CBSE Class 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर:
कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि वे किसी के द्वारा कही गई कटु बातों को सहन नहीं कर पाते हैं। उस बात का परिणाम भविष्य में अच्छा होगा या बुरा, इसे समझे बिना उस पर कोई तात्कालिक कदम उठा लेते हैं। लेखक भी किसी के द्वारा समय-असमय कही गई बातों को सहन नहीं कर पाया होगा।
उसकी बातें लेखक के मन को गहराई तक बेध गई होंगी। उसी कटु बात से व्यथित हो वह दिल्ली जाने के लिए बाध्य हो गया होगा।

प्रश्न 2.
लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा?
उत्तर:
एक बार जब बच्चन जी ने लेखक के लिए नोट लिखा तो उसने बच्चन जी के उस नोट का जवाब देने का निर्णय लिया, किंतु अपनी आदत से मजबूर वह पत्रोत्तर न दे सका। इसके बदले में उसने एक अंग्रेजी कविता (सॉनेट) लिख डाला। इस सॉनेट को जब बच्चन ने पढ़ा तो उन्हें यह स्तरानुरूप नहीं लगा। इधर लेखक को इलाहाबाद का साहित्यिक वातावरण, मित्रों का सहयोग, बच्चन, निराला तथा पंत जैसे साहित्यकारों का मार्गदर्शन उसे हिंदी में लेखन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। यह सब देख उसने हिंदी में लिखने का निर्णय लिया जो बाद में भी चलता रहा। इस प्रकार अंग्रेजी में लिखने का उसका प्रयास व्यर्थ गया जिसका उसे अफसोस रहा।

प्रश्न 3.
अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा?
उत्तर:
दिल्ली के ‘उकील आर्ट स्कूल में बच्चन जी लेखक के लिए बहुत अच्छा-सा नोट छोड़कर चले गए। लेखक ने जब नोट को पढ़ा तो उसने बच्चन जी के प्रति कृतज्ञता महसूस की। इसे ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि बच्चन जी ने नोट में लिखा होगा कि लेखन में सुनहरा भविष्य तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
तुम इलाहाबाद आ जाओ। हम सब तुम्हारी मदद के लिए तैयार हैं। जीवन-पथ पर संघर्ष करने वाले ही सफलता प्राप्त करते हैं। जीवन में कभी निराश मत होना। बहादुरी से मुश्किलों का सामना करना। जो परिश्रम एवं संघर्ष करते हैं सफलता उनके कदम चूमती है।

प्रश्न 4.
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है? ।
उत्तर:
इस पाठ में लेखक ने बच्चन जी के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  1. बच्चन जी का स्वभाव अत्यंत दयालु था। उनका हृदय मक्खन-सा मुलायम था।
  2. उनका स्वभाव संघर्षशील, दूसरों के लिए प्रेरणादायी, परोपकारी तथा फौलादी संकल्प वाला था। दूसरों की सहायता करने का अवसर वे कभी न छोड़ते थे।
    बच्चन जी समय के बड़े पाबंद थे। वे कहीं भी अपने नियत समय पर पहुँचते थे।
  3. वे किसी से छल-कपट पूर्ण व्यवहार नहीं करते थे।
  4. वे नए साहित्यकारों की मदद धन, समय और प्रेरणा के माध्यम से किया करते थे।
  5. वे वाणी के धनी थे। जो कहते थे उसे अवश्य पूरा करते थे।

प्रश्न 5.
बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर:
लेखक को बच्चन जी के अलावा निम्नलिखित लोगों का सहारा मिला

  1. लेखक को उसके बी.ए. के सहपाठी नरेंद्र शर्मा का सहयोग मिला जो एम.ए.कर चुके थे।
  2. लेखक को देहरादून में केमिस्ट की दुकान पर कंपाउंडरी सिखाने में उसकी ससुराल वालों ने मदद की।
  3.  लेखक जब करोलबाग में किराए के मकान में रह रहा था तब उसके भाई उसकी आर्थिक मदद करते थे।
  4. उसे इलाहाबाद में पंत, निराला जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों का सहयोग प्राप्त हुआ, जिन्होंने हिंदी में उसके लेखन का मार्ग प्रशस्त किया।
  5. लेखक को सबसे अधिक सहयोग हरिवंशराय बच्चन से मिला, जिन्होंने इलाहाबाद बुलाकर लेखक को एम. ए. करने के लिए प्रेरित किया और एक अभिभावक की तरह एम. ए.करने का पूरा खर्च उठाया । बच्चन जी ने बोर्डिंग में फ्री सीट दिलवाने से लेकर उसकी रचनाओं के लेखन एवं प्रकाशन में कदम-कदम पर सहयोग दिया।

प्रश्न 6.
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1937 में लेखक की मुलाकात ‘पंत’ और ‘निराला’ जैसे साहित्यकारों से हुई। उनसे प्राप्त संस्कार, इलाहाबाद-प्रवास और इलाहाबाद को साहित्यिक वातावरण और मित्रों से मिलने वाले साहित्यिक सानिध्य ने लेखक को बहुत प्रभावित किया। उस समय तक लेखक की कुछ कृतियाँ ‘सरस्वती’ और ‘चाँद” पत्रिका में छप चुकी थीं। इसी बीच बच्चन जी ने उसे एक नए प्रकार के स्टैंजा के बारे में बताया जिसमें लिखने का प्रयास लेखक ने किया। संयोग से ‘सरस्वती’ पत्रिका में छपी एक रचना ने ‘निरालाजी का ध्यान आकृष्ट किया। लेखक ने कुछ निबंध लिखे। इसके बाद वह ‘रूपाभ’ ऑफिस में प्रशिक्षण लेकर ‘हंस’ के कार्यालय में चला गया। इस प्रकार लेखक ने क्रमशः हिंदी जगत् में प्रवेश किया।

