Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction.

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अंतर है?
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) 1

प्र० 2. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:  पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यहाँ एक बाजार संपन्न होता है जो क्रेताओं तथा विक्रेताओं को जोड़ता है। यह बाजार स्वतंत्र माँग और पूर्ति के बलों से कार्यान्वित होता है।
  2. वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें माँग तथा पूर्ति की बाजार शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है।
  3.  सरकार उत्पादकों तथा परिवारों के निर्णयों में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। अथवा हम कह सकते हैं कि सरकार माँग तथा पूर्ति की बाजार शक्तियों की स्वतंत्र अंतक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। यह देश
    की कानून एवं व्यवस्था तथा प्रतिरक्षा के रख-रखाव पर अपना ध्यान केंद्रित करती है।
  4. अधिकारों के कारण पूँजी के संचय की अनुमति दी गई है। पूँजी उत्पादन के एक मुख्य साधन के रूप में उभरती है।
  5. उपभोक्ता (परिवार) प्रभुत्व होता है। वे अपनी आदतों एवं प्राथमिकताओं के अनुसार क्रय करते हैं तथा अपनी संतुष्टि को अधिकतम करते हैं उत्पादक उपभोक्ताओं द्वारा माँगी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं
    के उत्पादन के द्वारा अपने लाभों को अधिकतम करते हैं।

प्र० 3. समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रकों का वर्णन करें।
उत्तर:

  1. परिवार क्षेत्र-इसमें वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोक्ताओं को सम्मिलित किया जाता है। परिवार या गृहस्थ क्षेत्र उत्पादन के कारकों का स्वामी भी होता है।
  2. उत्पादक क्षेत्र-इनमें उन सबको सम्मिलित किया जाता है जो उत्पादन की क्रिया में लगे होते हैं। अर्थव्यवस्था की सभी उत्पादन करने वाली इकाइयाँ (या फेर्ने) क्षेत्र में सम्मिलित होती हैं। वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन हेतु फर्मे उत्पादन के कारकों (भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यमशील कौशल) की सेवाओं को परिवार क्षेत्र से भाड़े पर प्राप्त करती हैं।
  3. सरकारी क्षेत्र-कल्याणकारी एजेंसी के रूप में कार्य करता है जैसे-न्याय तथा कानून व्यवस्था को बनाए | रखना, सुरक्षा तथा अन्य सार्वजनिक कल्याण संबंधी सेवाएँ। सरकार एक उत्पादक के रूप में भी कार्य करती
    है (जैसे-सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पाद।)
  4. विदेशी क्षेत्र-इसे शेष विश्व क्षेत्र भी कहा जाता है। इस क्षेत्र का कार्य वस्तुओं का निर्यात एवं आयात करना तथा घरेलू अर्थव्यवस्था एवं विश्व के अन्य देशों के बीच पूँजी का प्रवाह करना है।

प्र० 4. 1929 की महामंदी का वर्णन करें।
उत्तर: 1929 में महामंदी ने जन्म लिया जो 1933 तक बनी रही इस महामंदी ने विश्व के विकसित देशों को चूर-चूर कर दिया। इस महामंदी में उत्पादन था परन्तु खरीदने वाले नहीं थे। 1929-33 के दौरान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और यूरोपीय देशों के कुल उत्पादन तथा रोजगार के स्तरों में भारी गिरावट आई। इसका प्रभाव दुनिया के अन्य। देशों पर भी पड़ा।

  1. कई कारखाने बंद हो गए तथा श्रमिकों को निकाल दिया गया।
  2. बेरोजगारी की दर 1929 से 1933 तक 3% से बढ़कर 25% तक हो गई।
  3. 1929-33 के दौरान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में समग्र निर्गत में लगभग 33% की गिरावट आई।

इन परिस्थितियों में केन्ज की पुस्तक ‘रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त’ 1936 में प्रकाशित हुई जिससे समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।

[MORE QUESTIONS SOLVED] (अन्य हल प्रश्न)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
1. परिवार क्षेत्रक की मुख्य भूमिका क्या है?
(क) उपभोग
(ख) निवेश
(ग) उत्पादन
(घ) आयात

2. विदेशी क्षेत्र का अन्य नाम क्या है?
(क) बाह्य क्षेत्र
(ख) उत्पादन क्षेत्र
(ग) विश्व क्षेत्र
(घ) (क) और (ख) दोनों

3. समष्टि अर्थशास्त्र का जन्मदाता किसे कहा जाता है?
(क) एड्म स्मिथ
(ख) जे एम केन्स
(ग) मार्शल
(घ) रोबिन्स

4 पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को ………… भी कहा जाता है।
(क) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(ख) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(ग) बाजार अर्थव्यवस्था
(घ) उपरोक्त सभी

5. आर्थिक महामंदी किस वर्ष में उत्पन्न हुई?
(क) 1929
(ख) 1932
(ग) 1936
(घ) 1945

6. जे. एम. केन्स की किताब ‘रोजगार एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त’ कब प्रकाशित हुई?
(क) 1929
(ख) 1932
(ग) 1936
(घ) 1945

उत्तर:
1. (क)
2. (घ)
3. (ख)
4 (ग)
5. (क)
6. (ग)

Hope given NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 Human Capital Formation in India (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 Human Capital Formation in India (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 Human Capital Formation in India (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Economics. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Developments Chapter 5 Human Capital Formation in India.

प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत क्या होते हैं?
उत्तर : शिक्षा और स्वास्थ्य मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत हैं।

प्र.2. किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के दो सूचक क्या होंगे?
उत्तर : किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के मुख्य सूचना इस प्रकार हैं|

  1. सकल नामांकन अनुपात ।
  2. साक्षरता दर

प्र.3. भारत में शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ क्यों दिखाई दे रही हैं?
उत्तर : शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ निम्न कारणों से हैं
(a) आय की असमानताएँ-सामान्यता उच्च आय वाले राज्यों में उच्च साक्षरता दर है भले ही यह आनुपातिक नहीं है।
(b) शिक्षा पर राज्य सरकार का व्यय-शिक्षा समवर्ती सूचि का विषय है अतः क्षेत्रीय असमानताएँ, विभिन्न राज्यों पर शिक्षा पर किये गए व्यय के विभिन्न स्तरों के कारण भी आ जाती है।

प्र.4. मानव पूँजी निर्माण और मानव विकास के भेद को स्पष्ट करें।
उत्तर : मानव पूँजी निर्माण और मानव विकास में भेद इस प्रकार हैं
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 (Hindi Medium) 1
प्र.5. मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास किस प्रकार अधिक व्यापक है?
उत्तर : मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास अधिक व्यापक है क्योंकि

(a)
मानव पूँजी केवल मनुष्य जीवन के आर्थिक आयाम से संबंधित है जबकि मानव विकास बहुआयामी है जो आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक राजनैतिक-अध्यात्मिक पहलू पर विचार करता है।

(b)
मानव पूँजी उस प्रकार की शिक्षाओं को महत्त्व देता है जो उत्पादकता को बढ़ाए। मानव विकास शिक्षा और स्वास्थ्य को अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन का अभिन्न हिस्सा मानती है। यह मानता है कि स्वास्थ्य और शिक्षा को उपयोगी साधन मानते हैं भले ही वे श्रम की उत्पादकता बढ़ाने में कोई योगदान न करें।

प्र.6. मानव पूंजी के निर्माण में किन कारकों का योगदान रहता है?
उत्तर : निम्नलिखित स्रोतों का मानव पूँजी निर्माण में योगदान है

(a) शिक्षा पर व्यय
(b) स्वास्थ्य पर व्यय
(c) प्रशिक्षण पर व्यय
(d) सूचना पर व्यय
(e) प्रवासन

प्र.7. सरकारी संस्थाएँ भारत में किस प्रकार स्कूल एवं अस्पताल की सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है?
उत्तर : शिक्षा क्षेत्र- केंद्र और राज्य स्तर पर शिक्षा मंत्रालय, शिक्षा प्रभाग एवं अन्य संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एन सी ई आर टी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) तथा तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद (ए आई सी टी ई) शिक्षा क्षेत्र को विनियमित करते हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र-केंद्र एवं राज्य स्तर पर स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य प्रभाग एवं संगठन जैसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आई सी एम आर) स्वास्थ्य क्षेत्र को विनियमित करते हैं।

प्र.8. शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है। क्यों?
उत्तर : शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है। एक राष्ट्र के विकास में यह एक महत्त्वपूर्ण आगत की भूमिका निम्नलिखित तरह से निभाता है

