Author name: Prasanna

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 8 लौहतुला

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) देशान्तरं गन्तुमिच्छन् वणिक्पुत्रः किं व्यचिन्तयत् ?
उत्तर:
देशान्तरं गन्तुमिच्छन् वणिक्पुत्रः व्यचिन्तयत् ‘यत्र स्ववीर्यतः भोगाः भुक्ताः तस्मिन स्थाने यः विभवहीनः वसेत् सः पुरुषाधमः’ ।

(ख) स्वतुला याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी किम् अकथयत्?
उत्तर:
स्वतुला याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी अकथयत् ‘भोः! त्वदीया तुला मूषकैः भक्षिता’ इति। ..

(ग) जीर्णधनः गिरिगुहाद्वारं कया आच्छाद्य गृहमागतः?
उत्तर:
जीर्णधनः गिरिगहाद्वारं बहच्छिलया आच्छाद्य गहमागतः।

(घ) स्नानानन्तरं पुत्रविषये पृष्टः वणिक्पुत्रः श्रेष्टिनं किम उवाच?
उत्तर:
स्नानानन्तरं पुत्रविषये पृष्टः वणिक्पुत्रः श्रेष्ठिनं उवाच-“नदी तटात् सः बालः श्येनेन हृतः” इति। ,

(ङ) धर्माधिकारिभिः जीर्णधनश्रेष्ठिनौ कथं सन्तोषितौ?
उत्तर:
धर्माधिकारिभिः जीर्णधनश्रेष्ठिनौ “परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ।

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प्रश्न 2.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्।
उत्तर:
कः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत् ?

(ख) श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय अभ्यागतेन सह प्रस्थितः।
उत्तर:
श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय केन सह प्रस्थितः?

(ग) श्रेष्ठी उच्चस्वरेण उवाच-भोः अब्रह्मण्यम अब्रह्मण्यम्।
उत्तर:
श्रेष्ठी उच्चस्वरेण किम् उवाच?

(घ) सभ्यैः तौ परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ।
उत्तर:
सभ्यैः तौ परस्परं संबोध्य कथं सन्तोषितौ?

प्रश्न 3.
अधोलिखितानां श्लोकानाम् अपूर्णोऽन्वयः प्रदत्तः पाठमाधृत्य तम् पूरयत्
उत्तर:
(क) यत्र देशे अथवा स्थाने स्ववीर्यतः भोगाः भुक्ता तस्मिन् विभवहीनः यः वसेत् स पुरुषाधमः।
(ख) राजन्। यत्र लौहसहस्रस्य तुलाम मूषकाः खादन्ति तत्र श्येनः बालकम् हरेत् अत्र संशयः न।

प्रश्न 4.
तत्पदं रेखाङ्कितं कुरुत यत्र
(क) ल्यप् प्रत्ययः नास्ति
विहस्य, लौहसहस्रस्य, संबोध्य, आदाय
उत्तर:
लौहसहस्रस्य।

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(ख) यत्र द्वितीया विभक्तिः नास्ति
श्रेष्ठिनम्, स्नानोपकरणम्, सत्त्वरम्, कार्यकारणम्
उत्तर:
सत्त्वरम्।

(ग) यत्र षष्ठी विभक्तिः नास्ति
पश्यतः, स्ववीर्यतः, श्रेष्ठिनः, सभ्यानाम्
उत्तर:
स्ववीर्यतः।

प्रश्न 5.
सन्धिना सन्धिविच्छेदेन वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:
(क) श्रेष्ठ्याह = श्रेष्ठी + आह
(ख) द्वावपि = द्वौ + अपि
(ग) पुरुषोपार्जिता = पुरुष + उपार्जिता
(घ) यथेच्छया = यथा + इच्छया
(ङ) स्नानोपकरणम् = स्नान + उपकरणम्
(च) स्नानार्थम् = स्नान + अर्थम्

प्रश्न 6.
समस्तपदं विग्रहं वा लिखत
विग्रहः – समस्तपदम्
(क) स्नानस्य उपकरणम् = स्नानोपकरणम।
(ख) गिरेः गुहायाम् = गिरिगुहायाम्।
(ग) धर्मस्य अधिकारी। = धर्माधिकारी।
(घ) विभवेन हीनाः = विभवहीनाः।

प्रश्न 7.
यथापेक्षम् अधोलिखितानां शब्दानां सहायतया “लौहतुला” इति कथायाः सारांश संस्कृतभाषया लिखत
वणिक्पुत्रः, लौहतुला, वृत्तान्तं, श्रेष्ठिनं, गतः
स्नानार्थम्, अयाचत्, ज्ञात्वा, प्रत्यागतः, प्रदानम्।
उत्तर:
कथायाः सारांश संस्कृतभाषायाम्

एकदा जीर्णधनः नाम वणिक्पुत्र धनक्षयात् देशान्तरं गन्तुम् अचिन्तयत् । तस्य गृहे एका लौहतुला आसीत्। तां कस्यचित् श्रेष्ठिनः गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा सः देशान्तरं प्रस्थितः । देशान्तरं भ्रान्त्वा स्वपुरमं प्रत्यागत्य सः तुलामयाचत् । सः श्रेष्ठी प्रत्युवाच-“तुला तु मूषकैः भूषिता।”

ततः जीर्णधनः श्रेष्ठिनः पुत्रेण सह स्नानार्थं गतः। स्नात्वा सः श्रेष्ठि पुत्रं गिरिगुहायां . प्रक्षिप्य, तद्द्वारं च ब्रहच्छिलया आच्छाद्य गृहम् आगतः।

ततः सः वणिक् श्रेष्ठिनं स्वपुत्रविषये अपृच्छत्। NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला

वणिक उवाच “नदीतटात् सः श्यनेन हृतः” इति। सः शीघ्रमाह-“श्येनः बालं हर्तुं न शक्नोति। अतः समर्पय मे सुतम्।”

एवं विवदमानौ ते राजकुलं गतौ। सर्वं वृत्तान्तं ज्ञात्वा धर्माधिकारिभिः तुला-शिशु प्रदानेन तौ द्वौ सन्तोषितौ।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला Summary Translation in Hindi and English

संकेत- आसीत् कस्मिंश्चिद् ……………………………. गृहमागतः।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला

हिन्दी सरलार्थ-किसी स्थान पर जीर्णधन नामक एक बनिए का पुत्र था। धन की कमी के कारण विदेश जाने की इच्छा से उसने सोचा-
जिस देश अथवा स्थान पर अपने पराक्रम से भोग भोगे जाते हैं वहाँ धन-ऐश्वर्य से हीन रहने वाला मनुष्य नीच पुरुष होता है।

उसके घर पर उसके पूर्वजों द्वारा खरीदी गई लोहे से निर्मित एक तराजू थी। उसे किसी सेठ के घर धरोहर के रूप में रखकर वह दूसरे देश को चला गया। तब दीर्घकाल तक इच्छानुसार दूसरे देश में घूमकर पुनः अपने देश वापस आकर उसने सेठ से कहा-“हे सेठ! धरोहर के रूप में रखी मेरी वह तराजू दे दो।” उसने कहा-“अरे! वह तो नहीं है, तुम्हारी तराजू को चूहे खा गए।”

जीर्णधन ने कहा- “हे सेठ! यदि उसको चूहे खा गए तो इसमें तुम्हारा दोष नहीं । यह संसार ही ऐसा है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। किन्तु मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ। खैर, तुम धनदेव नामक अपने इस पुत्र को स्नान की वस्तुएँ हाथ में लेकर मेरे साथ भेज दो।” . उस सेठ ने अपने पुत्र से कहा-“पुत्र! ये तुम्हारे चाचा हैं, स्नान के लिए जा रहे हैं, तुम इनके साथ जाओ।”

इस तरह वह बनिए का पुत्र स्नान की वस्तुएँ लेकर प्रसन्न मन से उस अतिथि के साथ चला गया। तब वहाँ पहुँचकर और स्नान करके उस शिशु को पर्वत की गुफा में रखकर उसने गुफा के द्वार को एक बड़े पत्थर से ढक दिया और शीघ्र घर आ गया।

Meaning in English: There was lived a businessman’s son Jirnadhana at some place. On account of loss in business, he thought living in a place or country worthless where once the person have had acquired money suffice lived in luxury but later-on became penniless. He thought such a person who has killed his will-power. Hence, he decided to leave that place for another to seek for suitable business.

He had an iron balance which was inherited to him. He kept that balance as a deposit in the house of some richman and went to another country. After wandering for prolong period with his self-will in the other country, he came back again to his own country. He said to the richman-“Oh richman! Give me my balance which I had kept with you as a deposit.” He said “Oh! that is not with me. Your balance had been eaten by the rats.”

Jirnadhana said, “Oh, richman! you are not to be blamed if the rats have eaten that. This world is like this only. Nothing is permanent here but I am going to the river to take bath. So you please, send your son, Dhandeva, with me along with the things for bath.”

That richman said to his son, “Oh son! He is your uncle, he is going to take bath, so you go with him.”

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Then that son of the businessman went with that guest happily taking the things for bath with him. After taking bath that businessman left the child into a mountain cave and covered its aperture with a boulder. Then he came to his house quickly.

संकेत-पृष्टश्च ……………………………. श्रूयतां मद्वचः।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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हिन्दी सरलार्थ-उस व्यापारी से पूछा गया-“हे अतिथि! बताओ तुम्हारे साथ नदी पर गया मेरा पुत्र कहाँ है?

