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NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 2 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 2 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 2 Globe: Latitudes and Longitudes (Hindi Medium)

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प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) पृथ्वी का सही आकार क्या है?
उत्तर हमारी पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है। यह उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों पर थोड़ी चपटी तथः मध्य में थोड़ी उभरी हुई है। यह सेब के आकार के समान है।

(ii) ग्लोब क्या है?
उत्तर ग्लोब लघु रूप में पृथ्वी का एक वास्तविक प्रतिरूप है। ग्लोब पर देशों, महाद्वीपों तथा महासागरों को उनके सही आकार में दिखाया जाता है।

(iii) कर्क रेखा का अक्षांशीय मान क्या है?
उत्तर कर्क रेखा का अक्षांशीय मान 23 1/2° उत्तरी अक्षांश है।

(iv) पृथ्वी के तीन ताप कटिबंध कौन-से हैं?
उत्तर पृथ्वी के तीन प्रमुख ताप कटिबंध निम्नलिखित हैं

  1. उष्ण कटिबंध
  2. शीतोष्ण कटिबंध
  3. शीत कटिबंध

(v) अक्षांश एवं देशांतर रेखाएँ क्या हैं?
उत्तर

  • अक्षांश रेखाएँ – ये वे काल्पनिक रेखाएँ हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर विषुवत् वृत्त के समानांतर ध्रुवों तक खींची गई हैं। इनकी लंबाई अलग-अलग होती है।
  • देशांतर रेखाएँ – वे काल्पनिक रेखाएँ हैं जो विषुवत् वृत्त को काटती हैं और उत्तरी ध्रुव व दक्षिण ध्रुव को जोड़ती हैं। इनकी लंबाई बराबर होती है।।

(vi) ऊष्मा की सबसे अधिक मात्रा उष्ण कटिबंध क्यों प्राप्त करते हैं?
उत्तर कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच के सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है।

(vii) जब भारत में शाम के 5:30 बजते हैं, तब लंदन में दोपहर के 12 क्यों बजते हैं?
उत्तर भारत ग्रीनिच के पूर्व 82°30′ में स्थित है तथा भारत का समय लंदन से 5 घंटे 30 मिनट आगे है, क्योंकि देशांतर के प्रत्येक अंश में 4 मिनट का अंतर होता है। इसलिए जब लंदन में दोपहर के 12 बजते हैं तो भारत में शाम के 5:30 बजते हैं।

2. सही उत्तर चिह्नित (✓) कीजिए।

(i) प्रमुख याम्योत्तर का मान है

(क) 90°
(ख)
(ग) 60°

(ii) शीत कटिबंध किसके नजदीक पाया जाता है?

(क) ध्रुवों
(ख) विषुवत् वृत्त
(ग) कर्क रेखा

(iii) देशांतरों की कुल संख्या है

(क) 360
(ख) 180
(ग) 90

(iv) उत्तरी ध्रुव वृत्त स्थित है

(क) उत्तरी गोलार्ध में
(ख) दक्षिणी गोलार्ध में
(ग) पूर्वी गोलार्ध में

(v) ग्रिड किसका जाल है

(क) अक्षांशों (समानांतर) रेखाओं एवं देशांतरीय याम्योत्तरों का
(ख) कर्क रेखा एवं मकर रेखा का
(ग) उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव का

उत्तर

  1. (ख)
  2. (क) ध्रुवों
  3. (क) 360
  4. (क) उत्तरी गोलार्ध में
  5. (क) अक्षांशों (समानांतर) रेखाओं एवं देशांतरीय याम्योत्तरों का।

2. खाली स्थान भरें।

  1. मकर रेखा …………… पर स्थित है।
  2. भारत का मानक याम्योत्तर …………… है।
  3. 0° याम्योत्तर को …………… के नाम से जाना जाता है।
  4. देशांतरों के बीच की दूरी …………… की तरफ घटती जाती है।
  5. दक्षिणी ध्रुव वृत्त …………… गोलार्ध में स्थित है।

उत्तर

  1. 22° 1/2 दक्षिण
  2. 82° 1/2 पूर्व (82°30 पूर्व)
  3. प्रधान मध्याह्न रेखा
  4. ध्रुवों
  5. दक्षिण

आओ कुछ करें

1. पृथ्वी के अक्ष, विषुवत् वृत्त, कर्क रेखा एवं मकर रेखा, उत्तरी ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी ध्रुव वृत्त को दर्शाते हुए एक चित्र बनाएँ।
उत्तर

NCERT Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 1

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NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं? यह किस प्रकार सीमांत बचत प्रवृत्ति से संबंधित है?
उत्तर: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) – आय के परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन के अनुपात को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) कहते हैं। यह बढ़ी हुई आय का वह भाग है जो उपभोग पर खर्च किया जाता है उपभोग में परिवर्तन (∆C) को आय में परिवर्तन (∆y) से भाग करके MPC को ज्ञात किया जाता है। सूत्र के रूप में
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 1
यहाँ ∆C = उपभोग में परिवर्तन, ∆y = आय में परिवर्तन।।
सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) – आय में परिवर्तन के कारण बचत में परिवर्तन के अनुपात को सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) कहते हैं। यह उस बढ़ी हुई आय का वह भाग या अनुपात है जो बढ़ी हुई आय से बचाई गई है। बचत में परिवर्तन (∆S) को आय में परिवर्तन (∆y) से भाग करके MPS को ज्ञात किया जा सकता है।
सूत्र के रूप में-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 1.1
यहाँ, ∆S = बचत में परिवर्तन, ∆y = आय में परिवर्तन।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति और सीमांत बचत प्रवृत्ति का योग (1) इकाई के बराबर होता है। इस प्रकार,
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति + सीमांत बचत प्रवृत्ति = 1 अर्थात्
MPC + MPS = 1

प्र० 2. प्रत्याशित निवेश और यथार्थ निवेश में क्या अंतर है?
उत्तर: प्रत्याशित अथवा इच्छित निवेश वह निवेश है जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर करने की इच्छा रखते हैं। यथार्थ अथवा वास्तविक निवेश वह निवेश है, जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर वास्तव में करते हैं। उदाहरण-मान लीजिए कि एक उत्पादक वर्ष के अंत तक अपने भंडार में 200 ₹ के मूल्य की वस्तु जोड़ने की योजना बनाता है। अतः उस वर्ष उसका प्रत्याशित निवेश 200 ₹ है। किंतु बाजार में उसकी वस्तुओं की माँग में अप्रत्याशित वृद्धि होने के कारण उसकी विक्रय में उस परिमाण से अधिक वृद्धि होती है, जितना कि उसने बेचने की योजना बनाई थी। इस अतिरिक्त माँग की पूर्ति के लिए उसे अपने भंडार से 60 ₹ के मूल्य की वस्तु बेचनी पड़ती है। अतः वर्ष के अंत में उसकी माल-सूची में केवल 200 ₹ – 60 ₹ = 140 ₹ की वृद्धि होती है।
इस प्रकार, उसको प्रत्याशित निवेश 200 ₹ है, जबकि उसका यथार्थ निवेश केवल 140 ₹ है।

प्र० 3. ‘ किसी देश में पैरामेट्रिक शिफ्ट ‘ से आप क्या समझते हैं? रेखा में किस प्रकार शिफ्ट होता है जब इसकी
(i) ढाल घटती है और
(ii) इसके अन्त:खण्ड में वृद्धि होती है?
उत्तर: एक सरल रेखा का समीकरण b = ma + e के रूप में दर्शाया जिसमें a और b दो परिवर्त/चर हैं। m > 0 को सरल रेखा की प्रवणता कहा जाता है और e > 0 उर्ध्वाधर अक्ष पर अन्त:खण्ड है। जब u में 1 इकाई से वृद्धि होती तो b के मूल्य में m इकाइयों से वृद्धि हो जाती है। इसे आलेख पर परिवर्तों का संचलन कहते हैं। परन्तु जब m या e में परिवर्तन होता है तो इसे आलेख का पैरामिट्रिक शिफ्ट कहते हैं, क्योंकि m और e को आलेख का पैरामीटर कहा जाता है। अन्य शब्दों में आलेख की प्रवणता अथवा अन्त:खण्ड में परिवर्तन के कारण जो परिवर्तन होते हैं उसे आलेख का पैरामिट्रिक शिफ्ट कहते हैं। इसे उपभोग फलन द्वारा समझा जा सकता है।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 3
यदि y में परिवर्तन से C में परिवर्तन हों तो इसे आलेख पर परिवर्तनों का संकलन कहेंगे। परन्तु यदि C या है में परिवर्तन हों तो इसे आलेख का पेरामिट्रिक शिफ्ट कहा जायेगा। इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है
(क) प्रवणता में परिवर्तन-प्रवणता में परिवर्तन होने पर वक्र इस प्रकार खिसकता है कि प्रवणता बढ़ने पर वक़ अधिक ढाल वाला हो जाता है और प्रवणता के घटने पर वक्र कम ढाल वाला हो जाता है।
(ख) अन्तखण्ड में परिवर्तन-अन्तखण्ड बढ़ने पर वक्र उतनी ही मात्रा से समान्तर रूप से (क्योंकि प्रवणता समान है) ऊपर की ओर खिसक जाता है और इसके विपरीत अन्त:खण्ड घटने पर उतनी ही मात्रा से समान्तर रूप से नीचे की ओर खिसक जाता है।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 3.1
(i) जब रेखा की ढाल घटती है तो रेखा पहले से कम ढाल वाली हो जाती है। उदाहरण के लिए यदि C = C + by में C = 100 + 0.84 था b घटकर 0.6 हो गया तो नया C = 100 + 0.6y हो जायेगा। यह वक्र पिछले C वक्र से कम ढाल वाला होगा। क्योंकि पहले आय 100 बढ़ने पर उपभोग 80 बढ़ रहा था, परन्तु अब आय 100 बढ़ने पर उपभोग 60 बढ़ेगा।
(ii) जब रेखा के अन्त:खण्ड आय में वृद्धि होती है तो रेखा समान्तर रूप से ऊपर की ओर खिसक जाती है, क्योंकि दो समान्तर रेखाओं की प्रवणता समान होती है।

