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बड़े भाई साहब Class 10 MCQs Questions with Answers
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Question 1.
निराशा के बादल फटने पर लेखक क्या करता था ?
(a) खेलने चला जाता था
(b) झटपट एक टाइम-टेबिल बना डालता था
(c) आसमान सिर पर उठा लेता था
(d) पढ़ने बैठ जाता था
Answer
Answer: (b) झटपट एक टाइम-टेबिल बना डालता था।
Question 2.
लेखक के टाइम-टेबिल से कौन-सी मद उड़ जाती थी?
(a) इतिहास पढ़ने की
(b) खेलने-कूदने की
(c) टहलने की
(d) हिन्दी पढ़ने की
Answer
Answer: (b) खेलने-कूदने की।
Question 3.
लेखक के सिर पर किसकी नंगी तलवार लटकती रहती थी?
(a) बड़े भाई की डाँट की
(b) पढ़ाई के भार की
(c) आने वाली परीक्षा की
(d) पिता जी के उपदेश की
Answer
Answer: (a) बड़े भाई की डाँट की।
Question 4.
जब लेखक और उनके भाई में दो साल का अंतर रह गया, तब लेखक के मन में क्या आया ?
(a) वह भी अब की बार फेल हो जाए
(b) भाई की बात न सुने
(c) भाई साहब को आड़े हाथों लूँ ।
(d) अपनी मनमर्जी से चलूँ
Answer
Answer: (c) भाई साहब को आड़े हाथों लूँ।
Question 5.
चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते हैं ?
(a) जिनके सिर पर चक्र हो
(b) जिनके अधीन कई राजा हों
(c) जो पूरे भूमंडल का स्वामी हो
(d) जो दया का सागर हो
Answer
Answer: (c) जो पूरे भूमंडल का स्वामी हों।
Question 6.
अभिमान किया और …… से गया ?
(a) घर परिवार से गया
(b) समाज से गया ।
(c) देश से गया
(d) दीन-दुनिया से गया
Answer
Answer: (d) दीन-दुनिया से गया।
Question 7.
शैतान को स्वर्ग से नरक में क्यों ढकेल दिया ?
(a) उसके अभिमान के कारण
(b) उसके हठ के कारण
(c) अपने को भगवान समझने के कारण
(d) कर्म की उपेक्षा के कारण
Answer
Answer: (a) उनके अभिमान के कारण।
Question 8.
‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ मुहावरे का अर्थ है
(a) बिना माँगे कुछ मिल जाना
(b) बिना योग्यता के बहुत कुछ मिल जाना
(c) धन की प्राप्ति होना
(d) अंधा होने का फायदा मिलना
Answer
Answer: (b) बिना योग्यता के बहुत अधिक मिल जाना।
Question 9.
‘लोहे के चने चबाना’ मुहावरे का अर्थ है
(a) दाँत मजबूत होना
(b) अहंकारी होना
(c) लोहे का कार्य करना
(d) कठोर परिश्रम करना
Answer
Answer: (d) कठोर परिश्रम करना।
Question 10.
भाई साहब के फेल होने पर जब लेखक और उनमें एक दर्जे का अंतर रह गया तब लेखक के मन में क्या विचार आया ?
(a) उनके मन में कुटिल भावना उत्पन्न हुई कि भाई साहब एक बार फेल हो जाएँ तो मैं उनके बराबर आ जाऊँ
(b) उनके मन में लेखक के प्रति सहानुभूति उत्पन्न
(c) लेखक के मन में कठोर परिश्रम करने की भावना उत्पन्न हुई
(d) लेखक ने सोचा कि वह पढ़े या न पढ़े, उसे प्रथम आने से कोई नहीं रोक सकता
Answer
Answer: (a) उनके मन में कुटिल भावना उत्पन्न हुई कि यदि भाई साहब एक बार और फेल हो जाए तो वह उनके बराबर आ जाएगा।
Question 11.
लेखक को किस खेल का शौक था ?
(a) क्रिकेट खेलने का
(b) कबड्डी खेलने का
(c) फुटबॉल खेलने
(d) कनकौए उड़ाने का
Answer
Answer: (d) कनकौए उड़ाने का।
Question 12.
