NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल

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शिरीष के फूल NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17

शिरीष के फूल Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 17

पाठ के साथ

Shirish Ke Phool Question Answer Class 12  प्रश्न 1.
लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है? (Delhi C.B.S.E. 2016, Set-1)
अथवा
‘कालजयी अवधूत’ किसे कहा गया है और क्यों? (C.B.S.E. Sample Paper,C.B.S.E. Delhi 2008,2010 Set-1) (Outside Delhi 2013, Set-1, 2, 3, Delhi 2017, Set-III) (Outside Delhi 2017, Set-II)
उत्तर :
लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत की तरह इसलिए माना है क्योंकि अवधूत जिस प्रकार मस्त, फक्कड़, अनासक्त, सरस और मादक होते हैं उसी प्रकार शिरीष के फूल भी फक्कड़ होकर ही उपजते हैं। संत कबीर, कालिदास, गांधी जैसे अवधूत जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी संसार को जीने की चेष्टा दी, उसी प्रकार शिरीष भी भयंकर गर्मी की लू में भी फूल उठता है तथा चारों ओर अपनी सुंदरता फैलाता रहता है। यह लोगों के मन में तरंगें उत्पन्न कर देता है। भीषण गर्मी से अनासक्त होकर महकता रहता है। उसके ऊपर प्रचंड गर्मी, लू, अंधड़ आदि का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल

शिरीष के फूल प्रश्न उत्तर NCERT Solutions प्रश्न 2.
हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है-प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर :
मनुष्य एक सौंदर्य-प्रिय प्राणी है, अतः वह आंतरिक रूप से अत्यंत कोमल है। इसी कोमलता के कारण वह सदा दसरों से प्रेमपर्ण व सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार रखता है। सभी के साथ सद्भावना बनाए रखता है। लेकिन अपने हृदय की कोमलता को बचाने के लिए मनुष्य को कभी-कभी कठोरता को भी अपनाना चाहिए ताकि वह विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना कर सके। जीवन के मार्ग में आने वाले संकटों और संघर्षों से जूझ सके।

जैसे शिरीष अपनी कोमलता को बचाने के लिए भीषण गर्मी की लू को सहन करने के लिए बाहर से कठोर स्वभाव अपनाता है तब कहीं जाकर वह भयंकर गर्मी, धूप, आँधी को सहन कर पाता है। इसी प्रकार यहाँ लेखक ने संत कबीरदास, कालिदास का भी प्रसंग दिया है जिन्हें अपने मन की कोमलता को कायम रखने के लिए समाज की विपरीत और क्रूर परिस्थितियों का सामना करने के लिए अपने व्यवहार को कठोर बनाना पड़ा था।

शिरीष के फूल प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 3.
द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल और संघर्ष से भरी जीवन-स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।
अथवा
शिरीष आज के संदर्भ में हमें क्या संदेश देता है? (A.I. 2016, Set-II)
उत्तर :
द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल और संघर्ष से भरी प्रतिकूल परिस्थितियों में व्यक्ति को जीने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा है कि मनुष्य को अपने जीवन में विपरीत परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए। उसे कोलाहल और संघर्ष को देखकर जीवन से पलायन नहीं करना चाहिए बल्कि उनका साहस के साथ डटकर सामना करना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों को मोड़कर अपने अनुकूल बना लेने का प्रयास करना चाहिए। दुःख और संकट से भरी स्थितियों से अविचल और अनासक्त रहकर जीवनयापन करें। जिस प्रकार शिरीष भयंकर गर्मी की लू से अनासक्त फूलों से लदा सदा फलता-फूलता रहता है।

Class 12 Hindi Chapter 17 Question Answer प्रश्न 4.
“हाय वह अवधूत आज कहाँ है!” ऐसा कहकर लेखक ने आत्मवल पर देह-बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे?
अथवा
शिरीष और महात्मा गांधी की तुलना किस आधार पर की गई है? (C.B.S.E. 2018)
उत्तर :
वर्तमान समाज में चारों ओर मारकाट, अग्निदाह, लूटमार, खून-खराबा का बोलबाला है। मानव सभ्यता घोर संकट से परिव्याप्त है। सत्य, अहिंसा आदि आदर्श कहीं भी दिखाई नहीं देते। जन-जन आतंक की छाया में जी रहा है। वर्तमान सभ्यता में मनुष्य विपरीत परिस्थितियों में अविलंब हिंसा, मारकाट, लूटपाट पर उतावला हो उठता है। वह सत्य-अहिंसा की अपेक्षा असत्य, हिंसा, मारकाट का पालन करता है।

