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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ प्रभु आस्था व प्रेम का प्रतीक है और ‘प्रियतम कवयित्री के आराध्य अर्थात् परमात्मा का प्रतीक है। कवयित्री आस्था का दीपक जलाती है। उसकी आस्था स्नेह से परिपूर्ण है। ‘प्रियतम कवयित्री के आराध्य देव हैं। वह अपने प्रियतम को पाने के लिए आस्था रूपी दीपक जलाना चाहती है। वह प्रियतम के साथ एकाकार होना चाहती है।

प्रश्न 2.
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
उत्तर
कवयित्री द्वारा दीपक से निरंतर हँस-हँसकर जलने का आग्रह किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि यह दीपक कवयित्री की आस्था एवं भक्ति का दीप है। वह इस आस्था और भक्ति को कभी कम नहीं होने देना चाहती है, इसलिए वह चाहती है कि दीपक हँस-हँसकर जलता रहे।

प्रश्न 3.
‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर
‘विश्व-शलभ’ का आशय है-सारा संसार। कवयित्री शलभ अर्थात् पतंगों के समान प्रभु भक्ति की लौ में लगकर अपने अहं को गलाना चाहती है। जिस प्रकार पतंगा दीपक के साथ जलकर अपना अस्तित्व मिटा देना चाहता है। वह सोचता है कि जब एक छोटा-सा दीपक अपने शरीर का कण-कण जलाकर औरों को प्रकाश दे सकता है तो वह भी किसी के लिए पना बलिदान देकर अनंत के साथ मिलकर एकाकार होना चाहता है। दूसरे शब्दों में, संसार के लोग अपने अहंकार को गलाकर प्रभु को पा लेना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
आपकी दृष्टि में ‘मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है?
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
उत्तर
(क) मेरा मानना यह है कि ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।’ कविता का सौंदर्य शब्दों की आवृत्ति और सफल बिंबांकन दोनों पर ही निर्भर है; जैसे-
शब्दों की आवृत्ति से उत्पन्न सौंदर्य- इस कविता में अनेक स्थानों पर शब्दों की आवृत्ति से उत्पन्न सौंदर्य देखिए-

मधुर मधुर मेरे दीपक जल !
युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर !
सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल !
पुलक पुलक मेरे दीपक जल !

(ख) सफल बिम्बांकन से उत्पन्न सौंदर्य- कविता में बिम्बों को सफल अंकन हुआ है, इस कारण सौंदर्य में वृद्धि हो गई है-
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
सौरभ फैला विपुल धूप बन
विश्व-शलभ सिर धुन कहता मैं
जलते नभ में देख असंख्यक
स्नेहहीन नित कितने दीपक
विद्युत ले घिरता है बादल !

प्रश्न 5.
कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?
उत्तर
कवयित्री अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही हैं ताकि परमात्मा तक उसका पहुँचना आसान हो जाए। यदि प्रियतम तक पहुँचने का मार्ग अंधकारमय होगा तो लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। परमात्मा की प्राप्ति के लिए अहंकार को मिटाना पड़ता है। मन की अज्ञानता ही अंधकार है। कवयित्री अपना आस्था रूपी दीपक जलाकर अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही है।

प्रश्न 6.
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
उत्तर
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन इसलिए प्रतीत हो रहे हैं, क्योंकि-

  • आकाश में असंख्य तारे होने पर उनसे प्रकाश न निकलने पर ऐसा लगता है, जैसे उनका तेल समाप्त हो गया है।
  • ये तारागण दया, करुणा, प्रेम और सहानुभूति रहित मनुष्यों की भाँति हैं।
  • यदि इन तारों को तेल मिल जाए तो इनसे प्रकाश फूट पड़ेगा।
  • मनुष्य की भाँति ही इन दीपकों को भी प्रकाशपुंज की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर
पतंगा दीपक की लौ में जलना चाहता है परंतु वह जल नहीं पाता। वह अपना क्षोभ सिर धुन-धुनकर व्यक्त कर रहा है। पतंगा दीपक से बहुत स्नेह करता है और उसकी लौ पर मर-मिटना चाहता है जब वह यह अवसर खो देता है तब वह पछताकर अपना क्षोभ व्यक्त करता है। इसी प्रकार मनुष्य भी अपने अहंकार को त्यागकर परमात्मा को पाना चाहता है परंतु अहंकार के रहते वह ईश्वर को पाने में असफल रहता है।

प्रश्न 8.
कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से मधुर मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवयित्री अपने प्रभु के प्रति असीम आस्था और आध्यात्मिकता का दीप खुशी से जलाए हुए है। भक्ति का यह भाव निरंतर बनाए रखने के लिए दीपक अलग-अलग जलने के लिए कहती है। दीपक जलने के लिए प्रयुक्त किए गए अलग-अलग शब्दों के भाव इस प्रकार हैं-
मधुर-मधुर- मन की खुशी को प्रकट करने के लिए मंद-मंद मुसकान का प्रतीक।
पुलक-पुलक- मन की खुशी को मुखरित करने के लिए हँसी का प्रतीक।
विहँसि-विहँसि- मन के उल्लास को प्रकट करने के लिए उन्मुक्त हँसी का प्रतीक।

प्रश्न 9.
नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए

जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

(क) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
(ख) सागर को जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
(ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है? ।
(घ) कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?
उत्तर
(क) स्नेहहीन दीपक का अर्थ है-कांतिहीन दीपक। आकाश में तारे ऐसे चमकते हैं मानो इन तारे रूपी दीपकों में स्नेह (तेल) समाप्त हो गया।

(ख) सागर को ‘जलमय’ कहने का तात्पर्य है-संसार के लोगों को सांसारिक सुख वैभव से भरपूर बताना, परंतु हर प्रकार की सुख-समृधि में रहते हुए भी लोग ईष्र्या, द्वेष और तृष्णा के कारण जल रहे हैं। वे पीड़ित हैं। वे सांसारिक तृष्णाओं के कारण जल रहे हैं तथा आध्यात्मिक ज्योति के अभाव में जल रहे हैं।

(ग) बादल अपने जल के दुवारा धरती को शीतल एवं हरा-भरा बना देते हैं। जब वे गरजते हैं तो उनमें बिजली पैदा होती है। बादलों में उत्पन्न बिजली क्षणभर के लिए प्रकाश फैला देती है। इसका सांकेतिक अर्थ है-युग के महा प्रतिभाशाली | लोग आध्यात्मिक क्षेत्र को छोड़कर सांसारिक उन्नति में विलीन हो गए हैं।

