CBSE Class 9

NCERT Solutions for Class 9 English Beehive Poem 2 Wind

NCERT Solutions for Class 9 English

Wind NCERT Solutions for Class 9 English Beehive Poem 2

Wind NCERT Text Book Questions and Answers

Wind Thinking About the poem

I.
Question 1.
What are the things the wind does in the first stanza?
Answer:
In the first stanza, the wind breaks the shutters of the windows, scatters the papers and throws down the books off the shelf.

Question 2.
Have you seen anybody winnow grain at home or in a paddy field? What is the word in your language for winnowing? What do people use for winnowing? (Give the words in your language, if you know them.)
Answer:
Winnowing grain used to be one of the common scenes in villages where women used to assemble and separate chaff from grain. They used to sing and enjoy the activity. It has now been replaced by machines and the scene is now rare. I have seen the farmers winnowing grain in the paddy field. ‘Pachchorana’ is the word in my language used for winnowing. People use chhaaj for winnowing, i.e. separating chaff from grain with the help of the wind.

NCERT Solutions for Class 9 English Beehive Poem 2 Wind

Question 3.
What does the poet say the wind god winnows?
Answer:
The wind god winnows crumbling houses, crumbling doors, rafters, wood, weak bodies and crumbling hearts.

Question 4.
What should we do to make friends with the wind?
Answer:
The wind makes fun of the weak. It teases them only. If we want to make friends with the wind, we should make ourselves physically and mentally strong. We should make our houses stronger. Then the wind will become our friend.

Question 5.
What do the last four lines of the poem mean to you?
Answer:
In the last four lines, the poet inspires us to face the wind, which symbolises the hardships of our lives, courageously. He tells us that the wind can only extinguish the weak fires; it intensifies the stronger ones. Similarly, adversities deter the weak-hearted but make stronger those who have unfaltering will. In such a case, befriending the wind or the hardships of life makes it easier for us to face them.

NCERT Solutions for Class 9 English Beehive Poem 2 Wind

Question 6.
How does the poet speak to the wind — in anger or with humour? You must also have seen or heard of the wind “crumbling lives”. What is your response to this? Is it like the poet’s?
Answer:
The poet speaks to the wind in anger. He highlights the destructive nature of the wind. He is angry when he finds the wind crumbling lives. He is unhappy when he notices that the wind is friendly with the strong ones and teases the weaklings. Yes, I have seen the wind crumbling lives. When it turns into a storm, it can blow big trees, houses and everything else. My response is similar to that of the poet.

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II.

Question 1.
The poem you have just read is originally in the Tamil. Do you know any such poems in your language?
Answer:
Yes, I have read another poem on wind. It is titled ‘Toofan’ and was originally written in Hindi by Naresh Aggarwal.

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 Poverty as a Challenge (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 Poverty as a Challenge (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तरः निर्धनता को मापने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है।

भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि को मुख्य माना जाता है। इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित हैं। खाद्य वस्तुएँ जैसे अनाज, दालें, आदि मिलकर इस आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करती है। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है। अनाज आदि रूप । में इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति मौद्रिक व्यय को, कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर संशोधित किया जाता है। इन परिकल्पनाओं के आधार पर वर्ष । 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 328 रुपये प्रतिमाह और । शहरी क्षेत्रों में 454 रुपये प्रतिमाह किया गया था।

प्रश्न 2. क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तरः वर्तमान निर्धनता अनुमान कार्य पद्धति पर्याप्त निर्वाह स्तर की अपेक्षा न्यूनतम निर्वाह स्तर को महत्व देती है। सिंचाई और हरित क्रांति के फैलाव ने कृषि के क्षेत्र में कई नौकरियों के अवसर दिये परंतु भारत में इसका प्रभाव कुछ ही भागों तक सीमित रहा। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के उद्योगों ने नौकरियों के अवसर दिये हैं। परंतु ये नौकरी लेने वालों की अपेक्षा काफी कम हैं। निर्धनता को विभिन्न संकेतकों के द्वारा जाना जा सकता है। जैसे-अनपढता का स्तर, कुपोषण के कारण सामान्य प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक कम पहुँच, नौकरी के कम अवसर, पीने के पानी में कमी, सफाई व्यवस्था आदि। सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर निर्धनता का विश्लेषण अब सामान्य है।

