Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 9 Heredity and Evolution (Hindi Medium)

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 9 Heredity and Evolution (Hindi Medium)

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Chapter 9. अनुवांशिकता एवं जैव विकास

अध्याय-समीक्षा

  • स्पीशीज में विभिन्नताएँ उसे उत्तरजीविता के योग्य बना सकती हैं अथवा केवल आनुवंशिक विचलन में योगदान देती हैं।
  • कायिक ऊतकों में पर्यावरणीय कारकों द्वारा उत्पन्न परिवर्तन वंशानुगत नहीं होते।
  • विभिन्नताओं के भौगोलिक पार्थक्य के कारण स्पीशीकरण हो सकता है।
  • विकासीय संबंधों को जीवों के वर्गीकरण में ढूँढ़ा जा सकता है।
  • काल में पीछे जाकर समान पूर्वजों की खोज से हमें अंदाजा होता है कि समय के किसी बिंदु पर अजैव पदार्थों ने जीवन की उत्पत्ति की।
  • जैव-विकास को समझने के लिए केवल वर्तमान स्पीशीश का अध्ययन पर्याप्त नहीं है, वरन् जीवाश्म अध्ययन भी आवश्यक है।
  • अस्तित्व लाभ हेतु मध्यवर्ती चरणों द्वारा जटिल अंगों का विकास हुआ।
  • जैव-विकास के समय अंग अथवा आकृति नए प्रकार्यों के लिए अनुकूलित होते हैं। उदाहरण के लिए, पर जो प्रारंभ में ऊष्णता प्रदान करने के लिए विकसित हुए थे, कालांतर में उड़ने के लिए अनुकूलित हो गए।
  • विकास को ‘निम्न’ अभिरूप से ‘उच्चतर’ अभिरूप की ‘प्रगति’ नहीं कहा जा सकता। वरन् यह प्रतीत होता है कि विकास ने अधिक जटिल शारीरिक अभिकल्प उत्पन्न किए हैं जबकि सरलतम शारीरिक अभिकल्प भलीभाँति अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
  • मानव के विकास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि हम सभी एक ही स्पीशीश के सदस्य हैं जिसका उदय अफ्रीका में हुआ और चरणों में विश्व के विभिन्न भागों में फैला |

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 157 

प्रश्न 1. यदि एक ‘ लक्षण – A ’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘ लक्षण – B ’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर :
लक्षण – ‘ B ’ पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि इसका प्रतिशत ज्यादा हैं | लक्षण ‘ A ‘ केवल 10 प्रतिशत जीवों में है | अलैंगिक प्रजनन में DNA  प्रतिकृति के समय कम विभिन्नताएँ होती है |

प्रश्न 2. विभिन्नताओं उत्पन्न होने से  किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार  बढ जाता है ?
उत्तर :
पीढ़ी दर पीढ़ी जीवों के अनुसार स्वयं को बदलना पड़ता है | वह वातावरण के अनुसार अनुकूलित होने पर ही जीवित रह सकते है | अतः विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व बदल जाता है | तथा यह लैंगिक जनन में उत्पन्न होती है |

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प्रश्न 1. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर : 
मेंडल ने बौने व लंबे मटर के पौधों का संकरण किया F1 ( प्रथम पीढ़ी ) में नंही पौधों लंबे आकार के थे | इस प्रकार बौनापन Fपीढ़ी में नंही दिखा | इसके पश्चात् उसने दोनों तरह के पैतृक पौधों तथा  F1 पीढ़ी का स्वपरागण कराया | अब उत्पन्न F2 के सभी पौधे लंडे नहीं थे | इसका निष्कर्ष निकला कि लंबे होने का लक्षण प्रभावी व बौनेपन का लक्षण अप्रभावी हैं

प्रश्न 2. मेंडल के  प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर :
मेंडल ने गोल बीज वाले लंबे पौधों का झुर्रीदार बीजों वाले बिने पौधों से संकरण कराया तो   संतति में सभी पौधे प्र्ब्नावी लक्षणों के थे | परन्तु   संतति में कुछ पौधे गोल बीज वाले , कुछ झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे थे | अतः ये लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं |

प्रश्न 3. एक A ।.रुध्रि वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुध्रि वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग – ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन सा विकल्प लक्षण – रुध्रि वर्ग- ‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर :
यह सुचना पर्याप्त नहीं हैं | कुछ लक्षण जीनोम में निहित होते हैं | परन्तु जानकारी के अनुसार हम कह सकते हैं | कि रूधिर वर्ग (O) प्रभावी हैं | कुछ लक्षण जीन में छुपे होते है केवल प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं |

प्रश्न 4. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर :
बच्चे में लिंग को लिंग गुणसूत्र निर्धारित करता हैं | मानव में गुणसूत्र निर्धारित करता हैं | मानव में गुणसूत्र के 23 जोंडे होते हैं | जिसमें से 1 जोड़ा लिंग गुणसूत्र का होता हैं सित्रयों में लिंग गुणसूत्र (xx) होते हैं | लेकिन पुरूषों में लिंग गुणसूत्र (xy) होते हैं सभी बच्चे माँ से “x” गुणसूत्र पाए जाते है| परन्तु पिता से “X” या “Y” कोई भी |इस प्रकार पिता का गुणसूत्र निर्णय लेता है कि बच्चा बेटा है या बेटी |

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प्रश्न 1. वे कौन से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।
उत्तर : 
विशिष्ट लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या निम्न तरीकों से समष्टि में बढ़ सकती है

  1. समष्टि की वृद्धि लौंगिक प्रजनन पर आधारित है | विभिन्नताएँ ही स्पीशीज को सुरक्षित रखती है | छोटे जीव बड़े जीवों से सुरक्षित रखने के लिए रंग विभेद कर सकता है |
  2. छोटी समष्टि अधिक शिकार बनती है अत: आकार परिवर्तन के कारण भी एक व्यष्टि बच सकती है |

प्रश्न 2. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
उत्तर :
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रभावी लक्षण डी.एन.ए द्र्वारा स्थानांतरित होते है उपार्जित लक्षण डी.एन .ए में नहीं आते अत: ये अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते |

प्रश्न 3. बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है। 
उत्तर :
पर्यावरण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने अन्दर बदलाव उत्पन्न करता है तभी वह जीवित रह पता हैं | बाघ पर्यावरण के अनुकूल परिवर्तन नहीं कर रहे | पर्यावरण में मनुष्य के द्र्वारा आए दिन परिवर्तन हो रहे है | बाघों की संख्या दिन -प्रतिदिन घटती जा रही है जो चिंता का विषय है |

पेज – 166 

प्रश्न 1. वे कौन से कारक हैं जो नयी स्पीशीश के उद्भव में सहायक हैं?   
उत्तर :
कारक जो नवीन स्पीशीज के जन्म में सहायक है |

  1. शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन |
  2. गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन |
  3. विभिन्नताएँ जिसमें जनन की क्षमता न हो |
  4. आनुवंशिक विचलन वा प्राक्रतिक वरण |

प्रश्न 2. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीश के  पौधें के जाति – वद्र्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर :
भौतिक लक्षण भौगोलिक पृथक्करण द्वारा प्रभावित होते है | और इनमें विभिन्नता जाति उद्र्भव का एक अन्य कारण हो सकता है परन्तु मुख्य कारण डी.एन .ए  प्रतिकृति के दौरान उनमें परिवर्तन आना होता है | स्वपरागित स्पीशीज में नई पीढियों में नए बदलाव या विभिन्नताएँ उत्पन्न होने की उम्मीद बहुत कम होती है |

प्रश्न 3. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्र्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर :
अलैंगिक जनन में उत्पन्न जिव लगभग एक दुसरे के सामान होते है तथा उनमें बहुत थोड़ा अन्तर होता है | इस क्रिया में विभिन्नताएँ DNA प्रतिकृति के दौरान  ही होती है तथा ये विभिन्नताएँ बहुत कम होती है |  भौगोलिक पृथक्करण इनमें जाति उद्र्भव का प्रमुख कारक हो सकता है क्योंकि इसके कारण ही नए वातावरण में जीवित रहने वी जीव अपने अन्दर नए उत्पन्न करते है |

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प्रश्न 1. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज़ के  विकासीय संबंध निर्धारण के  लिए करते हैं?
उत्तर :
दो स्पीशीज़ के  विकासीय संबंध निर्धारण के उदाहरण:- पक्षियों , सरीसृप व जल – स्थलचर की तरह ही स्तनधारियों के भी चार पैर होते है | चाहे इनकी आधारभूत संरचना एक पर भिन्न कार्य सम्पन्न करने के लिए इनमें रूपांतरण हुआ है | इस प्रकार समजात लक्षणों से ही हम इन संबंधो को समझ सकते है |

प्रश्न 2. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर :
नहीं ,वे समाजात नहीं समरूप अंग कहलाते है | तितली और चमगादड़ के पंखों की संरचना अलग होती है | वे उत्पति मर भी एक समान नहीं है | तितली के पंख में हह्रिहयाँ नहीं होती जबकि चमगादड़ में होती है |

प्रश्न 3. जीवाश्म क्या हैं? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं?
उत्तर :
मृत जीवों के अवशेष ,चट्टानों पर के चिन्ह या उम्नके साँचे व शरीर की छाप जो हजारों साल पूर्व जीवित थे | इस तरह के सुरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते है | ये जीवाश्म हमें जैव – विकास प्रकम के बारे में कई बातें बताते है जैसे कौन से जीवाश्म नवीन है तथा कौन से पुराने , कौन सी स्पीशीज विलुप्त हो गई है | ये जीवाश्म विकास विभिन्न रूपों तथा वर्गों कभी वर्णन करते गुणों को भी ज्ञात कर सकते है |

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प्रश्न 1. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर : 

सभी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य है | जैसे – उत्खनन , समय – निर्धारण व जीवाश्म अध्य्य के साथ डी.एन.ए. अन्रुक्रम के निर्धारण से मानव के विभिन्न चरणों का ज्ञान होता है | मानव पूर्वजों का उद्र्भव अफ्रीका से हुआ | अफ्रीका से पूर्वज विभिन्न क्षेत्रों में फ़ैल गए तथा कुछ वहीँ पर रह गए | अत: आभासी प्रजातियों का कोई जैविक आधार नहीं है |

प्रश्न 2. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
मानव एवं  चिम्पैंजी दोनों के ही पूर्वज एक सामान थे | चिम्पैंजी मानव के ही सामान अपने क्रियाकलाप सम्पन्न कर सकता है | परन्तु अत्यधिक जटिलता के कारण विकास कि दृष्टि से शरीरिक अभिकल्प में त्रुटियाँ भी है पर फिर भी जीवाणु , मकड़ी व मछली से उत्तम है |

अभ्यास

प्रश्न 1. मेंडल के  एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधें जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधें में पुष्प बैंगनी रंग के  थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जनक पौधें की आनुवंशिक रचना निम्न थी |
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TtWW
(d) TtWw
उत्तर :
(c) TtWW |

प्रश्न 2. समजात अंगों का उदाहरण है | 
(a)  हमारा हाथ तथा कुत्ते  अग्रपाद |
(b)  हमारे दाँत तथा हाथी के  दाँत | 
(c)  आलू एवं घास के  उपरिभूस्तारी |
(d)  उपरोक्त सभी | 
उत्तर :
(d)  उपरोक्त सभी |

प्रश्न 3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किस से अध्कि समानता है ?
(a)  चीन के  विद्यार्थी

(b) चिम्पैंजी
(c)  मकड़ी
(d)  जीवाणु
उत्तर :
(a)  चीन के  विद्यार्थी |

प्रश्न 4 : एक अध्ययन से प्या चलन कि के रंग की आँखों वाले बच्चों के  जनक ( माता-पिता )  की आँखें भी हलके रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के  हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
इस आधर पर यह खा जा सकता है | कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है | क्योंकि माता – पिता की आँखें भी हल्के रंग की है अत: हम प्रभावी लक्षण हल्के रंग को कहेंगें हांलाकि गहरे रंग का लक्षण अप्रभावी है |

प्रश्न 5. जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्रा किस प्रकार परस्पर संबंध्ति है।
उत्तर :
मानव के पूर्वज एक ही थे | धीरे – धीरे जीवों का विकास हुआ तथा इसी विकास के कारण जीव सरलता से जटिलता की ओर अग्रसर हुए तथा विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत हुए | इस प्रकार जैव विकास ही वर्गीकरण की सीढ़ी है |

प्रश्न 6. समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :
वे अंग जो आधारभूत संरचना में एक समान है परन्तु भिन्न – भिन्न कार्य करते है , समजात अंग कहलाते है उदाहरण – पक्षी , जल – स्थलचर अन्य के चार पैर होते है परन्तु सबके कार्य भिन्न है | इसके ठीक विपरीत वे अंग जिनकी आधारभूत संरचना एक समान नंही होती परन्तु भिन्न – भिन्न जीवों में एक ही सामान कार्य करते है ,समरूप अंग कहलाते है |    उदाहरण –  चमगादड़ व पक्षी के पंख | चमगादड़ के पंख दिर्घित अंगुली के बीच की त्वचा के फैलने से परन्तु पक्षी पूरी अग्रबाहू की त्वचा के फैलने से बनती है |

प्रश्न 7. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर :
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें एक काले रंग का कुता व एक सफ़ेद रंग की कुतिया लेनी होगी | यदि दोनों के मध्य संकरण करने के पश्चात सभी संतानें काली रंग की उत्पन्न होती है तो हम कह सकते है कि काला रंग प्रभावी है तथा सफ़ेद रंग अप्रभावी है |

प्रश्न 8. विकासीय संबंध् स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
जीवाश्म उन जीवों के अवशेष है जो अब विलुप्त हो चुके है | जब हम उन जीवों के जीवाश्मों की संरचना की तुलना वर्तमान जीवों से करते है तो हमें पता चलता है की किस प्रकार जीवों का विकास हुआ तथा जीवाश्म विकास क्रम प्रणाली की भी व्याख्या करते है |

प्रश्न 9. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर :
सन् 1929 में ब्रिटिश वैज्ञानिक जे .बी.एस. हाल्डेन ने बताया कि शायद कुछ जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेष्ण हुआ जो जीवो के लिए आवश्यक थे | प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेष्ण द्वारा उत्पन्न  हुए होगें | इसके आमेनिया , मीथेन , तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु परन्तु ऑक्सीजन के नंही थे | 100० C से कम ताप पर गैसों के मिश्रण में चिंगारियां उत्पन्न  करने पर एक सप्ताह बाद 15 प्रतिशत कार्बन सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए | इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं को बनाते हैं | इस प्रकार अजैविक पदार्थो से जीवों की उत्पति हुई |

प्रश्न 10. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या  कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों वेफ विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर :
अलैंगिक जनन विभिन्नताएँ बहुत कम होती है क्योंकि DNA प्रतिकृति लगभग समान होती है अतः संतान में भी अत्यधिक समानता पाई जाती को जन्म देते है | इस प्रकिया में DNA की विभिन्नताएँ स्थायी होती  है तथ स्पीशीज के असितत्व के लिए भी लाभप्रद है |

प्रश्न 11. संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है।
उत्तर :
लैंगिक प्रजनन में जिन सेट केवल एक DNA श्रृंखला के रूप में नंही होता | DNA के दो स्वतंत्र अणु दो गुणसूत्र मिलते है | लैंगिक जनन में संतान को दो गुणसूत्र मिलते है – एक पिटे तथा एक माता से | जो लक्षण प्रभावी होता है व्ही संतान में दिखाई देता है |

प्रश्न 12. केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव ( व्यष्टि ) के  लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
उत्तर :
हाँ , यह सत्य है | प्रकृति जीवों कण चयन करती है | वे जीव जो विभिन्नता दर्शाते है तथा स्वयं को पर्यावरण के अनुकूल बन लेते है जीवित रह पाते है | इसके विपरीत जो विभिन्नता नंही दर्शाते है , विलुप्त हो जाते है | iउदाहरण – पर्यावरण की प्रतिकूलता से बाघों की संख्या में कमी आना |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए किस पौधे को चुना?
उत्तर :
मटर के पौधे को|

प्रश्न 2. जीन क्या होता हैं?
उत्तर :
जीन वह सूक्ष्मतम आनुवंशिक इकाई हैं, जो गुणसूत्रों में उपस्थित DNA का एक भाग होता हैं तथा लक्षण को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करते हैं|

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 9 are helpful to complete your homework.

