Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 7 Correlation (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 7 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Economics Statistics for Economics Chapter 7 Correlation (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. कद (फुटों में) तथा वजन (किलोग्राम में) के बीच सहसंबंध गुणांक की इकाई है:

(क) कि. ग्रा/फुट
(ख) प्रतिशत
(ग) अविद्यमान

उत्तर (ग) अविद्यमान

प्र.2. सरल सहसंबंध गुणांक का परास निम्नलिखित होगा

(क) 0 से अनंत तक
(ख) -1 से +1 तक
(ग) ऋणात्मक अनंत से धनात्मक अनंत तक

उत्तर (ख) -1 से +1 तक

प्र.3. यदि rxy धनात्मक है तो x और y के बीच का संबंध इस प्रकार का होता है।

(क) जब y बढ़ता है तो x बढ़ता है।
(ख) जब y घटता है तो x बढ़ता है।
(ग) जब y बढ़ता है तो x नहीं बदलता है।

उत्तर (क) जब y बढ़ता है तो x बढ़ता है।

प्र.4. यदि rxy = 0 तब चर x और y के बीचः

(क) रेखीय संबंध होगा।
(ख) रेखीय संबंध नहीं होगा
(ग) स्वतंत्र होगा

उत्तर (ख) रेखीय संबंध नहीं होगा

प्र.5. निम्नलिखित तीनों मापों में कौन-सा माप किसी भी प्रकार के संबंध की माप कर सकता है।

(क) कार्ल पियरसन सहसंबंध गुणांक
(ख) स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध
(ग) प्रकीर्ण आरेख

उत्तर (ख) स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध

प्र.6. यदि परिशुद्ध रूप में मापित आँकड़े उपलब्ध हों, तो सरल सहसंबंध गुणांकः

(क) कोटि सहसंबंध गुणांक से अधिक सही होता है।
(ख) कोटि सहसंबंध गुणांक से कम सही होता है।
(ग) कोटि सहसंबंध की ही भाँति सही होती है।

उत्तर (ग) कोटि सहसंबंध की ही भाँति सही होता है।

प्र.7. साहचर्य के माप के लिए r को सहप्रसरण से अधिक प्राथमिकता क्यों दी जाती है?
उत्तर साहचर्य का माप x और y के बीच सहसंबंध गुणांक का चिह्न निश्चित करता है। मानक विचलन सदा धनात्मक होते हैं। जब सहप्रसरण शून्य होता है तो सहसंबंध भी शून्य होता है। सहसंबंध को सहप्रसरण से साहचर्य के माने के लिए अधिक प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि

(क) यह धनात्मक ऋणात्मक और शून्य सहसंबंध के विषय में बताता है।
(ख) सहसंबंध मूलों और पैमानों से स्वतंत्र होते हैं।

प्र.8. क्या आँकड़ों के प्रकार के आधार पर r, -1 तथा + 1 के बाहर स्थित हो सकता है?
उत्तर r (+1∠ r- 1) + 1 और -1 के बीच में स्थित होता है और यदि यह + 1 से बाहर हो तो इसका अर्थ है कि दो चरों में संबंध आरेखीय है। अत: इसका विवेचन करते हुए हमें यह याद रखना होगा कि अवश्य इसमें कुछ त्रुटियाँ हैं।

प्र.9, क्या सहसंबंध के द्वारा कार्यकारण संबंध की जानकारी मिलती है? 4
उत्तर नहीं सहसंबंध द्वारा कार्यकारण की जानकारी नहीं मिलती। अकसर विद्यार्थी यह विश्वास करने लगते हैं कि सहसंबंध दो चरों में वहाँ सहसबंधं सुझाता है जहाँ एक का कारण दूसरा है। उदाहरण: यह वस्तु की माँगी गई मात्रा और कीमत में सहसंबंध स्पष्टः कीमत में वृद्धि तथा माँगी गई मात्रा में कमी का कारण है और इसके विपरीत भी। कीमत में परिवर्तन माँगी गई मात्रा में परिवर्तन लाता है। परंतु जिस बिंदु पर ज्यादा बल देने की आवश्यकता है वह यह है कि चरों के बीच कारण और प्रभाव संबंध सहसंबंध के सिद्धांत में कोई भी पूर्व-स्थिति नहीं है। सहसंबंध दो चरों के बीच किसी कारण और प्रभाव संबंध के साथ या उसके बिना, संबंध की कोटि और तीव्रता को मापता है। सहसंबंध दो या दो से अधिक चर-मूलों में पारस्परिक संबंध की दिशा तथा मात्रा का अकात्मक माप है। परंतु सहसंबंध की उपस्थिति से यह नहीं मान लेना चाहिए कि दोनों चरों में आवश्यक रूप से प्रत्यक्ष कारण तथा परिणाम संबंध है। सह-संबंध सदैव कारण–परिणाम संबंध से ही उत्पन्न नहीं होता। परंतु कारण-परिणाम संबंध होने पर निश्चित रूप से सहसंबंध पाया जाता है।

प्र.10. सरल सहसंबंध गुणांक की तुलना में कोटि सहसंबंध गुणांक कब अधिक परिशुद्ध होता है?
उत्तर सरल सहसंबंध गुणांक की तुलना में कोटि सहसंबंध गुणांक अधिक परिशुद्ध होता है क्योंकि

  1. इस विधि का उस स्थिति में भी सुगमता से प्रयोग किया जाता है जबकि आँकड़ों के स्थान पर केवल श्रेणियाँ ही दी गई हों तथा साधारण गुणात्मक श्रृंखलाओं के ढीले सहसंबंध अनुमान लगाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
  2. स्पीयरमैन श्रेणी अंतर सह-संबंध विधि पियरसन के सह-संबंध गुणांक की अपेक्षा समझने में सरल है।
  3. यह विधि गुणात्मक चरों की अच्छाई, बुराई, बुद्धिमत्ता, सुंदरता व पवित्रता आदि के सह-संबंधों को ज्ञात करने के लिए श्रेष्ठ है।

प्र.11. क्या शून्य सहसंबंध का अर्थ स्वतंत्रता है?
उत्तर शून्य सहसंबंध का अर्थ स्वतंत्रता नहीं है अपितु इसका अर्थ रेखीय । सहसंबंध की स्वतंत्रता है। दो चरों में आरेखीय सहसंबंध होने पर जब उन्हें प्रकीर्ण आरेख पर दर्शाया जायेगा। तो वे शून्य सहसंबंध दर्शायेंगे तथा जब उन्हें पियरसन या स्पीयरमैन विधि से निकाला जाता है तो यह निम्न सहसंबंध का मान देगा। नीचे दी गई आकृति के द्वारा इसे समझा जा सकता है।
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इसे शून्य सहसंबंध माना जायेगा, जबकि एक स्तर तक x और y धनात्मक रूप से संबंधित है तथा तदुपरांत उनमें ऋणात्मक सहसंबंध है।

प्र.12. क्या सरल सहसंबंध गुणांक किसी भी प्रकार के संबंध को माप सकता है?
उत्तर नहीं, सरल सहसंबध गुणाक केवल रेखीय सहसंबंध माप सकता है।