1. यह एक व्यक्ति को अधिक आय अर्जित करने की योग्यता देता है।
2. यह एक व्यक्ति को बेहतर सामाजिक स्थिति और गर्व देता है।
3. यह एक व्यक्ति को जीवन में बेहतर विकल्प चुनने में सक्षम बनाता है। यह समाज में हो रहे परिवर्तनों को समझने का ज्ञान देता है।
4. यह नवाचार को बढ़ावा देता है।
5. शिक्षित श्रम बल की उपलब्धता नई तकनीक अपनाने में सहायक होती है।

प्र.9. पूँजी निर्माण के निम्नलिखित स्रोतों पर चर्चा करें।
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना
(ख) प्रवसन पर व्यय
उत्तर :
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना निम्नलिखित प्रकारों से मानव पूँजी निर्माण में योगदान देता है

  1. एक बेहतर स्वास्थ्य आधारिक संरचना श्रम की उत्पादकता बढ़ाता है।
  2. इससे उनकी दक्षता, नियमितता बढ़ जाती है और अनुपस्थिति कम हो जाती है।
  3. यह जीवन की समग्र गुणवत्ता सुधारता है।
  4. यह अर्थव्यवस्था में निर्भर जनसंख्या के अनुपात को कम करता है।

(ख) प्रवसन पर व्यय निम्नलिखित प्रकार से मानव पूँजी निर्माण में योगदान देता है
1. प्रवसन में परिवहन की लागत, प्रवसित स्थान पर उच्च निर्वाह लागत और एक अनजान क्षेत्र में रहने की मनोवैज्ञानिक
लागत शामिल है।

  • इसका लाभ उच्च आय के रूप में मिलता है।
  • यदि लाभ, लागत से अधिक होता है तो व्यक्ति पलायन करने का निर्णय लेता है और इस तरह इससे व्यक्ति
    की समग्र उपयोगिता बढ़ जाती है।

प्र.10. मानव संसाधनों के प्रभावी प्रयोग के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर व्यय संबंधी जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता का निरूपण करें।
उत्तर : जब लोगों को स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सही जानकारी होती है तो वे अधिक प्रभावी ढंग से मानव संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। एक बार उन्हें इन क्षेत्रों में निवेश करने से जीवन भर प्राप्त होने वाले लाभों का अहसास हो जाए तो वे इनकी अवहेलना नहीं करेंगे। इससे उनकी उत्पादकता, दक्षता और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और इस तरह यह मानव पूँजी निर्माण में योगदान देगा।

प्र.11. मानव पूँजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर : आर्थिक संवृद्धि का अर्थ अर्थव्यवस्था में वास्तविक उत्पादन में वृद्धि से है। निश्चित रूप से एक शिक्षित व्यक्ति एक अनपढ़ व्यक्ति की तुलना में वास्तविक उत्पादन में अधिक योगदान दे सकता है। इसी प्रकार से एक स्वस्थ कार्यकर्ता का योगदान एक बीमार कार्यकर्ता से अधिक होगा। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सहित अन्य कई कारक जैसे कार्यस्थल पर प्रशिक्षण, प्रवसन एवं श्रम बाजार की सूचना एक व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ा देता है अतः मानव पूँजी निर्माण की अधिक दर अधिक आर्थिक संवृद्धि में योगदान देती है।

आर्थिक संवृद्धि दर में वृद्धि से धन की उपलब्धता के कारण मानव पूँजी निर्माण दर बढ़ जाती है। अतः इनमें मुर्गी-अंडा संबंध

प्र.12. विश्व भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथ-साथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पाई गई हैं। टिप्पणी करें।
उत्तर : विश्व भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथ विषमताओं में कमी आई है क्योंकि शिक्षा में विस्तार के साथ लोग इंटरनेट के संपर्क में आते हैं और सूचना अधिक सुलभ हो जाती है। वे उन स्थानों पर पलायन करते हैं जहाँ कौशल का अत्यधिक भुगतान किया जाता है। श्रम में यह गतिशीलता मजदूरी दरों को समान स्तर पर ले आता है। यह दुनिया भर में असमानता को कम करता है।

प्र.13. किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका का विश्लेषण करें।
उत्तर : शिक्षा निम्न तरीकों में से एक देश के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(क)
इससे उत्पादन बढ़ता है-शिक्षित और कुशल कर्मियों की उत्पादकता निरक्षर और अकुशल कर्मियों से ज्यादा होती है। यह राष्ट्र की उत्पादकता में वृद्धि करता है।

(ख)
कुशलता और उत्पादकता बढ़ाता है-शिक्षा में निवेश में वृद्धि से कर्मियों की कुशलता और उत्पादकता बढ़ती है।

(ग)
समाज में सकारात्मक प्रभाव लाने में सहायक-शिक्षा लोगों के दृष्टिकोण में धर्म, जाति, लिंग तथा अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और इस तरह आर्थिक-सामाजिक समस्याएँ कम होती हैं।

(घ)
जीवन की गुणवत्ता में सुधार-शिक्षा जीवन को और अधिक गुणात्मक बनाती हैं। एक निरक्षर व्यक्ति के जीवन की तुलना एक शिक्षित व्यक्ति, भले वह आर्थिक गतिविधि में संलग्न न हो, से करें। एक शिक्षित व्यक्ति को एक निरंतर व्यक्ति की तुलना में कई लाभ हैं जो उसके जीवन को अधिक गुणात्मक बनाते हैं।

(ङ)
प्रौद्योगिकी अभिनव-शिक्षा बाजार में नवीनतम तकनीकों एवं नवाचार को लाने में मदद करता है।

प्र.14. किसी व्यक्ति के लिए कार्य के दौरान प्रशिक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर : प्रौद्योगिकी परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है। यह कभी नहीं रूकती। अतः अपनी श्रम शक्ति को अद्यतन करने के लिए हमें उन्हें कार्य के दौरान प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। मान लो एक व्यक्ति ने 1982 में एम.बी.बी.एस. की डिग्री ली। उस समय डेंगू नामक कोई बीमारी नहीं थी। हम एक डॉक्टर को एम.बी.बी.एस. पुनः करने को तो नहीं कह सकते। अतः सेमीनार एक कार्यशालाओं का आयोजन कर सकते हैं जिनमें उन्हें डेंगू के कारण और उसके उपचार के बारे में बताया जाएगा। इसी तरह 1990 के दशक में अपनी बी.एड. की डिग्री लेने वाली शिक्षिका को संभवतः ब्लाग बनाने का तथा अध्यापिका के रूप में इसे प्रयोग करने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया होगा। अतः हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह बी.एड. पुन: करे। ऐसे में कार्यस्थल पर प्रशिक्षण अपनी भूमिका निभाता है। अतः यह मानव पूँजी निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

प्र.15. मानव पूँजी और आर्थिक संवृद्धि के बीच संबंध स्पष्ट करें।
उत्तर : मानव पूँजी और आर्थिक संवृद्धि में एक वृतीय या कारक-प्रभाव संबंध है। मानव पूँजी निर्माण की एक उच्च दर आर्थिक विकास की उच्च दर तथा आर्थिक विकास की उच्च दर मानव पूँजी निर्माण की उच्च दर को बढ़ावा देती है क्योंकि मानव पूंजी में निवेश करने के लिए अधिक साधन उपलब्ध होते हैं। हलाँकि यह अनुभवजन्य साक्ष्य से सिद्ध नहीं होता परंतु सामान्य ज्ञान एवं तर्क इस संबंध को मंजूरी देता है। यह निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखाया गया है।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 (Hindi Medium) 2
प्र.16. भारत में स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन की आवश्यकता पर चर्चा करें।
उत्तर : भारत में महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है क्योंकि

  • इससे स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ती है।
  • उससे उनका सामाजिक औचित्य सुधरता है।
  • यह प्रजनन दर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और इससे जन्म दर कम हो जाती है।
  • इससे स्त्रियों एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्र.17. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकार के विविध प्रकार के हस्तक्षेपों के पक्ष में तर्क दीजिए। (VBQ)
उत्तर : सरकार के लिए निम्नलिखित कारणों से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में हस्तक्षेप करना जरूरी है