प्रश्न 3. भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तरः भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993 में 36 प्रतिशत तक महत्त्वपूर्ण गिरावट आई है। वर्ष 2000 में निर्धनता रेखा के नीचे के निर्धनों का अनुपात और भी गिर कर 26 प्रतिशत पर आ गया। यदि यही प्रवृत्ति रही तो अगले कुछ वर्षों में निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों की संख्या 20 प्रतिशत से भी नीचे आ जाएगी। यद्यपि निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत पूर्व के दो दशकों 1973-93 में गिरा है, निर्धन लोगों की संख्या 32 करोड़ के लंगभग काफी समय तक स्थिर रही। नवीनतम अनुमान; निर्धनों की संख्या में लगभग 26 करोड़ की कमी उल्लेखनीय गिरावट का संकेत देते हैं।

प्रश्न 4. भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तरः भारत में निर्धनता के कारण अग्रलिखित हैं:

(क) औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारंपरिक हस्त-शिल्पकारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।            विकास की धीमी दर 1980 के दशक तक जारी रही। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर घटे और आय की वृद्धि दर गिरी।
(ख) भारतीय सरकार दो बातों में असफल रही आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन और जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण जो निर्धनता चक्र को स्थिर कर सकते        हैं।
(ग) सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्र में रोजगार के अनेक अवसर सृजित हुए। लेकि इनका प्रभाव भारत के कुछ भागों तक ही सीमित        रहा। सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों ने कुछ रोजगार उपलब्ध कराए। लेकिन ये रोजगार तलाश करने वाले सभी लोगों के लिए पर्याप्त नहीं हो सके। शहरों में उपयुक्त नौकरी पाने में असफल अनेक लोग रिक्शा चालक, विक्रेता, गृह निर्माण श्रमिक, घरेलू नौकर आदि के रूप में कार्य करने लगे। अनियमित और कम आय के कारण ये लोग महँगे मकानों में नहीं रह सकते थे। वे शहरों से बाहर झुग्गियों में रहने लगे। विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक तत्व जैसे-जाति, लिंग भेद और सामाजिक अपवर्जन जो मानव निर्धनता को बढाते हैं।
(घ) छोटे किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशकों जैसे कृषि आगतों की खरीदारी के लिए धनराशि की जरूरत होती है। चूंकि निर्धन कठिनाई से ही          कोई बचत कर पाते हैं, वे इनके लिए कर्ज लेते | हैं। निर्धनता के चलते पुनः भुगतान करने में असमर्थता के कारण वे ऋणग्रस्त हो जाते हैं। अतः अत्यधिक ऋणग्रस्तता निर्धनता का कारण और परिणाम दोनों हैं।
(ङ) आय असमानता भारत में निर्धनता का मुख्य कारण हैं। इसका मुख्य कारण भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण हैं।

प्रश्न 5. उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
उत्तरः जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं, वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार हैं। इस प्रकार, आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषक श्रमिक परिवार और नगरीय अनियत मजदूर परिवार हैं। इसके अतिरिक्त महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।

प्रश्न 6. भारत में अंर्तराज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तरः प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निधर्नता अनपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर, निर्धनता अब भी उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में एक गंभीर समस्या है। उड़ीसा और बिहार क्रमशः 47 और 43 प्रतिशत निर्धनता औसत के साथ दो सर्वाधिक निर्धन राज्य बने हुए हैं। इन राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार की निर्धनता का औसत अधिक है। उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है। इसकी तुलना में केरल, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। अनाज का सार्वजनिक वितरण, मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान, अधिक कृषि विकास, भूमि सुधार उपायों से इन राज्यों में निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।

प्रश्न 7. वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तरः विकासशील देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता में रहने वाले लोगों; विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह करना; का अनुपात 1990 के 28 प्रतिशत से गिर कर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि 1980 से वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन इसमें वृहत क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं। तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में वृहत निवेश के कारण चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में निर्धनता में विशेष कमी आई है। चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 60.6 करोड़ से घट कर 2001 में 21.2 करोड़ हो गई है। दक्षिण एशिया के देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्ला देश, भूटान) में निर्धनों की संख्या में गिरावट इतनी तीव्र नहीं है। जबकि लैटिन अमेरिका में निर्धनता का अनुपात पहले जैसा ही है, सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता वास्तव में 1981 के 41 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 46 प्रतिशत हो गई है। विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया, बांग्ला देश और भारत में अब भी बहुत सारे लोग प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह कर रहे है। रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई, जहाँ पहले आधिकारिक रूप से कोई निर्धनता थी।

