस्तक है Textbook Questions and Answers

पत्र से

प्रश्न 1.
लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है ?
उत्तर:
लेखक ने पेड़-पौधों, पत्थरों, हड्डियों आदि प्राकृतिक चीजों को प्रकृति के अक्षर कहा है।

प्रश्न 2.
लाखों करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी ?
उत्तर:
लाखों करोड़ों वर्ष पूर्व हमारी धरती बहुत गर्म थी। इस पर कोई जीव नहीं था। बहुत बाद में आकर जब पृथ्वी ठंडी हो गई तब जाकर इस पर वनस्पतियाँ और जीव उत्पन्न होने लगे। मनुष्य बहुत बाद में पृथ्वी पर आया।

प्रश्न 3.
दुनिया का पुराना हाल किन चीज़ों से जाना जाता है ? उनके कुछ नाम लिखो।
उत्तर:
दुनिया का पुराना हाल पत्थर, हड्डियों, जीवाष्म, आरती की मिट्टी की परत आदि से जाना जा सकता है।

प्रश्न 4.
गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है ?
उत्तर:
गोल और चमकीला दिखाई देने वाला रोड़ा पहले ऐसा नहीं था। पहले वह चट्टान का एक टुकड़ा था। वह भी किसी पहाड़ के नीचे की जमीन में पड़ा होगा। पानी के साथ बहकर वह नीचे आ गया। पानी के साथ निरंतर ढकेले जाने के कारण उसके कोण घिस गए। दरिया उसे और आगे बहाकर ले गई इस प्रकार की निरंतर प्रक्रिया के साथ वह गोल और चिकना हो गया।

प्रश्न 5.
गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता ? विस्तार से उत्तर लिखो।
उत्तर:
अगर दरिया उसे और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अन्त में बालू का एक ज़र्रा हो जाता और समुद्र के किनारे अपने भाइयों से जा मिलता, जहाँ एक सुन्दर बालू का किनारा बन जाता, जिस पर छोटे-छोटे बच्चे खेलते और बालू के घरौंदे बनाते। लोग उस रेत को विभिन्न कामों में प्रयोग करते। हवा चलने पर वह रेत उड़कर दूर-दूर पहुँच जाता।

प्रश्न 6.
नेहरू जी ने इस बात का हल्का-सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी। उन्होंने क्या बताया है ? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर:
नेहरू जी ने बताया है कि पृथ्वी पहले बहुत गर्म थी। धीरे-धीरे यह ठंड़ी हुई तो इस पर वनस्पतियाँ पैदा होने लगीं। इसके बाद जीव अस्तित्व में आया। फिर काफी बाद में इस धरती पर मनुष्य आया। मनुष्य के आ जाने पर यह दुनिया विकसित होने लगी। इस प्रकार इस पर अनेक सभ्यताओं का जन्म हुआ।

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पत्र से आगे

प्रश्न 1.
लगभग हर जगह दुनिया की शुरूआत को समझाती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन सी कहानी प्रचलित है ?
उत्तर:
यह धरती पहले सूर्य का ही अंग थी। अंतरिक्ष में आए किसी परिवर्तन के कारण यह सूर्य से अलग हो गई यह भी सूर्य की तरह आग का गोला ही थी। करोड़ों वर्षों में जाकर यह ठंडी हुई फिर धीरे-धीरे इस पर वनस्पतियाँ पैदा होने लगीं। इसके बाद ही जीव अस्तित्व में आया।

प्रश्न 2.
तुम्हारी पसंदीदा किताब कौन-सी है और क्यों ?
उत्तर:
मेरी पसंदीदा किताब ‘गीता’ है क्योंकि गीता में कर्म करने पर बल दिया है। गीता में जीवन का सीधा एवं सुलभ रास्ता सुझाया है। इस पुस्तक में किसी प्रकार का पाखंड नहीं है। मृत्यु के रहस्यों को भी इस पुस्तक में बड़े वैज्ञानिक तरीकों से समझाया है।

प्रश्न 3.
मसूरी और इलाहाबाद शहर भारत के कौन से प्रदेश/प्रदेशों में हैं ?
उत्तर:
पहले ये दोनों शहर उत्तर प्रदेश में ही थे। उत्तरांचल बनने के बाद मसूरी उत्तरांचल में चला गया और इलाहाबाद अब भी उत्तर प्रदेश में ही है।

