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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

1. यह दंतुरित मुस्कान

प्रश्न 1.
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभा पड़ता है?
उत्तर
कवि अपने शिशु की मधुर-मुसकान को देखता है तो इतना प्रफुल्लित होता है कि उसके उदासीन, गंभीर चेहरे पर प्रसन्नता आ जाती है। उसे ऐसा लगता है कि यह मुसकान तो मृतक में जान फेंक सकती है। यह शिशु तो ऐसा है मानो तालाब को छोड़कर कमल मेरी झोंपड़ी में खिल रहा हो। कवि के निष्ठुर, पाषाणवत हृदय में स्नेह की धारा फूट पड़ी है। इस प्रकार कवि के हृदय में अप्रत्याशित परिवर्तन आ गया है।

प्रश्न 2.
बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर
बच्चे की मुसकान में स्वाभाविकता होती है, निश्छलता होती है, सहजता होती है, हृदय की प्रफुल्लता होती है तथा मधुरता होती है। वह स्नेहसिक्त होकर प्रस्फुटित हो उठती है।

बड़े व्यक्ति की मुसकान में कृत्रिमता होती है, बलात् मुसकान होंठों पर बिखेरी जाती है, इस कारण उसमें सहजता नहीं होती है। उसमें स्वार्थ की गंध आती है। अपनत्व का अभाव होता है। अवसर देख, व्यक्ति मुस्कराता है। बड़ों की मुसकान में उनकी रुचि समाहित होती है।

प्रश्न 3.
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्न बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है–

  1. बच्चे की मुसकान इतनी मधुर होती है कि मृतक में प्राण फेंक देती है।।
  2. बच्चे की मुसकान देखकर ऐसा लगता है कि कमल-पुष्प तालाब को छोड़कर झोंपड़ी में खिल रहे हों।
  3. पाषाण पिघलकर जल रूप में बदल गया हो।
  4. बबूल और बाँस से भी शेफालिका के फूल झरने लगे हों। इस प्रकार कवि ने बिंबों का प्रयोग कर शिशु की मुसकान को अति आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
उत्तर

  1. शिशु की मधुर मुसकान कवि के अंतःकरण को छू गई है। वह इतना भावुक हो उठा है कि अपनी प्रसन्नता का आभास कर बैठता है उसे लगता है कि विकसित कमल-पुष्प तालाब को छोड़कर मेरे घर में खिल रहा है।
  2. कवि स्वयं को बबूल और बाँस की तरह निष्ठुर हृदय मानता है। ऐसा निष्ठुर-हृदय कवि शिशु का स्पर्श पाकर सिहर उठता है और अपनी प्रसन्नता को देखकर अनुभव करता है कि बबूल और बाँस से शेफालिका के पुष्प झरने लगे हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर
मुसकान की मधुरता में चित्त की प्रसन्नता की अभिव्यक्ति है। दूसरे व्यक्ति भी स्वाभाविक मुसकान को देख प्रसन्न हो उठते हैं। जिससे अपनत्व की सहजता प्रकट होती है। परस्पर सामीप्य का अनुभव होता है। इच्छाओं की अपूर्ण-स्थिति में क्रोध की उत्पत्ति होती है। अपनी इच्छाओं को दूसरे से पूर्ण कराने की आशा में निराशा हाथ लगने पर क्रोध का भयावह रूप प्रकट होता है। इस तरह वातावरण में कड़वाहट भर जाता है। परस्पर भिन्नता बढ़ जाती है। चित्त उद्विग्न हो जाता है।

प्रश्न 6.
दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर
शिशु के दाँत निकलने का समय नौ माह से लेकर एक वर्ष के लगभग होता है। शिशु भी लगभग इसी उम्र का होगा। बच्चे की मुसकान और पहचानने और न पहचानने का आभास इसी उम्र से करता है। शिशु इस उम्र में पहचान कर दूसरे के अंक में जाना पसंद करता है और अपरिचित के अंक में जाने से मना करता है।

प्रश्न 7.
बच्चे से कवि की मुलाकात की जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
कवि शिशु के मनोहारी मुसकान पर मुग्ध तथा रोमांचित हो रहा है। अपनी प्रसन्नता को अभिव्यक्त कर रहा है कि ऐसा लग रहा है कि मेरे घर में ही कमल खिल रहा है। कवि बालक को निरंतर देख रहा है। कवि को लग रहा है बालक भी उसे अपलक देख रहा है और उसे पहचानने की कोशिश कर रहा है। कवि के हृदय मे स्नेह फूट रहा है। कह रहा है कि तुम और तुम्हारी माँ धन्य है। मैं तो प्रवासी रहा। तुम्हारी माँ ने तुम्हें मधुपर्क पान कराया है। गोद में खिलाया है। इसके सानिध्य में रहे हो और तुम मुझे कनखियों से देख पहचानने का प्रयास कर रहे हो।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न (क)
आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर
(क) कविता-शिशु
फिर भी तुम कितने सुंदर हो,
कि सुंदरता की प्रति-मूरति हो।
धूल-धूसरित अंग तुम्हारे
वस्त्र-हीन अंग तुम्हारे
निश्छल हो, तुम ऐसे लगते
सौम्यता की प्रति-मूरति हो। (1)
किलकारी भरते आँगन में
प्रसन्नता भरते हर कोने में
घुटरुन चलते ऐसे लगते
तुम कृष्णा की प्रति-मूरति हो। (2)
पानी में तुम छप-छप करते
रजकणों से तुम खेला करते
देख छवि, खुश हो माँ कहती
तुम चंचलता की प्रति-मूरति हो। (3)

प्रश्न (ख)
एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फिल्म देखिए।
उत्तर
(ख) अध्यापकों के सहयोग से विद्यालय में नागार्जुन पर एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा बनाई गई फिल्म को देख सकते हैं।

2. फसल

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर
कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू, मनुष्यों के श्रम का परिणाम और पानी, मिट्टी, धूप, हवा का मिला-जुला रूप फसल है। फसल में मिट्टी के गुण-धर्म, सूर्य की किरणों का रूपांतरण और हवा की थिरकन है।

प्रश्न 2.
कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर
फसल को उपजाने के लिए निम्न आवश्यक तत्त्व हैं-

  1. नदियों का पानी।
  2. कृषकों द्वारा किया गया परिश्रम।
  3. विविध-मिट्टी के गुण-तत्त्व।
  4. सूर्य का प्रकाश ।
  5. निरंतर बहती हुई हवा ।
    उक्त सभी की उपस्थिति से फसल का अस्तित्व होता है।

प्रश्न 3.
फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर
यद्यपि फसल नदियों के पानी, प्रकाश, हवा, मिट्टी के तत्त्वों का परिणाम है तथापि यह मनुष्यों के हाथों के चमत्कार तथा उनके परिश्रम के परिणामस्वरूप फलती है, मनुष्य के परिश्रम के बिना फसल अपना रूप ग्रहण नहीं कर सकती। मनुष्य के हाथों के परिश्रम से ही फसल का उगना और फलना-फूलना संभव है। इसी कारण कवि ने फसल को मनुष्यों के श्रम की गरिमा और महिमा कहा है। इस प्रकार कवि ने मनुष्य के परिश्रम को विशेष महत्त्व दिया है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
रूपांतरण है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर
भाव यह है कि फसल, सूरज के प्रकाश में प्राकृतिक प्रक्रियाएँ पूरी कर अपने लिए भोजन बनाती है और पुष्ट होती है। इसलिए कवि ने फसल को सूरज की किरणों का रूपांतरण कहा है।
इसी प्रकार फसल के उगने और स्वस्थ रहने में हवा का भी उतना ही योगदान रहता है। फसल हवा की उपस्थिति में ऑक्सीजन ग्रहण करती है। इस प्रकार हवा संकुचित
होकर पेड़-पौधे में प्रवेश करती है। फसल पूर्ण-रूपेण विकास को प्राप्त होती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर
(क) मिट्टी में अनेक आवश्यक तत्त्व हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए आवश्यक हैं। उन आवश्यक तत्त्वों को फसल मिट्टी से ग्रहण करती है और | पुष्ट होती है। यही प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्त्व मिट्टी के गुण-धर्म हैं।

