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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

पापा खो गए NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7

Class 7 Hindi Chapter 7 पापा खो गए Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों ?
उत्तर:
नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र लैटर बॉक्स है। लैटर बॉक्स पढ़ना-लिखना जानता है। वह सबको दिशा निर्देश भी देता है। उसे लड़की के प्रति सच्ची सहानुभूति है। वह लड़की को उसके पापा से मिलवाने की योजना बनाता है। वह सबके साथ मिलकर ऐसी स्थिति पैदा कर देता है जिसके कारण वहाँ पुलिस जाए और बच्ची पुलिस के हाथ पड़ जाए। इस प्रकार पुलिस उस बच्ची को उसके पिता से मिलवा देगी।।

प्रश्न 2.
पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई ?
उत्तर:
एक दिन जोर की आँधी और बारिश आई (आँधी के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर गया। पेड़ ने उसको संभाल लिया। पेड़ ने खंभे का पूरा भार अपने ऊपर झेला। पेड़ इस प्रक्रिया में जख्मी हो गया। खंभे का सारा अहंकार भी समाप्त हो गया। इस प्रकार खंभे और पेड़ में दोस्ती हो गई।

प्रश्न 3.
लैटर बॉक्स को सभी लालताऊ कहकर क्यों पुकारते थे ?
उत्तर:
लैटर बॉक्स लाल रंग था इसलिए उसे लालताऊ कहते थे। लैटर बॉक्स ताऊ की तरह बातें भी खूब किया करता था। उनकी बातें किस्से कहानियों से कम नहीं थीं। अतः उसका ‘ताऊ’ नामकरण ठीक ही था।

प्रश्न 4.
लालताऊ किस प्रकार दूसरे पात्रों से भिन्न था ?
उत्तर:
लालताऊ की सबसे बड़ी विशेषता थी उसका पढ़ा-लिखा होना। वह अपने अंदर से चिट्ठियों को निकालकर पढ़ता था। वह दूसरों को भी उन चिट्ठियों को सुनाता था। वह ज्ञान की बातें बहुत करता था। वह निडर भी था। ये गुण लालताऊ को अन्य पात्रों से अलग करते हैं।

प्रश्न 5.
नाटक में बच्ची को बचाने वाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।
उत्तर:
नाटक में एक कौवा ही ऐसा पात्र है जो सजीव है वह बहुत ही मजेदार बातें करता था जैसे-
कौआ : (पेड़ के पीछे से झांककर) कॉउव-कॉउव कौन है जो रात के वक्त इतनी मीठी आवाजें लगाकर मेरी नींद खराब करता है ? जराभर चैन नहीं इन्हें।
कौआ : लड़की को उसके पिता से मिलाने का तरीका बताता हुआ कहता है।
कौआ : कहता है-आसान है। सुबह जब हो जाए पेड़ राजा, तो आप अपनी घनी-घनी छाया इस पर किए रहें, वह आराम से देर तक सोती रहेगी और खंभे महाराज, आप ज़रा टेढ़े होकर खड़े रहिए।
खंभा : के यह कहने पर कि इससे क्या होगा ?
कौआ : बोला, पुलिस को लगेगा, एक्सीडेंट हो गया। वो यहाँ आएगी और हमारी इस छोटी सहेली को देखेगी। वो लगाएगी इसके घर का पता। पुलिस सबके घर का पता मालूम करती है। खोए हुए बच्चों को उनके घर पहुँचाती है।
खंभा : के यह कहने पर कि-रहूँगा, मैं आड़ा होकर खड़ा रहूँगा। पर मान लो, पुलिस नहीं आई तो ?
कौआ : बोला, मैं बराबर यहाँ ज़ोर-ज़ोर से काँव-काँव करता रहूँगा। लोगों का ध्यान इधर खींचूँगा। उनकी चीजें अपनी चोंच से उठा- उठाकर लाता जाऊँगा।

प्रश्न 6.
वह कौन-सी वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुंचा पा रहे थे ?
उत्तर:
वह लड़की बहुत छोटी थी। उसे अपने घर, मुहल्ले गली के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थे। ये लोग भी उसके घर का पता नहीं जानते थे। वे चलने-फिरने में भी असमर्थ थे इसलिए वे पुलिस में भी रिपोर्ट नहीं करा सकते थे। कौए को छोड़कर वे सभी निर्जीव थे।

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नाटक से आगे

प्रश्न 1.
अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
उत्तर:
‘पापा खो गए’ शीर्षक इसलिए रखा गया होगा कि जब उस बच्ची से पूछा होगा तो उसने कहा होगा कि मेरे पापा खो गए। वह लड़की बहुत ही मासूम है। मासूम बच्चे अक्सर इस तरह का ही जबाव देते हैं कि मेरे पापा खो गए, या मेरी मम्मी खो गई इसका और शीर्षक हो सकता है। ‘मासूम बच्ची’।

प्रश्न 3.
क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं ?
उत्तर:
इस बच्ची के पापा को खोजने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे-पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाना-ऐसा करने पर पुलिस अपने तरीके से खोज सकती है। दूसरा तरीका-समाचार पत्र और दूरदर्शन पर विज्ञापन देना है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में, होगी ? क्या वह पार्क/मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा ?
उत्तर:
जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह घर से बैठकर बाहर चली गई होगी तभी उस पर किसी बच्चे चुराने वाले चोर की निगाह पड़ी होगी। उसने उस बच्ची को कोई खाने की वस्तु देकर बहला लिया होगा। वह पार्क में खेलते समय भी इधर-उधर जा सकती है क्योंकि बच्ची अभी छोटी है। उसे जगह की पहचान भी नहीं है।

प्रश्न 2.
नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
उत्तर:

  • समूह में चलना।
  • एकजुट होकर बच्चा उठाने वालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
  • अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
  • इसके अतिरिक्त अन्य उपाय हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति बच्चे को उठाने की चेष्टा करे तो बच्चे को चाहिए कि वह बचाओ! बचाओ! कहकर जोर से चिल्लाए ऐसा करने पर चोर इरकर भाग जाएगा।
  • कभी भी अकेले कहीं न जाना, घर के बड़े व्यक्तियों के साथ ही कहीं जाना चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति कोई प्रलोभन दे तो प्रलोभन में न आना।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे-‘सड़क/रात का समय…दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर:

  • रात का सन्नाटा
  • आकाश बादलों से ढका हुआ
  • झिंगुरों की आवाज
  • गीदड़ का बोलना
  • घुप्प अँधेरा।

प्रश्न 2.
पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिन्हों की ओर गया होगा। नीचे पृष्ठ पर दिए अंश से विराम चिन्हों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिन्ह लगाइए-
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है अंग थरथर काँपने लगते हैं।
उत्तर:
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे! बाप रे वो बिजली थी या आफ़त! याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है। अंग थरथर काँपने लगते हैं।

प्रश्न 3.
आसपास की निर्जीव चीज़ों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

  1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
  2. कलम का कॉपी से संवाद
  3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद

उत्तर:
1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
चॉक : अरे ब्लैक बोर्ड तुम तो बहुत काले हो।
ब्लैक बोर्ड : मैं काला हूँ तभी तो तुम्हारा लिखा मुझ पर दिखाई देता है।
चॉक : मैं हूँ ही इतना खूबसूरत कि मेरे द्वारा सुंदर लिखा जाता है।
ब्लैक बोर्ड : नहीं यह बात नहीं है। पिछले दिनों जब मेरा रंग हल्का हो गया था और मैं कुछ चिकना हो गया था तब भी क्या तुम्हारे द्वारा सुंदर लिखा जाता था।
चॉक : नहीं, तब तो नहीं।
ब्लैक बोर्ड : मेरे कारण ही तुमसे सुंदर लिखा जाता है।
चॉक : हाँ, ब्लैक बोर्ड भाई तुम ठीक कहते हो।

2. कलम का कॉपी से संवाद ।
कलम : कॉपी बहिन मेरे द्वारा जब लोग तुम पर लिखते हैं तो कितने सुंदर अक्षर बन जाते हैं।
कॉपी : मैं तुम्हारे द्वारा लिखी बातों को अपने में सहेजकर रखती हूँ, जिनको बाद में भी लोग पढ़ सकते हैं।
कलम : मेरे द्वारा लिखा हुआ इस प्रकार ज्ञान का खजाना बन जाता है।
कॉपी : कलम भाई कभी-कभी तुम अपने लिखे को काट देते हो तब मेरी सूरत गंदी हो जाती है।

3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद ।
दरवाजा : खिड़की तुम्हारा महत्त्व कुछ भी नहीं है ?
खिड़की : मेरा महत्त्व तुमसे अधिक है क्योंकि मुझसे ही होकर शुद्ध हवा कमरे में आती है।
दरवाजा : हवा तो मुझ से भी आती है।
खिड़की : परंतु कितनी देर। मालिक जब आता है तुम्हें बंद कर देता है।
दरवाजा : मैं आने-जाने के काम आता हूँ तुम थोड़े ही।
खिड़की : सबका अपना-अपना महत्त्व है, कोई भी महत्त्वहीन नहीं है।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा-सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षक से सहयोग लें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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पापा खो गए Summary

नाटक का सार

यह एक काल्पनिक घटना पर आधारित नाटक है। इसकी सभी घटनाएँ सड़क पर घटित होती हैं। यहाँ लैटर बॉक्स, सड़क का खंभा और पेड़ सभी अपनी-अपनी परेशानियों का वर्णन करते हैं। खंभे और पेड़ को दिन-रात खड़े रहने में परेशानी है। वे हर मौसम में सदैव खड़े ही रहते हैं। उन्हें आँधी, तूफान झेलना पड़ता है। लैटर बॉक्स (लालताऊ) भी उनकी बातचीत में शामिल हो जाता है। वह कुछ पत्र निकाल कर पढ़ने लगते हैं। खंभा और पेड़ समझते हैं कि किसी का पत्र नहीं पढ़ना चाहिए।

