These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5
Class 8 Hindi Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर:
फोन या एस.एम.एस. के द्वारा बात संक्षेप में कही जाती है। इनके द्वारा हृदय की पूरी बात नहीं कही जा सकती। पत्र में मन की गहन भावनाएँ प्रभावशाली ढंग से प्रकट की जा सकती हैं। फोन या एस.एम.एस. की बात सहेजकर रखना कठिन है; जबकि पत्रों को वर्षों तक सहेजकर रखा जा सकता है। यही कारण है कि पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. नहीं दे सकते।
प्रश्न 2.
पत्र को खत, कागज़, उत्तरम्, जाबू, लेख काडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषा के नाम बताइए।
उत्तर:
शब्द – संबंधित भाषा
कागद – कन्नड़
लेख – तेलुगु
जाबू – तेलुगु
उत्तरम् – तेलुगु
काडिद – तमिल
पाती – हिन्दी
चिट्ठी – हिन्दी
पत्र – संस्कृत
खत – उर्दू
प्रश्न 3.
पत्र-लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए ? लिखिए।
उत्तर:
पत्र-लेखन की कला के विकास के लिए पत्र-लेखन को स्कूली पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया। 1972 से विश्व डाक संघ ने 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया, जिसमें पत्र-लेखन को शामिल करके महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इन प्रयासों से पत्र-लेखन कला के विकास के लिए प्रयास हुआ।
प्रश्न 4.
पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एस.एम.एस. क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर:
पत्र अपने समय के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज का काम करते हैं। कुछ इन्हें सहेजकर रखते हैं। गांधी जी, नेहरू जी, टैगोर आदि के पत्र अपने समय को महत्त्वपूर्ण दस्तावेज हैं। लिखित रूप होने के कारण उस समय के यादगार पलों एवं विचारों को धरोहर की तरह संजोकर रखना कठिन नहीं है। एस.एम.एस. काम-चलाऊ, संदेश भर है। इनमें पत्रों जैसी गम्भीरता एवं गहराई नहीं होती और न ही इन्हें लम्बे समय तक संजोकर रखा जा सकता है। ये क्षणिक होते हैं।
प्रश्न 5.
क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन या मोबाइल ले सकते हैं? कारण सहित बताइए।
उत्तर:
चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन या मोबाइल नहीं ले सकते हैं। कारण, इनसे दैनिक कामकाज निपटाया जा सकता है। इनमें अपनेपन का वह समावेश नहीं हो सकता जो चिट्ठी में मौजूद होता है। चिट्ठियों को लोग संभालकर रखते हैं। फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन और मोबाइल की भूमिका संदेश देने के बाद खत्म हो जाती है। प्रभावशाली पत्रों के संकलन गंभीर साहित्य के रूप में मौजूद हैं।
प्रश्न 6.
किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है ? पता कीजिए।
उत्तर:
बैरंग पत्र बिना डाक टिकट के लिखे पते पर चला जाएगा, लेकिन पाने वाले को निर्धारित टिकटों के मूल्य का दुगुना भुगतान करना पड़ेगा। उसके मना करने पर भेजने वाले को दण्डस्वरूप निर्धारित राशि का भुगतान करना पड़ेगा। जब भी कोई डाक भेजी जाए, उस पर तय मूल्य के टिकट जरूर लगाए जाएँ।
प्रश्न 7.
पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे ?
उत्तर:
पिन कोड उस क्षेत्र के डाकघर की स्थिति को सूचित करता है, जहाँ डाक जाएगी। इसे पूरा पता नहीं कह सकते। जैसे 110089 पिनकोड में 11 दिल्ली का संकेत है। 89 रोहिणी सेक्टर-17 का संकेत है। इससे केवल वितरण करने वाले डाकघर तक चिट्ठी की पहुँच हो जाती है। व्यक्ति तक पहुँचने के लिए चिट्ठी पर व्यक्ति के नाम के साथ पूरा पता होना जरूरी है।
प्रश्न 8.
ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गाँधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे?
उत्तर:
महात्मा गांधी बहुत लोकप्रिय व्यक्ति थे। वे जहाँ भी जाते थे, सबको पता रहता था। अतः कोई पत्र कहीं से भी क्यों न आया हो, उन तक जरूर पहुँच जाता था।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्य-पुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।
उत्तर:
‘डाकिये’ का काम संदेश ले जाना होता है। पक्षी और बादल दोनों ही संदेश ले जाने का काम करते हैं। दूर-दूर से आए पक्षी मानो कोई संदेश लेकर आए हों। बादल, पेड़-पौधों एवं पूरी प्रकृति के लिए खुशहाली का संदेश लेकर आते हैं। पानी बरसाकर बादल पूरी प्रकृति में हरियाली भर देते हैं।
प्रश्न 2.
संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर ‘मेघदूत’ नाम का काव्य लिखा है। ‘मेघदूत’ के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
मेघदूत संस्कृत भाषा के महाकवि कालिदास की महत्त्वपूर्ण काव्य-रचना है। कुबेर ने अलकापुरी से यक्ष को निर्वासित कर दिया था। निर्वासित यक्ष बादल के माध्यम से अपनी प्रेमिका के पास संदेश भेजता है। कवि ने प्रकृति के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए यक्ष की विरह-वेदना का मार्मिक चित्रण किया है। मेघदूत पर संस्कृत में लगभग 50 टीकाएँ लिखी गईं। इसका संसार की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
प्रश्न 3.
पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कविताएँ एवं गीत लिखे गए हैं। एक गीत है ‘जा-जा रे कागा विदेशवा, मेरे पिया से कहियो संदेशवा’। इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिए। प्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बाँधकर निर्धारित स्थान तक पत्र भेजने का उल्लेख मिलता है। मान लीजिए आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमें क्या लिखना चाहेंगे ?
उत्तर:
एक राजस्थानी लोकगीत की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं-
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे म्हारा, काल्ला रे कागला
कद म्हारा पीब्जी घर आवे
कद म्हारा पीजी घर आवे, आवे रे आवे
कद म्हारा पीब्जी घर आवे
उड़ उड़ रे म्हारा काल्ला रे कागला
कद म्हारा पीब्जी घर आवे
खीर खांड रा जीमण जीमाऊँ
सोना री चौंच मंढाऊ कागा
जद म्हारा पीब्जी घर आवे, आवे रे आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
म्हारा काल्ला रे कागला
कद म्हारा पीजी घर आवे
पगला में थारे बांधू रे घुघरा
गला में हार कराऊँ कागा
जद महारा पीब्जी घर आवे
उड़ उड़ रे
म्हारा काल्ला रे कागला
कद म्हारा पीजी घर आवे
उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागला
कद म्हारा पीब्जी घर आवे
जो तू उड़ने सुगन बतावे
जनम जनम गुण गाऊँ कागा
जद म्हारा पीब्जी घर आवे, आवे रे आवे
जद म्हारा पीजी घर आवे।
वह पत्र में अपने मित्र हिमेश को भेजना चाहूँगा। मैं उस पत्र में हिमेश के साथ बिताए पाँच वर्षों का जिक्र करूँगा। हम दोनों मित्र किस प्रकार स्कूल में मिल-जुलकर खेलते थे, पढ़ाई करते थे। हमारे माता-पिता भी हमारी मित्रता को खूब सराहते थे। मैं आज भी हिमेश को बहुत याद करता हूँ, क्योंकि उस जैसा सरल हृदय वाला मित्र मिलना इस संसार में कठिन है।
प्रश्न 4.
केवल पढ़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ को ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है ? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं ? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।
चिट्ठियाँ
लेटरबक्स में पड़ी हुई चिट्ठियाँ
अनंत सुख-दुख वाली अनंत चिट्ठियाँ
लेकिन कोई किसी से नहीं बोलती
सभी अकेले-अकेले
अपनी मंजिल पर पहुँचने का इंतजार करती हैं।
कैसा है यह एक साथ होना
दूसरे के साथ हँसना न रोना
क्या हम भी
लेटर बॉक्स की चिट्ठियाँ हो गए हैं।
-रामदरश मिश्र
उत्तर:
रामदरश मिश्र जी की इस कविता में विचार किया गया है कि यदि हम आपस में बातचीत नहीं करते हैं, एक-दूसरे का सुख-दुख नहीं बाँटते हैं तो हमारी हालत भी लेटरबक्स पड़ी चिहियों जैसी ही हो जाएगी विद्यालय भी लेटरबॉक्स की ही भाँति है, जहाँ से विद्यार्थी पढ़कर अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं। फिर सबका मिलना एकदम असंभव जैसा हो जाता है।
शायर निदा फाजली ने कुछ ऐसा ही कहा है-
‘सीधा-सादा डाकिया, जादू करे महान।
एक ही थैले में भरे, आँसू और मुस्कान ॥’
भाषा की बात
प्रश्न 1.
किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे-प्रशस्ति-पत्र, समाचार-पत्र। आप भी पत्र के योग से बनने वाले दस शब्द लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्य-पुस्तक से खोजकर लिखिए।
उत्तर:
प्रासंगिक, आंचलिक, शैक्षिक, स्वाभाविक, सांस्कृतिक, आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक, चारित्रिक, भौतिक, प्रारम्भिक।
प्रश्न 3.
दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे-रवीन्द्र = रवि + इन्द्र । इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।
ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।
उत्तर:
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1.
नेहरू जी अपनी पुत्री इंदिरा गाँधी को फोन करते तो क्या होता ?
उत्तर:
नेहरू जी अपनी पुत्री इंदिरा गाँधी को फोन करते तो ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ जैसी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देने वाली पुस्तक न तैयार होती।
प्रश्न 2.
अंग्रेज अफसरों ने अपने परिवारजनों को जो पत्र लिखे, उनसे क्या साबित होता है ?
उत्तर:
अंग्रेज अफसरों ने जो पत्र अपने परिवारजनों को लिखे, उनसे सिद्ध होता है कि आजादी का संग्राम जमीनी मजबूती लिये हुए था।
प्रश्न 3.
लेखक ने पत्रों का जादू किसे कहा है ?
उत्तर:
कुछ लोग पत्रों को फ्रेम कराकर रखते हैं। पत्रों के आधार पर कई भाषाओं में बहुत-सी किताबें लिखी जा चुकी हैं। लेखक ने इसे पत्रों का जादू कहा है।
प्रश्न 4.
निराला के पत्रों का क्या नाम है ?
उत्तर:
निराला जी के पत्रों का नाम ‘हमको लिख्यो है कहा।’ है।
प्रश्न 5.
महर्षि दयानंद से जुड़ी पत्रों की पुस्तक का क्या नाम है ?
उत्तर:
महर्षि दयानन्द से जुड़ी पत्रों की पुस्तक का नाम है- ‘पत्रों के आईने में दयानन्द सरस्वती।’
प्रश्न 6.
मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था का आधार किस प्रकार है ?
उत्तर:
दूर देहात में रहने वाले लोगों के परिचित मनीऑर्डर द्वारा पैसा भेजते हैं तब जाकर चूल्हे जलते हैं। अतः मनीऑर्डर को अर्थव्यवस्था का आधार कहा गया है।
बोध-प्रश्न
निम्नलिखित अवतरणों को पढ़िए और अन्त में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) पिछली शताब्दी में पत्र-लेखन ने एक कला का रूप ले लिया। डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र-लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है, पर देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है, पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।
प्रश्न 1.
पत्र-लेखन ने कला का रूप कब लिया ?
उत्तर:
पत्र-लेखन ने पिछली शताब्दी में कला का रूप लिया।
प्रश्न 2.
पत्र-संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए क्या कार्य किया गया ?
उत्तर:
पत्र-संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र-लेखन को एक विषय के रूप में शामिल किया गया।
प्रश्न 3.
विश्व डाक संघ ने पत्र-लेखन को कैसे प्रोत्साहित किया ?
उत्तर:
विश्व डाक संघ ने 1972 से पत्र-लेखन प्रतियोगिताओं को आयोजित करना शुरू किया। इससे पत्र-लेखन को प्रोत्साहन मिला। यह प्रतियोगिता 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए है।
प्रश्न 4.
चिट्ठियों की तेजी को किन साधनों ने रोका है ?
उत्तर:
चिट्ठियों की तेजी से फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ने रोका है।
(ख) पत्र-व्यवहार की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है। पर इसका असली विकास आजादी के बाद ही हुआ है। तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मछुआरे हों या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहुआयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीऑर्डर लेकर पहुँचने वाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।
प्रश्न 1.
पत्र-व्यवहार की परंपरा का असली विकास कब हुआ ?
उत्तर:
पत्र-व्यवहार की परंपरा का असली विकास आजादी के बाद हुआ।
प्रश्न 2.
डाक विभाग की सबसे ज्यादा गुडविल क्यों हैं ?
उत्तर:
डाक विभाग की सबसे ज्यादा गुडविल इसलिए है, क्योंकि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। तमाम उन्नत साधनों के बावजूद चिट्ठी की हैसियत बरकरार है।
प्रश्न 3.
आज भी खतों का बेसब्री से इन्तजार कौन-कौन लोग करते हैं ?
