NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

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Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 10 प्रतीक्शा

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) का प्रतीक्षा करोति?
उत्तर
राधा।

(ख) प्रतीक्षा कीदृशी अस्ति?
उत्तर-
चांचल्यपरिपूरिता।

(ग) कः दर्शनं न ददाति?
उत्तर
श्रीकृष्णः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

(घ) ‘प्रतीक्षा’ पाठः कस्मात् ग्रन्थात् अनूदितः?
उत्तर
श्रीराधा।

प्रश्न 2.
पूर्ण वाक्येन उत्तरत

(क) अहं कथं प्रतीक्षे?
उत्तर
अहं दिनं दिनं रजनी रजनीं च प्रतीक्षे।

(ख) राधा पूर्णतया आत्मनः किं कुर्तं वाञ्छति?
उत्तर
राधा पूर्णतया आत्मनः एकमेव रूपं कुर्तं वाञ्छति।

(ग) एकदा कुत्र समुपस्थास्यसि?
उत्तर
एकदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि।

(घ) एकमेव रूपं भूत्वा कथं चिह्नितम्।
उत्तर
एकमेव रूपं भूत्वा नामान्तर-चिह्नितम् ।

(ङ) छायेव सः कुत्र दृश्यते?
उत्तर
छायेव सः स्फुरज्जलवक्षसि दृश्यते।

(च) यदा वा दृश्यते तदा कथं भूत्वा तिष्ठति?
उत्तर
यदा वा दृश्यते सदा लोचनविषयातीतं भूत्वा तिष्ठति।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) तथापि न भजति स्पष्टरूपताम्
उत्तर
तथापि न भजति काम्?

(ख) अथवा दृश्यते स्फुरज्जलवक्षसि
प्रश्न- अथवा दृश्यते कुत्र?

(ग) स्थाने तस्य उपजायमानं दृश्यते।
प्रश्न- स्थाने कस्य उपजायमानं दृश्यते?

(घ) निर्जनवेलायां मदन्तिके समुपस्थास्यसि।
प्रश्न- कदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि?

(ङ) युनः कालो वर्तते शेषः।
प्रश्न- पुनः कः वर्तते शेषः?

प्रश्न 4.
विशेषण-विशेष्यपदानां समुचितं मेलनं कुरुत
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) चाञ्चलपूरितायाम् – प्रतीक्षायाम्
(ख) उपकूलवर्तिनाम् – पादपानाम्
(ग) नामान्तरचिहितम् – रूपम् कालः
(ड) बहुविधैः – दृश्याभिलाषैः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु सन्धिविच्छेदं कुरुत
उत्तर
(क) अर्धाधिकम् . = अर्ध + अधिकम् ।।
(ख) छायेव = छाया + इव।
(ग) तस्योपजायमानम् = तस्य + उपजायमानम्
(घ) अन्यच्चन = अन्यत्+ च + न।
(ड) कस्यचिन्नाम्नः = . कस्यचित् + नाम्नः।
(च) तद्रूपतया = तत् + रूपतया।
(छ) प्रतीक्षेऽहम् . = प्रतीक्षे + अहम् ।
(ज) तावन्मे = तावत + मे।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानां पदानां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत
उत्तर-
(क) भूत्वा = एकाकिनी भूत्वा त्वं जीवनं कथं यापयिष्यसि?
(ख) स्थाने = सः निर्जने स्थाने वसति ।
(ग) दृश्यते = परमेश्वरः नेत्रैः न दृश्यते।
(घ) विद्यते । = ईश्वरः सर्वत्र विद्यते।
(ड) प्रतीक्षा = राधाकृष्णस्य आगमनस्य प्रतीक्षा करोति।
(च) दर्शनम् = ईश्वरस्य दर्शनं कथं सम्भवम् ?
(छ) अन्तिके = त्वं कदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि ?

प्रश्न 7.
अधोलिखातानां पदपरिचयो देयः
उत्तर
(क) ददासि = दा धातु, लट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचन। ,
(ख) भूत्वा = भू धातु + क्त्वा प्रत्यय।
(ग) दृष्टे = दृश् धातु + क्त प्रत्यय, सप्तमी विभक्ति एकवचन।
(घ) वक्षसि = वक्षस् शब्द, नपुसंकलिंग, सप्तमी विभक्ति एकवचन ।
(ड) आयुषः = आयुष शब्द, नपुसंकलिंग, षष्ठी विभक्ति एकवचन।
(च) आत्मनः = आत्मन् शब्द, पुं., सप्तमी विभक्ति एकवचन ।
(छ) कर्तुम् = कृ धातु + तुमुन् प्रत्यय।
(ज) समाच्छन्नम् = सम् + आ उपसर्ग + छद् धातु + क्त प्रत्यय