प्रश्न 8. निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तरः सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों पर आधारित है।

(क) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहनः विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत            की आर्थिक संवृद्धिदर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक । में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई । इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ संबंध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।

(ख) लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रमः सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई निर्धनता–निरोधी कार्यक्रम चलाए। जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण              रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (एन.आर. ई.जी.ए.), प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पी.एम.आर.वाई.), ग्रामीण रोजगार सृजन, स्वर्ण जयंती                   ग्राम स्वरोजगार योजना (एस.जी.एस.वाई.), प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी.एम.जी.वाई.), अंत्योदय अन्न । योजना (ए.ए.वाई.), राष्ट्रीय काम के             बदले अनाज।

प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दें :

(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तरः

(क) ‘मानव निर्धनता की अवधारणा केवल आय की कमी तक सीमित नहीं है। इसका अर्थ है किसी व्यक्ति को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक         अवसरों का ‘उचित स्तर न मिलना। अनपढ़ता, रोजगार के अवसर में कमी, स्वास्थ्य सेवा की सुविधाओं और सफाई व्यवस्था में कृमी, जाति, लिंग भेद आदि मानव निर्धनता के कारक हैं।
(ख) महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से                 वंचित रखा जाता है।
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (एन.आर.ई.जी.ए.) की विशेषताएँ अग्रलिखित हैं:

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (एन.आर.ई.जी.ए.) को सितंबर 2005 में पारित किया गया।
प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है।
प्रारंभ में यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में और बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में किया गया।
प्रस्तावित रोजगारों का एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
केंद्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी। इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य रोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी। कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगार भत्ते का हकदार होगा।

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 77)

प्र० 1. ऊतक क्या है?
उत्तर- ऊतक कोशिकाओं का समूह होता है, जिसमें कोशिकाओं की संरचना, उत्पत्ति तथा कार्य एकसमान होते हैं।

प्र० 2. बहुकोशिक जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है?
उत्तर- बहुकोशिक जीवों में ऊतक संरचनात्मक शक्ति तथा यांत्रिक शक्ति प्रदान करते हैं, श्रम विभाजन करते हैं तथा अधिकतम दक्षता के साथ कार्य कर सकने के लिए एक विशिष्ट क्रम में व्यवस्थित होते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 81)

प्र० 1. प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है?
उत्तर- कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2) की आवश्यकता होती है।

प्र० 2. पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर- पत्ती की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिन्हें स्टोमेंटा कहते हैं। स्टोमेंटा को दो वृक्क के आकार की कोशिकाएँ घेरे रहती हैं, जिन्हें रक्षी कोशिकाएँ कहते हैं। ये कोशिकाएँ वायुमंडल से गैसों के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक होती हैं। वाष्पोत्सर्जन (वाष्प के रूप में पानी निकलना) की क्रिया भी स्टोमेंटा के द्वारा होती है।
वाष्पोत्सर्जन की उपयोगिता :

  1. यह पौधों के आस-पास का तापमान बढ़ने नहीं देता है।
  2. इसी खिंचाव के कारण पौधों में जल एवं खाद्य लवणों का संवहन हो पाता है।
  3. पौधों से अतिरिक्त जल का निष्कासन होता है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 83)

प्र० 1. सरल ऊतकों के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- सरल स्थायी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं:
(a) पैरेन्काइमा ऊतक
(b) कॉलेन्काइमा ऊतक
(c) स्क्लेरेन्काइमा ऊतक

प्र० 2. प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया जाता है?
उत्तर- प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक जड़ों एवं तनों की वृद्धि वाले भाग में विद्यमान रहता है तथा वह इनकी लंबाई में वृद्धि करता है।

प्र० 3. नारियल का रेशा किस ऊतक का बना होता है?
उत्तर- स्क्ले रेन्काइमा ऊतक (Sclerenchyma Tissue) से।

प्र० 4. फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर- फ्लोएम पाँच प्रकार के संघटकों-चालनी कोशिका, चालनी नलिका (Sieve tube), साथी कोशिकाएँ (Companion cells), फ्लोएम पैरेन्काइमा तथा फ्लोएम रेशों (Phloem fibres) से मिलकर बना होता है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 87)

