CBSE Class 11

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 8

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 Composition and Structure of Atmosphere (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(क) ऑक्सीजन
(ख) आर्गन
(ग) नाइट्रोजन
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर- (ग) नाइट्रोजन

(ii) वह वायुमंडलीय परत जो मानव जीवन के लिए। महत्त्वपूर्ण है
(क) समतापमंडल
(ख) क्षोभमंडल
(ग) मध्यमंडल
(घ) आयनमंडल
उत्तर- (ख) क्षोभमंडल

(iii) समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी किससे संबंधित हैं?
(क) गैस
(ख) जलवाष्प
(ग) धूलकण
(घ) उल्कापात
उत्तरे- (ग) धूलकण

(iv) निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(क) 90 कि.मी.
(ख) 100 कि.मी.
(ग) 120 कि.मी.
(घ) 150 कि.मी.
उत्तर- (ग) 120 कि.मी.

(v) निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी?
(क) ऑक्सीजन
(ख) नाइट्रोजन
(ग) हीलियम
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर- (घ) कार्बन डाइऑक्साइड

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) वायुमंडल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- वायुमंडल विभिन्न प्रकार की गैसों का भिश्रम है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढंके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसें जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के जीवन के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पाई जाती है। वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न भाग है तथा इसके कुल द्रव्यमान को 99 प्रतिशत पृथ्वी की सतह से 32 कि.मी. की ऊँचाई तक स्थित है। वायु रंगहीन तथा गंधहीन होती है तथा जब यह पवन की तरह बहती है, तभी हम इसे महसूस कर सकते हैं।

(ii) मौसम एवं जलवायु के तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर- मौसम एवं जलवायु के मुख्य तत्त्व निम्न हैं–

  1. तापमान – तापमान मौसम एवं जलवायु के मुख्य तत्त्व हैं।
  2. दाब – वायुमंडल के निचले भाग से वायुदाब ऊँचाई के साथ तीव्रता से घटता है।
  3. हवा – हवा का बहाव भी मौसम और जलवायु को प्रभावित करता है।
  4. आर्द्रता – बादल और वर्षण मौसम एवं जलवायु के मुख्य तत्त्व हैं।

(iii) वायुमंडल की संरचना के बारे में लिखें।
उत्तर- वायुमंडल में कई गैसें पाई जाती हैं, लेकिन गैसों का अनुपात अलग-अलग होता है। वायुमंडल में 78.8 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20.94 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा 0.93 प्रतिशत आर्गन पाई जाती है। इसके अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड, नीऑन, हिलीयम, ओजोन, हाइड्रोजन, क्रिप्टॉन तथा जेनन गैसें पाई जाती है। लगभग 90 कि.मी. की ऊँचाई तक तीन प्रमुख गैसों नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आर्गन में समानता है। ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन मिलकर हेमोस्फेयर या समतापमंडल की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करती हैं। नीऑन, क्रिप्टॉन एवं जेनन दुर्लभ गैसें हैं, जिन्हें उत्कृष्ट गैसें भी कहते हैं। 90 कि.मी. के ऊपर वायुमंडल का संघटन अधिकाधिक हल्की गैसों की वृद्धि के साथ परिवर्तित होने लगता है। यह परत हेट्रोस्फेयर या विषममंडल कहलाती है।

(iv) वायुमंडल के सभी संस्तरों में क्षोभमंडल सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर- क्षोभमंडल पृथ्वी के सबसे पास का संस्तर है। इसमें अन्य गैसों के साथ धूलकण तथा जलवाष्प भी पाए जाते हैं। धूलकणों के चारों ओर जलवाष्प के संघनित होने से मेघों का निर्माण होता है तथा जलवाष्प पृथ्वी को अधिक गर्म या अधिक ठंडा होने से बचाते हैं। साथ ही इसी सस्तर में सभी मौसमी परिवर्तन तथा जैविक क्रियाकलाप संपन्न होते हैं। इन्हीं सब कारणों से यह संस्तर अन्य सभी संस्तरों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें।
उत्तर- वायुमंडल गैसों, जलवाष्प एवं धूलकणों से बना है। वायुमंडल की ऊपरी परतों में गैसों का अनुपात इस प्रकार बदलता है जैसे कि 120 कि.मी. की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 कि.मी. की ऊँचाई तक ही पाए जाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है। तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है। यह ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन जलाए जाने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के आयतने में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है। ओजोन वायुमंडल का दूसरा महत्त्वपूर्ण घटक है जोकि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पाया जाता है। यह एक फिल्टर की तरह कार्य करता है तथा सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से रोकता है।

(ii) वायुमंडल की संरचना का चित्र खींचें और व्याख्या करें।
उत्तर- रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमंडल दो विस्तृत परतों हेमोस्फेयर तथा हेट्रोस्फेयर में विभक्त है। हेमोस्फेयर 90 कि.मी. की ऊँचाई तक स्थित है। यह रासायनिक संघटन में एक समानता की विशेषता रखती है। इसकी तीन तापीय परते हैं
क्षोभमंडल, समतापमंडल तथा मध्यमंडल। हेट्रोस्फेयर का रासायनिक संघटन असमान है। इसमें क्रमश: नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हिलीयम तथा हाइड्रोजन की परतदार संरचनाएँ हैं। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बाँटा गया है। ये हैं क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल तथा बाह्यमंडल।
NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 8 (Hindi Medium) 3