प्रश्न 7.
लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर:
पाठ को पढ़ने से पता चलता है कि लेखक को अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेखक किसी के द्वारा कटु एवं व्यंग्योक्ति सुनकर जिस स्थिति में था उसी स्थिति में दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया। उस समय उसकी जेब में पाँच-सात रुपये ही थे। वह दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में प्रवेश लेना चाहता था जो आसान न था। फिर भी उसने करोलबाग में किए के कमरे में रहकर पेंटिंग सीखी।
इस अवधि में वह भाई के भेजे कुछ पैसे के साथ-साथ साइनबोर्ड आदि की पेंटिंग करके कुछ कमाता रहा। उसकी पत्नी की मृत्यु टी.बी. से हो गई। वह दुखी मन से दिल्ली को सड़कों पर भटकता रहा। कुछ समय बाद उसने देहरादून में कंपाउंडरी सीखी। यहीं बच्चन जी के साथ उसकी मुलाकात हुई।
वह बच्चन जी के साथ इलाहाबाद गया। लेखक ने इलाहाबाद में एम.ए. में एडमीशन लिया पर फीस बच्चन जी द्वारा भरी गई। बोर्डिंग में फ्री सीट, उनकी रचनाओं का प्रकाशन न हो। पाना आदि ऐसी कठिनाइयाँ थीं, जिन्हें उसने अपने जीवन झेला था।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6  प्रेमचंद के फटे जूते

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6  प्रेमचंद के फटे जूते

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6  प्रेमचंद के फटे जूते

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे | प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर:
लेखक ने प्रेमचंद का जो शब्द-चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं

  1. सादा जीवन-प्रेमचंद आडंबर तथा दिखावापूर्ण जीवन से दूर रहते थे। वे गाँधी जी की तरह सादा जीवन जीते थे।
  2.  उच्च विचार-प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे। वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। वे इन बुराइयों से समझौता न कर सके।
  3. स्वाभिमानी-प्रेमचंद ने दूसरों की वस्तुओं को माँगना उचित नहीं समझा। वे अपनी दीन-हीन दशा में संतुष्ट थे।
  4. सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने वाले-प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति सावधान किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे तथा स्वयं भी बुराइयों से कोसों दूर रहने वाले थे।
  5.  अपनी स्थिति से संतुष्ट-प्रेमचंद का जीवन सदा ही अभावों में बीता। उन्होंने अपनी स्थिति दूसरों से छिपाए रखी। वे जैसे भी थे उसी में खुश रहने वाले थे।
  6.  संघर्षशील-वे रास्ते में आने वाली मुसीबतों से बचकर नहीं निकलते थे बल्कि वे उनका सामना करते थे और उस पर विजय पाक आगे बढ़ते थे।

प्रश्न 2.
सही कथन के सामने4 का निशान लगाइए|
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर:
(क) ✓
(ख) ✓
(ग) x
(घ) x

प्रश्न 3.
नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है। और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर:
(क) व्यंग्य-जूते का स्थान पाँवों में अर्थात् नीचे है यह सामर्थ्य अथवा ताकत का प्रतीक माना जाता है। टोपी का स्थान सिर पर अर्थात् सम्माननीय है पर स्थिति इसके विपरीत है। आज लोग अपने सामर्थ्य के बल पर अनेक टोपियों (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं और लोग अपना स्वाभिमान भूलकर अपना सिर उनके सामने झुकाते हैं।

(ख) व्यंग्य-लोगों में एक प्रवृत्ति होती है बुराइयों को छिपाने की या उन पर पर्दा डालने की। लोग अपनी बुराइयों को दूसरों के सामने नहीं आने देना चाहते हैं, पर प्रेमचंद ने अपनी बुराइयों को कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया। वे भीतर-बाहर एक समान थे। दूसरे लोग पर्दे की आड़ में कुछ भी करते रहे हैं।

(ग) व्यंग्य-प्रेमचंद ने सामाजिक बुराइयों को अपनाना तो दूर उनकी तरफ देखा भी।
नहीं। उन्होंने इनकी तरफ हाथ से भी इशारा नहीं किया। इन्हें इतना घृणित समझा कि पैर की उँगली से उसकी ओर इशारा करते हुए दूसरों को भी उससे सावधान किया।

प्रश्न 4.
पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि “फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है।
तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी, आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर:
इसके दो कारण हो सकते हैं-

  1. लेखक ने पहली टिप्पणी सामान्य रूप से जगत के व्यवहार को देखकर की थी। प्रायः लोग अपने घर पहनने के और बाहर पहनने के कपड़ों में अंतर करते हैं। परंतु प्रेमचंद इन सबसे अलग हैं-यह उन्होंने बाद में सोचा।
  2. लेखक ने देखा कि प्रेमचंद जीवन-भर सरल और सहज बने रहे। उन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया। इसलिए पोशाकें बदलने की बात उन पर लागू नहीं होती। इसलिए उन्होंने बाद में अपनी टिप्पणी बदल दी।

प्रश्न 5.
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं
उत्तर:
इस व्यंग्य में हमें लेखक की कई बातें आकर्षित करती हैं। सर्वप्रथम-लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में महान साहित्यकार प्रेमचंद का चित्र प्रस्तुत किया है। उनकी विशेषताओं से हमें परिचित कराया है। दूसरे लेखक ने प्रेमचंद पर व्यंग्य तो किया है, पर उसने स्वयं को कभी भी व्यंग्य से अलग नहीं रखा। तीसरे लेखक को मानव जीवन की अत्यंत गहरी समझ है।
उसने जीवन के दुख-सुख को अत्यंत निकट से देखा है। चौथे-लेखक सामाजिक बुराइयों तथा कुरीतियों के प्रति भी सजग है। उसने व्यंग्य के माध्यम से इन पर भी प्रहार किया है।