तभी एक गुंडा-बदमाश एक छोटी प्यारी बच्ची को बेहोश कर वहाँ उठा लाता है, उन्हें लगता है कि वह उसे किसी को बेच देगा। वह आदमी लड़की को छिपाकर भोजन की तलाश में जाता है। गुंडे के जाते ही खंभा, पेड़ और लैटर बॉक्स लड़की के बारे में चिंतित हो जाते हैं, वे उसे बचाने के बारे में सोच-विचार कर बातें करने लगते हैं। इस बातचीत में कौए को जगाकर शामिल करते हैं, तभी लड़की कुछ होश में आ जाती है। वह समझ नहीं पाती कि बातें कौन कर रहा है, उसे अंधेरे में डर लग रहा है। लैटर बॉक्स उसके पास आकर उसे तसल्ली देता है। लड़की को लैटर बॉक्स को बोलते देखकर आश्चर्य के बाद खुशी होती है। लैटर बॉक्स उससे उसका पता-ठिकाना पूछता है, लेकिन लड़की कुछ बता नहीं पाती। धीरे-धीरे पेड़, खंभा और कौआ भी बातचीत में शामिल हो जाते हैं। लड़की सब कुछ भूलकर उनके साथ खेलने लग जाती है, तभी वह दुष्ट आदमी वहाँ आता है और लड़की को ढूँढ़ता है। लड़की बचने का प्रयत्न करती है। पेड़, लैटर बॉक्स, खंभा, पोस्टर सभी लपक-लपककर सामने आकर लड़की को गुंडे के हाथ नहीं लगने देते, तभी कौआ भूत-भूत चिल्लाता है, सभी के भूत-भूत चिल्लाने से गुंडा घबरा कर भाग जाता है। सभी खूब हँसते हैं। कुछ देर लड़की नहीं मिलती तो सब उसे ढूंढ़ कर थक कर सुला देते हैं।

खंभा, पेड़ सभी सोचते हैं कि अब लड़की को घर कैसे पहुँचाया जाए, उसे तो अपने पापा का नाम भी नहीं मालूम। सुबह होती है, वे एक पोस्टर बनाते हैं। सड़क पर सारे लड़की पर झुक कर छाया किए हुए हैं। खंभा टेढ़ा खड़ा है जैसे कोई दुर्घटना हुई हो। कौवा शोर करता है, सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित होता है। पोस्टर पर लिखा है-मेरे पापा खो गए हैं। लैटर बॉक्स सरकता हुआ लोगों से कहता है-इस प्यारी बच्ची के पापा को खोज कर यहाँ ले आइए।

शब्दार्थः आफत-मुसीबत, भंगिमा-मुद्रा, संतुलन-बराबर बने रहना, हड़बड़ी-जल्दबाजी, मुमकिन नहीं-असंभव, चौकस-सावधान, गरूर-घमंड, गश्त-फेरी, करीब से-निकट से, स्वीकृति-मंजूरी, दुबक जाना-छिप जाना, संरक्षण-रखवाली, चकमा-धोखा, आनंदित-प्रसन्न, प्रेक्षक-दर्शक।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

रक्त और हमारा शरीर NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6

Class 7 Hindi Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
रक्त के बहाव को रोकने के लिए उस स्थान पर साफ कपड़ा बाँध देना चाहिए। ऐसा करने से रक्त शीघ्र रुक जाएगा। यदि जख्म गहरा है तो घायल को लेकर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
जिस प्रकार भानुमती के पिटारे में असंख्य चीजें होती हैं उसी प्रकार हमारे खून में भी असंख्य कण होते हैं। इन कणों को सूक्ष्मदर्शी यंत्र के द्वारा ही देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
एनामिया से बचन के लिए हमें पीष्टिक आहार लेना चाहिए। हम सभी वादय वस्तओं को परीमपाईने दी खाना चाहिए। साबुन से हाथों को अच्छी प्रकार धोना चाहिए। पेट में कीड़े न हों इसलिए पूरी सफाई रखनी चाहिए।

प्रश्न 4.
पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे किस प्रकार बचा जा सकता है?
उत्तर:
दूषित जल के पीने और खाद्य पदार्थों के स्वच्छ न होने से पेट में कीड़े हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए पूरी सफाई से बनाए गए खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करने चाहिए। भोजन करने से पूर्व हाथ अच्छी तरह से धोएं और साफ पानी ही पिएँ। शौच के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें और इधर-उधर नंगे पैर न घूमें।

प्रश्न 5.
रक्त के सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
जब हमारे शरीर पर रोगाणु धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण डटकर उनसे मुकाबला करते हैं और रोगाणुओं को यथासंभव भीतर घर नहीं करने देते। इसलिए सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ कहा जाता है।

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प्रश्न 6.
ब्लड बैंक में रक्तदान से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
प्रायः हर अस्पताल में ब्लड बैंक होता है। जहाँ सभी प्रकार के रक्त-समूहों का रक्त तैयार रखा जाता है। आपातस्थिति में इन ब्लड बैंकों का रक्त ही रोगी के काम आता है। ब्लड बैंक में रक्तदान करने से रोगी को समय पर रक्त मिल जाता है इस प्रकार उसका जीवन बचाया जा सकता है। रक्तदान करने वाले व्यक्ति को आपातस्थिति में आसानी से रक्त मिल जाता है।

प्रश्न 7.
साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
सफेद कण, साँस नली, लाल कण, फेफड़े
उत्तर:
लाल कण

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है-
जस्ता, लोहा, शीशा, प्लैटिनम
उत्तर:
लोहा

प्रश्न 2.
बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है-
टाइफायड, डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया
उत्तर:
डेंगू

भाषा की बात

प्रश्न 1.
(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं-
इस वाक्य को ध्यान से पढ़िए। इस वाक्य में ‘होते-होते’ के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के चार वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो-
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते
उत्तर:
बनते-बनते – मुकेश के विवाह की बात बनते-बनते बिगड़ गई।
पहुँचते-पहुँचते – रेलवे स्टेशन पहुँचते-पहुँचते आठ बज गए।
लेते-लेते – सामान लेते-लेते रात के आठ बज गए।
करते-करते – परिश्रम करते-करते सफलता मिल ही गई।

(ख) इन प्रयोगों को पढ़िए-
सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर-दूर तक वर्षा होगी।

  • इन वाक्यों में होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है-किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
  • आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिए-
    ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या

उत्तर:

  • ठीक-ठीक – अच्छी तरह
    मुझे ठीक-ठीक याद नहीं यह बात कर की हैं।
  • घड़ी-घड़ी – हर समय
    वह मुझे घड़ी-घड़ी परेशान करता रहता है?
  • कहीं-कहीं – बहुत कम
    जंगल में शेर कहीं-कहीं दिखाई देते हैं।
  • घर-घर – प्रत्येक घर
    वह घर-घर घूमा परन्तु कहीं कुछ न मिला।
  • क्या-क्या- सभी प्रयत्न करना
    नौकरी के लिए उसने क्या-क्या नहीं किया?

प्रश्न 2.
इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना
उत्तर:

  • भानुमती का पिटारा-हमारे विद्यालय का पुस्तकालय भानुमती का पिटारा है, जिसमें हर तरह की पुस्तकें हैं।
  • दस्तक देना-कमजोर शरीर में रोग जल्दी दस्तक देते हैं?
  • धावा बोलना-सैनिकों ने शत्रु सेना पर धावा बोल दिया।
  • घर करना-यदि स्वास्थ्य का समुचित ध्यान न रखा जाए तो शरीर में रोग घर कर लेते हैं।
  • पीठ ठोकना-कक्षा में प्रथम आने पर पिता जी ने मेरी पीठ ठोकी।

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कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपने परिवार के अट्ठारह वर्ष से पचास वर्ष तक की आयु वाले सभी स्वस्थ सदस्यों को रक्तदान के लिए प्रेरित कीजिए और समय आने पर स्वयं भी रक्तदान करने का संकल्प लीजिए।

प्रश्न 2.
शरीर-रचना का चित्र देखकर उसमें रक्त-संचार क्रिया को ठीक-ठीक समझिए।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए-
(क) ब्लू बेबी क्या है?
(ख) रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलैट) का कार्य क्या है?
(ख) रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
(ख) कितने समय बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
(ख) क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?

प्रश्न 4.
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से क्या-क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर:
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से कमजोरी महसूस हो सकती है। हृदयाघात (हार्ट अटैक) हो सकता है। शरीर निस्तेज हो जाता है।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. ‘देखने में रक्त ……………………. प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।’

प्रश्न 1.
रक्त के कितने भाग होते हैं?
उत्तर:
मोटे तौर पर रक्त के दो भाग होते हैं। एक भाग तरल होता है जिसे हम प्लाज़्मा कहते हैं, दूसरे भाग को बिंबाणु कहते हैं?