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NCERT Solutions for Class 12 Sociology Social Change and Development in India Chapter 8 Social Movements (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Sociology Social Change and Development in India Chapter 8 Social Movements (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Sociology Social Change and Development in India Chapter 8 Social Movements (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. एक ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहाँ कोई सामाजिक आंदोलन न हुआ हो, चर्चा करें। ऐसे समाज की कल्पना आप कैसे करते हैं, इसका भी आप वर्णन कर सकते हैं?
उत्तर- स्वयं करे।

प्रश्न 2. निम्न पर लघु टिप्पणी लिखें

  • महिलाओं के आंदोलन
  • जनजातीय आंदोलन

उत्तर-

  • महिलाओं के आंदोलन – 20वीं सदी के प्रारंभ में महिलाओं के कई संगठन सामने आए। इनमें विपेंस इंडियन एसोसिएशन (WIA-1917) ऑल इंडिया विमेंस कॉफ्रेंस (AIWC-1926), नेशनल काउंसिल फॉर विमेन इन इंडिया – (NCWI-1925) शामिल हैं। हालांकि इनमें से कई की शुरुआत सीमित कार्य क्षेत्र से हुई, तथापि इनका कार्यक्षेत्र समय के साथ विस्तृत हुआ। ऐसा अक्सर माना जाता है कि केवल मध्यम वर्ग ही शिक्षित महिलाएँ ही इस प्रकार के आंदोलनों में शरीक होती हैं। किंतु संघर्ष का एक भाग महिलाओं की सहभागिता के विस्मृत इतिहास को याद करना रहा है। औपनिवेशिक काल में जनजातीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ होने वाले संघर्षों तथा क्रांतियों में महिलाओं ने पुरुषों के साथ भाग लिया। अतएव न केवल शहरी महिलाओं ने बल्कि ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों की महिलाओं ने भी महिलाओं के सशक्तिकरण वाले राजनीतिक आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1970 के दशक के मध्य में भारत में महिला आंदोलन का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ। उस काल में स्वायत्त महिला आंदोलनों में वृद्धि हुई। इसका अर्थ यह हुआ कि इस प्रकार के महिला आंदोलन राजनीतिक दलों अथवा उस प्रकार के महिला संगठन जिनके राजनीतिक दलों से संबंध थे, स्वतंत्र थे।
    शिक्षित महिलाओं ने सक्रियतापूर्वक जमीनी राजनीति में हिस्सा लिया। इसके साथ ही उन्होंने महिला आंदोलनों को भी प्रोत्साहित किया। महिलाओं से संबंधित नए मुद्दों पर अब ध्यान केंद्रित किए जाने लगे-जैसे, महिलाओं के ऊपर हिंसा, विद्यालयों के फार्म पर पिता तथा माता दोनों के नाम; कानूनी परिवर्तन, जैसे-भूमि अधिकार, रोजगार, दहेज तथा लैंगिक प्रताड़ना के विरुद्ध अधिकार इत्यादि। इसके उदाहरण हैं, मथुरा बलात्कार कांड (1978) तथा माया त्यागी बलात्कार कांड (1980)। दोनों के ही खिलाफ व्यापक आंदोलन हुए।
    अतएव यह बात भी स्वीकार की गई है कि महिलाओं के आंदोलनों को लेकर भी विभिन्नता रही है। महिलाएँ विभिन्न वर्गों से संबद्ध होती हैं। अतः इनकी आवश्यकताएँ तथा चिंताएँ भी अलग-अलग होती हैं।
  • जनजातीय आंदोलन – अधिकांश जनजातीय आंदोलन मध्य भारत के तथाकथित “जनजातीय बेल्ट’ में स्थित रहे हैं। जैसे संथाल, ओरांव तथा मुंडा जो कि छोटानागपुर तथा संथाल परगना में स्थित हैं। झारखंड के सामाजिक आंदोलनों के करिश्माई नेता बिरसा मुंडा थे, जो एक आदिवासी थे तथा जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया। उनकी स्मृतियाँ अभी भी जीवित हैं तथा भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।। जनजातीयों में एक शिक्षित मध्यम वर्ग प्रदान करने का श्रेय ईसाई मिशनरियों को जाता है। इस शिक्षित वर्ग ने अपनी जातिगत जागरूकता, अपनी पहचान, संस्कृति तथा परापराओं को विकसित किया। दक्षिण बिहार के आदिवासियों को अलग-अलग कर दिए जाने का बोध हुआ। उन्होंने अपने सामान्य प्रतिद्वंद्वी–दिकू, प्रवासी व्यापारियों तथा महाजनों को माना। सरकारी पदों पर विराजमान आदिवासियों ने एक बौद्धिक नेतृत्व का विकास किया तथा पृथक राज्य के निर्माण में चलाए जा रहे आंदोलनों को गति प्रदान किया। झांरखंड के आंदोलनकारियों के
    प्रमुख मुद्दे थे
  • सिंचाई परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण।
  • सर्वेक्षण तथा पुनर्वास की कार्यवाही, बंद कर दिए गए कैंप आदि।
  • ऋणों की उगाही, लगान तथा सहकारी ऋणों का संग्रह, वन्य उत्पादों का राष्ट्रीयकरण इत्यादि। जहाँ तक पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासियों की बात है, इनके प्रमुख मुद्दे थे-अपने क्षेत्र में पृथक जनजातीय पहचान, जनजातियों की पारंपरिक स्वायत्तता प्रदान करने की माँग इत्यादि। किसी कारण वश के कारण ये जनजातियाँ भारत की मुख्यधारा से पृथक रह गई। इस खाई को पाटने की आवश्यकता है। जनजातियों को कैसे अधिकार प्रदान किए जाएँ, जो उन्हें अपनी सांस्कृतिक संस्थाओं को बचाए रखने तथा शेष भारत के साथ जुड़ने में मददगार साबित हो।
  • वनों की जमीन के खोने से जनजातियों के गुस्से का निराकरण किया जाए।
    इस प्रकार से, जनजातीय आंदोलन समाजिक आंदोलनों का एक अच्छा उदाहरण है। इसमें कई मुद्दे शामिल हैं; जैसे आर्थिक, सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय आदि।
    पूर्व में कई पूर्वोत्तर क्षेत्रों ने भारत से अलग रहने की प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया था, किंतु उन्होंने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है तथा भारतीय संविध न के ढाँचे में अपनी पृथक स्वायत्तता की माँग की है।

प्र० 3. भारत में पुराने तथा नए सामाजिक आंदोलनों के बीच अंतर करना कठिन है। चर्चा कीजिए।
उत्तर- पुराने सामाजिक आंदोलन-

  • वर्ग आधारित-अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए एकजुट।
  • उपनिवेशवाद के विरोध में आंदोलन।
  • राष्ट्रवादी आंदोलन तथा एक राष्ट्र के रूप में लोगों का एकजुट होना; जैसे-स्वतंत्रता आंदोलन।
  • राष्ट्रवादी आंदोलन, जिसने विदेशी शक्तियों तथा विदेशी पूँजी के विरोध में सक्रियता दिखाई। मुख्यतः साधन संपन्न तथा शासनहीन वर्गों के बीच संघर्ष से संबंधित। मुख्य मुद्दा-शक्तियों का पुनर्गठन। अर्थात शक्तियों पर नियंत्रण कर उसे शक्तिमान लोगों से छीनकर शक्तिहीन लोगों को देना। श्रमिकों ने पूँजीपतियों के विरुद्ध गतिशीलता दिखाई। महिलाओं का पुरुषों के प्रभुत्व के प्रति संघर्ष आदि।
  • राजनीतिक दलों के संगठनात्मक ढाँचे के अंदर क्रियाकलाप। जैसे- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राष्ट्रवादी आंदोलन का नेतृत्व किया। कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ चीन ने चीनी क्रांति का नेतृत्व किया।
  • राजनीतिक दलों की भूमिका की ही प्रधानता रहती थी तथा गरीब लोगों की बातें प्रभावपूर्ण तरीके से नहीं सुनी जाती थीं।
  • इनका संबंध सामाजिक असमानता तथा संसाधनों के असमान वितरण को लेकर था तथा इन आंदोलनों के यही प्रमुख तत्व हुआ करते थे।
    नए सामाजिक आंदोलन
  • नए सामाजिक आंदोलन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के दशकों में 1960-1970 के दशक के मध्य प्रकाश में आए।
  • इन आंदोलनों न केवल संकीर्ण वर्गीय मुद्दों को उठाया, बल्कि एक बड़े सामाजिक समूहों के विस्तृत तथा सर्वव्यापी मुद्दों को भी अपने आंदोलनों में शामिल किया।
  • अमेरिका की सेना वियतनाम के खिलाफ खूनी खेल में संलिप्त थी।
  • पेरिस में विद्यार्थियों ने श्रमिकों के दल की हड़तालों में शामिल होकर युद्ध के खिलाफ अपना विरोध जतलाया।
  • अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग के द्वारा नागरिक अधिकार आंदोलन चलाया गया।
  • अश्वेत शक्ति आंदोलन।
  • महिलाओं के आंदोलन। पर्यावरण संबंधी आंदोलन।
  • शक्तियों के पुनर्गठन के बजाय जीवन-स्तर के सुधार पर अधिक जोर। जैसे-सूचना का अधिकार, पर्यावरण की शुद्धता इत्यादि।
  • इस तरह के आंदोलन लंबे समय तक राजनीतिक दलों की छतरी के तले रहना पंसद नहीं करते। इसके बजाय नागरिक सामाजिक आंदोलनों से जुड़कर गैर सरकारी संगठनों का निर्माण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गैर सरकारी संगठन अधिक सक्षम, कम भ्रष्ट तथा स्वतंत्र होते हैं।
  • भूमंडलीकरण – लोगों की प्रतिबद्धता को आकार देना। संस्कृति, मीडिया, पारराष्ट्रीय कंपनियों, विधिक व्यवस्था-अंतर्राष्ट्रीय। इस कारण से कई सामाजिक आंदोलन अब अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप ग्रहण कर चुके हैं।
  • आवश्यक तत्व-पहचान की राजनीति, सांस्कृतिक समग्रता, आकांक्षाएँ।

प्र० 4. पर्यावरणीय आंदोलन प्रायः आर्थिक एवं पहचान के मुद्दों को भी साथ लेकर चलते हैं। विवेचना कीजिए।
उत्तर- चिपको आंदोलन पारिस्थतिकीय आंदोलन का एक उपयुक्त उदाहरण है।
यह मिश्रित हितों तथा विचारध राओं का अच्छा उदाहरण हैं। रामचंद्र गुहा अपनी पुस्तक ‘अनक्वाइट वुड्स’ में कहते हैं कि गांववासी अपने गांवों के निकट के ओक तथा रोहडैड्रोन के जंगलों को बचाने के लिए एक साथ आगे आए। जंगल के सरकारी ठेकेदार पेड़ों को काटने के लिए आए तो गाँववासी, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल थीं, आगे बढ़े तथा कटाई रोकने के लिए पेड़ों से चिपक गए। गाँववासी ईंधन के लिए लकड़ी, चारा तथा अन्य दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों पर निर्भर थे।

उसने गरीब गाँववासियों की आजीविका की आवश्कताओं तथा राजस्व कमाने की सरकार की इच्छा के बीच एक संघर्ष उत्पन्न कर दिया। चिपको आंदोलन ने पारिस्थितिकीय संतुलन के मुद्दे को गंभीरतापूर्वक उठाया। जंगलों का काटा जाना वातावरण के विध्वंस का सूचक है, क्योंकि इससे संबंधित क्षेत्रों में बाढ़ तथा भूस्खलन जैसी प्राकृतिक विपदाओं का खतरा रहता है। इस प्रकार से, अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की चिंताएँ चिपको आंदोलन का आधार थी।

प्र० 5. कृषक कृषक एवं नव किसानों के आंदोलनों के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  1. किसान आंदोलन औपनिवेशिक काल से पहले शुरू हुआ। यह आंदोलन 1858 तथा 1914 के बीच स्थानीयता, विभाजन और विशिष्ट शिकायतों से सीमित होने की ओर प्रवृत्त हुआ। कुछ प्रसिद्ध आंदोलन निम्नलिखित है-
    • 1859 की बंगाल में क्रांति जोकि नील की खेती के विरुद्ध था।
    • 1857 का दक्कन विद्रोह जोकि साहूकारों के विरोध में था।
    • बारदोली सत्याग्रह जोकि गाँधी जी द्वारा प्रारंभ किया गया तथा भूमि का कर न देने से संबंधित आंदोलन था।
    • चंपारन सत्याग्रह (1817-18)-यह नील की खेती के विरुद्ध आंदोलन था।
    • तिभागो आंदोलन (1946-47)
    • तेलांगना आंदोलन (1946-51)
  2. नया किसान आंदोलन 1970 के दशक में पंजाब तथा तमिलनाडु में प्रारंभ हुआ। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं-
    • ये आंदोलन क्षेत्रीय स्तर पर संगठित थे।
    • आंदोलनों का दलों से कोई लेना-देना नहीं था।
    • इन आंदोलनों में बड़े किसानों की अपेक्षा छोटे-छोटे किसान हिस्सा लेते थे।
    • प्रमुख विचारधारा – कड़े रूप में राज्य तथा नगर विरोधी।
    • माँग का केंद्रबिंदु – मूल्य आधारित मुद्दे।

