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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर
तताँरा–वामीरो एक लोककथा है। यह देश के उन द्वीपों की कथा है जो आज लिटिल अंदमान और कार निकोबार नाम से जाने जाते हैं। कहते हैं कि कभी ये दोनों द्वीप एक थे।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई? ।
उत्तर
वामीरो एकाग्रता से गा रही थी कि अचानक समुद्र की एक लहर ने उसे भीगो दिया। इसी हड़बड़ाहट में वह उठी और गाना भूल गई।

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर
तताँरा ने वामीरो से याचना की कि वह अपना मधुर गाना पूरा करे। बाद में उसने उसका नाम जानने और अगले दिन भी | वहाँ आने की याचना की।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर
तताँरा और वामीरो के गाँव की रीति यह थी कि गाँव के लड़के-लड़कियाँ गाँववालों के साथ ही वैवाहिक संबंध बनाएँगे, गाँव से बाहर नहीं।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर
तताँरा ने अपनी पूरी ताकत से तलवार को धरती में घोंप दिया। वह पूरी ताकत से उस तलवार को अपनी ओर खींचन लगा। द्वीप के अंतिम छोर तक तलवार को खींचने से द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए|

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर
तताँरा द्वारा अधिक साहसिक कार्य को करने के पीछे लोग इसी तलवार की शक्ति मानते थे। लोगों के अनुसार तताँरा की तलवार एक विलक्षण शक्ति अपने अंदर समेटे हुए है।

प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से यह जवाब दिया, ”पहले बताओ, तुम कौन हो? इस तरह मुझे घूरने और असंगत प्रश्न का कारण? अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्नों का उत्तर देने को मैं बाध्य नहीं हूँ। यह तुम भी जानते हो।”

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु व्यर्थ न गई। निकोबारी इस घटना के बाद दूसरे गाँव में भी आपसी वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। उनकी मृत्यु शायद इसी सुखद परिणाम के लिए हुई थी।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर
निकोबार के लोग तताँरा को उसके परोपकारी स्वभाव के कारण पसंद करते थे। वह दूसरों की मदद के लिए भागा-भागा जाता था। ऐसा वह अपने गाँव वालों के साथ ही नहीं, अपितु अन्य गाँववालों के साथ भी करता था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का विश्वास है कि कभी लिटिल अंदमान और कार-निकोबार द्वीप आपस में मिले हुए थे। इनके विभक्त होने के पीछे एक लोककथा है। तताँरा वामीरो के असफल प्रेम की त्रासदी ने इस द्वीप को दो टुकड़ों में विभक्त कर दिया।

प्रश्न 2.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद एक शाम समुद्र के किनारे गया। उस समय सूरज डूबने को था। समुद्र से ठंडी हवा आ रही थी। पक्षियों की सायंकालीन चहचहाटें धीरे-धीरे कमजोर हो रही थी। डूबते सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र की सतह का रंगीन बना रही थी। वातावरण पूरी तरह से शांत और रंगीन होकर मनोहारी हो गया था।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
उसके मन में हर समय वामीरो की तसवीर घूमती रहती और जुबान पर केवल वामीरो का नाम रहता । वामीरो के बिना उसके लिए रात और दिन काटना कठिन हो गया। उसे एक-एक पल पहाड़ से भी अधिक भारी प्रतीत होने लगा। वह शाम होने से पहले ही लपाती की उस समुद्री चट्टान पर जा बैठता, जहाँ वह वामीरो के आने की प्रतीक्षा किया करता था।

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए तरह-तरह के अनोखे उपाय अपनाए जाते थे। इसके लिए पशु-पक्षियों की मदद भी ली जाती थी। लोग मुरगा, तीतर पालते थे, उन्हें लड़ाकर मनोरंजन करते थे। इसके अलावा भेड़े (नर भेड़) लड़ाने के अलावा साड़ों या बैलों की दौंड़, उनके साथ युद्ध करने जैसे करतब दिखाकर भी मनोरंजन एवं शक्ति प्रदर्शन किया जाता था।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
रूढ़ियाँ एक प्रकार का बँधन ही होती हैं। ‘रूढ़ि’ का अर्थ है-ऐसा बंधन, जिससे लोकहित होने के बजाय अहित होता है। जो परंपरा लोगों के विकास, आनंद और इच्छा-पूर्ति में बाधा बने वह रूढ़ि है। ऐसी रूढ़ियों का टूट जाना अच्छा है। इनमें परिवर्तन आना ही उचित रहता है। इसका मुख्य कारण यह है कि समय निरंतर परिवर्तनशील रहता है और ऐसे समय में यह रूढ़ियाँ हमें सदा पीछे रखती हैं। हमें बंधनों में जकड़कर हमारी प्रगति की राह में रोड़े अटकाती हैं। इससे व्यक्ति की स्वतंत्र सत्ता समाप्त हो जाती है। लेखक के अनुसार व्यक्ति की स्वतंत्रता व समाज के लिए इन परंपरागत रूढ़ियों व मान्यताओं का टूट जाना ही श्रेयस्कर है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर
तताँरा से अपना अकारण अपमान सहा न गया। जब वामीरो की माँ तथा उसके गाँव वासियों ने उस पर लाँछन लगाया तो उसे अपमान से बचने का कोई उपाय न सूझा। उसने अपने क्रोध को शांत करने के लिए अपनी लकड़ी की तलवार में शक्ति भरी, फिर उस दिव्य तलवार को पूरी शक्ति से धरती में घोंप दिया। मानो वह उस धरती को धिक्कार रहा हो जिस पर
उसे अपमान सहना पड़ा। उसने उस तलवार को पूरी शक्ति से खींचना आरंभ किया इससे धरती दो टुकड़ों में विभक्त हो गई।

प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर
तताँरा वामीरो को पहली निगाह में देखते ही अपने होश-हवाश खो बैठा। वह उससे प्रेम करने लगा। वामीरो जब घर जाने लगी तो तताँरा ने उससे कल फिर आने का अनुरोध किया। अगले दिन तताँरा सूर्य ढलने से पहले ही चट्टान पर आ गया और बेचैनी से वामीरो के आने की प्रतीक्षा करने लगा। उसको मन आशंकित तो था पर आशा की एक किरण भी थी जों समुद्र तल पर डूबती किरणों की भाँति डूब सकती थी अर्थात् वामीरो के न आने से वह आशा टूट भी सकती थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए कोष्ठक में (/) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार-का है-
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक) ।
उत्तर
विधानवाचक

(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
प्रश्नवाचक

(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विधानवाचक

(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
प्रश्नवाचक

(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विस्मयादिबोधक

(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विधानवाचक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर
(क) सुध-बुध खोना-लता मंगेशकर के मधुर गीत सुनकर श्रोतागण अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं।
(ख) बाट जोहना-संध्या होते ही रेखा अपने पति की बाट जोहने लगती है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना-परीक्षा में प्रथम आने पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना-परीक्षा परिणाम देखकर मोहन की माता जी आग बबूला हो गईं।
(ङ) आवाज़ उठाना-सभी क्षेत्रवासियों ने बिजली की कमी को पूरा करने के लिए आवाज़ उठाई?

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 2

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 4

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।(मिश्र वाक्य)
उत्तर
जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं विचलित हुआ हूँ।

(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर
फिर तेज कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आई और ठिठक गई।

(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
उत्तर
वामीरो कुछ सचेत होने परे घर की तरफ़ दौड़ी।

(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर
उसने तताँरा को देखा और फूटकर रोने लगी।

(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर
रीति के अनुसार यह आवश्यक था कि दोनों एक ही गाँव के हों।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए
उत्तर
(क)
पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)।
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई…. कुछ और ….. कुछ और (क्रमशः धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)।
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (निकटता’ के अर्थ में)।

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 5

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 6

प्रश्न 9.
नीचे दिए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर
किंकर्तव्यविमूढ़-मोहन अपने सामने सड़क दुर्घटना होते देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
विह्वल-बच्चों को लगातार रोते देख माता भाव-विह्वल हो गई।
भयाकुल-जंगल में अचानक शेर को देखकर शिकारी भयाकुल हो गया।
याचक-याचक को दरवाजे से कभी खाली नहीं लौटाना चाहिए।
आकंठ-संगीत प्रेमी संगीत की महफिल में संगीत के सुरों में आकंठ डूब गया।

प्रश्न 10.
किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर
उपर्युक्त वाक्य में दिन के लिए निम्नलिखित विशेषण का प्रयोग किया गया है आँचरहित, ठंडा, ऊबाऊ।
दिन के लिए अतिरिक्त विशेषण-लंबा, नीरस, उदास, हताश, उमस भरा।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 7
(छात्र स्वयं करें)
इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 8
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 9
प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध)
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुँची। (क्रियाविशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)।

ऊपर दिए गए वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रियाविशेषण और क्रिया को काम कर रहे हैं।

ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे-‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे। वाक्य में पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं। कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्ये का एक अंश होता है। पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए-
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया।
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
उत्तर
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
(ङ) संज्ञा पदबंध।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग इसलिए कैप्टन कहते थे, क्योंकि

  1. उसके मन में देशभक्ति एवं देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
  2. वह नेताजी के प्रति अपार श्रद्धा रखता था।
  3. नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उसे आहत करती थी।
  4. वह अपने हृदय में देश के लिए त्याग एवं समर्पण की भावना किसी फौजी कैप्टन के समान ही रखता था। यद्यपि उसका व्यक्तित्व किसी सेनानी जैसा तो नहीं था पर उपर्युक्त गुणों के कारण लोग उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न 2.
हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब किस बात पर भावुक हो उठे?
उत्तर

  1. हालदार साहब पहले यह सोचकर मायूस हो रहे थे कि कस्बे के चौराहे पर बिना चश्मेवाली सुभाष की मूर्ति होगी। मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर चुकी है। अब सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई न होगा। अब मूर्ति की आँखों पर चश्मा न होगा।
  2. मूर्ति पर चश्मा है भले ही सरकंडे का है। इससे पता चलता है कि लोगों में देशभक्तों के प्रति श्रद्धा खत्म नहीं हुई है। हालदार की सोच में सरकंडे का चश्मा किसी बच्चे की सोच का परिणाम है। यह उम्मीद जगाता है कि नई पीढ़ी के बच्चों में भी देशभक्ति एवं देशभक्तों के प्रति आदर एवं श्रद्धा की भावना विद्यमान है।
  3. हालदार साहब निराश थे कि सुभाष की मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा। परंतु मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर उनकी निराशा आशा में परिवर्तित हो गई कि बच्चों में भी देशभक्तों के प्रति श्रद्धा विद्यमान है। वे बच्चों में देशभक्ति की भावना देखते हैं। इस बात से वे भावुक हो उठे।