  1. क्षोभमंडल – वायुमंडल की इस परत में प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेंटीग्रेट तापमान घटता जाता है। मौसम संबंधी सभी तरह के परिवर्तन इसी मंडल में होते हैं।
  2. समतापमंडल – अक्सर जैट वायुयान निम्न समतापमंडल में उड़ते हैं, क्योंकि ये परत उड़ान के लिए अत्यंत सुविधाजनक दशाएँ रखती है। ओजोन परत समतापमंडल में ही स्थित है जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकती है।
  3. मध्यमंडल – इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान कम होने लगता है और 80 से 90 कि.मी. की ऊँचाई पर अर्थात मध्यसीमा पर -110° सेल्सियस तक कम हो जाता है।
  4. आयनमंडल – बाह्यमंडल के निम्न भाग में 80 से 400 कि.मी. के बीच की ऊँचाई पर वायुमंडलीय गैसों का आयनीकरण हो जाता है। इन आयनीकृत कणों का सर्वाधिक संकेंद्रण 250 कि.मी. की ऊँचाई पर है। इसी मंडल में रेडियो तरंगें परावर्तित होती हैं। रेडियो तरंगों के माध्यम से ही दूरदर्शन, रेडियो, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि को देख और सुन सकते हैं।
  5. बाह्यमंडल – यह वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। इस मंडल में हवा का घनत्व नगण्य रह जाता है।

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 5

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 5 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 5 Minerals and Rocks (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्न में से कौन ग्रेनाइट के दो प्रमुख घटक हैं?
(क) लौह एवं निकेल
(ख) सिलिका एवं ऐलुमिनियम
(ग) लौह एवं चाँदी
(घ) लौह ऑक्साइड एवं पोटैशियम
उत्तर- (ख) सिलिका एवं ऐलुमिनियम

(ii) निम्न में से कौन-सा कायांतरित शैलों को प्रमुख लक्षण है?
(क) परिवर्तनीय
(ख) क्रिस्टलीय
(ग) शांत
(घ) पत्रण
उत्तर- (क) परिवर्तनीय

(iii) निम्न में से कौन-सा एकमात्र तत्व वाला खनिज नहीं है?
(क) स्वर्ण
(ख) माइका
(ग) चाँदी
(घ) ग्रेफ़ाइट
उत्तर- (ख) माइका।

(iv) निम्न में से कौन-सा कठोरतम खनिज है?
(क) टोपाज़
(ख) क्वार्ट्ज़
(ग) हीरा
(घ) फ़ेल्डस्पर
उत्तर- (ग) हीरा

(v) निम्न में से कौन-सी शैल अवसादी नहीं है?
(क) टायलाइट
(ख) ब्रेशिया
(ग) बोरैक्स
(घ) संगमरमर
उत्तर- (घ) संगमरमर

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) शैल से आप क्या समझते हैं? शैल के तीन प्रमुख वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर- पृथ्वी की पर्पटी चट्टानों से बनी है। चट्टान का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। चट्टानें कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती हैं। जैसे ग्रेनाइट कठोर तथा सोपस्टोन नरम है। गैब्रो काला तथा क्वार्टज़ाइट दूधिया श्वेत हो सकता है। शैलों में खनिज घटकों का कोई निश्चित संघटक नहीं होता है। शैलों में सामान्यतः पाए जाने वाले खनिज पदार्थ फेल्डस्पर तथा क्वार्ट्ज हैं। शैलों को निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया है-
(i) आग्नेय शैल
(ii) अवसादी शैल
(iii) कायांतरित शैल।

(ii) आग्नेय शैल क्या हैं? आग्नेय शैल के निर्माण की पद्धति एवं लक्षण बताएँ।
उत्तर- आग्नेय शैलों का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग के मैग्मा से होता है, अतः इनको प्राथमिक शैल भी कहते हैं। मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर आग्नेय शैलों का निर्माण होता है। मैग्मा ठंडा होकर ठोस बन जाता है तो यह आग्नेय शैल कहलाता है। इसकी बनावट इसके कणों के आकार एवं व्यवस्था अथवा पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं। तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े हो सकते हैं। सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं। शीतलता की मध्यम परिस्थितियाँ होने पर आग्नेय चट्टान को बनाने वाले कण मध्यम आकार के हो सकते हैं। ग्रेनाइट, बेसाल्ट, वोल्केनिक ब्रेशिया तथा टफ़ आग्नेय शैल के उदाहरण हैं।

(iii) अवसादी शैल का क्या अर्थ है? अवसादी शैल के निर्माण की पद्धति बताएँ।
उत्तर- अवसादी अर्थात् सेडीमेंटरी शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंट्स से हुई है, जिसका अर्थ है-व्यवस्थित होना। पृथ्वी की सतह की शैलें अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृत होती हैं, जो विभिन्न आकार के विखंडों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखंडों को विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं निक्षेपण होता है। सघनता के द्वारा ये संचित पदार्थ शैलों में परिणत हो जाते हैं। यह प्रक्रिया शिलीभवन कहलाती है। बहुत-सी अवसादी शैलों में निक्षेपित परतें शिलीभवन के बाद भी अपनी विशेषताएँ बनाए रखती हैं। इसी कारणवश बालुकाश्म, शैल जैसी अवसादी शैलों में विविध सांद्रता वाली अनेक सतहें होती हैं।