(ख) प्रदूषण उत्पन्न करती हुई हमारी वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित कर रही है। साथ ही फसल में उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी अपने प्राकृतिक गुण-धर्म से रहित होती जा रही है। इसके अतिरिक्त फैक्टरियों से निकला हुआ प्रदूषित पानी मिट्टी के गुण-धर्म को पूरी तरह नष्ट कर रहा है।

(ग) मिट्टी दुवारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, क्योंकि वनस्पति-चक्र समाप्त होने पर संपूर्ण जीवधारी समाप्त हो जाएँगे। संपूर्ण जीवधारी किसी-न-किसी प्रकार वनस्पति पर निर्भर हैं और वनस्पति मिट्टी के गुण-धर्म पर निर्भर है।

(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम अपनी भूमिका इस तरह प्रस्तुत कर सकते हैं कि-

  1. मिट्टी के गुण-धर्म को दुष्प्रभावित करने वले कारकों को जाने और उन्हें | रोकने का प्रयास करें।
  2. धरती का सौंदर्गीकरण करें-पेड़ लगाएँ और पेड़ों का संरक्षण करें।
  3. प्रकृति का संतुलन न बिगड़ने दें। प्रदूषण के कारणों को न बढ़ने दें।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न (क)
इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने
सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर
(क)
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
नई दिल्ली।
विषय–सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के संबंध में अपना सुझाव देने हेतु।
महोदय, निवेदन है कि मैं आपके लब्ध-प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से देश की निरंतर चरमराती कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव देना चाहता हूँ। कृषि के लिए नीति-निर्धारित करने वाले भारत-सरकार के प्रतिनिधि इस पर विचार कर इसे कार्यान्वित करेंगे, ऐसी आशा मुझे है।

हमारे देश की लगभग 76% जनता कृषि पर निर्भर है। देश का भविष्य भी प्रायः कृषि पर निर्भर है किंतु चरमराती कृषि व्यवस्था के कारण वर्षानुवर्ष कृषि उत्पादन कम होता जा रहा है। कृषि-प्रधान देश होते हुए भी हमें खाद्य-पदार्थों के लिए दूसरे देशों के तरफ ताकना पड़ रहा है।

ऐसी बिगड़ती कृषि-स्थिति के जिम्मेदार तत्त्वों को समाप्त करने की जरूरत है। अगर देश की रीढ़ कृषक ही टूट गए तो दूसरे कब तक हमें अनाज देते रहेंगे? संकट से उबरने के लिए कृषकों के सहज-नीति-प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। जिससे वह शोषित भी न हो और सम्मानित भी हो। कृषक के लिए कृषि-संबंधी साधनों को जुटाना, सिंचाई की समुचित व्यवस्था, उन्नत-बीज की व्यवस्था के साथ फसल बीमा प्रक्रिया शुरू करना चाहिए। सहज प्रक्रिया के अंतर्गत सस्ते ब्याज पर ऋण की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसा होने पर कृषक-समुदाय आत्म-सम्मान का अनुभव करता हुआ कृषि को उन्नत व्यवसाय समझकर प्रफुल्लता से कार्य में संलग्न होगा।

मैं पूर्ण आशान्वित हूँ कि अपने समाचार पत्र में इस पत्र को प्रकाशित कर मुझे अनुग्रहीत करेंगे।
भवदीय
आलोक मौर्य
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
15 सितंबर, 20………………

प्रश्न (ख)
फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थावस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर
(ख) कक्षा में छात्र स्वयं चर्चा करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

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III. पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

(पृष्ठ 63-66)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर
कथा नायक की रुचि खेल-कूद, सैर-सपाटा, गप्पबाजी, पतंगबाजी तथा मटरगश्ती करने में थी।

प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे? अथवा बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे? उसके बाद क्या करते? [CBSE)
उत्तर
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे—’कहाँ थे’?

प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया? [Imp.]
उत्तर
दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई स्वच्छंद हो गया। उसने पढ़ना-लिखना बिल्कुल छोड़ दिया और पतंगबाजी में मन लगा लिया।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? |
उत्तर
बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में पाँच साल बड़े थे। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे? [Imp.]
उत्तर
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कापी या किताब पर इधर-उधर की व्यर्थ की बातें बार-बार लिखा करते थे या कोई चित्र बना डालते थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया? [Imp.] [CBSE]
उत्तर
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाते समय सोचा कि वह नियम बनाकर दिन-रात पढ़ा करेगा तथा खेलकूद बिल्कुल छोड़ देगा। परंतु खेलकूद में गहरी रुचि तथा पुस्तकों में अरुचि होने के कारण वह इसका पालन न कर सका।

प्रश्न 2.
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई? [CBSE] ।
उत्तर
इस पाठ में लेखक ने शिक्षा के अनेक तौर-तरीके पर व्यंग्य किया है; जैसे-

  1. सबसे पहला व्यंग्य शिक्षा द्वारा रटूपन को बढ़ावा देने पर किया गया है। जो छात्र बिना समझे रट्टा लगाते हैं। और पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को रट्टू तोते की भाँति चाट लेते हैं, परंतु एक भी शब्द की समझ उन्हें नहीं हो पाती है।
  2. शिक्षा में पुस्तकीय ज्ञान को इतनी महत्ता दी गई है कि अध्यापक चाहते हैं कि छात्र अपने उत्तर किताबों से ज्यों का त्यों लिखें।
  3. शिक्षा जीवन के लिए प्रायोगिक रूप से अनुपयोगी है। यह सैद्धांतिक ज्ञान को बढ़ावा देती है, परंतु इसका व्यावहारिक पक्ष अत्यंत दुर्बल है।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं? [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई को अपनी इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं क्योंकि उसे अपने छोटे भाई को सही राह पर चलाना था। वह खुद बेराह चलता तो फिर उसकी रक्षा कैसे करता। यह कर्तव्य-बोध उसके सिर पर था।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों? [Imp.][CBSE]
उत्तर
छोटे भाई को बड़े भाई की डाँट-फटकार तनिक भी अच्छी न लगती थी। वह सोचता था कि काश! भाई साहब एक साल और फेल हो जाते तो उन्हें डाँटने का हक न रह जाता; परंतु जब भाई साहब ने उसे अनुभव और बड़प्पन का महत्त्व समझाते हुए जीवन की वास्तविकता से अवगत कराया और कहा कि हमारे कम पढ़े-लिखे दादा-अम्मा को अपने सुशिक्षित बालकों को समझाने और सही राह पर ले जाने का अधिकार है। इसके अलावा उसने सुशिक्षित हेडमास्टर के घर का प्रबंध उनकी माँ ही करती है, क्योंकि वे अधिक अनुभवी हैं। यह सुनकर छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 5.
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
उत्तर
लेखक ने बड़े भाई के नरम व्यवहार का भरपूर फ़ायदा उठाया। उसने पढ़ना-लिखना बिल्कुल छोड़ दिया। मनमानी करना शुरू कर दी तथा पतंगबाजी का चस्का लगा लिया। वह भाई की नजरें बचाकर दिन-रात पतंगें उड़ाने लगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए। [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई की डाँट-फटकार से छोटे भाई को कभी सीख नहीं मिली। उसने डाँट खाकर एक बार टाइम-टेबल तो बनाया, किंतु उस पर अमल नहीं किया। वह जब भी कक्षा में अव्वल आया, बिना मेहनत के आया। वह कहता भी है-”मैंने बहुत मेहनत नहीं की, पर न जाने कैसे दरजे में अव्वल आ गया। मुझे खुद अचरज हुआ।” वास्तव में डाँट-डपट से छोटे भाई का आत्मविश्वास कम ही हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि अगर बड़े भाई उसे न डाँटते-फटकारते तो भी वह कक्षा में अव्वल आता।।

