Author name: Prasanna

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-vitan-chapter-3/

अतीत में दबे पाँव NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3

अतीत में दबे पाँव Questions and Answers Class 12 Hindi Vitan Chapter 3

अतीत में दबे पाँव प्रश्न उत्तर NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 1.
सिंधु-सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे? (C.B.S.E. Delhi, 2008, 2010 Set-I, A.I. C.B.S.E. 2016, A.I. C.B.S.E. 2011 Set-I, 2012 Set-I, 2018)
अथवा
कला की दृष्टि से हड़प्पा सभ्यता समृद्ध थी पाठ के आधार पर सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (A.I.C.B.S.E. 2014, Set-I, II, III)
अथवा
‘अतीत में दबे पाँव के लेखक ने मुअनजो-दडो की सभ्यता को किस आधार पर ‘लो प्रोफाइल सभ्यता’ कहा है ?(C.B.S.E. 2007, Set-II, 2014, Set-I)
उत्तर
लेखक ‘ओम थानवी’ ने अपनी यात्रा के समय जब सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़े दो महानगरों मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के घरों, गलियों, सड़कों और खुदाई में वास्तुशिल्प से जुड़े सामान को देखा तो यह निष्कर्ष निकाला कि अगर सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ विश्व की अन्य सभ्यताओं की तुलना की जाए तो सिंधु घाटी की सभ्यता साधन संपन्न थी उसमें कृत्रिमता एवं आडंबर नहीं था। इस निष्कर्ष स्वरूप उन्होंने कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जो इस प्रकार हैं

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

जब मोहनजोदड़ो स्थित एक छोटा-सा संग्रहालय देखने गए तो वहाँ उन्होंने एक अलग बात अनुभव की कि इस संग्रहालय में औज़ार तो हैं परंतु हथियार कोई नहीं है। अगर सिंधु से लेकर हरियाणा तक खुदाई में मिले अवशेषों पर गौर किया जाए तो हे हथियार कहीं भी नहीं हैं। जिस प्रकार प्रत्येक राजा के पास हथियारों की एक बड़ी खेप होती है परंतु यहाँ हथियार नाम की चीज़ नहीं है। पुरातात्विक विद्वानों के लिए यह बड़ा प्रश्न है कि सिंधु सभ्यता में शासन और सामाजिक प्रबंध के तौर-तरीके क्या रहे होंगे? यहाँ की सभ्यता में अनुशासन तो है परंतु किसी सत्ता के बल के द्वारा नहीं है।

यह अनुशासन वहाँ की नगर-योजना, वास्तुकला, मुहरों, ठप्पों, जल-व्यवस्था, साफ़-सफ़ाई और सामाजिक व्यवस्था आदि की एकरूपता में देखी जा सकती है। दूसरी सभ्यताओं में प्रशासन राजतंत्र और धर्मतंत्र द्वारा संचालित है। वहाँ बड़े-बड़े सुंदर महल, पूजा स्थल, भव्य मूर्तियाँ, पिरामिड और मंदिर मिले हैं। राजाओं और धर्माचार्यों की समाधियाँ भी दूसरी सभ्यताओं में भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी नावें मिली हैं जबकि मिस्र की सभ्यता में बड़ी नावों का प्रचलन था।

सांस्कृतिक धरातल पर यह तथ्य सामने आता है कि सिंधु घाटी की सभ्यता दूसरी सभ्यताओं से अलग एवम स्वाभाविक, साधारण जीवन-शैली पर आधारित थी। सिंध सभ्यता के सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कतिक जीवन में किसी प्रकार की कत्रिमता एवं आडंबर दिखाई नहीं पडता जबकि अन्य सभ्यताओं में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते अनेक प्रमाण मौजद हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है संपन्न थी परंतु उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। इसलिए इसे ‘लो प्रोफाइल सभ्यता’ भी कहा जाता है।

Atit Me Dabe Paon Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 2.
‘सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाज-पोषित था।’ ऐसा क्यों कहा गया? (C.B.S.E. Sample Paper, C.B.S.E. Delhi 2018, A.I. C.B.S.E. 2009, 2012 Set-1)
उत्तर :
सिंधु सभ्यता की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियाँ और प्रवृत्तियाँ मानवता पर आधारित हैं। सिंधु सभ्यता मानव निर्मित और मानव आधारित है। सिंधु घाटी की खुदाई से मिले अवशेषों और खंडहरों को देखकर यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि सिंधु सभ्यता के लोग साधारण जीवन जीने वाले और अनुशासन प्रिय थे।

सिंधु सभ्यता का मुख्य व्यवसाय पशु-पालन एवं कृषि माना जाता है। वे पशुओं के साथ सहज जीवन जीते थे। खुदाई से मिट्टी की एक बैलगाड़ी मिली है। बैलगाड़ी किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर हो सकती है जिसमें भव्यता और आडंबर कहीं भी दिखाई देता है। सिंधु सभ्यता में घरों के खंडहरों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है।

ये आकार में छोटे और साधारण परिवेश से मेल खाते हैं। दो मंजिला इमारतों की भी कल्पना की गई है। परंतु बहुमंजिला महल और भव्य इमारतें भी होंगी ऐसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बरतनों और मृद भाँड़ों को देखकर भी यही कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता में खान-पान में साधारण बरतनों का प्रया। किया जाता था। सिंधु सभ्यता में औज़ारों का प्रयोग तो बहुत मिलता है परंतु हथियार भी प्रयोग में होते होंगे इसका कोई प्रमाण नहीं है।

वे लोग अनुशासन प्रिय थे परंतु यह अनुशासन किसी ताकत या बल के द्वारा कायम नहीं किया गया बल्कि लोग अपने मन और कर्म से ही अनुशासन प्रिय थे। बड़े मंदिरों और देवी-देवताओं की बड़ी मूर्तियों के अवशेष भी नदारद हैं।

अगर सिंधु सभ्यता से जुड़े ले: धर्मपरायण होते तो इस खुदाई में किसी बड़े मंदिर और मूर्तियों के अवशेष अवश्य मिलते। मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक दाढ़ीवाले नका की छोटी मूर्ति मिली है परंतु यह मूर्ति किसी राजतंत्र या धर्मतंत्र की प्रमाण नहीं कही जा सकती। विश्व की अन्य सभ्यताओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन से भी यही अनुमान लगाया जा सकता है कि सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो कि समाज पोषित है, राजपोषित अथवा धर्मपोषित नहीं है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Ateet Mein Dabe Paon Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 3.
पुरातत्व के किन चिहनों के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि-सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ : से अनुशासित सभ्यता थी। (C.B.S.E. Delhi 2009, A.I. C.B.S.E. 2009)
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के लोग सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मानवीय एवं अनुशासन प्रिय थे। पुरातात्विक खोजों में बरतनों, सोने की सूइयों, मृद-भांडों, छोटी नावों, बैलगाड़ी, छोटे-छोटे घर, तंग सीढ़ियाँ, नगर-योजना, जल व्यवस्था आदि मानवीय जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। औजार मनुष्य के व्यवसाय से जुड़े होते हैं। कृषि एवम पशुपालन सिंधु सभ्यता के दो मुख्य व्यवसाय थे। संग्रहालय में रखी चीजों को अगर गौर से देखें तो वहाँ औज़ार जैसी चीजें तो बहुत रखी हैं परंतु हथियार कोई नहीं है।

हथियार राजतंत्र की पहचान होते हैं। राजा और हथियारों का समन्वय एक सामान्य-सी बात है। हथियारों और ताकत के बल से सिंधु घाटी के लोगों को अनुशासित किया गया हो ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता। वे जीवन में आत्मीयतापूर्ण अनुशासन रखते थे। अपने काम-धंधे में मस्त थे। यहाँ किसी बड़े राजा का शासन था अथवा अनुशासन राजा के डर से पैदा हुआ हो, यह दूर की बात लगती है। अपने-अपने कार्यों और धंधों से जुड़े लोग समझ से ही अनुशासित हैं; उनको किसी ताकत से अनुशासित नहीं किया जा सकता। पुरातात्विक चिह्नों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता ताकत से शासित की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।

Ateet Mein Dabe Paon NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 4.
‘यह सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती; वे आकाश की तरफ़ अधूरा रह जाता हैं। लेकिन उन सारे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं उसके पार झाँक रहे हैं।’ इसके पीछे लेखक का क्या आशय है?
उत्तर :
लेखक ‘ओम थानवी’ अपनी यात्रा के समय मोहनजोदड़ो नगर की सड़कों, गलियों और घरों में घूमते हैं। वे वहाँ की एक-एक चीज़ को देखकर तत्कालीन समय की अनुभूतियों से जुड़ना चाहते हैं। बौद्ध स्तूप, गढ़, महाकुंड और स्नानागार को देखने के पश्चात जब वे घरों में प्रवेश करते हैं तो टूटे-फूटे घरों को देखकर भावुक हो जाते हैं। मोहनजोदड़ो में सड़कें, बाजार, रईसों और कामगारों की बस्तियाँ हैं। सड़क के दोनों तरफ़ घर हैं। ये घर एक व्यवस्थित नगर-योजना के अनुसार बनाए गए हैं।

इन एक मंजिला घरों में प्रवेश करते लेखक कहते हैं, “यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था अब भी वहीं है। आप इसकी किसी भी दीवार पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहरी पर पाँव रखकर आप सहसा सहम सकते हैं। रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रुन-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरों में मिट्टी के रंग में देखा है।

सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती; वे आकाश की तरफ़ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झाँक रहे हैं।” इस कथन के पीछे लेखक का आशय है कि इन टूटे-फूटे घरों की सीढ़ियों पर खड़े होकर आप दुनिया (विश्व) को देख सकते हैं अर्थात विश्व सभ्यता के दर्शन कर सकते हैं। क्योंकि सिंधु सभ्यता विश्व की महान सभ्यताओं में से एक है।

सिंधु सभ्यता आडंबर रहित एवं अनुशासन प्रिय है इसलिए सिंधु सभ्यता के माध्यम से विश्व सभ्यता को देखा जा सकता है। खंडहरों से मिले अवशेषों और इन टूटे-फूटे घरों से केवल सिंधु सभ्यता का इतिहास ही देखा जा सकता है बल्कि उससे कहीं आगे मानवता को भी देखा जा सकता है। ऐसे कौन-से कारण रहे होंगे कि ये महानगर आज केवल खंडहर बनकर रह गए हैं अथवा ये बड़े महानगर क्यों उजड़ गए। इस प्रकार इन सीढ़ियों पर चढ़कर किसी इतिहास की ही खोज नहीं करना चाहते बल्कि सिंधु सभ्यता के सभ्य मानवीय समाज को देखना चाहते हैं।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 Question Answer प्रश्न 5.
टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती ज़िंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज़ : होते हैं। इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। (C.B.S.E. 2011 Set-l, II, 2012 Set-II)
उत्तर :
सिंधु घाटी की खुदाई में मिले स्तूप, गढ़, स्नानागार, टूटे-फूटे घर, चौड़ी और कम चौड़ी सड़कें, गलियाँ, बैलगाड़ियाँ, सीने की सूइयाँ, छोटी-छोटी नावें किसी भी सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास कही जा सकती हैं। इन टूटे-फूटे घरों के खंडहर उस सभ्यता की ऐतिहासिक कहानी बयान करते हैं। मिट्टी के बरतन, मूर्तियाँ, औजार आदि चीजें उस सभ्यता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को नापने का बढ़िया औजार हो सकते हैं परंतु मोहनजोदड़ो के ये टूटे-फूटे घर अभी इतिहास नहीं बने हैं। इन घरों में अभी धड़कती जिंदगियों का अहसास होता है।

संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा सामान भले ही अजायबघर में रख दिया हो परंतु शहर अभी वहीं हैं जहाँ कभी था। अभी भी आप इस शहर की किसी दीवार के साथ पीठ टिकाकर सुस्ता सकते हैं। वे घर अब चाहे खंडहर बन गए हों परंतु जब आप इन घरों की देहरी पर कदम रखते हैं तो आप थोड़े सहम जाते हैं क्योंकि यह भी किसी का घर रहा होगा। जब किसी के घर में अनाधिकार से प्रवेश करते हैं तो डर लगना स्वाभाविक है। आप किसी रसोई की खिड़की के साथ खड़े होकर उसमें पकते पकवान की गंध ले सकते हैं।

अभी सड़कों के बीच से गुजरती बैलगाड़ियों की रुन-झुन की आवाज़ सुन सकते हैं। ये सभी घर टूटकर खंडहर बन गए हैं परंतु इनके बीच से गुजरती सांय-सांय करती हवा आपको कुछ कह जाती है। अब ये सब घर एक बड़ा घर बन गए हैं। सब एक-दूसरे में खुलते हैं। लेखक का मानना है कि “लेकिन घर एक नक्शा ही नहीं होता। हर घर का एक चेहरा और संस्कार होता है।

