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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है-
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 1
(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?
(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?
(ङ) इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए
उदाहरणः अंधकार की छाया
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 2
उत्तर
(i) नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर ।
मेरा हृदय काँप उठता था।
बाहर गई निहार उसे।

(ii) ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाल।

(iii) भूल गया उसका लेना झट
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा, बेटी को माँ के ये .
पुण्य-पुष्प दें जाकर मैं।

(iv) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी!
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हो!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा!

(ख) एक बच्ची थी सुखिया। उसे महामारी ने चपेट में ले लिया था। एक दिन उसे तेज़ ज्वर ने जकड़ लिया। ज्वर की तीव्रता के कारण वह बेहोशी की हालत में चली गई। उसी अवस्था में वह अपने पिता से बोली, “मुझे माता के चरणों का एक फूल लाकर दे दो। यही उसकी अंतिम इच्छा थी।

(ग) सुखिया का पिता अछूत वर्ग का व्यक्ति था। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर उसका जाना निषेध था। अछूतों के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता था। अछूत होकर भी सुखिया का पिता मंदिर में देवी का प्रसाद रूपी फूल लाने चला गया। लोगों के अनुसार उसने देवी माँ की पवित्रता नष्ट कर दी। एक प्रकार से यह देवी माँ का घोर अपमान था इसलिए न्यायालय ने देवी माँ का अपमान करने के आरोप में उसे सात दिन का कारावास दे दिया।

(घ) जेल से छूटने के बाद उसने अपनी बच्ची को घर में नहीं पाया। लोगों के बताने के अनुसार वह श्मशान भागते हुए गया पर वहाँ उसके सगे-संबंधी पहले ही उस मृतक सुखिया का दाह-संस्कार कर चुके थे। वहाँ सुखिया की चिता बुझी पड़ी थी। उसकी फूल-सी कोमल बच्ची राख की ढेरी के रूप में परिवर्तित हो चुकी थी।

(ङ) यह कविता छुआछूत की समस्या पर केंद्रित है। एक मरणासन्न अछूत कन्या के मन में यह चाह उठती है। कि कोई उसे देवी माता के चरणों में अर्पित किया हुआ एक फूल लाकर दे दे। बेटी की मनोकामना को पूरी करने के लिए पिता ने मंदिर में जाकर देवी की पूजा और आराधना की। जिससे उच्च वर्ग के लोगों को अपना और अपनी देवी का अपमान प्रतीत हुआ तथा इस अपराध में समाज के उच्चवर्गीय लोगों ने कन्या के पिता को सात दिन के लिए दंडित करके उसे अपनी पुत्री के अंतिम दर्शन करने से भी दूर रखा। समाज में फैली छुआछूत की भावना किस प्रकार लोगों के मन में भेदभाव जगाती है और निम्न वर्ग के प्रति अन्याय कराती है, किस तरह सुखिया के पिता को सामाजिक अन्याय का शिकार होना पड़ा, इन सबका वर्णन करते हुए कवि ने इस विषमता को मिटाने पर बल दिया है।
(च)

  • कितना बड़ा तिमिर आया
  • हुई राख की थी ढेरी
  • झुलसी-सी जाती थी आँखें
  • हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
  • स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए-
(क) अविश्रांत बरसा करके भी आँखें तनिक नहीं रोतीं।
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर छाती धधक उठी मेरी
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी। अटल शांति-सी धारण कर
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर किया अनर्थ बड़ा भारी
उत्तर
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि निरंतर सात दिन तक अपनी पुत्री से दूर रहने के कारण सुखिया के पिता की आँखों से लगातार आँसुओं की धारा बहती रही, किंतु फिर भी उसकी आँखों के आँसू समाप्त नहीं हुए अर्थात् उसके मन की पीड़ा आँसुओं के रूप में निरंतर बहती रही।
अर्थ-सौंदर्यः कवि ने इस पंक्ति में निरंतर रोते रहने की दशा को अभिव्यक्त किया है। बादल लगातार बरसते रहने से एक दिन समाप्त हो जाते हैं, किंतु सुखिया के पिता के आँसू थे कि वे एक पल के लिए भी थमें नहीं थे।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि सात दिनों के बाद कारावास से छूटने के पश्चात् जब सुखिया का पिता वापस लौटा तो उसकी पुत्री की चिता जलकर बुझ भी चुकी थी अर्थात् उसकी मृत्यु हो जाने पर उनके संबंधियों ने सुखिया का अंतिम संस्कार कर दिया था। पुत्री की बुझी चिता को देखकर सुखिया के पिता के हृदय में दुख और वेदना की चिता धधकने लगी अर्थात् उनका मन बहुत दुखी हो गया।
अर्थ-सौंदर्यः कवि ने इस पंक्ति में बताया है कि एक चिता तो बुझ गई और दूसरी चिता धधकने लगी अर्थात् सुखिया की चिता तो जलकर बुझ गई, परंतु उसके पिता के हृदय में वेदना की चिता धधकने लगी, इसमें अर्थ की सुंदरता है। एक चिता का बुझना और दूसरी चिता का हृदय में धधकना।