(क) यह आरेखीय सहसंबंध नहीं माप सकता।
(ख) यह ऐसे चरों के बीच सहसंबंध ज्ञात नहीं कर सकता जो संख्यात्मक रूप में व्यक्त नहीं किये जा सकते।
(ग) यह धनात्मक, ऋणात्मक तथा रेखीय सहसंबंध की अनुपस्थिति को माप सकता है।

प्र.13. एक सप्ताह तक अपने स्थानीय बाजार से 5 प्रकार की सब्जियों की कीमतें प्रतिदिन एकत्र करें। उनका सहसंबंध गुणांक परिकलित कीजिए। इसके परिणाम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर इसका उत्तर छात्र प्रति छात्र भिन्न होगा। परंतु विधि इस प्रकार होगी।
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प्र.14. अपनी कक्षा के सहपाठियों के कद मापिए। उनसे उनके बेंच पर बैठे सहपाठी का कद पूछिए। इन दो चरों का सहसंबंध गुणांक परिकलित कीजिए और परिणाम का निर्वचन कीजिए।
उत्तर सभी बेंचों पर दायीं ओर बैठे छात्र को X तथा बायीं और बैठे छात्र की Y कहें। यदि कक्षा में 40 विद्यार्थी हैं तो 20 जोड़े बन जायेंगे। यदि संख्या विषम है तो एक विद्यार्थी को छोड़ना होगा। उनके कद ज्ञात करके कार्ल पियरसन की किसी भी विधि द्वारा सहसंबंध गुणांक ज्ञात किया जा सकता है।

प्र.15. कुछ ऐसे चरों की सूची बनाएँ जिनका परिशुद्ध माप कठिन हो।
उत्तर ऐसे कुछ चर इस प्रकार हैं:

(क) सुंदरता
(ख) बुद्धिमत्ता
(ग) ईमानदार
(घ) अनुशासन
(ङ) आत्मविश्वास
(च) संस्कार

प्र.16. r के विभिन्न मानों +1, -1, तथा 0 की व्याख्या करें।
उत्तर r = +1 पूर्ण धनात्मक सहसंबंध
r = -1 पूर्ण ऋणात्मक सहसंबंध
r = 0 रेखीय सहसंबंध की अनुपस्थिति।

प्र.17. पियरसन सहसंबंध गुणांक से कोटि सहसंबंध गुणांक क्यों भिन्न होता है?
उत्तर पियरसन सहसंबंध गुणांक की भाँति श्रेणी सहसंबंध भी + 1 तथा – 1 के बीच स्थित होता है। हालाँकि, सामान्य तौर पर यह सामान्य विधि की तरह यथावत नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इसमें आँकड़ों से संबंधित सभी सूचनाओं का उपयोग नहीं होता है। श्रृंखला में मदों के मानों के वे प्रथम अंतर जो उनके परिमाण के अनुसार क्रम में व्यवस्थित किए जाते हैं, आमतौर पर कभी स्थिर नहीं होते। सामान्यतः आँकड़ा-कुछ केंद्रीय मानों के आसपास सारणी के मध्य में थोड़े बहुत अंतर पर एकत्रित होते हैं। यदि समान अंत्र पर स्थिर होते, तब r और rk समान परिमाण देते। प्रथम अतंर तथा क्रमिक मानों में अंतर होता है। कोटि सहसंबंध को पियरसन गुणांक की अपेक्षा तब अधिक प्राथमिकता दी जाती है, जब चरम मान दिए गए हों। सामान्यतः rk का मान r से कम या इसके बराबर होता है।

प्र.18. पिताओं (x) और उनके पुत्रों (y) के कदो का माप नीचे इंचों में दिया गया है। इन दोनों के बीच सहसंबंध गुणांक परिकलित कीजिए।
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उत्तर
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प्र.19. x और y के बीच सहसंबंध गुणांक को परिकलित कीजिए और उनके संबंध पर टिप्पणी कीजिए।
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उत्तर
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प्र.20. x और y के बीच सहसंबंध गुणांक परिकलित कीजिए और उनके संबंध पर टिप्पणी कीजिए।
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उत्तर

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NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 11 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 11 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 11 New Empires and Kingdoms (Hindi Medium)

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पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

1. यह वर्णन तुम्हें उस राजा के बारे में क्या बताता है? राजा किस प्रकार युद्ध लड़ते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-112)
उत्तर : राजा युद्ध के मैदान में बिल्कुल आमने-सामने की लड़ाई लड़ते थे। वे युद्ध में लड़ने के लिए गदाओं, तलवारों, भालों तथा तीरों आदि का भरपूर प्रयोग करते थे।

2. आर्यावर्त तथा दक्षिणापथ के राज्यों के साथ समुद्रगुप्त के व्यवहार में क्या अंतर था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-113)
उत्तर : समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त के शासकों को हराकर उनके राज्यों को अपने साम्राज्य में मिला लिया था, जबकि दक्षिणापथ के शासकों ने हार जाने के बाद समुद्रगुप्त के सामने स्वयं समर्पण कर दिया था। इसके बाद समुद्रगुप्त ने उन्हें फिर से शासन करने की अनुमति प्रदान कर दी थी। इस अंतर का मुख्य कारण यह था कि समुद्रगुप्त, आर्यावर्त के शासकों पर नियंत्रण रख सकता था, क्योंकि वे उनकी राजधानी के नजदीक थे, जबकि दक्षिणापथ शासकों पर उत्तर भारत में बैठकर नियंत्रण रखना काफी कठिन था, क्योंकि वे उसकी राजधानी से दूर थे। इसलिए समुद्रगुप्त ने उनको फिर से शासन करने की अनुमति प्रदान कर दी।

3. इन उपाधियों को महत्त्व के हिसाब से सजाओ। राजा, महाराज-अधिराज, महा-राजा।। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-114)
उत्तर :

  1. राजा
  2. महा-राजा
  3. महाराज-अधिराज।

4. मानचित्र 8 (पृष्ठ 136) देखो और सूची बनाओ कि जब हर्षवर्धन
(क) बंगाल तथा
(ख) नर्मदा तक गए होंगे तो आज के किन-किन राज्यों से गुजरे होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-115)
उत्तर :
(क) बंगाल जाने के लिए आज के उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखंड राज्यों से गुजरना पड़ा होगा।
(ख) नर्मदा तक जाने के लिए उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश राज्यों से गुजरना पड़ा होगा।

5. वे कौन-से अन्य शासक थे जो तटों पर अपना नियंत्रण करना चाहते थे? । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-116)
उत्तर : चोल, चेर, पांड्य तथा सातवाहन।

6. सोचकर बताओ कि अफ़सरों का पद आनुवंशिक कर देने में क्या-क्या फायदे और क्या-क्या नुकसान हो सकते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-117)
उत्तर :
लाभ- पिता के कई वर्षों का अनुभव पुत्र के काम आता। पुत्र भी पिता संरक्षण रहते हुए काम को अच्छी | प्रकार सीख लेता। यदि पिता ईमानदार अफसर होता तो वह वही संस्कार अपने पुत्र को भी देने का प्रयास करता और पुत्र अपने पिता की गरिमा को बनाए रखने का प्रयास करता।

हानि-किसी साधारण व्यक्ति को अफसर बनने का अवसर नहीं मिलता। इस प्रकार व्यक्ति योग्य होते हुए भी अफसर नहीं बन पाता और संभव था कि एक अयोग्य व्यक्ति अफसर बन जाता है। इस प्रकार पद का दुरुपयोग होता।

