Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 Liberalisation, Privatisation and Globalisation An Appraisal (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 Liberalisation, Privatisation and Globalisation: An Appraisal (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 Liberalisation, Privatisation and Globalisation: An Appraisal (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Economics. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Developments Chapter 3 Liberalisation, Privatisation and Globalisation: An Appraisal.

प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. भारत में आर्थिक सुधार क्यों आरंभ किए गए?
उत्तर : आर्थिक सुधार निम्न कारणों से आरंभ किए गए
(क) 1991 में भारत एक आर्थिक संकट का सामना कर रहा था।
(ख) सरकारी राजस्व से अधिक सरकारी व्यय ने भारी उधारी को जन्म दिया। 1991 में राष्ट्रीय ऋण सकल राष्ट्रीय उत्पाद का 60% था। सरकार ब्याज तक देने में असमर्थ थी। इसका मुख्य कारण विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में संसाधन प्रबंधन की अक्षमता थी।
(ग) विदेशी मुद्रा भंडार जिन्हें हम आयातों के भुगतान के लिए रखते हैं, इतने कम हो गए की वे केवल तीन सप्ताह के लिए पर्याप्त थे।
(घ) खाड़ी युद्ध के कारण कीमतों के बढ़ने की दर दोहरे अंक में पहुँच गई, जिसने संकट को और बढ़ा दिया। मुद्रास्फीति की दर 12% प्रति वर्ष था।
(ङ) घटिया प्रबंधन के कारण बहुत से सार्वजनिक क्षेत्र के उपकर्म घाटे में चल रहे थे। इस संकट का जवाब सरकार ने 1991 की नई आर्थिक नीति की उद्घोषणा करके दिया।

प्र.2. विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर : आई.एम.एफ. और विश्व बैंक से ऋण प्राप्ति के लिए और अन्य देशों के साथ मुफ्त व्यापार करने के लिए विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होना आवश्यक है। विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बने बिना एक देश वैश्वीकृत होते विश्व व्यापार का लाभ नहीं उठा सकता।

प्र.3. भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में नियंत्रक की भूमिका से स्वयं को सुविधाप्रदाता की भूमिका अदा करने में क्यों परिवर्तित किया?
उत्तर : भारतीय रिज़र्व बैंक नियंत्रक की भूमिका से स्वयं को सुविधाप्रदाता की भूमिका अदा करने का बड़ा परिवर्तन किया। पहले एक नियंत्रक के रूप में, आर.बी.आई. खुद ब्याज तय करता था तथा प्रबंधकीय निर्णयों को प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करता था। परंतु उदारीकरण के उपरांत इसने सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाई जिसके अंतर्गत ब्याज दरों को बाज़ार बलों द्वारा निर्धारित होने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया तथा प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को प्रबंधन निर्णयों की स्वतंत्रता दे दी गई। उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना आवश्यक था। उदारीकरण के साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। अतः बाज़ार से उत्तम प्राप्ति के लिए बैंकों को प्रबंधन निर्णय लेने की स्वतंत्रता देना आवश्यक हो गया।

प्र.4, रिज़र्व बैंक व्यावसायिक बैंकों पर किस प्रकार नियंत्रण रखता है?
उत्तर : रिज़र्व बैंक व्यावसायिक बैंकों पर निम्न प्रकार से नियंत्रण रखता है

(क)
यह उस न्यूनतम रोकड़ की राशि/अनुपात निर्धारित करता है जो हर व्यावसायिक बैंक को रिज़र्व बैंक के पास रखनी पड़ती है। इसे नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।

(ख)
यह उस न्यूनतम अनुपात का निर्धारण करता है जो नकद था तरल परिसंपत्तियों के रूप में एक बैंक को अपने पास रखना होता है। इसे वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।

(ग)
रिज़र्व बैंक वह ब्याज दर निर्धारित करता है जिस पर रिज़र्व बैंक व्यावसायिक बैंकों के विनिमय बिलों को छूट देगा। इसे बैंक दर कहते हैं।

प्र.5. रुपयों के अवमूल्यन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : नियंत्रण प्राधिकारी के निर्णय से जब विनिमय दर में गिरावट आती है जिससे एक मुद्रा का मूल्य अन्य मुद्रा की तुलना में कम हो जाता है तो उसे अवमूल्यन कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आयात महँगे और निर्यात सस्ते हो जाते हैं। अतः निर्यात बढ़ जाते हैं। और आयात कम हो जाते हैं। इस तरह व्यापार का संतुलन ठीक हो जाता है।

प्र.6. इनमें भेद करें:
(क) युक्तियुक्त और अल्पांश विक्रय
(ख) द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार
(ग) प्रशुल्क एवं अप्रशुल्क अवरोधक
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 (Hindi Medium) 1
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 (Hindi Medium) 2

प्र.7. प्रशुल्क क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर : प्रशुल्क घरेलू वस्तुओं की तुलना में आयातित वस्तुओं को महँगा बनाने के लिए लगाए जाते हैं। इससे घरेलू वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है तथा विदेशी वस्तुओं की माँग कम हो जाती है। यह घरेलू उद्योग की रक्षा के दृष्टिकोण से लगाए जाते हैं।

प्र.8. परिमाणात्मक प्रतिबंधों का क्या अर्थ होता है?
उत्तर : यह भुगतान संतुलन (बी.ओ.पी.) के घाटे को कम करने और घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए आयात पर लगाई गई कुल मात्रा या कोटे के रूप में प्रतिबंध को दर्शाता है।

प्र.9. ‘लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों को निजीकरण कर देना चाहिए। क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों?
उत्तर : नहीं, इसका विपरीत है, हमें घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर देना चाहिए। यदि हम लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करेंगे तो यह सरकारी राजस्व के लिए नुकसान होगा जो देश के विकास के लिए प्रयोग किया जा सकता था। सार्वजनिक उपक्रमों को प्रतिस्पर्धी, आधुनिकीकृत और दक्ष होने के लिए लाभ की ज़रूरत है।

प्र.10. क्या आपके विचार से बाह्य प्रापण भारत के लिए अच्छा है? विकसित देशों में इसका विरोध क्यों हो रहा है?
उत्तर : बाह्य प्रापण भारत के लिए अच्छा है क्योंकि
(क) यह कई भारतीयों को रोजगार प्रदान कर रहा है।
(ख) यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माध्यम से देश में विदेशी मुद्रा ला रहा है। विकसित देश इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि
(क) इससे विकसित और विकासशील देशों के बीच आय की असमानता कम हो जाएगी।
(ख) यह उनके अपने देश में रोजगार के अवसर कम कर रहा है।

प्र.11. भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ विशेष अनुकूल परिस्थितियाँ हैं जिनके कारण यह विश्व का बाह्य प्रापण केंद्र बन रहा है। अनुकूल परिस्थितियाँ क्या हैं?
उत्तर : भारत एक विश्व बाह्य प्रापण केंद्र बन रहा है क्योंकि
(क) भारत में सस्ते दरों पर पर्याप्त कुशल जनशक्ति उपलब्ध है।
(ख) भारत में ऐसी सरकारी नीतियाँ हैं जो बाह्य प्रापण के पक्ष में हैं।
(ग) भारत विकसित देशों से दुनिया के एक अन्य भाग में स्थित है जिससे समय का अंतराल है।

प्र.12. क्या भारत सरकार की नवरत्न नीति सार्वजनिक उपक्रमों के निष्पादन को सुधारने में सहायक रही है? कैसे?
उत्तर :
सरकार ने कुछ लाभ कमा रही सार्वजनिक उपक्रमों को विशेष स्वायत्ता देने का निर्णय किया। 1996 में ‘नवरत्न नीजी’ अपनाई गई जिसके अंतर्गत 9 सर्वाधिक लाभ कमा रही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को नवरत्न का दर्जा दिया गया तथा अन्य 97 लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को ‘लघुरत्न’ कहा गया।

‘नवरत्न’ और ‘लघुरत्न’ नाम के अलंकरण के बाद इन कंपनियों के निष्पादन में अवश्य ही सुधार आया है। उन्हें अधिक प्रचालन और प्रबंधकीय स्वायत्ती दी गई जिससे उनकी दक्षता और उसके द्वारा मुनाफे में वृद्धि हुई है।

प्र.13. सेवा क्षेत्रक के विकास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक कौन-से रहे हैं?
उत्तर : सेवा क्षेत्रक के विकास के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी रहे हैं
भारत का एक मज़बूत औद्योगिक आधार नहीं है। अतः सुधार अवधि में द्वितीयक क्षेत्रक ने अधिक विकास नहीं किया। विदेशी निवेशक कृषि की भारतीय प्रकृति और जोखिम शामिल होने के कारण, उन्हें कृषि में और निवेश में कोई रुचि नहीं थी। उन्हें भारत अनुबंधित सेवाओं के लिए सर्वाधिक उपयुक्त लगता था।

प्र.14. सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्रक दुष्प्रभावित हुआ लगता है। क्यों?
उत्तर : यह बिल्कुल सही कहा गया है कि सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्रक दुष्प्रभावित हुआ है।

(क)
सुधार अवधि के दौरान कृषि में सार्वजनिक निवेश विशेष रूप से सिंचाई, बिजली, सड़क, बाजार, लिकेज, अनुसंधान और विस्तार के क्षेत्र में कम हुआ है।

(ख)
उर्वरक सहायिकी हटाने से उत्पादन की लागत बढ़ गई है जिसने छोटे और सीमांत किसानों को दुष्प्रभावित किया है।

(ग)
इस क्षेत्र में बहुत जल्दी जल्दी निति परिवर्तन हुए हैं जिसमें भारतीय किसानों को दुष्प्रभावित किया है क्योंकि अब उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

(घ)
कृषि में निर्यात उन्मुख रणनीति के कारण उत्पादन घरेलू बाजार के बजाय निर्यात बाजार के लिए हो रहा है। इससे खाद्यान्न फसलों के उत्पादन के बदले नकदी फसलों पर ध्यान केंद्रित करवाया। इससे खाद्यान्नों की कीमतों पर दबाव बढ़ गया।