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium)

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Chapter 10. प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन

अध्याय-समीक्षा 

  • एक छोटा प्रकाश स्रोत किसी अपारदर्शी वस्तु की तीक्ष्ण छाया बनाता है, प्रकाश के एक सरलरेखीय पथ की ओर इंगित करता है, जिसे प्रायः प्रकाश किरण कहते हैं।
  • प्रकाश का मार्ग सदा सीधा एवं सरल होता है |
  • प्रकाश सभी वस्तुओं को दृश्यमान बनाता है |
  • कोई वस्तु उस पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती है। यह परावर्तित प्रकाश जब हमारी आँखों द्वारा ग्रहण किया जाता है, तो हमें वस्तुओं को देखने योग्य बनाता है।
  • किसी पारदर्शी माध्यम से हम आर-पार देख सकते हैं, क्योंकि प्रकाश इससे पार (transmitted) हो जाता है |
  • प्रकाश से सम्बद्ध अनके सामान्य तथा अदभुत परिघटनाएं हैं जसै – दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब का बनना, तारों का टिमटिमाना, इन्द्रधनुष के सुन्दर रंग, किसी माध्यम द्वारा प्रकाश का मोड़ना आदि।
  • यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है – इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तनकहते हैं।
  • प्रकाश का आधुनिक क्वांटम सिद्धांत, जिसमें प्रकाश को न तो ‘तरंग’ माना गया न ही ‘कण’। इस नए सिद्धांत ने प्रकाश के कण संबंधी गुणों तथा तरंग प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित किया।
  • जब प्रकाश की किरण किसी परावर्तक पृष्ठ से टकराता है तो यह टकराकर पुन: उसी माध्यम में मुड जाता है जिस माध्यम से यह चलकर आता है | इसे ही प्रकाश का परावर्तन कहते हैं |
  • परावर्तन का नियम –
    1. आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है,
    2. आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक ही तल में होते हैं |
  • परावर्तन के ये नियम गोलीय पृष्ठों सहित सभी प्रकार के परावर्तक पृष्ठों के लिए लागू होते हैं।
  • समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब का गुण :
    1. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है।
    2. प्रतिबिंब का साइज बिंब (वस्तु) के साइज़ के बराबर होता है।
    3. प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी पर दर्पण के सामने बिंब है।
    4. इसके अतिरिक्त प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है।
  • प्रकाश की किरण : जब प्रकाश अपने प्रकाश के स्रोत से गमन करता है तो यह सीधी एवं एक सरल रेखा होता है | प्रकाश के स्रोत से चलने वाले इस रेखा को प्रकाश की किरण कहते है |
  • छाया: जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु से होकर गुजरता है तो यह प्रकाश की किरण को परावर्तित कर देता है जिससे उस अपारदर्शी वस्तु की छाया बनती है |
  • दर्पण : यह एक चमकीला और अधिक पॉलिश किया हुआ परावर्तक पृष्ठ होता है जो अपने सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाता है |
  • गोलीय दर्पण (Spherical mirror) : इसका परावर्तक पृष्ठ वक्र (मुड़ा हुआ) होता है | गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर या बाहर की ओर वक्रित हो सकता है |
  • ऐसे दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाता है |
  • अवतल दर्पण (Concave mirror) : इसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर अर्थात गोले के केंद्र की ओर धसा हुआ (वक्रित)  होता है |
  • उत्तल दर्पण (convex mirror) :इसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की तरफ उभरा हुआ (वक्रित) होता है |
  • ध्रुव (Pole): गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते है | इसे P से इंगित किया जाता है |
  • वक्रता केंद्र (Center of Curvature): गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग होता है | इस गोले का केंद्र को गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहते है | इसे अंग्रेजी के बड़े अक्षर C से इंगित किया जाता है |
  • वक्रता त्रिज्या (The radius of Curvature): गोलीय दर्पण के ध्रुव एवं वक्रता केंद्र के बीच की दुरी को वक्रता त्रिज्या कहते है |
  • मुख्य अक्ष (Principal axis): गोलीय दर्पण के ध्रुव एवं वक्रता केंद्र से होकर गुजरने वाली एक सीधी रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते है |
  • मुख्य फोकस (Principal Focus): दर्पण के ध्रुव एवं वक्रता केंद्र के बीच एक अन्य बिंदु F होता है जिसे मुख्य फोकस कहते है | मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरणें परावर्तन के बाद अवतल दर्पण में इसी मुख्य फोकस पर प्रतिच्छेद करती है तथा उत्तल दर्पण में प्रतिच्छेद करती प्रतीत होती है |
  • फोकस दुरी (Focal Length): दर्पण के ध्रुव एवं मुख्य फोकस के बीच की दुरी को फोकस दुरी कहते है, इसे अंग्रेजी के छोटे अक्षर () से इंगित किया जाता है | यह दुरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है |
  • द्वारक (Aperatute): गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अधिकांशत: गोलीय ही होता है | इस पृष्ठ की एक वृत्ताकार सीमा रेखा होती है | गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की इस सीमा रेखा का व्यास, दर्पण का द्वारक कहलाता है |
  • उत्तल दर्पणों का उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च.दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।
  • दर्पण सूत्र :प्रतिबिंब की दुरी (v) का व्युत्क्रम और बिंब की दुरी (u) का व्युत्क्रम का योग फोकस दुरी (f) के व्युत्क्रम के बराबर होता है |
    NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 1
    किसी बिंब का प्रतिबिंब कितना गुना बड़ा है या छोटा है यही प्रतिबिंब का आवर्धन कहलाता है |
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  • आवर्धन के लिए बिंब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है, क्योंकि बिंब हमेशा मुख्य अक्ष के ऊपर और सीधा रखा जाता है |
  • आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब के लिए प्रतिबिंब की ऊँचाई (h’) धनात्मक (+) ली जाती है और वास्तविक और उल्टा प्रतिबिंब के लिए बिंब कि ऊँचाई (h’) ऋणात्मक (-) ली जाती है |
  • प्रकाश का अपवर्तन : जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो यह अपने मार्ग से विचलीत हो जाती हैं। प्रकाश के किरण को अपने मार्ग से विचलीत हो जाना प्रकाश का अपवर्तन कहलाता हैं ।प्रकाश का अपवर्तन सिर्फ पारदर्शी पदार्थों से ही होता है | जैसे शीशा, वायु, जल आदि |
  • जब प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती हैं तो आपतन कोण (i) की ज्या  (sine) तथा  अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता हैं । इस नियम को स्नेल का अपवर्तन नियम भी कहते  हैं |
  • जब प्रकाश की किरण एक माध्यम (विरल) से दूसरे माध्यम (सघन) मे जाती हैं तो यह अभिलंब की ओर मुड जाती हैं । जब यही प्रकाश की किरण सघन से विरल की ओर जाती हैं तो अभिलंब से दूर भागती हैं।
  • जब प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती हैं तो आपतन कोण (i) की ज्या  (sine) तथा  अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक (स्थिरांक) होता हैं । इसी स्थिरांक के मान को पहले माध्यम के सापेक्ष दुसरे माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index) कहते हैं |
  • दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय है, लेंसकहलाता है |
  • वह लेंस जिसके दोनों बाहरी गोलीय पृष्ठों का उभार बाहर की ओर हो उसे उत्तल लेंस कहते हैं | इस लेंस को अभिसारी लेंस भी कहते हैं क्योंकि यह अपने से गुजरने वाले प्रकाश किरणों को अभिसरित कर देता है |
  • वह लेंस जिसके दोनों बाहरी गोलीय पृष्ठ अंदर की ओर वक्रित हो उसे अवतल लेंस कहते हैं | इस लेंस को अपसारी लेंस भी कहते हैं क्योंकि यह अपने से गुजरने वाले प्रकाश किरणों को अपसरित कर देता है |
  • लेंस की क्षमता : किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण और अपसरण करने की मात्रा (degree) को लेंस की क्षमता कहते हैं | यह उस लेंस के फोकस दुरी के व्युत्क्रम के बराबर होता है | इसे P द्वारा व्यक्त किया जाता है और इसका S.I मात्रक डाइऑप्टर (D) होता है |

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 185

प्रश्न 1. अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरणें परावर्तन के बाद दर्पण के ध्रुव एवं वक्रता केंद्र के बीच एक बिंदु F पर प्रतिच्छेद करती है | इसी बिंदु को अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहते है |

प्रश्न 2. एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
वक्रता त्रिज्या = 20 cm
फोकस दुरी = वक्रता त्रिज्या/2
= 20/2
= 10 cm
अत: दिए गए गोलीय दर्पण का फोकस दुरी 10 cm है |

प्रश्न 3. उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।
उत्तर:
अवतल दर्पण, जब अवतल दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच बिंब को रखते है तो यह सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है |

प्रश्न 4. हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
उत्तर:
उत्तल दर्पणों को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ये सदैव सीधा प्रतिबिंब बनाते हैं यद्यपि वह छोटा होता है। इनका दृष्टि.क्षेत्र भी बहुत अधिक है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं। अतः समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं।

पेज – 188

प्रश्न 1. उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता-त्रिज्या 32 cm है।
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
वक्रता त्रिज्या R = 32 cm
वक्रता त्रिज्या = 2 × फोकस दुरी
फोकस दुरी = वक्रता त्रिज्या/2
= 32/2
= 16 cm
अत: उस उत्तल दर्पण की फोकस दुरी = 16 cm है |

प्रश्न 2. कोई अवतल दर्पण आपने सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुणा आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है।
उत्तर:
अवतल दर्पण में,
बिंब की दुरी (u) = – 10 cm
आवर्धन (m) = – 3 [चूँकि प्रतिबिंब वास्तविक है ]
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पेज – 194

प्रश्न 1. वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी ? बताइए क्यों?
उत्तर:
प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी, क्योंकि प्रकाश की किरण वायु जो कि एक विरल माध्यम है से जल जो वायु की तुलना में एक सघन माध्यम है में प्रवेश करता है तो ऐसी स्थिति में प्रकाश अभिलम्ब की ओर झुकेगी |

प्रश्न 2. प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक की काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है? निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 108 m/s है।
उत्तर:
काँच की प्लेट की अपवर्तनांक (n21) = 1.50
माध्यम1 में प्रकाश की चाल (V1) = 3 × 108 m/s
माध्यम2 में प्रकाश की चाल (V2) = ?
माध्यम1 के सापेक्ष माध्यम2 का
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काँच में प्रकाश की चाल = 2 × 108 m/s

प्रश्न 3. सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:

  • अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम हीरा है जिसका अपवर्तनांक 2.42 है |
  • न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम वायु है जिसका अपवर्तनांक 1.0003 है |

प्रश्न 4. आपको किरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
सारणी 10.3 से
किरोसिन का अपवर्तनांक = 1.44
तारपीन का अपवर्तनांक = 1.47
जल का अपवर्तनांक = 1.33
इसमें जल में प्रकाश की चाल सबसे अधिक है और तारपीन के तेल में प्रकाश की चाल सबसे कम है क्योंकि जिसका अपवर्तनांक जितना अधिक होगा उस माध्यम में प्रकाश की चाल उतनी ही कम होगी और जिस माध्यम का अपवर्तनांक जितना कम होगा उसमें प्रकाश की चाल उतनी ही अधिक होगी |

प्रश्न 5. हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का अभिप्राय यह है कि हीरा का प्रकाशिक घनत्व अधिक है जिससे यह एक कठोर पदार्थ है इसमें प्रकाश की चाल सबसे कम है |

पेज – 203

प्रश्न 1. किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी लेंस की फोकस दुरी 1 मीटर है तो इसे लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता कहते है |

प्रश्न 2. कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिंब उसी साइज का बन रहा है जिस साइज का बिंब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल लेंस में –
प्रतिबिंब वास्तविक एवं उल्टा है |
अत: प्रतिबिम्ब की दुरी (v) = 50 cm
बिंब की ऊंचाई (h) = प्रतिबिंब की ऊंचाई (h’)
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प्रश्न 3. 2 m फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल लेंस की फोकस दुरी = – 2 m
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अभ्यास

प्रश्न 1. निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी
उत्तर:
(d) मिटटी

प्रश्न 2. किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र’ के बीच
(b) वक्रता केंद्र पर
(c) वक्रता केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र’ के बीच

प्रश्न 3. किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर

प्रश्न 4. किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ -15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं-
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल
उत्तर:
(a) दोनों अवतल

प्रश्न 5. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है-
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल
उत्तर:
(d) या तो समतल अथवा उत्तल

प्रश्न 6. किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
उत्तर :
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस

प्रश्न 7. 15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर:
अवतल दर्पण में आभासी एवं सीधा प्रतिबिंब तभी बनता है जब बिंब मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच हो | चूँकि अवतल दर्पण का फोकस दुरी 15 cm है, अर्थात ध्रुव और फोकस की बीच की दुरी 15 cm है | इसलिए बिंब को 0cm से 15cm के बीच दर्पण के सामने रखना चाहिए, तभी सीधा प्रतिबिंब बनता है |
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प्रतिबिंब की प्रकृति : आभासी एवं सीधा
प्रतिबिंब का आकार : वस्तु से बड़ा

प्रश्न 8. निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए-
(a) किसी कार का अग्र-दीप (हैड-लाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्टी
अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
(a) किसी कार का अग्र-दीप (हैड-लाइट) अवतल दर्पण का बनाया जाता है, क्योंकि यदि बल्ब को दर्पण के मुख्य फोकस पर रख दिया जाए तो यह दर्पण से परावर्तित होकर एक समांतर किरण पुंज बनाता है |
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(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है क्योंकि ये सदैव छोटा परन्तु सीधा प्रतिबिंब बनाता है | चूँकि उत्तल दर्पण बाहर की ओर वक्रित होता है इसलिए इसका दृष्टि-क्षेत्र काफी बढ़ जाता है जीससे ड्राईवर गाड़ी के पीछे के बहुत बड़े हिस्से को देख पाता है |
(c) सौर भट्टी में सूर्य के प्रकाश केन्द्रित करना पड़ता है जिसके लिए अवतल दर्पण उपयुक्त है | यह दर्पण अनंत से होकर आने वाला मुख्य अक्ष के समान्तर प्रकाश किरणों को फोकस से होकर गुजारता है जिससे फोकस के आस-पास का तापमान 180C से 200C तक बढ़ जाता है |

