Author name: Prasanna

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 11 द्रौपदी स्वयंवर

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 11 द्रौपदी स्वयंवर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 11

प्रश्न 1.
द्रौपदी किसकी कन्या थी ? पांडव पांचाल किस प्रकार से और क्यों गए ?
उत्तर:
द्रौपदी पांचाल नरेश द्रुपद की कन्या थी। पांडव पांचाल नरेश द्रुपद की कन्या द्रौपदी के स्वयंवर में भाग लेने के लिए ब्राह्मण वेश में एकचक्रा नगरी से जाने वाले ब्राह्मणों के दल के साथ पांचाल पहुंचे।

प्रश्न 2.
द्रौपदी के स्वयंवर के लिए पांचाल ने क्या शर्त रखी थी ?
उत्तर:
पांचाल नरेश द्रुपद की शर्त थी कि वे उसी के साथ अपनी पुत्री का विवाह करेंगे जो वीर पानी में प्रतिबिंब देखकर धनुष से ऊपर खंभे पर घूम रहे चक्र के ऊपर टंगी हुई सोने की मछली की आँख में धनुष से तीर चलाकर निशाना लगाएगा और उसको धनुष के निशाने से नीचे गिराएगा।

प्रश्न 3.
स्वयंवर में कौन-कौन प्रमुख लोग सम्मिलित हुए थे ?
उत्तर:
इस स्वयंवर के लिए दूर-दूर से अनेक वीर आए थे, जिनमें धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, अंग नरेश कर्ण, शिशुपाल, जरासंध आदि शामिल थे।

प्रश्न 4.
अर्जुन को ब्राह्मण-वेश में देखकर हलचल क्यों मच गई ?
उत्तर:
अर्जुन को ब्राह्मण वेश में देखकर सभा में हलचल इसलिए मच गई क्योंकि बड़े से बड़ा वीर भी जिस कार्य को नहीं कर पाया उस कार्य को एक ब्राह्मण किस प्रकार करेगा। लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे थे।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 11 द्रौपदी स्वयंवर

प्रश्न 5.
मंडप में पहुँचकर अर्जुन ने क्या किया ?
उत्तर:
मंडप में पहुँचकर अर्जुन ने धनुष हाथ में लिया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाई। अर्जुन ने धनुष पर बाण चढ़ाकर एक के बाद एक पाँच बाण घूमते हुए चक्र में मारे। हजारों लोगों के देखते-देखते निशाना टूटकर नीचे गिर गया। सभा में कोलाहल मच गया।

प्रश्न 6.
अर्जुन द्रौपदी को लेकर कहाँ गया ? धृष्टद्युम्न अर्जुन के पीछे चुपके-चुपके क्यों गया ?
उत्तर:
अर्जुन द्रौपदी को लेकर उस कुम्हार के घर गया जहाँ पांडव ठहरे हुए थे। धृष्टद्युम्न यह जानना चाहता था कि आखिर यह ब्राह्मण वेशधारी कौन है ?

प्रश्न 7.
धृष्टद्युम्न ने ब्राह्मण वेशधारी अर्जुन को देखकर क्या अनुमान लगाया ?
उत्तर:
धृष्टद्युम्न ने ब्राह्मण वेशधारी अर्जुन को देखकर अनुमान लगाया कि हो न हो ये पांडव ही हैं क्योंकि वहाँ उन्होंने देखा कि अग्नि-शिखा की भाँति एक तेजस्वी देवी बैठी हुई थी। उसकी बातें सुनकर उसे विश्वास हो गया कि यह कुंती है और साथ में ये सभी पाँचों पांडव हैं।।

प्रश्न 8.
द्रुपद यह जानकर कि ये पांडव हैं प्रसन्न क्यों हुआ ?
उत्तर:
द्रुपद पहले ही यह चाहता था कि वह अपनी पुत्री का विवाह अर्जुन से करेगा जिससे वह द्रोणाचार्य से अपने अपमान का बदला ले सके। उसे अपनी योजना पूरी होती लग रही थी।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 11 द्रौपदी स्वयंवर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 11