प्रश्न 2.
विंबाणु किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारे रक्त में कुछ कण ऐसे होते हैं जिनका कोई रंग नहीं होता। (इन कणों को बिंबाणु या प्लेटलैट कण कहते हैं।)

2. लाल कण बनावट में …………………….. लेकिन एक साथ नहीं, धीरे-धीरे।

प्रश्न 1.
लाल कण देखने में कैसे लगते हैं ?
उत्तर:
लाल कण देखने में बालूशाही जैसी बनावट लिए होते हैं। ये दोनों ओर बीच में से दबे हुए होते हैं।

प्रश्न 2.
एक मिलीमीटर रक्त में लाल कणों की संख्या लगभग कितनी होती है?
उत्तर:
एक मिलीमीटर रक्त में लाल कणों की संख्या लगभग पचपन लाख होती है। इनके कारण ही हमारा रक्त लाल दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
रक्त कणों का क्या कार्य है?
उत्तर:
रक्त कण हमारे शरीर के लिए दिन रात कार्य करते हैं। ये कण साँस द्वारा ली गई हवा को शुद्ध करके ऑक्सीजन के रूप में हमारे शरीर के प्रत्येक भाग में पहुँचाते हैं।

प्रश्न 4.
रक्त कण कितने दिन तक हमारे रक्त में रहते हैं?
उत्तर:
रक्त कणों का जीवन काल लगभग-चार माह होता है। पुराने रक्त कण धीरे-धीरे नष्ट होते रहते हैं उनका स्थान नए रक्त कण ले लेते हैं।

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3. शरीर में हर समय ………………… उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।

प्रश्न 1.
हमारे शरीर में रक्त कणों का निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर:
हमारी हड्डियों के बीच मज्जा भाग में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो हर समय रक्त कणों के निर्माण में लगे रहते हैं।

प्रश्न 2.
रक्त कणों के निर्माण के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
रक्त कणों के निर्माण के लिए प्रोटीन, लौह-तत्त्व एवं विटामिन रूपी कच्चे माल की जरूरत पड़ती है।

प्रश्न 3.
प्रोटीन, लौहतत्त्व और विटामिन हमें कहाँ से प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
ये सभी तत्त्व हमें उचित आहार लेने से मिलते हैं। हमारे लिए उचित आहार हैं हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा, गोश्त आदि।

प्रश्न 4.
लाल कणों की कमी से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर:
लाल कणों की कमी से ‘एनीमिया’ हो जाता है। इस रोग को उचित आहार के द्वारा दूर किया जा सकता है।

4. एनीमिया बहुत से ………………… नंगे पैर न घूमें”।

प्रश्न 1.
एनीमिया किन-किन कारणों से होता है ?
उत्तर:
एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी एवं पेट में कीड़ों के हो जाने से होता है।

प्रश्न 2.
पेट के कीड़े किस कारण से होते हैं, इनसे बचने का क्या उपाय है ?
उत्तर:
पेट में होने वाले कीड़े दूषित जल व खाद्य पदार्थों द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं (इनसे बचने के लिए हमें सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए एवं साफ भोजन ग्रहण करना चाहिए और भोजन से पहले हाथ साबुन से धोएं)।

प्रश्न 3.
त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश करने वाले कीड़ों से किस प्रकार बचा जा सकता हैं ?
उत्तर:
इस प्रकार के कीड़े जमीन की ऊपरी सतह पर पाए जाते हैं। इन अंडों से उत्पन्न लार्वा त्वचा के सहारे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इनसे बचने का उपाय है शौच के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें और नंगे पैर इधर-उधर न घूमें।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर

5. “सफ़ेद कण वास्तव में …………………… निकलना बंद हो जाता है।”

प्रश्न 1.
हमारे शरीर में सफेद कणों का क्या कार्य है ?
उत्तर:
सफेद कण हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलते हैं तो सफेद कण डटकर उनका मुकाबला करते हैं। ये रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते।

प्रश्न 2.
बिंबाणु हमारे शरीर में क्या काम करते हैं ?
उत्तर:
बिंबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं रक्त और तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त-वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक कर खून को बहने से रोक लेते हैं।

6. अट्ठारह वर्ष से ………………… दीदी समझाते हुए बोलीं।

प्रश्न 1.
रक्तदान कौन कर सकता है ?
उत्तर:
एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र अट्ठारह वर्ष से अधिक हो रक्तदान कर सकता है?

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में लगभग कितना खून होता है ? रक्तदान के समय कितना खून लिया जाता है?
उत्तर:
हमारे शरीर में लगभग पाँच लीटर खून होता है। रक्तदान करते समय हमारे शरीर से 300 मिलीलीटर खून लिया जाता है?

प्रश्न 3.
रक्तदान का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
रक्तदान करने से शरीर में नई स्फूर्ति आती है शीघ्र ही नया खून बन जाता है और रक्तदान किए गए रक्त की पूर्ति हो जाती है। हमें रक्तदान अवश्य करना चाहिए।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर

रक्त और हमारा शरीर Summary

पाठ का सार

अनिल की छोटी बहिन दिव्या पिछले कुछ दिनों से थकान अधिक महसूस करने लगी। उसे भूख भी कम लगने लगी तो उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने उसके रक्त की जाँच की। जाँच में पाया गया कि उसे एनीमिया हो गया है। एनीमिया एक रक्त की बीमारी है। सूक्ष्मदर्शी से देखने पर पता चलता है कि रक्त में बहुत-सी चीजें होती हैं। मौटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं। एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज़्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं, कुछ लाल और कुछ सफेद। लालकण बनावट में बालूशाही की तरह ही होते हैं। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों होती है, ये कण शरीर के लिए दिन-रात काम करते हैं। शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजन पहुँचाना इन्हीं का ही काम है। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने होता है। पुराने कण धीरे-धीरे नष्ट होते हैं और नए कण बनते रहते हैं। हड्डियों के बीच के मज्जा भाग में ऐसे बहुत से कारखाने हैं जो रक्त कणों का निर्माण करते रहते हैं। उचित आहार के बिना ये रक्त कण नहीं बन पाते।

एनीमिया बहुत से कारणों से हो सकता है। पेट के कीड़ों व उचित आहार न मिलना एक बहुत बड़ा कारण है। हमें उचित आहार और सफाई का उचित ध्यान रखना चाहिए। शरीर में सफेद कण हमें रोगों से बचाते हैं। विंबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं। रक्त के तरल भाग प्लाज़्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। जिससे शरीर से रक्त बहना बंद हो जाता है। अधिक चोट लगने पर रक्त चढ़ाना पड़ता है। परन्तु सभी का रक्त एक जैसा नहीं होता। जिस व्यक्ति का रक्त जिस समूह का होता है उसे उस समूह के व्यक्ति का ही रक्त चढ़ाया जाता है। हर अस्पताल में ब्लड बैंक होते हैं जहाँ से हम ब्लड ले सकते हैं परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि हम समय-समय पर ब्लड बैंक में रक्त दान करते रहें। अट्ठारह वर्ष से अधिक के स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करने से कोई हानि नहीं होती।

शब्दार्थः सूक्ष्मदर्शी-सूक्ष्म वस्तुओं को देखने का यंत्र; जिज्ञासा-जानने की इच्छा; एनीमिया-रक्त की कमी से होने वाला एक रोग; भानुमती का पिटारा-एक स्थान पर अनेक वस्तुओं का भण्डार होना; अवतल-मध्यभाग से दबे हुए; आहार-भोजन; संतुलित-न कम न अधिक पूरी तरह से उचित मात्रा; बिंबाणु-प्लेटलैट कण।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

मीठाईवाला NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5

Class 7 Hindi Chapter 5 मीठाईवाला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीने बाद क्यों आता था ?
उत्तर:
बच्चे अलग-अलग चीज़ों को पसंद करते हैं। उनको खिलौने भी चाहिए और मिठाई भी तथा मन बहलाने के लिए मुरली भी चाहिए। वह एक बार में एक चीज ही लाता है। तब तक दूसरी चीज बनकर तैयार हो जाती है। मिठाईवाला बच्चों की इच्छा का पूरा ध्यान रखता है। वह बच्चों के लिए चीजें तैयार कराता है इसलिए वह महीनों बाद आता है।

प्रश्न 2.
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर:
मिठाईवाले में वे सभी गुण थे जिनकी अपेक्षा बच्चे करते हैं।

  • मिठाईवाले के हृदय में बच्चों के प्रति वात्सल्य भाव भरा हुआ था।
  • मिठाईवाले का स्वर बहुत ही मधुर था, उसकी आवाज़ सुनकर बच्चे दौड़े चले आते थे।
  • वह बहुत ही सस्ती चीजें बेचता था जिनको हर बच्चा खरीदा सकता था। जिन बच्चों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती थी उनको वह मुफ्त में ही दे देता था।
  • वह बच्चों को यह तरीका भी बताता था कि माँ से पैसे कैसे लिए जाएँ।

प्रश्न 3.
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं ?
उत्तर:
विजय बाबू एक ग्राहक और मुरलीवाला एक विक्रेता। विजय बाबू का मानना था कि सभी फेरीवाले झूठे व मक्कार होते हैं। वे सबको समान दर पर ही चीजें बेचते हैं परंतु ग्राहक पर अहसान जताने के लिए कहते हैं कि बस आपके लिए यह वस्तु इतने की है। मुरलीवाला कहता है कि ग्राहक को यह पता नहीं होता कि इस वस्तु पर कितनी लागत आई है। वह सोचता है कि वह उसे लूट रहा है। यदि दुकानदार हानि उठाकर भी चीजें बेचे तो भी ग्राहक को लगता है कि वह उससे अधिक पैसे ले रहा है। ग्राहक दुकानदार की बातों का विश्वास नहीं करता।

प्रश्न 4.
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
उत्तर:
जब खिलौनेवाला आता था तो उसकी आवाज सुनकर बच्चे खिलौने लेने दौड़ पड़ते थे। वे ऐसे दौड़ते थे कि किसी की टोपी गली में गिर पड़ती। किसी का जूता पार्क में ही छूट जाता और किसी की सोथनी (पाजामा) ही ढीली होकर लटक जाती। इस तरह दौड़ते-हाँफते बच्चे खिलौनेवाले के पास पहुँच जाते। बच्चे खिलौने लेकर उछल-कूद मचाने लगाते थे।

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प्रश्न 5.
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया ?
उत्तर:
खिलौनेवाला भी इसी प्रकार गा-गाकर खिलौने बेच रहा था जैसे मुरली बेचनेवाला। दोनों के स्वर में एक जैसी मिठास थी। इसलिए रोहिणी को लगा कि मुरली बेचनेवाला वही है जो पहले खिलौने बेचने आया था।

प्रश्न 6.
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर:
रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया। उसने इस व्यवसाय को इसलिए अपनाया ताकि वह बच्चों में अपने बच्चों की छवि देख सके। मिठाई बेचना, मुरली बेचना और खिलौने बेचना बच्चों से जुड़ा व्यवसाय था। इन सब चीजों के खरीदार बच्चे ही थे। इसलिए उसने इस व्यवसाय को अपनाया।