(ग) प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि तीव्र ज्वर के कारण सुखिया चुपचाप निढाल होकर ऐसे बिस्तर पर लेटी हुई थी जैसे उसने मृत्यु से पहले की अटल शांति को धारण कर लिया हो।
अर्थ-सौंदर्यः अर्थ की सुंदरता यह है कि ज्वर ग्रस्त होने के कारण सुखिया की चंचलता समाप्त हो गई थी और वह शांत भाव से चुपचाप लेटी हुई थी जैसे उसने अटल शांति को धारण कर लिया हो।

(घ) प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि जब सुखिया का पिता अपनी बेटी की मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर से फूल लेने गया तब उच्च वर्ग के लोगों ने अछूत और पापी कहकर उसका घोर अपमान किया। उसका मंदिर में आना उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने उसके इस प्रयास को अनर्थ बतलाया।
अर्थ-सौंदर्य प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ-सौंदर्य यह है कि जिस व्यक्ति ने कोई पाप नहीं किया और उसके मंदिर में आने के प्रयास को ही समाज के उच्चवर्गीय लोगों ने पाप और अनर्थ का नाम दिया।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’ पढ़िए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 11 सवैये

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प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )

प्रश्न 1.
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर:
कवि श्रीकृष्ण की रासलीला भूमि ब्रज के प्रति अपना प्रेम निम्नलिखित रूपों में अभिव्यक्त करता है-

  1. कवि अगले जन्म में मनुष्य रूप में जन्म लेकर ब्रज में ग्वाल-बालों के बीच बसना चाहता है।
  2. वह पशु के रूप में जन्म मिलने पर नंद बाबा की गायों के मध्य चरना चाहता है।
  3. वह उसी गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहता है, जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाया था।
  4. वह पक्षी बनकर उसी कदंब के पेड़ पर बसेरा बनाना चाहता था, जहाँ कृष्ण रास रचाया करते थे।
  5. कवि ब्रज के वन, बाग और तड़ाग (तालाब) का सौंदर्य देखते रहना चाहता है।

प्रश्न 2.
कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तर:
कवि ब्रजभूमि के वन, बाग और सरोवर इसलिए निहारना चाहता है क्योंकि इनके साथ कृष्ण की यादें जुड़ी हुई हैं। कभी कृष्ण इन्हीं में विहार किया करते थे। इसलिए कवि उन्हें देखकर धन्य हो जाता है।

प्रश्न 3.
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
उत्तर:
कवि श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह कृष्ण की हर वस्तु से प्रेम करता है। श्रीकृष्ण गायों को चराते समय यह लकुटी और कामरिया (छोटा कंबल) अपने साथ रखते थे। यह लकुटी और कामरिया कोई साधारण वस्तु न होकर कृष्ण से संबंधित वस्तुएँ थीं, इसलिए कवि उन पर सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है।

प्रश्न 4.
सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेरे विचार से रसखान कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। वे किसी भी सूरत में कृष्ण का सान्निध्य चाहते हैं। इससे उनकी भक्ति भावना तृप्त होती है। इसलिए वे पशु, पक्षी या पहाड़ बनकर भी कृष्ण का संपर्क चाहते हैं।

प्रश्न 5.
आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
उत्तर:
मेरे विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य इसलिए पाना चाहता है क्योंकि वह श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह हर जन्म में, हरे रूप में अपने इष्ट देव श्रीकृष्ण का सामीप्य पाना चाहता है। वह ब्रजभूमि के पशु, पक्षी और पहाड़ में श्रीकृष्ण की निकटता महसूस करता है। उसे लगता है कि इन वस्तुओं के रूप में श्रीकृष्ण का सान्निध्य पाने से उसका जन्म सार्थक बन जाएगा।