प्र.15, सुधार काल में औद्योगिक क्षेत्रक के निराशाजनक निष्पादन के क्या कारण रहे हैं?
उत्तर : औद्योगिक क्षेत्रक का सुधार अवधि में निराशाजनक निष्पादन रहा है क्योंकि

(क)
सस्ते आयात- यह इस तथ्य के कारण है कि विदेशों से आने वाले सस्ते आयातों ने भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया और घरेलू उत्पादकों को अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

(ख)
बुनियादी ढाँचे की कमी- निवेश में कमी के कारण आधारभूत सुविधाएँ, जैसे-बिजली आपूर्ति अपर्याप्त बनी रही।

(ग)
विकासशील देशों में रोजगार के प्रतिकूल हालात– वैश्वीकरण ने रोजगार की स्थिति के संदर्भ में घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है परंतु रोज़गार के हालात प्रतिकूल हैं।

(घ)
अनुचित वैश्वीकरण- भारत जैसे विकासशील देशों की अब भी उच्च अप्रशुल्क अवरोधकों के कारण विकसित देशों के बाजार तक पहुँच नहीं है।

प्र.16. सामाजिक न्याय और जन-कल्याण के परिपेक्ष्य में भारत के आर्थिक सुधारों पर चर्चा करें।
उत्तर : जब हम आर्थिक सुधारों को सामाजिक न्याय और जन-कल्याण के परिप्रेक्ष्य में चर्चा करते हैं तो आर्थिक सुधारों को हानिकारक पाते हैं। अपने दृष्टिकोण के लिए हम निम्नलिखित कारण दे सकते हैं

(क)
हालाँकि सुधार अवधि में विकास दरों में वृद्धि हुई है परंतु यह एक व्यवसाय रहित वृद्धि रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इस बात को अनदेखा करते हुए कि भारत श्रम प्रधान देश है, पूँजी प्रधान तकनीकों का प्रयोग करती हैं।

(ख)
सुधारों ने निवेश की कमी के कारण कृषि को दुष्प्रभावित किया है तथा इस क्षेत्रक के वृद्धि दरों में सुधार अवधि में कमी आई है।

(ग)
सुधारों ने दुर्लभ संसाधनों का गलत आबंटन किया है। एक भारत जैसा देश जहाँ एक व्यक्ति पाँचवाँ हिस्सा अपनी न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है, वह माल, कुत्ते के भोजन, चॉकलेट और आइसक्रीम पर निवेश कर रहा है।

(घ)
भारत के छोटे उत्पादक विशाल अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में असफल रहे हैं। अतः उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।

(ङ)
जिन सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का निजीकरण ले गया उसके कर्मचारियों के लिए रोजगार स्थितियाँ बदतर हो गई।

(च)
सुधारों ने एक दोहरी अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है जिसके अंतर्गत हम विश्व स्तर के अस्पताल और असहनीय सरकारी अस्पताल, विश्व स्तर के स्कूल और तम्बू में चलाए जा रहे स्कूल एक साथ देखे जा सकते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने महत्त्वपूर्ण क्षेत्र, जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में कोई निवेश नहीं किया और यदि किया भी तो ऐसा जो केवल भारत के अमीर वर्ग के लिए है।

Hope given Indian Economic Developments Class 11 Solutions Chapter 3 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 3 Liberalisation, Privatisation and Globalisation: An Appraisal (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements.

Chapter 5. तत्वों के आवर्त वर्गीकरण

अध्याय-समीक्षा 

  • सन् 1800 तक केवल 30 तत्वों का पता चला था। इन सभी तत्वों की संभवतः भिन्न-भिन्न विशेषताएँ थीं।
  • जैसे-जैसे विभिन्न तत्वों की खोज हो रही थी, वैज्ञानिक इन तत्वों के गुणधर्मों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करने लगे।
  • सबसे पहले, ज्ञात तत्वों को धातु एवं अधातु में वर्गीकृत किया गया। जैसे-जैसे तत्वों एवं उनके गुणधर्मों के बारे में हमारा ज्ञान बढ़ता गया, वैसे-वैसे उन्हें वर्गीकृत करने के प्रयास किए गए।
  • सन् 1817 में जर्मन रसायनज्ञ, वुल्फगांग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्व वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा |
  • डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है। उदाहरण के लिए लिथियम (Li) सोडियम (Na) एवं पोटैशियम (K) है |
  • डॉबेराइनर की त्रिक में तत्वों के वर्गीकरण की यह पद्धति सफल नहीं रही क्योंकि उस समय तक ज्ञात तत्वों में केवल तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके थे।
  • डॉबेराइनर ने ही सबसे पहले प्लैटिनम को उत्प्रेरक के रूप में पहचाना तथा समान त्रिक की खोज की जिससे तत्वों की आवर्त सारणी का विकास हुआ।
  • सन् 1866 में अंग्रेज़ वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56वें तत्व थोरियम पर इसे समाप्त किया।
  • न्यूलैंड्स का अष्टक नियम: “प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म के समान हैं |”
  • न्यूलैंड्स के अष्टक में लीथियम एवं सोडियम के गुणधर्म समान थे। सोडियम, लीथियम के बाद आठवाँ तत्व है। इसी तरह बेरिलियम एवं मैग्नीशियम में अधिक समानता है।
  • ऐसा देखा गया कि अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था, क्योंकि कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व से नहीं मिलता।
  • न्यूलैंड्स ने कल्पना की कि प्रकृति में केवल 56 तत्व विद्यमान हैं तथा भविष्य में कोई अन्य तत्व नहीं मिलेगा। लेकिन, बाद में कई नए तत्व पाए गए जिनके गुणधर्म, अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते थे।
  • अपनी सारणी में इन तत्वों को समंजित करने के लिए न्यूलैंड्स ने दो तत्वों को एक साथ रख दिया और कुछ असमान तत्वों को एक स्थान में रख दिया।
  • इस प्रकार, न्यूलैंड्स अष्टक सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया।
  • तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य श्रेय रूसी रसायनज्ञ डमित्राी इवानोविच मेन्डेलीफ को जाता है। तत्वों की आवर्त सारणी के प्रारंभिक विकास में उनका प्रमुख योगदान रहा। उन्होंने अपनी सारणी में तत्वों को उनके मूल गुणधर्म, परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
  • जब मेन्डेलीफ ने अपना कार्य आरंभ किया तब तक 63 तत्व ज्ञात थे। उन्होंने तत्वों के परमाणु द्रव्यमान एवं उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों के बीच संबंधों का अध्ययन किया |
  • रासायनिक गुणधर्मों के अंतर्गत मेन्डेलीफ ने तत्वों के ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के साथ बनने वाले यौगिकों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। उन्होंने ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन का इसलिए चुनाव किया क्योंकि ये अत्यंत सक्रिय हैं तथा अधिकांश तत्वों के साथ यौगिक बनाते हैं। तत्व से बनने वाले हाइड्राइड एवं ऑक्साइड के सूत्र को तत्वों के वर्गीकरण के लिए मूलभूत गुणधर्म माना गया।

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 91

1. क्या डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए।
उत्तर : हाँ , त्रिक  न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी मिलते है | उदहारण :- Li , Na व K |

2. डॉबेराइनर के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर :  डॉबेराइनर केवल तीन तत्वों के त्रिक को उस समय पहचान सके एवं सभी तत्वों का वर्गोंकरण उनके त्रिक के अनुसार नहीं हो सका |

3. न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धात की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर :  न्यूलैंड्स का अष्टक  सिद्धात कैल्सियम तक केव परमाणु भर वाले तत्वों का वर्गोंकरण कर पाया |

पेज – 94

1. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी का उपयोग कर निम्नलिखित तत्वों वेफ ऑक्साइड के सूत्र का अनुमान कीजिए: K,C,Al,Si,Ba |
उत्तर : K – K2O , O – O2 , Al – Al2O2 ,Si – SiO2 , Ba – BaO |

2. गैलियम के अतिरिक्त, अब तक कौन-कौन से तत्वों का पता चला है जिसके लिए मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर : स्कैंडियम व जर्मेनियम |

3. मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए कौन सा मापदंड अपनाया?
उत्तर :  मेन्डेलीफ ने तत्वों को उनके परमाणु के अनुसार अलग किया | उनहोंने एक समान गुणों वाले तत्वों को एक समूह में रखने का प्रयास किया |

4. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया?
उत्तर :
 उत्कृष्ट गैसों अक्रियाशील होती है अत: अलग वर्ग में रखा गया |

पेज – 100

1. आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया?
उत्तर :

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के अनुसार अलग किया गया | हाइड्रोजन को प्रथम समूह में स्थान दिया गया |
  2. आवर्त सारणी में तत्वों की सिथति से उनकी रासायनिक  अभिक्रियाशीलता का पता चलता है |
  3. तत्वों को उनके भार के अनुसार भारी व हल्के अलग-अलग क्रम में रखा गया |

2. मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखाने वाले दो तत्वों के नाम लिखिए? आपके चयन का क्या आधर है?
उत्तर : बैरीलियम (Be) तथा  कैल्सियम (Ca) दोनों ही मैग्नीशियम की तरह  अभिक्रियाशीलता दर्शाते है | दोनों के ही बाह्य किश में 2 संयोजी इलेक्ट्रॉन होते है |Be(2,2) तथा Ca(2,8,8,2)|

3. के नाम बताइएः
(a) तीन तत्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
(b) दो तत्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(c)तीन तत्वों जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो।

उत्तर :
(a) लिथियम (Li) , सोडियम (Na) , पोटैशियम (K) |
(b) मैग्नीशियम (Mg) ,  कैल्सियम (Ca) |
(c)  निऑन (Ne) , आर्गन (Ar) , क्रिप्टोंन (Kr) |

4.
(a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, ये सभी धातुएँ जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। क्या इन तत्वों के परमाणुओं में कोई समानता है?
(b) हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निऑन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। इनके परमाणुओं में कोई समानता है?