7. आज अगर किसी गरीब आदमी को कुछ मिलता है और वह पुलिस में खबर करता है तो क्या उसके साथ इसी तरह का बर्ताव किया जाएगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-118)
उत्तर : हाँ, आज भी गरीब आदमी के साथ पुलिस इसी तरह का व्यवहार करती।

8. एक प्रसिद्ध व्यक्ति का नाम बताओ, जिसने प्राकृत में उपदेश दिए और एक राजा का नाम बताओ, | जिसने प्राकृत में अपने अभिलेख लिखवाए। (अध्याय 7 तथा 8 देखो।) (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-118)
उत्तर : प्राकृत में उपदेश दिए-वर्धमान महावीर प्राकृत में अभिलेख लिखवाए-अशोक

9. सेना के साथ ले जाई जाने वाली चीजों की सूची बनाओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-119)
उत्तर : सेना के साथ ले जाए जाने वाले सामान की सूची

  1. हथियार
  2. बर्तन
  3. खाने-पीने का सामान
  4. नगाड़े

10. ग्रामवासी राजा के लिए क्या-क्या लेकर आते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-119)
उत्तर : ग्रामवासी द्वारा राजा के लिए लाए गए सामान| वे दही, गुड़ तथा फूलों का उपहार का उपहार लाते थे। वे जानवरों को चारा भी देते थे।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-120)

मानचित्र 6 (पृष्ठ 84-85) में अरब ढूँढो। मरुभूमि होते हुए भी सदियों से अरब, यातायात का एक बड़ा केंद्र था। दरअसल, अरब व्यापारी तथा नाविकों ने भारत और यूरोप (देखो पृष्ठ संख्या 100) के बीच समुद्री व्यापार बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अरब में रहने वाले अन्य लोगों में बेदुइन थे, जो घुमक्कड़ कबीले होते थे। ये मुख्य रूप से ऊँटों पर आश्रित होते थे, क्योंकि यह एक ऐसा मज़बूत जानवर है, जो मरुभूमि में भी स्वस्थ रह सकता है।

लगभग 1400 साल पहले पैगम्बर मुहम्मद ने अरब में इस्लाम नामक एक.नए धर्म की शुरुआत की। ईसाई धर्म की तरह इस्लाम ने भी अल्लाह को सर्वोपरि माना है, उनके बाद सभी को समान माना गया है। यहाँ इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुराने का एक अंश दिया गया है ।।

“मुसलमान स्त्रियों और पुरुषों के लिए, विश्वास रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, भक्त स्त्रियों और पुरुषों के लिए, सच्चे स्त्रियों और पुरुषों के लिए, धैर्यवान और स्थिर मन के स्त्रियों और पुरुषों के लिए, दान देने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, उपवास रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, अपनी पवित्रता बनाए रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, अल्लाह को हमेशा याद करने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए-अल्लाह ने इन सब के लिए ही क्षमा और पुरस्कार रखा है।” अगले सौ सालों के दौरान इस्लाम उत्तरी अफ्रीका, स्पेन, ईरान और भारत में फैल गया। अरब नाविक,
जो इस उपमहाद्वीप की तटीय बस्तियों से पहले से ही परिचित थे, अब अपने साथ इस नए धर्म को भी ले आए। अरब के सिपाहियों ने करीब 1300 साल पहले सिंध (आज के पाकिस्तान में) को जीत लिया था।

1. भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार बढ़ाने में किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?
उत्तर : अरब व्यापारी तथा नाविकों ने भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

2. इस्लाम नामक एक नए धर्म की शुरुआत कब और किसने की थी?
उत्तर : लगभग 1400 साल पहले पैगम्बर मुहम्मद ने अरब में इस्लाम नामक एक नए धर्म की शुरुआत की थी। |

3. इस्लाम धर्म अपने शुरुआत के सौ सालों में किन-किन देशों में फैल गया?
उत्तर : इस्लाम धर्म अपने शुरुआत के सौ सालों में उत्तरी-अफ्रीका, स्पेन, ईरान और भारत में फैल गया था।

देखें मानचित्र-6 (एन.सी.आर.टी. पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 84-85)

4. मानचित्र 6 में उन रास्तों को ढूंढो जिनसे नाविक तथा सिपाही इस उपमहाद्वीप में आए होंगे?
उत्तर : छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

कल्पना करो

हर्षवर्धन की सेना अगले हफ्ते तुम्हारे गाँव आने वाली है। तुम्हारे माता-पिता इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। वर्णन करो कि वे क्या-क्या बोल रहे हैं और क्या कर रहे हैं।
उत्तर : मेरे माता-पिता राजा और उसकी सेना के स्वागत की तैयारी कर रहे। वे आपस में बातचीत कर रहे कि
गुड़ अच्छे बनाना ताकि राजा गुड़ खाकर खुश हो जाते। पिताजी माता से कह रहे कि जर्ब तक राजा यहाँ रहेंगे तुम्हें रोजाना अच्छे से दही बनाना है और फूलों का गुलदस्ता बनाना है ताकि राजा का मन खुश हो जाए। अरे हमें तो राजा के जानवरों के लिए चारे का भी प्रबंध करना है।

प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1. सही या गलत बताओ :
(क) हरिषेण ने गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी की प्रशंसा में प्रशस्ति लिखी।
(ख) आर्यावर्त के शासक समुद्रगुप्त के लिए भेंट लाते थे।
(ग) दक्षिणापथ में बारह शासक थे।
(घ) गुप्त शासकों के नियंत्रण में दो महत्त्वपूर्ण केंद्र तक्षशिला और मदुरै थे।
(ङ) ऐहोल पल्लवों की राजधानी थी।
(च) दक्षिण भारत में स्थानीय सभाएँ सदियों तक काम करती रहीं।

उत्तर :

(क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) गलत
(ङ)गलत
(च) सही।

2. ऐसे तीन लेखकों के नाम बताओ, जिन्होंने हर्षवर्धन के बारे में लिखा।
उत्तर : बाणभट्ट, श्वैन त्सांग और रवि कीर्ति ऐसे तीन लेखकों के नाम हैं, जिन्होंने हर्षवर्धन के विषय में लिखा। |

3. इस युग में सैन्य संगठन में क्या बदलाव आए?
उत्तर :
निम्नलिखित बदलाव आए

  • राजा एक सुसंगठित सेना रखते थे जिसमें हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सिपाही होते थे।
  • वे सेनानायक भी रखते थे जो आवश्यकता पड़ने पर राजा को सैनिक सहायता दिया करते थे।
  • इन सेनानायकों को कोई नियमित वेतन नहीं दिया जाता था। इन्हें भूमि दान दिया जाता था। वे दी गई भूमि से कर वसूल करते थे जिससे वे सेना तथा घोड़ों की देखभाल करते थे।
  • ये सेनानायक सामंत कहलाते थे। जहाँ कहीं भी शासक दुर्बल होते थे ये सामंत स्वतंत्र होने की कोशिश, करते थे।