प्रश्न 6.
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
उत्तर:
इस सवैये के अनुसार, गोपियाँ कृष्ण की मुरली की मधुर तान तथा मनोहर मुसकान के कारण अपने-आपको विवश पाती हैं। वे आपा खो बैठती हैं और कृष्ण के वश में हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं ।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर:
(क) भाव-इस पंक्ति में कवि रसखान का श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं के माध्यम से उनके प्रति अनन्य प्रेम प्रकट हुआ है। श्रीकृष्ण गोप-गोपियों के साथ इन करील के कुंजों की छाँव रास-लीला रचाया करते थे। कवि के लिए इन करील कुंजों का अत्यधिक महत्त्व है। वह इन कुंजों को सैकड़ों स्वर्ण-भवनों से भी ज्यादा प्रिय एवं कीमती मानता है।
(ख) भाव-गोपी को श्रीकृष्ण की मुस्कान इतनी सुंदर लगती है कि इसे देखकर वह | अपना होश-हवास खोकर विवश हो जाती है और स्वयं को सँभाल नहीं पाती है। वह श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है।

प्रश्न 8.
‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
इसमें ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

प्रश्न 9.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।
उत्तर:
उक्त पंक्ति का काव्य-सौंदर्य निम्नलिखित है-
भाव-सौंदर्य – गोपी अपनी सखी के कहने पर श्रीकृष्ण के समान ही वस्त्राभूषण धारण तो कर लेगी पर वह श्रीकृष्ण की मुरली को अपने होंठों पर नहीं रखेगी। इस पंक्ति में गोपी का मुरली के प्रति ईष्र्याभाव प्रकट हुआ है।
शिल्प-सौंदर्य –

  1. काव्यांश में ब्रज भाषा की मधुरता निहित है।
  2. काव्यांश रचना सवैया छंद में है।
  3. ‘य’ तथा ‘र’ वर्गों की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
  4. ‘मुरली-मुरलीधर’ तथा ‘अधरान (होंठों पर) अधरा न (होंठों पर नहीं)’ में यमके अलंकार है।
  5. काव्यांश में माधुर्य गुण व्याप्त है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 10.
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैं दिल्ली निवासी हूँ। मुझे अपने नगर का चप्पा-चप्पा प्रिय है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि अगले जन्म में भी मुझे दिल्ली में ही भेजें। यदि वे मुझे जल बनाएँ तो मैं यमुना का जल बनना पसंद करूंगा। यदि पत्थर बनाएँ तो मैं राजघाट के पथ की सजावट करना चाहूँगा। यदि मुझे वनस्पति बनाएँ तो मैं बुद्ध जयंती उपवन की शोभा बनना चाहूँगा। यदि मुझे कोलतार बना दें तो मैं इसकी चौड़ी-चौड़ी सड़कों पर बिछ जाना चाहूँगा। यदि मनुष्य बनाएँ तो मैं दिल्ली वासियों की सेवा में समर्पित समाजसेवक बनना चाहूँगा। मैं किसी भी सूरत में दिल्ली से अलग नहीं होना चाहूँगा।

प्रश्न 11.
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए।
साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत - अगीत

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए। (ज) ‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर
(क) नदी अपना विरह गीत किनारों को सुनाती हुई तेजी से भागी जा रही है। ऐसा लगता है कि वह सागर से मिलने को उतावली है। उसके इस कार्य-व्यवहार को देख नदी के किनारे खड़ा गुलाब सोचता है कि यदि भगवान उसे भी बोलने की शक्ति देते तो वह भी पतझड़ के सपनों का गीत संसार का सुनाता। इससे संबंधित पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का ।
मैं भी जग को गीत सुनाता।”

(ख) शुक अपना स्नेह प्रकट करने के लिए मधुर गीत गाता है तब उसका गीत पूरे वन में गूंज जाता है, शुकी के हृद्य पर यह प्रभाव पड़ता है कि उस गीत की लहरें उसके हृदय को छू जाती हैं और वह स्नेह में ओत-प्रोत होकर मौन रह जाती है। उसे अपने स्नेह को व्यक्त करने के लिए स्वर नहीं मिल पाता। शुक का गीत सुनकर शुकी के पंख खुशी से फूल जाते हैं। वह अत्यधिक प्रसन्न हो जाती है।

(ग) जब प्रेमी प्रेम के गीत गाता है तब उसकी प्रेमिका घर छोड़कर उसके पास चली आती है। वह नीम की छाया में छिपकर उसका मधुर गीत सुनती है। तब उसकी यह इच्छा होती है कि वह भी उसके गीत की पंक्ति बन | जाए। वह उस पंक्ति में डूबकर खो जाती है और उसको गुनगुनाना शुरू कर देती है।

(घ) प्रकृति का चित्रण करते हुए कवि कहता है कि वन के सुनसान वातावरण में नदी तीव्र गति से बहती चली जा रही है। ऐसा लगता है कि वह अपनी व्यथा अपने किनारों से कह रही है और अपना दिल हल्का कर रही है। तट पर एक गुलाब का पौधा है जो किसी सोच-विचार में मग्न है।

