Author name: Prasanna

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

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CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 1.
चित्रं पश्यत। मञ्जूषायां प्रदत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रवर्णनं कुरुत। पञ्च वाक्यानि रचयत।
CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 1
1. ……………
2. ……………
3. ……………
4. ……………
5. ……………
उत्तर:
1. चित्रे पञ्च जनाः सन्ति।
2. तेषु त्रयः बालकाः सन्ति।
3. तेषु द्वे बालिके स्तः।
4. सर्वे वन्दनां कुर्वन्ति।
5. सर्वे पंक्तिबद्धाः तिष्ठन्ति।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 2.
चित्रं पश्यत। मञ्जूषायां प्रदत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रवर्णनं कुरुत। पञ्च वाक्यानि रचयत।
CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 2
1. ……………
2. ……………
3. ……………
4. ……………
5. ……………
उत्तर:
1. चित्रे एका खट्वा वर्तते।
2. खट्वायाम् एकः बालकः स्वपिति।
3. तस्य उपरि घटः वर्तते।
4. घटः सक्तूभिः पूर्णः अस्ति।
5. बालकः चरणप्रहारं करोति, घटः अधः पतति।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 3.
चित्रं पश्यत। मञ्जूषायां प्रदत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रवर्णनं कुरुत। पञ्च वाक्यानि रचयत।
CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 3
1. ……………
2. ……………
3. ……………
4. ……………
5. ……………
उत्तर:
1. चित्रे एकम् रथम् अस्ति।
2. रथे श्रीकृष्णः सारथिः अस्ति।
3. अर्जुनः रथस्य पश्चभागं उपविशति।
4. श्रीकृष्णः अर्जुनम् उपदिशति।
5. करबद्धः अर्जुनः शृणोति।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 4.
चित्रं पश्यत। मञ्जूषायां प्रदत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रवर्णनं कुरुत। पञ्च वाक्यानि
CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 4
1. ……………
2. ……………
3. ……………
4. ……………
5. ……………
उत्तर:
1. चित्रे एका नदी अस्ति।
2. नदीतटे एकः धीवरः अस्ति।
3. धीवरस्य हस्ते जालम् अस्ति।
4. जाले मत्स्याः सन्ति ।
5. धीवरः मत्स्यान् घटे क्षिपति।

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प्रश्नः 5.
चित्रं पश्यत। मञ्जूषायां प्रदत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रवर्णनं कुरुत। पञ्च वाक्यानि रचयत।
CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 5
1. ……………
2. ……………
3. ……………
4. ……………
5. ……………
उत्तर:
1. चित्रे पुष्पितम् उद्यानं वर्तते।
2. वृक्षस्य पश्चात् चन्द्रशेखरः तिष्ठति।
3. तस्य अग्रे सैनिकाः सन्ति।
4. सैनिकानां हस्तेषु आयुधानि सन्ति।
5. चन्द्रशेखरः सैनिकानाम् उपरि गोलिकाभिः वर्षणं कृत्वा स्वरक्षां करोति।

अभ्यासः

प्रश्न: 1.
अधोदत्तं चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषायाम् प्रदत्त-शब्दानां सहायतया पञ्च वाक्यानि लिखत।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 6

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 2.
अधोदत्तं चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषायाम् प्रदत्त-शब्दानाम् सहायतया पञ्च वाक्यानि लिखत।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 7

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम्

प्रश्न: 3.
अधः दत्तम् चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां प्रदत्तशब्द दानाम् सहायतया संस्कृते चत्वारि वाक्यानि लिखत।

CBSE Class 7 Sanskrit रचना चित्राधारित-वर्णनम् 8

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions परिशिष्टम्

I. सम्बन्धवाचकशब्दाः (संबंधवाचक शब्द)
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 1

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

II. शरीरस्य अङ्गानि (शरीर के अवयव)
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 2
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 3

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

III. पशवः (पशु)
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 4

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

IV. खगाः (पक्षी)
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 5

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

V. वस्त्रनामानि (वस्त्रों के नाम)
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 6
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम् 7

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions परिशिष्टम्

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions अनुवादः

संस्कृत में अनुवाद करने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए

वचन
(क) एक वस्तु या एक व्यक्ति के लिए एकवचन का प्रयोग होता है। यथा
(i) बालः गच्छति — बालक जाता है।
(ii) मृगः धावति — हिरण दौड़ता है।
(iii) शिशुः क्रीडति — बच्चा खेलता है।
(iv) कन्या हसति — कन्या हँसती है।
(v) पत्रं पतति — पत्ता गिरता है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

(ख) दो वस्तु या दो व्यक्तियों के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है। यथा
(i) बालौ गच्छतः — दो बालक जाते हैं।
(ii) मृगौ धावतः — दो हिरण दौड़ते हैं।
(iii) शिशू क्रीडतः — दो बच्चे खेलते हैं।
(iv) कन्ये हसतः — दो कन्या हँसती हैं।
(v) पत्रे पततः — दो पत्ते गिरते हैं।

(ग) दो से अधिक वस्तुओं या व्यक्तियों के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है यथा
(i) बालाः गच्छन्ति — बालक जाते हैं।
(ii) मृगाः धावन्ति — हिरण दौड़ते हैं।
(iii) शिशवः क्रीडन्ति — बच्चे खेलते हैं।
(iv) कन्याः हसन्ति — कन्या हँसती हैं।
(v) पत्राणि पतन्ति — पत्ते गिरते हैं।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

पुरुष
वक्ता के लिए अस्मद्, श्रोता के लिए युष्मद् तथा अन्य के लिए तद् या एतद् का प्रयोग होता है :
(i) अहं पठामि — मैं पढ़ता हूँ।
(ii) त्वं लिखसि — तू लिखता है।
(iii) सः चलति — वह चलता है।