उत्तर :
(a) ‘ हाँ ‘ इन तत्वों के परमाणुओं में समानता है | इनके बाह्यतम कोष में केवल 1 इलेक्ट्रॉन है | इनकी संयोजकताएँ भी समान है |
(b) ‘ हाँ ‘ इनमें भी समानता है |  दोनों संयोजकता  ‘ o ‘ है तथा इनके बाह्यतम कोश पूर्ण है |

5. आधुनिक आवर्त सारणी में पहले दस तत्वों में कौन सी धातुएँ हैं?
उत्तर : लिथियम एवं बेरीलियम धातुएँ है |

6. आवर्त सारणी में इनके स्थान के आधार पर इनमें से किस तत्व में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण की विशेषता है?
Ga , Ge , As , Se , Be |
उत्तर : Be |

अभ्यास

1. आवर्त सारणी में बाईं से दाईं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौन सा कथन असत्य है?
(a) तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती है।
(b) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है।
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।
(d) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं।

उत्तर : (c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।

2. तत्व X, XCl2 सूत्र का वाला एक क्लोराइड बनाता है जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्व संभवतः किस समूह के अंतर्गत होगा?
(a) NA
(b) Mg
(c) Al
(d) Si

उत्तर : (b) Mg |

3. किस तत्व में

(a)दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित हैं?
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
(c) कुछ तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं?
(d) कुछ दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं?
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैैं?

उत्तर :
(a) निऑन (Ne)
(b) मैग्नीशियम (Mg)
(c) सिलिकॉन (Si)
(d) बोरॉन (B)
(e) कार्बन (C)

4.
(a) आवर्त सारणी में बोरान के स्तंभ के सभी तत्वों के कौन से गुणधर्म समान हैं?
(b) आवर्त सारणी में फलुओरीन के स्तंभ के सभी तत्वों के कौन से गुणधर्म समान हैं?

उत्तर :
(a) सामान गुणधर्म :- 

  1. सभी तत्व धातुएँ है |
  2. ऊपर से नीचे जाने पर आकर एवं धात्विक गुण बढता जाता है |
  3. सभी विघुत के सुचालक होते है |

(b) सामान गुणधर्म :- 

  1. सभी तत्व अधातुएँ है तथा संयोजकता 7 होती है |
  2. सभी विघुत के कुचालक है |

5. एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।
(a) इस तत्व की परमाणु-संख्या क्या है?
(b) निम्न में किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी? ;परमाणु-संख्या कोष्ठक में दी गई है |
N(7) , F(9) , P(15) , Ar(18) 

उत्तर :
(a) इसकी परमाणु संख्या 17 है |
(b) F(9) – 2,7 के साथ रासायनिक गुणों में समानता होगी |

6. आवर्त सारणी में तीन तत्व । A,B तथा C की स्थिति निम्न प्रकार है:
समूह 16       समूह 17
—                 —

    —                  A

    —                 —

    B                   C

अब बताइए कि:
(a) धातु है या अधातु।
(b)की अपेक्षा  अधिक अभिक्रियाशील है या कम?
(c) का साइज़  से बड़ा होगा या छोटा?
(d) किस प्रकार आयन, धनायन या ऋणायन बनाएगा?

उत्तर :
(a) A- अधातु है |
(b) C कम क्रियाशील है |
(c) C का आकार B से छोटा है
(d) तत्व A ऋणायन बनायेगा |

7. नाइट्रोजन (परमाणु-संख्या7)तथा परमाणु-संख्या 15के आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्व हैं। इन दोनों तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन सा तत्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों?

उत्तर : नाइट्रोजन की परमाणु संख्या 7 (2,5) है अत: यह अधिक विद्युत ऋणात्मक होगा | फॉस्फोरस और नाइट्रोजन दोनों ही अधातुएँ है परन्तु फॉस्फोरस 15 (2,8,5) नाइटोजन से नीचे की ओर आता है और इस प्रकार ऋणात्मक घटती है |

8. तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्व की स्थिति से क्या संबंध है?

उत्तर : तत्वों का उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के अनुसार वर्गोंकरण किया गया है | किसी तत्व की बाह्यतम कोश में उपसिथत इलेक्ट्रॉन से उसकी संयोजकता पता चलती है तथा कोशों की कुल संख्या उसकी आवर्त संख्या होत |

9. आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु-संख्या 20) चारों ओर 12, 19 21 तथा 38 परमाणु-संख्या वाले तत्व स्थित हैं। इनमें से किन तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं?

उत्तर : आवर्त सारणी में C(20) के चारों ओर 12,19,21 व 38 परमाणु संख्या वाले तत्व है | इनमें से परमाणु संख्या 21 (2,8,9,2) तथा परमाणु संख्या 38 (2,8,18,2) वाले तत्वों के रासायनिक व भौतिक गुणधर्म सामान होंगे |

10. आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।

उत्तर :
आधुनिक आवर्त सारणी :-

  1. यह परमाणु संख्या के अनुसार क्रमित है |
  2. इसमें 18 वर्ग है |
  3. इनमें अक्रिय गैसों को 18वें वर्ग में रखा गया है |

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी :-

  1. यह परमाणु द्रव्यमान पर आधारित है |
  2. इसमें 8 समूह है |
  3. इनमें अक्रिय गैसों को कोई स्थान नहीं मिला है |

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy.

Chapter 14. उर्जा के स्रोत

पाठगत-प्रश्न:

प्रश्न 1: उर्जा का उतम स्रोत किसे कहते है ?
उत्तर –
उर्जा का उतम स्रोत वह है जो –

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे |
  2. जो आसानी से उपलब्ध हो |
  3. भंडारण तथा परिवहन में आसान हो |
  4. वह सस्ता हो |
  5. जलने पर प्रदुषण न फैलाए |

प्रश्न 2: उतम ईंधन किसे कहते है ?
उत्तर –
उतम ईंधन में निम्नलिखित गुण होने चाहिए –

  1. दहन के बाद प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊष्मा मुक्त हो |
  2. यह आसानी से, सस्ती दर पर उपलब्ध हो |
  3. जलने पर अत्याधिक धुआं उत्पन्न न करे |
  4. इसका ज्वलन ताप उपयुक्त हो तथा उष्मीयमान अधिक हो |

प्रश्न 3:  यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी उर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते है , तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर –
हम LPG गैस या विद्द्युतीय उपकरण का उपयोग करेंगे क्योंकि –

  1. इससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है |
  2. इसके दहन से धुआं नहीं निकलता है |
  3. यह आसानी से उपलब्ध है तथा इसका उपयोग सुगमतापूर्वक किसी भी समय किया जा सकता है |
  4. यह सस्ता है तथा इसका भंडारण तथा परिवहन आसानी से किया जा सकता है |
  5. इससे वांछित ऊर्जा आवश्यकता अनुसार प्राप्त कर सकते है |

प्रश्न 4: जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ है ?
उत्तर –
जीवाश्मी ईंधन की निम्नलिखित हानियाँ है –

  1. जीवाश्मी ईंधन को बनने में कड़ोरो वर्ष लागतें है तथा इनके भंडार सीमित है |
  2. जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है |
  3. जीवाश्मी ईंधन जलाने से वायु प्रदुषण होता है |
  4. वायु में कार्बन की मात्र बढ़ने के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव होता है |

प्रश्न 5: हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों कि ओर क्यों ध्यान दे रहे है ?
उत्तर –
हम जानते है कि जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है | अतः इन्हें बचाने कि आवश्यकता है | पृथ्वी के अंदर कोयले , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस आदि सीमित मात्रा में मौजूद है | यदि हम इनका प्रयोग इसी प्रकार करते रहे तो ये शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगे | अतः हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों कि ओर ध्यान देना चाहिए |

प्रश्न 6: सौर कूकर के लिए कौन सा दर्पण – अवतल , उत्तल , अथवा समतल – सर्वाधिक उपयुक्त है ?
उत्तर –
सौर कूकर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दर्पण अवतल दर्पण है , क्योंकि यह एक अभिसारी दर्पण है | जो सूर्य कि किरणों को एक बिन्दु पर फोकसित करता है ,जिसके कारण शीघ्र ही इसका ताप और बढ़ जाता है |

प्रश्न 7: महासागरो से प्राप्त होने वाली ऊर्जा कि क्या सीमाए है ?
उत्तर – 
महासागरो से प्राप्त होने वाली ऊर्जा कि निम्न सीमाए है –

  1. तरंग ऊर्जा के व्यापारिक उपयोग के लिए तरंगो का अत्यंत प्रबल होना आवश्यक है |
  2. ज्वार भाटे के समय जल के स्तर चढ़ने  तथा गिराने से ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है | बाँध के द्वार पर स्थित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदल देते है | परन्तु ये बांध केवल कुछ ही क्षेत्रो में सफल है |
  3. ऊर्जा संयत्रों के निर्माण कि लागत बहुत अधिक होती है तथा ऊर्जा का उत्पादन कम होता है |

प्रश्न 8: भूतापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर –
जब भूमिगत जल तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है | जब यह भाप चट्टानों के बीच फंस जाती हैं तो इसका दाब बढ़ जाता है | उच्च दाब पर यह भाप पाइपों द्वारा निकाल ली जाती है, यह भाप विद्युत जनरेटर की टरबाइन को घुमती है तथा विद्युत उत्पन्न की जाती है | इन तप्त स्थलों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा कहलाती है |

प्रश्न 9: नाभिकीय  ऊर्जा का क्या महत्व है ?
उत्तर –
नाभिकीय  ऊर्जा से उत्पन्न  ऊर्जा को नाभिकीय  ऊर्जा  कहते है | इस प्रकिया के  द्वारा  अत्याधिक मात्रा में  ऊर्जा मुक्त होती है | इस  ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर  विद्युत्  उत्पन्न करने में किया जाता है |