लेखक को अपनी लघुता का अनुभव कब हुआ ?
(a) जब उनके बड़े भाई ने उनको कनकौए उड़ाते पकड़े जाने पर उपदेश दिया
(b) जब बड़े भाई खुद कनकौए उड़ा रहे थे
(c) जब उनके भाई ने उनको थप्पड़ मारा
(d) जब लेखक के मन में कुटिल भावना उत्पन्न हुई
Answer
Answer: (a) जब उनके भाई ने उनको कनकौए उड़ाते पकड़े जाने पर उपदेश दिया!
Question 13.
बड़े भाई स्वयं क्यों नहीं खेलते थे ?
(a) उनका खेलने को मन नहीं करता था
(b) खेल को पढ़ाई में बाधक समझते थे
(c) उनका मानना था कि यदि मैं खुद बे-राह चलँगा तो अपने भाई को कैसे रोकूँगा
(d) उन्हें खेलना नहीं आता था
Answer
Answer: (c) उनका मानना था कि यदि मैं खुद बे-राह चलूँगा तो अपने भाई को कैसे रोकूँगा।
Question 14.
‘बड़े भाई साहब’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
(a) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(b) मुंशी प्रेमचंद
(c) गणेश शंकर विद्यार्थी
(d) धर्मवीर भारती
Answer
Answer: (b) मुंशी प्रेमचंद।
Question 15.
लेखक के भाई साहब उनसे कितने बड़े थे ?
(a) दो साल
(b) तीन साल
(c) चार साल
(d) पाँच साल
Answer
Answer: (d) पाँच साल।
Question 16.
‘बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने।’ लेखक ने यह कथन किस संदर्भ में कहा ?
(a) अपने भाई साहब के बार-बार फेल होने के संबंध में
(b) मकान की मजबूती के संबंध में
(c) मंद गति से कार्य करने के संबंध में
(d) अपने अध्ययन के संबंध में
Answer
Answer: (a) अपने भाई के बार-बार फेल होने के संबंध में।
Question 17.
लेखक की शालीनता किसमें थी ?
(a) चुपचाप अध्ययन करे
(b) अपने गुरुजन का कहना माने
(c) भाई साहब के हुक्म को कानून समझे
(d) हॉस्टल के बाहर न जाए
Answer
Answer: (c) भाई साहब के हुक्म को कानून समझे।
Question 18.
बड़े भाई साहब स्वभाव से कैसे थे ?
(a) अध्ययनशील
(b) शक्की स्वभाव के
(c) उदारमना
(d) लापरवाह
Answer
Answer: (a) अध्ययनशीला
Question 19.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या किया करते थे ?
(a) वे शव-आसन में लेट जाते थे
(b) वे बाहर घूमने जाते थे
(c) वे संगीत सुनना पंसद करते थे
(d) वे किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे
Answer
Answer: (d) वे किताब के हाशियों पर कुत्तों, बिल्लियों आदि की तस्वीर बनाने लगते थे।
Question 20.
“ऐरा-गैरा नत्थू खैरा’ मुहावरे का अर्थ है
(a) पढ़ा-लिखा व्यक्ति
(b) कोई बिरला व्यक्ति
(c) हर कोई व्यक्ति
(d) कोई समझदार व्यक्ति
Answer
Answer: (c) हर कोई व्यक्ति।
Question 21.
‘खून जलाना’ मुहावरे का अर्थ है
(a) शरीर को कष्ट देकर कठोर परिश्रम करना
(b) अग्नि के सामने बैठना
(c) तनावग्रस्त होना
(d) क्रोधित होना
Answer
Answer: (a) शरीर को कष्ट देकर कठोर परिश्रम करना।
Question 22.
भाई की लताड़ सुनकर लेखक क्या करने लगता था ?
(a) बाहर भाग जाता था
(b) पढ़ने बैठ जाता था
(c) हँसने लगता था
(d) आँसू बहाने लगता था
Answer
Answer: (d) आँसू बहाने लगता था।
Question 23.
भाई साहब किस कला में निपुण थे ?