भले ही वह पाँच हजार साल पुराना घर क्यों न हों।” इस प्रकार लेखक इन टूटे-फूटे खंडहरों से गुजरते हुए इन घरों में किसी मानवीय संवेदनाओं का संस्पर्श करते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास होने के साथ-साथ धड़कती जिंदगी के अनछुए समयों का भी दस्तावेज़ होते हैं। इसी कारण इसे अनेक लोग ‘लो प्रोफाइल’ सभ्यता भी कहते हैं।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Atit Me Dabe Pav Question Answer NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 6.
इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है, जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा परंतु इससे आपके मन में उस नगर का एक तसवार बनती है। किसी ऐसे ऐतिहासिक स्थल, जिसको आपने नज़दीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
हरियाणा में स्थित ‘कुरुक्षेत्र’ एक विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। कुरुक्षेत्र का इतिहास सदियों पुराना है। वेदों में कुरुक्षेत्र का वर्णन मिलता है। कुरुक्षेत्र को मूलत: ‘महाभारत’ से जोड़कर देखा जा सकता है। अगर मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है तो कुरुक्षेत्र श्रीकृष्ण की कर्मस्थली है। कुरुक्षेत्र की खुदाई के फलस्वरूप पुरातात्विक विद्वानों को कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो महाभारत काल से जुड़े हैं। सरस्वती नदी महाभारत के युद्ध की उत्तरी सीमा को निर्धारित करती थी। कुरुक्षेत्र के आस-पास 48 कोस की भूमि को महाभारत की युद्ध भूमि कहा जाता है। इस 48 कोस भूमि में महाभारत कालीन अनेक अवशेष श्रीकृष्ण संग्रहालय कुरुक्षेत्र में विद्यमान हैं।

श्रीकृष्ण जी ने गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र स्थित ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था। वहाँ स्थित ‘वट वृक्ष’ महाभारतकालीन माना जाता है। कहते हैं इसी वट वृक्ष के नीचे श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश अर्जुन को दिया था। कुरुक्षेत्र का एक नाम स्थाणेश्वर (थानेसर) रहा है। थानेसर अंतिम हिंदू सम्राट हर्षवर्धन की राजधानी था। हर्षवर्धनकालीन अनेक अवशेष खुदाई के समय मिले हैं। कुरुक्षेत्र स्थित शेख चिल्ली के मकबरे के पीछे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विभाग द्वारा निरंतर खुदाई का कार्य जारी है जिसके फलस्वरूप इतिहास के कुछ और पन्ने खोले जा सकते हैं।

Atit Me Dabe Paon Class 12 Hindi Question Answer प्रश्न 7.
नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु र घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तर्क दें। (C.B.S.E. Delhi 2009)
उत्तर :
सिंधुघाटी सभ्यता के महानगर मोहनजोदड़ो की जल-व्यवस्था का वर्णन लेखक ने इस प्रकार किया है किस्तूप के टीले से दाईं तरफ़ लंबी गली के आगे एक ‘महाकुंड’ है। यह भी पता चला है कि इस गली को ‘दैव मार्ग’ कहा जाता है।

माना यह भी जाता है कि सिंधु सभ्यता में स्नान किसी अनुष्ठान का अंग होता था। यह कुंड करीब चालीस फुट लंबा और पच्चीस फुट चौड़ा है। इसकी गहराई सात फुट है। इस कुंड के उत्तर और दक्षिण दिशा में सीढ़ियाँ नीचे कुंड में उतरती हैं। इस कुंड के तीन तरफ़ साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर दिशा में दो पंक्तियों में आठ स्नानघर हैं। इनके दरवाजे एक-दूसरे के सामने न खुलकर सीधे खुलते हैं। ये स्नानागार सिंधु सभ्यता की वास्तुकला के अनूठे नमूने हैं।

इस कुंड में पक्की ईंटों का जमाव है। ईंटों के जमाव के कारण न तो कुंड का पानी जमीन में रिसता है न ही ‘अशुद्ध जल कुंड में प्रवेश करता है। कुंड के पार्श्व की दीवारों के साथ दूसरी दीवारें भी खड़ी की गई जिसमें सफ़ेद डामर का प्रयोग किया गया है। कुंड में पानी भरने के लिए एक वरफ़ कुआँ बनाया गया है। क्योंकि दोहरे धेरै वाला यह एकमात्र कुआँ है इसलिए इस कुएँ को पवित्र कुआँ माना जा सकता है।

कुंड से पानी बाहर निकालने के लिए नालियाँ बनी हुई हैं। इन नालियों की खास बात यह है कि ये ऊपर से पक्की ईंटों से ढकी मोहनजोदड़ो नगर में सड़क के दोनों ओर घर हैं परंतु किसी भी घर का दरवाजा सड़क की ओर नहीं खुलता। पहले मुख्य गली में प्रवेश करना पड़ता है इसके बाद घर की गली में और फिर घर में। प्रत्येक घर में एक स्नानघर है। घर के भीतर से पानी या मैला पानी नालियों के माध्यम से बाहर हौदी में आता है और फिर बड़ी नालियों में चला जाता है।

कहीं-कहीं नालियाँ ऊपर से खुली हैं परंतु अधिकतर नालियाँ ऊपर से बंद हैं। नगर में इमारतों के बाहर कुओं का प्रबंध है। ये कुएँ पक्की ईंटों के बने हैं। सिंधु सभ्यता से जुड़े इतिहासकारों का मानना है कि यह सभ्यता विश्व में पहली ज्ञात संस्कृति है जो कुएँ खोदकर भू-जल तक पहुँची। अकेले मोहनजोदड़ो नगर में सात सौ कुएँ हैं। इस प्रकार मोहनजोदड़ो में पानी की व्यवस्था सभ्य समाज की पहचान है। लेखक द्वारा यह प्रश्न उठाना कि नदी, कुएँ, कुंड, स्नानागार और बेजोड़ पानी निकासी व्यवस्था क्या सिंधु सभ्यता की नव्य जल-संस्कृति है; बिलकुल ठीक है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Ateet Me Dabe Paon Class 12 Hindi NCERT Solutions प्रश्न 8.
सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है। इस लेख में मोहनजोदड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है। क्या आपके मन में इससे कोई भिन्न धारणा या भाव भी पैदा होता है ? इन संभावनाओं पर कक्षा में समूह चर्चा करें।
उत्तर :
मेरे मन में तो कोई अन्य धारणा या भाव पैदा नहीं होता यदि आपके मन में कोई अन्य विचार उत्पन्न हो रहा हो तो अन्य विद्यार्थियों के साथ चर्चा कीजिए।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-vitan-chapter-2/

जूझ NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2

जूझ Questions and Answers Class 12 Hindi Vitan Chapter 2

जूझ पाठ के प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 1.
‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा-नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
(A.I.C.B.S.E. 2011, 2012. C.B.S.E. Outside Delhi 2013. Set-I, II. III)
अथवा
“जूझ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष की सफलता की कहानी है।” इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए। (Delhi C.B.S.E. 2016, Set-I, II, C.B.S.E. 2011)
अथवा
‘जूझ’ कहानी के प्रमुख पात्र को अपना पढ़ना जारी रखने के लिए कैसे जूझना पड़ा था और वह किस उपाय से सफल (C.B.S.E. 2012, Set-I)
अथवा
‘जूझ’ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष की प्रेरक कथा है-समीक्षा कीजिए। (C.B.S.E. 2012, Set-III) हुआ?
उत्तर
‘जूझ’ उपन्यास आनंद यादव द्वारा रचित बहुचर्चित उपन्यास है। यह उपन्यास आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है। इस उपन्यास के कथा-नायक स्वयं लेखक (आनंद) हैं। वे आनंद नामक कथा-नायक के संघर्षपूर्ण जीवन-गाथा का वर्णन करते हैं। ‘जूझ’ शब्द का अर्थ संघर्ष’ है। कथा-नायक का जो चरित्र ‘जूझ’ उपन्यास के प्रस्तुत पाठ में दर्शाया गया है उसमें उनकी पाठशाला जाने की प्रबल इच्छाशक्ति और इच्छापूर्ति के लिए संघर्ष-गाथा है। संपूर्ण उपन्यास कथा-नायक के संघर्ष को रेखांकित करता है।

‘जूझ’ उपन्यास का कथा-नायक आनंद फिर से पाँचवीं कक्षा में प्रवेश चाहता है। पिछले वर्ष उसके पिता ने परीक्षा देने से पूर्व ही उसे स्कूल से निकाल लिया था। इस वर्ष फिर उसका मन स्कूल जाने के लिए बेचैन रहता है। वह अपनी माँ से ?? बार-बार प्रार्थना करता है कि वह मुझे स्कूल में पढ़ने के लिए पिता जी को मनाए। परंतु उसकी माँ भी पिता जी से डरी-सहमी रहती है। पिछले वर्ष जब से आनंद ने स्कूल छोड़ा वह सारा दिन अकेला काम करता रहता है जबकि उसका पिता सारा दिन गाँव में घूमता रहता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

माँ को बार-बार कहकर वह गाँव के मुखिया दत्ता जी राव के माध्यम से पिता जी पर दबाव डलवाने में सफल हो जाता है। उसकी माँ और वह स्वयं दत्ता जी राव को प्रार्थना करते हैं कि वह पिता जी पर दबाव डाले ताकि मैं स्कूल में पढ़-लिख कर कोई नौकरी प्राप्त कर सकूँ अथवा कोई व्यापार शुरू कर सकूँ। दत्ता जी राव पिता जी को अपने बाड़े में बुलाकर खूब खरी-खोटी सुनाते हैं तथा उन्हें बाध्य करते हैं कि वह स्वयं खेतों में काम करे और बेटे को स्कूल भेजे। घर आकर पिता जी ने आनंद को खूब डाँटने के बाद आनंद को स्कूल जाने की अनुमति दे दी। आनंद खुशी-खुशी स्कूल जाने लगा।

आनंद जब पहली बार कक्षा में गया तो वहाँ केवल गली के दो लड़के हा उस पहचानत थ। अब इस कक्षा म सभा उसस छोटे बच्चे थे जिन्हें वह कम अक्लवाला समझा करता था आज उनके साथ बैठकर उसे बहुत बुरा लग रहा था परंतु वह मजबूर था। उसकी कक्षा में एक शरारती लडका चहवाण था जो उसकी धोती को बार-बार खींचता था तथा उसके गमछे को इधर-उधर फेंकता था।

आनंद बहुत दुखी था। आधी छुट्टी में भी कुछ शरारती लड़कों ने उसे खूब तंग किया। एक बार तो उसे लगा कि इस कक्षा से बढ़िया तो वे खेत थे जहाँ कोई दूसरा तंग तो नहीं करता था। धीरे-धीरे उसका मन कक्षा में रमने लगा। वह वसंत पाटिल नामक लड़के के पास बैठने लगा जो गणित विषय में बहुत होशियार था। आनंद को भी लगा कि वह भी गणित के सवाल निकालकर वसंत पाटिल की तरह होशियार बन जाए इसलिए वह घर जाकर खूब मेहनत करता और स्कूल में वसंत पाटिल के साथ दोस्ती का फ़ायदा उठाकर गणित विषय में होशियार हो गया। अब वह भी पाटिल की तरह जल्दी-जल्दी गणित के सवाल हल करने लगा।

मराठी के अध्यापक स्कूल में कोई कविता पढ़ाते समय उसमें पूरी तरह डूब जाते थे। वे कविता को गुनगुनाते और अभिनय भी करते थे। आनंद को लगा कि वह भी कविता गा सकता है तथा अभिनय भी कर सकता है। जो कविता कक्षा में पढ़ाई जाती वह उसे खेतों में पानी लगाते समय खूब ज़ोर-ज़ोर से गाया करता था। पहले जब वह अकेला होता था उसे बोरियत महसूस होती परंतु अब वह अकेले में नई कविताएँ बनाता और उन्हें अभिनय के साथ गाया करता था। इन कविताओं ने उसकी जीवन-शैली ही बदल दी थी।

इस प्रकार इस कथावस्तु के वर्णन से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि कथा-नायक (आनंद) में संघर्ष करने की प्रवृत्ति केंद्रीय चारित्रिक विशेषता है। वह जीवन भर संघर्ष कर उसे सफल बनाना चाहता है। संघर्ष से वह घबराता नहीं बल्कि संघर्ष को अपनी आदत बनाता है। संपूर्ण कथावस्तु में वह संघर्ष करता था। अपनी स्कूल जाने की इच्छा को पूरा करता है तथा एक बाल कवि के रूप में सफल होता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 Question Answer प्रश्न 2.
स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? (C.B.S.E. Delli 2008. A.I. C.B.S.E. 2009-10. Set-II. 2011. Set-I. 2012, Set-I)
अथवा
‘जन’ के लेखक के कवि बनने की कहानी का वर्णन कीजिए। (CBSE 2014. Set-II)
उत्तर
लेखक जब पाँचवीं कक्षा के विद्यार्थी थे तब उनकी कक्षा में सौंदलगेकर नामक अध्यापक मराठी पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं कविता में पूरी तरह से डूब जाते थे। उनका गला सुरीला था तथा छंद बनाने की बढ़िया चाल भी थी। मराठी के साथ उन्हें अंग्रेजी की अनेक कविताएँ कंठस्थ थीं। वे कविता को गाते समय लय, गति, यति और ताल का बखूबी प्रयोग करते थे। लेखक जब उनसे कविता सुना करते थे तो वे भी कविता के भावों में पूरी तरह से रम जाते थे। वे मास्टर जी के हाव-भाव, ध्वनि, ताल, रस और चाल को पूरी तल्लीनता के साथ सुना करते थे।

वहीं से वे काव्य में पूरी रुचि लेने लगे। जब वे खेतों में काम करते थे उस समय मास्टर की भाँति पूरे हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार कविता गाया करते थे। जिस प्रकार मास्टर जी अभिनय करते थे वे उसी प्रकार अभिनय किया करते थे। कविता गाते समय उन्हें यह भी पता नहीं चलता था कि क्यारियाँ पानी से कब भर गईं। मास्टर जी भी आनंद के कविता गाने में रुचि लेने लग गए थे। उन्होंने बड़ी कक्षा के बच्चों के सामने आनंद को कविता सुनाने के लिए कहा और आनंद ने इस अवसर का खूब फ़ायदा उठाया।