प्रश्न 6.
पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर:
‘टीला’ रास्ते की रुकावट का प्रतीक है। जैसे बहती नदी में खड़ा कोई टीला सारे बहाव को रोक देता है, उसी शाँति अनेक बुराइयाँ, कुरीतियाँ और भ्रष्ट-आचरण जीवन की सहज गति को बाधित कर देते हैं। इस पाठ में ‘टीला’ शब्द का योग शोषण, अन्याय, छुआछूत, जाति-पाँति, महाजनी सभ्यता आदि बुराइयों के लिए हुआ है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर:
मेरे घर के पास में एक डॉक्टर साहब रहते हैं। उनकी डिग्री के बारे में लोगों को आजतक नहीं पता लगा, क्योंकि उनसे पूछने पर एक ही जवाब मिलता है कि डिग्री से इलाज नहीं होता, इलाज होता है अनुभव से। तुम मेरा अनुभव देखो। सचमुच उन डॉक्टर सॉहब को मैंने जब भी देखा होगा, वे हमेशा ही अपने गले में स्टेथेस्कोप लटकाए रहते हैं।

उनसे इलाज कराने जाओ तो वे पहले अपने अनुभव की चर्चा करते हैं, फिर अपनी अति व्यस्तता बताते हुए कहते हैं, जल्दी करो मुझे कई मरीज देखने बाहर जाना है, जबकि वे अपनी क्लीनिक छोड़कर बाहर नहीं निकलते हैं। बात करने पर लगेगा कि बराक ओबामा के बाद सबसे व्यस्त आदमी वही हैं। उनकी व्यस्तता सुन मरीज दुबारा उनके पास नहीं आते, पर उनकी व्यस्तता कम होने का नाम ही नहीं लेती है।

प्रश्न 8.
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
आजकल लोग वेशभूषा के प्रति बहुत सचेत हैं। वे बाहर निकलने पर वेशभूषा का पूरा ध्यान रखते हैं। वे जानते हैं कि वेशभूषा के कारण लोगों के व्यवहार में अंतर आ जाता है। इसलिए वे समाज को प्रभावित करने के लिए वेश धारण करते हैं।

समाज भी वेशभूषा को महत्त्व देने लगा है। इसलिए विद्यालय में ही छात्र-छात्राओं को वेश सज्जा के प्रति सचेत कर दिया जाता है। आजकल धोती-कुर्ता या पायजामा पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए लोग अपने-आपको पढ़ा-लिखा। दिखाने के लिए पैंट-कमीज धारण करते हैं। लड़कियों ने तो कमाल ही कर दिया है। वे अपनी परंपरागत वेशभूषा छोड़कर जींस-टॉप या कमीज-पैंट डालने लगी हैं। इससे वे स्वयं को आधुनिका के रूप में पेश करती हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
6
7

प्रश्न 10. प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
इस पाठ में प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग हुआ है-

  • महान कथाकार
  • उपन्यास-सम्राट्
  • युग-प्रवर्तक
  • जनता के लेखक
  • साहित्यिक पुरखे।

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NCERT Solutions for Class 9 Maths Chapter 11 Constructions (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Maths Chapter 11 Constructions (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Maths Chapter 11 Constructions (Hindi Medium)

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प्रश्नावली 11.1

Ex 11.1 Class 9 गणित प्रश्न 1. एक दी हुई किरण के प्रारम्भिक बिन्दु पर 90° के कोण की रचना कीजिए और कारण सहित रचना की पुष्टि कीजिए।
हल-
दिया है : AB एक दी हुई किरण है जिसका प्रारम्भिक बिन्दु A है।
रचना करनी है : किरण AB के बिन्दु A पर 90° के कोण की।
विश्लेषण : हम 60° का कोण बना सकते हैं। इस कोण के साथ 60° को एक संलग्न कोण बनाकर उसे समद्विभाजित करें और इसमें जोड़ दें तो 90° का कोण प्राप्त होगा।
NCERT Solutions For Class 9 Maths Constructions Hindi Medium 11.1 1
रचना के पद :

  1. सर्वप्रथम किरण AB खींची।
  2.  बिन्दु A को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या का चाप । खींचा जो किरण AB को बिन्दु P पर काटता है।
  3. अब P को केन्द्र मानकर उसी त्रिज्या का एक चाप खींचा जो पहले चाप को बिन्दु Q पर काटता है।
    तब, ∠PAQ = 60°
  4. पुनः Q को केन्द्र मानकर उसी (AP) त्रिज्या से एक अन्य चाप खींचा जो पहले चाप को बिन्दु R पर काटता है।
    तब ∠QAR = 60°
  5. अब, बिन्दु ९तथा R को केन्द्र मानकर चाप खींचे जो परस्पर बिन्दु C पर काटते हैं। रेखाखण्ड CA खींचा। ∠CAQ = 30° है।
    इस प्रकार ∠CAB = 60° + 30° = 90°
    अत: ∠CAB अभीष्ट कोण है।

Ex 11.1 Class 9 गणित प्रश्न 2. एक दी हुई किरण के प्रारम्भिक बिन्दु पर 45° के कोण की रचना कीजिए और कारण सहित रचना की पुष्टि कीजिए।
हल-
दिया है : OP एक दी हुई किरण है जिसका प्रारम्भिक बिन्दु 0 है।
रचना करनी है : किरण OP के बिन्दु 0 पर 45° के कोण की।
विश्लेषण : 45° = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 90°
अतः 90° का कोण बनाकर उसे समद्विभाजित करके 45° का कोण प्राप्त होगा।
Maths NCERT Solutions Class 9 Constructions Hindi Medium 11.1 2
रचना के पद :

  1. सर्वप्रथम किरण OP खींची।
  2. बिन्दु O को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या का एक चाप लगाया जो किरण OP को A पर काटता है।
  3. पुनः A को केन्द्र मानकर उसी त्रिज्या का एक चाप खींचा जो पहले चाप को B पर काटता है।
  4. B को केन्द्र मानकर उसी त्रिज्या का एक अन्य चाप खींचा जो केन्द्र O वाले चाप को C पर काटता है।
  5. अब, B तथा C को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या के चाप खींचे जो परस्पर बिन्दु R पर काटते हैं। रेखाखण्ड OR खींचा जो चाप BC को D पर काटता है। तब, ∠POR = 90°
  6. बिन्दुओं A तथा D को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या के दो चाप खींचे जो परस्पर बिन्दु Q पर काटते हैं। रेखाखण्ड OQ खींचा। ∠POQ = 45° क्योकि OQ ∠POR = 90° का समद्विभाजक है।
    अत: ∠POQ अभीष्ट कोण है।