प्रश्न 9. किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, किसी उत्तल लेंस को यदि आधा भाग काले कागज से ढक भी दिया जाए तब भी यह लेंस किसी दिए गए बिंब का पूरा एवं स्पष्ट प्रतिबिंब बनाता है |
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जाँच – अब एक काले कागज से आधा भाग ढका हुआ उत्तल लेंस को किसी स्टैंड के सहारे रखते हैं और लेंस के एक तरफ जलती हुई मोमबती तथा दूसरी तरफ एक सफ़ेद पर्दा रखिये | अवलोकन में हम पाते हैं कि पर्दे पर मोमबती का पूरा प्रतिबिंब बना हुआ है जो वास्तविक एवं उल्टा है |

प्रश्न 10. 5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
किरण आरेख –
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बिंब की ऊंचाई (h) = + 5 cm
अभिसारी अर्थात उत्तल लेंस में
फोकस दुरी (f) = + 10 cm [लेंस अभिसारी है]
बिंब की दुरी (u) = – 25 cm
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प्रतिबिंब की स्थिति : प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर 16.67 cm की दुरी पर बनेगा |
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प्रतिबिंब का साइज़ : प्रतिबिंब बिंब से छोटा है | तथा ऋणात्मक चिन्ह बताता है कि प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा है |
प्रतिबिंब की प्रकृति : वास्तविक और उल्टा |

प्रश्न 11. 15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है? किरण आरेख खींचिए।
उत्तर :
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अवतल लेंस की फोकस दुरी (f) = – 15 cm
बिंब की दुरी (u) = ?
प्रतिबिंब की दुरी (v) = – 10 cm
लेन्स सूत्र से,
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अत: बिंब को लेंस से 30 cm दूर रखेंगे |

प्रश्न 12. 15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
उत्तल दर्पण की फोकस दुरी = 15 cm
बिंब की दुरी = -10 cm
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प्रतिबिंब की स्थिति : प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6 cm दुरी पर बनेगा |
प्रतिबिंब की प्रकृति : आभासी और सीधा होगा |

प्रश्न 13. एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन 1 है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर :
समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन 1 है इसका अर्थ यह है कि बिंब का आकार प्रतिबिंब के आकार के बराबर है और बिंब से समान दुरी पर प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बना है | इसका धनात्मक चिन्ह यह बताता है कि प्रतिबिंब आभासी और सीधा है |

प्रश्न 14. 5.0 cm लंबाई का कोई बिंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
उत्तल दर्पण का वक्रता त्रिज्या (R) = 30 cm
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प्रतिबिंब की स्थिति : प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 8.6 cm दुरी पर बनेगा |
प्रतिबिंब की प्रकृति : आभासी और सीधा होगा |
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 20

प्रश्न 15. 7.0 cm साइज का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिंब का साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
अवतल दर्पण की फोकस दुरी (f) = -18 cm
बिंब की दुरी (u) = -27 cm
बिंब की ऊंचाई (h) = 7 cm
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 21
प्रतिबिंब की स्थिति : प्रतिबिंब दर्पण के सामने 54 cm दुरी पर बनेगा |
प्रकृति : वास्तविक और उल्टा होगा |
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 22
अत: प्रतिबिंब आवर्धित ​बिंब से बडा बनेगा |

प्रश्न 16. उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता – 2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है?
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 23
अत: फोकस दुरी 50 cm ता 0.5 m है |
ऋणात्मक मान यह बताता है कि लेंस अपसारी लेंस अथवा अवतल लेंस है |

प्रश्न 17. कोई डॉक्टर +1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धरित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?
उत्तर : P = + 1.5 D
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 Light Reflection and Refraction (Hindi Medium) 24
धनात्मक मान यह बताता है कि लेंस अभिसारी है |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1 : आपतित किरण किसे कहते है ?
उत्तर :
प्रकाश स्रोत से किसी दि गई सतह पर पडने वाली प्रकाश किरण को आपतित किरण कहते है।

प्रश्न 2 : परावर्तित किरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
आपतन बिन्दु पर आपतित किरण जब परावर्तित होकर उसी माध्यम में मुड जाती है तो उस किरण को परावर्तित किरण कहते है।

प्रश्न 3 : उस दर्पण का नाम बताइए जो बिम्ब  सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सके ।
उत्तर :
अवतल दर्पण ।

प्रश्न 4 : वाहनों में उतल दर्पण ही क्यों लगाया जाता हैं ?
उत्तर :
क्योकि उतल दर्पण सदैव सीधा प्रतिबिम्ब बनाते हैें। इनका दृष्टि क्षेत्र बहुत अधिक अर्थात लंबी दूरी के भी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाते हैं । क्योकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं ।

प्रश्न 5: प्रकाश के अपवर्तन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती  हैं तो यह अपने मार्ग से विचलीत हो जाती हैं। प्रकाश के किरण को अपने मार्ग से विचलीत हो जाना प्रकाश का अपवर्तन कहलाता हैं ।

प्रश्न 6 : अपवर्तनांक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती  हैं तो यह अपने मार्ग से विचलीत हो जाती हैं। ये विचलन  माध्यम और उस माध्यम में प्रकाश की चाल पर निर्भर करता  हैं । अतः अपवर्तनांक माध्यमों में प्रकाश की चालों का अनुपात होता है।

प्रश्न 7: जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो किस प्रकार मुडती है ?
उत्तर :
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम (विरल) से दूसरे माध्यम (सघन) मे जाती हैं तो यह अभिलंब की ओर मुड जाती हैं । जब यही प्रकाश की किरण सघन से विरल की ओर जाती हैं तो अभिलंब से दूर भागती हैं।

प्रश्न 8 : प्रकाश के परावर्तन के नियम लिखिए |
उत्तर :
प्रकाश परावर्तन के दो नियम है-

  1. परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर हाता है।
  2. आपतित किरण दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण एक ही तल में होते है।

प्रश्न 9: स्नैल का नियम लिखिए |
उत्तर:
जब प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती हैं तो आपतन कोण (i) की ज्या  (sin) अपवर्तन कोण की ज्या (sin) का अनुपात एक नियतांक होता हैं । इस नियतांक को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं । इस नियम को स्नैल का नियम भी कहते है।

प्रश्न 10: प्रकाश के अपवर्तन के नियम लिखिए।
उत्तर :
प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं ।

  1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं ।
  2. जब प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती हैं तो आपतन कोण (i) की ज्या  (sin) तथा  अपवर्तन कोण (r) की ज्या (sin) का अनुपात एक नियतांक होता हैं ।

प्रश्न 11: निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए |
1. किस दर्पण में वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है ?
2. किस दर्पण की फोकस दूरी सदैव धनात्मक होती हैं ।
3. दर्पण का बिम्ब को ऋणात्मक मान क्यों रखते हैं ?
4. उस दर्पण का नाम बताइए जिसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होती हैं ?
उत्तर:
1.  अवतल दर्पण ।
2.  उतल दर्पण ।
3.  क्योकि बिम्ब सदैव दर्पण के सामने (बाई ओर ) ही रखते हैं ।
4.  अवतल दर्पण ।

प्रश्न 12: लेंस की क्षमता क्या हैं ? इसका SI मात्रक क्या है ?
उत्तर :
किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा (डिग्री) को उसकी क्षमता कहते है। यह उस लेंस के फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होता हैं। इसका SI मात्रक डाइऑप्टर (D) होता हैं।
लेंस की क्षमता को  P द्वारा व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 13: किस लेंस की क्षमता धनात्मक होती है ?
उत्तर :
उतल लेंस ।

प्रश्न 14 : किस लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है ?
उत्तर :
अवतल लेंस ।

प्रश्न 15 : एक लेंस की क्षमता +2.0 D है। वह कौन सा लेंस हैं। उस लेंस की फोकस दूरी कितनी है ?
उत्तर :
वह लेंस उतल हैं क्योंकि उतल लेंस की क्षमता धनात्मक होता हैं। उसकी फोकस दूरी + 0.50 m है।

प्रश्न 16 : चश्मा बनाने वाले विभिन्न क्षमता के लेंसों का उपयोग किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर :
चश्मा बनाने वाले विभिन्न क्षमता के लेंसों का उपयोग बीजगणितिय योग के रूप मे करते है। जैसे –
P = P1 + P2+ ……

प्रश्न 17 : प्रकाश का मार्ग किस प्रकार होता है।
उत्तर :
प्रकाश का मार्ग एक सीधी सरल रेखा होती हैं।

प्रश्न 18 : किसी गोलिय दर्पण के फोकस दूरी क्या होती है ?
उत्तर :
किसी गोलिय दर्पण के फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10 are helpful to complete your homework.

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11 Human Eye and Colourful World (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11 Human Eye and Colourful World (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11 Human Eye and Colourful World (Hindi Medium)

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Chapter 11. मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ

अध्याय-समीक्षा

  • मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय हैं। यह कैमरे की भांति कार्य करता हैं ।
  • हम इस अद्भूत संसार के रंग बिरंगे चीजो को इसी द्वारा देख पाते हैं। इसमें एक क्रिस्टलीय लेंस होता है।
  • प्रकाश सुग्राही परदा जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं इस पर प्रतिबिम्ब बनता हैं ।
  • प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता हैं। इस झिल्ली को कॉर्निया कहते हैं ।
  • कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है। जिसे परितारिका कहते हैं।
  • यह पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। जबकि पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता हैं।
  • लेंस दूर या नजदीक के सभी प्रकार के वस्तुओं का समायोजन कर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है।
  • अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता हैं समंजन क्षमता कहलाती हैं।
  • ऐसा नेत्र की वक्रता में परिवर्तन होन पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती हैं ।
  • नेत्र की वक्रता बढ़ने पर फोकस दूरी घट जाती हैं। जब नेत्र की वक्रता घटती हैं तो फोकस दूरी बढ़ जाती है।
  • एक स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए देखने की न्यूनतम दुरी 25 cm होती है |
  • कभी कभी अधिक उम्र के कुछ व्यक्तियों में क्रिस्टलीय लेंस पर एक धुँधली परत चढ़ जाती है। जिससे लेंस दूधिया तथा धुँधली हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिन्द कहते हैं। इसे शल्य चिकित्सा के द्वारा दूर किया जाता हैं।
  • कभी कभी नेत्र धीरे – धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति वस्तुओं को आराम से सुस्पष्ट नही देख पाते हैं। नेत्र में अपवर्तन दोषो के कारण दृष्टि धुँधली हो जाती हैं। इसे दृष्टि दोष कहते हैं।
  • निकट-दृष्टि दोष (मायोपिया) में कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु दूर रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का दूर बिन्दु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता हैं ।
  • इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने बनता है। इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अपसारी (अवतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।
  • दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) में कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का निकट बिन्दु समान्य निकट बिन्दू 25 सेमी पर न होकर दूर हट जाता हैं ।इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के पीछे बनता है।
  • ऐसे व्यक्ति को स्पष्ट देखने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेमी से काफी अधिक दूरी पर रखना पडता हैं । इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।
  • आयु में वृद्धि होने के साथ साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती हैं। अधिकांश व्यक्तियों का का निकट बिन्दु दूर हट जाता हैं इस दोष को जरा दूरदृष्टिता कहते है । इन्है पास की वस्तुए अराम से देखने में कठिनाई होती हैं।
  • यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे धीरे दुर्बल होने के कारण तथा क्रिस्टलीय लेंस की लचीलेपन में कमी के कारण उत्पन्न होता हैं ।
  • इसे द्विफोकसी लेंस के उपयोग से दूर किया जा सकता है।
  • पृथ्वी के उपर वायुमंडल में जैसे – जैसे हम ऊपर जाते हैं, वायु हल्की होती जाती हैं । सुर्योदय होने के पहले एवं सुर्यास्त होने बाद सूर्य से चलने वाली किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित  होकर हमारी आँख तक पहुँच जाती हैं । जब हम इन किरणों को सीधा देखते हैं तो हमें सूर्य की अभासी प्रतिबिम्ब क्षैतिज से उपर दिखाई देता है।
  • रेटिना पर बनने वाली प्रतिबिंब की प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा होता है |
  • सूर्य के प्रकाश के वर्ण निम्न वर्णक्रम में दिखाई देते हैं – बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, एवं लाल ।

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 211

प्रश्न 1. नेत्रा की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
मानव को दूर तथा पास की वस्तुएँ पूर्णत: देखते के लिए नेत्र सुनियोजित करते पड़ते है | इस प्रकार मानव के अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिससे वह अपनी फोकस दुरी कोण सुनियोजित कर लेता है , समाजंन क्षमता कहलाती है |

प्रश्न 2. निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने वेफ लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर :
अवतल लेंस |

प्रश्न 3. मानव नेत्रा की सामान्य दृष्टि के  लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर :
सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिदुं नेत्र से अनंत दुरी तक तथा निकट बिंदु नेत्र से 25CM की दुरी पर होती है |

प्रश्न 4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट  पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीडि़त है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर :
इस विद्यार्थी को निकट – दृष्टि दोष है निकट दृष्टि दोष ( मायोपिया ) को किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस द्वारा संशोधित किया जाता है |

अभ्यास

प्रश्न 1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है | 
(a) जरा-दूरद्दष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर :
(b) समंजन |

प्रश्न 2. मानव नेत्रा जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है |
(a) कॉर्निया

(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर :
(d) दृष्टिपटल |

प्रश्न 3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग-
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5m
उत्तर :
(a) 25 cm |

प्रश्न 4. अभिनेत्रा लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है |
(a) पुतली द्वारा

(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर :
(c) पक्ष्माभी द्वारा |

प्रश्न 5. किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोध्ति करने के लिए -5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संधोजिन करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधिन करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी –
(a) दूर की दृष्टि के लिए |
(b) निकट की दृष्टि के लिए ।
उत्तर : 

प्रश्न 6.  किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर : 

प्रश्न 7.  चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर : 