4. इस काल की प्रशासनिक व्यवस्था में तुम्हें क्या-क्या नई चीजें दिखती हैं?
उत्तर : प्रशासन की प्राथमिक इकाई गाँव होते थे, लेकिन धीरे-धीरे कई बदलाव आए। राजाओं ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक या सैन्य शक्ति रखने वाले लोगों का समर्थन जुटाने के लिए कई कदम उठाए।

  • कुछ महत्त्वपूर्ण प्रशासकीय पद आनुवंशिक बन गए। जिसका अर्थ है बेटे अपने पिता का पद पाते थे जैसे कि कवि हरिषेण अपने पिता की तरह महादंडनायक अर्थात् मुख्य न्याय अधिकारी थे।
  • कभी-कभी एक ही व्यक्ति कई पदों पर कार्य करता था जैसे कि हरिषेण एक महादंडनायक होने के साथ-साथ कुमारामात्य अर्थात् एक महत्त्वपूर्ण मंत्री तथा एक संधि-विग्रहिक अर्थात् युद्ध और शांति के विषयों का भी मंत्री था।
  • स्थानीय प्रशासन में प्रमुख व्यक्तियों का बोलबाला था। इनमें नगर-श्रेष्ठी यानी मुख्य बैंकर या शहर का व्यापारी, सार्थवाह यानी व्यापारियों के काफिले का नेता, प्रथम कुलिक अर्थात् मुख्य शिल्पकार
    तथा कायस्थों यानी लिपिकों के प्रधान जैसे लोग होते थे। आओ चर्चा करें।

5. तुम्हें क्या लगता है कि समुद्रगुप्त की भूमिका अदा करने के लिए अरविन्द को क्या-क्या करना पड़ेगा? ।
उत्तर : अगर अरविन्द राजा समुद्रगुप्त की भूमिका अदा करता है तो उसे निम्नलिखित कार्य करना पड़ेगा

  • वह शाही वेशभूषा में, मूंछों पर ताव देते हुए, रूपहले कागज में लिपटी तलवार को शान से पकड़कर चहलकदमी करेगा।
  • वह राज सिंहासन पर बैठकर वीणा बजाएगा और कविता पाठ भी करेगा।
  • वह एक महान योद्धा की तरह कई युद्ध लड़ेगा और उन युद्धों को उसे जीतना पड़ेगा।

6. क्या प्रेशस्तियों को पढ़कर आम लोग समझ लेते होंगे? अपने उत्तर के कारण बताओ।
उत्तर : आम लोग प्रशस्तियों को पढ़कर नहीं समझ पाते होंगे, क्योंकि वे संस्कृत में होती थी। संस्कृत आम लोगों की भाषा नहीं थी। आम आदमी सामान्यतः पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए प्रशस्तियों को पढ़ना और समझ जाना उनके लिए संभव नहीं था। आओ करके देखें

7. अगर तुम्हें अपनी वंशावली बनानी हो, तो तुम उसमें किन लोगों को शामिल करोगे? कितनी पीढ़ियों को तुम इसमें शामिल करना चाहोगे? एक चार्ट बनाओ और उसे भरो।
उत्तर : अगर मैं अपनी वंशावली बनाऊँगा तो मैं उसमें तीन पीढ़ियों को शामिल करना पसंद करूंगा। मैं अपने परदादा से शुरू करूंगा। उसके बाद उनके बच्चे, यानी के अपने दादा और उनके भाई, अपने दादा के पुत्र यानी अपने पिता और भाई, फिर मैं स्वयं अपने भाई को शामिल करूंगा।
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8. आज युद्ध का असर जनसाधारण पर किस तरह पड़ता है?
उत्तर : युद्ध हमारे जीवन में विपत्तिग्रस्त घटना होती है। युद्ध सामान्यतः दो देशों के बीच में या संयुक्त रूप से विभिन्न
देशों के समूहों के बीच लड़ा जाता है, जबकि सामान्य लोगों का युद्ध के पीछे के मुख्य उद्देश्य के प्रति कोई लगाव नहीं होता है। वे युद्ध से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बड़ी संख्या में वे लोग युद्ध में मारे जाते हैं। जिनका कोई भी दोष नहीं होता हैं। वे अपना जीवन खो देते हैं। युद्ध अपने पीछे चिल्लाते हुए विधवाओं और अनाथों को छोड़ जाता है। सभी संसाधन नष्ट हो जाते हैं विकास पूरी तरह प्रभावित हो जाता है फिर से व्यवस्थित होने में बहुत समय लगता है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 लखनवी अंदाज़

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भाव से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?
उत्तर
नवाब साहब लेखक को सेकंड क्लास के डिब्बे में आया हुआ देखकर उनमें असंतोष का भाव छा गया। उन्हें एकांतवास में बाधा का अनुभव होने लगा वे अनमने होकर

खिड़की से बाहर झाँकते रहे और लेखक को न देखने का नाटकीय प्रदर्शन करते रहे। नवाब साहब के इन हाव-भावों को देखकर लेखक अनुमान लगा रहा था कि वे बातचीत करने के लिए किंचित भी उत्सुक नहीं हैं।

प्रश्न 2.
नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
उत्तर
नवाब साहब अपनी नवाबी शान-शौकत को दिखाने की आदत रखते थे। वह अपनी हरकत से ठाट-बाट का प्रदर्शन करने में लगे थे। लेखक को देखकर अपनी प्रवृत्ति के अनुसार खीरों को छीला, नमक-मिर्च लगाया, सँघा और बाहर फेंक दिया। जैसे यह सब करके नवाब साहब बता देना चाहते हों कि उनके द्वारा इन्हें पूँघना ही पर्याप्त है। खीरे खाकर पेट भरने की आदत तो साधारण लोगों की बात है। इस प्रकार यह सब नवाब साहब के अमीरी दिखावे के स्वभाव की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 3.
बिना विचार, घटना और पात्रों की भी क्या कहानी लिखी जा सकती है? यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
कहानी किसी घटना का ऐसा वर्णन है जो किसी विशेष कारण की ओर संकेत करती है। घटना कैसे घटी, उसके क्या कारण थे, उसका क्या परिणाम हुआ? यह सब जानने की जिज्ञासा मन में बनी रहती है और घटना बिना कारण के नहीं होती है। अतः बिना पात्र के कहानी तथा बिना कारण के घटना कैसे संभव है? घटना के बिना विचार कैसे? अतः लेखक का मानना है कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी नहीं लिखी जा सकती है। यह पूर्णतः सत्य है। उनका विचार हमारे विचारों के अनुकूल है।

प्रश्न 4.
आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?
उत्तर
नवाबी दिखावा या नवाबी ठाट, थोथा चना, असार्थक प्रदर्शन आदि-आदि शीर्षक हो सकते हैं जो पाठ के निहित अर्थ को समेटे हुए हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
(क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
(ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते
उत्तर
(क) नवाब साहेब सामने बैठे लेखक को देखकर अपने संकोच को दूर करते हुए कुछ नए अंदाज में खीरा काटने की प्रक्रिया अपनाते हैं-