(घ) कवयित्री दीपक को विहँस-विहँस कर जलने के लिए इसलिए कह रही है क्योंकि वह अपनी प्रभु आस्था को लेकर संतुष्ट है, प्रसन्न है और वह उसे संसार भर में फैलाना चाहती है। उसे जलाना तो हर हाल में है ही। इसलिए विहँस-विहँस कर जलते हुए दूसरों को भी सुख पहुँचाया जा सकता है।

प्रश्न 10.
क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर

मीराबाई और आधुनिक मीरा कहलाने वाली कवयित्री महादेवी वर्मा दोनों ने जो युक्तियाँ अपनाई हैं उनमें असमानता अधिक समानता कम है क्योंकि-
असमानता – मीराबाई अपने प्रभु कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मोहित हैं। वे उनसे मिलने के लिए उनकी चाकरी करना चाहती हैं। उनके लिए बाग लगाना चाहती है, ताकि कृष्ण वहाँ विहार के लिए आएँ तो मीरा उनके दर्शन कर सकें। वे लाल रंग की साड़ी पहनकर अर्धरात्रि में यमुना किनारे आने के लिए कृष्ण से कहती हैं। महादेवी वर्मा के प्रभु निराकार ब्रह्म हैं जिन तक पहुँचने के लिए वे अपनी आस्था का दीपक जलाए रखना चाहती हैं।
समानता – मीराबाई और महादेवी वर्मा दोनों ही अपने-अपने आराध्य की अनन्य भक्त हैं। वे पलभर के लिए भी अपने आराध्य को नहीं भूलना चाहती हैं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!
उत्तर
दीपक के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि सागर अपार, असीमित होता है, शरीर प्रतिदिन क्षीण होता है, दीपक की लौ भी प्रतिक्षण क्षीण होती है वह फिर भी प्रकाश फैलाती है उसी प्रकार हे हृदय रूपी दीपक, तू ज्ञान रूपी प्रकाश फैला तथा जीवन को प्रतिक्षण ईश्वर की आराधना में लीन कर दे। यहाँ मनुष्य को ईश्वर आराधना में लीन होने की प्रेरणा दी गई है।

प्रश्न 2.
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!
उत्तर
भाव यह है कि कवयित्री अपनी आस्था का दीप एक पल के लिए भी नहीं बुझने देना चाहती है। यह दीप निरंतर अर्थात् प्रतिपल, प्रतिदिन और हर क्षण जलता रहे ताकि परमात्मा तक पहुँचने के मार्ग पर सर्वत्र आलोक बिखरा रहे।

प्रश्न 3.
मृदुल मोम-सा घुल रे मृदु तन!
उत्तर
कवयित्री का सर्वस्व समर्पण भाव व्यक्त हुआ है। वह कहती है-तू अपने नरम शरीर को कोमल मोम के समान पिघला दो अर्थात् तू अपनी कोमल भावनाओं के लिए प्रभु के चरणों में समर्पित हो जा । यहाँ मानव को मोमबत्ती के समान कोमल बनने की सलाह दी गई है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिह्न द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे–पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 1

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 तोप

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विरासत में मिली चीज़ों की सँभाल इसलिए की जाती है क्योंकि वे हमारे पूर्वजों व बीते समय की देन होती है। उन चीज़ों से हमें प्राचीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। ये हमारे पूर्वजों की धरोहर है और इनकी रक्षा का भार हम पर होता है। धरोहर हमें हमारी संस्कृति व इतिहास से जोड़ती है। ये हमें हमारे पूर्वजों, परंपराओं, उपलब्धियों आदि से परिचय कराती है। इन्हीं के माध्यम से हम अपनी पुरानी पीढ़ियों से जुड़े रहते हैं। हम उन्हें इसलिए भी सँभालकर रखते हैं ताकि हमारे बच्चों के भविष्य निर्माण का आधार मजबूत बन सके।

प्रश्न 2.
इस कविता में आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर
भाव यह है कि समय परिवर्तनशील है। जो तोप कभी अत्यंत ताकतवर हुआ करती थी, आज उसकी दशा दयानीय बन चुकी है अर्थात् अत्याचारी कितना भी ताकतवर क्यों न हो एक दिन उसका अंत होकर ही रहता है। जो तोप शूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा देती थी आज वही बच्चों और चिड़ियों के खेलने के साधन से ज्यादा कुछ नहीं है।

प्रश्न 3.
कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है?
उत्तर
कंपनी बाग में रखी तोप यह सीख देती है कि अत्याचारी शक्ति चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, पर उसका अंत अवश्य होता है। मानवशक्ति सबसे प्रबल होती है और वही विजयी होकर रहती है। यह हमें अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य को सँवारने का संदेश देती है। हमें याद रखना होगा कि भविष्य में कोई हमारे देश में पाँव न जमाने पाए और यहाँ फिर वह तांडव न मचे, जिसके घाव अभी तक हमारे दिलों में हरे हैं। कवि हमें यह बताना चाहता है कि कोई कितना भी बलवान और शक्तिशाली क्यों न हो, एक निश्चित अवधि के बाद उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। अर्थात् उसका अंत अवश्य होता है।

प्रश्न 4.
कविता में तोप के दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होंगे?
उत्तर
कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात कही गई है। ये दो अवसर है-

  1. स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त),
  2. गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)

हमारे देश की आजादी के इतिहास में ये दोनों दिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इनमें से 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश कों आज़ादी मिली और 26 जनवरी को हमारे देश का अपना संविधान लागू किया गया। ये दोनों ही अवसर हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय महत्त्व और विरासत से जुड़ी वस्तुओं की साफ़-सफ़ाई करके चमकाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरणा ले सके।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप।
उत्तर
भाव-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने स्पष्ट किया है कि सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में प्रयोग की गई तोप हमारी विरासत के रूप में कंपनी बाग के एक कोने में विद्यमान है। अब इस तोप का कोई महत्त्व नहीं रह गया। यह एक प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गई है। कवि उसकी निरर्थकता की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी के युग में वह तोप महत्त्वपूर्ण थी। कितने ही सूरमाओं को इसने मौत की नींद सुला दिया था परंतु आज वह पर्यटकों के देखने में बच्चों की घुड़सवारी करने का साधन मात्र बनकर रह गई है। दिनभर उछल-कूद करनेवाले बच्चों से उसे जरा सी भी फुरसत मिलती है तो उसकी पीठ पर चिड़ियों का डेरा सा जम जाता है और ढेर सारी चिड़ियों का झुंड उसकी पीठ पर इकट्ठा होकर, अपनी चहचहाहट से उसे परेशान करती रहती हैं। जिस तोप की आवाज़ किसी जमाने में अच्छे-अच्छे सूरमाओं के हौसले पस्त कर देती थी वह तोप अब चिड़ियों की गपशप सुनने को विवश है। इसके माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि समय बलवान होता है। जैसे-जैसे वह चलता है वैसे-वैसे मनुष्य या किसी शक्तिशाली वस्तु की उपयोगिता घटती-बढ़ती रहती है।