(i) आवां पठावः — हम दो पढ़ते हैं।
(ii) युवां लिखथः — तुम दो लिखते हो।
(iii) तौ चलतः — वे दो चलते हैं।

(i) वयं पठामः — हम सब पढ़ते हैं।
(ii) यूयं लिखथ — तुम सब लिखते हो।
(iii) ते चलन्ति — वे सब चलते हैं।

ध्यान रहे कि अस्मद् और युष्मद् के तीनों लिंगों में एक समान रूप होते हैं। यथा
अहं पठामि — मैं पढ़ता हूँ। पढ़ती हूँ।
त्वं पठसि — तू पढ़ता है। पढ़ती है।

कारक
कारक के लिए उचित विभक्ति का प्रयोग करना चाहिए। यथा

प्रथमा विभक्तिः
1. खगः कूजति — पक्षी कूजता है।
2. सः धावति — वह दौड़ता है।
3. मयूरः नृत्यति — मोर नाचता है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

द्वितीया विभक्तिः
1. सः पाठं पठति — वह पाठ पढता है।
2. रमा गीतं गायति। — रमा गीत गाती है।
3. देवः लेख लिखति –देव लेख लिखता है।

तृतीया विभक्तिः
1. श्यामः यानेन गच्छति श्याम जहाज से जाता है।
2. मोहनः पादाभ्यां गच्छति मोहन पैदल जाता है।
3. लता दण्डेन गां ताडयति लता डण्डे से गाय को पीटती है।

चतुर्थी विभक्तिः
1. राजा निर्धनाय धनं यच्छति — राजा निर्धन को धन देता है।
2. गुरुः शिष्याय पुस्तकं यच्छति — गुरु शिष्य को पुस्तक देता है।
3. सः भिक्षुकाय अन्नं ददाति — वह भिखारी को अन्न देता है।

पञ्चमी विभक्तिः
1. वृक्षात् फलं पतति — वृक्ष से फल गिरता है।
2. अश्वात् देवः पतति — घोड़े से देव गिरता है।
3. लतायाः पुष्पं पतति — बेल से फूल गिरता है।

षष्ठी विभक्तिः
1. इदं मम पुस्तकम् अस्ति — यह मेरी पुस्तक है।
2. इदं तव गृहम् अस्ति — यह तेरा घर है।
3. इयं रमायाः लेखनी अस्ति — यह रमा की कलम है।

सप्तमी विभक्तिः
1. गृहे शिशुः क्रीडति — घर में बच्चा खेलता है।
2. उपवने मयूरः नृत्यति — बगीचे में मोर नाचता है।
3. वृक्षे खगाः कूजन्ति — वृक्ष पर पक्षी चहचहाते हैं।
संस्कृत में कुछ उपपद विभक्तियों का प्रयोग भी होता है। यथा

द्वितीया विभक्तिः
1. ग्रामम् उभयतः वृक्षाः सन्ति — गाँव के दोनों ओर वृक्ष हैं।
2. नगरं परितः जलम् अस्ति — शहर के चारों ओर जल है।
3. गृहम् अभितः अश्वत्थः अस्ति — घर के सामने पीपल का वृक्ष है।
4. ग्रामं समया विद्यालयः अस्ति — गाँव के निकट स्कूल है

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

तृतीया विभक्तिः
1. सः नेत्रेण काणः अस्ति — वह एक आँख से काणा है।
2. अलं हसितेन — हँसो मत।
3. रमा आकृत्या सुन्दरी अस्ति — रमा आकार से सुन्दर है।
4. देवः पित्रा सह आपणं गच्छति — देव पिता के साथ बाजार जाता है।

चतुर्थी विभक्तिः
1. रमा पुष्पेभ्यः स्पृहयति — रमा फूलों की इच्छा करती है।
2. गुरवे नमः — गुरु को नमस्कार।
3. अग्नये स्वाहा — अग्नि को अर्पित है।
4. अलं मल्लो मल्लाय — यह पहलवान उस पहलवान के लिए पर्याप्त है।

पञ्चमी विभक्तिः
1. बालः सर्पात् बिभेति — बच्चा साँप से डरता है।
2. वीरः देशं शत्रुभ्यः त्रायते — वीर देश को शत्रुओं से बचाता है।
3. अहं गुरोः संस्कृतं पठामि — मैं गुरु से संस्कृत पढ़ता हूँ।
4. त्वं नगरात् बहिः गच्छति — तुम शहर से बाहर जाते हो।

षष्ठी विभक्तिः
1. ग्रामस्य अन्तिके कूपः अस्ति — गाँव के निकट कुआँ है।
2. हिमालयस्य शिखरेषु हिमम् अस्ति — हिमालय की चोटियों पर बर्फ है।
3. अत्र मम विद्यालयः अस्ति। — मेरा स्कूल यहाँ है
4. किम् अयं तव भ्राता अस्ति? — क्या यह तुम्हारा भाई है

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

सप्तमी विभक्तिः
1. पशुषु गौः उत्तमा भवति — पशुओं में गाय उत्तम होती है।
2. खगेषु मयूरः सुन्दरः अस्ति — पक्षियों में मोर सुन्दर है।
3. कविषु कालिदासः श्रेष्ठः अस्ति — कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।
4. नदीषु गंगा पवित्रतमा अस्ति — नदियों में गंगा पवित्र है।

लकार
काल को लकार कहते हैं। काल के आधार पर धातु में जो विकार होता है, उसे क्रियापद कहते हैं। पठति एक क्रिया पद है जो लट् लकार में प्रयुक्त हैं। धातु में वचन एवं पुरुष के अनुसार विकार होता है। इस प्रकार प्रत्येक लकार में नौ क्रियापद होते हैं :

लट् लकार
संस्कृत में कर्तृपद और क्रियापद में पुरुष व वचन एकसमान होते हैं। यथा
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