जिस समय पांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मणों के वेश में जीवन बिता रहे थे, उन्हीं दिनों पांचाल नरेश द्रुपद की कन्या द्रौपदी के स्वयंवर की तैयारियाँ चल रही थीं। एकचक्रा नगरी से ब्राह्मणों के समूह पांचाल देश के लिए रवाना हुए। माता कुंती के साथ पांडव भी ब्राह्मण-वेश धारण कर पांचाल आ गए। स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा गया था। राजा द्रुपद ने घोषणा की थी कि जो राजकुमार नीचे पानी में देखकर घूमती हुई मछली की आँख में निशाना लगाएगा उसी के साथ ही वे अपनी पुत्री का विवाह करेंगे।

मंडप में दूर-दूर से अनेक वीर आए हुए थे परन्तु कोई भी निशाना साधने में सफल नहीं हुआ। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र भी इस स्वयंवर में आए थे। सबके असफल होने पर ब्राह्मण वेश में अर्जुन मछली की आँख पर निशाना लगाने के लिए खड़ा हुआ और बिना देरी किए पाँच बाण उस मछली की आँख में मारे। सभा में कोलाहल मच गया। द्रौपदी ने आगे बढ़कर अर्जुन के गले में वरमाला डाल दी। माता को यह समाचार सुनाने के लिए युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव मंडप से उठकर आ गए परन्तु भीम अर्जुन के साथ ही रहे। सभा में दूर-दूर से आए राजकुमार विप्लव मचा रहे थे। श्रीकृष्ण और बलराम और कुछ राजा उनको समझा रहे थे। अर्जुन द्रौपदी को साथ लेकर कुम्हार की कुटिया की ओर चल पड़े जहाँ वे ठहरे थे। द्रुपद्र का पुत्र धृष्टद्युमन भी चुपके से उनके पीछे चल दिया। कुम्हार की कुटिया में जो उसने देखा, उससे उसके आश्चर्य की सीमा न रही। उसको यकीन हो गया कि हो न तो ये लोग पांडव ही हैं। राजा द्रुपद के बुलावा भेजने पर पाँचों भाई कुंती के साथ राजभवन पहुँचे। राजा यह जानकर कि ये पांडव हैं फूले नहीं समाए क्योंकि महाबली अर्जुन अब उनकी पुत्री के पति थे। अब वे द्रोणाचार्य से अपना बदला ले सकते थे।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 10 पांडवों की रक्षा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 10

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर ने अपनी माँ व भाइयों को लाख के भवन में किस प्रकार रहने के लिए कहा?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने अपनी माँ व भाईयों से कहा कि हमें यहाँ सावधानी पूर्वक रहना है। पुरोचन को इस बात का जरा भी पता न चले कि उसके षड्यंत्र का भेद हम पर खुल गया है। मौका पाते ही हमें यहाँ से निकल जाना होगा। हमें जल्दी में कोई ऐसा काम नहीं करना, जिससे शत्रु के मन में जरा भी संदेह उत्पन्न होने की संभावना हो।

प्रश्न 2.
पांडवों ने लाख के महल से निकलने के लिए क्या उपाय किया ?
उत्तर:
पांडवों के पास विदुर ने एक कारीगर भेजा जिसको सुरंग खोदने में महारथ हासिल थी। उसने बड़ी सावधानी से बाहर निकलने का रास्ता बना दिया। कार्य इतने गुप्त तरीके से हुआ कि पुरोचन को इसकी तनिक भी भनक न लगने पाई।