(ङ) प्रकृति की सुंदरता पशु-पक्षियों को भी गुनगुनाने तथा चहचहाने के लिए आकुल कर देती है। दोनों अर्थात् नर और मादा में प्रेम उमड़ने लगता है। उनके क्रिया-कलाप प्रकृति के सौंदर्य के प्रेम में विलीन हो जाते हैं।

(च) मनुष्य को प्रकृति अनेक रूपों में आंदोलित करती है। उसका स्वच्छ वातावरण उसे प्रभावित करता है। प्रकृति | में सर्वत्र संगीत प्राप्त होता है। इसे सुनकर और अनुभव करके मनुष्य का मन आंदोलित+हो उठता है। संध्या के समये स्वाभाविक रूप से प्रेमी का मन आल्हा गाने के लिए ललचा उठता है। यह संध्या समय की ही मधुरता है जिसके कारण प्रेमी के हृदय में प्रेम उमड़ने लगता है।

(छ) गीत और अगीत में थोड़ा-सा अंतर होता है। मन के भावों को प्रकट करने से गीत बनता है और उन्हें मन ही मन में गुनगुनाना अगीत है। यद्यपि अगीत का प्रकट में कोई अस्तित्व नहीं किंतु यह आवश्यक है। गीत-अगीत का संबंध मन में उठने वाले भावों से होता है। जब हृदय के भाव को स्वर मिल जाते हैं तो वह गीत बन जाता हैं और उन भावों को जब स्वर नहीं मिल पाता तो वे अगीत बन जाते हैं। अगीत को अभिव्यक्ति का अवसर नहीं मिलता पर इसके अस्तित्व से इनकार नहीं किया जा सकता।

(ज) “गीत-अगीत’ कविता का केंद्रीय भाव यह है कि जिस भाव या विचार को स्वर के माध्यम से अभिव्यक्ति का अवसर मिल जाता है वह गीत है। परंतु इसके साथ अगीत के महत्त्व को भुलाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि मन-ही-मन में भावों को अनुभव करना कम सुंदर नहीं होता। अगीत मन में उमड़-घुमड़ कर रह जाता है। इसकी गूंज सुनी तो नहीं जा सकती पर अनुभव की जा सकती है।

प्रश्न 2.
संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
(क) अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता
(ख) गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर
(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है।
उत्तर
(क) प्रसंगः प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इसके कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं।
व्याख्याः नदी के तट पर अकेला खड़ा गुलाब सोचता है कि उसके अंदर भी कोमल भावनाएँ हैं। यदि ईश्वर उसे वाणी देता तो वह संसार को अपने गीत के माध्यम से अपनी कथा सुना पाता। इस प्रकार उसका अगीत गीत बन जाता।

(ख) प्रसंगः प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इसके कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं।
व्याख्याः कवि इसमें शुक पर प्रकृति के प्रभाव को दर्शाते हुए कहता है मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी प्राकृतिक सौंदर्य से चहचहाने लगते हैं। जब सूर्य की प्रातः कालीन किरण शक के अंगों को छूती है तो वह मधुर स्वर से गाने लगता है, किंतु शुकी का स्वर स्नेह में ही भीगकर रह जाता है वह अपने भावों को गीत के माध्यम से व्यक्त नहीं कर पाती।

(ग) प्रसंगः प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इसके कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं।
व्याख्याः मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति प्राकृतिक सौंदर्य का ही हिस्सा है। प्रेमी का गाया हुआ गीत प्रेमिका के हृदय तक पहुँच जाता है। तभी वह सोचती है कि हे ईश्वर! वह प्रेमी के गीत की कड़ी क्यों नहीं बनी। इस प्रकार वह मन-ही-मन सोचने लगती है। उसके शब्द गीत की ध्वनि को सुनकर वह खिंची चली आती है; पर वह गा नहीं पाती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए-
उदाहरणः तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 1
(क) यदि विधाता मुझे स्वर देते।
(ख) शुक उस घनी डाल पर बैठा।
(ग) शुक का स्वर वन में गूंज रहा।
(घ) मैं गीत की कड़ी क्यों न हुई?
(ङ) शुकी बैठकर अंडे सेती है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) “माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) “एक पथ-छाँह भी माँग मत” इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) ‘अग्निपथ’ का अर्थ है-आग से घिरा रास्ता अर्थात् कठिनाइयों से भरा रास्ता। अग्नि पथ को कवि ने संघर्षमय जीवन के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि जीवन में कदम-कदम पर संकट है, चुनौतियाँ हैं। अपने जीवन पथ पर संघर्ष के मार्ग में अनेक प्रकाश के कष्टों का सामना करना पड़ता है।

