These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 अंतिम दौर-एक Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts.
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 6 Question Answers Summary अंतिम दौर-एक
Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Question and Answers
प्रश्न 1.
अंग्रेजों ने अपनी व्यवस्था चलाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
अंग्रेजों ने भारत में अपने नमूने के बड़े जमींदार पैदा किए। उनका लक्ष्य था- लगान की शक्ल में अधिक से अधिक रुपया इकट्ठा करना। ब्रिटिश शासन ने इस प्रकार अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर लिया।
प्रश्न 2.
भारत का इस्तेमाल किस प्रकार किया था?
उत्तर:
इंग्लैंड ने भारत को साम्राज्यवादी उद्देश्यों के लिए बिना कुछ भुगतान किए अड्डे की तरह इस्तेमाल किया। इसके अलावा उसे इंग्लैंड में ब्रिटिश सेना के एक हिस्से के प्रशिक्षण का खर्च भी उठाना पड़ा। इसे ‘कैपिटेशन चार्ज’ कहा जाता था।
प्रश्न 3.
18वीं शताब्दी में बंगाल में किस व्यक्तित्व का उदय हुआ?
उत्तर:
यह प्रभावशाली व्यक्तित्व था-राजा राममोहन राय। वे एक नए ढंग के व्यक्ति थे। उन्हें भारतीय विचारधारा और दर्शन की गहरी समझ थी। उन्होंने अनेक भाषाएँ सीखी थीं। वे समाज-सुधारक थे। उन्हीं के आंदोलन के कारण सती-प्रथा पर रोक लगी।
प्रश्न 4.
सन् 1857 में भारत में क्या हुआ?
उत्तर:
सन् 1857 में मेरठ की भारतीय सेना ने बगावत कर दी। विद्रोह की योजना गुप्त थी पर समय से पूर्व विस्फोट ने नेताओं की योजना बिगाड़ दी। हिंदू, मुसलमान दोनों ने विद्रोह में भाग लिया। यह विद्रोह दबा दिया गया।
प्रश्न 5.
1857 के विद्रोह से क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
इस विद्रोह से ये नेता उभरे-1. तात्या टोपे, 2. रानी लक्ष्मीबाई।
प्रश्न 6.
विद्रोह की ब्रिटेन में क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
इस विद्रोह ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया। सरकार ने प्रशासन का पुनर्गठन किया। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से देश का शासन अपने हाथों में ले लिया।
प्रश्न 7.
श्री रामकृष्ण परमहंस कौन थे?
उत्तर:
श्री रामकृष्ण परमहंस बंगाल के थे। उनका नए पढ़े-लिखे लोगों पर बहुत प्रभाव था। वे सीधे चैतन्य और भारत के अन्य संतों की परंपरा में आते थे। वे मुख्यतः धार्मिक थे, पर साथ ही बहुत उदार थे। वे कलकत्ता के निकट दक्षिणेश्वर में रहते थे।
प्रश्न 8.
विवेकानंद के बारे में बताइए।
उत्तर:
विवेकानंद ने अपने गुरु-भाइयों के सहयोग से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। वे बांग्ला और अंग्रेजी के ओजस्वी वक्ता थे। 1893 ई. में उन्होंने शिकागो के अंतर्राष्ट्रीय धर्म-सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने वेदांत के अद्वैत दर्शन के एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। 1902 ई. में 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
प्रश्न 9.
रवींद्र नाथ ठाकुर कौन थे?
उत्तर:
रवींद्र नाथ ठाकुर विवेकानंद के समकालीन थे। वे श्रेष्ठ लेखक और कलाकार थे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने जलियाँवाला बाग कांड का विरोध करते हुए ‘सर’ की उपाधि लौटा दी। शांति निकेतन की स्थापना की। घोर व्यक्तिवादी होने के बावजूद वे रूसी क्रांति की उपलब्धियों के प्रशंसक थे। टैगोर भारत के सबसे बड़े मानवतावादी थे।
प्रश्न 10.
टैगोर और गाँधी जी में क्या अंतर था?
उत्तर:
टैगोर सम्भ्रांत कलाकार थे; जबकि गाँधी जी विशेष रूप से आम जनता के आदमी थे। टैगोर मूलतः विचारक थे; जबकि गाँधी जी अनवरत् कर्मठता के प्रतीक थे।
प्रश्न 11.