(iv) शैली चक्र के अनुसार प्रमुख प्रकार की शैलों के मध्य क्या संबंध होता है?
उत्तर- शैली चक्र एक सतत प्रक्रिया होती है, जिसमें पुरानी चट्टानें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं। आग्नेय चट्टानें तथा अन्य (अवसादी एवं कायांतरित) चट्टानें इन प्राथमिक चट्टानों से निर्मित होती हैं। आग्नेय चट्टानों को कायांतरित चट्टानों में परिवर्तित किया जा सकता है। आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से प्राप्त अंशों से अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है। अवसादी चट्टानें अपखंडों में परिवर्तित हो सकती हैं तथा ये अपखंड अवसादी चट्टानों के निर्माण का एक स्रोत हो सकते हैं।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) ‘खनिज’ शब्द को परिभाषित करें एवं प्रमुख प्रकार के खनिजों के नाम लिखें।
उत्तर- खनिज एक ऐसा प्राकृतिक, अकार्बनिक तत्व है, जिसमें एक क्रमबद्ध परमाण्विक संरचना, निश्चित रासायनिक संघटन तथा भौतिक गुणधर्म होते हैं। खनिज का निर्माण दो या दो से अधिक तत्वों से मिलकर होता है। लेकिन कभी-कभी सल्फर, ताँबा, चाँदी, स्वर्ण, ग्रेफाइट जैसे एकतत्वीय खनिज भी पाए जाते हैं। भूपर्पटी पर कम-ये-कम 2000 प्रकार के. खनिजों को पहचाना गया है और उनको नाम दिया गया है। लेकिन इनमें से सामान्यतः उपलब्ध लगभग सभी खनिज तत्व छह प्रमुख खनिज समूहों से संबंधित होते हैं, जिनको चट्टानों के निर्माण करने वाले प्रमुख खनिज माना गया है। कुछ प्रमुख खनिजों के नाम

  1. फ़ेल्डस्पर – सिलिका, ऑक्सीजन, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, ऐलुमिनियम आदि तत्व इसमें शामिल होते हैं।
  2. क्वार्टज़ – यह रेत एवं ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है। इसमें सिलिका होता है। यह एक कठोर खनिज है तथा पानी में सर्वथा अघुलनशील खनिज है।
  3. पाइरॉक्सीन – कैल्शियम, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा सिलिका इसमें शामिल हैं।
  4. एम्फ़ीबोल – इसके प्रमुख तत्व ऐलुमिनियम, कैल्शियम, सिलिका, लौह, मैंग्नीशियम हैं।
  5. अंभ्रक – इसमें पोटैशियम, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, लौह, सिलिका आदि निहित होता है।
  6. धात्विक खनिज – इनको तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-
    (i) बहुमूल्य धातु
    (ii) लौह धातु
    (iii) अलौह धातु।

(ii) भूपृष्ठीय शैलों के प्रमुख प्रकार के शैलों की प्रकृति एवं उनकी उत्पत्ति की पद्धति का वर्णन करें। आप उनमें अंतर कैसे स्थापित करेंगे?
उत्तर- पृथ्वी की पर्पटी शैलों से बनी है। शैलों का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। शैल कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों के हो सकते हैं। जैसे ग्रेनाइट कठोर तथा शैलखड़ी नरम है। चट्टानों में सामान्यतः पाए जाने वाले खनिज पदार्थ फेल्डस्पर तथा क्वार्ट्ज़ हैं। शैलों को उनकी निर्माण-पद्धति के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है-
1. आग्नेय शैल
2. अवसादी शैल
3. कायांतरित शैल।

  1. आग्नेय शैल – इस शैल का निर्माण ज्वालामुखी के बाहर फेंके गए लावा अथवा उष्ण मैग्मा के भूपर्पटी के नीचे ठंडा होने से हुआ है। आग्नेय शैलों को रासायनिक संघटन और गठने के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। मैग्मा के रासायनिक विभेदन के आधार पर आग्नेय शैलें दो प्रकार की होती हैं – (क) मैफिक (ख) फेल्सिक। आग्नेय शैल के उदाहरण-ग्रेनाइट, बेसाल्ट आदि हैं।
  2. अवसादी शैल – ये विभिन्न शैलों के अपक्षय तथा अपरदन से प्राप्त अवसादों से निर्मित होती है। पवन, जल तथा हिम शैलों को अपरदित करते हैं और अवसाद को निम्न क्षेत्रों में परिवहित करते हैं। जब इनका निक्षेप समुद्र में होता है, वे संपीड़ित और कठोर होकर शैल परतों की रचना करते हैं। अवसादी शैल का उदाहरण चूना-पत्थर, कोयला, बलुआ पत्थर, मृत्तिका, खड़िया, जिप्सम, खनिज तेल आदि हैं।
  3. कायांतरित शैल – जो शैलें ताप अथवा दाब या फिर दोनों के कारण बनती हैं, वे कायांतरित शैल कहलाती हैं। ताप तथा दाब मूल शैल की विशेषताओं को नए खनिजों का निर्माण करके बदल देते हैं। कायांतरित शैल के प्रमुख उदाहरण स्लेट, संगमरमर, हीरा, शिस्ट आदि हैं।

(iii) कायांतरित शैल क्या हैं? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर- कायांतरित का अर्थ है स्वरूप में परिवर्तन। दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। ये शैलें दाब, आयतन तथा तापमान में परिवर्तन के द्वारा निर्मित होते हैं। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक आती हैं। या जब भृपृष्ठ से उठता, पिघला हुआ मैग्मा भूपृष्ठीय शैलों के संपर्क में आता है या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दाब पड़ता है तब कायांतरण होता है। कायांतरण वह प्रक्रिया है, जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते हैं।