वयं पठामः।
संस्कृत में लकारों का निम्न प्रकारेण प्रयोग होता है। यथा

लट् लकार (वर्तमान काल)
1. सः चित्रं पश्यति — वह चित्र देखता है।
2. कन्या गीतं गायति — कन्या गीत गाती है।
3. पशुः तृणं खादति — पशु घास खाता है।
4. रमा लेखं लिखति — रमा लेख लिखती है।
5. बालः प्रार्थनां करोति — बच्चा प्रार्थना करता है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

लङ् लकार (भूतकाल)
1. उपवने मयूरः अनृत्यत् — बगीचे में मोर नाचा।
2. सुलभा गृहम् आगच्छत् — सुलभा घर आ गई।
3. सः वने सिंहम् अपश्यत् — उसने वन में सिंह को देखा।
4. श्रीरामः वनम् अगच्छत् — श्रीराम वन में गए।
5. अहं फलानि अभक्षयम् — मैंने फल खाये।

लृट् लकार (भविष्यकाल)
1. सूर्योदये प्रकाशः भविष्यति — सूर्य के निकलने पर प्रकाश होगा।
2. जनाः जले तरिष्यन्ति — लोग जल में तैरेंगे।
3. अहं श्वः आगमिष्यामि — मैं कल आऊँगा।
4. रमा पित्रा सह गमिष्यति — रमा पिता के साथ जायेगी।
5. सः गीतां पठिष्यति — वह गीता पढ़ेगा।

लोट् लकार (आज्ञार्थक)
1. मेघाः वर्षन्तु — बादल वर्षा करें।
2. अद्य अवकाशः भवतु — आज अवकाश होवे।
3. बालकाः अत्र क्रीडन्तु — बालक यहाँ खेलें।
4. अधुना पाठं पठ — अब तुम पाठ पढ़ो।
5. मयूराः नृत्यन्तु — मोर नाचें।

अभ्यास

1. निम्नलिखित का संस्कृत में अनुवाद करें
(क) राम हँसता है।
(ख) देव पढ़ता है।
(घ) हिरण दौड़ते हैं।
(ङ) शेर दहाड़ता है।
(च) मैं फूल सूंघता हूँ।
(छ) हम पाठ पढ़ते हैं।
(ज) तुम क्यों खेलते हो?
(झ) बच्चा दूध पीता है।
(ञ) रमा फल खाती है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अनुवादः

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में क्रियापदों को शुद्ध करो।
(i) ते छात्राः अक्रीडत्।
(ii) रामः सत्यम् अवदन्।
(iii) भवान् न जानासि।
(iv) त्वं किं करोति ?
(v) तव नाम किम् असि ?
उत्तर:
(i) ते छात्राः अक्रीडन्।
(ii) रामः सत्यम् अवदत्।
(iii) भवान् न जानाति।
(iv) त्वं किं करोषि ?
(v) तव नाम किम् अस्ति ?
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियापद कर्ता के अनुसार पुरुष या वचन की दृष्टि से दिया गया है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

प्रश्न 2.
लकार की दृष्टि से भी क्रियापद में अशुद्धि हो सकती है। जैसे
(i) अद्य रविवारः आसीत्।
(ii) पुरा दशरथः नाम राजा अस्ति।
(iii) भविष्यत्काले जनाः धार्मिकाः सन्ति।
(iv) श्वः सोमवारः आसीत्।
ऊपर के वाक्यों में क्रियापदों वर्तमानकाल में लट्, भूतकाल में लङ् तथा भविष्यत्काल में लृट् लकार का प्रयोग किया जाए तो शुद्ध वाक्य निम्न रूप में बनेंगे
(i) अद्य रविवारः अस्ति।
(ii) पुरा दशरथः नाम राजा आसीत्।
(iii) भविष्यत्काले जनाः धार्मिकाः भविष्यन्ति।
(iv) श्वः सोमवारः भविष्यति।
नीचे कुछ वाक्य दिये जा रहे हैं जिनमें क्रियापद को देखकर कर्तृपद को उसके अनुसार ठीक करना है। यथा

(i) अत्र वृक्षः सन्ति।
(ii) तत्र खगः आसन्।
(iii) रात्रौ उत्सवाः भविष्यति।
(iv) अहं किं करोषि ?
इन वाक्यों में कर्तृपद में वही पुरुष तथा वचन होना चाहिए जो क्रियापद में है। अतः शुद्ध वाक्य होंगे
(i) अत्र वृक्षाः सन्ति।
(ii) तत्र खगाः आसन्।
(iii) रात्रौ उत्सवः भविष्यति।
(iv) त्वं किं करोषि ?

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

उपपद विभक्ति

1. अभितः, परितः, सर्वतः तथा उभयतः-इनके योग में द्वितीया विभक्ति होती है
(क) मन्दिरम् अभितः (= सामने) कूपः अस्ति।
(ख) ग्रामं परितः (= चारों ओर) जलम् अस्ति।
(ग) नगरं सर्वतः (= सभी ओर) वनम् अस्ति।
(घ) मार्गम् उभयतः (= दोनों ओर) वृक्षाः सन्ति।

2. अलम् (= बस करो) के योग में तृतीया विभक्ति होती है
अलं हसितेन (= हँसना बंद करो)

3. अङ्ग विकार होने पर तवाची शब्द में तृतीया विभक्ति होती है
देवः नेत्रेण काणः अस्ति।

4. वाहनवाची शब्द में तृतीया विभक्ति होती है
श्यामः यानेन जयपुरं गच्छति।

5. सह के योग में तृतीया विभक्ति होती है
रामेण सह सीता गच्छति।

6. नमः, स्वस्ति, स्वाहा तथा अलम् (= पर्याप्त) इन शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है
(क) शिवाय नमः।
(ख) प्रजाभ्यः स्वस्ति।
(ग) इन्द्राय स्वाहा।
(घ) अलं मल्लो मल्लाय