उसने कहा-“नदी के तट से उसे बाज उठाकर ले गया।” सेठ ने कहा-“हे झूठे! क्या कहीं बाज बालक को ले जा सकता है? तो मेरा पुत्र लौटा दो अन्यथा मैं राजकुल में शिकायत करूँगा।”

उसने कहा- “हे सत्यवादिन् ! जैसे बाज बालक को नहीं ले जाता वैसे ही चूहे भी लोहे की बनी हुई तराजू नहीं खाते। यदि पुत्र को पाना चाहते हो तो मेरी तराजू लौटा दो।”

इस प्रकार झगड़ते हुए वे दोनों राजकुल चले गए। वहाँ सेठ ने जोर से कहा-“अरे! अनुचित हो गया! अनुचित! मेरे पुत्र को इस चोर ने चुरा लिया।”

तब न्यायकर्ताओं ने उससे कहा-“अरे! सेठ का पुत्र लौटा दो।” उसने कहा-“मैं क्या करूँ? मेरे देखते-देखते बालक को बाज नदी के तट से ले गया।” यह सुनकर सब बोले-अरे! आपने सच नहीं कहा-क्या बाज बालक को ले जाने में समर्थ है?

उसने कहा-अरे अरे! मेरी बात सुनिए-

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Meaning in English: Then that businessmam was asked “Oh guest please tell, where is my son, he went with you to the river?” He said-“A hawk has taken him away from the bank of the river.” The richman said-“Oh lier! can the hawk take away the boy?” So, return my son otherwise I will report the matter to the court.”

He said-“Oh speaker of the truth! Just as the hawk cannot take away the boy. Similarly, the rats also cannot eat the iron balance. So, if you have any purpose with your son, then return my balance.”

Thus quarrelling, both of them went to the court. There, the richman said loudly—”Oh! It is not proper, it is not proper! This thief has stolen my son.”

Then the judges told him-“Oh! Return the richman’s son.”He said-“What should I do? the hawk has taken away the boy from the bank of the river while I was looking.” On hearing this all of them said-Oh! you have not told the truth—Is the hawk able to take away the.boy?

He said-Oh! listen

तुलां लौहसहस्रस्य यत्र खादन्ति मूषकाः।।
राजन्तत्र हरेच्छ्येनो बालक, नात्र संशयः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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हिन्दी सरलार्थ-हे राजन् ! जहाँ लोहे से बनी तराजू को चूहे खा जाते हैं वहाँ बाज बालक को उठाकर ले जा सकता है, इसमें सन्देह नहीं।

Meaning in English-Oh king! there is no doubt about it that the hawk can take away the boy there where the iron balance is eaten by the rats.

संकेत- ते प्रोचुः ………………………………… सन्तोषितौ।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 8 लौहतुला

हिन्दी सरलार्थ-उन्होंने कहा-“यह कैसे हो सकता है।”
तब उस सेठ ने सभासदों के सम्मुख आरम्भ से सारा वृत्तान्त कह दिया। तब हंसकर उन्होंने उन दोनों को समझा-बुझाकर तराजू तथा बालक का आदान-प्रदान करके उन दोनों को प्रसन्न किया।

Meaning in English-“How can it be?” Then that richman explained the whole incident from the beginning to the members who were present. Then they laughed and pacified both of them by exchanging the balance and the child with eachother. Thus, both of them were satisfied.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

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Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) भटः कस्य ग्रहणम् अकरोत्?
उत्तर:
भटः सौभद्रस्य ग्रहणम् अकरोत्।

(ख) अभिमन्युः कथं गृहीतः आसीत् ?
उत्तर:
अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।

(ग) भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः किमर्थम् उत्तरं न ददाति?
उत्तर:
भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः उत्तरं न ददाति यतः सः अपहरणेन क्षुब्धः आसीत्।

(घ) अभिमन्युः स्वग्रहणे किमर्थं वञ्चितः इव अनुभवति?
उत्तर:
अभिमन्युः स्वग्रहणे वञ्चितः इव अनुभवति यतः सः अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।

(ङ) कस्मात् कारणात् अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते?
उत्तर:
अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते यतः अनेनैव तस्य पितरः दर्शिताः

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

प्रश्न 2.
अंधोलिखितवाक्येषु प्रकटितभावं चिनुत-
(क) भोः को नु खल्वेषः? येन भुजैकनियन्त्रितो बलाधिकेनापि न पीडितः अस्मि। (विस्मयः, भयम्, जिज्ञासा)
उत्तर:
विस्मयः।

(ख) कथं कथं! अभिमन्यु माहम्। (आत्मप्रशंसा, स्वाभिमानः, दैन्यम्)
उत्तर:
स्वाभिमानः।

(ग) कथं मां पितृवदाक्रम्य स्त्रीगतां कथां पृच्छसे? (लज्जा, क्रोधः, प्रसन्नता)
उत्तर:
क्रोधः।

(घ) धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते मम तु भुजौ एव प्रहरणम्। (अन्धविश्वासः, शौर्यम्, उत्साहः)
उत्तर:
शौर्यम्।

(ङ) बाहुभ्यामाहृतं भीमः बाहुभ्यामेव नेष्यति। (आत्मविश्वासः, निराशा, वाक्संयमः)
उत्तर:
आत्मविश्वासः।

(च) दिष्ट्या गोग्रहणं स्वन्तं पितरो येन दर्शिताः। (क्षमा, हर्षः, धैर्यम्)
उत्तर:
हर्षः।

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प्रश्न 3.
यथास्थानं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत
उत्तर:
(क) खलु + एषः = खल्वेषः।
(ख) बल + अधिकेन + अपि = बलाधिकेनापि
(ग) विभाति + उमावेषम = विभात्युमावेषम्।
(घ) वाचालयतु + एनम् = वाचालयत्वेनम्।
(ङ) रुष्यति + एष = रुष्यत्येष।
(च) त्वमेव + एनम् = त्वमेवैनम्।
(छ) यातु + इति = यात्विति।
(ज) धनञ्जयाय + इति = धनञ्जयायेति।

प्रश्न 4.
अधोलिखितानि वचनानि कः कं प्रति कथयति
यथा – कः – कं प्रति
आर्य, अभिभाषणकौतूहलं मे महत्। – बृहन्नला – भीमसेनम्
उत्तर
(क) कथमिदानीं सावज्ञमिव मां हस्यते? – अभिमन्युः – बृहन्नलाम्
(ख) . अशस्त्रेणेत्यभिधीयताम्। – अभिमन्युः – भीमसेनम्
(ग) पूज्यतमस्य क्रियतां पूजा। – उत्तरः – राजानम्
(घ) पुत्र! कोऽयं मध्यमो नाम। – भगवान्। – अभिमन्युम्
(ङ) शान्तं पापम् ! धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते। – भीमसेनः – अभिमन्युम्

प्रश्न 5.
अधोलिखितानि स्थूलानि सर्वनामपदानि कस्मै प्रयुक्तानि

(क) वाचालयतु एनम् आर्यः।
उत्तर:
अभिमन्यवे।

(ख) किमर्थं तेन पदातिना गृहीतः।
उत्तर:
भीमाय।

(ग) कथं न माम अभिवादयसि।.
उत्तर:
राज्ञे।

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

(घ) मम तु भुजौ एव प्रहरणम्।
उत्तर:
भीमसेनाय।

(ङ) अपूर्व इव ते हर्षो ब्रूहि केन विस्मितः?
उत्तर:
भटाय।

प्रश्न 6.
श्लोकानाम् अपूर्णः अन्वयः अधोदत्तः। पाठमाधृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(क) पार्थं पितरम् मातुलं जनार्दन म उद्दिश्य कृतास्त्रस्य तरुणस्य युद्धपराजयः युक्तः।
(ख) कण्ठश्लिष्टेन बाहुना जरासन्धं योक्त्रयित्वा तत् असह्यं कर्म कृत्वा (भीमेन) कृष्णः अतदर्हतां नीतः।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम् Summary Translation in Hindi and English

1. संकेत-भटः-जयतु ………………………………..तिरस्क्रियते

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

हिन्दी सरलार्थ:
भट-महाराज की जय हो।
राजा-तुम्हारी प्रसन्नता अद्भुत-सी लग रही है, बताओ किस कारण इतने प्रसन्न हो?
भट-अविश्वसनीय प्रिय प्राप्त हो गया है, अभिमन्यु पकड़ लिया गया है। राजा-अब वह किस प्रकार पकड़ लिया गया है? भट-रथ पर पहुँचकर निश्शङ्क भाव से हाथों द्वारा उतार लिया गया है।
(प्रकट रूप से) इस ओर, इस ओर से कुमार।
अभिमन्यु-अरे यह कौन? जिसने एक हाथ से पकड़ कर अधिक बलशाली होकर भी मुझे पीड़ित नहीं किया।
बृहन्नला-कुमार इधर चलें।
अभिमन्यु-अरे! यह दूसरा कौन है, ऐसा लग रहा है जैसे महादेव ने उमा का वेष ग्रहण किया हो।
बृहन्नला-आर्य! मुझे इससे बात करने की बहुत उत्सुकता हो रही है। आप इसे बोलने के लिए प्रेरित करें।
भीमसेन-(एक ओर को) अच्छा (प्रकट रूप से) अभिमन्यु! अभिमन्यु-अभिमन्यु? भीमसेन-यह मुझसे चिढ़ता है, तुम्हीं इसे बात करने के लिए प्रेरित करो। बृहन्नला-अभिमन्यु!
अभिमन्यु-क्यों, मेरा नाम अभिमन्यु है? अरे! क्या यहाँ विराटनगर में क्षत्रिय-कुमारों को नीच लोग भी नाम लेकर पुकारते हैं, अथवा मैं शत्रुओं के अधीन हो गया, इसलिए अपमानित किया जा रहा है मुझे।

English translation:
Soldier-May the King be victorious!
King-Your happiness is strange today. Tell, why are you so happy?
Soldier-Unbelievable happiness has been achieved. Abhimanyu has been captured.
King-How has he been captured?
Soldier-By going on the chariot, he has been brought down without any hitch. (Clearly) This way, this way oh prince!
Abhimanyu-Oh! who is he? Holding me by one hand and being very powerful even he has not troubled me.
Brihannala-Oh prince! Please come this way.
Abhimanyu-Oh! who is this other one. It seems to be that Lord Shiva has assumed the form of Uma.
Brihannala-Oh! gentleman! I am eager to talk to him. Please, encourage him to talk.
Bhimasena-(Towards a side) O.K. (Clearly) Abhimanyu!
Abhimanyu-Abhimanyu!
Bhimsena-He is angry with me. You please encourage him to talk.
Brihannala-Abhimanyu!
Abhimanyu-What, my name is Abhimanyu? Oh! Are the Kshatriya-princes called by name by the low-grade people in Virat city? Or am I under the control of the enemies? That is why I have been insulted.

