Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy.

(अन्य हल प्रश्न) [MORE QUESTIONS SOLVED]

I. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. सार्वजनिक वस्तुओं की विशेषता है।
(क) ये अप्रतिस्पर्धी होती हैं।
(ख) ये अवयं होती हैं।
(ग) इनके उपयोग का शुल्क संग्रह करना कठिन होता है।
(घ) उपर्युक्त सभी

2. निम्नलिखित में से सरकारी बजट के संबंध में कौन-सा कथन सही है?
(क) यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित आय तथा व्यय का ब्यौरा
(ख) यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की वास्तविक आय तथा व्यय
(ग) इसमें बीते वर्ष की उपलब्धियों तथा कीमतों के संबंध में कोई चर्चा नहीं होती है।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

3. बजट में
(क) पिछले वर्ष की आय का विवरण होता है।
(ख) चालू वर्ष की आय-व्यय की संशोधित स्थिति होती है।
(ग) आगामी वर्ष की आय व्यय के अनुमान होते हैं।
(घ) उपर्युक्त सभी

4. सरकारी बजट के निम्नलिखित में से कौन-से उद्देश्य हैं?
(क) आय और संपत्ति का पुनः वितरण
(ख) संसाधनों का कुशलतम आबंटन
(ग) आर्थिक स्थिरता
(घ) उपरोक्त सभी

5. निम्नलिखित में से कौन-सा अप्रत्यक्ष कर है?
(क) संपत्ति कर
(ख) उत्पाद कर
(ग) आय कर
(घ) संपत्ति कर

6. कर एक
(क) ऐच्छिक भुगतान है।
(ख) अनिवार्य भुगतान है।
(ग) एक कानूनी भुगतान नहीं है।
(घ) उपर्युक्त सभी

7. निम्नलिखित में से प्रत्यक्ष कर का उदाहरण कौन-सा है?
(क) आयात-निर्यात कर
(ख) उत्पादन कर
(ग) बिक्री कर
(घ) आयकर

8. प्रगतिशील कर पद्धति में
(क) आय वृद्धि के साथ-साथ कर का प्रतिशत कम होता रहता है।
(ख) आय वृद्धि के साथ-साथ कर का प्रतिशत बढ़ता जाता है।
(ग) आय कम हो या अधिक कर का प्रतिशत समान रहता है।
(घ) निर्धनों पर कर का भार अधिक पड़ता है।

9. प्रगतिशील कर का उद्देश्य होता है।
(क) आय का समान बँटवारा
(ख) कर में वृद्धि
(ग) हानिप्रद उपभोग पर प्रतिबंध
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

10. निम्नलिखित में से कौन-सी पूँजीगत प्राप्ति है।
(क) कर राजस्व
(ख) सरकारी निवेश से प्राप्त आय
(ग) फीस व जुर्माने से प्राप्त राशि
(घ) उधार ली गई राशि

11. निम्नलिखित में से कौन-सी गैर-राजस्व प्राप्ति नहीं है?
(क) फीस
(ख) उपहार कर
(ग) जुर्माना
(घ) अनुदान

12. राजस्व व्यय वह व्यय है जिसके फलस्वरूप
(क) सरकार की परिसंपत्ति का निर्माण होता है
(ख) सरकार की परिसंपत्ति का निर्माण नहीं होता
(ग) सरकार की देयता में कमी होती है।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

13. पूँजीगत व्यय सरकार के वे अनुमानित व्यय हैं जो सरकार की ।
(क) परिसंपत्ति में वृद्धि करते हैं।
(ख) देयता को कम करते हैं।
(ग) (क) तथा (ख) दोनों
(घ) देयता को बढ़ाते हैं।

14, शिक्षा, प्रशिक्षण, जनस्वास्थ्य आदि पर व्यय कहलाता है।
(क) पूँजीगत निर्माण
(ख) मानव पूँजीगत
(ग) विकासात्मक व्यय
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

15. बजट घाटे से अभिप्राय उस स्थिति से है, जिसमें सरकार का बजट व्यय सरकार की बजट प्राप्तियों से
(क) कम होता है।
(ख) अधिक होता है।
(ग) बराबर होता है।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

16. बजट बचत से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें सरकार का बजट व्यय
(क) बजट प्राप्तियों से कम होता है।
(ख) बजट प्राप्तियों से अधिक होता है।
(ग) बजट प्राप्तियों से बराबर
(घ) इनमें से कोई नहीं

17. राजकोषीय घाटा =
(क) कुल व्यय – उधार को छोड़कर कुल प्राप्तियाँ
(ख) राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
(ग) पूँजीगत व्यय – पूँजीगत प्राप्तियाँ
(घ) राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

18. वित्तीय घाटा तथा ब्याज भुगतान के अंतर को कहा जाता है।
(क) राजस्व घाटा
(ख) प्राथमिक घाटा
(ग) बजट प्राप्तियाँ
(घ) पूँजी घाटा

19. निम्नलिखित में से कौन सा असंतुलित बजट है?
(क) बचत का बजट
(ख) घाटे का बजट
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।

20. यदि राजकोषीय घाटा ₹ 2000 करोड़ है और ब्याज भुगतान ₹ 2000 करोड़ है तो प्राथमिक घाटा कितना होगा?
(क) 1800
(ख) 1600
(ग) 2200
(घ) 2400

उत्तर

1. (घ)
2 (क)
3. (ग)
4. (घ)
5. (ख)
6. (ख)
7. (घ)
8 (ख)
9. (क)
10. (घ)
11. (ख)
12. (घ)
13. (ग)
14 (ग)
15. (ख)
16, (क)
17. (क)
18. (ख)
19. (ग)
20. (क)

II. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

प्र० 1. सरकारी बजट क्या होता है? बजटीय नीति के तीन उद्देश्य बताइए। (Delhi, Foreign 2013)
उत्तर: बजट सरकार की प्रत्याशित आय तथा प्रत्याशित व्यय का ऐसा ब्यौरा है, जो एक वित्तीय वर्ष में 1 से मार्च 31 तक के अनुमानों को प्रकट करता है। इसमें बीते वर्ष की उपलब्धियों तथा कमियों से संबंधित रिपोर्ट भी सम्मिलित होती है। अन्य शब्दों में, “सरकारी बजट एक वित्तिय वर्ष की अवधि के दौरान होता है सरकार की अनुमानित आय और व्ययों का विवरण होता है। सरकारी बजट के उद्देश्य निम्नलिखित हैं| (i) आय तथा संपत्ति का पुनः वितरण
(ii) संसाधनों का कुशल आबंटन
(iii) आर्थिक स्थिरता बनाए रखना
(iv) सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन

प्र० 2. सरकारी बजट का ‘आय का पुर्नवितरण उद्देश्य समझाइए। (Delhi, All India 2011)
अथवा
आय की असमानताएँ दूर करने में सरकारी बजट की भूमिका समझाइए। (Foreign 2012)
अथवा
आय की असमानताओं को दूर करने के लिए बजटीय नीति का उपयोग कैसे किया जा सकता है? (All India 2013)
उत्तर: आय की असमानताएँ दूर करना सरकारी बजट का एक मुख्य उद्देश्य है। बजटीय नीति का उपयोग करके आय की असमानताओं को दूर किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है
(i) अमीरों की आय पर प्रगतिशील आय प्रणाली का प्रयोग करके अधिक कर लगाकर तथा उससे प्राप्त आय को गरीबों के कल्याण पर खर्च करके आय की असमानता कम की जा सकती है।
(ii) अमीरों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर अमीरों की प्रयोज्य आय कम की जा सकती है।
(iii) गरीबों को आर्थिक सहायता देकर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ मुफ्त देकर और सार्वजनिक व्यय द्वारा भी आय एवं संपत्ति की समानता लाने में सहायता मिल सकती है और इस व्यय के लिए राजस्व अमीरों पर प्रत्यक्ष एवं अपत्यक्ष करों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

प्र० 3. सरकारी बजट का संसाधनों का आबंटन उद्देश्य समझाइए। (Delhi, Foreign 2011)
अथवा
संसाधनों के आबंटन में सरकार की भूमिका समझाइए। (Delhi 2012)
उत्तर: देश के संसाधनों के आबंटन को पूर्ण रूपेण बाजार की शक्तियों पर नहीं छोड़ा जा सकता इसीलिए देश के विभिन्न क्षेत्रों को प्राथमिकताओं के अनुसार सामाजिक व आर्थिक संतुलित विकास करना बजट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है इसके लिए कर नीति व आर्थिक सहायता की नीति बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है|
(i) वांछनीय वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है अर्थात् जिन वस्तुओं की पूर्ति में सरकार वृद्धि चाहती है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन आदि उन्हें या तो सरकारी क्षेत्र द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया जा सकता है। या उन पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है।
(ii) अवांछनीय वस्तुओं पर उच्च दर पर कर लगाए जा सकते हैं अर्थात् जिन वस्तुओं की पूर्ति में सरकार कमी करना चाहती है जैसे सिगरेट, शराब, तम्बाकू आदि उन्हें कर लगाकर पहले से अधिक महँगा बनाया जा
सकता है और उनके उत्पादन पर देश के संसाधन प्रयोग होने से रोके जा सकते हैं।

प्र० 4. सरकारी बजट का ‘आर्थिक स्थिरता’ उद्देश्य समझाइए। (Delhi, All India 2011)
अथवा
आर्थिक स्थिरता लाने में सरकारी बजट की भूमिका समझाइए। (Delhi 2012)
उत्तर: कर, आर्थिक सहायता, सार्वजनिक व्यय के माध्यम से सरकार समग्र माँग को नियंत्रित करके मंदी व तेजी अथवा | स्फीति व अपस्फीति पर नियंत्रण पा सकती है, जिससे आर्थिक स्थिरता लाई जा सकती है। यह इस प्रकार किया जाता है
(i) स्फीति के समय सरकार अपने व्यय में कमी करती है और करों में वृद्धि करती है। इससे समग्र माँग कम हो जाती हैं समग्र माँग कम होने से स्फीति अंतराल समाप्त हो जाता है, कीमतें नियंत्रित हो जाती हैं और स्फीतिकारी स्थिति स्थिरता में आ जाती है।
(ii) अपस्फीति के समय सरकार अपने व्यय में वृद्धि और करों में कमी करती है। इससे समग्र माँग बढ़ जाती है। समग्र माँग बढ़ने से अपस्फीति अंतराल समाप्त हो जाता है, कीमतें नियंत्रित हो जाती हैं और
अपस्फीतिकारी स्थिति समाप्त हो जाती है।

प्र० 5. सरकारी बजट में राजस्व प्राप्तियों और पूँजीगत प्राप्तियों के बीच अंतर बताइए प्रत्येक का उदाहरण दीजिए। (All India 2012, 2013)
अथवा
सरकारी बजट में राजस्व प्राप्तियों और पूँजीगत में भेद कीजिए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। (Foreign 2013)
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 5

प्र० 6. सरकारी बजट में पूँजीगत व्यय तथा राजस्व व्यय के बीच अंतर बताइए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए। (Delhi, Foreign 2012)
अथवा
सरकार बजट में पूँजीगत व्यय तथा राजस्व व्यय में भेद कीजिए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। (Delhi, All India 2013)
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 6

प्र० 7. उदाहरणों सहित प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में अंतर समझाइए। (Foreign 2011)
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 7

प्र० 8. सार्वजनिक व्यय का एक अर्थव्यवस्था के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट करो।
उत्तर: सार्वजनिक व्यय का एक अर्थव्यवस्था के विकास में बहुत अधिक महत्व है। इसे निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट किया जा सकता है – बजट सरकार की प्रत्याशित आय तथा प्रत्याशित व्यय का ऐसा ब्यौरा है जो | एक वित्तीय वर्ष में अप्रैल 1 से मार्च 31 तक के अनुमानों को प्रकट करता है। इसमें बीते वर्ष की उपलब्धियों तथा कीमतों से संबंधित रिपोर्ट भी सम्मिलित होती है। अन्य शब्दों में, सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की अनुमानित आय और व्ययों का विवरण होता है।
1. आय तथा संपत्ति को पुनः विवरण-आय की असमानताएँ दूर करने में सरकारी बजट की भूमिका है। बजटीय नीति का उपयोग करके आय की असमानताएँ दूर की जा सकती हैं।
2. संसाधनों का कुशल आबंटन-देश के संसाधनों के आबंटन को पूर्णरूपेण बाजार की शक्तियों पर नहीं छोड़ा जा सकता इसलिए देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्राथमिकताओं के अनुसार सामाजिक व आर्थिक संतुलित विकास करना बजट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसके लिए कर नीति व आर्थिक सहायता की नीति बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है।
3. आर्थिक स्थिरता-कर आर्थिक सहायता, सार्वजनिक व्यय के माध्यम से सरकार समग्र माँग को नियंत्रित | करके मंदी व तेजी अथवा स्फीति अवस्फीति पा सकती है, जिससे आर्थिक स्थिरता लाई जा सकती है।
4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन-बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जो निजी क्षेत्रों के द्वारा भी चनाए जा सकते हैं। इन क्षेत्रकों को सरकार को चलाना पड़ता है, क्योंकि ये उद्यम सामाजिक कल्याण की दृष्टि से तो बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, परंतु ये उत्तम लाभ नहीं देते हैं।

प्र० 9. सरकारी बजट में राजस्व घाटा’ समझाइए। इससे क्या पता चलता है? (Delhi 2012)
उत्तर: राजस्व घाटे का संबंध सरकार के राजस्व व्यय तथा राजस्व प्राप्तियों से है। इसका घाटी राजस्व व्यय एवं राजस्व प्राप्तियों का अंतर है। सूत्र के रूप में,
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
राजस्व व्यय से हमें यह पता लगता है कि सरकार की चालू प्राप्तियाँ सरकार की चालू व्यय से कितनी कम हैं या अधिक। इसे एक परिवार के उदाहरण से समझा जा सकता है। एक परिवार को प्रतिमाह आय 10000 है और व्यय ₹ 12,000 है तो प्रत्येक माह ₹ 2000 की पूँजीगत प्राप्तियाँ चाहिए, चाहे ऋण के रूप में चाहे किसी परिसंपत्ति को बेचकर। यही बात सरकार पर लागू होती हैं, परंतु यदि सरकार इसी तरह ऋण लेकर या परिसंपत्तियाँ बेचकर राजस्व घाटे को पूरा करती रही, तो सरकार की वित्तीय हालत कमजोर होती जायेगी। अतः राजस्व घाटा सरकार के लिए चिंताजनक विषय है।

प्र० 10. राजस्व घाटे को कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर: राजस्व घाटे को कम करने के दो तरीके हैं
(i) राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि – सरकार कर तथा गैर कर प्राप्तियों द्वारा राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि करे। इसके लिए आय की दरों को बढ़ाया जा सकता है। सरकार जुर्माने, फीस (लाइसेंस फीस, कॉपी राइट फीस)
आदि भी बढ़ा सकती है।
(ii) राजस्व व्यय में कमी – इसे आर्थिक सहायता में कमी कर भी खत्म किया जा सकता है। इसके लिए सरकार, आर्थिक सहायता में कमी कर सकती है अथवा सरकार अपने प्रशासनिक खर्चे में कटौती करके भी इस
लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है।