प्रश्न 7.
‘अब इस बार ये पेसे न लूँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
चुन्नू-मुन्नू जब रोहिणी से लिपटकर मिठाई माँगने लगे तो मिठाईवाले को उन दोनों बच्चों में अपने बच्चों की छवि नजर आई। वह पैसा कमाने के लिए तो मिठाई बेच नहीं रहा था। इसलिए उसने पैसे लेने से मना कर दिया। रोहिणी के द्वारा उसके जीवन से जुड़ी बातें पूछने पर वह बहुत भावुक हो गया था।

प्रश्न 8.
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है ?
उत्तर:
आज कम ही ऐसे परिवार होंगे जहाँ पर्दा प्रथा है। आजकल तो गाँवों में भी पर्दा प्रथा समाप्त हो गई है। पहले इस प्रकार पर्दा किया जाता था क्योंकि तब स्त्रियाँ निरक्षर हुआ करती थीं। स्त्रियों को मुस्लिम परिवारों के प्रभाव के कारण पर्दे में ही रखा जाता था। स्त्रियों का इस प्रकार पर्दे में रहना उचित नहीं है। आज स्त्रियाँ पुरुषों के समान सभी कार्य करती हैं यदि वे पर्दे में रहेंगी तो कैसे काम करेंगी।

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कहानी से आगे

प्रश्न 1.
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा ? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर:
इस प्रकार की घटनाएँ भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बहुत घटी थीं। इस दौरान लोग अपने परिवारों से बिछुड़ गए थे। यह घटना भी तब की हो सकती है। हो सकता है मिठाईवाले का परिवार किसी दुर्घटना का शिकार हो गया हो।

प्रश्न 2.
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं ? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा ? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
हाट-मेले, शादी आदि के आयोजनों में रंग-बिरंगे वस्त्र, खिलौने व खाने-पीने की चीजें बहुत आकर्षित करती हैं। बच्चे हाट-मेले से खिलौने और बाँसुरी आदि चीजें खरीदने के लिए मचलते हैं। खाने की चीजों में मिठाई व चाट पकौड़ी पसंद करते हैं। उनको सजाने बनाने में विभिन्न कारीगरों का हाथ होता है। उन कारीगरों के चेहरे तब खिल उठते हैं जब लोग उनके द्वारा बनी वस्तुएँ खरीदते हैं एवं उनकी प्रशंसा करते हैं।

प्रश्न 3.
इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुःख कम करता है ? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढिए और पढ़िए।
उत्तर:
छात्र अपने पुस्तकालय से ऐसी बालोपयोगी पुस्तकें लेकर पढ़ें। चंपक, नंदन, बाल भारती, बालहंस जैसी पत्रिकाओं में भी आपको ऐसी अनेक कहानियाँ मिलेंगी।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं ? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर:
नोट-छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाजों में कैसा बदलाव आया है ? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर:
पहले की अपेक्षा आज फेरीवाले कम हो गए हैं।

प्रश्न 3.
आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं ? कारण लिखिए।
उत्तर:
अब जगह-जगह दुकानें व बाजार खुल गए हैं। लोग फेरीवालों से सामान न लेकर इन बाजारों से ही खरीदारी करते हैं।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला 1
ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं ?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है ?
उत्तर:
(क) वाला से पहले आने वाले शब्द संज्ञा भी हैं और क्रिया भी।
(ख) मिठाईवाला में मिठाई संज्ञा है। संज्ञा के साथ ‘वाला’ जुड़ने से यह शब्द विशेषण बना है। ‘बोलने वाली गुड़िया’ में ‘बोलना’ क्रिया है परंतु इसके साथ ‘वाली’ जुड़ने से यह शब्द गुड़िया का विशेषण हो गया।

प्रश्न 2.
“अच्छा मुझे ज्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ठे बटुली।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर:
इस प्रकार के प्रयोग अन्य जगह भी होते हैं :
जैसे- चार नग सामान
चार अदद सामान।

प्रश्न 3.
“वे भी जान पड़ता है पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
“क्यों भई किस तरह देते हो मुरली ?”
दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।
भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे
उत्तर:

  • यह मालूम होता है, पार्क में खेलने चले गए होंगे ?
  • क्यों भाई : कितने में बेचते हो मुरली ?
  • दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई खरीदनी है, जरा कमरे में जाकर बैठाओ।

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कुछ करने को

प्रश्न 1.
फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी ? उनका घर-परिवार कहाँ होगा ? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे ? यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से बात करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुःख कम हो जाता है ? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर:
मिठाईवाला अधेड़ उम्र का व्यक्ति है उसके सिर पर पगड़ी तथा चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछे हैं। परिस्थितियों के कारण मिठाई वाले के चेहरे पर समय से पहले ही झुर्रियाँ दिखाई देने लगी हैं। मिठाईवाला जब बच्चों को देखता है तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता झलकने लगती है। वह अपने सिर पर एक बड़ी-सी पोटली बाँधकर रखता है जिसमें तरह-तरह की मिठाइयाँ हैं। उसके कंधे पर भी एक झोली लटक रही है जिसमें बच्चों के लिए भी कुछ वस्तुएँ हैं।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मुरलीवाला हर्ष-गद्गद ………………. लाद रहे हो।”

प्रश्न 1.
मुरलीवाला किस हर्ष से गद्गद हो गया था ?
उत्तर:
मुरलीवाले ने जब बच्चों को देखा तो वह हर्ष से गद्गद हो गया।

प्रश्न 2.
मुरलीवाले के पास कितनी मुरलियाँ थीं? वह कितने पैसे में मुरली बेच रहा था ?
उत्तर:
मुरलीवाले के पास सत्तावन मुरलियाँ थीं, वह दो-दो पैसे में मुरली बेच रहा था।

प्रश्न 3.
विजय बाबू क्यों मुस्करा दिए ?
उत्तर:
विजय बाबू मुरलीवाले की इस बात पर मुस्करा दिए कि वैसे तो तीन पैसे की मुरली है परंतु आपको दो पैसे की ही लगेगी।

प्रश्न 4.
विजय बाबू ने मुरलीवाले को यह क्यों कहा कि तुम्हारी झूठ बोलने की आदत होती है ?
उत्तर:
अक्सर सभी दुकानदार ग्राहक पर एहसान जताते हैं कि हम आपको सस्ता दे रहे हैं। विजय बाबू ने मुरलीवाले को भी आम फेरी लगाने वालों की तरह समझा।

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2. मुरलीवाला एकदम …………… तब मुझे इस भाव पड़ी हैं।”

प्रश्न 1.
मुरलीवाला अप्रतिम (उदास) क्यों हो उठा ?
उत्तर:
विजय बाबू की यह बात सुनकर कि तुम देते सब को मुरली दो पैसे की हो परंतु मुझे तीन की बताकर मेरे ऊपर एहसान जताना चाहते हो। विजय बाबू की इस बात से मुरली वाला अप्रतिभ हो गया।

प्रश्न 2.
‘अप्रतिभ’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
अप्रतिभ शब्द का अर्थ है उदास, लज्जाशील।

प्रश्न 3.
मुरलीवाले ने एक हजार मुरलियाँ कितने की बनवाईं थीं ?
उत्तर:
मुरलीवाले ने एक हजार मुरलियाँ बीस रुपये की बनवाईं थीं।

3. अतिशय गंभीरता के …………….. ऐसा जान पड़ता।

प्रश्न 1.
मिठाईवाले की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर:
मिठाईवाले की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी। वह अपने नगर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था। उसके पास वह सभी कुछ था जो एक धनी व्यक्ति के पास होता है।

प्रश्न 2.
मिठाई वाले का परिवार कैसा था ?
उत्तर:
मिठाईवाले के परिवार में उसकी सुंदर स्त्री व दो बहुत ही सुंदर बच्चे थे। उसका परिवार हँसता खेलता था।

प्रश्न 3.
मिठाईवाला मिठाई क्यों बेचता है ?
उत्तर:
मिठाईवाले का परिवार अब इस दुनिया में नहीं है। वह बच्चों के लिए मिठाई लाता है। ऐसा करके कहीं न कहीं वह अपने बच्चों की छवि उन बच्चों में देख लेता है और उसको ऐसा करके अपार संतोष की प्राप्ति होती है।

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मीठाईवाला Summary

कहानी का सार

एक व्यक्ति बहुत ही मीठे स्वर में आवाज लगाकर खिलौने बेच रहा था। उसकी मधुर आवाज को सुनकर उसके चारों ओर बच्चे इकट्ठे हो जाते। वे अपनी तोतली बोली में उससे खिलौने माँगते। राय विजय बहादुर के बच्चे भी एक दिन खिलौने लेकर घर आए। खिलौने काफी सस्ते थे। यकीन नहीं होता था कि वह इतने सस्ते कैसे दे गया।

छह महीने बाद फिर नगर में एक मुरलीवाले के आने का समाचार फैला। वह मुरली बजाकर दो-दो पैसे में मुरली बेचता था। उसका स्वर बहुत ही मधुर था। वह जिस गली में भी जाता बच्चों का झुंड उसे घेर लेता। विजय बहादुर ने भी उससे अपने बच्चों के लिए मुरली खरीदी। उसने इनकी लागत पूछी जो उसने बताया कि मुझे ये दो पैसे में ही पड़ी है। मुरली वाला बच्चों को उनकी इच्छानुसार मुरलियाँ दे रहा था।