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संकेत-बृहन्नला-अभिमन्यो! सुखमास्ते ………………………….. केनायं गृहीतः?

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम् 5

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हिन्दी सरलार्थ बृहन्नला-अभिमन्यु! तुम्हारी माता सकुशल है?
अभिमन्यु-क्या, क्या? माता? क्या आप मेरे पिता या चाचा हैं? आप क्यों मुझ पर पिता के समान अधिकार दिखाकर माता के सम्बन्ध में प्रश्न कर रहे हैं?
बृहन्नला-अभिमन्यु! देवकीपुत्र केशव सकुशल हैं?
अभिमन्यु-क्या आदरणीय कृष्ण को भी नाम से……? और क्या, और क्या! (कुशल हैं) (दोनों एक-दूसरे की ओर देखते हैं)
अभिमन्यु-ये मेरे ऊपर अज्ञानी की तरह क्यों हँस रहे हैं?
बृहन्नला-क्या कुछ ऐसा ही नहीं है? पिता पार्थ तथा मामा श्रीकृष्ण वाला युवक : युद्ध में निपुण होकर भी युद्ध में परास्त हो जाता है।
अभिमन्यु-स्वच्छन्द प्रलाप करना बन्द करो। हमारे कुल में आत्म प्रशंसा करना अनुचित है। युद्ध क्षेत्र में मेरे बाणों से मारे हुए सैनिकों के शरीरों को देखिए, (बाणों पर) मेरे अतिरिक्त दूसरा नाम नहीं होगा।
बृहन्नला-अरे वाणी की ऐसी वीरता! फिर उन्होंने तुम्हें पैदल ही क्यों पकड़ लिया?
अभिमन्यु-वे अशास्त्र (शस्त्रहीन) होकर मेरे सामने आए। पिता अर्जुन को याद करके मैं उन्हें कैसे मारता? मुझ जैसे लोग शस्त्रहीन पर प्रहार नहीं करते। अतः इस शस्त्रहीन ने मुझे धोखा देकर पकड़ लिया।
राजा-तुम उस अभिमन्यु को शीघ्र बुला लाओ। बृहन्नला-कुमार इधर आएँ। यह महाराज हैं। आप समीप जाएँ। अभिमन्यु-आह। किसके महाराज? . राजा-आओ, आओ पुत्र! तुम मुझे प्रणाम क्यों नहीं करते? (मन में)
अरे! यह क्षत्रियकुमार बहुत घमण्डी है। मैं इसका घमण्ड शान्त करता हूँ। (प्रकट रूप से) तो इसे किसने पकड़ा?

English translation: Brihannala-Abhimanyu! Is your mother alright?
Abhimanyu-What, what? Mother? Are you my father or father’s brother? Why are you asking about my mother showing.. the right of a father towards me?…
Brihannala-Abhimanyu! Is Keshav, Son of Devki alright?
Abhimanyu-What! Respectable Krishna is also called by name…..? why is it so! why is it so! (Both look towards each other)…
Abhimanyu-Why is he laughing at me as if I am a fool? … Brihannala-No not so at all. Your father is Arjun and maternal uncle is lord Krishna, you are in your prime as also learned to war-craft and strategy yet you are defeated.
Abhimanyu-Stop this nonsense and sarcasm. Self-praise is prohibited in our family. Just have a look on the bodies of the soldiers killed by my arrows in the battle field. You will not see any other name except mine on the arrows.
Brihannala-Oh such an oration skill! Why then you have been arrested by the unarmed men?
Abhimanyu-They came before me unarmed. How could I kill them if well remembered the glory of my father Arjun. People like me do not attack on the people who are unarmed. So unarmed people under fraud have arrested me.
King-Call Abhimanyu quickly.
Brihannala-Prince, please come here. Here is the King, please, see him quickly.
Abhimanyu-Ah! whose King?
King-Come, come my son. Why don’t you salute me? (Soliloque) Oh! This Kshatriya-prince is very arrogant. I pacify his arrogance. (expressively). Then tell me, who has caught him?

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संकेत-भीमसेनः-महाराज! मया ……………………………. तम् आलिङ्गन्ति।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

हिन्दी सरलार्थ भीमसेन-महाराज! मैंने। अभिमन्यु-शस्त्रहीन होकर पकड़ा’-ऐसा कहिए।
भीमसेन-शान्त हो जाइए। धनुष तो दुर्बलों के द्वारा उठाया जाता है। मेरी तो भुजाएँ ही शस्त्र हैं।
अभिमन्यु-नहीं! क्या आप हमारे मध्यम तात हैं, जो उनके समान वचन बोल रहे हैं।
भगवान्-पुत्र! यह मध्यम तात कौन हैं?
अभिमन्यु-सुनिए-जिसने अपनी भुजाओं से जरासन्ध का कण्ठावरोध करके कृष्ण के लिए जो असाध्य कार्य था, उसको साध्य बना दिया था।
राजा-तुम्हारे निन्दापूर्ण वचनों से मैं चिढ़ता नहीं हूँ। तुम्हारे चिढ़ने से मुझे आनन्द प्राप्त होता है। तुम यहाँ क्यों खड़े हो, जाओ यहाँ से-यदि मैं ऐसा कहूँ तो क्या मैं अपराधी नहीं होऊँगा?
अभिमन्यु-यदि आप मुझ पर कृपा करना चाहते हैं तो-
मेरे पैर बाँधकर मुझे उचित दण्ड दीजिए। मैं हाथों से पकड़कर लाया गया हूँ। मेरे मध्यम तात भीम मुझे हाथों से ही छुड़वाकर ले जाएँगे। (तब उत्तर का प्रवेश)
उत्तर:भगवन् ! मैं प्रणाम करता हूँ।
राजा-दीर्घायु हो पुत्र! क्या युद्ध में वीरता दिखाने वाले वीरों का सत्कार कर दिया गया है?
उत्तर:अब सबसे अधिक पूज्य की पूजा कीजिए।
राजा-किसकी पूजा पुत्र? उत्तर:यहीं मौजूद अर्जुन की। राजा-क्या अर्जुन यहाँ आए हैं? उत्तर:और क्या? पूज्य अर्जुन ने श्मशान से अपना धनुष तथा अक्षय तरकश लेकर भीष्म आदि राजाओं को परास्त कर दिया तथा हम लोगों की रक्षा की।
राजा-ऐसी बात है? उत्तर:आप अपना सन्देह दूर करें। धनुर्विद्या में प्रवीण अर्जुन यही हैं। बृहन्नला–यदि मैं अर्जुन हूँ तो यह भीमसेन है और यह राजा युधिष्ठिर हैं।
अभिमन्यु-ये मेरे पूज्यं पितागण हैं, इसीलिए मेरे निन्दापूर्ण वचनों से ये क्रुद्ध नहीं होते और हँसते हुए मुझे चिढ़ाते हैं। . गौ-अपहरण की यह घटना सौभाग्य से सुखांत हुई है। इसी के कारण मुझे अपने सभी पिताओं के दर्शन हो गए।
(ऐसा कहकर क्रम से सबको प्रणाम करता है और सब उसका आलिंगन करते हैं।)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

English Translation:
Bhimasena-My Lord! I have (Caught him).
Abhimanyu-Say-‘I had caught him when he was devoid of weapons’.
Bhimasena-Please be quiet. A bow is held by the weak people. My arms are my weapons.
Abhimanyu-No! don’t speak so. Are you my second (middle) father who speaks similar words.
Bhagwan-Son! who is this second father?
Abhimanyu-Please listen. Who strangled Jarasandha by his arms folded and thus, converted lord Krishna’s inability into accomplishments.
King-I am not irritated by your insulting remarks but at the same time, feel complacence to see you so irritated. What evidence has you to say “I am not an offender?”.
Abhimanyu-If you want to oblige me then Tie me with the string like a prisoner. I have been brought here tied with hands and my second father Bhim will take me away from here by making me free with the help of hands only.
(Then enters Uttar) Uttar-Oh father! I salute you.
King-Be you long-lived my son! Are the heroes duly rewarded with honours for doing heroic deeds in the battle.
Uttar-Now remains the most honourable one to be worshipped.
King-Whose worship son? Uttar-Of respectable Arjuna.
King-What of Arjuna?
Uttar-Yes, the respectable Arjuna has defeated Kings like Bhishma and others taking his bow and arrow-case from the cemetery and defended us.
King-Is it so?
Uttar-Do not have any doubt. This very person is Arjuna, an expert in archery.
Brihannala-If I am Arjuna, then this is Bhimasena and this is King Yudhishthira.
Abhimanyu—These are my respectable fathers, therefore.
They do not get angry with my taunting words. They irritate me by laughing. Luckily, this act of stealing the cows had a happy end because, by this only; I could see all my fathers. (Saying so, he bows to all of them and all embrace him.)

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) अयं पाठः कस्मात् ग्रन्थात् संकलितः?
उत्तर
बुद्धचरितात्।

(ख) बुद्धचरितस्य रचयिता कः अस्ति?
उत्तर
अश्वघोषः।

(ग) नृणां वरः कः अस्ति?
उत्तर
सिद्धार्थः।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

(घ) अश्वपृष्ठात् कः अवातरत् ?
उत्तर
सिद्धार्थः।

(ङ) स्नापयन्भिव चक्षुषा प्रीतः कम् अब्रवीत् ?
उत्तर
छन्दकम्।..