प्र० 4. ‘ प्रभावी माँग ‘ क्या है? जब अंतिम वस्तुओं की कीमत और ब्याज की दर दी हुई हो, तब आप स्वायत्त व्यय गुणक कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर: प्रभावी माँग से अभिप्राय समस्त माँग के उस बिंदु से जहाँ यह सामूहिक पूर्ति के बराबर है। प्रभावी माँग अर्थव्यवस्था की माँग का यह स्तर है जो समस्त पूर्ति से पूर्णतया संतुष्ट होता है और इसलिए उत्पाद को द्वारा उत्पादन बढ़ाने या उपभोग घटाने की कोई प्रवृत्ति नहीं पाई जाती। अन्य शब्दों में, समग्र माँग का वह स्तर जो पूर्ण संतुलन उपलब्ध करता है, प्रभावी हैं माँग कहलाता है। वैकल्पिक रूप में संतुलन के बिंदु पर समग्र माँग को प्रभावी माँग कहते हैं, क्योंकि राष्ट्रीय आय के निर्धारण में यह प्रभावी होती है। कैसे? केन्स के अनुसार आय का साम्य स्तर उस बिंदु पर निर्धारित होता है जहाँ समग्र माँग, समग्र पूर्ति के बराबर होती है। जब अंतिम उत्पादन व आय: वस्तुओं की कीमत और ब्याज की दर दी गई हो, तो स्वायत्त व्यय गुणक की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाएगी।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 4

प्र० 5. जब स्वायत्त निवेश और उपभोग व्यय (A) 50 करोड़ र हो और सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) 0.2 तथा आय (y) का स्तर 4,00,000 करोड़ ₹ हो तो प्रत्याशित समस्त माँग ज्ञात करें। यह भी बताएँ कि अर्थव्यवस्था संतुलन में है या नहीं (कारण भी बताएँ)।
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 5
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 4 Income Determination (Hindi Medium) 5.1
प्रत्याशित समस्त माँग = ₹ 3,250 करोड़
चूँकि वर्तमान आय का स्तर ₹ 4,000 करोड़ है जो प्रत्याशित समस्त माँग में ₹ 750 करोड़ अधिक है तो वह स्थिति अधिपूर्ति की होगी। इसलिए अर्थव्यवस्था संतुलन में नहीं है।

प्र० 6. मितव्ययिता के विरोधाभास की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: मितव्ययिता के विरोधाभास का अर्थ-मितव्ययिता के विरोधाभास से अभिप्राय यह है कि यदि अर्थव्यवस्था के सभी लोग अपनी आय से बचत के अनुपात को बढ़ा दें तो अर्थव्यवस्था में बचत के कुल मूल्य में वृद्धि नहीं होगी। इसका कारण यह है कि सीमांत बचत प्रवृत्ति के बढ़ने से सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है। और निवेश गुणक भी कम हो जाता है। फलस्वरूप आय में वृद्धि की दर भी कम हो जाती है। इस प्रकार बचत बढ़ाने से कुल बचत का बढ़ना आवश्यक नहीं है। नीचे दिए चित्र में स्पष्ट है कि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति के कम SS से S1S1 पर खिसक गया। फलस्वरूप राष्ट्रीय आय भी घटकर Oy1 से Oy2 हो जाती है। जिससे बचत फिर कम हो जाएगी। इस प्रकार बचत में वृद्धि नहीं हो सकेगी। मितव्ययिता से हम आय बढ़ाना चाहते थे, परंतु यह विरोधाभास है कि इससे आय बढ़ने की बजाय कम हो गई।
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NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 1

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 1 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 1 Geography as a Discipline (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से किस विद्वान ने भूगोल (Geography) शब्द (Term) का प्रयोग किया?
(क) हेरोडोटस
(ख) गैलिलियो
(ग) इरेटास्थेनीज
(घ) अरस्तू
उत्तर- (ग) इरेटास्थेनीज़।

(ii) निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
(क) पत्तन
(ख) मैदान
(ग) सड़क
(घ) जल उद्यान
उत्तर- (ख) मैदान

(iii) स्तंभ I एवं II के अंतर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए।
NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 1 (Hindi Medium) 1
सही मेल को चिह्नांकित कीजिए :
(क) 1. ब, 2. से, 3. अ, 4. दे
(ख) 1. द, 2. ब, 3. स, 4. अ
(ग) 1. अ, 2. द, 3. ब, 4. स
(घ) 1. स, 2. अ, 3. द, 4. ब
उत्तर- (घ) 1. स, 2. अ, 3. द, 4. ब

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण संबंध से जुड़ा हुआ है?
(क) क्यों
(ख) क्या
(ग) कहाँ
(घ) कब
उत्तर- (क) क्यों

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
(क) समाजशास्त्र
(ख) मानवशास्त्र
(ग) इतिहास
(घ) भूगोल
उत्तर- (ग) इतिहास

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) आप विद्यालय जाते समय किन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं। अथवा असमान? उन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर- हम जब विद्यालय जाते हैं तो रास्ते में दुकान, सिनेमाघर, सड़क, मंदिर, मस्जिद, चर्च, घर, सरकारी कार्यालय
आदि सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं। ये सभी लक्षण असमान हैं। इन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए, क्योंकि हम इन लक्षणों को प्रायोगिक भूगोल में संकेत चिह्नों के माध्यम से समझते हैं। ये सभी सांस्कृतिक लक्षण सांस्कृतिक भूगोल तथा मानव भूगोल के अभिन्न हिस्से हैं।

(ii) आपने टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, संतरा एवं लौकी देखा होगा। इनमें से कौन-सी वस्तु की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती-जुलती है? आपने इस विशेष वस्तु को पृथ्वी की आकृति वर्णित करने के लिए क्यों चुना है?
उत्तर- हमने टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, संतरा एवं लौकी को देखा है। इनमें से संतरे की आकृति पृथ्वी से मिलती-जुलती है, क्योंकि टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद पूर्णरूपेण गोल होती है जबकि लौकी लम्बी होती है। संतरा गोल तो होता है, लेकिन थोड़ा चपटा होता है, ठीक इसी तरह पृथ्वी भी ध्रुवों पर चपटी है।

(iii) क्या आप अपने विद्यालय में वन-महोत्सव समारोह का आयोजन करते हैं? हम इतने पौधारोपण क्यों करते हैं? वृक्ष किस प्रकार पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं?
उत्तर- हम अपने विद्यालय में वन-महोत्सव समारोह का आयोजन करते हैं, जिसमें पौधों को विद्यालय के प्रांगण में लगाने का अभियान चलाया जाता है। पेड़-पौधे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं, जोकि पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं।

(iv) आपने हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास देखी है। वे कहाँ रहते एवं बढ़ते हैं? उस मंडल को क्या नाम दिया गया है? क्या आप उस मंडल के कुछ लक्षणों का वर्णन कर सकते हैं?
उत्तर- हमने हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास देखी है। जहाँ वे रहते एवं बढ़ते हैं, उस जगह को जैवमंडल का नाम दिया गया है। जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का वह घेरा जहाँ स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल एक-दूसरे से मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं, उसे जीवमंडल कहते हैं। सजीव जीवमंडल के जैविक घटक हैं और वायु, मृदा और जल निर्जीव घटक। जीवमंडल में गतिशील और स्थिर दोनों तरह के जीव पाए जाते हैं। गतिशील जीवों में पशु, मानव, कीड़े-मकोड़े, जल-जीव आदि आते हैं। स्थिर जीवों में
पेड़-पौधे, घास आदि को सम्मिलित किया जाता है।

(v) आपको अपने निवास से विद्यालय जाने में कितना समय लगता है? यदि विद्यालय आपके घर की सड़क के उस पार होता तो आप विद्यालय पहुँचने में कितना समय लेते? आने-जाने के समय पर आपके घर एवं विद्यालय के बीच की दूरी का क्या प्रभाव पड़ता है? क्या आप समय को स्थान या इसके विपरीत, स्थान को समय, में परिवर्तित कर सकते हैं?
उत्तर- हमें अपने घर से विद्यालय पहुँचने में एक घंटा समय लगता है। यदि विद्यालय हमारे घर की सड़क के उस पार होता तो हम विद्यालय पहुँचने में दो मिनट का समय लेते। आने-जाने में दो घंटे लगने के कारण पढ़ाई का काफी समय बर्बाद हो जाता है। हाँ, हम स्थान को आने-जाने के आधार पर समय में परिवर्तित कर सकते हैं। जैसे किसी को कहा जाता है कि अमुक स्थान पर यहाँ से पैदल 45 मिनट में पहुँच सकते हैं। लेकिन समय को स्थान में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) आप अपने परिस्थान (Surrounding) का अवलोकन करने पर पाते हैं कि प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक दोनों तथ्यों में भिन्नता पाई जाती है। सभी वृक्ष एक ही प्रकार के नहीं होते। सभी पशु एवं पक्षी, जिन्हें आप देखते हैं, भिन्न-भिन्न होते हैं। ये सभी भिन्न तत्व धरातल पर पाए जाते हैं। क्या अब आप यह तर्क दे सकते हैं कि भूगोल प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन है?
उत्तर- भूगोल में अपने परिस्थान (Surrounding) का अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक दोनों तथ्यों में भिन्नता पाई जाती है। विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार के वृक्ष और पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं। प्रादेशिक स्तर पर अध्ययन भिन्न तरीके से किया जाता है। किसी भी तथ्य के बारे में अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसको अध्ययन किया जाता है। फिर उसका वर्गीकरण करके क्षेत्रीय आधार पर अध्ययन किया जाता है। उदाहरणस्वरूप, विश्व के वनों के बारे में अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम यह पता लगाया जाता है। कि विश्व में कितने प्रकार के वन पाए जाते हैं। जैसे विषुवतरेखीय सदाबहार वन, कोणधारी वन, मानसूनी वन आदि। प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या नामित प्रदेश हो सकते हैं।

(ii) आप पहले ही भूगोल, इतिहास, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र का सामाजिक विज्ञान के घटक के रूप में अध्ययन कर चुके हैं। इन विषयों के समाकलन का प्रयास उनके अंतरापृष्ठ (Interface) पर प्रकाश डालते हुए कीजिए।
उत्तर- भूगोल का एक संश्लेषणात्मक विषय के रूप में अनेक प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों से अंतर्संबंध है। प्राकृतिक या सामाजिक सभी विज्ञानों का एक मूल उद्देश्य है-यथार्थता का ज्ञान करना। वस्तुत: विज्ञान से संबंधित सभी विषय भूगोल से जुड़े हैं, क्योंकि उनके कई तत्व क्षेत्रीय संदर्भ से भिन्न-भिन्न होते हैं। भूगोल ऐतिहासिक घटनाओं को प्रभावित करता है। स्थानिक दूरी स्वयं विश्व के इतिहास की दिशा को परिवर्तित करने के लिए एक प्रभावशाली कारक है। प्रत्येक भौगोलिक तथ्य समय के साथ परिवर्तित होता रहता है तथा समय के परिप्रेक्ष्य में उसकी व्याख्या की जा सकती है। भू-आकृति, जलवायु, वनस्पति, आर्थिक क्रियाएँ, व्यवसाय एवं सांस्कृतिक विकास ने एक निश्चित ऐतिहासिक पथ का अनुसरण किया है। अनेक भौगोलिक तत्व विभिन्न संस्थानों द्वारा एक विशेष समय पर निर्णय लेने की प्रक्रिया के प्रतिफल होते हैं। राजनीतिशास्त्र का मूल उद्देश्य राज्य-क्षेत्र, जनसंख्या, प्रभुसत्ता का विश्लेषण है। जबकि राजनीतिक भूगोल एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में राज्य तथा उसकी जनसंख्या के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है। अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था की मूल विशेषताओं, जैसे-उत्पादन, वितरण, विनिमय एवं उपभोग का विवेचन करता है। इन विशेषताओं में से प्रत्येक का स्थानिक पक्ष होता है। अतएव वहाँ आर्थिक भूगोल की भूमिका आती है।