निजी स्वार्थों की पूर्ति करने में उसे किसी का भी अहित दिखाई नहीं देता। लेखक ने ऐसे संकट के समय सत्य, अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को याद किया है। वे दोनों बाहर से कठोर और दृढ़ थे लेकिन दोनों ही भीतर से कोमल थे। प्रतिकूल परिस्थितियों में वे अविचल थे। उन दोनों को हानि-लाभ से कोई मतलब ही नहीं था।

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Class 12 Hindi Shirish Ke Phool Question Answer प्रश्न 5.
कवि ( साहित्यकार ) के लिए अनासक्त योगी की स्थिर प्रजता और विदग्ध प्रेमी का हृदय-एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहित्य कर्म के लिए बहुत ऊँचा मानदंड निर्धारित किया है। विस्तारपूर्वक समझाएँ।
उत्तर :
कवि एक अनासक्त योगी और विदग्ध प्रेमी की भाँति होता है। वह युगीन समाज में जीवनयापन करते हुए समाज के आकर्षण और ऐश्वर्य से आसक्त नहीं होता। उसे सुख, आनंद, भोग-विलास अच्छा नहीं लगता। वह तो इन सबके आकर्षण से दूर रहकर जीवन जीता है। वह समाज के कोलाहल, संघर्ष, उठापटक और प्रतिकूल परिस्थितियों से निरंतर जूझता रहता है। एक विदग्ध प्रेमी के समान समाज से दिल में जख्म लेकर सदा समाज के उपकार हेतु कार्य करता है।

सुख हो या दुःख किसी भी स्थिति में वह हार नहीं मानता। वह फक्कड़, मस्त होकर जीवन जीता है। जैसे संत कबीरदास जी समाज से अनासक्त होकर विदग्ध प्रेमी की भाँति हृदय पर चोट खाकर सदैव समाज उद्धार के लिए जीते रहे। उन्होंने अपने फक्कड़ स्वभाव के बल पर समाज की प्रतिकूल परिस्थितियों को भी मोड़कर अनुकूल और स्वस्थ बना दिया था। वैसे ही साहित्यकारों को भी होना चाहिए।

Shirish Ke Phool Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 6.
सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। पाठ के आधार पर स्पष्ट करें। (A.I. 2016, Set-III)
उत्तर :
गतिशीलता में ही जीवन है। जड़ होना ही मृत्यु को प्राप्त होना है। इस संसार में मानव-जीवन में सुख-दुःख, राग-विराग, आशा-निराशा आदि भाव पैदा होते रहते हैं। जो मनुष्य इन परिस्थितियों में आसक्त होकर डूब जाता है वह जड़ हो जाता है व उसका जीवन स्थिर हो जाता है, लेकिन जो मनुष्य सुख-दुःख, आशा-निराशा से अनासक्त होकर जीवन-यापन करता है

तथा विपरीत परिस्थितियों का मुख मोड़कर अपने अनुकूल बना लेता है वही मनुष्य दीर्घजीवी होता है। ऐसा अनासक्त, धैर्यवान, मस्त, फक्कड़ मनुष्य ही कालजयी कहलाता है। वह कठिन से कठिन परिस्थितियों से निरंतर संघर्ष करता रहता है और स्थितियों के अनुरूप अपनी स्थिति में भी बदलाव करता रहता है। जैसे प्रस्तुत पाठ में शिरीष का वृक्ष भयंकर गर्मी की लू, आँधी आदि से अनासक्त होकर ही अपने सौंदर्य से दूसरों को जीने की प्रेरणा देता है।

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Shirish Ke Phool Class 12 Question Answer प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए

(क) दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर – तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा पाएंगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की। ओर मुंह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।

(ख) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है ?…….मैं कहता हूँ कि कवि बनना है मेरे दोस्तो, तो फक्कड़ बनो।

(ग) फल हो या पेड़, वह अपने आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।