प्र० 11. सरकारी बजट में राजकोषीय घाटा’ की अवधारणा समझाइए इससे क्या पता चलता है? (All India 2012)
उत्तर: राजकोषीय घाटे का संबंध सरकार के राजस्व तथा पूँजीगत दोनों प्रकार के व्ययों तथा राजस्व और उधार छोड़कर बाकी पूँजीगत प्राप्तियों से है। अन्य शब्दों में, राजकोषीय घाटा कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) और उधार को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अंतर है।
सूत्र के रूप में,
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) – उधार छोड़कर कुल प्राप्तियाँ
अथवा
राजस्व घाटा + पूँजीगत व्यय – उधार छोड़कर पूँजीगत प्राप्तियाँ
अथवा उधार/ऋण
राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा आवश्यक उधारों का अनुमान है। राजकोषीय घाटे का अधिक होना इस बात का प्रतीक है कि सरकार को अधिक ऋण लेना पड़ेगा।

प्र० 12. राजकोषीय घाटे का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: राजकोषीय घाटे का अर्थ है सरकार द्वारा लिए जाने वाले उधार/ऋण में वृद्धि। इस बढ़ते हुए ऋण के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं।
1. स्फीतिकारी जाल-सरकार द्वारा लिये जाने वाले ऋण के कारण मुद्रा पूर्ति में वृद्धि होती है। मुद्रा पूर्ति में वृद्धि के कारण कीमत स्तर में वृद्धि होती है। कीमत स्तर में वृद्धि उच्च लाभ की आशा में निवेश को प्रेरित करती है, परंतु जब कीमत स्तर भयप्रद सीमाओं तक बढ़ने लगता है तो निवेश में कमी आती है, जिससे एक स्फीतिकारी जाल बन जाता है। ऐसी स्थिति में सकल घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत के रूप में एक लंबी समयावधि के लिए राजकोषीय घाटा उच्च बना रहता है तथा यहाँ दीर्घावधि आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है।
2. भावी पीढ़ी पर बोझ-राजकोषीय घाटे के फलस्वरूप भावी पीढ़ी को विरासत में एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था मिलती है, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर कम रहती है, क्योंकि सकल घरेलू
उत्पादक का एक बड़ा हिस्सा ऋणों के भुगतान में खर्च हो जाती है।
3. सरकारी विश्वसनीयता में कमी-उच्च राजकोषीय घाटे के कारण घरेलु तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में सरकार की विश्वसनीयता में कमी आ जाती है। इससे अर्थव्यवस्था की क्रेडिट रेटिंग’ गिरने लगती है। विदेशी निवेशक अर्थव्यवस्था में निवेश करना बंद करते हैं और आयात महँगे हो जाते हैं। इससे भुगतान शेष का घाटा भी बढ़ता जाता है। इसके कारण भी सरकार को और ऋण लेने पड़ सकते हैं या विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलना पड़ सकता है। यह एक ऋण के दुश्चक्र को जन्म देते हैं।
4. ऋण जाल/ऋण फंदा-सकल घरेलू उत्पाद के बढ़ते प्रतिशत के रूप में निरंतर उच्च राजकोषीय घाटे के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जहाँ –
(i) उच्च राजकोषीय घाटे के कारण सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर कम होती है और
(ii) निम्न सकल घरेलू उत्पाद संवृद्धि के कारण राजकोषिय घाटा उच्च होता है। ऐसी स्थितियों में सरकारी व्यय का बड़ा भाग निवेश व्यय पर नहीं, बल्कि ऋणों के भुगतान व
ब्याजों के भुगतान पर खर्च हो जाता है।

प्र० 13. सरकारी बजट में प्राथमिक घाटा’ की अवधारणा समझाइए। इससे क्या पता चलता है? (Foreign 2012)
उत्तर: प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटा तथा भुगतान किए जाने वाले ब्याज का अंतर है। सूत्र के रूप में
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान
राजकोषीय घाटा केवल सरकार की उधार संबंधी आवश्यकताओं को दर्शाता है। जिसमें संचित ऋणों पर ब्याज का भुगतान शामिल होता है, जबकि प्राथमिक घाटा सरकार की उधार संबंधी आवश्यकताओं को दर्शाता है जिसमें ब्याज का भुगतान शामिल नहीं होता है। इसका अर्थ यह है कि प्राथमिक घाटे के ऋण वित्तीय ऋणों के समान हैं, परंतु वे हमारी चालू वर्ष के व्यय तथा चालू वर्ष की प्राप्तियों से जो ऋण आवश्यकताएँ उत्पन्न हुई हैं, उन्हें बताता है।

प्र० 14. सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए। क्यों? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सार्वजनिक वस्तुएँ ऐसी वस्तुओं को कहा जाता है जिनकी कीमत का निर्धारण बाजार कीमत तंत्र द्वारा नहीं हो सकता। इनकी संतुलन कीमत व संतुलन मात्रा वैयक्तिक उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच संव्यवहार से नहीं हो सकती। उदाहरण-राष्ट्रीय प्रतिरक्षा, सड़क, लोक प्रशासन आदि। सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए क्योंकि
(i) सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ किसी उपभोक्ता विशेष तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि इसका लाभ सबको मिलता है। उदाहरण के लिए सार्वजनिक उद्यान अथवा वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय किये जाते हैं तो इसका लाभ सभी को मिलता है, भले ही वे इसका भुगतान करें या न करें। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक वस्तुओं पर शुल्क लगाना कठिन या कहें असंभव होता है, इसे ‘मुफ्तखोरी की समस्या’ कहा जाता है। इससे ये वस्तुएँ अर्वज्य हो जाती हैं अर्थात् भुगतान नहीं करने वाले उपभोक्ता को इसके उपयोग से वंचित नहीं किया जा सकता।
(ii) ये वस्तुएँ “प्रतिस्पर्धी” नहीं होती, क्योंकि एक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के उपभोग को कम किये बिना इनका भरपूर प्रयोग कर सकता है।

प्र० 15. राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में भेद कीजिए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 15

प्र० 16. राजकोषीय घाटे से सरकार को ऋण ग्रहण की आवश्यकता होती है। समझाइए।
उत्तर: यह कहना बिल्कुल उचित है कि राजकोषीय घाटे से सरकार को ऋण की आवश्यकता होती है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अंतर है।
सकल राजकोषिय घाटा = कुल व्यये – (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
हम जानते हैं दोहरे लेखांकन प्रणाली के अनुसार सरकार का कुल व्यय और कुल प्राप्तियाँ बराबर होनी ही चाहिए, क्योंकि सरकार ने जो व्यय किया है उसका भुगतान तो इसे करना ही होगा चाहे वह ऋण लेकर करे चाहे नये नोट छापकर जिसे घाटे की वित्त व्यवस्था कहा जाता है। अतः राजकोषीय घाटा सरकार की कुल ऋण ग्रहण की आवश्यकता के बराबर होता है।
राजकोषीय घाटा = ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ

प्र० 17. राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटी में संबंध समझाइए।
उत्तर: जब राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से अधिक होता है तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है। सूत्र के रूप में,
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
दूसरी ओर बजट के अंतर्गत जब कुल व्यय कुल प्राप्तियों से अधिक होता है तो इस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
राजकोषिय घाटा = कुल व्यय – (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) – (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= (राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ) + (पूँजीगत व्यय – गैर ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= राजस्व घाटा + (पूँजीगत व्यय – गैर ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)

प्र० 18. मान लीजिए एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है। सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् इकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 दिया हुआ है तो
(a) संतुलन आय स्तर क्या है?
(b) सरकारी व्यय गुणांक और कर गुणांक के मानों की गणना करो।
(c) यदि सरकार . के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) संतुलन आय स्तर वहाँ होती है जहाँ
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 18

प्र० 19. एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं-
C = 20 + 0.8y, I = 30, G = 50, TR = 100
(a) आय का संतुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय ज्ञात कीजिए।
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोत्तरी का भुगतान जा सके, तो संतुल आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) आय का संतुलन स्तर वहाँ होगा जहाँ
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 19
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 19.1

प्र० 20. उपर्युक्त प्रश्न में अंतरण में 10% की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10% की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना करें। दोनों प्रभावों की तुलना करें।
उत्तर: यदि अंतरण में 10% की वृद्धि हो तो नया ।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 20
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 20.1
अतः अंतरण में वृद्धि आय के संतुलन स्तर को बढ़ा देती है जबकि एकमुश्त कर में वृद्धि आय के संतुलन स्तर को कम कर देती है।

प्र० 21. हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70yD (0.70 yD), I = 90, G = 100, T = 0.10 है तो
(a) संतुलन आय ज्ञात करो।
(b) संतुलन आय पर करे राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?
उत्तर:
(a) आय संतुलन वहाँ होगा जहाँ
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 21
(b) संतुलन आय पर कर राजस्व = 0.19y = 0.10 (702.702)
नहीं यह संतुलित बजट नहीं है क्योंकि G > T
यह घाटे का बजट है और सरकारी बजट घाटा (100 – 70.27) = 29.73 करोड़ के बराबर है।

प्र० 22. मान लीजिए कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है और अनुपातिक आय कर 20% है। संतुलन आय में निम्नलिखित 4 परिवर्तनों को ज्ञात करो।
(a) सरकार के क्रय में 20% की वृद्धि
(b) अंतरण में 20% की कमी।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 22

प्र० 23. निरपेक्ष मूल्य में कर गुणक सरकारी व्यय गुणक से छोटा क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
कर गुणक = – b
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) saq 23

प्र० 24. सरकारी घाटे और सरकारी ऋण ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सरकारी घाटा एक वर्ष में व्यय के लिए सरकार द्वारा लिए गए आवश्यक ऋणों की मात्रा को उजागर करती है। सरकार द्वारा अधिक ऋण लेने का अर्थ है भावी पीढ़ी के उपकरण और ब्याज का पुनर्भुगतान करने का भार अधिक होता है। वर्ष प्रति वर्ष जब ये ऋण भार अधिक होते जाते हैं तो भावी पीढियों के लिए उपलब्ध साधन कम होते जाते हैं। यह निश्चित रूप से वृद्धि की प्रक्रिया में एक प्रतिबंधक के रूप में काम करेगी। विशेषतः जब सरकार गैर-उत्पादकीय उद्देश्य के लिए ऋण लेती है।

प्र० 25. क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: हाँ सार्वजनिक ऋण एक बोझ बनता है। आवर्ती उधार भावी पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय ऋणों को संचित करता है। भावी पीढ़ी को विरासत में एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था मिलती है, जिसमें राष्ट्रीय सकल उत्पाद की वृद्धि निरंतर कम रहती है। इसके फलस्वरूप सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा ऋणों के पुनर्भुगतान या ब्याज भुगतान के लिए खपत होती है और घरेलू निवेश निचले स्तर पर बनी रहती है। जब सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा राजकोषीय घाटा होने पर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जहाँ एक दुश्चक्र जन्म लेता है, उच्च राजकोषीय घाटे के कारण सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर कम होती है और निम्न सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि के कारण राजकोषीय घाटा उच्च होता है। अतः प्राप्तियाँ संकुचित होती हैं जबकि व्यय में विस्तार होता है। इससे राजकोषीय घाटा बढ़ता है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से सरकारी व्यय का बड़ा हिस्सा कल्याण संबंधी व्ययों पर खर्च किया जाता है।

प्र० 26. क्या राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी होता है?
उत्तर: यह हमेशा स्फीतिकारी हो यह आवश्यक नहीं। यदि राजकोषीय घाटे का प्रयोग उत्पादक क्रियाओं के लिए किया गया हो, जिससे अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति में वृद्धि हो तो संभव है कि राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी सिद्ध न हो, परंतु वास्तव में सरकार द्वारा लिये जाने वाले उधार का एक महत्वपूर्ण संघटक भारतीय रिजर्व बैंक है। इसके कारण अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति में वृद्धि होती है। मुद्रा पूर्ति में वृद्धि के कारण प्राय: कीमत स्तर में वृद्धि होती है। कीमत स्तर में साधारण वृद्धि उच्च लाभों के द्वारा अधिक निवेश को प्रेरित कर सकती है। परन्तु जब कीमत वृद्धि का स्तर भयाप्रद सीमाओं तक बढ़ जाता है, तो इसके कारण
(i) आगतों को लागतों में वृद्धि तथा
(ii) मुद्रा की गिरती क्रय क्षमता के कारण समग्र माँग में कमी होती है। आगतों की लागतों में वृद्धि तथा समग्र माँग में कमी एक साथ मिलकर निवेश में कमी करते हैं, जिसके कारण सकल घरेलू उत्पाद में कमी होती है। अंततः अर्थव्यवस्था में AD कम होने से अपस्फीति भी हो सकती है और आर्थिक मंदी भी जन्म ले सकती है।

प्र० 27, घाटे में कटौती के विषय में विमर्श कीजिए।
उत्तर: घाटे में कटौती के लिए दो विधियाँ अपनाई जा सकती हैं
(i) करों में वृद्धि – भारत में सरकार कर राजस्व में वृद्धि करने के लिए प्रत्यक्ष करों पर ज्यादा भरोसा करती है। इसका कारण यह है कि अप्रत्यक्ष कर अपनी प्रकृति में प्रतिगामी होता है। इसका प्रभाव सभी आय समूह के लोगों पर समान रूप से पड़ती है।
(ii) व्यय में कमी – सरकार ने घाटे में कटौती के लिए सरकारी व्यय को कम करने के लिए कटौती पर बल दिया है। सरकार के कार्यकलापों को सुनियोजित कार्यक्रमों और सुशासनों के माध्यम से संचालित करने से ही सरकारी व्यय में कटौती की जा सकती है। परंतु कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्धनता, निवारण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकार के कार्यक्रमों को रोकने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः पूर्व निर्धारित स्तरों पर व्यय में वृद्धि नहीं करने के लिए सरकार स्वयं पर प्रतिबंधों का आरोपण करती है। इसके अतिरिक्त सरकार व्यय में कमी करने के लिए जिन क्षेत्रों में कार्यरत है स्वयं को उनमें से कुछ क्षेत्रों से निकाल लेती है। इस प्रकार सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की बिक्री के द्वारा भी प्राप्तियों में बढ़ोत्तरी करने का एक प्रयास किया जाता है।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