प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं? [CBSE]
उत्तर
‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने शिक्षा की रटंत-प्रणाली पर तीखा व्यंग्य किया है। कहानी का बड़ा भाई एक बेचारा दीन पात्र है जो पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को तोते की तरह रटता रहती है। वह किसी भी शब्द को दिमाग तक नहीं पहुँचने देता। वह न तो विषय को समझता है और न समझे हुए विषय को अपनी भाषा में कहना जानता है। इस कारण वह चौबीसों घंटे पढ़ते-पढ़ते निस्तेज हो जाता है, फिर भी परीक्षा में पास नहीं हो पाता। मेरे विचार से ऐसी शिक्षा व्यर्थ है।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है? [Imp.] [CBSE]
                                                अथवा
‘जीवन की समझ व्यावहारिक अनुभव से आती है’-बड़े भाई साहब के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? उदाहरण सहित बताइए। [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ पुस्तकें पढ़ने से नहीं, अपितु दुनिया देखने से आती है। जिसे जीवन जीने का अनुभव अधिक है, वही समझदार माना जाता है। इसीलिए माँ-बाप, दादा-दादी, कम पढ़-लिखकर भी अधिक ज्ञाने और समझ रखते हैं। वे घर-खर्च, बीमारी और अन्य प्रबंध करने में पढ़े-लिखों से भी अधिक कुशल होते हैं। हेडमास्टर से भी अधिक कुशल उनकी बूढ़ी माँ थीं जिन्होंने अपने सुशिक्षित पुत्र की अव्यवस्था को सँभाल लिया।

प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
                                                अथवा
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा कब उत्पन्न हुई? क्या वह उचित थी? [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई ने छोटे भाई को प्रभावित करने के लिए अनुभव और बड़प्पन का महत्त्व समझाया। उसने बताया कि आदमी को तजुर्बे से समझ आती है, पढ़ने-लिखने से नहीं। इसके लिए उसने अपनी अम्माँ और दादा का उदाहरण दिया। वे कम पढ़-लिखकर भी उम्र के कारण अधिक समझदार हैं। फिर उसने बीमारी के इलाज, घर-खर्च और शेष प्रबंधों का उदाहरण दिया। उसने बताया कि कैसे सुशिक्षित हेडमास्टर के घर का सारा सुप्रबंध उनकी बूढ़ी माँ करती है। इन सब युक्तियों को सुनकर छोटे भाई का हृदय प्रभावित हो गया। उसे बड़ा होने के कारण अपने बड़े भाई पर श्रद्धा हो गई।

प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए? [Imp.][CBSE]
                                          अथवा
कहानी के आधार पर बड़े भाई साहब के स्वभाव की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। [CBSE]
अथवा
बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएँ क्या थीं? उनमें से छोटे भाई को किससे सहायता मिली? [CBSE]
उत्तर
बड़ा भाई महत्त्वाकांक्षी है। वह बड़ा होने का सम्मान चाहता है। वह अपने-आपको अपने छोटे भाई का संरक्षक सिद्ध करने के लिए जी-जान लगा देता है। | घोर परिश्रमी और धुनी-बड़ा भाई चाहे पढ़ाई करने की ठीक विधि न जानता हो, किंतु उसके परिश्रम और धुन में कोई कोर-कसर नहीं रहती। वह तीन-तीन बार फेल होकर भी उसी धुन से पढ़ता रहता है। वह दिन-रात पढ़ता है। उसकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है। | वाक्पटु-बड़ा भाई उपदेश देने और बातें बनाने में बहुत कुशल है। वह अपने-आपको बड़ा सिद्ध करने के लिए हर तर्क जुटा लेता है। कभी वह घमंडियों के नाश की बात कहता है। कभी बड़ी कक्षा की पढ़ाई को कठिन बताता है, कभी परीक्षकों को बुरा कहता है, कभी पढ़ाई-लिखाई को बेकार कहती है, कभी अपनी समझदारी की डींग हाँकता है, और कभी उम्र और अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहता है। परंतु वह स्वयं को बड़ा सिद्ध करके ही मानता है।

प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है? [Imp.][CBSE]
उत्तर
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उसके अनुसार, अनुभव से ही जीवन की सही समझ विकसित होती है। उसी से जीवन के सारे महत्त्वपूर्ण काम सधते हैं। बीमारी हो, घर-खर्च चलाना हो या घर के अन्य प्रबंध करने हों, इसमें उम्र और अनुभव काम आता है, पढ़ाई-लिखाई नहीं। लेखक की अम्माँ, दादा और हेडमास्टर साहब की बूढी माँ के उदाहरण सामने हैं। वहाँ उम्र और अनुभव काम आते हैं, पढ़ाई-लिखाई नहीं।

प्रश्न 7.
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर
(क) फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था। माँझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नज़रों में कम हो गया है।

(ख) मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का.जो तजुर्बा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम.ए. और डी.फिल और डी.लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है।

(ग) संयोग से उसी वक्त एक कटा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गुजरा। उसकी डोर लटक रही थी। लड़कों का एक गोल पीछे-पीछे दौड़ा चला आता था। भाई साहब लंबे हैं ही। उछलकर उसकी डोर पकड़ ली और बेतहाशा होस्टल की तरफ़ दौड़े। मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

(घ) तो भाईजाने, यह गरूर दिल से निकाल डालो कि तुम मेरे समीप आ गए हो और अब स्वतंत्र हो। मेरे देखते तुम बेराह न चलने पाओगे। अगर तुम यो न मानोगे तो मैं (थप्पड़ दिखाकर) इसका प्रयोग भी कर सकता हूँ। मैं जानता हूँ, तुम्हें मेरी बातें ज़हर लग रही हैं। :::

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास। [CBSE]
उत्तर
बड़ा भाई छोटे भाई के घमंड को तोड़ने के लिए कहता है-तुम कक्षा में प्रथम आकर यह न सोचो कि इससे तुमने बहुत बड़ी सफलता पा ली है और मैं असफल हो गया हैं। वास्तव में बड़ी चीज है-बुद्धि का विकास। उसमें तुम अभी छोटे हो। तुम्हें मेरे जितनी समझ नहीं है। देखो, मैं रावण और अंग्रेजों की शक्ति के अंतर को भी जानता हूँ। मेरी बुद्धि विकसित है। तुम अबोध हो, घमंडी हो। |

प्रश्न 2.
फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था। [Imp.]
उत्तर
लेखक का बड़ा भाई चाहता था कि लेखक खेलकूद, मटरगस्ती करना बंद करके अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे। इसके लिए वह लेखक को खूब डाँटता-फटकारता, परंतु लेखक खेलकूद का मोह नहीं त्याग पाता था। वह मौका मिलते ही मैदान में होता था। जैसे मनुष्य संकटों में फंसकर भी मोह-माया नहीं छोड़ पाता वैसे ही डाँट-फटकार खाकर भी लेखक खेलकूद से रिश्ता नहीं तोड़ पाता।

प्रश्न 3.
बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने?
उत्तर
जिस प्रकार मकान को मजबूत बनाने के लिए नींव को मजबूत बनाया जाता है, उसी प्रकार शायद बड़े भाई साहब हर कक्षा को एक साल में नहीं दो-दो सालों में पास करते थे, ताकि उनकी पढ़ाई बहुत मजबूत हो। यह बड़े भाई साहब की नालायकी पर व्यंग्य है।

प्रश्न 4.
आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर
लेखक ने देखा कि कोई पतंग कटकर आकाश से धरती की ओर आ रही है। लेखक उसे पकड़ने के लिए दौड़ा जा रहा था, परंतु उसकी आँखें आकाश में चलने वाली पतंग रूपी यात्री पर था। उसे ऐसा लग रहा था- मानो पतंग कोई दिव्य आत्मा हो जो मंद गति से झूमती हुई धरती की ओर आ रही थी अर्थात् दिव्य आत्मा रूपी पतंग स्वर्ग से मिलकर उदास मन से किसी व्यक्ति का सन्निध्य पाने धरती पर उतर रही है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
उत्तर
नसीहत-शिक्षा, सीख, उपदेश
रोष-क्रोध, क्षोभ
आज़ादी-स्वतंत्रता, मुक्ति
राजा–महीप, भूप
ताज्जुब-हैरानी, आश्चर्य, अचरज।

