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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 मेघ आए.

प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )

प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
बादलों के आने पर प्रकृति में निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को कवि द्वारा चित्रित किया गया है-

  1. मेघ रूपी मेहमान के आने की सूचना देने के लिए बयार का नाचते-गाते आना।
  2. पेड़ों द्वारा मेहमान को देखने के लिए गरदन ऊँची करना।
  3. दरवाजे-खिड़कियों का खुलना।
  4. आँधी का चलना और धूल का उड़ना।
  5. नदी को ठिठककर बाँकी नजर से देखना।
  6. पीपल का झुककर मेहमान का स्वागत करना।
  7. लताओं का पेड़ों में छिपना।
  8. क्षितिज पर बिजली का चमकना।
  9. तालाब द्वारा पानी भर कर लाना।
  10. जोरदार वर्षा का होना।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?

  1. धूल,
  2. पेड़,
  3. नदी,
  4. लता,
  5. ताल

उत्तर:

  1. धूल – यह अतिथि के आगमन से अति उत्साहित घर की चंचला युवती की प्रतीक है।
  2. पेड़ – पेड़ आम ग्रामीण व्यक्ति का प्रतीक है जो किसी शहरी दामाद के आने पर उसे गरदन उठा-उठाकर देखता है।
  3. नदी – नदी गाँव की युवती है, जो शहरी दामाद को आया देखकर रसमयी चितवन से उसे निहारते हुए ठिठक जाती है।
  4. लता – लता विरह-वेदना में तड़पती मानिनी नायिका है जो बादल के देर से आने पर मान प्रकट करती है।
  5. ताल – ताल घर का अंतरंग सदस्य है जो बादल के स्वागत में मानो पानी की परात भर लाया है।

प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर:
लता ने बादल रूपी मेहमान को व्याकुल नवविवाहिता की भाँति देखा। उसके इस तरह देखने का कारण था कि बादल रूपी मेहमान पूरे एक साल बाद आया था। वह गर्मी (विरह वेदना) से व्याकुल थी साथ ही मानिनी भी थी इसलिए उससे अपनी नाराजगी प्रकट कर रही थी।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर:
(क)

  • प्रियतमा अपने प्रिय से क्षमा माँगते हुए बोली-मुझे क्षमा करना। मैंने सोचा था कि तुम नहीं आओगे। परंतु तुम खूब आए हो। इसलिए मेरे मन का संदेह मिट गया।
  • प्रतीकार्थ-अकुलाए ग्रामवासी तड़पकर कहने लगे-हमें क्षमा करो। हमने सोचा था कि बादल नहीं बरसेगा। परंतु हमारा यह भ्रम टूट गया।

(ख)

  • बादलों के आने पर नदी मद-भरे वेग से बहने लगी। उसका जल साफ-स्वच्छ दीखने लगा।
  • मेहमान के आने पर गाँव की नववधुएँ बाँकी दृष्टि से उसे निहारने लगीं। वे अपने पूँघट खोल-खोलकर उसे देखने लगीं।

प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर:
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में निम्नलिखित परिवर्तन हुए-

  1. ठंडी हवाएँ चलने लगीं जो बढ़कर आँधी में बदल गईं।
  2. गली में धूल उड़ने लगी।
  3. ऊँचे पेड़ों की चोटियाँ तथा शाखाएँ झुकने-उठने लगीं।
  4. लताएँ हवा में लहराने लगीं।
  5. क्षितिज पर बादल घिर आए।
  6. बिजली चमकने लगी।
  7. जोरदार वर्षा शुरू हो गई।

प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
मेघों के लिए बन-ठन के और सँवर के आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि उनके आने पर गाँववासियों के मन में ठीक वैसा ही उल्लास होता है, जैसा कि किसी सजे-सँवरे दामाद के आने पर होता है। अत: मेघों के लिए सजे-सँवरे शहरी दामाद का उपमान बिलकुल ठीक है।

प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
            मानवीकरण अलंकार                            रूपक अलंकार

  • मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के          क्षितिज अटारी गहराई
  • नाचती गाती बयार चली।                         मिलन के अश्रु ढरके
  • पेड़ झुक झाँकने लगे।
  • धूल भागी घाघरा उठाए
  • बाकी चितवन उठी नदी ठिठकी
  • बूढ़े पीपल ने जुहार की।
  • बोली अकुलाई लेता।
  • हरसाया ताल लाया पानी भर के

प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस कविता में गाँव के किसी दामाद के आने पर छाए उल्लास का वर्णन हुआ है। गाँववासियों का उत्साह, खुशी और जिज्ञासा से मेहमान को देखना, बूढी स्त्रियों का उनकी मंगलकामना करना ग्रामीण परंपरा है।
मेहमान के आने पर उसे हाथ-मुँह धोने के लिए पानी की परात देना भी एक परंपरा है। इससे गाँववासियों की अतिथि-सत्कार की भावना प्रकट होती है।

