Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 3 स्वावलम्बनम् Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 3 स्वावलम्बनम्
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-
विंशतिः – त्रिंशत् – चत्वारिंशत्
द्वाविंशतिः – द्वात्रिंशत् – द्विचत्वारिंशत्
चतुर्विंशतिः – त्रयस्त्रिंशत् – त्रयश्चत्वारिंशत्
पञ्चविंशतिः – चतुस्त्रिंशत् – चतुश्चत्वारिंशत्,
अष्टाविंशतिः – अष्टात्रिंशत् – सप्तचत्वारिंशत्
नवविंशतिः – नवत्रिंशत् – पञ्चाशत्।
उत्तर:
स्वयं उच्चारण कीजिए।
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि लिखत
(क) कस्य भवने सर्वविधानि सुखसाधनानि आसन्?
(ख) कस्य गृहे कर्मकर: नासीत्?
(ग) श्रीकण्ठस्य आतिथ्यम् के अकुर्वन्?
(घ) प्रत्येकं चतुर्थवर्षे फरवरी-मासे कति दिनानि भवन्ति?
(ङ) कति ऋतवः भवन्ति?
(च) कृष्णमूर्तेः कति कर्मकराः सन्ति?
उत्तर:
(क) श्रीकण्ठस्य
(ख) कृष्णमूर्तेः
(ग) कृष्णमूर्तिः, तस्य माता-पिता च
(घ) एकोनत्रिंशत्
(ङ) षडू
(च) अष्टौ।
प्रश्न 3.
चित्राणिगणयित्वा तदने संख्यावाचकशब्दं लिखत
उत्तर:
(क) अष्टादश
(ख) एकविंशतिः
(ग) पञ्चदश
(घ) षट्त्रिंशत्
(ङ) चतुर्विंशतिः
(च) त्रयस्त्रिंशत्।
प्रश्न 4.
मञ्जूषातः अङ्कानां कृते पदानि चिनुत
चत्वारिंशत्, सप्तविंशतिः, एकत्रिंशत्, पञ्चाशत्, अष्टाविंशतिः, त्रिंशत्, चतुर्विंशतिः
उत्तर:
28 = अष्टाविंशतिः
27 = सप्तविंशतिः
30 = त्रिंशत्
31 = एकत्रिंशत्
24 = चतुर्विंशतिः
40 = चत्वारिंशत्
50 = पञ्चाशत्
प्रश्न 5.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत
कृषकः, कृषकौ, एते, धान्यम्, एषः, कृषकः, एतौ, क्षेत्रम्, कर्षति, कुरुतः, खननकार्यम्, रोपयन्ति
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उत्तर:
(क) एषः कृषक: क्षेत्रम् कर्षति।
(ख) एतौ कृषकौ खननकार्यम् कुरुतः।
(ग) एते कृषकाः धान्यम् रोपयन्ति।
प्रश्न 6.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं करुत यथा- अहं स्वावलम्बनस्य सुखं प्रतिदिनम् अनुभवामि।
अहं कस्य सुखं प्रतिदिनम् अनुभवामि?
(क) कृष्णमूर्तिः सामान्यकृषकस्य पुत्रः आसीत्।
(ख) अधुना गृहे कोऽपि कर्मकरः नास्ति।
(ग) नक्षत्राणाम् आवागमनं स्वयमेव भवति।
(घ) एकस्मिन् वर्गे सप्तदश छात्रा: अपठन्।
उत्तरा:
(क) कः सामान्यकृषकस्य पुत्रः आसीत्?
(ख) अधुना कुत्र कोऽपि कर्मकरः नास्ति?
(ग) केषाम् आवागमनं स्वयमेव भवति?
(घ) एकस्मिन् वर्गे कति छात्राः अपठन्?
प्रश्न 7.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
षड्, त्रिंशत्, एकत्रिंशत्, द्वौ, द्वादश, अष्टाविंशतिः।
(क) ………………………………. ऋतवः भवन्ति।
(ख) मासा: ………………………………. भवन्ति ।
(ग) एकस्मिन् मासे ………………………………. अथवा ………………………………. दिवसाः भवन्ति।
(घ) फरवरी-मासे सामान्यत: ………………………………. दिनानि भवन्ति।
(ङ) मम शरीरे ………………………………. हस्तौ स्तः।
उत्तरा:
(क) षड्,
(ख) द्वादश,
(ग) त्रिंशत्/एकत्रिंशत्,
(घ) अष्टाविंशतिः,
(ङ) द्वौ।
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत
प्रश्न 1.
श्रीकण्ठस्य पिता कीदृशः आसीत्?