प्रश्न 2.
प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढिए-

  • मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
  • भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।
  • वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा-गैरा नत्थू खेरा।
उत्तर
सिर पर नंगी तलवार लटकना-सामने मौत दिखाई देना।
वाक्य-उड़न दस्ते को देखकर नकलची छात्र को यों लगा मानो सिर पर नंगी तलवार लटक रही हो।
आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना।
वाक्य-यदि उसने इस बार मेरी निंदा की तो मैं उसे आड़े हाथों लूंगा।
अंधे के हाथ बटेर लगना-अयोग्य व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना।
वाक्य-उस अनपढ़ को सुशिक्षित दुल्हन क्या मिली मानो अंधे के हाथ बटेर लग गया।
लोहे के चने चबाना-बहुत कठिन काम होना।
वाक्य-हिमालय की बर्फीली चोटियों पर चढ़ना लोहे के चने चबाना है।
दाँतों पसीना आना-बहुत कठिनाई होना।
वाक्य-पैदल तीर्थ-यात्रा करना आसान नहीं है। दाँतों पसीना आ जाएगा।
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा-बुद्ध, बेवकूफ।
वाक्य-मैं तेरी हर चाल समझता हूँ। मुझे ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा न समझना।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 1
तालीम, जल्दबाजी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 2

प्रश्न 4.
क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक।
कर्मक क्रिया-वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे.
शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
र्मक क्रिया-वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-
शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है-सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 3
उत्तर
(क) सकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) सकर्मक
(घ) सकर्मक
(ङ) सकर्मक
(च) अकर्मक।

प्रश्न 5.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 4

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर
प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं-ईदगाह, ठाकुर का कुआँ, शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दरोगा, दूध का दाम, पूस की रात, कफ़न, गिल्ली डंडा आदि। इन्हें पढ़िए तथा साथियों के साथ मिलकर अभिनय कीजिए।

प्रश्न 2.
शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए। |
उत्तर
शिक्षा का अर्थ है-सीख। सीख का संबंध जीवन जीने से है, केवल बोलने, लिखने या पढ़ने से नहीं। इसलिए विद्यार्थी को चाहिए कि वह जो भी सीखे उसे अपने जीवन में अपनाए, आचरण में लाए या समझ ले। रटने वाले छात्र विषय को न तो समझते हैं और न उसे जीवन के लिए उपयोगी मानते हैं। वे केवल उसे थोड़ी देर के लिए अपनी स्मृति में सँजो लेते हैं मानो पत्थर की स्लेट पर चाक से कुछ लिख दिया गया हो। ऐसी रटी हुई बातें जल्दी ही भूल जाती हैं। ऐसा परिश्रम व्यर्थ होता है। इसे विद्या कहना सच्चाई से मुँह मोड़ना है।

प्रश्न 3.
क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं-कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
उत्तर
पक्ष-पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चलते हैं। पढ़ाई का संबंध मन और बुद्धि से है। खेल-कूद का संबंध शरीर से है। जिस तरह मन, बुद्धि और शरीर तीनों साथ-साथ गति कर सकते हैं, उसी प्रकार पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं। इन तीनों का आपस में विरोध नहीं है। ये परस्पर पूरक हैं। अगर शरीर ठीक न हो तो मन और बुद्धि काम नहीं कर सकते। इसी प्रकार शारीरिक खेलों में भी मन और बुद्धि का पूरा योगदान रहता है। एक अच्छा खिलाड़ी स्वस्थ मन और बुद्धि का स्वामी होता है।
विपक्ष-पढ़ाई और खेल-कूद अलग-अलग हैं। प्रायः खिलाड़ी और पहलवान पढ़ाई में कमजोर होते हैं। सचिन तेंदुलकर को ही लें। उनकी प्रतिभा खेल-कूद में ही थी। यदि वे क्रिकेट छोड़कर सामाजिक-भूगोल रटते रहते तो उन्हें शायद ही इतनी सफलता मिलती। इसी प्रकार विभिन्न कक्षाओं के सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी यदि अपना समय खेल-कूद में बिताने लग जाते तो वे ऊँचाइयाँ न छू पाते। इसलिए इन दोनों के अलग महत्त्व को समझना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए। |
उत्तर
पहला छात्र-परीक्षा पास करना मनुष्य की योग्यता की निशानी है।
दूसरा-जरूरी नहीं कि परीक्षा पास करने वाला विद्यार्थी ज्ञानवाने हो। कुछ विद्यार्थी केवल रट्टा मारकर परीक्षाएँ पास कर लेते हैं। उन्हें समझ बिलकुल नहीं होती।
तीसरा-परीक्षा पास करने से केवल इतना पता चलता है कि छात्र चाहे तो किसी क्षेत्र में सफलता पा सकता है।
चौथा-कुछ छात्र परीक्षा में प्रथम आते हैं लेकिन जीवन में बिलकुल असफल होते हैं।
पाँचवाँ-अक्सर पढ़ाकू छात्र जीवन जीने की कला जानते ही नहीं । वे केवल पोथी के विद्वान होते हैं। ऐसे लोग हँसी के पात्र होते हैं।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहिनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई?
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपकी छोटी बहन/छोटा भाई छात्रावास में रहती रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।
उत्तर
पार्थ 335, रवींद्र नगर
कोलकाता।
2-3-2015
प्रिय स्मिता
स्नेह!
आशा है, तुम सानंद होगी। तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई बहुत ठीक चल रही होगी। तुम स्वभाव से ही मेहनती और लगनशील हो। यह बहुत अच्छी बात है।

प्रिय स्मिता! अब तुम दसवीं कक्षा में पहुँच गई हो। नौवीं तक प्रश्नों की संख्या सीमित होती थी। इसलिए प्रश्नोत्तरों का रटना भी चल जाता था। परंतु आगे से ऐसा नहीं होगा। अब प्रश्न पुस्तकों से ही नहीं, बाहर से भी पूछे जाएँगे। अतः जो छात्रा समझ कर पढ़ेगी और अपनी रचना-शक्ति से स्वयं उत्तर दे सकेगी, वही सफलता पा सकेगी। मैं तुम्हें यही कहना चाहता हूँ। कि तुम रटने पर आश्रित न रहना। हर चीज़ समझ कर पढ़ना। वैसे, तुम्हें बचपन से ही यही आदत है, यह अच्छी बात है।

प्रिय स्मिता! मैंने देखा है कि खेलकूद में तुम्हारी बिल्कुल भी रुचि नहीं है। यह बात ठीक नहीं है। खेलकूद का पढ़ाई से सीधा नहीं, अप्रत्यक्ष संबंध है। तुम लगातार पढ़कर ऊबो तो बीच में घूम-फिर आया करो। हो सके तो टी.टी., बैडमिंटन जैसा कोई खेल खेलना शुरू करो। इससे दिमाग तरोताज़ा होगा। उसकी ऊब कम होगी। ग्रहण-शक्ति बढ़ेगी। शरीर स्वस्थ होगा तो मन भी स्वस्थ होगा और बुद्धि भी उपजाऊ बनेगी।
तुम्हारा भाई
पार्थ

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7 छाया मत छूना

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर
प्रायः मनुष्य वर्तमान की यथार्थ परिस्थितियों में रहकर अतीत को सुखद-स्मृतियों में डूबा कल्पना लोक में विचरण करता है। अतीत की स्मृतियों में डूबे रहने से वर्तमान परिस्थितियाँ अधिक भयावह होती जाती हैं। अतः वर्तमान की स्थिति से संघर्ष करते हुए उसे अपने अनुकूल बनाने, उससे सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। यथार्थ से पलायन न कर उसके पूजन की बात कवि ने कही है।