(ख) कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य की संघर्षशक्ति समाप्त हो जाती है। ‘कर शपथ’ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर आनेवाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा ‘लथपथ’ की पुनरावृत्ति द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य को केंद्रित कर जीवन । में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने के लिए किया है। इससे अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।

(ग) कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहता है कि संघर्षशील
मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुख रूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाइयों से बचने लगता है। इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) तू न थमेगा कभी।
तू न मुड़ेगा कभी।
(ख) चल रहा मनुष्य है।
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
उत्तर
(क) इस पद्यांश का आशय है-मनुष्य कष्ट भरे मार्ग पर चलते हुए कभी रुकेगा नहीं, संघर्षों से घबराएगा नहीं। वह निरंतर अग्नि पथ को चुनौती देता चलेगा।

(ख) कवि ऐसे मनुष्य का जीवन सफल मानता है जो आँखों के आँसू पीता हुआ भी, तन से पसीना बहाता हुआ भी। और खून से लथपथ होता हुआ भी निरंतर आगे बढ़ता रहे। ऐसा संघर्षशील मनुष्य धन्य है।

प्रश्न 3.
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए-
उत्तर
इस कविता का मूल भाव यह है कि जीवन एक संघर्ष के समान है, जिसे कवि अग्नि पथ मानता है। इस मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को आगे बढ़ना चाहिए। किसी के सहारे की इच्छा नहीं करनी चाहिए। इस मार्ग पर कदम-कदम पर चुनौतियों और कष्टों से सामना होता है। मनुष्य को चाहिए कि वह इन चुनौतियों से न घबराए। कष्टों से विचलित नहीं हो और अपने पुरुषार्थ पर भरोसा करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे। उसकी क्रिया में गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें रुकने, थकने या पीछे मुड़कर देखने का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए आँसू, पसीना बहाकर तथा खून से लथपथ होकर भी उसे निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति संघर्ष से पीछे नहीं हटता वहीं जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

योग्यता-विस्तार

• ‘जीवन संघर्ष का नाम है’, इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

परियोजना कार्य

• ‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 ग्राम श्री.

प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )

प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ इसलिए कहा है, क्योंकि-

  1. वहाँ खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है।
  2. हरियाली पर धूप की चमक पड़ने से लगता है कि हरियाली हँस रही है।
  3. खेतों में अनेक फसलें फल-फूल रही हैं।
  4. वृक्षों पर नाना प्रकार के फल तथा आमों के पेड़ों पर मंजरियाँ आने से वातावरण महक रहा है।
  5. गंगा के किनारे तरबूजों की खेती, तालाब में तैरते पक्षी गाँव के सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं।
  6. हरा-भरा गाँव पन्ना के (मरकत) के समान सुंदर है जो सबका मन हर रहा है।

प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर:
कविता में शिशिर ऋतु के मौसम के सौंदर्य का वर्णन है। इसी मौसम में ढाक और पीपल के पत्ते गिरते हैं। आम के वृक्षों में मंजरियाँ फूटती हैं। चारों ओर फल-फूल खिलते हैं। तितलियाँ मँडराती हैं। आलू, गोभी, पालक, धनिया आदि की फसलें भी खूब लहलहाती हैं।

प्रश्न 3.
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
गाँव में आम, नीम, जामुन, महुआ आदि के पेड़ तथा खेतों में नाना प्रकार की फसलें लहराती हैं। सारा गाँव हरा-भरा होता है, जिसे दूर से देखने पर यह मरकज जैसा लगता है। जगह-जगह खिले रंग-बिरंगे फूल, उन पर उड़ती तितलियाँ, सूरज की गुनगुनी धूप से निखरता सौंदर्य इस हरीतिमा में चमक पैदा करता है। गाँव हरा-भरा और चमकदार दिखाई देता है, इसलिए उसे मरकत के खुल डिब्बे-सा कहा गया है।

प्रश्न 4.
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर:
अरहर और सनई के सुनहरे खेतों को देखकर कवि को लगता है कि मानो वसुधा ने अपनी कमर पर सुनहरे रंग के धुंघरुओं वाली करधनी धारण कर रखी हो। आशय यह है कि अरहर और सनई पर सुनहरे रंग की बजती हुई फलियाँ उग आई हैं।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर:
भाव निम्नलिखित हैं-
(क) गंगा नदी के किनारे फैली रेत पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो रेत चमक उठती है। यह रेत रंग-बिरंगी दिखती है। पानी की लहरों और हवा के कारण इस पर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ पड़ जाती हैं जो साँपों के रेंगने से बने चिह्नों सी दिखती हैं।
(ख) हरियाली पर सूरज की किरणें पड़ने से लगता है कि वे हँस रही हैं। सूरज की धूप भी नर्म और कोमल है। लगता है कि धूप और हरियाली दोनों ही एक-दूसरे से मिलकर सोए हुए हैं।