  • शिक्षा और सेवाएँ मानव अस्तित्व के लिए आधारभूत सेवाएँ हैं। इन सेवाओं को निजी क्षेत्र के हाथों में जो पूर्णतः लाभ केंद्रित है, सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त नहीं छोड़ा जा सकता।
  • शिक्षा और का प्रभाव जीवन पर्यंत का एवं अपरिवर्तनीय है। कोई सरकारी हस्तक्षेप न होने की स्थिति में यह अर्थव्यवस्था की मानव पूँजी पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।
  • राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए इस क्षेत्र में व्यय आवश्यक है जिसके लिए सरकार को अवश्य हस्तक्षेप करना पड़ेगा।

प्र.18. भारत में मानव पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर : भारत में मानवीय पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ इस प्रकार हैं|

  • सभी को शिक्षा-अभी भी एक सपना-हलाँकि भारतीय संविधान में शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में घोषित कर दिया गया है लेकिन फिर भी युवाओं तक में साक्षरता दर 2001 की जनगणना के अनुसार केरल 79.7% है। इसे 100% होना चाहिए था। इस लक्ष्य को प्राप्त करने वाला केरल एकमात्र राज्य है।
  • लिंग असमानता-पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर में अंतर है। स्वास्थ्य स्थिति भी लिंग असमानता को इंगित करती है। महिला शिक्षा उसके आर्थिक स्वतंत्रता एवं सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए जरूरी है। इससे प्रजनन दर कम होगी एवं महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
  • उच्च शिक्षा लेने वालों की कमी- भारतीय शिक्षा प्रणाली एक पिरामिड जैसी संरचना को इंगित करता है जिसमें कम और कम लोग उच्च शिक्षा की ओर जाते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर अधिक है। अतः हमें उच्च शिक्षा के लिए आबंटनों को बढ़ाने एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों में मानकों में सुधार की आवश्यकता है ताकि पारित विद्यार्थियों के पास रोजगार कौशल हो।

प्र.19. क्या आपके विचार में सरकार को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में लिए जाने वाले शुल्क की संरचना निर्धारित करनी चाहिए? यदि हाँ तो क्यों? (VBQ)
उत्तर : हाँ, मेरे विचार में, सरकार को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में लिए जाने वाले शुल्क की संरचना निम्न कारणों से निर्धारित करनी चाहिए

  • इससे इस क्षेत्र में समरुपता आयेगी।
  • इससे इन संस्थाओं की जवाबदेही में वृद्धि होगी।
  • इससे समाज के कमजोर वर्ग को मदद मिलेगी।
  • इससे ये सेवाएँ सभी को उचित कीमतों पर उपलब्ध करायी जा सकेंगी।

Hope given Indian Economic Developments Class 11 Solutions Chapter 5 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 5 Human Capital Formation in India (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 From Gathering to Growing Food (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 6 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 From Gathering to Growing Food.

पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

1. क्या तुम बता सकते हो कि सबसे पहले कुत्तों को ही पालतू क्यों बनाया गया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-23)
उत्तर : मनुष्य पहले शिकार करके अपना पेट भरता था। कुत्तों की पूँघने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए कुत्ता आने वाले खतरे को भाँपकर पहले ही चौकन्ना कर देता है, इसलिए कुत्ते को सबसे पहले पालतू बनाया गया।

2. क्या तुम्हें लगता है कि शिकारी या भोजन-संग्रह करने वाले बर्तन बनाते और उनका प्रयोग करते होंगे? अपने जवाब का कारण बताओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-24)
उत्तर : शिकारी या भोजन-संग्रह करने वाले बर्तन नहीं बनाते होंगे, क्योंकि वे भोजन की तलाश में सदा एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे तथा वे इतना अधिक भोजन-संग्रहण नहीं करते थे कि भोजन के संग्रहण के लिए बर्तनों की आवश्यकता पड़े।

3. भोजन के अतिरिक्त जानवरों से और क्या-क्या मिल सकता है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-24)
उत्तर :
भोजन के अतिरिक्त जानवरों से हमें निम्नलिखित वस्तुएँ मिलती हैं

  1. जानवरों की खाल से चमड़ा मिलता है।
  2. जानवरों की हड्डियों से औजार बनाए जाते हैं।
  3. जानवरों से सामान ढोने व गाड़ी खींचने का काम होता है।

4. आज जानवरों का उपयोग किसलिए होता है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-24)
उत्तर :
आज जानवरों का उपयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है

  1. गाड़ी खींचने तथा माल ढोने के लिए किया जाता है।
  2. जानवरों की खाल से चमड़ा बनाया जाता है।
  3. जानवरों से दूध प्राप्त किया जाता है।

5. पुरुषों द्वारा किए जाने वाले कामों की एक सूची बनाओ। महिलाएँ क्या-क्या काम करती हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-28)
उत्तर :
पुरुषों द्वारा किए जाने वाले काम- जानवरों को झुंड में चराना, मछली पकड़ना, शिकार करना पुरुषों का काम था।
महिलाओं द्वारा किए जाने वाले काम- खेतों में काम जैसे-जमीन तैयार करना, बीज बोना, पौधों की देखभाल करना, फसल काटना, अनाज कूटना, पीटना जैसे काम करती थीं।

6. कौन-से ऐसे काम हैं, जो स्त्री-पुरुष दोनों करते हैं? (एनसीई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-28)
उत्तर : झोपड़ियाँ बनाना, औजार बनाना, टोकरियाँ बनाना, जानवरों की देखभाल करना, दूध निकालना, बर्तन बनाना आदि।

7. स्तर 2 और 3 को देखो। कौन-सा ज्यादा पुराना है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-29)
उत्तर : स्तर 3 ज्यादा पुराना है।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-30)

एटलस में तुर्की हूँढ़ो। नवपाषाण युग के सबसे प्रसिद्ध पुरास्थलों में एक चताल ह्यूक तुर्की में है। यहाँ दूर-दराज स्थानों से कई चीजें लाई जाती थीं और उनका उपयोग किया जाता था। जैसे सीरिया से लाया गया चकमक पत्थर, लाल सागर की कौड़ियाँ तथा भूमध्य सागर की सीपियाँ। ध्यान रहे कि उस समय तक पहिए वाले वाहन का विकास नहीं हुआ था। लोग सामान खुद या जानवरों की पीठ पर लादकर ले जाया करते थे।

बताओ कौड़ियों तथा सीपियों का क्या उपयोग होता होगा?
उत्तर : कौड़ियों तथा सीपियों का उपयोग शायद आकर्षक आभूषणों को बनाने में होता होगा।

कल्पना करो
अगर तुम्हारे पास जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा हो तो तुम उसमें कौन-सी फसल उगाओगी। बीज कहाँ से मिलेंगे? और तुम उन्हें कैसे बोओगी? अपने पौधों की देखभाल तुम कैसे करोगी? और कैसे यह समझोगी कि अब फ़सल काटने लायक हो गई है?
उत्तर :

  1. अपने क्षेत्र में बोई जाने वाली खाद्य फसल उगाएँगे।
  2. बीज बाजार से खरीदेंगे।
  3. जमीन की जुताई करने के बाद फसल बोएँगे।
  4. फसल की निराई-गुड़ाई, कीटनाशक का छिड़काव, उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई, पक्षियों व जानवरों से रक्षा करेंगे।
  5. सभी फसलों की एक निश्चित अवधि होती है तथा फसल पकने के बाद पीली हो जाती है। इसी आधार पर हम फसल की कटाई करेंगे।

प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1: खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे?
उत्तर : खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक रहते थे, क्योंकि भूमि को कृषि योग्य बनाने, बीजों को बोने, फसल की देखभाल तथा फसल के पकने के लिए एक लंबे समय की आवश्यकता होती थी। इसलिए खेती करने वाले लोगों को एक ही स्थान पर लंबे समय तक रहना पड़ता था।

2. पृष्ठ 25 की तालिका को देखो। नेइनुओ अगर चावल खाना चाहती है, तो उसे किन स्थानों पर जाना चाहिए
उत्तर : नेइनुओ को चावल खाने के लिए कोल्डिहवा (आधुनिक उत्तर प्रदेश) या महागढ़ (आधुनिक उत्तर प्रदेश) जाना चाहिए। |

3. पुरातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे, और बाद में उनके लिए पशुपालन ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया?
उत्तर : पुरातत्त्वविदों द्वारा मेहरगढ़ की खुदाई में सबसे नीचे के स्तरों से जिन जानवरों की हड्डियाँ मिली हैं, उनमें हिरण । तथा जंगली सुअर प्रमुख हैं, जिससे पता चलता है कि इस अवस्था में मानव केवल शिकार पर निर्भर था, इसके ऊपर के स्तरों में भेड़ तथा बकरियों की हड्डियाँ ज्यादा मिली हैं, इससे पता चलता है कि इस काल में लोगों ने पशुपालन करना आरंभ कर दिया था।