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

7. दान देना, इच्छा करना और अच्छा लगना-इन धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है
(क) राजा निर्धनाय धनं यच्छति।
(ख) राधा पुष्पेभ्यः स्पृहयति।
(ग) बालाय दधि रोचते।

8. डरना, बचाना-इन अर्थों के वाची धातु के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है
(क) शिशुः काकात् बिभेति।
(ख) सैनिकः देशं शत्रुभ्यः रक्षति।

9. विना के योग में द्वितीया, तृतीया तथा पञ्चमी विभक्तियाँ होती हैं
(क) ज्ञानं विना जीवनं शून्यम्।
(ख) ज्ञानेन विना जीवनं शून्यम्।
(ग) ज्ञानात् विना जीवनं शून्यम्।

अभ्यासः
(मिश्रितवाक्यानि)

अधोलिखितानि वाक्यानि संशोधयत। तेषु रेखाङ्कित-पदानि संशोधयत।
(क) वयं श्वः न पठिष्यावः
(ख) अश्वाः तीव्र धावति
(ग) छात्रः पत्राणि लिखन्ति।
(घ) ते मृगम् अपश्यत्
(ङ) यूयं फलानि खादसि
(च) पत्राणि वृक्षात् पतति।
(छ) सः रामस्य सह गच्छति।
(ज) सः याचकं वस्त्रं यच्छति।
(झ) नगरस्य सर्वतः जलम् अस्ति।
(ब) गृहस्य अभितः वृक्षः अस्ति।
(ट) अलं रोदनस्य
(ठ) श्यामः नेत्रात् काणः।
(ड) देवः वायुयानात् मुम्बयीं गच्छति।
(ढ) पितुः सह पुत्रः गच्छति।
(ण) पितरं नमः।
(त) सूर्यं स्वाहा।
(थ) धनस्य विना कार्याणि न सिध्यन्ति।
उत्तरम्
(क) पठिष्यामः
(ख) धावन्ति
(ग) छात्राः
(घ) अपश्यन्
(ङ) खादथ
(च) पत्रम्
(छ) रामेण
(ज) याचकाय

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

(झ) नगरम्
(ब) गृहम्
(ट) रोदनेन
(ठ) नेत्रेण
(ड) वायुयानेन
(ढ) पित्रा
(ण) पित्रे
(त) सूर्याय
(थ) धनं।

बहुविकल्पीयप्रश्नाः

निम्नलिखितवाक्येषु रेखाकितानाम् पदानाम् शुद्धपदं (✓) चिह्नन अंकयत्

प्रश्न 1.
भवान् कुत्र गच्छसि
(क) गच्छतः
(ख) गच्छति
(ग) गच्छथः
(घ) गच्छामि
उत्तर:
(ख) गच्छति

प्रश्न 2.
वयम् रामायणं पठन्ति।
(क) आवाम्
(ख) यूयम्
(ग) ते
(घ) त्वम्
उत्तर:
(ग) ते

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प्रश्न 3.
पुस्तकालये चत्वारः छात्रः पठन्ति।
(क) छात्रा
(ख) छात्रे
(ग) छात्राः
(घ) छात्रः
उत्तर:
(ग) छात्राः

प्रश्न 4.
ग्रामस्य अभितः वृक्षाः सन्ति।
(क) ग्राम
(ख) ग्रामान्
(ग) ग्रामाः
(घ) ग्राम
उत्तर:
(घ) ग्राम

प्रश्न 5.
अलं कोलाहलाय
(क) कोलाहलेन
(ख) कोलाहलः
(ग) कोलाहलं
(घ) कोलाहल
उत्तर:
(क) कोलाहलेन

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

प्रश्न 6.
कृष्णस्य सह बलरामः अपि क्रीडति।
(क) कृष्णेन
(ख) कृष्णं
(ग) कृष्णाय
(घ) कृष्ण
उत्तर:
(क) कृष्णेन

प्रश्न 7.
सरस्वतीं नमः।
(क) सरस्वती
(ख) सरस्वत्यै
(ग) सरस्वत्या
(घ) सरस्वत्याः
उत्तर:
(ख) सरस्वत्यै

प्रश्न 8.
नृपः प्रजां धनं यच्छति।
(क) प्रजा
(ख) प्रजाय
(ग) प्रजाभ्यः
(घ) प्रजेभ्यः
उत्तर:
(ग) प्रजाभ्यः

प्रश्न 9.
मूषकः विडालेन बिभेति।
(क) विडाल
(ख) विडालाय
(ग) विडालात्
(घ) विडालं
उत्तर:
(ग) विडालात्

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शुद्ध-अशुद्ध-प्रकरणम्

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अव्यय-प्रकरणम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions अव्यय-प्रकरणम्

पाठ्यक्रम में निम्न अव्यय पदों का समावेश है
1. अलम्
2. अन्तः
3. बहिः
4. अधः
5. उपरि
6. उच्चैः
7. नीचैः
8. कदापि
9. पुनः
10. शनैः
11. पुरा
12. कुतः
13. इतस्ततः।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अव्यय-प्रकरणम्

1. अलम्-निषेध तथा पर्याप्त दो अर्थों में प्रयुक्त होता है।

(क) निषेध अर्थ में तृतीया तथा पर्याप्त अर्थ में चतुर्थी का प्रयोग होता है। शोर मत करो। झगड़ा मत करो। हँसो मत। क्रोध मत करो। इत्यादि वाक्यों में अलम् का प्रयोग तृतीया विभक्ति के साथ होता है यथा अलं कोलाहलेन। अलं विवादेन। अलं हसितेन। अलं क्रोधेन।
(ख) ‘पर्याप्त’ अर्थ में यह पहलवान उस पहलवान के लिए पर्याप्त है-मल्लः मल्लाय अलम्। दूध पीने के लिए पर्याप्त है-दुग्धं पानाय अलम्।