प्रश्न 4.
तुम जानते हो कि दो पत्थरों को रगड़कर आदि मानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था ?
उत्तर:
उस युग में पत्थरों को हथियारों के रूप में प्रयोग किया जाता था। बाद में वे उनसे अपने घर भी बनाने लगे थे।

प्रश्न 5.
यदि प्रकृति का एक अक्षर किसी पेड़ को मानें, तो क्या उसे पढ़ने के लिए सिर्फ आँखों का इस्तेमाल करना होगा ?
उत्तर:
नहीं ऐसा नहीं हम उसको छूकर भी उसके बारे में जान सकते हैं।

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अनुमान और कल्पना

मान लो कि डिब्बे में रखा अचार हो। उसका मूल रूप क्या था ? यानी अचार किस चीज़ का है ? यह कैसे बना होगा? बनाने वाले हाथ बुजुर्ग औरत के होंगे या नौजवान आदमी के ? फैक्ट्री में बनाया गया होगा, या घर में ? घर में डाला गया होगा तो किन-किन चीज़ों को ध्यान में रखा गया होगा ? अगर किसी मशहूर दुकान का अचार है, तो उस दुकान से कितना पुराना रिश्ता होगा ? किन-किन मौकों पर वह डिब्बा उतारा जाता होगा ?
इसी प्रकार कुछ और चीज़ों के बारे में अनुमान लगाओ और बताओ-
ताला
कुरसी
रज़ाई
उत्तर:
ताला : ताला लोहे से बना होता है उसको लोहार बनाता है, अब तो ताले फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं। जब हम घर से बाहर जाते हैं तो ताले का इस्तेमाल करते हैं।

कुरसीः कुरसी का मूल रूप लकड़ी भी है लोहा भी है। मिस्त्री कुरसी बनाता है फिर वह उसको सुंदर बनाता है। कुरसी बैठने के काम आती है। जब कोई अतिथि आता है तो उसे कुरसी पर बिठाया जाता है।

रजाई : रजाई का मूल रूप कपास है। एक प्रकार की चरखी में कपास से बिनौले अलग करके रूई निकाली जाती है। रूई को धुनकर उसी रूई के धागों से बने कपड़े में उसको भर दिया जाता है। जब सरदी आती है तो हम रजाई ओढ़ते हैं।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपने आसपास के किसी पेड़ से कोई हरी पत्ती उठाओ और उसे खिड़की की मुँडेर पर रख दो और देखो कि वह कब-कब, कितने समय बदलती है ? उसकी बनावट में हर दिन क्या फ़र्क आ रहा है ? धूप और छाँव में उसका क्या रंग होता है? पत्ती बनने से लेकर सूखने तक के सफर में उसके आकार, रंग, नाड़ियों आदि में क्या बदलाव आया ? तालिका बनाकर उसमें यह बदलाव दर्ज करो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पास के शहर में कोई संग्रहालय हो तो वहाँ जाकर पुरानी चीजें देखो। अपनी कक्षा में उस पर चर्चा करो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘इस बीच वह दरिया में लुढ़कता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएँ पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नज़र आती है ?
ढकेलना सरकना खिसकना
इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।
उत्तर:
ढकेलना : पहाड़ी रास्तों से चट्टानों को ढकेलना पड़ता है तभी रास्ता साफ होता है।
सरकना : मोहन आगे सरकना ही नहीं चाहता कई सालों से वह उसी कक्षा में पड़ा है।
खिसकना : धरती के अंदर चट्टानों के खिसकने से भूकंप आता है।

प्रश्न 2.
चमकीला रोड़ा-यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो-
पत्थर …………………… काँटा …………
रस …………………… जहर ………..
उत्तर:
पथरीला, कँटीला, रसीला, ज़हरीला।

प्रश्न 3.
‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’ यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब-तो (तब) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ-
(क) कृष्णन फ़िल्म देखना चाहता है ………….. मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा…………… वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब दुर्गापुर जाएँगे ………….. जालंधर।
(घ) सब्जी कटवा कर रखना ………….. घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) …………. मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा ………….. मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं ………….. तारीफ़ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है ………….. अनाज महँगा है।
(ज) विमल जमन सीख रहा है ………….. फ्रेंच।
बल्कि / इसलिए / परंतु / कि । यदि / तो / न कि / या / ताकि
उत्तर:
(क) कृष्णन फ़िल्म देखना चाहता है.परन्तु मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब दुर्गापुर जाएँगे न कि जालंधर।
(घ) सब्जी कटवा कर रखना ताकि घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) यदि मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा तो मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं बल्कि तारीफ़ की थी।
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई इसलिए अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है या फ्रेंच।

