Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 12 इंद्रप्रस्थ

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 12 इंद्रप्रस्थ

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 12

प्रश्न 1.
लाख के घर से बच निकलने की बात सुनकर धृतराष्ट्र और दुर्योधन की प्रतिक्रिया कैसी थी ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र को जब यह पता चला कि वे जीवित हैं और राजा द्रुपद की बेटी हमारी बहू बनेगी तो उनको बहुत प्रसन्नता हुई। परन्तु दुर्योधन के मन में ईर्ष्या की अग्नि और प्रबल हो उठी। दबा हुआ बैर फिर से जाग उठा।

प्रश्न 2.
कर्ण ने पांडवों के संबंध में दुर्योधन को क्या राय दी ?
उत्तर:
कर्ण ने दुर्योधन से कहा कि एक साल बाहर रहकर और काफी दुनिया देखकर पांडव बहुत अनुभवी हो गए हैं। एक शक्ति सम्पन्न राजा के यहाँ उन्होंने शरण ली है। अब छल प्रपंच से काम नहीं चलेगा। द्रुपद किसी तरह के प्रलोभन में भी आने वाला नहीं है। एक ही उपाय है कि पांडवों की ताकत बढ़ने से पहले ही उन पर आक्रमण कर दिया जाए।

प्रश्न 3.
भीष्म ने दुर्योधन को क्या सलाह दी और क्यों ?
उत्तर:
भीष्म ने दुर्योधन से कहा कि पांडवों के साथ संधि करके उन्हें आधा राज्य दे देना उचित रहेगा। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि ये सभी एक साथ एक जगह नहीं रह सकते थे। एक साथ रहकर बैरभाव और बढ़ता।

प्रश्न 4.
द्रोणाचार्य ने क्रोधित होकर कर्ण से क्या कहा ?
उत्तर:
द्रोणाचार्य ने कर्ण से कहा कि तुम राजा को गलत रास्ता बता रहे हो। यह निश्चित है कि यदि राजा धृतराष्ट्र ने मेरी तथा पितामह भीष्म की सलाह नहीं मानी और तुम जैसों की सलाह पर चले तो कौरवों का नाश अवश्यंभावी है।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 12 इंद्रप्रस्थ

प्रश्न 5.
विदुर ने धृतराष्ट्र को क्या सलाह दी ?
उत्तर:
विदुर ने धृतराष्ट्र को बताया कि जो आचार्य द्रोण और पितामह भीष्म कह रहे हैं, वही श्रेयकर है। कर्ण की सलाह किसी काम की नहीं है। अतः पांडवों को आधा राज्य दे देना चाहिए।

प्रश्न 6.
धृतराष्ट्र ने विदुर को पांचाल देश क्यों भेजा ?
उत्तर:
कुंती तथा पाँचों पांडव द्रौपदी स्वयंवर के बाद पांचाल नरेश के यहाँ ठहरे हुए थे। उनको सादर लिवा लाने के लिए ही विदुर को पांचाल देश भेजा।

प्रश्न 7.
हस्तिनापुर में पांडवों का स्वागत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
हस्तिनापुर में पांडवों का स्वागत बड़ी धूमधाम से हुआ। युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया तथा उनको आधा राज्य दे दिया। खांडवप्रस्थ उनकी राजधानी बनी। जो बाद में इंद्रप्रस्थ के नाम से जानी गई।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 12 इंद्रप्रस्थ

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 12

राजा द्रुपद की कन्या को स्वयंवर में अर्जुन द्वारा प्राप्त करने की खबर सुनकर विदुर बहुत प्रसन्न हुए। विदुर ने जब यह खबर धृतराष्ट्र को सुनाई तो वह भी बहुत प्रसन्न हुआ। दुर्योधन को जब इस बात का पता चला तो उसके मन में ईर्ष्या की आग और धधकने लगी। दुर्योधन और दुःशासन ने शकुनि को अपना दुःखड़ा सुनाया। इसके बाद कर्ण और दुर्योधन धृतराष्ट्र के पास गए और कहा कि अब कुछ ऐसा उपाय किया जाए कि पांडव यहाँ आएँ ही नहीं। कर्ण ने दुर्योधन को समझाते हुए कहा कि अब छल प्रपंच से कार्य नहीं चलेगा। पांडव बहुत अनुभवी हो चुके हैं, उन्होंने एक राजा के यहाँ शरण ली है। द्रुपद को आप किसी भी प्रकार से अपने पक्ष में नहीं कर सकते। हमें अब एक ही काम करना चाहिए कि पांडवों की ताकत बढ़ने से पहले ही उन पर आक्रमण कर देना चाहिए। कर्ण तथा अपने बेटों की परस्पर विरोधी बातें सुनकर धृतराष्ट्र कोई निर्णय न ले सके। उन्होंने पितामह भीष्म और आचार्य द्रोण को बुलाकर सलाह की। भीष्म पांडवों के जीवित बचने की खबर से बहुत प्रसन्न हुए। भीष्म ने कहा कि वीर पांडवों के साथ संधि-करके आधा राज्य उन्हें दे देना ही उचित है। कर्ण को आधा राज्य दे देने की बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। द्रोणाचार्य ने भी यही सलाह दी जिसे सुनकर दुर्योधन के क्रोध की सीमा न रही। द्रोणाचार्य ने कहा कि यदि धृतराष्ट्र ने भीष्म तथा मेरी सलाह न मानी तो कौरवों का नाश निश्चित है। धृतराष्ट्र ने विदुर से भी सलाह मांगी तो उन्होंने कहा कि जो सलाह पितामह भीष्म व द्रोण ने दी है, वही श्रेयकर है।

अंत में सबने सोच विचारकर पांडवों को आधा राज्य देकर संधि करने का निश्चय किया। कुंती, द्रौपदी तथा पांडवों को सादर लिवा लाने के लिए विदुर को पांचाल भेजा। विदुर ने पांचाल पहुँचकर अमूल्य उपहारों से पांचाल नरेश का सम्मान किया। उन्होंने धृतराष्ट्र की तरफ से अनुरोध किया कि पांडवों की जैसी इच्छा हो वैसा ही करें। विदुर ने कुंती को निश्चिंत होकर हस्तिनापुर चलने के लिए कहा। अन्त में द्रुपद की अनुमति के बाद पांडव, कुंती और द्रौपदी सहित हस्तिनापुर को रवाना हो गए। हस्तिनापुर पहुंचने पर पांडवों का खूब स्वागत हुआ तथा युधिष्ठिर का विधिवत राज्याभिषेक हुआ। धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से कहा बेटा युधिष्ठिर! मेरे बेटे बड़े दुरात्मा हैं एक साथ रहने से तुम्हारे बीच बैर बढ़ेगा इसलिए तुम खांडवप्रस्थ को अपनी राजधानी बनाओ। पांडवों ने खांडवप्रस्थ का पुनः निर्माण करके उसे अपनी राजधानी बनाया और उसका नाम इन्द्रप्रस्थ रखा।

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