प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर:
गाँव में मेघ रूपी शहरी मेहमान आने से गाँव में उल्लास-सा छा गया। बादलों के आने की सूचना देती शीतल बयार चलने लगी। आँधी के आने से गलियों में धूल उड़ने लगी, मानो कोई लड़की घाघरा उठाए भाग रही है। पेड़ तेज हवा में झूमने लगे। बूढ़े पेड़ की डालियाँ झुकने लगीं जैसे मेघ रूपी मेहमान का स्वागत कर रही है। लताएँ पेड़ों की ओट में छिपने लगी मानो लता रूपी नवविवाहिता दरवाजे की ओर छिपकर , मेहमान को देख रही हो। घर का कोई सदस्य (तालाब) थाल में पानी भर लाया। बिजली चमकने लगी तथा पूरा गाँव खुशी में डूब गया।

प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिए-
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के। मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
उत्तर:

  • इसमें बादलों के सौंदर्य को अत्यंत मनोरम ढंग से व्यक्त किया गया है।
  • बादल के लिए सजे-धजे शहरी दामाद का उपमान अति सुंदर कल्पना है। उत्प्रेक्षा अलंकार।
  • मानवीकरण अलंकार-मेघ आए, बड़े बन-ठन के।
  • अनुप्रास-बड़े बन-ठन के’। रचना और अभिव्यक्ति

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में वर्षा होने से पहले आसमान काले-काले बादलों से भर जाता है। शीतल हवा चलने लगती है। कभी-कभी तेज आँधी भी आती है जो आसपास की वस्तुओं और धूल को उड़ा ले जाती है। धूप गायब हो जाती है। घर के लोग बाहर पड़ी वस्तुएँ उठाने लगते हैं। पक्षी अपने घोंसलों की ओर लौटने लगते हैं। लोग अपने-अपने घरों में चले जाते हैं। वर्षा होते ही बच्चे पानी में नाव तैराते हुए खेलने लगते हैं तथा किसान खेतों की ओर निकल जाते हैं।

प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।
उत्तर:
गाँववासी पीपल के पेड़ को शुभ मानते हैं। इसलिए प्रायः हर गाँव में एक पुराना पीपल का पेड़ अवश्य होता है। पुराना होने के कारण उसे बड़ा बुजुर्ग कहना ठीक ही है।

प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसका क्या कारण नज़र आता है, लिखिए।
उत्तर:
मेहमान के आने पर उसका स्वागत किया जाता है पर उस तरह नहीं जैसा पहले होता था। उसका कारण यह है कि आज लोगों को काम से समय निकाल पाना बड़ा मुश्किल होता है। मेहमान के आने से पहले ही उसकी सूचना फोन आदि के माध्यम से मिल जाती है। अब संचार के साधन विकसित हो गए हैं, इसलिए उसके आने का सालभर इंतजार नहीं करना पड़ता है। बार-बार आने वाले मेहमान के स्वागत में अब
उतना उल्लास नहीं रह जाता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर

  • गाँठ खुलना
  • बाँध टूटना
  • सुधि लेना।

प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर:
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्द-

  1. बन-ठन,
  2. बयार,
  3. पाहुन,
  4. घाघरा,
  5. बाँकी,
  6. जुहार,
  7. किवार,
  8. ओट,
  9. पूँघट,
  10. परात,
  11. बरस,
  12. लीन्हीं,
  13. ढरके  आदि।

प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस कविता की भाषा सरल, सहज और आडंबरहीन है। उदाहरणतया मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। इसमें प्रयुक्त ‘बन-ठन’ शब्द लोक-जीवन में प्रचलित है। ‘कर’ की जगह ‘के’ का प्रयोग केवल बोली में होता है। लिखने में तो ‘कर’ का ही प्रयोग होता है। परंतु कवि ने सहजता बनाए रखने के लिए ‘के’ का ही प्रयोग किया है। | कविता की वाक्य-रचना भी अत्यंत सरल, सीधी और सपाट है। उसमें वक्रता नाम को भी नहीं है। सहजता बनाए रखने के लिए कवि ने संवाद ग्रामीण बोली में ही रखे हैं।
उदाहरणतयो-

  • ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं।’
  • ‘क्षम करो गाँठ खुल गई भरम की।’
  • ‘भ्रम’ की जगह ‘भरम’ का प्रयोग दर्शनीय है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे

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बोध-प्रश्न

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न
1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?
2. जज को पटेल की सज़ा ले लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।
3. “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”—यहाँ पटेल के कथन का आशय उधृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
4. “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”–गांधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?
5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसको सामना तात्कालिक सूझबूझ और | आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए।
6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
7. “यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा”। गांधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?
8. गांधी जी को समझनेवाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी जी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?
9. गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?
उत्तर
1. दांडी-कूच की तैयारी के सिलसिले में वल्लभभाई पटेल 7 मार्च को रास पहुँचे थे। उन्हें वहाँ भाषण नहीं देना था। लेकिन लोगों ने सरदार को दो शब्द भाषण में बोलने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से सत्याग्रह के लिए तैयार होने के लिए कहा। इस कार्य को शासन के विरुद्ध माना गया। यही कारण था कि कलेक्टर ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया।

2. सरदार पटेल को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में न्यायालय में आरोपी बनाया गया था। वल्लभभाई ने अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया। अब जज महोदय दुविधा में पड़ गए। उनके सामने कोई स्पष्ट कानून नहीं था। न ही स्पष्ट स्थितियाँ थीं। इसलिए उन्हें आठ पंक्तियों का फैसला लिखने में डेढ़ घंटे का समय लग गया।