विजय बहादुर की पत्नी रोहिणी मुरली वाले की सारी बातें सुन रही थी। उसे लगा कि बच्चों से इतना प्यार करने वाला कोई फेरीवाला आज तक नहीं आया। धीरे-धीरे काफी दिन बीत गए। लगभग आठ महीने बाद गली में मिठाई बेचने वाले की मधुर आवाज सुनाई दी। वह फेरी देकर मिठाई बेच रहा था। साथ ही अपनी मिठाइयों की तारीफ भी कर रहा था। रोहिणी को मिठाई वाले का स्वर कुछ परिचित सा लगा। उसने अपनी सास से कहकर उसे बुलवा लिया। वह स्वयं चिक की ओट में बैठ गई और उसकी बातें सुनने लगी। उसकी सास ने उसके साथ मोल-भाव किया। रोहिणी उसकी बातों को सुनकर अपनी सास से बोली कि जरा इनसे. पूछो ये पहली बार आए हैं या इससे पहले भी कुछ बेचने आए हैं। मिठाई वाले ने बताया कि मैं पहले खिलौने और फिर मुरली बेचने आया था। रोहिणी ने प्रश्न किया, “भला तुम्हें इस व्यवसाय में क्या मिलता है ?” उसने उत्तर दिया मुझे इस व्यवसाय में असीम सुख मिलता है। रोहिणी के पूछने पर मिठाई वाले ने अपनी पूरी कहानी बताई कि वह नगर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था। उसके पास नौकर-चाकर, घोड़ा-गाड़ी सब कुछ था। उसकी बहुत ही सुंदर स्त्री व दो बच्चे थे। मेरा घर बहुत ही सुखी था। अब उनमें से कोई नहीं है। उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। कहीं न कहीं तो उन्होंने जन्म लिया ही होगा। मुझे ऐसा लगता है कि शायद मेरे बच्चे यहीं कहीं हैं और इन्हीं बच्चों में खेल रहे हैं। इन बच्चों में मुझे अपने बच्चों की झलक मिल जाती है। रोहिणी ने मिठाई वाले की ओर देखा, उसकी आँखें आँसुओं से तर थीं। रोहिणी ने भीतर से पैसे दिए। मिठाई वाले ने पेटी उठाते हुए कहा कि अब इस बार ये पैसे न लूँगा।” मिठाईवाला चला गया।

शब्दार्थः अंतापी-अंदर ही अंदर फैला हुआ; पुलकित-प्रसन्न; मृदुल-मीठा; अप्रतिभ-प्रतिभाहीन/उदास/लज्जाशील; दस्तूर-रिवाज़; स्नेहसिक्त-स्नेह में भीगी हुई/वात्सल्यपूर्ण; संशय-शक; विस्मयादि-आश्चर्य के अस्थिर-चंचल; असीम-जिसकी कोई सीमा न हो; हरजा-नुकसान; वैभव-खुशहाली/ऐश्वर्य; सजीव-जीता जागता; अतिशय-बहुत अधिक।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 4 कठपुतली

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 4 कठपुतली Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

कठपुतली NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 4

Class 7 Hindi Chapter 4 कठपुतली Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कठपुतली को गुस्सा क्यों आया ?
उत्तर:
पहली कठपुतली ने जब अपने आपको धागों से बँधा देखा तो उसे गुस्सा आया। वह इस प्रकार के बंधन से तंग आ चुकी थी। वह भी अब अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी अर्थात् स्वतंत्र होना चाहती थी।

प्रश्न 2.
कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़े होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती है ?
उत्तर:
कठपुतली को कभी अपने सहारे, अपने पैरों पर खड़ा किया ही नहीं गया। वह सदा से धागों के बंधनों में जकड़ी हुई है। उसको कोई जिस प्रकार नचाता है वह उसी प्रकार नाचती है। उसने कभी स्वतंत्र होने का प्रयास भी नहीं किया। उसके मन में अब स्वतंत्र होने की इच्छा जाग गई है।

प्रश्न 3.
कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को कैसी लगी और क्यों ?
उत्तर:
स्वाधीनता किसे अच्छी नहीं लगती ? जब अन्य कठपुतलियों ने पहली कठपुतली की बात सुनी तो वे भी स्वतंत्र होने के लिए मचल उठीं। उनको पहली कठपुतली की बात अच्छी लगी थी।

प्रश्न 4.
पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/इन्हें तोड़ दो/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी ?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-

  • उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
  • उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
  • वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
  • वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर:
पहली कठपुतली ने स्वतंत्र होने की इच्छा प्रकट कर दी। परंतु जब दूसरी कठपुतलियाँ भी स्वतंत्रता के लिए मचलने लगीं तो उनकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी भी पहली कठपुतली पर आ गई। उसको अपनी जिम्मेदारी महसूस होने लगी। उसे यह चिंता हो गई कि वह शीघ्र कैसे स्वतंत्र होगी। वह सोचने लगी कि इस स्वतंत्रता को कैसे साकार किया जा सकता है। वह तरह-तरह के उपाय सोचने लगी। अभी उसकी उम्र कम थी। वह इतनी परिपक्व नहीं थी कि दूसरों की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सके। इसलिए वह डर गई।

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कविता से आगे

प्रश्न 1.
‘बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है ? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुःख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर:
(ख) बहुत दिन हो गए …………………….. लय हो।

प्रश्न 2.
नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857
(ख) सन् 1942
उत्तर:
(क) सन् 1857, लक्ष्मीबाई, तात्याँ टोपे
(ख) सन् 1942, भवानीप्रसाद मिश्र, महात्मा गाँधी

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियों ने कैसे लड़ी होगी और स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे ? यदि उन्हें फिर से धागे से बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी ?
उत्तर:
कठपुतलियों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया होगा। उन्होंने अपने धागों के पहले तो उलझा दिया होगा फिर उन्हें तोड़ दिया होगा। उन्होंने अपने नचाने वाले को विवश कर दिया होगा कि वह उनको बंधन मुक्त कर दे। यह संघर्ष लंबा-चला होगा क्योंकि आसानी से तो कठपुतली को नचाने वाले ने भी हार नहीं मानी होगी।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए तब कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 4 कठपुतली 1
उत्तर:
हथकड़ी, हथकंडा, सोनचिड़ी, सोनपरी, मटमैली।

प्रश्न 2.
कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का …… बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।

कविता की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

कठपुतली ……………………. मेरे मन में जगी ?

शब्दार्थः गुस्से से उबलना-बहुत अधिक क्रोध करना; मन के छंद-मन के भाव।
प्रसंग- प्रस्तुत कविता हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-2′ में संकलित है। इस कविता के कवि “भवानीप्रसाद मिश्र’ जी हैं। इस कविता के माध्यम से कवि भारतवासियों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। कवि भवानीप्रसाद मिश्र एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो अनेक वर्षों तक आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद रहे।

व्याख्या- कठपुतली अपने आपको बंधन में देखकर गुस्से से उबल पड़ती है.। वह कहती कि मेरे आगे पीछे ये धागे क्यों हैं। किसने मुझे बंधन में डाला है। मेरे इन बंधनों को तोड़ दो। मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूँ। मुझे किसी का सहारा नहीं चाहिए। पहली कठपुतली की बात सुनकर दूसरी कठपुतलियाँ भी उसकी हाँ में हाँ मिलाती हैं। स्वतंत्र होने की बात उनको भी अच्छी लगती है। अन्य कठपुतलियाँ भी कहने लगती हैं हमें बहुत दिन हो गए हैं अपने मन की इच्छा प्रकट किए। हम सदा दूसरों के ही अधीन रहती आई हैं। हम पराधीनता का जीवन जी रही हैं। जब पहली कठपुतली पर अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है तो वह जिम्मेदारी का भार अनुभव करती हुई कहती है कि मेरे मन में यह कैसी इच्छा जगी। अब वह सोच समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कठपुतली गुस्से से क्यों उबल पड़ती है ?
उत्तर:
कठपुतली अपने बंधनों को देखकर गुस्से से उबल पड़ती है। उसको पराधीनता अच्छी नहीं लगती है। वह स्वतंत्र होने के लिए मचल उठती है।

प्रश्न 2.
कठपुतली क्या चाहती है ?
उत्तर:
कठपुतली स्वतंत्रता चाहती है। वह चाहती है कि वह भी अपने पैरों पर खड़ी हो। वह किसी के ऊपर निर्भर नहीं रहना चाहती।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 4 कठपुतली

प्रश्न 3.
पहली कठपुतली की बात सुनकर अन्य कठपुतलियों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
पहली कठपुतली की बात सुनकर अन्य कठपुतलियाँ भी स्वतंत्र होने के लिए मचल उठीं। वे भी अपने मन के भाव व्यक्त करना चाहती थीं।

प्रश्न 4.
पहली कठपुतली पर क्या जिम्मेदारी आ गई थी ?
उत्तर:
पहली कठपुतली पर अन्य कठपुतलियों की भी जिम्मेदारी आ गई थी। अब वह सोच-समझ कर कदम उठाना चाहती थी।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

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हिमालय की बेटियाँ NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3

Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं ?
उत्तर:
नदियों को माँ मानने की परंपरा काफ़ी पुरामी है, परन्तु लेखक नागार्जुन ने नदियों को बेटी, बहिन और प्रेयसी के रूप में देखा है। नदियाँ जब हिमालय पर बहती हैं तो वे हिमालय की बेटियाँ हैं। उनका स्वभाव बहुत ही नटखट है। कालिदास ने नदी को प्रेयसी के रूप में देखा है तथा नागार्जुन ने सतलज नदी के लिए ‘बहन’ शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 2.
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?
उत्तर:
सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली दो बड़ी नदियाँ हैं। लेखक का मानना है कि सिंधु और ब्रह्मपुत्र स्वयं में कुछ नहीं हैं। दया से द्रवित हिमालय के पिघले दिल की एक-एक बूंद इकट्ठा होने से ही ये इतनी बड़ी नदियाँ बनीं । जिनको हम महानद कहते हैं।

प्रश्न 3.
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?
उत्तर:
जिस प्रकार माता अपनी संतान का पालन पोषण करती है उसी प्रकार नदियाँ अपने जल से संसार को तृप्त करती हैं। नदियों से खेतों को सींचा जाता है। इस प्रकार नदियाँ मानव जन एवं अन्य प्राणियों का पालन करती हैं। अतः नदियों को लोक माता कहना उचित ही है।

प्रश्न 4.
हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?
उत्तर:
हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों, पेड़-पौधों, फलों, घाटियों आदि की प्रशंसा की है।

