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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

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Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) भटः कस्य ग्रहणम् अकरोत्?
उत्तर:
भटः सौभद्रस्य ग्रहणम् अकरोत्।

(ख) अभिमन्युः कथं गृहीतः आसीत् ?
उत्तर:
अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।

(ग) भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः किमर्थम् उत्तरं न ददाति?
उत्तर:
भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः उत्तरं न ददाति यतः सः अपहरणेन क्षुब्धः आसीत्।

(घ) अभिमन्युः स्वग्रहणे किमर्थं वञ्चितः इव अनुभवति?
उत्तर:
अभिमन्युः स्वग्रहणे वञ्चितः इव अनुभवति यतः सः अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।

(ङ) कस्मात् कारणात् अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते?
उत्तर:
अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते यतः अनेनैव तस्य पितरः दर्शिताः

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

प्रश्न 2.
अंधोलिखितवाक्येषु प्रकटितभावं चिनुत-
(क) भोः को नु खल्वेषः? येन भुजैकनियन्त्रितो बलाधिकेनापि न पीडितः अस्मि। (विस्मयः, भयम्, जिज्ञासा)
उत्तर:
विस्मयः।

(ख) कथं कथं! अभिमन्यु माहम्। (आत्मप्रशंसा, स्वाभिमानः, दैन्यम्)
उत्तर:
स्वाभिमानः।

(ग) कथं मां पितृवदाक्रम्य स्त्रीगतां कथां पृच्छसे? (लज्जा, क्रोधः, प्रसन्नता)
उत्तर:
क्रोधः।

(घ) धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते मम तु भुजौ एव प्रहरणम्। (अन्धविश्वासः, शौर्यम्, उत्साहः)
उत्तर:
शौर्यम्।

(ङ) बाहुभ्यामाहृतं भीमः बाहुभ्यामेव नेष्यति। (आत्मविश्वासः, निराशा, वाक्संयमः)
उत्तर:
आत्मविश्वासः।

(च) दिष्ट्या गोग्रहणं स्वन्तं पितरो येन दर्शिताः। (क्षमा, हर्षः, धैर्यम्)
उत्तर:
हर्षः।

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प्रश्न 3.
यथास्थानं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत
उत्तर:
(क) खलु + एषः = खल्वेषः।
(ख) बल + अधिकेन + अपि = बलाधिकेनापि
(ग) विभाति + उमावेषम = विभात्युमावेषम्।
(घ) वाचालयतु + एनम् = वाचालयत्वेनम्।
(ङ) रुष्यति + एष = रुष्यत्येष।
(च) त्वमेव + एनम् = त्वमेवैनम्।
(छ) यातु + इति = यात्विति।
(ज) धनञ्जयाय + इति = धनञ्जयायेति।

प्रश्न 4.
अधोलिखितानि वचनानि कः कं प्रति कथयति
यथा – कः – कं प्रति
आर्य, अभिभाषणकौतूहलं मे महत्। – बृहन्नला – भीमसेनम्
उत्तर
(क) कथमिदानीं सावज्ञमिव मां हस्यते? – अभिमन्युः – बृहन्नलाम्
(ख) . अशस्त्रेणेत्यभिधीयताम्। – अभिमन्युः – भीमसेनम्
(ग) पूज्यतमस्य क्रियतां पूजा। – उत्तरः – राजानम्
(घ) पुत्र! कोऽयं मध्यमो नाम। – भगवान्। – अभिमन्युम्
(ङ) शान्तं पापम् ! धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते। – भीमसेनः – अभिमन्युम्

प्रश्न 5.
अधोलिखितानि स्थूलानि सर्वनामपदानि कस्मै प्रयुक्तानि

(क) वाचालयतु एनम् आर्यः।
उत्तर:
अभिमन्यवे।

(ख) किमर्थं तेन पदातिना गृहीतः।
उत्तर:
भीमाय।

(ग) कथं न माम अभिवादयसि।.
उत्तर:
राज्ञे।

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(घ) मम तु भुजौ एव प्रहरणम्।
उत्तर:
भीमसेनाय।

(ङ) अपूर्व इव ते हर्षो ब्रूहि केन विस्मितः?
उत्तर:
भटाय।

प्रश्न 6.
श्लोकानाम् अपूर्णः अन्वयः अधोदत्तः। पाठमाधृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(क) पार्थं पितरम् मातुलं जनार्दन म उद्दिश्य कृतास्त्रस्य तरुणस्य युद्धपराजयः युक्तः।
(ख) कण्ठश्लिष्टेन बाहुना जरासन्धं योक्त्रयित्वा तत् असह्यं कर्म कृत्वा (भीमेन) कृष्णः अतदर्हतां नीतः।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम् Summary Translation in Hindi and English

1. संकेत-भटः-जयतु ………………………………..तिरस्क्रियते

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

हिन्दी सरलार्थ:
भट-महाराज की जय हो।
राजा-तुम्हारी प्रसन्नता अद्भुत-सी लग रही है, बताओ किस कारण इतने प्रसन्न हो?
भट-अविश्वसनीय प्रिय प्राप्त हो गया है, अभिमन्यु पकड़ लिया गया है। राजा-अब वह किस प्रकार पकड़ लिया गया है? भट-रथ पर पहुँचकर निश्शङ्क भाव से हाथों द्वारा उतार लिया गया है।
(प्रकट रूप से) इस ओर, इस ओर से कुमार।
अभिमन्यु-अरे यह कौन? जिसने एक हाथ से पकड़ कर अधिक बलशाली होकर भी मुझे पीड़ित नहीं किया।
बृहन्नला-कुमार इधर चलें।
अभिमन्यु-अरे! यह दूसरा कौन है, ऐसा लग रहा है जैसे महादेव ने उमा का वेष ग्रहण किया हो।
बृहन्नला-आर्य! मुझे इससे बात करने की बहुत उत्सुकता हो रही है। आप इसे बोलने के लिए प्रेरित करें।
भीमसेन-(एक ओर को) अच्छा (प्रकट रूप से) अभिमन्यु! अभिमन्यु-अभिमन्यु? भीमसेन-यह मुझसे चिढ़ता है, तुम्हीं इसे बात करने के लिए प्रेरित करो। बृहन्नला-अभिमन्यु!
अभिमन्यु-क्यों, मेरा नाम अभिमन्यु है? अरे! क्या यहाँ विराटनगर में क्षत्रिय-कुमारों को नीच लोग भी नाम लेकर पुकारते हैं, अथवा मैं शत्रुओं के अधीन हो गया, इसलिए अपमानित किया जा रहा है मुझे।

English translation:
Soldier-May the King be victorious!
King-Your happiness is strange today. Tell, why are you so happy?
Soldier-Unbelievable happiness has been achieved. Abhimanyu has been captured.
King-How has he been captured?
Soldier-By going on the chariot, he has been brought down without any hitch. (Clearly) This way, this way oh prince!
Abhimanyu-Oh! who is he? Holding me by one hand and being very powerful even he has not troubled me.
Brihannala-Oh prince! Please come this way.
Abhimanyu-Oh! who is this other one. It seems to be that Lord Shiva has assumed the form of Uma.
Brihannala-Oh! gentleman! I am eager to talk to him. Please, encourage him to talk.
Bhimasena-(Towards a side) O.K. (Clearly) Abhimanyu!
Abhimanyu-Abhimanyu!
Bhimsena-He is angry with me. You please encourage him to talk.
Brihannala-Abhimanyu!
Abhimanyu-What, my name is Abhimanyu? Oh! Are the Kshatriya-princes called by name by the low-grade people in Virat city? Or am I under the control of the enemies? That is why I have been insulted.

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

संकेत-बृहन्नला-अभिमन्यो! सुखमास्ते ………………………….. केनायं गृहीतः?

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

हिन्दी सरलार्थ बृहन्नला-अभिमन्यु! तुम्हारी माता सकुशल है?
अभिमन्यु-क्या, क्या? माता? क्या आप मेरे पिता या चाचा हैं? आप क्यों मुझ पर पिता के समान अधिकार दिखाकर माता के सम्बन्ध में प्रश्न कर रहे हैं?
बृहन्नला-अभिमन्यु! देवकीपुत्र केशव सकुशल हैं?
अभिमन्यु-क्या आदरणीय कृष्ण को भी नाम से……? और क्या, और क्या! (कुशल हैं) (दोनों एक-दूसरे की ओर देखते हैं)
अभिमन्यु-ये मेरे ऊपर अज्ञानी की तरह क्यों हँस रहे हैं?
बृहन्नला-क्या कुछ ऐसा ही नहीं है? पिता पार्थ तथा मामा श्रीकृष्ण वाला युवक : युद्ध में निपुण होकर भी युद्ध में परास्त हो जाता है।
अभिमन्यु-स्वच्छन्द प्रलाप करना बन्द करो। हमारे कुल में आत्म प्रशंसा करना अनुचित है। युद्ध क्षेत्र में मेरे बाणों से मारे हुए सैनिकों के शरीरों को देखिए, (बाणों पर) मेरे अतिरिक्त दूसरा नाम नहीं होगा।
बृहन्नला-अरे वाणी की ऐसी वीरता! फिर उन्होंने तुम्हें पैदल ही क्यों पकड़ लिया?
अभिमन्यु-वे अशास्त्र (शस्त्रहीन) होकर मेरे सामने आए। पिता अर्जुन को याद करके मैं उन्हें कैसे मारता? मुझ जैसे लोग शस्त्रहीन पर प्रहार नहीं करते। अतः इस शस्त्रहीन ने मुझे धोखा देकर पकड़ लिया।
राजा-तुम उस अभिमन्यु को शीघ्र बुला लाओ। बृहन्नला-कुमार इधर आएँ। यह महाराज हैं। आप समीप जाएँ। अभिमन्यु-आह। किसके महाराज? . राजा-आओ, आओ पुत्र! तुम मुझे प्रणाम क्यों नहीं करते? (मन में)
अरे! यह क्षत्रियकुमार बहुत घमण्डी है। मैं इसका घमण्ड शान्त करता हूँ। (प्रकट रूप से) तो इसे किसने पकड़ा?