प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए-
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम को जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर
हालदार साहब लोगों में देशभक्ति की घटती हुई भावना से आहत होकर कहते हैं-जिन लोगों ने देश के लिए अपना संपूर्ण जीवन बलिदान कर दिया है, ऐसे देशभक्तों का लोग उपहास करते हैं। ऐसे लोगों के लिए स्वार्थ ही महत्त्वपूर्ण है। जिसके लिए संपूर्ण मर्यादा त्यागने के लिए तत्पर रहते हैं। आज उन लोगों की कमी नहीं है जो उन देशभक्तों को भी भूल चुके हैं जो अपना घर-परिवार, रिश्तेदार, अपना यौवन यहाँ तक कि अपना जीवन भी कुर्बान कर चुके हैं।

प्रश्न 4.
पानवाले का रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
पानवाला; जिसकी कस्बे के चौराहे पर पान की दुकान है। उस दुकान पर प्रायः हालदार साहब पान खाते हैं। पानवाला स्वभाव से खुशमिज़ाज़ है। वह मोटा तथा काला है। उसके मुँह में पान हुँसा ही रहता है। उसकी भारी-भरकम तोंद है। पान ठुसे रहने से बत्तीसी लाल-काली है। वह वाक्पटु है तथा व्यंग्यात्मक भाषा बोलता है। कैप्टन के बारे में पूछने पर उपहास करता हुआ ही नजर आता है। कहता है कि वह लँगड़ा क्या फौज में जाएगा? वह तो पागल है।

वह सहृदय और भावुक भी है। कैप्टन की मौत हो जाने पर हालदार साहब द्वारा कैप्टन के बारे में पूछने पर पानवाला उदास हो जाता है। उसकी आँखें भर आती हैं।

प्रश्न 5.
“वह लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल !”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर
कैप्टन के प्रति पानवाले की टिप्पणी उसके संकीर्ण सोच को प्रकट करती है। कैप्टन जो सहानुभूति एवं सम्मान का पात्र था उसी का इस तरह उपहास करना उचित नहीं है। वह अपनी छोटी-सी दुकान से देशभक्त सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करता था।

कैप्टन शारीरिक रूप से अपंग और मरियल होते हुए भी देशभक्ति की भावना रखता था। अतः पानवाले की उक्त टिप्पणी निंदनीय है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं?
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-“साहब! कैप्टन
मर गया।”
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर

  1. हालदार साहब के मन में अवश्य ही देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना थी जो सुभाष की मूर्ति को देखकर प्रबल हो उठती थी। देश के लिए सुभाष के किए कार्यों को यादकर उनके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती थी। इस कारण हालदार साहब चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारते रहते थे।
  2. जो पानवाला कभी कैप्टन का उपहास करता था, यहाँ तक कि अधिक देर तक कैप्टन के बारे में बातें करना उसे अच्छा नहीं लगता था वही पानवाला कैप्टन की मौत पर भावुक हो उठा। उसकी आँखें नम हो गईं, गला भर आया। आँखें पोंछते हुए उदास मन से बताया कि कैप्टन मर गया। इस भावना से स्पष्ट है। कि पानवाला जितना खुशमिज़ाज़ था उतना ही सहृदय भी था।
  3. कैप्टन के हृदय में देश-प्रेम और देशभक्ति की प्रगाढ़ भावना भरी थी। उसमें देशभक्तों के प्रति आस्था थी; उनके प्रति सम्मान था। कैप्टन मूर्तिकार की भूल को चश्मा लगाकर सुधार रहा था। उसे भी बिना चश्मे की सुभाष की मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी। अतः कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

प्रश्न 7.
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर
हालदार साहब कैप्टन को देखने से पहले समझ रहे होंगे कि कैप्टन प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी होगा जिसमें सुभाष की आजाद-हिंद-फौज के सिपाही जैसी अनुशासित छवि होगी। शारीरिक रूप से बलिष्ट होगा और उसके प्रति लोगों में विशेष सम्मान होगा। समाज में अवश्य ही उसकी अलग पहचान होगी जो सबके द्वारा सराहनीय होगी। इस तरह हालदार साहब के मानस पटल पर ऐसे ही सैनिक व्यक्तित्व की छवि विराजमान रही होगी।

प्रश्न 8.
कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे |.. और क्यों? … .
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर
(क) प्रमुख स्थानों पर विशिष्ट, अनुकरणीय महापुरुष की मूर्ति लगाने की परंपरा रही है। यह परंपरा स्थान के महत्त्व और सुंदरता तक सीमित नहीं है, अपितु उसके निश्चित उद्देश्य रहे हैं

  1. मूर्ति हमें प्रेरणा देती है कि उस महापुरुष के बारे में जानें और उनसे अनुप्रेरित हों।
  2. उस महान पुरुषं से शिक्षा लें और उस संस्कृति को बनाए रखें।
  3. उस महापुरुष के द्वारा समाज, संस्कृति और देश के प्रति किए योगदानों की लोगों के मध्ये चर्चा करें। भावी पीढ़ी को जानकारी मिलती रहे और वे गौरवान्वित हों।

(ख) हम अपने इलाके में आचार्य चाणक्य की प्रतिमा लगवाना चाहेंगे जो सर्वथा संपूर्ण राष्ट्रीय-चेतना के आधार थे। उनकी योजनाएँ ऐसी थीं कि प्रकृति भी चाहकर असफल नहीं कर सकी । उनका ऐसा चिंतन था जिससे दूसरे दाँतों तले अँगुली दबाने के लिए विवश थे। साहस के ऐसे धनी थे कि शत्रु समुदाय भी विरोध करने लिए तैयार नहीं होता था। उनके संकल्प की तुलना कोई नहीं कर सकता था। वे अभावों में भी संकल्प को पूरा करने में समर्थ थे। ऐसे आचार्य सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं।

(ग) उस मूर्ति के प्रति हमारा दायित्व यह होगा कि जिसे महापुरुष की मूर्ति है, उस महापुरुष के बारे में यथा समय लोगों को परिचित कराएँ । मूर्ति की स्थापना स्थल परे समय-समय पर विविध प्रकार के आयोजन करते रहें। लोग उस महापुरुष को राष्ट्रीय गौरव के रूप में जानें और उनका सम्मान करें। किसी भी स्थिति में उसका अपमान न होने दें और मूर्ति के सौंदर्य को भी बनाए रखें।

प्रश्न 9.
सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देशप्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी-न-किसी रूप में देशप्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत् से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर
हम सब निम्नलिखित कार्यों द्वारा देशप्रेम प्रकट कर सकते हैं बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम में सहयोग देना, जल स्रोत के आसपास गंदगी ने फैलाना, पूजा-अर्चना, यज्ञ-हवन आदि के उपरांत जली-अधजली सामग्री एवं राख को नदियों में न फेंकना, शवों को नदियों में प्रवाहित न करना, सार्वजनिक वस्तुओं का मिल-जुलकर उपयोग करना तथा उन्हें स्वच्छ रखना, उन्हें तोड़-फोड़ से बचाना, देश की एकता अखंडता पर आँच न आने देना, समाज एवं देश की प्रगति में योगदान देना, शहीदों तथा स्वाधीनता सेनानियों के प्रति आदर भाव रखना, लोगों के बीच समरसता फैलाना आदि ।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन | पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े, चौखट चाहिए, तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर
मानो कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।

प्रश्न 11.
“भई खूब! क्या आइडिया है।” इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर
जब दूसरी भाषाओं के प्रचलित शब्द अपनी भाषा में यथास्थान सहज रूप से आ जाते हैं तो भाषा दुरूहता से बच जाती हैं। भाव को समझने में सहजता होती है। दूसरी भाषाओं के सहज प्रयोग से भाषा में लचीलापन आ जाता है। इस प्रकार दूसरे शब्द भी भाषा में ऐसे समा जाते हैं कि उसी भाषा के प्रतीत होने लगते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए
(क) नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा। ।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।
उत्तर
(क) तो, भी

  1. मंत्री महोदय तो आज भी आ रहे हैं।
  2. महात्मा तो चले गए।
  3. राम के साथ लक्ष्मण भी बन गए।

(ख) ही

  1. उन्हें भी आज ही आना है।
  2. भरत के पास सीता ही जाएँगी।

(ग) तो

  1. यह तो राम जैसे ही प्रतीत हो रहे हैं।
  2. आज तो गुरु-पूर्णिमा है।

(घ) भी

  1. लक्ष्मण भी यही कह रहे थे।
  2. मुनि अभी भी नहीं समझ रहे हैं।

(ङ) तक

  1. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।
  2. यहाँ से नदी के किनारे तक जंगल-ही-जंगल है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
(घ) ड्राइवर ने ज़ोर से ब्रेक मारे।
(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर
(क) उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाले दुवारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले द्वारा साफ बता दिया गया था।
(घ) ड्राइवर दुवारा जोर से ब्रेक मारे गए।
(ङ) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

प्रश्न 14.
नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिएजैसे-अब चलते हैं। अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर
(क) माँ से बैठा नहीं जाता।।
(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया
(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?
(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्त्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखें।
उत्तर