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) स्वजनस्य विपर्यये का स्थितिः?
उत्तर
विपर्यये स्वजनोऽपि भूयिष्ठं जनींभवति।

(ख) महाबाहुः संतप्तमनसे किं ददौ?
उत्तर
महाबाहुः संतप्तमनसे भूषणानि ददौ ।

(ग) बुद्धः किमर्थं तपोवनं प्रविष्टः?
उत्तर
बुद्धः जरामरणनाशार्थं तपोवनं प्रविष्टः।

(घ) त्वं कीदृशं मां न शोचितुमर्हसि?
उत्तर
त्वं एवमभिनिष्क्रान्तं मां न शोचितुमर्हसि।

(ङ) कस्मिन् सति कस्य धर्मस्य अकालः नास्ति?
उत्तर
जीविते चञ्चले सति धर्मस्य अकालः नास्ति !

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु सन्धिं कुरुतं
उत्तर
(क) त्यागात् + न =. त्यागान्न।
(ख) च + एव = चैव।
(ग) विश्लेषः + तस्मात् = विश्लेषस्तस्मात्
(घ) न + अस्नेहेन = नास्नेहेन।
(ड) बहुशः + नृपः = बहुशो नृपः।

प्रश्न 4.
अघोलिखितेषु प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत उत्तर
(क) सुप्तः = स्वप् धातु, क्त प्रत्यय, पु., प्रथमा वि., एकवचन। ..
(ख) विश्रान्तः = वि उपसर्ग, श्रम् धातु, क्त प्रत्यय, पु., प्रथमा वि., एकवचन।
(ग) दृष्ट्वा = दृश् धातु + क्त्वा प्रत्यय।
(घ) अवतीर्य = अव उपसर्ग, तु धातु + ल्यप् प्रत्यय।
(ङ) भूयिष्ठम् = बहु शब्द + इष्ठन् प्रत्यय ।
(च) आदाय = आ उपसर्ग, दा धातु + ल्यप् प्रत्यय।
(छ) विज्ञाप्य = वि उपसर्ग, ज्ञा धातु, णिजन्त + ल्यप् प्रत्यय ।
(ज) वाच्यम् = वच् धातु + ण्यत् प्रत्यय।।

प्रश्न 5.
अधोलिखित श्लोकयोः हिन्दी-आङ्लभाषया अनुवादः कार्यः
(क) मुकुटाद्दीपकर्माणं मणिमादाय भास्वरम् ।
ब्रुवन्वाक्यमिदं तस्थौ सादित्य इव मन्दरः।।
उत्तर
हिन्दी अनुवाद-मुकुट में से दीपक का कार्य करने वाली एक तेजस्वी मणि लेकर यह वचन कहते हुए वह सूर्यसहित मन्दराचल के समान सुशोभित हुए।
English Translation—Then he took out the shining jewel from the crown which looked like the lamp and saying these words he appeared like the mountain Mandar alongwith the sun.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

(ख) जरामरणनाशार्थं प्रविष्टोऽस्मि तपोवनम् ।
न खलु स्वर्गतर्षेण नास्नेहेन न मन्युना।।
उत्तर
हिन्दी अनुवाद-यथार्थ में न स्वर्ग की इच्छा से, न वैराग्य से और न क्रोध से अपितु केवल वृद्धावस्था तथा मृत्यु को नष्ट करने के लिए ही मैं तपोवन में आया हूँ।
English Translation – Really not with the desire of obtaining heaven, not by anger and not by detachment even but to remove the old age and death only I have come to the penance-grove.

प्रश्न 6.
‘न त्वं शोचितुमर्हसि’ इति पाठस्य सारांशः मातृभाषया लेखनीयः। . .
उत्तर
राजकुमार सिद्धार्थ अपना घर त्याग कर महर्षि भार्गव के आश्रम में पहुँचे। वे अपने सारथि छन्दक की स्वामिभक्ति की प्रशंसा करते हैं। तपोवन में आने का प्रयोजन वे जरा-मरण का नाश बताते हैं। जीवन चंचल तथा क्षण-भुंगर है तथा धर्म स्थायी है। मनुष्य को अपने संबंधियों के लिए शोक नहीं करना चाहिए। छंदक को वापिस राजमहल भेजते समय राजा को उनके लिए शोक तथा स्मरण न करने का संदेश भेजते हैं। वे राजा को अपने प्रति स्नेह न करने का भी संदेश भेजते हैं। उनके अनुसार तपस्या करना तथा जरा-मरण का नाश करना ही मानव-जीवन का वास्तविक ध्येय होना चाहिए। .

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

प्रश्न 7.
रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर
(क) न त्वं शोचितुम् अर्हसि।
(ख) स ददर्श भार्गवस्य आश्रमपदम्।
(ग) स विस्मयनिवृत्यर्थं तपः पूजार्थमेव च।
(घ) जनीभवति भूयिष्ठम् स्वजनोऽपि विपर्यये।
(ड) अकालः नास्ति धर्मस्य।

प्रश्न 8.
विशेष्यविशेषणयोः योजनं कुरुत उत्तर
(क) भास्करे – (ग) जगच्चक्षुषि
(ख) जनः – (क) अभिमुखः
(ग) मणिम् – (ख) भास्वरम्
(घ) जीविते – (ड) चञ्चले
(ड) माम् – (घ) अभिनिष्क्रान्तम्।

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं विग्रहपदानि आघृत्य समस्तपदानि रचयत
विग्रहपदानि – समस्तपदानि
न स्निग्धः – अस्निग्धः
उत्तर
(क) आदित्येन सह सादित्यः।
(ख) स्वर्गाय तर्षः = स्वर्गतर्षः।
(ग) न कालः = अकालः।
(घ) महान्तौ बाहूयस्य सः = महाबाहुः
(ड). वसुधायाः अधिपः = वसुधाधिपः।

प्रश्न 10.
अघोलिखितपदानां विपरीतार्थपदैः मेलनं कुरूत
उत्तर
पदानि – विपरीतार्थक पदानि
(क) सुप्तः – (ग) जागृतः
(ख) अवतीर्य – (घ) आरुह्य
(ग) स्वज़नः – (ड) परजनः
(घ) नृपः – (ख) रंकः
(ड) ध्रुवः – (क) चञ्चलः।

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि Summary Translation in Hindi and English

1. ततो मूहुर्तीभ्युदिते जगच्चक्षुषि भास्करे।
भार्गवस्याश्रमपदं स ददर्श नृणां वरः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 1
हिन्दी सरलार्थ-तब नरों में श्रेष्ठ उस राजकुमार ने मुहूर्त में सारे संसार के चक्षु. भास्कर (सूर्य देवता) के उदित होने पर भार्गव का आश्रम देखा
Meaning in English-Then that Prince, best among the men, saw the hermitage of Bhargav muni, at early morning time when the God sun who is the eye of the world was rising up.

2. सुप्तविश्वस्तहरिणं स्वस्थस्थितविहङ्गमम् ।
विश्रान्त इव यदृष्टवा कृतार्थ इव चाऽभवत्।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 2
हिन्दी सरलार्थ-जहाँ हिरण मानों परिचित होकर सो रहे थे तथा पक्षी शान्त बैठे हुए थे ऐसे उस आश्रम को देखकर वह कुमार कृतार्थ होकर श्रमरहित सा हो गया।
Meaning in English-That prince had his desire accomplished and lost his fatigue on seeing that hermitage where the deer were sleeping without any fear and where the birds were sitting fearlessly.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

3. स विस्मयनिवृत्त्यर्थं तपः पूजार्थमेव च।
स्वां चानुवर्तितां रक्षन्नश्वपृष्ठादवातरत् ।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 3
हिन्दी सरलार्थ-अपना अभिमान त्यागने के लिए तथा तपस्या का आदर करने के लिए अपने आचरण की रक्षा करते हुए वह घोड़े की पीठ से उतर गया।
Meaning in English-Caring for his behaviour, to give up the feeling of haughtiness and to regard the austerity he got down from the – horse’s back.

4. अवतीर्य च पस्पर्श निस्तीर्णमिति वाजिनम् ।
छन्दकं चाब्रवीत्प्रीतः स्नापयन्निव चक्षुषा।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 4
हिन्दी सरलार्थ-घोड़े से उतरकर उसने उसका (प्यार से) स्पर्श किया तथा कहा-‘तुमने हमारा मार्ग पार करा दिया है’ तथा स्नेहपूर्ण दृष्टि से (मानों प्रसन्न होकर) छन्दक ने (सारथि) से कहा
Meaning in English-After getting down from the horse, he touched.. the horse with love and said ‘We have reached the hermitage with your help only?’ Then, being happy, he said to his charioteer Chandaka.

5. इमं ताक्ष्योपमजवं तुरङ्गमनुगच्छता।
दर्शिता सौम्य मद्भक्तिर्विक्रमश्चायमात्मनः।।
.NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 5
हिन्दी सरलार्थ-हे सौम्य! गरुड़ जैसी तीव्र गति से चलने वाले इस घोड़े के पीछे चलकर तुमने मेरे प्रति भक्ति तथा अपना पराक्रम दिखाया है।
Meaning in English-Oh dear! Following this horse who is walking with very fast speed like that of Garuda, you have shown devotion towards me and your strength also.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

6. को जनस्य फलस्थस्य न स्यादभिमुखो जनः।
जनीभवति भूयिष्ठं स्वजनोऽपि विपर्यये।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 6
हिन्दी सरलार्थ-फल देने में समर्थ व्यक्ति की आज्ञा का पालन करने वाला कौन नहीं होगा? (अर्थात् सब होते हैं) इसके विपरीत सगे सम्बन्धी भी सामान्य जन के समान हो जाते हैं।
Meaning in English-Who will not follow the person who is capable of showing good result? But contrary to it, even near relatives become very common people.

7. इत्युक्त्वा स महाबाहुरनुशंसचिकीर्षया।
भूषणान्यवमुच्चास्मै संतप्तमनसे ददौ।
.NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 7
हिन्दी सरलार्थ-इतना कहकर उस महाबाहु ने प्रत्युपकार करने की इच्छा से अपने सारे आभूषण उतारकर उस दुःखी मन वाले को दे दिए।
Meaning in English-Having said so, that great man, with the desire of doing good to others, took off the ornaments and gave them to the distressed one.