प्रश्न 2.
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।
उत्तर
भाव-कवि ने तोप की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए कहा है कि कितना भी बड़ा अत्याचारी क्यों न हो उसके शासन का अंत एक दिन अवश्य होता है। यही कारण है कि तोप इस दयनीय अवस्था में पड़ी हुई है। कंपनी बाग में रखी तोप के अंदर कभी चिड़िया घुस जाती है तो कभी बच्चे उस पर घुड़सवारी का आनंद उठाते हैं। कवि ने इन प्रतीकों के माध्यम से सत्ता के बदलते स्वरूप पर व्यंग्य किया है। कवि बताता है कि समय के आगे किसी की नहीं चलती। चाहे कोई कितना ही बड़ा शक्तिशाली क्रूर शासक हो। एक-न-एक दिन उसका अंत सुनिश्चित है। तब कमजोर-से-कमजोर व्यक्ति भी उसका उपहास उड़ाता है।

प्रश्न 3.
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे।
उत्तर
भाव-कवि इन पंक्तियों में कंपनी बाग में रखी तोप के विषय में बताता है कि उसने बड़े-बड़े योद्धाओं और वीरों को मार गिराया था। वह बहुत जबरदस्त थी, शक्तिशाली थी, उसके आगे कोई नहीं टिक सकता था। ब्रिटिश सेना ने भारतीय देशभक्तों का दमन करने के लिए इसका प्रयोग किया था। यह तोप एक ही समय में बड़े-बड़े सूरमाओं की धज्जियाँ उड़ाने में सक्षम थी। इसने अनेक बेगुनाहों को मौत की नींद सुला दिया था युद्ध में तोप की मौजूदगी शत्रुओं की मौत का कारण बनती थी। आज स्थिति यह है कि छोटे-छोटे बच्चे उसकी पीठ पर घुड़सवारी कर रहे हैं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए ‘धर रखी गई है यह 1857 की तोप’ । ‘धर’ शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है। ‘रखना’, ‘धरोहर’ और ‘संचय’ के रूप में।
उत्तर
विद्यार्थी ध्यानपूर्वक पढ़े।

प्रश्न 2.
‘तोप’ शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।
उत्तर
कंपनी बाग के मुहाने पर 1857 की तोप को धरोहर के रूप में रखा गया है। जिस प्रकार विरासत में मिले कंपनी बाग को संभालकर रखा जाता है, उसी प्रकार इस तोप को भी साल में दो बारे चमकाया जाता है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेज़ी सरकार ने तोप अर्थात् ताकत के बलबूते पर अवश्य कुचल दिया था, पर अंत में इस सत्ता को यहाँ से जाना पड़ा। अब इस क्रूर सत्ता की प्रतीक यह तोप प्रदर्शन की वस्तु बनकर कंपनी बाग के मुख्य द्वार पर रखी है। इसे बड़ी संभाल कर रखा जाता है ताकि लोग जान सके कि हमारे पूर्वजों ने अपना अमर बलिदान देकर इस तोप से अत्याचार करने वाले शासकों को इस देश से विदा कर दिया। अब इस तोप का प्रयोग बच्चे या पक्षी करते हैं, और वे इससे डरने के स्थान पर इससे खेलते हैं। गौरैयाँ तो इसके मुँह तक में घुस जाती हैं। अब इससे किसी को किसी भी प्रकार का भय नहीं है। यह तोप बताती है कि अन्यायी और ताकतवर का भी एक-न-एक दिन अंत अवश्य होता है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 3 सवैया और कवित्त

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
उत्तर
कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ कृष्ण के लिए प्रयुक्त किया गया है। उन्हें ब्रजदूलह कह कर उनकी सर्वोत्कृष्टता स्वीकार की है। वे ऐसे महिमा-मंडित हैं कि उनका स्थान लेने में कोई भी समर्थ नहीं है। वे संसार रूपी मंदिर के दीपक हैं, क्योंकि वे ऐसे दैदीप्यमान हैं जिसके प्रकाश से संपूर्ण विश्व दीप्तमान हो रहा है। वे अलौकिक हैं। उनकी प्रकाश-रूपी सत्ता सर्वत्र व्याप्त है।

प्रश्न 2.
पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उत्तर
इसके दो कारण हैं

  • कवि के अनुसार, अभी उसने ऐसी कोई महान उपलब्धि नहीं पाई है कि वह उसके बारे में सबको बताए और कुछ प्रेरणा दे।
  •  अभी कवि की व्यथाएँ मन में सोई हुई हैं। वह शांतचित्त है। वह आत्मकथा लिखकर अपनी व्यथाओं को फिर से ताजा नहीं करना चाहता।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।।
उत्तर
भाव-सौंदर्य-श्रीकृष्ण के पैरों में बजते हुए नूपुर अति सुंदर लग रहे हैं। कमर में बँधी कर्धनी की मंजुल ध्वनि प्रिय लग रही है। श्रीकृष्ण के श्याम-वर्ण के शरीर पर पीला-वस्त्र सुशोभित हो रहा है और हृदय पर बनमाला सुशोभित हो रही है। इस तरह उनका सौंदर्य मनोहारी है।
शिल्प-सौंदर्य-

  1. यहा ‘कटि किंकिनि’, पट-पीट, और ‘हिल हुलसै’ में अनुप्रास अलंकार की छटा छिटक रही है।
  2. नुपुर और कर्धनी की ध्वनि में नाद-सौंदर्य है।
  3. सवैया-छंद है।
  4. ब्रज-भाषा की मिठास है।