  1. कलाकार की सोच रही होगी कि वह पूरी तन्मयता और मेहनत से मूर्ति को बनाएगी ताकि सभी लोग उसकी सराहना करें। इस मूर्ति के निर्माण से उसे प्रसिद्धि मिलेगी। इस तरह मूर्तिकार के रूप में यश मिलेगा। ऐसी कल्पनाएँ उसके मन में उठ रही होंगी।
  2.  हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों को अपने आयोजनों में बुलाकर, उन्हें अवसर देकर, उनकी सराहना कर, उन्हें उचित पारिश्रमिक देकर उनके मनोबल को बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी हैं। उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ, प्रशासन को इस संदर्भ
में पत्र द्वारा सुझाव दीजिए।
उत्तर
सेवा में,
शिक्षा निदेशक महोदय
शिक्षा निदेशालय
पुराना सचिवालय, दिल्ली।
विषय-विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौती-पूर्ण विद्यार्थियों के लिए सुव्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र ।
महोदय,
निवेदन है कि भाग्य की विडंबना से ऐसे कई छात्र विद्यालय में पढ़ते हैं जिनकी इच्छाशक्ति तो प्रबल है किंतु वे शारीरिक रूप से विपन्न हैं। शारीरिक विपन्नता की चिंता किए बिना वे इतने साहसी हैं कि केवल विद्यालय में आते ही नहीं हैं अपितु विद्यालय की प्रत्येक स्पर्धा में भाग भी लेते हैं।
अतः उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए ऐसे छात्रों की कक्षाएँ भूतल पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जिससे वे व्हील-चेयर के माध्यम से विद्यालय-कक्ष में सरलता से प्रवेश कर सकें। साथ ही समुचित मार्ग निर्माण की भी जरूरत है। उनके लिए उनके ही अनुरूप शौचालय की भी आवश्यकता है।
मैं पूर्ण आशान्वित हूँ कि इस विषय पर आप गंभीरता से विचार करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
शशांक शर्मा
कक्षा 10
राजकीय सर्वोदय विद्यालय
आनंद विहार, नई दिल्ली–110092
7 जुलाई 20 …

प्रश्न 3.
कैप्टन फेरी लगाता था। फेरीवाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी ज़रूरतों को – आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए। तैयार कीजिए।
उत्तर
फेरीवालों को समाज में सम्मान प्राप्त नहीं है। फेरीवाले फेरी लगाने में विशेष रुचि भी नहीं रखते हैं। वे भी एक स्थायी व्यवसाय के लिए एक स्थिर स्थान, दुकान की कल्पना करते हैं। धन के अभाव में फेरी लगाना उनकी विवशता है। फेरीवाले अपने सामान को साइकिलों पर, या कंधों पर लादे हुए सामान बेचने की इच्छा से नए-नए स्थान तलाशते रहते हैं, जिससे उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज यहाँ आए हैं, कल कहाँ जाएँगे, कुछ पता नहीं होता है। स्थान निश्चित न होने के कारण लोगों का इन पर विश्वास भी नहीं होता है। इससे फेरीवाले अपने सामान के बिकने के प्रति संदिग्ध रहते हैं। ये फेरीवाले गाँवों के दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों की आवश्यक वस्तुओं को उन तक पहुँचाते हैं फिर भी लोग उन्हें विशेष सम्मान नहीं देते हैं |

प्रश्न 4.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन तथा स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए किए गए उनके प्रयासों से संबंधित कुछ तथ्य नीचे दिए हैं। विद्यार्थी इनकी मदद से प्रोजेक्ट तैयार करें।
नाम-सुभाषचंद्र बोस
उपनाम-नेताजी
जन्म-23 जनवरी, 1897 को कटक (उड़ीसा) में।
पिता का नाम-श्री जानकीदास, एक प्रसिद्ध वकील ।
शिक्षा-

  • बचपन से ही मेधावी तथा प्रथम श्रेणी में एंट्रेस परीक्षा उत्तीर्ण ।
  • कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश किंतु अंग्रेज़ प्राध्यापक द्वारा भारतीय विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर विरोध करने के कारण कॉलेज से निष्कासित।। निष्कासित ।
  • कलकत्ता विश्वविद्यालय से अच्छे अंकों के साथ बी.ए. उत्तीर्ण, बाद में आई. सी.एस. में चयनित।
  • आई.सी.एस. से त्यागपत्र तथा भारत आगमन। स्वाधीनता-प्राप्ति हेतु किए गए प्रयास
  • प्रिंस आफ बेल्स के भारत आगमन का विरोध कुरुते हुए गिरफ़्तार ।
  • स्वराज दल की स्थापना तथा 1918 में निगम के कार्यपालक अधिकारी।
  • ‘बांगलार कथा’ पत्र के संपादक तथा फचडे फॉरवर्ड पत्र के पबंधक।
  • 1938 तथा 1989 में कांग्रेस अध्यक्ष निवाचित!
  • गाँधी जी से मतभेद होने के कारण अलग ‘फॉरवर्ड ब्लाक’ की स्थापना ।
  • दृवितीय विश्वयुद्ध के समय आमरण अनशन, नजरबंद तथा 1941 में गुप्त रूप से विदेश गए।
  • हिटलर से मुलाकात के बाद आज़ाद हिंद फौज़ का गठन। ‘नेताजी’ के रूप में प्रसिद्ध तथा ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया।
  • सिंगापुर में आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना, ‘जयहिंद’ तथा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ का नारा दिया।
  • 18 अगस्त, 1945 को विमान-दुर्घटना में रहस्यमयी मौत।

प्रश्न 5.
अपने घर के आसपास देखिए और पता लगाइए कि नगरपालिका ने क्या-क्या काम | करवाए हैं? हमारी भूमिका उसमें क्या हो सकती है?
उत्तर
हमारे आसपास नगरपालिका ने निम्नलिखित कार्य करवाए हैं

  1. नगरपालिका ने कई कच्ची सड़कों को पक्का कराया है।
  2. स्वच्छ पेयजल को घर-घरे तक पहुँचाने का कार्य किया है।
  3.  पार्क के लिए छूटे भूखंड पर पार्क विकसित किया है तथा पुराने पार्को का जीर्णोद्धार किया है।
  4. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र तथा बारातघरों का निर्माण कराया है।

इन कार्यों में हमारी निम्नलिखित भूमिका हो सकती है|

  1. हम पार्क या अन्य सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त न करें। पानी का दुरुपयोग न करें।
  2. कूड़ा कूड़ेदान में ही फेंके। इधर-उधर फेंककर गंदगी न फैलाएँ।
  3. नगरपालिका कर्मचारियों को यथासंभव उनके काम में सहयोग दें।

• नीचे दिए गए निबंध का अंश पढ़िए और समझिए कि गद्य की विविध विधाओं में एक ही भाव को अलग-अलग प्रकार से कैसे व्यक्त किया जा सकता है-
उत्तर
देश-प्रेम
देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है? सारा देश अथान मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों मे देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का माथ रहता है, सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लाभ या राग हो सकता है। देशप्रेम यदि वास्तव में अंतःकरण का का भाव है तो वही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या क्रिमी और भाव के संक्रत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।

यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा; वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरंभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोंपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि बस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का परता बताकर देशप्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए उन्हें तुम सुखी देखना चाहते हो, यह कैसे समझें? उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में ‘अर्थशास्त्र’ की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो। प्रेम हिसाब-किताब नहीं है।
हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर भी मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं। हिसाब-किताबे से देश की दशा का ज्ञान-मात्र हो सकता है। हित-चिंतन और हित-साधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या भाव पर अवलंबित है, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग को उत्साह हो नहीं सकता।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ नामक फ़िल्म को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है|

  • राष्ट्रपति स्वर्णपदक
  • बंगला जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
  • मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरस्कार।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर
शैलेंद्र मूलतः गीतकार थे, फ़िल्म निर्माता नहीं। उन्होंने अपने जीवन में केवल एक ही फ़िल्म बनाई वह थी-तीसरी कसम।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर
राजकपूर ने अनेक फ़िल्मों का निर्माण किया। जिसमें प्रमुख है-मेरा नाम जोकर, संगम, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, अजंता, मैं और मेरा दोस्त, जागते रहो आदि।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक थे-राजकपूर, जिन्होंने हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई। इस फ़िल्म की नायिका थी-वहीदा रहमान जिन्होंने नौटंकी वाली हीराबाई का चरित्र निभाया।

प्रश्न 5.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण गीतकार व कवि शैलेंद्र ने किया था।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ नामक फ़िल्म बनाते समय इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि इस फ़िल्म का एकभाग बनाने में ही छह साल का लंबा समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनने के बाद राजकपूर ने अपना पारिश्रमिक एडवांस माँगा। यह सुनकर शैलेंद्र का चेहरा उतर | गया। उनको राजकपूर से यह उम्मीद नहीं थी कि वे जिंदगी भर की दोस्ती का यह बदला देंगे।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उच्चकोटि का कलाकार मानते थे। उन्हें फ़िल्म जगत का अच्छा अनुभव था। वे अभिनय के सूक्ष्म भावों को आँखों से व्यक्त कर देते थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर
सैल्यूलाइड का अर्थ है-फ़िल्म को कैमरे की रील में उतारकर चित्र प्रस्तुत करना। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता इसलिए कहा गया है क्योंकि यह फ़िल्म कविता के समान कोमल भावनाओं से पूर्ण एक सार्थक फ़िल्म है। | इस फ़िल्म की मार्मिकता कविता के समान है। इस फ़िल्म को देखकर कविता जैसी अनुभूति होती है।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर
तीसरी फ़िल्म का निर्माण शैलेंद्र ने पैसा और यश कमाने के लिए न करके आत्मसंतुष्टि के लिए किया था। इसमें मूल साहित्य से न कोई छेड़-छाड़ की गई थी और न लोक-लुभावन मसालों का प्रयोग किया था। इसमें करुणा का भाव इस तरह भरा गया था कि भावनात्मक शोषण न हो। ऐसी साहित्यिक फ़िल्म को इसलिए खरीददार नहीं मिले।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों में परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके मानसिक स्तर को ऊपर उठाए। वह लोगों में जागृति लाए और उनमें अच्छे-बुरे की समझ को विकसित करे। वह उपभोक्ता रुचियों में सुधार लाने का प्रयत्न करे, उन्हें ऊँचा उठाए।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफाई इसलिए कर दिया जाता है ताकि दर्शक ऐसे दृश्यों को देखने के लिए सिनेमाहाल की ओर खिंचे चले आएँ और फ़िल्म निर्माता अधिकाधिक लाभ कमा सके।