3. सरदार पटेल को जब सजा सुना दी गई तो उन्हें अहमदाबाद साबरमती जेल ले जाया गया। साबरमती आश्रम में गांधी जी को पटेल की गिरफ्तारी, उनकी सज़ा और साबरमती जेल ले जाए जाने की सूचना थी। गांधी जी इस गिरफ्तारी से बहुत क्रोधित थे। उन्होने दांडी कूच की तारीख बदलने का निर्णय ले लिया। आश्रम में एक-एक व्यक्ति यह हिसाब लगा रहा था कि मोटर कार द्वारा बोरसद से साबरमती जेल पहुँचने में कितना समय लगेगा। जेल का रास्ता आश्रम के सामने से ही होकर जाता था। आश्रमवासी पटेल की एक झलक पाना चाहते थे। समय का अनुमान लगाकर गांधी जी स्वयं आश्रम से बाहर निकल आए। पीछे-पीछे सभी आश्रमवासी आकर सड़क के किनारे खड़े हो गए। लोगों का अनुमान था कि गाड़ी नहीं रुकेगी परंतु उनके रोब के कारण गाड़ी रुकी। तब पटेल ने गांधी जी से कहा कि वे चलते हैं। अब उनकी बारी हैं। उन्होंने तो आंदोलन का प्रारंभ कर दिया है। अब जन जागृति फैलाने की उनकी बारी है। यह पंक्ति का प्रतीकार्थ है।

4. रास में आयोजित गाँधी जी की सभा में दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज भी उपस्थित थे। वे बड़े रियासतदार होते हुए भी रास में रहकर त्यागमय जीवन जी रहे थे। अत: गाँधी जी ने उनके संदर्भ में लोगों से कहा-दरबार समुदाय के ये लोग त्यागी और हिम्मती हैं। आप इनसे त्याग और हिम्मत की शिक्षा लें।

5. स्वतंत्रता संग्राम किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित नहीं था। विदेशी शासन के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। पटेल जी के लिए कानून के दायरे में रह कर काम करना असंभव था। कैसी भी कठिन परिस्थिति हो भारतीयों को उनका सामना करना आता था। वह आपसी एकता से कार्य करने में निपुण थे। एक के पीछे एक पंक्ति बनाकर खड़े हो जाते थे और आशा के दीपक जलाने लगते थे। विदेशी शासन थोड़ी-सी आवाज बुलंद करनेवालों को जेल में डाल दिया करते थे परंतु पटेल की दृढ़ संकल्प शक्ति के सामने उनकी तकनीक सफल नहीं हुई। पटेल के रोब से पुलिसवालों को मोटर-गाड़ी रोकनी पड़ी थी। गांधी जी की आवाज़ ने सोने पर सुहागा का काम किया। देशभर में आजादी की लहर दौड़ गई। गांधी जी के मिलन और सूझबूझ ने कठिन परिस्थितियों पर काबू पाकर लोगों के हृदय में स्थान बना लिया।

6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर अभूतपूर्व उत्साह था। हजारों लोग अपने-अपने हाथों में दिये लेकर उपस्थित थे। सत्याग्रहियों का समूह नावों पर सवार था। नाव पर चढ़ने से पहले गाँधी जी तथा सत्याग्रही घुटनों-घुटनों पानी में चलकर आए थे। नदी के दूसरे तट पर भी यही उत्साहमय दृश्य था। हजारों की भीड़ महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू की जय के नारे लगा रही थी। ऐसा लगता था मानो रात में भी मेला लगा हुआ हो।

7. यह धर्मयात्रा चलकर पूरी करूंगा। गांधी जी का यह कथन अटूट साहस, उत्साह और तीव्र लगन का परिचय देता है। गांधी जी मानते हैं कि धर्म मार्ग सत्य व अहिंसा का मार्ग है। मन, वचन, कर्म की पवित्रता अनिवार्य है। ऐसी यात्रा उनकी अंतिम यात्रा है। इसे उन्होंने धर्मयात्रा का नाम दिया है। ऐसी यात्रा के लिए वे वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहते थे। धर्मयात्रा में हवाई जहाज, मोटर या बैलगाड़ी में जाने वाले को लाभ नहीं मिलता। यात्रा में कष्ट सहना पड़ता है। लोगों का दर्द समझना पड़ता है। तभी यात्रा सफल होती है। गांधी जी किसी भी तरह विदेशी शासन के राक्षसी राज के अनुसार काम करने के लिए तैयार नहीं थे।

8. गांधी जी की दृढ़ निष्ठा, ईमानदारी और चारित्रिक दृढ़ता से बड़े-बड़े सरकारी अधिकारी भी प्रभावित थे। वे जानते थे कि अगर गांधी नमक कानून तोड़ेंगे तो सबके सामने कहकर तोड़ेंगे। वे चोरी और चुपके-से कोई काम नहीं करेंगे। फिर भी प्रशासन के कुछ लोगों को उन पर संदेह था। दूसरे, उनके मन में आशंका थी कि गांधी जी के न चाहते हुए भी कानून को उल्लंघन हो गया तो व्यर्थ में संकट खड़ा हो जाएगा। इसलिए सावधानी के लिए उन्होंने नदी के तट पर जमा नमक के भंडार हटवा दिए और उन्हें नष्ट करवा डाला।

9. गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े रहे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अभी और कुछ लोग रात में नदी पार करेंगे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। लोगों की यह भावना विपरीत परिस्थिति में हिम्मत व साहस से डटे रहने का परिचय देती है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

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प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से )

प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
उत्तर:
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में इसलिए कभी मुश्किल नहीं हुई क्योंकि कवि की माँ ने उसे समझा दिया था कि दक्षिण दिशा में पैर करके मत सोना। दक्षिण की दिशा में यमराज रहता है। दक्षिण दिशा, मौत की दिशा है। माँ के आज्ञाकारी पुत्र कवि ने इसे भलीभाँति अपने जीवन में अपना लिया।

प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
उत्तर:
दक्षिण दिशा का कोई ओर-छोर नहीं है, क्योंकि पृथ्वी गोल है। किसी भी एक दिशा में लगातार चलते-चलते व्यक्ति फिर वहीं आ जाता है। यही बात दक्षिण दिशा पर भी लागू होती है। इसलिए कवि ने कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर:
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है क्योंकि-

  1. उसकी माँ ने जब उसे दक्षिण दिशा का ज्ञान कराया था तब से आज की परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं।
  2. सभ्यता का विकास खतरनाक दिशा की ओर बढ़ता गया।
  3. आज लोगों की सामाजिक सोच और मानवीय मूल्यों में परिवर्तन आ गया है।
  4. आज धन कमाने की लालसा में लोग दूसरों का शोषण करने से भी नहीं चूकते हैं।
  5. आज समाज में धनलोलुपता बढ़ी है, जिससे शोषक चारों ओर फैल गए हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिएसभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं और वे सभी में एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं।
उत्तर:
भाव यह है कि शोषकों के हाथ बहुत मजबूत हैं। ये धनबल और बाहुबल से समर्थ होने के कारण आलीशान महलों में रहते हैं। वे अपनी डरावनी गतिविधियों, क्रोध, हिंसा क्रूरता के कारण भयानक दिखाई देते हैं।

प्रश्न 5.
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती हैं। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी-
(क) वे आपको क्या सीख देती हैं?
(ख) क्या उनकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
उत्तर:
(क) मैं समाज का अच्छा नागरिक एवं नेक इंसान बनँ तथा हमारे अंदर अच्छे ‘मानवीय गुणों का विकास हो, इसके लिए मेरी माँ भी समय-समय पर सीख देती हैं।
उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  1. पढ़ाई के समय पढ़ने तथा खेलने के समय खेलने के लिए कहती हैं।
  2. अपने से बड़ों का आदर तथा उन्हें प्रणाम करने के लिए कहती हैं।
  3. दीन-दुखियों की मदद करने के लिए कहती हैं।
  4. अजनबियों के साथ विशेष निकटता बढ़ाने के लिए मना करती हैं।
  5. झूठ बोलने से बचने के लिए कहती हैं।
  6. सार्वजनिक वस्तुओं को क्षति न पहुँचाने के लिए कहती हैं।
  7. ईश्वर में विश्वास बनाए रखने के लिए कहती हैं।

(ख) हाँ, माँ की सीख हमें हमेशा ही उचित जान पड़ती है क्योंकि प्रत्येक माँ अपनी संतान की भलाई की बातें सोचती हैं और अपने पुत्र को बुराई से बचाने का प्रयास करती हैं।

प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना इसलिए आवश्यक हो जाता है क्योंकि मानव मन अशुभ की भावना से बहुत डरता है। ईश्वर का भय व्यक्ति को बुरे कर्म करने से भयभीत करता है। वह सेचता है कि उसके हाथ से कोई अशुभ या बुरा कर्म न हो ताकि उसे ईश्वरीय दंड का भागीदार न बनना पड़े।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं.

प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
कविता की पहली दो पंक्तियाँ पढ़कर मेरे मन में बच्चों के प्रति करुणा तथा व्यवस्था के प्रति आक्रोश का भाव उठता है। सर्दी तथा कोहरे में बच्चों को घर में होना चाहिए, इस उम्र में उन्हें खेलना चाहिए, स्कूल जाना चाहिए पर विडंबना देखिए कि उन्हें काम पर जाना पड़ रहा है। पता नहीं इस राष्ट्रीय समस्या का समाधान कब होगा।

प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर:
किसी बात का विवरण देने का अर्थ है-बात को सामान्य मानकर उसकी जानकारी भर देना। विवरण के साथ लेखक का कोई भावनात्मक लगाव नहीं होता। न ही कोई गहरी चिंता होती है। परंतु प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करने में एक चिंता होती है, जिज्ञासा और तड़प होती है, समस्या के साथ गहरा जुड़ाव प्रकट होता है। अतः लेखक चाहता है कि बाल-मजदूरी की समस्या के साथ समाज का गहरा सरोकार होना चाहिए। उसे सामान्य बात मानकर नजर-अंदाज नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर:
समाज के बड़े वर्ग को आज भी गरीबी का अभिशाप झेलना पड़ रहा है। इस गरीबी और समाज की व्यवस्था के कारण करोड़ों बच्चों को अपने परिवार की आर्थिक गतिविधियों तथा जिम्मेदारियों में हाथ बटाना पड़ता है। न चाहते हुए भी वे मजदूरी करने को विवश हैं। उनके माता-पिता के पास गेंद, खिलौने, किताबें आदि खरीदने की क्षमता नहीं हैं, इसलिए वे सुविधा और मनोरंजन के साधनों से वंचित हैं।