उत्तर :
(क) प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि इस जहाँ में प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का निरंतर संघर्ष चल रहा है अर्थात अनादि काल से यमराज और प्राणधारा में संघर्ष होता आ रहा है। बुद्धिमान मनुष्य निरंतर जीवन संघर्ष करते हुए जीवनयापन करते हैं लेकिन मूर्ख लोग यह समझते हैं कि जहाँ जैसा जीवन जी रहे हैं, वहीं जीवन जीते रहेंगे तो यमराज की आँखों से बच जाएँगे।

ऐसे मनुष्य बहुत भोले हैं जो इतना भी नहीं समझते कि मृत्यु शाश्वत है और उससे कोई नहीं बच सकता। लेखक प्रेरणा देकर मनुष्य को कहता है कि मनुष्य को सदैव गतिशील रहना चाहिए। एक स्थान पर कभी स्थिर नहीं रहना चाहिए क्योंकि स्थिर होना ही मृत्यु है। यदि तुम मृत्यु से बचना चाहते हो तो ऊर्ध्वमुखी बने रहो अर्थात निरंतर कार्यरत रहो। निरंतर कर्मशील रहकर ही हम यमराज के कोड़े की मार से बच सकते हैं।

(ख) इन पंक्तियों से तात्पर्य है कि समाज में जो कवि अनासक्त नहीं रह सका और जो किए-किराए, कार्यों का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया अर्थात जो सदा समाज के बाह्य आकर्षण, धन-ऐश्वर्य, सुख-दुःख में ही फंसा रहा, वह सच्चा कवि नहीं हो सकता। सच्चा कवि तो वही है जो समाज से अनासक्त रहकर समाज को जीने की राह दिखाता है। लेखक आह्वान करते हुए कहता है कि हे दोस्तो! यदि तुम सच्चा कवि बनना चाहते हो तो अपने स्वभाव को फक्कड़ बनाओ तथा उसमें अनासक्ति का भाव पैदा करो।

(ग) इस अवतरण से आशय है कि फल हो या पेड़ दोनों का अपना-अपना अस्तित्व है। उनकी सत्ता केवल अपने आप में समाप्त नहीं है बल्कि उनका जीवन तो अन्य वस्तुओं को जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करने वाली उँगली है। वे तो दूसरी वस्तुओं को अपने इशारों के माध्यम से जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

पाठके आस-पास

शिरीष के फूल पाठ के प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 1.
शिरीष के पुष्प को शीतपुष्य भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की प्रचंड गर्मी में फूलने वाले फूल को शीतपुष्प संज्ञा किस आधार पर दी गई होगी?
उत्तर :
ज्येष्ठ माह की प्रचंड गर्मी सहन करके भी शिरीष के पुष्प खिले रहते हैं। जो देखने वालों के हृदय को ठंडक और शांति पहुँचाते हैं। यह गर्मी में भी शीतलता प्रदान करता है। शायद इसी आधार पर इस पुष्प को शीतपुष्प की संज्ञा दी गई होगी।

शिरीष के फूल प्रश्न उत्तर Ncert Class 12  प्रश्न 2.
कोमल और कठोर दोनों भाव किस प्रकार गांधी जी के व्यक्त्वि की विशेषता बन गए?
उत्तर :
गांधी जी के व्यक्तित्व में कोमल एवं कठोर दोनों गुणों का समन्वय था। वे जहाँ अपने देशवासियों के प्रति कोमल थे वहीं अग्रेजों और सामाजिक कुरीतियों के प्रति कठोर हृदय थे।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल

शिरीष के फूल प्रश्न उत्तर Pdf Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 3.
आजकल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय फूलों की बहुत माँग है। बहुत-से किसान साग-सब्जी और अन्न उत्पादन छोड़कर फूलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसी मुद्दे को विषय बनाते हुए वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर :
विद्यार्थी कक्षा अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 Question Answer प्रश्न 4.
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इस पाठ की तरह ही वनस्पतियों के संदर्भ में कई व्यक्तित्व-व्यंजक ललित निबंध और भी लिखे हैं-कुटज, आम फिर बौरा गए, अशोक के फूल, देवदारु आदि। शिक्षक की सहायता से इन्हें ढूँढ़िए और पढ़िए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए। अपने स्कूल के पुस्तकालय का सदुपयोग कीजिए।