प्रश्न 5.
“शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं-इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शैलेंद्र मूलतः एक कवि और गीतकार थे और राजकपूर की फ़िल्मों के लिए गीत लिखा करते थे। राजकपूर व शैलेंद्र अनन्य सहयोगी थे। उनमें गहन मित्रता थी। शैलेंद्र ने जब अपनी पहली फिल्म बनाने का निर्णय लिया तो उन्होंने राजकपूर को उसमें काम करने के लिए आमंत्रित किया। शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं, ऐसा इसलिए कहा जाता है कि इस फिल्म में शैलेंद्र ने बड़ी कुशलता व सौंदर्यपूर्ण ढंग से राजकपूर के भावों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। कलो मर्मज्ञ राजकपूर को आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे। राजकपूर फ़िल्मों के माध्यम से जो भी कहना चाहते थे उन सभी भावनाओं को शैलेंद्र संवाद व गीतों के माध्यम से प्रकट कर देते थे। राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व फ़िल्मों में निभाए गए पात्र में पूरी तरह समा जाते थे। फ़िल्म को देखकर कोई भी राजकपूर की भावनाओं को पढ़ सकता था।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
शोमैन से तात्पर्य है-अत्यंत प्रसिद्ध और आकर्षक व्यक्तित्व। राजकपूर अपनी अभिनय कला, गुण व्यक्तित्व आदि के कारण विख्यात एवं लोकप्रिय हो चुके थे। वे भारत में ही नहीं अपितु बाहर के दर्शकों के बीच भी खूब लोकप्रिय थे।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की क्योंकि उनका मानना था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझते हैं लेकिन दस दिशाओं का गहन ज्ञान दर्शकों को नहीं होता। उनके अनुसार साहित्यिक व्यक्तियों व जन सामान्य की सोच में अंतर होता है। कहानी या गीत लिखते समय उसका दर्शकों के साथ तालमेल होना जरूरी है ताकि वे दर्शकों की भावनाओं को छू सके। शैलेंद्र इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि वे दर्शकों की रुचि की आड़ में उन पर उथलापन थोपना नहीं चाहते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर
राजकपूर फ़िल्म जगत में एक उच्चकोटि के फिल्म निर्माता व निदेशक थे। वे जानते थे कि शैलेंद्र फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में अनुभवहीन हैं। उन्होंने एक सच्चे मित्र व हितैषी के रूप में शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह कर दिया था, परंतु शैलेंद्र ने फ़िल्म की असफलता के खतरों से परिचित होने पर भी फ़िल्म इसलिए बनाई क्योंकि उनके मन में इस कलात्मक फ़िल्म को बनाने की तीव्र लालसा थी। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। वे फ़िल्म में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करना चाहते थे। उन्हें अपार धन-दौलत व यश की कामना नहीं थी वे केवल अपनी आत्मा की संतुष्टि चाहते थे। ऐसा नहीं था कि शैलेंद्र फ़िल्म उद्योग के नियम-कानून नहीं जानते थे परंतु वे उन नियमों से बँधकर अपने अंदर के कलाकार को नष्ट नहीं करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में अभिनेता हैं राजकपूर, जिन्होंने हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई जो भुच्च देहाती है। जिस समय राजकपूर यह भूमिका निभा रहे थे उस समय तक वे ख्याति प्राप्त अभिनेता के रूप में जाने पहचाने जाते थे पर राजकपूर ने इतना सशक्त अभिनय किया कि लगता था जैसे राजकपूर स्वयं हीरामन हो। इसके अलावा वे हीराबाई नामक पात्र पर पूरी तरह रीझ जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर जाता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म से पहले भी साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थीं। उन फ़िल्मों में साहित्यिक रचना की मूल कथा में कुछ काल्पनिक तत्त्वों का समावेश करके उसे मनोरंजक बनाया जाता था। उन फिल्मों का उद्देश्य दर्शकों की रुचि के अनुरूप सामग्री डालकर धन कमाना होता था किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में ऐसा नहीं था। इस फ़िल्म में मूल साहित्यिक रचना को उसी रूप में प्रस्तुत किया गया। उसमें दर्शकों के लिए किसी प्रकार के काल्पनिक व मनोरंजक तत्वों को नहीं डाला गया जिससे उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ न हो सके। शैलेंद्र तथा अन्य सभी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा के माध्यम से इस रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है तथा कथा की भावनात्मकता तथा आत्मा को संर्पूणता के साथ प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
शैलेंद्र गीतकार होने के साथ ही कवि हृदय भी रखते थे, जिससे उनके गीतों में भाव प्रवणता होती थी। उनके गीतों में संवेदना तो होती थी पर दुरूहता नहीं होती थी। उनके गीतों में लोकजीवन तत्व मौजूद होता था जिससे उनके गीतों को अधिकांश लोग पसंद करते थे। इसके अलावा वे अपने गीत केवल अभिजात्य वर्ग के लिए ही नहीं लिखते थे बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए लिखते थे। उनके गीतों में बसी करुणा में भी प्रेरणा होती है जो उत्साहित करती है।

प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
फिल्म निर्माता के रूप में तीसरी कसम’ शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म थी। उन्होंने इस फ़िल्म का निर्माण पैसा कमाने के उद्देश्य से नहीं किया था। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उन्होंने तो आत्म-संतुष्टि के लिए फ़िल्म बनाई थी। शैलेंद्र फ़िल्म की असफलता से होनेवाले खतरों से परिचित थे। फिर भी उन्होंने शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म बनाकर साहसी फ़िल्म निर्माता होने का परिचय दिया। शैलेंद्र एक मानवतावादी फ़िल्म निर्माता थे। उन्होंने फ़िल्म उद्योग में रहते हुए भी अपनी आदमियत नहीं खोई थी। शैलेंद्र ने तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण पूरी तरह साहित्यिक रचना के अनुसार करके उसके साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। वे चाहते तो इसमें फेर-बदल करके उसे अधिक मनोरंजक बना सकते थे। उन्होंने फ़िल्म के असफल होने के डर से घबराकर सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया। इस प्रकार वे एक आदर्श फिल्म निर्माता के रूप में सामने आए।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गीतकार शैलेंद्र अपने जीवन में गंभीर और शांत व्यक्तित्व रहे हैं। वे अपने गीतों में श्रोताओं की रुचि को ध्यान में रखकर गीत नहीं लिखते थे। वे श्रोताओं की रुचि का परिष्कार करने के पक्षधर थे। उन्हें धन और यश लिप्सा की नहीं बल्कि आत्म संतुष्टि की चाह थी। उनके जीवन की यही छाप उनके द्वारा बनाई गई फ़िल्म तीसरी कसम में भी झलकती है। उन्होंने व्यावसायिकता से दूर रहकर यह फ़िल्म बनाई है।

प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक के इस कथन से हम पूर्णतः सहमत हैं कि तीसरी कसम फ़िल्म को कोई कवि हृदय ही बना सकता है। एक कवि का हृदय शांत, भावुक व संवेदनशील होता है इसलिए संवेदना की गहराइयों से पूर्ण भावुकता को स्वयं में समेटे तीसरी कसम एक कवि हृदय द्वारा निर्मित फ़िल्म थी। जिसे न तो धन का लोभ था और न ही दर्शकों की भीड़ की चाह थी, उन्हें केवल आत्मसंतुष्टि की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नायक और नायिका के मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए एक कवि-हृदय की ही आवश्यकता थी। शैलेंद्र उन कोमल अनुभूतियों को बारीकी से समझते थे और उन्हें प्रस्तुत करने में सक्षम थे। फ़िल्म को देखकर ऐसा लगता है मानो ये साहित्य की मार्मिक कृति है जिसे कलाकारों ने पूरी ईमानदारी व मनोयोग से परदे पर उतारा है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में शैलेंद्र ने व्यवसायिक खतरों को उठाया। उसमें गहरी कलात्मकता को पिरो दिया। उसमें उन्होंने करुणा और संघर्षशीलता को स्थान दिया। उन्होंने अपने पात्रों से आँखों की भाषा में अभिव्यक्ति कराई। इस । फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता होने के कारण ही लेखक ने कहा है कि इसे कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
… वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्मसंतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर
शैलेंद्र सच्चे अर्थों में कलाकार थे। वे एक आदर्शवादी, भावुक कवि हृदय थे। उन्होंने भावनाओं, संवेदनाओं और साहित्य की विधाओं के आधार पर तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण किया था। राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलताओं से आगाह किए जाने पर भी उन्होंने फ़िल्म का निर्माण किया क्योंकि उन्हें अपार संपत्ति और लोकप्रियता की इतनी कामना नहीं थी। जितनी आत्मसंतुष्टि व मानसिक शांति की थी। जीवन-मूल्यों में विश्वास रखनेवाले कवि शैलेंद्र ने तीसरी कसम जैसी फ़िल्म का निर्माण आत्मसुख के लिए किंया था जिसमें वे सफल रहे थे।

प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयल करें।
उत्तर
प्रायः देखा जाता है कि अपने गानों को लोकप्रिय बनाने और व्यावसायिकता से प्रभावित होने के कारण गीतकार श्रोताओं के सामने ऐसे गीत परोसते हैं जिनमें उथलापन होता है। इससे दर्शक और श्रोता की रुचि बुरी तरह प्रभावित होती है, पर शैलेंद्र दर्शकों की रुचि के आड़ में उथलापन परोसने से बचना चाहते थे। इसके विपरीत वे दर्शकों के समक्ष कुछ ऐसा रखना चाहते थे जिससे उनकी रुचि में परिष्कार हो।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर
लेखक के अनुसार हमारी जिंदगी में दुख तकलीफें तो आती ही रहती हैं परंतु हमें उन दुखों से हार नहीं मानना चाहिए। जीवन की कठिनाइयों का साहसपूर्वक सामना करके उन पर काबू पाना चाहिए। यदि व्यथा या करुणा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो वह मनुष्य को परास्त या निराश नहीं करती। वह मनुष्य को आगे-ही-आगे कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है। शैलेंद्र के गीतों के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हमें दुख की घड़ी में भी निराशा का दामन छोड़कर आशावादी बनना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण धन या यश कमाने के उद्देश्य से नहीं किया गया था। इसे व्यावसायिकता से मुक्त रखा गया था। इसमें संवेदनशीलता, भावप्रवणता, साहित्यिक गहराई थी जिसे पैसे से पैसा बनाने वाले लोग नहीं समझ सकते थे। वे तो चमक-दमक वाली मसाले और लटके-झटके से युक्त कमाई वाली फ़िल्मों को ही श्रेष्ठ समझते हैं।