प्रश्न 4.
दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज बसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत बसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
कवि कहता है-प्रेम के वे मधुर क्षण, जिनके वह सपने लेता रहा, उसे जीवन में कभी नहीं मिल पाए। उसकी पत्नी या प्रेमिका उसके आलिंगन में आते-आते रह गई। वह मानो मुसकरा कर उसकी ओर बढ़ी। कवि ने उसे गले से लगाना चाहा, किंतु वह उसकी पहुँच से दूर चली गई। आशय यह है कि उसका प्रेम कभी सफल न हो सका। उसका दांपत्य जीवन लंबा न चल सका।

कवि की प्रेमिका अतीव सुंदरी थी। उसके गाल इतने लाल, मतवाले और मनोरम थे कि प्रेममयी भोर वेला भी अपनी मधुर लालिमा उसके गालों से लिया करती थी। आशय यह है कि कवि की प्रेमिका का मुख-सौंदर्य ऊषाकालीन लालिमा से भी बढ़कर था।

प्रश्न 5.
“प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ -इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
बसंत-ऋतु में गुलाब सूर्य-किरणों के स्पर्श से चटक उठता है अर्थात् खिल उठता है। गुलाब के चटकने (खिलने) में कवि ने कल्पना की है कि गुलाब चटक कर शिशु बसंत को जगाता है। इस प्रकार कवि ने गुलाब-पुष्प का मानवीकरण किया है।

प्रश्न 6.
चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर
‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैंसंस्कृतनिष्ठ भाषा- इसमें संस्कृत के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है। उदाहरणतया
इसे गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास। सांकेतिकता- इस कविता में संकेतों और प्रतीकों के माध्यम से भावनाएँ व्यक्त की गई हैं। उदाहरणतया
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे—यह गागर रीती।। यहाँ ‘रीती गागर’ असफल जीवन की प्रतीक है। कवि ने इस अस्पष्टता या छायावादी शैली का प्रयोग आगे भी किया है। देखिए-
उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की। मानवीकरण शैली–छायावाद की प्रमुख विशेषता है-मानवीकरण। यहाँ मानवेतर पदार्थों को मानव की तरह सजीव बनाकर प्रस्तुत किया गया है। जैसे

  • थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
  • अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।

प्राकृतिक उपमान-छायावादी कवि प्रकृति के उपमानों के माध्यम से बात करते हैं। इस कविता में भी मधुप, पत्तियाँ, नीलिमा, चाँदनी रात आदि प्राकृतिक उपमानों का प्रयोग किया गया है।
गेयता और छंदबद्धता–अन्य छायावादी गीतों की भाँति यह गीत भी गेय और छंदबद्ध है। कवि ने सर्वत्र तुक, लय और मात्राओं का पूरा ध्यान रखा है। हर पंक्ति के अंत में दीर्घ स्वर और अंत्यानुप्रास का प्रयोग है। उदाहरणतया
उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?

प्रश्न 7.
‘प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर
यद्यपि पूर्ण चंद्र की चंद्रिका से कवि ने आकाश के सौंदर्य का वर्णन किया है, तथापि चंद्र को राधा का प्रतिबिंब बताने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहाँ राधा के सौंदर्य का वर्णन किया गया है। यहाँ चंद्र का सौंदर्य राधा के सौंदर्य से फीका है।

यहाँ चंद्र की तुलना राधा से की गई है, किंतु चंद्र की तुलना में राधा को अधिक उज्ज्वल बताया गया है। चंद्र राधा का प्रतिबिंब मात्र है। अतः व्यतिरेक अलंकार है।

“व्यतिरेक-अलंकार-जहाँ प्रस्तुत (उपमेय) की तुलना अप्रस्तुत (उपमान) से की जाती है, किंतु उपमेय, उपमान से अपेक्षाकृत हीन हो तो व्यतिरेक अलंकार होता है।

प्रश्न 8.
तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उत्तर
इस कविता को पढ़कर प्रसाद जी के व्यक्तित्व की ये विशेषताएँ हमारे सामने आती हैं
विनयशील–प्रसाद जी अत्यंत विनम्र कवि थे। यद्यपि वे छायावाद के सबसे महान कवि थे, फिर भी उनमें बड़प्पन की बू नहीं थी। वे स्वयं को दुर्बलताओं से भरा सरल-भोला इनसान कहते हैं। इससे उनकी विनम्रता प्रकट होती है।

गंभीर और मर्यादित–प्रसाद जी गंभीर और मर्यादित कवि थे। वे अपने जीवन की एक-एक बात को साहित्य-संसार में प्रचारित नहीं करना चाहते थे। वे निजी जीवन की दुर्बलताओं, भूलों और प्रेम-क्रीड़ाओं को निजी जीवन तक ही सीमित रखना चाहते थे। वे कविता में निजी अनुभूति को नहीं, समाज के दुख-दर्द को स्थान देना चाहते थे। वे कहते भी हैं

छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ? क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता में मौन रहूँ?
सरल और भोले–प्रसाद जी स्वभाव से सरल और भोले थे। उन्होंने कभी अपनी सरलता नहीं छोड़ी। यद्यपि उनके मित्रों ने उनसे छल किया, धोखा दिया, फिर भी वे भोलेपन में जिए। न अपनी सरलता की हँसी उड़ाई।

प्रश्न 9.
पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
पठित कविता के आधार पर स्पष्ट है कि नवीन कल्पनाओं के नए आयाम हैं। उसके आधार उनकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1. कविताओं में रीतिकालीन कवियों की स्पष्ट छाप है। रीतिकालीन दरबारी कवियों की तरह कवि ने वैभव-सौंदर्य का वर्णन किया है।
  2. कवि ने प्रकृति-सौंदर्य वर्णन में नए-नए उपमान दिए हैं।
  3. उनके काव्य में ब्रज भाषा की मंजुलता है, उसमें परिमार्जित शब्दों का भी यथा-स्थान प्रयोग किया गया है।
  4. अनुप्रास, रूपक, उपमा अलंकारों का प्रयोग विशेष रूप से मनोहारी है।
  5. उनका काव्य सवैया, कवित्त में है, जिसमें स्वर प्रकट है।
  6. वर्णित नायिका के सौंदर्य पर उपमानों की बौछार करके भी कवि को लगता है। कि नायिका का वर्णन अभी अधूरा है, और जल्दी में भूल जाता है और व्यतिरेक कर बैठता है और वर्णित नायिका की तुलना में उपमान प्रभावी हो गया है। रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 10.
आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर
पूर्णिमा की रात, चंद्र पूरे यौवन पर, दिन की तपिस के बाद रात की शीतलता का अनुभव, एकांत, नीरव छत। समीप के सरोवर में किन्लोल करते पक्षी, खिलती हुई कुमुदिनी, तालाब के दो किनारों पर चीखते चकवा-चकवी पक्षी, पूर्ण चंद्र की चंद्रिका में टिमटिमाते तारे इन सबको निहारते-निहारते मनोहारी स्मृतियों ने स्थान ले लिया।