परियोजना कार्य-
(अ) वन को एक संसाधन के रूप में चुनिए, एवं
(i) भारत के मानचित्र पर विभिन्न प्रकार के वनों के वितरण दर्शाइए।
NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 1 (Hindi Medium) 2

(ii) देश के लिए वनों का आर्थिक महत्त्व’ विषय पर एक लेख लिखिए।
उत्तर- देश के लिए वनों का आर्थिक महत्त्व निम्न है:
(i) वन जंगली जानवरों की शरणस्थली होता है।
(ii) वनों से हमें लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं।
(iii) वनों से हमें कागज के लिए घास और बाँस, रेशम के लिए शहतूत के कीड़े, शराब के लिए महुआ, चंदन की लकड़ी, कत्था, लाख आदि प्राप्त होते हैं।
(iv) वन मृदा अपरदन को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(iii) भारत में वन संरक्षण का ऐतिहासिक विवरण राजस्थान एवं उत्तरांचल में ‘चिपको आन्दोलन’ पर प्रकाश डालते हुए प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- राजस्थान में वन संरक्षण के ऐतिहासिक विवरण के अनुसार 18वीं सदी के मध्य में जोधपुर के राजा ने अपने कर्मचारियों से स्थानीय क्षेत्रों से पेड़ काटकर लकड़ियाँ लाने के लिए कहा था। कर्मचारी जब जोधपुर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से पेड़ों को काटकर लकड़ियाँ प्राप्त करने गए तो ग्रामीणों ने उनका विरोध किया। जब इस विरोध की सूचना कर्मचारियों ने राजा को दी तो राजा ने क्रोधित होकर विरोध करने वालों की हत्या करने का भी आदेश दे दिया। कर्मचारी राजा का आदेश मानकर पेड़ों को काटने के लिए पुनः ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच गए और उन्होंने पेड़ों को काटने का विरोध करने वालों की हत्या भी कर दी। कई लोगों की जान जाने के बावजूद ग्रामीणों ने पेड़ों को काटने का विरोध नहीं छोड़ा। जब यह बात राजा को पता चली तो उन्होंने पेड़ काटने का आदेश वापस ले लिया। इस तरह से अपनी जान गॅवाकर भी ग्रामीणों ने वन को संरक्षण प्रदान किया।
उत्तरांचल में वन संरक्षण का ऐतिहासिक विवरण – चिपको आंदोलन की शुरुआत उत्तरांचल के दो-तीन गाँवों से हुई थी। इसके पीछे एक कहानी है। गाँववालों ने वन विभाग से कहा कि खेती-बाड़ी के औज़ार बनाने के लिए हमें पेड़ काटने की अनुमति दी जाए। वन विभाग ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। बहरहाल, विभाग ने खेल-सामग्री के एक विनिर्माता कम्पनी को जमीन का वही टुकड़ा व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए आवंटित कर दिया। इससे गाँववालों में रोष पैदा हुआ और उन्होंने सरकार के इस कदम का विरोध किया। यह विरोध जल्दी ही उत्तरांचल के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया। क्षेत्र की पारिस्तिथिकी और आर्थिक शोषण के बड़े सवाल उठने लगे। गाँववालों ने माँग की कि जंगल की कटाई का कोई भी ठेका बाहरी व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए और स्थानीय लोगों का जंगल, जल, जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर कारगर नियंत्रण होना चाहिए। लोग चाहते थे कि सरकार लघु उद्योगों के लिए कम कीमत की सामग्री उपलब्ध कराए। लोग सरकार की नीतियों का विरोध जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करके कर रहे थे। जब गाँव के पुरुष जिला मुख्यालय पर धरना दे रहे थे, उसी समय खेल-सामग्री बनाने वाली कंपनी ने गाँव में जाकर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। इस स्थिति को देखकर ग्रामीण महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर पेड़ों की रक्षा की, जिसे ‘चिपको आंदोलन’ के नाम से जाना गया।

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 6

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 6 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 6 Geomorphic Processes (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?
(क) निपेक्ष
(ख) ज्वालामुखीयता
(ग) पटल विरूपण
(घ) अपरदन
उत्तर- (घ) अपरदन

(ii) जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(क) ग्रेनाइट
(ख) क्वार्ट्ज़
(ग) चीका (क्ले) मिट्टी
(घ) लवण
उत्तर- (घ) लवण

(iii) मलवा अवधान को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
(क) भूस्खलन
(ख) तीव्र प्रवाही बृहत संचलन
(ग) मंद प्रवाही बृहत संचलन
(घ) अवतलन/धसकन
उत्तर- (ख) तीव्र प्रवाही बृहत संचलन

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?
उत्तर- अपक्षय प्रक्रियाएँ चट्टानों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने एवं मृदा निर्माण के कार्य में ही सहायक नहीं होती हैं बल्कि वे अपरदन एवं बृहत संचलन के लिए भी उतरदायी हैं। जैव मात्रा एवं जैव विविधता प्रमुखतः वन की उपज हैं तथा वन अपक्षयी प्रवाल की गहराई अर्थात न केवल आवरण प्रस्तर एवं मिट्टी अपितु अपरदन बृहत संचलन पर निर्भर करता है। यदि चट्टानों का अपक्षय न हो तो अपरदन का कोई महत्त्व नहीं होता। चट्टानों का अपक्षय एवं निक्षेपण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए अति महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान है। यह कुछ खनिजों जैसे लोहा, मैगनीज, एल्युमिनियम, ताँबे के अयस्कों के समृद्धीकरण एवं संकेंद्रण में सहायक होता है।

(ii) बृहत संचलन जो वास्तविक, तीव्र एवं गोचर, अवगम्य (Perceptible) हैं, वे क्या हैं? सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- बृहत संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें चट्टानों के मलबे गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल अनुरूप स्थानांतरित होते हैं। भूस्खलन अपेक्षाकृत तीव्र एवं अवगम्य संचलन है। भूस्खलन मुख्यतः पर्वतीय भागों में अधिक होता है। पर्वतीय भागों में शिखरों की ढाल काफी तीव्र होती है। तीव्र ढाल के कारण शिखरों से पत्थर, मलबा, मिट्टी आदि घाटी की ओर गिरने लगते हैं। असम्बद्ध कमजोर पदार्थ, छिछले संस्तर वाली चट्टानें, भ्रंश, तीव्रता से झुके हुए संस्तर, खड़े भृगु या तीव्र ढाल, पर्याप्त वर्षा, मूसलाधार वर्षा, भूकंप तथा वनस्पति का अभाव, झीलों, नदियों एवं जलाशयों से भारी मात्रा में जल निष्कासन, विस्फोट
आदि बृहत संचलन को अनुकूलित करते हैं।

(iii) विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वे क्या प्रधान कार्य संपन्न करते हैं?
उत्तर- बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक कारकों से उत्पन्न प्रवणता से अपनी ऊर्जा प्राप्त करती हैं। सभी बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक सामान्य शब्दावली अनाच्छादन के अंतर्गत रखा जा सकता है। अनाच्छादन से तात्पर्य आवरण को हटाने से है। अपक्षय, वृहत क्षरण, संचलन, अपरदन, परिवहन आदि अनाच्छादन प्रक्रिया से सम्मिलित होते हैं। तापमान एवं वर्षण जलवायु के दो महत्त्वपूर्ण घटक हैं जोकि
विभिन्न भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

(iv) क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?
उत्तर- मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है क्योंकि अपक्षय प्रक्रियाएँ शैलों को न केवल छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा आवरण प्रस्तर एवं मृदा निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं अपितु अपरदन एवं बृहत संचलन के लिए भी उत्तरदायी हैं। अपक्षय जलवायु, चट्टान निर्माणकारी पदार्थों की विशेषताओं एवं जीवों सहित कई अन्य कारकों के समुच्चय पर निर्भर करता है। मृदा निर्माण में मूल शैल एक निष्क्रिय नियंत्रक कारक है। मूल शैल को अपक्षय छोटे कण के रूप में परिवर्तित कर देता है और वही धीरे-धीरे मृदा का रूप ले लेता है।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) “हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक वर्गों के खेल का मैदान है,” विवेचना कीजिए।
उत्तर- धरातल पर दिखाई देने वाले विविध स्थलरूपों का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक एवं बाह्य बलों के पारस्परिक प्रभाव के कारण होता है। इन बलों द्वारा मुलायम शैलें आसानी से काँटी-छाँटी जाती हैं जबकि अपेक्षाकृत कठोर शैलों पर इनका प्रभाव कम पड़ता है। अतः किसी क्षेत्र के स्थल रूपों के निर्माण में शैलों की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पृथ्वी के आंतरिक बल धरातल को निरंतर ऊपर उठाने में लगे रहते हैं। जबकि बाह्य बल उठे हुए भागों को काँट-छाँटकर समतल बनाने में निरंतर कार्यशील रहते हैं। इस प्रकार बाह्य बलों अर्थात तल संतुलन के कारकों के लगातार क्रियाशील रहने के कारण विविध प्रकार के स्थलरूप बनते रहते हैं। धरातल पर पाए जाने वाले प्रमुख स्थलरूप पर्वत, पठार और मैदान हैं। इन स्थलरूपों में बाह्य बल द्वारा अपरदन, निक्षेपण, परिवहन जैसी क्रियाएँ शुरू हो जाती हैं, जिससे कई नए स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। सामान्यतः अन्तर्जनित शक्तियाँ मूल रूप से आकृति निर्मात्री शक्तियाँ होती हैं। धरातल का निर्माण एवं विघटन क्रमशः अन्तर्जनित एवं बहिर्जनिक शक्तियों का परिणाम है।