(a) उपदेश कला
(b) संगीत कला
(c) चित्रकला
(d) शिल्प कला
Answer
Answer: (a) उपदेश कला में।
Question 24.
“लगती बातें कहना’ मुहावरे का अर्थ है
(a) हृदय को शांत करने वाली बातें कहना
(b) क्रोध भड़काने वाली बातें कहना
(c) हृदय पर आघात करने वाली बातें कहना
(d) हृदय प्रसन्न करने वाली बातें कहना
Answer
Answer: (c) हृदय पर आघात करने वाली बातें कहना
हृदय पर आघात करने वाली बातें।
Question 25.
निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्यांश मुहावरा नहीं हैं ?
(a) सूक्ति बाण चलाना
(b) जिगर के टुकड़े-टुकड़े होना
(c) काम बूते के बाहर होना
(d) दाँतों पसीना आना
Answer
Answer: (c) काम बूते के बाहर होना।
गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
(1)
मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और कभी कंकरियाँ उछालता, कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया, तो पूछना ही क्या। कभी चार-दीवारी पर चढ़कर नीचे कूद रहे हैं। कभी फाटक पर सवार, उसे आगे-पीछे चलाते हुए मोटरकार का | आनंद उठा रहे हैं, लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रुद्र-रूप देखकर प्राण सूख जाते। उनका पहला सवाल यह होता-‘कहाँ थे’? हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब | मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात | क्यों न निकलती किं ज़रा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन । कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोष से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें।
Question 1.
लेखक को एक घंटा किताब लेकर बैठना कैसा लगता था ?
(a) बहुत मनोरंजक
(b) शैतान के समान
(c) पहाड़ के समान
(d) टीले के समान ।
Answer
Answer: (c) पहाड़ के समान।
Question 2.
मौका पाते ही हॉस्टल के निकलकर लेकर कहाँ जाता था ?
(a) सिनेमा हाल में
(b) अपने घर
(c) शतरंज खेलने
(d) खेलने के लिए मैदान में
Answer
Answer: (d) खेलने के लिए मैदान में।
Question 3.
भाई साहब का कैसा रूप देखकर लेखक के प्राण सूख जाते थे ?
(a) विकट रूप
(b) रूद्र रूप
(c) विकराल रूप
(d) भयंकर रूप
Answer
Answer: (b) रुद्र-रूप।
Question 4.
भाई साहब का पहला सवाल क्या होता था ?
(a) क्या तुमने गृह कार्य कर लिया?
(b) तुम क्या कर रहे हो?
(c) तुम कहाँ थे?
(d) तुम कब आए?
Answer
Answer: (c) तुम कहाँ थे ?
Question 5.
लेखक का मौन क्या दर्शाता था ?
(a) कि उन्हें अपना अपराध स्वीकार है
(b) वह बहुत बेशर्म है ।
(c) उनमें बहुत विनम्रता है
(d) उन पर किसी के कहने का कोई फर्क नहीं पड़ता
Answer
Answer: (a) कि उन्हें अपना अपराध स्वीकार है।
(2)
भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति-बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। इस तरह जान तोड़कर मेहनत करने की शक्ति मैं अपने में न पाता था और उस निराशा में ज़रा देर के लिए मैं सोचने लगता-‘क्यों न घर चला जाऊँ। जो काम मेरे बूते के बाहर है, उसमें हाथ डालकर क्यों अपनी जिंदगी खराब करूँ।’ मुझे अपना मूर्ख रहना मंजूर था, लेकिन उतनी मेहनत से मुझे तो चक्कर आ जाता था, लेकिन घंटे-दो घंटे के बाद निराशा के बादल फट जाते और मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढूंगा। झटपट एक टाइम-टेबिल बना डालता। बिना पहले से नक्शा बनाए कोई स्कीम तैयार किए काम कैसे शुरू करूँ । टाइम-टेबिल में खेलकूद की मद बिलकुल उड़ जाती। प्रातःकाल छः बजे उठना, मुँह-हाथ धो, नाश्ता कर, पढ़ने बैठ जाना। छः से आठ तक अंग्रेजी, आठ से नौ तक हिसाब, नौ से साढ़े नौ तक इतिहास, फिर भोजन और स्कूल। साढ़े तीन बजे स्कूल से वापिस होकर आधा घंटा आराम, चार से पाँच तक भूगोल, पाँच से छ: तक ग्रामर, आधा घंटा होस्टल के सामने ही टहलना, साढ़े छः से सात तक अंग्रेज़ी कंपोजीशन, फिर भोजन करके आठ से नौ तक अनुवाद, नौ से दस तक हिंदी, दस से ग्यारह तक विविध विषय, फिर विश्राम।
Question 1.