प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर
शैलेंद्र एक संवेदनशील और आदर्शवादी कवि थे। उनके गीत बहुत गहरे और भावनापूर्ण होते थे परंतु उनमें कठिनता नहीं होती थी। वे बिलकुल सहज-सरल और प्रवाहपूर्ण होते थे। वे गीत भावों और विचारों की गहराई लिए हुए समाज को संदेश देने वाले होते थे। अर्थात् शैलेंद्र के गीतों में भावनाओं की अधिकता थी लेकिन उन भावनाओं को व्यक्त करने वाली भाषा बेहद सरल व आम बोलचाल की भाषा थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जाननेवाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर
स्वयं करें

प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
(क) “तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर
स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना।।
उत्तर
चेहरा मुरझाना-जैसे ही उसने लॉटरी का परिणाम समाचार पत्र में देखा उसका चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना-दसवीं परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने का समाचार सुनकर वह चक्कर खा गई।
दो से चार बनाना-आजकल क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों से अधिक सट्टेबाज रुचि लेते हैं जिनका काम दो से चार बनाना है।
आँखों से बोलना-तीसरी कसम में अभिनेत्री वहीदा रहमान अपने प्रेम को शब्दों से नहीं आँखों से बोलकर प्रकट करती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 2

प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 4

प्रश्न 6.
निम्नलिखित का समास-विग्रह कीजिए और समासे का नाम भी लिखिए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 5
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 6

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कंहलीते थे?
उत्तर
बालगोबिन भगत खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ थे फिर भी वे साधुता की श्रेणी में आते थे, क्योंकि-

  1. वे कबीर को अपना साहब मानते थे।
  2. वे कबीर के पदों को ही गाते थे और उनके आदेशों पर चलते थे।
  3. वे सभी से खरा व्यवहार रखते थे, दो टूक बात कहने में न कोई संकोच करते थे, न किसी से झगड़ते थे।
  4. वे अन्य किसी की चीज़ को बिना पूछे व्यवहार में नहीं लाते थे।
  5. वह अपनी प्रत्येक वस्तु पर साहब का अधिकार मानते थे।
    इस प्रकार त्याग की प्रवृति और साधुता का व्यवहार उन्हें साधु की श्रेणी में खड़ा कर देता है।

प्रश्न 2.
भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर
भगत के पुत्र की मौत से आहत पतोहू अपना शेष जीवन भगत की सेवा करते हुए बिताना चाहती थी। वह भगत को अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। वह जानती थी कि

  1. बुढ़ापे में भगत को कौन भोजन कराएगा?
  2. बीमार पड़े तो कौन सहारा देगा?
  3. बीमार पड़ने पर कौन पानी देगा?
  4. पुत्र की मृत्यु होने से घर में अकेले कैसे रहेंगे?
    इस प्रकार पतोहू भगत का सहारा बनकर वहीं वैधव्य जीवन काटना चाहती थी।

प्रश्न 3.
भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस प्रकार व्यक्त कीं?
उत्तर
अपने बेटे की मृत्यु पर भगत ने अपनी भावनाएँ इस प्रकार व्यक्त कीं

  1. मृतक पुत्र को आँगन में चटाई पर लिटाकर सफेद कपड़े से ढंक दिया।
  2. मृतक पुत्र के ऊपर फूल और तुलसी के पत्ते बिखेर दिए और सिरहाने एक दीपक जलाकर रख दिया।
  3. उसके समीप आसन पर बैठकर हमेशा की तरह कबीर के पदों को गाने लगे और पतोहू को समझाने लगे कि आत्मा-परमात्मा में मिल गई है। विरहिणी अपने प्रेमी (ईश्वर) से जाकर मिल गई है।
  4. पतोहू को समझाते हैं कि यह समय रोने का न होकर उत्सव मनाने का है।

प्रश्न 4.
भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
साठ वर्षीय भगत एकदम गोरे-चिट्टे मॅझोले कद के व्यक्ति थे, जिनके बाल पके हुए थे। उनका चेहरा हमेशा सफेद बालों से जगमगाता रहता था, किंतु संन्यासियों के तरह जटा-जूट नहीं रखते थे।

वे कपड़े कम पहनते थे। कपड़े के नाम पर उनकी कमर में लँगोटी और सिर पर कबीरपंथियों जैसी टोपी होती थी। सर्दियों के दिनों में काली कमली ओढ़े रहते थे। माथे पर रामानंदी तिलक लगा रहता था। गले में तुलसी की बनी बेडौल माला डली रहती थी। इस तरह साधु वेश में रहते थे। उनका जीवन आदर्श साधुता से परिपूर्ण था।

प्रश्न 5.
बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर
बालगोबिन भगत की दिनचर्या का प्रत्येक कार्य आश्चर्यजनक होता था; जैसे

  1. गृहस्थ जीवन में रहते हुए उन्होंने साधुता को कभी नहीं छोड़ा।
  2. भूलकर भी दूसरे की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे।
  3. भोर में ही नित्य दो मील दूर जाकर नदी स्नान कर लौटना हमेशा की तरह दिनचर्या में था। शरद ऋतु में नदी में नहाकर पोखर पर टेर लगाते देखकर लोगों को आश्चर्य होता था।
  4. दाँत किटकिटाने वाली ठंड में टेर लगाते, खैजड़ी बजाते समय उनके माथे से श्रमबिंदु चमक उठते थे।
  5. उपवास रखकर पैदल ही तीस कोस दूर गंगा स्नान पर जाते और रास्ते में बिना कुछ खाए घर लौटते थे।
  6. मरणासन्न स्थिति में वही जवानी वाली आवाज़, वही नियम, लोगों को अवाक् किए बिना नहीं रहते थे।

प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषता यह थी कि कबीर के सीधे-सादे पद उनके कंठ से निकल कर सजीव हो उठते थे, जिसे सुनकर लोग-बच्चे-औरतें इतने मंत्र-मुग्ध हो जाते थे कि बच्चे झूम उठते थे, औरतों के होंठ स्वाभाविक रूप से कॅप-कॅपाने लगते थे, हल चलाते हुए कृषकों के पैर विशेष क्रम-ताल से उठने लगते थे, उनके संगीत की ध्वनि-तरंग लोगों को झंकृत कर देती थी। उनके संगीत से ऐसा लगता था कि स्वर की एक तरंग स्वर्ग की ओर जा रही है तो दूसरी तरंग लोगों के कानों की ओर।।

प्रश्न 7.
कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
बालगोबिन भगत प्रचलित मान्यताओं पर विश्वास नहीं करते थे। ऐसे उदाहरण उन्होंने जीवन में अनेक बार प्रस्तुत किए जिनके आधार पर उनके प्रति इस धारणा को बल मिलता है, वे प्रसंग इस प्रकार हैं-

  1. मृतक-पुत्र की चिता में पतोहू से आग दिलवा कर उस सामाजिक परंपरा को बड़े ही साहस से नकार दिया-जो स्त्रियों को श्मशान पर जाना निषेध मानती
  2. विधवा नारी के प्रति लोगों की प्राचीन धारणा यह थी कि विधवा को पुनर्विवाह धार्मिक परंपरा के विरुद्ध है जिसे उन्होंने बड़ी सरलता और दृढ़ता से नकार दिया और पतोहू के पुनर्विवाह का आदेश दे दिया।
  3. वे साधुओं द्वारा भिक्षा माँगकर भोजन की परंपरा के भी विरोधी थे।

प्रश्न 8.
धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
धान की रोपाई के समय भगत के स्वरों की गूंज से आसपास के लोगों के हृदय कुछ इस तरह मचल उठते थे-

  1. आषाढ़ मास की रिमझिम वर्षा, आकाश में बादल, ठंडी पुरवाई हवा के बीच कहीं से कानों को झंकृत कर देने वाली स्वर-लहरियाँ सुनाई देती थीं।
  2. स्वर कान में पड़ते ही पानी में खेलते हुए बच्चे झूम उठते। खेत की मेड़ पर | कलेवा लिए बैठी हुई औरतों के होंठ स्वयं ही स्वाभाविक रूप से कंपन करने लगते ।
  3. खेतों में हल हॉकते कृषकों के पैर एक ताल से उठने लगते ।
  4. खेतों में रोपनी करने वालों की उँगलियाँ विशेष क्रम में चलने लगतीं ।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9.
पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर
बालगोबिन भगत कबीर को ही अपना साहब मानते थे। उनके ही निर्देशों का यथा संभव पालन करते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है-

  1. भगत सिर पर सदैव कबीरपंथी टोपी पहनते थे, जो कनपटी तक जाती थी।
  2. कबीर के रचित पदों को ही गाते थे।
  3. वे उन्हीं के बताए आदर्शों पर चलते थे।
  4. खेतीबारी में जो कुछ पैदा होता था उसे पहले कबीर के दरबार में भेंट करते थे और वहाँ से जो प्रसाद रूप में प्राप्त होता था उससे ही निर्वाह करते थे।
  5. भगत पर कबीर की विचारधारा को इतना प्रभाव था कि उन्हीं की तरह रूढ़ियों का विरोध करते थे।

प्रश्न 10.
आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर

  1. कवीर के साधु-जीवन से भगत काफी प्रभावित हुए होंगे, क्योंकि कबीर भी| गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधु थे।
  2. कबीर की आडंबरों में कोई रुचि नहीं थी। उनका आदर्श-रूप उन्हें अच्छा लगा होगा।
  3. भगत की स्वभावगत-विचारधारा कबीर से मेल खाती होगी। कबीर भी अपने व्यवहार में खरापन रखते थे।
  4. कबीर परंपरा से चली आ रही कुरीतियों का विरोध करते थे तो भगत को भी कुरीतियाँ अच्छी नहीं लगती थीं।

प्रश्न 11.
गाँव के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?
उत्तर
ग्राम्य-जीवन अधिकांशतः कृषि आधारित जीवन है। सूखे-पड़े खेतों को देख शांत पड़े कृषकों को वर्षा होने की प्रतीक्षा रहती है। वर्षा न होने तक कृषक उदासीन रहते हैं।