प्र० 1. सरकारी बजट क्या है? इसके क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर: बजट सरकार की प्रत्याशित आय तथा प्रत्याशित व्यय का ऐसा ब्यौरा है जो एक वित्तीय वर्ष में अप्रैल 1 से मार्च 31 तक के अनुमानों को प्रकट करता है। इसमें बीते वर्ष की उपलब्धियों तथा कमियों से संबंधित रिपोर्ट भी सम्मिलित होती है। अन्य शब्दों में, सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की अनुमानित आय और व्ययों का विवरण होता है। सरकारी बजट का उद्देश्य निम्नलिखित है
I. आर्य तथा संपत्ति को पुनः विवरण – आय की असमानताएँ दूर करने में सरकारी बजट की भूमिका है। बजटीय नीति का उपयोग करके आय की असमानताएँ दूर की जा सकती हैं। इसके लिए निम्नलिखित आयों को अपनाया जा सकता है
(i) अमीरों की आय पर प्रगतिशील आय प्रणाली का प्रयोग करके अधिक कर लगाकरे तथा उससे प्राप्त आय की गरीबों के कल्याण पर खर्च करना आय की असमानता कम की जा सकती है।
(ii) अमीरों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर अमीरों की प्रयोज्य आय कम की जा सकती है।
(iii) गरीबों को आर्थिक सहायता देकर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ मुफ्त देकर और सस्ती दर पर राशन उपलब्ध कराकर आय में विषमता कम की जा सकती है।
(iv) सार्वजनिक व्यय द्वारा भी आय एवं संपत्ति की समानता लाने में सहायता मिल सकती है और इस व्यय के लिए राजस्व अमीरों पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
II. संसाधनों को कुशल आबंटन – देश के संसाधनों के आबंटन को पूर्ण रूपेण बाजार की शक्तियों पर नहीं छोड़ा जा सकता इसीलिए देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्राथमिकताओं के अनुसार सामाजिक व आर्थिक संतुलित विकास करना बजट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसके लिए कर नीति व आर्थिक सहायता की नीति बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।
(i) वांछनीय वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है अर्थात् जिन वस्तुओं की पूर्ति में सरकार वृद्धि चाहती है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन आदि अनुपातों सरकारी क्षेत्र द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया
जा सकता है या उन पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है।
(ii) अवांछनीय वस्तुओं पर उच्च दर पर कर लगाए जा सकते हैं। अर्थात् जिन वस्तुओं की पूर्ति में सरकार कमी करना चाहती है। जैसे-सिगरेट, शराब, तंबाकू आदि उन्हें कर लगाकर पहले से अधि महँगा बनाया जा सकता है और उनके उत्पादन पर देश में संसाधन बढ़ाये जा सकते हैं।
III. आर्थिक स्थिरता – कर आर्थिक सहायता, सार्वजनिक व्यय के माध्यम से सरकार समग्र माँग को नियंत्रित करके मंदी व तेजी अथवा स्फीति अपस्फीति पा सकती है, जिससे आर्थिक स्थिरता लाई जा सकती हैं यह इस प्रकार किया जाता है
(i) स्फीति के समय सरकार अपने व्यय में कमी करती है और करों में वृद्धि होती है इससे समग्र माँग कम हो जाती है। समग्र माँग कम होने से स्फीति अंतराल समग्र हो जाता है। कीमतें नियंत्रित हो जाती हैं स्फीतिकारी स्थिति स्थिरता में आ जाती है।
(ii) अपस्फीति के समय सरकार अपने व्यय में वृद्धि और करों में कमी करती है। इससे समग्र माँग बढ़ जाती है। समग्र माँग बढ़ने से अपस्फीति अंतराल समाप्त हो जाता है। कीमतें नियंत्रित हो जाती हैं।
| और अपस्फीतिकारी स्थिति समाप्त हो जाती है।
IV. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन-बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जो निजी क्षेत्रकों द्वारा ही चलाए जा सकते हैं। इन क्षेत्रकों को सरकार को चलाना पड़ता है, क्योंकि ये उद्यम सामाजिक कल्याण की दृष्टि से तो बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, परंतु ये लाभ नहीं देते। उदाहरण के लिए रेलवे, प्रशासनिक सेवाएँ आदि। सरकारी बजट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य इन सार्वजनिक उद्यमों को ठीक ढंग से प्रबंधित करता है।

प्र० 2. सरकारी बजट के विभिन्न संघटकों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सरकारी बजट के विभिन्न संघटकों को नीचे दिए गए चार्ट में दिया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) 1
I. बजट प्राप्तियाँ – बजट प्राप्तियों से अभिप्राय एक वित्तीय वर्ष में सरकार को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली अनुमानित मौद्रिक आय से है। बजट प्राप्तियों का विस्तृत रूप से दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है। (a) राजस्व प्राप्तियाँ ।
(b) पूँजीगत प्राप्तियाँ।
(a) राजस्व प्राप्तियाँ – सरकार की राजस्व प्राप्तियों को उन मौद्रिक प्राप्तियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिनके फलस्वरूप न तो सरकार की कोई देयता उत्पन्न होती है और न ही सरकार | की परिसंपत्तियों में कमी होती है।
(i) कर प्राप्तियाँ – कर एक ऐसा अनिवार्य भुगतान है, जो सरकार को परिवारों, फर्मों या संस्थागत इकाइयों द्वारा दिया जाता है। इसके बदले में सरकार से किसी सेवा या लाभ प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती। यदि कोई व्यक्ति उस पर लगाए गए कर को नहीं चुकाता तो उसे कानून के अनुसार दंड मिलता है।
(ii) करेतर राजस्व प्राप्तियाँ – करेतर राजस्व प्राप्तियाँ सरकार की वे प्राप्तियाँ हैं जो करों को छोड़कर अन्य स्रोतों से प्राप्त होती हैं। कुछ करेतर राजस्व प्राप्तियाँ निम्नलिखित हैं
(iii) शुल्क – सरकार द्वारा व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए लिया जानेवाला भुगतान शुल्क कहलाता है। उदाहरण-भूमि का पंजीकरण शुल्क, जन्म तथा मृत्यु के पंजीकरण की फीस, पासपोर्ट फीस, कोर्ट फीस आदि।
(b) जुर्माना – जुर्माने वे भुगतान हैं जो कानून तोड़ने पर आर्थिक दंड के रूप में कानून तोड़ने वाले को सरकार को देने पड़ते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को कानून का अनुपालन करने के लिए प्रेरित करना है न कि आय प्राप्त करना। यह सरकार के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत नहीं है।
(c) एस चीट-एसचीट से अभिप्राय सरकार की उस आय से है जो उन लोगों की, संपत्ति से प्राप्त होती है जिनकी मृत्यु बिना किसी कानूनी उत्तराधिकारी को नियुक्त किए हो जाती है। इस संपत्ति का कोई दावेदार नहीं होता।
(d) विशेष आँकन-विशेष आँकन वह भुगतान है जो सरकारी कार्यों के फलस्वरूप किसी संपत्ति में सुधार होने या उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसके मालिकों द्वारा सरकार को किया जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि कुछ सरकारी कार्यों जैसे सड़क निर्माण, सीवरेज व्यवस्था, नालियों के निर्माण आदि के कारण आसपास की संपत्ति के मूल्य यो किराये की रकम में वृद्धि हो जाती है। इन सुधारों पर किए खर्चे को कुछ भाग सरकार विशेष आँकन के रूप में संपत्ति के मालिकों से वसूल कर लेती है।
(e) सरकारी उद्यमों से आय-सरकार कई प्रकार के उद्यमों की मालिक होती है। उदाहरण- भारतीय रेलवे, कई प्रकार के कारखानों जैसे नांगल का खाद कारखाना, इंडियन ऑयल, भिलाई का इस्पात
कारखाना आदि। इन उद्यमों के लाभ सरकार के लिए आय का स्रोत होते हैं।
(f) अनुदान – सरकार द्वारा प्राप्त किए गए अनुदान भी आय का एक स्रोत हैं।
(b) पूँजीगत प्राप्तियाँ – पूँजीगत प्राप्तियाँ को सरकार की उन मौद्रिक प्राप्तियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिनसे या तो सरकार की देयता उत्पन्न होती है या इसकी परिसंपत्तियाँ कम होती हैं।
(i) ऋणों की वसूली-सरकार द्वारा दूसरों को दिए गए ऋण उसकी परिसंपत्तियाँ हैं। इसके फलस्वरू ऋणों की वसूली के फलस्वरूप सरकार की पंरसंपत्तियों में कमी होती है।
(ii) उधार तथा अन्य देयताएँ-उधार देने के फलस्वरूप परिसंपत्तियों का निर्माण होता है। जबकि उधार लेने के फलस्वरूप देयता उत्पन्न होती है। इसलिए उधार लेने के फलस्वरूप जो मुद्रा प्राप्त होती है। उसे पूँजीगत प्राप्ति माना जाता है।
(iii) अन्य प्राप्तियाँ-अन्य प्राप्तियों के अंतर्गत ‘विनिवेश जैसी मदों से प्राप्त होने वाली आय को शामिल किया जाता है। विनिवेश वास्तव में निवेश की विपरीत अवधारणा है।’ विनिवेश से अभिप्राय सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयरों की बिक्री से है।
II. बजट व्यय – बजट व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा एक वित्तीय वर्ष में विकास तथा विकासेतर’ कार्यक्रमों से संबंधि अनुमानित व्यय से है। प्राप्तियों की तरह सरकार के सभी व्ययों का भी निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है
(a) राजस्व व्यय
(b) पूँजीगत व्यय
(a) राजस्व व्यय – राजस्व व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा एक वित्तीय वर्ष में किए जाने वाले उस अनुमानित व्यय से है, जिसके फलस्वरूप न तो सरकार की परिसंपत्तियों का निर्माण होता है और न ही देयता में कमी होती है। भारत सरकार के बजट में राजस्व व्यय की महत्वपूर्ण मदें निम्नलिखित हैं
→ सरकार का वेतन बिल
→ ब्याज का भुगतान
→ आर्थिक सहायता पर व्यय
→ सुरक्षा के लिए खरीदी गई वस्तुओं पर व्यय
(b) पूँजीगत व्यय-पूँजीगत व्यय से अधिप्राय एक वित्तीय वर्ष में सरकार के उस अनुमानित व्यय से है जो परिसंपत्तियों में वृद्धि करता है या देयता को कम करता है। भारत सरकार के बजट में पूँजीगत व्यय की महत्वपूर्ण मदें निम्नलिखित हैं
→ भूमि और भवन पर व्यय
→ मशीनरी तथा उपकरणों पर व्यय
→ शेयरों की खरीद
→ केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों या राज्य निगमों को दिए जाने वाले ऋण।

प्र० 3. सरकारी बजट घाटे से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: बजट घाटे से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें सरकार का बजट व्यय सरकार की बजट प्राप्तियों से अधिक
होता है। दूसरे शब्दों में बजट घाटा सरकार के कुल व्यय की कुल प्राप्तियों पर आधिकता है।
भारत सरकार के बजट से संबंधित मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार के बजट घाटा हैं|
1. राजस्व घाटा
2. राजकोषीय घाटा
3. प्राथमिक घाटा
(i) वित्त व्यवस्था – इससे अभिप्राय सरकार द्वारा केंद्रीय बैंक से ट्रेजरी बिल के बदले उधार लेना है। केंद्रीय बैंक इन बिलों को नए नोट देकर सरकार से खरीदता है। इन करेंसी नोटों द्वारा घाटे की वित्त व्यवस्था की जाती है। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि होती है। अतः बजट के घाटे की वित्त अवस्था के रूप में घाटे की वित्त व्यवस्था की प्रायः सिफारिश नहीं की जाती है यदि अर्थव्यवस्था में पहले से ही मुद्रा स्फीति की दर अधिक है।
(ii) जनता से उधार लेकर – सरकार विभिन्न प्रकार के बाँण्ड जनता को जारी करके उनसे ऋण लेती है। इससे ब्याज के भुगतान का भार सरकार पर पड़ता है। इसे ‘सार्वजनिक ऋण पर ब्याज’ कहा जाता है।
(iii) विनिवेश – जब सरकार सार्वजनिक क्षेत्र तथा संयुक्त क्षेत्र के उद्यमों के अपने शेयरों को बेचने का निर्णय लेती है तो इसे विनिवेश कहते हैं।

IV. संख्यात्मक हल प्रश्न (Solved Numerical Questions)

प्र० 1. निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से बजट घाटा ज्ञात करें
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 1
उत्तर:
बजट घाटा = कुल व्यय > कुल प्राप्तियाँ
Budget Deficit = Total Expenditure > Total Receipts
OR
Budget Deficit = TE(RE + CE) > TR (RR + CR)
बजट घाटा = 90,000 – 82,000 = 8000 करोड़

प्र० 2. निम्नलिखित आँकड़ों से बजट घाटा ज्ञात करें-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 2
उत्तर:
बजट घाटा = TE(RE + CE) – TR(RR + CR)
= 69,000 + 30,000 – 50,000 + 25,000 90,000 – 75,000
= 15,000 करोड़

प्र० 3. निम्नलिखित आँकड़ों से राजकोषीय घाटा ज्ञात करें-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 3
उत्तर:
राजकोषीय घाटा = बजट व्यय का कुल व्यय (राजस्व व्यये + पूँजीगत व्यय) – ऋण छोड़कर बजट प्राप्तियाँ या कुल प्राप्तियाँ (राजस्व प्राप्तियाँ) + ऋण छोड़कर पूँजीगत प्राप्तियाँ) जब कुल व्यय > ऋण छोड़कर कुल प्राप्तियाँ।
= 75, 000 – (60, 000 + 6000)
= 75, 000 – 66, 000
= 9,000 करोड़

प्र० 4. प्राथमिक घाटा ज्ञात करें-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 4
उत्तर:
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटी – ब्याज भुगतान
PD = FD – IP = 10,000 – 800 = 9, 200 करोड़

प्र० 5. निम्नलिखित आँकड़ों से राजस्व घाटा ज्ञात करें-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 5
उत्तर:
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ (जब राजस्व व्यय > राजस्व प्राप्तियाँ)
= 90,000 – 80,000
= 10,000 करोड़

प्र० 6. एक सरकारी बजट में प्राथमिक घाटा 500 करोड़ है तथा ब्याज का भुगतान में 200 करोड़ है। राजकोषीय घाटा कितना है?
उत्तर:
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज का भुगतान
500 करोड़ = राजस्व घाटा – 200 करोड़
रोजकोषीय घाटा = 500 करोड़ + 200 करोड़ = 700 करोड़

प्र० 7. सरकारी बजट के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से
(a) राजस्व घाटा,
(b) राजकोषीय घाटा और
(c) प्राथमिक घाटा ज्ञात कीजिए (All India 2011)
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 7
उत्तर:
(a) राजस्व घाटा = राजस्व व्यये – राजस्व प्राप्तियाँ (कर राजस्व + गैर – कर राजस्व)
80 अरब – ( 47 अरब + 10 अरब) = 80 अरब – 57 अरब = 23 अरब
(b) राजकोषीय घाटा = उधार = 32 अरब
(c) प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगता = 32 अरब – 20 अरब = 12 अरब
(a) राजस्व घाटा = 23 अरब,
(b) राजकोषीय घाटा = 32 अरब,
(c) राजकोषीय घाटा = 32 अरब

प्र० 8. सरकारी बजट के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से
(a) राजस्व घाटा,
(b) राजकोषीय घाटा और
(c) प्राथमिक घाटा ज्ञात कीजिए। (Delhi 2011)
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 8
उत्तर:
(a) राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ = 100 अरब – 80 अरब = 20 अरब
(b) राजकोषीय घाटा = राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ – पूँजीगत प्राप्तियाँ उधार के अतिरिक्त
= 100 अरब + 110 अरब – 80 अरब – 95 अरब
= 210 अरब – 175 अरब = 35 अरब
(c) प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान = 35 अरब – 10 अरब = 25 अरब

प्र० 9. सरकारी बजट के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से
(a) राजस्व घाटा,
(b) राजकोषीय घाटा और
(c) प्राथमिक घाटा ज्ञात कीजिए (Foreign 2011)
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) snq 9
उत्तर:
(a) राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ = 100 अरब – 70 अरब = 30 अरब
(b) राजकोषीय घाटा = राजस्व व्यय + योजनागत पूँजीगत व्यय + गैर-योजनागत पूँजीगत व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ – उधार छोड़कर पूँजीगत प्राप्तियाँ
= 100 अरब + 120 अरब + 80 अरब – 70 अरब – 140 अरब
= 300 अरब – 210 अरब = 90 अरब
(c) प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान = 90 अरब – 30 अरब = 60 अरब

प्र० 10. एक सरकारी बजट में प्राथमिक घाटी र 500 करोड़ है तथा ब्याज का भुगतान 200 करोड़ है। राजकोषीय घाटा कितना है।
उत्तर:
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज़ का भुगतान
500 करोड़ = राजकोषीय घाटा – 200 करोड़
राजकोषीय घाटा = 500 करोड़ + 200 करोड़ = 700 करोड़