8. मुकुटाद्दीपकर्माणं मणिमादाय भास्वरम्।
ब्रुवन्वाक्यमिदं तस्थौ सादित्य इव मन्दरः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 8
हिन्दी सरलार्थ-दीपक.का काम करने वाली एक तेजस्वी मणि मुकुट से लेकर यह वाक्य कहते हुए वह सूर्य सहित मन्दराचल के समान सुशोभित हुए।
Meaning in English-Then he took out the shining jewel from the crown which looked like the lamp and saying these words he appeared like the mountain Mandar along with the sun.

9. अनेन मणिना छन्द प्रणम्य हुशो नृपः। .
विज्ञाप्योऽमुक्तविश्रम्भं संतापविनिवृत्तये।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 9
हिन्दी सरलार्थ-हे छन्दक। इस मणि से राजा को बारबार प्रणाम करते हुए उनके शोक को दूर करने के लिए आशा न पूरी हो, ऐसा संदेश कहना।
Meaning in English-Oh Chandaka! Salute the king again and again with this jewel ‘to remove the grief their desire may not be accomplished’ this message should be sent.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

10. जरामरणनाशार्थं प्रविष्टोऽस्मि तपोवनम्। .
न खल स्वर्गतर्षेण नास्नेहेन न मन्यना।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 10
हिन्दी सरलार्थ-यथार्थ में न स्वर्ग की इच्छा से, न वैराग्य से और न क्रोध से अपितु केवल वृद्धावस्था तथा मृत्यु को नष्ट करने के लिए ही मैं तपोवन में आया हूँ।
Meaning in English-Really not with the desire of obtaining heaven, not by anger and not by detachment even but to remove the old age and death only I have come to the penance-grove.

11. तदेवमभिनिष्क्रान्तं, न मां शेचितुमर्हसि।
भूत्वापि हि चिरं श्लेषः कालेन न भविष्यति।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 11
हिन्दी सरलार्थ-अतः इस प्रकार निकलने वाले मेरे लिए शोक नहीं करना चाहिए क्योंकि दीर्घकाल तक संयोग होने पर भी काल आने पर नहीं रहेगा। .
Meaning in English-Therefore, you should not grieve for me who has come out in this way because though the association remained for a long, it will not be so when the time of death comes.

12. ध्रुवो यस्माच्च विश्लेषस्तस्मान्मोक्षाय मे मतिः।
विप्रयोगः कथं न स्याद्भूयोऽपि स्वजनादिति।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 12
हिन्दी सरलार्थ-क्योंकि वियोग ध्रुव है अतः मोक्ष पाने का मेरा विचार है जिसमें फिर दुबारा स्वजनों से वियोग न हो।
Meaning in English-As separation is definite, so I have made up. my mind to achieve Moksha (Salvation), so that I may not feel separation from my relatives again.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि

13 यदपि स्यादसमये यातो वनमसाविति।
अकालो नास्ति धर्मस्य जीविते चञ्चले सति।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 13
हिन्दी सरलार्थ-यद्यपि यह असमय में बन गया है तो भी जीवन चञ्चल होने से धर्म का कोई अनुचित समय नहीं है।
Meaning in English-Though he has gone to forest at improper.. time still as life is uncertain so there is no improper time for righteousness.

14. एवमादि त्वया सौम्य विज्ञाप्यो वसुधाधिपः।
प्रयतथास्तथा चैव यथा मां न स्मरेदपि।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 14
हिन्दी सरलार्थ-हे सौम्य! तुम राजा से इस प्रकार की तथा अन्य बातें कहना तथा । ऐसा प्रयत्न करना कि जिससे वह मेरा स्मरण भी न करें।
Meaning in English-Oh Saumya! These and such other things should be informed to the king and you should make effort in such a way that he does not remember me even.

15. अपि नैर्गुण्यमस्माकं वाच्यं नरपतौ त्वया।
नैर्गुण्यात्त्यज्यते स्नेहः स्नेहत्यागान्न शोच्यते।।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 न त्वं शोचितुमर्हसि 15
हिन्दी सरलार्थ-और तुम राजा से हमारी निर्गुणता भी बताना। दोष के कारण स्नेह छूट जाता है तथा स्नेह का त्याग करने से शोक नहीं होता है।
Meaning in English-You should also inform the king that we do not possess any, quality and by not possessing any quality the affection is removed and one is not grieved by giving up affection.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 6 भ्रान्तो बालः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) बालः कदा क्रीडितुं निर्जगाम?
उत्तर:
बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम।

(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थं त्वरमाणा बभूवुः?
उत्तर:
बालस्य मित्राणि विद्यालयगमनार्थ त्वरमाणा बभूवुः।

(ग) मधुकरः बालकस्य आह्वानं केन कारणेन न अमन्यत?
उत्तर:
मधुकरः बालकस्य आह्वानं न अमन्यत यतः सः मधुसंग्रहे व्यग्रः आसीत्।

(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत्?
उत्तर:
बालक चञ्च्या तृणशलाकादिकमाददानं चटकम् अपश्यत्।

(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थं कीदृशं लोभं दत्तवान्?
उत्तर:
बालकः चटकाय स्वादूनि भक्ष्यकवलानि दानस्य लोभं दत्तवान्।

(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत्?
उत्तर:
खिन्नः बालकः श्वानम् अकथयत्-मित्र! त्वम् अस्मिन् निदाघदिवसे किं पर्यटसि? प्रच्छायशीतलमिदं तरुमूलं आश्रयस्व। अहं त्वामेव अनुरूपं क्रीडासहायं पश्यामि।

(छ) विनितमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत्?
उत्तर:
विघ्नितमनोरथः बालः अचिन्तयत्-‘अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नः भवति। कोऽपि अहमिव वृथा कालक्षेपं न सहते। अतः अहमपि स्वोचितं करोमि।’.

प्रश्न 2.
निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत –
यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य। –
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि।।।
उत्तर:
भावार्थ हिन्दी में प्रस्तुत श्लोक में कुत्ते में भी कर्त्तव्यपालन की भावना अभिव्यक्त की गई है। जहाँ उसे पुत्र के जैसा प्रेम मिला है और उसका पालन-पोषण हुआ है, वहाँ उसे रक्षा के कर्त्तव्य से तनिक भी पीछे नहीं हटना चाहिये-कुत्ते की इसी भावना से बालक प्रभावित होकर विद्याध्ययन की ओर आकृष्ट होता है।

Essence of the hymn-Even the dog has the feeling of performing his duties. He says that it is his duty to protect the house properly where he is nourished with love as a son. By his this feeling, the boy is also encouraged to perform his duty seriously. So, he quickly goes to school to study without wasting further time.

प्रश्न 3.
“भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङग्लभाषया वा लिखत।.
उत्तर:
कथा का सारांश (हिन्दी में)-एक भ्रान्त बालक पाठशाला, जाने के समय खेलने के लिए चल पड़ा। उसने अपने मित्रों से भी खेलने आने को कहा किन्तु सब विद्यालय जाने की जल्दी में थे तथा किसी ने भी उसकी बात न मानी। उपवन में जाकर सबसे पहले उसने भौरे से खेलने को कहा किन्तु उसने पराग सञ्चित करने में अपनी। व्यस्तता बताई। तब उसने चिड़े को स्वादिष्ट खाद्य वस्तुएँ देने का लालच देकर खेलने को कहा किन्तु उसने भी घोंसला बनाने के कार्य में अपनी व्यस्तता बताकर खेलने से इन्कार कर दिया। तत्पश्चात् उसने कुत्ते से खेलने को कहा। कुत्ते ने भी रक्षानियोग के कारण अपनी व्यस्तता प्रकट की।

इस प्रकार नष्ट मनोरथ वाले उस बालक ने अन्त में यह समझ लिया कि समय नष्ट करना उचित नहीं। सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हैं, अतः उसे भी अपना कर्तव्य (विद्याप्राप्ति) पूरा करना चाहिए। तभी से वह विद्याप्राप्ति में जुट गया। वह शीघ्र विद्यालय चला गया।

Story in English: Once a boy astrayed and went to play at the time of going to school. He asked his friends also to accompany him but they all were in hurry to go to school. So, no one fulfilled his desire. Then he went to the garden lonely and asked the black-bee first to play with him but the black-bee said that he is busy in collecting the nectar of the flowers. Then he asked the male-sparrow that he will give tasty eatables to him if he plays with him. But he also said that he was busy in making his nest, so he had no time to play. Then he asked the dog to play with him. But he also refused to play as he was busy in performing his duty of: watching the house.

Thus, the boy was very disappointed. Now he understood that it is not advisable to waste time. Everyone is busy in performing his duty. So, he should also fulfill his duty by obtaining an education. Since that day, he engaged himself seriously with obtaining the education. He went to school quickly.

प्रश्न 4.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।
उत्तर:
कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।

(ख) चटकः स्वकर्माणि व्यग्रः आसीत्?
उत्तर:
चटकः कस्मिन् व्यग्रः आसीत्?

(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।
उत्तर:
कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति?

(घ) स महती वैदुषीं लब्धवान्।
उत्तर:
स कीदृशीं वैदुषीं लब्धवान्?

(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति।
उत्तर:
कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति?