प्रश्न 3.
पुरोचन के लाख के घर में आग लगाने से पूर्व ही पांडवों ने क्या किया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर पुरोचन के रंग-ढंग से ताड़ गए थे कि अब क्या करना है। युधिष्ठिर ने अपनी माता से कहकर एक भोज का आयोजन किया। सभी नगरवासी इस भोज में सम्मिलित हुए। जब सभी खा-पीकर सो गए तो भीम ने भवन में कई जगह आग लगा दी। पाँचों भाई माता कंती के साथ सुरंग के रास्ते से बाहर निकल गए। आग की लपटों में पुरोचन का मकान भी जल गया।

प्रश्न 4.
पांडवों तथा कुंती की मत्यु का समाचार हस्तिनापुर पहुँचने पर क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र और उसके पुत्रों ने पांडवों की मृत्यु पर बड़ा शोक मनाया। गंगा-किनारे जाकर उन्होंने पांडवों तथा कुंती को जलांजलि दी। दार्शनिक विदुर ने शोक को मन ही मन में दबा लिया। पितामह भीष्म भी शोक सागर में डूबे हुए थे। विदुर ने उनको धीरज बँधाया और पांडवों के बचाव के लिए किए गए उपायों के बारे में बताया।

प्रश्न 5.
लाख के घर को जलता छोड़कर पांडव कहाँ गए ?
उत्तर:
लाख के घर को जलता छोड़कर पांडव जंगल की ओर चले गए। गंगा के किनारे पहुंचकर विदुर द्वारा भेजी गई नाव से उन्होंने गंगा पार की। वे अगले दिन शाम तक चलते रहे। उन्होंने ब्रह्मचारियों का वेश धारण किया और एकचक्रा नगरी में एक ब्राह्मण के यहाँ जाकर रहने लगे।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

प्रश्न 6.
पांडव ब्राह्मण के यहाँ रहकर किस प्रकार अपना निर्वाह करते थे ?
उत्तर:
पांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मण के घर ठहर गए और भिक्षा मांगकर अपना निर्वाह करने लगे। गुप्त रूप से रहते हुए वे जितनी भी भिक्षा मांगकर लाते कुंती उसके दो भाग कर देती। एक भाग भीम के लिए व शेष आधे भाग में चारों भाई व कुंती अपना निर्वाह करते थे।

प्रश्न 7.
जब कुंती और भीम घर पर थे उन्होंने किसके रोने की आवाज सुनी ? उनके रोने का क्या कारण था ?
उत्तर:
जब कुंती और भीम घर पर थे उन्होंने ब्राह्मण और उसकी पत्नी के बिलख-बिलख कर रोने की आवाज सुनी। उनसे पूछने पर पता चला कि एकचक्रा नगरी से बाहर एक राक्षस रहता है। वह रोज एक व्यक्ति को भोजन के रूप में खाता है। एक-एक करके सभी को उसके पास जाना पड़ता था। आज ब्राह्मण के घर से किसी को बका राक्षस के पास जाना था। ब्राह्मण व ब्राह्मणी के रोने का यही कारण था।

प्रश्न 8.
कुंती ने ब्राह्मण व ब्राह्मणी के रोने की आवाज सुनकर क्या किया?
उत्तर:
पहले तो कुंती ने पूरी बात का पता लगाया। फिर उसने बकासुर राक्षस के पास भीम को भेजने का निर्णय लिया। युधिष्ठिर ने कुंती के निर्णय पर आपत्ति की परन्तु कुंती ने यह कहकर की मुझे भीम के बल व पराक्रम पर पूरा भरोसा है युधिष्ठिर को निरुत्तर कर दिया।

प्रश्न 9.
भीम ने बकासुर राक्षस का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
भीम भोजन से लदी गाड़ी लेकर बकासुर राक्षस के पास गया। वहाँ जाकर वह स्वयं ही भोजन खाने लगा। बकासुर को यह देखकर बहुत क्रोध आया। वह भीमसेन पर झपटा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। भीम ने बकासुर को नीचे गिराकर उसकी रीढ़ पर घुटना टिकाकर रीढ़ को तोड़ दिया। इस प्रकार राक्षस के प्राण पखेरू उड़ गए। भीम ने उसकी लाश को नगर के मुख्य द्वार पर लाकर रख दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 10