Ex 11.1 Class 9 गणित प्रश्न 3. निम्नलिखित मापों के कोणों की रचना कीजिए :
(i) 30°
(ii) 22\(\frac { 1 }{ 2 }\)°
(iii) 15°
हल-
(i) रचना करनी है : 30° के कोण की।
विश्लेषण : 30° = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 60°
Class 9 Maths NCERT Constructions Solutions Hindi Medium 11.1 3
रचना के पद :

  1. एक किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) खींची।
  2. किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) के अन्त्य बिन्दु 0 को केन्द्र मानकर कोई त्रिज्या OB लेकर एक चाप लगाया।
  3. अब B को केन्द्र मानकर उसी त्रिज्या से एक अन्य चाप खींचा जो पहले चाप को बिन्दु C पर काटता है।
    तब, ∠AOC = 60°
  4. ∠AOC का अर्धक (समद्विभाजक) OD खींचा।
    अत: ∠AOD = 30° जो कि अभीष्ट कोण है।

(ii) रचना करनी है : 22\(\frac { 1 }{ 2 }\)° के कोण की।
विश्लेषण : 90° के कोण का समद्विभाजक खींचने पर 45° का कोण प्राप्त होता है और इस 45° के कोण का समद्विभाजक खींचने पर 22\(\frac { 1 }{ 2 }\)°का कोण प्राप्त होगा।
NCERT Maths Solutions For Class 9 Constructions Hindi Medium 11.1 3.1
रचना के पद :

  1. एक किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) खींची।
  2. किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) के अन्त्य बिन्दु O को केन्द्र मानकर OP त्रिज्या का एक चाप खींचा जो किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) को बिन्दु P पर काटता है।
  3. P को केन्द्र मानकर OP त्रिज्या से एक चाप खींचा जो पहले चाप को Q पर काटता है।
  4. Q को केन्द्र मानकर उसी OP त्रिज्या का चाप खींचा जो चाप PQ को R पर काटता है।
  5. Q और R को केन्द्र मानकर चाप खींचे जो परस्पर T पर काटता है। रेखाखण्ड OT खींचा जो चाप PQR को S पर काटता है।
    तब, ∠AOT = 90°
  6. ∠AOT का समद्विभाजक OC खींचा। तब ∠AOC = 45°
  7. ∠AOC का समद्विभाजक OB खींचा।
    अत: ∠AOB = 22\(\frac { 1 }{ 2 }\)°जो कि अभीष्ट कोण है।

(iii) रचना करनी है : 15° के कोण की।
विश्लेषण : 60° के कोण का समद्विभाजक 30° का कोण बनाया। अब 30° के कोण का समद्विभाजक 15का कोण बनाया।
NCERT Class 9 Maths Hindi Medium Constructions Solutions 11.1 3.2
रचना के पद :

  1. किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) के अन्त्य बिन्दु O से किरण \(\overset { \rightarrow }{ OA }\) पर ∠AOC = 60° इस प्रश्न के खण्डे (i) में वर्णित विधि से बनाया।
  2. ∠AOC का समद्विभाजक OD खींचा। ∠AOD = 30° है।
  3. अब ∠AOD का समद्विभाजक OE खींचा।
    तब ∠AOE = 15° जो कि अभीष्ट कोण है।

Ex 11.1 Class 9 गणित प्रश्न 4. निम्नलिखित कोणों की रचना कीजिए और चाँदे द्वारा मापकर पुष्टि कीजिए :
(i) 75°
(ii) 105°
(iii) 135°
NCERT Solutions for Class 9 Maths Chapter 11 (Hindi Medium) 11.1 4
NCERT Maths Class 9 Hindi Medium Constructions Solutions 11.1 4.1

Ex 11.1 Class 9 गणित प्रश्न 5. एक समबाहु त्रिभुज की रचना कीजिए, जब इसकी भुजा दी हो तथा कारण सहित रचना कीजिए।
हल-
दिया है : ‘समबाहु त्रिभुज ABC की भुजा BC।
रचना करनी है : समबाहु त्रिभुज ABC की।
NCERT Solutions For Maths Class 9 Constructions Hindi Medium 11.1 5
रचना के पद :

  1. रेखाखण्ड BC दी गई माप का खींचा।
  2. B तथा C को केन्द्र मानकर BC त्रिज्या के दो चाप लगाए जो परस्पर बिन्दु A पर काटते हैं।
  3. रेखाखण्ड AB तथा AC को मिलाया। ∆ABC अभीष्ट समबाहु त्रिभुज है।

उपपत्ति : AB = BC और AC = BC
AB = BC = AC
त्रिभुज ABC समबाहु ही है।

प्रश्नावली 11.2

Ex 11.2 Class 9 गणित प्रश्न 1. एक त्रिभुज ABC की रचना कीजिए जिसमें BC = 7 सेमी, ∠B = 75° और AB + AC = 13 सेमी हो।
हल-
दिया है : ∆ABC में BC = 7 सेमी, ∠B = 75° और AB + AC = 13 सेमी है।
रचना करनी है : उपर्युक्त ∆ABC की।
Maths NCERT Solutions Class 9 Constructions Hindi Medium 11.2 1
रचना के पद :

  1. एक किरण BX खींचकर उसमें से रेखाखण्ड BC = 7.0 सेमी काटा।
  2. BC के बिन्दु B से BC पर ∠CBY = 75° बनाया।
  3. BY में से BD = 13 सेमी काटा।
  4. CD को मिलाया और उसका लम्ब समद्विभाजक खींचा जिसने BD को बिन्दु A पर काटा।
  5. रेखाखण्ड AC खींचा।
    ∆ABC अभीष्ट त्रिभुज है।