प्रश्न 10:  क्या कोई  ऊर्जा  स्रोत प्रदुषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नही ?
उत्तर –
नही , ऐसा कोई  ऊर्जा  का स्रोत नही है जो प्रदुषण मुक्त हो |  सौर सेल हालाँकि प्रदुषण मुक्त है परन्तु उस युक्ति को जुटाने में पर्यावरण क्षति ग्रस्त हो सकता है |

प्रश्न 11: रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जा रहा है ? क्या आप इसे CNG की तुलना मे अधिक स्वच्छ ईंधन मानते है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर –
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है क्योंकि ये CO2 उत्पन्न नहीं करता बल्कि यह दहन होने पर जल उत्पन्न  करता  है अतः प्रदुषण नहीं फैलता है |

प्रश्न 12: ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हे आप नवीकरणीय मानते है | अपने चयन के लिए तर्क दीजिए |
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा :

  1. पवनों से ऊर्जा उन्हीँ जगहों पर पाई जाती है जहाँ वर्षा के समय तेज गति से पवने चलती हो |
  2. टरबाइनो कि गति के लिए पवनो की न्यूनतम चाल 15 km/h से अधिक होनी ऊर्जा चाहिए |
  3. इसके उपयोग के लिए सचायक सेलों की भी सुविधा होनी चाहिए |

(b) जल विद्युत ऊर्जा :

  1. ये भी ऊर्जा के  नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. जल विधुत जल से उत्पन्न होती है |
  3. इसकी लागत कुछ सीमा तक महगी है |

प्रश्न 13: ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते है | अपने चयन  के लिए तर्क दीजिए |
उत्तर –
कोयला एव पेट्रोलियम के वे स्रोत है जो समापन योग्य है | इनके भण्डार प्रक्रति में सीमित है एव एक ना एक दिन अवश्य समाप्त हो जायेगे | इन ईधन को निर्मित होने में करोड़ो वषों का समय लगा | अत : इन्हें पुन : निर्मित करना असम्भव है |

अभ्यास :

प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते-
(a) धुप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन
उत्तर :
(b) बादलों वाले दिन |

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी

(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d)  कोयला
उत्तर :
(c) नाभिकीय ऊर्जा |

प्रश्न 3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें सेअधिकाश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं।
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा

(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा
उत्तर :
(c) नाभिकीय ऊर्जा |

प्रश्न 4. ऊर्जा स्रोत के  रूप में जीवाश्मी ईधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर :
जीवाश्मी ईधनों : 

  1. ये समापन योग्य है |
  2. ये  ऊर्जा के महगे स्रोत है |
  3. ये ग्रीन -हाउस को भी प्रभावित करते है |

 सूर्य :

  1. यह  समापन योग्य नही है |
  2. ये  ऊर्जा के सस्ते  स्रोत है |
  3. यह उपकरण स्वच्छ उर्जा के स्रोत है |

प्रश्न 5. जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर :
जैवमात्रा :

  1. ये ऊर्जा के नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. इसकी लागत ज्यादा नही है |
  3. बायो गैस की उत्पति के करके है |

जल विधुत :

  1. ये भी ऊर्जा के  नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. जल विधुत जल से उत्पन्न होती है |
  3. इसकी लागत कुछ सीमा तक महगी है |

प्रश्न 6. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए?
(a) पवनें
(b)  तरंगें 
(c)
  ज्वार-भाटा
उत्तर :
(a) पवनें :

  1. पवनों से ऊर्जा उन्हीँ जगहों पर पाई जाती है जहाँ वर्षा के समय तेज गति से पवने चलती हो |
  2. टरबाइनो कि गति के लिए पवनो की न्यूनतम चाल 15km/h से अधिक होनी ऊर्जा चाहिए |
  3. इसके उपयोग के लिए सचायक सेलों की भी सुविधा होनी चाहिए |

(b)  तरंगें :

  1. तरगों से उत्पन्न ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तरगों का प्रबल होना आवश्यक है
  2. इसका उपयोग करते समय एक – समान विधुत शक्ति प्राप्त नही की जा सकतीं है |
  3. इसके किए आवश्यक उपकरण महगे है |

(c)  ज्वार-भाटा :

  1. इस तरह की ऊर्जा प्राप्ति के लिए बाध का निमार्ण करना आवश्यक है |
  2. ज्वार-भाटा से उत्पन्न ऊर्जा  का प्रयोग सीमित है |
  3. इसके निमार्ण के लिए जमीन की लागत आधिक है |

प्रश्न 7. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b)  समाप्य तथा अक्षय
क्या (a) तथा (b)के विकल्प समान हैं?
उत्तर :
(a)  नवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा होती है जिनका उपयोग हम लंबे समय तक आसीमित रूप से कर सकते है | इसका भंडार अक्षय रहता है | जैसे : सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा |
अनवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा होती है जिनका उपयोग यदि हम एक बार कर लेते है तो उनकी पुनः प्राप्ति नहीं की जा सकती है और इनका भंडार समाप्य रहता है | जैसे : जीवाश्मी ईंधन ( कोयला , पैट्रॉल , प्राकृतिक गैस )|
(b)  (a) और (b) के विकल्प सामान है क्योंकि  नवीकरणीय ऊर्जा अक्षय है परन्तु  अनवीकरणीय ऊर्जा समाप्य है |

प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर : 
ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण :-

  1. सरलता से प्राप्त हो सके |
  2. सस्ता भी होना चहिए |
  3. प्रति एकाक आयतन एव द्रव्यमान अधिक कार्य करे |

प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर :
सौर कुकर का उपयोग करने के लाभ : 

  1. यह उपकरण सस्ता है |
  2. इसका उपयोग करने से प्रदुषण नही होती है |
  3. इनमे कोई गतिमान पुर्जा नही होता है |

सौर कुकर की हानियाँ :

  1. ये उपकरण केवल सूर्य के प्रकाश में ही इसका उपयोग किया जाता है |
  2. यह भोजन पकाने में sय अधिक लेता है |

हां , ऐसे अनेक  क्षेत्र है  सौर -सेल महगे होते है |  जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है उदाहरण : अधिक बरसात वाले क्षेत्र , पहाड़ी  क्षेत्र आदि |

प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के  उपाय लिखिए।
उत्तर :
आज का युग मशीनी युग हो गया है आज की जनसंख्या जीवाश्म ईधन पर्यावरण को प्रदुषण करने के लिए उपयोग करती है | सौर-सेल को उपयोग करने से  पर्यावरणीय सभव है | अनेक प्रकार कि बीमारियाँ बढ़ रही है |
ऊर्जा की खपत को कम करने के  उपाय निम्न है :-

  1. कोयला , जीवाश्म ईधन का कम से कम उपयोग |
  2. मशीनों पर निर्भर  न रहकर स्वय पर  निर्भर  रहना |

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination.

Chapter 7. नियंत्रण एवं समन्वय

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 132 

1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के  बीच क्या अंतर है?
उत्तर :
प्रतिवर्ती क्रिया मस्तिष्कके मेरुरज्जू  हिस्से द्वारा नियंत्रित की जाती है पतन्तु टहलना  मस्तिष्क द्वारा सोची  समझी क्रिया है | प्रतिवर्ती क्रिया में बहुत कम एमी क्गता है परन्तु टहलना में सुचना को पेशियों तक पहुँचने में काफी समय लगता है |

2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन)  के मध्य अंतर्ग्रथन ( सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर :
अंतर्ग्रथन दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच में छोटा खाली स्थान होता है | विद्युतीय तरंगो के रूप में आने वाला तंत्रिका आवेग एक रसायन को स्त्रवित कृत है जो खाली स्थान की दरार में आ जाता है इसी प्रकार अंतर्ग्रथन  को पार कर ये रसायन अगली तंत्रिका कोशिका में पहुँच जाते है |

3. मस्तिष्क का कौन सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर :
पश्च मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क |

4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता के से लगाते हैं?
उत्तर :
विभिन्नअंगो में सुचना पाने के  लिए मस्तिष्कमें कुछ केन्द्र होते है | जो अग्रमस्तिष्क में उपस्थित होते है | गंध के लिए भित्तीय पालि होती है |

5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर :
प्रतिवर्ती क्रिया  मस्तिष्कके नियंत्रण  में नहीं होती है | स्त्रवित प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जू  द्वारा नियंत्रित की जाती है |  मस्तिष्क प्रतिवर्ती क्रिया में होने वाले कार्य की सुचना अपने अंदर एकत्रित कर लेता है |

पेज – 136 

1. पादप हॉर्मोन क्या हैं?
उत्तर :
पादप अपने विभिन्न भागों से कुछ महत्वपूर्ण रसायन स्त्रवित करते है जो पादपो की वृद्धि तथा अन्य क्रियाओं  को  नियंत्रित करते है उन्हें पादप हॉर्मोन  कहते है |

2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर : 
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से भिन्न है कयोंकि प्रकाश व प्ररोह  गति अनुवर्तन गति होती है जो ऑकिस्न हॉर्मोन द्वारा निंयत्रित होती है | परन्तु  छुई-मुई पादप की पत्तियों छूने के कारण फैलतीव सिकुड़ती है जो प्रकाश से नियंत्रित नहीं होती है |

3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर:
ऑकिस्न हॉर्मोन |

4. किसी सहारे के  चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर :
प्रतान  एक संवेदीशील पौधाहै इसके किसी शेयर के सम्पर्क में आते ही जल तथा ऑक्सिन विपरीत दिशा में गतिशील हो जाते है | इस प्रकार कोशिकाएँ लंबी व तन्य हो जाती है और प्रतान मुड़कर आधार से लिपट जाता है |

5.  जलानुवर्तन दर्शाने के  लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए ?
उत्तर : 
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए प्रयोग – एक पोधा ले  उसे गमले में उगाए उस की मिट्टी एक ओर  से गीली तथा दूसरी ओर से सुखी होनी चाहिए | कुछ दिनों बाद उसका परिक्षण करने पर हम पाएगे की पौध की जड़े जलीय मिट्टी की ओर गतिशील होती है की इस अभिकल्पना से हम पाते है की जडो में घनात्मक जलानुवर्तन होता है |