English translation: Brihannala-Abhimanyu! Is your mother alright?
Abhimanyu-What, what? Mother? Are you my father or father’s brother? Why are you asking about my mother showing.. the right of a father towards me?…
Brihannala-Abhimanyu! Is Keshav, Son of Devki alright?
Abhimanyu-What! Respectable Krishna is also called by name…..? why is it so! why is it so! (Both look towards each other)…
Abhimanyu-Why is he laughing at me as if I am a fool? … Brihannala-No not so at all. Your father is Arjun and maternal uncle is lord Krishna, you are in your prime as also learned to war-craft and strategy yet you are defeated.
Abhimanyu-Stop this nonsense and sarcasm. Self-praise is prohibited in our family. Just have a look on the bodies of the soldiers killed by my arrows in the battle field. You will not see any other name except mine on the arrows.
Brihannala-Oh such an oration skill! Why then you have been arrested by the unarmed men?
Abhimanyu-They came before me unarmed. How could I kill them if well remembered the glory of my father Arjun. People like me do not attack on the people who are unarmed. So unarmed people under fraud have arrested me.
King-Call Abhimanyu quickly.
Brihannala-Prince, please come here. Here is the King, please, see him quickly.
Abhimanyu-Ah! whose King?
King-Come, come my son. Why don’t you salute me? (Soliloque) Oh! This Kshatriya-prince is very arrogant. I pacify his arrogance. (expressively). Then tell me, who has caught him?

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

संकेत-भीमसेनः-महाराज! मया ……………………………. तम् आलिङ्गन्ति।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

हिन्दी सरलार्थ भीमसेन-महाराज! मैंने। अभिमन्यु-शस्त्रहीन होकर पकड़ा’-ऐसा कहिए।
भीमसेन-शान्त हो जाइए। धनुष तो दुर्बलों के द्वारा उठाया जाता है। मेरी तो भुजाएँ ही शस्त्र हैं।
अभिमन्यु-नहीं! क्या आप हमारे मध्यम तात हैं, जो उनके समान वचन बोल रहे हैं।
भगवान्-पुत्र! यह मध्यम तात कौन हैं?
अभिमन्यु-सुनिए-जिसने अपनी भुजाओं से जरासन्ध का कण्ठावरोध करके कृष्ण के लिए जो असाध्य कार्य था, उसको साध्य बना दिया था।
राजा-तुम्हारे निन्दापूर्ण वचनों से मैं चिढ़ता नहीं हूँ। तुम्हारे चिढ़ने से मुझे आनन्द प्राप्त होता है। तुम यहाँ क्यों खड़े हो, जाओ यहाँ से-यदि मैं ऐसा कहूँ तो क्या मैं अपराधी नहीं होऊँगा?
अभिमन्यु-यदि आप मुझ पर कृपा करना चाहते हैं तो-
मेरे पैर बाँधकर मुझे उचित दण्ड दीजिए। मैं हाथों से पकड़कर लाया गया हूँ। मेरे मध्यम तात भीम मुझे हाथों से ही छुड़वाकर ले जाएँगे। (तब उत्तर का प्रवेश)
उत्तर:भगवन् ! मैं प्रणाम करता हूँ।
राजा-दीर्घायु हो पुत्र! क्या युद्ध में वीरता दिखाने वाले वीरों का सत्कार कर दिया गया है?
उत्तर:अब सबसे अधिक पूज्य की पूजा कीजिए।
राजा-किसकी पूजा पुत्र? उत्तर:यहीं मौजूद अर्जुन की। राजा-क्या अर्जुन यहाँ आए हैं? उत्तर:और क्या? पूज्य अर्जुन ने श्मशान से अपना धनुष तथा अक्षय तरकश लेकर भीष्म आदि राजाओं को परास्त कर दिया तथा हम लोगों की रक्षा की।
राजा-ऐसी बात है? उत्तर:आप अपना सन्देह दूर करें। धनुर्विद्या में प्रवीण अर्जुन यही हैं। बृहन्नला–यदि मैं अर्जुन हूँ तो यह भीमसेन है और यह राजा युधिष्ठिर हैं।
अभिमन्यु-ये मेरे पूज्यं पितागण हैं, इसीलिए मेरे निन्दापूर्ण वचनों से ये क्रुद्ध नहीं होते और हँसते हुए मुझे चिढ़ाते हैं। . गौ-अपहरण की यह घटना सौभाग्य से सुखांत हुई है। इसी के कारण मुझे अपने सभी पिताओं के दर्शन हो गए।
(ऐसा कहकर क्रम से सबको प्रणाम करता है और सब उसका आलिंगन करते हैं।)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

English Translation:
Bhimasena-My Lord! I have (Caught him).
Abhimanyu-Say-‘I had caught him when he was devoid of weapons’.
Bhimasena-Please be quiet. A bow is held by the weak people. My arms are my weapons.
Abhimanyu-No! don’t speak so. Are you my second (middle) father who speaks similar words.
Bhagwan-Son! who is this second father?
Abhimanyu-Please listen. Who strangled Jarasandha by his arms folded and thus, converted lord Krishna’s inability into accomplishments.
King-I am not irritated by your insulting remarks but at the same time, feel complacence to see you so irritated. What evidence has you to say “I am not an offender?”.
Abhimanyu-If you want to oblige me then Tie me with the string like a prisoner. I have been brought here tied with hands and my second father Bhim will take me away from here by making me free with the help of hands only.
(Then enters Uttar) Uttar-Oh father! I salute you.
King-Be you long-lived my son! Are the heroes duly rewarded with honours for doing heroic deeds in the battle.
Uttar-Now remains the most honourable one to be worshipped.
King-Whose worship son? Uttar-Of respectable Arjuna.
King-What of Arjuna?
Uttar-Yes, the respectable Arjuna has defeated Kings like Bhishma and others taking his bow and arrow-case from the cemetery and defended us.
King-Is it so?
Uttar-Do not have any doubt. This very person is Arjuna, an expert in archery.
Brihannala-If I am Arjuna, then this is Bhimasena and this is King Yudhishthira.
Abhimanyu—These are my respectable fathers, therefore.
They do not get angry with my taunting words. They irritate me by laughing. Luckily, this act of stealing the cows had a happy end because, by this only; I could see all my fathers. (Saying so, he bows to all of them and all embrace him.)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

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Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) यत्नेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा?
उत्तर:
यत्नेन वृत्तं रक्षेत्।

(ख) अस्माभिः (किं न समाचरेत्) कीदृशम् आचरणं न कर्तव्यम्?
उत्तर:
अस्माभिः आत्मनः प्रतिकूलम् आचरणं न कर्तव्यम्।

(ग) जन्तवः केन विधिना तुष्यन्ति?
उत्तर:
जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।

(घ) पुरुषैः किमर्थं प्रयत्नः कर्तव्यः?
उत्तर:
पुरुषै गुणेष्वेव प्रयत्नः कर्तव्यः।

(ङ) सज्जनानां मैत्री कीदृशी भवति?
उत्तर:
सज्जनानां मैत्री पुरा लघ्वी पश्चात् च वृद्धिमती भवति।

(च) सरोवराणां हानिः कदा भवति?
उत्तर:
मरालैः सह वियोगेण सरोवराणां हानिः भवति।।

(छ) नद्याः जलं कदा अपेयं भवति?
उत्तर:
भाद्रमासाद्य नद्याः जलम् अपेयं भवति।

प्रश्न 2.
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि, तानि यथोचितं योजयत
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) आस्वाद्यतोयाः – (1) खलानां मैत्री
(ख) गुणयुक्तः – (2) सज्जनानां मैत्री
(ग) दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – (3) नद्यः
(घ) दिनस्य परार्द्धभिन्ना – (4) दरिद्रः
उत्तर:
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) आस्वाद्यतोयाः – (3) नद्यः
(ख) गुणयुक्तः – (4) दरिद्रः
(ग) दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – (1) खलानां मैत्री
(घ) दिनस्य परार्द्धभिन्ना – (2) सज्जनानां मैत्री

प्रश्न 3.
अधोलिखितयोः श्लोकद्वयोः आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत
(क) आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्रपरार्द्धभिन्ना।
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।
उत्तर:
भाव हिन्दी में-दुष्टों और सज्जनों की मित्रता में अंतर स्पष्ट करते हुए आचार्य भर्तहरि कहते हैं कि जिस प्रकार छाया दिन के आरम्भ में बडी होती है तथा धीरे-धीरे छोटी होती जाती है। उसी प्रकार दुष्टों की मित्रता पहले गहरी होती है और धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसके विपरीत जिस प्रकार दोपहर में छाया छोटी होती है, धीरे-धीरे बढ़ती है, इसी प्रकार सज्जनों की मित्रता पहले कम तथा धीरे-धीरे दूसरे के गुण-स्वभाव आदि समझकर बढ़ती है।

Substance in English-Acharya Bhartrhari differentiates between the friendship of a wicked and that of a gentleman–Just as the shadow is big in the morning but becomes small at the noon similar is the friendship of the wicked that swings high in the beginning but shortly it decreases. However, friendship of the gentlemen appears meagre first but it increases gradually by understanding the qualities of the friend. It happens as the shadow is small in the beginning of the second half of the day (i.e. noon) but slowly it increases till the befall of the night.