बिना किसी विशेष रासायनिक परिवर्तनों के टूटने एवं पिसने के कारण वास्तविक शैलों में यांत्रिकी व्यवधान एवं उनका पुनः संगठित होना गतिशील कायांतरण कहलाता है। ऊष्मीय कायांतरण के कारण शैलों के पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन एवं पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। ऊष्मीय कायांतरण के दो प्रकार होते हैं-संपर्क कायांतरण एवं प्रादेशिक कायांतरण। संपर्क रूपांतरण में शैलें गर्म, ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती हैं तथा उच्च तापमान में शैल के पदार्थों का पुन: क्रिस्टलीकरण होता है। अक्सर शैलों में मैग्मा अथवा लावा के योग से नए पदार्थ उत्पन्न होते हैं। प्रादेशिक कायांतरण में उच्च तापमान, दबाव अथवा इन दोनों के कारण शैलों में विवर्तनिक दबाव के कारण विकृतियाँ होती हैं, जिससे शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। कायांतरित शैलें ताप अथवा दाब या फिर दोनों के कारण बनते हैं। ताप तथा दाब मूल शैल की विशेषताओं को नए खनिजों के निर्माण में बदल देते हैं। कायांतरित शैल के प्रमुख उदाहरण स्लेट,
संगमरमर, हीरा, शिस्ट आदि हैं।

परियोजना कार्य|
प्र० 1. विभिन्न प्रकार की शैलों के नमूने एकत्र करें एवं उनके भौतिक गुण-धर्म के आधार पर उनकों पहचाने एवं उनके प्रकार सुनिश्चित करें।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 9 Uses of Statistical Methods (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 9 Uses of Statistical Methods (Hindi Medium)

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प्रतिदर्श प्रश्नावली
अनुभाग एकः व्यक्तिगत जानकारी

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 9 (Hindi Medium) 1

अनुभाग दोः उपभोक्ता जागरूकता

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 9 (Hindi Medium) 2

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आँकड़ों का संगठन
प्रतिदर्श का आकार = 40 व्यक्ति
प्रश्न
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आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण
फिर हम सभी प्रश्नों के लिए बार रेखाचित्र खींचते हैं। अधिमानतः हमे एक साथ प्रत्येक प्रश्न का संगठन, प्रस्तुतिकरण और विश्लेषण कर सकते हैं।

1. क्या आपको कभी समापन तारीख का उत्पाद दिया गया है?
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इसी तरह हम सभी प्रश्नों के लिए कर सकते हैं, नीचे दिखाया गया है और अंत में एक चित्र में सभी सवालों का एक साथ दिखा सकते हैं:
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अंतर्विभक्त दंड चित्र

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आँकड़ों का विश्लेषण
इस मामले में, कोई भी सवाल में संख्यात्मक आँकड़े नहीं हैं, वरना हम माध्य, मध्यिका, बहुलक, परिक्षेपण सहसंबंध आदि भी प्राप्त कर सकते हैं।

रिपोर्ट
ऊपर के आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि उपभोक्ता जागरूकता का स्तर बेहद खराब है और सुधार की बहुत जरूरत है।

सुझाव

(क) हमें उपभोक्ता जागरूकता अभियानों की व्यवस्था करने की जरूरत है।
(ख) हमें नागरिक शास्त्र के एक भाग के रूप में छठी कक्षा के सामाजिक विज्ञान में उपभोक्ता जागरूकता को शामिल करना चाहिए।
(ग) हमें उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रिंट और फिल्म मीडिया का प्रयोग करना चाहिए।

संदर्भ सूची प्रविष्टिः
भारतीय अर्थशास्त्र का विकास/सुमन गेश/फुल मार्क्स प्रा. लिमिटेड

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 12

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 12 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 12 World Climate and Climate Change (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) कोपेन के A प्रकार की जलवायु के लिए निम्न में से कौन-सी दशा अर्हक है?
(क) सभी महीनों में उच्च वर्षा
(ख) सबसे ठंडे महीने का औसत मासिक तापमान हिमांक बिंदु से अधिक
(ग) सभी महीनों का औसत मासिक तापमान 18° सेल्सियस से अधिक
(घ) सभी महीनों का औसत तापमान 10° सेल्सियस से नीचे।
उत्तर- (क) सभी महीनों में उच्च वर्षा।

(ii) जलवायु के वर्गीकरण से संबंधित कोपेन की पद्धति को व्यक्त किया जा सकता है
(क) अनुप्रयुक्त
(ख) व्यवस्थित
(ग) जननिक
(घ) आनुभविक
उत्तर- (घ) आनुभविक

(iii) भारतीय प्रायद्वीप के अधिकतर भागों को कोपेन की पद्धति के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा
(क) “Af”
(ख) “BSh”
(ग) “Cfb”
(घ) “Am”
उत्तर- (घ) “Am”

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा साल विश्व की सबसे गर्म साल माना गया है?
(क) 1990
(ख) 1998
(ग) 1885
(घ) 1950
उत्तर- (ख) 1998

(v) नीचे लिखे गए चार जलवायु के समूहों में से कौन आर्द्र दशाओं को प्रदर्शित करता है?
(क) A – B – C – E
(ख) A – C – D – E
(ग) B – C – D – E
(घ) A – C – D – F
उत्तर- (ख) A – C – D – E

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) जलवायु के वर्गीकरण के लिए कोपेन के द्वारा किन दो जलवायविक चरों का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- कोपेन ने जलवायु के वर्गीकरण के लिए बड़े और छोटे अक्षरों का प्रयोग किया। बड़े अक्षर जलवायु प्रकारों को और छोटे अक्षर जलवायु के उपप्रकारों को व्यक्त करते हैं। बड़े A, C, D तथा E आर्द्र जलवायु को तथा B शुष्क जलवायु को निरूपित करते हैं। जलवायु समूहों को तापक्रम एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उपप्रकारों में विभाजित किया गया है, जिनको छोटे अक्षरों द्वारा दर्शाया गया