4. सही या गलत बताओ।
(क) हल्लूर में ज्वार-बाजरा मिला है।
(ख) बुर्जहोम में लोग आयताकार घरों में रहते थे।
(ग) चिरौद कश्मीर का एक पुरास्थल है।
(घ) जेडाइट, जो दाओजली हेडिंग में मिला है, चीन से लाया गया होगा।
उत्तर :
(क) सही
(ख) गलत
(ग) गलत
(घ) सही

आओ चर्चा करें।

5. कृषकों-पशुपालकों का जीवन शिकारी-खाद्य संग्राहकों के जीवन से कितना भिन्न था, तीन अंतर बताओ।
उत्तर : अंतर

  1. कृषकों-पशुपालकों का जीवन स्थायी था, जबकि शिकारी-खाद्य संग्राहक का जीवन अस्थायी था, क्योंकि वे भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते थे।
  2. कृषकों-पशुपालकों को भोजन कृषि उत्पादों तथा पालतू पशुओं पर आधारित होता था, जबकि शिकारी-खाद्य संग्राहकों का जीवन जंगली जानवरों व अन्य उत्पादों पर आधारित होता था।
  3. कृषकों-पशुपालकों ने अपने रहने के लिए आवासों का निर्माण करना आरंभ कर दिया था, जबकि शिकारी-खाद्य संग्राहक प्रायः गुफाओं और कंदराओं में रहते थे।

6. पृष्ठ 25 की तालिका में दिए गए जानवरों की एक सूची बनाओ और यह भी बताओ कि इनका उपयोग किस रूप में किया जाता था।
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 (Hindi Medium) 1

आओ करके देखें

7. तुम जिन अनाजों को खाते हो उनकी एक सूची बनाओ।
उत्तर : हम निम्नलिखित अनाजों को खाते हैं

  1. गेहूँ
  2. चावल
  3. बाजरा
  4. मक्का
  5. ज्वार
  6. जौ

8. प्रश्न 7 के उत्तर में लिखे अनाजों को क्या तुम स्वयं उगाते हो? अगर हाँ, तो एक तालिका बनाकर उसकी खेती की विभिन्न अवस्थाओं को दिखाओ। अगर नहीं, तो एक तालिका बनाकर दिखाओ कि ये अनाज किसान से लेकर तुम्हारे पास तक कैसे पहुँचे।
उत्तर : छात्र स्वयं करें।

Hope given NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 3 (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 6 Rural Development (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 6 Rural Development (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 6 Rural Development (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Economics. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Developments Chapter 6 Rural Development.

प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. ग्रामीण विकास का क्या अर्थ है? ग्रामीण विकास से जुड़े मुख्य प्रश्नों को स्पष्ट करें।
उत्तर : ग्रामीण विकास एक व्यापक शब्द है जो एक ग्राम के चहुँमुखी विकास में बाधा उत्पन्न करने वाले सभी क्षेत्रों पर केंद्रित है। ग्रामीण विकास से जुड़े मुख्य प्रश्न इस प्रकार हैं
(क) आधारिक संरचना का विकास- यह ग्रामीण विकास में एक प्राथमिक प्रश्न है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं

  1. साख सुविधाओं की व्यवस्था;
  2. ग्रामीण बाजारों का विकास तथा इनका शहरी बाजारों के साथ एकीकरण;
  3. परिवहन एवं संचार के साधनों, बैंकिंग सुविधाओं, बीमा सुविधाओं आदि का विकास;
  4. उत्पादन एवं घरेलू इकाइयों के लिए बिजली की उपलब्धता;
  5. सिंचाई के स्थायी साधनों का विकास;
  6. कृषि अनुसंधान और विकास के लिए सुविधाएँ।

(ख) मानव पूँजी निर्माण- भारत में ग्रामीण क्षेत्र शिशु मृत्यु दर, निरक्षरता, निर्धनता, बेरोजगारी, जीवन प्रत्याशा में कमी, पोषक स्तर में कमी में शहरी क्षेत्रों से आगे हैं। यह स्पष्ट करता है कि ग्रामीण क्षेत्र मानव पूँजी निर्माण के लिए कराह रहे हैं।

(ग) निर्धनता उन्मूलन- 
व्यक्तिगत स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक इलाके के उत्पादक संसाधनों की पहचान की जाए तथा गैर-कृषि गतिविधि के विकास के लिए उन्हें विकसित किया जाए। मौसमी और प्रच्छन्न बेरोजगारी का उन्मूलन करना आवश्यक है जो ग्रामीण निर्धनता का प्रमुख कारण है।

(घ) भू-सुधार- 
भू-सुधार भूमि को ज्यादा समानतापूर्वक पुनर्वितरित करने और उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है।

प्र.2. ग्रामीण विकास में साख के महत्त्व पर चर्चा करें।
उत्तर : कृषि में फसल की बुआई और आय प्राप्ति के बीच एक लंबा अंतराल है, किसानों को ऋण की बहुत जरूरत होती है। किसानों को बीज, उर्वरक, औजारों की प्रारंभिक निवेश के लिए तथा अन्य पारिवारिक व्ययों के लिए मुख्यतः जब वे मौसमी बेरोजगार होते हैं, धन की आवश्यकता होती है। अत: साख एक मुख्य कारक है जो ग्रामीण विकास में योगदान देता है। यदि संस्थागत स्रोत उपलब्ध नहीं होंगे तो किसान गैर-संस्थागत स्रोतों से ऋण लेगा जिससे ऋण की तथा इस तरह उत्पादन की लागत बढ़ेगी।

प्र.3. गरीबों की ऋण आवश्यकताएँ पूरी करने में अतिलघु साख व्यवस्था की भूमिका की व्याख्या करें।
उत्तर : स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.) जिन्हें अतिलघु साख कार्यक्रम भी कहा जाता है, ग्रामीण ऋण के संदर्भ में एक उभरती हुई घटना है।

(क)
स्वयं सहायता समूह ग्रामीण परिवारों में बचत को बढ़ावा देते हैं। एस.एच.जी. छोटी बचतों को जुटाकर अपने अलग-अलग सदस्यों को ऋण के रूप में देने की पेशकश करते हैं।

(ख)
स्वयं सहायता समूहों द्वारा ऋण औपचारिक ऋण की तुलना में बेहतर है क्योंकि यह बिना कुछ गिरवी रखे ब्याज की एक सामान्य दर पर दिया जाता है।

(ग)
मार्च 2003 तक 7 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह कार्यशील थे।

(घ)
यह लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि इनसे निर्धनों को बिना कुछ गिरवी रखे कम ब्याज दरों पर न्यूनतम कानूनी औपचारिकताओं के साथ ऋण मिल जाता है।

प्र.4, सरकार द्वारा ग्रामीण बाजारों के विकास के लिए किए गए प्रयासों की व्याख्या करें।
उत्तर : सरकार द्वारा ग्रामीण बाज़ारों के विकास के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए।

(क) बाजारों का विनियमने- 
पहला कदम व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दशाओं का निर्माण करने के लिए बाजार का नियमन था। कुल मिलाकर इसे नीति का किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ हुआ।

(ख) भौतिक आधारिक संरचना का प्रावधान- 
दूसरा उपाय सड़कों, रेलमार्गों, भंडारण गृहों, गोदामों, शीत भंडारण गृहों, प्रसंस्करण इकाइयों आदि भौतिक बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान है।

(ग) सहकारी विपणन- 
सरकार के तीसरे उपाय में सरकारी विपणन द्वारा किसानों को अपने उत्पादन का उचित मूल्य सुलभ कराना है। गुजरात तथा देश के अन्य कई भागों में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों ने ग्रामीण अंचलों के सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्य का कायाकल्प कर दिया।

(घ) नीतिगत साधन- 
चौथे उपाय के अंतर्गत नितिगत साधन हैं जैसे

  1. कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत का निर्धारण करना;
  2. भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूँ और चावल के सुरक्षित भंडार का रख-रखाव और
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्यान्नों और चीनी का वितरण।