फूलों ने अपनी कलियाँ बंद कर ली हैं, फूलों और पौधों के ऊपर ओस बिंदु चंद्र की किरणों में झिलमिला रहे हैं। संपूर्ण प्रकृति चंद्रिका की चादर ओढ़े हुए बिल्कुल शांत दिखाई दे रही है–प्रकृति के सौंदर्य को निहारते-निहारते कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला। आँखें खुली तो चंद्र की किरणें फीकी पड़ती हुई दिखाई दीं और उषा ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
भारतीय ऋतु चक्र में छह ऋतुएँ मानी गई हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर
छह ऋतुएँ क्रमशः इस प्रकार हैं

  1. ग्रीष्म
  2. पावस (वष)
  3. शरद
  4. शिशिर
  5. हेमंत
  6. वसंत।

प्रश्न 2.
‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण ऋतुओं में क्या परिवर्तन आ रहे हैं? इस समस्या से निपटने के लिए आपकी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर
‘ग्लोबल-वार्मिंग’ के कारण ऋतु-चक्र में आता हुआ परिवर्तन और उससे होने वाली हानियाँ इस रूप में दिखाई दे रही हैं-वर्षा का कम होना, तापक्रम का बढ़ना, शीत ऋतु के शीत में कमी। इस सबके कारण फसल पर पड़ता हुआ प्रभाव, होती हुई हानियाँ स्पष्ट दृष्टगोचर हैं।

हम ग्लोबल वार्मिंग के प्रति लोगों को जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यथा संभव पेड़-लगाकर अपने कर्तव्य का पालन कर सकते हैं।

इस बारे में लोगों में जागरूकता फैलानी होगी। जब तक जन चेतना सामूहिक रूप से नहीं जागेगी तब तक समाधान नहीं होगा। अतः स्वयं से ही शुरू करें और दूसरों को प्रेरित करें। ऐसा हम सब मिलकर कर सकते हैं।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तर
इस गीत की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में अनेक भारतीय सैनिकों ने भारत चीन-सीमा पर लड़ते-लड़ते अपना अमर बलिदान दिया था। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर चेतन आनंद ने ‘हकीकत फ़िल्म बनाई थी। इस फिल्म में भारत चीन युद्ध के यथार्थ को मार्मिकता के साथ दर्शाते हुए उसका परिचय जन सामान्य से करवाया गया था। इसी फिल्म के लिए प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आज़मी ने ‘कर चले हम फिदा’ नामक मार्मिक गीत लिखा था।

प्रश्न 2.
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में हिमालय भारत देश और देशवासियों के आन-बान और शान का प्रतीक है। हिमालय पर्वत भारत के उत्तर में स्थित है जो हमारे देश का मुकुट सरीखा है। इसे भारत का मस्तक भी कहा जाता है। चीन के आक्रमण के समय यह युद्ध हिमालय की तराई में हुआ था जिसमें भारतीयों ने अदम्य साहस और वीरता से शत्रुओं को वापस कदम खींचने पर विवश कर दिया और हिमालय का मान-सम्मान बचाए रखा।

प्रश्न 3.
इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है?
उत्तर
इस गीत में धरती को ‘दुलहन’ की संज्ञा दिया गया है। जिस प्रकार दूल्हा अपनी दुलहन को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है उसी प्रकार भारतीय सैनिक भी धरती रूपी दुलहन को पाने के लिए तथा उसके मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को उत्सुक थे। इस धरती को पाना ही उनका एकमात्र लक्ष्य था भारतीय सैनिकों ने अपने बलिदान के खून से धरती रूपी दुलहन की माँग भरी थी। अतः सैनिक देश की रक्षा करते हुए मौत को गले लगाकर धरती को ही अपनी दुलहन स्वीकार करते हैं।

प्रश्न 4.
गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर
गीतों में ऐसी अनेक बातें होती हैं जो उसे आजीवन के लिए यादगार बना देती हैं-

  1. तुकांतता- गीतों में पाई जाने वाली तुकांतता उसे सहज कंठस्थ बना देती है।
  2. छंदबद्धता- गीत छंदों में बँधे होते हैं जिससे ये आसानी से कंठस्थ हो जाते हैं।
  3. तुकांत की उपस्थिति- तुकांतता गीतों को सहज स्मरणीय बना देती है।
  4. गेयता- गीतों का एक प्रमुख गुण है गेयता जिसके कारण ये सरलता से लोगों की जुबान पर रचबस जाते हैं।
  5. मर्मस्पर्शिता- गीतों का एक गुण है-सहज ही मर्म को छू जाते हैं, जिससे ये लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं।

प्रश्न 5.
कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर
कवि ने ‘साथियों संबोधन का प्रयोग दूसरे सैनिक साथियों व देशवासियों के लिए किया है। घायल सैनिक मातृभूमि पर स्वयं को न्योछावर करते हुए मृत्यु को गले लगा रहे हैं। ये घायल सैनिक अपने देशवासी साथियो पर देश की रक्षा का भार सौंपकर ही दम तोड़ना चाहते हैं। घायल सैनिकों की अपने साथियों से अपेक्षा है कि वे उनकी मृत्यु के पश्चात देश की रक्षा कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। यदि अन्य साथी इनके बलिदान के पश्चात देश के सम्मान को बनाए रखेंगे तो इनकी कुर्बानियाँ व्यर्थ नहीं जाएँगी।