2. अन्तः/बहिः-अन्दर तथा बाहर के लिए क्रमशः अन्तः तथा बहिः अव्ययों का प्रयोग होता है। अन्त
के योग में षष्ठी तथा बहिः के योग में पञ्चमी होती है।
(i) सः गृहस्य अन्तः प्रविशति।
(ii) सः गृहात् बहिः गच्छति।

3. उपरि/अधः-इसी तरह ऊपर तथा नीचे अर्थों को बताने के लिए उपरि तथा अधः का प्रयोग होता
है। इनमें षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है। वृक्ष के ऊपर पक्षी बैठा है। वृक्ष के नीचे पक्षी बैठा है।
(i) वृक्षस्य उपरि खगः तिष्ठति।
(ii) वृक्षस्य अधः खगः तिष्ठति।

4. उच्चैः/नीचैः-ऊँचा और नीचा बताने के लिए क्रमशः उच्चैः, नीचैः शब्दों का प्रयोग होता है।
(i) वह ऊँचा बोलता है। सः उच्चैः वदति।
(ii) पानी नीचे बहता है। जलम् नीचैः वहति। इत्यादि।

5. कदापि/पुनः-कदापि का अर्थ है कभी-कभी। इसके विपरीत पुनः का अर्थ है बार-बार। वह मेरे
घर कभी नहीं आता। वह मेरे घर बार-बार आता है।
(i) सः कदापि मम गृहं न आगच्छति।
(ii) सः पुनः पुनः मम गृहम् आयाति।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अव्यय-प्रकरणम्

उसने एक गीत गाया। पुनः दूसरा गीत गाया।
सः एकं गीतम् अगायत्, पुनः अपरं गीतम् अगायत्।
उसने कभी झूठ नहीं बोला।
सः कदापि असत्यं न अवदत्।

6. शनै:-धीरे-धीरे।
गजः शनैः शनैः चलति।

7. पुरा-पहले।
पुरा दशरथः नाम राजा आसीत्।

8. कुतः-कहाँ से।
भवान् कुतः आगच्छति?

9. इतस्ततः-इधर-उधर।
वने मृगाः इतस्ततः भ्रमन्ति।
अधोलिखित वाक्यों में मञ्जूषा से उचित पद चुनकर रिक्त स्थानों में भरो
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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अव्यय-प्रकरणम्

(1) नीचैः गच्छति ……… च दशा चक्रनेमिक्रमेण।
(ii) वायुना पत्राणि ……… पतन्ति।
(iii) गीतम् …. गायत।
(iv) एकवारं …….. कथां कथय।
(v) …… रोदनेन।
(vi) मम पुत्रः एकाकी शास्त्रार्थे सर्वेभ्यः …… ।
(vii) ……. व्यथा अतीव कष्टकरी भवति।
(viii) त्वं ……. गत्वा पश्य।
(ix) सः ……. न आयास्यति।
(x) गृहात् ……… मा गच्छ।
उत्तर:
(i) उपरि
(ii) अधः
(iii) उच्चैः
(iv) पुनः
(v) अलं (निषेधार्थ)
(vi) अलम्
(vii) अन्तः
(viii) नीचैः
(ix) कदापि
(x) बहिः

अभ्यासः

1. अव्यय किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।

2. निम्न अव्ययों का अर्थ लिखो
न, तत्र, सदा, शनैः, पुरा, बहिः।

प्रश्न 3.
निम्न अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करो
अलम्, बहिः, उपरि, अधः।
उत्तर:
प्रश्न 1, 2 तथा 3 का उत्तर पाठ की सहायता से छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति अन्त में दिए गए अव्ययों में से सही अव्यय चुन कर करो
(क) सः दुग्धं …. पिबति।
(ख) अहम् ……… गमिष्यामि।
(ग) मया ……. आगच्छ।
(घ) सः ……… आगमिष्यति ? (कदा, अपि, सह, न)
उत्तर:
(क) अपि
(ख) न
(ग) सह
(घ) कदा।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गए अव्यय पदों से करें
(अलम्, अन्तः, बहिः, अधः, उपरि, उच्चैः, नीचैः, कदापि)
(क) … गच्छति उपरि च दशा चक्रनेमि क्रमेण।
(ख) आकाशस्य …….. किमपि नास्ति।
(ग) ……. विवादेन।
(घ) शेखरः गृहस्य ……. अस्ति।
(ङ) सुनीता गृहात् ……. अगच्छत्।
(च) शिशुः खट्वायाः …… तिष्ठति।
(छ) छात्राः कक्षायाम् …… वदन्ति।
उत्तर:
(क) नीचैः
(ख) उपरि
(ग) अलम्
(घ) अन्तः
(ङ) बहिः
(च) अधः
(छ) उच्चैः

बहुविकल्पीयप्रश्नाः
अधोलिखितेषु वाक्येषु उचिताव्ययपदैः रिक्तस्थानानि पूर्यन्ताम्

प्रश्न 1.
बालकः उपवनस्य ………… प्रविशति।
(क) अन्तः
(ख) बहिः
(ग) उपर
(घ) अधः
उत्तर:
(क) अन्तः

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प्रश्न 2
क्रीडकाः क्रीडाक्षेत्रात् ………… न गच्छन्ति।
(क) उच्चैः
(ख) नीचैः
(ग) बहिः
(घ) पुरा
उत्तर:
(ग) बहिः

प्रश्न 3.
भवनस्य ………. शरवानुः आतपे तिष्ठति।
(क) पुरा
(ख) कदापि
(ग) कुतः
(घ) उपरि
उत्तर:
(घ) उपरि