Ex 11.2 Class 9 गणित प्रश्न 2. एक त्रिभुज ABC की रचना कीजिए जिसमें BC = 8 सेमी, ∠B = 45° और AB – AC = 3.5 सेमी हो।
हल-
दिया है: ABC एक त्रिभुज है जिसमें BC = 8 सेमी, ∠B = 45° वे AB – AC = 3.5 सेमी है।
रचना करनी है : उपर्युक्त ∆ABC की।
Maths NCERT Class 9 Solutions Constructions Hindi Medium 11.2 2
रचना के पद :

  1. एक रेखाखण्ड BC = 80 सेमी खींचा।
  2. बिन्दु B से BC पर ∠XBC = 45° बनाया।
  3. BX में से BD = 3.5 सेमी काटा।
  4. CD को मिलाया।
  5. CD को लम्ब समद्विभाजक खींचा जो बढ़ी हुई BD को A पर काटता है।
  6. AC को मिलाया।
    ∆ABC अभीष्ट त्रिभुज है।

Ex 11.2 Class 9 गणित प्रश्न 3. एक त्रिभुज PQR की रचना कीजिए जिसमें QR = 6 सेमी, ∠Q = 60° और PR – PQ = 2 सेमी हो।
हल-
दिया है:  ∆PVR में, QR = 6 सेमी, ∠Q = 60° भुजा PQ < PR और PR – PQ = 2 सेमी है।
Maths Class 9 NCERT Solutions Hindi Medium 11.2 3
रचना के पद :

  1. रेखाखण्ड QR = 6 सेमी खींचा।
  2. Q से QR पर ∠XQR = 60° बनाया।
  3. XQ को आगे बढ़ाया और उसमें से QS = (PR – PQ) या 2 सेमी काट लिया।
  4. SR को मिलाया।
  5. SR का लम्ब समद्विभाजक खींचा जो OX को P पर काटता है।
  6. रेखाखण्ड PR खींचा।
    अत: ∆PQR अभीष्ट त्रिभुज है।

Ex 11.2 Class 9 गणित प्रश्न 4. एक त्रिभुज XYZ की रचना कीजिए, जिसमें ∠Y = 30°, ∠Z = 90° और XY + YZ + ZX = 11 सेमी हो।
हल-
दिया है : ∆XYZ में, ∠Y = 30°, ∠Z = 90° है तथा XY + YZ + ZX = 11 सेमी है।
रचना करनी है : उपर्युक्त ∆XYZ की।
रचना के पद :

  1. त्रिभुज के परिमाप (XY + YZ + ZX) = 11 सेमी के बराबर माप का रेखाखण्ड PQ खींचा।
  2. P पर ∠RPQ = 30° व Q पर ∠SQP = 90° दिए हुए आधार कोण बनाए।
  3. RPQ व ∠SQP के समद्विभाजक खींचे जो परस्पर शीर्ष X पर काटते हैं।
    Constructions Maths Solutions For Class 9 NCERT Hindi Medium 11.2 4
  4. PX का लम्ब समद्विभाजक खींचा जो PQ को Y पर काटता है।
  5. QX का लम्ब समद्विभाजक खींचा जो PQ को Z पर काटता है।
  6. XY और XZ को मिलाया।
    अत: ∆XYZ अभीष्ट त्रिभुज है।

Ex 11.2 Class 9 गणित प्रश्न 5. एक समकोण त्रिभुज की रचना कीजिए जिसका आधार 12 सेमी और कर्ण व अन्य भुजा का योग 18 सेमी हो।
हल-
दिया है : समकोण ∆ABC में आधार BC = 12 सेमी, ∠C = 90° तथा कर्ण AB व एक अन्य। भुजा AC का योग 18 सेमी हो।
रचना करनी है : उपर्युक्त समकोण ∆ABC की।
Constructions Solutions For Maths NCERT Class 9 Hindi Medium 11.2 5
रचना :

  1. रेखाखण्ड BC = 12 सेमी खींचा।
  2. बिन्दु C से BC पर ∠BCX = 90° बनाया।
  3. CX में से CD = (AB + AC) = 18 सेमी काट लिया।
  4. रेखाखण्ड BD खींचा।
  5. BD का लम्ब समद्विभाजक खींचा जिसने CD को बिन्दु A पर काटा।
  6. रेखाखण्ड AB खींचा।
    अत: ∆ABC अभीष्ट त्रिभुज है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 तुम कब जाओगे, अतिथि

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 तुम कब जाओगे, अतिथि

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर

  1. अतिथि लेखक के घर पर पिछले चार दिनों से रह रहा था और अभी तक जाने का नाम नहीं ले रहा था।
  2. कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से पंछी के पंखों की तरह फड़फड़ा रही हैं।
  3. पति ने स्नेह से भीगी मुस्कराहट से मेहमान को गले लगाकर उसका स्वागत किया। रात के भोजन में दो प्रकार की सब्ज़ियों और रायते के अलावा मीठी चीजों का भी प्रबंध किया गया था। उनके आने पर पत्नी ने उनका स्वागत सादर प्रणाम करके किया था।
  4. दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई अर्थात दोपहर के भोजन को लंच जैसा शानदार बनाया गया।
  5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लॉण्ड्री में कपड़े देने को कहा क्योंकि वह उससे कपड़े धुलवाना चाहता था।
  6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर डिनर के स्थान पर खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी | वह नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
2. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए
    (क)अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
    (ख)अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
    (ग)लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
    (घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
    (ङ)एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर
1. लेखक अतिथि को भावपूर्ण विदाई देना चाहता था। वह अतिथि का भरपूर स्वागत कर चुका था। उसके सत्कार
का आखिरी छोर आ चुका था। प्राचीनकाल में कहा जाता था-‘अतिथि देवो भव’। अतिथि जब विवशता का पर्याय बन जाए तो उसे भाव-विभोर होकर विदा नहीं किया जा सकता। लेखक चाहता था कि जब अतिथि विदा हो तब वह और उसकी पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाएँ। वह उसे सम्मानजनक विदाई देना चाहता था परंतु उसकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।