इन साधनों का ध्येय क्रमशः किसानों को उपज के उचित दाम दिलाना तथा गरीबों को सहायिकी युक्त कीमत पर वस्तुएँ । उपलब्ध कराना रहा है।

प्र.5. आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर : आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण आवश्यक है क्योंकि
(क) कृषि एक मौसमी गतिविधि है, अतः इसे अन्य गतिविधियों द्वारा पूरक बनाने की आवश्यकता है।
(ख) अजीविका के लिए पूर्णत: खेती पर निर्भर करने में बहुत खतरा है।
(ग) यह ग्रामीण लोगों को अनुपूरक लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एवं आय के उच्च स्तर द्वारा निर्धनता उन्मूलने में सक्षम बनाता है।

प्र.6. भारत के ग्रामीण विकास में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर : बैंकिंग प्रणाली के तेजी से विस्तार का ग्रामीण कृषि एवं गैर कृषि उत्पादन, आय और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हरित क्रांति के बाद, ऋण सुविधाओं ने किसानों को अपनी उत्पादन आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऋण की विविधताओं का लाभ उठाने में मदद की। अनाज के सुरक्षित भंडारों के चलते अकाल अतीत की घटना बन चुके हैं।

तब भी ग्रामीण बैंकिंग द्वारा निम्नलिखित समस्याओं का सामना किया जा रहा है
(क) अपर्याप्तता- देश में उपलब्ध ग्रामीण साख की मात्रा उसकी माँग की तुलना में आज भी बेहद अपर्याप्त है।
(ख) संस्थागत स्रोतों की अपर्याप्त कवरेज- संस्थागत ऋण व्यवस्था असफल रही है क्योंकि यह पूरे देश के ग्रामीण किसानों को कवर करने में विफल रहा है।
(ग) अपर्याप्त राशि की मंजूरी- किसानों के लिए मंजूर ऋण की राशि भी अपर्याप्त है।
(घ) सीमांत या निर्धन किसानों की ओर कम ध्यान- जरूरतमंद किसानों की ऋण आवश्यकताओं पर कम ध्यान दिया गया है।

(ङ) बढ़ती देय राशि- 
कृषि ऋण में अतिदेय राशि की समस्या चिंता का एक विषय बना हुआ है। लंबे समय से कृषि ऋण का भुगतान न कर पाने वालों की दरों में वृद्धि हुई है। 50% से अधिक उधारकर्ताओं को जानबूझकर ऋण का भुगतान न करने वालों की श्रेणी में रखा गया है। यह बैंकिंग प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए एक खतरा है और इसे नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।

सुधारों के बाद से कृषि बैंकिंग क्षेत्र के विस्तार एवं वृद्धि ने एक पिछला स्थान ले लिया है। वाणिज्यिक बैंकों के अतिरिक्त अन्य औपचारिक संस्थान जमा संग्रहण की एक संस्कृति, ज़रूरतमदों के लिए ऋण एवं प्रभावी ऋण वसूली करने में विफल रहे हैं।

परिस्थिति में सुधार करने के लिए

(क) बैकों का अपना दृष्टिकोण केवल उधारदाताओं से बदलकर बैंकिंग संबंधों के निर्माण के रूप में बनाया जाना चाहिए।
(ख) किसानों को बचत और वित्तीय संसाधनों के कुशल उपयोग की आदत विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

प्र.7. कृषि विपणन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर : कृषि विपणन एक प्रक्रिया है जिसमें देशभर में उत्पादित कृषि उत्पादों का संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, बैंकिंग, वर्गीकरण और वितरण शामिल है। भारतीय कृषि बाजार असक्षम और कुछ हद तक आदिमकाल के हैं। न्यूनतम समर्थन कीमत गेहूँ और चावल के पक्षों में पक्षपाती है। व्यवसायीकृत भारतीय कृषि ने संसाधन पूर्ण क्षेत्रों को अधिक लाभान्वित किया। पिछड़े क्षेत्रों में विपणन संरचनाएँ काफी हद तक व्यावसायिक रूप से कार्य नहीं करते।

प्र.8. कृषि विपणन प्रक्रिया की कुछ बाधाएँ बताइए।
उत्तर : कृषि विपणन प्रक्रिया की कुछ बाधाएँ इस प्रकार हैं
(क) कृषि बाजार पर अभी भी निजी क्षेत्र का प्रभुत्व है। कुल उत्पादन का केवल 10% सहकारी समितियों को मिलता है। शेष निजी क्षेत्र को जाता है।

(ख)
उचित भंडारण सुविधाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में आज तक भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण उत्पादन का 10% उत्पादन हर वर्ष भंडारण सुविधाओं के कारण बर्बाद हो जाता है।

(ग)
आज भी बारहमासी सड़कों की कमी है। ऐसी परिस्थितियों में जब भंडारण सुविधाएँ नहीं हैं कि वे सही बाजार स्थितियों का इंतज़ार कर सकें, सड़कें इतनी सही नहीं हैं कि वे अपना उत्पादन विनियमित बाजारों में जाकर बेच सकें तो वे अपनी फसलें कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर हैं।

(घ)
भारतीय किसानों में बाजार की जानकारी एवं सूचना की कमी है। बाजार की मौजूदा कीमतों की जानकारी के अभाव में वे अपना उत्पादन कम कीमतों पर बेचने को मजबूर हैं।

प्र.9, कृषि विपणन की कुछ उपलब्ध वैकल्पिक माध्यमों के उदाहरण सहित चर्चा करें।
उत्तर : कृषि विपणन के लिए उपलब्ध कुछ वैकल्पिक माध्यम इस प्रकार हैं
(क) प्रत्यक्ष बाज़ार- कुछ ऐसे बाज़ार शुरू किए गए हैं जहाँ किसान स्वयं ही उपभोक्ता को अपना उत्पादन बेच सके और मध्यस्थों का अंत हो। इसके उदाहरण हैं-पंजाब, राजस्थान, हरियाणा में अपनी मंडी, पूणे की हाडपसार मंडी आदि।
(ख) बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी भारतीय कंपनियों के साथ गठबंधन- कुछ किसानों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा फूड चेन के साथ गठबंधन किया है और वे एक पूर्व निर्धारित कीमत पर इन कंपनियों को सीधा अपना उत्पादन बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। परंतु उनसे एक गुणवत्ता फसल उत्पादन वांछनीय होता है।

  1. बहुत बार ये कंपनियाँ कृषि आदान और कभी-कभी फसल बीमा भी उपलब्ध कराते हैं।
  2. वे एक पूर्व निर्धारित कीमत पर उत्पादन खरीदने का भी आश्वासन देते हैं।
  3. इससे किसानों को जोखिम कम हो जाता है और उनका उत्पादन बढ़ जाता है।

प्र.10. ‘स्वर्णिम क्रांति’ और ‘हरित क्रांति’ में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर : स्वर्णिम क्रांति- हरित क्रांति अक्टूबर 1965 में कृषि उत्पादन की वृद्धि के लिए शुरू की गई एक रणनीति थी जिसके अंतर्गत उच्च पैदावार वाली किस्म (HYV) के बीज, उर्वरक, सिंचाई सुविधाएँ, कीटनाशक आदि उपलब्ध कराए गए।

हरित क्रांति- 1991-2003 की अवधि को स्वर्णिम क्रांति कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में बागवानी में नियोजित निवेश अत्यधिक उत्पादक बन गया और यह क्षेत्र एक स्थायी आजीविका के विकल्प के रूप में उभरा।।

प्र.11. क्या सरकार द्वारा कृषि विपणन सुधार के लिए अपनाए गए विभिन्न उपाय पर्याप्त हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर : नहीं, मुझे नहीं लगता कि सरकार द्वारा कृषि विपणन के लिए अपनाए गए विभिन्न उपाय पर्याप्त हैं।
(क) भारतीय कृषि बाज़ार अकुशल हैं तथा बहुत हद तक आदिमकाल के हैं।
(ख) न्यूनतम समर्थन कीमत नीति गेहूँ एवं चावल की फसलों के पक्ष में पक्षपाती हैं।
(ग) व्यावसायिक भारतीय कृषि ने संसाधन पूर्ण क्षेत्रों को अधिक लाभान्वित किया है।
(घ) पिछड़े क्षेत्रों में विपणन संरचनाएँ काफी हद तक व्यावसायिक रूप से कार्य नहीं करते।