V. उच्च स्तरीय चिंतन कौशल प्रश्न (HOTS Questions)

प्र० 1. निम्नलिखित को कारण देते हुए पूँजीगत व्यय एवं राजस्व व्यय में वर्गीकृत करो।
(i) ऋण की वापसी
(ii) आर्थिक सहायता
(iii) ब्याज का भुगतान
(iv) सड़कों का निर्माण
उत्तर:
(i) ऋण की वापसी-यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की देयता कम हो रही है।
(ii) आर्थिक सहायता-यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता कम हो रही है और न ही परिसंपत्ति बढ़ रही है।
(iii) ब्याज का भुगतान-यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता कम हो रही है और न ही परिसंपत्ति कम हो रही है।
(iv) सड़कों का निर्माण-यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति बढ़ रही है।

प्र० 2. निम्नलिखित के दो-दो उदाहरण दीजिए
(i) प्रशासनिक राजस्व प्राप्तियाँ
(ii) गैर-कर राजस्व प्राप्तियाँ
(iii) पूँजीगत व्यय
(iv) प्रत्यक्ष कर
(v) राजस्व व्यय
(vi) पूँजीगत प्राप्तियाँ
उत्तर:
(i) प्रशासनिक राजस्व प्राप्तियाँ – (a) लाइसेंस फीस, (b) जुर्माना
(ii) गैर कर राजस्व प्राप्तियाँ – (a) विदेशों से प्राप्त अनुदान, (b) राज्य सरकारों को दिए ऋण पर प्राप्त ब्याज
(iii) पूँजीगत व्यय – (a) सड़क एवं बाँधों का निर्माण, (b) ऋण का पुनर्भुगतान
(iv) प्रत्यक्ष कर – (a) आय कर, (b) संपत्ति कर
(v) राजस्व व्यय – (a) घरेलू सरकार द्वारा विदेशों को अनुदान, (b) सरकारी कर्मचारियों का वेतन
(vi) पूँजीगत प्राप्तियाँ – (a) सरकार द्वारा लिए गए ऋण, (b) विनिवेश द्वारा प्राप्तियाँ

प्र० 3. ऋण का भुगतान एक पूँजीगत व्यय क्यों है?
उत्तर: ऋण का भुगतान पूँजीगत व्यय है क्योंकि
(i) इससे सरकारी देयताओं में कमी होती है।।
(ii) इसकी पुनरावृत्ति की प्रकृति नहीं है। यह केवल एक बार दिया जाता है।

प्र० 4. नीचे दी गई प्राप्तियों को कारण बताते हुए राजस्व प्राप्तियों एवं पूँजीगत प्राप्तियों में वर्गीकृत करो।
(i) आय कर से प्राप्तियाँ
(ii) बंगलादेश को दिए गए ऋण पर ब्याज की प्राप्ति
(iii) एक सार्वजनिक उद्यम से लाभांश की प्राप्ति
(iv) केन्द्रीय सरकार द्वारा लिया गया सार्वजनिक ऋण
(v) एक दवाइयों की कंपनी को लाइसेंस जारी करने की फीस
(vi) विश्व बैंक द्वारा आधारित संरचना सुधार के लिए लिया गया भारतीय सरकार का ऋण
(vii) मारूती उद्योग में सरकारी शेयरों को बेचकर प्राप्त की गई राशि
(viii) इंदिरा विकास पत्र बेचकर प्राप्त राशि
(ix) सेल (SAIL) द्वारा केंद्रीय सरकार से लिए गए ऋण का भुगतान
(x) कोर्ट द्वारा एक कंपनी पर लगाया गया जुर्माना
उत्तर:
(i) यह एक राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता उत्पन्न होती है न ही परिसंपत्ति कम होती है और यह पुनरावृत्ति प्रकृति वाली प्राप्ति है।
(ii) यह एक राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता उत्पन्न होती है न ही परिसंपत्ति कम होती है और यह पुनरावृत्ति प्रकृति वाली प्राप्ति है।
(iii) यह एक राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता उत्पन्न होती है न ही परिसंपत्ति कम होती है और यह पुनरावृत्ति प्रकृति वाली प्राप्ति है।
(iv) यह एक पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि इससे सरकार की देयता में वृद्धि होती है।
(v) यह एक राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता उत्पन्न होती है न ही परिसंपत्ति कम होती है और यह पुनरावृत्ति प्रकृति वाली प्राप्ति है।
(vi) यह एक पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि इससे सरकार की देयता में वृद्धि होती है।
(vii) यह एक पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति में कमी होती है।
(viii) यह एक पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि इससे सरकार की देयता में वृद्धि होती है।
(ix) यह एक पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्तियों में कमी होती है।
(x) यह एक राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि इससे न तो सरकार की देयता में वृद्धि होती है न ही परिसंपत्तियों में कमी होती है।

प्र० 5. निम्नलिखित को कारण देते हुए राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में वर्गीकृत करो।
(i) सरकारी ऋणों पर दिया गया ब्याज
(ii) ग्रामीण क्षेत्रों में हस्पताल बनाने के लिए खरीदी गई जमीन पर व्यय
(iii) निर्धन परिवारों को खाद्य पदार्थों पर आर्थिक सहायता
(iv) राज्य सरकारों को अनुदान
(v) सरकार द्वारा xyz कम्पनी के शेयरों की खरीद पर व्यय
(vi) सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन पर व्यय
(vii) एक हाइवे परियोजना के अन्तर्गत सड़क निर्माण पर व्यय
(viii) विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति
(ix) सरकारी संस्था को दिया गया ऋण
(x) सुरक्षा पर व्यय
उत्तर:
(i) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्तियों में वृद्धि होती है।
(ii) यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(iii) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(iv) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(v) यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(vi) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(vii) यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(viii) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(ix) यह एक पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकार की परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।
(x) यह एक राजस्व व्यय है, क्योंकि इससे न तो देयता में कमी होती है और न ही परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।

प्र० 6. निम्नलिखित को कारण देते हुए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में वर्गीकृत करो।
(i) आय कर
(ii) बिक्री कर
(iii) संपत्ति कर
(iv) मृत्यु शुल्क
(v) उपहार कर
(vi) मनोरंजन कर
(vii) मूल्य वृद्धि कर
(viii) सेवा कर ।
(ix) कस्टम शुल्क
(x) उत्पादन कर
उत्तर: आय कर, संपत्ति कर, मृत्यु शुल्क तथा उपहार कर प्रत्यक्ष कर हैं, क्योंकि–
(i) ये व्यक्तियों की आय/संपत्ति पर लगाए गए हैं।
(ii) इसका कराधान तथा करापात समान व्यक्ति पर होता है अर्थात् इसके भुगतान का बोझा हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
बिक्री कर, मनोरंजन कर, मूल्यवृद्धि कर, सेवा कर, कस्टम शुल्क और उत्पादन कर अप्रत्यक्ष कर हैं, क्योंकि
(i) ये वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाये गए हैं।
(ii) इसका कराधान तथा करापात भिन्न-भिन्न व्यक्ति पर होता है अर्थात् इसके भुगतान का बोझ हस्तांतरित किया जा सकता है। ये लगाए उत्पादक पर जाते हैं, परन्तु इसके भुगतान का बोझ उपभोक्ता पर हस्तांतरित कर दिया जाता है।

प्र० 7. प्रगतिशील तथा प्रतिगामी कर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) hots 7

प्र० 8. कागजी कर क्या है? इसके उदाहरण दीजिए।
उत्तर: कुछ कर ऐसे हैं जिनका महत्व केवल कागजों पर ही है। यह कर अपनी राजस्व आय के रूप में कुछ या बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं हैं। इन्हें कागजी कर कहा जाता है।
भारत में उपहार कर तथा व्यवसाय कर नाम मात्र कर है।

प्र० 9. योजना तथा योजनेतर व्यय में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 5 Government Budget and Economy (Hindi Medium) hots 9

प्र० 10. क्या राजस्व घाटे के बिना राजकोषीय घाटा हो सकता है? समझाइए।
उत्तर: हाँ, राजस्व घाटे के बिना भी राजकोषीय घाटा हो सकता है।
राजकोषीय घाटा = राजस्व घाटा + {(पूँजीगत व्यय – पूँजीगत प्राप्तियाँ (ऋण के अतिरिक्त)}
अतः राजकोषीय घाटे का अनुमान सरकार की दोनों राजस्व तथा पूँजी प्राप्तियों और व्यय की गणना करके लगाया जाता है इसलिए जब राजस्व प्राप्तियाँ और राजस्व व्यय संतुलन की अवस्था में हैं तब भी पूँजी प्राप्तियों के ऊपर पूँजी व्यय का आधिक्य हो सकता है, जिसके कारण राजकोषीय घाटा हो सकता है।

प्र० 11. क्या राजकोषीय घाटे की स्थिति प्राथमिक घाटा शून्य हो सकता है? समझाइए।
उत्तर: हाँ, राजकोषीय घाटे की स्थिति में भी प्राथमिक घाटा शून्य हो सकता है। इसका अर्थ यह है कि सरकार को केवल इसीलिए ऋण लेना पड़ रहा है, ताकि वह अपने ब्याज के भुगतान के दायित्व को पूरा कर सके। इस दायित्व के अतिरिक्त वह किसी अन्य ध्येय के लिए वर्तमान ऋणों में कोई और वृद्धि नहीं कर रही है। वास्तव में, यह राजकोषीय अनुशासन का प्राण है अर्थात् सरकार अपने राजकोषीय उत्तरदायित्व को पूरा कर रही है। इसके विपरीत उच्च प्राथमिक घाटा सरकार की राजकोषीय गैर जिम्मेदारी का प्रतीक है।

प्र० 12. सरकार सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पादन पर अपना व्यय बढ़ा देती है। यह किस आर्थिक मूल्य को दर्शाता है? समझाइए।
उत्तर: यह संसाधनों के कुशल आबंटन तथा समाज कल्याण के मूल्य को दर्शाती है। जब सरकार सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पादन पर व्यय बढ़ा देती है तो सामाजिक कल्याण के स्तर में वृद्धि होती है तथा संसाधनों का कुशल आबंटन होता है। उदाहरण के लिए यदि सभी अपनी-अपनी कार या वाहन से कार्यालय जाएं तो ईंधन की खपत अधिक होगी। सरकार बेहतर बस सुविध द्वारा या मेट्रो निर्माण द्वारा लोगों को सार्वजनिक परिवहन प्रयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है। इससे संसाधनों के आबंटन की कुशलता में वृद्धि होगी।

प्र० 13. सरकारी बजट के संदर्भ में निम्नलिखित राजस्व प्राप्ति है या पूँजीगत प्राप्ति और क्यों?
(i) कर प्राप्तियाँ ।
(ii) विनिवेश
उत्तर:
(i) कर प्राप्तियाँ – यह राजस्व प्राप्ति है, क्योंकि (i) यह बार-बार प्राप्त होने वाली प्राप्ति है (ii) यह सरकार की प्रतिभूतियों तथा देयताओं को प्रभावित नहीं करती।
(ii) विनिवेश – यह पूँजीगत प्राप्ति है, क्योंकि (i) यह एक बार प्राप्त होने वाली प्राप्ति है और (ii) इससे सरकार की प्रतिभूतियाँ कम होती हैं।

प्र० 14. कारण देते हुए बताइए कि सरकारी बजट में निम्नलिखित को राजस्व व्यय माना जाएगा या पूँजीगत व्यय
(i) छात्रवृत्ति पर व्यय ।
(ii) पुल निर्माण पर व्यय
उत्तर:
(i) यह राजस्व व्यय है, क्योंकि इसकी पुनरावृत्ति प्रकृति है तथा इससे सरकार की पूतिभूतियाँ या देयताएँ प्रभावित नहीं होती।
(ii) यह पूँजीगत व्यय है, क्योंकि इससे सरकारी प्रतिभूतियों में वृद्धि होती है।

VI. मूल्य-आधारित प्रश्न (Value Based Questions)

प्र० 1. स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद का उपभोग कम करने के लिए बाजार के माध्यम से कौन-सा एक कदम उठाया जा सकता है?
उत्तर: सरकार इन उत्पादों पर कर लगा सकती है। यदि इन पर पहले से ही कर है तो उनकी दरें बढ़ाई जा सकती हैं। कर लगने से इन वस्तुओं की पूर्ति में कमी हो जायेगी और कीमतें बढ़ने से इनकी माँग संकुचित हो जायेंगी। और इन वस्तुओं का उपभोग कम हो जायेगा।

प्र० 2. सरकार कुछ वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना चाहती है। सरकारी बजट नीति का प्रयोग करके सरकार बाजार के माध्यम से इनका उत्पादन कैसे बढ़ा सकती है?
उत्तर: सरकार इन वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दे सकती है। आर्थिक सहायता मिलने से इन वस्तुओं की लागत कम हो जायेगी या लाभ बढ़ जायेगो फलस्वरूप इसकी पूर्ति में वृद्धि होगी? पूर्ति में वृद्धि होने से इनकी कीमतों में कमी होगी। कीमतें कम होने से इनकी माँग विस्तृत हो जायेगी और इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ जायेगा।

प्र० 3. किस प्रकार बजटीय नीति का प्रयोग करके आय की असमानताओं को कम किया जा सकता है?
उत्तर: आय की असमानताओं को कम करना सरकारी बजट का एक मुख्य उद्देश्य है। बजटीय नीति का उपयोग करके आय की असमानताओं को कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है।
(i) अमीरों की आय पर प्रगतिशील आय प्रणाली का प्रयोग करके अधिक कर लगाकर या उससे प्राप्त आय को गरीबों के कल्याण पर खर्च करके आय की असमानता कम की जा सकती है।
(ii) अमीरों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर अमीरों की प्रयोज्य आय कम की जा सकती है।
(iii) गरीबों को आर्थिक सहायता देकर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ मुफ्त देकर और सस्ती दर पर राशन उपलब्ध कराकर आय में विषमता कम की जा सकती है।
(iv) सार्वजनिक व्यय द्वारा भी आय एवं संपत्ति की समानता लाने में सहायता मिल सकती है और इस व्यय के लिए राजस्व अमीरों पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

प्र० 4. राजकोषीय घाटा सदा हानिकारक होता है? क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर: नहीं, यह आवश्यक नहीं है कि राजकोषीय घाटा सदा हानिकारक होता है। राजकोषीय घाटा तब लाभकारी होता है जब
(i) इससे पूँजीगत परिसंपत्तियों का निर्माण हो।
(ii) अर्थव्यवस्था की भविष्य उत्पादकता में वृद्धि हो।
(iii) उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जैसे इसे शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाने पर हो सकता है।
(iv) इसका उपयोग अतीत के ऋणों का भुगतान करने के लिए किया जाए, परन्तु यदि इनका उपयोग फिजूल खर्च गैर-विकासात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाए तो यह बहुत हानिकारक होता है।

प्र० 5. आपके अनुसार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कर में किसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए और क्यों?
उत्तर: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर एक दूसरे के प्रतियोगी नहीं हैं, बल्कि एक दूसरे के प्रतिपूरक हैं। सरकार को आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों के लिए दोनों की ही आवश्यकता पड़ती है। परन्तु अप्रतयक्ष कर संसाधनों के आबंटन उद्देश्य की पूर्ति के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं और प्रत्यक्ष कर आय के समान वितरण के उद्देश्य में अधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते हैं और अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी होते हैं। अतः प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्र० 6. सरकार सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पादन पर अपना व्यय बढ़ा देती है। यह किस आर्थिक मूल्य को दर्शाता है? समझाइए।
उत्तर: यह संसाधनों के कुशल आबंटन तथा समाज कल्याण के मूल्य को दर्शाता है। जब सरकार सार्वजनिक वस्तओं के उत्पादन पर व्यय बढ़ा देती है, तो सामाजिक कल्याण के स्तर में वृद्धि होती है तथा संसाधनों का कुशल आबंटन होता है। उदाहरण के लिए यदि सभी अपनी-अपनी कार या वाहन से कार्यालय जाएं तो ईंधन की खपत अधिक होगी। सरकार बेहतर बस सुविधा द्वारा या मेट्रो निर्माण द्वारा लोगों को सार्वजनिक परिवहन प्रयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है। इससे संसाधनों के आबंटन की कुशलता में वृद्धि होगी।