प्रश्न 6.
‘कवि ने इस कविता में किस काफिले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर
कविता में कवि ने युद्ध भूमि में जाने वाले सैनिकों के काफ़िले को बढ़ाने की बात कही है जो रणक्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। कवि चाहता है कि इस काफ़िले में सैनिकों की कमी नहीं होनी चाहिए। इसे सजाने का आह्वान करके कवि ने हर भारतीय को अपनी मातृभूमि की रक्षा करने की प्रेरणा दी है ताकि शत्रुओं से मुकाबला करने वाली टोली अपने पीछे रणक्षेत्र में आत्मोत्सर्ग करने को तत्पर साथियों को देखकर उत्साहित हो और दुश्मनों से वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए उन्हें पराजित कर दे। देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का यह काफ़िला शत्रुओं से मुकाबला करने से कभी पीछे न हटे।

प्रश्न 7.
इस गीत में ‘सर पर कफन बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर
‘सर पर कफन बाँधना’ का अर्थ है-मृत्यु के लिए तैयार रहना। इस गीत में सर पर कफन बाँधना देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने की ओर संकेत करता है। देश की खातिर स्वयं को न्योछावर करने वाला बलिदानी अपने प्राणों का मोह त्याग कुर्बानी की राह पर निडरता से बढ़ता चला जाता है। उसे मौत का भय नहीं होता है। वह तो देश के मान-सम्मान
की खातिर हर समय मरने-मिटने को तैयार रहता है।

प्रश्न 8.
इस कविता को प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
‘कर चले हम फ़िदा’ नामक की रचना गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा की गई है। इस पाठ की पृष्ठभूमि 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध पर आधारित है। इस कविता का केंद्र बिंदु भारतीय सैनिकों को साहसपूर्ण प्रदर्शन तथा देशवासियों से देश की रक्षा के लिए किया गया आह्वान है। उनके मन में देश प्रेम एवं देशभक्ति की उत्कट भावना है। वे घायल होकर किसी भी क्षण इस दुनिया से विदा हो सकते हैं परंतु उनकी देशभक्ति में कमी नहीं आने पाई है। वे चाहते हैं कि जिस देश के लिए वे साहस एवं वीरतापूर्वक लड़े और अपना बलिदान करने जा रहे हैं, उसे देशवासी कभी गुलाम न होने दे। वे अपने साथी सैनिकों एवं देशवासियों को अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित करते हुए प्राणोत्सर्ग करने का आह्वान करते हैं ताकि देश की शान और प्रतिष्ठा पर आँच न आने पाए। वे शत्रुओं को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दें कि फिर कोई शत्रु देश की ओर आँख उठाकर बुरी निगाह से देखने का साहस न कर सके।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
उत्तर
भाव यह है कि सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तो भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर उनका मुकाबला किया। यह हिमालय की घाटियों में हुआ था जहाँ तापमान बहुत कम था। ऐसी सरदी में धमनियों का रक्त जमता जा रहा था फिर भी सैनिक जोश और साहस से शत्रुओं का मुकाबला करते हुए आगे कदम बढ़ाते जा रहे थे।

प्रश्न 2.
खींच दो अपने खें से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
उत्तर
भाव-इन पंक्तियों का भाव यह है कवि सैनिक के माध्यम से यह कहना चाहता है कि हे साथियो! देश की रक्षा की खातिर खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाओ। कारण यह है कि शत्रु को देश की ओर कदम बढ़ाने से रोकने के लिए रक्त से लक्ष्मण रेखाएँ अर्थात् लकीरें खींचनी पड़ती हैं तभी शत्रु हमारे देश की सीमा में घुसने का दुस्साहस नहीं कर पाता है। कवि का ऐसा मानना है कि देश की रक्षा शक्ति और बलिदान से ही होती है और हमें देश की रक्षा के लिए बलिदान देने से हिचकना नहीं चाहिए।

प्रश्न 3.
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
उत्तर
भाव यह है कि हमारा देश भारत और हमारी जन्मभूमि सीता की तरह ही पवित्र है। किसी समय रावण ने सीता का दामन छूने का दुस्साहस कर लिया था परंतु अब शत्रुओं को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दो कि भारत माता की ओर आने का साहस कोई न कर सके। सीता रूपी भारत माता की रक्षा का दायित्व अब तुम्हारे कंधों पर है। तुम्हें राम-लक्ष्मण बनकर इसके मान-सम्मान को बनाए रखना है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत के संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
कट गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
उत्तर

  1. कट गए सर-मृत्यु को प्राप्त होना-देश की रक्षा के लिए अनेक सैनिकों के सर कट गए।
  2. नज़ जमती गई-नसों में खून जमने लगा-अत्यधिक ठंड के कारण हिमालय की बर्फीली चोटियों पर देश की रक्षा के लिए लड़ने वाले सैनिकों की नब्ज़ जमती गई परंतु वे लड़ते रहे।
  3. जान देने की रुत-बलिदान देने का उचित अवसर-जब शत्रु देश पर आक्रमण करता है तब सैनिकों के लिए जान देने की रुत आती है।
  4. हाथ उठने लगे-आक्रमण होना-जब भी दुश्मन ने हमारे देश की ओर हाथ उठाया है तो हमारे वीरों ने उसका डटकर मुकाबला किया है।

प्रश्न 2.
ध्यान दीजिए संबोधन में बहुवचन ‘शब्द रूप’ पर अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता; जैसे भाइयो, बहिनो, देवियो, सज्जनो आदि।
उत्तर
विद्यार्थी वाक्य में संबोधन शब्दों का प्रयोग करके स्वयं समझें ।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 4 आत्मकथ्य

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
उत्तर
कवि स्वयं कहता है कि उसके जीवन की ऐसी कोई महान उपलब्धि नहीं है जिसकी सराहना की जाए। वह अच्छी तरह से जानता है कि अभावों से भरी जिंदगी का चित्रण करने में उपहास ही होता है। इसलिए वह अभावग्रस्त जीवन का उल्लेख कर अपना उपहास कराना नहीं चाहता है। कवि का यह भी मानना है कि आत्मकथा का वर्णन सुप्त पीड़ाओं को पुनः जीवंत कर स्वयं को पीड़ित करना है। अतः वह आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है।

प्रश्न 2.
आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में “अभी समय भी नहीं” कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर
कविता का शीर्षक उत्साह’ इसलिए रखा गया है क्योंकि यह बादलों की गर्जन और उमड़न-घुमड़न से मेल खाता है। बादलों में भीषण गति होती है। उसी से वह धरती के ताप हरता है। कवि ऐसी ही गति, ऐसी ही भावना और शक्ति चाहता है।