(ख) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेवः वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।
उत्तर:
भाव-मधुर वचन बोलने से सभी प्रसन्न होते हैं, अतः मनुष्य को मधुर वचन बोलने में कृपणता नहीं बरतनी चाहिए।
Substance in English-As sweet words propitiate all people, one should not become miser in the expression of words in benevolence (i.e. sweet words).

प्रश्न 4.
अधोलिखितपदेभ्यः भिन्नप्रकृतिकं पदं चित्वा लिखत

(क) वक्तव्यम्, कर्त्तव्यम्, सर्वस्वम्, हन्तव्यम्।
उत्तर:
सर्वस्वम्।।

(ख) यत्नेन, वचने, प्रियवाक्यप्रदानेन, मरालेन।
उत्तर:
मरालेन।

(ग) श्रूयताम्, अवधार्यताम्, धनवताम्, क्षम्यताम्।।
उत्तर:
धनवताम्।

(घ) जन्तवः, नद्यः, विभूतयः, परितः।
उत्तर:
परितः।

प्रश्न 5.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्यनिर्माणं कुरुत
(क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।
उत्तर:
कस्मात् क्षीणः हतः भवति?

(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
उत्तर:
किं श्रुत्वा अवधार्यताम् ?

(ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।
उत्तर:
के फलं न खादन्ति?

(घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।
उत्तर:
केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति?

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयत-
यथा-
सः पाठं पठति। – सः पाठं पठतु।
उत्तर:
(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति – नद्य आस्वाधतोयाः सन्तु।
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति – सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।
(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि – त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचर।
(घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति – ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्तु।
(ङ) अहं परोपकाराय कार्यं करोमि – अहं परोपकराय कार्य करवाणि।

प्रश्न 7.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितां विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत यथा- तेषां मरालेः सह विप्रयोगः भवति। (मराल)
उत्तर:
(क) अध्यापकैः सह छात्रः शोधकार्यं करोति। (अध्यापक)
(ख) पित्रा सह पुत्र आपणं गतवान्। (पित)
(ग) किं त्वम् मुनिना सह मन्दिरं गच्छसि? (मुनि)
(घ) बालः मित्रेण सह खेलितुं गच्छति। (मित्रम्)

परियोजनाकार्यम्

(क) परोपकारविषयकं श्लोकद्वयम् अन्विष्य स्मृत्वा च कक्षायां सस्वरं पठ।
उत्तर:
परोपकारविषयक श्लोक (दो)
1. परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः।
परोपकारार्थमिदं शरीरम्।।

2. श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुण्डलेन,
दानेन पाणिर्न तु कङ्कणेन।
विभाति कायः करुणापराणां,
परोपकारेण न चन्दनेन।

छात्र इन श्लोकों को याद करें तथा अध्यापक के सहयोग से उनका कक्षा में सस्वर पाठ करें।

(ख) नद्याः एक सुन्दरं चित्रं निर्माय संकलय्य वा वर्णयत यत् तस्याः तीरे मनुष्याः पशवः खगाश्च निर्विघ्नं जलं पिबन्ति।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से नदी का चित्र बनाएँ तथा वर्णन करें कि उसके .तट पर मनुष्य, पशु-पक्षी सब बिना कष्ट पानी पीते हैं।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Summary Translation in Hindi and English

1. वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 1

हिन्दी सरलार्थ-आचरण की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए क्योंकि धन तो आता जाता रहता है। धन से हीन व्यक्ति तो सम्पन्न हो जाता है किन्तु आचरण से हीन व्यक्ति पूर्णतः नष्ट हो जाता है।

Meaning in English-One should protect his character (or behaviour) with special effort because wealth comes and goes out. A person who has lost wealth again becomes wealthy but a… person who has lost character once, is destroyed completely.

2. श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 2

हिन्दी सरलार्थ-धर्म का तत्त्व सुनो और सुनकर उसे ग्रहण करो। अपने से प्रतिकूल व्यवहार का आचरण दूसरों के प्रति कभी नहीं करना चाहिए।

Meaning in English-Listen to the essence of righteousness and after listening, try to follow it. One should not behave in the manner towards others which is not proper for one self.

3. प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माद् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 3

हिन्दी सरलार्थ-प्रिय वाक्य बोलने से सभी प्राणी संतुष्ट होते हैं, अतः प्रिय वाक्य ही बोलने चाहिएँ तथा बोलने में कैसी निर्धनता?

Meaning in English-All the living beings are satisfied by speaking sweet words, so one should speak sweet words only and one should not be miser in speaking such words.

4. पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 4

हिन्दी सरलार्थ-नदियाँ स्वयं जल नहीं पीती, वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते, बादल अन्न को स्वयं नहीं खाते; इसी प्रकार सज्जनों की सम्पत्तियाँ भी दूसरों के उपकार के लिए होती है।

Meaning in English-The rivers do not drink water themselves, the trees do not eat the fruits themselves and the clouds also do not eat the cereals themselves. Similarly, the riches of the gentlemen are for helping others only not for their own good.

5. गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 5 NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 6

हिन्दी सरलार्थ-मनुष्य को सदां गुणों को प्राप्त करने का ही प्रयत्न करना चाहिए। दरिद्र होता हुआ भी गुणवान् व्यक्ति ऐश्वर्यशाली गुणहीन के समान नहीं हो सकता (अर्थात् वह उससे कहीं अधिक श्रेष्ठ होता है।)

Meaning in English-A man should always make effort to obtain the virtues. A virtuous poor man can never be equal to a wealthy but meritless man (i.e. a virtuous poor man is definitely better than a wealthy meritless man).

6. आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लध्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वापरार्द्धभिन्ना
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 7

हिन्दी सरलार्थ-आरम्भ में बड़ी फिर धीरे-धीरे होने वाली तथा पहले छोटी फिर धीरे-धीरे बढ़ने वाली पूर्वाह्न तथा अपराह्न काल की छाया की तरह दुष्टों और सज्जनों की मित्रता अलग-अलग होती है।

Meaning in English-The friendship of the wicked and the good people differs like the shadow in the first and the second half of the day respectively; wickedman’s friendship is hilarious in the beginning but painful in the end while good man’s friendship is painful in the beginning but hilarious it becomes afterwards in ascending order.

7. यत्राणि कुत्रापि गता भवेयु
हंसा महीमण्डलमण्डनाय।
हानिस्तु तेषां हि सरोवराणां
येषां मरालैः सह विप्रयोगः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 8

हिन्दी सरलार्थ-पृथ्वी को सुशोभित करने वाले हंस भूमण्डल में सर्वत्र प्रवेश करने में सक्षम हैं, हानि तो उन सरोवरों की ही है जिनका उन हंसों से वियोग (अलग होना) हो जाता है।

Meaning in English-What to say abot capacity to flamingos as these are meritorious to adorn all and every pond existed on this earth. It is the trouble of separation experienced by the ponds because they are left un-inhabited.

8. गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
आस्वायतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रमासाय भवन्त्यपेयाः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 9

हिन्दी सरलार्थ-गुणवान् लोगों में रहने के कारण ही गुणों को सगुण कहा जाता है। गुणहीनों को प्राप्त करके वे दुर्गुण (दोष) बन जाते हैं; उदाहरणार्थ-नदियाँ सुस्वादु जल वाली होती हैं किन्तु समुद्र को प्राप्त करके कुस्वादु (नमकीन) हो जाती हैं।

Meaning in English-The merits are merits by the time, they experience the acquaintance of the meritorious people. They become demerits by befriending a person who is meritless. Similarly, the rivers contain fresh and mineral drinkable (tasty) water but the very water becomes not fit for drinking (saline) when it reaches into the ocean.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः

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Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 4 कल्पतरूः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम. उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) कञ्चनपुरं नाम नगरं कुत्र विभाति स्म?
उत्तर:
कञ्चनपुरं नाम नगरं हिमालयपर्वतस्य सानोः उपरि विभाति स्म।

(ख) जीमूतकेतुः किं विचार्य जीमूतवाहनं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्?
उत्तर:
स्वपुत्रस्य गुणैः प्रसन्नः स्वसचिवैश्च प्रेरितः जीमूतकेतुः सम्प्राप्तयौवनं जीमूतवाहनं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्।

(ग) कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर:
कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः अचिन्तयत् “परोपकारैकफलसिद्धये इमं कल्पपादपम् आराधयामि”।

(घ) पाठानुसारं संसारेऽस्मिन् किं किं नश्वरम् किञ्च अनश्वरम् ?
उत्तर:
पाठानुसारं संसारेऽस्मिन् आशरीरमिदं सर्वं धनं नश्वरम्, एकः परोपकार एवानश्वरः।

(ङ) जीमूतवाहनस्य यशः सवत्र कथं प्रथितम् ?
उत्तर:
सर्वजीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः सर्वत्र प्रथितम्।

प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि?