अब वे अपने आसपास, अपने गाँव और खेतों के दृश्यों की कविता बनाने लगे। भैंस चराते-चराते जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगे। जब रविवार के दिन कोई कविता बन जाती तो अगले दिन मास्टर जी को दिखाता और सुनाता। मास्टर जी उन्हें शाबाशी देते। मास्टर जी ने उन्हें भाषा-शैली, छंद, अलंकारों के साथ-साथ शुद्ध लेखन की बारीकियाँ सिखा दी। वे उन्हें अलग-अलग प्रकार की कविताओं के संग्रह देते थे। इस प्रकार लगातार अभ्यास से वे मराठी में कविताएँ लिखने लगे। उनपर कविता लिखते समय शब्दों का नशा चढ़ने लगा। इस प्रकार लेखक के मन में स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास पैदा हुआ।

जूझ’ पाठ के प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 3.
श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें, जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई। (C.B.S.E. Delhi 2009)
अथवा
जुझ’ के लेखक को मराठी अध्यापक क्यों अच्छे लगते थे? (A.I. C.B.S.E. 2014 Set-I. II, III)
अथवा
सौंदलगेकर एक आदर्श अध्यापक क्यों प्रतीत होते हैं? ‘जूझ कहानी के आधार पर उनकी विशेषताओं पर प्रकाश (C.B.S.E. Delhi 2017, Set-I, II, III, Outside Delhi 2017)
उत्तर :
श्री सौंदलगेकर कथा-नायक के पाँचवीं कक्षा में मराठी के मास्टर थे। वे कविता के अध्यापन के साथ कविता गाया भी करते थे। जब वे कक्षा में कोई कविता पढ़ाया करते तो उसे गाने के साथ, हाव-भाव के अनुसार अभिनय भी किया करते थे। वे कविता को गाते समय ताल, छंद, लय, गति और यति का पूरा ध्यान रखते थे। जब कक्षा में मास्टर जी कविता गाते तो लेखक उन्हें खब ध्यान लगाकर सुना करते थे। मास्टर जी कक्षा में कवि यशवंत, बा० भ० बोरकर, भा० रा० ताँबे, गिरीश तथा केशव कुमार आदि कवियों की कविताएँ सुनाते तथा उनके साथ अपनी मुलाकात के संस्मरण सुनाया करते थे।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

मास्टर जी स्वयं भी कविता किया करते थे। कभी-कभी वे अपनी कोई कविता कक्षा में सुनाते थे। लेखक मास्टर जी से इतने प्रभावित हुए कि वे कविता को गाने लगे तथा साथ ही अभिनय करने लगे। उन्होंने बड़ी कक्षाओं के बच्चों के सामने लेखक को कविता सुनाने के लिए प्रेरित किया। जब लेखक कोई कविता बनाते तो अगले दिन मास्टर जी को दिखाया करते। मास्टर जी उनकी कविता को ध्यान से पढ़ते और उन्हें शाबाशी दिया करते थे। उन्होंने लेखक को छंद, लय, अलंकार, भाषा-शैली और शुद्ध लेखन के बारे में समझाया। उनके अध्यापन की इन्हीं विशेषताओं के कारण कवि के मन में कविता के प्रति रुचि पैदा होने लगी।

Class 12 Hindi Book Vitan Chapter 2 Question Answer प्रश्न 4.
कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
उत्तर :
मास्टर सौंदलगेकर लेखक को पाँचवीं कक्षा में मराठी पढ़ाते थे। कविता पढ़ाते समय वे स्वयं भी उसमें डूब जाते थे। उनके पास सुरीला गला और छंद की बढ़िया चाल भी थी। उन्हें मराठी के साथ-साथ अंग्रेज़ी की भी कुछ कविताएँ कंठस्थ थीं। जब वे कविता सुनाते थे तब साथ-साथ अभिनय भी किया करते थे। लेखक उनकी कविताएँ पूरी तल्लीनता से सुनते थे। वे अपनी आँखों और कानों की पूरी

शक्ति लगाकर दम रोककर मास्टर जी के हाव-भाव, ध्वनि, यति, गति, चाल और रसों का आनंद लिया। लेखक खेतों में पानी लगाते समय खुले गले से मास्टर जी के हाव-भाव और आरोह-अवरोह के अनुसार कविताएँ गाया करते थे। जिस प्रकार मास्टर जी अभिनय करते थे उसी प्रकार लेखक भी अभिनय करते थे। इस प्रकार लेखक भी कविताओं के साथ खेलने लगे।

इन कविताओं के माध्यम से लेखक में नई रुचियाँ पैदा होने लगीं। पहले जब वे खेतों में पानी लगाते थे उस समय उन्हें अकेलापन खटकता था। अगर काम करते समय कोई साथ नहीं है तो उन्हें बोरियत होती थी, इसलिए कोई-न-कोई साथ होना चाहिए। लेकिन कविता के प्रति लगाव होने के पश्चात उन्हें अकेलापन नहीं खटकता था। बल्कि अब उन्हें अकेलापन अच्छा लगता था क्योंकि अकेलेपन में कविता ऊँची आवाज़ में गाई जा सकती थी। कविता के भाव के अनुसार अभिनय भी किया जा सकता था। लेखक अब कविता गाते-गाते नाचने भी लगा था। इस प्रकार कविता के प्रति लगाव ने लेखक की अकेलेपन की धारणा को बदल दिया।

जूझ प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions  प्रश्न 5.
आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवेया सही था या लेखक के पिता का? तर्कसहित उत्तर दें। (C.B.S.E. Delhi 2008, 2017)
उत्तर :
‘जूझ’ आनंद यादव का एक बहुचर्चित उपन्यास है। आत्मकथात्मक शैली में लिखित यह उपन्यास लेखक के जीवन से जुड़ा हुआ है। लेखक के पिता लेखक को पाँचवीं कक्षा से हटाकर खेतों के काम में लगा देते हैं। लेखक को यह बात बहुत बुरी लगती है। वे बार-बार यह सोचते हैं कि कोई उनके पिता को समझा दे ताकि वे फिर अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। एक दिन अपनी माँ के साथ कंडे थापते हुए उसने अपनी माँ के समक्ष अपनी मंशा व्यक्त की।

माँ और बेटे दोनों गाँव के मुखिया दत्ता जी राव के पास पिता पर दबाव डलवाने की योजना बनाते हैं। लेखक का मत है कि जीवनभर खेतों में काम करके कुछ भी हाथ लगने वाला नहीं है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी खेतों में काम करके कुछ भी प्राप्त नहीं हो सका। वे मानते हैं कि यह खेती हमें गड्ढे में धकेल रही है। अगर मैं पढ़-लिख गया तो कहीं मेरी नौकरी लग जाएगी या कोई व्यापार करके अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

रात के समय माँ-बेटा जब दत्ता जी राव के घर जाकर पूरी बात बताते हैं तो दत्ता जी राव पिता जी को बुलाकर खूब डाँटते हैं और कहते हैं कि तू सारा दिन क्या करता है। बेटे और पत्नी को खेतों में जोत कर तू सारा दिन साँड की तरह घूमता रहता है। कल से बेटे को स्कूल भेज, अगर पैसे नहीं हैं तो फीस मैं भर दूंगा। परंतु पिता जी को यह सब कुछ बुरा लगा। दत्ता जी राव के सामने ‘हाँ’ करने के बावजूद भी वे आनंद को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे।

इसलिए बेटे को कहते हैं स्कूल से आने के बाद खेतों में यदि नहीं आया किसी दिन तो देख गाँव में जहाँ मिलेगा वहीं कुचलता हूँ कि नहीं तुझे। तेरे ऊपर पढ़ने का भूत सवार है। मुझे मालूम है, बलिस्टर नहीं होनेवाला है तू? इस प्रकार लेखक और उनके पिता जी की सोच में एक बड़ा अंतर है। हमारे खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया लेखक के पिता की सोच से ज्यादा ठीक है क्योंकि पढ़ने-लिखने से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही अपने और समाज के बारे में ठीक से समझ सकता है। पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही नौकरी कर सकता है अथवा अपने व्यापार को ठीक से चला सकता है। तो यह बिलकुल सही है कि पढ़ाई व्यक्ति के विकास में सहायक सिद्ध होती है। व्यक्ति की बुद्धिमत्ता बढ़ाती है। खेतों में सारा दिन काम करनेवाला लेखक अब गणित के सवाल झट से हल कर देता है। वह अब कविता करने लगा है। कविता लिखने के साथ उन्हें गाता है और हाव-भाव के अनुसार अभिनय भी करता है। उसके मन में छिपी प्रतिभा पढ़ाई के माध्यम से बाहर आ जाती है। इस प्रकार पढ़ाई-लिखाई किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होती है।

Class 12 Vitan Chapter 2 Question Answer प्रश्न 6.
दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूट का सहाग लेना पड़ा! यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता, तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।
उत्तर :
दत्ता जी राव ‘जूझ’ उपन्यास में एक महत्वपूर्ण चरित्र है। वे गाँव के बड़े व्यक्ति हैं। गाँव के लोग उनके सामने दबते हैं। चूँकि लेखक के पिता ने लेखक को पाँचवीं कक्षा से हटाकर खेतों में काम पर लगा दिया था इसलिए लेखक के मन में यह विचार आया कि यदि पिता जी को कोई समझा दे तो मैं फिर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकता हूँ। पढ़ाई से ही मेरा जीवन सुधर सकता है वरना खेती के काम में ऐसे ही जिंदगी गुज़र जाएगी और कुछ हाथ नहीं आएगा। इसलिए वह अपनी माँ के साथ दत्ता जी राव के पास यह झूठ बोलकर कि दादा (पिता जी) सारा दिन बाज़ार में रखमाबाई के पास गुज़ार देता है।

खेती के काम में हाथ नहीं लगाता है। माँ दत्ताजी राव को यह विश्वास दिलाती है कि दादा को सारे गाँव में आजादी से घूमने को मिलता रहे, इसलिए उन्होंने आनंद का पढ़ना बंद कर खेती में जोत दिया है। बस, यह सुनते ही दत्ताजी राव चिढ़ गए। बाद में उन्होंने दादा को घर बुलाकर खूब खरी-खोटी सुनाई और लेखक को सुबह पाठशाला जाने को कहा। इस प्रकार लेखक एक बार फिर अपनी पढ़ाई शुरू कर पाते हैं।

अगर लेखक की पढ़ाई शुरू करने में इस झूठ का सहारा न लिया जाता तो लेखक की सारी जिंदगी खेत जोतने में ही गुजर जाती। उसके मन की चंचलता और भावुकता समाप्त हो जाती। उसका कवि मन मचल कर रह जाता। मराठी के मास्टर जी की सहायता से वह नए-नए दृश्यों को देखकर कविता के छंद लिखने लगा था। कविता के भावों के अनुसार वह अभिनय और नृत्य भी करने लगा था। अगर उसकी पढ़ाई छूट जाती तो लेखक (आनंद) न केवल कहीं खो जाते बल्कि एक महान उपन्यासकार का भी वहीं अंत हो जाता।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-aroh-chapter-15/

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 15

पाठ के साथ

Charlie Chaplin Yani Hum Sab Question Answer Class 12 प्रश्न 1.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफ़ी कुछ कहा जाएगा?
उत्तर :
‘अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफ़ी कुछ कहा जाएगा’-लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि आज भी चाली के प्रशंसक हैं और उनकी फ़िल्मों को देखते हैं। आम लोग चार्ली चैप्लिन की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। समय, भूगोल और संस्कृतियों से खिलवाड़ करता हुआ चार्ली आज भी भारत के लाखों बच्चों को हँसा रहा है, जो उसे अपने बुढ़ापे तक याद रखेंगे। उनकी कला आज पूरी दुनिया के सामने है, जो 75 वर्षों में पाँच पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध कर चुकी है और आगे भी करती रहेगी। आज के बच्चे उनकी कला को अवश्य याद रखेंगे और बुढ़ापे तक उनकी कला व महानता की अवश्य चर्चा करेंगे।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

Charlie Chaplin Yani Hum Sab Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 2.
चप्लिन ने न सिर्फ फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने का और वर्ण-व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?
अथवा
आपके विचार से चार्ली चैप्लिन की सर्वस्वीकार्य के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर :
इस पंक्ति में फ़िल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाने और वर्ण-व्यवस्था तोड़ने का अभिप्राय यह है कि चार्ली चैप्लिन की अभिनय कला संपूर्ण समाज में प्रसिद्ध हुई और उसने उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक के प्रत्येक व्यक्ति के मन पर गहरा असर डाला। उनकी फ़िल्मों को पागलखाने के मरीजों व व्याकुल मस्तिष्क वाले लोगों से लेकर आइन्स्टाइन जैसे महान प्रतिभासंपन्न व्यक्ति तक सूक्ष्मतम रसास्वादन के साथ देख सकते हैं।

किसी एक समान स्तर पर उनकी कला से समाज का प्रत्येक धर्म, जाति, अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा-सब आनंदविभोर होते हैं। हम इस बात से सहमत हैं कि चार्ली चैप्लिन ने अपनी फ़िल्म कला को न सिर्फ लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा।