सर सैयद अहमद खाँ का परिचय दीजिए।
उत्तर:
सर सैयद अहमद खाँ उत्साही समाज-सुधारक थे। उन्होंने मुस्लिमों की ब्रिटिश-विरोधी भावना को कम करने का प्रयास किया। अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना सर सैयद अहमद ने की। इनका घोषित उद्देश्य था- “भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश ताज की योग्य और उपयोगी प्रजा बनाना।” इनका प्रभाव मुसलमानों में उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था।
प्रश्न 12.
1912 में मुसलमानों के कौन-से दो साप्ताहिक पत्र निकले?
उत्तर:
उर्दू में ‘अल-हिलाल’ तथा अंग्रेजी में ‘द कामरेड’।
प्रश्न 13.
अबुल कलाम आजाद कौन थे?
उत्तर:
अबुल कलाम एक प्रतिभा सम्पन्न नवयुवक थे। वे अरबी-फारसी के ज्ञाता थे। उनका दृष्टिकोण उदार व तर्कसंगत था। वे भारतीय राष्ट्रवादी थे। उनकी शैली में उत्तेजना थी।
प्रश्न 14.
तिलक और गोखले के बारे में बताइए।
उत्तर:
एक योग्य और तेजस्वी नेता के रूप में उभरे महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक। पुराने नेतृत्व के प्रतिनिधि सज्जन थे-गोखले तथा कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दादाभाई नौरोजी को राष्ट्रपिता समझा जाता था।
प्रश्न 15.
कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. में हुई।
Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Summary
भारत राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से पहली बार एक अन्य देश का पुछल्ला बनता है-भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना उसके लिए एकदम नई घटना थी। नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा था, उससे हर .सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था। भारत ब्रिटिश ढाँचे का औपनिवेशिक और खेतिहर पुछल्ला बनकर रह गया। अंग्रेजों ने जो बड़े जमींदार पैदा किए, उनका लक्ष्य था-लगान के रूप में अधिक से अधिक धन इकट्ठा करना। उन्होंने अपने प्रकार का एक वर्ग तैयार किया। इस व्यवस्था में जमींदार थे, राजा थे, विभिन्न महकमों में पटवारी, मुखिया तथा कर्मचारियों की बहुत बड़ी संख्या थी। हर जिले में कलक्टर व जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस थी। भारत को ब्रिटेन के हर तरह के दूसरे खर्चे भी उठाने पड़ते थे।
भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्विरोध-
राजा राममोहन राय : बंगाल में अंग्रेजी शिक्षा और समाचार-पत्र- बंगाल में अंग्रेजी शिक्षा और समाचार-पत्र व्यक्तिगत रूप से अंग्रेजों ने, जिनमें शिक्षाविद्, प्राच्य-विद्या विशारद, पत्रकार, मिशनरी और अन्य लोग थे, पाश्चात्य संस्कृति को भारत में लाने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। यूरोप के विचारों से बहुत सीमित वर्ग प्रभावित हुआ, क्योंकि भारत अपनी दार्शनिक पृष्ठभूमि को पश्चिम से बेहतर मानता था। पर नई तकनीक, रेलगाड़ी, छापाखाना दूसरी मशीनें-ये सब ऐसी बातें थीं जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती थी। 18वीं शताब्दी में बंगाल में एक अत्यंत शक्तिशाली व्यक्तित्व का उदय हुआ। इनका नाम था-राजा राममोहन राय। वे पूर्णतः नए ढंग के व्यक्ति थे। भारतीय विचारधारा व दर्शन की उन्हें गहरी जानकारी थी। उन्होंने अनेक भाषाएँ सीखीं। वे एक सच्चे समाज-सुधारक थे। ब्रिटिश सरकार ने सती-प्रथा पर रोक उन्हीं के आंदोलन के कारण लगाई। वे पत्रकारिता के प्रवर्तकों में से थे। 1780 के बाद भारत में अंग्रेजों ने कई अखबार निकाले। 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई।