(क) वीरः
(ख) समृद्धः
(ग) बुद्धिमान्
(घ) निर्धनः।
उत्तरा:
(ख) समृद्धः
प्रश्न 2.
कृष्णमूर्ते: वासगृहं कीदृशम् आसीत्?
(क) आडम्बरविहीनम्
(ख) अस्वच्छम्
(ग) पर्णनिर्मितम्
(घ) सुसज्जितम्।
उत्तरा:
(क) आडम्बरविहीनम्
प्रश्न 3.
कस्मिन् सदा सुखमेव?
(क) चौर्यकर्मणि
(ख) स्वावलम्बने
(ग) कलहे
(घ) पराश्रिते।
उत्तरा:
(ख) स्वावलम्बने
प्रश्न 4.
‘भवन्ति’ पदे कः लकार:?
(क) लट्
(ख) लुट
(ग) लङ्
(घ) लोट।
उत्तरा:
(क) लट्
प्रश्न 5.
‘भृत्यः’ पदस्य समानार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) वनम्
(ख) पण्डितः
(ग) राजा
(घ) सेवकः।
उत्तरा:
(घ) सेवकः
प्रश्न 6.
‘पच्चीस’ पदस्य कृते संख्यावाचीपदम् किम् भविष्यति?
(क) पञ्चविंशतिः
(ख) पञ्चाविंशतिः
(ग) पञ्चविंशत्
(घ) पञ्च।
उत्तरा:
(क) पञ्चविंशतिः।
Class 7 Sanskrit Chapter 3 स्वावलम्बनम् Summary
1. ‘कृष्णमूर्तिः ………………………………. आसीत्। (पृष्ठ 13)
हिन्दी सरलार्थ-कृष्णमूर्ति और श्रीकण्ठ दो मित्र थे। श्रीकण्ठ के पिता धनवान थे। इसलिए उसके घर में सब प्रकार के सुख साधन थे। उस बड़े घर में चालीस खम्भे थे। वहाँ अठारह कमरों में पचास खिड़कियाँ और चौवालीस दरवाजे थे। परन्तु कृष्णमूर्ति के माता-पिता किसान थे। उनके रहने का घर आडम्बररहित और सुन्दर था।
2. एकदा श्रीकण्ठः ………………………………. कष्टं भवति। (पृष्ठ 13)
हिन्दी सरलार्थ-एक बार श्रीकण्ठ उसके साथ उसके घर गया। वहाँ कृष्णमूर्ति और उसके माता-पिता ने अपनी शक्ति से श्रीकण्ठ का अतिथि-सत्कार किया। उसके घर में कोई भी नौकर नहीं था। यह देखकर श्रीकण्ठ ने कहा-मित्र! मैं आपके अतिथि सत्कार से सन्तुष्ट हूँ। केवल यही बात मुझे दुःखी करती है कि तुम्हारे घर में एक भी नौकर नहीं है जिससे मेरे अतिथि सत्कार के लिए आप कष्ट कर रहे हैं। मेरे घर में तो बहुत-सारे नौकर हैं। तब स्वावलम्बी कृष्णमूर्ति बोला-मित्र! मेरे भी आठ नौकर हैं और वे हैं-दो पैर, दो हाथ, दो आँखें और दो कान। ये हर क्षण मेरे अधीन रहते हैं। परन्तु तुम्हारे नौकर दिन-रात काम नहीं कर सकते। तुम तो अपने कार्य के लिए अपने नौकरों के अधीन हो। जब-जब वे अनुपस्थित होते हैं तब-तब तुम कष्ट अनुभव करते हो। स्वावलम्बन में तो हमेशा सुख ही होता है, कभी भी कष्ट नहीं होता है।
3. अहं मासे मासे ………………………………. करिष्यामि। (पृष्ठ 13)
हिन्दी सरलार्थ-मैं हर महीने और हर ऋतु में अपनी दिनचर्या को उसके अनुकूल बना लेता हूँ। यह सुनकर श्रीकण्ठ ने कहा मित्र! मैं तो नहीं जानता कि कौन से महीने होते हैं और कौनसी ऋतुएँ होती हैं। यह सुनकर कृष्णमूर्ति ने बारह महीनों और छः ऋतुओं के नाम बताए। श्रीकण्ठ ने पूछा-एक महीने में कितने दिन होते हैं? कृष्णमूर्ति बोला-एक महीने में तीस या इकतीस दिन होते हैं। फरवरी के महीने में अट्ठाइस दिन होते हैं परन्तु उसमें हर चौथे वर्ष में उनतीस दिन होते हैं। श्रीकण्ठ बोला-मित्र! तुम्हारे वचन सुनकर मेरे मन में बहुत प्रसन्नता हुई है। अब मैं भी अपने काम स्वयम् ही करूँगा।