पेज – 138

1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर :
जन्तुओं में विशेष ग्रथियँ कुछ हॉर्मोन स्त्रवित करती है | ये हॉर्मोन ही रासायनिक समन्वय करते है |

2. आयोडीन युक्त नमक के  उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर :
आयोडीन युक्त नमक के  उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है कियोंकि शरीर में कार्बोहाइड्रेट ,वसा तथा प्रोटीन के अपचन को थाइरॉइड नियंत्रित करती है | यह ग्रंथि थाइरॉक्सिन नामक  हॉर्मोन स्त्रावित करती है  इस ग्रंथि  के लिए  आयोडीन की आवश्कता होती है  आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है |

3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर :
एड्रीनलीन क रक्त में स्त्रवित होने से ह्रदय तीव्रता से धडकता है , हमारी मांसपेशियों की बढ़ जाती है तथा श्वसन दर भी बढ़ जाता है |

4. मधुमेह के  कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर :
रक्त में बढ़ी हुई शर्करा के निंयत्रण हेतु इंसुलिन की पड़ती है | यह  हॉर्मोन इसे नियंत्रित करता है तथा यह अग्नाशय ग्रंथि द्वारा स्त्रवित होता है | मुधमेह के रोगियों के इसका स्त्राव कम होता है अत:  इंसुलिन का इंजेक्शन रक्त में  शर्करा को नियंत्रित  कर देता है |

अभ्यास

1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है?
(a)  इंसुलिन
(b)  थायरॉक्सिन
(c)  एस्ट्रोजन
(d)  साइटोकाइनिन
उत्तर : 
(d)  साइटोकाइनिन |

2. दो तंत्रिका कोशिका के  मध्य खाली स्थान को कहते हैं|
(a)  द्रुमिका
(b)  सिनेप्स
(c)  एक्सॉन
(d)   आवेग
उत्तर : 
(b)  सिनेप्स |

3. मस्तिष्क उत्तरदायी है
(a)  सोचने के  लिए
(b)  हृदय स्पंदन के लिए
(c)  शरीर का संतुलन बनाने के  लिए
(d)  उपरोक्त सभी
उत्तर :
(d)  उपरोक्त सभी |

4. हमारे शरीर में  ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर :
ग्राही सवेदनशील अगो में होती है | ये पर्यावरण से सूचनाएँ ग्रहण करते है| इनके द्वारा व्यकित पर्यावरण से स्वयं संतुलित करता है यदि ये उचित तरीके से कार्य न करें  तो मस्तिष्क सूचनाएँ ग्रहण नहीँ कर पायेगा या देर से करेगा अतः व्यकित असुरक्षित हो जाएगा |

5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके  कार्यों का वर्णन कीजिए। \
उत्तर :
तंत्रिका कोशिका  (न्यूरॉन)तंत्रिका  तंत्र की क्रियात्मक व संरचनात्मक इकाई है | यह तीन हिस्सों में बंटी होती है |

  1. द्रुमिका ,
  2. कोशिकाय ,
  3. एक्सॉन

हमारे शरीर में संवेदी तंत्रिका तथा तंत्रिका होती है | संवेदी तंत्रिका ग्राही अंगो से उद्दीपन प्राप्त कर सुचना को मेरुरज्जु तक ले जाती है तथा वाहक मस्तिष्क से सुचना अंगो तक पहुँचती है |

6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर :
जड़ प्रकाश के विपरीत मुड़कर अनुक्रिया करती है तथा तने प्रकाश की दिशा में मुड़कर , इसे प्रकाशावर्तन कहते है | पादप में ऑकिस्न  हॉर्मोन स्त्रावित होता है | यह सूर्य के प्रकाश में तने के अंधेरमय भाग में आ जाता है और वहाँ की कोशिकोओं को लंबा कर उन्हें प्रकाश की ओर  झुका जाता है | इसे घनात्मक प्रकाशावर्तन कहते है | जड़े ऋणात्मक दर्शाती है |

7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के  आने में व्यवधान होगा?
उत्तर :
प्रतिवर्ती क्रियाएँ सम्पन्न नहीं हो पाएंगी | इसके अलावा सभी सूचनाएँ ठीक प्रकार से संचारित नहीं होगी |

8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर :
पादप कोशिकाएँ हार्मोन स्त्रावित करती है | ये हार्मोन वृद्धि , विकास तथा विभाजन को निंयत्रित करते है | ये  हार्मोन ही रासायनिक समन्वय स्थापित करते है |

9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के  तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर :
यदि जीव में नियंत्रण एंव समन्वय का तंत्र न हो तो कोशिकाएँ जीव की इच्छानुसार कार्य नहीं करेंगी | अतः इन पर  नियंन्त्रण अति आवश्यक है | बहुकोशिकीय जीवों में सामान्य  क्रियाओं के लिए यह प्रभावशाली है |

10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर : 
अनैच्छिक क्रियाएँ : 

  1. इन  क्रियाएँ  को मस्तिष्क नियंत्रित करता है – ह्रदय का धडकन , साँस लेना |
  2. ये  क्रियाएँ सम्पन्न होने में ज्यादा सनी लेती है |

प्रतिवर्ती क्रियाएँ : 

  1. इन क्रियाओं को मेरुरज्जू द्वारा नियंत्रित किया जाता है | उदाहरण : गर्म पदार्थ को स्पर्श करने पर हाथ का हटना |
  2. ये क्रियाएँ सम्पन्न होने में बहुत कम समय लेती है |

11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के  लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक ( CONTRAST ) कीजिए।
उत्तर :
तंत्रिका क्रिया विधि :

  1. तंत्रिका तंत्र संवेदी सूचनाएँ प्राप्त कर अपना संदेश भेजता है तथा  नियंत्रण  करता है |
  2. शरीर में तंत्रिका तंत्र अपना जाल बना लेता है तथा इसकी अपनी संरचनात्मक इकाई होती है|

प्रतिवर्ती  क्रियाएँ : 

  1. शरीर के अंगो में महत्वपूर्ण ग्रंथि ही हार्मोन स्त्रावित होते है ये  हार्मोन कई क्रियाएँ  उदाहरण –  वृद्धि , विकास , जनन आदि को नियंत्रित करते है |
  2. हार्मोन स्वयं ही शरीर में स्त्रावित होते है |

12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर :
छुई-मुई पादप  में गति : 

  1. इस पौधे में गति का आधार स्पर्श है |
  2. यहाँ गति पतियों के  झुकने व खिलने पर आधारित है |
  3. यहाँ  पतियोंके आकार में भी परिवर्तन होता है |

हमारी टाँग में होने वाली गति  : 

  1. इसमें गति का आधार मानव तंत्रिका तंत्र है |
  2. यहाँ गति पेशियों के सिकुड़ने व फैलने पर आधारित है |
  3. यहाँ  पैर या उसकी पेशियों के आकार में कोई परिवर्तन नहीं है |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. तंत्रिका कोशिका के भागों को पहचानिए:
(i) जहाँ सूचनाएँ उपर्जित की जाती हैं |
(ii) जिससे होकर सूचनाएँ विद्युत आवेग की तरह यात्रा करती हैं|
(iii) जहाँ इस आवेग का परिवर्तन रासायनिक संकेत में किया जाता है जिससे यह आगे संचरित हो सके ।
उत्तर:
(i) द्रुमाकृतिक सिरे
(ii) द्रुमिका
(iii) तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन)

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 are helpful to complete your homework.

 

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 Measures of Central Tendency (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 Measures of Central Tendency (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 Measures of Central Tendency (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Economics. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 Measures of Central Tendency.

प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. निम्नलिखित स्थितियों में कौन सा औसत उपयुक्त होगा?

(क) तैयार वस्त्रों के औसत आकार।
(ख) एक कक्षा के छात्रों की औसत बौद्धिक प्रतिभा।
(ग) एक कारखाने में प्रति पाली औसत उत्पादन।
(घ) एक कारखाने में औसत मजदूरी।
(ङ) जब औसत से निरपेक्ष विचलनों का योग न्यूनतम हों।
(च) जब चरों की मात्रा अनुपात में हो।
(छ) मुक्तांत बारबारता बंटने के मामले में

उत्तर

(क) भूयिष्ठक।
(ख) भूयिष्ठक
(ग) माध्य
(घ) माध्य
(ङ) मध्यिका
(च) माध्य
(छ) मध्यिका

प्र.2. प्रत्येक प्रश्न के सामने दिये गये बहुविकल्पों में से सर्वाधिक उचित विकल्प को चिह्नित करें:

(i) गुणात्मक मापन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त औसत है:

(क) समांतर माध्य।
(ख) मध्यिका
(ग) बहुलक
(घ) ज्यामितीय माध्ये
(ङ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ख) मध्यिका

(ii) चरम मदों की उपस्थिति से कौन सा औसत सर्वाधिक प्रभावित होता है?

