Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत –
उत्तर:
स्वयं उच्चारण करें।
प्रश्न 2.
उदाहरणम् अनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत
(क) निर्भयं नंकः स्वयमेव रक्षति?
(ख) पार्वती तपस्यार्थ कत्र अगच्छत?
(ग) कः अशिवं चरति ?
(घ) शिवनिन्दां श्रुत्वा का क्रुद्धा जाता?
(ङ) वटुरूपेण तपोवनं कः प्राविशत् ?
उत्तर:
(क) ईश्वरः
(ख) कानने
(ग) शिवः
(घ) पार्वती
(ङ) शिवः।
प्रश्न 4.
कः/का कं/कां प्रति कथयति –
उत्तर:
प्रश्न 5.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) वटुं दृष्ट्वा पार्वती सादरं किम् अवदत् ?
(ख) वटुः पार्वतीं किम् अपृच्छत् ?
(ग) नारदवचनप्रभावात् पार्वती किं कर्तुम् ऐच्छत् ?
उत्तर:
(क) वटुं दृष्ट्वा पार्वती सादरम् अवदत्-‘वटो! स्वागतं ते। उपविशतु भवान्।’
(ख) वटुः पार्वतीम् अपृच्छत्-‘हे तपस्विनि ! किमर्थं कठिनं तपः समाचरसि ? स्वकीयाम् तनुं च मलिनां करोषि।’
(ग) नारदवचनप्रभावात् पार्वती तपस्यां कर्तुम् ऐच्छत्।
प्रश्न 6.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा समानार्थकानि पदानि लिखत –
माता दृष्ट्वा कानने जन्तवः
नेत्राणि ………………………. (1) ……………………….
पशवः ………………………. (2) ……………………….
जननी ………………………. (3) ……………………….
नयनानि ………………………. (4) ……………………….
विलोक्य ………………………. (5) ……………………….
उत्तर:
(1) कानने
(2) जन्तवः
(3) माता
(4) नेत्राणि
(5) दृष्ट्वा।
प्रश्न 7.
उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत
यथा-
वसति स्म = अवसत्
(क) पश्यति स्म
(ख) लिखति स्म
(ग) चिन्तयति स्म
(घ) वदति स्म
(ङ) गच्छति स्म
उत्तर:
(1) अपश्यत्
(2) अलिखत्
(3) अचिन्तयत्
(4) अवदत्
(5) अगच्छत्।
प्रश्न 8.
यथा- अलिखत् = लिखति स्म।
(क) ……………….. = कथयति स्म।
(ख) ……………….. नयति स्म।
(ग) ……………….. पठति स्म।
(घ) ……………….. धावति स्म।
(ङ) ……………….. हसति स्म।
उत्तर:
(क) अकथयत्
(ख) अनयत्
(ग) अपठत्
(घ) अधावत्
(ङ) अहसत्।
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत
प्रश्न 1.
पार्वती के पतिरूपेण इच्छति स्म?
(क) रामम्
(ख) कृष्णम्
(ग) शिवम्
(घ) विष्णुम्।
उत्तर:
(ग) शिवम्
प्रश्न 2.
जनाः सङ्कल्पसिद्धये कम् पूजयन्ति ?
(क) शिवम्।
(ख) पण्डितम्
(ग) सत्यम्
(घ) धनम्।
उत्तर:
(क) शिवम्
प्रश्न 3.
शिवः कस्य रूपम् धृत्वा आगच्छत् ?
(क) वटोः
(ख) ब्राह्मणस्य
(ग) भिक्षुकस्य
(घ) नृपस्य।
उत्तर:
(क) वटोः
प्रश्न 4.
‘वसनम्’ पदस्य समानार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) गृहम्
(ख) आभूषणम्
(ग) धनम्
(घ) वस्त्रम्।
उत्तर:
(घ) वस्त्रम्
प्रश्न 5.
‘उचितम्’ पदस्य विपरीतार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) ओचितम्
(ख) अनुचितम्
(ग) चितम्
(घ) अनाचितम्।
उत्तर:
(ख) अनुचितम्
प्रश्न 6.