प्रश्न 5.
“एतेभ्यः नमः” इति उदाहरणमनुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोगं कृत्या पञ्चवाक्यानि रचयत।
उत्तर:
1. गुरवे नमः।।
2. पित्रे नमः।
3. आदित्याय नमः।
4. मात्रे नमः।
5. शिक्षिकायै नमः।

प्रश्न 6.
‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि, तानि यथासमक्षं लिखत-
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम् – 1. पुष्पाणाम् उद्यानम्
(ख) पुस्तकदासाः – 2. विद्यायाः व्यसनी
(ग) विद्याव्यसनी – 3. दृष्टेः पन्थाः
(घ) पुष्पोद्यानम् – 4. पुस्तकानां दासाः
उत्तर:
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम् – 1. दृष्टेः पन्था
(ख) पुस्तकदासाः – 2. पुस्तकानां दासाः
(ग) विद्याव्यसनी – 3. विद्यायाः व्यसनी
(घ) पुष्पोद्यानम् – 4. पुष्पाणाम् उद्यानम

प्रश्न 7.
(क) अधोलिखितेषु पदयुग्मेषु एकं विशेष्यपदम् अपरञ्च विशेषणपदम्। विशेषणपदम् विशेष्यपदं च पृथक्-पृथक् चित्वा लिखत
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 5

(ख) कोष्ठकगतेषु पदेषु सप्तमीविभक्तेः प्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत
उत्तर:
(i) बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम। (पाठशालागमनवेला)
(ii) अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्वकृत्ये निमग्नो भवति। (इदम्)
(iii) खगः शाखायां नीडं करोति। (शाखा)
(iv) अस्मिन् निदाघदिवसे किमर्थं पर्यटसि? (निदाघदिवस)
(v) नगेषु हिमालयः उच्चतमः। (नग)

परियोजनाकार्यम्

(क) एकस्मिन् स्फोरकपत्रे (Chart Paper) एकस्य उद्यानस्य चित्रं निर्माय संकलय्य वा पञ्चवाक्येषु तस्य वर्णनं कुरुत।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से चार्ट पेपर पर उद्यान का चित्र बनाएं तथा उद्यान के वर्णन में पाँच वाक्य लिख दें-
1. इदम् उद्यानस्य चित्रम् अस्ति।
2. अस्मिन् उद्याने केचन बालकाः क्रीडन्ति।
3. केचन वृद्धाः परस्पर वार्तालापं कुर्वन्ति।
4. अत्र पुरुषाः महिलाः च व्यायामं कर्तुमपि आगच्छन्ति।
5. केचन बालकाः अत्र धावन्ति।

(ख) “परिश्रमस्य महत्वम्” इति विषये हिन्दी भाषया आङ्ग्लभाषया वा पञ्चवाक्यानि लिखत।
उत्तर:
“परिश्रम का महत्व”
1. परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते हैं।
2. परिश्रम से आत्मसन्तोष मिलता है।
3. परिश्रम से मनुष्य के शरीर में आलस नहीं आता।
4. परिश्रम से शरीर में स्फूर्ति रहती है।
5. परिश्रम ही सफलता की कुञ्जी है।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः Summary Translation in Hindi and English

1. संकेत-भ्रान्तः कश्चन ……………………………….. स्वकर्मव्यग्रो बभूव।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 1
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 2

हिन्दी सरलार्थ: भ्रमित कोई बालक पाठशाला जाने के समय खेलने के लिए चला गया किन्तु उसके साथ खेल के द्वारा समय बिताने के लिए कोई भी मित्र उपलब्ध नहीं था। वे सभी पहले दिन के पाठों को स्मरण करके विद्यालय जाने की शीघ्रता से तैयारी कर रहे थे। आलसी बालक लज्जावश उनकी दृष्टि से बचता हुआ अकेला ही उद्यान में प्रविष्ट हो गया।

उसने सोचा-ये बेचारे पुस्तक के दास वहीं रुकें, मैं तो अपना मनोरंजन करूँगा। क्रुद्ध गुरु जी का मुख मैं बाद में देखूगा। वृक्ष के खोखलों में रहने वाले ये प्राणी (पक्षी) मेरे मित्र बन जाएँगे।

तब उसने उस उपवन में घूमते हुए भौरे को देखकर खेलने के लिए बुलाया। उसने उसकी दो-तीन आवाजों की ओर तो ध्यान ही नहीं दिया। तब बार-बार हठ करने वाले उस बालक के प्रति उसने गुनगुनाया-हम तो पराग सञ्चित करने में व्यस्त हैं।

तब उस बालक ने अपने मन में ‘व्यर्थ में घमण्डी इस कीड़े को छोड़ो’ ऐसा सोचकर दूसरी ओर देखते हुए एक चिड़े (पक्षी) को चोंच से घास-तिनके आदि उठाते हुए देखा। वह उससे बोला- “अरे चिड़िया के शावक! तुम मुझ मनुष्य के मित्र बनोगे? आओ खेलते हैं। इस सूखे तिनके को छोड़ो, मैं तुम्हें स्वादिष्ट खाद्य-वस्तुओं के ग्रास दूँगा।” “मुझे बरगद के वृक्ष की शाखा पर घोंसला बनाना है, अतः मैं काम से जा रहा हूँ’-ऐसा कहकर वह अपने काम में व्यस्त हो गया।

Meaning in English: One astrayed boy went to play at the time when he had to go his school but he did not get any friend to play and pass his time because all of his friends were making. haste to go to school after remembering the lessons which were taught the previous day. That lazy boy turned aside being ashamed not falling in their sight and entered alone in any garden.

He thought-let these poor bookworms stay there, I will entertain myself. I will see the angry teacher afterward only. These birds who live in the hollow of the trees may become my friends.

Then he called a black-bee to play which was wandering in that garden. He did not care for his two-three calls. Then he said the boy who was insisting again and again-“We are busy in. collecting the nectar of the flowers.

Then the boy thought ‘let me leave this proud insect and turned his sight towards a he-sparrow who was collecting grass etc. He said to him, “Oh small sparrow! will you be a friend of a human being? Come, let us play. Leave this dry grass. I will give you the tasty morsels of eatables.” ‘I have to make my nest on the branch of the banyan-tree, so I am going for that work-saying so, he became busy with his work.

संकेत-तदा खिन्नो ………………………….. सम्पदं च लेभे।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 3 NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 4

हिन्दी सरलार्थ: तब दुःखी बालक ने कहा-ये पक्षी मनुष्यों के समीप नहीं आते, अतः मैं, मनुष्यों के योग्य किसी अन्य मनोरंजन करने वाले को ढूँढ़ता हूँ-ऐसा सोचकर भागते हुए किसी कुत्ते को देखकर प्रसन्न हुए उस बालक ने कहा-हे मनुष्यों के मित्र! इतनी गर्मी के दिन में व्यर्थ क्यों घूम रहे हो? इस घनी और शीतल छाया वाले वृक्ष का आश्रय लो। मैं भी खेल में तुम्हें ही उचित सहयोगी समझता हूँ। कुत्ते ने कहा जो पुत्रतुल्य मेरा पोषण करता है, उस स्वामी के घर दी रक्षा के कार्य में लगे होने से मुझे थोड़ा-सा भी नहीं हटना चाहिए।

सबके द्वारा इस प्रकार मना कर दिए जाने पर टूटे मनोरथ वाला वह बालक सोचने लगा-इस संसार में प्रत्येक प्राणी अपने-अपने कर्तव्य में व्यस्त है। कोई भी मेरी तरह समय नष्ट नहीं कर रहा है। इन सबको प्रणाम-जिन्होंने आलस्य के प्रति मेरी घुणा भावना उत्पन्न कर दी। अतः मैं भी अपना उचित कार्य करता हूँ-ऐसा सोचकर वह शीघ्र ही पाठशाला चला गया।

तब से विद्याध्ययन के प्रति इच्छायुक्त होकर उसने विद्वत्ता, कीर्ति तथा धन को प्राप्त किया।

Meaning in English: Then that boy became unhappy. He thought-these birds do not come near human-beings. So I search for another who may be able to entertain me. Thinking thus, he saw a dog which was running. Being happy that boy said to him “Oh friend of the human-beings! Why are you wandering in such a hot day? I consider you only worthy to play.” The dog said I should not ignore my duty to guard the house of my master who nourishes me as his own son.

Thus, being refused to play by everyone, the boy disappointed and thought, everyone in this world is busy in performing his duty. No one is wasting his time like me. I bow to these all who have awaken in me the feeling of hatred towards laziness. So I also will do what is good for me-thinking so, he went to the school quickly.

Since then, he became eager to study and thus, achieved scholarship, fame and wealth.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) यत्नेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा?
उत्तर:
यत्नेन वृत्तं रक्षेत्।

(ख) अस्माभिः (किं न समाचरेत्) कीदृशम् आचरणं न कर्तव्यम्?
उत्तर:
अस्माभिः आत्मनः प्रतिकूलम् आचरणं न कर्तव्यम्।

(ग) जन्तवः केन विधिना तुष्यन्ति?
उत्तर:
जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।

(घ) पुरुषैः किमर्थं प्रयत्नः कर्तव्यः?
उत्तर:
पुरुषै गुणेष्वेव प्रयत्नः कर्तव्यः।

(ङ) सज्जनानां मैत्री कीदृशी भवति?
उत्तर:
सज्जनानां मैत्री पुरा लघ्वी पश्चात् च वृद्धिमती भवति।

(च) सरोवराणां हानिः कदा भवति?
उत्तर:
मरालैः सह वियोगेण सरोवराणां हानिः भवति।।

(छ) नद्याः जलं कदा अपेयं भवति?
उत्तर:
भाद्रमासाद्य नद्याः जलम् अपेयं भवति।

प्रश्न 2.
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि, तानि यथोचितं योजयत
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) आस्वाद्यतोयाः – (1) खलानां मैत्री
(ख) गुणयुक्तः – (2) सज्जनानां मैत्री
(ग) दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – (3) नद्यः
(घ) दिनस्य परार्द्धभिन्ना – (4) दरिद्रः
उत्तर:
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) आस्वाद्यतोयाः – (3) नद्यः
(ख) गुणयुक्तः – (4) दरिद्रः
(ग) दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – (1) खलानां मैत्री
(घ) दिनस्य परार्द्धभिन्ना – (2) सज्जनानां मैत्री

प्रश्न 3.
अधोलिखितयोः श्लोकद्वयोः आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत
(क) आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्रपरार्द्धभिन्ना।
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।
उत्तर:
भाव हिन्दी में-दुष्टों और सज्जनों की मित्रता में अंतर स्पष्ट करते हुए आचार्य भर्तहरि कहते हैं कि जिस प्रकार छाया दिन के आरम्भ में बडी होती है तथा धीरे-धीरे छोटी होती जाती है। उसी प्रकार दुष्टों की मित्रता पहले गहरी होती है और धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसके विपरीत जिस प्रकार दोपहर में छाया छोटी होती है, धीरे-धीरे बढ़ती है, इसी प्रकार सज्जनों की मित्रता पहले कम तथा धीरे-धीरे दूसरे के गुण-स्वभाव आदि समझकर बढ़ती है।

Substance in English-Acharya Bhartrhari differentiates between the friendship of a wicked and that of a gentleman–Just as the shadow is big in the morning but becomes small at the noon similar is the friendship of the wicked that swings high in the beginning but shortly it decreases. However, friendship of the gentlemen appears meagre first but it increases gradually by understanding the qualities of the friend. It happens as the shadow is small in the beginning of the second half of the day (i.e. noon) but slowly it increases till the befall of the night.