(ii) ‘बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।’ व्याख्या कीजिए।
उत्तर- बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य, की गर्मी से प्राप्त करती हैं। गर्मी के कारण शैलें फैलती हैं और सर्दी के कारण सिकुड़ती हैं। गर्म मरुस्थलीय प्रदेशों में दिन में तापमान बहुत ऊँचा हो जाता है। इसके विपरीत रातें बहुत ठंडी होती हैं। दैनिक ताप परिसर के अधिक होने के कारण शैलें क्रमिक रूप में फैलती और सिकुड़ती रहती हैं। इससे उनकी दरारें और जोड़ चौड़े हो जाते हैं। अंततः शैलें छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। शैलें सामान्यतः ताप की कुचालक होती हैं। अधिक गर्मी के कारण शैलों की बाहरी परतें जल्दी से फैल जाती हैं। लेकिन भीतरी परतें गर्मी से लगभग अप्रभावित रहती हैं। क्रमिक रूप से फैलने और सिकुड़ने से शैलों की बाहरी परतें शैल के मुख्य भाग से अलग हो जाती हैं। इस प्रक्रिया में शैलों की परतें प्याज के छिलकों की तरह ही उतरती चली जाती हैं। उच्च तापमान और अधिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों में रासायनिक अपक्षय अधिक तीव्रता से होता है। वनस्पति के प्रकार एवं वितरण, जो प्रमुखतः वर्षा एवं तापमान पर निर्भर करते हैं, बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं। इन सभी बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की शक्ति का स्रोत सौर ऊर्जा है। अतः हम कह सकते हैं कि बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।

(iii) क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर- भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय की प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे से संबंधित भी हैं। भौतिक बल द्वारा चट्टानों का विघटन होता है जबकि रासायनिक क्रिया द्वारा चट्टानों का अपघटन होता है। भौतिक अपक्षय प्रक्रियाओं में कुछ अनुप्रयुक्त शक्तियाँ जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, तापक्रम में परिवर्तन, क्रिस्टल रवों में वृद्धि आदि सम्मिलित हैं। रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाओं का एक वर्ग जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण, जलयोजन, ऑक्सीकरण तथा न्यूनीकरण शैलों के अपघटन, विलयन अथवा न्यूनीकरण का कार्य करते हैं, जो रासायनिक क्रिया द्वारा सूक्ष्म अवस्था में परितर्तित हो जाती हैं। ऑक्सीजन, धरातलीय या मृदा-जल एवं अन्य अम्लों की प्रक्रिया द्वारा चट्टानों का न्यूनीकरण होता है। इस तरह से दोनों में अंतर देखने को मिलता है। लेकिन कई क्षेत्रों में भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय की ये प्रक्रियाएँ अंतर्संबंधित हैं। ये साथ-साथ चलती रहती हैं। तथा अपक्षय प्रक्रिया को त्वरित बना देती हैं। ये भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ चट्टानों को टुकड़ों या कणों में परिवर्तित करती हैं। दोनों चट्टानों में विखंडन करती हैं। दोनों मूल पदार्थों में अपघर्षण करती हैं।

(iv) आप किस प्रकार मृदा निर्माण प्रक्रियाओं तथा मृदा निर्माण कारकों के बीच अंतर ज्ञात करते हैं? जलवायु एवं जैविक क्रियाओं की मृदा निर्माण में दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप में क्या भूमिका है?
उत्तर- मृदा निर्माण की प्रक्रिया-मृदा निर्माण में अपक्षय की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भौतिक अपक्षय धरातलीय शैलों को विघटित करके उन्हें बारीक चूर्ण में बदल देता है। जल इन छोटे-छोटे शैल कणों को परतों के रूप में बिछा देता है। जैविक अपक्षय से ह्यूमस बनता है। यह जैव पदार्थ पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के क्रियाकलापों से बनता है, जो मृदा के निर्माण में सहायता करता है। अपक्षय की प्रक्रिया से भिन्न-भिन्न रंगों और गुणों वाली मृदाओं का निर्माण होता है। मृदा निर्माण के कारक-मृदा निर्माण को नियंत्रित करने वाले कारकों में मूल शैल, उच्चावचे, समय, जलवायु तथा जैविक तत्व शामिल हैं। मूल शैल, उच्चावच, समय को निष्क्रिय कारक और जलवायु तथा जैविक तत्व को क्रियाशील कारक कहते हैं। आधारी शैल तथा जलवायु मृदा निर्माण के दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं, क्योंकि ये अन्य कारकों को प्रभावित करते हैं। मृदा निर्माण के कारक

  1. मूल शैल – मृदा विभिन्न खनिजों से युक्त शैल या मूल शैल पदार्थों से निर्मित होती है।
  2. उच्चावच – किसी क्षेत्र की स्थलाकृति मूल शैल पदार्थों के अपरदन की मात्रा तथा वहाँ बहने वाले जल की गति को प्रभावित करती है। इस प्रकार मृदा निर्माण में सहायक प्रक्रियाएँ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उच्चावच से प्रभावित होती हैं।
  3. समय – मृदा का निर्माण बहुत धीरे-धीरे होता है। इसलिए पूर्णरूप से विकसित मृदा के निर्माण में अधिक समय लगता है।
  4. जलवायु – मृदा निर्माण की प्रक्रिया में जलवायु सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारक है।
  5. वनस्पति तथा जीव – पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु मूल शैल पदार्थों को विकसित मृदा में बदलने में एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

परियोजना कार्य-
प्र० 1. अपने चतुर्दिक विद्यमान भूआकृति/उच्चावच एवं पदार्थों के आधार पर जलवायु, संभव अपक्षय प्रक्रियाओं एवं मृदा के तत्त्वों और विशेषताओं क परखिए एवं अंकित कीजिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium)

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[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर: अर्थव्यस्था की केन्द्रीय समस्याएँ इस प्रकार हैं-
(i) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना होता है कि यह किन वस्तुओं का उत्पादन करे और कितनी मात्रा में। यदि एक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए तो अर्थव्यवस्था में दूसरी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन कम हो सकता है तथा विपरीत।। एक अर्थव्यवस्था को यह निर्धारित करना पड़ता है कि वह खाद्य पदार्थों का उत्पादन करे या मशीनों का, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करे या सैन्य सेवाओं के गठन पर, उपभोक्ता वस्तुएँ बनाए या पूँजीगत वस्तुएँ। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसे संयोजन का उत्पादन करें, जिससे कुल समाप्त उपयोगिता अधिकतम हो।
(ii) वस्तुओं का उत्पादन कैसे करें-सभी वस्तुओं का उत्पादन कई तकनीकों द्वारा हो सकता है किसी वस्तु के उत्पादन में श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करें या पूंजी प्रधान तकनीक का, यह निर्णय लेना होता है। इसके लिए निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसी तकनीक का प्रयोग करें, जिसका औसत उत्पादन लागत उत्पादन न्यूनतम हो।
(iii) उत्पादन किसके लिए करें–अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होगी अर्थव्यवस्था के उत्पादन को व्यक्ति विशेष में किस प्रकार विभाजित किया जाए। यह आय के वितरण पर निर्भर करता है। यदि आय समान रूप से विभाजित होगी, तो वस्तुएँ और सेवायें भी समान रूप से विभाजित होंगी। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि वस्तुओं और सेवाओं को इस प्रकार वितरित करो कि बिना किसी को बतर बनाये किसी अन्य को बेहतर न बनाया जा सके।

प्र० 2. अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: किसी अर्थव्यवस्था के संसाधनों का प्रयोग करके दो वस्तुओं के जिन भी संयोजनों का उत्पादन करना संभव है। वे उत्पादन संभावनाएँ कहलाती हैं।

प्र० 3. सीमान्त उत्पादन संभावना क्या है?
उत्तर: सीमान्त उत्पादन संभावना दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाती है, जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग करने पर किया जाता है। यह एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने की अवसर लागत है।

प्र० 4. अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु की विवेचना कीजिए।
उत्तर: अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु बहुत व्यापक है। प्रो. रोबिन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो दुर्लभ संसाधनों जिनके वैकल्पिक उपयोग हैं के विवेकशील प्रयोग पर केन्द्रित हैं।”
अर्थशास्त्र एक विषय वस्तु है जो दुर्लभ संसाधनों के विवेकशील प्रयोग पर इस प्रकार केन्द्रित है, जिससे कि हमारा आर्थिक कल्याण अधिकतम हो। अर्थशास्त्र के विषय वस्तु को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है।
(क) व्यष्टि अर्थशास्त्र-यह आर्थिक समस्याओं तथा आर्थिक मुद्दों का अध्ययन व्यक्तिगत उपभोक्ता या व्यक्तिगत उत्पादक या उनके छोटे से समूह को ध्यान में रखकर करता है।
(ख) समष्टि अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं और आर्थिक मुद्दों को अध्ययन करता है।
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प्र० 5. केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
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प्र० 6. सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अन्तर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न कार्यविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं।
उदाहरणत: जब हम कहते हैं कि कीमत के बढ़ने से माँग की मात्रा कम हो जाती है और कीमत कम होने से माँग की मात्रा बढ़ जाती है तो यह सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण है।

प्र० 7. आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझाने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ हमारे अनुकूल हैं भी या नहीं। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि सिगरेट और शराब की माँग कम करने के लिए उनके ऊपर कर की दरें बढ़ानी चाहिए तो यह आदर्शक विश्लेषण है।

प्र० 8. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) 8

[MORE QUESTIONS SOLVED] (अन्य हल प्रश्न)

I. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(क) हमारी आवश्यकताएँ सदा संसाधनों से अधिक होती हैं।
(ख) हमारे संसाधन सदा आवश्यकताओं से अधिक होते हैं।
(ग) संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग नहीं होते।
(घ) इच्छाओं के वैकल्पिक प्रयोग होते हैं।

2. उस भौतिक समस्या का नाम बताइये जिसके कारण अर्थशास्त्र अध्ययन की एक विषय सामग्री के रूप में उभरा है।
(क) निर्धनता
(ख) बेरोजगारी
(ग) ‘दुर्लभता
(घ) उपरोक्त सभी

3. निम्नलिखित में से किसे व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?
(क) कपड़ा उद्योग
(ख) बेरोजगारी
(ग) प्राथमिक क्षेत्र
(घ) उपरोक्त सभी

4. निम्नलिखित में से किसे समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?
(क) उपभोक्ता व्यवहार
(ख) राष्ट्रीय आय
(ग) कीमत सिद्धान्त
(घ) कल्याण अर्थशास्त्र

5. बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन …………… के लिए किया जाता है।
(क) लाभ
(ख) समाज कल्याण
(ग) सेवा
(घ) सरकारी जिम्मेदारी

6. ” क्या उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो।
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

7. ” कैसे उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

8. ” किसके लिए उत्पादन किया जाए ” का निर्णय लेने के लिए सिद्धान्त क्या है?
(क) जहाँ समग्र उपयोगिता अधिकतम हो।
(ख) जहाँ बिना किसी को बतर किये किसी को बेहतर न किया जा सके
(ग) जहाँ लागत न्यूनतम हो
(घ) उपरोक्त सभी

9. केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान ………… द्वारा किया जाता है।
(क) कीमत तंत्र
(ख) सामाजिक तंत्र
(ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी
(घ) इनमें से कोई भी

10. बाजार अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान …………. द्वारा किया जाता है।
(क) कीमत तंत्र
(ख) सामाजिक तंत्र
(ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी
(घ) इनमें से कोई भी

11. PP वक्र बाईं ओर कब खिसकेगा?
(क) जब संसाधनों में वृद्धि हो
(ख) जब तकनीक में सुधार हो
(ग) जब संसाधनों का विनाश हो
(घ) जब संसाधनों का अल्प/अकुशल उपयोग हो रही हो।

12. एक अर्थव्यवस्था में शिक्षा का महत्व जानकर लोगों ने अपने बच्चों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देना शुरू कर दिया। इससे उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(क) PP वक्र दाँई ओर खिसकेगा
(ख) PP वक्र बाँई ओर खिसकेगी
(ग) PP वक्र से नीचे उत्पादन होगा
(घ) PP वक्र से ऊपर उत्पादन होगा

13. PP वक्र नतोदर क्यों होता है?
(क) अवसर लागत के कारण :
(ख) सीमान्त अवसर लागत के कारण
(ग) बढ़ती हुई सीमान्त अवसर लागत के कारण
(घ) उपरोक्त कोई भी

14. संसाधनों के कारण पूर्ण रोजगार के बावजूद एक अर्थव्यवस्था PP वक्र से नीचे कार्यशील हो सकती है यदि
(क) संसाधन प्राकृतिक हो
(ख) संसाधन मानवकृत हो
(ग) संसाधनों का कुशल प्रयोग न हो रहा हो
(घ) तकनीक पुरानी हो

प्र० 15-17 के उत्तर निम्नलिखित चित्र के आधार पर दें।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) mcq 15
15. बिन्दु ‘A’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

16. बिन्दु ‘B’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

17. बिन्दु ‘U’ क्या दर्शाता है?
(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग
(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग
(ग) तकनीक में सुधार
(घ) अप्राप्य संयोग

उत्तर
1. (क)
2. (ग)
3. (क)
4 (ख)
5. (क)
6. (क)
7. (ग)
8. (ख)
9. (ग)
10. (क)
11. (ग)
12. (क)
13. (ग)
14, (ग)
15. (ख)
16. (घ)
17. (क)

II. (Short Answer Questions) (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्र० 1. बाजार अर्थव्यवस्था और केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बाजार अर्थव्यवस्था और केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अन्तर नीचे सारणी में दिया गया है-
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 1

प्र० 2. आर्थिक समस्या क्या है? यह क्यों उत्पन्न होती है?
अथवा
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं?
उत्तर: अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्या संसाधनों की आबंटन की समस्या है। यह दुर्लभ संसाधनों के उपयोगों में चुनाव की समस्या है। प्रा. एरिक रोल के शब्दों में, “आर्थिक समस्या निश्चित रूप से चयन की आवश्यकता से उत्पन्न होने वाली समस्या है, जिसमें वैकल्पिक उपयोग वाले सीमीत संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के दोहन की समस्या है।”
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण
(क) मानव की इच्छाएँ असीमीत हैं-मानव की इच्छाएँ गुणात्मक तथा मात्रात्मक दोनों रूप से असीमीत हैं। जैसे ही एक इच्छा पूर्ण होती है, एक अन्य इच्छा जन्म ले लेती हैं यदि इच्छाएँ सीमित होती तो एक समय ऐसा आता जब मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती, परन्तु ऐसा नहीं होता है क्योंकि इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है, परन्तु सभी इच्छाएँ एक समान तीव्र नहीं होती हैं। कुछ इच्छाएँ अधिक तीव्र (जरूरी) होती हैं कुछ कम।
(ख) इच्छाओं की पूर्ति के साधन सीमीत हैं-इच्छाओं की तुलना में उनकी पूर्ति के साधन सीमीत होते हैं। यह बात एक व्यक्ति के लिए भी सत्य है तो एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए भी। एक व्यक्ति की आय कितनी भी बढ़ जाये वह इतनी नहीं होती कि उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो सकें। इसी प्रकार अमीर से अमीर अर्थव्यवस्था में उत्पादन कारक-श्रम, पूंजी, भूमि एवं उद्यम इतने नहीं होते कि सभी वांछित वस्तुओं का उत्पादन किया जा सके।
(ग) साधनों के वैकल्पिक उपयोग हैं-साधन न केवल सीमीत हैं अपितु उनके वैकल्पिक उपयोग भी हैं। उदाहरण के लिए यदि एक श्रमिक है तो उसे कृषि में भी उपयोग किया जा सकता है तथा उद्योग में भी। इसी प्रकार यदि एक भूमि का टुकड़ा है तो उस पर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कृषि, उद्योग, घर आदि बन सकते हैं। एक प्रयोग करने पर हमें दूसरे प्रयोग का त्याग करना होगा। अतः साधनों के वैकल्पिक उपयोग होने के कारण हमें उनके सर्वोत्तम प्रयोग का चयन करना पड़ता है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक उपयोग वाले संसाधनों की दुर्लभता आर्थिक समस्या को जन्म देती है।

प्र० 3. अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
‘उत्पादन कैसे करें’ की केन्द्रीय समस्या का उदाहरण सहित व्याख्या करें।
अथवा
‘क्या उत्पादन किया जाए’ की समस्या स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘संसाधनों के आबंटन से संबंधित केन्द्रीय समस्याओं का संक्षेप में विवरण कीजिए।
अथवा
‘उत्पादन किसके लिए करें’ की केन्द्रीय समस्या स्पष्ट करें। (Delhi 2013, 14)
उत्तर:
1. क्या उत्पादन किया जाए – प्रत्येक अर्थव्यवस्था में असीमित मानव इच्छाओं तथा सीमित संसाधनों के कार यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्या उत्पादन करें तथा कितनी मात्रा में उत्पादन करें। यदि एक अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अधिक करे तो वह पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन कम कर पायेगी। इसी प्रकार यदि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए, तो विलासिता की वस्तुओं का उत्पादन कम हो पायेगा। मार्गदर्शक सिद्धान्त–इसके लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि संसाधनों का आबंटन विभिन्न वस्तुओं के प्रयोग में इस प्रकार किया जाए, जिससे समस्त उपयोगिता अधिकतम हो।
2. उत्पादन कैसे किया जाए–प्रत्येक वस्तुओं का उत्पादन अनेक तकनीकों से किया जा सकता है। मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकें हैं-श्रम प्रधान तकनीक तथा पूँजी प्रधान तकनीक। श्रम प्रधान तकनीक में श्रम अधिक तथा पूँजी कम प्रयोग होती है तथा पूँजी प्रधान तकनीक में पूँजी अधिक तथा श्रम कम प्रयोग होता है। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में पूँजी अधिक है तो पूँजीप्रधान तकनीक का उपयोग करना चाहिए। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में श्रम अधिक है, तो श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। मार्गदर्शक सिद्धान्त-मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जाए जिससे प्रति इकाई उत्पादन लागत न्यूनतम हो।
3. किसके लिए उत्पादन करें-इस समस्या का संबंध उत्पादित पदार्थ व सेवाओं के वितरण की समस्या से है। जब ‘क्या उत्पादन करें’ तथा ‘कैसे उत्पादन करें’ की समस्या का समाधान हो जाता है तो प्रश्न उठता है कि इसका उपभोग कौन करेगा अर्थात् किसके लिए उत्पादन किया है। कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के अनुसार, “प्रत्येक से क्षमता अनुसार, प्रत्येक को आवश्यकता अनुसार के आधार पर वितरण होना चाहिए।” अन्य विचारधारा के अनुसार उत्पादन का वितरण इस प्रकार हो, जिससे सभी को उपभोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो सके। मार्गदर्शक सिद्धान्त-मार्गदर्शक सिद्धान्त यह है कि उत्पादन का वितरण इस प्रकार किया जाये कि किसी को बतर किये बिना किसी को बेहतर नहीं बनाया जा सकता।

प्र० 4. दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कथन बिल्कुल सत्य है कि दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। यदि संसाधन दुर्लभ न होते तो चयन की समस्या
जन्म ही न लेती। संसाधनों की दुर्लभता ही चयन की समस्या को मूल कारण है। संसाधन न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि वैकल्पिक प्रयोग वाले हैं। इसीलिए अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति व समाज को संसाधनों के प्रयोग में चयन करना पड़ता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि दुर्लभता ही सभी केन्द्रीय समस्याओं की जननी है।

प्र० 5. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में भेद नीचे दी गई तालिका में दिया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 5

प्र० 6. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्या हैं? इन समस्याओं को केन्द्रीय समस्या क्यों कहा जाता है?
उत्तर: अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ वे समस्याएँ हैं, जो प्रत्येक अर्थव्यवस्था में पाई जाती हैं चाहे वह विकसित हो, विकासशील हो या पिछड़ी हुई, चाहे बाजार अर्थव्यवस्था हो या केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था, चाहे अमीर अर्थव्यवस्था हो चाहे गरीब। ये समस्याएँ संसाधनों के आबंटन, संसाधनों के पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग तथा संसाधनों के विकास से संबंधित हैं। इन समस्याओं को केन्द्रीय समस्या कहा जाता है क्योंकि
(i) ये प्रत्येक अर्थव्यवस्था में देखने में आती हैं।
(ii) इसी के आधार पर अर्थव्यवस्था में अन्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं तथा हल किया जा सकता है।

प्र० 7. उत्पादन संभावना वक्र क्या है? एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र ऐसा वक्र है जो दो वस्तुओं के उन सभी संभव संयोजनों को प्रकट करता है, जिनका उत्पादन एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीक और दिये हुए संसाधनों के पूर्ण व कुशलतम उपयोग द्वारा किया जा सकता है।
सीमित साधनों और दी गई तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न विधियां एक काल्पनिक अनुसूचि द्वारा दर्शायी गई हैं।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 7
चूंकि संसाधन सीमित हैं, इसीलिए अर्थव्यवस्था संसाधनों के पूर्ण उपयोगों का चुनाव करने में एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। यदि मशीनों का उत्पादन 0 हो तो गेहूं का उत्पादन 500 टन होगा। जैसे-2 मशीनों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, गेहूँ का उत्पादन कम होता है। यदि सभी संसाधन मशीनों के उत्पादन में लगा दें तो मशीनों का उत्पादन 4000 होगा, परन्तु गेहूं का उत्पादन शून्य होगा।