प्र० 7. भुगतान संतुलन घाटे का अर्थ समझाइए।
उत्तर: वास्तव में भुगतान शेष खाता दोहरी लेखांकन प्रणाली पर आधारित है। अत: यह सदा संतुलन में होता है। अतः जब हम कहते हैं कि भुगतान शेष चार्ट में है, तो इसका अर्थ यह होता है कि स्वायत्त मदों से प्राप्तियाँ स्वायत्त भुगतान से कम है। अतः इस घाटे की पूर्ति समायोजक सौदों द्वारा की जाती है। यदि समायोजिक सौदों पर पूँजी खाते के घटक के रूप में विचार किया जाए तो चालू खाते में कोई भी घाटा पूँजी खाते के समान आकार के आधिक्य द्वारा पूरा कर लिया जाता है तथा चालू खाते में कोई भी आधिक्य पूँजी खाते के सम आकार के घाटे द्वारा अवश्य पूरा कर लिया जाता है।

प्र० 8. उच्च आय वर्ग पर कर की दरें बढ़ा दी गई हैं। यह किस आर्थिक मूल्य को दर्शाता है? समझाइए।
उत्तर: यह समानता के मूल्य को दर्शाता है। उच्च वर्ग पर कर की दरें बढ़ाने से उनकी कर देयता बढ़ जायेगी और सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी। इस राजस्व को सरकार समाज के पिछड़े वर्ग के कल्याण अर्थ खर्च करेगी, जिससे उनका विकास होगा तथा जीवन स्तर में वृद्धि होगी।

प्र० 9. सरकार ने गरीबों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाएँ मुफ्त प्रदान करने पर अधिक व्यय करना शुरू कर दिया। यह किस आर्थिक मूल्य को दर्शाता है? समझाइए।
उत्तर: यह आय संपत्ति के पुनर्वितरण तथा समानता के मूल्य को दर्शाता है। जब सरकार गरीबों को शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी सेवाएँ देती है, तो इससे उनके जीवन स्तर में वृद्धि होती है। उन्हें जीवन में विकास के समान अवसर उपलब्ध हो पाते हैं और भविष्य में उनकी आय बढ़ती है। इससे आय और संपत्ति का पुनर्वितरण होता है और असमानताओं में कमी आती है।

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NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Maths Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium)

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Chapter 1. वास्तविक संख्याएँ

अभ्यास 1.1

Ex 1.1 Class 10 गणित प्र.1. युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से HCF ज्ञात कीजिये | 

 (i) 135 और 225 (ii) 196 और 38220 (iii) 867 और 255

हल:  

(1)    135 और 225

a = 225, b = 135 {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है }

युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से

a = bq + r (तब)

225 = 135 ×1 + 90

135 = 90 ×1 + 45

90 = 45 × 2 + 0 {जब हमें r=0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है }

b = 45 {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}

HCF = 45

हल:

(ii)    196 और 38220

a = 38220, b = 196  {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है }

युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से

a = bq + r (तब)

38220= 196 ×195 + 0  {जब हमें r=0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है }

b = 196      {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}

HCF = 196

हल:

(iii)   867 और 255

a = 867, b = 255 {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है }

युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से

a = bq + r (तब)

38220= 196 ×195 + 0 {जब हमें r=0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है }

b = 196  {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}

HCF = 196

Ex 1.1 Class 10 गणित प्र.2. दर्शाइए कि कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5, के रूप का होता है जहाँ q कोई पूर्णांक है |

हल:

दर्शाना है: a = 6q + 1, 6q+3 या  6q+5

माना कि a कोई धनात्मक विषम पूर्णांक है;  जहाँ b = 6 होगा,

जब हम 6 से a को विभाजित करते है जो शेषफल क्रमश: 0, 1, 2, 3, 4 और 5 पाते है;

जहाँ 0 ≤ r < b

यहाँ a एक विषम संख्या है इसलिए शेषफल भी विषम संख्या प्राप्त होता है |

शेषफल होगा 1 या 3 या 5

युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से हम पाते है;

a = 6q + 1, 6q+3 या 6q+5

Ex 1.1 Class 10 गणित प्र०3. किसी परेड में 616 सदस्यों वाली एक सेना (आर्मी) की टुकड़ी को 32 सदस्यों वाले एक आर्मी बैंड के पीछे मार्च करना है | दोनों समूहों को समान संख्या वाले स्तंभों में मार्च करना है | उन स्तंभों की अधिकतम संख्या क्या है, जिसमें वे मार्च कर सकते है ?

हल:

स्तंभों की अधिकतम संख्या = HCF (616, 32)

a = 616, b = 32  {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है }

युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से

a = bq + r (तब)

616 = 32 ×19 + 8  {जब हमें r=0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है }

32 = 8 × 4 + 0

b = 8 {b का मान HCF होता है}

HCF = 8

इसलिए स्तंभों की अधिकतम संख्या = 8

Ex 1.1 Class 10 गणित प्र०4. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग, किसी पूर्णांक m के लिए 3m या 3m + 1 के रूप का होता है |

हल :

दर्शाना है : a2 = 3m or 3m + 1

a = bq + r

माना कि a कोई धनात्मक पूर्णांक है जहाँ b = 3 और r = 0, 1, 2 क्योंकि 0 ≤ r < 3

तब a = 3q + r  कुछ पूर्णांक के लिए q ≥ 0

इसलिए, a = 3q + 0 or 3q + 1 or 3q + 2

अब हम पाते है;

⇒ a2 = (3q + 0)2 or (3q + 1)2 or (3q +2)2

⇒ a2 = 9q2 or 9q2 + 6q + 1 or 9q2 + 12q + 4

⇒ a2 = 9q2 or 9q2 + 6q + 1 or 9q2 + 12q + 3 + 1

⇒ a2 = 3(3q2) or 3(3q2 + 2q) + 1 or 3(3q2 + 4q + 1) + 1

यदि m = (3q2) or (3q2 + 2q)  or (3q2 + 4q + 1) हो तो

हम पाते है कि ;

a2 = 3m or 3m + 1 or 3m + 1

Ex 1.1 Class 10 गणित प्र०5. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है |

हल:

माना, a कोई धनात्मक पूर्णांक है;

युकिल्ड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से;

a = bq + r जहाँ; 0 ≤ r < b

b = 9 रखने पर

a = 9q + r जहाँ; 0 ≤ r < 9

जब r = 0 हो;

a = 9q + 0 = 9q

a3  = (9q)3 = 9(81q3) या 9m जहाँ m = 81q3

जब r = 1 हो

a = 9q + 1

a3 = (9q + 1)3 = 9(81q3 + 27q2 + 3q) + 1

= 9m + 1  जहाँ m = 81q3 + 27q2 + 3q

जब r = 2 हो तो

a = 9q + 2

a3  = (9q + 2)3 = 9(81q3 + 54q2 + 12q) + 8

= 9m + 2  जहाँ m = 81q3 + 54q2 + 12q

अत: किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है |

प्रश्नावली 1.2

Ex 1.2 Class 10 गणित Q1. निम्नलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखंड के रूप में व्यक्त कीजिये :
(i) 140   

हल:

NCERT Solutions For Class 10 Maths Hindi Medium PDF
140 का अभाज्य गुणनखंड
= 22 × 5 × 7

(ii) 156

हल:

NCERT Solutions For Class 10 Maths Hindi Medium PDF 1
156 का अभाज्य गुणनखंड
= 22 × 3 × 13

(iii) 3825

हल:

NCERT Maths Solutions For Class 10 Hindi Medium

3825 का अभाज्य गुणनखंड
= 32 × 52 × 17

(iv) 5005

हल:

NCERT Solutions For Class 10 Maths Hindi Medium

5005 का अभाज्य गुणनखंड
= 5 × 7 × 11 × 13

(v) 7429

हल:

NCERT Maths Hindi Medium Solutions For Class 10
7429 का अभाज्य गुणनखंड
= 17 x 19 x 23

Ex 1.2 Class 10 गणित Q2. पूर्णांकों के निम्नलिखित युग्मों के LCM and HCF ज्ञात कीजिए तथा इसकी जाँच कीजिए कि दो संख्याओं का गुणनफल = LCM × HCF है| 

(i) 26 and 91

हल:

26 = 2 × 13

91 = 7 × 13

सार्व गुणनखंड = 13

∴ HCF = 13

LCM = 2 × 7 × 13 = 182

अब, जाँच,

दो संख्याओं का गुणनफल = LCM × HCF

N1 × N2 = LCM × HCF

26 × 91 = 13 × 182

2366 =  2366

इति सिद्धम |

(ii) 510 and 92

हल:

510 = 2 × 3 × 5 × 17

92 = 2 × 2 × 23

सार्व गुणनखंड = 2

∴ HCF = 2

LCM = 2 × 2 × 3 × 5 × 17 × 23 =  23460

अब, जाँच,

दो संख्याओं का गुणनखंड = LCM × HCF

N1 × N2 = LCM × HCF

510 × 92 = 2 × 23460

46920 =  46920

इति सिद्धम |

(iii) 336 and 54

हल:

336 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 7

54 = 2 × 3 × 3 × 3

सार्व गुणनखंड = 2 × 3

∴ HCF = 6

LCM = 2 × 2 × 2× 2 × 3 × 3 × 3 × 7 =  3024

जाँच,

दो संख्याओं का गुणनफल = LCM × HCF

N1 × N2 = LCM × HCF

336 × 54 = 6 × 3024

18144 =  18144

इति सिद्धम |

Ex 1.2 Class 10 गणित Q3. अभाज्य गुणनखंड विधि द्वारा निम्नलिखित पूर्णांकों के LCM और HCF ज्ञात कीजिए |

(i) 12, 15 and 21

हल:

12 = 2 × 2 × 3

15 = 5 × 3

21 = 7 × 3

सार्व गुणनखंड = 3

HCF = 3

​LCM = 3 × 2 × 2 × 5 × 7 = 420

(ii) 17, 23 and 29

हल:

17 = 1 × 17

23 = 1 × 23

29 = 1 × 29

HCF = 1

LCM = 17 × 23 × 29 = 11339

(iii) 8, 9 and 25

हल:

8 = 2 × 2 × 2

9 = 3 × 3

25 = 5 × 5

यहाँ 1 को छोड़कर अन्य कोई सार्व गुणनखंड नहीं है |

∴ HCF = 1

LCM = 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 5 × 5

= 8 × 9 × 25

= 1800

Ex 1.2 Class 10 गणित Q4. HCF (306, 657) = 9, दिया है | LCM (306, 657) ज्ञात कीजिए | 

हल:

HCF (306, 657) = 9

LCM × HCF = ​N1 × N2

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LCM = 22338

Ex 1.2 Class 10 गणित Q5. जाँच कीजिए कि क्या किसी प्राकृत संख्या n के लिए संख्या 6n अंक 0 पर समाप्त हो सकती है | 

हल:

6n का अभाज्य गुणनखंड = (2 × 3 )n

जबकि, कोई प्राकृत संख्या जो शून्य पर समाप्त होती है उसके अभाज्य गुणनखंड (2 × 5 )n के रूप का होता है |

अत:, 6n शून्य पर समाप्त नहीं होगी |

Ex 1.2 Class 10 गणित Q6. व्याख्या कीजिए 7 × 11 × 13 + 13 और 7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1 + 5 भाज्य संख्या क्यों है ?

हल :

माना A = 7 × 11 × 13 + 13

= 13 (7 × 11 + 1)

= 13 (77 + 1)

= 13 × 78

अत: यह एक भाज्य संख्या है क्योंकि इसके अभाज्य गुणनखंड में 1 को छोड़कर अन्य दो गुणनखंड हैं |

इसीप्रकार,

माना B = 7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1 + 5

= 5 (7 × 6 × 4 × 3 × 2 × 1 + 1)​

= 5 × (1008 + 1)

= 5  ×  1009

अत: यह भी एक भाज्य संख्या है क्योंकि इसके भी अभाज्य गुणनखंड में 1 को छोड़कर अन्य दो गुणनखंड हैं |

Ex 1.2 Class 10 गणित Q7. किसी खेल के मैदान के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ है। इस मैदान का एक चक्कर लगाने में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं, जबकि इसी मैदान का एक चक्कर लगाने में रवि को 12 मिनट लगते हैं। मान लीजिए वे दोनों एक ही स्थान और एक ही समय पर चलना प्रारंभ करके एक ही दिशा में चलते हैं। कितने समय बाद वे पुनः प्रांरभिक स्थान पर मिलेंगे?

हल: 

एक चक्कर में सोनिया 18 मिनट लेती हैं |

रवि एक चक्कर में 12 लगाता है |

वे दोनों एक ही स्थान पर LCM(18, 12) मिनट के बाद मिलेंगे |

अत:

18 = 2 × 3 × 3

12 = 2 × 2 × 3

HCF = 2 × 3 = 6

 Hindi Medium Solutions For NCERT Maths Class 10
= 36 मिनट |

प्रश्नावली 1.3 

Ex 1.3 Class 10 गणित Q1. सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है |

हल :

इसके विपरीत मान लीजिए कि √5 एक परिमेय संख्या है |

हम किसी भी परिमेय संख्या को p/q के रूप में व्यक्त कर सकते है जहाँ p तथा q दो पूर्णांक है और q  ≠ 0 है | 

इसलिए,

NCERT Solutions for Class 10th Mathematics Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium) 1.2 10
NCERT Hindi Medium Solutions Of Maths For Class 10
यहाँ 5 aको विभाजित करता है अत: 5 a को भी विभाजित करेगा | ….(1)

प्रमेय 1.3 द्वारा ]

अत: a = 5c माना      [ क्योंकि a 5 द्वारा विभाजित होता है अर्थात a का 5 कोई गुनाखंड है |]

5b2 = a2 में a = 5c रखने पर

⇒          5b2 = (5c)2

⇒          5b2 = 25c2

⇒            b2 = 5c2

NCERT Solutions for Class 10th Mathematics Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium) 1.2 11

यहाँ 5 bको विभाजित करता है अत: 5 b को भी विभाजित करेगा | ….(2)

प्रमेय 1.3 द्वारा ]

समीकरण (1) तथा (2) से हम पाते है कि 5 a तथा b दोनों को विभाजित करता है जिसमें 5 एक उभयनिष्ठ गुणनखंड है |

इससे हमारी इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a तथा b में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है |

यह विरोधाभासी परिणाम हमारी गलत कल्पना से प्राप्त हुआ है कि

अत: √5 एक अपरिमेय संख्या है |

Ex 1.3 Class 10 गणित Q2.  सिद्ध कीजिए  कि 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है |

हल :

इसके विपरीत मान लीजिए कि 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है |

हम किसी भी परिमेय संख्या को p/q के रूप में व्यक्त कर सकते है जहाँ p तथा q दो पूर्णांक है और q  ≠ 0 है | 

इसलिए,

NCERT Solutions for Class 10th Mathematics Chapter 1 Real Numbers (Hindi Medium) 1.2 12

और p तथा q को उभयनिष्ठ गुणनखंड से विभाजित कर एक सह-अभाज्य संख्या a तथा b प्राप्त कर सकते हैं |

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चूँकि a तथा b पूर्णांक है और 2 तथा 3 भी पूर्णांक है |

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इससे एक विरोधाभासी परिणाम प्राप्त होता है कि √5 परिमेय संख्या है |