प्रश्न 8.  सामान्य नेत्र 25 cm  से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर :
मानव की सुस्पष्ट देखने की न्यूनतम दुरी 25cm है | 25cm से कम दुरी पर रखी हुई वस्तु से टकरकार प्रतिबिंब हुए प्रकाश की किरणों का दृष्टिपटल पर वस्तु सुस्पष्ट नहीं दिखाई देगी | क्योंकि मानव नेत्र की क्षमता 25cm से बढाई नहीं जा सकता है |

प्रश्न 9. जब हम नेत्रा से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर :
प्रतिबिंब दूरी सदैव एक जैसी रहती है | इसका कारण है कि वस्तु की दुरी मानव नेत्र के लेंस की फोकस दुरी इस प्रकार समायोजित हो जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टि पटल पर ही बने |

प्रश्न 10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के वायुमंडल का अपवर्तनांक निरंतर परिवर्तित होता रहता है | आँखों में प्रवेश करने वाला तारों का प्रकाश निरंतर अपवर्तन के कारण अनियमित रहता है एवं उस झिलमिलाहट के कारण तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते है |

प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ?
उत्तर :
ग्रहों से पृथ्वी की दुरी काफी कम है | ग्रह प्रकाश के भंडार होते है | जो प्रकाश किरणें ग्रहों से आती है उनमें अपवर्तन नहीं होता है | निकटता व प्रकाश का भंडार होने के साथ – साथ उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं होता अत: वे टिमटिमाते हुए प्रतीत नहीं होते |

प्रश्न 12.  सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर :
सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज पर होता है | उस स्थिति में सूर्य की किरणें पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों तक पहुँचती है उसके पश्चात् हमारी  आँखों तक | कम तंरग दैधर्य के प्रकाश के अधिकतर भाग का वायुमंडल के कणों द्वारा प्रकीर्णन हो जाता है | इस प्रकार केवल लंबी प्रकाश किरणें (लाल) हमारे नेत्रों में प्रवेश कर पाती है और हमें सूर्य रक्ताभ प्रतीत होती है |

प्रश्न 13.  किसी अतंरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर : 
अतंरिक्ष पर वायुमंडल ना होने के कारण वहाँ प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है, क्योंकि वायु के महीन कण ही प्रकाश को प्रकिर्णित करते है | यही कारण है कि अतंरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: मानव नेत्र का एक सवच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर : 

प्रश्न 2: मानव नेत्र क्या है ? इसका कार्य विधि एव विभिन्न अंगको का वर्णन करो।
उत्तर :
मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय हैं। यह कैमरे की भांति कार्य करता हैं । हम इस अद्भूत संसार के रंग बिरंगे चीजो को इसी द्वारा देख पाते हैं। इसमें एक क्रिस्टलीय लेंस होता है। प्रकाश सुग्राही परदा जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं इस पर प्रतिबिम्ब बनता हैं । प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता हैं। इस झिल्ली को कॉर्निया कहते हैं । कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है। जिसे परितारिका कहते हैं। यह पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। जबकि पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता हैं। लेंस दूर या नजदीक के सभी प्रकार के वस्तुओं का समायोजन कर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है।

प्रश्न 3: नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता हैं समंजन क्षमता कहलाती हैं। ऐसा नेत्र की वक्रता में परिवर्तन होन पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती हैं । नेत्र की वक्रता बढ़ने पर फोकस दूरी घट जाती हैं। जब नेत्र की वक्रता घटती हैं तो फोकस दूरी बढ़ जाती है।

प्रश्न 4: किसी वस्तु को देखने के लिए न्युनतम दूरी कितनी होती हैं ?
उत्तर :
25 सेंटीमीटर ।

प्रश्न 5: मोतियाबिन्द क्या है ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ?
उत्तर :
कभी कभी अधिक उम्र के कुछ व्यक्तियों में क्रिस्टलीय लेंस पर एक धँुधली परत चढ़ जाती है। जिससे लेंस दूधिया तथा धुँधली हो जाता है। इस स्थिति को मातियाबिन्द कहते हैं। इसे शल्य चिकित्सा के द्वारा दूर किया जाता हैं।

प्रश्न 6: दृष्टि दोष क्या हैं ? यह कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर :
कभी कभी नेत्र धीरे – धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति वस्तुओं को आराम से सुस्पष्ट नही देख पाते हैं। नेत्र में अपवर्तन दोषो के कारण दृष्टि धुँधली हो जाती हैं। इसे दृष्टि दोष कहते हैं।
यह समान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

  1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
  2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया)
  3. जरा – दूरदृष्टिता (प्रेसबॉयोपिया)

प्रश्न 7: निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) किस प्रकार का दृष्टि दोष हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ?
उत्तर :
निकट-दृष्टि दोष (मायोपिया) में कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु दूर रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का दूर बिन्दु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता हैं । इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने बनता है। इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अपसारी (अवतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।

प्रश्न 8: दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) क्या हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता है 
उत्तर :
दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) में कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का निकट बिन्दु समान्य निकट बिन्दू 25 सेमी पर न होकर दूर हट जाता हैं ।इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के पीछे बनता है। ऐसे व्यक्ति को स्पष्ट देखने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेमी से काफी अधिक दूरी पर रखना पडता हैं । इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।

प्रश्न 9: दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) के उत्पन्न होने के क्या कारण ह0ैं ?
उत्तर :
दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) के उत्पन्न होने के निम्न कारण हैं ।

  1. अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक बढ़ जाना।
  2. नेत्र गोलक का छोटा हो जाना ।

प्रश्न 10: निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर :
निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)के उत्पन्न होने के निम्न कारण हैं ।

  1. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना ।
  2. नेत्र गोलक का लंबास हो जाना ।

प्रश्न 11: जरा – दूरदृष्टिता क्या हैं ? इस दोष के क्या कारण हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ।
उत्तर :
आयु में वृद्धि होने के साथ साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती हैं। अधिकांश व्यक्तियों का का निकट बिन्दु दूर हट जाता हैं इस दोष को जरा दूरदृष्टिता कहते है । इन्है पास की वस्तुए अराम से देखने में कठिनाई होती हैं। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे धीरे दुर्बल होने के कारण तथा क्रिस्टलीय लेंस की लचीलेपन में कमी के कारण उत्पन्न होता हैं । इसे द्विफोकसी लेंस के उपयोग से दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 12: द्विफोकसी लेंस का उपयोग नेत्र के किस दोष के लिए उपयोग किया जाता हैं  ?
उत्तर :
द्विफोकसी लेंस में उतल तथा अवतल दोनो प्रकार के लेंस होते है। जरा दूरदृष्टिता दोष के रोगी के लिए उपयोग किया जाता हैं। जिन्हे निकट तथा दूर दृष्टि दोष दोनो से पिडित होंते हैं।

प्रश्न 13: पक्ष्माभी पेशियों का प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर :
ये पेशियाँ अभिनेत्र लेंस की वक्रता और उसके सम्बन्ध में फोकस दूरी को परिवर्तित करते हैं तथा विभिन्न वस्तुओं को समंजित करने में नेत्र की सहायता करते हैं ।

प्रश्न 14: निकट बिन्दु क्या हैं ?
उत्तर :
वह न्युनतम दूरी, जिस पर रखी वस्तु को बिना किसी प्रयास के असानी से देखा जा सकता हैं । निकट बिन्दु कहलाता हैं ।

प्रश्न 15: दूर बिन्दु क्या हैं ?
उत्तर :
एक समान्य आँख की देखने की अधिकतम दूर बिन्दु जहाँ स्थित किसी वस्तु को देखा जा सकता हैं। दूर बिन्दु कहलाता हैं । यह बिन्दु अनंत पर स्थित होती हैं ।

प्रश्न 16: पुतली से नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को पुतली कैसे नियंत्रित करता हैं ?
उत्तर :
मन्द प्रकाश में पुतली बडी तथा तेज प्रकाश में पुतली छोटी हो जाती हैं ।

प्रश्न 17: पारितारिका का कार्य लिखो।
उत्तर :
यह पुतली के आकार को नियंत्रित करता हैं ।

प्रश्न 18: प्रकाश का विक्षेपण क्या हैं ?
उत्तर :
प्रकाश के अवयवी वर्णो में विभाजन को प्रकाश का विक्षेपण कहते हैं ।

प्रश्न 19: प्रिज्म कोण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रिजम के दो पार्श्व फलको के बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं ।

प्रश्न 20: इन्द्रधनुष कैसे बनता हैं ?
उत्तर :
वायुमंउल में विद्यमान जल की सूक्ष्म बूँदों द्वारा सूय्र के प्रकाश के अपवर्तन के कारण इन्द्रधनुष बनता हैं ।

प्रश्न 21: सूर्य के प्रकाश के वर्णक्रम के वर्ण जिस क्रम में दिखाइ देते है उस क्रम में उनका नाम लिखो। 
उत्तर :
बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, एवं लाल ।

प्रश्न 22: दृष्टि निर्बध क्या हैं ?
उत्तर :
रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब वस्तुएँ के हटाए जाने के 1/10 सेकेण्ड बाद तक स्थिर रहता हैं । इसे दृष्अि निर्बध कहते हैं ।

प्रश्न 23: दो आखें की क्या उपयोगिता हैं ?
उत्तर :
दो आखो से देखने की निम्न उपयोगिता हैं ।

  1. वस्तु की दूरी का ठीक अंदाजा लगाया जा सकता हैं ।
  2. दोनो आँखें एक दूसरे को सेकेण्ड के एक भाग के लिए अराम देते हैं ।

प्रश्न 24: सुर्योदय होने के पहले एवं सुयास्त होने बाद भी हमें सूर्य क्यों दिखाइ देता हैं ?
उत्तर :
पृथ्वी के उपर वायुमंडल में जैसे – जैसे हम ऊपर जाते हैं, वायु हल्की होती जाती हैं । सुर्योदय होने के पहले एवं सुर्यास्त होने बाद सूर्य से चलने वाली किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित  होकर हमारी आँख तक पहुँच जाती हैं ।़ जब हम इन किरणों को सीधा देखते हैं तो हमें सूर्य की अभासी प्रतिबिम्ब क्षैतिज से उपर दिखाई देता है।

प्रश्न 25: क्या कारण हैं कि सूर्योदय से पहले ही और सूर्यास्त के बाद तक हमे सूर्य दिखाई देता हैं ?
उत्तर :
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्योदय से पहले ही और सूर्यास्त के बाद तक हमे  दरअसल सूर्य का अभासी प्रतिबिम्ब दिखाई देता रहता है। इसलिए सूर्योदय से 2 मीनट पहले ही और सूर्यास्त के 2 मीनट बाद तक हमे सूर्य दिखाई देता हैं।

प्रश्न 26: आकाश का रंग नीला प्रतीत होता है ?
उत्तर :
आकाश का रंग नीला प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला प्रतीत होता है।

प्रश्न 27: रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर :
रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति वास्तविक तथा उल्टा होती है।

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium)

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Chapter 12. विद्युत

अध्याय-समीक्षा 

  • कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं|
  • एबोनाईट कि छड को ऊन के धागे से रगडा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है |
  • इलेक्ट्रानों कि कमी के कारण धन आवेश उत्पन्न होता है |
  • इलेक्ट्रानों कि अधिकता से ऋण आवेश उत्पन्न होता है |
  • समान आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं |
  • असमान आवेश एकदूसरे को आकर्षित करती हैं |
  • जब विद्युत आवेश विराम कि स्थिति में रहती हैं तो इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं |
  • जब विद्युत आवेश गति में होता है तो इसे धारा विद्युत कहते हैं |
  • विद्युत आवेश के बहाव को विद्युत धारा कहते है |
  • विद्युत धारा किसी चालक/तार से होकर बहता है |
  • विद्युत धारा एक सदिश राशि है |
  • इलेक्ट्रोंस बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल पर ऋण आवेश के द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं तथा धन टर्मिनल पर धन आवेश पर आकर्षित होते हैं | इसलिए इलेक्ट्रोंस ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं |
  • वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत आवेश को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं चालक कहलाते हैं | उदाहरण : तांबा, सिल्वर, एल्युमीनियम इत्यादि |
  • अच्छे चालक धारा के प्रवाह का कम प्रतिरोध करते हैं |
  • कुचालकों का धारा के प्रवाह की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है |
  • वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते हैं वे पदार्थ विद्युत के कुचालक कहलाते हैं | उदाहरण : रबड़, प्लास्टिक, एबोनाईट और काँच इत्यादि |
  • चालकता किसी चालक का वह गुण है जिससे यह अपने अंदर विद्युत आवेश को प्रवाहित होने देते हैं |
  • अतिचालकता किसी चालक में होने वाली वह परिघटना है जिसमें वह बहुत कम ताप पर बिल्कुल शून्य विद्युत प्रतिरोध करता है |
  • कूलाम्ब का नियम : किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच आवेशों पर लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल, आवेशों के  गुणनफल (q1,q2) के अनुक्रमानुपाती होते हैं और उनके बीच की दुरी (r) के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होते हैं | 

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 222

प्रश्न 1. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर :

प्रश्न 2. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर : 

प्रश्न 3. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

पेज – 224

प्रश्न 1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर : 

प्रश्न 2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओ के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर : 

प्रश्न 3. 6 V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर : 

पेज – 232

प्रश्न 1. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर : 

प्रश्न 2. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर : 

प्रश्न 3. मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर : 

प्रश्न 4. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के बनाए जाते हैं?
उत्तर : 

प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिएः
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
उत्तर : 

पेज – 237

प्रश्न 1. किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2 V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक, एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर : 

प्रश्न 2. प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभावांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर : 

पेज – 240

प्रश्न 1. जब (a) 1 Ω तथा 106 Ω (b) 1 Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे।
उत्तर : 

प्रश्न 2. 100 Ω का एक विद्युत लैम्प, 50 Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फ़िल्टर 220 V के विद्युत स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती है?
उत्तर : 

प्रश्न 3. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:

प्रश्न 4. 2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4 Ω, (b) 1 Ω हो?
उत्तर:

प्रश्न 5. 4 Ω, 8 Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके |
उत्तर: 

पेज – 242

प्रश्न 1. किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर:

प्रश्न 2. एक घंटे में 50 W विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर :

प्रश्न 3. 20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5 A विद्युत धारा लेती है। 30 s में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

पेज – 245

प्रश्न 1. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर: 

प्रश्न 2. कोई विद्युत मोटर 220 V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

अभ्यास-प्रश्नावली 

प्रश्न 1. प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R′ अनुपात का मान
क्या है-
(a)  1/25
(b)  1/5
(c)   5
(d)   25
उत्तर: (d)   25

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 1

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R
उत्तर:
(b) IR2
हल: P = VI = I2R = V2/R

प्रश्न 3. किसी विद्युत बल्ब का अनुमंताक 220 V; 100 W है। जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100 W
(b) 75 W
(c) 50 W
(d) 25 W
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 2

प्रश्न 4. दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1:2
(b) 2:1
(c) 1:4
(d) 4:1
उत्तर: (c) 1:4
हल :
चालक के पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं,
∴  R1 = R2  ….. (1)
माना श्रेणी क्रम में जुड़े प्रतिरोध का तुल्य प्रतिरोध R = R1 + R2 = 2R1 (समी० 1 से)
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 3
श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 4

प्रश्न 5. किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
वोल्टमीटर को हमेशा पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है ।

प्रश्न 6. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10–8 Ω m है। 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
उत्तर:
तार का व्यास d = 0.5 mm
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 5
चूँकि प्रतिरोध R तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
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प्रश्न 7. किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं।
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 7
V तथा I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 8

प्रश्न 8. किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
उत्तर :-
वोल्ट = 12v ,

प्रश्न 9. 9 V की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω, 0.4 Ω , 0.5 Ω तथा 12 Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12 Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?