‘कोमलम्’ पदस्य विपरीतार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) कठोरम्
(ख) दीर्घम्
(ग) सुन्दरम्
(घ) मलिनम्।
उत्तर:
(क) कठोरम्।
Class 7 Sanskrit Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary
1. नारदवचनप्रभावात् …………………………………… भविष्यति। (पृष्ठ 36)
हिन्दी सरलार्थ-नारद जी के वचनों के प्रभाव से पार्वती शिवजी को पति के रूप में चाहती हुई तपस्या करना चाहती थी। उसने अपना संकल्प माँ से निवेदन किया। वह सुनकर पार्वती की माता चिन्तित हो गई।
पुत्री के कोमल शरीर को देखकर माँ ने आदेश दिया-बेटी ! कहाँ कठिन तपस्या और कहाँ तुम्हारा कोमल शरीर। कैसे धूप से या सर्दी से अपनी रक्षा करोगी। तो तपस्या मत करो। सुख से अपने घर में ही रहो। यहीं व्रत आदि करो। इससे ही तुम्हारे मन की इच्छा पूरी हो जाएगी।
2. परन्त पार्वती …………………………………… रक्षति। (पृष्ठ 36)
हिन्दी सरलार्थ-परन्तु पार्वती ने कहा-माँ ! शिवजी को पतिरूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या ही करूँगी, यह मेरा संकल्प है। ईश्वर मेरी रक्षा करेंगे। तपस्या के लिए कोई भी घर में नहीं रहता है। ऐसा कहकर दृढ़ निश्चय वाली वह पिता के घर को छोड़कर वन में बनी हुई अपनी पत्तों की कुटिया में चली गई और शिवजी की एकाग्र चित्त से पूजा करने लगी। लम्बे समय तक उसने तपस्या की। जंगल में हिंसक पशु घूम रहे थे फिर भी पार्वती निर्भय होकर रहती थी क्योंकि निडर व्यक्ति की ईश्वर स्वयं ही रक्षा करते हैं।
3. कतिचित् मासाः …………………………………… निवेदयति स्म।। (पृष्ठ 36-37)
हिन्दी सरलार्थ-कुछ महीने बीत गए। एक बार कोई ब्रह्मचारी तपोवन में आया। ब्रह्मचारी को देखकर पार्वती आसन से उठकर उसके पास जाकर आदर सहित बोली-ब्रह्मचारी ! तुम्हारा स्वागत है। आप बैठिए।
ब्रह्मचारी ने कुशलता पूछकर उत्सुकता से पूछा-हे तपस्विनी! क्यों कठिन तपस्या कर रही हो और अपने शरीर को मलिन कर रही हो, पार्वती कुछ नहीं बोली। उसकी सहेली ने ही उसके संकल्प का प्रयोजन ब्रह्मचारी को बताया।
4. तत् श्रुत्वा …………………………………… सम्भाषणम्। (पृष्ठ 37)
हिन्दी सरलार्थ-वह सुनकर ब्रह्मचारी ने पूछा-अरे पार्वती ! क्या सत्य ही तुम शिवजी को पति रूप में चाहती हो, जो अमंगल करता है, श्मशान में रहता है, जिसकी तीन आँखें हैं जिसके वस्त्र हाथी की छाल (चमड़ा) हैं, जिसका अंगराग (सौन्दये सामग्री) चिता की भस्म है। जिसके सेवक भूतगण हैं। क्या उन्हीं शिव को पति रूप में चाहती हो?
शिवजी की निन्दा सुनकर पार्वती क्रोधित हो गई। वह बोली-अरे, बहुत अधिक बोलने वाले ! दूर हट। तुम महेश्वर के परमार्थ स्वरूप को ही नहीं जानते हो। लोग अनादिकाल से ही संकल्प की सिद्धि के लिए शिवजी की पूजा करते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ बात करना उचित नहीं है।
5. एवमुक्त्वा यदा …………………………………… तपस्य याच (पृष्ठ 37)
हिन्दी सरलार्थ-ऐसा कहकर जब वह जाने के लिए तैयार हुई तभी शिवजी ब्रह्मचारी का रूप त्याग कर उसका मार्ग रोककर बोले-पार्वती ! मैं तुम्हारे संकल्प और तपस्या से प्रसन्न हूँ।