प्र.12. ग्रामीण विविधीकरण में गैर-कृषि रोजगार का महत्त्व बताइए।
उत्तर : विविधीकरण का तात्पर्य तो फसल विविधीकरण से है या उत्पादन गतिविधियों के विविधीकरण से, जिसका अर्थ है कृषि गतिविधियों से गैर-कृषि गतिविधियों में स्थानांतरित होना। इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल है:

(क)
कृषि प्रसंस्करण गतिविधियाँ, खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियाँ, चमड़ा उद्योग, हस्तशिल्प, पर्यटन, मिट्टी के बर्तन बनाना, हथकरघा आदि।

(ख)
पशुपालन- पशुधन आय की स्थिरता एवं खाद्य एवं पोषकता सुरक्षा को बढ़ा देता है तथा 70 मिलियन सीमांत एवं छोटे किसानों को वैकल्पिक रोज़गार का साधन प्रदान करता है। आपरेशन फ्लड’ के द्वारा 1960-2002 के बीच भारत का दुग्ध उत्पादन चार गुणा बढ़ा।

(ग)
मत्स्य पालन- कुल मछली उत्पादन का सकल घरेलू उत्पाद में 1.4% का योगदान हैं मत्स्य क्षेत्र निम्न आय स्तर, श्रम की गतिशीलता के निम्न स्तर एवं निरक्षरता के उच्च स्तरों से ग्रस्त है। निर्यात बाजार का 60% तथा 40% आंतरिक मत्स्य व्यापार का संचालन महिलाओं के हाथ में है।

(घ)
उद्यान विज्ञान- 1991 से 2003 की अवधि को स्वर्णिम क्रांति कहा जाता है। इसी दौरान बागवानी में सुनियोजित निवेश बहुत ही उत्पादक सिद्ध हुआ और इस क्षेत्रक ने एक धारणीय वैकल्पिक रोजगार का रूप धारण किया। बागवानी में लगे कितने ही कृषकों की आर्थिक दशा में बहुत सुधार हुआ है। ये उद्योग अब अनेक वंचित वर्गों के लिए आजीविका को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हुए हैं।

प्र.13. विविधीकरण के स्रोत के रूप में पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी के महत्त्व पर टिप्पणी करें।
उत्तर : पशुपालन का महत्त्वः भारत में कृषक समुदाय प्रायः मिश्रित कृषि पशुधन व्यवस्था का अनुसरण करता है। इसमें गाय-भैंस और मुर्गी-बत्तख बहुतायत में पाई जाने वाली प्रजातियाँ हैं।
(क) मवेशियों के पालन से परिवार की आय में अधिक स्थिरता आती है। साथ ही खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ईंधन, पोषण आदि की व्यवस्था भी परिवार की अन्य खाद्य उत्पादक (कृषक) गतिविधियों में अवरोध के बिना ही प्राप्त हो जाती है।
(ख) आज पशुपालन क्षेत्रक देश के 7 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों को आजीविका कमाने के वैकल्पिक साधन सुलभ करा रहे हैं।
(ग) महिलाओं की भी एक बड़ी संख्या इस क्षेत्र से रोज़गार पाती हैं।

मत्स्य पालन का महत्त्वः
आजकल देश के समस्त मत्स्य उत्पादन का 49% अंर्तवर्ती देशों और 51% महासागरीय क्षेत्रों से प्राप्त हो रहा है।
(क) यह मत्स्य उत्पादन सकल घरेलू उत्पाद का 1.4% है।
(ख) सागरीय उत्पादकों में प्रमुख राज्य केरल, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु हैं।।
(ग) यद्यपि महिलाएँ मछलियाँ पकड़ने के काम में नहीं लगी हैं पर 60% निर्यात और 40% आंतरिक मत्स्य व्यापार को संचालन इन्हीं के हाथों में है।

उद्यान विज्ञान
( बागवानी) का महत्त्वः 1991-2003 के बीच अवधि को ‘स्र्वाणमि क्रांति कहा जाता है।
(क) भारत आम, केला, नारियल, काजू जैसे फलों और अनेक मसालों के उत्पादन में आज विश्व का अग्रणी देश माना जाता है।
(ख) फल-सब्जियों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।
(ग) बागवानी में लगे बहुत से कृषकों की दशा में बहुत सुधार हुआ है। पुष्पारोपण, पौधशाला की देखभाल, संकर बीजों का उत्पादन, ऊतक-संवर्धन, फल-फूलों का संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण ग्रामीण महिलाओं के लिए अब अधिक आय वाले रोज़गार बन गए हैं।

प्र.14, ‘सूचना प्रौद्योगिकी, धारणीय विकास तथा खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान करती है।’ टिप्पणी करें।
उत्तर : सूचना प्रौद्योगिकी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रकों में क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिए हैं। 21वीं शताब्दी में देश में खाद्य सुरक्षा और धारणीय विकास में सूचना प्रौद्योगिकी निर्णायक योगदान दे सकती है।

(क)
सूचनाओं और उपयुक्त सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सरकार सहजे ही खाद्य असुरक्षा की आशंका, वाले क्षेत्रों का समय रहते अनुमान लगा सकती है।
(ख) कृषि क्षेत्र में तो इसके विशेष योगदान हो सकते हैं। इस प्रौद्योगिकी द्वारा उदीयमान तकनीकों, कीमतों, मौसम तथा विभिन्न फसलों के लिए मृदा की दशाओं की उपयुक्त जानकारी का प्रसारण हो सकता है।
(ग) इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की संभावना भी है।
(घ) इसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक गाँव को एक ज्ञान केंद्र बनाना है।

प्र.15. जैविक कृषि क्या है? यह धारणीय विकास को किस प्रकार बढ़ावा देती है?
उत्तर : जैविक कृषि का अर्थः जैविक कृषि प्राकृतिक रूप से खाद्यान्न उगाने की प्रक्रिया है। यह विधि रासायनिक उर्वरक और विषजन्य कीटनाशकों के प्रयोग की अवहेलना करती है।

धारणीय विकास का अर्थः यह वह विकास है जो वर्तमान पीढ़ी के विकास के लिए भावी पीढ़ी की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करता। यह संसाधनों के प्रयोग को निषेध नहीं करता परंतु उनके उपयोग को इस तरह प्रतिबंधित करने का लक्ष्य रखता है कि वे भविष्य पीढ़ी के लिए बचे रहें।

जैविक कृषि तथा धारणीय विकास के अर्थ से यह स्पष्ट है कि यदि जैविक कृषि किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक, विषजन्य कीटनाशक आदि का प्रयोग नहीं कर रही तो यह भूमि क्षरण में योगदान नहीं करेगी। यह महँगे कृषि आदानों जैसे संकर बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों आदि को स्थानीय स्तर पर उत्पादित जैविक आदान विकल्पों से प्रतिस्थापित करते हैं। यदि भूमि का क्षरण नहीं हो रहा तो यह एक पर्यावण अनुकूल कृषि विधि है। अतः यह धारणीय विकास को बढ़ावा देती है।

प्र.16. जैविक कृषि के लाभ और सीमाएँ स्पष्ट करें।
उत्तर : लाभः

(क) जैविक कृषि महँगे आगतों जैसे संकर बीजों, रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के स्थान पर स्थानीय रूप से बने जैविक आगतों के प्रयोग पर निर्भर होती है।
(ख) ये आगते सस्ती होती हैं और इसके कारण इन पर निवेश से प्रतिफल अधिक मिलता है।
(ग) विश्व बाजारों में जैविक कृषि उत्पादों की बढ़ती हुई माँग के कारण इनके निर्यात से भी अच्छी आय हो सकती है।
(घ) जैविक कृषि हमें परंपरागत कृषि की तुलना में अधिक स्वास्थ्यकर भोजन उपलब्ध कराती है।
(ङ) ये उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय विधियों द्वारा उत्पादित होते हैं।
(च) यह छोटे किसानों के लिए अधिक उपयुक्त हैं जो महँगे कीटनाशक, उर्वरक तथा अन्य आगतों का खर्च नहीं उठा सकते।