Class 12 Hindi Chapter 15 Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 3.
लेखक ने चाली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गांधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य क्यों चाहा? (C.B.S.E. Delhi 2009,A.I.C.B.S.E. 2009, 2010 Set-I, 2011 Set-I, Outside Delhi 2017, Set-III)
उत्तर :
लेखक ने हिंदी फ़िल्म ‘आवारा’ को चार्ली का भारतीयकरण कहा। राजकपूर ने इस फ़िल्म में चार्ली के अभारतीय सौंदर्यशास्त्र की इतनी व्यापक स्वीकृति देखकर भारतीय फ़िल्मों का एक साहसिक प्रयोग किया। राजकपूर ने ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ फ़िल्मों के द्वारा ही भारतीय फ़िल्मी जगत में नायकों पर हँसने तथा स्वयं नायकों के अपने पर हँसने की परंपरा का सूत्रपात किया। चार्ली दुनिया के महान हास्य कलाकार थे। उन्होंने अपनी कला को लोकतांत्रिक बनाया तथा दर्शकों के वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। उन्होंने अपने आपको किसी एक विशेष संस्कृति का न मानकर पूरी दुनिया का कलाकार समझा। चाली का गांधी जी से विशेष अनुग्रह था। उनकी प्रतिभा और प्रेम को देखकर गांधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य चाहा।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 4.
लेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों?
उत्तर :
लेखक ने कलाकृति में कुछ रसों का साथ-साथ पाया जाना श्रेयस्कर माना है, क्योंकि भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में अनेक रस हैं। जीवन में हर्ष-विषाद आते-जाते रहते हैं। लेखक भी किसी कलाकृति में एक साथ अनेक रसों का प्रयोग करता है। जैसे-एक बार जब चार्ली बीमार थे, तब उनकी माँ ने उन्हें ईसा मसीह का जीवन बाइबल से पढ़कर सुनाया था। ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रकरण तक आते-आते माँ और चार्ली दोनों रोने लगे थे।

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Question Answer Class 12 प्रश्न 5.
जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया? (C.B.S.E. Sample Paper, 2008 Set-1) (C.B.S.E.Outside Delhi, 2013, Set-I, II, III, C.B.S.E. 2017 Set-1)
अथवा
चार्ली कौन था? उनके बचपन और पारिवारिक परिवेश पर प्रकाश डालिए। (C.B.S.E. 2012, Set-1)
अथवा
उन संघर्षों का उल्लेख कीजिए, जिनसे टकराते टकराते चार्ली चैप्लिन के व्यक्तित्व में निखार आता गया। (C.B.S.E. 2014, Set-I, II, III, Outside Delhi 2017, Set-1)
उत्तर :
चार्ली एक परित्यक्ता और दूसरे दरजे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। बाद में उनकी माँ पागल हो गई, जिससे वे निरंतर संघर्ष करते रहे। उनका जीवन भयानक गरीबी में व्यतीत हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी स्थिति को देखकर साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर समाज ने उन्हें निरंतर दुत्कारा। लेकिन चार्ली इन सब परिस्थितियों से संघर्ष करते रहे। इस प्रकार बचपन से ही जद्दोजहद करते हुए चार्ली ने अपना धैर्य एवं साहस नहीं छोड़ा। प्रतिकूल परिस्थितियों ने उन्हें अनेक जीवन-मूल्य प्रदान किए। ऐसे जीवन-मूल्य, जिन्हें एक करोड़पति होकर भी वे भूल न सके। इस प्रकार जीवन की जद्दोजहद ने चाली के व्यक्तित्व को संपन्न बनाया।

प्रश्न 6.
चाली चैप्लिन की फ़िल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता?
उत्तर :
चार्ली चैप्लिन की फ़िल्मों में त्रासदी, करुणा और हास्य का अनूठा सामंजस्य है। वे एक ऐसे महान कलाकार थे, जो अपनी प्रतिभा से त्रासदी और करुणा को भी हास्य में बदलने की शक्ति रखते थे। लेकिन त्रासदी, करुणा और हास्य का ऐसा मेल भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र की परिधि में नहीं आता, क्योंकि भारतीय परंपरा में ऐसे रस सिद्धांत नहीं हैं, जो करुणा को हास्य में बदल सकें। अपने ऊपर हँसने और दूसरों में वैसी ही शक्ति पैदा करने की प्रतिभा भारतीय विदूषक में कुछ कम ही नज़र आती है। हास्य कब करुणा में और करुणा कब हास्य में बदल जाएगी, इससे भारतीय जनता सैद्धांतिक रूप से अपरिचित है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

प्रश्न 7.
चालीं सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हँसता है? (A.I. C.B.S.E. 2011, Set-II)
उत्तर :
चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर तब हँसता है, जब वह अपने आपको गर्व से उन्मत मानता है। वह आत्म-विश्वास से लबरेज हो जाता है। वह सफलता, सभ्यता, संस्कृति व समृद्धि की प्रतिमूर्ति बन स्वयं को दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली तथा श्रेष्ठ समझने लगता है। वह स्वयं को वज्रादपि कठोराणि अथवा मृदूनि कुसुमादपि क्षण में दिखलाता है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1.
आपके विचार से पृक और सवाक फ़िल्मों में से किसमें ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है और क्यों?
उत्तर :
हमारे विचार से मूक और सवाक् फ़िल्मों में से मूक फ़िल्मों में ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है, क्योंकि मूक फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं होता, उनमें हाव-भाव के द्वारा दर्शकों को आपकी भावनाओं व परिस्थितियों से अवगत करवाया जाता है।

प्रश्न 2.
सामान्यत: व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का जिक्र कीजिए जब
(क) आप अपने ऊपर हँसे हों;
(ख) हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।
उत्तर :
(क) गर्मियों के दिन थे। मैं विज्ञान की कक्षा में था कि बिजली चली गई। कुछ ही देर में हम सब पसीने से नहा गए। अध्यापक कुछ समझा रहे थे। वे तब ब्लैक-बोर्ड का प्रयोग नहीं कर रहे थे। मैं चश्मा लगाता हूँ। गरमी के कारण बार-बार पसीना बह कर मेरे चश्मे के लैंस को गीला कर रहा था। मैंने उसे उतारा नहीं बल्कि माथे से ऊपर बालों पर सरका दिया। कुछ देर बाद अध्यापक महोदय ब्लैक बोर्ड पर लिखने लगे, जो मुझे दिखाई नहीं दे रहा था।

मैंने अपना चश्मा दाएँ-बाएँ ढूँढ़ा, पर वह नहीं मिला। मैंने सोचा कि शायद मेरे मित्र ने मजाक में उसे छिपा दिया है। मैंने उससे अपने चश्मे के बारे में पूछा, तो उसने बिना मेरी ओर देखे कह दिया कि मेरा चश्मा उसके पास नहीं है। अध्यापक महोदय ने हमारी फुसफुसाहट सुन ली और मुझसे बोलने का कारण पूछा। मैंने शिकायत भरे स्वर में कहा कि ‘सर! राकेश ने मेरा चश्मा छिपा दिया है। मुझे ब्लैक बोर्ड पर लिखा दिखाई नहीं दे रहा।’ उन्होंने मुसकराते हुए कहा-“तुम्हारा चश्मा तो तुम्हारे सिर पर है। जरा ऊपर देखो तो।” जैसे ही मैंने अपना चश्मा सिर से उतारकर आँखों पर लगाया, वैसे ही सारी कक्षा के बच्चे खिलखिलाकर हँस पड़े और मैं भी उनके साथ अपनी नादनी पर हँस पड़ा।
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

(ख) हमारा कुत्ता रॉकी सारा दिन भाग-दौड़ करता है। पल भर भी टिककर नहीं बैठता। एक दिन पता नहीं उसे क्या सूझा कि वह आँगन में लगे पेड़ की नीची डालियों का सहारा लेकर ऊपर चढ़ने लगा। हम उसे दूर बैठे देखते रहे और हँसते रहे कि रॉकी भी आज भालू की तरह पेड़ पर चढ़ेगा। शायद उसे पेड़ पर चिड़िया का घोंसला दिखाई दे गया था। वह कुछ और ऊपर चढ़ गया और फिर फिसलकर धड़ाम से नीचे आ गिरा। गिरते समय टहनियों से उसे खरोंचें लगीं और एक टॉग पर गहरी चोट भी लगी। हमारी हँसी एकदम रुक गई। हमारा हास्य पलभर में करुणा में

प्रश्न 3.
चाली हमारी वास्तविकता है, जबकि सुपरमैन स्वप्न/आप इन दोनों में खुद को कहाँ पाते हैं?
उत्तर :
मानव जीवन हर्ष-विषाद का पिटारा है। मनुष्य प्राकृतिक रूप से दुख में दुखी होता है, तो सुख में बहुत आनंदित भी होता है। वह चार्ली की तरह अनेक प्रकार के प्रदर्शन कर अपनी खुशी को प्रदर्शित करता है, जबकि सुपरमैन एक स्वप्न की भाँति है। मैं स्वयं को इन दोनों के मध्य पाता हूँ।

प्रश्न 4.
भारतीय सिनेमा और विज्ञापनों ने चार्ली की छवि का किन-किन रूपों में उपयोग किया है? कुछ फ़िल्में (जैसे आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, मिस्टर इंडिया और विज्ञापनों (जैसे चैरी ब्लॉसम) को गौर से देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 5.
आजकल विवाह आदि उत्सव, समारोहों एवं रेस्तरां में आज भी चार्ली चैप्लिन का रूप धरे किसी व्यक्ति से आप अवश्य टकराए होंगे। सोचकर बताइए कि बाजार ने चार्ली चैप्लिन का कैसा उपयोग किया है?
उत्तर :
आजकल विवाह आदि उत्सवों, समारोहों और रेस्तरों में चार्ली चैप्लिन का रूप धरे किसी व्यक्ति का हँसाने वाले जोकर के रूप में उपयोग सामान्य-सा हो गया है। एक महान कलाकार का इस प्रकार सस्ता और भद्दा उपहास नहीं उड़ाना चाहिए। यह एक महान कलाकार का अपमान है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
…तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है। वाक्य में चार्ली शब्द की पुनरुक्ति से किस प्रकार की अर्थ-छटा प्रकट होती है? इसी प्रकार के पुनरुक्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कोई तीन वाक्य बनाइए। यह भी बताइए कि संज्ञा किन स्थितियों में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने लगती है?
उत्तर :
उपर्युक्त वाक्य में चार्ली शब्द की पुनरुक्ति से प्रसन्नता व आनंद के भाव की अर्थ-छटा प्रकट होती है।

  • दिल टोटे-टोटे हो गया।
  • दिल हाय-हाय कर उठा।
  • शिकार देखते ही शिकारी का मन बाग-बाग हो गया।

जब संज्ञा विशेषण के स्थान पर आकर किसी की विशेषता का बोध करवाती है, तो संज्ञा विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने लगती है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

प्रश्न 2.
नीचे दिए वाक्यांशों में हुए भाषा के विशिष्ट प्रयोगों को पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(क) सीमाओं से खिलवाड़ करना
(ख) समाज से दुरदुराया जाना
(ग) सुदूर रूमानी संभावना
(घ) सारी गरिमा सुई-चुभे गुब्बारे जैसी फुस्स हो उठेगी।
(ङ) जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं।
उत्तर :
(क) समय, भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ चार्ली आज विश्वभर के लाखों बच्चों को हंसा

(ख) एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बाद में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, -साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतवाद से मगरूर समाज से दुरदुराया जाना-इस सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य मिले, जो करोड़पति होने के बावजूद अंत तक उनमें रहे।

(ग) अपनी नानी की ओर से चैप्लिन खानाबदोशों से जुड़े हए थे तथा यह एक सुदूरक रूमानी संभावना बनी हुई है कि शायद उस खानाबदोश औरत में भारतीयता रही हो, क्योंकि यूरोप में जिप्सी भारत से ही गए थे।

(घ) चाली अपने ऊपर ज्यादा तब हँसता है जब वह स्वयं को गर्वोन्मत, आत्मविश्वास से युक्त, सफलता, सभ्यता, संस्कृत तथा समृद्धि की प्रतिमूर्ति, दूसरों से शक्तिशाली तथा श्रेष्ठ, अपने वज्र से भी कठोर अथवा फूल से भी कोमल क्षण में दिखलाता है। तब ऐसा लगता है कि यह सारी गरिमा सुई-चुभे गुब्बारे जैसी फुस्स हो उठेगी।

(ङ) अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चाली की तरह ही होते हैं जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं।

गौर करें

(क) दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।
(ख) कला में बेहतर क्या है-बुद्धि को प्रेरित करने वाली भावना या भावना को उकसाने वाली बुद्धि?
(ग) दरअसल मनुष्य स्वयं ईश्वर या नियति का विदूषक, क्लाउन, जोकर या साइड किक है।
(घ) सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्ष में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।
(ङ) मॉडर्न टाइम्स द ग्रेट डिक्टेटर आदि फ़िल्में दिखाई जाएं और फ़िल्मों में चार्ली की भूमिका पर चर्चा की जाए।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-aroh-chapter-13/

काले मेघा पानी दे NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13

काले मेघा पानी दे Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 13

पाठ के साथ

Kale Megha Pani De Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 1.
लोगों ने लड़कों की टोली को मेंढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर :
लड़के समूह में एकत्रित होकर नंगे शरीर उछलते-कूदते तथा अत्यधिक शोर-शराबा करते हुए गलियों में कीचड़ करते हुए घूमते थे। ये गलियों में इधर-उधर दौड़ा करते थे, इसी आधार पर लोगों ने लड़कों को मेंढक-मंडली नाम दे दिया था। यह टोली अपने आपको इंदर सेना इसलिए कहकर पुकारती थी क्योंकि यह अनावृष्टि से छुटकारा पाने हेतु लोक-आस्था के कारण इंद्र महाराज को खुश करने के लिए ऐसा कार्य करती थी। इनका मानना था कि उनके इसी कार्य से प्रसन्न होकर इंद्र देवता काले मेघों द्वारा वर्षा करेंगे जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहान खिल उठेंगे।