(ii) वर्गीकरण की जननिक प्रणाली आनुभविक प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- जननिक प्रणाली मौसमी प्रक्रियाओं के आधार पर इनके निर्माण के कारणों या उद्भव पर बल देता है। जबकि आनुभविक प्रणाली जलवायिक भिन्नताओं के कारकों से संबंधित वर्गीकरण पर आधारित है। इसमें प्रेक्षित किए गए विशेष रूप से तापमान एवं वर्षण से संबंधित आँकड़ों का प्रयोग होता है।

(iii) किस प्रकार की जलवायुओं में तापांतर बहुत कम होता है?
उत्तर- उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु विषुवत रेखा के निकट पाई जाती है। इस तरह के जलवायु प्रदेश में तापमान समान्य रूप से ऊँचा और वार्षिक तापांतर नगण्य होता है अर्थात् यहाँ पर सालों भर गर्मी पड़ती है और सालों भर वर्षा होती है। किसी भी दिन अधिकतम तापमान लगभग 30° सेल्सियस और न्यूनतम तापमान लगभग 20° सेल्सियस होता है। लेकिन वार्षिक ताप में अंतर बहुत कम है।

(iv) सौर कलंको में वृद्धि होने पर किस प्रकार की जलवायविक दशाएँ प्रचलित होंगी?
उत्तर- सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं। कुछ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सौर कलंको की संख्या बढ्ने पर मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। सौर कलंको की संख्या घटने से उष्ण एवं शुष्क दशाएँ उत्पन्न होती हैं यद्यपि ये खोजें आँकड़ों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं हैं।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिएः
(i) A एवं B प्रकार की जलवायुओं की जलवायविक दशाओं की तुलना करें।
उत्तर- A उष्ण कटिबंधीय जलवायु और B शुष्क जलवायु में अंतर
(क) A प्रकार की जलवायु 0° अक्षांश के आसपास के क्षेत्रों तथा कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। जबकि B प्रकार की जलवायु 15° से 60° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों के बीच विस्तृत है तथा 15° से 30° के निम्न अक्षांशों में यह उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब क्षेत्र में पाई जाती है।
(ख) A प्रकार की जलवायु में वर्षा अधिक होती है जबकि B प्रकार की जलवायु में वर्षा कम होती है।
(ग) A प्रकार की जलवायु में वार्षिक तापान्तर कम होता है जबकि B प्रकार की जलवायु में वार्षिक तापान्तर अधिक होता है।
(घ) A प्रकार की जलवायु में जैव विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन पाए जाते हैं जबकि B प्रकार की जलवायु में कटीले वन पाए जाते हैं।

(ii) C तथा A प्रकार की जलवायु में आप किस प्रकार की वनस्पति पाएँगे?
उत्तर- A उष्ण कटिबंधीय जलवायु है, जिसे तीन प्रकारों
में बाँटा जाता है। जिनमें
(i) Af उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु
(ii) Am उष्ण कटिबंधीय मानसून जलवायु
(iii) Aw उष्ण कटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु।
Af उष्ण कटिबंधीय आई जलवायु में सदाहरित वन पाए जाते हैं। जबकि उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु में पर्णपाती वन पाए जाते हैं, जिसमें पेड़ अपनी पत्तियाँ वर्ष में एक बार गिरा देता है। उष्ण कटिबंधीय आई एवं शुष्क जलवायु में पर्णपाती वन और पेड़ों से ढकी घासभूमियाँ पाई जाती हैं। C प्रकार की जलवायु को चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-
(i) आई उपोष्ण कटिबंधीय अर्थात् सर्दियों में शुष्क और गर्मियों में उष्ण (cwa)
(ii) भूमध्यसागरीय (Cs)
(iii) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु (Cfa)
(iv) समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (cf)। आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में पतझड़ वन पाए जाते हैं। भूमध्यसागरीय प्रदेशों में फलों के वृक्षों की बहुलता देखने को मिलती है तथा आई उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में पर्णपाती वन पाए जाते हैं। इस क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में घासभूमियों की बहुलता है।

(iii) ग्रीनहाउस गैसों से आप क्या समझते हैं? ग्रीनहाउस गैसों की एक सूची तैयार करें।
उत्तर- ग्रीनहाउस गैसों की उपस्थिति के कारण वायुमंडल एक ग्रीनहाउस की भांति व्यवहार करता है। वायुमंडल प्रवेशी सौर विकिरण का पोषण भी करता है किंतु पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उत्सर्जित होने वाली अधिकतम दीर्घ तरंगों को अवशोषित कर लेता है। वे गैसें जो विकिरण की दीर्घ तरंगों का अवशोषण करती हैं, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती हैं। वायुमंडल का तापन करने वाली प्रक्रियाओं को सामूहिक रूप से ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ कहा जाता है। ग्रीनहाउस गैसें निम्नलिखित हैं
(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
(ii) क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (CFC)
(iii) मीथेन (CH4)
(iv) नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
(v) ओज़ोन (O)
(vi) नाइट्रिक ऑक्साइड (NO)
(vii) कार्बन मोनोक्साइड (CO) आदि है।
ये सभी गैसें ग्रीनहाउस गैसों से प्रतिक्रिया करती हैं और वायुमंडल में उनके सांद्रण को प्रभावित करती हैं।

परियोजना कार्य
(i) भूमंड़लीय जलवायु परिवर्तनों से संबंधित ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ से संबंधित जानकारियाँ एकत्रित कीजिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 2