प्रश्न 2.
भाव स्पष्ट कीजिए
प्रभुता की शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर
कवि ने इस यथार्थ को स्पष्ट किया है कि मनुष्य प्रभुता की आकांक्षा लिए उसके पीछे भागता रहता है। यश, वैभव, मान-सम्मान की आकांक्षा निरंतर मनुष्य को संतप्त किए रहती है। मनुष्य यह जानते हुए भी कि इनकी आकांक्षा तृप्त नहीं होने वाली है, वह कभी पूर्णता को प्राप्त नहीं होगी, फिर भी मृगतृष्णा को मन में लिए उसके पीछे भागता रहता है, भटकता रहता है।

मनुष्य को इस यथार्थ को स्वीकर कर लेना चाहिए कि जिस प्रकार चाँदनी रात के बाद काली-रात का अस्तित्व होता है, उसी प्रकार सुख का समय बीत जाने पर दुखों का सामना करना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने इसे छूने के लिए मना क्यों किया है?
उत्तर
कवि ने ‘छाया’ शब्द का प्रयोग जीवन के उन सुखद क्षणों के लिए किया है, जो अतीत बन चुके हैं। जीवन में सुखद क्षणों की स्मृतियाँ मनुष्य को दिग्भ्रमित करती हैं।

कवि ने प्रेरित किया है कि जितना अतीत के सुखद क्षणों को याद करेंगे, उतनी ही वर्तमान की विषमताएँ अधिक प्रभावी होती जाएँगी, जीवन बोझिल होता जाएगा। इसलिए कवि ने ऐसी छाया को छूने के लिए मना किया है।

प्रश्न 4.
कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ । कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि
इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर
विशेषणों के प्रयोग से शब्द के यथार्थ अर्थ में विशिष्टता आ जाती है, गंभीरता आ जाती है। ऐसे शब्द कविता में कई स्थानों पर प्रयुक्त हुए हैं; जैसे-

  1. दुख-दूना = यहाँ ‘दूना’ विशेषण शब्द दुख की प्रबलता बताने के संदर्भ में प्रयोग हुआ है।
  2. सुरंग-सुधियाँ = यहाँ ‘सुरंग’ विशेषण शब्द मधुर-स्मृतियों को और अधिक मधुर | बनाने के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है।
  3. जीवित क्षण = ‘जीवित’ विशेषण शब्द जीवन के प्रत्येक क्षण में जीवंतता प्रदान करता है।
  4. रात-कृष्णा = ‘कृष्णा’ विशेषण शब्द रात के अंधकार में गहनता प्रदान करता है।
  5. दुविधा-हत साहस = ‘दुविधा-हत’ विशेषण मलिन हुए साहस को अधिक हतप्रभ कर देता है।

प्रश्न 5.
‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
उत्तर
रेगिस्तान में तप्त-गर्मी में दूर रेत पर जल के होने का आभास होता है और गर्मी में प्यास से व्याकुल मृग जल के आभास मात्र को यथार्थ समझ, उसके पीछे भागता है। जैसे-जैसे भागता हुआ मृग उसकी ओर जाता है वह आभास भी दूर होता जाता है। इस सत्य को बिना समझे मृग भटकता ही रहता है। यही मृगतृष्णा है।

कविता में मृगतृष्णा शब्द मृग के लिए न होकर मानव के लिए प्रयुक्त हुआ है। मानव भी अयथार्थ को यथार्थ मानकर मृग की तरह यश, वैभव, सम्मान जैसी मृगतृष्णा के लिए जीवन-भर भटकता रहता है। इस भटकाव में मनुष्य को किंचित समय के लिए विश्रांति नहीं मिलती है।

प्रश्न 6.
‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
उत्तर
इस संदर्भ में कवि की यह पंक्ति साम्य-भाव प्रकट करती है-
“जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण”
अतः जो बीत चुका है उसकी याद किए बिना आगे आने वाले समय को सँवारने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 7.
कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कविता में दुख के अनेक कारणों की चर्चा की गई है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

  1. बीते हुए सुखमय दिनों को याद करने से वर्तमान का दुख बढ़ जाता है।
  2. धन-दौलत, मान-सम्मान, यश तथा प्रतिष्ठा के पीछे मनुष्य जितना भागता है, उतना ही दुखी होता है।
  3. प्रभुत्व प्राप्ति की आकांक्षा मृगतृष्णा के समान है जिसे व्यक्ति हासिल करना चाहता है।
  4. मनुष्य को समय पर उपलब्धियाँ न मिलने से दुख मिलता है।
  5. मनुष्य वर्तमान का यथार्थ नहीं स्वीकार कर पाता है और दुखी होता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ सँजोए रखी हैं? ।
उत्तर
जीवन में घटित कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो बरबस स्मृति-पुटल में कौंधती रहती हैं। दिवस तो बीत जाते हैं, किंतु घटनाएँ अपने अस्तित्व को बनाए रखती हैं। फूल के मुझ जाने पर उसकी सुगंधि पर्यावरण में महकती रहती है। ऐसी घटनाएँ भी होती हैं जो पीछा नहीं छोड़ती हैं और कुछ ऐसी सुखद घटनाएँ होती हैं जिनका चित्रण बार-बार करते हैं और उनके चित्रण में आनंदानुभूति होती है।

प्राथमिक विद्यालय स्तर पर खेले जाने वाले खेल, स्वच्छंद घूमना, घर लौटने पर पिता जी की अप्रत्याशित फटकार । वर्षा ऋतु में छोटी-सी नदी में नहाते समय डूबने से बचना आदि यादें सिहरन पैदा कर देती हैं।

प्रश्न 9.
‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’-कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर
यद्यपि समयानुसार प्राप्त उपलब्धि का महत्त्व विशेष ही होता है, किंतु उपलब्धि समय पर न मिलकर देर से मिलती है तो सांत्वना अवश्य प्रदान करती है। उपलब्धियों का मानव मन पर समयानुसार अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। कभी ऐसा भी होता है कि देर से मिली उपलब्धि उपहास का कारण बन जाती है क्योंकि उसका किंचित भी औचित्य नहीं होता है। वह साँप निकल जाने पर लकीर पीटने जैसे होती है। “का वर्षा जब कृषि सुखाने” जैसा रोना होता है। विवाह-उत्सव के पूर्ण हो जाने पर बाजेवालों का आना उपहास का कारण बनता है। वहीं निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने पर जीवन के अंत में न्यायालय द्वारा दोष-मुक्त किया जाना उसे सांत्वना प्रदान करता है। स्वतंत्रता-सेनानियों ने जीवन के अंत में स्वतंत्र-भारत में अंतिम-साँसें लीं, तब उन्हें प्रसन्नता की पूर्ण अनुभूति हुई ।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न (क)
आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफ़र करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने पर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर
(क) छात्र स्वयं अपने जीवन में घटित घटनाओं के आधार पर लिखें।

प्रश्न (ख)
कवि गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
(ख) छात्र गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ नामक कविता पुस्तकालय से लेकर पढ़ें तथा इसके संबंध में विशेष जानकारी हासिल करने के लिए अध्यापक से
संपर्क करें, फिर उनकी देख-रेख में इस पर चर्चा करें।

यह भी जानें

प्रसिद्ध गीत “We shall Overcome” का हिंदी अनुवाद ‘हम होंगे कामयाब शीर्षक से कवि गिरिजाकुमार माथुर ने किया है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8 कन्यादान

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
आपके विचार में माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर चड़की जैसी मत दिखाई देना?
उत्तर
माँ को अपने जीवन को अनुभव था। अपने अनुभव के अनुसार माँ अपनी बेटी को विवाहित जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रति सचेत कर रही थी। ‘‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना” यह माँ ने इसलिए कहा जिससे उसकी बेटी विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सके और अत्याचार का शिकार न होने पाए।