Kale Megha Pani De Class 12  प्रश्न 2.
जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया? (AL.C.B.S.E. 2009, 2011 Set-I, II, C.B.S.E. Delhi 2008, 2009, 2017 Set-II)
उत्तर :
जीजी ने कहा कि यदि हम इंदर सेना पर पानी नहीं फेंकेंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे? यह पानी की बर्बादी नहीं है बल्कि यह तो पानी का अर्घ्य है जिसे हम कुछ पानी की चाह लेकर चढ़ाते हैं। मनुष्य जिस वस्तु को दान में नहीं देगा तो फिर कैसे पाएगा? संसार में ऋषि-मुनियों ने दान को सर्वोत्तम बताया है। बिना त्याग दान नहीं होता। त्याग भावना से जो दान दिया जाता है उसी से फल की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार किसान पहले अपने खेत में पाँच-छह सेर अच्छे गेहूँ की बुवाई करता है। तब उसे तीस-चालीस मन गेहूँ की पैदावार प्राप्त होती है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Kale Megha Pani De Class 12 Ncert Solutions प्रश्न 3.
‘पानी दे, गुडधानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?
उत्तर :
अनावृष्टि के कारण चारों ओर सूखा छा जाता है। शहर की अपेक्षा गाँव की हालत खराब हो जाती है। कृषि योग्य भूमि सूखकर । पत्थर हो जाती है। जमीन फटने लगती है। लू के कारण पशु प्यासे मरने लगते हैं। मेघों से वर्षा होकर ही सूखी भूमि फिर से ही कृषि योग्य बन जाएंगे। फ़सलें लहलहाने लगेंगी। अनाज की पैदावार होगी तथा पशु भी प्यासे नहीं मरेंगे। दूध अच्छी प्रकार से देंगे जिनसे धन्य-धान्य की प्राप्ति होगी। चारों तरफ खुशहाली फैल जाएगी। सबको खाने-पीने को भरपूर सामग्री मिलेगी, इसीलिए मेघों के साथ-साथ गुड़धानी की मांग की जा रही है।

काले मेघा पानी दे प्रश्न उत्तर NCERT Solutions प्रश्न 4.
‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंद्र सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है ?
उत्तर :
गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित हुई है क्योंकि अनावृष्टि के कारण चारों तरफ सूखा पड़ जाता है। कुएँ, तालाब पानी से सूख जाते हैं। कहीं भी पानी का नामो-निशान नहीं रहता। पीने का पानी बिल्कुल नहीं रहता, जिससे पशु-पक्षी प्यास के कारण व्याकुल होकर मरने लगते हैं।

Kale Megha Pani De NCERT Solutions प्रश्न 5.
इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्व है ?
उत्तर :
इंदर सेना सबसे पहले ‘गंगा मैया की जय’ इसलिए बोलती है क्योंकि भारतीय समाज में गंगा को जीवनदायिनी माना जाता है। उसे एक माँ के समान पवित्र माना जाता है तथा उसकी पूजा की जाती है। मेघा भी गंगा से ही पानी लेकर बरसते हैं। नदियों का भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में अनूठा महत्व है। भारतीय संस्कृति में नदियों को माँ की तरह पूजा जाता है। समाज में उन्हें पवित्र माना जाता है। उसके जल को पवित्र मानकर लोग अपने घरों में जल लाकर रखते हैं तथा प्रभु के श्री-चरणों में उसका अर्घ्य चढ़ाते हैं।

गंगा जैसी पावन नदी में लोग स्नान करके अपने को धन्य समझते हैं और ऐसा मानते हैं कि जो कोई भी गंगा नदी में स्नान कर लेता है उसके जीवन के सब पाप मिट जाते हैं। इसी प्रकार सभी नदियों के जल को पावन माना जाता है। नदियों के पवित्र जल में स्नान करने हेतु समय-समय पर उनके किनारों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु दूर-दूर से इनकी पूजा-अर्चना करके स्नान करते हैं।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Kale Megha Pani De Class 12 Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 6.
रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
रिश्तों में जब हमारी भावना-शक्ति बँट जाती है तो वह विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। प्रस्तुत पाठ में जीजी लेखक को अपने बच्चों से अधिक प्यार करती थी। लेकिन इंद्र सेना पर जीजी द्वारा कहे जाने पर लेखक पानी नहीं फेंकता तो जीजी के मन पर बहुत ठेस लगती है। जीजी के बार-बार समझाने पर भी लेखक इस कार्य को अंध-विश्वास ही कहता है और बार-बार जीजी की भावना को कुचलने का प्रयास करता है।

यहाँ तक कि जीजी द्वारा किए गए तों जैसे त्याग में ही दान का फल निहित है; दान को ऋषि-मुनियों ने सर्वोत्तम माना है। पानी का अर्घ्य चढ़ाने पर इंद्र महाराज हमें बादलों से वर्षा देते हैं; आदि बताने पर भी नहीं मानता। बार-बार जीजी की भावनाओं को आहत कर उनके तर्कों को नकारता हुआ अंधविश्वास और ढकोसला कहता रहता है। अत: यह सत्य है कि जब रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाती है तो बुद्धि की शक्ति क्षीण हो जाती है।

पाठ के आस-पास

Kale Megha Pani De Ncert Solutions प्रश्न 1.
क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्त्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृतिकोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।
उत्तर :
हाँ, इंदर सेना आज के युवा वर्ग की प्रेरणास्रोत हो सकती है। मेरे गाँव में युवाओं ने संगठित होकर भ्रूण-हत्या तथा नशा विरोधी कार्य किए हैं। युवाओं ने मिलकर गाँव में अशिक्षित महिलाओं और पुरुषों को जागृत किया कि लड़का-लड़की एक समान हैं। समाज में लड़कियाँ लड़कों से बढ़कर कार्य करती हैं। उन्हें कल्पना चावला, ऐश्वर्य राय, सानिया मिर्जा आदि सर्वश्रेष्ठ महिलाओं के उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि ये भी लड़कियाँ हैं जिन्होंने समाज में अपने परिवार का नाम रोशन किया है। इसके साथ उन युवाओं ने गाँववालों को नशे से होने वाली हानियाँ बताकर उनको सचेत किया। उन्होंने बताया कि नशे से धन का नाश होता ही है साथ ही स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पारिवारिक क्लेश बढ़ते हैं। इस प्रकार इन युवाओं ने सम्मिलित होकर ये अद्भुत समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया।

Kaale Megha Paani De Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 2.
तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है ?
उत्तर :
भारत एक कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था अधिकांशतः कृषि पर निर्भर करती है। तकनीकी क्षेत्र में भी भारत ने बहुत उन्नति की है लेकिन तकनीकी उन्नति के साथ ही भारत के विकास में आज भी कृषि का अहम योगदान है। कृषि समाज में चैत्र, वैशाख सभी महीने महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन आषाढ़ मास का चढ़ना उनमें उल्लास इसलिए भर देता है क्योंकि आषाढ़ मास में वर्षा शुरू होती है और सूखी धरती खेती के योग्य हो जाती है। खेतों में धान, मक्के आदि खरीफ की फसल बोई जाती है, जिससे कृषि समाज में चहुँ ओर उल्लास और उमंग का वातावरण छा जाता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Class 12 Hindi Chapter 13 Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में इसी पस्तक में दी गई निराला की कविता ‘बादल-राग’ पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
‘बादल-राग’ कविता में निराला जी ने बादलों का एक क्रांति के रूप में आह्वान किया है। बादलों को क्रांति का प्रतीक मानकर उनसे जनसामान्य का उद्धार करने का आग्रह किया है। कवि कहता है कि अस्थिर सुखों पर दुःखों की छाया के समान हे बादल! तू सागर पर मँडराता रहता है। तेरे अंदर जनसामान्य की असंख्य इच्छाएँ भरी हुई हैं। पृथ्वी के गर्भ में सोए हुए अंकुर के समान जनसामान्य वर्ग के लोग तेरी ओर नव जीवन की आशा लेकर बार-बार देख रहे हैं। हे बादल! तू बार-बार गर्जना करके बरसता है।

तेरी वज्ररूपी हुंकार सुनकर पूँजीपति वर्ग भयभीत होकर घायल हो जाता है लेकिन छोटे-छोटे पौधे के प्रतीक निर्धन वर्ग के लोग तुझे देखकर खुश हो जाते हैं। बादलों की गर्जना सुनकर पूँजीपति वर्ग के लोग भवनों में तथा अपनी प्रेमिकाओं की गोद में रहकर भी काँपते रहते हैं। उन्होंने डरकर अपने मुख और आँखें बंद कर ली हैं। कवि ने बादलों को जीर्ण-शीर्ण निर्धन वर्ग को जीवन प्रदान करने वाला माना है। हमारे जीवन में बादलों की अहम भूमिका है। यह सत्य है कि जल ही जीवन है।

मानव भोजन बिना कुछ पल बिता सकता है लेकिन पानी बिना वह अधीर हो उठता है। बादलों से ही हमारी कृषि उत्पादन निर्भर है जिससे हमें धन और अनाज मिलता है। ये पेड़-पौधे, कुएँ, तालाब, नदियाँ आदि बादलों से ही सिंचित होती हैं जिनसे हमारा पल-पल का साथ है।

Class 12 Hindi Kale Megha Pani De Question Answer प्रश्न 4.
त्याग तो वह होता है…….उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

काले मेघा पानी दे’ पाठ के प्रश्न उत्तर NCERT Solutions प्रश्न 5.
पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।
उत्तर :
पानी का संकट वर्तमान स्थिति में सबसे बड़ा संकट है। पानी की निरंतर होती कमी के कारण पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसकी कमी से निम्नलिखित संकट हमारे समक्ष आ सकते हैं |

  • पानी की कमी से पेड़-पौधे सूख जाएँगे।
  • यदि पेड़-पौधे ही न होंगे फिर वर्षा कहाँ से आएगी?
  • कृषि योग्य भूमि बंजर बन जाएगी।
  • पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जाएगा।
  • पशु-पक्षी, मानव प्यास के कारण अधीर हो जाएंगे।
  • वर्षा अंतत: पृथ्वी पर जीवन नष्ट हो जाएगा।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Class 12 Hindi Chapter Kale Megha Pani De Ncert Solutions प्रश्न 6.
आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।
उत्तर :
हमारी दादी-नानी लोक विश्वासों की बात करती हैं। जैसे छींक मारने के बाद तुरंत किसी गंतव्य पर प्रस्थान नहीं करना चाहिए। यदि कहीं जाते हुए रास्ते में बिल्ली रास्ता काट दे तो आगे नहीं बढ़ना चाहिए। दाईं या बाईं आँख फड़कती है तो अनिष्ट का ख़तरा बढ़ जाता है आदि-आदि। ऐसी स्थिति में हमारा उनके प्रति बाह्य रूप से तो सद्भावना और श्रद्धापूर्ण विश्वास होता है लेकिन आंतरिक रूप से खंडनात्मक होता है।

वे पुराने विचारों से ओत-प्रोत होती हैं, इसलिए ऐसी बातों पर उनका विश्वास ज्यादा होता है। दूसरा उनमें शिक्षा का अभाव होता है। यह सबसे बड़ा कारण है कि वे ऐसे विश्वासों की बात करती हैं। हम उनको चाहकर भी नहीं अपनाते। उनके कहने पर हम हाँ तो कर देते हैं लेकिन रास्तों में चलते समय हम इन्हें फिजूल बातें समझकर भूल जाते हैं और यदि रास्ते में ऐसा हो भी जाए तो उस पर ध्यान भी नहीं देते।

चर्चा करें

1. बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कक्षा में चर्चा करें।
2. पिछले 15-20 सालों में पर्यावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया है, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्थान) में आई बाढ़, मुंबई की बाढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सूनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं, चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए. जिसमें बाजार दर्शन पाठ में बनाए गए विज्ञापनों को भी शामिल कर सकते हैं। और हाँ, ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पर्यावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदर्शनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।
उत्तर
विद्यार्थी अपने कक्षा अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

विज्ञापन की दुनिया

काले मेघा पानी दे प्रश्न उत्तर Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 1.
‘पानी बचाओ’ से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन बनाना चाहेंगे ?
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-aroh-chapter-12/

बाज़ार दर्शन NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12

बाज़ार दर्शन Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 12

पाठ के साथ

Bazar Darshan Class 12 NCERT Solutions प्रश्न 1.
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ? (C.B.S.E. Delhi 2009, 2011, Set-I, A.I.C.B.S.E. 2012, Set-1)
उत्तर :
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित असर पड़ता है
(i) बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य उसकी ओर उसी प्रकार से खिंचा चला जाता है जिस प्रकार चुंबक लोहे की ओर खिंचा को चला जाता है।
(ii) ऐसी अनेक वस्तुओं का निमंत्रण जिन्हें मनुष्य खरीदने हेतु लालायित हो उठता है उस तक अपने-आप पहुँच जाता है।
(iii) मनुष्य को सभी सामान ज़रूरी और आरामदायक प्रतीत होता है।
(iv) मनुष्य को जिस वस्तु की आवश्यकता भी न हो उसे भी वह खरीदने पर मजबूर हो जाता है।
(v) बाजार का जादू उतरने पर मनुष्य को आभास होता है कि जो आरामदायक फैंसी वस्तुएँ उसने खरीदी थीं वे सब आराम देने की अपेक्षा उसे दुख पहुँचाती हैं।
(vi) वस्तुओं की उपयोगिता का पता चलने पर मनुष्य के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।
(vii) बहुतायत वस्तुएँ खरीदने पर मनुष्य स्वयं को अपराधी महसूस करने लगता है।