पाँचों पांडव माता कुंती के साथ वारणावत के लिए चल पड़े। हस्तिनापुर के लोग भी उनके पीछ-पीछे चले। युधिष्ठिर ने उन्हें समझाकर लौटाया। वारणावत पहुँचने पर वहाँ के लोगों ने बड़ी धूमधाम से उनका स्वागत किया। जब तक भवन बनकर तैयार हुआ पांडव दूसरे भवन में रहे। लाख का भवन बनने के बाद पुरोचन उनको उस महल में ले गए। युधिष्ठिर महल को देखकर समझ गए। उन्होंने अपने भाइयों से कहा कि हमें यहाँ इस प्रकार रहना है कि किसी को किसी प्रकार का भी संदेह न हो। इतने में विदुर का भेजा हुआ सुरंग खोदने वाला भी आ गया है। उसने रात्रि के समय अपना काम शुरू कर दिया। पुरोचन का मकान भवन के द्वार पर ही था। एक दिन पुरोचन ने सोचा कि अब पांडवों का काम तमाम करने का अवसर आ गया। युधिष्ठिर उसकी बात को ताड़ गए। युधिष्ठिर की सलाह पर कुंती ने एक भोज का आयोजन किया। नगर के सभी लोगों को भोजन कराया। रात में सभी खा पीकर सो गए। तभी पांडव मौका देखकर भवन से निकल गए। पुरोचन ने चलते-चलते महल में आग लगा दी। पांडवों के मरने का समाचार पूरे नगर में फैल गया। धृतराष्ट्र तथा कौरवों ने गंगा किनारे जाकर कुंती तथा पांडवों को जलांजलि दी। दार्शनिक विदुर ने अधिक शोक प्रकट नहीं किया। विदुर ने भीष्म को भी पांडवों के बचाव के लिए किए गए उपायों के बारे में बताया।

लाख के भवन को जलता छोड़कर कुंती एवं पाँचों पांडव जंगल में पहुंच गए। वे निरंतर चलते ही रहे। वे ब्रह्मचारियों का वेश बनाकर एकचक्रा नगरी में जाकर एक ब्राह्मण के घर रहने लगे। वे भिक्षा माँगकर अपनी गुजर बसर करने लगे। एक दिन कुंती और भीम घर पर ही थे। चारों भाई भिक्षा माँगने नगर में गए हुए थे कि तभी उन्होंने ब्राह्मण और ब्राह्मणी की वार्ता सुनी। वे बकासुर राक्षस के बारे में बातें कर रहे थे। नगर से बाहर बकासुर राक्षस रहता था जो रोज नियम से एक व्यक्ति का आहार करता था। आज उस ब्राह्मण की बारी थी। कुंती ने उनकी सारी बात सुनकर भीम को वहाँ जाने के लिए तैयार किया। कंती की बात से भिक्षा माँगकर लौटे युधिष्ठिर ने खीजकर कहा कि तुम कैसा दुस्साहस करने चली हो। परन्तु कुंती को भीम के बल व पराक्रम पर विश्वास था। साथ ही उसने कहा हम जिस ब्राह्मण के घर ठहरे हैं उसकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है। भीम खाने-पीने की वस्तुओं से भरी गाड़ी लेकर उस स्थान की ओर चल पड़ा जहाँ बकासुर राक्षस रहता था। भीम ने वहाँ पहुँचकर खाने पीने की वस्तुओं को खाना शुरू कर दिया। बका भीम की यह ढिठाई देखकर गुस्से से भर उठा। वह भीम की ओर झपटा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। भीम ने बका का वध कर उसे लाकर नगर के फाटक पर रख दिया और माँ को आकर सारा हाल बताया।

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