प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पजाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
इस उदासीनता के अनेक कारण हो सकते हैं-
पहला कारण यह है कि लोग अपनी-अपनी दुनिया में इतने मस्ते हैं कि वे दूसरों की तरफ देखकर भी नहीं देखते। इसलिए उन्हें बाल-श्रम की समस्या कोई समस्या ही नहीं प्रतीत होती। वे बचपन से ऐसा ही देखते और मानते आए हैं कि यह तो होता ही है।

दूसरा कारण है-जागरूक न होना। अधिकतर मनुष्य यह सोच ही नहीं पाते कि हर बच्चे को प्राथमिक सुख-सुविधा। दिलाना सरकार का कर्तव्य है। इसलिए वे भगवान को और भाग्य को दोष देकर कोई प्रयत्न करने से रह जाते हैं।
तीसरा कारण है-विवशता। लोग सोचते हैं कि वे इस दिशा में कुछ नहीं कर सकते। इसलिए वे धीरे-धीरे इस ओर से उदासीन हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर:
मैंने अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकान पर, ढाबे पर, होटलों पर, सब्जियों या विभिन्न दुकानों पर, समृद्ध वर्ग के घरों में तथा प्राइवेट कार्यालयों में काम करते हुए देखा है।

प्रश्न 6.
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर:
कवि ने बच्चों के काम पर जाने की घटना को हादसा इसलिए कहा है क्योंकि यह उनके प्रति घोर अन्याय है। हर बच्चे को जन्म से ही सब सुख-सुविधाएँ मिलनी चाहिए। उन्हें खेल-कूद, मनोरंजन और पढ़ाई-लिखाई का अवसर अवश्य मिलना चाहिए। जो बच्चे काम पर जाते हैं, वे गरीबी और मज़बूरी के कारण जाते हैं। यह उनके साथ सरासर अन्याय है। इससे उनका जीवन अंधकार में डूब जाता है। वे जीवनभर गरीब मज़दूर बनकर रह जाते हैं। अतः उनका बचपन में काम करना एक भयानक हादसा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
उत्तर:
मेरे विचार से बच्चों को काम पर बिलकुल नहीं भेजा जाना चाहिए। कारण यह है कि बच्चों की उम्र कच्ची होती है। मन भावुक होता है। यह उनके खेलने-खाने और सीखने की उम्र होती है। उन्हें पर्याप्त कोमलता और संरक्षण की आवश्यकता होती है।
बच्चों को पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने, घूमने-फिरने और मनोरंजन करने के भरपूर अवसर मिलने चाहिए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

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प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?
उत्तर:
लोग बाढ़ की खबर सुनकर चिंतित हो गए। बाढ़ के कारण उन्हें अनेक परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं। इन सभी आने वाली कठिनाइयों का ध्यान में रख कर लोग अपने घर ईंधन, आलू, दियासलाई, कंपोज की गोलियाँ, मोमबत्तियाँ, पीने का पानी, सिगरेट आदि का प्रबंध करने लगे। सबसे ज्यादा परेशान दुकान वाले थे। वे अपने सामान को जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना चाहते थे। लोग अपने सामान को रिक्शा, टमटम, टैम्पो और ट्रकों में लादकर अन्यत्र जाने की तैयारी कर रहे थे।

प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?
उत्तर:
लेखक ने बाढ़ को कई बार देखा था। उसने अनेक बार बाढ़-पीड़ितों की सहायता भी की थी। परंतु किसी नगर में, विशेषकर अपने नगर में पानी किस प्रकार घुसेगा-यह जानना बिल्कुल नया अनुभव था। इसलिए उसे घुसते हुए पानी को देखने की बड़ी उत्सुकता थी। उसने रिक्शावाले को यही शब्द कहे थे- “चलो, पानी कैसे घुस गया है, वही देखना है।”

प्रश्न 3.
सबकी जुबान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
उत्तर:
सन् 1967 में पटना में लगातार अठारह घंटे तक वर्षा होती रही। इससे अपने इलाके में पानी घुस आने के भय से लोगों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी कि पानी कहाँ तक आ गया है? हर व्यक्ति यह जानना चाहता था कि बाढ़ कहाँ तक आई है और उसकी कॉलोनी में पहुँचने में कितना समय लग सकता है। जिन इलाकों को वे सुरक्षित समझ रहे थे, वे सुरक्षित हैं भी या नहीं। इस प्रकार जनसमूह के कथन में उत्कट जिज्ञासा, कुतूहल तथा नया अनुभव प्राप्त करने की भावनाएँ व्यक्त हो रही हैं।

प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
बाढ़ के लगातार बढ़ते जल को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा गया है।
क्यों-बाढ़ के इस जल ने न जाने कितने प्राणियों को उजाड़ दिया था, बहा दिया था और बेघरबार करके मौत की नींद सुला दिया था। इस तरल जल के कारण लोगों को मरना पड़ा, इसलिए इसे मृत्यु का तरल दूत कहना बिल्कुल सार्थक है।