प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक
उत्तर:

  1. अनुप्रास – ‘हिल हरित रुधिर है रहा’ में ‘ह’ और ‘र’ की आवृत्ति हैं।
  2. पुनरुक्ति प्रकाश – हरे-हरे
  3. मानवीकरण – तिनकों का तन और रुधिर दिखाया गया है। उसे मानव की तरह प्रस्तुत किया गया है।

प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
उत्तर:
कविता में गंगा के किनारे फैले विस्तृत मैदानों में किसी गाँव का वर्णन हो सकता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
‘ग्राम श्री’ सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध कविता है। यह कविता भाव तथा भाषा दोनों दृष्टियों से अत्यंत सहज तथा सुंदर है।
भाव – इस कविता में गंगा किनारे के गाँव का अत्यंत सहज और मनोरम चित्रण हुआ है। सर्दी की समाप्ति पर हलकी-हलकी ठंड है। धूप सुहावनी लगती है। खेत फसलों और फल फूलों से लद गए हैं। कवि ने एक-एक फसल का सजीव चित्र आँखों के सामने साकार कर दिया है। धूप से उजले हुए हरे तिनके, गेहूँ और जौं की बालियाँ, अरहर और सनई की सुनहरी फसलें, फूली सरसों, तेल की सुगंध से महकते खेत, रंग-बिरंगे फूलों पर नाचती रंगीन तितलियाँ, आम की मंजरियाँ, मीठे बेर, चित्तीदार अमरूद, मखमली टमाटर-कवि ने फसलों की विविधता का अत्यंत स्वाभाविक और सुंदर चित्रण किया है। इसे पढ़कर पाठक सहज ही ग्रामीण परिवेश में पहुँच जाता है।

भाषा – यह कविता भाषा की दृष्टि से बहुत सुंदर है। सहज सौंदर्य को प्रकट करने के लिए सहज सुंदर भाषा का प्रयोग किया गया है। पहली ही काव्य-पंक्ति देखिए

‘फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली।

इसमें एक-एक शब्द सधा हुआ है। ‘ल’ वर्ण की विशेष आवृत्ति हुई है। कवि ने कोमल शब्दों का प्रयोग करने में विशेष सावधानी बरती है। विशेषणों का प्रयोग करने में कवि विशेष रूप से सजग है। उदाहरण देखिए-हरित रुधिर, चिर निर्मल नील फलक, तैलाक्त गंध, फूली सरसों पीली-पीली आदि।
पंत जी ने अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा और मानवीकरण अलंकारों को कुशलतापूर्वक प्रयोग किया है। कुछ उदाहरण देखिए-

अनुप्रास              –   हिल हरित रुधिर है रहा झलक।
उपमा                 –   मरकत डिब्बे-सा खुला ग्राम।
पुनरुक्ति प्रकाश   –   तिनकों के हरे-हरे तने पर।
रूपक                –   बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती।
उत्प्रेक्षा               –   फूले फिरते हो फूल स्वयं उड़ उड़ वृतों से वृतों पर।
मानवीकरण        –   रोमांचित-सी लगती वसुधा।

प्रश्न 9.
आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर:
मैं उत्तरी दिल्ली के एक गाँव में रहता हूँ। दिल्ली में सामान्यतया वर्षा कम (सन् 2010 को छोड़कर) ही होती है। किंतु सर्दी और गर्मी इतनी पड़ती है कि वर्षा की कमी सर्दी-गर्मी पूरी कर देती हैं। यहाँ सर्दियों में तापमान 3-4°C तक गिर जाता है तो गर्मियों तापमान बढ़कर 46-47°C तक पहुँच जाता है। दिल्ली शहर कंक्रीटों और सीमेंट का जंगल बनता जा रहा है। जो कुछ हरियाली बची है वह ग्रामीण क्षेत्रों में ही है।

मुझे सर्दियों का मौसम तथा वसंत ऋतु पसंद है। इस समय तरह-तरह की फसलें और सब्जियाँ तैयार हो जाती हैं। फलों में अमरूद, केला, पपीता जैसे फल पककर तैयार होते हैं। जिन पेड़ों के पत्ते गिर चुके होते हैं उनमें नई-नई कोंपलें, फूल तथा फल आने शुरू हो जाते हैं। फूलों के खिलने, पक्षियों के कलरव तथा सर्दी-गर्मी कम होने से वातावरण मनोरम बन जाता है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में ... खुशबू रचते हैं हाथ

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ.