प्र० 1. उस ऊतक का नाम बताएँ जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर- पेशीय ऊतक (Muscular Tissue)

प्र० 2. न्यूरॉन देखने में कैसा लगता है?
उत्तर- न्यूरॉन छोटे पौधों के जैसा दिखाई देता है, जिससे लंबे पतले बालों जैसी शाखाएँ निकली होती हैं। तंत्रिका ऊतक की कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन कहते हैं।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 (Hindi Medium) 1
इसमें केंद्रक तथा कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) होते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन में एक लंबा प्रवर्ध होता है, जिसे एक्सॉन कहते हैं। इसमें बहुत सारी छोटी शाखाओं वाले प्रवर्ध (डेंड्राइट्स) होते हैं। एक तंत्रिका कोशिका 1 मीटर तक लंबी हो सकती है।

प्र० 3. हृदय पेशी के तीन लक्षणों को बताएँ।
उत्तर- हृदय पेशी के तीन लक्षण हैं-
(i) हृदय की पेशी कोशिकाएँ बेलनाकार, शाखाओं वाली और एक केंद्रकीय होती हैं।
(ii) यह अनैच्छिक पेशियाँ होती हैं क्योंकि इनकी गति को संचालित नहीं किया जा सकता।
(iii) हृदय की पेशियाँ जीवनभर लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती रहती हैं।

प्र० 4. एरिओलर ऊतक के क्या कार्य हैं?
उत्तर- एरिओलर ऊतक के कार्य
(i) यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है।
(ii) आंतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है।
(iii) ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न [NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्र० 1. ऊतक को परिभाषित करें।
उत्तर- ऊतक कोशिकाओं का समूह होता है, जो एक तरह का कार्य करने में दक्ष होता है तथा जिसकी संरचना एक समान होती है।

प्र० 2. कितने प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं? उनके नाम बताएँ।
उत्तर- जाइलम ऊतक चार प्रकार के तत्व (कोशिकाओं) से मिलकर बने होते हैं
(i) वाहिनिका (जाइलम टैकीड्)
(ii) वाहिका (Vessels)
(iii) जाइलम पैरेन्काइमा और
(iv) जाइलम फ़ाइबर (रेशे) (Xylem fibres)

प्र० 3. पौधों में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर-
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प्र० 4. कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा और स्क्लेरेन्काइमा के बीच भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
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प्र० 5. रंध्र (Stomata) के क्या कार्य हैं?
उत्तर- रंध्र के मुख्य कार्य हैं
(i) वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान रंध्रों द्वारा होता है; जैसे-प्रकाश संश्लेषण में CO2 तथा श्वसन क्रिया में O2 लेना।
(ii) वाष्पोत्सर्जन क्रिया (वाष्प के रूप में पानी का निकलना) में सहायता करना।

प्र० 6. तीनों प्रकार के पेशीय रेशों में चित्र बनाकर अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
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प्र० 7. कार्डियक (हृदयक) पेशी का विशेष कार्य क्या है?
उत्तर- कार्डियक पेशी के विशेष कार्य
(i) हृदय की पेशियाँ जीवनभर लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती रहती हैं।
(ii) लयबद्ध प्रसार और संकुचन हृदय की पम्पिंग क्रिया में सहायता करता है तथा रक्त संपूर्ण शरीर में गति करता है।

प्र० 8. रेखित, अरेखित तथा कार्डियक (हृदयक) पेशियों में शरीर में स्थित कार्य और स्थान के आधार पर अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
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प्र० 9. न्यूरॉन का एक चिह्नित चित्र बनाएँ।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 (Hindi Medium) 6

प्र० 10. निम्नलिखित के नाम लिखें
(a) ऊतक जो मुँह के भीतर अस्तर का निर्माण करता है।
(b) ऊतक जो मनुष्य की पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(c) ऊतक जो पौधों में भोजन को संवहन करता है।
(d) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय करता है।
(e) तरल आधात्री सहित संयोजन ऊतक।
(f) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर-
(a) शल्की एपिथीलियम (Squamous Epithelium)
(b) कंडरा (Tendon)
(c) फ्लोएम (Phloem)
(d) वसामय ऊतक (Adipose Tissue)
(e) रक्त (Blood)
(f) न्यूरॉन (Neuron)