(क) तस्य सानोरुपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम् ।
उत्तर:
हिमवते।

(ख) राजा सम्प्राप्तयौवनं तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्?
उत्तर:
जीमूतवाहनाय।

(ग) अयं तव सदा पूज्यः।
उत्तर:
कल्पवृक्षाय।

(घ) तात्! त्वं तु जानासि यत् धनं वीचिवच्चञ्चलम् ।
उत्तर:
जीमूतकेतवे।

प्रश्न 3.
अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं पाठात् चित्वा लिखत
उत्तर:
(क) पर्वतः = नगेन्द्रः
(ख) भूपतिः = राजा
(ग) इन्द्रः = शक्रः
(घ) धनम् = अर्थः
(ङ) इच्छितम् = अर्थितः
(च) समीपम् = अन्तिकम्
(छ) धरित्रीम् = पृथ्वीम्
(ज) कल्याणम् = स्वास्ति, हितम
(झ) वाणी: = वक्र
(ञ) वृक्षः = तरुः

प्रश्न 4.
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि। तानि समुचितं योजयत
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) कुलक्रमागतः – (1) परोपकारः
(ख) दानवीरः – (2) मन्त्रिभिः
(ग) हितैषिभिः – (3) जीमूतवाहनः
(घ) वीचिवच्चञ्चलम् – (4) कल्पतरुः
(ङ) अनश्वरः – (5) धनम्
उत्तर:
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) कुलक्रमागतः – (4) कल्पतरुः
(ख) दानवीरः – (3) जीमूतवाहनः
(ग) हितैषिभिः – (2) मन्त्रिभिः
(घ) वीचिवच्चञ्चलम् – (5) धनम्
(ङ) अनश्वरः – (1) परोपकारः

प्रश्न 5.
(क) “स्वस्ति तुभ्यम्’ स्वस्ति शब्दस्य योगे चतुर्थी विभक्तिः भवति। इत्यनेन नियमेन अत्र चतुर्थी विभक्तिः प्रयुक्ता। एवमेव (कोष्ठकगतेषु पदेषु) चतुर्थी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(i) स्वस्ति राज्ञे (राजा)।
(ii) स्वस्ति प्रजायै (प्रजा)।
(iii) स्वस्ति छात्राय (छात्र)।
(iv) स्वस्ति सर्वजनाय (सर्वजन)।

(ख) कोष्ठकगतेषु पदेषु पष्ठी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(i) तस्य गृहस्य उद्याने कल्पतरुः आसीत्। (गृह)
(ii) सः पितुः अन्तिकम् अगच्छत्। (पित)।
(iii) जीमूतवाहनस्य सर्वत्र यशः प्रथितम्। (जीमूतवाहन)
(iv) अयं कस्य तरूः? (किम्)

प्रश्न 6.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) तरोः कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्।
उत्तर:
कस्य कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्?

(ख) सः कल्पतखे न्यवेदयत्।
उत्तर:
सः कस्मै न्यवेदयत् ?

(ग) धनवृष्ट्या कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्।
उत्तर:
कया कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्?

(घ) कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्।
उत्तर:
कल्पतरुः कुत्र धनानि अवर्षत्?

(ङ) जीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्।
उत्तर:
कया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्?

प्रश्न 7.
(क) यथास्थान समास विग्रहं च कुरुत
उत्तर:
(i) विद्याधराणां पतिः = विद्याधरपति
(ii) गृहस्य उद्याने = गृहोद्याने
(iii) नगानाम् इन्द्र = नगेन्द्रः
(iv) परेषाम् उपकारः = परोपकारः
(v) जीवानाम् अनुकम्पया = जीवानुकम्पया

(ख) उदाहरणमनुसृत्य मतुप (मत्, वत्) प्रत्ययप्रयोगं कृत्या पदानि रचयत
यथा-
हिम + मतुप् : = हिमवान्।
श्री + मतुप् = श्रीमान्।
उत्तर:
(i) शक्ति + मतुप = शक्तिमान्।
(ii) धन + मतुप = धनवान्।
(iii) बुद्धि + मतुप = बुद्धिमान्
(iv) धैर्य + मतुप् = धैर्यवान।
(v) गुण + मतुप् = गुणवान्।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः Summary Translation in Hindi and English

संकेत-“अस्ति हिमवान् …………………………… शक्नुयात्” इति।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 1 NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 2

हिन्दी अनुवाद: सब रत्नों की भूमि पर्वतों का राजा हिमालय है। उस पर्वत के शिखर पर कञ्चनपुर नामक नगर है। वहाँ श्रीमान् विद्याधरपति जीमूतकेतु रहता था। उसके गृहोद्यान में वंश परंपरा से प्राप्त कल्पवृक्ष लगा हुआ था। उस कल्पवृक्ष की पूजा करके तथा उसकी कृपा से राजा जीमूतकेतु ने बोधिसत्व के अंश से उत्पन्न जीमूतवाहन नामक पुत्र को प्राप्त किया। वह अत्यन्त दानी तथा सब प्राणियों पर दया करने वाला था। उसके गुणों से प्रसन्न तथा मंत्रियों से प्रेरित राजा ने उचित समय पर यौवन सम्पन्न अपने पुत्र जीमूतवाहन का युवराज के पद पर अभिषेक कर दिया। युवराज के पद पर स्थित उस जीमूतवाहन से उसके हितैषी पिता तथा मंत्रियों ने कहा-“हे युवराज ! जो यह सारी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला कल्पतरु तुम्हारे उद्यान में स्थित है, वह तुम्हारे लिए सदा पूज्य है। इसके सहायक होने पर इन्द्र भी हमें कोई बाधा नहीं पहुँचा सकता।”

Meaning in English: Himalaya, a king of mountains, is the place for all types of gems. There is a city named Kanchanpur on the peak of that mountain. Very wealthy and very learned king Jimutketu lived there. There was a Kalpa-tree in his royal garden which existed there since his earlier several generations. By worshipping that tree and by its grace, king Jimutketu obtained the son Jimutvahana who was endowed with the virtues of Bodhisattva. He was very generous and kind towards all creatures. Being satisfied by his qualities and being inspired by his ministers, the king coronated his young son at proper time as the successor king of the kingdom.

Jimutvahana, the successor king, was once told by his well wisher-ministers and father thus—”Oh crown king ! This Kalpa tree, grown in your garden, fulfils all of desires. It is therefore, always respectable for you. If it is favourable, even Lord Indra cannot cause us any trouble.”

संकेत-आकर्यैतत् ………………………… यशः प्रथितम्।
शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 3
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 4

हिन्दी अनुवाद: ऐसा सुनकर जीमूतवाहन ने मन में सोचा-“अरे ! आश्चर्य है। ऐसे अमर वृक्ष को प्राप्त करके भी हमारे पूर्वजों ने ऐसा कुछ भी फल प्राप्त नहीं किया और केवल कुछ गरीब लोगों ने थोड़ा धन ही मांगा। अतः मैं इस वृक्ष से अभीष्ट मनोरथ सिद्ध करता हूँ।” ऐसा सोचकर वह पिता के पास आया। आकर सुखपूर्वक बैठे हुए पिता से एकान्त में निवेदन किया-“पिताजी ! आप तो जानते ही हैं कि इस संसार सागर में शरीर सहित सारा धन लहरों की तरह चंचल (नश्वर) है। इस संसार में एक परोपकार ही अनश्वर है जो युगान्त तक यश फैलाता है। यदि ऐसा है तो हम ऐसे कल्पवृक्ष की रक्षा क्यों कर रहे हैं? जिन पूर्वजों ने ‘मेरा मेस’ कहकर इस वृक्ष की रक्षा की, वे अब कहाँ गए? उनमें से किसका है यह? या इसके वे कौन हैं? तो आपकी आज्ञा से ‘परोपकार’ की फल सिद्धि के लिए मैं इस कल्पवृक्ष की आराधना करता हूँ।”

“अच्छा ठीक है” पिता के द्वारा ऐसी आज्ञा प्राप्त करके कल्पवृक्ष के पास पहुंचकर जीमूतवाहन ने कहा-“हे देव ! तुमने हमारे पूर्वजों की अभीष्ट इच्छाएँ पूर्ण की हैं, तो मेरी एक इच्छा पूरी कर दो। आप इस पृथ्वी को निर्धनों से रहित कर दो, देव ।” जीमूतवाहन के ऐसा कहते ही उस वृक्ष में से आवाज निकली “तुम्हारे द्वारा इस तरह त्यागा हुआ मैं जा रहा हूँ।”

उस कल्पवृक्ष ने क्षणभर में ही स्वर्ग की ओर उड़कर पृथ्वी पर इतने धन की वर्षा की कि कोई भी निर्धन नहीं रहा। सब प्राणियों पर दया करने से इस तरह उस जीमूतवाहन का यश सब जगह प्रसिद्ध हो गया।

Meaning in English: Hearing this Jimutvahan thought “Oh! It is strange that even after achieving such an immortal tree, our ancestors did not accomplish good desires. Only some poor people asked for some wealth. So, I accomplish my desire from this tree.” Thinking so, he came near his father. He asked to his father sitting happily in a lonely place that he was known to the fact that all the wealth, even body was momentary or destructible in this ocean like world. Only benevolence in this world is indestructible because it spreads one’s glory till the end of the several eras/ages. Then why do we protect such a Kalpa-tree? Do you know where have our those ancestors gone who protected it with the feeling ‘this is mine, this is mine’? To whom does this belong? or whom his tree is? So, I want with your permission, to worship this Kalpa-tree in order to accomplish the feeling of ‘benevolence’.