(ख) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेवः वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।
उत्तर:
भाव-मधुर वचन बोलने से सभी प्रसन्न होते हैं, अतः मनुष्य को मधुर वचन बोलने में कृपणता नहीं बरतनी चाहिए।
Substance in English-As sweet words propitiate all people, one should not become miser in the expression of words in benevolence (i.e. sweet words).

प्रश्न 4.
अधोलिखितपदेभ्यः भिन्नप्रकृतिकं पदं चित्वा लिखत

(क) वक्तव्यम्, कर्त्तव्यम्, सर्वस्वम्, हन्तव्यम्।
उत्तर:
सर्वस्वम्।।

(ख) यत्नेन, वचने, प्रियवाक्यप्रदानेन, मरालेन।
उत्तर:
मरालेन।

(ग) श्रूयताम्, अवधार्यताम्, धनवताम्, क्षम्यताम्।।
उत्तर:
धनवताम्।

(घ) जन्तवः, नद्यः, विभूतयः, परितः।
उत्तर:
परितः।

प्रश्न 5.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्यनिर्माणं कुरुत
(क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।
उत्तर:
कस्मात् क्षीणः हतः भवति?

(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
उत्तर:
किं श्रुत्वा अवधार्यताम् ?

(ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।
उत्तर:
के फलं न खादन्ति?

(घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।
उत्तर:
केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति?

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयत-
यथा-
सः पाठं पठति। – सः पाठं पठतु।
उत्तर:
(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति – नद्य आस्वाधतोयाः सन्तु।
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति – सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।
(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि – त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचर।
(घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति – ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्तु।
(ङ) अहं परोपकाराय कार्यं करोमि – अहं परोपकराय कार्य करवाणि।

प्रश्न 7.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितां विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत यथा- तेषां मरालेः सह विप्रयोगः भवति। (मराल)
उत्तर:
(क) अध्यापकैः सह छात्रः शोधकार्यं करोति। (अध्यापक)
(ख) पित्रा सह पुत्र आपणं गतवान्। (पित)
(ग) किं त्वम् मुनिना सह मन्दिरं गच्छसि? (मुनि)
(घ) बालः मित्रेण सह खेलितुं गच्छति। (मित्रम्)

परियोजनाकार्यम्

(क) परोपकारविषयकं श्लोकद्वयम् अन्विष्य स्मृत्वा च कक्षायां सस्वरं पठ।
उत्तर:
परोपकारविषयक श्लोक (दो)
1. परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः।
परोपकारार्थमिदं शरीरम्।।

2. श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुण्डलेन,
दानेन पाणिर्न तु कङ्कणेन।
विभाति कायः करुणापराणां,
परोपकारेण न चन्दनेन।

छात्र इन श्लोकों को याद करें तथा अध्यापक के सहयोग से उनका कक्षा में सस्वर पाठ करें।

(ख) नद्याः एक सुन्दरं चित्रं निर्माय संकलय्य वा वर्णयत यत् तस्याः तीरे मनुष्याः पशवः खगाश्च निर्विघ्नं जलं पिबन्ति।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से नदी का चित्र बनाएँ तथा वर्णन करें कि उसके .तट पर मनुष्य, पशु-पक्षी सब बिना कष्ट पानी पीते हैं।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Summary Translation in Hindi and English

1. वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 1

हिन्दी सरलार्थ-आचरण की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए क्योंकि धन तो आता जाता रहता है। धन से हीन व्यक्ति तो सम्पन्न हो जाता है किन्तु आचरण से हीन व्यक्ति पूर्णतः नष्ट हो जाता है।

Meaning in English-One should protect his character (or behaviour) with special effort because wealth comes and goes out. A person who has lost wealth again becomes wealthy but a… person who has lost character once, is destroyed completely.

2. श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 2

हिन्दी सरलार्थ-धर्म का तत्त्व सुनो और सुनकर उसे ग्रहण करो। अपने से प्रतिकूल व्यवहार का आचरण दूसरों के प्रति कभी नहीं करना चाहिए।

Meaning in English-Listen to the essence of righteousness and after listening, try to follow it. One should not behave in the manner towards others which is not proper for one self.

3. प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माद् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 3

हिन्दी सरलार्थ-प्रिय वाक्य बोलने से सभी प्राणी संतुष्ट होते हैं, अतः प्रिय वाक्य ही बोलने चाहिएँ तथा बोलने में कैसी निर्धनता?

Meaning in English-All the living beings are satisfied by speaking sweet words, so one should speak sweet words only and one should not be miser in speaking such words.

4. पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 4

हिन्दी सरलार्थ-नदियाँ स्वयं जल नहीं पीती, वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते, बादल अन्न को स्वयं नहीं खाते; इसी प्रकार सज्जनों की सम्पत्तियाँ भी दूसरों के उपकार के लिए होती है।

Meaning in English-The rivers do not drink water themselves, the trees do not eat the fruits themselves and the clouds also do not eat the cereals themselves. Similarly, the riches of the gentlemen are for helping others only not for their own good.

5. गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 5 NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 6

हिन्दी सरलार्थ-मनुष्य को सदां गुणों को प्राप्त करने का ही प्रयत्न करना चाहिए। दरिद्र होता हुआ भी गुणवान् व्यक्ति ऐश्वर्यशाली गुणहीन के समान नहीं हो सकता (अर्थात् वह उससे कहीं अधिक श्रेष्ठ होता है।)

Meaning in English-A man should always make effort to obtain the virtues. A virtuous poor man can never be equal to a wealthy but meritless man (i.e. a virtuous poor man is definitely better than a wealthy meritless man).

6. आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लध्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वापरार्द्धभिन्ना
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 7

हिन्दी सरलार्थ-आरम्भ में बड़ी फिर धीरे-धीरे होने वाली तथा पहले छोटी फिर धीरे-धीरे बढ़ने वाली पूर्वाह्न तथा अपराह्न काल की छाया की तरह दुष्टों और सज्जनों की मित्रता अलग-अलग होती है।

Meaning in English-The friendship of the wicked and the good people differs like the shadow in the first and the second half of the day respectively; wickedman’s friendship is hilarious in the beginning but painful in the end while good man’s friendship is painful in the beginning but hilarious it becomes afterwards in ascending order.

7. यत्राणि कुत्रापि गता भवेयु
हंसा महीमण्डलमण्डनाय।
हानिस्तु तेषां हि सरोवराणां
येषां मरालैः सह विप्रयोगः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 8

हिन्दी सरलार्थ-पृथ्वी को सुशोभित करने वाले हंस भूमण्डल में सर्वत्र प्रवेश करने में सक्षम हैं, हानि तो उन सरोवरों की ही है जिनका उन हंसों से वियोग (अलग होना) हो जाता है।

Meaning in English-What to say abot capacity to flamingos as these are meritorious to adorn all and every pond existed on this earth. It is the trouble of separation experienced by the ponds because they are left un-inhabited.

8. गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
आस्वायतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रमासाय भवन्त्यपेयाः।।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 9

हिन्दी सरलार्थ-गुणवान् लोगों में रहने के कारण ही गुणों को सगुण कहा जाता है। गुणहीनों को प्राप्त करके वे दुर्गुण (दोष) बन जाते हैं; उदाहरणार्थ-नदियाँ सुस्वादु जल वाली होती हैं किन्तु समुद्र को प्राप्त करके कुस्वादु (नमकीन) हो जाती हैं।

Meaning in English-The merits are merits by the time, they experience the acquaintance of the meritorious people. They become demerits by befriending a person who is meritless. Similarly, the rivers contain fresh and mineral drinkable (tasty) water but the very water becomes not fit for drinking (saline) when it reaches into the ocean.

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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 4 कल्पतरूः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम. उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) कञ्चनपुरं नाम नगरं कुत्र विभाति स्म?
उत्तर:
कञ्चनपुरं नाम नगरं हिमालयपर्वतस्य सानोः उपरि विभाति स्म।

(ख) जीमूतकेतुः किं विचार्य जीमूतवाहनं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्?
उत्तर:
स्वपुत्रस्य गुणैः प्रसन्नः स्वसचिवैश्च प्रेरितः जीमूतकेतुः सम्प्राप्तयौवनं जीमूतवाहनं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्।

(ग) कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर:
कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः अचिन्तयत् “परोपकारैकफलसिद्धये इमं कल्पपादपम् आराधयामि”।

(घ) पाठानुसारं संसारेऽस्मिन् किं किं नश्वरम् किञ्च अनश्वरम् ?
उत्तर:
पाठानुसारं संसारेऽस्मिन् आशरीरमिदं सर्वं धनं नश्वरम्, एकः परोपकार एवानश्वरः।

(ङ) जीमूतवाहनस्य यशः सवत्र कथं प्रथितम् ?
उत्तर:
सर्वजीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः सर्वत्र प्रथितम्।

प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि?