सीमाएँ:
(क) प्रारंभिक वर्षों में जैविक कृषि की लागत रासायनिक कृषि से उच्च रहती है।
(ख) जैविक कृषि की लोकप्रियता के लिए नई विधियों का प्रयोग करने में किसानों की इच्छाशक्ति और जागरूकता जगाना आवश्यक है।
(ग) इन उत्पादों के लिए अलग से कोई उचित आधारिक संरचना एवं विपणन सुविधाओं की कमी है। जैविक कृषि के लिए एक उपयुक्त कृषि नीति अपनाई जानी चाहिए।
(घ) प्रारंभिक वर्षों में जैविक कृषि से उत्पादन, रासायनिक कृषि से उत्पादकता से कम होता है। अत: बहुत बड़े स्तर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसे अपनाना कठिन होता है।
(ङ) बे मौसमी फसलों का जैविक कृषि में उत्पादन बहुत सीमित होता है।
(च) जैविक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थ महँगे होते हैं। अत: भारत जैसे गरीब देश इसका वहन नहीं कर सकता।

प्र.17. जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को प्रारंभिक वर्षों में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर : जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को प्रारंभिक वर्षों में निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है
(क) प्रारंभिक वर्षों में जैविक कृषि का उत्पादन रासायनिक कृषि से कम होता है, अत: बहुत बड़े स्तर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसे अपनाना कठिन होता है।
(ख) यह प्रारंभिक वर्षों में उपभोक्ताओं में भी कम प्रचलित होता है। कोई विपणन सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती।
(घ) जैविक उत्पादों की रासायनिक उत्पादन की तुलना में जल्दी खराब होने की संभावना रहती है। बे मौसमी फसलों का जैविक कृषि में उत्पादन बहुत सीमित होता है।

Hope given Indian Economic Developments Class 11 Solutions Chapter 6 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 6 Rural Development (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 Motions of the Earth (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 6 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 Motions of the Earth.

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कोण क्या है?
उत्तर सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी एक ओर कुछ झुकी रहती है। यह झुकाव कोण 66 1/2° है।

(ii) घूर्णन एवं परिक्रमण को परिभाषित करें।
उत्तर

  • घूर्णन – पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना घूर्णन कहलाता है। पृथ्वी अपना एक घूर्णन 24 घंटे में पूरा करती है। इसी से दिन और रात बनते हैं।
  • परिक्रमण – सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्षा/कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।

(iii) लीप वर्ष क्या है?
उत्तर यह वह वर्ष होता है जिसमें फरवरी माह 28 दिनों के स्थान पर 29 दिन की होती है। इस प्रकार लीप वर्ष में 365 दिनों के स्थान पर 366 दिन होते हैं। लीप वर्ष प्रत्येक चार वर्ष के बाद आता है।

(iv) उत्तर एवं दक्षिण अयनांतों में अंतर बताइए।
उत्तर

  • उत्तर अयनांत – 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है, जबकि इसी समय दक्षिणी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन तथा सबसे लंबी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं।
  • दक्षिण अयनांत – 22 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है, जबकि इसी समय उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन तथा सबसे लंबी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिणी अयनांत कहते हैं।

(v) विषुव क्या है?
उत्तर 21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत् वृत्त पर सीधी पड़ती हैं। इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की ओर नहीं झुका होता है, इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं। इसे विषुव कहा जाता है।

(vi) दक्षिणी गोलार्ध में उत्तरी गोलार्ध की अपेक्षा उत्तर एवं दक्षिण का अयनांत अलग-अलग समय में होता है, क्यों?
उत्तर जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका होता है तो सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं, इसलिए उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है और जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है तो सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं, इसलिए दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु तथा उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है।

(vii) ध्रुवों पर लगभग 6 महीने का दिन एवं 6 महीने की रात होती है, क्यों?
उत्तर जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका होता है तो पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने के कारण उत्तरी ध्रुव पर लगातार 6 महीने तक सूर्य की किरणें पड़ती हैं जिससे 6 महीने का दिन होता है, इसके विपरीत दक्षिणी ध्रुव पर 6 महीने की रात होती है। जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है तो दक्षिणी ध्रुव पर लगातार 6 महीने सूर्य की किरणें पड़ती हैं जिससे 6 महीने का दिन होता है तथा उत्तरी ध्रुव पर सूर्य की किरणें 6 महीने तक नहीं मिलती हैं जिससे वहाँ 6 महीने की रात होती है।

2. सही उत्तर चिह्नित (✓) कीजिए।

(i) पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर की गति को कहा जाता है

(क) घूर्णन
(ख) परिक्रमण
(ग) झुकाव

(ii) सूर्य की सीधी किरणें विषुवत् वृत्त पर किस दिन पड़ती हैं?

(क) 21 मार्च
(ख) 21 जून ।
(ग) 22 दिसंबर

(iii) गर्मी में क्रिसमस का पर्व कहाँ मनाया जाता है?

(क) जापान
(ख) भारत
(ग) ऑस्ट्रेलिया

(iv) ऋतुओं में परिवर्तन पृथ्वी की किस गति के कारण होता है?

(क) घूर्णन
(ख) परिक्रमण
(ग) गुरुत्वाकर्षण

उत्तर

  1. (ख) परिक्रमण
  2. (क) 21 मार्च
  3. (ग) ऑस्ट्रेलिया
  4. (ख) परिक्रमण

3. खाली स्थान भरें।

  1. एक लीप वर्ष में दिनों की संख्या ………………… होती है।
  2. पृथ्वी की प्रतिदिन की गति को …………………….. कहते हैं।
  3. पृथ्वी सूर्य के चारों ओर ……………………….. कक्षा में घूमती है।
  4. 21 जून को सूर्य की किरणें ………………….. रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
  5. …………………… ऋतु में दिन छोटे होते हैं।

उत्तर

  1. 366
  2. घूर्णन
  3. स्थिर
  4. कर्क
  5. शीत

आओ कुछ करें

1. पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव को दर्शाने के लिए एक चित्र बनाइए।
उत्तर

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 (Hindi Medium) 1

2. प्रत्येक महीने की 21 तारीख को होने वाले सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समयों को स्थानीय समाचार-पत्र की सहायता से लिखिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए :
(अ) किस महीने के दिन सबसे छोटे हैं?
(ब) किन महीनों में दिन एवं रात बराबर होते हैं?
उत्तर
(अ) दिसंबर
(ब) मार्च और सितंबर

Hope given NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 (Hindi Medium) Read More »

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 Collection of Data (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 Collection of Data (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 Collection of Data (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Economics. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 Collection of Data.

प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. निम्नलिखित प्रश्नों के लिए कम से कम चार उपयुक्त बहुविकल्पीय वाक्यों की रचना करें।

(क) जब आप एक नई पोशाक खरीदें तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
(ख) आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं?
(ग) निम्नलिखित में से आप किस समाचार-पत्र को नियमित रूप से पढ़ते हैं?
(घ) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि क्या न्यायोचित है? (ङ) आपके परिवार की मासिक आमदनी कितनी है?

उत्तर

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 (Hindi Medium) 1

प्र.2. पाँच द्विमार्गी प्रश्नों की रचना करें (हाँ / नहीं के साथ)।
उत्तर

(क) क्या आपको फिल्में देखना पसंद है?
(ख) यदि आपका मित्र परीक्षा में नकल कर रहा है तो क्या आप अध्यापिका को बतायेंगे?
(ग) क्या आपका शादीशुदा हैं?
(घ) क्या आप कार्यरत हैं?
(ङ) क्या आपके पास कोई वाहन है?

प्र.3. सही विकल्प को चिह्नित करें।
(क) आँकड़ों के अनेक स्रोत होते हैं (सही / गलत)।
(ख) आँकड़ा संग्रह के लिए टेलीफोन सर्वेक्षण सर्वाधिक उपयुक्त विधि है, विशेष रूप से जहाँ पर जनता निरक्षर हो और दूर-दराज के काफी बड़े क्षेत्रों में फैली हो (सही / गलत)।
(ग) सर्वेक्षक / शोधकर्ता द्वारा संग्रह किए गए आँकड़े द्वितीयक आँकड़े कहलाते हैं (सही / गलत)। (घ) प्रतिदर्श के अयादृच्छिक चयन में पूर्वाग्रह (अभिनति) की संभावना रहती है (सही / गलत)।
(ङ) अप्रतिचयन त्रुटियों को बड़ा प्रतिदर्श अपनाकर कम किया जा सकता है (सही / गलत)।
उत्तर

(क) सही
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) गलत
(ङ) गलत

प्र.4. निम्नलिखित प्रश्नों के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आपको इन प्रश्नों की कोई समस्या दिख रही है? यदि हाँ, तो कैसे?

