Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 31

प्रश्न 1.
दसवें दिन का युद्ध शुरू होते ही पांडवों ने शिखंडी को आगे क्यों कर दिया?
उत्तर:
शिखंडी के बारे में आपने पहले पढ़ा है कि अंबा ने तप करके भीष्म से बदला लेने के लिए शिखंडी का रूप धारण किया था। भीष्म औरतों पर बाण नहीं चला सकते थे अतः पांडवों ने शिखंडी को आगे कर दिया। इस कारण भीष्म ने धनुष बाण नीचे रख दिये। मौका पाकर अर्जुन ने भीष्म के शरीर को बाणों से छलनी कर दिया।

प्रश्न 2.
अर्जुन ने भीष्म की प्यास को कैसे बुझाया ?
उत्तर:
भीष्म के कहने पर अर्जुन ने धनुष तानकर भीष्म की दाहिनी बगल में पृथ्वी पर बड़े जोर से मारा। बाण पृथ्वी में घुसकर सीधा पाताल में जा लगा। उसी क्षण वहाँ से जल का स्रोत फूट निकला। पितामह भीष्म ने अमृत के समान मधुर व शीतल जल से अपनी प्यास बुझाई।

प्रश्न 3.
कर्ण जब भीष्म के पास गए तो भीष्म ने कर्ण से क्या कहा ?
उत्तर:
भीष्म ने कर्ण से कहा-“बेटा तुम राधा के पुत्र नहीं, कुंती के पुत्र हो। मैंने तुमसे कभी द्वेष नहीं किया। अकारण ही तुमने पांडवों से बैर रखा। तुम पांडवों में ज्येष्ठ हो। तुम उनसे मित्रता कर लो। मेरी इच्छा है कि युद्ध में मेरे सेनापतित्व के साथ ही पांडवों के प्रति तुम्हारे बैर-भाव का आज ही अंत हो जाए।

प्रश्न 4.
कर्ण ने भीष्म के इस कथन का कि तुम पांडवों से मित्रता कर लो, क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
कर्ण ने कहा-“पितामह मैं जानता हूँ कि मैं कुंती पुत्र हूँ, लेकिन यह मुझसे नहीं होगा कि मैं ऐसे समय में दुर्योधन का साथ छोड़ दूं और उनके शत्रुओं से जा मिलूँ। मैं दुर्योधन के पक्ष में ही रहकर युद्ध करना चाहता हूँ।”

प्रश्न 5.
दुर्योधन, कर्ण और दुःशासन युधिष्ठिर को जीवित क्यों पकड़ना चाहते थे ?
उत्तर:
दुर्योधन का मानना था कि युधिष्ठिर को जीवित पकड़ लिया जाए तो युद्ध शीघ्र ही बंद हो सकता है और कौरवों की जीत हो जाएगी। थोड़ा राज्य युधिष्ठिर को देकर बाद में उसके साथ जुआ खेलकर उससे राज्य सहज ही छीन लेंगे।

प्रश्न 6.
युधिष्ठिर के पकड़े जाने का शोर होने पर अर्जुन ने युधिष्ठिर को किस प्रकार छुड़ाया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर के पकड़े जाने का शोर होने पर अचानक अर्जुन आ गया। उसने बाणों की ऐसी वर्षा की कि आकाश बाणों से भर गया और मैदान में अंधकार-सा छा गया। अर्जुन के हमले के कारण द्रोणाचार्य को पीछे हटना पड़ा और युधिष्ठिर को जीवित पकड़ने का उनका प्रयत्न विफल हो गया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 31

दसवें दिन का युद्ध शुरू होते ही पांडवों ने शिखंडी को आगे कर दिया। अर्जुन ने शिखंडी की आड़ लेकर पितामह के ऊपर बाण बरसाए। पितामह ने शिखंडी पर बाण नहीं चलाया। इस प्रकार, अर्जुन ने भीष्म को पूरी तरह से बाणों से बींध दिया। भीष्म रथ से सिर के बल युद्ध भूमि में गिर पड़े। भीष्म का सिर नीचे लटक रहा था। भीष्म के कहने पर अर्जुन ने ऐसे बाण छोड़े कि भीष्म के सिर के नीचे बाणों का तकिया बन गया। अर्जुन ने एक बाण पृथ्वी में मारा जिससे एक जल धारा फूट पड़ी जिससे भीष्म ने अपनी प्यास बुझाई। कर्ण को जब पता चला तो वे भीष्म के पास गए। भीष्म ने उन्हें बताया कि तुम कुंती के पुत्र हो। तुम पांडवों में सबसे बड़े हो। अकारण ही तुमने पांडवों से बैर रखा। तुम अब पांडवों से मित्रता कर लो। कर्ण ने यह कहकर मना कर दिया कि मैं अब दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ सकता। आप मुझे अनुमति दें कि मैं दुर्योधन की ओर से लहूं। मैं आपसे अपने सभी दोषों के लिए क्षमा मांगता हूँ।

भीष्म पितामह का आशीर्वाद पाकर कर्ण रथ पर चढ़कर युद्ध क्षेत्र में गया। कर्ण को देखकर दुर्योधन बहुत प्रसन्न हुआ। भीष्म के बाद द्रोणाचार्य को सेनापति बनाया गया। द्रोणाचार्य ने पाँच दिन तक सेना का संचालन किया। उनके हाथों पांडवों की सेना बहुत सताई गई। दुर्योधन, कर्ण और दुःशासन ने सलाह करके द्रोणाचार्य से कहा कि आप किसी तरह युधिष्ठिर को जीवित पकड़कर हमारे हवाले कर दें। द्रोण दुर्योधन के उद्देश्य को समझ गया था। ऐसा करके वे अनायास ही युद्ध में विजय प्राप्त कर लेना चाहते थे। द्रोण ने ऐसी व्यूह रचना की कि उसने युधिष्ठिर को चारों ओर से घेर लिया और युधिष्ठिर को पकड़ लिया। तभी अर्जुन को पता चला उसने आकर बाणों की भीषण वर्षा की जिससे अंधेरा-सा छा गया। अर्जुन ने युधिष्ठिर को छुड़ा लिया। इसी के साथ ग्यारहवें दिन का युद्ध समाप्त हो गया।

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