आषाढ़ मास में जैसे ही आकाश बादल से घिर जाते हैं वैसे ही उदासीन मुन प्रफुल्लित हो उठते हैं। जैसे ही रिमझिम वर्षा हुई, सूखी धरती की प्यास बुझी, वैसे ही संपूर्ण

ग्राम्यजीवन उल्लास से भर जाता है।

प्रश्न 12.
ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिल भगत साधु थे” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?
उत्तर
आज स्वभावगत साधुता की पहचान करना कठिन है। पहनावा मात्र के आधार पर किसी व्यक्ति को साधु नहीं माना जा सकता है। सच्चा साधु वह है जो-

  1. दूसरों को वाणी से शीतलता प्रदान करता है।
  2. कर्म में परोपकार की भावना से ओत-प्रोत होता है।
  3. दूसरों के कल्याण की भावना जिसके मन में निहित होती है।
  4. बाह्याडंबर से दूर, सीधा-सरल स्वभाव होता है।
  5. उपदेशात्मक जीवन में जैसी दूसरों से अपेक्षा करता है वैसा ही आचरण स्वयं | करता है।
  6. लोभ, स्वार्थ से दूर त्याग-पूर्ण जीवन जीता है। अतः सांसारिक जीवन में रहते हुए आचरण से व्यक्ति साधु हो सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि साधु के लिए निश्चित वेशभूषा हो।

प्रश्न 13.
मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर
‘मोह’ में व्यक्ति किंकर्तव्यविमूढ़ होता है। इसके विपरीत प्रेम में सात्विकता होती है, वह किसी के प्रति हो सकता है। प्रेम सार्वभौमिक सत्य होता है। इसमें स्वार्थ नहीं अपितु प्रिय का हित चिंतन अधिक होता है।
इसे भगत के जीवन के आधार पर इस प्रकार समझा जा सकता है-

  1. भगत को अपने बेटे से प्रेम है मोह नहीं-क्योंकि बेटे की मृत्यु पर एक मोही व्यक्ति की तरह विलाप नहीं करते हैं अपितु उनका प्रिय पुत्र इस सांसारिक बंधन से मुक्त हुआ मानकर गीत गाते हैं कि आत्मा-परमात्मा से मिल गई। यह तो उनके प्रिय के लिए प्रसन्नता की बात है।
  2. पुत्र की मृत्यु पर उनका पतोहू और अपने बुढ़ापे के सुख का मोह होता तो कदापि उसे भाई के साथ पुनर्विवाह के लिए न भेजते। अपने आत्मीय के हित के लिए उनका प्रेम प्रबल हो उठा और उसे मायके भेज दिया। यह उनके प्रेम की पराकाष्ठा थी।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
इस पाठ में आए कोई दस क्रियाविशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।
उत्तर
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर
काठगोदाम के पास एक कुत्ते ने एक सुनार की उँगली काट खाई थी। वह चीखता भागता चला आ रहा था। उसने कुत्ते की पिछली टाँग पकड़ ली थी। और वह उसे मार रहा था। कुत्ता मार खाकर और भीड़ के डर से चिल्ला रहा था। ख्यूक्रिन और कुत्ते की आवाजें सुनकर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर
उँगली ठीक न होने पर ख्यूक्रिन हफ्ते भर तक काम न कर पाता। वह लकड़ी लेकर काम निपटाना चाहता था, जो काफ़ी पेचीदा था, यह काम पूरा न हो पाता।

प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर
ख्यूक्रिन ने कुत्ता द्वारा काटे जाने पर उसे मारा-पीटा था। उसने कुत्ते के पीछे दौड़ते हुए उसकी पिछली एक टाँग पकड़ ली थी। उसे तीन टाँगों के बल ही रेंगना पड़ रहा था। इसलिए वह डर के मारे किकियाने लगा था।

प्रश्न 4.
बाज़ार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर
बाजार ये ओचुमेलॉव सिपाही के साथ घूम रहा था। वह रिश्वतखोर, चापलूस तथा पक्षपाती था। वह लोगों की वस्तुएँ जब्त कर लेता या इसलिए चौराहे पर शांति थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर
जनरल साहब के बावर्ची ने कहा-यह हमारा नहीं है। यह तो जनरल झिगालॉव के भाई साहब का है, जो थोड़ी देर पहले यहाँ पधारे हैं, अपने जनरल साहब को ‘बारजोयस’ नसल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं है पर उनके भाई को यही नसल पसंद है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने के लिए दलील दी कि वह एक कामकाजी आदमी है और उसका काम पेचीदा किस्म का है। उसे मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था। कुत्ते ने अकारण उसकी उँगली को काट खाया, जिसके कारण अब एक हफ्ते तक उसकी उँगली काम करने लायक नहीं रही। इससे उसे काफ़ी नुकसान होगा। इसी आधार पर उसने कुत्ते के मालिक से मुआवजा दिलाने की प्रार्थना की।

प्रश्न 2.
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगती ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर
ओचुमेलॉव एक इंसपेक्टर है जिसे एक सिपाही के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। वह अपने लाभ के लिए निर्दोष को दोषी और दोषी को निर्दोष बताने से कभी नहीं चूकता है। उसकी चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • वह भ्रष्ट और रिश्वतखोर पुलिसवाला है।
  • वह अवसरवादी है और मौके का लाभ उठाने से नहीं चूकता है।
  • वह चापलूस और चाटुकार है, जो जनरल को खुश करने की फिराक में रहता है।
  • वह निर्दयी एवं कठोर है और जनता को डराकर रखता है।
  • वह अपने स्वार्थ के लिए किसी स्तर तक गिरने को तैयार रहता है।

प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
उत्तर
जब येल्दीरीन को पता चला कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है तो उसने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि वह जानता है कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है। इसने जरूर अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। यदि कुत्ते ने इसे काटा है तो इसमें सारा दोष ख्यूक्रिन का ही है। कुत्ते का कोई दोष नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि ‘उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है?
उत्तर
ओचुमेलॉव चाटुकार, अवसरवादी एवं पक्षपाती इंसपेक्टर था। वह भाई-भतीजावाद का पोषक था। वह जनरल की निगाह में अच्छा बनने के लिए उनका हितैषी बनकर उनका कृपापात्र बनना चाहता था। उसने पदोन्नति पाने के लिए ऐसा किया होगा।

प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर
ख्यूक्रिन कुत्ते द्वारा काटे जाने पर मुआवजे की आशा करता है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब पता चलता है कि कुत्ता जनरल
साहब के भाई का है तो वह ख्यूक्रिन को ही दोष देता है और कुत्ते को पुचकारता है। उस समय ख्यूक्रिन के स्थान पर उसे एक जानवर अधिक प्यारा और अच्छा लगता है। ख्यूक्रिन की स्थिति उस कुत्ते से भी बदतर हो जाती है। ख्यूक्रिन की विवशता देखकर तथा इंस्पेक्टर के बदलते रूप और पक्षपाती कानून व्यवस्था पर भीड़ हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर
ओचुमेलॉव एक चापलूस व अवसरवादी इंस्पेक्टर था। वह अवसर देखकर ही बातें करने वाला है और उसे प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना भी आता है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल झिगालॉव के भाई साहब का है तो वह अपने आपको पूरी तरह बदल देता है। ख्यूक्रिन द्वारा शिकायत करने पर पहले तो वह कुत्ते के मालिक को दंड देने की बात तक करता है। लेकिन यह पता चलते ही कि यह कुत्ता जनरल साहब का है वह अपनी ही बात बदल देता है। वह उल्टा-ख्यूक्रिन पर ही दोष लगाता है कि उसने जानबूझकर कील से उँगुली छीली है और वह कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है। ओचुमेलॉव चापलूस किस्म का व्यक्ति है इसी कारण वह ख्यूक्रिन का कोई दोष न होते हुए भी उसी पर दोष लगाता है। वह जनरल झिगालॉव के कुत्ते को अच्छा बताकर उनकी चापलूसी करता है।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
ओचुमेलॉव एक भ्रष्ट पुलिस इंस्पेक्टर का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है। वह गिरगिट की तरह रंग बदलता है उसकी नज़र दो बातों पर रहती है
(क) अपने शिकार पर।

(ख) अपने बड़े अधिकारियों को खुश करने पर। इसके लिए वह परिस्थिति के अनुसार रंग बदल लेता है। वह रिश्वतखोर
व्यक्ति है। यही कारण है कि जब वह अपने सिपाही के साथ बाजार में निकलता है तो चारों ओर खामोशी छा जाती है। वह लोगों से जबरदस्ती लूट-खसोट करने वाला व्यक्ति है। उसके चरित्र की विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  • वह एक भ्रष्ट और चालाक पुलिस वाला है। –
  • वह अवसरवादी है और मौका देखकर गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
  • पद और आर्थिक हैसियत के आधार पर वह लोगों से व्यवहार करता है।
  • वह बेहद चापलूस और चाटुकार है।
  • वह निर्दयी और कठोर है। जनता में वह अपना आतंक फैलाकर रखता है। जब वह बाज़ार से गुजरता है तो लोग अंदर हो जाते हैं।
  • वह उच्च वर्ग के लोगों के प्रति विशेष अनुग्रह रखता है। उनके प्रति सदा वफादारी और हमदर्दी दिखाता है।
  • वह अपने लाभ के लिए किसी के साथ भी अन्याय कर सकता है।

प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर
ओचुमेलॉव के विचार और व्यवहार में ज़मीन-आसमान का अंतर आ गया। पहले वह कुत्ते को आवारा, कुत्ते के मालिक को दोषी तथा ख्यूक्रिन को बेचारा कह रहा था। अब वह कुत्ते को पुचकारने लगता है। वह उसे अत्यंत सुंदर डॉगी और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहता है। ओचुमेलॉव उसे नन्हा-सा शैतान कहकर जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। उसके बाद वह उस व्यक्ति को धमकाता है जो कुत्ते के मालिक से हर्जाना चाहता है। वह उसे मारने-पीटने की धमकी देकर वहाँ से भगा देता है। ओचुमेलॉव में यह परिवर्तन इसलिए आया। क्योंकि