प्र० 8. उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं का वर्णन करो।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएँ इस प्रकार हैं
(क) अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों की मात्रा निश्चित है।
(ख) सभी संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है।
(ग) उत्पादन तकनीक दी हुई है।
(घ) केवल दो वस्तुओं का उत्पादन हो रहा है।
(ड) संसाधनों की कुशलता सभी वस्तुओं के उत्पादन में एक समान नहीं है।

प्र० 9. उत्पादने संभावना वक्र नीचे की ओर ढालू क्यों होता है? (Foreign 2014)
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र नीचे की ओर ढालू होता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में दिये हुए संसाधनों के पूर्ण रोजगार होने पर तथा उनका कुशलतम प्रयोग की स्थिति में एक वस्तु का अधिक मात्रा में उत्पादन करना है, तो दूसरी वस्तु के उत्पादन की मात्रा में कमी करनी होगी। अन्य शब्दों में, एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी अन्य वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। जब अर्थव्यवस्था के सभी संसाधन पूर्णत: एवं कुशलतम रूप से उपयोग हो रहे हों, तो दोनों वस्तुओं के उत्पादन में एक साथ वृद्धि करना संभव नहीं, एक वस्तु का उत्पादन कम किये बिना भी दूसरे का उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं है, अतः PP वक्र का आकार बाएं से दाएं नीचे की ओर ढालू होता है। इसे चित्र में दिखाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 9

प्र० 10. उत्पादन संभावना वक्र नतोदर क्यों होता है? (All India 2014)
उत्तर: सामान्यतः उत्पादन संभावना वक्र मूलबिंदु की ओर नतोदर होती है। कोई भी वक्र नतोदर तब होता है, जब उसका ढलान बढ़ रही हो। इसकी ढलान (slope) बढ़ती हुई सीमान्त अवसर लागत (Increasing marginal opportunity cost) है। दूसरे शब्दों में, जैसे जैसे—संसाधनों को एक वस्तु के उत्पादन से दूसरी वस्तु के उत्पादन में स्थानान्तरित किया जाता है तो वस्तु Y के उत्पादन की हानि के रूप में वस्तु X की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन की अवसर लागत में वृद्धि की प्रवृत्ति होती है ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि संसाधन प्रयोग विशिष्ट होते हैं। उदाहरणतः बिहार की भूमि आम की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है तो उत्तर प्रदेश की भूमि गन्ने की खेती के लिए। एक व्यक्ति जो मशीनों के उत्पादन में सक्षम है, आवश्यक नहीं कि वह गेहूं के उत्पादन में भी उतना ही सक्षम हो। इसे चित्र द्वारा दर्शाया । गया है। प्रत्येक स्तर पर सीमान्त अवसर लागत या बढ़ती रूपान्तरण की सीमांत दर \(\frac { \Delta Y }{ \Delta X }\) लगातार बढ़ रही है। इस बढ़ती सीमान्त अवसर लागत के कारण PP वक्र नतोदर हो जाता है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 10

प्र० 11. संसाधनों के अल्प उपयोग तथा संसाधनों के विनाश में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर: जब संसाधनों को अल्प उपयोग होता है तो यह बेरोजगारी को जन्म देता है। परिणामस्वरूप वास्तविक उत्पादन संभावित उत्पादन से कम होता है। इसे । दिए चित्र में बिन्दु ‘V’ से दिखाया गया है। संसाधनों के विनाश में PP वक्र पूर्णतः बाईं ओर खिसक जाता है इससे हैं अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता दोनों वस्तुओं के लिए कम हो जाती है। इसे नीचे दिये चित्र द्वारा दर्शाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 11
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 11.1

प्र० 12. नीचे दिये परिस्थितियों में PP वक्र पर पड़ने वाले प्रभावों को चित्र के माध्यम से दिखाइए।
(क) वस्तु x की उत्पादन तकनीक में सुधार
(ख) वस्तु y की उत्पादन तकनीक में सुधार
(ग) संसाधनों का विकास
(घ) अप्राप्य संयोग
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 12
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 12.1

प्र० 13. अवसर लागत क्या है? एक संख्यात्मक उदाहरण की सहायता से समझाइए। (Delhi 2012, All India 2012)
उत्तर: अवसर लागत दूसरे अवसर की हानि के रूप में पहले अवसर को लाभ उठाने की लागत है। दूसरे शब्दों में, । “अवसर लागत को किसी साधन के उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग के मूल्य के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।” उदाहरण के लिए जब हम वाणिज्य विषयों (Commerce subjects) को चुनते हैं तो हमें विज्ञान विषयों (Science subjects) का त्याग करना पड़ता है तो विज्ञान विषय हमारे वाणिज्य विषय चुनने की अवसर लागत हैं। इसी प्रकार यदि एक व्यक्ति ने M.A. (Economics) किया है तो वह शिक्षक बनकर 40000, किताबें लिखकर 50000 तथा अर्थशास्त्री बनकर 70000 कमा सकता है तो अर्थशास्त्री बनने के लिए उसे किताबें लिखने तथा शिक्षक बनने के अवसर को छोड़ना होगा, परन्तु उसकी अवसर लागत (Opportunity cost) 50000 है। क्योंकि यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग है।

प्र० 14. सीमान्त अवसर लागत से आप क्या समझते हैं? एक काल्पनिक अनुसूचि द्वारा समझाओ। (CBSE 2012)
उत्तर: सीमान्त अवसर लागत जिसे रूपान्तरण की सीमान्त दर भी कहा जाता है, परन्तु x की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के लिए वस्तु y के उत्पादन का त्याग है।
बीजगणितीय रूप से, सीमान्त अवसर लागत = – \(\frac { \Delta Y }{ \Delta X }\)
Δy = वस्तु के उत्पादन में वृद्धि
Δx = वस्तु x के उत्पादन में वृद्धि।
इसे दी गई अनुसूची द्वारा दर्शाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) saq 14
A से B पर जाने के लिए वस्तु ख की 5 इकाइयों का त्याग करके वस्तु क की 1 इकाई उत्पादित हो रही है। इसी प्रकार B से C पर जाने के लिए वस्तु ख की 10 इकाइयों का त्याग करके वस्तु क की 1 इकाई उत्पादित हो रही है। इसी प्रकार संयोग F तक यह 25 : 0 हो गया है। इसीलिए PP वक्र को रूपान्तरण वक्र भी कहा जाता है।

III. (Long Answer Questions) (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

प्र० 1. केन्द्रीय समस्याएं क्यों उत्पन्न होती हैं? संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय समस्याएँ उत्पन्न होने के पीछे तीन मूलभूत कारण हैं
(क) मानव आवश्यकताएँ असीमीत हैं-मानव की आवश्यकताएँ असंख्य तथा असीमित हैं जैसे ही एक इच्छा पूर्ण होती है। एक अन्य इच्छा जन्म ले लेती है। यदि इच्छाएँ सीमित होती तो एक समय ऐसा आता है। जब मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती, परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है। परंतु सभी इच्छाएँ एक समान तीव्र नहीं होती। कुछ इच्छाएँ जरूरी होती हैं। कुछ कम जरूरी होती हैं। अतः इच्छाओं का प्राथमिकीकरण करना सहज हो जाता है।
(ख) सीमित साधन–इच्छाओं की तुलना में उनकी पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। यह बात एक व्यक्ति के लिए भी सत्य है। तो एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक व्यक्ति की आये कितनी भी बढ़ जाये वह इतनी नहीं होती कि उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो सके। इसी प्रकार अमीर से अमीर अर्थव्यवस्था में उत्पादन कारक-श्रम, पूँजी, भूमि एवं उद्यम इतने नहीं होते कि सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जा सके।
(ग) साधनों के वैकल्पिक उपयोग-साधन न केवल सीमित हैं अपितु उनके वैकल्पिक उपयोग भी हैं। उदाहरण के लिए यदि एक श्रमिक है तो उसे कृषि में भी उपयोग किया जा सकता है तथा उद्योग में भी। इसी प्रकार यदि एक भूमि का टुकड़ा है तो उस पर स्कूल, कॉलेज, व अस्पताल, कृषि, उद्योग, घर आदि बन सकते हैं। एक प्रयोग करने पर हमें दूसरे प्रयोग का त्याग करना होगा। अतः साधनों के वैकल्पिक उपयोग होने के कारण हमें उनके सर्वोत्तम प्रयोग का चयन करना पड़ता है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक उपयोग वाले संसाधनों की दुर्लभता आर्थिक समस्या को जन्म देती है।
संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या इस प्रकार है-
(1) क्या उत्पादन करें?
(2) कैसे उत्पादन करें?
(3) किसके लिए उत्पादन करें?
(1) क्या उत्पादन करें – प्रत्येक अर्थव्यवस्था में असीमित भाव व इच्छाओं तथा सीमित व संसाधनों के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्यों उत्पादन करें तथा कितनी मात्रा में उत्पादन करें। यदि एक अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अधिक करें तो वह पूँजीकृत वस्तुओं का उत्पादन कम कर पायेगी। इसी प्रकार यदि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तो विलासिता की वस्तुओं का उत्पादन कम हो जायेगा।
(2) कैसे उत्पादन करें-प्रत्येक वस्तुओं का उत्पादन अनेकों तकनीकों से किया जा सकता है। मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकें हैं (1) श्रम प्रधान तकनीक तथा (2) पूंजी प्रधान तकनीक। श्रम प्रधान तकनीक में श्रम अधिक तथा पूंजी कम प्रयोग होती है। तथा पूँजी प्रधान तकनीक में पूँजी अधिक तथा श्रम कम प्रयोग होता है। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में पूँजी अधिक है तो पूँजी प्रधान तकनीक का उपयोग करना चाहिये। यदि हमारी अर्थव्यवस्था में श्रम अधिक है, तो श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
(3) किसके लिए उत्पादन करें-इस समस्या का संबंध उत्पादित पदार्थ व सेवाओं के वितरण की समस्या से हैं, जब क्या उत्पादन करें तथा कैसे उत्पादन करें की समस्या का समाधान हो जाता है, तो प्रश्न उठता है कि इसका उपभोग कौन करेगा अर्थात किसके लिए उत्पादन किया है। कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के अनुसार, “प्रत्येक से क्षमता अनुसार, प्रत्येक की आवश्यकता के अनुसार के आधार पर वितरण होना चाहिए।” अन्य विचारधारा के अनुसार उत्पादन का वितरण इस प्रकार हो, जो सभी को उपयोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो सके।