  1. बर्थ के नीचे रखे पानी से भरे लोटे को लेकर खिड़की से बाहर खीरों को अच्छी | तरह धोते हैं और तौलिए से पोंछते हैं।
  2. जेब से चाकू निकालकर खीरे के सिर को काटकर और गोदकर झाग निकालते
  3. खीरों को सावधानी से छीलते हैं, फाँके बनाते हैं और बिछी तौलिए पर करीने से सजाकर देखते रहते हैं।
  4. कटी हुई फाँकों पर जीरा मिले नमक को और काली मिर्च को बुरकते हैं।
  5. खीरा सामने देखकर खीरे का रसास्वादन मन-ही-मन करने लगते हैं और मुँह में पानी भर आता है।

(ख) भोजन करने के लिए यथासंभव नीबू, विविध फलों, सब्ज़ियाँ का सलाद, उस पर नींबू को निचोड़ रस डालकर काला नमक आदि डालते हैं। नमकीन रायता और
चटनी को अलग-अलग कटोरी में रखते हैं। उसके भोजन का स्वाद लेते हैं।

प्रश्न 6.
खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा । किसी एक के बारे में लिखिए।
उत्तर
नवाब साहब के द्वारा खीरा पानी से धोना, छीलना, फाँके करना, साफ-सुथरी तौलिया को झाड़कर और बिछाकर तौलिए पर फॉकों को करीने से रखना, नमक-मिर्च बुरकना फिर बिना खाए ही सँघकर फेंक देना एक तरह की सनक ही है। किसी सनक के बारे में विद्यार्थी स्वयं लिखें।

प्रश्न 7.
क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर
सनक सवार हो जाना अर्थात् जनून छा जाना अर्थात् धुन का पक्का होना। जो धुन के पक्के होते हैं, ऐसे लोग जिस पथ पर चल पड़ते हैं तो तब तक चलते रहते हैं। जब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती है। ऐसी सापेक्ष सनक सकारात्मक होती है। परिणाम अच्छे निकलते हैं।

आचार्य चाणक्य ऐसे ही सनकी महापुरुष थे। पक्का इरादा, आत्मविश्वास और चढ़ गई सनक कि राजा नंद को समूल नाश कर योग्य शासक के हाथ में शासन को सौंपना है। सनक के सामने संकटों से भरा मार्ग भी प्रशस्त जान पड़ता है। बड़ी-बड़ी विपदाओं की चिंता किए बिना एक सामान्य बालक को ही सम्राट बनाने की ठान ली और वही हुआ, होकर रहा जो भी चाणक्य चाहते थे। अतः सापेक्ष सनक के सुपरिणाम ही निकलते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए-
(क) एक सफेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे।
(ख) नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
(ग) ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
(घ) अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।
(ङ) दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।
(च) नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फॉकों की ओर देखा।
(छ) नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।
(घ) जेब से चाकू निकाला।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 12 1

 

 

 

 

 

 

 

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 Gender Religion and Caste (जाति, धर्म और लैंगिक मसले)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 Gender Religion and Caste (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

संक्षेप में लिखें
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1. जीवन के उन विभिन्न पहलूओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर हमारे देश में आजादी के बाद से महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। पर वे अभी भी पुरुषों से काफी पीछे हैं। हमारा समाज अभी भी पितृप्रधान है। औरतों के साथ अभी भी कई तरह के भेदभाव होते हैं।

  1. महिलाओं में साक्षरता की दर अब भी मात्र 54 फीसदी है जबकि पुरुषों में 76 फीसदी। स्कूल पास करनेवाली लड़कियों की एक सीमित संख्या ही उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा पाती हैं। अभी भी माँ-बाप अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर बराबर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं।
  2. साक्षरता दर कम होने के कारण ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है। भारत में स्त्रियाँ पुरुषों से अधिक काम करती हैं किंतु अक्सर उनके काम को मूल्यवान नहीं माना जाता।
  3. काम के हर क्षेत्र में यानी खेल-कूद की दुनिया से लेकर सिनेमा के संसार तक और कल-कारखानों से लेकर खेत-खलिहानों तक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान काम किया हो।
  4. भारत के अनेक हिस्सों में अभी भी लड़की को जन्म लेते ही मार दिया जाता है। अधिकांश परिवार लड़के की चाह रखते हैं। इस कारण लिंग अनुपात गिरकर प्रति हजार लड़कों पर 927 रह गया है।
  5. भारत में सार्वजनिक जीवन में, खासकर राजनीति में महिलाओं की भूमिका नगण्य ही है। अभी भी महिलाओं को घर की चहारदीवारी के भीतर रखा जाता है।

महिलाओं के उत्पीड़न, शोषण और उन पर होनेवाली हिंसा की खबरें हमें रोज पढ़ने को मिलती हैं। शहरी इलाके तो महिलाओं के लिए खासतौर से असुरक्षित हैं। वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट तथा अनेक तरह की घरेलू हिंसा झेलनी पड़ती है।

प्रश्न 2. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।
उत्तर सांप्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है

  1. सांप्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति रोजमर्रा के जीवन में ही दिखती है। इनमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी बनाई धारणाएँ और एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ शामिल हैं।
  2. सांप्रदायिक भावना वाले धार्मिक समुदाय राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए धर्म के आधार पर राजनीतिक दलों का गठन किया जाता है तथा फिर धीरे-धीरे धर्म पर आधारित अलग राज्य की माँग करके देश की एकता को नुकसान पहुँचाया जाता है। जैसे-भारत में अकाली दल, हिंदू महासभा आदि दल धर्म के आधार पर बनाए गए। धर्म के आधार पर सिक्खों की खालिस्तान की माँग इसका उदाहरण है।
  3. सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों द्वारा धर्म और राजनीति का मिश्रण किया जाता है। राजनीतिक दलों द्वारा अधिक वोट प्राप्त करने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जाता है। जैसे- भारत में भारतीय जनता | पार्टी धर्म के नाम पर वोट हासिल करने की कोशिश करती है। बाबरी मस्जिद का मुद्दा इसका उदाहरण है।
  4. कई बार सांप्रदायिकता सबसे गंदा रूप लेकर संप्रदाय के आधार पर हिंसा, दंगा और नरसंहार कराती है। विभाजन के समय भारत और पाकिस्तान में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे। आज़ादी के बाद भी बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई है। 1984 के हिंदू-सिक्ख दंगे इसका प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 3. बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं?
उत्तर आधुनिक भारत में जाति की संरचना और जाति व्यवस्था में भारी बदलाव आया है। किंतु फिर भी समकालीन भारत से जाति प्रथा विदा नहीं हुई है। जातिगत असमानता के कुछ पुराने पहलू अभी भी बरकरार हैं

  1. अभी भी ज्यादातर लोग अपनी जाति या कबीले में ही शादी करते हैं।
  2. संवैधानिक प्रावधान के बावजूद छुआछूत की प्रथा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
  3. जाति व्यवस्था के अंतर्गत कुछ जातियाँ लाभ की स्थिति में रहीं तथा कुछ को दबाकर रखा गया। इसका प्रभाव आज भी नज़र आता है। यानी ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है वे दलित तथा आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है।
  4. हर जाति में गरीब लोग हैं पर गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों में अधिक संख्या निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है।
  5. आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं पर यहाँ भी ऊँची जातिवालों का अनुपात बहुत ज्यादा है और निचली जातियों का बहुत कम।
  6. जो जातियाँ पहले से ही शिक्षा के क्षेत्र में आगे थीं, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भी उन्हीं का बोलबाला है। जिन जातियों को पहले शिक्षा से वंचित रखा जाता था, उनके सदस्य अभी भी पिछड़े हुए हैं।

आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं।

प्रश्न 4. दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते?
उत्तर भारत में जाति व्यवस्था भी धर्म की तरह चुनावों को प्रभावित करती है किंतु केवल जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते

  1. देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है। इसलिए हर पार्टी और । उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए एक जाति और समुदाय से ज्यादा लोगों का भरोसा हासिल करना होता है।
  2. कोई भी पार्टी किसी एक जाति या समुदाय के सभी लोगों का वोट हासिल नहीं कर सकती। जब लोग किसी जाति विशेष को किसी एक पार्टी का वोट बैंक’ कहते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि उस जाति के ज्यादातर लोग उसी पार्टी को वोट देते हैं।

इस प्रकार चुनाव में जाति की भूमिका महत्त्वपूर्ण तो होती है किंतु दूसरे कारण भी महत्त्वपूर्ण होते हैं। मतदाताओं का लगाव जाति के साथ-साथ राजनीतिक दलों से भी होता है। सरकार के काम-काज के बारे में लोगों की राय और नेताओं की लोकप्रियता का चुनावों पर निर्णायक असर होता है।

प्रश्न 5. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?
उत्तर भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। जैसे-लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कुल सांसदों की दस प्रतिशत भी नहीं है। राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। इस मामले में भारत दुनिया के अन्य देशों से बहुत नीचे है। भारत, अफ्रीका और लैटिन अमरिका के कई देशों से पीछे है। कभी-कभार कोई महिला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन भी जाए तो मंत्रिमंडलों में पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है।

प्रश्न 6. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
उत्तर संविधान निर्माताओं ने सांप्रदायिकता से निपटने के लिए भारत के लिए धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसके लिए संविधान में महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए :

  1. भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
  2. संविधान सभी नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है।
  3. संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।

प्रश्न 7. जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है।

(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर।
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना।

उत्तर (ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।

प्रश्न 8. भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।

(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।

उत्तर
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।

प्रश्न 9. सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है किः

(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?
(क) अ, ब, स और द (ख) अ, ब, और द (ग) अ और स (घ) ब और द
उत्तर (ग) अ और स सही है।

प्रश्न 10. भारतीय संविधान के बारे में कौन सा कथन गलत है?

(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।

उत्तर (ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।

प्रश्न 11. ””’पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।
उत्तर जाति पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।

प्रश्न 12. सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 (Hindi Medium) 1
NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 (Hindi Medium) 2
उत्तर (रे) 1-ख, 2-क, 3-घ, 4-ग

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NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 7 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 7 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 7 New Questions and Ideas (Hindi Medium)

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पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

1. वेदों की रचना के लिए किस भाषा का प्रयोग हुआ था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-66)
उत्तर : संस्कृत

2. बुद्ध दुःखी माँ को क्या शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-67)
उत्तर : बुद्ध दुःखी माँ को समझाना चाहते थे कि मृत्यु एक अटल सत्य है। एक-न-एक दिन मृत्यु सबको आनी है। इस सत्य को स्वीकार करना होगा।

3. भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को किस तरह मनाया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-68)
उत्तर : भिखारी ने ऋषियों को सार्वभौम आत्मा का सही रूप में ज्ञान देकर भोजन पाने के लिए मनाया।

4. महावीर के लिए ‘जिन’ शब्द का प्रयोग क्यों हुआ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-70)
उत्तर : जिन शब्द का अर्थ है ‘विजेता’। महावीर एक विजेता ही थे जिन्होंने लोगों को अपने विचारों तथा शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित किया और विजय प्राप्त की।

5. संघ के जीवन से आश्रमों की यह व्यवस्था किस तरह भिन्न थी? यहाँ किन वर्गों का उल्लेख हुआ है? क्या सभी चार वर्गों को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति थी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-72)
उत्तर :
संघ का जीवन

  1. संघ का जीवन बहुत ही सरल था।
  2. संघ के लोग घर का त्याग कर सच्चे ज्ञान की तलाश में जाते थे।
  3. संघ के लोग अपना ज्यादातर समय ध्यान तथा योग करके बिताते थे।
  4. इस संघ में ब्राह्मण, क्षत्रिय, व्यापारी तथा शूद्र शामिल थे।

आश्रमों का जीवन

  1. आश्रमों का जीवन जटिल था इसमें रहकर मनुष्य पारंपरिक नियमों का पालन करते थे।
  2. इसमें लोग गृहस्थ आश्रम के नियमों का पालन करते थे।
  3. इसमें व्यक्ति अन्य सांसारिक क्रियाकलापों में समय बिताते थे।
  4. इसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य वर्गों को आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति नहीं थी।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-73)

एटलस में ईरान हूँढो। जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे। उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है। जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है : ‘सद्-विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।’
‘हे ईश्वर! बल, सत्य-प्रधानता एवं सद्विचार प्रदान कीजिए, जिनके जरिए हम शांति बना सकें।’
एक हजार से अधिक वर्षों तक जरथुस्त्रवाद ईरान का एक प्रमुख धर्म रहा। बाद में कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से
आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज हैं।

1. जरथुस्त्र की शिक्षाओं का संकलन किस ग्रंथ में मिलता है?
उत्तर : जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है।

2. जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ की भाषा और रीति-रिवाज किस से मिलते-जुलते हैं?
उत्तर : जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफी मिलते-जुलते हैं। |

3. जरथुस्त्र की मूल शिक्षा सूत्र क्या है?
उत्तर : जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है; सद् विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।

4. कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर भारत में कहाँ बस गए थे?
उत्तर : कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज | के पारसियों के पूर्वज हैं।

कल्पना करो

तुम लगभग 2500 वर्ष पूर्व के एक उपदेशक को सुनने जाना चाहती हो। वहाँ जाने की अनुमति लेने के लिए तुम अपने माता-पिता को कैसे सहमत करोगी, इसका वर्णन करो।
उत्तर : मैं अपने माता-पिता को उपदेशक की शिक्षाओं के विषय में जानकारी देंगी। उनके द्वारा समाज की भलाईतथा स्त्रियों की भलाई के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देंगी। उनसे जुड़े लोगों के जीवन में आए बदलावों के विषय में जानकारी देंगी और उनसे अपने लिए उपदेश सुनने की अनुमति माँगूगी।

प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1. बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए किन-किन बातों पर जोर दिया?
उत्तर : निम्नलिखित बातों पर जोर दिया

  1. यह जीवन कष्टों और दु:खों से भरा हुआ है और कष्टों का कारण हमारी इच्छा व लालसा है।
  2. आत्म संयम अपनाकर हम अपनी इच्छा व लालसा से मुक्ति पा सकते हैं।
  3. लोगों को दयालु होने के साथ-साथ जानवरों के जीवन का भी आदर करने की शिक्षा दी।
  4. हमारे अच्छे कर्मों का परिणाम वर्तमान जीवन के साथ-साथ बाद के जीवन को भी प्रभावित करता है।