  • वह जानता था कि जनरल साहब व उनके भाई उच्च पद पर हैं।
  • वह उन्हें नाराज़ कर अपना नुकसान नहीं करना चाहता था। – वह जानता था कि उनसे कभी-न-कभी उसका कोई काम बन सकता है या उसे लाभ पहुँच सकता है। इसलिए वह हाथ
    में आए इस अवसर को खोना नहीं चाहता था।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है……। समाज की किस वास्तविकता की और संकेत करता है?
उत्तर
ख्यूक्रिन के इस कथन से समाज में फैली भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति का पता चलता है। ख्यूक्रिन अपने साथ न्याय न होता देखकर अपने भाई को पुलिस वाला बताने लगा। इस तरह वह ओचुमेलॉव व वहाँ उपस्थित लोगों पर रौब डालना चाहता है। इससे पता चलता है कि समाज में अराजकता, भ्रष्टाचार का साम्राज्य है। संपूर्ण शासन व्यवस्था पक्षपात और स्वार्थ का पर्याय बन गई है। समाज में कानून नहीं अपितु दबाव काम करता है। पुलिस का भय समाज को त्रस्त रखता है। इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस निरपराधियों को सताती है व दोषियों की मदद करती है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘गिरगिट’ एक ऐसा जीव होता है जो शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के वातावरण के अनुसार अपना रंग
बदल लेता है। प्रस्तुत कहानी का मुख्य पात्र ओचुमेलॉव भी ऐसा ही व्यक्ति है। वह अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदल लेता है। वह वास्तव में अवसरवादी है और गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला है। कभी वह आम आदमी के साथ हो जाता है तो कभी भाई-भतीजावादी और चापलूस बनकर कानून के साथ खिलवाड़ करता है। उसके व्यक्तित्व में स्थिरता नहीं है। जब तक ओचुमेलॉव को यह पता नहीं चलता कि काटने वाला कुत्ता जनरल साहब का या उनके भाई का है तब तक वह कुत्ते व उसके मालिक को कानूनी तौर पर सबक सिखाने को। निर्णय करता है। लेकिन जैसे ही उसे यह पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है। वैसे ही उसे कुत्ता खूबसूरत व बेकसूर नज़र आने लगता है। कहानी के लिए ‘गिरगिट’ शीर्षक उपयुक्त है। इसके अन्य शीर्षक हैं-चापलूस इंस्पेक्टर, अवसरवादी। ओचुमेलॉव के व्यक्तित्व की अस्थिरता व व्यवहार में आने वाले परिवर्तनों को प्रकट करने के लिए ये शीर्षक उचित हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गिरगिट कहानी के माध्यम से समाज में व्याप्त भाई-भतीजावाद, न्याय की कमी, चापलूसी, अवसरवादिता जैसी विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है। लेखक ने बताया है कि आम आदमी का खास महत्त्व नहीं था। अवसर एवं परिस्थिति के अनुसार पुलिस अपना पाला बदल लेती है। जनसाधारण न्याय की अपेक्षा तो करता है परंतु स्वार्थ और उच्चाधिकारियों के दबाव के कारण वह न्याय से वंचित रह जाता है। हालात ऐसे हैं कि पीड़ित और निर्दोष को दोषी बताकर धमकाते हुए भगा देने जैसी घटनाओं पर व्यंग्य किया गया है। हाँ, हम भी ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में देखते हैं। ईमानदार तथा स्वच्छ छवि वाले लोग त्रस्त हैं और त्रस्त किए जा रहे हैं, जबकि बेईमान एवं भ्रष्ट नेता एवं अधिकारी दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करते जा रहे हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
उत्तर
इस पंक्ति से लेखक को आशय यह है कि ख्यूक्रिन द्वारा मार खाए जाने पर कुत्ता घबरा गया था। उसे आभास हो चुका था कि उस पर गहरा संकट आने वाला है। कुत्ते के किकियाने की आवाज़ ज़ोर-ज़ोर से सुनाई देने लगी। उसकी आँसुओं से भरी आँखों में ख्यूक्रिन दुवारा मारे जाने के कारण संकट और भय के भाव थे। वह ऊपर से नीचे तक काँप रहा था। और ये भाव उसकी आँखों में साफ दिखाई दे रहे थे।

प्रश्न 2.
कानून सम्मत तो यही है… कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर
आशय यह है ख्यूक्रिन इंसपेक्टर को यह बताना चाहता था कि कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं। अपराध चाहे छोटा करे या बड़ा, दंड अवश्य ही मिलना चाहिए। ख्यूक्रिन कहता है कि उसके दोषी होने पर उस पर भी मुकदमा चलाया जाए, सभी के साथ समान व्यवहार हो और सभी को न्याय मिलना ही चाहिए, यह कानून सम्मत है।

प्रश्न 3.
हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर
यह कथन सिपाही येल्दीरीन का है। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को भड़काना चाहता है। जब एक कुत्ते द्वारा काटे जाने पर
ख्यूक्रिन चिल्लाता है तो वहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है। ख्यूक्रिन बुरी तरह मार रहा था और वह कुत्ता प्राणरक्षा के लिए चिल्ला रहा था। तभी येल्दीरीन ने ओयुमेलॉव से कहा कि इस भीड़ को देखकर ऐसा लगता है मानो जनविद्रोह होने वाला हो। शायद लोगों ने शांति का मार्ग छोड़कर विद्रोह का मार्ग अपना लिया है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए
(क) माँ ने पूछा बच्चों कहाँ जा रहे हो ।
उत्तर
माँ ने पूछा, “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”

(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
उत्तर
घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।

(ग) हाय राम यह क्या हो गया
उत्तर
हाय राम! यह क्या हो गया?.

(घ) रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
उत्तर
रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।

(ङ) सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मज़ा चखाता हूँ उत्तर
उत्तर
सिपाही ने कहा, “ठहर! तुझे अभी मज़ा चखाता हूँ।”

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए

  • मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
  • यह तो अति सुंदर ‘डॉगी है।
  • कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।

वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है कि किस बात पर बल दिया जा रही है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि । ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
ही-कल तुमने ही उसे दिया था।
भी-आप कल भी अंग्रेजी अखबार दे जाना।
तो-तुमने तो अपना गृहकार्य नहीं किया।
तक-उसने मुझे बुलाया तक नहीं।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर

  1. त्योरियाँ चढ़ाना-केशव के बिना पूछे फ़िल्म जाने पर माँ ने त्योरियाँ चढ़ा लीं।
  2.  मत्थे मढ़ना-मोहन ने अपना दोष राम के मत्थे मढ़ दिया।
  3. छुट्टी करना-यदि साहब आ गए तो हम सब की छुट्टी कर देंगे।
  4. गाँठ बाँध लेना-मेरी बात गाँठ बाँध लो बेईमानी की कमाई ज्यादा समय नहीं चलती।
  5. मजा चखाना-मैं तुम्हें तुम्हारी ढिठाई का मज़ा चखाकर रहूँगा।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 2

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 4

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-
(क) दुकानों में उँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
उत्तर
संज्ञा पदबंध

(ख) लाल बालोंवाला एक सिपाही चला आ रहा था।
उत्तर
विशेषण पदबंध

(ग) यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है।
उत्तर
क्रिया पदबंध

(घ) एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा था।
उत्तर
क्रियाविशेषण पदबंध।

प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिससे आने-जाने वाले लोगों को असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर
परीक्षा भवन
नई दिल्ली-110064
10.दिसंबर.20XX
श्रीमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय
दिल्ली नगर निगम
नई दिल्ली
विषय-लोगों की असुविधाओं को दूर करने हेतु।
महाशय
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले में बढ़ती लावारिस और आवारा कुत्तों की संख्या की ओर दिलाना चाहता हूँ।
ये कुत्ते हर आने-जाने वाले यहाँ तक कि मोहल्ले के लोगों पर बिना कारण भौंकते रहते हैं और काटने को दौड़ते हैं। इन कुत्तों के कारण छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो ये कुत्ते आने-जाने वाले लोगों की खाने-पीने की चीजों पर भी झपट पड़ते हैं। इससे सारे मोहल्ले में आतंक सा छा गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इन लावारिस और आवारा कुत्तों को पकड़वाने का कष्ट करें ताकि लोग चैन की साँस ले सके। हम मोहल्लेवासी आपके अति आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
अब०स०
वार्ड नं. 75, क०ख०ग० नगरी, नई दिल्ली

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
उत्तर

  1. फादर बुल्के साहित्यिक संस्था ‘परिमल’ के सभी सदस्यों में सबसे बड़े तथा आदरणीय थे।
  2. वे मानवीय गुणों से लबालब थे। उनके हृदय में सबके लिए कल्याण की कामना । थी।
  3. वे पुरोहित की तरह आशीर्वादों से लोगों को लबालब कर देते थे।
  4. उनकी नीली आँखों में सदैव वात्सल्य दिखाई देता था। उपर्युक्त कारणों से फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।

प्रश्न 2.
‘फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति में लगभग पूरी तरह रच-बस गए थे यह उनके निम्नलिखित आचरणों द्वारा स्पष्ट रूप से दिखाई देता था-

  1. फादर बुल्के से अपने देश का नाम पूछने पर भारत को ही अपना देश बताते थे। हाँ, जन्मभूमि रेम्प चैपल बताते थे।
  2. उन्होंने भारतीय संस्कृति के महानायक राम और राम कथा को अपने शोध का | विषय चुना और ‘राम कथा : उत्पत्ति और विकास पर शोध-प्रबंध लिखा।
  3. उन्होंने हिंदी और संस्कृत को केवल पढ़ा ही नहीं, अपितु संस्कृत के कॉलेज में विभागाध्यक्ष रहे।
  4. उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश लिखा।
  5. जहाँ हिंदी जानने वाले हिंदी की उपेक्षा करते थे वहाँ फादर हिंदी को राष्ट्रभाषा । के रूप में देखने के इच्छुक थे।
  6.  परिमल के सदस्यों के घर भारतीय उत्सवों और संस्कारों में भाग लेते थे। लेखक के पुत्र का अन्न-प्रासन (बच्चे के मुख में पहली बार अन्न डालना) संस्कार उन्हीं | के द्वारा हुआ इस तरह कहा जा सकता है कि फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग थे।