सुनना और देखना

1. एन.सी.ई.आर.टी. की श्रव्य श्रृंखला ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’।
2. एन.सी.ई.आर.टी. का श्रव्य कार्यक्रम ‘पत्थर और पानी की कहानी’।

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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. यह तो तुम जानती ही हो कि यह धरती लाखों करोड़ों वर्ष पुरानी है, और बहुत दिनों तक इस पर कोई आदमी न था। आदमियों से पहले सिर्फ जानवर थे, और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था जब इस धरती पर कोई जानदार चीज न थी, आज जब यह दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी हुई है, उस जमाने का ख्याल करना भी मुश्किल है जब यहाँ कुछ था। लेकिन विज्ञान जानने वालों और विद्वानों ने, जिन्होंने इस विषय को खूब सोचा और पढ़ा है, लिखा है कि एक समय ऐसा था जब यह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी और अगर हम उनकी किताबें पढ़ें और पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें तो हमें खुद मालूम होगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘संसार एक पुस्तक है’ पाठ से लिया गया है। इस पाठ के मूल लेखक पं० जवाहरलाल नेहरू जी हैं। इसका अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद ‘प्रेमचंद’ जी ने किया है। यहाँ लेखक ने धरती के बारे में बताया है।

व्याख्या- लेखक अपनी पुत्री इन्दिरा को इस पत्र में कहते हैं कि यह धरती लाखों करोड़ों वर्ष पुरानी है। धरती पर पहले कोई आदमी नहीं था। धरती पर जीवों में सबसे पहले जानवर अस्तित्व में आए। प्रारंभ के दिनों में धरती पर कोई जीव पैदा ही नहीं होता था। आज इस धरती पर आदमियों और जानवरों की भरमार हो रही है। विद्वानों और वैज्ञानिकों ने धरती के बारे में बहुत खोज की है। उन्होंने अपने अध्ययन, अनुभवों एवं प्रयोगों से यह जाना कि यह धरती पहले बहुत गर्म थी। इस धरती का मौसम ऐसा नहीं था कि कोई जानवर या चीज इस पर रह सके। यदि हम उन विद्वानों और वैज्ञानिकों की किताबों का अध्ययन करें और पहाड़ों के पुराने टुकड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को ध्यानपूर्वक देखें तो हमें यकीन आ जाएगा कि ऐसा समय भी कभी अवश्य रहा होगा।

2. ये पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियाँ और इसी तरह की और भी कितनी ही चीजें हैं जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। मगर हाल जानने का असली तरीका यह नहीं है कि हम केवल दूसरों की लिखी हुई किताबें पढ़ लें, बल्कि खुद संसार-रूपी पुस्तक को पढ़ें। मुझे आशा है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़ कर तुम थोड़े ही दिनों में उनका हाल जानना सीख जाओगी। सोचो, कितनी मजे की बात है। एक छोटा-सा रोड़ा जिसे तुम सड़क पर या पहाड़ के नीचे पड़ा हुआ देखती हो, शायद संसार की पुस्तक का छोटा-सा पृष्ठ हो, शायद उससे तुम्हें कोई नई बात मालूम हो जाए। शर्त यही है कि तुम्हें उसे पढ़ना आता हो।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘संसार एक पुस्तक है’ पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक ‘पं० जवाहरलाल नेहरू जी’ हैं। इसका अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद ‘प्रेमचंद’ जी ने किया है। लेखक ने इन पंक्तियों में दुनिया के बारे में जानकारी देने वाली वस्तुओं के बारे में बताया है।