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

बाजार दर्शन पाठ के प्रश्न उत्तर NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 2.
बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है ? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है ?
अथवा
भूमंडलीकरण के इस दौर में भगत जी जैसे लोग क्या प्रेरणा देते हैं? (A.I. C.B.S.E. 2016, Set-II)
उत्तर
बाजार में भगत जी का स्वाभिमानी, निश्चेष्ट, आत्मसंयमी, मितव्ययी, दृढ़ निश्चयी आदि विशेषताओं से परिपूर्ण व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है। भगत जी एक स्वाभिमानी और निश्चेष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिन्हें बाजार का आकर्षण, सौंदर्य, चहल-पहल, बड़ी-बड़ी दुकानें अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकती और न ही उसके स्वाभिमान को डिगा सकती हैं। वे आत्मसंयमी और मितव्ययी पुरुष हैं। धन की कमी न होने के कारण भी वे बाजार में फिजूलखर्ची पर विश्वास नहीं करते।

केवल उतनी ही वस्तुएँ खरीदते हैं जितनी उनकी आवश्यकता है और वे भी केवल अच्छे मूल्य में खरीदते हैं। बाजारू आकर्षण में फंसकर धन को नहीं लुटाते। हाँ हमारी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है। जिस प्रकार शांत, निश्चेष्ट, संयमी भगत जी का आचरण है और जैसे वह बाजार के आकर्षण और सौंदर्य को देखकर उससे ज़रा-सा भी मोहित नहीं होता इसी प्रकार यदि आज के उपभोक्तावाद और बाजारवाद के समाज में यदि प्रत्येक मनुष्य स्वाभिमान, संयम, मितव्यय और दृढ़ निश्चय से अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुएँ खरीदें।

बाज़ार के आकर्षण और सौंदर्य में फँसकर अनुपयोगी वस्तुओं को न लें तो वास्तव में उसका मन अशांत नहीं होगा। वह अपने मन में बेकार की इच्छाओं को वश में करके यदि फ़िजूलखर्ची पर काबू पा लेगा तो उसका जीवन भी शांत, स्वाभिमानी, मितव्ययी बन जाएगा। यदि समाज का प्रत्येक मनुष्य ऐसा करे तो निश्चय ही समाज में शांति स्थापित होगी।

Bazar Darshan Class 12 Question Answer प्रश्न 3.
‘बाजारूपन’ से क्या तात्पर्य है ? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजार की सार्थकता : किसमें है ? (Delhi C.R.S.E. 2016, A.I.C.B.S.E. 2011, Set-III, Outside Delhi 2017, Set-III)
उत्तर :
‘बाजारूपन’ से तात्पर्य कपट बढ़ाने से है अर्थात सद्भाव की कमी। सद्भाव की कमी के कारण आदमी परस्पर भाई, मित्र और पड़ोसी आदि को भूल जाता है। मनुष्य केवल सबके साथ कोरे ग्राहक जैसा व्यवहार करता है। उसे कोई भाई, मित्र या पड़ोसी दिखाई नहीं देता है। बाजारूपन के कारण मनुष्य को केवल अपना लाभ-हानि ही दिखाई देता है। इस भावना से शोषण भी होने लगता है। जो व्यक्ति ये जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं उन्हें किस वस्तु की आवश्यकता है ऐसे व्यक्ति ही बाजार को सार्थकता प्रदान कर सकते हैं। ये लोग कभी भी ‘पर्चेजिंग पावर’ के गर्व में नहीं डूबते। इन्हीं लोगों को अपनी चाहत का अहसास होता है जिसके आधार पर बाजार को सार्थकता प्राप्त होती है।

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

Bajar Darshan Question Answer NCERT Solutions  प्रश्न 4.
बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता; वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय-शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर
हाँ, हम इस बात से सहमत हैं कि बाजार किसी का लिंग, जाति-धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, बल्कि वह सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति को देखता है। बाजार एक ऐसा स्थल है जहाँ पर हर जाति, लिंग, धर्म का व्यक्ति जाता है। वहाँ किसी को भी धर्म-जाति के आधार पर नहीं पहचाना जाता बल्कि प्रत्येक निम्न, उच्च, अमीर-गरीब की पहचान वहाँ एक ग्राहक के रूप में होती है। इस दृष्टि से इस स्थल पर पहुँचकर प्रत्येक धर्म, जाति, मजहब का मनुष्य केवल ग्राहक कहलाता है।

बाजार की दृष्टि में यहाँ सब उसके ग्राहक होते हैं और वह ग्राहक का कभी धर्म, जाति या मज़हब देखकर व्यवहार नहीं करता बल्कि वह तो सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति देखकर ही उसके साथ व्यवहार करता है। यानी जो मनुष्य जितनी क्रय-शक्ति रखता है बाजार उसे उतना ही महत्व देता है, उतना ही सम्मान देता है। इस प्रकार बाजार एक प्रकार से सामाजिक समता की रचना कर रहा है। जहाँ प्रत्येक धर्म, जाति, मजहब, अमीर-गरीब, निम्न-उच्च पहुँचकर केवल ग्राहक कहलाता है।

Bajar Darshan NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 5.
आप अपने तथा समाज से कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करें
(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
(ख) पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
उत्तर :
(क) समकालीन समाज में ऐसे अनेक प्रसंग हैं जहाँ हम पैसे को शक्ति का परिचायक बनता हुआ देखते हैं। आज समाज के प्रत्येक सरकारी या निजी कार्यालयों में जहाँ भी देखिए पैसे के बल पर कोई भी काम करवा लीजिए। भ्रष्टाचार, आतंकवाद पैसे की शक्ति के सर्वोत्तम उदाहरण हैं। पैसे देकर किसी भी बड़े-छोटे अधिकारी से कोई भी काम निकलवा लीजिए। कोर्ट में सजा प्राप्त कैदी को पैसे देकर छुड़वा लिया जाता है और बेकसूर इनसान को फाँसी पर चढ़ा दिया जाता है। पैसे के बल पर आतंकवादी किसी भी देश पर हमला कर देते हैं। अमेरिका पर हमला हो, चाहे भारतीय संसद पर हमला या कश्मीर में सदियों से चले आ रहे हमले सब पैसे की शक्ति के परिचायक हैं। संभवतः वर्तमानकाल में पैसा कोई भी कार्य करवा सकता है।

(ख) प्रायः देखा जाता है कि किसी मनुष्य के पास धन-दौलत, ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं होती। उसके पास गाड़ी, बंगला आदि सभी सुविधाएँ होती हैं लेकिन वह शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होता। उसे अनेक बीमारियाँ आ घेरती हैं। उसका पल-पल जीना दूभर लगता है। उसे एक-एक पल एक-एक युग के समान प्रतीत होता है। ऐसी दशा में उसके चारों

पाठ के आस-पास

Bajar Darshan Class 12 Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 1.
बाजार दर्शन पाठ में बाजार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है, आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
(क) मन खाली हो
(ख) मन खाली न हो
(ग) मन बंद हो
(घ) मन में नकार हो
उत्तर :
(क) बाज़ार जाते समय जब हमारा मन खाली हो अर्थात हमारे मन में कोई इच्छा न हो। जब हम बाजार जाते हैं तो यदि हमारे मन में कोई सामान खरीदने की इच्छा ही नहीं है तो हमारे बाज़ार जाने का कोई औचित्य नहीं है। यदि ऐसी स्थिति में हम बाज़ार जाते हैं तो बाज़ार के आकर्षण में फँसना स्वाभाविक है।

(ख) मन खाली न हो अर्थात बाज़ार जाते समय हमारे मन में पहले से ही सामान खरीदने हेतु इच्छाएँ होनी चाहिए क्योंकि यदि हमारे मन में पहले से ही सामान की सूची होती है तो हम केवल आवश्यकतानुसार सामान ही खरीदते हैं फ़िजूल सामान खरीदकर नहीं लाते।

(ग) यदि हमारा मन बंद होगा तो हम शून्य बन जाएँगे और जबकि शून्य केवल परमात्मा है। वह संपूर्ण है बाकि सब अपूर्ण है। इसीलिए मन बंद नहीं रह सकता।

(घ) जब हम बाजार जाते हैं तो हमें बाज़ार चारों तरफ से सुंदर, सुसज्जित एवं आकर्षक प्रतीत होता है। वह हमें अपने आकर्षण में . फँसा लेना चाहता है लेकिन यदि हमारे मन में नकार का भाव हो तो बाज़ार चाहकर भी हमें अपने आकर्षण में फँसा नहीं सकता।

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

Class 12 Hindi Bazar Darshan Question Answer NCERT Solutions प्रश्न 2.
बाजार दर्शन पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है ? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते मानती हैं ?
उत्तर :
बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने कई प्रकार के ग्राहकों का चित्रण किया है
(i) ऐसे ग्राहक जिनका मन खाली होता है।
(ii) वे ग्राहक जिनका मन भरा होता है।
(iii) वे ग्राहक जो यह जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए।
(iv) ऐसे ग्राहक जो नहीं जानते कि उन्हें क्या चाहिए।
(v) ऐसे ग्राहक जिनपर बाजार के आकर्षण और सौंदर्य का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(vi) मितव्ययी और संयमी ग्राहक।
(vii) अपव्ययी और असंयमी ग्राहक।
(viii) वे ग्राहक जो एक-दो वस्तु खरीदने हेतु बाजार जाते हैं लेकिन जब लौटकर आते हैं तो अनेक बंडल साथ लेकर आते मैं स्वयं को मितव्ययी और संयमी ग्राहक मानता हूँ, जो बाजार की शान-ओ-शौकत से प्रभावित न होकर आवश्यकतानुरूप खरीददारी करता हूँ। फिजूल सामान कभी नहीं लेता जिससे बाद में पछताना पड़े।

Bazar Darshan Class 12 Ncert Solutions NCERT Solutions प्रश्न 3.
आप बाजार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाजार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं ? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नज़र आती है ?
उत्तर :
(i) मॉल की संस्कृति अर्थात जहाँ मनुष्य को प्रत्येक सामान एक ही स्थल पर एक ही छत के नीचे प्राप्त हो जाए। इस स्थल पर जीवन में प्रयुक्त प्रत्येक वस्तु उपलब्ध होती है।

(ii) सामान्य बाजार अर्थात जहाँ मनुष्य की सामान्य व्यवहार में प्रयोग की जानेवाली वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हों। इस बाज़ार में अधिक आकर्षण और शान-ओ-शौकत का ध्यान रखा जाता है ताकि ग्राहकों को अपने आकर्षण में फंसाया जाए। मनुष्य न चाहते हुए भी आकर्षित हो जाए।

(iii) हाट की संस्कृति से अभिप्राय किसी दुकान विशेष से है। जहाँ पर ग्राहक की इच्छा-पूर्ति का भरपूर खयाल होता है। प्रत्येक दुकानदार ग्राहक को अपना बनाना चाहता है। इसलिए वह वस्तुओं के मूल्य में ग्राहक की इच्छा का भी खयाल रखता है। हमारे विचार से पर्चेजिंग पावर सामान्य बाजार में नजर आती है।

Class 12 Hindi Chapter 12 Question Answer NCERT Solutions  प्रश्न 4.
लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
हाँ, हम इस विचार से सहमत हैं कि कभी-कभी बाजार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। सामान्यतः देखा जाता है कि जब मनुष्य को किसी वस्तु की अधिक आवश्यकता होती है तो वह बाजार में जाकर उस वस्तु को पाना चाहता है। बाजार में दुकानदार विक्रेता ग्राहक की मानसिकता को पढ़ लेता है, यदि उसे किसी मनुष्य की अत्यधिक आवश्यकता का आभास हो जाए तो वह उस वस्तु के दाम बढ़ा-चढ़ाकर बोलता है। ग्राहक को भी उस वस्तु की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इसलिए वह भी उसी विक्रेता के मनचाहे मूल्य में उस वस्तु को खरीद लेता है। इस प्रकार कभी-कभी बाजार में मनुष्य की आवश्यकता भी शोषण का रूप धारण कर लेती है।

बाजार दर्शन पाठ कक्षा 12 Pdf NCERT Solutions प्रश्न 5.
‘स्त्री माया न जोड़े’ यहाँ ‘माया’ शब्द किस ओर संकेत कर रहा है ? क्या स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त है
अथवा
परिस्थिति वश ? वे कौन-सी परिस्थितियाँ होंगी जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं ?
उत्तर :
यहाँ ‘माया’ शब्द धन, पैसा, दौलत की ओर संकेत कर रहा है। स्त्रियों द्वारा माया अर्थात संपत्ति जोड़ना प्रकृति प्रदत्त है। नारी प्रकृतिवश अपनी संपत्ति को जोड़कर रखना चाहती है। जब स्त्री का पति मृत्यु को प्राप्त हो जाए, उसे अपनी संतान के भविष्य की चिंता होने लगे, उनकी शिक्षा और शादी आदि की बातें उसे सताने लगें, स्त्री को अपने पति का कर्ज चुकाना हो, कर्जदार कर्ज वसूली हेतु स्त्री को बार-बार कहता हो, वह अपने जीवन में तरक्की कर नाम कमाना चाहती हो या किसी से प्रतिस्पर्धा रखती हो। उसे अपनी गरिमा व अस्मिता का खयाल आकर सताने लगे आदि परिस्थितियाँ किसी भी स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देंगी।

आपसदारी

Bazar Darshan Question Answer NCERT Solutions Class 12 प्रश्न 1.
ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से ले लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है–भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिए
चाह गई चिंता गई मनुआँ बेपरवाह
जाको कछु न चाहिए सोइ सहंसाह। -कबीर

2. विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ (जिसपर ‘पहेली’ फ़िल्म बनी है) के अंश को पढ़कर आप देखेंगे कि भगत जी की संतुष्ट जीवन-दृष्टि की तरह ही गड़ेरिए की जीवन-दृष्टि है। इससे आपके भीतर क्या भाव जगते हैं ? “गड़रिया बगैर कहे ही उसके दिल की बात समझ गया, पर अंगूठी कबूल नहीं की। काली दाढ़ी के बीच पीले दाँतों की हँसी हँसते हुए बोला, ‘मैं कोई राजा नहीं हूँ जो न्याय की कीमत वसूल करूँ। मैंने तो अटका काम निकाल दिया और यह अंगूठी मेरे किस काम की! न ये अँगुलियों में आती है, न तड़े में। मेरी भेड़ें भी मेरी तरह गँवार हैं। घास तो खाती हैं, पर सोना सूंघती तक नहीं। बेकार की वस्तुएँ तुम अमीरों को ही शोभा देती हैं।’ -विजयदान देथा

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

3. बाज़ार पर आधारित लेख नकली सामान पर नकेल ज़रूरी का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
(क) नकली सामान के खिलाफ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?
(ख) उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनानेवाली कंपनियों का क्या नैतिक दायित्व है?
(ग) ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए।

नकली सामान पर नकेल ज़रूरी

अपना क्रेता वर्ग बढ़ाने की होड़ में एफएमसीजी यानी तेजी से बिकनेवाले उपभोक्ता उत्पाद बनानेवाली कंपनियाँ गाँव के बाजारों में नकली सामान भी उतार रही हैं। कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिनपर न तो निर्माण तिथि होती है और न ही उस तारीख का जिक्र होता है जिससे पता चले कि अमुक सामान के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। आउटडेटेड या पुराना पड़ चुका सामान भी गाँव-देहात के बाजारों में खप रहा है। ऐसा उपभोक्ता मामलों के जानकारों का मानना है। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य की मानें तो जागरूकता अभियान में तेजी लाए बगैर इस गोरखधंधे पर लगाम कसना नामुमकिन है।

उपभोक्ता मामलों की जानकार पुष्पा गिरि माँ जी का कहना है, ‘इसमें दो राय नहीं कि गाँव-देहात के बाजारों में नकली सामान बिक रहा है। महानगरीय उपभोक्ताओं को अपने शिकंजे में कसकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, खासकर ज्यादा उत्पाद बेचनेवाली कंपनियाँ, गाँव का रुख कर चुकी हैं। वे गाँववालों के अज्ञान और उनके बीच जागरूकता के अभाव का पूरा फ़ायदा उठा रही हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कानून ज़रूर हैं लेकिन कितने लोग इनका सहारा लेते हैं यह बताने की जरूरत नहीं।

गुणवत्ता के मामले में जब शहरी उपभोक्ता ही उतने सचेत नहीं हो पाए हैं तो गाँववालों से कितनी उम्मीद की जा सकती है।’ इस बारे में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य जस्टिस एस०एन० कपूर का कहना है, ‘टी०वी० ने दूर-दराज के गाँवों तक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुंचा दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ विज्ञापन पर तो बेतहाशा पैसा खर्च करती हैं लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता को लेकर वे चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं। नकली सामान के खिलाफ जागरूकता पैदा करने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी मिलकर ठोस काम कर सकते हैं।

ऐसा कि कोई प्रशासक भी न कर पाए। बेशक, इस कड़वे सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि गुणवत्ता के प्रति जागरूकता के लिहाज से शहरी समाज भी कोई ज्यादा सचेत नहीं है। यह खुली हुई बात है कि किसी बड़े ब्रांड का लोकल संस्करण शहर या महानगर का मध्य या निम्न मध्यवर्गीय उपभोक्ता भी खुशी-खुशी खरीदता है। यहाँ जागरूकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वह ऐसा सोच – समझकर और अपनी जेब की हैसियत को जानकर ही कर रहा है। फिर गाँववाला उपभोक्ता ऐसा क्यों न करे।

पर फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि यदि समाज में कोई गलत काम हो रहा है तो उसे रोकने के जतन न किए जाएँ। यानी नकली सामान के इस गोरखधंधे पर विराम लगाने के लिए जो कदम या अभियान शुरू करने की जरूरत है वह तत्काल हो। (हिंदुस्तान 6 अगस्त, 2006, साभार) -विद्यार्थी स्वयं अपने अध्यापक/अध्यापिका से अन्य विषयों पर चर्चा करें।’

Bazaar Darshan Class 12 Ncert Solutions प्रश्न 4.
प्रेमचंद की कहानी-‘ईदगाह’ के हामिद और उसके दोस्तों का बाजार से क्या संबंध बनता है ? विचार करें।
उत्तर :
हामिद और उसके मित्र ईदगाह के निकट लगे मेले में गए थे जहाँ वे तरह-तरह की सुंदर वस्तुओं, उपयोगी वस्तुओं और खाने-पीने की वस्तुओं को देखते रहे। उनके पास पैसे थे-किसी के पास अधिक तो किसी के पास कम। उन्होंने पैसों के आधार पर वस्तुओं की उपयोगिता को परखा था। हामिद ने उपयोगी सामान चिमटा खरीदा तो उसके मित्रों ने अपनी खुशी को पूरा किया।

विज्ञापन की दुनिया

प्रश्न 1.
आपने समाचार-पत्रों, टी०वी० आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभाने का प्रयास किया जाता है।
नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।
1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु
2. विज्ञापन में आए पात्र और उसका औचित्य
3. विज्ञापन की भाषा
उत्तर :
टूथपेस्ट का विज्ञापन
(1) विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु-ग्राहकों को उलझाने के लिए सुंदर चुने गए लड़कों और लड़कियों के चमकीले दाँतों की अपेक्षा उनके सुंदर दमकते चेहरों के चित्र दिखाए गए। इनके अर्धनग्न शरीर का दाँतों की सफ़ाई से संबंध और औचित्य समझ नहीं आया। विज्ञापन का विषय-वस्तु दाँतों की चमक से दूसरों को लुभाना था।

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

(2) विज्ञापन में आए पात्र और उनका औचित्य-विज्ञापन में सामान्य स्तर के वे लोग नहीं हैं जो देश की जनता का मुख्य रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं। उसमें उच्च स्तरीय ऐसे मॉडलों को दिखाया गया जो अपनी कृत्रिम मुसकान से ग्राहकों को मूर्ख बनाने की कला में निपुण हैं। उनकी उपस्थिति का औचित्य केवल एक ही है-सामान्य देशवासियों को लुभाकर उन्हें अपने उत्पाद की ओर आकृष्ट करना। उपभोक्तावाद में केवल ग्राहक की जेब देखी जाती है और उसे अपने उत्पाद की ओर आकृष्ट करना ही उद्देश्य होता है।

(3) विज्ञापन की भाषा-विज्ञापन की भाषा आकर्षक है। सरल और सरस है। मन को लुभाती है। हर ग्राहक उस विशेष टूथपेस्ट को खरीद कर वैसा ही दिखना और वैसा ही करना चाहता है जो विज्ञापन में दिखाया गया।

प्रश्न 2.
अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है ? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भी अच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो।
उत्तर :
बिक्री बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीके

  • रंग-बिरंगे विज्ञापन तैयार करना।
  • छूट का लालच देना।
  • बच्चों और महिलाओं को उत्पाद की ओर विशेष रूप से आकृष्ट करना।
  • बैनर्स, होर्डिंगज, पत्र-पत्रिकाएँ, अखबार, टी० वी०, सिनेमा, इंटरनेट आदि के द्वारा लोगों के मन में घर कर जाने का प्रयत्न करना।
  • अभिनेताओं/अभिनेत्रियों/खिलाड़ियों/सुंदर मॉडलों के माध्यम से जनता को आकृष्ट करना।

उपभोक्ता को गुमराह होने से बचाने तथा बिक्री को बढ़ाने की तकनीक

  • विज्ञापनों के पात्रों को आम जनता में से चुनना।
  • दाम पर नियंत्रण रखना।
  • अन्य उत्पादों से तुलना करना।
  • उत्पाद की उपयोगिता तथा गुणवत्ता को ध्यान में रखना।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
विभिन परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी। अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
औपचारिक भाषा-प्रयोग

  • पैसा पावर है।
  • पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है
  • बाजार आमंत्रित करता है।
  • बाजार में एक जादू है।

अनौपचारिक भाषा-प्रयोग

  • बाजार जाओ तो खाली मन न हो।
  • मन खाली हो, तब बाजार न जाओ।
  • मन खाली नहीं रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है। कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करनेवाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पड़वा लेने में मददगार होते हैं।
उत्तर :
(i) बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो।
(ii) जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है।
(iii) लू में जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहिए।
(iv) पानी भीतर हो, लू का लूपन व्यर्थ हो जाता है।
(v) मन लक्ष्य से भरा हो तो बाजार भी फैला-का-फैला ही रह जाएगा

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए
(क) पैसा पावर है।
(ख) पैसे की उस पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।
(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।
(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते। ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल! अब तक आपने जो पाठ पढ़े उनमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यावों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर :
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए
(क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।
(ख) लोग संयमी भी होते हैं।
(ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।

ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान-क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसेमुझे

मुझे किताब भी चाहिए। (मुझे महत्वपूर्ण है।)
मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्वपूर्ण है।)

आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का भी निर्माण कीजिए जिसमें ये तीनों निपात एक साथ आते हों।
उत्तर :
ही – (i) मैं वहाँ ही रहँगा।
मुझे यह पुस्तक ही खरीदनी है।
मैं कल ही पूजा के घर गई थी।

भी – (ii) मोहन को भी पढ़ना चाहिए।
उसे भी तुम्हारे साथ जाना चाहिए।
पिछले वर्ष मैं भी मुंबई गई थी।

तो – (i) अभी तो बहुत काम बाकी है।
आप तो उससे कभी नहीं मिले, फिर उसे कैसे पहचानेंगे।
(iv) उसके आने से पहले ही मुझे भी तो चले जाना चाहिए।
(v) राम खेला ही नहीं तो उसे भी इनाम क्यों दे रहे हैं ?

चर्चा करें

प्रश्न 1.
पर्चेजिंग पावर से क्या अभिप्राय है ?
बाजार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है ? आपकी मदद के लिए संकेत दिया जा रहा है
(क) सामाजिक विकास के कार्यों में।
(ख) ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सदढ़ करने में …….. ।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं हल करें।

 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. https://mcq-questions.com/ncert-solutions-for-class-12-hindi-aroh-chapter-14/

पहलवान की ढोलक NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14

पहलवान की ढोलक Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 14

पाठ के साथ

Pahalwan Ki Dholak Question Answer Class 12 प्रश्न 1.
कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था ? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए?
उत्तर :
कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में अनूठा तालमेल था। लुट्टन का कोई गुरु नहीं था, इसलिए उसने ढोल को ही अपना गुरु माना था। कुश्ती के समय वह ढोल की तान को अपने गुरु का स्वर मानकर दाँव-पेंच लगाया करता था। ढोल की आवाज ही लुट्टन की शक्ति बढ़ाती थी; उसे धैर्य प्रदान करती थी तथा निरंतर साहस भी देती थी। लुट्टन ‘चट्-गिड़-धा, चट्-गिड़, चट्-गिड़-धा’ ध्वनि सुनकर अपने हृदय में धैर्य पाता था तथा उसका डर भाग जाता था।

वह ‘धाक-धिना, तिरकट-तिना, धाक-धिना, तिरकट-तिना’….ध्वनि को सुनकर तैयार हो जाता था तथा अपने प्रतिद्वंद्वी का दाँव काट बाहर निकल आता था। अंत में ‘चटाक्-चट्-धा, चटाक्-चट्-धा’ ध्वनि से प्रेरित होकर ही लुट्टन ने चाँद सिंह पहलवान को पटककर जमीन पर दे मारा था। जब उसने ‘धिना-धिना, धिक्-धिना’ सुना तो अपना पूरा जोर लगाकर चाँद को चारों खाने चित कर दिया।

इस प्रकार ढोलक की आवाज़ लुट्टन के दाँव-पेंच को निरन्तर सहारा प्रदान करती थी तथा एक गुरु के समान उसका पथ-प्रदर्शन किया करती थी, जिसके बलबूते पर लुट्टन ने एक प्रसिद्ध पहलवान को पटककर चित कर दिया था। पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द तथा ढोल की आवाज हमें निरंतर प्रेरित करती है; जैसे-चट् धा, गिड़, चट्-धा, ‘गिड़-धा’ व ‘चगिड़-धा, चगिड़-धा, चट-गिड़-धा’ स्वर ‘मत डरना, मत डरना’ को दोहराता है।

‘धाक् धिना, तिरकट-तिना, धाक्-धिना, तिरकट तिना’ स्वर से ‘दाँव काटो बाहर जा’ ध्वनि पैदा होती है। इसी प्रकार ‘धिना-धिना, धिक्-धिना’ ध्वनि से चित करने की प्रेरणा मिलती है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

Pahalwan Ki Dholak Class 12 प्रश्न 2.
कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए? (Outside Delhi 2017, Set-III)
उत्तर :
कहानी के प्रारंभ, मध्य और अंत के मोड़ पर लुट्टन के जीवन में अग्रलिखित परिवर्तन आए

(i) प्रारंभ-कहानी के प्रारंभ में लुट्टन सिंह अपने गाँव में रात्रि की विभीषिका में ढोल बजाकर संजीवनी प्रदान किया करता था। नौ वर्ष की अवस्था में ही उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी उसकी शादी बचपन में हो गई थी, इसलिए उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने ही किया। बचपन में वह गाय चराया करता था। गायों का दूध पीकर वह कसरत करने लगा। इसलिए उसका शरीर
सुडौल और हट्टा-कट्टा बन गया। अब वह गाँव में अच्छा पहलवान समझा जाने लगा था।