प्र० 2. उत्पादन संभावना वक्र क्या है? इस वक्र का प्रयोग करके ‘क्या उत्पादन करें कि केंद्रीय समस्या को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन संभावना वक्र ऐसा वक्र है जो दो वस्तुओं के उन सभी संभव संयोजनों को प्रकट करता है, जिनका उत्पादन,
एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीक और दिये हुए संसाधनों के पूर्ण व कुशलतम उपयोग द्वारा किया जा सकता है। सीमित साधनों और दी गई तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न विधियाँ एक काल्पनिक अनुसूची द्वारा दर्शायी गई है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) laq 2
चूंकि संसाधन सीमित हैं इसीलिए अर्थव्यवस्था संसाधनों के पूर्ण उपयोगों का चुनाव करने में एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु का उत्पादन कम करना होगा। यदि मशीनों का उत्पादन 0 हो तो गेहूं का उत्पादन 500 टन होगा। जैसे 2 मशीनों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है गेहूँ का उत्पादन कम होता छ है। यदि संसाधन मशीनों के उत्पादन में लगा दें, तो मशीनों का उत्पादन 4000 होगा। परंतु गेहूं का उत्पादन शून्य होगा।

प्र० 3. एक उत्पादन संभावना वक्र खींचिए और चित्र में निम्नलिखित स्थितियों को समझाइएः
(i) संसाधनों का पूर्ण तथा कुशल प्रयोग
(ii) संसाधनों को अल्प प्रयोग
(iii) संसाधनों की संवृद्धि।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) laq 3
उत्तर:
(i) नीचे दिये गये चित्र में बिन्दु A संसाधनों के पूर्ण तथा कुशल उपयोग को दर्शा रहा है। इस बिन्दु तक पहुंचने के बाद वस्तु क का उत्पादन बढ़ाने के लिए वस्तु ख छ का उत्पादन कम करना होगा तथा वस्तु ख का उत्पादन बढ़ाने के लिए वस्तु क हिं का उत्पादन कम करना होगा।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) laq 3.1
(i) संसाधनों का अल्प उपयोग-इसे नीचे दिये गये चित्र में बिन्दु 0 के द्वारा दर्शाया गया है। यदि एक अर्थव्यवस्था बिन्दु V पर है अर्थात् PP वक्र के भीतर किसी बिन्दु पर है तो वह अल्प उपयोग हो रहे साधनों का प्रयोग करके वस्तु क या वस्तु ख या दोनों उत्पादन बढ़ा सकती है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) laq 3.2
(ii) संसाधनों की संवृद्धि-इसे नीचे दिये चित्र में PP वक्र के दाईं ओर P1P1 पर खिसकने के द्वारा दर्शाया गया है। यदि अर्थव्यवस्था में संसाधनों की संवृद्धि हो जाए तो उसे अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं का उत्पादन पहले से अधिक हो सकता है। इससे PP वक्र P1P1 वक्र की तरह हो जायेगा।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) laq 3.3

IV. (Solved Numerical Questions) (संख्यात्मक हल प्रश्न)

प्र० 1. नीचे दी गई तालिका से सीमान्त अवसर लागत ज्ञात करें तथा उत्पादन संभावना वक्र के आकार पर टिप्पणी दें।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) anq 1
उत्पादन संभावना वक्र एक सीधी रेखा होगा, क्योंकि सीमान्त अवसर लागत बराबर है।

प्र० 2. एक व्यक्ति एक स्कूल में अध्यापक के रूप में पढ़ा रहा है। उसे Ph.D. करने के लिए 2 साल की छुट्टी लेनी | पड़ी। उसकी मासिक आय ₹ 18,500 थी। Ph.D. की फीस 30,000 थी। बताइए P.hd करने की अवसर लागत क्या थी?
उत्तर:
अवसर लागत = (18500 x 12 x 2) + 30000 = (18500 x 24) + 30000
= 444000 + 30000 = 4,74000

V. (HOTS Questions) (उच्च स्तरीय चिंतन कौशल प्रश्न)

प्र० 1. संसाधनों तथा इच्छाओं की दो-दो विशेषताएं बताइए।
उत्तर: संसाधनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं|
(i) संसाधन इच्छाओं की तुलना में सीमित हैं।
(ii) संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग हैं।
इच्छाओं की दो विशेषताएं इस प्रकार हैं
(i) इच्छाएं असीमित/असंख्य हैं।
(ii) इच्छाओं की तीव्रता में अन्तर है, कुछ इच्छाएं अधिक तीव्र होती हैं तो कुछ कम।

प्र० 2. निम्नलिखित का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत होगा या व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत?
(i) राष्ट्रीय आय
(ii) श्रमिकों का वेतन निर्धारण
(iii) शिक्षा क्षेत्र
(iv) प्राथमिक क्षेत्र
(v) बैंक उद्योग
(vi) कल्याण अर्थशास्त्र
उत्तर:
(i) राष्ट्रीय आय → समष्टि अर्थशास्त्र
(ii) श्रमिकों का वेतन निर्धारण → व्यष्टि अर्थशास्त्र
(iii) शिक्षा क्षेत्र → समष्टि अर्थशास्त्र
(iv) प्राथमिक क्षेत्र → समष्टि अर्थशास्त्र
(v) बैंक उद्योग → व्यष्टि अर्थशास्त्र
(vi) कल्याण अर्थशास्त्र → व्यष्टि अर्थशास्त्र

प्र० 3. क्या यह आवश्यक है उत्पादन वक्र सदा नतोदर हो? व्याख्या करो।
उत्तर: नही, यह आवश्यक नहीं है कि उत्पादन संभावना वक्र सदा नतोदर हो।
(i) स्थिति एक-जब सीमान्त अवसर लागत बढ़ रही हो तो PP वक्र नतोदर होगा। इसे दी गई अनुसूची तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) hots 3
(ii) स्थिति दो-जब सीमान्त अवसर लागत समान रहे तो PP वक्र एक सीधी रेखा होगा। इसे नीचे दी गई अनुसूची तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) hots 3.1
(iii) स्थिति तीनः जब सीमान्त अवसर लागत बढ़ रही हो तो PP वक्र नतोदर होगा। यह नीचे दी गई तालिका तथा चित्र द्वारा दिखाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) hots 3.2

प्र० 4. निम्नलिखित परिस्थितियों में अवसर लागत क्या होगी?
(i) एक नौकरी करने वाले के लिए उच्चतर अध्ययन की
(ii) भूमि के एक टुकड़े पर आम का बगीचा लगाने की
(iii) एक विद्यार्थी के CA करने के लिए B.Com (H) तथा B.Com (P) को छोड़ना
(iv) एक अध्यापिका जो स्कूल छोड़कर अपना कोचिंग सेंटर शुरू कर रही है।
उत्तर:
(i) वह वेतन की राशि जो वह नौकरी प्राप्त करके अर्जित कर सकता था।
(ii) उस फसल की कीमत जो वह उस भूमि के टुकड़े पर उगा सकता है।
(iii) B.com (H) छोड़ना जो दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
(iv) स्कूल से जो वेतन वह पा रही थी।

प्र० 5. एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण इसका उत्पादन क्षमता से कम है। सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है। उत्पादन संभावना वक्र की । सहायता से इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए। (Delhi 2013)
उत्तर: ये योजनाएं शुरू करने से पूर्व अर्थव्यवस्था PP वक्र से नीचे थी। इन योजनाओं के उपरान्त यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को वस्तु X के उत्पादन है। में लगाया गया तो PP वक्र U से A की ओर जायेगा। यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को वस्तु Y के उत्पादन में लगाया गया तो PP वक्र U से B की ओर जायेगा। यदि रोजगार दिये गये मजदूरों को दोनों वस्तुओं के उत्पादन वस्तु में लगाया गया तो PP वक्र U से A और B के मध्य में कहीं जायेगा जैसे बिन्दु C
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 Introduction (Hindi Medium) hots 5

VI. (Value Based Questions) (मूल्य-आधारित प्रश्न)

प्र० 1. बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए हमें उत्पादन संभावना वक्र को दाँई ओर खिसकाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
(i) तकनीक में सुधार द्वारा
(ii) शिक्षा तथा प्रशिक्षण के विस्तार से श्रम की उत्पादकता बढ़ाकर
(iii) संसाधनों का विकास करके
(iv) नए संसाधनों के अन्वेषण द्वारा

प्र० 2. भारत एक श्रम प्रधान देश है। इसे पूँजी प्रधान और श्रम प्रधान उत्पादन की तकनीक में से कौन-सी तकनीक अपनानी चाहिए?
उत्तर: यदि भारत में श्रम प्रधानता है तो श्रम की लागत पूँजी की लागत से कम होगी, परन्तु पूँजी की उत्पादकता श्रम की उत्पादकता से कहीं अधिक है। अतः कुल मिलाकर पूँजी प्रधान तकनीक से प्रति इकाई लागत न्यूनतम हो सकती है। परन्तु साथ ही श्रमिकों को रोजगार देना भी आवश्यूक है। अतः एक ऐसा मार्ग ढूंढा जाना चाहिए, जिसमें श्रमिकों को रोजगार भी मिल जाए तथा प्रति इकाई लागत भी न्यूनतम हो।

प्र० 3. असीमित मानव इच्छाओं की तुलना में वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए ती उपाय बताइए।
उत्तर:
(i) संसाधनों का किफायतीकरण किया जाये ताकि संसाधनों का यथासंभव सर्वोत्तम प्रयोग किया जा सके।
(ii) संसाधनों को कम उत्पादक प्रयोगों से हटाकर अधिक उत्पादक प्रयोगों में लगाया जाये।
(iii) उत्पादन की श्रेष्ठ तथा बेहतर तकनीक अपनायी जाए।

प्र० 4. संसाधनों के कुशलतम प्रयोग के बावजूद भी बाजार अर्थव्यवस्थाएँ आय वितरण में असमानता को प्रेरित करती हैं। इस अवलोकन का वर्णन करें।
उत्तर: यह बिल्कुल सत्य है कि बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशलतम प्रयोग के बावजूद भी अर्थव्यवस्थाओं में आय वितरण में असमानता अधिक होती है क्योंकि
1. संसाधनों का आबंटन उन वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, जो उत्पादकों को अधिक लाभ दे। अतः लाभदायक वस्तुओं का उत्पादन मुख्यतः उन उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, जो | अधिक लाभ दे सकें और वे धनी वर्ग में ही होते हैं।
2. तकनीक में भी पूंजी प्रधान तकनीक का उपयोग होता है और पूंजी का निवेश पूंजीपतियों द्वारा होता है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में ब्याज घटक कम होता जाता है, जबकि लाभ घटक बढ़ता जाता है।

प्र० 5. एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण इसका उत्पादन क्षमता से कम है। सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है। उत्पादन संभावना वक्र की सहायता से इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यदि एक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के कारण उत्पादन अपनी पूर्ण क्षमता से कम है तो अर्थव्यवस्था उत्पादन संभावना सीमा से नीचे कार्यशील होगी। ऐसे में यदि सरकार रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू करती है, तो अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढ़ेगा और वह अपने कुशलतम स्तर पर कार्यशील होगी। इसे नीचे दिए गए हैं चित्र द्वारा दिखाया गया है। जब अर्थव्यवस्था अपनी उत्पादन क्षमता से कम पर : E थी तो वह बिन्दु E पर थी। जब रोजगार देने वाली योजनाएँ शुरू की जायेंगी । तो वह बिन्दु E से बिंदु A (यदि उन्हें वस्तु X के उत्पादन में लगाया जाए) या (यदि उन्हें वस्तु X के उत्पादन में लगाया जाए) या बिन्दु B (यदि उन्हें वस्तु Y के उत्पादन में लगाया जाए) या बिंदु (यदि उन्हें दोनों के उत्पादन में लगाया जाए) पर खिसक जायेगी।
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प्र० 6. सरकार द्वारा किए गए उपायों से बेरोजगारी कम हो जाती है। उत्पादन संभावना सीमा के संदर्भ में इसका आर्थिक मूल्य बताइए।
उत्तर: उत्पादन संभावना सीमा दाईं ओर खिसक जायेगी।

प्र० 7. सरकार ने विदेशी पूँजी को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। उत्पादन संभावना सीमा के संदर्भ में इसका आर्थिक मूल्य क्या है?
उत्तर: इससे उत्पादन संभावना सीमा ऊपर की ओर खिसक जायेगा।

Hope given NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 1 are helpful to complete your homework

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NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 Ashoka: The Emperor Who Gave Up War (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 6 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 Ashoka: The Emperor Who Gave Up War.

पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

1. उन देशों के नाम बताओ जहाँ अशोक के अभिलेख मिले हैं। भारत के कौन-से राज्य मौर्य साम्राज्य से बाहर थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-76)
उत्तर :
(क) जिन देशों में अशोक के अभिलेख मिले हैं

  1. भारत
  2. अफगानिस्तान
  3. पाकिस्तान

(ख) भारत के निम्नलिखित राज्य मौर्य साम्राज्य से बाहर थे

  1. सिक्किम
  2. नागालैंड
  3. मेघालय
  4. असम
  5. त्रिपुरा

2. राजा द्वारा खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को क्यों चखते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-78)
उत्तर : राजा को हमेशा इस बात का डर रहता था कि कहीं कोई उनकी हत्या करने की कोशिश न करें। इसलिए राजा के खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को चखता था।

3. पाटलिपुत्र मोहनजोदड़ो से किस तरह भिन्न था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-78)
उत्तर : पाटलिपुत्र और मोहनजोदड़ो में अंतर
NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium) 1

4. कलिंग की लड़ाई से युद्ध को लेकर अशोक के विचारों में कैसे परिवर्तन हुआ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक पेज-79)
उत्तर : कलिंग की लड़ाई में करीब 1 लाख से भी ज्यादा लोग मारे गए। लगभग डेढ़ लाख लोग बंदी बना लिए गए। जिनके सगे-संबंधी उनकी मौत पर विलाप कर रहे थे। इससे अशोक का हृदय दु:ख से भर गया। उन्होंने सोचा कि एक देश को जीतने के लिए इतने लोगों का वध करना पड़ता है और जनता अपने मित्रों, सगे-संबंधियों को हमेशा-हमेशा के लिए खो देती है। अशोक ने पश्चाताप के बाद कभी युद्ध न करने का निर्णय लिया और बौद्ध धर्म अपनाकर उसका प्रचार-प्रसार किया।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक पेज-82)
मौर्य साम्राज्य के उभरने से थोड़ा पहले लगभग 2400 वर्ष पहले, चीन में सम्राटों ने चीन की दीवार का निर्माण शुरू किया। इसे बनाने का उद्देश्य उत्तरी सीमा की पशुपालक लोगों से रक्षा करना था। अगले 2000 वर्षों तक इस दीवार का निर्माण कार्य चलता रहा, क्योंकि साम्राज्य की सीमाएँ बदलती रहीं। यह दीवार लगभग 6400 किलोमीटर लंबी है तथा पत्थर और ईंट से बनी है। इसकी ऊपरी सतह सड़क जैसी चौड़ी है। इस दीवार को बनाने के लिए हजारों लोगों को काम करना पड़ा। हर 100-200 मीटर की दूरी पर इस पर निगरानी के लिए बुर्ज बने हुए हैं।

1. पड़ोसी देशों के प्रति अशोक का रवैया चीनी सम्राटों के रवैये से कैसे भिन्न था?
उत्तर : कलिंग के युद्ध के बाद पड़ोसी देशों के प्रति अशोक का व्यवहार मित्रतापूर्ण था और सभी के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए थे जबकि चीनी सम्राटों का पड़ोसी देशों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार था और वे पड़ोसी देशों के साथ युद्ध करते रहते थे इसलिए उनकी सीमाएँ बदलती रहती थी।
NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium) 2
2. चीन के सम्राटों का ‘चीन की दीवार’ बनाने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर : ‘चीन की दीवार’ बनाने का उद्देश्य चीन की उत्तरी सीमा की पशुपालक लोगों से रक्षा करना था?

3. “चीन की दीवार’ की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर : यह दीवार 6400 किलोमीटर लंबी है तथा पत्थर व ईंट से बनी है। इसकी ऊपरी सतह सड़क जैसी चौडी है। इस दीवार को बनाने में हजारों लोगों ने 2000 वर्षों तक काम किया था। हर 100-200 मीटर की दूरी पर निगरानी के लिए बुर्ज बनाए गए हैं।

कल्पना करो

तुम कलिंग में रहती हो और तुम्हारे माँ-बाप को युद्ध में काफी दुख उठाने पड़े हैं। अभी-अभी अशोक के दूत धम्म के नए विचारों को लेकर आए हैं। आप अपने माता-पिता और संदेशवाहकों के बीच बातचीत का वर्णन करो।
उत्तर : छात्र स्वयं करें।

प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1. मौर्य साम्राज्य में विभिन्न काम-धंधों में लगे हुए लोगों की सूची बनाओ।
उत्तर :
मौर्य साम्राज्य में विभिन्न काम-धंधों में लगे लोग

  1. सरकारी अधिकारी
  2. कृषक
  3. पशुपालक
  4. शिल्पकार
  5. व्यापारी
  6. संदेशवाहक
  7. जासूस
  8. फल-फूल संग्राहक
  9. शिकारी।

2. रिक्त स्थानों को भरो :
(क) जहाँ पर सम्राटों का सीधा शासन था वहाँ अधिकारी ………………………… वसूलते थे।
(ख) राजकुमारों को अकसर प्रांतों में ………………………… के रूप में भेजा जाता था।
(ग) मौर्य शासक आवागमन के लिए महत्त्वपूर्ण ………………………… और ………………………… पर नियंत्रण रखने का प्रयास करते थे।
(घ) प्रदेशों में रहने वाले लोग मौर्य अधिकारियों को ………………………… दिया करते थे।
उत्तर :
(क) कर
(ख) गवर्नर (राज्यपाल)
(ग) मार्गों, नदियों
(घ) नजराना।

3. बताओ कि निम्नलिखित वाक्य सही हैं या गलत
(क) उज्जैन उत्तर-पश्चिम की तरफ़ आवागमन के मार्ग पर था।
(ख) आधुनिक पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के इलाके मौर्य साम्राज्य के अंदर थे।
(ग) चन्द्रगुप्त के विचार अर्थशास्त्र में लिखे गए हैं।
(घ) कलिंग बंगाल का प्राचीन नाम था।
(ङ) अशोक के ज्यादातर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में हैं।
उत्तर :
(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) गलत
(ङ) सही। आओ चर्चा करें

4. उन समस्याओं की सूची बनाओ जिनका समाधान अशोक धम्म द्वारा करना चाहता था।
उत्तर : धम्म द्वारा दूर की जाने वाली समस्याएँ

  1. अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के बीच आपसी टकराव।
  2. जानवरों की बलि।
  3. दासों और नौकरों के साथ क्रूर व्यवहार।
  4. परिवार और पड़ोसियों के बीच के झगड़े।

5. धम्म के प्रचार के लिए अशोक ने किन साधनों का प्रयोग किया?
उत्तर : अशोक के धम्म प्रचार के साधन

  1. धम्म महामात्त की नियुक्ति की।
  2. विदेशों में धम्म प्रचारक और प्रतिनिधियों को भेजा।
  3. अशोक ने अपने संदेश को कई स्थानों में शिलाओं पर खुदवाए।
  4. कुछ अधिकारियों को नियुक्त किया जो राजा के संदेशों को उन लोगों को पढ़कर सुनाते थे, जो खुद

6. तुम्हारे अनुसार दासों और नौकरों के साथ बुरा व्यवहार क्यों किया जाता होगा? क्या तुम्हें ऐसा लगता | है कि सम्राट के आदेशों से उनकी स्थिति में सुधार हुआ होगा? अपने जवाब के लिए कारण बताओ।
उत्तर :
दासों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था, क्योंकि वे प्रायः युद्धबंदी या खरीदे हुए स्त्री-पुरुष होते थे। इनका | स्थान वर्ण-व्यवस्था में सबसे नीचे होता था। इनकी समस्याओं के निराकरण हेतु कोई भी सामाजिक तथा राजनीतिक संगठन नहीं होता था।

सम्राट अशोक के आदेशों से दासों की स्थिति में अवश्य सुधार आया होगा, क्योंकि धम्म के द्वारा दासों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया गया था।

आओ करके देखें

7. रौशन को यह बताते हुए कि हमारे रुपयों पर शेर क्यों दिखाए गए हैं एक पैराग्राफ लिखो। कम से कम एक और चीज़ का नाम लो जिस पर इन्हीं शेरों के चित्र बने हैं।
उत्तर : हमारे रुपयों पर बने शेरों चित्र का ऐतिहासिक महत्त्व है। सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान चार शेरों | की मूर्ति बनाई गई और फिर उन्हें सारनाथ में एक विशाल स्तंभ पर स्थापित किया गया। यह चित्र हम रुपयों-सिक्कों के अतिरिक्त भारत सरकार के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सभी दस्तावेजों अंतर्देशीय पत्रों तथा स्टैंप पेपर पर भी देखते हैं।

8. अगर तुम्हारे पास अपना अभिलेख जारी करने की शक्ति होती तो तुम कौन-सी चार राजाज्ञाएँ देते?
उत्तर : निम्नलिखित चार राजाज्ञाएँ देते

  1. किसी विशेष वर्ण के प्रति भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  2. सभी धर्मों का सम्मान किया जाएगा।
  3. सभी को शिक्षा का समान अवसर दिया जाएगा।
  4. स्त्रियों को पुरुषों के बराबर का अधिकार प्राप्त होंगे।

Hope given NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 are helpful to complete your homework.

 

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