भाई साहब की बातों का लेखक पर क्या असर होता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब की बातों से लेखक की हिम्मत टूट जाती थी।
- वे सोचते थे क्यों न घर चला जाऊँ।
- जो काम बस का नहीं, उसमें हाथ डालकर क्यों जिंदगी खराब करूँ।
Question 2.
निराशा दूर होने पर लेखक क्या करता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक टाइम-टेबिल तैयार करता था।
- सभी विषयों के लिए अलग-अलग समय का निर्धारण करता था।
Question 3.
लेखक का टाइम-टेबिल लागू क्यों नहीं हो पाता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- वह टाइम-टेबिल व्यवहारिक नहीं होता था।
- उसमें खेल के लिए कोई समय नहीं था।
Question 4.
लेखक को चक्कर क्यों आ जाता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- बिना खेले पढ़ना उनके वश की बात नहीं थी।
- लेखक लगातार एक स्थान पर बैठकर नहीं पढ़ सकता था।
(3)
मगर टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है, उस पर अमल करना दूसरी बात। पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की वह दुखद हरियाली, हवा के हल्के-हल्के झोंके, फुटबॉल की वह उछल-कूद, कबड्डी के वह दाँव-घात, वॉलीबॉल की वह तेज़ी और फुरती, मुझे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही मैं सब कुछ भूल जाता। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता। मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता, कमरे में इस तरह दबे पाँव आता कि उन्हें खबर न हो। उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले। हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।
Question 1.
पाठ का नाम व लेखक का नाम लिखिए।
Answer
Answer:
संकेतः
- पाठ : बड़े भाई साहब
- लेखक : मुंशी प्रेमचंद।
Question 2.
लेखक टाइम-टेबिल की अवहेलना क्यों करता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- मैदान की सुखद हरियाली और हवा के झोंके लेखक को बाहर आने के लिए मजबूर कर देते थे।
- वह मैदान में आते ही सब कुछ भूल जाता था।
Question 3.
लेखक अपने भाई साहब से दूर क्यों भागता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब यदि लेखक को खेलते देख लेते थे तो उनकी नसीहत और फ़जीहत शुरू हो जाती थी
- भाई साहब की नज़र उठते ही लेखक के प्राण सूख जाते थे।
Question 4.
भाई साहब की फटकार का लेखक पर क्या असर होता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब की फटकार के बीच भी वह खेल का मोह नहीं छोड़ते थे
- खेलकूद को छोड़ना उनके वश की बात नहीं थी।
Question 5.
इस गद्यांश के आधार पर लेखक की क्या छवि उभरती है ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक समय के पाबंद नहीं थे।
- वे अपने द्वारा बनाए नियमों का भी पालन नहीं कर पाते थे।
- उनका स्वभाव चंचल था।
(4)
सालाना इम्तिहान हुआ। भाई साहब फेल हो गए, मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया। मेरे और उनके बीच में केवल दो साल का अंतर रह गया। जी में आया, भाई साहब को आड़े हाथों लँ-‘आपकी वह घोर तपस्या कहाँ गई? मुझे देखिए, मज़े से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हूँ।’ लेकिन वह इतने दुखी और उदास थे कि मुझे उनसे दिली हमदर्दी हुई और उनके घाव पर नमक छिड़कने का विचार ही लज्जास्पद जान पड़ा। हाँ, अब मुझे अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बढ़ा। भाई साहब का वह रौब मुझ पर न रहा। आजादी से खेलकूद में शरीक होना लगा। दिल मज़बूत था। अगर उन्होंने फिर मेरी फजीहत की, तो साफ़ कह दूंगा-‘आपने अपना खून जलाकर कौन-सा तीर मार लिया। मैं तो खेलते-कूदते दरजे में अव्वल आ गया।’ ज़बान से यह हेकड़ी जताने का साहस न होने पर भी मेरे रंग-ढंग से साफ़ ज़ाहिर होता था कि भाई साहब का वह आतंक मुझ पर नहीं था।
Question 1.