2. ‘सही’ व ‘गलत’ वाक्य बताओ।
(क) बुद्ध ने पशुबलि को बढ़ावा दिया।
(ख) बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में देने के कारण इस जगह का बहुत महत्त्व है।
(ग) बुद्ध ने शिक्षा दी कि कर्म का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(घ) बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त किया।
(ङ) उपनिषदों के विचारकों का मानना था कि आत्मा और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं।

उत्तर :

(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) गलत,
(घ) सही,
(ङ) सही।

3. उपनिषदों के विचारक किन प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे?
उत्तर : उपनिषदों के विचारक मुख्यत: कुछ कठिन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास कर रहे थे; जैसे|

  1. कुछ विचारक मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जानना चाहते थे।
  2. कुछ विचारक यज्ञों की उपयोगिता के बारे में जानना चाहते थे।
  3. कुछ विचारक आत्मा के विषय में जानने चाहते थे।

4. महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर : महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ

  1. सत्य जानने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक स्त्री-पुरुष को अपना घर छोड़ देना चाहिए।
  2. अहिंसा के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
  3. ऊँच-नीच, जातिपाँति का भेदभाव नहीं करना चाहिए। आओ चर्चा करें।

5. अनघा की माँ क्यों चाहती थी कि उनकी बेटी बुद्ध की कहानी से परिचित हो? तुम्हारा इसके बारे में क्या कहना है?
उत्तर : अनघा की माँ चाहती थी कि उसकी बेटी बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं से भलीभाँति परिचित हो। इसलिए वह अपनी बेटी को बुद्ध की कहानी से परिचित कराना चाहती थी।

6. क्या तुम सोचते हो कि दासों के लिए संघ में प्रवेश करना आसान रहा होगा, तर्क सहित उत्तर दो।
उत्तर : महावीर व बुद्ध के संघ में दासों का प्रवेश करना सरल नहीं रहा होगा, क्योंकि बुद्ध ने संघ में रहने के लिए जो नियम बनाए थे उनके अनुसार दासों को संघ में प्रवेश से पहले अपने स्वामी से अनुमति लेना आवश्यक था।

आओ करके देखें

7. इस अध्याय में उल्लिखित कम से कम पाँच विचारों तथा प्रश्नों की सूची बनाओ। उनमें से किन्हीं तीन का चुनाव कर चर्चा करो कि वे आज भी क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उ : 
विचार

  1. आत्मसंयम
  2. दयालुता
  3. अहिंसा
  4. अच्छे कर्म
  5. मृत्यु जीवन का अटल सत्य है।

प्रश्न –

  1. जीवन कष्टों व दु:खों से भरा हुआ क्यों है?
  2. क्या मृत्यु के बाद जीवन है?
  3. यज्ञों की क्या उपयोगिता है? २
  4. विश्व में ऐसा क्या है? जो कि स्थायी है और मृत्यु के बाद भी बचता है।
  5. आत्मा और ब्रह्म में क्या संबंध है?

आज की उपयोगिता के कारण

(i) आत्मसंयम- आज मनुष्य की इच्छाएँ और लालसाएँ बढ़ती ही जा रही हैं जो उसके बढ़ते दु:खों का
कारण है अतः आज भी मनुष्य आत्मसंयम अपनाकर दुःखों से छुटकारा पा सकता है।

(ii) अहिंसा- 
आज चारों तरफ अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा | है, लेकिन समस्याओं का हल हिंसा से नहीं, बल्कि बातचीत और अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही निकाला जा सकता है।

(iii) अच्छे कर्म- 
आज व्यक्ति जल्दी-से-जल्दी से अमीर बनने के चक्कर में बुरे कर्म करने लगा हुआ है, जिस कारण चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अच्छे कर्म करके भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

8. आज दुनिया का त्याग करने वाले स्त्रियों और पुरुषों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करो। ये लोग कहाँ रहते हैं, किस तरीके के कपड़े पहनते हैं तथा क्या खाते हैं? ये दुनिया का त्याग क्यों करते हैं?
उत्तर :
ये निम्नलिखित हैं

  1. आज भी अनेक लोग अपने घरों और परिवारों को त्यागकर साधु, महात्मा, मुनि तथा विचारक बन जाते हैं।
  2. ये लोग मंदिरों, आश्रमों, संघों तथा एकांत स्थानों पर रहते हैं।
  3. ये प्रायः पीले, भगवा, सफेद कपड़े पहनते हैं या निर्वस्त्र रहते हैं।
  4. ये शाकाहारी भोजन करते हैं।
  5. ये ज्ञान की प्राप्ति के घर-परिवार का त्याग करते हैं।

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 Map Projections (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) मानचित्र प्रक्षेप, जो कि विश्व के मानचित्र के लिए न्यूनतम उपयोगी है
(क) मर्केटर
(ख) बेलनी
(ग) शंकु
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ग) शंकु

(ii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जो न समक्षेत्र हो एवं न ही शुद्ध आकार वाला हो तथा जिसकी दिशा भी शुद्ध नहीं होती है
(क) शंकु
(ख) ध्रुवीय शिराबिंदु
(ग) मर्केटर
(घ) बेलनी
उत्तर- (क) शंकु

(iii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जिसमें दिशा एवं आकृति शुद्ध होती है, लेकिन ध्रुवों की ओर यह बहुत अधिक विकृत हो जाती है
(क) बेलनाकार समक्षेत्र
(ख) मर्केटर
(ग) शंकु
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ख) मर्केटर

(iv) जब प्रकाश के स्रोत को ग्लोब के मध्य रखा जाता है, तब प्राप्त प्रक्षेप को कहते हैं
(क) लंबकोणीय
(ख) त्रिविम
(ग) नोमॉनिक
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ग) नोमॉनिक

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) मानचित्र प्रक्षेप के तत्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- मानचित्र प्रक्षेप के तत्व निम्नलिखित हैं

(क) पृथ्वी का छोटा रूप – पृथ्वी के मॉडल को छोटी मापनी की सहायता से कागज के समतल सतह पर दर्शाया जाता है।
(ख) अक्षांश के समांतर – ये ग्लोब के चारों ओर स्थित वे वृत्त हैं जो विषुवत्त वृत्त के समांतर एवं ध्रुवों से समान दूरी पर स्थित होते हैं।
(ग) देशांतर के याम्योत्तर – ये अर्धवृत्त होते हैं। जो कि उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर, एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक खींचे जाते हैं तथा दो विपरीत याम्योत्तर एक वृत्त का निर्माण करते हैं| जो ग्लोब की परिधि होती है।
(घ) ग्लोब के गुण – मानचित्र प्रक्षेप बनाने में ग्लोब की सतह के मूल गुणों को कुछ विधियों के द्वारा संरक्षित रखा जाता है।

(ii) भूमंडलीय संपत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- एक मानचित्र में चार भूमंडलीय गुण- क्षेत्रफल, आकृति, दिशा और दूरी की शुद्धता को संरक्षित रखा जाता है। भूमंडलीय गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को समक्षेत्र, यथाकृतिक तथा समदूरस्थ प्रक्षेप में वर्गीकृत किया
जाता है।