2. (क) लेखक के घर में जब मेहमान आया तो उसे लगा कि उसका बटुआ हल्का हो जाएगा। उसके हृदय में

बेचैनी होने लगी कि इस अतिथि का सत्कार कैसे किया जाएगा। ऐसे मेहमान जो बिना सूचना के आते हैं। उन्हें देखकर अचानक मेजबान का हाथ अपने बटुए पर चला जाता है। मन काँपने लगता है। खर्चे बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।

(ख) अतिथि जब बहुत दिनों तक किसी के घर ठहर जाता है तो ‘अतिथि देवो भव’ का मूल्य नगण्य हो जाता है। उन्हें देवता नहीं माना जाता। अतिथि जबरदस्ती दूसरों के घर में ठहरकर राक्षसत्व का स्वरूप पा लेता है। यदि अतिथि लंबे समय तक ठहर जाता है तो वह अपना महत्त्व खो बैठता है। अधिक दिनों तक अतिथि का ठहरना व्याकुलता उत्पन्न कर देता है। उसकी विदाई की प्रतीक्षा में मन डूबने लगता है। अतिथि के मुख पर सुलभ व सहज मुस्कान होती है और वह मुस्कान लेखक की सहनशीलता को ठेस पहुँचाती है।

(ग) लोग अपने घर को तो स्वीट होम ही रखना चाहते हैं परंतु दूसरे के घर की मिठास में जहर घोलते नजर आते हैं। अतिथि जब दूसरों के घर जाते हैं तो उनके घर की शांति नष्ट कर देते हैं, लोगों का आचरण दूसरों के जीवन को उथल-पुथल कर देता है। अतिथियों की मेहमाननवाज़ी करने में बोरियत होती है। आर्थिक स्थिरता को बनाकर घर में लोग सुख-चैन की साँस ले रहे होते हैं। खान-पान, रहन-सहन सब ठाट-बाट का होता है। अचानक अतिथि का आगमन देवत्व का बोध नहीं करा पाता। घर की स्वीटनेस को काट डालता है। ऐसे लोगों को भाव भीनी विदाई देने का मन करता है जो दूसरों के घरों की सरसता कम करने का कारण बन जाते हैं।

(घ) अतिथि यदि एक-दो दिन के लिए ठहरे तो उसका आदर-सत्कार होता है परंतु जब अधिक दिन ठहरे तो मेजबान की सहनशीलता की सीमा टूट जाती है। उससे अधिक उस अतिथि को झेलने की क्षमता उसमें समाप्त हो जाती है। उसे ‘गेट आउट’ कहने का मन करता है। आतिथ्य-सत्कार में भी अंतर आ जाता है। अतिथि अपने देवत्व को खोकर राक्षसत्व का बोध कराता है।

(ङ) अतिथि को देवता माना जाता है परंतु यदि वह अधिक समय तक ठहरे तो उसका देवत्व समाप्त हो जाता है क्योंकि देवता तो थोड़ी देर के लिए दर्शन देकर चले जाते हैं। वे अधिक समय तक नहीं ठहरते। उनमें ईर्ष्या-द्वेष के भाव नहीं होते। घरेलू परिस्थितियों की जटिलताओं का सामना उन्हें नहीं करना पड़ता। मनुष्य को उसकी परिस्थितियाँ प्रभावित करती हैं। घर की शांति को वह भंग नहीं करना चाहता। इस प्रकार विपरीत स्वभाव का एक ही म्यान में
ठहरना नामुमकिन है।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. ‘संबंधों को संक्रमण के दौर से गुजरना’-इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर
1. लेखक सोच रहा था कि तीसरे दिन अतिथि की भावभीनी विदाई का वह क्षण आ जाना चाहिए। किंतु अतिथि ने
ऐसा नहीं किया। सुबह उठते ही उसने जब लेखक से अपने कपड़े धोबी को देने की बात कही तब लेखक को इस बात को सुनकर जो आघात लगा वह अप्रत्याशित था। इसका प्रभावलेखक पर ऐसा पड़ा कि वह सोचने पर मजबूर हो गया कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

2. संक्रमण का अर्थ है-एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाने का समय। अर्थात् एक स्थिति से दूसरी स्थिति में प्रवेश करने की प्रक्रिया। इस अवस्था को संधिाकाल भी कहते हैं। इस स्थान पर आकर एक चीज अपना स्वरूप खो देती है तो दूसरा अपना स्वरूप ले लेती है। लेखक के साथ भी अतिथि के आने पर कुछ ऐसा ही हुआ। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। घर के लोगों की शांति भंग होने लगी। अतिथि का मन भले ही घर लौटने का न हो परंतु उसे अपने घर की ओर चल देना चाहिए। इस प्रकार मधुर स्थितियों की कटुता को उजागर किया गया है।

3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के आतिथ्य में कमी आ गई। लंच और डिनर की विविधता कम हो
गई। वह उसके जाने की प्रतीक्षा करने लगे। कभी कैलेंडर दिखाकर तो कभी नम्रता की आँखें दिखाकर। स्नेह-भीगी
मुस्कुराहट गायब हो गई। घर की शांति गड़बड़ाने लगी। समीपता दूरी में बदलने लगी। वे उसे स्टेशन तक छोड़ने जाना चाहते हैं, परंतु अतिथि है कि जाने का नाम नहीं लेता। यह देखकर लेखक के व्यवहार में निम्न परिवर्तन आए

  1. खाने का स्तर डिनर से गिरकर खिचड़ी तक आ पहुँचा।
  2. वह गेट आउट कहने को भी तैयार हो जाता है।
  3. लेखक को अतिथि राक्षस के समान लगने लगता है।
  4. अब अतिथि के प्रति सत्कार की कोई भावना नहीं बची।
  5. भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण करने लगती हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-
चाँद, जिक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
…………………………………………………..
(ख) किसी लॉण्डी पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
…………………………………………………………
(ग) सत्कार की उष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
………………………………………………….
(घ) इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)।
………………………………………………..
(ङ) कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
………………………………………………
उत्तर
     (क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।
     (ख) क्या किसी लॉण्ड्री पर दे देने से जल्दी धुल जाएँगे?
     (ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।
     (घ) इनके कपड़े कहाँ देने हैं?
     (ङ) ये बहुत देर तक नहीं टिकेंगे।