(क) मध्यिका
(ख) बहुलक
(ग) समांतर माध्य
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ग) समांतर माध्य

(iii) समांतर माध्य से मूल्यों के किसी समुच्चय के विचलन का बीजगणितीय योग है

(क)
(ख) 0
(ग) 1
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ग) 1

प्र.3. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही है या गलत–

(क) मध्यिका से मदों के विचलनों का योग शून्य होता है।
(ख) श्रृंखलाओं की तुलना के लिए मात्र औसत ही पर्याप्त नहीं है।
(ग) समांतर माध्य एक स्थैतिक मूल्य है।
(घ) उच्च चतुर्थक शीर्ष 25 प्रतिशत मदों का निम्नतम मान है।
(ङ) मध्यिका चरम प्रेक्षणों द्वारा अनुचित रूप से प्रभावित होती है।

उत्तर

(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) सही
(ङ) गलत।

प्र.4. नीचे दिए गए आँकड़ों का समांतर माध्य 28 है, तो (क) लुप्त आवृत्ति का पता करें, और (ख) श्रृंखला की मध्यिका ज्ञात करें।

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 1
उत्तर लुप्त आवृत्ति का पता करना

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 2

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 3

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 4

प्र.5. निम्नलिखित सारणी में एक कारखाने 10 मजदूरों की दैनिक आय दी गयी है। इसका समांतर माध्य ज्ञात कीजिए।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 5
उत्तर
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 6

प्र.6. निम्नलिखित सूचना 150 परिवारों की दैनिक आय से संबद्ध है। इससे समांतर माध्य का परिकलन कीजिए।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 7
उत्तर
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 8

प्र.7. नीचे एक गाँव के 380 परिवारों की जोतों का आकार दिया गया है। जोत का मध्यिका आकार ज्ञात कीजिए।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 9
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 10
उत्तर
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 11

प्र.8. निम्नलिखितश्रृंखला किसी कंपनी में नियोजित मजदूरों की दैनिक आय से संबद्ध है। अभिकलन कीजिए:

(क) निम्नतम 50% मजदूरों की उच्चतम आय
(ख) शेष 25% मजदूरों द्वारा अर्जित न्यूनतम आय और
(ग) निम्नतम 25% मजदूरों द्वारा अर्जित अधिकतम आय

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 12

सकेतः माध्य, निम्न चतुर्थक तथा उच्च चतुर्थक को अभिकलन कीजिए।
उत्तर

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 13

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 14

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 15

प्र.9. निम्न सारणी में किसी गाँव के 150 खेतों में गेहूं की प्रति हेक्टेयर पैदावार दी गयी है। समांतर माध्य मध्यिका तथा बहुलक के मान की गणना कीजिए।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 16
उत्तर
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 17
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 18
NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 (Hindi Medium) 19

Hope given Statistics for Economics Class 11 Solutions Chapter 5 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 5 Measures of Central Tendency (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition.

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बाजार संतुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: बाजार संतुलन से तात्पर्य उस स्थिति से है जब एक विशेष कीमत पर बाजार में माँगी गई मात्रा पूर्ति की गई मात्रा के बराबर होती है। बाजार माँग वक्र माँग के नियम के अनुसार बाईं से दाईं ओर नीचे की ओर
अधिपति अधिपूर्ति ढलान वाला होता है, क्योंकि वस्तु की कीमत तथा उसकी माँगी गई मात्रा में ऋणात्मक संबंध है। बाजार पूर्ति वक्र पूर्ति के नियम के है। अनुसार बाईं से दाईं ओर ऊपर की ढलानवाला होता है, क्योंकि वस्तु की कीमत और उसकी पूर्ति की गई मात्रा में धनात्मक संबंध होता है। अधिमाँग अतः दिये गए चित्र में माँग वक्र PD एक नीचे की ढलान वाला वक्र है और पूर्ति वक्र SS एक ऊपर की ओर ढलान वाला वक्र है। जहाँ पर DD और SS एक दूसरे को काटते हैं वहाँ पर बाजार संतुलन में होता है। इस बिन्दु पर Dn = Sn होता है। इस बिन्दु के अनुरूप संतुलन कीमत OP तथा संतुलन मात्रा पर निर्धारित हो जाती है। यदि बाजार कीमत OP से कम होगी तो बाजार में अधिमाँग होगी। यदि बाजार कीमत OP से अधिक होगी तो बाजार में अधिपूर्ति होगी।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 1

प्र० 2. हम कब कहते हैं कि बाजार में किसी वस्तु के लिए अधिमाँग है?
उत्तर: जब किसी वस्तु की बाजार माँग उसकी बाजार पूर्ति से अधिक होती है, तो इसे अधिमाँग कहा जाता है। यह संतुलन कीमत से कम कीमत पर होता है, इसे अभावी पूर्ति भी कहते हैं।

प्र० 3. हम कब कहते हैं कि बाजार में किसी वस्तु के लिए अधिपूर्ति है?
उत्तर: जब किसी वस्तु की बाजार पूर्ति उसकी बाजार माँग से अधिक होती है तो इसे अधिपूर्ति कहा जाता है। यह संतुलन कीमत से अधिक कीमत पर होता है। इसे अभावी माँग भी कहते हैं।

प्र० 4. क्या होगा यदि बाजार में प्रचलित मूल्य है?
(a) संतुलन कीमत से अधिक।
(b) संतुलन कीमत से कम हो।
उत्तर: (i) यदि बाजार कीमत संतुलन कीमत से अधिक है-इस स्थिति में बाजार माँग बाजार पूर्ति से कम होगी
अतः अधिपूर्ति जन्म लेगी।
(a) यह अधिपूर्ति विक्रेताओं में प्रतिस्पर्धी को बढ़ायेगी।
(b) प्रतिस्पर्धा के कारण विक्रेता कम कीमत लेने को तैयार हो जाते हैं।
(c) कीमत कम होने से माँग विस्तृत हो जाती है और पूर्ति संकुचित हो जाती है।
यह तब तक होता है जब तक कीमत पुनः संतुलन कीमत तक नहीं पहुँच जाती।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 4
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 4.1
(ii) यदि बाजार कीमत संतुलन कीमत से कम हो-इस स्थिति में बाजार माँग बाजार पूर्ति से अधिक होती है और अधिक माँग जन्म लेती है।
(a) यह अधिमाँग क्रेताओं में प्रतिस्पर्धा को बढ़ा देता है।
(b) इस प्रतिस्पर्धा के कारण क्रेता अधिक कीमत देने को तैयार हो जाते हैं।
(c) इस बढ़ी कीमत के कारण माँग संकुचित हो जाती है तथा पूर्ति विस्तृत हो जाती है। यह तब तक होता है जब तक संतुलन कीमत पुनः स्थापित न हो जाये।

प्र० 5. फर्मों की एक स्थिर संख्या होने पर पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में कीमत का निर्धारण किस प्रकार होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: जब फर्मों की संख्या स्थिर हो तो माँग वक्र बाँई से दाईं ओर नीचे की ओर ढलान वाला होता है, और पूर्ति वक्र दाईं से बाईं ओर नीचे की कीमत ओर ढलान वाला होता है। जहां पर ये वक्र एक दूसरे को काटते हैं। अर्थात् जिस कीमत पर बाजार माँग और बाजार पूर्ति बराबर हो जाते हैं, वहाँ पर संतुलन कीमत का निर्धारण होता है। इसे नीचे चित्र में दिखाया गया है। बिन्दु E पर माँग वक्र DD और पूर्ति वक्र SS एक दूसरे को काट रहे हैं,
अतः यह संतुलन बिन्दु है। इसके अनुरूप OP संतुलन कीमत है और OQ संतुलन मात्रा है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 5

प्र० 6. मान लीजिए कि अभ्यास 5 में संतुलन कीमत बाजार में फर्मों की न्यूनतम औसत लागत से अधिक है। अब यदि हम
फर्मों के निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति दे दें तो बाजार कीमत इसके साथ किस प्रकार समायोजन करेगी?
उत्तर:
1. यदि हम फर्मों को निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति दे दें तो पूर्ति में वृद्धि होगी।
2. पूर्ति में वृद्धि होने से संतुलन कीमत कम होगी तथा संतुलन मात्रा बढ़ेगी।
3. संतुलन कीमत कम होने से फर्मों के असामान्य लाभ विलुप्त हो जायेंगे।
इसे चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है। बाजार कीमत OP थी जब माँग (DD) = पूर्ति (SS) थे। इस कीमत पर AR > AC अत: फर्ने सामान्य से अधिक लाभ कमा रही थी। हमने फर्मों को निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति दे दी तो पूर्ति में वृद्धि हो गई। यह वृद्धि तब तक होगी जब तक कीमत इतनी कम न हो जाए कि AR = Min. AC हो।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 6
चित्र में पैनल B में फर्म बिन्दु E पर संतुलन में है जहाँ MC = MR तथा MC, MR वक्र को नीचे से काट रही है। इस बिन्दु के अनुरूप उत्पादक OQ मात्रा बेचेगा जिसकी प्रति इकाई लागत = OC तथा प्रति इकाई संप्राप्ति = OP है। अतः प्रति इकाई लाभ = OP – 0C = PC है। अतः कुल लाभ = PC x OQ = ar PC ME
यह असामान्य लाभ है, अतः नई फमें प्रवेश के लिए आकर्षित होंगी नई फर्मों के प्रवेश से कीमत (Panel A में) OP से 0P, हो जायेगी। इस कीमत पर प्रति इकाई लागत = OC, प्रति इकाई संप्राप्ति = OC अतः प्रति इकाई लाभ = शून्य अतः अब फर्म केवले सामान्य लाभ अर्जित करेगी। नोट-हानि की स्थिति में विपरीत होगा। कुछ फर्मे बाजार छोड़ देंगी, पूर्ति में कमी होगी, संतुलन कीमत बढ़ेगी और हानियाँ विलुप्त हो जायेंगी।।

प्र० 7. जब बाजार में निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति है, तो फर्मे पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में कीमत के किस स्तर पर पूर्ति करती हैं? ऐसे बाजार में संतुलन मात्रा किस प्रकार निर्धारित होती है?
उत्तर: निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन से अभिप्राय है कि उत्पादन में बने रहकर संतुलन में कोई भी फर्म न असामान्य लाभ अर्जित करती है और न हानि उठाती है। ऐसी स्थिति में संतुलन कीमत सभी फर्मों की न्यूनतम लागत के बराबर होगी। कारण-यदि प्रचलित बाजार कीमत पर प्रत्येक फर्म अधिसामान्य लाभ अर्जित कर रही है, तो नई फर्मे आकर्षित होंगी। इससे पूर्ति में वृद्धि होगी, कीमत कम होगी और अधिसामान्य लाभ विलुप्त हो जायेगा। इसी प्रकार यदि प्रचलित कीमत पर फर्ने सामान्य से कम लाभ अर्जित कर रही हैं तो कुछ फर्मे बहिर्गमन कर जायेंगी, जिससे लाभ में वृद्धि होगी और प्रत्येक फर्म के लाभ बढ़कर सामान्य लाभ के स्तर पर आ जायेंगे। इस बिन्दु पर और अधिक फर्मं प्रवेश या बहिर्गमन नहीं करेंगी। अतः प्रवेश तथा बर्हिगमन के द्वारा प्रत्येक फर्म प्रचलित बाजार कीमत पर सदैव सामान्य लाभ अर्जित करेगी। सूत्र के अनुरूप में जब तक AR > AC, नई फर्ने प्रवेश करेंगी। यदि AR < AC तो कुछ फर्मे बहिर्गमन करेंगी। अतः बाजार कीमत सदैव न्यूनतम औसत लागत के बराबर होगी। (AR)P = न्यूनतम औसत लागत इस स्थिति में पूर्ति वक्र पूर्णतया लोचदार होगा क्योंकि P = न्यूनतम औसत लागत के स्तर पर फर्म कितनी भी पूर्ति कर सकती है। माँग वक्र D इसे बिन्दु E पर काटता है जब संतुलन कीमत = OP तथा संतुलन मात्रा = OQ निर्धारित हो जाती है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 7