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 10 प्रतीक्शा Summary Translation in Hindi and English

1. प्रतीक्षेऽहं तव कृते दिनं दिनम्
रजनी रजनीं च
न जातुदर्शनं ददासि मे,
किं तावन्मे सा प्रतीक्षा?
तस्यां मे चांचल्यपरिपूरितायां प्रतीक्षायाम्
कुत्र वा विद्यते स्थानम्
अवस्थानाय तव पूर्णतया?
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 1
हिन्दी सरलार्थ-मैं तुम्हारे लिए प्रतिदिन तथा प्रति रात्रि प्रतीक्षा करती हूँ किन्तु तम मझे कभी भी दर्शन नहीं देते हो। क्या मेरी वह प्रतीक्षा व्यर्थ है? अथवा उस चंचलतापर्ण प्रतीक्षा में मेरा स्थान कहाँ है जहाँ मैं पूर्णता के साथ अर्थात परी तरह से तम्हारे पास ठहर सकँ।

Meaning in English-I wait for you through out the day and night but you are never seen by me. Is that waiting for you of no use? Or where do I stand in thatúncertain waiting where I may stay with you completely

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

2. यदा वा दृश्यते,
रूपस्यार्धाधिकं तदा तव
लोचनविषयातीतं भूत्वा तिष्ठति।
यत् किंचिदपि दृश्यते
तथापि न भजति स्पष्टरूपताम्
यतस्तत् समाच्छन्नमेव भवति ।
अशान्ति प्रसूतैर्मे
स्मृति-दृश्याभिलाषैर्बहुविधैः,
अथवा दृश्यते स्फुरज्जलवक्षसि
छायेव पादपानामुपकूलवर्तिनाम्।
दृष्टे सति कस्यचिन्नाम्नो रूपे
स्थाने तस्योपजायमानं दृश्यते
अन्यच्चन किंचन रूपं नामान्तर-चिहितम् ।
एकमेव रूपं भूत्वा।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 2

हिन्दी सरलार्थ-अथवा जब तुम्हारे रूप का आधे से अधिक भाग दिखाई पड़ता – है उस समय दृष्टि विषय से परे होकर ठहर-सी जाती है और जब रूप का कुछ ही भाग दिखाई पड़ता है तब भी दृष्टि स्पष्टरूपता को प्राप्त नहीं कर पाती क्योंकि उस समय अशान्ति से उत्पन्न मेरी अनेक प्रकार की स्मृतियों तथा दृश्याभिलाषाओं से वह आच्छादित हो जाती है। उसके पश्चात् यदि दिखाई भी पड़ता है तो वह हिलते हुए जल में दिखाई पड़ने वाले नदी के किनारे स्थित वृक्षों की छाया की तरह (दिखाई देता है)। किसी स्थान पर, किसी नाम से तथा किसी रूप में देखे जाने पर उसका प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ता है। अन्यत्र किसी भिन्न रूप और नाम से अंकित उसका एकाकार रूप दिखाई पड़ता है।

Meaning in English-Or, whern more than half protion of your structure is seen, the eye sight does not stay on the object and it does not attain clarity of form as no portion of the structure is seen beacause it is covered by my manifold rememberance and desires to see which arise from anxiety. After that, even if it is seen, it appears like the shadow of the trees in the unsteady water which are grown at ihn hank of the river. It’s shadow is seen every where when it is seen at some plaii . ith some name and some form. At some other place its similar form is seen with some different appearance and different name.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

3. हन्त नाहं भाजनमभवमेतावताऽपि कालेन
एकमेव रूपं कुर्तमात्मनः पूर्णतया।
कियान पुनः कालो वर्तते शेषः
यदहं चिन्तयिष्यामि
यदसि त्वं तद्रूपतयाऽऽगत्य
एकदा समुपस्थास्यसि मदन्तिके
निर्जनवेलायां मे परमायुषः?
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 3
हिन्दी सरलार्थ-दुःख है कि इतना समय व्यतीत हो जाने पर भी मैं अपने का पूर्णता के साथ एकाकार रूप प्राप्त करने के योग्य नहीं हो पाईं जब पनः मैं सोचेंगी कि कितना समय शेष रह गया है तुम, मेरे परम आयुष के उसी रूप में आकर एक बार मेरे समीप निर्जन वेला में समुपस्थित हो जाओगे।

Meaning in English-Oh! It is very sad that after such a long time even I could not attain oneness with the complete one i.e. God. Now again I will think that how much time is left when you will come to me.. once at this lonely time in the form of that supreme one.

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