1857 की महान क्रांति : जातीयतावाद- ब्रिटिश शासन के लगभग एक शताब्दी के उपरांत बंगाल ने उससे समझौता कर लिया था। किसान आर्थिक बोझों के तले पिस रहे थे। जनता में असंतोष और ब्रिटिश विरोधी भावना फैल रही थी। मई, 1857 में मेरठ की भारतीय सेना ने बगावत कर दी। विद्रोह गुप्त था, पर समय से पहले हुए विस्फोट ने योजना को बिगाड़ दिया। यह केवल सैनिक विद्रोह से कहीं अधिक था। इसने भारतीय स्वाधीनता का रूप ले लिया। हिंदू और मुसलमान दोनों ने विद्रोह में भाग लिया। अंग्रेजों ने इसका दमन भारतीय सहायता से किया। इस विद्रोह में कुछ श्रेष्ठ छापामार नेता उभरकर आए। इनमें तेजस्वी तात्या टोपे भी थे। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी प्रमुख थीं। इस विद्रोह ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत को अपने हाथ में ले लिया।
हिंदुओं और मुसलमानों में सुधारवादी और दूसरे आंदोलन- राजा राममोहन राय ने ‘हिंदू ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। 19वीं शताब्दी में स्वामी दयानंद सरस्वती ने महत्त्वपूर्ण सुधार आंदोलन शुरू किए और ‘आर्य समाज’ की स्थापना की। इनका नारा था-वेदों की ओर चलो। आर्य समाज में वेदों की एक विशेष ढंग से व्याख्या की गई है। स्वामी दयानंद के ही समय में बंगाल में श्री रामकृष्ण परमहंस का व्यक्तित्व सामने आया। उनका पढ़े-लिखे वर्ग पर बहुत प्रभाव पड़ा। वे कलकत्ता के निकट दक्षिणेश्वर में रहते थे। उनके असाधारण व्यक्तित्व और चरित्र ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। स्वामी विवेकानंद ने गुरु-भाइयों की मदद से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसमें सांप्रदायिकता नहीं थी। सन् 1895 में विवेकानंद ने शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय धर्म-सम्मेलन में भाग लिया। सन् 1902 ई. में 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। रवींद्र नाथ ठाकुर विवेकानंद के समकालीन थे। टैगोर परिवार ने बंगाल के सुधारवादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने शांति निकेतन को भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र बनाया। टैगोर ने भारत की उसी तरह सेवा की जैसे दूसरे स्तर पर गाँधी जी ने की थी। टैगोर सम्भ्रांत परिवार के कलाकार थे। गाँधी जी विशेष रूप से जनता के आदमी थे जो भारतीय किसान का रूप थे। टैगोर मूलतः विचारक थे और गाँधी अनवरत् कर्मठता के प्रतीक थे। उस समय एनी बेसेंट का भी प्रभाव था। बहुत-सी बातें मुसलमान जनता में समान रूप से प्रचलित थीं।
सर सैयद अहमद खाँ उत्साही सुधारक थे। वे आधुनिक वैज्ञानिक विचारों के साथ इस्लाम का तालमेल बिठाना चाहते थे। उन्होंने मुसलमानों में ब्रिटिश विरोधी भावना को कम करने का प्रयास किया। उन्होंने अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना की। उनका एक घोषित उद्देश्य था-“भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश ताज की योग्य और उपयोगी प्रजा बनाना।” सर सैयद अहमद खाँ का प्रभाव मुसलमानों के उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था। 1912 में मुसलमानों के दो नए साप्ताहिक निकले-उर्दू में ‘अल-हिलाल’ और अंग्रेजी में ‘द कामरेड’। अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़ कॉलेज में सर सैयद अहमद खाँ से संबंध था। अबुल कलाम आजाद ने पुरातन-पंथी और राष्ट्र-विरोधी भावना के गढ़ पर हमला किया।
तिलक और गोखले- 1885 ई. में नेशनल कांग्रेस की स्थापना हुई। कांग्रेस ने कई आंदोलन चलाए। इनमें बड़ी संख्या में मध्य वर्ग के विद्यार्थी और युवा लोगों के प्रतिनिधि थे। बंगाल विभाजन के विरोध में शक्तिशाली आंदोलन हुआ। कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दादा भाई नौरोजी को राष्ट्रपिता समझा जाता था। 1907 में संघर्ष फिर शुरू हुआ जिसमें पुराने उदार दल की जीत हुई। कांग्रेस का महत्त्व काफी कुछ घट गया और बंगाल में हिंसक घटनाएँ सामने आ रही थीं।