प्र० 8. एक बाजार में फर्मों की संतुलन संख्या किस प्रकार निर्धारित होती है, जब उन्हें निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति हो?
उत्तर: इसे एक संख्यात्मक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लो,
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 8
अत: निर्बाध प्रवेश और बहिर्गमन के साथ संतुलन कीमत, संतुलन मात्रा तथा फर्मों की संख्या क्रमश: 230, 320 इकाई तथा 4 है।

प्र० 9. संतुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है, जब उपभोक्ताओं की आय में (a) वृद्धि होती है (b) कमी होती है?
उत्तर: उपभोक्ता की आय में वृद्धि या कमी से संतुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार प्रभावित होगी वह इस बात पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है या निम्नकोटि की वस्तु।
(a) उपभोक्ता की आय में वृद्धि
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 9
(b) उपभोक्ता की आय में कमी
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 9.1

प्र० 10. पूर्ति तथा माँग वक्रों का उपयोग करते हुए दर्शाइए कि जूतों की कीमतों में वृद्धि, खरीदी व बेची जाने वाली मोजों की जोड़ी की कीमतों को तथा संख्या को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर: जूतों की जोड़ी तथा मोजों की जोड़ी पूरक वस्तुएँ है। पूरक वस्तु की कीमत और मात्रा में ऋणात्मक संबंध है अर्थात् X की कीमत बढ़ने पर Y की माँग कम हो जाती है तथा विपरीत। इसलिए जूतों की कीमतों कीमत में वृद्धि होने पर मोजों की जोड़ी की माँग में कमी होगी। तदनुसार माँग वक्र बाईं ओर खिसक जायेगा और मोजों की कीमत तथा उसकी खरीदी व बेची जाने वाली संख्या में कमी होगी। (चित्र देखें।)
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 10

प्र० 11. कॉफी की कीमत में परिवर्तन, चाय की संतुलन कीमत को किस प्रकार प्रभावित करेगा? एक आरेख द्वारा संतुलन मात्रा पर प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 11
चाय और कॉफी प्रतिस्थापन्न वस्तुएँ हैं। प्रतिस्थापन वस्तुओं की कीमत और माँग में धनात्मक संबंध होता है अर्थात् वस्तु X की कीमत बढ़ने पर वस्तु Y की मात्रा बढ़ती है, तथा विपरीत। अतः कॉफी की कीमत बढ़ने से चाय की माँग में वृद्धि होगी, माँग में वृद्धि होने पर संतुलन कीमत भी बढ़ेगी और संतुलन मात्रा भी बढ़ेगी। कॉफी की कीमत कम होने से चाय की माँग में कमी होगी। माँग में कमी होने से संतुलन कीमत भी घटेगी तथा संतुलन मात्रा भी घटेगी।

प्र० 12. जब उत्पादन में प्रयुक्त आगतों की कीमतों में परिवर्तन होता है, तो किसी वस्तु की संतुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर: आगतों की कीमतों में परिवर्तन वस्तु की उत्पादन लागत और फलस्वरूप लाभ को प्रभावित करता है। इससे उत्पादक का पूर्ति वक्र प्रभावित होता है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 12

प्र० 13. यदि वस्तु X की स्थानापन्न वस्तु (Y) की कीमत में वृद्धि होती है तो वस्तु X की संतुलन कीमत तथा मात्रा पर इसका क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: वस्तु X की संतुलन कीमत तथा मात्रा दोनों बढ़ जायेंगी।

प्र० 14. बाजार फर्मों की संख्या स्थिर होने पर तथा निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की स्थिति में माँग वक्र के स्थानान्तरण का संतुलन पर प्रभाव की तुलना कीजिए।
उत्तर: यदि फर्मों की संख्या स्थिर है तो माँग वक्र के दाईं ओर खिसकने (माँग में वृद्धि) से संतुलन मात्रा तथा संतुलन कीमत दोनों बढ़ेंगे और माँग वक्र के बाईं ओर खिसकने (माँग में कमी) से संतुलन मात्रा और संतुलन कीमत दोनों कम होंगे।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 14
यदि फर्मों के लिए निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति है तो P = न्यूनतम औसत लागत पर स्थिर रहेगा इस कीमत पर कोई भी फर्म कितनी भी मात्रा की पूर्ति कर सकती है, परन्तु कीमत को परिवर्तित नहीं कर सकती। अतः ऐसे में माँग बढ़ने से संतुलन मात्रा बढेगी, संतुलन कीमत समान रहेगी तथा माँग कम होने से संतुलन मात्रा कम होगी, संतुलन कीमत समान रहेगी।

प्र० 15. माँग तथा पूर्ति वक्र दोनों के दायीं ओर शिफ्ट का, संतुलन कीमत तथा मात्रा पर प्रभाव को एक आरेख द्वारा समझाइए।
उत्तर: इसमें तीन स्थितियाँ संभव हैं।
(i) जब माँग वृद्धि तथा पूर्ति में वृद्धि बराबर होते हैं। इस स्थिति में माँग में वृद्धि तथा पूर्ति में वृद्धि का प्रभाव एक दूसरे को समाप्त कर देते हैं तथा संतुलन कीमत जितनी थी उतनी ही रहती है परंतु संतुलन मात्रा
अधिक हो जाती है।
(ii) जब माँग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि से अधिक हो—इस स्थिति में माँग में वृद्धि का प्रभाव पूर्ति में वृद्धि के
प्रभाव से अधिक होता है। इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा पहले की तुलना में बढ़ जाते हैं।
(iii) जब माँग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि से कम हो-इस स्थिति में माँग में वृद्धि का प्रभाव पूर्ति में वृद्धि के प्रभाव से कम होता है। अतः इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा पहले की तुलना में बढ़ जाती है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 15

प्र० 16. संतुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार प्रभावित होते हैं जब ।
(a) माँग तथा पूर्ति वक्र दोनों, समान दिशा में शिफ्ट होते हैं?
(b) माँग तथा पूर्ति वक्र विपरीत दिशा में शिफ्ट होते हैं?
उत्तर: (a) माँग और पूर्ति वक्र दोनों समान दिशा में शिफ्ट होते हैं।
(b) जब दोनों में वृद्धि हो तो तीन स्थितियाँ संभव हैं।
(i) जब माँग में वृद्धि तथा पूर्ति में वृद्धि बराबर होती है, इस स्थिति में माँग में वृद्धि तथा पूर्ति में वृद्धि का प्रभाव एक दूसरे को समाप्त कर देते हैं तथा संतुलन कीमत जितनी थी उतनी ही रहती है, परंतु संतुलन मात्रा अधिक हो जाती है।
(ii) जब माँग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि से अधिक हो-इस स्थिति में माँग में वृद्धि का प्रभाव पूर्ति में वृद्धि के प्रभाव से अधिक होता है। इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा पहले की तुलना
में बढ़ जाते हैं।
(iii) जब माँग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि से कम हो—इस स्थिति में माँग में वृद्धि का प्रभाव पूर्ति में वृद्धि के प्रभाव से कम होता है अतः इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा पहले की तुलना | में बढ़ जाती है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 16
(c) जब माँग और पूर्ति दोनों में एक साथ कमी हो तो तीन स्थितियाँ संभव हैं।
(i) जब माँग में कमी पूर्ति में कमी के बराबर हो-इस स्थिति में माँग में कमी तथा पूर्ति में कमी का प्रभाव एक दूसरे को खत्म कर देता है। इस स्थिति में संतुलन कीमत जितनी थी उतनी ही रहती है परंतु संतुलन मात्रा पहले से अधिक हो जाती है।
(ii) जब माँग में कमी पूर्ति में कमी से अधिक होती है-इस स्थिति में माँग में कमी का प्रभाव पूर्ति में कमी के प्रभाव से अधिक होता है। अतः इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा दोनों पहले से कम हो जाते हैं।
(iii) जब माँग में कमी पूर्ति में कमी से कम होती है-इस स्थिति में माँग में कमी का प्रभाव पूर्ति में कमी के प्रभाव से कम होता है। अतः इस स्थिति में संतुलन कीमत पहले से बढ़ जाती है, जबकि संतुलन मात्रा पहले से कम हो जाती है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 16.1

प्र० 17. वस्तु बाजार में तथा श्रम बाजार में माँग तथा पूर्ति वक्र किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर: वस्तु बाजार में तथा श्रम बाजार में दोनों में ईष्टतम मात्रा का निर्धारण पूर्ति और माँग शक्तियों द्वारा ही होता है। परन्तु श्रम बाजार में श्रम की पूर्ति करने वाले परिवार क्षेत्रक है और श्रम की माँग फर्मों से आती है, जबकि वस्तुओं के बाजार में वस्तुओं की माँग करने वाले परिवार क्षेत्रक है और श्रम की माँग फर्मों से आती है। मजदूरी दरें तथा ईष्टतम मात्रा का निर्धारण श्रम के लिए माँग और पूर्ति वक्रों के प्रतिच्छेदन बिन्दु पर होता है, जहाँ श्रम की माँग और पूर्ति संतुलन में हों। इसी प्रकार वस्तुओं की कीमतों तथा ईष्टतम मात्रा का निर्धारण भी पूर्ति वक्रों के प्रतिच्छेदन बिन्दु पर होता है, जहाँ वस्तु की माँग और पूर्ति बराबर हो।