प्रश्न 10. 176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्रोत से संयोजन से 5 A विद्युत धारा प्रवाहित हो?

प्रश्न 11. यह दर्शाइए कि आप 6 Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध (i) 9 Ω, (ii) 4 Ω हो।

प्रश्न 12. 220 V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों वेफ बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते है?

प्रश्न 13. किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24 Ω है तथा इन्हें पृथक-पृथक, श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220 V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?

प्रश्न 14. निम्ललिखित परिपथों में प्रत्येक में 2 Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिएः
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित 1 Ω तथा 2 Ω श्रेणीक्रम संयोजन
(ii) 4 ट बैटरी से संयोजित 12 Ω तथा 2 Ω का पार्श्वक्रम संयोजन।

प्रश्न 15. दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 Vहै, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती है?

प्रश्न 16. किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है: 250 W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?

प्रश्न 17. 8 Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15 A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 3 Metals and Non-metals (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 3 Metals and Non-metals (Hindi Medium)

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Chapter 3. धातु और अधातु

अध्याय-समीक्षा

  • तत्व तीन प्रकार के होते हैं – धातु, अधातु एवं उपधातु |
  • प्रकृति में धातुएँ स्वतंत्र अवस्था में या अपने यौगिकों के रूप में पाई जाती हैं।
  • खनिज पृथ्वी के अन्दर पाए वाले वह प्राकृतिक पदार्थ है जिसमें धातुऐें के यौगिक पाये जाते है। जैसे मैग्निज, बाक्साइड आदि।
  • अयस्क वह खनिज होते हैं। जिनसे धातुओं का निष्कर्षण लाभप्रद हो और जिनमें धातु की मात्रा अधिक हो |
  • धातुओं का वह गुण जिनसे उनकों हथौड़े से पीट कर पतली चादर बनाई जा सकती है । धातुओं के इस गुण को अघातवर्ध्यता कहते हैं । सोना तथा चॉदी सबसे अधिक अघातवर्ध्य धातुऐ हैं |
  • धातुओं का वह गुण जिनसे उनकों खीचकर पतली तार बनाया जा सकता है धातुओं के इस गुण को तन्यता कहते हैं ।
  • किसी धातु का अन्य धातु या अधातु के साथ समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं | उन्हे पिघली अवस्था मे रख कर प्राप्त किया जाता है ।
  • पृथ्वी से प्राप्त खनिज अयस्कों में मिटटी, रेत आदि जैसे कई अशुद्धियाँ होती है जिन्हें गैंग कहते है।
  • किसी धातु पर जस्ता लेपन की प्रक्रिया को जस्तीकरण या गैल्वीनीकरण कहते है।
  • अयस्क से धातु का निष्कर्षण तथा उसका परिष्करण कर उपयोगी बनाने के प्रक्रम को धातुकर्म कहते हैं।
  • धातुएँ तन्य, आघातवर्ध्य, चमकीली एवं ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती हैं। पारद के अलावा सभी धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस होती हैं। कमरे के ताप पर पारद द्रव होता है।
  • धातुएँ विद्युत धनात्मक तत्व होते हैं क्योंकि यह अधातुओं को इलेक्ट्रॉन देकर स्वयं धन आयन में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर धातुएँ क्षारकीय ऑक्साइड बनाती हैं। ऐलुमिनियम ऑक्साइड एवं जिंक ऑक्साइड, क्षारकीय ऑक्साइड तथा अम्लीय ऑक्साइड, दानों के गुणधर्म प्रदर्शित करती हैं। इन ऑक्साइड को उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं।
  • कार्बोनेट अयस्कों को वायु कि अनुपस्थिति में अयस्क को गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना निस्तापन कहलाता है ।
  • सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना भर्जन कहलाता है |
  • सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना भर्जन कहलाता है |
  • जल एवं तनु अम्लों के साथ विभिन्न धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न होती है।
  • प्राकृतिक रंबड को सल्फर के साथ गर्म करने की प्रक्रिया को रबंड का वाल्वनीकरण कहते है | ऐसा उनके गुणों में सुधार करने के लिए किया जाता है ।
  • अभिक्रियाशीलता के आधार पर अवरोही क्रम में व्यवस्थित सामान्य धातुओं की सूची को सक्रियता श्रेणी कहते हैं।
  • सक्रियता श्रेणी में हाइड्रोजन के ऊपर स्थित धातुएँ तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती हैं।
  • अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ अपने से कम अभिक्रियाशील धातुओं को उसके लवण विलयन से विस्थापित कर सकती हैं।
  • दो या दो से अधिक धातुओं अथवा एक धातु या एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।
  • लंबे समय तक आर्द्र वायु के संपर्क में रखने से लोहा जैसे कुछ धातुओं की सतह संक्षारित हो जाती है। इस परिघटना को संक्षारण कहते हैं।
  • अधातुओं के गुणधर्म धातुओं के विपरीत होते हैं। यह न तो आघातवर्ध्य तथा न ही तन्य होते हैं। ग्रैफाइट के अलावा सभी अधातुएँ ऊष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं। ग्रैफाइट विद्युत का चालक होता है।
  • अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक तत्व होती हैं क्योंकि धातुओं के साथ अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आवेशित आयन बनाती हैं।
  • अधातुएँ ऑक्साइड बनाती हैं जो अम्लीय या उदासीन होती हैं।
  • अधातुएँ तनु अम्लों में से हाइड्रोजन का विस्थापन नहीं करती हैं। यह हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाती हैं।
  • सोडियम और पोटैशियम ऐसी दो धातुएँ हैं जिनकों चाकू से काटा जा सकता है |
  • गैलियम और सीजियम ऐसी दो धातुएँ हैं जिन्हें हथेली पर रखते ही पिघल जाती हैं |
  • धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारकीय होता है जबकि अधातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय होता है |
  • कैल्शियम ठंढे जल में तैरने लगता है जबकि मैग्नेशियम गर्म जल में तैरता है |
  • स्टील को कठोर बनाने के लिए इसमें 0.05 % कार्बन मिलाया जाता है |

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 45

Q1. ऐसी धातु का उदाहरण दीजिए जो

(a) कमरे के ताप पर द्रव होती है  

(b) चाकू से आसानी से काटा जा सकता है |

(c) ऊष्मा की सबसे अच्छी चालक होती है।         

(d) ऊष्मा की कुचालक होती है।

उत्तर: (a) मर्करी |

(b) सोडियम , लिथियम और पौटैशियम  |

(c) सिल्वर तथा कॉपर |

(d) लेड और मर्करी |

Q2. आघातवर्ध्य तथा तन्य का अर्थ बताइए। 

उत्तर: कुछ धातुओ को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है | इस गुणधर्म को आघातवर्ध्य कहते है | कुछ धातुओ के पतले तार के रूप में खीचने कि क्षमता को तन्यता कहते है |

पेज – 51

Q1. सोडियम को केरोसिन में डुबोकर क्यों रखा जाता हैं?

उत्तर : सोडियम ओर पोटैशियम अत्यधिक क्रियाशील धातु है,ये वायु के साथ अभिक्रिया कर आसानी से आग पकड लेते है इसलिए सोडियम को केरोसिन में डुबोकर रखा जाता हैं|

Q2. इन अभिक्रियाओं के  लिए समीकरण लिखिएः

(a) भाप के  साथ आयरन।
(b) जल  साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम।

उत्तर :

  • 3Fe(s)+ 4H2O(g)→ Fe3O4+4H2(g)
  • Ca(s)+2H2O(I)→ Ca(OH)2 (aq)+H2(g)

Q3. A,B,C एवं D चार धातुओं के  नमूनों को लेकर एक-एक करके  निम्न विलयन में डाला गया। इससे प्राप्त परिणाम को निम्न प्रकार से सारणीबदध किया गया है  ?

इस सारणी का उपयोग कर धातुA ,B, C एवं D  के  संबंध में निम्न प्रश्नों के  उत्तर दीजिएः 

(a) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन सी है?

(b) धातु B को कॉपर (ii) सल्फेट के विलयन में डाला जाए तो क्या होगा?

(c) धातु A, B, C एवं D को अभिक्रियाशीलता के घटते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Q4. अभिक्रियाशील धातु को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में डाला जाता है तो कौन सी गैस निकलतीहै? आयरन के  साथ तनु H2SO4 की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। है?

उत्तर: हाइड्रोजन गैस विसर्जित होती है |

Fe (s) + H2SO4  → FeSO4 (aq) + H2 (g)

Q5. जिंक को आयरन (ii) सल्फेट के विलयन में डालने से क्या होता है? इसकी रासायनिक
अभिक्रिया लिखिए।

उत्तर : जिंक को आयरन सल्फेट के विलयन से आयरन को विस्थापित कर देते है |

Zn + FeSO4   → ZnSO4 + Fe

पेज – 54

Q1.
(i) सोडियम, ऑक्सीजन एवं मैग्नीशियम के लिए इलेक्ट्रॉन-बिंदु संरचना लिखिए|

(ii) इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण के द्वारा Na2O एवं H2O का निर्माण दर्शाइए।

(iii) इन यौगिकों में कौन से आयन उपस्थित हैं?

Q2. आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है?

उत्तर : आयनिक यौगिक में परस्पर आयनिक आकर्षण बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होता है | इस शक्तिशाली बंध को तोड़ने के लिए अत्याधिक ऊर्जा आवश्यक होती है | अतः इनका गलनांक उच्च होता है |

पेज – 59

Q1. निम्न पदों की परिभाषा दीजिएः

(i)  खनिज                        

(ii) अयस्क                

(iii) गैंग

उत्तर :
(i) खनिज वे पदार्थ होते है जिनमे धातुएँ अपने यौगिक के रूप में पाई जाती है |

(ii) ऐसे खनिज जिनमे धातुओ का निष्कर्षण अत्याधिक सरल व उपयुक्त होता है , अयस्क कहलाते है |

(iii) खनिज प्रकृति में शुद्ध रूप से प्राप्त नहीं होते है उनमे उपस्थित अशुद्धियो को गैंग कहते है |

Q2. दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।

उत्तर : सोना और प्लैटिनम |

पेज – 61

Q1. जिंक , मैग्नीशियम एवं कॉपर के धात्विक ऑक्साइडों को निम्न धातुओं के साथ गर्म किया गयाः किस स्थिति में विस्थापन अभिक्रिया घटित होगी?

Q2. कौन सी धातु आसानी से संक्षारित नहीं होती है?

उत्तर : सोना , प्लैटिनम व चाँदी |

Q3. मिश्रातु क्या होते हैं?

उत्तर : दो या दो से अधिक धातुओ के समांगी मिश्रण को मिश्रातु कहते है |

अध्याय :

Q1. निम्न में कौन सा युगल विस्थापन अभिक्रिया प्रदर्शित करता हैः
(a) NaCI विलयन एवं कॉपर धातु
 (b) MgCIविलयन एवं ऐलुमिनियम धातु
 (c) FeSO4विलयन एवं सिल्वर धातु
 (d) AgNO3 विलयन एवं कॉपर धातु

उत्तर:  (d) AgNO3 विलयन एवं कॉपर धातु |

Q2. लोहे के फ्राइंग पैन (frying pan) को जंग से बचाने के लिए निम्न में से कौन सी विधि उपयुक्त हैः
(a) ग्रीश लगाकर
(b) पेंट लगाकर
(c) जिंक  की परत चढ़ाकर
(d) ऊपर के सभी

उत्तर: (c) जिंक  की परत चढ़ाकर |

Q3. कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर उच्च गलनांक वाला यौगिक निर्मित करती है। यह यौगिक जल में विलेय है। यह तत्व क्या हो सकता है?
(a) कैल्सियम
(b) कार्बन
(c) सिलिकन
(d) लोहा

उत्तर: (a) कैल्सियम |

Q4. खाद्य पदार्थ वेफ डिब्बों पर  जिंक की बजाय टिन का लेप होता है क्योंकि
(a) टिन की अपेक्षा  जिंक मँहगा है।
(b) टिन की अपेक्षा जिंक का गलनांक अधिक है
(c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है
(d) टिन की अपेक्षा जिंक कम अभिक्रियाशील है

उत्तर: (c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है|

Q5. आपको एक हथौड़ा, बैटरी, बल्ब, तार एवं स्विच दिया गया हैः
(a) इनका उपयोग कर धातुओं एवं अधातुओं के नमूनों के बीच आप विभेद कैसे कर सकते हैं?
(b) धातुओं एवं अधातुओं में विभेदन के लिए इन परीक्षणों की उपयोगिताओं का आकलन कीजिए।

उत्तर: (a) 

  1. हथौड़े से पीटकर  – धातु की पतली चादर प्राप्त होती है | जबकि आधातु भंगुर होती है अतः छोटे – छोटे टुकड़ो में बिखर जाएगी |
  2. विद्युत् परिपथ द्वारा – सर्वप्रथम बल्ब, बैटरी, तार तथा स्विच का उपयोग कर निम्न परिपथ बनाईए | इसके बाद बारी – बारी से धातुए और आधातुए के दिए गए नमूने को विद्युत् परिपथ के क्लिप में लगाकर स्विच को ऑन करते है| तो हम देखेंगे की धातुओ की स्थिति में वलब जलने लगता है जबकि आधतुओ के साथ बल्ब नहीं जलता है |

(b) परिक्षण (a)
(ii) ज्यादा उपयुक्त तरीका है क्योंकि ग्रेफाइट एक धातु है , परन्तु विद्युत् का सुचालक है इसलिए इसके साथ भी बल्ब जलने लगेगा |

Q6. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों का उदाहरण दीजिए।

उत्तर: ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षारक दोनों से आभिक्रिया करके लवण तथा जल प्रदान करते है , उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते है|

उदाहरण : ऐलुमिनियम ओक्साइड (Al2O3) और जिंक ऑक्साइड (ZnO)

Q7. दो धातुओं के नाम बताइए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे, तथा दो धातुएँ जो ऐसा नहीं कर सकती हैं।

उत्तर: मैग्नीशियम और कैलिसियम धातुए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे जबकि कॉपर तथा सिल्वर धातुए हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर पाएंगी क्योंकि ये धातुए हाइड्रोजन से कम अभिक्रियाशील है|

Q8. किसी धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण में आप ऐनोड, कैथोड एवं विद्युत अपघट्य किसे बनाएँगे?