प्रश्न  4.
भूमेः ………….. जलं वर्तते।
(क) अधः
(ख) विना
(ग) कदापि
(घ) पुरा
उत्तर:
(क) अधः

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प्रश्न  5.
वृक्षस्य ……….. मुनिः तपः करोति।
(क) कुतः
(ख) कदापि
(ग) नीचैः
(घ) बहिः
उत्तर:
(ग) नीचैः

प्रश्न  6.
पुस्तकालये ……… न हसितव्यम्।
(क) नीचैः
(ख) बिना
(ग) अलं
(घ) उच्चैः
उत्तर:
(घ) उच्चैः

प्रश्न  7.
असत्यं …………… न वक्तव्यम्।
(क) अलं .
(ख) उच्चैः
(ग) कदापि
(घ) कुतः
उत्तर:
(ग) कदापि

प्रश्न  8.
गङ्गा ………… निर्गच्छति?
(क) कदापि
(ख) कुतः
(ग) अन्तः
(घ) उच्चैः
उत्तर:
(ख) कुतः

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प्रश्न  9.
………… विवादेन।
(क) अलं
(ख) बहिः
(ग) अन्तः
(घ) नीचैः
उत्तर:
(क) अलं

प्रश्न  10.
योगस्य ………….. अभ्यासः करणीयः।
(क) कदापि
(ख) पुनः
(ग) अन्तः
(घ) बहिः
उत्तर:
(ख) पुनः

प्रश्न  11.
………. अयोध्यायां दशरथः नाम नृपः आसीत्।
(क) उपरि
(ख) इतस्ततः
(ग) पुरा
(घ) कदापि
उत्तर:
(ग) पुरा

प्रश्न  12.
उद्याने ……….. जनाः भ्रमन्ति।
(क) इतस्ततः
(ख) अन्तः
(ग) बहिः
(घ) कुतः
उत्तर:
(क) इतस्ततः
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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

क्त्वा, तुमुन्, शतृ प्रत्यय
सुबन्त तथा तिङन्त के अतिरिक्त संस्कृत में कृत् तथा तद्धित प्रत्यय होते हैं। कृत् प्रत्यय धातुओं से तथा तद्धित संज्ञा शब्दों से होते हैं।

(क) क्त्वा प्रत्ययः/ल्यप् प्रत्ययः
जब दो क्रियाएँ आगे पीछे हों और उनका कर्ता एक ही हो तो उस वाक्य में पहली क्रिया के साथ क्त्वा प्रत्यय लगाया जाता है।
‘क्त्वा’ और ‘ल्यप्’ प्रत्यय का प्रयोग ‘करके’ अर्थ के लिए किया जाता है। ‘क’ का लोप होता है एवं धातु के साथ ‘त्वा’ जुड़ता है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

उदाहरण
(i) सः विद्यालयं गच्छति। पश्चात् सः पठति।
(ii) सः भोजनं करोति। पश्चात् सः जलं पिबति।
(iii) सः पठति। पश्चात् सः विद्वान् भवति।
(iv) सः वृक्षम् आरोहति। पश्चात् सः फलानि खादति।
(v) सः हसति। पश्चात् सः वदति।

ऊपर दिये गये वाक्यों में क्त्वा का प्रयोग करके एक वाक्य बनाओ। उत्तरम्
(i) सः विद्यालयं गत्वा पठति।
(ii) सः भोजनं कृत्वा जलं पिबति।
(iii) सः पठित्वा विद्वान् भवति।
(iv) सः वृक्षम् आरुह्य फलानि खादति।
(v) सः हसित्वा वदति।

यहाँ गत्वा, कृत्वा, पठित्वा तथा हसित्वा में क्रमशः गम्, कृ, पठ् तथा हस् धातु से क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। ध्यान रहे क्त्वा का त्वा शेष रह जाता है। चौथे उदाहरण में आरुह्य में ल्यप् (य) का प्रयोग हुआ है। यदि धातु से पूर्व उपसर्ग होता है तो ‘क्त्वा’ के स्थान पर ‘ल्यप्’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। ‘ल्, प्’ का लोप होकर ‘य’ ही शेष रहता है।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

निम्नलिखित धातुओं से क्त्वा प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाओ
दृश्, वच्, लिख्, दा।
(i) सः वृक्षम् पश्यति। पश्चात् सः तम् आरोहति।
(ii) सः वार्ता वक्ति। पश्चात् सः गच्छति।
(iii) सः पत्रं लिखति। पश्चात् सः पत्रालयं गच्छति।
(iv) सः वस्त्रं यच्छति। पश्चात् सः प्रसन्नः भवति।

अब इनके दो-दो वाक्यों के एक-एक वाक्य बनाएँ तथा क्त्वा का प्रयोग करें
(i) सः वृक्षम् दृष्ट्वा तम् आरोहति।
(ii) सः वार्ताम् उक्त्वा गच्छति।
(iii) सः पत्रं लिखित्वा पत्रालयं गच्छति।
(iv) सः वस्त्रं दत्त्वा प्रसन्नः भवति।

(ख) तुमुन्-प्रत्ययः
जहाँ कर्ता के लिए भविष्य में की जाने वाली किसी क्रिया का निमित्त वर्तमान में दूसरी क्रिया हो, वहाँ धातु के साथ तुमुन् लगाकर भविष्य की क्रिया का निर्देश होता है।
‘तुमुन्’ प्रत्यय का प्रयोग के लिए’ अर्थ के लिए किया जाता है। इस प्रत्यय का ‘तुम्’ ही धातु के साथ जुड़ता है।
जैसे (i) सः विद्यालयं गच्छति। सः तत्र गत्वा पठिष्यति।
(ii) सः पठति। पठनेन सः विद्वान् भविष्यति।
(iii) सः व्यायामं करोति। तेन सः बलवान् भविष्यति।
(iv) सः परिश्रमं करोति। तेन सः सफलः भविष्यति।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