सालाना परीक्षा का क्या परिणाम रहा ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब फेल हो गए।
- लेखक पास हो गया।
Question 2.
परीक्षा परिणाम देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक के जी में आया कि भाई साहब को आड़े हाथों लूँ।
- पूछू कि आपकी घोर तपस्या कहाँ गई ?
Question 3.
लेखक को भाई साहब से हमदर्दी क्यों हुई ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब को दु:खी देखकर।
- वे अपने फेल होने से विचलित थे।
Question 4.
कक्षा में प्रथम आने पर लेखक के स्वभाव में क्या परिवर्तन आया ?
Answer
Answer:
संकेतः
- उन्हें अपने ऊपर अभिमान हो गया।
- वे आजाद होकर खेल-कूद में शामिल होने लगे।
Question 5.
लेखक के रंग-ढंग को देखकर क्या लगता था ?
Answer
Answer:
संकेत:
- उन्हें अपने भाई की परवाह नहीं थी।
- वे समझते थे कि वह खेल-कूद के बाद भी प्रथम आ सकता है।
- वे अपने व्यवहार से ही हेकड़ी जता रहे थे।
(5)
फिर सालाना इम्तिहान हुआ और कुछ ऐसा संयोग हुआ कि मैं फिर पास हुआ और भाई साहब फिर फेल हो गए। मैंने बहुत मेहनत नहीं की, पर न जाने कैसे दरजे में अव्वल आ गया। मुझे खुद अचरज हुआ। भाई साहब ने प्राणांतक परिश्रम किया। कोर्स का एक-एक शब्द चाट गए थे, दस बजे रात तक इधर, चार बजे भोर से उधर, छः से साढ़े नौ तक स्कूल जाने के पहले। मुद्रा कांतिहीन हो गई थी, मगर बेचारे फेल हो गए। मुझे उन पर दया आती थी। नतीजा सुनाया गया, तो वह रो पड़े और मैं भी रोने लगा। अपने पास होने की खुशी आधी हो गई। मैं भी फेल हो गया होता, तो भाई साहब को इतना दु:ख न होता, लेकिन विधि की बात कौन टाले!
मेरे और भाई साहब के बीच में अब केवल एक दरजे का अंतर और रह गया। मेरे मन में एक कुटिल भावना उदय हुई कि कहीं भाई साहब एक साल और फेल हो जाएँ, तो मैं उनके बराबर हो जाऊँ, फिर वह किस आधार पर मेरी फजीहत कर सकेंगे, लेकिन मैंने इस विचार को दिल से बलपूर्वक निकाल डाला। आखिर वह मुझे मेरे हित के विचार से ही तो डाँटते हैं। मुझे इस वक्त अप्रिय लगता है अवश्य, मगर यह शायद उनके उपदेशों का ही असर है कि मैं दनादन पास हो जाता हूँ और इतने अच्छे नंबरों से।
Question 1.
लेखक को किस बात पर आश्चर्य हो रहा था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब के फेल होने पर।
- अपने कक्षा में प्रथम आने पर।
Question 2.
परीक्षा की तैयारी के कारण भाई साहब की कैसी स्थिति हो गई थी ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब की मुद्रा कांतिहीन हो गई थी।
- वे सारा दिन पढ़ाई में लगे रहते थे।
Question 3.
परीक्षा परिणाम सुनकर दोनों भाइयों की कैसी स्थिति हुई ?
Answer
Answer:
संकेतः
- परीक्षा परिणाम सुनकर दोनों भाई रोने लगे।
- लेखक की कक्षा में प्रथम आने की खुशी आधी रह गई।
Question 4.