प्र० 11. निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करें-
त्वचा, पौधे का वल्क, अस्थि, वृक्कीय नलिका अस्तर, संवहन, बंडल।
उत्तर-
त्वचा – शल्की एपिथीलियम ऊतक
पौधे का वल्क – विभज्योतक रक्षी ऊतक
अस्थि – संयोजी ऊतक
वृक्कीय नलिका अस्तर – घनाकार एपिथीलियम ऊतक
संवहन बंडल – स्थायी ऊतक (जाइलम और फ्लोएम)

प्र० 12. पैरेन्काइमा ऊतक किस क्षेत्र में स्थित होते हैं?
उत्तर- पैरेन्काइमा ऊतक पत्तियों में पाए जाते हैं। इस स्थिति में इसे क्लोरेन्काइमा (हरित ऊतक) कहा जाता है। जलीय पौधों में बड़ी गुहिकाएँ (Cavities) होती हैं। जो पौधों को तैरने के लिए उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं। इस पैरेन्काइमा को ऐरेन्काइमा कहते हैं। अतः ये पत्तियों, तने तथा जड़ों में पाए जाते हैं।

प्र० 13. पौधों में एपिडर्मिस की क्या भूमिका है?
उत्तर- एपिडर्मिस की निम्नलिखित मुख्य भूमिकाएँ हैं
(i) पौधों की पूरी सतह एपिडर्मिस से ढकी रहती हैं। यह पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है।

(ii) एपिडर्मल कोशिका पौधों की बाह्य सतह पर प्रायः एक मोम जैसी जल प्रतिरोधी परत बनाती है। यह जल हानि के विरुद्ध यांत्रिक आघात तथा परजीवी कवक के प्रवेश से पौधों की रक्षा करती है।

(iii) पत्ती के एपिडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिन्हें स्टोमेटा (Stomata) कहते हैं। गैसों का आदान-प्रदान तथा वाष्पोत्सर्जन क्रिया इसके द्वारा होती है।

(iv) मरुस्थलीय पौधों की बाहरी सतह वाले एपिडर्मिस में क्यूटिन (एक जल अवरोधक रासायनिक पदार्थ) होता है जो जल के अत्यधिक वाष्पीकरण (वाष्पण) को रोकता है।

(v) जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ पानी को सोखने का कार्य करती हैं।

प्र० 14. छाल (कॉर्क) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है?
उत्तर- जब वृक्ष की आयु बढ़ती है तो तने के एपिडर्मिस के स्थान पर विभज्योतक की पट्टी बन जाती है। यह एक मोटा सुरक्षात्मक ऊतक है। बाहरी सतह की कोशिकाएँ इस सतह से अलग हो जाती हैं। यह पौधों पर अनेक परतों वाली मोटी छाल (कॉर्क) का निर्माण करती है। इन छालों की कोशिकाएँ मृत होती हैं, ये बिना अंत:कोशिकीय स्थानों (Intercellular spaces) के व्यवस्थित होती हैं। इनकी भित्ति पर सुबेरिन (suberin) नामक रसायन होता है जो इन छालों को हवा एवं पानी के लिए अभेद्य (Impervious) बनाता हैं।

प्र० 15. निम्न तालिका को पूर्ण करें-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 (Hindi Medium) 7
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 6 (Hindi Medium) 8

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 217)

प्र० 1. शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है?
उत्तर- हमारे वायुमंडल में नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड (0.03% से 0.07% तक), ऑक्सीजन, ऑर्गन और जलवाष्प हैं जबकि शुक्र और मंगल ग्रहों पर मुख्य घटक CO2 है जिसकी मात्रा 95-97 प्रतिशत तक है। इसलिए वहाँ कोई जीवन नहीं है परंतु पृथ्वी पर जीवन है।

प्र० 2. वायुमंडल कंबल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर- वायुमंडल कंबल की भाँति निम्न तरीकों से कार्य करता है।

  • वायु उष्मा का कुचालक है। वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय तथा पूरे वर्ष भर लगभग नियत (स्थिर) रखता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।
  • वायुमंडलीय ओजोन परत सूर्य के हानिकारक विकिरण UV (Ultraviolet radiation) को स्थल पर आने से रोकता है तथा उसके हानिकारक प्रभाव से बचाता है।