प्रश्न 3.
स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर
कवि अपने बीते हुए कष्टों के थपेड़ों से आहत है, निराश है। उसकी स्थिति थके हुए पथिक की तरह है जिसको आगे बढ़ने का उत्साह समाप्त हो गया है, किंतु जीना चाहता है और पाथेय का उपभोग कर उत्साहित होता है।

कवि के जीने का आधार मात्र स्मृतियाँ हैं जिन्हें सँजोए रखना चाहता है। निराशामय स्थितियों से निकलने के लिए स्मृतियाँ ही उसका पाथेय हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर
निम्नलिखित शब्दों में नाद-सौंदर्य है

  • घेर घेर घोर गगन
  •  ललित ललित, काले धुंघराले,
  • बाल कल्पना के-से पाले।

प्रश्न 5.
‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’-कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर
उक्त कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जो प्रेयसी के साथ समय व्यतीत हुआ, वह अतीत बन गया। वर्तमान में उसका आभास मात्र शेष है। इसलिए सुखद क्षणों को अभिव्यक्त करना उसके लिए कठिन है। वह कभी अपनी प्रेयसी के साथ चाँदनी रातों में मधुर बातें करते हुए हँसता था, खिलखिलाता था। प्रेम-प्रसंग में सुख का अनुभव करता था। उन क्षणों को शब्दों में पिरोकर सबके सामने प्रकट करना उचित नहीं हो सकता।

प्रश्न 6.
“आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर
‘आत्मकथ्य’ कविता में सौंदर्य की जो अद्भुत छटा विद्यमान है वह इस प्रकार है

1. खड़ी बोली का परिष्कृत रूप।
आत्मकथ्य में तत्सम शब्दों की वर्षा है जो भावों के अनुकूल है; जैसे-
इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास ।”
“भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।”

2. कवि ने प्रतीकात्मक शब्दों का विशेष रूप से प्रयोग किया है; जैसे-
मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ, देखो कितनी आप घनी।”
यहाँ ‘मधुप’ मन का प्रतीक है, तो ‘मुरझाकर गिरती हुई पत्तियाँ’ नश्वरता का प्रतीक हैं।

3. कवि की ‘आत्मकथ्य’ कविता कोमलांगिनी है। प्रकृति-उपादानों के प्रयोग से प्रेयसी की मनोरम झाँकी जीवंत हो उठी है; जैसे-
जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।”
इस प्रकार कविता में कमनीयता के दर्शन होते हैं।

4. “आत्मकथ्य’ कविता में अलंकारों का सौंदर्य भी सहज आ गया है। निम्न अलंकार प्रयुक्त है
पुनरुक्तिप्रकाश-आलिंगन में आते-आते।
अनुप्रास-

  1. हँसते होने वाली ।
  2. कौन कहानी यह अपनी।
  3. मेरी मौन व्यथा।

मानवीकरण-

  1. अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
  2. थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।

प्रश्न 7.
कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर
कवि की प्रेयसी स्वप्न-सुंदरी थी, सुंदरता की जीवंत प्रतिमा थी। ऐसी अनुपमा सुंदरी प्रेयसी स्वप्न में आलिंगन का आभास कराकर, सुख की क्षणिक मुस्कुराहट बिखेरकर जीवन से दूर हो गई। उसकी सुख-कल्पना अधूरी रह गई। उस सुख के प्राप्त करने की छटपटाहट को कवि गोपनीय नहीं रख सका और ‘आत्मकथ्य’ कविता में इस प्रकार फूट पड़ी

‘जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने | शब्दों में लिखिए।
उत्तर
कवि व्यावहारिक रूप में विनम्र है, योग्य है तथा बड़ी सादगी से अपने आलोचकों या अपने साथ धोखा करने वाले मित्रों के प्रति उलाहना दे जाता है। उनके उलाहनों में विनम्रता का आभास होता है। उन्होंने लिखा है कि औरों की प्रवंचना को लिखना क्या उचित रहेगा? उसके प्रेयसी की स्मृतियाँ उसके मन का मंथन करती रहती हैं, जिसे कवि प्रकट नहीं करना चाहता है, फिर भी न चाहते हुए भी बहुत-कुछ कह जाता है। कवि आत्म-गौरव का धनी है। हिंदी साहित्य जगत् में उनकी अलग पहचान है, फिर भी बड़प्पन का प्रदर्शन नहीं करते हैं। इसलिए बड़ी सहजता से कह दिया है कि।

“छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहू

प्रश्न 9.
आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर
मैं वैसे व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा, जिन्होंने संघर्ष करते हुए सफलता प्राप्त की है और ऊँचाइयों को छुआ है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मकथा हमें प्रेरणा देती है। निराशाओं में आशा बनाए रखने में सहायक होती है तथा संघर्ष की प्रेरणा देती है। मैं पूर्व राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे. कलाम की आत्मकथा पढ़ना चाहूंगा जो अति साधारण परिवार से संबंध रखते हुए सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचे ।

प्रश्न 10.
कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं है। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
उत्तर
छात्र स्वयं लिखने का प्रयास करें।

पाठेतर सक्रियता

• किसी भी चर्चित व्यक्ति का अपनी निजता को सार्वजनिक करना या दूसरों का उनसे ऐसी अपेक्षा करना सही है-इस विषय के पक्ष-विपक्ष में कक्षा में चर्चा कीजिए।
• बिना ईमानदारी और साहस के आत्मकथा नहीं लिखी जा सकती। गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ पढ़कर पता लगाइए कि उसकी क्या-क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर
इसे छात्र स्वयं ही अध्यापक के सहयोग से चर्चा कर सकते हैं। यह परीक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं है। यह भी जानें

• प्रगतिशील चेतना की साहित्यिक मासिक पत्रिका हंस प्रेमचंद्र ने सन् 1930 से 1936 तक निकाली थी। पुनः 1986 से यह साहित्यिक पत्रिका निकल रही है और इसके
संपादक राजेंद्र यादव हैं।
• बनारसीदास जैन कृत अर्धकथानक हिंदी की पहली आत्मकथा मानी जाती है। इसकी | रचना सन् 1641 में हुई और यह पद्यात्मक है।
आत्मकथ्य का एक अन्य रूप यह भी देखें-
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ,
मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पड़ा, तुम कहते, छंद बनाना;
क्यों कवि कहकर संसार मुझे अपनाए,
मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना!
मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ।
जिसको सुनकर जग झूम उठे, लहराए,
मैं मस्ती का संदेश लिए फिरता हूँ।
–कवि बच्चन की आत्म-परिचय कविता का अंश