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लेख से आगे

प्रश्न 1.
नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर:
नदी पर कविता-

नदी : कामधेनु

-त्रिलोचन

नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
तैरकर धारा को पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
सपरिवार धारा को
नाव से पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
आखिर उसे बाँध लिया
बाँध कर नदी को
मनुष्य दुह रहा है
अब वह कामधेनु है।

इस कविता में कवि ने नदी के लोक कल्याणकारी रूप को दिखाया है। नदी हमारा किस प्रकार उपकार करती है। नदी का बाँधना अर्थात् बाँध बनाने से कितना लाभ है। यह हमें इस कविता से पता चलता है।

प्रश्न 2.
गोपाल सिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर:

हिमालय और हम

-गोपाल सिंह नेपाली

गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।
इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही,
पर्वत-पहाड़ से भरी धरा पर केवल पर्वत राज यही,
अंबर में सिर, पाताल चरन मन इसका गंगा का
बचपन तन वरन-वरन, मुख निरावरन
इसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।
अरुणोदय की पहली लाली, इसको ही चूम निखर जाती,
फिर संध्या की अंतिम लाली, इस पर ही झूम बिखर जाती।
इन शिखरों की माया ऐसी, जैसा प्रभात संध्या वैसी,
अमरों को फिर चिंता कैसी,
इस धरती का हर लाल खुशी से उदय-अस्त अपनाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का, कुछ ऐसा ही नाता है।
हर संध्या को इसकी छाया, सागर सी लंबी होती है।
हर सुबह वही फिर गंगा की, चादर सी लंबी होती है।
इसकी छाया में रंग गहरा,
है देश हरा, परदेश हरा,
हर मौसम है, संदेश भरा।
इसका पद-तल छूने वाला, वेदों की गाथा गाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का, कुछ ऐसा ही नाता है।
जैसा वह अटल, अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी,
है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी।
कोई क्या हमको ललकारे
हम कभी न हिंसा से हारे
दुःख देकर तुमको क्या मारे
गंगा का जल जो भी पी ले, वह दुःख में भी मुसकाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का, कुछ ऐसा ही नाता है।
[नोट-छात्र इस कविता को पढ़कर प्रस्तुत पाठ से उसकी तुलना करें।]

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प्रश्न 3.
यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर:
प्रगति की इस अंधी दौड़ में हिमालय से निकलने वाली सभी नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो गई हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी भी आज पवित्र नहीं है।

प्रश्न 4.
अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है ?
उत्तर:
जिस प्रकार शरीर में आत्मा होती है। आत्मा कभी नष्ट नहीं होती और आत्मा सदा पवित्र रहती है इसी प्रकार हिमालय भी इस पूरे विश्व में अनश्वर एवं पवित्र है। अतः कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
प्रस्तुत लेख में नदियों के दृश्य-वर्णन पर बल दिया गया है। किसी नदी की तुलना अल्हड़ बालिका से कैसे की जा सकती है? कल्पना कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
नदियों से होने वाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
नदियों से लाभ ही लाभ हैं। नदियाँ मनुष्य ही नहीं संपूर्ण प्राणिमात्र के लिए कामधेनु के समान हैं। नदियों को यही कारण है कि हम इनको माता मानते हैं। सभ्यताएँ नियों के किनारे ही विकसित हुई हैं। जीवन के लिए जल का महत्त्व सभी जानते हैं। नदियाँ ही अपने जल से प्यासे की प्यास बुझाती हैं। नदियों के जल से किसान अपने खेतों को सींचकर अन्न पैदा करते हैं। अन्नं को खाकर ही हम जीवित रहते हैं। नदियाँ तो हमें जीवन देने वाली हैं। जिस दिन धरा पर नदियाँ नहीं रहेंगी उस दिन मानव सभ्यता भी नहीं बचेगी। नदियों के द्वारा पहले व्यापार भी किया जाता था क्योंकि पहले सड़क एवं परिवहन की व्यवस्था ठीक नहीं होती थी। नदी के जल में जलयान सामान ले जाते थे। ये आवागमन का साधन हुआ करती थीं। हमारे पुराने शहर एवं गाँव नदियों के किनारे ही बसे होते थे।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण-
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूँढ़िए।
उत्तर:
अन्य उदाहरण
(क) बड़ी गंभीर, शांत अपने आप में खोई हुई लगती थीं ?
(ख) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ग) इनका उछलना ……….. मैदान में जाकर ?
(घ) खेलते-खेलते जब ये जरा दूर निकल जाती हैं।
(ङ) बुड्डा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा।

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प्रश्न 3.
पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ 1
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ 2

प्रश्न 4.
द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे-राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर:
द्वंद्व समासों के अन्य प्रयोग-

  • उछलना और कूदना
  • दुबली-पतली
  • नंग-धडंग
  • माँ-बाप
  • मौसी और मामी
  • सिंधु और ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 5.
नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाएँ। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन (भाववाचक)
उत्तर:
नागीन = नगीना (जातिवाचक संज्ञा)
जादू = दूजा (विशेषण)
नीरस = सरनी (जातिवाचक संज्ञा)
रस = सर (जातिवाचक संज्ञा)

प्रश्न 6.
समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए-
सतलज, रोपड़, विपाशा, वितस्ता, चिनाब, रूपपुर, शतद्रुम, अजमेर, बनारस, अजयमेरु, वाराणसी
उत्तर:
सतलज = शतद्रुम
झेलम = वितस्ता
अजमेर = अजयमेरु
रोपड़ = रूपपुर
चिनाब = विपाशा
बनारस = वाराणसी।

प्रश्न 7.
‘उनके ख्याल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’

  • उपयुक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
  • इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में प्रयोग नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता ? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।

उत्तर:
‘ही’ का नकारात्मक प्रयोग
(क) मैं ‘ही’ बचा था इस काम के लिए।
(ख) वह आज शायद ‘ही’ आए।
(ग) वहाँ केवल वह ‘ही’ जाएगा।

‘कौन’ का सकारात्मक पक्ष
(क) तुम्हारे अलावा इस काम को कौन कर सकता है ?
(ख) नेता जी के उपकारों को कौन भूल सकता है ?
(ग) कौन ऐसा है जो मृत्यु को सत्य नहीं मानता हो।

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गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कहाँ ये भागी ……………….. रखा ही क्या है?

प्रश्न 1.
लेखक यहाँ किनके बारे में कह रहा है ?
उत्तर:
लेखक यहाँ हिमालय से निकलने वाली नदियों के बारे में कह रहा है। नदियाँ पर्वतों से बहकर मैदान की ओर बड़ी तेजी से बहती हैं।

प्रश्न 2.
नदियों को तृप्ति कहाँ जाकर मिलती है ?
उत्तर:
नदियों को तृप्ति समुद्र से मिलने के बाद ही मिलती है।

प्रश्न 3.
नदियाँ अपनी लीला कहाँ-कहाँ दिखाती हैं ?
उत्तर:
नदियाँ अपनी लीला बर्फ से जली अधनंगी पहाड़ियों, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियों, पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि, तराई क्षेत्र और घाटियों में अपनी लीला दिखाती हैं।

प्रश्न 4.
हिमालय अपना सिर किस लिए धुनता होगा ?
उत्तर:
1. हिमालय की बेटियाँ अर्थात् नदियाँ उसके पास ठहरना ही नहीं चाहतीं। वे इधर-उधर बहती हुई मैदानों की ओर भाग जाना चाहती हैं। हिमालय अपनी इन बेटियों के नटखटपन को देखकर अपना सिर धुनता होगा।

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2. जिन्होंने मैदानों में ………………………. नहीं होती है।

प्रश्न 1.
नदियों के नटखटपन से कौन परिचित हो सकता है ?
उत्तर:
मैदानी भागों में नदियों को बहते देखने वाला इनके नटखटपन से परिचित नहीं हो सकता। इनका परिचय पाने के लिए इनको पहाड़ी क्षेत्र में बहते हुए देखना पड़ेगा। हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये अद्भुत खेल खेलती हैं।

प्रश्न 2.
पहाड़ी आदमियों के लिए नदियों का स्वरूप आकर्षक क्यों नहीं हो सकता ?
उत्तर:
पहाड़ी आदमी इन नदियों को अठखेलियाँ करते हुए रोज देखते हैं इसलिए उनकी नज़रों में इनका स्वरूप विशेष मायने भले ही न रखता हो परंतु मैदानी क्षेत्र में रहने वालों के लिए तो इनका रूप लुभावना होता है। .

प्रश्न 3.
लेखक ने हिमालय और समुद्र को क्या-क्या संज्ञाएँ दी हैं ? और क्यों ?
उत्तर:
लेखक ने हिमालय को ससुर और समुद्र को हिमालय का दामाद कहा है। नदियाँ हिमालय से पैदा होती हैं और जवान होने पर उनका मिलन समुद्र से होता है।

3. कालिदास के विरही ……………….. पर पहुंचेगा।

प्रश्न 1.
कालिदास के विरही यक्ष ने मेघदूत से क्या कहा था ?
उत्तर:
विरही यक्ष ने मेघ को दूत बनाकर उज्जयिनी भेजा था। उसने कहा था कि रास्ते में बेतवा नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना।

प्रश्न 2.
‘प्रतिदान’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रतिदान का अर्थ है दान के बदले दान देना। नदियों के जलदान से बादल बनता है और बादलों का जल बरसकर फिर नदियों में बहता है। अतः इसको लेखक ने प्रतिदान कहा है।

प्रश्न 3.
कालिदास को नदियों का कैसा रूप पसंद था ?
उत्तर:
कालिदास को नदियों का सचेतन रूप पसंद था, तभी तो वे मेघदूत द्वारा बेतवा नदी को प्रेम का प्रतिदान देने की बात कहते हैं।

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4. जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चिंतित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नटी के चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!