(क) तस्य सानोरुपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम् ।
उत्तर:
हिमवते।

(ख) राजा सम्प्राप्तयौवनं तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्?
उत्तर:
जीमूतवाहनाय।

(ग) अयं तव सदा पूज्यः।
उत्तर:
कल्पवृक्षाय।

(घ) तात्! त्वं तु जानासि यत् धनं वीचिवच्चञ्चलम् ।
उत्तर:
जीमूतकेतवे।

प्रश्न 3.
अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं पाठात् चित्वा लिखत
उत्तर:
(क) पर्वतः = नगेन्द्रः
(ख) भूपतिः = राजा
(ग) इन्द्रः = शक्रः
(घ) धनम् = अर्थः
(ङ) इच्छितम् = अर्थितः
(च) समीपम् = अन्तिकम्
(छ) धरित्रीम् = पृथ्वीम्
(ज) कल्याणम् = स्वास्ति, हितम
(झ) वाणी: = वक्र
(ञ) वृक्षः = तरुः

प्रश्न 4.
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि। तानि समुचितं योजयत
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) कुलक्रमागतः – (1) परोपकारः
(ख) दानवीरः – (2) मन्त्रिभिः
(ग) हितैषिभिः – (3) जीमूतवाहनः
(घ) वीचिवच्चञ्चलम् – (4) कल्पतरुः
(ङ) अनश्वरः – (5) धनम्
उत्तर:
‘क’ स्तम्भः – ‘ख’ स्तम्भः
(क) कुलक्रमागतः – (4) कल्पतरुः
(ख) दानवीरः – (3) जीमूतवाहनः
(ग) हितैषिभिः – (2) मन्त्रिभिः
(घ) वीचिवच्चञ्चलम् – (5) धनम्
(ङ) अनश्वरः – (1) परोपकारः

प्रश्न 5.
(क) “स्वस्ति तुभ्यम्’ स्वस्ति शब्दस्य योगे चतुर्थी विभक्तिः भवति। इत्यनेन नियमेन अत्र चतुर्थी विभक्तिः प्रयुक्ता। एवमेव (कोष्ठकगतेषु पदेषु) चतुर्थी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(i) स्वस्ति राज्ञे (राजा)।
(ii) स्वस्ति प्रजायै (प्रजा)।
(iii) स्वस्ति छात्राय (छात्र)।
(iv) स्वस्ति सर्वजनाय (सर्वजन)।

(ख) कोष्ठकगतेषु पदेषु पष्ठी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(i) तस्य गृहस्य उद्याने कल्पतरुः आसीत्। (गृह)
(ii) सः पितुः अन्तिकम् अगच्छत्। (पित)।
(iii) जीमूतवाहनस्य सर्वत्र यशः प्रथितम्। (जीमूतवाहन)
(iv) अयं कस्य तरूः? (किम्)

प्रश्न 6.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) तरोः कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्।
उत्तर:
कस्य कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्?

(ख) सः कल्पतखे न्यवेदयत्।
उत्तर:
सः कस्मै न्यवेदयत् ?

(ग) धनवृष्ट्या कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्।
उत्तर:
कया कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्?

(घ) कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्।
उत्तर:
कल्पतरुः कुत्र धनानि अवर्षत्?

(ङ) जीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्।
उत्तर:
कया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्?

प्रश्न 7.
(क) यथास्थान समास विग्रहं च कुरुत
उत्तर:
(i) विद्याधराणां पतिः = विद्याधरपति
(ii) गृहस्य उद्याने = गृहोद्याने
(iii) नगानाम् इन्द्र = नगेन्द्रः
(iv) परेषाम् उपकारः = परोपकारः
(v) जीवानाम् अनुकम्पया = जीवानुकम्पया

(ख) उदाहरणमनुसृत्य मतुप (मत्, वत्) प्रत्ययप्रयोगं कृत्या पदानि रचयत
यथा-
हिम + मतुप् : = हिमवान्।
श्री + मतुप् = श्रीमान्।
उत्तर:
(i) शक्ति + मतुप = शक्तिमान्।
(ii) धन + मतुप = धनवान्।
(iii) बुद्धि + मतुप = बुद्धिमान्
(iv) धैर्य + मतुप् = धैर्यवान।
(v) गुण + मतुप् = गुणवान्।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः Summary Translation in Hindi and English

संकेत-“अस्ति हिमवान् …………………………… शक्नुयात्” इति।

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 1 NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 2

हिन्दी अनुवाद: सब रत्नों की भूमि पर्वतों का राजा हिमालय है। उस पर्वत के शिखर पर कञ्चनपुर नामक नगर है। वहाँ श्रीमान् विद्याधरपति जीमूतकेतु रहता था। उसके गृहोद्यान में वंश परंपरा से प्राप्त कल्पवृक्ष लगा हुआ था। उस कल्पवृक्ष की पूजा करके तथा उसकी कृपा से राजा जीमूतकेतु ने बोधिसत्व के अंश से उत्पन्न जीमूतवाहन नामक पुत्र को प्राप्त किया। वह अत्यन्त दानी तथा सब प्राणियों पर दया करने वाला था। उसके गुणों से प्रसन्न तथा मंत्रियों से प्रेरित राजा ने उचित समय पर यौवन सम्पन्न अपने पुत्र जीमूतवाहन का युवराज के पद पर अभिषेक कर दिया। युवराज के पद पर स्थित उस जीमूतवाहन से उसके हितैषी पिता तथा मंत्रियों ने कहा-“हे युवराज ! जो यह सारी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला कल्पतरु तुम्हारे उद्यान में स्थित है, वह तुम्हारे लिए सदा पूज्य है। इसके सहायक होने पर इन्द्र भी हमें कोई बाधा नहीं पहुँचा सकता।”

Meaning in English: Himalaya, a king of mountains, is the place for all types of gems. There is a city named Kanchanpur on the peak of that mountain. Very wealthy and very learned king Jimutketu lived there. There was a Kalpa-tree in his royal garden which existed there since his earlier several generations. By worshipping that tree and by its grace, king Jimutketu obtained the son Jimutvahana who was endowed with the virtues of Bodhisattva. He was very generous and kind towards all creatures. Being satisfied by his qualities and being inspired by his ministers, the king coronated his young son at proper time as the successor king of the kingdom.

Jimutvahana, the successor king, was once told by his well wisher-ministers and father thus—”Oh crown king ! This Kalpa tree, grown in your garden, fulfils all of desires. It is therefore, always respectable for you. If it is favourable, even Lord Indra cannot cause us any trouble.”

संकेत-आकर्यैतत् ………………………… यशः प्रथितम्।
शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 3
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 4 कल्पतरूः 4

हिन्दी अनुवाद: ऐसा सुनकर जीमूतवाहन ने मन में सोचा-“अरे ! आश्चर्य है। ऐसे अमर वृक्ष को प्राप्त करके भी हमारे पूर्वजों ने ऐसा कुछ भी फल प्राप्त नहीं किया और केवल कुछ गरीब लोगों ने थोड़ा धन ही मांगा। अतः मैं इस वृक्ष से अभीष्ट मनोरथ सिद्ध करता हूँ।” ऐसा सोचकर वह पिता के पास आया। आकर सुखपूर्वक बैठे हुए पिता से एकान्त में निवेदन किया-“पिताजी ! आप तो जानते ही हैं कि इस संसार सागर में शरीर सहित सारा धन लहरों की तरह चंचल (नश्वर) है। इस संसार में एक परोपकार ही अनश्वर है जो युगान्त तक यश फैलाता है। यदि ऐसा है तो हम ऐसे कल्पवृक्ष की रक्षा क्यों कर रहे हैं? जिन पूर्वजों ने ‘मेरा मेस’ कहकर इस वृक्ष की रक्षा की, वे अब कहाँ गए? उनमें से किसका है यह? या इसके वे कौन हैं? तो आपकी आज्ञा से ‘परोपकार’ की फल सिद्धि के लिए मैं इस कल्पवृक्ष की आराधना करता हूँ।”

“अच्छा ठीक है” पिता के द्वारा ऐसी आज्ञा प्राप्त करके कल्पवृक्ष के पास पहुंचकर जीमूतवाहन ने कहा-“हे देव ! तुमने हमारे पूर्वजों की अभीष्ट इच्छाएँ पूर्ण की हैं, तो मेरी एक इच्छा पूरी कर दो। आप इस पृथ्वी को निर्धनों से रहित कर दो, देव ।” जीमूतवाहन के ऐसा कहते ही उस वृक्ष में से आवाज निकली “तुम्हारे द्वारा इस तरह त्यागा हुआ मैं जा रहा हूँ।”

उस कल्पवृक्ष ने क्षणभर में ही स्वर्ग की ओर उड़कर पृथ्वी पर इतने धन की वर्षा की कि कोई भी निर्धन नहीं रहा। सब प्राणियों पर दया करने से इस तरह उस जीमूतवाहन का यश सब जगह प्रसिद्ध हो गया।

Meaning in English: Hearing this Jimutvahan thought “Oh! It is strange that even after achieving such an immortal tree, our ancestors did not accomplish good desires. Only some poor people asked for some wealth. So, I accomplish my desire from this tree.” Thinking so, he came near his father. He asked to his father sitting happily in a lonely place that he was known to the fact that all the wealth, even body was momentary or destructible in this ocean like world. Only benevolence in this world is indestructible because it spreads one’s glory till the end of the several eras/ages. Then why do we protect such a Kalpa-tree? Do you know where have our those ancestors gone who protected it with the feeling ‘this is mine, this is mine’? To whom does this belong? or whom his tree is? So, I want with your permission, to worship this Kalpa-tree in order to accomplish the feeling of ‘benevolence’.

Having permitted to do so by his father, Jimutvahan went near the tree and said “Oh God ! You have fulfilled the desires of my ancestors, so please fulfil my one desire. You, please, make this earth totally free from the poor people.” When Jimutvahan said so, the tree answered with these words-“I am going now being abondoned so by you.”

Within a moment that Kalpa-tree flew to the heaven and rained so much of wealth on the earth that there was left no man as poor. The glory of Jimutvahan on account of this benevolent deed; made him famous everywhere.

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