ऐसा विरोधाभासी परिणाम हमारी गलत कल्पना से प्राप्त हुआ है कि 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है |

अत: 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है |

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यहाँ 2 bको विभाजित करता है अत: 2, b को भी विभाजित करेगा | ….(1)

प्रमेय 1.3 द्वारा ]

अत: b = 2c माना      [ क्योंकि a 5 द्वारा विभाजित होता है | ]

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यहाँ 2 aको विभाजित करता है अत: 2 a को भी विभाजित करेगा | ….(2)

प्रमेय 1.3 द्वारा ]

समीकरण (1) तथा (2) से हम पाते है कि 2 a तथा b दोनों को विभाजित करता है जिसमें 2 एक उभयनिष्ठ गुणनखंड है |

इससे हमारी इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a तथा b में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है, क्योंकि हमने a तथा b को सह-अभाज्य प्राप्त किया था |

यह विरोधाभासी परिणाम हमारी गलत कल्पना से प्राप्त हुआ है कि

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प्रश्नावली 1.4 

Ex 1.4 Class 10 गणित Q1. बिना लंबी विभाजन प्रक्रिया किए बताइए कि निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार सांत हैं या असांत आवर्ती हैं :

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हल :

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हर का अभाज्य गुणनखंड 55 है और इसे 2× 5n के रूप में व्यक्त किया जा सकता है अत: यह एक सांत दशमलव प्रसार है |

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हर का अभाज्य गुणनखंड 23 है और इसे 2× 5n के रूप में व्यक्त किया जा सकता है अत: यह एक सांत दशमलव प्रसार है |

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हर का अभाज्य गुणनखंड 5 × 7 × 13 है और इसे 2× 5n के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है अत: यह एक असांत दशमलव प्रसार है |

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हर का अभाज्य गुणनखंड 26 × 52 है और यह 2× 5n के रूप में व्यक्त है अत: यह एक सांत दशमलव प्रसार है |

NCERT Textbook Solutions For Class 10 Maths Hindi Medium Real Numbers 1.2 27
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Q2. ऊपर दिए गए प्रश्न में उन परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसारों को लिखिए जो सांत हैं |

हल : प्रश्न संख्या 1 में सांत दशमलव प्रसार वाले प्रश्न निम्नलिखित हैं |

(i), (ii), (iii), (iv), (vi), (viii) और (ix)

NCERT Maths Solutions For Class 10 Real Numbers Hindi Medium 1.2 32
Maths NCERT Solutions For Class 10 Chapter 1 Real Numbers Hindi Medium 1.2 33
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NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 Rural Administration (Hindi Medium)

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पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

1. अगर आपके घर में चोरी हो जाती है तो आप किस थाने में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करावाएँगी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
उत्तर अगर हमारे घर में चोरी हो जाती है तो हम अपनी शिकायत अपने क्षेत्र के थाने में लिखवाएँगे।

2. मोहन और रघु के बीच में किस बात को लेकर विवाद हुआ था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
उत्तर मोहन के खेत से लगा हुआ ही रघु को खेत है। दोनों के खेत एक छोटी सी मेड़ से अलग होते हैं। रघु ने | मेड़ को थोड़ा आगे बढ़ा लिया था। ऐसा करके उसने मोहन की कुछ ज़मीन अपने खेत में मिला ली और अपने खेत का आकार बढ़ा लिया। इसी बात को लेकर मोहन और रघु के बीच विवाद हो गया।

3. मोहन को रघु से झगड़ा करने में डर क्यों लग रहा था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
उत्तर मोहन को रघु से झगड़ा करने में डर लग रहा था, क्योंकि रघु का ताऊ गाँव का सरपंच था तथा उसके पास बहुत अधिक ज़मीन भी थी।

4. कुछ लोगों ने कहा कि मोहन को पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाना चाहिए जबकि कुछ ने ऐसा करने से मना किया। लोगों ने अपनी राय के लिए क्या तर्क दिए (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-58)
उत्तर मोहन के दोस्त ने सुझाव दिया कि उन्हें स्थानीय पुलिस थाने में जाकर अपनी शिकायत लिखवानी चाहिए, जबकि कुछ लोग पुलिस थाने में शिकायत लिखवाने के विरुद्ध थे। उनका मानना था कि बहुत पैसा बर्बाद हो जाएगा और नतीजा कुछ नहीं निकलेगा। कुछ लोगों का मानना था कि रघु के परिवार वाले पहले ही पुलिस थाने पहुँच चुके होंगे। काफी विचार-विमर्श के बाद यह निश्चित हुआ कि जिन पड़ोसियों की आँखों के सामने यह घटना हुई थी, मोहन उनको लेकर पुलिस थाने जाएगा।

5. पुलिस थाने में जो भी हुआ उसे एक नाटक के रूप में दिखाइए। फिर यह बताइए कि मोहन, थानेदार या पड़ोसियों की भूमिका निभाते हुए आपको कैसा लगा? क्या थानेदार इस स्थिति को किसी अन्य तरीके से सँभाल सकता था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-59)
उत्तर छात्र अपने विषय अध्यापक की सहायता से कक्षा में अंदर नाटक का मंचन करें।

6. अगर आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं तो पता कीजिए : आपके क्षेत्र का पटवारी कितने गाँवों के लिए जमीन के अभिलेख रखता है? गाँव के लोग पटवारी से कैसे संपर्क करते हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-59)
उत्तर छात्र स्वयं करें।

7. खसरा कहलाने वाले इस रिकॉर्ड में पटवारी ने नीचे दिए गए जमीन के नक्शे के मुताबिक सूचनाएँ भरी हैं। इससे पता चलता है कि जमीन का कौन-सा टुकड़ा किसके नाम है। इस रिकॉर्ड और नक्शे को देखिए तथा मोहन और रघु की जमीन से संबंधित सवालों का जवाब दीजिए।

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 1

(क) मोहन के खेत के दक्षिण में जो जमीन है वह किसी है?
(ख) रघु और मोहन की जमीन के बीच की सीमा पर निशान लगाइए।
(ग) खेत संख्या 3 को कौन इस्तेमाल कर सकता है?
(घ) खेत संख्या 2 और 3 से संबंधित क्या-क्या जानकारी हमें मिल सकती है?

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 2

उत्तर
(क) मोहन के खेत के दक्षिण में रघु की ज़मीन है।

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 3
(ग) खेत संख्या 3 मध्य प्रदेश सरकार का घास का मैदान है इसलिए इसका प्रयोग मध्य प्रदेश सरकार ही कर सकती है।
(घ)
खेत संख्या 2 – इसे खेत का क्षेत्रफल 3.00 हेक्टेयर है। रघु राम वल्द रतन लाल गाँव अमरापुरा ज़मीन का मालिक है। यह खेत बटाई पर नहीं है इस खेत पर रघुराम स्वयं खेती करता है। इस वर्ष सोयाबीन और गेहूं की फसल 2.75 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाई गई है खेत में कुआँ भी है जिसके पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है शेष 0.25 हेक्टेयर खेत परती जमीन है।
खेत संख्या 3 – इस जमीन का क्षेत्रफल 6.00 हेक्टेयर है मध्य प्रदेश सरकार इस जमीन की मालिक है। यह घास का मैदान है यह जमीन बटाई पर नहीं दी गई है। इस जमीन पर कोई फसल नहीं बोई गई है इस जमीन पर कुआँ भी है जो चालू स्थिति में है।

8. आपको क्या लगता है कि किसानों को इस रिकॉर्ड की जरूरत कब पड़ती होगी? नीचे दी गई स्थितियों को पढ़िए और उन मामलों को पहचानिए जिनमें जमीन के रिकॉर्ड अनिवार्य होते हैं। यह भी बताइए कि वे किसलिए जरूरी हैं?

(क) एक किसान दूसरे किसान से जमीन खरीदना चाहता है। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-61)
उत्तर जब एक किसान दूसरे किसान की जमीन खरीदना चाहता है तो उसे ज़मीन से संबंधित जानकारियों की आवश्यकता होती है कि जमीन का मालिक कौन है, क्षेत्रफल, जमीन बटाई पर है या नहीं इत्यादि। इसलिए जमीन का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होता है।

(ख) एक किसान अपनी फसल दूसरे को बेचना चाहता है।
उत्तर जब एक किसान अपनी फसल दूसरे को बेचना चाहता है तो इसके लिए भी जमीन के मालिक तथा खेत के क्षेत्रफल की जानकारी की आवश्यकता होती है।

(ग) एक किसान को अपनी जमीन में कुआँ खोदने के लिए बैंक से कर्ज चाहिए।
उत्तर एक किसान को अपनी जमीन में कुआँ खोदने के लिए बैंक से कर्ज चाहिए तो इसके लिए भी किसान को अपनी जमीन से संबंधित जानकारियाँ बैंक को उपलब्ध करानी होगी।.उस रिकॉर्ड को देखकर ही बैंक कर्ज मंजूर करेगा। इस मामले में भी जमीन के रिकॉर्ड की आवश्यकता है।

(घ) एक किसान अपने खेतों के लिए खाद खरीदना चाहता है।
उत्तर किसान को अपने खेतों के लिए खाद खरीदते समय पैसों की आवश्यकता होगी। उसे अपनी जमीन के रिकॉर्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी।

(ङ) एक किसान अपनी ज़मीन अपने बेटे एवं बेटियों में बाँटना चाहता है।
उत्तर जब किसान अपनी जमीन अपने बच्चों में बाँटना चाहता है तो किसान को जमीन के रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है ताकि वह बच्चों को उनके हिस्से की स्थिति तथा क्षेत्रफल की जानकारी उपलब्ध करा सके।

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 4

इस कविता में बेटी की क्या इच्छा बताई गई है?
उत्तर बेटी एक ऐसा घर चाहती है जिसे वह अपना सिर्फ़ अपना घर मान सके अर्थात् वह संपत्ति में हिस्सा चाहती है।

10. बेटी ने अपने घर की इच्छा क्यों की। कारण बताइए?
उत्तर पुरुषों को घर अपने पिता से विरासत में मिल जाता है, लेकिन महिलाओं को न तो पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलता है और न ही पति की संपत्ति में हिस्सा मिलता है, इसलिए बेटी ने घर की इच्छा के रूप में पुरुषों के बराबर अधिकार की माँग की है।

11. बेटी क्या चीज़ लेने से मना करती है?
उत्तर बेटी दहेज में सोना-चाँदी और रेशम लेने से मना कर रही है और अपने अधिकारों की माँग कर रही है।

12. अन्य सार्वजनिक सेवाएँ-एक सर्वेक्षण (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज- 62-63)
इस पाठ में हमने सरकार के कुछ प्रशासनिक कार्यों के बारे में पढ़ा, खासकर ग्रामीण क्षेत्र के संदर्भ में। पहला उदाहरण कानून व्यवस्था बनाए रखने के बारे में था और दूसरा, जमीन के अभिलेखों की व्यवस्था के बारे में। पहले मामले में हमने पुलिस की भूमि का परीक्षण किया और दूसरे में पटवारी की भूमिका का। इनके काम का विभाग के अन्य लोगों द्वारा निरीक्षण किया जाता है; जैसे पुलिस अधीक्षक या तहसीलदार। हमने यह भी देखा कि लोग कैसे इन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें किस तरह की समस्याएँ आती हैं। इन सेवाओं का उपयोग कानूनों के अनुसार होना चाहिए। आपने संभवतः सरकार के अन्य विभागों द्वारा दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं को देखा होगा।

अपने गाँव या क्षेत्र के लिए दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं की एक सूची बनाइए-दुग्ध उत्पादक समिति, राशन की दुकान, बैंक, पुलिस थाना, बीज और खाद के लिए कृषक समिति, डाक बंगला, आँगनवाड़ी, बालवाड़ी, सरकारी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल आदि।

तीन सार्वजनिक सेवाओं पर जानकारी इकट्ठी कीजिए और अपनी अध्यापिका के साथ चर्चा कीजिए कि इनकी कार्य प्रणाली में कैसे सुधार किया जा सकता है। आपके लिए एक उदाहरण आगे दिया जा रहा है।

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 5

उत्तर

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Civics Chapter 6 (Hindi Medium) 6

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

1. पुलिस का क्या काम होता है?
उत्तर पुलिस का उत्तरदायित्व है कि वह अपने क्षेत्र में हुई चोरी, दुर्घटना, मारपीट और झगड़े आदि की शिकायत लिखे तथा लोगों से घटना के विषय में पूछताछ करे, जाँच-पड़ताल करें और मामलों पर कार्यवाही करे।

2. पटवारी के कोई दो काम बताइए।
उत्तर पटवारी का कार्य

  1. जमीन को नापना और ज़मीन का रिकॉर्ड रखना।
  2. किसानों से भूमि कर इकट्ठा करता है और सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाली फसलों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है।

3. तहसीलदार का क्या काम होता है?
उत्तर तहसीलदार का काम

  1. तहसीलदार जमीन से संबंधित विवादों को सुनता है।
  2. तहसीलदार पटवारी के काम का निरीक्षण करता है और यह सुनिश्चित करता है कि रिकॉर्ड सही ढंग से रखे जाएँ।।
  3. तहसीलदार यह सुनिश्चित करता है कि किसान को अपने रिकॉर्ड की नकल आसानी से मिल जाए।
  4. तहसीलदार विद्यार्थियों को जाति प्रमाण-पत्र आदि प्रदान करती है।

4. “एक बिटिया की चाह’ कविता में किस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है? क्या आपको यह मुद्दा महत्त्वपूर्ण लगता है? क्यों?
उत्तर इस कविता में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है कि पत्नी और बेटी को भी अपने पति तथा पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए अर्थात् स्त्री को भी संपत्ति में पुरुषों के बराबर अधिकार मिलना चाहिए। यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि यह समानता के अधिकार से जुड़ा हुआ है। भारतीय संविधान में किसी भी आधार पर भेदभाव प्रतिबंधित किया, लेकिन यह लिंग के आधार पर भेदभाव है।

5. पिछले पाठ में आपने पंचायत के बारे में पढ़ा। पंचायत और पटवारी का काम एक-दूसरे से कैसे जुड़ा हुआ है?
उत्तर पंचायत गाँवों के विकास के लिए योजनाएँ बनाती हैं तथा उन्हें लागू करती हैं। पटवारी गाँवों के किसानों के खेतों की जानकारी रखता है। पंचायत गाँवों की समस्याओं को दूर करने का कार्य करती है। ये समस्याएँ किसानों के खेतों से जुड़ी हुई भी हो सकती हैं। इस प्रकार पंचायत और पटवारी दोनों ही एक स्तर पर रहकर काम करते हैं।

6. किसी पुलिस थाने जाइए और पता कीजिए कि यातायात नियंत्रण, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस क्या करती है, खासकर त्योहार या सार्वजनिक समारोहों के दौरान।
उत्तर यातायात नियंत्रण, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस अनेक प्रकार के काम करती है; जैसे-पुलिस थाने में अपराधियों के फोटो के साथ रिकॉर्ड रखना, दिन-रात गश्त लगाना, इत्यादि। यातायात नियंत्रण के लिए चौराहों पर यातायात पुलिस तैनात रहती है, जगह-जगह पर यातायात पुलिस वाहनों की गति की जाँच करती रहती है। वाहन चालकों को सड़क यातायात के नियमों की जानकारी देने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाती है। सार्वजनिक समारोहों के अवसर पर पुलिस जवानों की संख्या बढ़ा दी जाती है, साथ ही पुलिस विशेष निगरानी भी करती है।

7. एक जिले में सभी पुलिस थानों का मुखिया कौन होता है? पता करें।
उत्तर एक जिले में सभी पुलिस थानों का मुखिया उपायुक्त होती है।