(iii) कोई भी मानचित्र ग्लोब को सही रूप में नहीं दर्शाता है, क्यों?
उत्तर- मानचित्र प्रक्षेप अक्षांश और देशांतर रेखाओं का जाल होता है। यह समतल कागज पर बनाया जाता है। ग्लोब पृथ्वी का सही प्रतिनिधित्व करता है। प्रक्षेप ग्लोब की छाया होती है जो कुछ स्थानों पर विकृत हो जाता है। इस तरह प्रक्षेप ग्लोब को सही रूप में नहीं दर्शाता।

(iv) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र को समरूप कैसे रखा जाता है?
उत्तर- बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप को समरूप रखा जाता है। अक्षांश और देशांतर रेखाएँ सीधी रेखा के रूप में एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।

प्र० 3. अन्तर स्पष्ट कीजिए|
(i) विकासनीय एवं अविकासनीय पृष्ठ
उत्तर- विकासनीय एवं अविकासनीय पृष्ठ में अन्तर-
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium) 3

(ii) समक्षेत्र तथा यथाकृतिक प्रक्षेप
उत्तर- समक्षेत्र तथा यथाकृतिक प्रक्षेप में अंतर
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium) 3.1

(iii) अभिलंब एवं तिर्यक प्रक्षेप
उत्तर- अभिलंब एवं तिर्यक प्रक्षेप में अंतर–
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium) 3.2

(iv) अक्षांश के समांतर एवं देशांतर के याम्योत्तर
उत्तर- अक्षांश के समांतर एवं देशांतर के याम्योत्तर में अंतर-
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium) 3.3

प्र० 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए-
(i) मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण करने के आधार की विवेचना कीजिए तथा प्रक्षेपों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण करने के आधार|
(i) बनाने की तकनीक/विधि के आधार पर प्रक्षेपों को सामान्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। संदर्श, असंदर्श तथा रूढ़ अथवा गणितीय प्रक्षेप।
(ii) विकासनीय पृष्ठ के गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को बेलनी, शंकु तथा खमध्य प्रक्षेपों में वर्गीकृत किया जाता है।
(iii) भूमंडलीय गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को समक्षेत्र प्रक्षेप, यथाकृतिक प्रक्षेप, समदूरस्थ प्रक्षेप में वर्गीकृत किया जाता है।
(iv) प्रकाश के स्रोत की स्थिति के आधार पर प्रक्षेपों को नोमॉनिक, त्रिविम एवं लंबकोणीय प्रक्षेपों में वर्गीकृत किया जाता है।
(v) ग्लोब की सतह को स्पर्श करने की स्थिति के आधार पर प्रक्षेपों को अभिलंब प्रक्षेप त्रिर्यक प्रक्षेप तथा ध्रुवीय प्रक्षेप में वर्गीकृत किया जाता है।

प्रक्षेप की मुख्य विशेषताएँ
(i) यह न तो समक्षेत्र है और न ही शुद्ध आकृति।
(ii) अक्षांश रेखाएँ समान दूरी पर खिंची संकेंद्रीय वृत्तों की चाप होती हैं एवं देशांतर रेखाएँ समान कोणात्मक अन्तरालों पर खिंची अरीय रेखीय होती है।
(iii) केंद्र या ध्रुव से प्रत्येक बिंदु अपनी यथार्थ दूरी पर तथा शुद्ध दिशा में स्थित होता है।
(iv) अक्षांशीय मापक शुद्ध नहीं होता है, यह मानक अक्षांश से परे तेज गति से बढ़ता जाता है। देशांतरीय मापक सर्वत्र शुद्ध रहता है।

(ii) कौन-सा मानचित्र प्रक्षेप नौसंचालन उद्देश्य के लि बहुत उपयोगी होता है? इस प्रक्षेप की सीमाओं एवं उपयोगों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- मर्केटर प्रक्षेप नौसंचालन उद्देश्य के लिए बहुत उपयोगी होता है।
मर्केटर प्रक्षेप की सीमाएँ
(i) याम्योत्तर एवं अक्षांशों के सहारे मापनी का विस्तार उच्च अक्षांशों पर तीव्रता से बढ़ता है। जिसके परिणामस्वरूप, ध्रुव के निकटवर्ती देशों को आकार उनके वास्तविक आकार से अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए ग्रीनलैंड का आकार संयुक्त राज्य अमेरिका के बाराबर हो जाता है, जबकि यह अमेरिका के आकार का 1/10वाँ हिस्सा है।
(ii) इस प्रक्षेप में ध्रुवों को प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। है, क्योंकि 90° अक्षांश समांतर एवं याम्योतर रेखाएँ अनंत होती है।

मर्केटर प्रक्षेप का उपयोग
(i) यह विश्व के मानचित्र के लिए बहुत ही उपयोगी है। तथा एटलस मानचित्रों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
(ii) यह समुद्र एवं वायु मार्गों पर नौसंचालन के लिए बहुत ही उपयोगी है।
(iii) अपवाह प्रतिरूपों, समुद्री धाराओं, तापमान, पवनों एवं उनकी दिशाओं, पूरे विश्व में वर्षा का वितरण इत्यादि को मानचित्र पर दर्शाने के लिए यह उपयुक्त है।

(iii) एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण क्या हैं तथा उसकी सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण|
(i) सभी अक्षांशों के समांतर वृत्तों के चाप होते हैं तथा उनके बीच की दूरी बराबर होती है।
(ii) सभी याम्योत्तर रेखाएँ सीधी होती हैं, जो ध्रुवों पर मिल जाती हैं। याम्योत्तर समांतर को समकोण पर काटती हैं।
(iii) सभी याम्योत्तरों की मापनी सही होती है, अर्थात् याम्योत्तरों पर सारी दूरियाँ सही होती हैं।
(iv) एक वृत्त का चाप ध्रुव को दर्शाता है।
(v) मानक समांतर पर मापनी शुद्ध होती है, लेकिन इससे दूर यह विकृत हो जाती है।
(vi) याम्योत्तर ध्रुवों के निकट जाते हुए एक-दूसरे के समीप आ जाते हैं।
(vii) यह प्रक्षेप न तो समक्षेत्र है तथा न ही यथाकृतिक।

सीमाएँ
(i) यह विश्व मानचित्र के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि जिस गोलार्द्ध में मानक अक्षांश वृत्त चुना जाता है। उसके विपरीत गोलार्द्ध में चरम विकृति होती है।
(ii) जिस गोलार्द्ध में यह बनाया जाता है, उसके लिए भी यह उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उसमें भी ध्रुव पर तथा विषुवत वृत्त के पास विकृत होने के कारण इसका उपयोग बड़े क्षेत्र को प्रदर्शित करने के लिए अनुपयुक्त है।

क्रियाकलाप
1. 30° उ० से 70° उ० तथा 40° प० से 30° प० के बीच स्थित एक क्षेत्र का रेखाजाल एक मानक अक्षांश वाले सामान्य शंकु प्रक्षेप पर बनाइए, जिसकी मापनी 1 : 20,00,00,000 तथा मध्यांतर 10° है।
2. विश्व का रेखाजाल बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप पर बनाइए, जहाँ प्रतिनिधि भिन्न 1:15,00,00,000 तथा मध्यांतर 15° है।
3. 1 : 25,00,00,000 की मापनी पर एक मर्केटर प्रक्षेप का रेखाजाल बनाइए, जिसमें अक्षांश एवं देशांतर 20° के मध्यांतर पर खींची जाए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

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