प्र० 18. एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में श्रम की इष्टतम मात्रा किस प्रकार निर्धारित होती है?
उत्तर: मजदूरी दर और ईष्टतम मात्रा का निर्धारण श्रम के लिए माँग और पूर्ति वक्रों के प्रतिच्छेदन बिन्दु पर होता है।

प्र० 19. एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी श्रम बाजार में मजदूरी दर किस प्रकार निर्धारित होती है?
उत्तर:  एक अधिकतमकर्ता फर्म उस बिन्दु तक श्रम का उपयोग करेगी, जिस पर श्रम की अंतिम इकाई के उपयोग की
अतिरिक्त लागत उस इकाई से प्राप्त अतिरिक्त लाभ के बराबर है। श्रम की एक अतिरिक्त इकाई को उपयोग में लाने के अतिरिक्त लागत मजदूरी दर w है। श्रम की एक अतिरिक्त इकाई द्वारा अतिरिक्त निर्गत उत्पादन उसका सीमांत उत्पाद तथा प्रत्येक अतिरिक्त इकाई निर्गत के विक्रय से प्राप्त अतिरिक्त आय फर्म की उस इकाई से प्राप्त सीमांत संप्राप्ति है। अतः श्रम की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के लिए उसे जो अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है, वह सीमांत संप्राप्ति तथा सीमांत उत्पाद के गुणनफल के बराबर है। इसे सीमांत संप्राप्ति उत्पाद कहा जाता है। अतः फर्म उस बिन्दु तक श्रम को उपयोग में लाती है जहाँ । |
w = श्रम का सीमांत संप्राप्ति उत्पाद
तथा श्रम का सीमांत संप्राप्ति उत्पाद = सीमांत संप्राप्ति x श्रम का सीमांत उत्पाद
जब तक श्रम के सीमांत उत्पाद का मूल्य मजदूरी दर से अधिक है, फर्म श्रम की एक अतिरिक्त इकाई को उपयोग करके अधिक लाभ अर्जित कर सकती है तथा यदि श्रम उपयोग के किसी भी स्तर पर श्रम के सीमांत उत्पाद का मूल्य मजदूरी दर की तुलना से कम हैं, तो फर्म श्रम की एक इकाई कम करके अपने लाभ में वृद्धि कर सकती है।

प्र० 20. क्या आप किसी ऐसी वस्तु के विषय में सोच सकते हैं, जिस पर भारत में कीमत की उच्चतम निर्धारित कीमत लागू है? निर्धारित उच्चतम कीमत सीमा के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर: भारत में ऐसी कई वस्तएँ हैं जहाँ सरकार कुछ वस्तुओं की अधिकतम स्वीकार्य कीमत निर्धारित करती है। जैसे-गेहूँ, चावल, मिट्टी का तेल आदि। नीचे दिया गया चित्र पेट्रोल के लिए बाजार पूर्ति वक्र SS तथा बाजार माँग वक्र DD को दर्शा रहा है। इसके अनुसार पेट्रोल की संतुलन कीमत OP तथा OQ है। परन्तु सरकार इसकी कीमत OP0 पर निर्धारित कर देती हैं। इस कीमत पर इसकी माँग (OQ1) इसकी पूर्ति (OQ1) से अधिक है। बाजार में अधिमाँग है। अतः बाजार में वस्तु की कमी हो जायेगी। ऐसी स्थिति का परिणाम निम्नलिखित हो सकते हैं
1. कालाबाजारी
2. राशन कूपनों का प्रयोग करके सामान खरीदने के लिए लम्बी कतारें।

प्र० 21, माँग वक्र में शिफ्ट का कीमत पर अधिक तथा मात्रा पर कम प्रभाव होता है, जबकि फर्मों की संख्या स्थिर रहती है। स्थितियों की तुलना करें जब निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति हो। व्याख्या करें।
उत्तर: जब फर्मों की संख्या स्थिर रहती है तो माँग वक्र में शिफ्ट का कीमत पर अधिक तथा मात्रा पर कम प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति में माँग वक्र दाईं ओर नीचे की ओर ढलान वाला तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर ऊपर की ओर ढलान वाला होता है। इसे नीचे दिए वक्र में दिखाया गया है। जब माँग वक्र DD से D1D1 की ओर खिसक गया तो नई संतुलन कीमत OP1 तथा नयी संतुलन मात्रा OQ1 पर निर्धारित हो गई।
दूसरी स्थिति जब फर्मों को निर्बाध प्रवेश तथा विकास की। स्वतंत्रता हो तो पूर्ति वक्र पूर्णतया बेलोचदार होता है। ऐसे में माँग में वृद्धि होनेपर संतुलन कीमत समान रहती है, परन्तु संतुलन मात्रा बढ़ जाती हैं इसे नीचे दिए चित्र में दिखाया गया है। माँग वक्र DD में वृद्धि पर यह D1D1 पर खिसक जाता है। इसके 6 खिसकने से संतुलन कीमत समान रहती है, परन्तु संतुलन मात्रा OQ1 पर निर्धारित हो जाती है।
अतः यह कहना बिल्कुल उचित है कि माँग वक्र में शिफ्ट का कीमत पर अधिक तथा मात्रा पर कम प्रभाव होता है जब फर्मों की संख्या स्थिर रहती है उसकी तुलना में जब निर्बाध प्रवेश तथा । बहिर्गमन की अनुमति हो।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 21
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 21.1

प्र० 22. मान लीजिए, एक पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में वस्तु X की माँग तथा पूर्ति वक्र निम्न प्रकार दिए गए हैं।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 22
मान लीजिए कि बाजार में समरूपी फर्मे हैं। 15 ₹ से कम, किसी भी कीमत पर वस्तु x की बाजार पूर्ति के शून्य होने के कारण की पहचान कीजिए। इस वस्तु के लिए संतुलन कीमत क्या होगी? संतुलन की स्थिति में
की कितनी मात्रा का उत्पादन होगा?
उत्तर:
1. 15 ₹ से कम किसी भी कीमत पर वस्तु x की पूर्ति के शून्य होने का कारण है कि 15 ₹ न्यूनतम औसत
लागत है। यदि एक फर्म को अपनी न्यूनतम औसत लागत जितनी कीमत भी नहीं मिल रही तो वह उत्पादन
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 22.1

प्र० 23. अभ्यास 22 में दिए गए समान माँग वक्र को लेते हुए, आइए, फर्मों को वस्तु का उत्पादन करने के निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन की अनुमति देते हैं। यह भी मान लीजिए कि बाजार समानरूपी फर्मों से बना है जो वस्तु x का उत्पादन करती है। एक अकेली फर्म का पूर्ति वक्र निम्न प्रकार है-
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 23
(a) P = 20 का क्या महत्व है?
(b) बाजार में x के लिए किस कीमत पर संतुलन होगा? अपने उत्तर का कारण बताइए।
(c) संतुलन मात्रा तथा फर्मों की संख्या का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
(a) P = 20 का अर्थ है कि इतनी फर्म की औसत लागत है। यदि यह भी एक फर्म को नहीं मिलती तो
वह उत्पादन बंद कर देगी और उत्पादन शून्य के बराबर होगा।
(b) बाजार में ४ की संतुलन कीमत P = 20 होगी क्योंकि यदि बाजार में निर्बाध प्रवेश तथा अधिर्गमन की अनुमति है तो कोई भी फर्म न्यूनतम औसत लागत से अधिक कीमत नहीं ले सकती।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 23.1

प्र० 24. मान लीजिए कि नमक की माँग और पूर्ति वक्र इस प्रकार दिया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 24
(a) संतुलन कीमत तथा मात्रा ज्ञात कीजिए।
(b) अब मान लीजिए कि नमक के उत्पादन के लिए प्रयुक्त एक आगत की कीमत में वृद्धि हो जाती है और नया पूर्ति वक्र है :
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 24.1
संतुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार परिवर्तित होती है? क्या परिवर्तन आपकी अपेक्षा के अनुकूल है?
(c) मान लीजिए, सरकार नमक की बिक्री पर 3 ₹ प्रति इकाई कर लगा देती है। यह संतुलन कीमत तथा मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करेगा?
उत्तर:
(a) संतुलन बिन्दु वहाँ होगा जहाँ ।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) 24.2
अतः संतुलन कीमत में वृद्धि हो गई और संतुलन मात्रा में कमी हो गई। यह हमारी अपेक्षा के अनुकूल है। पूर्ति में कमी होने पर संतुलन कीमत बढ़ती है और संतुलन मात्रा कम होती है।

प्र० 25. मान लीजिए कि अपार्टमेंट के लिए बाजार-निर्धारित किराया इतना अधिक है कि सामान्य लोगों द्वारा वहन नहीं किया जा सकता। यदि सरकार किराए पर अपार्टमेंट लेने वालों की मदद करने के लिए किराया नियंत्रण लागू करती है, तो इसका अपार्टमेंटों के बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: ऐसे में बाजार में अधिमाँग उत्पन्न होगा। अपार्टमेंट लेने की माँग अधिक होगी और सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर किराये के लिए अपार्टमेंट की पूर्ति कम होगी। इस स्थिति में या तो सरकार को सरकारी अपार्टमेंट किराये पर देकर इस अधिमाँग को पूरा करना होगा या बाजार की यह अधिमाँग कालाबाजारी को जन्म देगी, जिसमें अपार्टमेंट के मालिक सरकार द्वारा निर्धारित किराये से अधिक किराया वसूल करेंगे और उस किराये पर भी उन्हें किरायेदार मिल जायेंगे।

Hope given NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 5 Market Competition (Hindi Medium) Read More »

error: Content is protected !!