प्रश्न 1.
कवि यहाँ किसकी जय बोल रहा है और क्यों ?
उत्तर:
कवि यहाँ सतलज नदी की जय बोल रहा है क्योंकि सतलज नदी के जल ने कवि के आलस्य को दूर कर उनमें नई स्फूर्ति भर दी है।

प्रश्न 2.
हिमालय चिंतित क्यों है ?
उत्तर:
हिमालय अपनी बेटियों के नटखटपन को देखकर चिंतित है। हिमालय को लगता है कि बेटियाँ जवान होने को हैं। जवान बेटियों को सामने देखकर किसी भी बाप का चिंतित होना स्वाभाविक है।

हिमालय की बेटियाँ Summary

पाठ का सार

हिमालय से निकलने वाली नदियाँ मैदानी भागों में आकर बहुत शांत और गंभीर होती हैं परंतु जब उनका बचपन अपने पिता हिमालय की गोद में बीतता है तो वे बहुत ही चंचल एवं अल्हड़ प्रतीत होती हैं। ये कहाँ भागी जा रही हैं। अपने पिता का विराट प्रेम पाकर भी ये आखिर किससे मिलने के लिए उतावली हैं। सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली दो बड़ी नदियाँ हैं। हिमालय पर्वत का बर्फ बूंद-बूंद कर पिघलता है जब इन नदियों का स्वरूप बनता है। वह समुद्र बहुत ही सौभाग्यशाली है जिसको हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला।

हिमालय की गोद में ये नदियाँ किस प्रकार स्वच्छंद होकर खेलती हैं वे इस बात का अनुमान नहीं लगा सकते जिन्होंने इनको केवल मैदानों में ही देखा है। नदियों के इस रूप को देखकर हिमालय को ससुर और समुद्र को हिमालय का दामाद कहने में भी लेखक को कोई संकोच नहीं है। कालिदास ने अपने काव्य मेघदूत में यक्ष के माध्यम से बादल से कहा था कि तुम वेत्रवती नदी को अपने प्रेम का प्रतिदान अवश्य देते जाना । वह प्रेयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी। काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। लेकिन माता बनने से पूर्व हम उन्हें यदि बेटियों के रूप में देख लें तो क्या हर्ज है और यदि हम इनको प्रेयसी की भावना से देखें तो कैसा रहेगा।

तिब्बत में जब लेखक सतलज नदी में पानी में पैर लटकाकर बैठा था तो उन पर उस शीतल जल का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने सतलज को बहिन कहकर संबोधन किया। हे बहिन सतलज तुम्हारी जय हो। तुम्हारी लीला आश्चर्यचकित कर देने वाली है। तुम्हारे पास आकर मेरा आलस्य दूर हुआ और मन प्रसन्न हो गया। तुम हिमालय की बेटी हो । प्रकृति रूपी नटी के पट पर हिमालय की छाप अद्भुत है।

शब्दार्थः आधित्यकाएँ-पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि (टेबुल लैंड); उपत्यकाएँ-पहाड़ के पास की भूमि, तराई, घाटी; संभ्रांत-अच्छे कुल की; विस्मय-आश्चर्य; अतृप्त-असंतुष्ट; प्यासा; प्रवाहित होना-बहना; प्रतिदान-दान के बदले दान; सचेतन-जागरूक, जागा हुआ; सरसब्ज-हरा-भरा; लोकमाता-लोक (संसार) की माता; मुदित-प्रसन्न; खुमारी-आलस्य; बलिहारी- न्योछावर; अनुपम-जिसकी कोई उपमा न हो।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ

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दादी माँ NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2

Class 7 Hindi Chapter 2 दादी माँ Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर:
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के अतिरिक्त और अनेक बातों की याद आती थी। जैसे-जब लेखक किसी विषम परिस्थिति में विचलित हो जाता था तो उसके शुभचिंतक मित्र उसको छुट्टियों की सूचना देकर प्रसन्न करने का प्रयास करते थे।

  • क्वार (आश्विन) के महीने में गंधपूर्ण झाग भरे जल में कूदना उनको याद आता है।
  • बचपन में जब उनको ज्वर हो जाता था तो दादी माँ किस प्रकार उनकी सेवा करती थी।
  • रामो की चाची द्वारा दादी को दूधो नहाओ पूतो फलो का आशीर्वाद देना।
  • किशन भैया के विवाह के समय की घटना जब लेखक बीमारी के कारण विवाह में नहीं जा सका था तो उस समय उनके घर में औरतों द्वारा किया गया अभिनय।

प्रश्न 2.
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी ?
उत्तर:
दादा की मृत्यु के बाद उनके (दादा के) शुभचिंतकों के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। वे मुँह पर मीठा बोलते थे परंतु पीठ पीछे छुरी चलाते थे। उन्होंने उनसे उधार लेकर उसे चुकाया नहीं। लेखक के पिता ने दादा जी के श्राद्ध में उधार लेकर खूब खर्च किया इससे उनकी स्थिति और खराब हो गई।

प्रश्न 3.
दादी जी के स्वभाव का कौन-सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों ?
उत्तर:
वैसे तो दादी जी स्वभाव से ही दूसरों की सहायता करने वाली थीं। वे घर की जिम्मेदारियों को अच्छी प्रकार समझती थीं परंतु दादी के स्वभाव को लोगों की सहायता करने वाला पक्ष (लोक मंगल की भावना) मुझे सबसे अच्छा लगा। दादी ने किस प्रकार रामो की चाची का सारा कर्ज माफ कर दिया और उसके घर जाकर उसको उसकी पुत्री के विवाह के लिए और रुपये भी दिए। उन्होंने लेखक के पिता को भी दादा द्वारा दिए गए और बड़े यत्न से सहेज कर रखे गए सोने के कंगन देकर उनको आर्थिक सहारा दिया।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़े, जैसे-क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा रहता है, लिखिए।
उत्तर:
क्वार- यह महीना वर्षा ऋतु के अंत में आता है। क्वार के महीने को ‘आश्विन’ के नाम से जाना जाता है। इस महीने में गर्मी समाप्त हो जाती है और हल्की-हल्की सर्दी शुरू हो जाती है।

आषाढ़- यह महीना जून के अंत में आता है। जुलाई पूरी तरह आषाढ़ में ही पड़ती है इस महीने में वर्षा होती रहती है तथा गर्मी भी खूब लगती है। धान की रोपाई इसी महीने में होती है।

माघ- माघ का महीना पूरी तरह सर्दी का महीना है। यह जनवरी में और उसके दो चार-दिन आगे-पीछे तक रहता है। इस समय सर्दी अपने चरम पर होती है। माघ के बाद सर्दी धीरे-धीरे घटने लगती है।

प्रश्न 2.
‘अपने-अपने मौसम की अपनी-अनपी बातें होती हैं’-लेखक के इस कथन के अनुसार यह बताइए कि किस मौसम में कौन-कौन सी चीजें विशेष रूप से मिलती हैं?
उत्तर:
वसंत के महीने में जो सर्दी के बाद आता है बेर, चने के बूटे, गेहूँ की बालियाँ खूब खाने को मिलती हैं। गर्मी के मौसम में लीची, आलूबुखारे, आम, आड़, खरबूजे व तरबूज, अंगूर खाने को मिलते हैं। वर्षा ऋतु में फल एवं सब्जियाँ कम होती हैं फिर भी अमरूद खूब खाने को मिलते हैं। सर्दी के शुरू होते ही सेब एवं संतरे खूब मिलते हैं। इस मौसम में सब्जियाँ भी खूब मिलती हैं। सर्दी में मूंगफली, गज़क, तिलकुट आदि बहुत मिलते हैं। केले तो अब हर मौसम में खूब मिलते हैं।

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अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
इस कहानी में कई बार ऋण लेने की बात आपने पढ़ी। अनुमान लगाइए, किन-किन पारिवारिक परिस्थितियों में गाँव के लोगों को ऋण लेना पड़ता होगा और यह उन्हें कहाँ से मिलता होगा ? बड़ों से बातचीत कर इस विषय में लिखिए।
उत्तर:

  • गाँव वालों को निम्नलिखित पारिवारिक परिस्थितियों में ऋण लेना पड़ता है ?
  • शादी, विवाह, जन्मदिन आदि के समारोह के लिए।
  • फसल में खाद-पानी आदि के लिए।
  • खेती के उपकरण ट्रेक्टर एवं गाय, भैंस, बैल आदि खरीदने के लिए।
  • मकान बनवाने के लिए।

उनको यह ऋण महाजन से जो सूद (ब्याज) पर पैसा देने का कार्य करते हैं, किसी सहकारी संस्था जैसे को-ऑपरेटिव सोसाइटी से अथवा किसी बैंक से मिलता है।

प्रश्न 2.
घर पर होने वाले उत्सवों/समारोहों में बच्चे क्या-क्या करते हैं ? अपने और अपने मित्रों के अनुभवों के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
घर पर होने वाले उत्सवों/समारोहों में बच्चे भी अपने बड़ों का हाथ बँटाने की कोशिश करते हैं। वे खूब आनंद मनाते हैं। खेलते-कूदते एवं नाचते हैं। वे नए-नए कपड़े बड़े शौक से पहनते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए
जरा-सी कठिनाई पड़ते,
अनमना सा हो जाता है
सन से सफेद
समानता का बोध कराने के लिए सा, सी, से का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पाँच और शब्द लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:

  1. सीता का मुख चाँद-सा है
  2. उससे जरा-सा मज़ाक सहन नहीं होता।
  3. रमेश छोटी-सी बात पर नाराज हो गया।
  4. उसकी आँखें झील-सी गहरी हैं।
  5. फूल-सी कोमल बच्ची।

प्रश्न 2.
कहानी में ‘छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर देती -जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को जोर देकर कहने के लिए एक से अधिक बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ जा-जाकर थक गया, उन्हें ढूंढ-ढूँढकर देख लिया। इस प्रकार के पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर:

  1. रो-रोकर उसकी आँखें सूज गईं।
  2. हँस-हँसकर मेरा तो पेट दुखने लगा।
  3. मैं उसे कह-कहकर थक गया।
  4. वह रात भर जाग-जागकर पढ़ता है।
  5. मैं किताब को ढूंढ-ढूँढकर थक गया।

प्रश्न 3.
बोलचाल में प्रयोग होने वाले शब्द और वाक्यांश ‘दादी माँ’ कहानी में हैं। इन शब्दों और वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशों में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए-निकसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंका इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण अन्य क्षेत्रीय बोलियों में अलग ढंग से है, जैसे-चिउड़ा को चिड़वा, चूड़त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमशः निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों को बोलचाल में उपयोग होने वाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।
उत्तर:
औसारा = ………………..
सावण = ………………..
पाहुणा = ………………..
दोघड़ = ………………..
अचरच = ………………..
गाभरू = ………………..
बास्सण = ………………..
झोट्टा = ………………..
पतनाला = ………………..