परीक्षा परिणाम के बाद लेखक के मन में कैसी भावना का उदय हुआ ?
Answer
Answer:
संकेतः
- कुटिल भावना का उदय हुआ।
- भाई साहब एक बार और फेल हो जाएँ तो वह उनके बराबर हो जाए।
Question 5.
लेखक बड़े भाई की डाँट के बारे में क्या सोच रहा था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- भाई साहब मुझे मेरे हित के लिए ही तो डाँटते हैं।
- यह उनके उपदेशों का ही असर है कि मैं दनादन पास होता जा रहा हूँ।
(6)
अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद अब वह खुद समझने लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम। मेरी स्वच्छंदता भी बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास हो ही जाऊँगा, पढूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़ा-बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ। मुझे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था और अब सारा समय पतंगबाजी की ही भेंट होता था, फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उड़ाता था। मांझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नज़रों में कम हो गया है।
Question 1.
भाई साहब के नरम पड़ने का क्या कारण था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक का हर-बार अच्छे अंकों के पास होना
- बड़े भाई का हर बार फेल हो जाना।
Question 2.
डाँटने का अवसर पाकर भी बड़े भाई लेखक को क्यों नही डाँटते थे ?
Answer
Answer:
संकेतः
- बड़े भाई का बार-बार फेल होना
- उनका यह सोचना कि अब उन्हें डाँटने का अधिकार नहीं है।
Question 3.
भाई साहब के न डाँटने का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
Answer
Answer:
संकेतः
- वे उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगे।
- वे सोचने लगे कि मैं पढूँ या न पढूँ, पास हो ही जाऊँगा।
Question 4.
लेखक को कौन-सा नया शौक पैदा हो गया?
Answer
Answer:
संकेतः
- कनकौए उड़ाने का
- उनका सारा समय पतंगबाजी की भेंट चढ़ गया।
Question 5.
किन बातों से लगता है कि लेखक अब भी बड़े भाई का अदब करता था ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक बड़े भाई की नज़र बजाकर कनकौए उड़ाता था
- पतंग टूर्नामैंट की तैयारियाँ गुप्त रूप से की जाती थी।
(7)
एक ज़माना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीदार हो जाते थे। मैं कितने ही मिडिलचियों को जानता हूँ, जो आज अव्वल दरजे के डिप्टी मैजिस्ट्रेट या सुपरिटेंडेंट हैं। कितने ही आठवीं जमात वाले हमारे लीडर और समाचार-पत्रों के संपादक हैं। बड़े-बड़े विद्वान उनकी मातहती में काम करते हैं और तुम उसी आठवें दरजे में आकर बाज़ारी लौंडों के साथ कनकौए के लिए दौड़ रहे हो। मुझे तुम्हारी इस कम अक्ली पर दुःख होता है। तुम ज़हीन हो, इसमें शक नहीं, लेकिन वह ज़ेहन किस काम का जो हमारे आत्मगौरव की हत्या कर डाले। तुम अपने दिल में समझते होगे, मैं भाई साहब से महज़ एक दरजा नीचे हूँ और अब मुझको कुछ कहने का हक नहीं है, लेकिन यह तुम्हारी गलती है। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और चाहे आज तुम मेरी ही जमात में आ जाओ और परीक्षकों का यही हाल है, तो निस्संदेह. अगले साल तुम मेरे समकक्ष हो जाओगे और शायद एक साल बाद मुझसे आगे भी निकल जाओ, लेकिन मुझमें और तुममें जो पाँच साल का अंतर है, उसे तुम क्या, खुदा भी नहीं मिटा सकता। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम.ए, और डी. फिल और डी.लिट् की क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती।
Question 1.
बड़े भाई ने लेखक को क्या नसीहत दी ?
Answer
Answer:
- पहले लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीलदार हो जाते थे
- तुम आठवें दर्जे में आकर बाजारी लौंडों के साथ घूमते हो।
Question 2.
बड़े भाई के अनुसार लेखक अपने दिल में क्या सोचता होगा ?