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 Map Scale (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी विधि मापनी की सार्वत्रिक विधि है?
(क) साधारण प्रकथन
(ख) निरूपक भिन्न
(ग) आलेखी विधि
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (ख) निरूपक भिन्न

(ii) मानचित्र की दूरी को मापनी में किस रूप में जाना जाता है?
(क) अंश
(ख) हर
(ग) मापनी का प्रकथन
(घ) निरूपक भिन्न
उत्तर- (क) अंश

(iii) मापनी में ‘अंश’ व्यक्त करता है
(क) धरातल की दूरी
(ख) मानचित्र पर दूरी
(ग) दोनों दूरियाँ
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (ख) मानचित्र की दूरी

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) मापक की दो विभिन्न प्रणालियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर- मापक की दो प्रणालियाँ हैं
(क) मेट्रिक प्रणाली
(ख) अंग्रेजी प्रणाली।

(क) माप की मेट्रिक प्रणाली का उपयोग भारत तथा विश्व के अनेक अन्य देशों में किया जाता है।
माप की मेट्रिक प्रणाली – 1 किलोमीटर = 1000 मीटर
1 मीटर = 100 सेंटीमीटर
1 सेंटीमीटर = 10 मिलीमीटर
(ख) माप की अंग्रेज़ी प्रणाली संयुक्त राज्य अमेरिका एवं इंग्लैंड दोनों स्थानों में प्रचलित है।
माप की अंग्रेजी प्रणाली – 1 मील = 8 फर्लाग
1 फर्लाग = 220 यार्ड
1 यार्ड = 3 फुट
1 फुट = 12 इंच

(ii) मेट्रिक एवं अंग्रेज़ी प्रणाली में मापनी के एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर- प्र० 2 (i) का उत्तर देखें।

(iii) निरूपक भिन्न विधि को सार्वत्रिक विधि क्यों कहा जाता है|
उत्तर- निरूपक भिन्न विधि को सार्वत्रिक विधि कहे जाने के कारण- निरूपक भिन्न मानचित्र पर दी गई दूरी तथा धरातल पर उन्हीं दूरियों के बीच के अनुपात को व्यक्त करती है। मापनी में व्यक्त इकाइयों के उपयोग ने इस विधि को सबसे उपयुक्त बना दिया है। उदाहरण के लिए जब हम यह कहते हैं कि किसी मानचित्र का निरूपक भिन्न 1 : 1,00,000 है तो इसका अर्थ यह हुआ कि मानचित्र पर दूरी की 1 इकाई धरातल पर 1,00,000 उन्हीं इकाइयों में दूरी को प्रदर्शित करती है। यदि हमारी इकाई सेंटीमीटरों में है तो मानचित्र पर 1 सेंटीमीटर दूरी धरातल पर 1,00,000 सेंटीमीटर दूरी को दर्शाती है। जब हमारी इकाई इंचों में हो तो इसका अर्थ यह होगा कि मानचित्र पर 1 इंच धरातल के 1,00,000 इंच को दर्शाता है।

(iv) आलेखी विधि के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर- मानचित्र पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी एवं धरातल पर उन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी को एक क्षैतिज मापनी के द्वारा दिखाया जाता है, जिस पर प्राथमिक एवं द्वितीयक विभाजक चिह्नित होते हैं। मापनी के प्रकथन की तरह ही यह विधि भी केवल उन्हीं के लिए उपयुक्त है जो मापनी में प्रयुक्त विशिष्ट इकाई से परिचित हों। इसके विपरीत मानचित्र को बड़ा या छोटा करने पर भी आलेखी मापनी मान्य रहती है।

प्र० 3. निम्न मापनी के कथन को निरूपक भिन्न में बदलें।
(i) 5 सेंटीमीटर, 10 किलोमीटर में व्यक्त करता है।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3

(ii) 2 इंच के द्वारा 4 मील व्यक्त होता है।
उत्तर- 2 इंच व्यक्त करते हैं = 4 मील
1 इंच व्यक्त करता है = 2 मील (63,360 : 2)
1 इंच व्यक्त करता है = 126,720
निरूपक भिन्न R F = 1 : 126,720

(iii) 1 इंच के द्वारा 1 गज व्यक्त होता है।
उत्तर- 1 इंच व्यक्त करता है = 1 गज (36 इंच)
प्रदर्शक भिन्न = 1 : 36

(iv) 1 सेंटीमीटर, 100 मीटर को व्यक्त करता है।
उत्तर- 1 सेंटीमीटर व्यक्त करता है = 100 मीटर (10000 सेंटीमीटर)
प्रदर्शन भिन्न = 1 : 10,000

प्र० 4. निरूपक भिन्न को कोष्ठक में दी गई माप-प्रणाली के अनुसार मापनी के प्रकथन में परिवर्तित करें।
(i) 1 : 1, 00, 000 (किलोमीटर में)।
उत्तर- 1 : 1,00,000 अर्थात् 100000 सेंटीमीटर = 1 किलोमीटर
1 सेंटीमीटर व्यक्त करता है
1 किलोमीटर को

(ii) 1 : 31,680 (फर्लाग में)।
उत्तर- 1 इंच व्यक्त करता है = 31680
= 31680 ÷ (12 x 3 x 220)
= 7920 इंच
= 4 फर्लाग

(iii) 1 : 126,720 (मील में)
उत्तर- 1 इंच व्यक्त करता है = 1,26,720 इंच को
= 126,720 ÷ 63,360 = 2 मील
1 इंच व्यक्त करता है = 2 मील को