Shirish Ke Phool Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 5.
द्विवेदी जी की वनस्पतियों में ऐसी रुचि का क्या कारण हो सकता है? आज साहित्यिक रचना-फलक पर प्रकृति की उपस्थिति न्यून से न्यून होती जा रही है। तब ऐसी रचनाओं का महत्व बढ़ गया है। प्रकृति के प्रति आपका दृष्टिकोण रुचिपूर्ण है या उपेक्षामय? इसका मूल्यांकन करें।
उत्तर :
द्विवेदी जी एक कोमल हृदय एवं अति संवेदनशील व्यक्ति थे। उन्हें प्रकृति से असीम प्रेम एवं लगाव था। यही कारण है कि उनकी वनस्पतियों में ऐसी रुचि थी। प्रकृति के प्रति मेरा दृष्टिकोण रुचिपूर्ण है। प्रकृति ही मनुष्य को निकट से ईश्वरीय सौंदर्य के दर्शन कराती है। प्रकृति के विभिन्न रंग मनुष्य को वास्तव में मनुष्य बनने में सहायता करते हैं। प्रकृति उपदेश भी देती है।

भाषा की बात

‘दस दिन फूले और फिर खखड़-खंखड़’ इस लोकोक्ति से मिलते-जुलते कई वाक्यांश पाठ में हैं। उन्हें छाँटकर लिखें।
उत्तर :
(i) दिन दस फूला फूलिके खंखड भया पलाश।
(ii) ऐसे दुमदारों से तो लैंडूरे भले।

दृष्टिकोण – प्रकृति के प्रति मेरा दृष्टिकोण अत्यंत रुचिपूर्ण है। मेरा ही नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य का प्रकृति के साथ अनन्य संबंध रहता है। मनुष्य जन्म से मृत्युपर्यंत प्रकृति के आँचल में रहता है। वह चाहकर भी उसे अनदेखा नहीं कर सकता, इसलिए मैं भी प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ हूँ। मुझे प्रकृति का कण-कण प्रेम का प्रतीक नज़र आता है। प्रकृति के सुंदर नजारों को देखते ही मेरा हृदय असीम आनंद से भर जाता है। हर पल प्रकृति के प्रश्नों को देखने का मन करता है।

इन्हें भी जानें

अशोक वृक्ष-भारतीय साहित्य में बहुचर्चित एक सदाबहार वृक्ष। इसके पत्ते आम के पत्तों से मिलते हैं। वसंत-ऋतु में इसके फूल लाल-लाल गुच्छों के रूप में आते हैं। इसे कामदेव के पाँच पुष्पवाणों में से एक माना गया है। इसके फल सेम की तरह होते हैं। इसके सांस्कृतिक महत्व का अच्छा चित्रण हजारी प्रसाद द्विवेदी ने निबंध अशोक के फूल में किया है। भ्रमवश आज के दूसरे वृक्ष को

अशोक कहा जाता रहा है और मूल पेड़ (वानस्पतिक नाम सराका इंडिका) को लोग भूल गए हैं। इसकी एक जाति श्वेत फूलों वाली भी होती है। अरिष्ठ वृक्ष-रीठा नामक वृक्ष। इसके पत्ते चमकीले हरे होते हैं। फल को सुखाकर उसके छिलके का चूर्ण बनाया जाता है जो बाल धोने एवं कपड़े धोने के काम आता है। पेड की डालियों और तने पर जगह-जगह काँटे उभरे होते हैं।

आरग्वध वृक्ष-लोक में उसे अमतास कहा जाता है। भीषण गर्मी की दशा में जब इसका पेड़ पत्रहीन ढूँठ-सा हो जाता है, पर इस पर पीले-पीले पुष्प गुच्छे लटके हुए मनोहर दृश्य उपस्थित करते हैं। इसके फल लगभग एक-डेढ़ फुट के बेलनाकार होते हैं जिसमें कठोर बीज होते हैं। शिरीष वक्ष-लोक में सिरिस नाम से मशहर पर एक मैदानी इलाके का वृक्ष है। आकार में विशाल होता है पर पत्ते बहुत छोटे-छोटे होते हैं। इसके फूलों में पंखुड़ियों की जगह रेशे रेशे होते हैं।

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