प्रश्न 3.
पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए-
उत्तर

  1. तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके।
  2. तुम मेरी काफी मिट्टी खोद चुके।
  3. आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।
  4. शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।
  5. तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए
उत्तर

  1. लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
  2. तुम्हें देखकर फूट पड़नेवाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
  3. तुम्हें भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।।
  4. कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फ़िल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
  5. भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘अतिथि देवो भव’ उक्ति की व्याख्या करें तथा आधुनिक युग के संदर्भ में इसका आकलन करें।
उत्तर
इस उक्ति का अर्थ है कि अतिथि देवता के समान होता है। यह उक्ति पहले समय में कभी ठीक रही होगी। | आधुनिक युग में यह उक्ति उचित प्रतीत नहीं होती। आज लोगों के पास अपने लिए समय नहीं है। वे अतिथियों के स्वागत-सत्कार के लिए समय कैसे निकाले? आज के लोग कमाने, व्यापार बढ़ाने, कैरियर बनाने, पढ़ने-पढ़ाने
में अधिक ध्यान देने लगे हैं। इसलिए आजकल अतिथि के आने पर उनकी खुशी बढ़ने की अपेक्षा कम होती है।

प्रश्न 2.
विद्यार्थी अपने घर आए अतिथियों के सत्कार का अनुभव कक्षा में सुनाएँ-
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक की क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं, उन्हें क्रम से छाँटकर लिखिए-
उत्तर

  • दूसरे दिन मन में आया कि बस इस अतिथि को अब और अधिक नहीं झेला जा सकता।
  • तीसरे दिन उसका देवत्व समाप्त हो गया वह राक्षस दिखाई देने लगा।
  • चौथे दिन मुस्कान फीकी पड़ गई। बातचीत रुक गई। डिनर का स्थान खिचड़ी ने ले लिया। मन में आया कि उसे ‘गेट आउट’ कह दिया जाए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
(ख) चारों छंद में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) “आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
(घ) इस कविता में कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है बादशाह को, गरीब व दरिद्र का, मालदार, एकदम कमजोर मनुष्य का, स्वादिष्ट भोजन करने वाले का, सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।

(ख) कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है।-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 1

(ग) ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता को पढ़कर हमारे मन में मनुष्य के प्रति यही छवि बनती है कि संसार में अनेक प्रकार के अच्छे व बुरे दोनों तरह के कार्य करनेवाले होते हैं। मनुष्य परिस्थितियों और भाग्य का दास । होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। मनुष्य शैतान भी है और फरिश्ता भी, धनी भी और निर्धन भी, अच्छा भी और बुरा भी; साधु भी और चोर भी, गुरु भी और शिष्य भी, कुर्बानी देनेवाला भी और कुर्बानी लेनेवाला मनुष्य ही है। मनुष्यों की इस विषमता के कारण ही संसार में पाप भी है और पुण्य भी। धर्म भी है और अधर्म भी।

(घ) इस कविता की निम्नलिखितं पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं-
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी’
ये पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी हैं क्योंकि इन पंक्तियों से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सद्गुणों को अपनाकर अच्छा आदमी बनना है। हमें बुराइयों का त्यागकर देना चाहिए। बुराइयाँ व्यक्ति को बुरा आदमी बना देती हैं। समाज में अच्छे आदमी का ही आदर होता है, बुरे का नहीं।

(ङ) प्रत्येक आदमी में विभिन्न प्रवृत्तियाँ होती हैं। आदमी स्वभाव से अच्छा भी है और बुरा भी है। वह दूसरों के दु:खों का कारण है तो वही उन दुःखों का निवारण करनेवाला भी है। आदमी ही आदमी पर शासन करता है-आदेश देता है और मनचाहे ढंग से परेशान करता है। आदमी दीन-हीन है और आदमी संपन्न भी है। कोई कुर्बानी देने में विश्वास रखता है तो कोई दूसरों के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने को तत्पर रहता है और ऐसे भी आदमी हैं।
जो दूसरों जान लेने में विश्वास रखते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर
(क) प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने आदमी के महत्त्व के विषय में बतलाया है कि इस संसार में आदमी की अहमियत है। इस संसार में जो भी कार्य हो रहा है उसे करनेवाला आदमी ही है। वह ही रोजा है और वह ही फ़कीर है। कवि ने आदमी के दोनों रूपों का वर्णन किया है। आदमी अपनी मर्जी को स्वयं मालिक होता है। कभी फ़कीर बनकर हाथ फैलाता है तो कभी हाथ बढ़ाकर बादशाह के रूप में दूसरों को देता है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि आदमी ही सज्जन और नीच होता है। राजा से मंत्री तक सभी आदमी ही होता है। आदमी ही ऐसे कार्य करता है जो सबके दिल को लुभानेवाले होते हैं। इस संसार में आदमी ही शिष्य होता है और आदमी ही गुरु होता है। कवि का मानना है कि संसार में अच्छा भी आदमी होता है और संसार में जो सबसे बुरा होता है वह भी आदमी ही होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां और आदमी ही उनकी चुराते है जूतियाँ जो उनको तोड़ता है सो है वो भी आदमी
(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।
उत्तर
(क) उपर्युक्त छंद में कवि ने यह व्यंग्य किया है कि इस संसार में जहाँ एक ओर तो कुछ लोग मस्जिद में कुरान शरीफ़ पढ़ने और नमाज अदा करने जाते हैं पर दूसरी ओर ऐसे आदमी भी होते हैं, जो वहाँ आनेवालों की जूतियाँ चुराते हैं। उन जूता चोरों पर नज़र रखनेवाले भी आदमी ही होते हैं। जूता चोरों और उनपर नजर रखनेवालों का ध्यान परमात्मा की ओर नहीं बल्कि अपने-अपने शिकार पर होता है।