प्रश्न 3.
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर
ऐसे प्रसंग जिनसे फादर बुल्के का हिंदी के प्रति प्रेम प्रकट होता है, वे इस प्रकार हैं

  1. फ़ादर बुल्के ने हिंदी में एम.ए. किया।
  2. उन्होंने सन् 1950 में अपना शोध प्रबंध “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” हिंदी | में पूर्ण किया।
  3. उन्होंने सुप्रसिद्ध शब्दकोश अंग्रेजी-हिंदी लिखा।
  4. वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए सदैव चिंतित रहे।
  5. हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते रहे।
  6. जब हिंदी वाले हिंदी की उपेक्षा करते थे तो बहुत दुखी होते थे।

प्रश्न 4.
पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
पाठ के आधार पर फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा के अवतार प्रतीत होते हैं। जिनमें वात्सल्य और ममता कूट-कूटकर भरी थी। अपने प्रियजनों के प्रति अत्यधिक आत्मीयता रखते हुए उन पर करुणा, ममता, वात्सल्य की वर्षा निरंतर करते रहते थे। अपने प्रियजनों के प्रति इतनी आत्मीयता रखते थे कि अपने आशीर्वादों से लोगों के मन को लबालब भर देते थे। इस तरह वे मानवीय करुणा के अवतार थे।

प्रश्न 5.
लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
उत्तर
फ़ादर मानवीय गुणों से लबालब थे जिसमें मानव के प्रति कल्याण की भावना थी। अपनत्व, ममत्व, करुणा, प्रेम, वात्सल्य तथा सहृदयता थी। वे सहृदय इतने थे कि एक बार समीप आकर सदैव समीप बने रहते थे। वर्षा में बादलों की गड़गड़ाहट या बिजली की चमक, गर्मी की तपन और सर्दी की सिकुड़न उन्हें प्रियजन से मिलने से रोक नहींपाती थीं। इसी प्रकार प्रियजनों के संकट के समय ऐसी सांत्वना देते थे कि वे अपने दुख को भूल ही जाते थे। यही कारण था कि लेखक ने उन्हें ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा था।

प्रश्न 6.
फादर बुल्वे ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छप्रिस्तुत की है, कैसे?
उत्तर
फादर बुल्के भारतीय संन्यासी प्रवृत्ति के आधार पर खरे संन्यासी नहीं थे। लेखक के अनुसार वे केवल संकल्प के संन्यासी थे, मन से नहीं। उन्होंने परंपरागत संन्यासी प्रवृत्ति से अलग नयी परंपरा को स्थापित किया। वे संभवतः आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन भी करते थे। प्रियजनों के प्रति सम्मोह रखते थे। सभी के घर समय-समय पर आते-जाते थे। संकट के समय सहानुभूति रख उन्हें ढाँढस देते थे। इस तरह उनकी छवि परंपरागत संन्यासी की तरह नहीं थी।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर
(क) लेखक को ऐसा अनुमान था कि एक विदेशी संन्यासी की मौत पर कौन आँसू बहाएगा; किंतु लेखक का यह अनुमान सही नहीं निकला। फ़ादर बुल्के की मृत्यु पर आँसू बहाने वालों की इतनी भीड़ उमड़ रही थी, जिन्हें गिनने का प्रयास करना या उस बारे में लिखना व्यर्थ स्याही फैलाने जैसा है।

(ख) जिस प्रकार उदास संगीत को सुनने पर एक निस्तब्धता छा जाती है, आँखें भर आती हैं, स्मृति में हृदय रो पड़ता है। एक-एक स्मृति मन को कचोटने लगती है। इस प्रकार स्मृति-पटल पर संपूर्ण जीवन-चरित्र आने लगता है और हृदय अवसाद से भर जाता है। इसीलिए लेखक ने कहा-फादर को याद करना एक उदास, शांत संगीत को सुनने जैसा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर
फादर बुल्के पादरी धर्म के संन्यासी थे। प्रबुद्ध थे, उन्होंने भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ा-सुना होगा, अध्ययन किया होगा। उन्होंने जान लिया होगा कि भारतीय सहृदय हैं, वहाँ अतिथियों का सम्मान होता है। अतः वहाँ सहृदय-जनों के मध्य रहकर अपनी संस्कृति से परिचय कराने में सरलता होगी और भारतीय संस्कृति को जानने में सहायता मिलेगी।

अध्यात्म के लिए भारत भूमि जगत में प्रसिद्ध रही है। अतः हो सकता है कि अध्यात्म में रुचि के कारण उन्होंने भारत आने का मन बना लिया हो।

प्रश्न 9.
बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-‘रेम्पचैपल ।’-इस पंक्ति में फादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर
बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-‘रेम्पचैपल ।’ उनके इस कथ्य में अपनी जन्मभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा झलकती है जिसके कारण भारत में लंबे समय तक रहते हुए भी वे अपनी जन्मभूमि को भुला नहीं पाए जबकि उनके जीवन का अधिकांश समय भास्त में बीता अपने देश में कम। अतः उनके मन में वही भाव थे जो अपने देश अपनी जन्मभूमि से प्रेम करने वाले में होते हैं और होने चाहिए।

मेरे लिए मेरी जन्मभूमि मातृभूमि है। यहीं की संस्कृति में खेल-कूदकर बड़ा हुआ हूँ। उसके प्रति मेरी श्रद्धा है, उससे मेरी स्मृतियाँ जुड़ी हैं जिन्हें चाहकर भी नहीं भुला सकता हूँ। उसके प्रति मेरी सकारात्मक भावनाएँ हैं। इससे मैं ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकता हूँ जिससे जन्मभूमि को और मुझे अपमानित होना पड़े। भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तर
मेरा देश भारत
मेरे लिए मेरा देश भारत, मेरी जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्यभूमि और कर्मभूमि है। मेरी भारत भूमि क्षमामयी, दयामयी, करुणामयी, स्नेहमयी है। इसका प्राकृतिक सौंदर्य इतना मनोहारी है कि इसके सौंदर्य से अभिभूत होकर देवता भी सदा-सदा के लिए यहीं रहने का मन बना लेते हैं। यहाँ की संस्कृति इतनी पवित्र है कि जगत्-नियंता भी अवतार लेकर यहाँ रास- लीला करते हैं। यहाँ के लोगों में इतनी मानवीय करुणा है कि देवता भी यहाँ जन्म के लिए तरसते हैं या स्वयं जन्म लेकर धन्य मानते हैं। भारत की गंगा, यमुना ऐसी पवित्र नदियाँ हैं जो हिमालय की गोद से निकलकर कल-कल करती हुई देश के भूभाग को हरा-भरा करती हुई देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जाती हैं। ऐसी नदियों के पवित्र जल में स्नान करने से मन की कलुषित दूर हो जाती है। ऐसा है पवित्र नदियों वाला मेरा देश भारत । ऋषि-मुनियों की तपोभूमि होने के कारण और सत्य-सनातन संस्कृति के लिए जगत्-प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति में वेदों की गरिमा, गीता का अमृत-तत्व, राम का पौरुष, नानक का परोपकार, तुलसी की वाणी, शंकराचार्य का संदेश, आचार्य चाणक्य की ललकार कोने-कोने में सुनाई देती है।

यह वही देश है जहाँ युद्ध के मैदान में तलवारों की झनझनाहट और घोड़ों की हिनहिनाहट के बीच गीता का ज्ञान दिया जाता था, कबीर चर्खे के ताने-बाने में ज्ञान की गुत्थियाँ सुलझाते थे, रविदास जूते गाँठने के बर्तन में गंगाजल की पवित्रता बनाए रखते थे। यहाँ अतिथि को देवता मान पूजा जाता है, कन्या को दुर्गा समझा जाता है, गंगा-यमुना-सरस्वती आदि नदियों को माँ कहकर पुकारा जाता है और पूजा जाता है। इस तरह मेरा देश भारत अद्वितीय देश है।

मेरे देश भारत की भौगोलिक स्थिति भी विचित्र है। साक्षात् भारत माता जीवंत प्रतिमूर्ति हैं। जिनके एक ओर उत्तर में गौरव के प्रतीक रूप में मुकुट के समान हिमालय विराजमान है तो दक्षिण में इनके चरणों को धोता हुआ हिंद महासागर है। ऐसा सुंदर तथा गौरवशाली देश है भारत । हमें अपने देश पर गर्व है।

प्रश्न 11.
आपका मित्र हडसन एंड्री आस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के प्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर
WZ-75B
मौर्य इन्क्लेव,
पीतमपुरा, दिल्ली (भारत)।
17 सितंबर, 20xx
स्नेही मित्र हडसन एंड्री,
मधुर स्मृतियाँ,
मैं यहाँ सकुशल रहते हुए कामना करता हूँ कि तुम भी ईश्वरीय कृपा से स्वस्थ और सानंद होगे। गतवर्ष के वे क्षण बार-बार मेरे स्मृति में कौंध जाते हैं जो तुम्हारे साथ बिताए थे। तुम्हारा हिंदी के प्रति और भारत के प्रति आकर्षण देखकर तुमसे पुनः शीघ्र मिलने की मन में उत्कंठा बनी हुई है।

मैं चाहता हूँ कि तुम इन छुट्टियों में भारत-भ्रमण के उद्देश्य से आ जाओ। भारत के जिन मनोहारी पर्वतीय स्थलों की चर्चा गत वर्ष करते थे उन्हें साक्षात् देखने से निश्चित ही आनंदानुभूति होगी। इस संबंध में पिता जी से परामर्श कर उन सभी पर्वतीय स्थलों पर घूमने चलेंगे, जिनका मैं शब्दों से तुम्हारे मानस-पटल पर चित्र बना रहा था।

तुम शीघ्र ही एक माह रहने की योजना बनाकर भारत आ जाओ। मेरे साथ-साथ मेरे पिता जी भी तुमसे मिलने के लिए उत्कंठित हो रहे हैं। शेष मिलने पर।
अपने माता जी और पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
तुम्हारा ही अभिन्न हृदय
मनीश मौर्य

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों में से समुच्यबोधक छाँटकर अलग लिखिए
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
उत्तर
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) लेकिन

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