प्रश्न-अभ्यास

( पाठ्यपुस्तक से)

1. नए इलाके में

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?
(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?
(घ) ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
(ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है?
(च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस बिडंबना की ओर संकेत किया है।
उत्तर
(क) कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। यहाँ प्रतिदिन पुरानी इमारतें टूटती हैं। नए-नए मकान बन जाते हैं। अपने निर्धारित स्थान पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं इसलिए कवि को दिशा भ्रम हो। जाता है।

(ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है

  1. पीपल का पेड़
  2. खंडहर
  3. जमीन का खाली टुकड़ा
  4. दो मकानों के बाद रंगीन-लोहे के फाटकवाला इकमंजिला मकान आदि।

(ग) कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे या आगे इसलिए चल देता है क्योंकि अब इलाके का रूप परिवर्तित हो चुका है। वहाँ पर नई-नई ऊँची इमारतें बन चुकी हैं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थीं परंतु निशानियाँ न मिलने तथा नव-निर्माण हो जाने के कारण कवि को दिशा भ्रम हो जाता है। वह स्मृति के आधार पर पुराने निशानों को खोजता ही रह जाता है।

(घ) “बसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से अभिप्राय है-‘एक लंबा अंतराल’ जिस प्रकार दोनों ऋतुओं के बीच एक लंबा समय बीतने से परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आ जाता है। जैसे कवि ने कभी बसंत की बहार देखी थी किंतु आज उसे पतझड़ का सामना करना पड़ रहा है इसलिए कवि को पुराने निशान हूँढने पड़ते हैं क्योंकि काल और परिस्थितियों में परिवर्तन आता है।

(ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर इसलिए इशारा किया है, क्योंकि इस परिवर्तनशील संसार
में हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से अपने-अपने कार्य में व्यस्त हैं। परिस्थितियों में बड़ी तीव्रता से बदलाव आ रहा है। मनुष्य पहले से अधिक गतिशील हो गया है। सबके पास समय का अभाव है। इसलिए मन में केवल एक उम्मीद बची है कि शायद कोई जाना-पहचाना व्यक्ति उसे पहचानकर पुकार ले।”

(च) प्रस्तुत कविता में कवि ने एक ऐसी दुनिया का वर्णन किया है जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। आधुनिक शहरों की यह सबसे बड़ी विडंबना है कि आज के इस परिवर्तनशील दौर में मनुष्य संवेदनशून्य हो गया है। आपसी मित्रता और प्रेमभाव का अभाव हो गया है। मनुष्य दूर रहने के कारण एक-दूसरे के हृदय से भी दूर हो गया है। यहाँ केवल स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। कोई एक दूसरे से पहचान नहीं रखना चाहता। द्वार खटखटाने पर भी कोई किसी की सहायता नहीं करता। सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं इसलिए कवि भी इस रंग बदलती दुनिया में भ्रम का शिकार होता है।

प्रश्न 2.
व्याख्या कीजिए
(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं ।
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया।
(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
उत्तर
(क) कवि ने बताया है कि इसे बनती-बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के जमाने में यादों के आधार पर जीवन बिताना बहुत कठिन होता है। आज मनुष्य को कई बार धोखा खाना पड़ता है। क्योंकि यह दुनिया तो एक ही दिन में बदल जाती है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं होता। आज बसंत है तो केल पतझड़। समय की गतिशीलता के साथ-साथ दुनिया भी गतिशील हो गई है।

(ख) कवि कहता है कि समय के बदलते स्वरूप के कारण पहचान के पैमाने ही बदल गए हैं। बनते-बिगड़ते स्वरूप के बीच जीवन तीव्र गति से बहता चला जा रहा है। समय बहुत गतिशील है। समय के अभाव के कारण ही मनुष्य संवेदनशून्य हो गया है। नित्य नए परिवर्तन हो रहे हैं। सभी नई परिस्थितियों में व्यस्त हैं। आकाश में बादल उमड़ते जा रहे हैं। ऐसे वातावरण में आशा की एक किरण अवश्य रहती है कि शायद कोई तुम्हें पहचानकर पुकार ले।

योग्यता-विस्तार

• पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 1

2. खुशबू रचते हैं हाथ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) ‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?
(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?
(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि खुशबू रचते हैं हाथ’?
(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर
(क) “खुशबू रचनेवाले हाथ’ बहुत ही गंदी बस्तियों में, नालों और कूड़े के ढेरों के आसपास बदबूदार स्थितियों में रहते हैं। उनका रहन-सहन बहुत गंदा होता है।