प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर:
आपदाओं से निपटने के लिए मैं अपनी तरफ से कुछ सुझाव देना चाहूँगा जो निम्नलिखित हैं-

  1. बाढ़ आने की संभावना को देखते हुए कुछ आवश्यक वस्तुओं-मोमबत्ती, माचिस, ईंधन, सब्जियाँ, राशन, कुछ आवश्यक दवाईयों का प्रबंध कर लेना चाहिए।
  2. प्राथमिक उपचार में काम आने वाली दवाएँ जरूर रख लेनी चाहिए। बाढ़ की स्थिति में उल्टी-दस्त, पेंचिस, हैजा, मलेरिया आदि होने की संभावना बढ़ जाती है। कभी-कभी ये महामारी का रूप ले लेती हैं। इन्हें फैलने से बचने का उपाय अवश्य करना चाहिए।
  3. बाढ़ के साथ कुछ जहरीले कीड़े-मकोड़े घर में आ जाते हैं। इनसे भी बचने का प्रयत्न करना चाहिए।
  4. बाढ़ आने की संभावना में कीमती वस्तुओं को ऊँचाई वाली जगह पर रख देना चाहिए। (७) दूषित पानी के प्रयोग से बचना चाहिए।
  5. हम लोगों को जागरूक करें कि प्लास्टिक की थैलियों को इधर-उधर न फेंके, क्योंकि ये थैलियाँ इधर-उधर नालों में फंसकर अवरोध उत्पन्न करती हैं।
  6. वर्षा के जल का संचयन एवं उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए ताकि वर्षा का अतिरिक्त जल बाढ़ का कारण न बन सके।
  7. नदी, नालों पर बाँध बनाकर पानी को रोकना चाहिए।

प्रश्न 6.
“ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए… अब बूझो!’ इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
उत्तर:
इस कथन द्वारा आम लोगों के मन में बैठी ईष्र्या-द्वेष की दुर्भावना पर गहरी चोट की गई है। गाँव और शहर का अंतर सदा-से बना रहा है। अतः ग्रामीणों और नगरवासियों के मन में आपसी कटुता भी घर किए रहती है। यही कटुता उस गॅवार मुस्टंडे के वचनों से प्रकट हुई है। वह मुस्टंडा चाहता है कि बाढ़ से पटनावासियों का भी बुरा हो, ताकि वे भी गाँववासियों की तरह दुखी हों।

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?
उत्तर:
सन् 1967 में पटना में जब लगातार अठारह घंटे वर्षा होती रही तो जगह-जगह पानी भर गया और बाढ़ का खतरा मँडराने लगा। इस समय तक सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी थी। बस पान की दुकान खुली थी। लोग बढ़ते पानी का हाल-चाल जानने के लिए वहाँ इकट्ठा हो रहे थे। वे अपना समय काटने के लिए पान भी खाते जा रहे थे। यही कारण था कि पान की बिक्री अचानक बढ़ गई थी।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए?
उत्तर:
जब लेखक को अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने सबसे पहले ईंधन का प्रबंध किया। फिर खाने के लिए आलू, प्रकाश के लिए मोमबत्ती और दियासलाई, पीने के लिए पानी तथा कंपोज़ की गोलियाँ एकत्र कीं। उसने बाढ़ आने पर छत पर चले जाने का भी प्रबंध सुनिश्चित कर लिया।

प्रश्न 9.
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
उत्तर:
बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में चारों ओर पानी भर जाता है। ऐसे में मनुष्य अब अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कहीं आता-जाता है तो पैर में बार-बार पानी लगने के कारण पकाही घाव जैसा रोग उत्पन्न हो जाता है। इसके अलावा दूषित खाद्य एवं पेय-पदार्थों के सेवन से उस क्षेत्र में मलेरिया, उल्टी-दस्त, पेचिस, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियाँ फैलने की संभावना रहती है।

प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया?
उत्तर:
नौजवान और कुत्ता परस्पर गहरे आत्मीय थे। दोनों एक-दूसरे के सच्चे साथी थे। उनमें मानव और पशु का भेदभाव भी नहीं था। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। यहाँ तक कि नौजवान को कुत्ते के बिना मृत्यु भी स्वीकार नहीं थी। इस व्यवहार से उनकी गहरी मैत्री का परिचय मिलता है।