उत्तर: धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण मे के लिए –

अशुद्ध धातु M का   → ऐनोड

शुद्ध धातु M कि पतली पट्टी  → कैथोड

विद्युत अपघट्य  → M धातु का अम्लीक्रित लवण का विलयन

Q9. प्रत्यूष ने सल्फर चूर्ण को स्पैचुला में लेकर उसे गर्म
किया। चित्रा के अनुसार एक परखनली को उलटा कर के उसने उत्सर्जित गैस को एकत्रा किया

(a) गैस की क्रिया क्या होगी

  1. सूखे लिटमस पत्रा पर?
  2. आर्द्र लिटमस पत्रा पर?

(b) ऊपर की अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।

Q10. लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके  बताइए।

उत्तर:लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके निम्न है:

(i) यशदलेपन द्वारा – इस विधि में लौहे एवं इस्पात पर जिंक की पतली परत चढ़ाई जाती है |

(ii) पेंटिंग द्वारा – इस विधि में लौहे की वस्तु पर पेंट कर देते है, ताकि इसकी सतह वायु और आर्द्रता के सीधे सम्पर्क में ना रहे |

Q11. ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अधातुएँ कैसे ऑक्साइड बनाती हैं?

उत्तर: ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं|

Q12. कारण बताइएः

(a) प्लैटिनम, सोना एवं चांँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।
(c) ऐलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है,फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
(d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

उत्तर:
(a) प्लैटिनम, सोना एवं चांँदी चमकदार धातुए है एवं संक्षारित भी नहीं होती है अतः इनका उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।

(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम वायु में खुला छोड़ने पर अपनी अत्याधिक क्रियाशीलता के कारण आसानी से आग पकड़ लेती है | अतः इसको तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।

(c) ऐलुमिनियम के बर्तन आसानी से संक्षारित नहीं होते अतः यह ऊष्मा के सुचालक है |

(d) धातुओ को उनके ऑक्साइड से पृथक करना ज्यादा आसान प्रक्रिया है अतः निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

Q13. आपने ताँबे के  मलीन बर्तन को नींबू या इमली के रस से साफ करते अवश्य देखा होगा। यह खट्टे पदार्थ बर्तन को साफ करने में क्यों प्रभावी हैं?

उत्तर: नींबू या इमली जैसे पदार्थ में अम्ल होता है यह अम्ल तांबे के अशुद्ध पदार्थ को साफ़ करने में प्रभावी होता है इससे तांबे के बर्तनों कि चमक बनी रहती है |

Q14. रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं एवं अधातुओं में विभेद कीजिए।

उत्तर: धातु के रासायनिक गुणधर्म :

(i) धातुए क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है |

(ii) धातु अपचायक होती है |

(iii) धातुए जल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देती है |

अधातु के रासायनिक गुणधर्म :

(i) अधातुए अम्लीय या उदासीन ऑक्साइड बनाती है |

(ii) अधातु उपचायक होती है |

(iii) अधातुए जल से हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर पाती है |

Q15. एक व्यक्ति प्रत्येक घर में सुनार बनकर जाता है। उसने पुराने एवं मलीन सोने के आभूषणों में पहले जैसी चमक पैदा करने का ढोंग रचाया। कोई संदेह किए बिना ही एक महिला अपने सोने के  कंगन उसे देती है जिसे वह एक विशेष विलयन में डाल देता है। कंगन नए की तरह चमकने लगते हैं लेकिन उनका वजन अत्यंत कम हो जाता है। वह महिला बहुत दुखी होती है तथा तर्क- वितर्क  के पश्चात उस व्यक्ति को झुकना पड़ता है। एक जासूस की तरह क्या आप उस विलयन की प्रकृति के बारे में बता सकते हैं।

उत्तर: उस व्यक्ति ने ” ऐक्वा रेजिया “ विलयन का प्रयोग कर महिला के सोने को गला दिया तथा वजन कम हो गया | इसमें 3:1 अनुपात में सांद्रता HCL और सांद्रता HNO3 होता है |

Q16. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रातु) का नहीं। इसका कारण बताएइए।

उत्तर: कॉपर ऊष्मा का अच्छा सुचालक है और यह गर्म जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है इसके विपरीत आयरन गर्म जल के साथ आभिक्रिया करता है |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिरिक्त प्रश्न हल सहित:

Q1. – धातु क्या है ?

उत्तर- धातुएँ वे तत्व होती है जो इलैक्ट्रान खोकर धनात्मक आयन बनाते है। धातु के बाह्यतम कोश मे सामान्यत: एक दो या तीन इलैक्ट्रान होते हैं। धातुऐ चमकिली होती है और ठोस होती है। धातु उष्मा तथा विधुत की सुचालक होती है।

Q2. – अधातु क्या है ?
उत्तर – अधातु वे तत्व है जो इलैक्ट्रान लेकर ऋणात्मक आयन बनाती है। अधातुऐं परमाणुओं के बाह्यतम कोश में पॉच, छः, सात तथा आठ इलैक्ट्रान होता है। केवल हाइड्रोजन तथा हीलियम को छोडकर के अधातु ठोस, द्रव्य और गैस तीनो होते है। यह सामान्य ऊष्मा तथा विदुयुत के कुचालक होते है।

Q3. – खनिज क्या है ?
उत्तर – खनिज पृथ्वी के अन्दर पाए वाले वह प्राकृतिक पदार्थ है जिसमें धातुऐें के यौगिक पाये जाते है। जैसे मैग्निज, बाक्साइड आदि।

Q4. – अयस्क क्या है ?

उत्तर – अयस्क वह खनिज होते हैं। जिनसे धातुओं का निष्कर्षण लाभप्रद हो और जिनमें धातु की मात्रा अधिक हो |

सभी अयस्क खनिज होती है। परन्तु सभी खनिज अयस्क नही होता है। वह खनिज जो सस्ते से सस्ते विधी से किसी तत्व को प्राप्त करते है वह तत्व का अयस्क कहलाता है।

Q5. – गैंग किसे कहते है ?

उत्तर – पृथ्वी से प्राप्त खनिज अयस्कों में मिटटी, रेत आदि जैसे कई अशुद्धियाँ होती है जिन्हें गैंग कहते है।

Q6. – धात्विक या धातुक्रम क्या है ?

उत्तर – अयस्क से धातुओं का निष्कर्षण करने तथा धातुओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया को धात्विक या धातु क्रम कहते है ।

Q7. – निस्तापन क्या है ?
उत्तर – कार्बोनेट अयस्कों को वायु कि अनुपस्थिति में अयस्क को गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना निस्तापन कहलाता है ।

Q8. – अयस्क का समृद्धिकरण क्या है ?
उत्तर – अयस्कों में से अंवाछनिय अशुद्धियों को दूर करने की प्राक्रिया को अयस्क का समृद्विकरण या साद्ररण कहते हैं ।

Q9. – भर्जन क्या है ?
उत्तर – सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना भर्जन कहलाता है

Q10. – धातु परिष्करण क्या है ? धातु परिष्करण की कितनी विधियाँ है। 
उत्तर – अशुद्ध धातुओं को शुद्ध करना धातु परिष्करण कहलाता है।

धातु परिष्करण की चार विधियाँ है ।

  1. परिसमापन
  2. आसवन
  3. विद्युत अपघट्य परिष्करण
  4. जोन परिष्करण विधि

Q11. – धातु का सक्षांरण क्या है ?

उत्तर – धातु का सक्षांरण धातु के क्षय होने की एक धीमी प्रक्रिया है जो अपने आस-पास उपस्थिति वायु (अॅाक्सीजन) तथा नमी तथा प्रदूषको की क्रिया के कारण अपने ऊपर एक धातु ऑक्साइड की परत बना लेता है और जिससे धातु धीरे-धीरे क्षय होने लगता है | यही धातु का संक्षारण कहलाता है | लोहे मे जंग लगना लोहे के संक्षारण का एक उदाहरण है ।

Q12. – रंबड का वाल्वनीकरण क्या है ?
उत्तर – प्राकृतिक रंबड को सल्फर के साथ गर्म करने की प्रक्रिया को रबंड का वाल्वनीकरण कहते है | ऐसा उनके गुणों में सुधार करने के लिए किया जाता है ।

Q13. – अघातवर्ध्यता तथा तन्यता का क्या अभिप्राय है ? 
उत्तर –

  • अघातवर्ध्यता – धातुओं का वह गुण जिनसे उनकों हथौड़े से पीट कर पतली चादर बनाई जा सकती है । धातुओं के इस गुण को अघातवर्ध्यता कहते हैं । सोना तथा चॉदी सबसे अधिक अघातवर्ध्य धातुऐ हैं |
  • तन्यता – धातुओं का वह गुण जिनसे उनकों खीचकर पतली तार बनाया जा सकता है धातुओं के इस गुण को तन्यता कहते हैं ।

Q14. – मिश्रधातु क्या है ?

उत्तर – किसी धातु का अन्य धातु या अधातु के साथ समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं | उन्हे पिघली अवस्था मे रख कर प्राप्त किया जाता है ।

Q15. – धातुओं की संक्षारण रोकने की दो विधियो को लिखों। 

उत्तर –

  1. रोधी विधि द्वारा – वायु तथा धातु के बीच में रोधी का परत लगाकर धातु का संक्षारण रोका जा सकता है। यह पेन्ट, वारनिस या टिन, कॉपर, क्रोनियम, निकेल का विद्युत लेपन करके किया जाता है।
  2. उत्सर्ग विधि द्वारा – इस प्रक्रिया में जिंक की परत से उस तत्व को ढ़ककर उस धातु का संक्षारण रोका जा सकता हैं । इस प्रक्रिया को गैल्वीनीकरण (यशदलेपन) कहते है।

Q16. – यशद् लेपन या जस्तीकरण या  गैल्वीनीकरण किसे कहते है ?
उत्तर – किसी धातु पर जस्ता लेपन की प्रक्रिया को जस्तीकरण या गैल्वीनीकरण कहते है।

Q17. – अयस्क को समृधि करने की विधियो का वर्णन करो ।

उत्तर –

  1. द्रव्य चालित ढुलाई – इस विधि का उपयोग आक्साइड अयस्क को समृद्ध करने के लिए किया जाता है । गैग कण समान्यता अयस्क कणों के सपेक्षा हल्के होते हैं। इस प्रक्रम मे संक्षालित एंव बारिक पीसेे हुऐ अयस्क को जल धारक द्वारा धुलाई करते है । जिसके फलस्वरूप हमे हल्के गेंग कण जल धारा के साथ बहने के उपरांत भारी अयस्क कण प्राप्त होते है ।
  2. फेन प्लवन प्रक्रम – यह विधि विशेष रुप से कॉपर जिंक एंव लेड के सल्फाइड अयस्को को गैग से पृथक करने के लिए उपयोग मे लाई जाती है। इस प्रक्रम मे बारिक हुऐ अयस्क एक बडे टेक मे जल  के साथ मिश्रत करके कर्दम बना लेते है। तत्पश्चात उसमे चीड का तेल डालते है। इस कर्दम मे जब तीव्र गति से वायु प्रवाहित की जाती है तो उसके फलस्वरूप हल्का तेल फेन जिसमें प्रमुख्यता सल्फाइड अयस्क होता है। ऊपर उठ कर टैक की ऊपरी सतह पर मलफेन के रूप मे तैरता है। जिसे अपमलन करके सुखा लेते है। चूँकि अयस्क गेंग भारी होते है। इसलिए जल मे डुबोकर टैंक के तल पर जमा हो जाते है।
    NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 3 Metals and Non-metals (Hindi Medium) 1
  3. विधुत चुम्बकिय पृथक्करण – इस विधी से चुम्बकिय अयस्कों अलग किया जाता है। चुम्बकिय पृथ्क्करण मे एक चमडे का पट्टा होता है जो दो रोलरो पर घूमता है जिसमे से एक रोलर विधुत चुम्बकीय होता है बारीक पिसे हुऐ अयस्क को घुमते हुऐ पटटे के एक सिरे पर डालते है। तो अयस्क का चुम्बकिय भाग , चुंबक से आकर्षित होकर उसके समीप एक ढेर के रूप में इक्कठा हो जाता बनाती हैं।
  4. रासायनिक पृथ्क्करण – रासायनिक पृथ्क्करण प्रक्रम मे अयस्क एंव गैंग के रासायनिक गुणधर्मो के भिन्नता के आघार पर बानाने है, इस प्रक्रम से शुद्ध घातु प्राप्त कराने के लिए विभिन्न रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग करते है।

Q17. –  अपचयन क्या हैं ?
उत्तर –  धातु यौगिको से धातुओं को प्राप्त करने के प्रक्रम को अपचयन कहते है।

1 अंक वाले प्रश्न (Examination Based) : 

  1. प्रश्न – दो धातुओ के  नाम लिखिए जो ऊष्मा की सर्वाधिक चालक हैं ।
    उत्तर – चाँदी एवं कॉपर ।
  2. प्रश्न – दो सबसे अधिक आधातवर्धय धातु का नाम लिखिए।
    उत्तर – सोना तथा चाँदी ।
  3. प्रश्न – दो ऐसे धातुओं के नाम लिखिए जिन्हें चाकू से आसानी से काटा जा सकता हैं ।
    उत्तर – सोडियम तथा पौटेशियम ।
  4. प्रश्न – उन दो धातुओं का नाम लिखिए जिनका गलनांक इतना कम होता है कि हाथ पर रखते ही वे पिघल जाती है। 
    उत्तर – गैलियम तथा सीजीयम ।
  5. प्रश्न – एक धातु तथा एक अधातु का नाम बताइए जो कक्ष ताप पर द्रव अवस्था में पाई जाती है। 
    उत्तर –