Having permitted to do so by his father, Jimutvahan went near the tree and said “Oh God ! You have fulfilled the desires of my ancestors, so please fulfil my one desire. You, please, make this earth totally free from the poor people.” When Jimutvahan said so, the tree answered with these words-“I am going now being abondoned so by you.”

Within a moment that Kalpa-tree flew to the heaven and rained so much of wealth on the earth that there was left no man as poor. The glory of Jimutvahan on account of this benevolent deed; made him famous everywhere.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 3 गोदोहनम्

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Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 गोदोहनम्

अभ्यासः

Question 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) मल्लिका पूजार्थं सखीभि: सह कुत्र गच्छति स्म?
उत्तरं – काशीविश्वनाथमन्दिरं।

(ख) उमाया: पितामहेन कति सेटकमितं दुग्धम् अपेक्ष्यते स्म?
उत्तरं – त्रिशत।

(ग) कुम्भकारः घटान् किमर्थं रचयति?
उत्तरं – जीविकाहेतु:।

(घ) कानि चन्दनस्य जिह्वालोलुपतां वर्धन्ते स्म?
उत्तरं – मोदकानि।

(ङ) नन्दिन्या: पादप्रहारैः क: रक्तरञ्जित: अभवत् ?
उत्तरं – चन्दन:।

Question 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत-

(क) मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनो: कथम् अकुरुताम्?
उत्तरं – मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं दुग्धदोहनं विहाय केवलं नन्दिन्या: सेवाम् एव अकुरुताम्।

(ख) काल: कस्य रसं पिबति?
उत्तरं – क्षिप्रम् अक्रियमाणस्य आदानस्य प्रदानस्य कर्तव्यस्य च कर्मणः तद्रसं काल: पिबति।

(ग) घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकारः किं वदति?
उत्तरं – घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकारः वदति- “पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि । कथमपि नेच्छामि त्वाम् आभूषणविहीनां कर्तुम्। नयतु यथाभिलषितान् घटान्। दुग्धं विक्रीय एव घटमूल्यम् ददातु”।

(घ) मल्लिकया किं दृष्ट्वा धेनो: ताडनस्य वास्तविकं कारणं ज्ञातम्?
उत्तरं – मल्लिकया दृष्ट्वा यत्, मासपर्यन्तं धेनो: दोहनं न कृतम्। अतः सा पीडाम् अनुभवति। इति धेनो: ताडनस्य वास्तविकं कारणं अस्ति।

(ङ) मासपर्यन्तं धेनो: अदोहनस्य किं कारणमासीत्?
उत्तरं – मासपर्यन्तं धेनो: अदोहनस्य कारणं अस्ति यत् मासान्ते एक: महोत्सवाय त्रिशत-सेटकपरिमितं दुग्धम् विक्रय चन्दनेन धनिकः भवितुं इति चिन्तयित्वा सः मासपर्यन्तं दुग्धदोहनं न करोति।

Question 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत–
(क) मल्लिका सखीभि: सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म।
उत्तरं – मल्लिका कै: सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म?
नोट: सखि, कवि, हरि, ऋषि, यति, विधि, जलधि – इकारांत पुल्लिंग शब्द है।

But, I have still doubt here. मल्लिका काभि: सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म? This may also right when I just matching with meaning comparing with Hindi. So, ask your teacher this question and please do comment here for the correction.

(ख) चन्दनः दुग्धदोहनं कृत्वा एव स्वप्रातराशस्य प्रबन्धम् अकरोत् ।
उत्तरं – चन्दनः दुग्धदोहनं कृत्वा एव कस्य प्रबन्धम् अकरोत्?

(ग) मोदकानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्।
उत्तरं – कानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्?

(घ) मल्लिका स्वपतिं चतुरतमं मन्यते।
उत्तरं – मल्लिका स्वपतिं कीदृशं मन्यते?

(ङ) नन्दिनी पादाभ्यां ताडयित्वा चन्दनं रक्तरज्जितं करोति।
उत्तरं – का पादाभ्यां ताडयित्वा चन्दनं रक्तरज्जितं करोति?

Question 4.
मजूषायाः सहायतया भावार्थे रिक्तस्थानानि पूरयत-

गृहव्यवस्थायै, उत्पादयेत्, समर्थक:, धर्मयात्रायाः, मङ्गलकामनाम्, कल्याणकारिणः॥
यदा चन्दन: स्वपत्न्या काशीविश्वनाथं प्रति _____________विषये जानाति तदा सः क्रोधितः न भवति यत् तस्या: पत्नी तं __________कथयित्वा सखीभिः सह भ्रमणाय गच्छति अपि तु तस्याः यात्रायाः कृते ___________कुर्वन् कथयति यत् तव मार्गाः शिवा: अर्थात् __________भवन्तु। मार्गे काचिदपि बाधा: तव कृते समस्यां न ____________। एतेन सिध्यति यत् चन्दन: ____________नारीस्वतन्त्रतायाः आसीत्।

उत्तरं – यदा चन्दन: स्वपत्न्या काशीविश्वनाथं प्रति धर्मयात्रायाः विषये जानाति तदा सः क्रोधितः न भवति यत् तस्या: पत्नी तं गृहव्यवस्थायै कथयित्वा सखीभिः सह भ्रमणाय गच्छति अपि तु तस्याः यात्रायाः कृते मङ्गलकामनाम् कुर्वन् कथयति यत् तव मार्गाः शिवा: अर्थात् कल्याणकारिणः भवन्तु। मार्गे काचिदपि बाधा: तव कृते समस्यां न उत्पादयेत्‘। एतेन सिध्यति यत् चन्दन: समर्थक: नारीस्वतन्त्रतायाः आसीत्।

Question 5.
घटनाक्रमानुसारं लिखत
(क) सा सखीभि: सह तीर्थयात्रायै काशीविश्वनाथरमन्दिरं प्रति गच्छति।
(ख) उभौ नन्दिन्या: सर्वविधपरिचर्यां कुरुतः।
(ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थं दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति।
(घ) मल्लिका पूजार्थं मोदकानि रचयति।
(ङ) उत्सवदिने यदा दोग्धुं प्रयत्नं करोति तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति।
(च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दन: नन्दिन्या: पादप्रहारेण अवगच्छति।
(छ) चन्दन: उत्सवसमये अधिकं दुग्धं प्राप्तुं मासपर्यन्तं दोहनं न करोति।
(ज) चन्दनस्य पत्नी तीर्थयात्रां समाप्य गृहं प्रत्यागच्छति।

उत्तरं –
1. (घ) मल्लिका पूजार्थं मोदकानि रचयति।
2. (क) सा सखीभि: सह तीर्थयात्रायै काशीवि श्वनाथरमन्दिरं प्रति गच्छति।
3. (ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थ दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति।
4. (ज) चन्दनस्य पत्नी तीर्थयात्रां समाप्य गृहं प्रत्यागच्छति।
5. (ख) उभौ नन्दिन्या: सर्वविधपरिचया कुरुतः।
6. (छ) चन्दन: उत्सवसमये अधिकं दुग्धं प्राप्तुं मासपर्यन्तं दोहनं न करोति।
7. (ङ) उत्सवदिने यदा दोग्धुं प्रयत्नं करोति तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति।
8. (च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दन: नन्दिन्या: पादप्रहारेण अवगच्छति।

Question 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि क: कं प्रति कथयति इति प्रदत्तस्थाने लिखत-
उदाहरणम्- ————————————————————>कः/का —————> कं/काम्
स्वामिन्! प्रत्यागता अहम्। आस्वादय प्रसादम्। ——> मल्लिका ——–> चन्दनं प्रति
(क) धन्यवाद मातुल! याम्यधुना। ——————————> उमा ————–>चन्दनं प्रति
(ख) त्रिसेटकमितं दुग्धम् शोभनम्। व्यवस्था भविष्यति।->चन्दन: ——–>उमां प्रति
(ग) मूल्यं तु दुग्धं विक्रीयैव दातुं शक्यते । ———————->चन्दन: ———>देवेशं प्रति
(घ) पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि । ————————–>देवेश:———–>मल्लिकां प्रति
(ङ) देवि! मयापि ज्ञातं यदस्माभिः सर्वथानुचितं कृतम् ।->चन्दन: —>मल्लिकां प्रति

Question 7.
पाठस्य आधारेण प्रदत्तपदानां सन्धिं/सन्धिच्छेदं वा कुरूत
(क) शिवास्ते = __________+ __________
ख) मनः हरः = __________+ ___________
(ग) सप्ताहान्ते = __________+ _________
(घ) नेच्छामि = __________+ ___________
(ङ) अत्युत्तम = __________+ __________

उत्तरं –
(क) शिवास्ते = शिवा: + ते।
ख) मनः हरः = मनोहर:।
(ग) सप्ताहान्ते = सप्ताह + अन्ते।
(घ) नेच्छामि = न + इच्छामि।
(ङ) अत्युत्तम: = अति + उत्तम:।

(अ) पाठाधारेण अधोलिखितपदानां प्रकृति-प्रत्ययं च संयोज्य / विभज्य वा लिखत-
(क) करणीयम् = __________+ __________
(ख) वि+क्री-ल्यप् = __________+ __________
(ग) पठितम् = __________+ __________
(घ) ताडय्+क्त्वा = __________+ __________
(ङ) दोग्धुम् = __________+ __________

उत्तरं –
(क) करणीयम् = कृ + अनियर्।
(ख) वि + क्री+ ल्यप् = विक्रिय।
(ग) पठितम् = पठ् + क्त।
(घ) ताडय् + क्त्वा = तडयित्वा।
(ङ) दोग्धुम् = दुह्+ तुमुन्।