प्रश्न 2.
आगे रोटियाँ सेंकने के लिए है।
जलने के लिए नहीं
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों ज़रूरी समझा?
उत्तर
(क) इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने स्त्रियों को कमजोर बनाकर मात्र सजावट की वस्तु बनाने के सामाजिक नियमों का विरोध किया है। उसका मानना है कि रूप-सौंदर्य, वस्त्र, आभूषण आदि स्त्री-जीवन को बंधन में डालने के कारण बनते हैं। अतः स्त्री-जाति को इससे सतर्क रहना चाहिए और अपने आपको विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला करने के लिए तैयार रखना चाहिए।

(ख) माँ को समाज का अनुभव है, इसलिए माँ अनेक आशंकाओं से चिंतित है कि जो उसने देखा है, झेला है, ऐसी परिस्थितियाँ बेटी के लिए भी आएँगी। माँ यह भी जानती है कि मेरी बेटी अभी सरल हृदया है। सामाजिक कठिनाइयों का उसे किंचित अनुभव नहीं है। अभी तक तो माँ के सान्निध्य में रह-रही स्नेह की छाया से वंचित नहीं हुई थी। इसलिए वह सभी परिस्थितियों के प्रति उसे सचेत करना चाहती थी।

प्रश्न 3.
“पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की ।
कुछ तुकों कुछ लयबद्ध पंक्तियों की ।”
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों से लड़की की वह छवि हमारे सामने उपस्थित होती है जिसमें अल्पवयस्क लड़की परिवार, माँ के सान्निध्य में पोषित बचपन जैसी कल्पनाओं को संजोए हुए थी। उसने अभी सुखों को भोगा था पर अभी दुखों से पूर्णतः अनजान थी। वह अभी व्यावहारिक ज्ञान से अपरिचित थी।

प्रश्न 4.
माँ को अपनी बेटी ‘अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही थी?
उत्तर
माँ के लिए बेटी उस संचित पूँजी की तरह होती है, जिसे कोई मनुष्य आपत्तिकाल में काम आने के लिए बचा कर रखता है। माँ के लिए बेटी सुख-दुख की साथी होती है, वह उससे अपने मन की बात प्रकट करती है। माँ अपनी अंतिम पूँजी का कन्यादान तो करती है किंतु उसके जीवन में रिक्तता आ जाती है। यही कारण है माँ अपनी बेटी को अंतिम पूँजी समझती है।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर
माँ अपना दायित्व समझकर बेटी को निम्नलिखित सीख देती है

  1. पानी में झाँककर अपने सौंदर्य से अभिभूत मत होना।
  2. वस्त्रों और आभूषणों को बंधन मत बनने देना।
  3. आभूषण बंधनों में बाँधने के लिए नहीं होते हैं, अपितु सौंदर्य में वृधि करने के लिए होते हैं।
  4. मर्यादाओं का पालन करने वाली लड़की बनकर तो रहना किंतु बेचारी, भोली-भाली दिखने वाली, असहाय बनकर मत रहना।।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
उत्तर
‘कन्यादान’ शब्द में अर्थ दोष है। ‘कन्या का दान’ इस अर्थ में कि कन्यादान-ऐसी अनिवार्य परंपरा, जिसे करना ही है के अंतर्गत कन्या को ऐसी वस्तु समझना कि यह त्याज्य है। यह भाव निंदनीय है। इस भाव में कन्या एक वस्तु है और ऐसी वस्तु जो अतिरिक्त है, उसे ‘दान’ के नाम पर किसी को दे देना पुण्य है। यह भाव सर्वथा
दोषपूर्ण है।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर
स्त्री-सौंदर्य की प्रतिमूर्ति है-यह प्रतिमान स्त्री को उसी तरह दिग्भ्रमित करता है जिस प्रकार एक निरीह अध्यापक को राष्ट्र-निर्माता का बिल्ला लगाकर उसे मात्र शब्दों में सम्मानित तो किया जाता है, किंतु सर्वत्र लोगों द्वारा उसकी छीछालेदर होती है। इस विषय पर छात्र स्वयं चर्चा करें।

प्रश्न 2.
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है?
उत्तर
मैं लौटूगी नहीं
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटॅगी नहीं।
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं।
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटॅगी नहीं।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
कलकतावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर
कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 को दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि आज के ही दिन को सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता की वर्षगाँठ के रूप में मनाया जा रहा था। इस दिन कलकत्तावासियों को स्वयं को देशभक्त सिद्ध करने का मौका मिल रहा था। – डायरी को एक पन्ना

प्रश्न 2.
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था? ।
उत्तर
सुभाष बाबू के जुलूस को सफल बनाने की जिम्मेदारी पूर्णोदास पर थी।

प्रश्न 3.
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर
अविनाश बाबू प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री थे। उन्होंने श्रद्धानंद पार्क में झंडा गाड़ा तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया। उनके साथ आए लोगों को मारा-पीटा और वहाँ से हटा दिया।

प्रश्न 4.
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर
लोग अपने-अपने मकानों तथा सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर यह संकेत देना चाहते थे कि वे स्वतंत्रता पाने के लिए लालायित हैं तथा इसके लिए अपना सहयोग देने को तैयार हैं।

प्रश्न 5.
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर
पुलिस कमिश्नर यह नहीं चाहते थे कि सभा में भाग लेनेवाले कार्यकर्ता और जनता एकजुट होकर झंडा फहराए और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़े। इसलिए पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को और मैदानों को घेर लिया था।

लिखिए

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
26 जनवरी 1981 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई?
उत्तर
26 जनवरी 1931 का दिन कलकतावासियों के लिए महत्त्वपूर्ण था। इसे अमर बनाने के लिए कलकतावासियों ने एकजुट होकर काफी तैयारियाँ कीं। शहरों के प्रत्येक भाग में राष्ट्रीय झंडे लगाए। बड़े बाजार के प्रायः सभी मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहे थे। कई मकान तो ऐसे सजाए गए थे मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। प्रत्येक मार्ग पर उत्साह और नवीनता दिखाई देती थी।

प्रश्न 2.
आज जो बात थी वह निराली थी-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपनेआप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
आज अर्थात् 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पुलिस क़ी लाठियाँ खाईं और गिरफ्तारियाँ दी। इसे सफल बनाने में महिलाओं ने भाग लेते हुए ऐसा कुछ किया जैसा कोलकाता में पहले कभी नहीं हुआ था।

प्रश्न 3.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर
पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाले गए नोटिस में लिखा था कि अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। सभी कार्यकताओं को नोटिस दे दिया गया यदि आप सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। इधर कौंसिल की तरफ से यह नोटिस निकाला गया था कि मोनूमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की
प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्व साधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। कौंसिल की तरफ से यह खुली चुनौती थी।

प्रश्न 4.
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर
धर्मतल्ले के मोड़ पर जुलूस इसलिए टूट गया क्योंकि पुलिस की लाठियों से बहुत से लोग घायल हो गए थे, फिर भी पुलिस लाठियाँ भाँज रही थी, इसलिए जुलूस तितर-बितर हो गया।

प्रश्न 5.
डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेखकर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
डॉ. दासगुप्ता द्वारा घायल लोगों के फोटो खिंचवाने की यह वजह हो सकती है कि अपनी स्वतंत्रता की माँग करनेवाले भारतीय लोगों पर अंग्रेजी सरकार द्वारा ढाए जाने वाले जुल्मों का प्रत्यक्ष प्रमाण पत्र लोगों को दिखाया जा सके। यह भी हो सकता है कि पुलिस की इस बर्बरता को देखकर देश के अन्य लोग भी प्रेरित होकर देश की स्वतंत्रता के लिए आगे आएँ और संगठित होकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। गुजराती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकाला गया। मारवाड़ी बालिका विद्यालय में झंडोत्सव मनाया गया जिसमें जानकी देवी और मदालसा बज़ाज जैसी स्त्रियों ने भी भाग लिया। पुलिस द्वारा किए गए प्रबंध और लाठीचार्ज की परवाह किए बिना ही जगह-जगह से स्त्रियाँ मोनुमेंट के पास पहुँचीं। सरकारी कानून का उल्लंघन कर लगभग 105 स्त्रियों ने अपनी गिरफ्तारी दी। आंदोलनकारियों के साथ मिलकर स्त्रियाँ भी। पुलिस की बर्बरता की शिकार हुईं।