इनके स्थान पर तुमुन् का प्रयोग करते हुए एक वाक्य बनाओ
(i) सः पठितुं विद्यालयं गच्छति।
(ii) सः विद्वान् भवितुं पठति।
(iii) सः बलवान् भवितुं व्यायामं करोति।
(iv) सः सफलः भवितुं परिश्रमं करोति।

इसी तरह निम्न वाक्य देखें
(i) सः जीवितुम् (जीव् + तुमुन्) अन्नं स्वीकरोति।
(ii) सः पूजां कर्तुम् (कृ + तुमुन्) मन्दिरं गच्छति।
(iii) सः पुस्तकं क्रेतुम् (क्री + तुमुन्) आपणं गच्छति।
(iv) शिशुः दुग्धं पातुम् (पा + तुमुन्) रोदिति।
(v) पितुः आज्ञा पालयितुं (पाल् + तुमुन्) रामः वनं याति।

(ग) शतृ प्रत्ययः
जब कर्ता एक ही समय में एक ही साथ दो क्रियायें कर रहा हो तो पहली क्रिया के साथ शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ का अत् शेष रह जाता है। पुंल्लिङ्ग में प्रायः अत् के त् का न् हो जाता है। यथा
(i) सः हसति, वदति च → सः हसन् वदति।
(ii) सः खादति, चलति च → सः खादन् चलति।
(iii) सः रोदिति आयाति च → सः रुदन् आयाति।
(iv) सः धावति गच्छति च → सः धावन् गच्छति।
(v) सः वदति पठति च → सः वदन् पठति।
इन वाक्यों में हसन् (हस् + शतृ), खादन् (खाद् + शतृ), रुदन् (रुद् + शतृ), धावन् (धाव + शतृ) तथा वदन् (वद् + शतृ) शब्दों में शतृ प्रत्यय है।

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(घ) शानच् प्रत्ययः
शानच् प्रत्ययान्त पदों का प्रयोग विशेषण रूप में होता है। इसके लिङ्ग-विभक्ति-वचन विशेष्य के अनुसार होते हैं। ‘शानच्’ प्रत्यय का आन/मान शेष रहता है। शानच् प्रत्यय आत्मनेपदी धातु से जुड़ता है

सेव् + शानच् = सेवमानः
वृध् + शानच् = वर्धमानः
वन्द् + शानच् = वन्दमानः
ईक्ष् + शानच् = ईक्षमाणः
लभ् + शानच् = लभमानः
कम्प् + शानच् = कम्पमानः

(ङ) क्त तथा क्तवतु प्रत्ययः
भूतकाल में लङ् लकार के स्थान पर कर्तृवाच्य में क्तवतु तथा कर्मवाच्य में क्त का प्रयोग भी होता है। जैसे
(i) सः अहसत् के स्थान पर सः हसितवान्
(ii) सः अगच्छत् के स्थान पर तेन गतः
(iii) सः पत्रम् अलिखत् के स्थान पर सः पत्रं लिखितवान्
(iv) सः वृक्षम् अपश्यत् के स्थान पर तेन वृक्षः दृष्टः
यहाँ गतः व दृष्टः में क्त प्रत्यय है
गम् + क्त = गतः।
दृश् + क्त = दृष्टः।
इसी तरह हसितवान् व लिखितवान् में क्तवतु प्रत्यय
है-हसितवान् = हस् + क्तवतु।
लिखितवान् = लिख् + क्तवतु।

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(च) तव्यत्-अनीयर्-प्रत्ययः
‘चाहिए’-इस अर्थ में तव्यत् तथा अनीयर् प्रत्यय होते हैं। इन प्रत्ययों का प्रयोग कर्मवाच्य अथवा भाववाच्य में होता है। तब कर्त्ता में तृतीया विभक्ति तथा कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है
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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम् 3
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(ii) कृदन्त-प्रत्यय-प्रयोगः

क्त, क्तवतु, शतृ, शानच्, तव्यत्, अनीयर् प्रत्ययः क्त प्रत्यय-भूतकाल कर्मवाच्य में प्रयुक्त होता है, जैसे दत्तम्, जाता, कृता, आदि।
दा + क्त-दत्तम्। जन् + क्त-जाता (स्त्री.)। कृ + क्त-कृता (स्त्रीलिङ्ग)।
(i) मया भवनं द्विधा विभज्य दत्तम्। (मेरे द्वारा घर दो भाग में बाँट कर दिया गया।)
(ii) निर्णयं श्रुत्वा सा प्रसन्ना जाता। (निर्णय सुनकर वह प्रसन्न हुई।)
(iii) जनैः न्यायाधीशस्य प्रशंसा कृता। (लोगों द्वारा न्यायाधीश की प्रशंसा की गई।)
क्तवतु प्रत्यय-यह भी भूतकाल में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः कर्तृवाच्य में इसका प्रयोग होता है जैसे

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

भाष् + क्तवतु-भाषितवान्।
घोष् + क्तवतु-घोषितवान्।
आज्ञा (णिच् + क्तवतु)-आज्ञप्तवान्।
भाष् + क्तवतु-भाषितवान्,
सः भूयो भाषितवान्।
घुष् + क्तवतु-घोषितवान्।
न्यायाधीशः पुनः घोषितवान्।

प्रत्यय-प्रकरणम्

आ + ज्ञा + णिच् + क्तवतु-आज्ञप्तवान्
स प्रथमं भागं चित्रायै दातुम् आज्ञप्तवान्।

शतृ प्रत्यय-यह वर्तमान काल में हो रही क्रिया के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
घोष् + शतृ-घोषयन्
घुष् + शतृ-घोषयन्,
तौ निजाधिकारं घोषयन्तौ (घोषणा करते हुए) आगतौ।