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कमज़ोरी ही है ……………………… उठती है।

प्रश्न 1.
लेखक का मन प्रायः अनमना-सा क्यों हो जाता है ?
उत्तर:
लेखक के सामने जब भी कोई कठिनाई आती है तो लेखक का मन अनमना-सा हो जाता है।

प्रश्न 2.
इस कहानी को लिखते समय लेखक की उम्र लगभग कितनी रही होगी ?
उत्तर:
इस कहानी को लिखते समय लेखक की उम्र लगभग बीस वर्ष की रही होगी।

प्रश्न 3.
लेखक के शुभचिंतक मित्र लेखक को प्रसन्न करने के लिए क्या-क्या प्रयास करते थे ?
उत्तर:
लेखक के शुभचिंतक मित्र लेखक को आने वाली छुट्टियों की सूचना देकर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

2. किशन भैया की ………………. बन जाती।

प्रश्न 1.
किशन भैया की शादी में दादी किस प्रकार व्यस्त रहती थी ?
उत्तर:
किशन भैया की शादी में दादी का उत्साह देखते ही बनता था। ऐसा लगता था मानो घर का सारा कार्य दादी के करने से ही हो रहा है। दादी अपने आपको इतना व्यस्त दिखाती कि पड़ोस की औरतों के बुलाने पर भी न आती। उनका कहना था कि यदि मैं अपने हाथ से कार्य न करूँ, तो कोई भी कार्य होने वाला नहीं।

प्रश्न 2.
किसी भी काम में दादी की अनुपस्थिति विलंब का कारण क्यों बनती थी ?
उत्तर:
दादी घर की बड़ी थी। घर में किसी भी कार्य का श्रीगणेश दादी के द्वारा ही होता था। यदि दादी समय पर न पहुँचे तो कार्य में विलंब होमा लाजमी था।

3. स्नेह और ममता ……………………………. तो थी नहीं।

प्रश्न 1.
दादी के उदास रहने का क्या कारण था ?
उत्तर:
दादी जी की मृत्यु ही दादी के उदास रहने का कारण था। दूसरे, आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी।

प्रश्न 2.
दादी को यह संसार धोखे की टट्टी क्यों लगने लगा ?
उत्त:
दादा ने अपने जीवन काल में लोगों की बहुत आर्थिक मदद की थी परंतु लोगों ने उनके साथ बहुत धोखा किया। उनका पैसा नहीं लौटाया जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी।

प्रश्न 3.
लेखक के पिता जी ने दादा जी का श्राद्ध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
लेखक के घर की आर्थिक स्थिति एकदम खराब हो चुकी थी फिर भी लेखक के पिता ने लोगों से उधार लेकर श्राद्ध में अतुल धन खर्च किया, जिसके कारण उनकी स्थिति और भी डाँवाडोल हो गई।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ

दादी माँ Summary

पाठ का सार

लेखक का मन प्रायः अनमना-सा हो जाता है। लेखक के मित्र उसको आने वाली छुट्टियों की सूचना देकर प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं और पीठ पीछे से घबराने वाला व कमजोर कहकर मज़ाक उड़ाने से भी नहीं चूकते। न चाहते हुए भी लेखक के मन में पिछली यादें ताजा हो जाती हैं। लेखक को ऐसा लगता है मानो कार्तिक के दिन आ गए। गाँव के चारों ओर पानी हिलोरें ले रहा है। बरसात में उगने वाले घास और खरपतवारों की लेखक को याद आ जाती है। वह अपनी आँखों के सामने सारे दृश्य को घटित होते देखता है। क्वार के दिनों में झाग भरे जल में कूदना लेखक को अच्छा लगता है। एक बार इस जल में नहाने के कारण बीमार हो गया। लेखक को हल्की बीमारी अच्छी लगती है परंतु इस बार ज्वर जरा तेज़ चढ़ गया। रज़ाई पर रज़ाई ओढ़नी पड़ी। दिन में लेखक चादर लपेटे पड़ा था। दादी माँ नहाकर आई थी उन्होंने अपने दुबले-पतले शरीर पर किनारे वाली धोती पहन रखी थी। उनके सफेद सन जैसे बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं। दादी ने आकर लेखक के सिर व पेट को छूकर देखा फिर उन्होंने आँचल की गाँठ खोलकर चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली और माथे से लगाई। दादी रात-दिन लेखक की चारपाई के पास ही बैठी पंखा झलती रहती थी। कभी सिर पर दाल-चीनी का लेप करती और बीच-बीच में माथा छूकर बुखार का अनुमान करती रहती थी। दादी बीच-बीच में लाखों प्रश्न पूछकर घर वालों को परेशान करती रहती जैसे कोई बीमार घर में आकर चला तो नहीं गया, खिचड़ी में मूंग की दाल एक दम मिल तो गई है, आदि। दादी माँ को गवई गाँव की पचासों किस्म की दवाओं के नाम याद थे। गाँव में कोई बीमार होता तो दवाई पूछने के लिए दादी के पास ही आता था। दादी माँ उनके पास पहुँच जाती और इसी प्रकार की बातें करती थी। दादी से सफाई की सीख ली जा सकती थी। दवा देने में देरी उन्हें सहन नहीं होती थी। बुखार तो लेखक को अब भी आता है, परंतु नौकर दवा पानी देकर चले जाते हैं, डॉक्टर नब्ज देखकर दवाई दे जाते हैं। अब बुखार को बुलाने का मन नहीं करता।

किशन भैया की शादी में दादी का उत्साह देखते ही बनता था। ऐसा लगता था मानो सारे कार्य की जिम्मेदारी इन्हीं के सिर है। वे कहती थीं यदि मैं एक काम हाथ से न करूँ तो वह होने वाला नहीं। दादी कुछ करे या न करे किसी कार्य में उनकी अनुपस्थिति उस कार्य के बिलंब का कारण बन सकती थी। तभी देखा बाहर दादी माँ किसी पर बिगड़ रही थीं। पास के कोने में दुबकी रामो की चाची खड़ी थी। दादी उससे कह रही थी कि “सो न होगा धन्नो! रुपये मय सूद के आज दे दे। तेरी आँख में तो शरम है नहीं। माँगते समय तो तू पैरों पर नाक रगड़ रही थी। अब कह रही है कि फसल पर दूंगी। रामो की चाची दादी के पैरों पर गिड़गिड़ा कर कह रही थी, बिटिया की शादी है। आप दया न करोगी तो मेरी बेटी की शादी कैसे होगी। कई दिन बीतने पर देखा कि रामो की चाची दादी को ‘पूतो फलो दूधो नहाओ’ का आशीर्वाद दें रही है। वह कह रही थी मैं तो उरिन हो गई बेटा, भगवान भला करे हमारी मालकिन का, पीछे का रुपया भी सारा छोड़ दिया और दस रुपये देकर आई कि जैसी लड़की तेरी वैसी मेरी, बेटी की शादी में किसी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए।

किशन के विवाह में औरतें चार-पाँच रोज पहले से ही गीत गाने लगी थीं। विवाह की रात को अभिनय भी होता था। लेखक बीमार होने के कारण शादी में नहीं जा सका था। उसे पास ही चादर उढ़ा कर सुला दिया। देबू की माँ ने चादर खींचकर कहा यहाँ कौन बच्चा सोया है लाओ इसे दूध तो पिला दूं। स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की बात बड़ी अनोखी लगती थी। दादा की मृत्यु के बाद वे थोड़ा उदास रहने लगीं। दादा जी के श्राद्ध में माता जी के मना करने पर भी पिता जी ने बहुत पैसा खर्च किया वह सभी उधार का था। एक दिन देखा कि दादी थोड़ा उदास बैठी है उसने कोने में रखे एक संदूक पर दिया जला रखा था। उनकी स्नेह-कातर आँखों में मैंने आँसू कभी नहीं देखे थे। लेखक ने पूछा दादी तुम रोती थी। परंतु दादी ने बात बदल दी और कहा तूने अभी खाना नहीं खाया, चलकर पहले खाना खा ले।

एक सुबह देखा कि किशन भैया और पिता जी मन मारे कुछ सोच रहे हैं, बाबू बोले- “रुपया कोई देता नहीं। कितनों के तो पिछले भी बाकी हैं” उनकी सूरत रोनी-सी हो गई। तभी दादी ने उसका हाथ सहलाते हुए कहा-मैं तो अभी हूँ ही, और उसने संदूक खोलकर दादा जी.के दिए कंगन निकालकर दे दिए जिनको वह सदा से सहेज कर रखती आई थी।

शब्दार्थः प्रायः-अक्सर, शुभचिंतक-भला सोचने वाले, प्रतिकूलता-विपरीत स्थिति, क्वार-आश्विन मास, सिवान-गाँव की सीमा तक फैली जमीन, विचित्र-अनोखी, जलाशय-तालाब, साबू-साबूदाना, सुधः-अभी-अभी, गवई-गाँव-गाँव से संबंध रखने वाली, तिताई-कड़वाहट, कार-परोजन-कार्य प्रयोजन, निकसार-निकास, निस्तार-निपटारा/कल्याण, विह्वल-भाव विभोर, पुत्रोत्पत्ति-पुत्र के पैदा होने पर, वस्तुतः-वास्तव में, वात्याचक्र-बवंडर, अतुल-जिसको तोला न जा सके (बहुत अधिक), . स्नेह-कातर-स्नेह से व्याकुल, विलीन-गायब।

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