8. चर्चा कीजिए कि नए कानून के तहत महिलाओं को किस तरह फ़ायदा होगा।
उत्तर नए कानून हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार बेटों, बेटियों और उनकी माँ को जमीन में बराबर का हिस्सा मिलेगा। यह कानून सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है। इस कानून से बड़ी संख्या में औरतों को फायदा होगा। पति या पिता की मृत्यु होने पर वे अपना जीवन निश्चितता से जी सकेंगी।

9. आपके पड़ोस में क्या कोई ऐसी औरत है जिसके नाम जमीन-जायदाद हो? यदि हाँ, तो उसे यह संपत्ति कैसे प्राप्त हुई?
उत्तर छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 11 Sociology Introducing Sociology Chapter 3 Understanding Social Institutions (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Sociology Introducing Sociology Chapter 3 Understanding Social Institutions (Hindi Medium)

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पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न [NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्र० 1. ज्ञात करें कि आपके समाज में विवाह के कौन-से नियमों का पालन किया जाता है। कक्षा में अन्य विद्यार्थियों द्वारा किए गए प्रेक्षणों से अपने प्रेक्षण की तुलना करें तथा चर्चा करें।
उत्तर- भारतीय समाज में विवाह निश्चित नियमों द्वारा सुव्यवस्थित किया गया है। पुरुषों और स्त्रियों के पारिवारिक जीवन में प्रवेश के लिए यह एक संस्था है। हमारे समाज में विवाह केवल अनुबंध ही नहीं है, वरन् यह एक समग्र संबंध है। इसमें भावनात्मक उलझन, निष्ठा, एक-दूसरे के प्रति वचनबद्धता, आर्थिक लगाव और उत्तरदायित्व सम्मिलित है। यह स्थायी संबंध है, जिसमें पुरुष और स्त्री बच्चों की प्राप्ति के लिए सामाजिक तौर पर वचनबद्ध हैं। उन्हें यौन-संबंधों के अधिकार का प्रयोग कर बच्चे प्राप्त करने का अधिकार है। भारतीय समाज में विवाह विपरीत लिंग के दो विशिष्ट व्यक्तियों के मध्य स्वीकृत है। जाति और धर्म के संदर्भ में पारंपरिक रूढ़िवादी परिवारों में जीवन-साथी के चुनाव पर निश्चित प्रतिबंध हैं। भारतीय समाज में व्यवस्थित विवाह का प्रचलन है। हालाँकि शहरीकरण, औद्योगीकरण, स्त्री-शिक्षा, समाज सुधार, भूमण्डलीकरण और विभिन्न कानूनी संशोधनों; जैसे–नारी सशक्तिकरण और सम्पत्ति अधिकार के कारण हमारे समाज में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। युवा पीढी वैसे व्यक्ति के साथ विवाह करने में संकोच अनुभव करती है, जिसको उसने पहले कभी देखा नहीं है या जिससे पहले मिला नहीं है, जिसके व्यवहार, मूल्य, अभिकल्पना, विश्वास के संबंध में उसे जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में युवा वर्ग दवाब का अनुभव करता है। आजकल एकल परिवार ने संयुक्त परिवार का स्थान ग्रहण कर लिया है और माता-पिता को सामाजिक सहायता भी उपलब्ध नहीं है। अतः जहाँ तक विवाह जैसी संस्था की बात है, भारतीय समाज में यह संक्रमण काल है।

प्र० 2. ज्ञात करें कि व्यापक संदर्भ में आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन होने से परिवार में सदस्यता, आवासीय प्रतिमान और यहाँ तक कि पारस्परिक संपर्क का तरीका कैसे परिवर्तित होता है; उदाहरण के लिए प्रवास।।
उत्तर- सामाजिक संबंध समूह संरचना के आधार हैं। भारतीय समाज का तेजी से परिवर्तन हो रहा है और यही बात संरचना एवं बनावट की भी है। परिवर्तन सार्वभौमिक तथा निरंतर प्रक्रिया है। औद्योगीकरण, शहरीकरण, भूमण्डलीकरण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, बिजली और इलैक्ट्रॉनिक मशीन तथा यातायात के साधन की सुगम उपलब्धता ने हमारी संचार व्यवस्था और सामाजिक प्रक्रिया को गहराई से प्रभावित किया है। वर्तमान में आधुनिक समाज विशेष रूप से संबंध आधारित नहीं रह गया है वरन् यह एक समय केंद्रित समाज बन गया है। अतः आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के बृहद् परिदृश्य में देश के अंदर और देश के बाहर प्रवसन (Migration) सामान्यतया एक दृश्य प्रपंच (Phenomenon) है और कम कीमत पर कॉल्स (Calls), स्काइप (Skype), वॉट्सएप (Whatsapp) एवं अन्य स्रोतों के कारण
सामाजिक अंत:क्रिया का रिवाज बदल गया है।

प्र० 3. ‘कार्य’ पर एक निबंध लिखिए। कार्यों की विद्यमान श्रेणी और ये किस तरह बदलती हैं, दोनों पर ध्यान केंद्रित करें।
उत्तर- कार्य केवल जीविका के लिए ही नहीं, बल्कि संतुष्टि के लिए भी है। इसमें कठिन कार्य भी सम्मिलित हैं, जिसमें मानवीय और मानसिक क्रिया-कलापों की आवश्यकता पड़ती है। कार्य का संदर्भ अदा की गई नौकरी से है। इसे व्यक्ति के शारीरिक या मानसिक प्रयासों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसे अदा भी किया जा सकता है या नहीं भी किया जा सकता है। मानव की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए सेवाओं के रूप में कार्य को सम्पन्न किया जाता है। वस्तुओं और सेवाओं के प्रत्यक्ष विनिमय में कार्य को सम्पन्न किया जाता है। अन्य सामाजिक और राजनीतिक क्रिया-कलापों से हटकर आर्थिक क्रिया-कलाप मानवीय सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण स्वरूप है। आर्थिक क्रिया-कलाप अद्यतन समाज के महत्वपूर्ण आयाम हैं, जिसमें उत्पादन और खपत सम्मिलित हैं। समाज में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत के संदर्भ में आर्थिक संस्थाएँ व्यक्तियों के क्रिया-कलापों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
कार्य के अनेक सोपान निर्दिष्ट हैं; जैसे

  • अनुबंध (Contract) – किसी निश्चित अवधि के अंतर्गत विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति हेतु दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच समान नियमों और स्थितियों की वचनबद्धता।।
  • श्रम-विभाजन (Division of Labour) – इसका सरोकार कौशल और योग्यता पर आधारित लोगों के मध्य कार्य के वितरण की पद्धति से है। श्रम-विभाजन का जनसंख्या के घनत्व से प्रत्यक्ष संबंध है। यह समाज के लोगों को अन्योन्याश्रित बनाता है। आधुनिक समाज और इसकी अर्थव्यवस्था तकनीक पर आधारित है, जिसके लिए विशिष्टिकरण आवश्यक है।
  • वेतन (Wages) – वर्तमान औद्योगिक अर्थव्यवस्था में वेतन के निश्चित नियम हैं; जैसे कि-
    • वेतन अनुबंध को स्थिर और आवश्यक भाग है।
    • यह अव्यक्तिगत है और औपचारिक संबंधों पर आधारित है।
    • वेतन कामगार (worker) और नियोक्ता दोनों पर बंधनकारी है।
    • कुछ आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत व्यापार संघ या श्रम संघ (Labour Union) कामगारों के वेतन हित की रक्षा करता है।

अनेक अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जिनके द्वारा कार्य का प्रदर्शन होता है।

  1. साधारण अर्थव्यवस्था (Primitive Economic System) – कार्य और वेतन की कोई विशिष्ट विनिमय नीति नहीं होती है। यह आवश्यक रूप से निजी, लेकिन समुदाय आधारित होती है, जिसमें आर्थिक, धार्मिक एवं जादुई क्रिया-कलाप सम्मिलित होते हैं।
  2. कृषि संबंधित अर्थव्यवस्था (Agrarian Economy) – यह अर्थव्यवस्था की द्वितीय अवस्था थी, जिसने कामगारों के लिए भोजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की, पेशा जाति आधारित बन गया और वस्तु विनिमय पद्धति एवं जजमानी पद्धति प्रचलन में आई।
  3. औद्योगिक अर्थव्यवस्था (Industrial Economy) – यह वर्तमान अर्थव्यवस्था है, जिसका उदय 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में औद्योगीकरण के साथ हुआ। पूँजीवाद और समाजवाद का औद्योगिक समाज की
    दो मुख्य व्यवस्थाओं के रूप में उदय हुआ। यह समाज उत्पादन के लिए औजारों और मशीनों पर आधारित है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था कार्य को
    स्थिर मुद्रा की सहायता से नियंत्रित करती है।

श्रम विभाजन, कारखाना पद्धति, उत्पादन के लिए अन्योन्याश्रिता (Interdependence) तथा कठिन कार्य का विशिष्टिकरण वर्तमान अर्थव्यवस्था के मुख्य अभिलक्षण हैं।
कार्य को निम्नवत् वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. औपचारिक क्षेत्र (Formal Sector) – यहाँ प्रदत्त नौकरी (Paid Employment) के विचार कार्य करते हैं।
  2. अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) – इसक संदर्भ ऐसी अर्थव्यवस्था से है, जिसमें वस्तुओं या सेवाओं का प्रत्यक्ष विनिमय सम्मिलित है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का संदर्भ नियमित रोजगार के क्षेत्र से बाहरी लेन-देन से है।
  3. सेवा क्षेत्र (Service Sector) – सेवा क्षेत्र में लोगों के लिए अधिकतम कार्य की व्यवस्था संचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, होटल, विमान-उद्योग, आई०टी० (I.T.), यातायात, कम्प्यूटर इत्यादि के क्षेत्रों में की जाती है।
  4. राजकीय क्षेत्र (Public Sector) – सरकार द्वारा सृजित नौकरी को राजकीय कार्य क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए, रेलवे, भारी उद्योग। ये सरकारी क्षेत्र के भाग हैं। भारत एक कल्याणकारी राज्य होने के कारण अनेक क्षेत्र जैसे यातायात इत्यादि केवल सरकार के द्वारा व्यवस्थित की गई है।
  5. निजी क्षेत्र (Private Sector) – वे कार्य जो निजी स्वामित्व के अधीन आते हैं। ये वस्तुतः लाभ अर्जित करने वाले व्यवसायिक क्षेत्र हैं। उदाहरण के लिए, टीसीएस (TCS), इनफोसिस (Infosys) इत्यादि।
  6. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) – यह एक नई अवधारणा है, जिसमें राजकीय क्षेत्र और निजी क्षेत्र एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। इस सहयो का परिणाम अर्थव्यवस्था का विकास है।

प्र० 4. अपने समाज में विद्यमान विभिन्न प्रकार के अधिकारों पर चर्चा करें। वे आपके जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर- अधिकार के प्रकार :

  1. नागरिक अधिकार (Civil Rights) – सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, धर्म का अनुसरण करने का अधिकार और खाद्य अधिकार अनेक नागरिक अधिकार हैं, जो भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में सभी लोगों को प्रदान किए गए हैं।
  2. सामाजिक अधिकार (Social Rights) – सभी भारतीय नागरिकों को कल्याण और सुरक्षा जैसे कि स्वास्थ्य लाभ के न्यूनतम मानक अधिकार के रूप में प्रदान किए गए हैं। मजदूरी की न्यूनतम । दर, वृद्धावस्था से संबंधित लाभ या बीपीएल (BPL-Below the Poverty Line)। विशेषतः गरीबी-रेखा के नीचे बसर कर रहे लोगों के लिए रोजगार भत्ता।
  3. राजनीतिक अधिकार (Political Rights) – वोट डालने का अधिकार और अभिव्यक्ति का अधिकार हमारे नागरिक अधिकार हैं।
  4. कल्याणकारी अधिकार (Welfare Rights) – विकसित पश्चिमी देशों में सामाजिक सुरक्षा। भारत विश्व में सबसे बड़ा प्रजातंत्र और कल्याणकारी राज्य होने के कारण अपने नागरिकों को उपरोक्त अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों ने भारतीय समाज की संरचना, बनावट और कार्यविधि को रूपांतरित कर दिया है। आजादी, समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विश्वास और धर्म ने सामाजिक जाल की बनावट को रूपांतरित कर दिया है। तथा लोगों को स्वयं में विश्वास है और वे राजनीतिक दृष्टिकोण से सजग और परिपक्व/प्रौढ़ हैं। सामाजिक अधिकार से गरीब लोगों को शिक्षा का अवसर, अच्छा स्वास्थ्य और न्यूनतम मजदूरी प्राप्त । होती है, जिससे लोगों को शोषण से सुरक्षित रखा जाता है। वोट देने का अधिकार लोगों को वस्तुतः राज-निर्माता बना देता है, क्योंकि इसी अधिकार के कारण भारत
    में सरकार को चुना जाता है।

प्र० 5. समाजशास्त्र धर्म का अध्ययन कैसे करता है?
उत्तर- इमाइल दुर्खाइम (Emile Durkheim) के अनुसार, “धर्म पवित्र वस्तुओं से संबंधित अनेक विश्वासों और व्यवहारों की एक ऐसी संगठित व्यवस्था है, जो उन व्यक्तियों को एक नैतिक समुदाय की भावना में बाँधती है, जो उसी प्रकार के विश्वासों और व्यवहारों को अभिव्यक्त करते हैं।”

  • समाजशास्त्री धार्मिक प्राणियों में विश्वास के रूप में धर्म का अध्ययन करते हैं।
  • धर्म, कार्य तथा विश्वास की पद्धति एक सामाजिक प्रपंच और व्यक्तिगत अनुभूति का एक तरीका है।
  • धर्म अलौकिक शक्ति में विश्वास पर आधारित है। जिसमें जीववाद की अवधारणा सम्मिलित है।
  • समाजशास्त्रीय परिदृश्य में धर्म समाज के लिए अनेक कार्यों का निर्वाह करता है। यह सामाजिक नियंत्रण का एक स्वरूप है।
  • धर्म सभी ज्ञात समाजों में विद्यमान है। हालाँकि धार्मिक विश्वास और व्यवहार का स्वरूप विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग है।
  • धर्म वस्तुतः एक व्यक्तिगत प्रपंच है, लेकिन इसका सार्वजनिक पहलू भी है, जिसका सामाजिक संस्था पर व्यापक प्रभाव है।
  • धर्म प्रथाओं और अनुष्ठानों का संग्रह है। धर्म की उपस्थिति के कारण लोग प्रथाओं और प्रतिमानों का आदर करते हैं, जो सामाजिक तंत्र का पोषण करते हैं।
  • धर्म लोगों को जटिल, संतुलित, एकीकृत, स्वस्थ्य और खुशहाल व्यक्तित्व के निर्माण तथा सामाजिक कल्याणकारी कार्यों में सहभागिता के लिए प्रेरित करता है।
    समाजशास्त्री धर्म के लोक स्वरूप का अध्ययन करता है, क्योंकि सामाजिक परिदृश्य में इसका सर्वाधिक महत्व है, जो समाज और सामाजिक संस्था का ध्यान रखता है।

प्र० 6. सामाजिक संस्था के रूप में विद्यालय पर एक निबंध लिखिए। अपनी पढ़ाई और वैयक्तिक प्रेक्षणों, दोनों का इसमें प्रयोग कीजिए।
उत्तर-