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 2 स्वर्णकाकः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 2 स्वर्णकाकः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 2 स्वर्णकाकः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) निर्धनायाः वृद्धायाः दुहिता कीदृशी आसीत्?
उत्तर:
निर्धनायाः वृद्धायाः दुहिता विनम्रा मनोदशा आसीत्।

(ख) बालिकया पूर्वं किं न दृष्टम् आसीत्?
उत्तर:
बालिकया पूर्वं स्वर्णकाकः न दृष्टः आसीत्।

(ग) रुदन्ती बालिकां काकः कथम् आश्वासयत्?
उत्तर:
‘मा शुचः, अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि’-इति कथयित्वा रुदन्ती बालिकां काकः आश्वासयत्।

(घ) बालिका किं दृष्ट्वा आश्चर्यचकिता जाता?
उत्तर:
स्वर्णमयं प्रसादं दृष्ट्वा बालिका आश्चर्यचकिता जाता।

(ङ) बालिका केन सोपानेन स्वर्णभवनम् आससाद?
उत्तर:
बालिका स्वर्णसोपानेन स्वर्णभवनम् आससाद।

(च) सा ताम्रस्थाली चयनाय किं तर्कं ददाति?
उत्तर:
‘अहं निर्धना ताम्रस्थाल्यामेन भोजनं करिष्यामि’-ताम्रस्थाली चयनाय सा इदं तर्क ददाति।

(छ) गर्विता बालिका कीदृशं सोपानम् अचायत् कीदृशं च प्राप्नोत्?
उत्तर:
गर्विता बालिका स्वर्णमयं सोपानम् अचायत् परं सा ताम्रमयं सोपानमेव प्राप्नोत।

प्रश्न 2.
(क) अधोलिखितानां शब्दानां विलोमपदं पाठात् चित्वा लिखत
उत्तर:
(i) पश्चात् – पूर्वम्
(ii) हसितुम् – रोदितुम्
(iii) अधः – उपरि
(iv) श्वेतः – कृष्णः
(v) सूर्यास्त – सूर्योदयः
(vi) सुप्तः – प्रबुद्धः

(ख) सन्धिं कुरुत
उत्तर:
(i) नि + अवसत् = न्यवसत्
(ii) सूर्य + उदयः = सूर्योदयः
(iii) वृक्षस्य + उपरि = वृक्षस्योपारि
(iv) हि + अकारयत् = ह्यकारयत्
(v) च + एकाकिनी = चैकाकिनी
(vi) इति + उक्त्वा = इत्युक्त्वा
(vii) प्रति + अवदत् = प्रत्युवदत्
(viii) प्र + उक्तम् = प्रोक्तम्
(ix) अत्र + एव = अत्रैव
(x) तत्र + उपस्थिता. = तत्रोपास्थिता
(xi) यथा + इच्छम् = यथेच्छम्

प्रश्न 3.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) ग्रामे निर्धना स्त्री अवसत्।
उत्तर:
ग्रामे का अवसत्?

(ख) स्वर्णकाकं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत्।
उत्तर:
कं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत्?

(ग) सर्योदयात् पूर्वमेव बालिका तत्रोपस्थिता।
उत्तर:
कस्मात् पूर्वमेव बालिका तत्रोपस्थिता?

(घ) बालिका निर्धनमातुः दुहिता आसीत्।
उत्तर:
बालिका कस्याः दुहिता आसीत्?

(ङ) लुब्धा वृद्धा स्वर्णकाकस्य रहस्यमभिज्ञातवती।।
उत्तर:
लुब्धा वृद्धा कस्य रहस्यमभिज्ञातवती?

प्रश्न 4.
प्रकृति-प्रत्यय-संयोगं कुरुत
उत्तर:
(क) हस् + शतृ = हसन्।
(ख) भक्ष् + शतृ = भक्षयन्।
(ग) वि + लोकृ + ल्यप् =विलोक्य।
(घ) नि + क्षिप् + ल्यप् = निक्षिप्य।
(ङ) आ + गम् + ल्यप् = आगम्य।
(च) दृश् + क्त्वा = दृष्ट्वा।
(छ) शी + क्त्वा = शायित्वा।
(ज) वृद्ध + टाप् = वृद्धा।
(झ) सुत + टापू = सुता।
(ज) लघु + तमप् = लघुतम्।

प्रश्न 5.
प्रकृति-प्रत्यय-विभागं कुरुत-उत्तर धातु/शब्द प्रत्यय
(क) हसन्तम् = हस् धातु शत।
(ख) रोदितुम् = रुद् धातु तुमुन्।
(ग) वृद्धा = वृद्ध शब्द टा।
(घ) भक्षयन् = भक्ष् धातु – शतृ।
(ङ) दृष्ट्वा = दृश् – क्त्वा।
(च) विलोक्य = वि + लोकृ धातु + ल्यप्।
(छ) निक्षिप्य = नि + क्षिप् धातु + ल्यप्।
(ज) आगत्य = आ + गम् धातु + ल्यप्।
(झ) शयित्वा = शी धातु + क्त्वा।
(ज) सुता = सत शब्द + टा।
(ट) लघुतमम् = लघु शब्द + तमप् प्रत्यय।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि कथनानि कः/का, कं/कां च कथयति-
उत्तर:
कथनानि – कः/का. – कं/काम्
(क) पूर्वं प्रातराशः क्रियाताम् – स्वर्णकाकः – विनम्रां बालिकाम्
(ख) सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष – प्रथमा माता. – प्रथमां बालिकाम्
(ग) तण्डुलान् मा भक्षय – प्रथमा बालिका – स्वर्णकाकम्
(घ) अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि – स्वर्णकाकः – प्रथमां बालिकाम्
(ङ) भो नीचकाक! अहमागता, मह्यं तण्डुलमूल्यं प्रयच्छ – द्वितीया बालिका – स्वर्णकाकम्

प्रश्न 7.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकगतेषु पदेषु पञ्चमीविभक्तेः प्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत यथा-मूषकः बिलाद् बहिः निर्गच्छति। (बिल)
उत्तर:
(क) जनः ग्रामाद् बहिः आगच्छति। (ग्राम)
(ख) नद्यः पर्वताद् निस्सरन्ति। (पर्वत)
(ग) वृक्षात् पत्राणि पतन्ति। (वृक्ष)
(घ) बालकः सिंहात् बिभेति। (सिंह)
(ङ) ईश्वरः क्लेशात् त्रायते। (क्लेश)
(च) प्रभुः भक्तं पापत् निवारयति। (पाप)

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 2 स्वर्णकाकः Summary Translation in Hindi and English

संकेत-पुरा कास्मिंश्चिद्भ ……………………………… वनमाससाद।

शब्दार्थ (Word-meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
निर्धनागरीबPoor
न्यवसत्रहती थीLived
दुहितापुत्रीDaughter
विनम्राविनम्रPolite
मनोहरासुन्दर, आकर्षकBeautiful, attractive
स्थाल्याम्थाली मेंIn a plate
तण्डुलान्चावलों कोRice
आदिदेशआज्ञा दीOrdered
खगेभ्यःपक्षियों सेFrom the birds
किञ्चित्कालादनन्तरम्थोड़ी देर के बादAfter sometime
विचित्रःअनोखाStrange
उपाजगामपास आयाCame near
समुड्डीयंउड़करAfter flying
एतादृशःऐसाSuch
स्वर्णपक्षःसोने के पंख वालाHaving golden wings
रजतचञ्चुचाँदी की चोंच वालाHaving silver beak
स्वर्णकाकःसोने का कौआGolden-crow
खादन्तम्खाता हुआWho was eating
हसन्तम्हँसता हुआWho was laughing
विलोक्यदेखकरHaving seen
रोदितुम्रोनाTo weep
आरब्धाआरम्भ कर दियाStarted
निवारयन्तीरोकती हुईStopping
प्रार्थयत्प्रार्थना कीRequested
मा भक्षयमत खाओDo not eat
मदीयामेरीMy
मा शुचःदुःख मत करोDo not wail
प्रागपहलेBefore
सूर्योदयात्सूर्योदय सेThan Sunrise
बहिःबाहरOutside
प्रोवाचकहाSaid
पिप्पलवृक्षःपीपल का पेड़The holy fig-tree
प्रहर्षिताप्रसन्नHappy
निद्रामपि न लेभेनींद भी नहीं आईid not sleep
उपस्थितापहुँच गईReached
आश्चर्यचकिताहैरान, आश्चर्यचकितSurprised
सजाताहो गईBecame
स्वर्णमयःसोनेकGolden
प्रासादःमहलPalace
प्रबुद्धःजगाGot up
स्वर्णगवाक्षात्सोने की खिड़की सेFrom the golden window
हंहो बाले!हे बालिका!Oh girl!
सोपानम्सीढ़ीLadder
अवतारयामिमैं उतारता हूँI bring down.
त्वत्कृतेतुम्हारे लिएFor you
उतअथवाOr
प्रावोचत्बोलीSaid
आससादपहुँचीReached

विनम्र तथा सुन्दर पुत्री थी। एक बार उसकी माता ने थाली में चावल रखकर अपनी पुत्री से कहा-सूर्य की धूप में चावलों की पक्षियों से रक्षा करो। कुछ समय के बाद एक अनोखा कौआ उड़कर उसके पास आ गया।