(ख) कविता में निम्नलिखिते हाथों की चर्चा की गई है

  1. उभरी नसों वाले हाथ
  2. घिसे नाखूनों वाले हाथ
  3. पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ
  4. जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
  5. गंदे कटे-पिटे हाथ
  6. जखम से फटे हाथ।

(ग) कवि ने ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कहकर श्रमिकों के श्रम का जयगान किया है। कवि कहना चाहता है कि मजदूरों के हाथ ही अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं तथा सारी दुनिया को सुगंध से महमह कर देते हैं।

(घ) जिस बस्ती में, जिस गली-मुहल्ले में अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का वातावरण बहुत गंदगी भरा होता है। वहाँ चारों ओर नालियाँ और कूड़े-करकट के ढेर जमा होते हैं।

(ङ) इस कविता का उद्देश्य है-मजदूरों और कारीगरों की दुर्दशा का चित्रण करना और उनके उद्धार की चेतना जगाना। कवि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों का गंदगीपूर्ण वातावरण दिखाकर यह कहना चाहता है कि इनकी स्थितियों में सुधार होना चाहिए। इन्हें इतनी मजदूरी मिलनी चाहिए कि वे साफ-स्वच्छ वातावरण में साँस ले सकें। इनकी बस्तियों को साफ-स्वच्छ किया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
व्याख्या कीजिए-
(क)

  • पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ
    जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ।
  • दुनिया की सारी गंदगी के बीच
    दुनिया की सारी खुशबू
    रचते रहते हैं हाथ

(ख) कवि ने इस कविता में बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?
(ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?
उत्तर
(क)

  • व्याख्या-कवि ने ऐसे व्यक्तियों का वर्णन किया है जो स्वयं प्रदूषित वातावरण में रहते हुए भी दूसरों के लिए सुगंधित वस्तुओं का निर्माण करते हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने हमारा ध्यान उन छोटे बच्चों की ओर आकर्षित करना चाहा है, जिनके हाथ पीपल के नए पत्तों के समान कोमल होते। हैं तथा ऐसी स्त्रियों का वर्णन किया है, जिनके हाथ जूही की डाल के समान सुंदर और खुशबूदार होते हैं किंतु गरीबी के कारण ये अत्यंत कठोर श्रम करने को मजबूर हैं। यह इनके जीवन की एक ऐसी विडंबना है कि ये शहरों से दूर प्रदूषित वातावरण में उपेक्षित होकर जीवन बिताने के लिए विवश हैं।
  • व्याख्या-कवि ने इन पंक्तियों में समाज के एक ऐसे उपेक्षित वर्ग का चित्रण किया है जो सभी व्यक्तियों
    के लिए सुंदरता की रचना कर रहा है। स्वयं अभावों में रहते हुए भी दूसरों के जीवन में खुशहाली लाता है। खुशबू की रचना करनेवाले लोग स्वयं कितने प्रदूषित वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना कठिन है। वे दुनिया भर की गंदगी के बीच में रहते हुए दुनिया को खुशबूदार बनाने का काम करते हैं। ये शोषित और पीड़ित लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताते हुए लोगों को खुशहाली प्रदान करते हैं। ऐसे वातावरण में जहाँ चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है, वहाँ खुशबूदार अगरबत्तियों का निर्माण करते हुए स्वयं नारकीय जीवन जीने पर विवश हैं।

(ख) कविता में कवि ने बहुवचन का प्रयोग अधिक किया है; जैसे-गलियों, नालों, नाखूनों, गंदे हाथों, अगरबत्तियाँ, | मुहल्ले, गंदे लोग आदि। इनके माध्यम से कवि बताना चाहता है कि यहाँ एक कारीगर या एक मजदूर की बात नहीं बल्कि यह एक सामूहिक समस्या है। ऐसे गरीब और उपेक्षित लोग अनेक स्थानों पर काम करते
दिखाई दे जाते हैं। कवि ने बहुवचन का प्रयोग करके अपने कथन पर बल देने का प्रयास किया है।

(ग) कवि ने हाथों के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-

  • उभरी नसोंवाले
  • घिसे नाखूनोंवाले
  • पीपल के पत्ते से नए-नए
  • जूही की डाल से खुशबूदार
  • गंदे कटे-पिटे
  • जख्म से फटे हुए।

योग्यता-विस्तार

• अगरबत्ती बनाना, माचिस बनाना, मोमबत्ती बनाना, लिफाफे बनाना, पापड़ बनाना, मसाले कूटना आदि लघु उद्योगों के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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