(ख) कवि ने व्यंग्यात्मक स्वर में कहा है कि आदमी दूसरे को अपमानित करने से भी नहीं चूकता तो दूसरी ओर एक पुकारता है तो दूसरा दौड़ा उसकी सहायता को चला आता है। आदमी ही दूसरों का सम्मान करता है। और दूसरों का अपमान करनेवाला भी आदमी ही है।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 2
उत्तर
ज़ – जमीन, मजदूर
फ़ – फ़रक, रफ्तार।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना
उत्तर
       (क) टुकड़े चबाना-कब तक तुम भाई के टुकड़े चबाते रहोगे, कुछ काम क्यों नहीं करते।
       (ख) पगड़ी उतारना-भरी सभा में मंत्री जी ने सेठ हीरामल की कंजूसी का वर्णन करते हुए उनकी पगड़ी ही उतार दी।
       (ग) मुरीद होना-इन दिनों क्रिकेट के दीवाने सचिन तेंदुलकर के मुरीद हो गए हैं।
       (घ) जान वारना-देश की आजादी के लिए असंख्य वीरों ने अपनी जान वार दी।
       (ङ) तेग मारना-मोहन ने भागते हुए चोर को तेग मारकर घायल कर दिया।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अगर ‘बदंर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं सोचकर लिखें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख

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प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )

प्रश्न 1.
‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
उत्तर:
यहाँ ‘रस्सी’ शब्द का प्रयोग मनुष्य के साँस’ या ‘प्राण’ के लिए हुआ है, जिसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को खींच रहा है। वह रस्सी अत्यंत कमजोर है। यह कब टूट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 2.
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
उत्तर:
कवयित्री का जीवन बीता जा रहा है। उम्र बढ़ती जा रही है। मृत्यु निकट आ रही है, किंतु प्रभु से मिलन नहीं हो पा रहा। अत: उसे लगता है कि उसकी सारी साधना व्यर्थ हुई जा रही है। साधना का परिणाम नहीं निकल रहा।

प्रश्न 3.
कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
‘घर जाने की चाह’का तात्पर्य है-इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने प्रभु की शरण में जाना। वह परमात्मा की शरण को ही अपना वास्तविक घर मानती है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर:
(क) कवयित्री को अनुभव होता है कि वह जीवन-भर हठयोग-साधना करती रही, किंतु कोई सफलता न मिल सकी। उसकी जेब खाली ही रही।
(ख) मनुष्य भोग कर-करके अपना शरीर ही नष्ट करता है। उसे कोई उपलब्धि नहीं हो पाती। वह परमात्मा से दूर हो जाता है। भोग करना एक प्रकार का भटकाव है।
भोगों पर लात मारने वाला, अर्थात् त्यागी-तपस्वी-व्रती महात्मा अहंकारी हो जाता है। वह स्वयं को सबसे ऊँचा मानने लगता है। अतः वह भी ईश्वर-भक्ति से भटक जाता है।

प्रश्न 5.
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललयद ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर:
बंद दुवार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री ने निम्नलिखित उपाय अपनाने का सुझाव दिया है-

  1. मनुष्य को सांसारिक विषयों में न अधिक लिप्त रहना चाहिए और न इनसे विमुख होना चाहिए। उसे बीच का रास्ता अपनाकर संयमपूर्ण जीवन जीना चाहिए।
  2. मनुष्य को सभी प्राणियों को समान दृष्टि या समान भाव से देखना चाहिए।
  3. प्रभु की सच्ची भक्ति करनी चाहिए।

प्रश्न 6.
ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
उपर्युक्त भाव निम्न पंक्तियों में प्रकट हुआ है आई सीधी राह से, गई न सीधी राह। सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई। माझी को दें, क्या उतराई?

प्रश्न 7.
“ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ज्ञानी का अभिप्राय है – हिंदू-मुसलमान दोनों में कोई अंतर न समझने वाला, क्योंकि दोनों ही उसी एक प्रभु की रचना हैं तथा अपने-आप को पहचानने या आत्म-ज्ञान रखनेवाला व्यक्ति है। आखिर आत्मा भी तो परमात्मा का अंश है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-
(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(क) आपसी भेदभाव के कारण देश और समाज को बहुत बड़ी हानि हो रही है। पहली हानि यह है कि समाज आपस में बँट गया है। कुछ लोग बिना कारण हमारे मित्र और कुछ शत्रु हो गए हैं। इस कारण अनेक झगड़े खड़े हो जाते हैं। हिंदू-मुसलमान का झगड़ा इसी भेदभाव की उपज है। इसी विष के कारण भारत और पाकिस्तान दो देश बने। फिर भी उनमें आपसी शत्रुता बनी रहती है। विभाजन के बाद भी चार युद्ध हो चुके हैं। अरबों रुपए नष्ट हो चुके हैं। लाखों लोग मारे जा चुके हैं। यह देश और समाज की बहुत बड़ी हानि है।
आपसी भेदभाव के कारण भय, संदेह और अविश्वास बना रहता है। जीवनभर अनावश्यक खतरा मँडराता रहता है।

(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि उन बातों की चर्चा न करें जिससे यह भेदभाव बढे। कई बार इतिहास ही हमारे घावों को हरा कर देता है। ऐसे इतिहास को न ही पढ़ाया जाए तो अच्छा है। । दूसरे, अलग-अलग जातियों के लोग अपने नामों के पीछे जाति का नाम न लगाएँ। एक-दूसरे के नामों को, उनकी भाषा को, उनके महापुरुषों को, उनके उत्सवों को, उनके रहन-सहन और खान-पान को अपनाएँ। अपने घर भोजन पर दूसरों को भी निमंत्रित करें। सबसे बड़ा उपाय यह है कि रोटी-बेटी का रिश्ता बनाएँ। इन उपायों से आपसी भेदभाव दूर हो सकता है।

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