    • धातु  – पारा
    • अधातु – ब्रोमीन
  6. प्रश्न – एक ऐसी अधातु का नाम बताइए जिसकी सतह चमकदार होती हैं ।
    उत्तर – आयोडिन ।
  7. प्रश्न – धातु एवम् अधातुए किस प्रकृति के ऑक्साइड बनाता है ?
    उत्तर – धातु क्षारकीय ऑक्साइड तथा अधातु अम्लीय ऑक्साइड बनाते है।
  8. प्रश्न – कार्बन के उस अपररूप का नाम बताइए जो अभी तक ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। 
    उत्तर – हीरा।
  9. प्रश्न – उन दो धातुओ का नाम लिखिए जो पानी में रखने पर तैरेने लगते हैं । 
    उत्तर – कैल्सियम तथा मैग्नीशयम ।
  10. प्रश्न – कौन सी दो धातुएं तनु नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है। 
    उत्तर – मैग्नीशियम तथा मैग्नीज  ।
  11. प्रश्न – सोडियम तथा पोटैशियम धातु को किरोसीन में क्यों डुबाकर रखा जाता हैं ।
    उत्तर – सोडियम तथा पौटेशियम हवा एवं जल के साथ सामान्य ताप पर भी बहुत तेजी से अभिक्रिया करती हैं । यदि इसे खुला में रखा जाए तो वह आग भी पकड़ लेती हैं । अतः इसकी सुरक्षा के लिए इसे किरोसरन तेल में डुबोकर रखा जाता हैं ।
  12. प्रश्न – मैग्नीशियम धातु जब हवा में जलती है तब उसकी लौ का रंग क्या होता हैं ।
    उत्तर –
    हल्का हरा और नीला |
  13. प्रश्न – दो धातुओं के नाम बताइए जो पानी से अभिक्रिया नहीं करती लेकिन भाप से अभिक्रिया करती हैं ।
    उत्तर –
    ऐल्युमीनियम तथा आयरन |
  14. प्रश्न – सोडियम क्लोराइड में किस प्रकार आबंध होता हैं ?
    उत्तर –
    आयनिक आंबध ।
  15. प्रश्न – निम्न रासायनिक अभिक्रिया में अपचायक का नाम बताइए।
      Fe2O3 + Al  → Al2O3 + Fe
    उत्तर –
    ऐल्युमीनियम
  16. प्रश्न – उस विधी का नाम बताइए जिसके द्वारा सक्रियता श्रेणी में सबसे उपर स्थित धातुओं को निष्कर्षित किया जाता है।
    उत्तर – विद्युत अपघटनी अपचयन।
  17. प्रश्न – धातुओं के निष्कर्षण में सामान्यतः उपयोग में लाये जाने वाले एक सस्ते अपचायक का नाम लिखए। 
    उत्तर – कार्बन ।
  18. प्रश्न – विद्युत अपघटनी परिष्करण में अशुद्ध धातु से बनी इलेक्ट्रोड कौन सी है तथा शुद्ध धातु से बनी इलेक्ट्रोड कौन सी है?
    उत्तर –

    • अशुद्ध धातु से बनी इलेक्ट्रोड को एनोड बनाते हैं ।
    • शुद्ध धातु से बनी इलेक्ट्रोड को कैथोड बनाया जाता है।
  19. प्रश्न – तांबे के विद्युत अपघटनी परिष्करण में उपयोग होने वाले विद्युत अपघटय का नाम लिखिए। 
    उत्तर – अम्लीकृत कॉपर सलफेट का विलयन
  20. प्रश्न – अमलगम किसे कहते हैं ?
    उत्तर – यदि कोई एक धातु पारद है तो इसके मिश्रधातु को अमलगम कहते है।
  21. प्रश्न – लोहे से स्टेनलेस स्टील कैसे प्राप्त होता है ?
    उत्तर – लोहे के साथ निकैल एवं क्रोमियम मिलाने पर हमें स्टेनलेस स्टील प्राप्त होता है । इसको कठोर बनाने के लिए लगभग 0.05 प्रतिशत कार्बन मिलाया जाता है।
  22. प्रश्न – मिश्रधातु किसे कहते है ?
    उत्तर – दो या दो से अधिक धातुओं के समांगी मिश्रण को मिरधातु कहते है। जैसे – स्टेनलेस स्टील , काँसा , पीतल , सोल्डर आदि ।
  23. प्रश्न – ताँबा और जस्ते से बने एक मिश्रधातु का नाम लिखे। 
    उत्तर – पीतल।
  24. प्रश्न – ताँबा और टीन से बने एक मिश्रधातु का नाम लिखे।
    उत्तर – काँसा ।
  25. प्रश्न – सीसा तथा टीन से बने मिश्रधातु का नाम लिखे। 
    उत्तर – सोल्डर ।
  26. प्रश्न – सोल्डर का उपयोग लिखिए। 
    उत्तर –  इसका उपयोग विद्युत तारों की परस्पर वेंिल्ंडग के लिए किया जाता है।
  27. प्रश्न – शुद्ध सोने का उपयोग आभूषण बनाने के लिए क्यों नहीं किया जाता है ?
    उत्तर – शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है तथा यह काफी नर्म होता है। इसलिए शुद्ध सोने का उपयोग आभूषण बनाने के लिए नहीं किया जाता है।
  28. प्रश्न – शुद्ध सोने को आभूषण बनाने योग्य कैसे बनाते है ?
    उत्तर – शुद्ध सोने में 2% ताँबा मिलाकर कठोर बनाया जाता है । क्योंकि शुद्ध सोना आभूषण बनाने योग्य नहीं होता यह बहुत नर्म होता है।
  29. प्रश्न – धातु के विद्युत अपघटनी परिष्करण के दौरान ऐनोड के नीचे निक्षेपित अविलयशील अशुद्धियों का नाम लिखिए।
    उत्तर – एनोड पंक ।

2 अंक के प्रश्न : (Examination Based) 

  1. प्रश्न – ऐलुमिनियम के अयस्क को कार्बन द्वारा अपचयित करके ऐलुमिनियम क्यों नहीं प्राप्त किया जा सकता हैं ?
    उत्तर – क्योंकि ऐलुमिनियम सक्रियता श्रेणी में उच्च हैं । जबकि सक्रियता श्रेणी के मध्य में आने वाले धातुओं के अयस्कों का कार्बन द्वारा अपचयित करके धातु प्राप्त किया जाता है।
  2. प्रश्न – सक्रियता श्रेणी के मध्य में आने वाले धातुओं के अयस्कों निष्कर्षण कैसे किया जाता है ?
    उत्तर – सक्रियता श्रेणी के मध्य में आने वाले धातुओं के अयस्कों का कार्बन द्वारा अपचयित करके धातु प्राप्त किया जाता है।
  3. प्रश्न – सक्रियता श्रेणी में नीचेें आने वाले धातुओं के अयस्कों निष्कर्षण कैसे किया जाता है ?
    उत्तर – गर्म करके ।
  4. प्रश्न –  स्टेनलेस स्टील के दो गुण लिखिए । तथा इसको बनाने में कार्बन क्यों मिलाया जाता है ?
    उत्तर –  स्टेनलेस स्टील के दो गुण:-

    1. यह कठोर होता है।
    2. इसमें जंग नहीं लगता है।कार्बन मिलाने से यह अत्यधिक कठोर हो जाता है इसलिए इसको बनाने में कार्बन मिलाया जाता है।
  5. प्रश्न – एक तत्व A ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करने पर ऑक्साइड बनाता है जिसका पानी में विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है । तत्व A धातु है या अधातु |
    उत्तर – धातु , चूकिँ लाल लिटमस को नीला करने का गुण क्षारकीय में होता हैं । धातु के आक्साइड की प्रकृति क्षारकीय होता है, अत: A एक धातु है |
  6. प्रश्न – क्या अधिकांश धातुएं नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन उत्पन्न करती है ? कारण दीजिए ।
    उत्तर – नहीं,
    सभी धातुएँ नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न नहीं करती है। क्योंकि HNO3 एक प्रबल ऑक्सीकारक होता है जो उत्पन्न H2 को ऑक्सीकृत करके जल में परिवर्तित कर देता है एवं स्वयं नाइट्रोजन के किसी ऑक्साइड में अपचयित हो जाता है।
  7. प्रश्न – सोडियम क्लोराइड का क्वथनांक उच्च क्यों होता है ?
    उत्तर – सोडियम क्लोराइड एक आयनिक यौगिक है इसलिए इसका क्वथनांक उच्च होता है। क्योंकि मजबूत अंतर-आयनिक आकर्षण को तोडने के लिए बहुत अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है।
  8. प्रश्न – आयनिक यौगिकों के गलनांक उच्च क्यों होता है ?
    उत्तर – आयनिक यौगिकों के गलनांक उच्च इसलिए होता है क्योंकि मजबूत अंतर-आयनिक आकर्षण को तोडने के लिए बहुत अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न – आयनिक यौगिक ठोस एवं कठोर क्यों होते है ?
    उत्तर – धन एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस एवं कठोर होत

Assignment:

Q1. धातु और अधातु में अंतर लिखिए |

Q2. धातुओं के पाँच भौतिक गुणधर्म लिखिए | 

Q3. धातुओं के चार रासायनिक गुणधर्म लिखिए |

Q4. अघातवर्घ्यता क्या है ? 

Q5. तन्यता की परिभाषा दीजिये |

Q6. स्कूल की घंटी धातुओं की ही क्यों बनाई जाती है ? 

Q7. आयनिक यौगिक किसे कहते है ? इसके दो उदाहरण दीजिये |

Q8. आयनिक यौगिकों के चार गुणधर्म लिखिए | 

Q9. एक ऐसे अधातु का नाम बताइए जो चमकीली होती है |

Q10. एक ऐसे धातु का नाम बताइए जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है | 

Q11. ऐसे दो धातुओं के नाम बताइए जिसे हथेली पर रखने पर पिघल जाते हैं | 

Q12. ऐसे दो धातुओं के नाम बताइए जिन्हें चाकू से काटा जा सकता है | 

Q13. ऐसे एक धातु का नाम बताओं जो ठंढे पानी में तैरने लगता है | 

Q14. उभयधर्मी ऑक्साइड किसे कहते है ? दो उभयधर्मी ऑक्साइडस के नाम बताइए | 

Q15. सोडियम एवं पोटैशियम को किरोसिन तेल में डुबोकर क्यों रखा जाता है ?

Q16. अभिक्रियता श्रेणी में सबसे ऊँच धातु का नाम बताइए |

Q17. एक ऐसे धातु का नाम बताइए जिसका ऑक्साइड इसे संक्षारण से बचाता है | 

Q18. क्या होता है जब पोटैशियम का ठंढे जल से अभिक्रिया होता है ? 

Q19. धातुओं का अम्ल के साथ रासायनिक अभिक्रिया का सामान्य समीकरण लिखिए |

Q20. एक ऐसे धातु का नाम बताइए जो भाप से अभिक्रिया करता है |

Q21. इलेक्ट्रान बिंदु संरचना द्वारा मग्नेशियम क्लोराइड के निर्माण को दर्शाइए |

Q22. आयनिक यौगिकों का गलनांक ऊँच क्यों होता है ?

Q23. खनिज किसे कहते हैं ?

Q24. अयस्क किसे कहते है ? 

Q25. लोहे के अयस्क का नाम बताइए |

Q26. एल्युमीनियम के अयस्क का क्या नाम है ?

Q27. ऐसे तीन धातुओं का नाम बताइए जो प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते है |

Q28. अयस्कों के समृद्धिकरण से आप क्या समझते है |

Q29. गैंग किसे कहते हैं ?

Q30. भर्जन क्या है ?

Q31. निस्तापन किसे कहते है ?

Q32. भर्जन और निस्तापन में अंतर लिखिए |

Q33. सल्फाइड अयस्कों से धातु ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए किस विधि का प्रयोग किया जाता है ?

Q34. कार्बोनेट अयस्कों से धातु निष्कर्षण कैसे किया जाता है ? 

Q35. सक्रियता श्रेणी के मध्य स्थित धातुओं का निष्कर्षण कैसे किया जाता है ?

Q36. एनोडिकरण क्या है ? 

Q37. एनोडिकरण के दो लाभ बताइए |

Q38. क्या होता है जब जिंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया है ?

Q39. कुछ धातु ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म क्यों किया जाता है ?

Q40. अधिक अभिक्रियाशील धातुओं को अपचायक के रूप उपयोग क्यों किया जाता है ?

Q41. सक्रियता श्रेणी में निम्न धातुओं का निष्कर्षण कैसे किया जाता है ?

Q42. ऐसे दो धातुओं के नाम बताओं जो ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं करते हैं ?

Q43. सिनाबोर किस धातु का अयस्क है ?

Q44. थर्मीट अभिक्रिया किसे कहते हैं ?

Q45. एनोड पंक क्या है ? इसे कहाँ से प्राप्त किया जाता है ? 

Q46. धातु परिष्करण से आप क्या समझते हैं ? 

Q47. विद्युत अपघटनी परिष्करण का वर्णन करों |

Q48. विद्युत अपघटनी परिष्करण में उपयोग होने वाले एक विद्युत अपघट्य का नाम लिखिए | 

Q49. एनोड के नीचे जमने वाले अशुद्धियों को क्या कहते हैं ? 

Q50. यशद्लेपन क्या है ? 

Q51. धातुओं को संक्षारण से बचाने के लिए तीन उपाय बताइए | 

Q52. इस्पात (स्टील) में कितना प्रतिशत कार्बन मिलाया जाता है ? 

Q53. स्टेनलेस स्टील में कार्बन क्यों मिलाया जाता है ? 

Q54. शुद्ध सोने के आभूषण क्यों नहीं बनाये जाते है ? 

Q55. मिश्र धातु क्या है | इसके तीन उदाहरण दीजिये | 

Q56. एक्वा रेजिया क्या है ? इसका उपयोग लिखे | 

Q57. एक ऐसे मिश्र धातु का नाम बताइए जिसका उपयोग विद्युत तारों को परस्पर जोड़ने के लिए किया जाता है ? 

Q58. अमलगम किसे कहते है ? 

Q59. 22 कैरेट सोने का ही आभूषण क्यों बनाया जाता है ? 

Q60. मिश्र धातुओं के तीन गुण लिखिए | 

Q61. तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया न करने वाली एक धातु का नाम लिखिए ।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 3 are helpful to complete your homework.

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