सोने के पंख वाला तथा चाँदी की चोंच वाला ऐसा सोने का कौआ उसने पहले नहीं देखा था। उस पक्षी को चावल खाते हुए तथा हँसते हुए देखकर बालिका रोने लगी। उसे रोकती हुई वह प्रार्थना करने लगी-चावल मत खाओ, मेरी माता बहुत गरीब है। सोने के पंख वाला कौआ बोला-दुःखी मत हो। तुम सूर्योदय से पहले गाँव के बाहर पीपल के वृक्ष के पीछे आना। मैं तुम्हें चावलों का मूल्य दे दूंगा। प्रसन्न बलिका को नींद भी नहीं आई।

वह सूर्योदय से पहले ही वहाँ पहुँच गई। वृक्ष के ऊपर देखकर वह हैरान हो गई कि वहाँ सोने का महल है। जब कौआ सोकर जागा तो उसने सोने की खिड़की से कहा-अरी बालिके! तुम आ गई। ठहरो, मैं तुम्हारे लिए सीढ़ी उतारता हूँ। बताओ सोने की, चाँदी की अथवा ताँबे की सीढ़ी में से कौन-सी उतारूँ? लड़की ने कहा मैं निर्धन माता की बेटी हूँ, मैं ताँबे की सीढ़ी से ही आऊँगी। किन्तु वह सोने की सीढ़ी से महल में पहुंची।

Meaning in English: Long-long ago an old poor lady lived in a forest. She had a very attractive and polite.daughter. Once her mother put some rice in a plate and said to her-keep this rice in the sun and protect it from the birds. After sometime, a strange bird came near her.

She did not see before such a golden crow which was having golden-feathers and a silver beak. When the girl saw the bird eating the rice and laughing, she started weeping. Stopping him to eat, the girl requested him-Do not eat the rice. My mother is very poor. The golden-feathers crow said-Donot wail. Come next day behind the holy fig-tree outside the village before sunrise. I will pay you the price of the rice. The happy girl did not sleep that day.

She reached there before sunrise. She was surprised to see that there was a golden-palace on the tree. When the crow got up from the sleep he said from the golden-window-Oh girl! You have came. Just wait, I send down the ladder for you. But tell me, whether that should be golden-silver or of copper? The girl said, I am the daugther of a poor mother, so I will come through the copper ladder, but she reached the palace through golden-ladder.

संकेत-चिरकालं …………………………….. च सजाता।

शब्दार्थ (Word-meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
चित्रविचित्रवस्तूनिविभिन्न रंगों की वस्तुएँThings of various colours
सज्जितानितैयार, सजी हुईReady, decorated
दृष्ट्वादेखकरHaving seen
विस्मयं गताहैरान हो गईWas surprised
प्राहकहाSaid
श्रान्ताम्थकी हुईTired
लघु प्रातराशम्हल्का नाश्ताLight-breakfast
व्याजहारबोलीSaid
पर्यवेषितम्परोसाServed
एताहक्ऐसाSuch
स्वादुस्वादिष्टंTasty
अद्यावधिआज तकSince today
न खादितवतीनहीं खायाDid not eat
ब्रूतेकहने लगाSaid
सर्वदाहमेशाForever
एकाकिनीअकेलीAlone
कक्षाभ्यन्तरात्कमरे सेFrom the room
तिस्रः मञ्जूषाःतीन बक्सेThree boxes
निस्सार्यबाहर लाकरBrought out
यथेच्छम्इच्छानुसारAccording to your desire
लघुतमाम्सबसे छोटीSmallest
प्रगृह्यलेकरHaving taken
इयदेवइतना ही हैThis is much
समुद्घाटिताखोलाOpened
महार्हाणिबहुमूल्यCostly
हीरकाणिहीरों कोDiamonds
धनिकाधनीRich
तद्दिनात्उस दिन सेFrom that day
सजाताबन गईBecame

हिन्दी अनुवाद: महल में विभिन्न रंगों से सजी हुई वस्तुओं को बहुत समय तक देखकर वह हैरान हो गई। थकी हुई उस बालिका को देखकर कौए ने कहा-पहले थोड़ा नाश्ता कर लो-बताओ तुम सोने की थाली में भोजन करोगी, चाँदी की थाली में या फिर ताँबे की थाली में? बालिका ने कहा-मैं निर्धन ताँबे की थाली में ही भोजन करूँगी। वह बालिका तब आश्चर्यचकित हो गई जब उसे सोने के कौए ने सोने की थाली में भोजन परोसा। उस बालिका ने ऐसा स्वादिष्ट भोजन आज तक नहीं खाया था। कौआ कहने लगा-हे बालिके! मैं चाहता हूँ कि तुम सदा यहीं रहो किन्तु तुम्हारी माता अकेली हैं, अतः तुम शीघ्र अपने घर जाओ।

ऐसा कहकर कमरे में से तीन सन्दूक निकालकर कौआ उससे बोला-हे बालिके!इच्छानुसार एक सन्दक ले लो। सबसे छोटी सन्दक लेकर बालिका ने कहा-इतना ही है-मेरे चावलों का मूल्य। घर आकर उसने सन्दक खोली। उसमें बहमल्य हीरों को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई तथा उस दिन से वह धनी बन गई।

Meaning in English: She became surprised to see the things of various colours which were decorated in the palace. On seeing her tired, the crow told her—”come, take light breakfast first.” So tell would you like to eat food in golden plate, or silver plate or in a plate of copper? The girl said-I am a poor girl, so I will eat in a plate made of copper only. The girl was again surprised when she saw that the golden-crow had served her food in the golden-plate. She did not eat so tasty food before. The crow thensaid Oh girl! I want that you may stay here for ever but your mother is alone there. So, you should go to your home quickly.

Saying so, the crow brought three boxes from the room and said to her-Oh girl! take one box according to your will. She took the smallest box and said–This much is the price of my rice. Thén she came to her house and opened the box. She was very happy to see very costly diamonds kept in the box. Since that day she became a rich-girl.

संकेत-तस्मिन्नेव ग्रामे ……………… पर्यत्यजत्।

शब्दार्थ (Word-meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
अपरादूसरी, अन्यAnother
लुब्धालालचीGreedy
ईर्ष्णयाईर्ष्या सेof jealousy
रहस्यम्रहस्यSecret
अभिज्ञातवतीजान लियाKnew
स्वर्णपक्षःसोने के पंखों वालाWith golden feathers
भक्षयन्खाते हुएWhile eating
अकारयत्बुलायाCalled
निर्भर्त्सयन्तीनिन्दा करती हुईDefaming
भो नीचकाक!हे नीच कौए!Oh mean crow!
उत्तारयामिमैं उतारता हूँ नीचेI bring down
गर्वितयाघमण्ड सेWith proud
प्रायच्छत्दियाGave
प्रतिनिवृत्तिकालेवापिस लौटते समयAt the time of departure
तत्पुरःउसके सामनेBefore her
बृहत्तमाम्सबसे बड़ीBiggest
गृहीतवतीलीTook
तर्षिताउत्सुकDesirous, anxious
भीषणःभयङ्करFearful
विलोकितःदेखा गयाWas seen
पर्यत्यजत्त्याग दियाGave up

हिन्दी अनुवाद: उसी गाँव में एक अन्य लालची वृद्ध स्त्री रहती थी। उसकी भी। एक पुत्री थी। ईर्ष्या से उसने उस स्वर्ण कौए का रहस्य जान लिया। सूर्य की धूप में चावल। रखकर उसने भी अपनी पुत्री को उनकी रक्षा का काम सौंप दिया। उसी प्रकार सोने के पंख वाले कौए ने चावल खाते हुए उसे वहीं बुलाया। प्रायः वहाँ जाकर कौए की निन्दा करते हुए उसने कहा-हे नीच कौए! मैं आ गई हूँ, मुझे चावलों का मूल्य दो। कौए ने कहा-मैं तुम्हारे लिए सीढ़ी नीचे उतारता हूँ, तो बताओ सोने की, चाँदी की या ताँबे की कौन-सी उतारूँ? घमण्डी बालिका ने कहा-मैं सोने की सीढ़ी से आऊँगी, किन्तु स्वर्णिम कौए ने उसको ताँबे की सीढ़ी ही दी। उसने भोजन भी उसे ताम्रपात्र में ही कराया।

लौटते समय स्वर्णिम कौए ने कमरे के अन्दर से तीन पेटियाँ उसके सामने रखीं। उस लोभी लड़की ने सबसे बड़ी पेटी ले ली। घर आकर उत्सुकतावश जैसे ही उसने उस पेटी को खोला उसमें भयंकर काला साँप देखा। लालची लड़की को लालच का फल मिल गया। उसके बाद उसने लोभ त्याग दिया।

Meaning in English: Another greedy old-lady also lived in that villege. She also had a daughter, under the influence of jealousy, she knew the secret of that golden crow. She too kept the rice in the sun and asked her daughter to protect them. Similarly, while eating the rice that golden crow called that girl to the same place. In the morning, she reached there and defaming the crow she said to him-Oh mean crow! I have came. Give me the price of the rice. The crow said I bring down the ladder for you, so tell which ladder should I send golden, silver or of copper? The proud girl said–i’ll come by the golden ladder but that golden-crow gave her the copper-ladder. He served her food also in the copper-pot only.