प्रश्न 11.
“अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास ।’ मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?
उत्तर:
लेखक ने देखा कि उसकी कॉलोनी के आसपास का सारा भाग ही पानी में डूबने लगा है तो उसने महसूस किया कि अच्छा है कि उसके पास कुछ भी नहीं है। उसके पास ये मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर होते भी तो वह आसपास के लोगों की हृदय विदारक चीखें तथा विभीषिका के दृश्य भले ही कैद कर लेता, पर इससे बाढ़ में फंसे लोगों का कोई कल्याण नहीं हो सकता था। यह सब लेखक के लिए लेखन का विषय बन सकता था पर यह सब उनके किस काम का। वह मात्र तमाशबीन बनकर रह जाता। लेखक जो हमेशा से बाढ़-पीड़ितों की मदद करता आया था, वह उनकी मदद न कर पाता इसलिए उसने ऐसा कहा कि ‘अच्छा है कुछ भी नहीं। कलम थी वह भी चोरी ॐ चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मीडिया जहाँ समस्याओं की ओर हमारा ध्यान खींचकर उनका हल प्रस्तुत करता है, वहीं कई बार समस्याओं को बढ़ा भी देता है। उदाहरणतया, गुजरात में गोधरा नामक स्टेशन पर एक रेल बोगी में कुछ सांप्रदायिक ताकतों ने आग लगा दी। इस घटना को मीडिया ने इस ढंग से मसाले लगा-लगाकर प्रस्तुत किया कि वहाँ सांप्रदायिक दंगा लावे की तरह फूट पड़ा। मीडिया ने सनसनी फैलाने के उद्देश्य से उत्तेजक दृश्य दिखाए, परिणामस्वरूप पूरा गुजरात उत्तेजित हो उठा

प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सितंबर 2010 में हम दिल्ली से मुरादाबाद-बरेली होकर लखनऊ जा रहे थे। हमने मुरादाबाद से पहले गढ़ मुक्तेश्वर में पुल से ही उफनती गंगा को देखा और देखा उसके आसपास जल प्लावित क्षेत्रों को। आगे जाने पर देखा कि मुरादाबाद-बरेली का मुख्य मार्ग पानी में डूबा है उससे पहले ही सड़क पर अनेक वाहन खड़े थे। पुलिसवाले वहाँ से वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे थे। सड़क पर पानी अत्यंत तेज़ी से बह रहा था। लोग अपने सामानों की गठरी बाँधे बच्चों तथा मवेशियों के साथ सड़क के किनारे बने फुटपाथ पर तथा कुछ ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर जमा थे। उनके मुरझाए तथा करुणापूर्ण चेहरे देख कर हम दयार्द्र हो उठे। हमने यथासंभव उनकी मदद की और वहीं से वापस आ गए। यह हृदय विदारक दृश्य मुझे हमेशा याद रहेगा।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

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प्रश्न-अभ्यास

( पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर:
थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर लेखक भिखमंगे के वेश में होने के बाद भी ठहरने का स्थान पा गया क्योंकि उस समय उनके साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की उस गाँव में जान-पहचान थी।
दूसरी यात्रा के समय लेखक भद्र वेश में था पर वह उस गाँव के लोगों के लिए अपरिचित था। उस यात्रा में लेखक शाम के समय वहाँ पहुँचा था। शौम के समय गाँव के लोग छङ् पीकर होश-हवास खो बैठते हैं। इसके अलावा उसके साथ सुमति भी नहीं था, इसलिए वह ठहरने के लिए स्थान नहीं पा सका।

प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर:
सन् 1929-30 के तिब्बत में हथियार रखने से संबंधित कोई कानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बंदूक आदि रखते थे। दूसरे, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ न पुलिस का प्रबंध था, न खुफिया विभाग का। वहाँ डाकू किसी को भी आसानी से मार सकते थे। इसलिए यात्रियों को हत्या और लूटमार का भय बना रहता था।

प्रश्न 3.
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर:
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से निम्नलिखित कारणों से पिछड़ गया

  1. लेखक का घोड़ा धीरे-धीरे चल रहा था।
  2.  घोड़े के सुस्त पड़ने से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
  3.  वह दूसरे रास्ते पर डेढ़-दो मील चलता गया और फिर वापस आकर दूसरे रास्ते पर गया।

प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी
बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर: 
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से इसलिए रोका ताकि वह वहाँ जाकर अधिक समय न लगाए। इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती।

दूसरी बार, लेखक को वहाँ के मंदिर में रखी अनेक मूल्यवान हस्तलिखित पुस्तकें मिल गई थीं। वह एकांत में उनका अध्ययन करना चाहता था। इसलिए उसने सुमति को यजमानों के पास जाने की अनुमति दे दी।

प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
अपनी यत्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा

  1. लेखक को ऊँचे-नीचे पहाड़ी रास्ते पर तेज धूप में यात्रा करना पड़ा।
  2. उसे यह यात्रा डाकुओं के भय के साए में करनी पड़ी।
  3.  उसे रास्ते में डाकुओं जैसी सूरत को देखते ही “कुची-कुची एक पैसा” कहकर उससे भीख माँगनी पड़ी।
  4.  उसका घोड़ा सुस्त था, इसलिए वह अपने साथियों से बिछड़ गया।
  5. समय से न पहुँच पाने के कारण उसे सुमति के गुस्से का सामना करना पड़ा।
  6.  वापस आते समय उसे अपना सामान पीठ पर लादकर यात्रा करनी पड़ी।
  7.  उसे भिखमंगों के वेश में यात्रा करनी पड़ी।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर:
तिब्बत का तिरी प्रदेश विभिन्न जागीरों में विभक्त है। अधिकतर जागीरें विभिन्न मठों के अधीन हैं। जागीरों के मालिक खेती का प्रबंध स्वयं करवाते हैं। खेती करने के लिए उन्हें बेगार मज़दूर मिल जाते हैं। सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता है। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता है। तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं हैं। कोई अपरिचित व्यक्ति भी किसी के घर में अंदर तक जा सकता है। वह अपनी झोली में से चाय की पत्ती देकर घर की महिलाओं से चाय बनवा सकता है। सास-बहू-कोई भी इसका बुरा नहीं मानती। हाँ, बहुत निम्न श्रेणी के भिखमंगों को घरों में नहीं घुसने दिया जाता। तिब्बत के लोग जान-पहचान होने पर यात्रियों के ठहरने का अच्छा प्रबंध करते हैं। शाम के छः बजे के बाद वे छङ पीकर मस्त हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था। नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:
(क) इन विकल्पों में ‘क’ सही है। यह वाक्य का सही अर्थ बतलाता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:
सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है। तिब्बत के तिङी प्रदेश में लगभग हर गाँव में उसके परिचित हैं। वह उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता है। लोग उसे आदरपूर्वक घर में स्थान देते हैं। वह सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है। लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं।
सुमति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।