(iv) 1 : 50,000 (मीटर में)
उत्तर- 1 सेंटीमीटर व्यक्त करता है = 50,000 सेंटीमीटर
1 सेंटीमीटर व्यक्त करता है
= 50,000 ÷ 100 सेंटीमीटर (1 मीटर) = 500
1 सेंटीमीटर व्यक्त करता है = 500 मीटर

प्र० 5. 1 : 50,000 मापक पर एक आलेखी मापनी की रचना कीजिए, जिसमें किलोमीटर एवं मीटर पढ़े जा सकें।
उत्तर- परिपाटी के अनुसार, एक आलेखी मापनी बनाने के लिए लगभग 15 सेंटीमीटर लंबाई ली जाती है। 1 : 50,000 का अर्थ है, मानचित्र की एक इकाई दूरी धरातल की 50,000 इकाइयों को व्यक्त करती है। अर्थात् 1 सेंटीमीटर, 50,000 सेंटीमीटर को व्यक्त करता है।
15 सेंटीमीटर = 50,000 x \(\frac { 15 }{ 100000 }\) किलोमीटर को व्यक्त करता है।
15 सेंटीमीटर = 7.5 किलोमीटर
चूँकि 7.5 किलोमीटर एक पूर्णांक नहीं है, इसलिए हम 5 या 10 (किलोमीटर) को पूर्णाक के रूप में ले सकते हैं। इस प्रश्न में 7.5 का निकटतम मान 5 को पूर्णांक के रूप में लेते हैं।
इस प्रकार 5 किलोमीटर को रेखा की लम्बाई में व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित गणनाएँ करेंगे। 7.5 किलोमीटर को 15 सेंटीमीटर की रेखा के द्वारा व्यक्त किया जाता है।
5 किलोमीटर को 15 x \(\frac { 5 }{ 7.5 }\) की रेखा के द्वारा व्यक्त किया जाएगा। 0.5 किलोमीटर को 10 सेंटीमीटर की रेखा के द्वारा व्यक्त किया जाएगा।
आलेखी मापनी को निम्नलिखित चरणों में बनाया जा सकता है। सर्वप्रथम 10 सेंटीमीटर की एक सीधी रेखा खींचे तथा इसे 5 बराबर मुख्य भागों में विभाजित करें। बायें वाले एक मुख्य भाग को छोड़कर 0 से दाँई ओर प्रत्येक भाग को 1 किलोमीटर का मान प्रदान कर देते हैं। अब रेखा के बाँये भाग को 10 बराबर भागों में विभाजित करके तथा 0 से शुरू करते हुए प्रत्येक भाग को 100 मीटर के मान के द्वारा चिह्नित करते (इसे 2, 4 या 5 भागों में भी विभाजित किया जा सकता है तथा प्रत्येक उपविभागों के लिए 500, 250 या 200 मीटर के मान रखे जा सकते हैं।)।
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NCERT Solutions for Class 11 Geography Indian Physical Environment Chapter 6

NCERT Solutions for Class 11 Geography Indian Physical Environment Chapter 6 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Indian Physical Environment Chapter 6 Soils (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) मृदा का सर्वाधिक व्यापक और सर्वाधिक उपजाऊ प्रकार कौन-सा है?
(क) जलोढ़ मृदा
(ख) काली मृदा
(ग) लैटेराइट मृदा
(घ) वन मृदा
उत्तर- (क) जलोढ़ मृदा

(ii) रेगर मृदा का दूसरा नाम है
(क) लवण मृदा
(ख) शुष्क मृदा
(ग) काली मृदा
(घ) लैटेराइट मृदा
उत्तर- (ग) काली मृदा

(iii) भारत में मृदा के ऊपरी पर्त के ह्यस का मुख्य कारण है
(क) वायु अपरदन
(ख) अत्यधिक निक्षालन
(ग) जल अपरदन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ग) जल अपरदन

(iv) भारत के सिंचित क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि निम्नलिखित में से किस कारण लवणीय हो रही है?
(क) जिप्सम की बढ़ोतरी
(ख) अति सिंचाई
(ग) अति चारण
(घ) रासायनिक खादों का उपयोग
उत्तर- (ख) अति सिंचाई

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) मृदा क्या है?
उत्तर- मृदा भूतल आवरण का एक ऐसा पदार्थ है जो द्रवीभूत नहीं हुआ है और उसमें जीवन के पोषण की क्षमता होती है, जैसे-जलोढ़ मृदा, काली मृदा, लैटेराइट मृदा। दूसरे शब्दों में मृदा शैल, मलवा और जैव सामग्री का सम्मिश्रण होती है जो पृथ्वी की सतह पर विकसित होती है।

(ii) मृदा निर्माण के प्रमुख उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर- मृदा निर्माण के प्रमुख उत्तरदायी कारक हैं-जनक सामग्री, उच्चावच, जलवायु, वनस्पति तथा अन्य जीव रूप और समय। इनके अतिरिक्त मानवीय क्रियाएँ भी पर्याप्त सीमा तक इसे प्रभावित करती हैं। मृदा के
घटक खनिज कण, ह्यूमस, जल तथा वायु होते हैं।

(iii) मृदा परिच्छेदिका के तीन संस्तरों के नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- यदि हम भूमि पर गड़ा खोदें और मृदा को देखें तो वहाँ हमें मृदा की तीन परतें दिखाई देती हैं, जिन्हें संस्तर कहा जाता है। ‘क’ संस्तर सबसे ऊपरी खंड होता है, जहाँ पौधों की वृद्धि के लिए अनिवार्य जैव पदार्थों का खनिज पदार्थ, पोषक तत्वों तथा जल से संयोग होती है। ‘ख’ संस्तर ‘क’ संस्तर तथा ‘ग’ संस्तर के बीच संक्रमण खंड होता है, जिसे नीचे व ऊपर दोनों से पदार्थ प्राप्त होते हैं। इसमें कुछ जैव पदार्थ होते हैं। तथापि खनिज पदार्थों का अपक्षय स्पष्ट नजर आता है। ‘ग’ संस्तर की रचना ढीली जनक सामग्री से होती है। यह परत मृदा निर्माण की प्रक्रिया में प्रथम अवस्था होती है और ऊपर की दो परतें इसी से बनती हैं। परतों की इस व्यवस्था को मृदा परिच्छेदिका कहा जाता है।

