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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 32 बारहवाँ दिन
Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 32
प्रश्न 1.
युधिष्ठिर को पकड़ने में असफल होने पर कौरव पक्ष की ओर से क्या अफवाह फैलाई गई ?
उत्तर:
कौरव पक्ष की ओर से अफवाह फैलाई गई थी भगदत्त के हाथी ने भीमसेन को मार दिया।
प्रश्न 2.
भीमसेन मारा गया, यह अफवाह सुनकर पांडवों ने क्या किया ?
उत्तर:
पांडव सेना ने भगदत्त को चारों ओर से घेर कर भीषण युद्ध किया। इसी बीच भगदत्त ने अर्जुन पर तोमर चलाया। अर्जुन ने क्रोध में आकर भगदत्त को बाणों से छलनी कर दिया। इस प्रकार भगदत्त का अंत हो गया।
प्रश्न 3.
शकुनि के कौन-कौन से भाई युद्ध में भाग ले रहे थे ? उनका किससे सामना हुआ ?
उत्तर:
शकुनि के दो भाई वृषक और अचक बिना विचलित हुए अर्जुन के साथ युद्ध कर रहे थे। इन दोनों भाइयों ने अर्जुन को बहुत छकाया। अंत में अर्जुन ने भयानक बाण वर्षा की जिसके कारण ये दोनों भाई घायल होकर गिर पड़े और मृत्यु को प्राप्त हुए।
प्रश्न 4.
अपने भाइयों की मृत्यु के बाद शकुनि ने क्या किया ?
उत्तर:
भाइयों की मृत्यु के बाद शकुनि के क्रोध की सीमा न रही। उसने युद्ध शुरु कर दिया और उन सब उपायों से काम लिया, जिनमें उसे कुशलता प्राप्त थी। अर्जुन के बाणों से आहत होकर शकुनि को युद्ध क्षेत्र से हटना पड़ा।
प्रश्न 5.
बारहवें दिन के अंतिम पहर में किन-किन का युद्ध हुआ ?
उत्तर:
बारहवें दिन के अंत में पांडव सेना द्रोणाचार्य पर टूट पड़ी। खून की नदियाँ बहने लगीं। असंख्य वीर खेत रहे। तभी सूर्यास्त हुआ और सेनाएँ अपने-अपने शिविरों में लौट आई।
Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 32
युधिष्ठिर को जीवित पकड़ लेने में विफल होने पर यह निश्चय किया गया कि अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा जाए और लड़ते-लड़ते उसे युधिष्ठिर से दूर ले जाया जाए। कौरवों की ओर से यह अफवाह फैलाई गई की भगदत्त के हाथी ने भीमसेन को मार दिया। युधिष्ठिर को भी विश्वास हो गया कि शायद भीमसेन मारा गया हो। वृद्ध भगदत्त को चारों ओर से घेर लिया। दूसरी ओर अर्जुन संशप्तकों से लड़ रहे थे। हाथी पर सवार भगदत्त ने श्रीकृष्ण और अर्जुन दोनों पर ही बाण चलाने शुरु कर दिए। भगदत्त द्वारा चलाया गया एक तोमर अर्जुन के मुकुट पर लगा। अर्जुन ने क्रोध में आकर भगदत्त पर बाण छोड़ा जिससे उसका धनुष टूट गया। अर्जुन ने अपने बाणों से भगदत्त की छाती भेदकर उसका काम तमाम कर दिया। कौरव सेना तितर-बितर हो गई। शकुनि के दो भाई वृषक और अचक बड़ी बहादुरी से लड़ते हुए अर्जुन के बाणों का शिकार हुए। शकुनि के क्रोध की सीमा न रही। शकुनि ने उन सब उपायों को अजमाया जो वह कर सकता था। अंत में अर्जुन के बाणों से आहत होकर शकुनि को युद्ध क्षेत्र से हटना पड़ा पांडवों की सेना द्रोणाचार्य पर टूट पड़ी। खून की नदियाँ बहने लगीं। इस प्रकार सूर्यास्त होने पर बारहवें दिन का युद्ध समाप्त हो गया।