उत्तर:
आलीशान हवेलियों, झोपड़पट्टियों, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँवों, बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ी लोग, समद्री तट पर रह रहे मछुआरे, रेगिस्तान के अस्थायी निवास में रहने वाले लोग-सभी खतों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
प्रश्न 4.
गाँव में डाकिए को देवदूत के रूप में क्यों देखा जाता है ?
उत्तर:
दूर-देहात में लाखों गरीब घरों के चूल्हे मनीऑर्डर की व्यवस्था से ही जलते हैं। इसलिए चिट्ठी और मनीऑर्डर लेकर वहाँ पहुँचने वाले डाकिये को देवदूत के रूप में देखा जाता है।
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Summary
पाठ का सार
इस पाठ में संवाद माध्यमों के विकास एवं उपयोग को रोचक ढंग से समझाया गया है। पत्र का स्थान कोई और माध्यम नहीं ले सकता। पत्र जैसा संतोष फोन, एस.एम.एस नहीं दे सकते। साहित्य, कला एवं राजनीति की दुनिया में पत्रों का महत्त्व बहुत है। मानव-सभ्यता के विकास में पत्रों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। पत्र को उर्दू में खत, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम जाबू और लेख, तमिल में कडिद और संस्कृत में पत्र कहा जाता है। दुनिया में रोज करोड़ों पत्र लिखे जाते हैं। भारत में ही करीब साढ़े चार करोड़।
पिछली शताब्दी में पत्र-लेखन ने कला का रूप ले लिया। स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र-लेखन एक अलग विधा के तौर पर शामिल है। विश्व डाक संघ द्वारा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिताएँ शुरू की गईं। देहाती दुनिया तमाम उन्नति के बावजूद आज भी पत्रों पर निर्भर है। फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है। सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए पत्र सबसे महत्त्वपूर्ण सम्पर्क माध्यम है।
आज देश में पत्रकारों, राजनीतिज्ञों, साहित्यकारों, समाजसेवकों द्वारा एक-दूसरे को लिखे गए पत्र महत्त्वपूर्ण साहित्य की श्रेणी में आ गए हैं। पंडित नेहरू के इंदिरा गाँधी को लिखे पत्र, गाँधी जी द्वारा लिखे गए पत्र बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। गाँधी जी पत्रोत्तर तुरंत देते थे, अतः उनके लिखे पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते हैं। ये पत्र किसी ऐतिहासिक दस्तावेज से कम नहीं। पंत, निराला और दयानंद सरस्वती के पत्र मिल जाएँगे। प्रेमचन्द युवा लेखकों को प्रेरक पत्र लिखा करते थे। ‘महात्मा और कवि’ नाम से गाँधी जी और टैगोर के बीच हुआ 1915 से 1941 का पत्राचार मौजूद है। इन पत्रों में नए तथ्य उजागर हुए हैं। डाक-विभाग लोगों को जोड़ने का काम करता है। हर वर्ग के लोग पत्रों के माध्यम से जुड़े हैं। दूर-देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। इन लोगों के लिए डाकिया किसी देवदूत से कम नहीं।
शब्दार्थ : अजीबो-गरीब-अनोखी; संचार-गमन; आधुनिकतम-सबसे आधुनिक; एस.एम.एस.-शॉर्ट मैसेज सर्विस (लघु संदेश सेवा); विवाद-बहस, झगड़ा; अनूठी-अनोखी, विशेष; साबित करती-प्रमाणित करती; अहमियत-महत्त्व संवाद-बातचीत; प्रयास-कोशिश; बेसब्री-बैचेनी, व्याकुलता; परिवहन-माल, यात्रियों आदि को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना; पुरखों-पूर्वजों; विरासत-उत्तराधिकार में मिली वस्तु; उद्यमी-व्यवसाय करने वाले धरोहर-थाती, अमानत; हस्तियों-विशेष व्यक्तियों; साबित-प्रमाणित; दिग्गज-बहुत बड़े जोड़-मुकाबला; प्रशस्ति-पत्र-प्रशंसा-पत्र; प्रेरक-प्रेरणा देने वाले मुस्तैद-नियमित; मनोदशा-मन की स्थिति; तथ्य-सच्चाई; हैसियत-वजूद, अस्तित्त्व; बरकरार-मौजूद; आलीशान-शानदार; दस्तावेज-प्रमाण संबंधी कागजात; ढाणियाँ-अस्थायी निवास; बहुआयामी-अधिक विस्तार वाला; देवदूत-देवता का दूत।