व्याख्या- लेखक का कहना है कि इस दुनिया के बारे में जानकारी हमें पहाड़, समुद्र, तारे, नदियों, जंगल एवं जानवरों की पुरानी हड्डियों से भी मिलती है। यह संसार एक पुस्तक है। इस पुस्तक को पढ़ना आना चाहिए। इन चीजों के अतिरिक्त और भी कितनी ही ऐसी चीजें हैं जो हमें दुनिया का हाल बता सकती हैं। केवल पुस्तकें पढ़कर ही इस दुनिया के बारे में नहीं जाना जा सकता बल्कि हमें स्वयं संसार रूपी इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए। जो व्यक्ति पुस्तक लिखता है वह भी उस जानकारी को संसार रूपी पुस्तक को पढ़कर ही लिखता है। लेखक ‘इंदिरा’ से कहते हैं यदि तुम भी प्रकृति की इन चीजों को गौर से देखोगी तो थोड़े दिनों में ही उनका हाल जानना अच्छी प्रकार आ जाएगा। एक छोटा-सा रोड़ा जिसे तुम सड़क या पहाड़ पर पड़े देखते हो यह भी इस दुनिया के बारे में बहुत-सी जानकारी देता है। जरूरत इस बात की है कि तुम उसको पढ़ना जानती हो या नहीं।

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संसार पुस्तक है Summary

पाठ का सार

पिता जवाहर लाल नेहरू के द्वारा अपनी पुत्री को लिखे गए पत्रों का वर्णन है। वे कहते हैं कि जब तुम मेरे साथ रहा करती थीं तो अक्सर मुझसे बहुत सी बातें पूछा करती थीं और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता था लेकिन अब तुम मेरे साथ नहीं हो। मैं इलाहाबाद में हूँ और तुम मसूरी में हो तो हम दोनों पहले की तरह बातें नहीं कर सकते। इसलिए मैंने सोचा है कि कभी-कभी इस दुनिया की और इस दुनिया में जो छोटे बड़े देश बसे हुए हैं उनकी छोटी-छोटी कथाएँ तुम्हें लिखा करूँ। तुमने इतिहास में इंग्लैंड और हिन्दुस्तान के बारे में तो कुछ पढ़ा है। लेकिन इंग्लैंड एक छोटा सा टापू है और हिन्दुस्तान एक बहुत बड़ा देश है। हिन्दुस्तान फिर भी दुनिया का एक छोटा सा हिस्सा है। अगर तुम्हें इस दुनिया के बारे में कुछ जानना है कि दुनिया में क्या-क्या हो रहा है और कैसे हो रहा है तो तुम्हें सब देशों का तथा उसमें बसी अनेकों जातियों तथा धर्मों का भी ध्यान रखना पड़ेगा। केवल उसी छोटे से देश का नहीं जहाँ पर तुमने केवल जन्म लिया है।

मुझे ज्ञात है कि इन छोटे-छोटे पत्रों में मैं तुम्हें केवल थोड़ी सी बातें ही लिख पाऊँगा। लेकिन मुझे उम्मीद है कि तुम इन थोड़ी सी बातों को भी बड़े शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि यह दुनिया एक है और दूसरे सभी लोग जो इस दुनिया में रहते हैं वे किसी भी धर्म से सम्बन्ध रखते हों वे सब हमारे भाई-बहिन हैं। हमें आपस में किसी से द्वेष नहीं करना चाहिए।

जब तुम बड़ी हो जाओगी तो दुनिया के बारे में और उसमें रहने वाले लोगों का हाल जानने के लिए तुम्हें बड़ी-बड़ी अनेकों किताबों का अध्ययन करना होगा क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है। इसमें विभिन्न धर्मों व जातियों के लोग रहते हैं। सभी की भाषा, रहन-सहन अलग-अलग हैं। इन मोटी पुस्तकों को पढ़ने में तुम्हें जो आनन्द मिलेगा वह कभी किसी कहानी या उपन्यास के पढ़ने में न मिला होगा।

यह तुम्हें ज्ञात है कि यह धरती लाखों करोड़ों वर्ष पुरानी है। काफी समय तक इस पर कोई मानव या जीव नहीं था केवल जानवर थे। जानवरों से पहले एक ऐसा समय भी था जब इस धरती पर कोई जानदार चीज न थी लेकिन आज यह दुनिया मानवों तथा सभी प्रकार के जीव-जन्तु व जानवरों से परिपूर्ण है। उस समय की कल्पना करना भी बड़ा मुश्किल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक समय ऐसा था जब यह धरती काफी गरम थी। यह एक गैस के गोले की तरह थी इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। वैज्ञानिकों ने इस विषय को खूब सोचकर पढ़ा और लिखा। अगर हम भी उनकी किताबों को पढ़ें, पहाड़ों और जानवरों की हड्डियों को देखें तो हमें मालूम होगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