Answer
Answer:
संकेतः
- बड़े भाई को मुझे कुछ भी कहने का हक नहीं है।
- मैं भाई साहब से एक दर्जा नीचे हूँ।
Question 3.
बड़े भाई की कौन-सी बात लेखक के दिल में उतर गई ?
Answer
Answer:
संकेत:
- कि मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ।
- इस अंतर को कोई नहीं मिटा सकता।
Question 4.
बड़े भाई के अनुसार व्यक्ति कब समझदार होता है और कब नहीं होता?
Answer
Answer:
संकेतः
- जब उसे जिंदगी का अनुभव होता है।
- जिंदगी का अनुभव किताबें पढ़ने से नहीं आता।
विषय-बोध पर आधारित प्रश्न
Question 1.
दूसरी बार फेल होने पर भाई साहब लेखक पर नरम पड़ गए, इसका क्या परिणाम हुआ ?
Answer
Answer:
संकेतः
- लेखक की स्वच्छंदता बढ़ गई।
- लेखक भाई साहब की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगे।
- वे सोचने लगे कि मैं पहूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, मैं तो पास हो ही जाऊँगा।
Question 2.
बड़े भाई साहब ने अपने हेडमास्टर का उदाहरण किस संदर्भ में दिया ?
Answer
Answer:
संकेतः
- अनुभव किताबी ज्ञान की अपेक्षा अधिक जरूरी है।
- जिसे जिंदगी का अनुभव होता है, वह जिंदगी को सही ढंग से जी सकता है।
Question 3.
लेखक को अपनी लघुता का आभास क्यों होने लगा ?
Answer
Answer:
संकेतः
- बड़े भाई साहब की बातें सारगार्भित थी
- लेखक के मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी।
- वे समझ गए थे कि भाई साहब जो कुछ करते हैं, उसके हित के लिए ही करते हैं।
Question 4.
‘बड़े भाई साहब’ कहानी हमें क्या सीख देती है?
Answer
Answer:
संकेतः
- बच्चों को किताबी कीड़ा नहीं बनाना चाहिए।
- पढ़ाई के साथ-साथ खेलना भी ज़रूरी है।
- विषयों का बोझिलपन पढ़ाई को नीरस बनाती है।
- अनुभव किताबी ज्ञान की अपेक्षा अधिक लाभदायक है।
Question 5.
बड़े भाई ने ऐसा क्यों कहा कि इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं है, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।
Answer
Answer:
संकेतः
- परीक्षा पास करने से किसी विषय का ज्ञान होना जरूरी नहीं है।
- बुद्धि का विकास होगा तो ज्ञान आसानी से अर्जित किया जा सकता है।
Question 6.
बड़े भाई को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
Answer
Answer:
संकेत:
- उन पर अपने छोटे भाई की जिम्मेदारी थी।
- वे उम्र में पाँच साल बड़े थे।
- बड़ा भाई स्वयं गलत रास्ते चलता तो उसे कैसे रोकता
- वे घर से दूर थे, अतः बड़े भाई को ही अभिभावक की जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी।
Question 7.
यदि छोटे भाई पर बड़े भाई की डाँट-फटकार न पड़ती तो क्या वह परीक्षा में अव्वल आता ? यदि नहीं, तो क्यों ?
Answer
Answer:
संकेतः
- तब वह अव्वल न आ पता।
- वह जितना पढ़ता था, उतना भी न पढ़ता।
- वह सारा समय खेल-कूद में बर्बाद कर देता।
Question 8.
पाठ में आए प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बड़े भाई के अंदर भी बच्चे का दिल था।
Answer
Answer:
संकेतः
- उनके अंदर भी बच्चे का दिल था।
- उन्हें ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ता था, इसलिए अपनी इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।
- जब वे अपने भाई को नसीहत दे रहे थे, तभी एक कनकौआ उड़ता उधर आया तो भाई साहब ने दौड़कर उसे झपट लिया।
- भाई साहब स्वयं भी कहते हैं कि मेरा भी दिल खेलने को करता है; परन्तु में ही गलत राह चलूँ तो तुम्हें कैसे रोकूँगा।
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