(iv) मृदा अवकर्षण क्या होता है?
उत्तर- मोटे तौर पर मृदा अवकर्षण को मृदा की उर्वरता के ह्यस के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें मृदा का पोषण स्तर गिर जाता है तथा अपरदन और दुरूपयोग के कारण मृदा की गहराई कम हो जाती है। भारत में मृदा संसाधनों के क्षय का मुख्य कारक मृदा अवकर्षण है। मृदा अवकर्षण की दर भूआकृति, पवनों की गति तथा वर्षा की मात्रा के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होती है।

(v) खादर और बांगर में क्या अंतर है?
उत्तर- खादर और बांगर में अंतर-
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प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए।
(i) काली मृदाएँ किन्हें कहते हैं? उनके निर्माण और | विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर- ज्वालामुखी के उद्गार, लौहमय नीस और शिष्ट चट्टानों से निर्मित मिट्टी जिसका रंग काला होता है।
काली मिट्टी की विशेषताएँ|
(i) कपास के लिए यह मिट्टी काली उपयुक्त होती है।
(ii) इसमें नमी ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है।
(iii) सूखने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं।
(iv) गीली होने पर यह फूल जाती है तथा सूखने पर सिकुड़ जाती है।
(v) इनमें मृदा के कण इकट्टे हो सकते हैं।

(ii) मृदा संरक्षण क्या होता है? मृदा संरक्षण के कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर- मृदा संरक्षण एक विधि है, जिसमें मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी जाती है, मिट्टी के अपरदन और क्षय को रोका जाता है और मिट्टी की निम्नीकृत दशाओं को सुधारा जाता है। मृदा संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए
(i) पर्वतीय भागों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती की जानी चाहिए।
(ii) मरुस्थलीय भागों में वृक्षों को लगाकर मृदा को संरक्षित किया जाना चाहिए।
(iii) पशुओं द्वारा कम से कम चराई की जानी चाहिए।
(iv) समोच्चरेखीय जुताई और मेड़बंदी की जानी चाहिए।
(v) वनारोपण, विशेष रूप से नहीं द्रोणियों के ऊपरी भागों में की जानी चाहिए।
(vi) आर्द्र प्रदेशों में अवनालिका अपरदन और मरुस्थलीय और अर्ध मरुस्थलीय प्रदेशों में पवन अपरदन रोकने के लिए अवरोधों का निर्माण किया जाना चाहिए।

(iii) आप यह कैसे जानेंगे कि कोई मृदा उर्वर है या नहीं? प्राकृतिक रूप से निर्धारित उर्वरता और मानवकृत उर्वरता में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- महीन कणों वाली लाल और पीली मृदाएँ सामान्यतः उर्वर होती हैं। इसके विपरीत मोटे कणों वाली उच्च भूमियों की मृदाएँ अनुर्वर होती हैं। इनमें सामान्यतः नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और ह्यूमस की कमी होती है। जलोढ़क मृदाओं में महीन गाद होता है। इस प्रकार की मृदा में कैल्सियमी संग्रंथन अर्थात् कंकड़ पाए जाते हैं। काली मृदाओं में नमी के धीमे अवशोषण ओर क्षय की विशेषता के कारण लंबी अवधि तक नमी बनी रहती है। इस कारण शुष्क ऋतु में भी फसलें फलती-फूलती रहती हैं। लैटेराइट मृदा में लोहे के ऑक्साइड और एल्यूमीनियम के यौगिक तथा पोटाश अधिक मात्रा में होते हैं। ह्युमस की मात्रा कम होती है। इस मृदा में जैव पदार्थ, नाइट्रोजन, फॉस्फेट और कैल्सियम की कमी होती है। शुष्क मृदा में ह्यूमस और जैव पदार्थ कम मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए यह मृदा अनुर्वर होती है। लवण मृदा में सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम का अनुपात अधिक होता है।

अतः यह अनुर्वर होती है। पीटमय मृदा उर्वर होती है। प्राकृतिक रूप से मृदा की उर्वरता पोषक तत्वों की विद्यमानता पर निर्भर करती है। मृदा की उत्पादकता कई भौतिक गुणों पर निर्भर करती है। जबकि मानवकृत उर्वरता में जब मृदा में विभिन्न तत्त्वों की कमी हो जाती है तो मानव निर्मित रसायन जैसे पोटाश, फॉस्फोरस, नाइट्रोजन, गंधक, मैग्नीशियम आदि उचित मात्रा में मिलाकर मृदा की उर्वरता को बढ़ाया जाता है।

परियोजना/क्रियाकलाप
प्र० 1. अपने क्षेत्र से मृदा के विभिन्न नमूने एकत्रित कीजिए तथा मृदा के प्रकारों पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

प्र० 2. भारत के रेखा-मानचित्र पर मृदा के निम्नलिखित प्रकारों से ढके क्षेत्रों को चिह्नित कीजिए
(i) लाल मृदा
(ii) लैटेराइट मृदा
(iii) जलोढ़ मृदा
उत्तर-
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