While coming back, the crow placed three boxes before her. Again, the greedy girl took the biggest box. After coming to her home, the girl opened the box with anxiety but saw a fearful black snake in that box. So the greedy girl obtained the result of greed. After that, she gave up the feeling of greed.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत–

(क) कविः वीणापाणिं किं कथयति?
उत्तर:
कविः वीणापाणि नवीनां वीणां निनादयितुं कथयति।

(ख) वसन्ते किं भवति?
उत्तर:
वसन्ते सरसाः रसालाः लसन्ति, काकलीनां कलापाः च विलसन्ति।

(ग) सरस्वत्याः वीणां श्रुत्वा किं परिवर्तनं भवतु इति कवेः इच्छां लिखत।
उत्तर:
सरस्वत्याः वीणां श्रुत्वा लतानां शान्तिशीलं सुमं चलेत् नदीनां कान्तसलिलं च सलीलम् उच्छलेत्।

(घ) कविः भगवतीं भारती कस्याः नद्याः तटे (कुत्र) मधुमाधवीनां नता पङ्क्तिम् अवलोक्य वीणां वादयितुं कथयति?
उत्तर:
कविः भगवतीं भारती यमुनायाः नद्याः तटे मधुमाधवीनां नतां पङ्क्तिम् अवलोक्य वीणां वादयितुं कथयति।

प्रश्न 2.
‘क’ स्तम्भे पदानि ‘ख’ स्तम्भे तेषां पर्यायपदानि दत्तानि। तानि चित्वा पदानां समक्षे लिखत
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) सरस्वती – (1) वाणी
(ख) आम्रम – (2) रसालः
(ग) पवनः – (3) समीरः
(घ) तटे – (4) तीरे
(ङ) भ्रमराणाम् – (5) अलीनाम्

प्रश्न 3.
अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य संस्कृतभाषया वाक्यरचनां कुरुत
उत्तर:
(क) निनादय = हे सरस्वती! नवीनां वीणां निनादय।
(ख) मन्दमन्दम् = अद्य वायुः मन्दमन्दं वहति।
(ग) मारुतः = अद्य मारुतः वेगेन वहति।
(घ) सलिलम् = अद्य नद्याः सलिलं शान्तं विद्यते।
(ङ) सुमनः = सुमनः सुगन्धितं भवति।

प्रश्न 4.
प्रथमश्लोकस्य आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत
उत्तर:
प्रथम श्लोक का भाव
हिन्दी में अनुवाद–वसन्त ऋतु में कोयल तथा आम के वृक्ष आदि सारी प्रकृति नवीन उल्लास से परिपूर्ण है, अतः हे सरस्वती! तुम अपना नया तथा मधुर गीत गाओ, साथ ही नवीन वीणा को भी बजाओ।।

Meaning in English: The nature in its entirety consisting of cuckoos, mango–trees etc. is full of new vigour in spring–season. So, oh Saraswati! You also should sing new and sweet song and play upon new Veena. So, Saraswati is requested to sing new and sweet song matching with the tune of the nature.

प्रश्न 5.
अधोलिखितापदानां विलोमपदानि लिखत
उत्तर:
(क) कठोरम् – मृदुम्
(ख) कटु – मधुर
(ग) शीघ्रम् – मन्दमन्दम्
(घ) प्राचीनम् – नवीनम्
(ङ) नीरसः – सरसः

परियोजनाकार्यम्

पाठेऽस्मिन् वीणायाः चर्चा अस्ति। अन्येषां पञ्चवाद्ययन्त्राणां चित्रं रचयित्वा संकलय्य वा तेषां नामानि लिखत।
उत्तर:
वीणा के अतिरिक्त पाँच वाद्ययन्त्रों के नाम–
1. ढोलक = लघुपटहः।
2. मंजीरा = मजूरम्।
3. हारमोनियम् = मधुरध्वनिकम्।
4. तबला = तबलः।
5. ढोल = पटहः, ढक्का।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः Summary Translation in Hindi and English

1. निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम्
मृदुं गाय गीति ललित–नीति–लीनाम्।
मधुर–मञ्जरी–पिञ्जरी–भूत–मालाः
वसन्ते लसन्तीह सरसा रसालाः
कलापाः ललित–कोकिला–काकलीना।। निनादय…………………।।

शब्दार्थ (Word–meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
निनादयबजाओPlay upon
अये वाणि!हे वाणी (सरस्वती)Oh! Goddess Saraswati
नवीनाम्नईNew
ललितसुन्दर, मनोहरBeautiful
नीतिलीनाम्नीतियों से पूर्णFull of ideas
मृदुं गीतिम्मधुर गीत कोSweet song
गानकरोSing
मञ्जरीमञ्जरीClusters
पिञ्जरी भूतमालाःपीले वर्ण से युक्त पंक्तियाँRows of yellow colours
लसन्तिसुशोभित हो रही हैंLook beautiful Here
इहयहाँHere
सरसाःमधुरSweet
रसालाःआम के वृक्षMango trees
काकलीकोयल की कूकChirping
कोकिलकोयलCuckoo
कलापाःसमूहGroup

हिन्दी सरलार्थ–हे सरस्वती! नवीन वीणा को बजाओ, सुन्दर नीतियों से पूर्ण गीत का मधुर गान करो। इस वसन्त ऋतु में मधुर मञ्जरियों से पीली तथा सरस आम के वृक्षों की पंक्तियाँ सुशोभित हो रही हैं। आकर्षक कूक वाले कोयलों के समूह सुन्दर लग रहे हैं। हे वाणी! नवीन वीणा को बजाओ।

Meaning in English: Oh Saraswati! Please play upon new Veena (musical instrument) and sing sweet song full of beautiful ideas. The rows of mango–trees which are full of soft–clusters of flowers with yellow colour, look beautiful in this spring–season. The cuckoos chirping in sweet–tone, also enhance the beauty of the spring. So, oh Saraswati! you also should instantly play upon the new Veena.

2. वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे
कलिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे,
नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् ।। निनादय………….।।

शब्दार्थ (Word–meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
वहतिबह रही हैBlows
मन्दमन्दम्धीरे-धीरेSlowly
सनीरेजल से पूर्णFull of water
समीरेवायु मेंIn the wind
कलिन्दात्मजायाःयमुना नदी केOf the river Yamuna
सवानीरतीरेबेंत की लता से युक्त तट परOn the bank which is endowed with the cane creepers
नताम्झुकी हुईBent
आलोक्यदेखकरHaving seen
मधुमाधवीनाम्मधुर माधवी लताओं काOf beautiful Madhavi creepers

हिन्दी सरलार्थ: यमुना के वेतस–लताओं से घिरे हुए तट पर, जलबिन्दुओं से युक्त वायु के मन्द–मन्द बहने पर फूलों से झुकी हुई मधु–माधवी लता को देखकर हे सरस्वती! नवीन वीणा को बजाओ।

Meaning in English: Oh Saraswati! play upon new Veena on seeing the beautiful Madhavi–creeper, full of flowers bent down due to the pressure of wind containing water–drops and blowing slowly on the bank of river Yamuna which is covered by the vetas creepers.

3. ललित–पल्लवे पादपे पुष्पपुजे
मलयमारुतोच्चुम्बिते मञ्जुकुजे,
स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम् ।। निनादय………।।

शब्दार्थ (Word–meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
ललितपल्लवेमन को आकर्षित करने वाले पत्तेThe leaves which attract the mind
पादपेपौधों परOn the plants
पुष्पपुजेपुष्पों के समूह परOn the flowers
मलयमारुतोच्चुम्बितेमलय पर्वत की वायु से स्पर्श होने परBeing touched by the wind of Malaya mountain
मञ्जुकुञ्जेसुन्दर लताओं से आच्छादित स्थान परOn the place covered by beautiful creepers
स्वनन्तीध्वनि करती हुईWhich makes sound
ततिंसमूह कोA group
पेक्ष्यदेखकरOn seeing
मलिनाम्काले रंग केOf black-colour
अलीनाम्भ्रमरों केOf the black-bees

हिन्दी सरलार्थ: मलयपवन से स्पर्श किए हुए कोमल पत्तों वाले वृक्षों, पुष्पों आदि पर काले वर्ण वाले भौरों की गुजार करती हुई पंक्ति को देखकर हे सरस्वती! नवीन वीणा को बजाओ।

Meaning in English: Oh Saraswati! Please play upon Veena on seeing the black–bees humming and sitting on the flowers and the soft–leaves of the trees are touched by the wind of the Malaya mountain.

4. लतानां नितान्तं सुमं शान्तिशीलम्
चलेदुच्छलेत्कान्तसलिलं सलीलम्,
तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम् ।। निनादय………।।

शब्दार्थ (Word–meanings)

संस्कृतहिन्दीEnglish
लतानाम्लताओं केOf the creepers
नितान्तम्अत्यधिकVery much Flowers
शान्तिशीलम्शान्ति से युक्तQuiet
कान्तसलिलम्स्वच्छ जलPure water.
उच्छलेत्उछल पड़ेMay move upward
सलीलम्लीलापूर्वकWith amusement
तवतुम्हारीYour
अदीनाम्ओजस्विनीVigorous
आकर्ण्यसुनकरOn hearing

हिन्दी सरलार्थ: तुम्हारी ओजस्विनी वीणा को सुनकर लताओं के अत्यन्त शान्त सुमन हिल उठे, और नदियों का स्वच्छ जल क्रीड़ा करता हुआ उछल पड़े! हे सरस्वती! नवीन वीणा बजाओ।

Meaning in English: May, the quiet flowers of the creepers start moving, the pure water of the rivers begin to move upward, on hearing the vital rhythm of your Veena. Oh Saraswati! Please play upon the new Veena.

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