(क) आप अपने सबसे नजदीक के बाजार से कितनी दूर रहते हैं?
(ख) यदि हमारे कूड़े में प्लास्टिक थैलियों की मात्रा 5 प्रतिशत है तो क्या इन्हें निषेधित किया जाना चाहिए?
(ग) क्या आप पेट्रोल की कीमत में वृद्धि का विरोध नहीं करेंगे?
(घ) क्या आप रासायनिक उर्वरक के उपयोग के पक्ष में हैं?
(ङ) क्या आप अपने खेतों में उर्वरक इस्तेमाल करते हैं?
(च) आपके खेत में प्रति हेक्टेयर कितनी उपज होती है?

उत्तर
(क) इसे एक बहुविकल्पीय प्रश्न के रूप में रचा जाना चाहिए जिसके विकल्प निम्नलिखित हो सकते हैं

  1. 1 किमी से कम
  2. 1-3 किमी
  3. 3-5 किमी
  4. 5 किमी से अधिक

(ख) इसे द्विमार्गी प्रश्न होना चाहिए जिसमें हाँ या नहीं के विकल्प हों।
(ग) एक प्रश्न ऋणात्मकता रूप से नहीं रखा होना चाहिए। इसे हम इस प्रकार कह सकते थे क्या आप पेट्रोल की कीमत में वृद्धि का विरोध करेंगे?
(घ) प्रश्नों का क्रम उचित नहीं है। प्रश्नों का क्रम निम्नलिखित रूप से होना चाहिए।

  • रासायनिक उर्वरक का प्रयोग फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसलिए हम इसके उपयोग के पक्ष में हैं।

(ङ) हाँ, हम अपने खेतों में उर्वरक इस्तेमाल करते हैं।
(च) 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

प्र.5. आप बच्चों के बीच शाकाहारी आटा नूडल की लोकप्रियता का अनुसंधान करना चाहते हैं। इस उद्देश्य से सूचना-संग्रह करने के लिए एक उपयुक्त प्रश्नावली बनाएँ।
उत्तर

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 (Hindi Medium) 2NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 (Hindi Medium) 3

प्र.6. 200 फार्म वाले एक गाँव में फसल उत्पादन के स्वरूप पर एक अध्ययन आयोजित किया गया। इनमें से 50 फार्मों का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें से 50 प्रतिशत पर केवल गेहूँ उगाए जाते हैं। समष्टि एवं प्रतिदर्श के आकार क्या हैं?
उत्तर

  • जनसंख्या : 200 फार्म
  • प्रतिदर्श : 50 फार्म

प्र.7. प्रतिदर्श, समष्टि तथा चर के दो-दो उदाहरण दें।
उत्तर
(क) प्रतिदर्शः यदि हम IQ स्तर जाँच करने के लिए 100 विद्यार्थियों का चयन कर लें तो यह प्रतिदर्श होगा। इसी प्रकार यदि हम 20% जनसंख्या के आधार पर लिंग अनुपात लायें तो 20% जनसंख्या प्रतिदर्श है।
(ख) समष्टिः एक विद्यालय के विद्यार्थियों का IQ स्तर जाँच करने के लिए समष्टि उस विद्यालय के कुल विद्यार्थी हैं। एक देश का लिंग अनुपात जानने के लिए समष्टि उस देश की जनसंख्या है।
(ग) चरः एक विद्यालय के विद्यार्थियों का IQ स्तर की जाँच तथा एक देश का लिंग अनुपात।

प्र.8. इनमें से कौन-सी विधि द्वारा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं, और क्यों?

(क) गणना (जनगणना)
(ख) प्रतिदर्श

उत्तर
जनगणना से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं क्योंकिः

(क) यह समष्टि के प्रत्येक इकाई पर आधारित होता है।
(ख) इसमें शुद्धता का उच्च स्तर होता है।
(ग) यह प्रतिचयन त्रुटि से मुक्त होता है।

प्र.9. इनमें कौन-सी त्रुटि अधिक गंभीर है और क्यों?

(क) प्रतिचयन त्रुटि
(ख) अप्रतिचयन त्रुटि

उत्तर प्रतिचयन त्रुटियाँ अधिक गंभीर है क्योंकि वे जानबूझकर पक्षपाती रूप से की जा सकती हैं। ऐसी त्रुटियों को ढूंढ पाना तथा सही करना बहुत कठिन है जबकि अप्रतिचयन त्रुटियाँ मापन की त्रुटियाँ होती हैं जिन्हें ध्यान से देंढ़कर ठीक किया जा सकता है।

प्र.10. मान लीजिए आपकी कक्षा में 10 छात्र हैं। इनमें से आपको तीन चुनने हैं, तो इसमें कितने प्रतिदर्श संभव हैं?
उत्तर बहुत से प्रतिदर्श संभव हैं।

(क) लॉटरी विधि
(ख) यादृच्छिक संख्याओं वाली तालिका
(ग) स्तरित प्रतिदर्श
(घ) व्यवस्थित प्रतिदर्श
(ङ) अभ्यंश प्रतिदर्श

प्र.11, अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 को चुनने के लिए लॉटरी विधि का उपयोग कैसे करेंगे? चर्चा करें।
उत्तर मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा/उठाऊँगी

(क) 10 विद्यार्थियों को 1 से 10 संख्याएँ आबंटित करनी होगी।
(ख) फिर समान आकार तथा रंग की 10 पर्चियाँ बनानी होगी।
(ग) इन्हें एक कटोरे में डालकर सही ढंग से हिलाना होगा।
(घ) इनमें से किसी बाह्य व्यक्ति को 3 पर्ची निकालने को कहा जाएगा।
(ङ) इन तीन पर्चियों पर जिन छात्रों के आबंटित अंक लिखे हैं, वे मेरे प्रतिदर्श का हिस्सा होंगे।

प्र.12. क्या लॉटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है? बताएँ।
उत्तर नहीं यह आवश्यक नहीं है कि लॉटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है। इसे यादृच्छिक बनाने के लिए हमें नीचे दिए गए कदम उठाने पड़ते हैं:

(क) सभी पर्चियाँ बिल्कुल समान आकार तथा रंग की होनी चाहिए।
(ख) सभी पर्चियाँ बिल्कुले एक समान ढंग से मोड़ी जानी चाहिए।

यदि ये सावधानियाँ नहीं बरती गई तो यह संभव है कि पूर्व निर्धारित पर्चियाँ उठाई जाएँ। दूसरों को बेवकूफ बनाया जाए कि सभी इकाइयों को चयन का समान अवसर मिला।

प्र.13. यादृच्छिक संख्या सारणी का उपयोग करते हुए, अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 छात्रों के चयन के लिए यादृच्छिक प्रतिदर्श की चयन प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा/उठाऊँगी।

(क) सभी विद्यार्थियों को 1 से 10 संख्या आबंटित कर दी जायेगी।
(ख) फिर हम यादृच्छिक संख्या सारणी में जायेंगे परंतु हमारा संबंध केवल एक अंकीय संख्याओं से होगा।
(ग) पहले तीन एक अंकीय संख्याएँ चुन ली जायेगी।

प्र.14. क्या सर्वेक्षणों की अपेक्षा प्रतिदर्श बेहतर परिणाम देते हैं? अपने उत्तर की कारण सहित व्याख्या करें।
उत्तर
(क) कुछ परिस्थितियों में प्रतिदर्श सर्वेक्षणों से बेहतर परिणाम देते हैं। ऐसे कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं

  1. एक बीमारी का पता लगाने के लिए या संक्रमण का पता लगाने के लिए हम पूरा रक्त नहीं ले सकते। हम रक्त की कुछ बूंदें लेते हैं।
  2. इसी प्रकार भोजन पकाते समय हम भोजन का कुछ हिस्सा चख लेते हैं कि यह पका है या नहीं। हम सर्वेक्षण विधि का प्रयोग नहीं कर सकते कि पूरा खाना खाकर हम तय करें कि खाना पक गया था।
  3. कोई भी अध्यापिका विद्यार्थी की ज्ञान की जाँच के लिए पूरी पुस्तक नहीं दे सकती। अत: वह कुछ प्रश्न प्रतिदर्श के रूप में देती हैं।

(ख) प्रतिदर्श विधि कम खर्चीली होती है।
(ग) प्रतिदर्श विधि कम समय लेती है।
(घ) प्रतिदर्श विधि में विस्तृत जाँच संभव है क्योंकि उत्तरदाताओं की संख्या कम होती है।

Hope given Statistics for Economics Class 11 Solutions Chapter 2 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 2 Collection of Data (Hindi Medium) Read More »

error: Content is protected !!