प्रश्न 2.
जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर
जुलूस के लालबाज़ार आने पर स्त्रियों के साथ बड़ी भीड़ एकत्र हो गई। इससे पुलिस जो अब तक ठंडी पड़ी थी, उसने डंडे बरसाने शुरू कर दिए। भीड़ अधिक होने के कारण इस बार बहुत से लोग घायल हो गए। पुलिस ने और भी कई लोगों को गिरफ्तार किया। यही वृजलाल गोयनका झंडा लेकर मोनुमेंट की ओर इतनी जोर से दौड़ा कि स्वयं गिर पड़ा। पुलिस ने उसे पकड़ा और कुछ दूर पर छोड़ दिया।

प्रश्न 3.
जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
कलकत्ता में 26 जनवरी 1931 को पुलिस कमिश्नर दूद्वारा नोटिस निकाला गया कि अमुक धारा के अनुसार वहाँ कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेनेवाले व्यक्ति को दोषी समझा जाएगा। लेकिन उनके द्वारा बनाए गए इस कानून को भंग करते हुए कौंसिल की तरफ से उन्हें खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। अंग्रेज़ी सरकार स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जो भी नियम बनाती थी उसे भंग करना अनुचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमारे विचार में देश की रक्षा करना, स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार हर देशवासियों को होना चाहिए।

प्रश्न 4.
बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाने की पुनरावृत्ति के क्रम में 26 जनवरी 1931 को भारत की स्वतंत्रता हेतु व्यापक संघर्ष किया गया। लोगों ने उत्साह एवं उल्लास से अपने घरों को सजाया और अपनी भागीदारी निभाई। इसके लिए उन्होंने पुलिस की लाठियाँ खाईं, घायल हुए और जेलों में बंद किए गए। ऐसे लोगों की संख्या एक-दो न होकर दो सौ से अधिक थी और पकड़े गए लोगों की संख्या काफी ज्यादा। ऐसा कलकत्ता में पहली बार हुआ था इसलिए अपूर्व था।

(ग) निम्नलिखित को आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर
26 जनवरी 1931 से पहले यह कहा जाता था कि कलकत्ता में स्वतंत्रता संग्राम हेतु अधिक कार्य नहीं किया जाता। यह बात कलकत्ता और कलकत्तावासियों के लिए कलंक के समान थी। 26 जनवरी 1931 को भारत की स्वतंत्रता हेतु कलकत्तावासियों ने संगठित होकर संघर्ष किया। सुभाषचंद्र बोस, सीताराम सेकसरिया तथा अन्य कलकत्तावासियों ने देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस बहुत जोश से मनाया। अंग्रेज़ प्रशासकों ने इसे उनका अपराध मानते हुए उन पर अनेक हिंसात्मक जुल्म किए। क्रांतिकारियों ने अपनी कुर्बानियाँ दीं। सैकड़ों लोग घायल हुए तथा अनेक गिरफ्तारियाँ दी गईं। इस दिन पुलिस की लाठियाँ से घायल होकर भी लोगों ने पूरे सम्मान से राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी। इस प्रकार कलकत्तावासियों के मस्तक पर लगा कलंक बहुत अंश में धुल गया।

प्रश्न 2.
खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कहीं नहीं की गई थी।
उत्तर
स्वतंत्रता पाने की दिशा में भारतीयों द्वारा जो भी कदम उठाए जा रहे थे चाहे आंदोलन या विरोध प्रदर्शन, सब सरकार की नज़र बचाकर लुके-छिपे किया जाता था परंतु इस बार एक ओर सरकार ने सभा को गैर कानूनी घोषित करते हुए सभा न करने की घोषणा की थी तो दूसरी ओर कौंसिल ने मोनुमेंट पर झंडा फहराने और प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए लोगों का आह्वान किया था ताकि अधिकाधिक संख्या में लोग उपस्थित हों। इस प्रकार यह खुला चैलेंज था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
सरल वाक्य-सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक क्रिया और क्रियाविशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होनेवाला. उपवाक्य ही सरल वाक्य है। उदाहरण-लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
संयुक्त वाक्य-जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द-और, परंतु, इसलिए आदि
उदाहरण-मोनुमेंट से नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
मिश्र वाक्य-वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक से अधिक आश्रित अपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है।
उदाहरण-जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।
निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए
उत्तर
I.

प्रश्न (क)
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया।
उत्तर
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार जाकर गिरफ्तार हो गया।

प्रश्न (ख)
मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
उत्तर
मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने पर लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।

प्रश्न (ग)
सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।
उत्तर
सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।

II. ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए
सरलः

  1. इतिहास में रावण का हाल तो पढ़ा ही होगा।
  2. हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती।

संयुक्तः

  1.  मेरी तकदीर बलवान है इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़-बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ।
  2. मुद्रा कांतिहीन हो गई थी, मगर बेचारे फेल हो गए।

मिश्रः

  1. मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँगा।
  2. सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई, जो शायद बाज़ार से लौट रहे थे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है?
उत्तर
(क)

  1. कई मकान सजाए गए थे।
  2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे।

(ख)

  1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था।
  2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
  3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी।

(ग)

  1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदासे परे था, वह प्रबंध कर चुका था।
  2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
विद्या + अर्थी – विद्यार्थी

‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी की प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।

संधि शब्द का अर्थ है-जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आनेवाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं।
जैसे-विद्यालय = विद्या + आलय
नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 1
उत्तर
1. श्रद्धानंद
2. प्रत्येक
3. पुरुषोत्तम
4. झंडोत्सव
5. पुनरावृत्ति
6. ज्योतिर्मय

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 are helpful to complete your homework.

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 संगतकार

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 संगतकार.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर
कवि संगतकार के माध्यम से उन व्यक्तियों की ओर संकेत कर रहा है जिनकी दीवार की नींव की तरह अपनी तो कोई पहचान नहीं होती किंतु वे दूसरे के अस्तित्व के लिए अपना अस्तित्व दाँव पर लगा देते हैं। उनके नीचे दबे पड़े रहते हैं। ऐसे अनाम व्यक्ति दूसरे लोगों की सफलता में पूरा सहयोग देते हैं।

प्रश्न 2.
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर
संगतकार जैसे व्यक्ति प्रायः सर्वत्र मिल जाते हैं। ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र हो, जहाँ संगतकार जैसे व्यक्ति न मिलें । उदाहरणार्थ-

  1. युद्ध-क्षेत्र में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों की वीरता का श्रेय सेना के उन अधिकारियों को मिलता है, जो केवल नीति-निर्धारित करते हैं।
  2. राजनैतिक क्षेत्र में संगतकारों की पंक्ति सबसे लंबी होती है, सामान्य जनता और कार्यकर्ताओं के द्वारा किए गए प्रयास का श्रेय उच्च नेताओं को मिलता है।
  3. शैक्षिक क्षेत्र भी संगतकारों से अछूता नहीं है। अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए अनेक अध्यापक प्राचार्य के लिए संगतकार की भूमिका निभाते हैं।
  4. श्रेष्ठ, पूजनीय कहे जाने वाले उच्च, सुप्रसिद्ध साधु-संतों की प्रसिधि में उनके शिष्यों की भूमिका रहती है।

प्रश्न 3.
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्यगायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर
संगतकार मुख्य गायिकाओं की मदद इस प्रकार करते हैं