शानच् प्रत्यय-वर्तमान काल में आत्मनेपद में प्रयुक्त होता है।
वि + वद् + शानच्-विवदमानः,
तौ तथैव विवदमानौ (विवाद करते हुए) न्यायालयम् आगतौ।

तव्यत् प्रत्यय
छात्रैः पाठः पठितव्यः
अस्माभिः गीता पठितव्या
लतया रामायणं पठितव्यम्

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

अनीयर् प्रत्यय
अस्माभिः धूम्रपानं न करणीयम्
त्वया रोटिका खादनीया
मया वृद्धः सेवनीयः

(iii) स्त्रीप्रत्ययाः

पुरुषवाचक शब्दों से टाप् (आ) या, ङीप्, ङीष् (ई) प्रत्यय लगाकर स्त्रीवाचक शब्द बनाए जाते हैं। जैसे-टाप् प्रत्यय के उदाहरण
छात्र + टाप् (आ) – छात्रा।
श्रुत + टाप् (आ) – श्रुता।
अन्तिम + टाप् (आ) – अन्तिमा।

देव + ङीप् (ई) – देवी।
नद + ङीप् (ई) – नदी।
पुत्र + ङीप् (ई) – पुत्री।

अभ्यासः

निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों में प्रकृति और प्रत्यय को पृथक् करके कोष्ठक में लिखो
1. सः हसन् (……… + ………) अवदत्।
2. अहं मन्दिरं गत्वा (…….. + …..) अपश्यम्।
3. त्वं पठितुम् (….. + ……) विद्यालयं गच्छसि।
4. तेन पुस्तकं पठितम् (…. + ….)।
5. मन्त्री नाटकम् दृष्टवान् (….. + …)।
6. सः भोजनम् आदाय (…. + …) अगच्छत्।
7. युध्यमानः (….. + …….) सैनिकः देशं रक्षति।
8. वृद्धः शीतेन कम्पमानः (… + ……) तिष्ठति।
9. मालाकारेण पुष्पाणि चेतव्यानि (. .. + . )
10. त्वया गुरुः पूजनीयः (… + ….)।
11. तेन कुमार्गः त्यक्तव्यः (….. + ….)।
12. खट्वायां शिशुः शयानः (…… + …) तिष्ठति।
उत्तर:
1. हस् + शतृ
2. गम् + क्त्वा
3. पठ् + तुमुन्
4. पठ् + क्त
5. दृश् + क्तवतु
6. आ + दा + ल्यप्

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्
7. युध् + शानच्
8. कम्प् + शानच्
9. चि + तव्यत्
10. पूज् + अनीयर्
11. त्यज् + तव्यत्
12. शी + शानच्।

बहुविकल्पीयप्रश्नाः

प्रश्न 1.
निम्नलिखितवाक्येषु निर्दिष्टधातोः तुमुन्/कत्वा/ल्यप् शुद्ध प्रत्ययान्तपदेन रिक्तस्थानानि पूरयत
(i) भाषणं (श्रु + क्त्वा) सर्वे श्रोतारः प्रसन्नाः आसन्।
(क) श्रुक्त्वा
(ख) श्रुत्वा
(ग) श्रुतवा
(घ) श्रुवा
उत्तर:
(क) श्रुक्त्वा

(ii) आलस्यं (परि + त्यज् + ल्यप्) उद्यमं करणीयम्।
(क) परित्यज्य
(ख) परित्यजय
(ग) परित्यज्यप्
(घ) परित्यजल्यप्
उत्तर:
(क) परित्यज्य

(iii) विद्यालये छात्राः (पठ् + तुमुन्) गच्छन्ति।
(क) पठतुम्
(ख) पठितुमुन्
(ग) पठितुम्
(घ) पठितुम
उत्तर:
(ग) पठितुम्

प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानाम् शुद्धप्रकृतिप्रत्ययविभागम् (✓) इति चिह्नन प्रदर्शयताम्
(i) कृषकः क्षेत्रं प्रति गतवान्।
(क) गम् + मतुप्
(ख) गम् + शानच्
(ग) गम् + क्तवतु
(घ) गम् + क्त
उत्तर:
(ग) गम् + क्तवतु

(ii) छात्रैः पाठाः पठिताः।
(क) पठ् + टाप्
(ख) पठ् + क्त
(ग) पठ् + तल्
(घ) पठि + क्त
उत्तर:
(क) पठ् + टाप्

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions प्रत्यय-प्रकरणम्

(iii) दानं यच्छन् वैभवः प्रसीदति।
(क) दा + शतृ
(ख) दा + क्त
(ग) दा + अन्
(घ) दा + इनि
उत्तर:
(क) दा + शतृ

(iv) कम्पमानः बालः चायं पिबति।
(क) कम्प् + मतुप्
(ख) कम्प् + मान्
(ग) कम्प् + क्तवतु
(घ) कम्प् + शानच्
उत्तर:
(घ) कम्प् + शानच्

प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु वाक्येषु शुद्धपदं (✓) इति चिह्नन अङ्कयत
(i) अस्माभिः वृक्षाः (रोपणीयाः / रोपनीयाः / रोपणीयः)।
(ii) गुरूणाम् आज्ञा (पालनीया / पालनीयः / पालनीयाः)।
(iii) जनैः स्वकर्त्तव्यस्य पालनं (कर्तव्यम् / कर्तव्या / कर्तव्यः)।
(iv) रूप्यकाणि (गणयती, गणयन्ती, गणयत्) तृप्ता प्रसन्ना अस्ति।
उत्तर:
(i) रोपनीयाः
(ii) पालनीया
(iii) कर्तव्यम्
(iv) गणयन्ती

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