  • विद्यालय एक सामाजिक संस्था है, जो व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य के साथ औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करती है।
  • वर्ग शिक्षण और पाठ्यक्रम एवं सह-पाठ्यक्रम से संबंधित क्रिया-कलापों के माध्यम से विद्यालय छात्रों को बड़ा होने में, पूर्ण रूप से कार्य करने में, सृजनात्मक आत्म-विमोचन की क्रिया और अच्छा प्राणी बनने में सहायता करता है।
  • विद्यालय बच्चों के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, धार्मिक और सामाजिक विकास की व्यवस्था प्रस्तुत करता है।
  • विद्यालय ऐसे वातावरण की व्यवस्था करता है, जिसके द्वारा बच्चों तक सामाजिक प्रतिमानों को संचार होता है।
    निर्देश – उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर विद्यार्थी स्वयं निबंध लिखें।

प्र० 7. चर्चा कीजिए कि सामाजिक संस्थाएँ परस्पर कैसे संपर्क करती हैं। आप विद्यालय के वरिष्ठ छात्र के रूप में स्वयं के बारे में चर्चा आरंभ कर सकते हैं। साथ ही विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा आपके व्यक्तित्व को किस प्रकार एक आकार दिया गया, इसके बारे में भी चर्चा करें। क्या आप इन सामाजिक संस्थाओं से पूरी तरह नियंत्रित हैं या आप इनका विरोध या इन्हें पुनःपरिभाषित कर सकते हैं?
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 Hindi

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 Resource and Development (संसाधन एवं विकास)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 Resource and Development (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से संक्षेप में लिखें

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड

उत्तर (i) (घ) (ii) (क) (iii) (ख) (iv) (घ), (v) (घ)।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन-सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर काली मृदा का रंग काला होता है। इन्हें रेंगर मृदा भी कहते हैं। ये लावाजनक शैलों से बनती हैं। ये मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं। काली मृदा कपास की खेती के लिए उचित समझी जाती है। इसे काली कपास मृदा के नाम से भी जाना जाता है।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इस जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • यह मृदा हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों- सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए निक्षेपों से | बनी है।
  • जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं। जैसे-जैसे हम नदी के मुहाने से घाटी में ऊपर की ओर जाते हैं, मृदा के कणों को आकार बढ़ता चला जाता है।
  • जलोढ़ मृदा बहुत उपजाऊ होती है। अधिकतर जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती हैं जो इनको | गन्ने, चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाती हैं। अधिक उपजाऊपन के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं। विभिन्न मानवीय तथा प्राकृतिक कारणों से मृदा अपरदन होता रहता है। पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जाने चाहिए

  • पर्वतीय ढालों पर समोच्च रेखाओं के समानांतर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे | समोच्च जुताई कहा जाता है।
  • पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर अवनालिका अपरदन को रोका जा सकता है। पश्चिमी और मध्य हिमालय में सोपान अथवा सीढ़ीदार कृषि काफी विकसित है।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में पट्टी कृषि के द्वारा मृदा अपरदन को रोका जाता है। इसमें बड़े खेतों को पट्टियों में बाँटा जाता | है। फसलों के बीच में घास की पट्टियाँ उगाई जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित बल को कमजोर करती हैं।
  • पर्वतीय ढालों पर बाँध बनाकर जल प्रवाह को समुचित ढंग से खेती के काम में लाया जा सकता है। मृदा रोधक बाँध अवनालिकाओं के फैलाव को रोकते हैं।

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तर जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है और जिनमें जीवन व्याप्त होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य, वनस्पति जगत, प्राणी जगत, पशुधन तथा मत्स्य जीवन आदि। अजैव संसाधन-वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें और धातुएँ ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए
(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर भारत में भूमि का उपयोग अलग-अलग प्रकार के कार्यों में किया जाता है। कुल भूमि में से 93 प्रतिशत भोग के ही उपयोग के आँकड़े उपलब्ध हैं। कुल प्राप्त भूमि में से 46.6 प्रतिशत भूमि शुद्ध बोये गए क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

22.5 प्रतिशत भूमि पर वन हैं। 13.8 प्रतिशत भूमि बंजर और कृषि अयोग्य भूमि है। 7.7 प्रतिशत भूमि परती भूमि है। 4.8 प्रतिशत भूमि पर चारागाह और बागान हैं। 4.6 प्रतिशत बंजर भूमि है। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में वृद्धि तो हुई है किंतु यह वृद्धि बहुत मामूली है। राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए किंतु भारत में बढ़ती जनसंख्या, अधिक औद्योगीकरण आदि के कारण निरंतर वनों के कटाव से वन भूमि में अधिक वृद्धि नहीं हो पाई है। लगातार भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है। अधिक वन पर्यावरण को संतुलित करते हैं, मृदा अपरदन को रोकते हैं तथा भूमि को निम्नीकरण से बचाते हैं। इसलिए अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाकर वनों के प्रतिशत को बढ़ाना जरूरी है।

परियोजना कार्य प्रश्न

1. अपने आसपास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर विद्यार्थी इस परियोजना को स्वयं करें। प्रश्न

2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
उत्तर विद्यार्थी अध्यापक की उपस्थिति में अपनी कक्षा में उपरोक्त विषय पर चर्चा करें। प्रश्न

3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ; ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूंढे।
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 14 देखें)
उत्तर

  • भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा-Resources
  • अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार-Minerals
  • उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा-Black soil
  • मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ-Laterite soil
  • मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना-Afforestation
  • भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं-Alluvial soil.

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15 Life on the Earth (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन जैव मंडल में सम्मिलित हैं
(क) केवल पौधे
(ख) केवल प्राणी
(ग) सभी जैव व अजैव जीव
(घ) सभी जीवित जीव
उत्तर- (ग) सभी जैव व अजैव जीव

(ii) उष्णकटिबंधीय घास का मैदान निम्न में से किसे नाम से जाने जाते हैं?
(क) प्रेयरी
(ख) स्टैपी
(ग) सवाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ग) सवाना

(iii) चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है?
(क) आयरन कार्बोनेट
(ख) आयरन ऑक्साइड
(ग) आयरन नाइट्राइट
(घ) आयरन सल्फेट
उत्तर- (ख) आयरन ऑक्साइड

(iv) प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है?
(क) प्रोटीन
(ख) कार्बोहाइड्रेटस
(ग) एमिनोएसिड
(घ) विटामिन
उत्तर- (ख) कार्बोहाइड्रेटस

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तरे लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण से अंतर्संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन ही पारिस्थितिकी है। पारिस्थितिकी ही प्रमुख रूप से जीवधारियों के जन्म, विकास, वितरण, प्रवृत्ति व उनके प्रतिकूल
अवस्थाओं में भी जीवित रहने से संबंधित है।

(ii) पारितंत्र क्या है? संसार के प्रमुख पारितंत्र प्रकारों को बताएँ।
उत्तर- किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि, जल अथवा वायु (अजैविक तत्वों) से ऐसा अंतर्संबंध, जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखला स्पष्ट रूप से समायोजित हो, पारितंत्र कहा जाता है। पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं- (i) स्थलीय पारितंत्र (ii) जलीय पारितंत्र। स्थलीय पारितंत्र को वन, घास क्षेत्र, मरुस्थल तथा टुण्ड्रो पारितंत्र तथा जलीय पारितंत्र को समुद्री पारितंत्र तथा ताजे पानी के परितंत्र में बाँटा जाता है। समुद्री परितंत्र को महासागरीय, ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति पारितंत्र तथा ताजे पानी के पारितंत्र को झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल पारितंत्र में बाँटा जाता है।

(iii) खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएँ।
उत्तर- प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। यह खाद्य क्रम और इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृंखला कहलाती है। चराई खाद्यश्रृंखला पौधों से शुरू होकर मांसाहारी तक जाती है, जिसमें शाकाहारी जीव घास खाता है और शाकाहारी जीव को मांसाहारी जीव खाता है, हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है, जिसमें श्वसन, उत्सर्जन व विघटन प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं। खाद्य श्रृंखलाओं में तीन से पाँच स्तर होते हैं और हर स्तर पर ऊर्जा कम होती है। उदाहरणस्वरूप
घास-बकरी-शेर घास-कीट-मेढक-साँप-बाजे

(iv) खाद्य जाल से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर- खाद्य श्रृंखलाएँ पृथक अनुक्रम न होकर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। जैसे-एक चूहा, जो अन्न पर निर्भर है, वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक माँसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक माँसाहारी जीव एक से अधिक प्रकार के शिकार पर निर्भर हैं। परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। प्रजातियों के इस प्रकार जुड़े होने (अर्थात जीवों की खाद्य श्रृंखलाओं के विकल्प उपलब्ध होने पर) को खाद्य जाल कहा जाता है।

(v) बायोम क्या है?
उत्तर- बायोम पौधों एवं प्राणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्व करते हैं। अत: विशेष परिस्थितियों में पादप एवं जंतुओं के अंतर्संबंधों के कुल योग को बायोम कहते हैं। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी संबंधी अवयव भी शामिल हैं। संसार के कुछ प्रमुख बायोम वन, मरुस्थलीय, घास भूमि और उच्च प्रदेशीय हैं।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) संसार के विभिन्न वन बायोम की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- वन बायोम को चार भागों में बाँटा जाता है
(i) भूमध्यरेखीय उष्ण कटिबंधीय
(ii) पर्णपाती उष्ण कटिबंधीय
(iii) शीतोष्ण कटिबंधीय
(iv) बोरियल।

(i) भूमध्यरेखीय उष्ण कटिबंधीय बायोम – यह भूमध्यरेखा से 10° उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच स्थित है। यहाँ तापमान सालों भर 20° से 25° सेंटीग्रेड रहता है। यहाँ की मृदा अम्लीय है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी है। यहाँ वृक्ष काफी लंबे और घने होते हैं।

(ii) पर्णपाती उष्ण कटिबंधीय बायोम – यह बायोम 10° से 25° उत्तर व दक्षिण अक्षांश के बीच स्थित है। यहाँ तापमान 25 से 30° सेंटीग्रेड के बीच होता है। यहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 1,000 मि०मी० एक ऋतु में है। यहाँ मिट्टी पोषक तत्वों के मामले में धनी है। यहाँ अनेक प्रजातियों के कम घने तथा मध्यम ऊँचाई के वृक्ष एक साथ पाए जाते हैं।

(iii) शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम – यह बायोम पूर्वी उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पूर्वी एशिया, पश्चिमी एवं मध्य यूरोप में पाया जाता है। यहाँ का तापमान 20° से 30° सेंटीग्रेड के बीच रहता है। यहाँ वर्षा समान रुप से 750 से 1500 मि०मी० होती है। यहाँ असाधारण शीत पड़ती है तथा ऋतुएँ भी स्पष्ट हैं। यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है, जो अवधटक जीवों व कूड़ा-कर्कट आदि पदार्थों-हयूमस से भरपूर है। यहाँ मध्यम घने चौड़े पत्ते वाले वृक्ष पाए जाते हैं। यहाँ पौधों की प्रजातियों में कम विविधता पाई जाती है। ओक, बीच, मेप्पल आदि कुछ सामान्य प्रजातियों के वृक्ष यहाँ बहुतायत में पाए जाते हैं। गिलहरी, खरगोश, पक्षी, काले भालू, पहाड़ी शेर व स्कंक यहाँ पाए जाने वाले कुछ प्रमुख प्राणी हैं।

(iv) बोरियल बायोम – यह बायोम यूरेशिया व उत्तरी अमेरिका के उच्च अक्षांशीय भाग, साइबेरिया के कुछ भाग, अलास्का, कनाडा व स्केंडेनेवियन देश में पाया जाता है। यहाँ छोटा आर्द्र ऋतु व मध्यम रूप से गर्म ग्रीष्म ऋतु तथा लंबी (वर्षा रहित) शीत ऋतु होती है। यहाँ वर्षा मुख्यतः हिमपात के रूप में 400 से 1000 मि०मी० होती है। यहाँ की मिट्टी अम्लीय है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी है। यहाँ मिट्टी की परत अपेक्षाकृत पतली है। यहाँ सामान्यतः पाइप, फर, स्पूस आदि के सदाबहार कोणधारी वन पाए जाते हैं। कठफोड़ा, चील, भालू, हिरण, खरगोश, भेड़िया, चमगादड़ आदि यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ है।

(ii) जैव भू-रासायनिक चक्र क्या है? वायुमंडल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कैसे होता है? वर्णन करों
उत्तर- सूर्य ऊर्जा का मूल स्रोत है, जिस पर संपूर्ण जीवन निर्भर है। यही ऊर्जा जैवमंडल में प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आरंभ करती है, जो हरे पौधों के लिए भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन व कार्बनिक यौगिक में परिवर्तित हो जाती है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का बहुत छोटा भाग (केवल 0.1 प्रतिशत) प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में काम
आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधे की श्वसन-विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थायी रूप से पौधे के अन्य भागों में संचित हो जाता है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमंडल एवं जलमंडल की संरचना में रासायनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है।

रासायनिक तत्वों का यह संतुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्वों के अवशोषण से आरंभ होता है और उनके वायु, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरंभ होता है। ये चक्रे मुख्यतः सौर ताप से संचालित होते हैं। जैवमंडल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच ये रासायनिक तत्वों के चक्रीय प्रवाह जैव भू-रासायनिक चक्र कहे जाते हैं। जैव भू-रासायनिक चक्र दो प्रकार के हैं–एक गैसीय और दूसरा तलछटी चक्र। गैसीय चक्र में पदार्थ के मुख्य भंडार वायुमंडल व महासागर हैं। तलछटी चक्र के प्रमुख भंडार पृथ्वी की भूपर्पटी पर पाई जाने वाली मिट्टी, तलछट व अन्य चट्टाने हैं।

(iii) पारिस्थितिकी संतुलन क्या है? इसके असंतुलन को रोकने के महत्त्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें।
उत्तर- किसी पारितंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिकी संतुलन है। यह तभी संभव है जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे। क्रमशः परिवर्तन भी होता है, लेकिन ऐसा प्राकृतिक अनुक्रमण के द्वारा ही होता है। इसे पारितंत्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी संतुलन के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। यह संतुलन निश्चित प्रजातियों में प्रतिस्पर्धा
आपसी सहयोग से होता है। कुछ प्रजातियों के जिंदा रहने के संघर्ष से भी पर्यावरण संतुलन प्राप्त किया जाता है। संतुलन इस बात पर निर्भर करता है कि कुछ प्रजातियाँ अपने भोजन व जीवित रहने के लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं। इसके उदाहरण विशाल घास के मैदानों में मिलते हैं, जहाँ शाकाहारी जंतु अधिक संख्या में होते हैं और उन्हें मांसाहारी जीव खाते हैं। इस तरह से पारिस्थितिकी में संतुलन बना रहता है।

पारिस्थितिकी असंतुलन को रोकने के उपाय – विशेष आवास स्थानों में पौधों व प्राणी समुदायों में घनिष्ट अंतर्संबंध पाए जाते हैं। निश्चित स्थानों पर जीवों में विविधता वहाँ के पर्यावरणीय कारकों का संकेतक है। इन कारकों का समुचित ज्ञान व समझ ही पारितंत्र के संरक्षण व बचाव के प्रमुख आधार हैं।

परियोजना कार्य-
(i) प्रत्येक बायोम की प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए विश्व के मानचित्र पर विभिन्न बायोम के वितरण को दशाईए।
(ii) अपने स्कूल प्रांगण में पाए जाने वाले पेड़, झाड़ी व सदाबहार पौधों पर एक संक्षिप्त लेख लिखें और लगभग आधे दिन यह पर्यवेक्षण करें कि किस प्रकार के पक्षी इस वाटिका में आते हैं। क्या आप इन पक्षियों की विविधता का भी उल्लेख कर सकते हैं?
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

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