(ii) मध्य-कहानी के मध्य में लुट्टन सिंह को अपने जीवन में भरपूर तरक्की मिली। उसने श्यामनगर में लगने वाले मेले में चाँद सिंह नामक पहलवान को हराया, जिससे उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। श्यामनगर के राजा श्यामानंद ने उसकी वीरता से प्रभावित होकर उसे अपना राज पहलवान बना दिया। अब उसका सारा खर्च राजमहल की तरफ़ से होने लगा। बाद में उसने नियमित कसरत
और व्यायाम के बलबूते ‘काला खाँ’ जैसे-अनेक प्रसिद्ध पहलवानों को हराया। वह एक अजेय पहलवान बन गया। उसने अपने दोनों बेटों को भी पहलवान बना दिया था।

(iii) अंत-कहानी के अंत में लुट्टन सिंह के जीवन पर वज्रपात हुआ और वह उन्नति व प्रसिद्धि के शिखर से नीचे गिर गया। श्यामनगर के राजा श्यामानंद का स्वर्गवास हो गया था। उनके स्थान पर विलायत से नया राजा आ गया, जिसने सारी व्यवस्था को बदल दिया। दंगल का स्थान घोड़ों की रेस ने ले लिया था। राजा के दुर्व्यवहार का शिकार होकर लुट्टन सिंह श्यामनगर को छोड़ अपनी ढोलक कंधे पर लटकाकर गाँव वापस आ गया। गाँव में अचानक महामारी फैल गई। सूखा पड़ा, अनाज कम पड़ गया। गाँव में चारों ओर लोग हैजे और मलेरिया से मरने लगे। उसके दोनों बेटे भी इसी विभीषिका में मारे गए और अंततः रात्रि में एक दिन लुट्टन सिंह भी मृत्यु को प्राप्त हो गया।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

पहलवान की ढोलक के प्रश्न उत्तर Class 12 प्रश्न 3.
लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है? (C.B.S.E. Sample Paper)
उत्तर :
‘उसका गुरु कोई पहलवान नहीं यही ढोल है’ लुट्टन पहलवान ने ऐसा इसलिए कहा होगा, क्योंकि उसने किसी पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच नहीं सीखे थे और न ही उसका लक्ष्य एक पहलवान बनना था। वह तो बचपन में गाय चराता हुआ गायों की धार का गरम दूध पीया करता था। इसी से उसका शरीर हट्टा-कट्या हो गया था। वह लोगों से बदला लेने के लिए कसरतें करता था। जब श्यामनगर में वह मेला देखने गया, तो वहाँ के दंगल में ढोल बज रहा था; पहलवान कुश्ती कर रहे थे। अचानक ही वह पहलवान से लड़ने हेतु अखाड़े में कूद पड़ा और अंत में उसने ढोल से प्रेरणा लेते हुए प्रसिद्ध चाँद सिंह पहलवान को हरा दिया।

Pehlwan Ki Dholak Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 4.
गाँव में महामारी फैलने और बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान होल क्यों बजाता रहा? (C.B.S.E. 2010, Set-I, A.I.C.B.S.E. 2011 Set-II)
उत्तर :
जब महामारी फैली, तो सारा गाँव हैजे और मलेरिये से ग्रस्त हो गया। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। घर के घर खाली हो गए थे। रात्रि की विभीषिका में चारों ओर सन्नाटा छा जाता था। रात्रि की उसी विभीषिका को तोड़ने तथा लोगों में जीने की उमंग पैदा करने के लिए लुट्टन पहलवान ढोल बजाता था।

जब उसके दोनों बेटे महामारी की चपेट में आ गए, तो वे असह्य वेदना से बिलखते हुए उससे कहने लगे कि ‘बाबा! उठा-पटक दो वाला ताल अर्थात चटाक्-चट्-धा, चटाक्-चट् धा ताल बजाओ। लुट्टन सारी रात वह ताल बजाता रहा। सुबह होते ही उसके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई। अतः अपने बेटों की अंतिम इच्छा को पूर्ण करने के लिए उनके देहांत के बावजूद भी लुट्टन पहलवान ढोल बजाता रहा।

Pehalwan Ki Dholak Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 5.
ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था? (C.B.S.E. Delhi 2008, A.I.C.B.S.E. 2011, Set-III, 2012, Set-I, 2013, Set-I,C.B.S.E. 2018)
अथवा
पहलवान की ढोलक एक ओर ग्रामीणों के स्वाभिमान की प्रतीक है तो दूसरी ओर दम तोड़ते ग्रामीणों को मृत्यु का सामना करने का हौसला देती है। टिप्पणी कीजिए। (Delhi C.B.S.E. 2016, Set-III, A.I. 2016, Set-III)
उत्तर :
ढोलक की आवाज गाँववालों में धैर्य, साहस और स्फूर्ति प्रदान करती थी; रात्रि की विभीषिका तथा सन्नाटे को ललकार कर चुनौती पैदा करती थी। जब पूरा गाँव महामारी के कारण मलेरिये और हैज़े से त्रस्त होकर अधमरा, निर्बल और निस्तेज हो गया था, तब इस भयंकर वातावरण में ढोलक की आवाज़ लोगों को संजीवनी प्रदान किया करती थी। उपचार व पथ्य विहीन लोगों में संजीवनी शक्ति भरती थी।

वह आवाज़ बच्चों, जवानों और बूढ़ों की आँखों के आगे दंगल का दृश्य पैदा कर देती थी। ढोल की आवाज़ सुनकर शक्तिहीन शिराओं में बिजली-सी दौड़ पड़ती थी। मरते हुए प्राणियों को भी आँख मूंदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी तथा लोग मृत्यु से भी नहीं डरते थे। इसे सुनकर लोगों के मन में जीने की नई उमंग पैदा हो जाती थी।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

Pehelwan Ki Dholak Question Answer Class 12 प्रश्न 6.
महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था ? (C.B.S.E. 2017, Set-1)
उत्तर
सूर्योदय दृश्य-महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय होते ही लोग रोते-चिल्लाते और दुखी होते हुए अपने-अपने घरों से बाहर निकलते थे। वे महामारी की भेंट चढ़ रहे पड़ोसियों और परिचित लोगों के घर जाकर उन्हें ढाढ़स देते थे। जिस माँ का बच्चा मलेरिये व हैजे का शिकार हो जाता था अथवा किसी का पति मर जाता था, तो गाँववाले उसके परिवार को धैर्य देने का प्रयास करते थे। घर में पड़े मुर्दो को बिना कफ़न के ही नदी की भेंट चढ़ा दिया करते थे।

सूर्यास्त दृश्य-सूर्यास्त होते ही रात्रि की विभीषिका गाँव में अपना साम्राज्य स्थापित कर लेती थी। सब तरफ़ सन्नाटा छा जाता था। गाँव के लोग भयभीत होकर अपनी-अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते थे। रात्रि के गहन अंधकार में झोंपड़ियों से बोलने तक की आवाज़ नहीं आती थी। यहाँ तक कि रात की विभीषिका के कारण उनके बोलने की शक्ति भी क्षीण हो जाती थी।

यदि समीप किसी माँ का बेटा मर जाता था, तो उसे अंतिम बार बेटा कहने की भी किसी में हिम्मत भी नहीं होती थी। रात्रि की इस विभीषिका को केवल पहलवान की ढोलक चुनौती देती थी। वह सारी रात उसे बजाता था। ढोलक की आवाज़ इन अधमरे पथ्यविहीन गाँववालों में संजीवनी देने का कार्य करती थी। इसी आवाज से उनकी शक्तिहीन शिराओं में बिजली-सी दौड़ जाती थी।

Class 12 Hindi Chapter 14 Question Answer प्रश्न 7.
कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था
(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?
(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?
(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?
उत्तर
(क) पहले कुश्ती या दंगल लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को विशेष सम्मान दिया जाता था,
लेकिन अब उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जाता, क्योंकि आज न तो कुश्ती या दंगल समाज का प्रिय खेल है और न ही भागदौड़ की इस जिंदगी में लोगों के पास इसे देखने या प्रोत्साहित करने का समय है। फिर प्राचीन लोक-संस्कृति भी धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। अब न तो पहले जैसे संस्कार और मानवीय संवेदनाएँ बची हैं और न ही कुश्ती को प्रोत्साहित करने वाले राजा-महाराजा। दम तोड़ती मानवीय संवेदनाओं व अव्यवस्था के कारण प्राचीन लोक-संस्कृति भी दम तोड़ रही है।

(ख) कुश्ती या दंगल की जगह अब आधुनिक खेलों ने ले ली है। इनमें क्रिकेट, घुड़दौड़, मोटर-रेस, बॉस्केटबॉल, फुटबॉल आदि खेल प्रसिद्ध हैं। आज के युग में क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं

  • लोगों के मन में लोक-संस्कृति को जागृत किया जाए।
  • सरकार कुश्ती को राष्ट्रीय खेलों में सम्मिलित करे।
  • मीडिया इस खेल का विश्व-स्तर पर प्रसारण करे।
  • सरकार की ओर से पहलवानों के लिए उपयुक्त आर्थिक योजनाएं बनाई जाएँ।

Pahalvan Ki DholakClass 12 प्रश्न 8.
आशय स्पष्ट करें
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी।
अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
उत्तर :
प्रस्तुत गदयांश का आशय है कि मलेरिया और हैजे के फैलने से संपूर्ण वातावरण त्रस्त था। चारों ओर भयानक अँधेरा और सन्नाटा छाया हुआ था। ऐसे भयानक वातावरण में आकाश से टूटकर यदि कोई तारा भावुक होकर पृथ्वी पर जाना भी चाहता था, तो इस विभीषिकापूर्ण वातावरण से त्रस्त होकर उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही क्षीण हो जाती थी। अमावस्या के गहन अंधकार में आकाश से टूटने वाले तारों का प्रकाश भी पृथ्वी पर दिखाई नहीं देता था। ऐसी स्थिति में आकाश के अन्य तारे उस तारे की भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिला कर हँस पड़ते थे।

Pahalwan Ki Dholak Ncert Solutions Class 12 प्रश्न 9.
पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(1) अँधेरी रात-चुपचाप आँसू बहा रही थी। आशय-गाँव में फैले मलेरिया और हैजे के कारण सारा गाँव दहल गया था। ऐसा लगता था मानो अँधेरी रात भी इस पीड़ा को देखकर चुपचाप आँसू बहा रही थी। आकाश से टूट कर कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी।

आशय-दुःख में डूबे गाँववासियों का कोई सहायक नहीं था। आकाश से टूटा तारा भी मानो सहायता के लिए नहीं था, क्योंकि वह आकाश से तो चला पर नीचे पहुँच नहीं पाया। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिला कर हँस पड़ते थे। आशय-दुख में डूबे गाँववासियों की सहायता के लिए आगे बढ़ा टूटा तारा भी जब भूमि पर नहीं पहुंच पाया, तो अन्य तारे उसकी भावुकता या असफलता पर खिलखिला कर हँस पड़ते थे। जो स्वयं दूसरों के दुख से दुखी नहीं होते, वे सहायता करने वालों का मजाक बनाते हैं।

पाठ के आस-पास

1. पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसे किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे/करेंगी ?
2. ढोलक की थाप मृत-गाँव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी-कला से जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।

चर्चा करें

कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने कक्षा अध्यापक/ अध्यापिका की सहायता से स्वयं हल करें।

भाषा की बात

Pahalwan Ki Dholak Class 12 प्रश्न 1 .
हर विषय, क्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए
उत्तर :

  • चिकित्सा-अस्पताल, डॉक्टर, नर्स, टीका, सुई, दवाई, कैप्सूल।
  • क्रिकेट-कोच, बॉल, बल्ला, छक्का, चौका, आउट, एल०बी०डब्ल्यू०।
  • न्यायालय-मजिस्ट्रेट, वकील, न्यायाधिकारी, अपराध, जमानत, दंड।
  • अपनी पसंद का कोई क्षेत्र – विद्यार्थी, अध्यापक, शिक्षा-कक्ष, पीरियड, छुट्टी।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

Pahalwan Ki Dholak Ncert Solution Class 12 प्रश्न 2.
पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल
भाषाई सर्जनात्मकता बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं

  • फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
  • राजा साहब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिदधि में चार चांद लगा दिए।
  • पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

इन विशिष्ट भाषा-प्रयोगों का प्रयोग करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर
अनुच्छेद-लुट्टन पहलवान बहुत बलशाली था। अखाड़े में अपने प्रतिद्वंद्वी पहलवान को देखते ही वह उस पर बाज़ की तरह टूट पड़ा। काफी देर तक लड़ने के पश्चात लुट्टन ने अपने प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया। सब ओर उसकी वाहवाही होने लगी। उसकी बहादुरी को देखकर राजा साहब ने उसे अपने दरबार में रख दिया। राजा की इस स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। सारे राज्य में लुटन का नाम गूंजने लगा। लेकिन उसकी पत्नी दो पहलवान बच्चों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

Pahalwan Ki Dholak Class 12 Ncert Solutions प्रश्न 3.
जैसे क्रिकेट की कमेंट्री की जाती है वैसे ही इसमें कुश्ती की कमेंट्री की गई है। आपको दोनों में क्या समानता और अंतर दिखाई. पड़ता है?
उत्तर
समानता

  • क्रिकेट और कुश्ती दोनों की कमेंट्री में कमेंटेटर की आवश्यकता होती है।
  • दोनों में हार-जीत को महत्व दिया जाता है।
  • दोनों में खेल के प्रत्येक पल की सूचना दी जाती है।

अंतर

  • क्रिकेट की कमेंट्री में बल्लेबाज व गेंदबाज का वर्णन होता है, जबकि कुश्ती की कमेंट्री में पहलवान व दांव-पेंच का।
  • क्रिकेट में स्कोर या रन खेल आधार होता है, जबकि कुश्ती में चित या पहलवान का।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक Read More »

error: Content is protected !!