इतिहास को तुम किताबों में पढ़ सकते हो लेकिन पुराने जमाने में जब आदमी पैदा ही नहीं हुआ तो किताबें किसने लिखी होंगी। तब हमें उस जमाने के बारे में जानकारी कहाँ से हासिल होगी। यह तो हो नहीं सकता कि हमें घर बैठे हर चीज की जानकारी मिल जाए। मजे कि बात यह है कि हम अपने मन में जो चाहते हैं सोच लेते हैं अनेकों कहानियाँ गढ़ लेते हैं लेकिन वह ठीक कैसे हो सकती है। लेकिन खुशी की बात यह भी है कि पुराने जमाने की किताबें न होने से कुछ ऐसी चीजें हैं जिनसे हमें उतनी ही जानकारी हासिल हो सकती है जितनी किताबों से! जैसे, पहाड़, नदियाँ, झरने, जानवरों की हड्डियाँ । खुदाई में प्राप्त चीजों के द्वारा हमें पुरानी दुनिया का हाल मालूम हो सकता है। हमें दूसरों की लिखी हुई किताबों को नहीं बल्कि स्वयं संसार रूपी पुस्तक को पढ़ना होगा। मुझे आशा है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़कर तुम थोड़े ही समय में उनका हाल जान जाओगी।

किसी भी भाषा उर्दू, अंग्रेजी, फारसी, हिन्दी, पंजाबी आदि सीखने के लिए उसके अक्षर सीखने होते हैं। इसी तरह तुम्हें प्रकृति के अक्षर रूपी पत्थर पढ़ने होंगे तभी तुम उसकी कहानी पत्थरों और चट्टानों की किताब से पढ़ सकोगी। जब तुम कोई छोटा सा गोल पत्थर (रोड़ा) देखती हो तो वह तुम्हें कुछ नहीं बतलाता कि वह कैसे गोल, चिकना, चमकीला हो गया। यदि तुम किसी चट्टान को तोड़कर टुकड़ों में विभाजित कर दो तो प्रत्येक टुकड़ा खुरदरा व नुकीला होगा। यह गोल चिकने पत्थर की तरह बिल्कुल नहीं होगा। फिर किस तरह यह पत्थर इतना चिकना, चमकीला गोल हो गया। अगर तुम्हारी आँखें देख सकतीं और कान सुन सकते तो तुम उसी की जबान से उसकी कहानी सुन सकतीं। वह कहेगा कि एक समय वह भी एक चट्टान का टुकड़ा था जिसके किनारे खुरदरे, नुकीले थे जिसे तुम बड़ी चट्टान से तोड़ती हो। जब पानी आया और उसे बहाकर घाटी तक ले गया फिर पहाड़ी नाले के द्वारा छोटे दरिया में पहुँचा दिया। इसी बीच वह दरिया की तली में लुढ़कता रहा और लुढ़कने से उसके किनारे घिस गए वह गोल, चिकना और चमकदार हो गया। किसी वजह से दरिया ने उसे छोड़ दिया और तुमने उसे पा लिया। अगर दरिया उसे आगे बहाकर ले जाता तो वह बालू का एक कण बन जाता। समुद्र के किनारे की बालू से जा मिलता और एक सुन्दर बालू का किनारा बन जाता जहाँ पर बच्चे खेलते और बालू से घर बनाते। .

एक छोटे से रोड़े, पत्थर के द्वारा हमें इतनी बातें मालूम हुईं तो पहाड़, नदियों, झरनों आदि दूसरी चीजों से जो हमारे चारों तरफ हैं हमें अनेकों बातें मालूम हो सकती हैं।

शब्दार्थ : अक्सर – प्रायः, दामन – पहाड़ के नीचे की जमीन, दुनिया – संसार, आनंद – उल्लास, खुशी, टापू – जमीन का वह भाग जो चारों ओर, उपन्यास – कल्पित और लम्बी कहानी जल से घिरा हो (द्वीप), खत – पत्र, चिट्ठी, धरती – पृथ्वी, भूमि, किताब – पुस्तक, पोथी, आबाद – बसा हुआ, जानवर – पशु, प्राणी, पहाड़ – पर्वत, गिरि, समुद्र – समंदर, नदी – झील, चमकीला– चमकदार, आँख – चक्षु, नेत्र, बालू – रेत, खुरदरा – जिसकी सतह चिकनी न हो, गढ़ना – निर्माण करना, दरिया – नदी, शर्त – किसी बात पर अटल होने का भाव, ऐसा निश्चय जिस पर कायम रहना होता है

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