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर
कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि वे विपत्ति का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करें। निर्भयता का वरदान दें ताकि वह संघर्षों से विचलित न हो। वह अपने लिए सहायक नहीं आत्मबल और पुरुषार्थ चाहता है। सांत्वना-दिलासा नहीं बहादुरी चाहता है। वंचना, निराशा और दुखों के बीच प्रभु की कृपा शक्ति और सत्ता में आत्म-विश्वास का भाव चाहता है।

प्रश्न 2.
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं-कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’- के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि हे ईश्वर ! मेरे जीवन में जो भी दुख और कष्ट आने वाले हैं आप उनसे मुझे मत बचाओ। मैं आपसे इसको सहने के लिए साहस और शक्ति माँगता हूँ ताकि इन दुखों से घबराकर हार न मान बैठें। मैं साहसपूर्वक इनसे संघर्ष करना चाहता हूँ।

प्रश्न 3.
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर
कवि जीवन संघर्ष में सहायक न मिलने पर ईश्वर को कोई दोष नहीं दे रहा है, बल्कि प्रभु से प्रार्थना कर रहा है कि विपत्ति में उसका बल और पौरुष न हिले यदि समस्त संसार भी उसके साथ धोखा करे तो भी उसका आत्मबल और विश्वास न डिगे। वह साहस और दृढ़ता से आपदाओं को कुचल दे।।

प्रश्न 4.
अंत में कवि क्या अननुय करता है?
उत्तर
अंत में कवि ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि सुख के पलों में भी वह ईश्वर को न भूले तथा इस समय में उसे प्रभु का चेहरा बार-बार नज़र आए। वह यह भी याद रखना चाहता है कि ये सुख भी उसके प्रभु की ही देन है। वह दुख के समय में प्रभु पर आस्था और विश्वास बनाए रखना चाहता है। वह किसी भी स्थिति में न अपने प्रभु पर विश्वास कम होने देना चाहता है और न उनकी शक्तियों के प्रति शंकाग्रस्त होना चाहता है।

प्रश्न 5.
“आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
“आत्मत्राण’ कविता के संदर्भ में यह शीर्षक पूर्णरूप से सार्थक है। आत्मत्राण का अर्थ है-अपने भाव से निवारण या बचाव। कवि अपने मन के भय से छुटकारा पाना चाहता है और ईश्वर से इसी छुटकारे के लिए शक्ति प्राप्त करना चाहता है। वह जीवन की हर परिस्थिति का निर्भय होकर सामना करना चाहती है। वह समस्त विपदा, भय, ताप-दुख, हानि-लाभ और
वंचना स्वयं झेलने को तैयार है। केवल आत्मबल, पौरुष व आस्था का सहारा लेकर आत्मत्राण की कामना करता है।

प्रश्न 6.
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त क्या-क्या प्रयास करते हैं?
उत्तर
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रयास करता हूँ-

  1. इच्छाओं की पूर्ति के लिए उपाय सोचता हूँ।
  2. इसके लिए योजनाबद्ध कदम उठाता हूँ।
  3. इसे पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करता हूँ।
  4. यदि एक प्रयास में इच्छापूर्ति नहीं होती है तो निराश नहीं होता हूँ।
  5. भाग्य के सहारे बैठने के बजाय पुनः उत्साहपूर्वक प्रयास करता हूँ।
  6. साहस एवं मनोबल बनाए रखने के लिए प्रभु से प्रार्थना करता हूँ।

प्रश्न 7.
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर
कवि की यह प्रार्थना अन्य प्रार्थनाओं से भिन्न है। अधिकतर प्रार्थनाएँ सुख-सुविधाओं से भरा जीवन, धन-वैभव की लालसा आदि लिए रहती हैं और दुख से बचने के लिए प्रयत्नशील होती हैं। जबकि इस प्रार्थना में कवि हर काम में ईश्वर की सहायता नहीं चाहता। अन्य प्रार्थना गीतों में दास्यभाव व आत्मसमर्पण की भावना अधिक होती है। प्रायः मनुष्य ईश्वर से प्रार्थना करता है। कि उसे दुखों का सामना न करना पड़े किंतु इस गीत में कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे दुखों को सहन करने की शक्ति दे। वह मुसीबत में भयग्रस्त नहीं होना चाहता है और सुख के दिनों में भी प्रभु का स्मरण बनाए रखना चाहता है।

(ख) निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानँ छिन-छिन में।
उत्तर
भाव-कवि चाहता है कि हमें ईश्वर को हर क्षण याद रखना चाहिए। प्रायः मनुष्य दुख में तो ईश्वर को याद करते हैं परंतु सुख में भूल जाते हैं। हमें सुख के प्रत्येक पल में परमात्मा का अहसास करना चाहिए। उन्हें स्मरण रखना चाहिए। प्रायः लोग सुख में परमात्मा को भूल जाते हैं। वे अपनी शक्ति पर घमंड करने लगते हैं। कवि की कामना है कि वह ऐसे घमंड से बची रहे।

प्रश्न 2.
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचनी रही
तो भी मन में न मार्ने क्षय। |
उत्तर
भाव यह है कि कवि को अपने जीवन में भले ही बार-बार हानि उठानी पड़े और लोगों के छल-कपट का शिकार होना पड़ा हो, तब भी कवि इसके लिए प्रभु का दोष न मानते हुए अपने मन में निराशा और दुख नहीं आने देना चाहता है। वह चाहता है कि दुख की दशा में भी प्रभु से उसकी आस्था, विश्वास में कमी न आने पाए।

प्रश्न 3.
तेरने की हो शक्ति अनमय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर
भाव-कवि कामना करता है कि विपरीत परिस्थितियों से घिरा होने पर दुख में भी यदि प्रभु उसे सांत्वना न दे, न सही। सांत्वना के अभाव में उसके जीवन का दुख भार कम न हो तो न सही, परंतु ईश्वर उसे दुखों को सहने की अदम्य शक्ति प्रदान करे ताकि उस शक्ति व आत्मबल से वह दुःखों पर काबू पा सके। कवि किसी प्रकार की सांत्वना का इच्छुक नहीं है; वह तो निर्भय होकर हर दुख का सामना करना चाहता है।

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