  1. मुख्य गायक/गायिका के स्वर में अपना स्वर मिलाकर स्वर को प्रभावपूर्ण | बनाते हैं।
  2. मुख्य गायक/गायिका के भटक जाने पर स्थायी पंक्ति को बार-बार गाकर उसे सँभलने का अवसर देते हैं।
  3. उनके स्वर में स्वर मिलाकर मुख्य गायक/गायिका को यह अनुभूति कराने में सफल होते हैं कि वह अकेला नहीं है।
  4. मुख्य गायक/गायिका के तारसप्तक में चले जाने पर अपने स्वर से उसे सँभाल लेते हैं।
  5. संगतकार मुख्य गायक/गायिका के प्रभाव को बनाए रखने के लिए पूर्णतः तत्पर
    रहते हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है।
या अपने स्वर को ऊँचा ने उठाने की जो कोशिश है।
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर
कवि के अनुसार संगतकार की आवाज में संकोच स्पष्ट सुनाई देता है, यह उसकी अयोग्यता न होकर अपने मुख्य गायक के प्रति उसका श्रद्धा भाव होता है। इसी श्रद्धेय भाव के कारण वह सतर्क रहता है कि उसकी आवाज मुख्य गायक से ऊपर न चली जाए। जिससे मुख्य गायक की पहचान उसका अस्तित्व कम न हो जाए। कवि ने संगतकार के ऐसे संकोच को उसकी विफलता न बताकर उसे मानवीय गुणों से संपन्न बताया है।

प्रश्न 5.
किसी भी क्षेत्र में प्रसिदृधि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर
ख्यातिप्राप्त लोगों का जीवन देखने से ज्ञात होता है कि वे दूसरों का सहयोग पाकर ही सफलता के शिखर को छूने में समर्थ हुए हैं। सामान्य-परिवार से संबंध रखने वाला बालक चंद्रगुप्त, चाणक्य का सहयोग पाकर शक्तिशाली सम्राट बना। राम-भक्त शिरोमणि तुलसीदास, एके विपन्न बालक थे, जो नरहरिदास जैसे संत का सहयोग और प्रेरणा पाकर धन्य हो गए।

यह जानना कि संसार में दूसरों का सहयोग पाकर जीवन-पथ पर कितने लोग अग्रसर हुए, उससे अधिक महत्त्वपूर्ण यह जानना है कि सहयोग करने वाले के प्रति अंत तक कितने लोग कृतज्ञ बने रहे।

प्रश्न 6.
कभी-कभी तारसप्तके की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मुख्य गायक अपनी आवाज को ऊँची करते हुए तारसप्तक तक ले जाता है तो कभी-कभी उसकी आवाज बिखरने लगती है, उसका स्वर बैठने लगता है। स्थिति बिगड़ती हुई नज़र आती है। संगतकार मुख्य गायक की इस स्थिति को समझता है। निराश हुए मुख्य गायक को सहारा देने के लिए संगीत की स्थायी पंक्ति को गाकर उसे निराश होने से और स्वर को बिखरने से बचा लेने की भूमिका का निर्वाह करता है।

प्रश्न 7.
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान लड़खड़ाते व्यक्ति को उसके सहयोगी विषम परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विश्वास देकर उसका आत्मबल बनाए रखने का भरसक प्रयास करते हैं। स्वयं आगे आकर सुरक्षा कवच बनकर उसके पौरुष की प्रशंसा करते हैं। उसके लड़खड़ाने का कारण ढूँढ़ते हैं और उन कारणों का समाधान करने के लिए सहयोगी अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। आत्मीयता से पूर्णरूपेण सहयोग करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाए-
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति म आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर
(क) एक धार्मिक उत्सव में मुझे प्रवचन करना था। प्रवचन का निश्चित समय निकट आ रहा था, मंच पर कार्यकर्ता उत्साह से व्यवस्था में जुटे थे किंतु मेरी घबड़ाहट बढ़ रही थी। मेरा साथ देने वाले आचार्य अभी तक आए नहीं थे। विलंब का कारण पता नहीं चल रहा था। एक-एक पल भारी लग रहा था। समय बीता और मंच से कार्यक्रम आरंभ करने की सूचना दे दी गई। मैं मंच पर पहुँचा। वाचक की भूमिका प्रस्तुत कर रहा था। मन-ही-मन आचार्य के आने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था। दृष्टि पथ की ओर बार-बार आ-जा रही थी। इसी बीच आचार्य आते दिखाई दिए। ऐसा लगा कि टिमटिमाता दीपक पुनः स्नेह (तेल) पाकर पुलक कर जल उठा हो।

(ख) परिस्थिति का आकलन करूंगा। कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए आग्रह करूंगा, लोगों से हुए कष्ट के प्रति संवेदना व्यक्त कर क्षमा याचना करूंगा। अवसर मिलते ही वहाँ से खिसकना उचित समझेंगा क्योंकि अधिक देर ऐसी स्थिति में वहाँ रुकना स्वास्थ्य और मर्यादा के लिए उचित न होगा।

प्रश्न 9.
आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने | वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर
विद्यालय में मनाए गए सांस्कृतिक समारोह की सफलता से यह ज्ञान हो गया कि समारोह की सफलता केवल समारोह में भाग लेने वाले व्यक्तियों की कुशलता पर निर्भर नहीं करती है। समारोह की सफलता का यथार्थ श्रेय तो समारोह की व्यवस्था करने वालों पर होता है। ये सहयोगी समारोह के प्रारंभ होने से लेकर समारोह संपन्न होने तक सहयोग करते हैं। इनके बिना, अच्छे-से-अच्छे कलाकारों के होने पर भी व्यवस्था चरामरा जाती है। कार्यक्रम संपन्न हुए बिना बीच में ही खत्म हो जाता है। अतः किसी समारोह की सफलता में जितना महत्त्व कुशल कलाकारों का होता है, उतना ही महत्त्व कुशल सहयोगियों का होता है। कुशल, अभ्यस्त सहयोगियों के अभाव में भी व्यवस्था,
कुव्यवस्था में बदल जाती है और समारोह उपहास में बदल जाता है।

प्रश्न 10.
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते?
उत्तर
संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर नहीं पहुँच पाते हैं, क्योंकि सदैव सहायक के रूप में काम करते रहने से उनकी वैसी ही संकुचित आदत बन जाती है। जिसकी वजह से उनको अकेले या स्वतंत्र रूप से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में संकोच होता है। इस तरह उनके स्वभाव में साहस की अभाव हो जाता है।

मुख्य गायक भी समय के अनुसार इतना योग्य और सतर्क होता है कि संगतकार को मुख्य गायक की भूमिका में आने का अवसर ही नहीं देता है जिससे वे संकुचित स्वभाव के बने रहते हैं।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
आप फिल्में तो देखते ही होंगे। अपनी पसंद की किसी एक फिल्म के आधार पर लिखिए कि उस फ़िल्म की सफलता में अभिनय करने वाले कलाकारों के अतिरिक्त और
किन-किन लोगों का योगदान रहा।
उत्तर
छात्र स्वयं ही किसी देखी हुई फ़िल्म के आधार पर योगदान करने वाले लोगों के बारे में लिखें |

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध गायिका की गीत प्रस्तुति का आयोजन है
(क) इस संबंध पर सूचनापट्ट के लिए एक नोटिस तैयार कीजिए।
(ख) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार कीजिए।
उत्तर
(क)
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 1

(ख) अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में गीत प्रस्तुत करने आने वाली प्रसिद्ध गायिका श्रीमती पौडवाल के नाम से आप सब परिचित हैं। अपने सुमधुर गीतों से उन्होंने पूरे देश में अपना पहचान बनायी है। देश भर के लाखों लोगों की हृदय-साम्राज्ञी अपने विद्यालय की संगीत-शिक्षिका के प्रयास से हमारे विद्यालय और नगर का गौरव बढ़ाने आ रही हैं। ऐसी गौरवमयी भक्ति-संगीत गायिका का साथ देने वाले वाद्य कलाकार के रूप में अपने ही नगर के सुप्रसिद्ध तबला वादक शुभ मुखर्जी हैं। वीणा के तारों पर अँगुली नचाने के लिए ‘वीणा-वादिनि’ के नाम से जानी-जाने वाली कुमारी प्रतिभा आ रही हैं जो वीणा के तारों की झंकार और भंगिमा के लिए संपूर्ण नगर में ख्यातिप्राप्त हैं।

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