प्रश्न 9.
हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।’–उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:
सामान्यतया लोगों में एक धारणा बन गई है कि पहली बार मिलने वाले व्यक्ति का आँकलने उसकी वेशभूषा देखकर किया जाता है और जाते समय उसके विचारों से। लोग व्यक्ति के कपड़ों को देखकर एक धारणा बना लेते हैं और उसका मान-सम्मान भी वैसा ही करते हैं। स्वयं लेखक को भी इन परिस्थितियों से दो चार होना पड़ा था। मेरे विचार से हमारा आचार-विचार तथा व्यवहार का तरीका व्यक्ति की वेशभूषा के आधार पर तय नहीं होना चाहिए।
यह आवश्यक नहीं कि अच्छे कपड़े पहननेवाले सभी लोग अच्छा इंसान ही होते हैं। यदि ऐसा होता तो सभी सफेदपोश नेतागण अच्छे व्यक्ति होते। अच्छी वेशभूषा में कुत्सित विचारों वाले लोग हो सकते हैं। सस्ते तथा निम्न कपड़े से कोई व्यक्ति निम्नकोटि का नहीं हो जाता है। कीचड़ में खिलने से कमल की सुंदरता तो कम नहीं हो जाती है।

प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ हैं। पहाड़ों के अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सूने प्रदेश बसे हुए हैं। यहाँ मीलोंमील तक कोई आबादी नहीं होती। दूर तक कोई आदमी नहीं दीख पड़ता। एक ओर हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं। तिङी नामक स्थान तो अद्भुत है। इसमें एक विशाल मैदान है जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं और बीचोंबीच भी एक पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर एक मंदिर है, जिसे पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया है।

प्रश्न 11.
आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:
छात्र अपने दूद्वारा की गई यात्रा के आधार पर अपने अनुभव स्वयं लिखें।

प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर:
इस पाठ्य पुस्तक में निम्नलिखित पाठ तथा विधाएँ हैं

दो बैलों की कथा : कहानी
ल्हासा की ओर : यात्रा-वृत्तांत
उपभोक्तावाद की संस्कृति : निबंध
साँवले सपनों की याद : रेखाचित्र
देवी मैना को भस्म कर दिया गया : कहानी
प्रेमचंद के फटे जूते : व्यंग्य
मेरे बचपन के दिन : संस्मरण
एक तोता और एक मैना : संस्मरण

‘ल्हासा की ओर’ यात्रा-वृत्तांत है। यह कहानी, संस्मरण, व्यंग्य, निबंध सबसे अलग हैं। इसका मुख्य विषय है-यात्रा का वर्णन। पूरा पाठ यात्रा से आरंभ होकर यात्रा पर समाप्त होता है। इसमें मानव-चरित्र के अनुभव बहुत संक्षिप्त रूप में आए हैं। जबकि कहानी, रेखाचित्र और संस्मरण में मानव-चरित्र का चित्रण है। निबंध में विचार-विवेचन है। इसलिए वह भी यात्रा-वृत्तांत से अलग विधा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है; जैसे सुबह होने से पहले हम गाँव में थे। पौ फटने वाला था कि हम गाँव में थे। तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए। नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए– ‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर:
उक्त वाक्य को निम्न ढंग से अलग-अलग तरीकों में लिखा जा सकता है

  1.  पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
  2. यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा चल भी रहा है या नहीं।
  3.  घोड़े की गति के बारे में संदेह हो रहा था कि आगे जा रहा है या पीछे।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
इस पाठ में प्रयुक्त आंचलिक शब्द इस प्रकार हैं-
चोड़ी, खोटी, राहदारी, छङ, डाँडा, गिराँव, कुची-कुची, कंडे, थुक्पा, गंडा, भरिया, कन्जुर।

प्रश्न 15.
पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।:
उत्तर:
मुख्य, व्यापारिक, फौजी, बहुत, परित्यक्त, भद्र, चीनी, निम्न, अपरिचित, दूध वाली, टोंटीदार, सारा, दोनों, आखिरी, अच्छी, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, कम, अगला, नंगे, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, मुश्किल, लाल, ठंडा, अच्छे, गरमागरम, विशाल, छोटी-सी, पतली-पतली, हफ्ताभर, तेज, कड़ी, छोटे-बड़े, बहुत ज्यादा, मोटे।

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