प्र० 3. वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर- स्थल तथा जल के ऊपर असमान रूप में वायु के गर्म होने के कारण ही पवनें उत्पन्न होती हैं।
जलवाष्प जीवित प्राणियों के क्रियाकलापों और जल के गर्म होने के कारण बनती है।
वायुमंडल में जलवाष्प का बनना तथा वायु के गर्म होने के कारण पवन उत्पन्न होती है।
जमीन के ऊपर की हवा जल्दी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है और समुद्र के ऊपर की हवा इस ओर आती है क्योंकि जमीन के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र बनता है। इसके अलावा पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ भी हवा के बनने और इसकी दिशा को प्रभावित करती हैं।

प्र० 4. बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर- दिन के समय जलीय भाग गर्म हो जाते हैं तथा बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प बनती है। गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर जाती है यह फैलती है तथा ठंडी हो जाती है। ठंडा होने से जलवाष्प जल की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है तथा बदलों को निर्माण करती है। जब ये जल की बूंदें बड़ी और भारी हो जाती हैं तो वर्षा, हिमवृष्टि ओले के रूप में नीचे गिरती है।

प्र० 5. मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वाय प्रदूषण में सहायक है।
उत्तर-

  • जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला और पेट्रोलियम का जलना।
  • लकड़ी, उपले (dung cakes), पत्तों आदि का पूरी तरह न जलना
  • कारखानों, उद्योगों आदि से निकला विषैला धुआँ।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 219)

प्र० 1. जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर- जीवों को जल की आवश्यकता निम्न क्रियाकलापों के लिए पड़ती है

  • शरीर में जीवों के सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • मनुष्य के शरीर का 70 % भार जल के कारण होता है।
  • जल कुछ प्राणियों का आवास भी है।
  • स्थलीय जीवों को शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। क्योंकि खारे जल में नमक की अधिक मात्रा होने के कारण जीवों का शरीर उसे सहन नहीं कर पाता है।
  • हमारे शरीर के अंदर की कोशिकाओं में होने वाली अभिक्रियाएँ, उन पदार्थों में होती हैं जपानी में घुले होते हैं।

प्र० 2. जिस गाँव / शहर / नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-
स्थान – जल के मुख्य स्रोत
शहर में – नगरपालिका/नगर निगम जल वितरण प्रणाली
द्वारा। नगर – तालाब, कुएँ नदियाँ एवं नगर वर्षा का संग्रहित जल (टैंक या डैम में), भौम जल आदि।

प्र० 3. क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है।
उत्तर- हाँ, जल के स्रोत को प्रदूषित करने वाले क्रियाकलाप

  • शहर या नगर के नाले का जल और उद्योगों का कचरा नदियों तथा झीलों में प्रवाहित करना।
  • खेती में उपयोग किए गए उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 222)

प्र० 1. मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर- मृदा निर्माण के कारक : निम्नलिखित हैं :

(i) सूर्य – दिन के समय सूर्य पत्थर को गर्म कर देता है जिससे वे प्रसारित (फैलना) हो जाते हैं। रात के समय ये पत्थर ठंडे हो जाते हैं और संकुचित हो जाते हैं। चूँकि पत्थर का प्रत्येक भाग असमान रूप से प्रसारित और संकुचित होता है। जिससे पत्थर में ऐसा बार-बार होने से दरारें पड़ जाती हैं और अंतत: छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं।

(ii) पानी – पत्थरों की दरार में जल भरने तथा बाद में जम जाने पर दरारें अधिक चौड़ी हो जाती हैं। बहता जल कठोर पत्थरों को भी तोड़ देता है। तथा उन्हें अपने साथ बहा ले जाता है। ये पत्थर आपस में टकराकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाते हैं। जल पत्थरों के इन कणों को अपने साथ ले जाता है और आगे निक्षेपित कर देता है। जिससे मृदा का निर्माण होता है।

(iii) वायु- जल की भाँति तेज हवाएँ भी पत्थरों को तोड़ देती हैं। पत्थर एक दूसरे से टकराने के कारण टूटते हैं। वायु जल की ही तरह बालु को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ा ले जाती है।

(iv) जीवित जीव – लाइकेन पत्थर की तरह उगते हैं। वे एक पदार्थ छोड़ते हैं जो पत्थर की सतह को चूर्ण के समान कर देता है तथा मृदा की एक पतली परत का निर्माण करता है। इस सतह पर मॉस (moss) जैसे दूसरे छोटे पौधे उगने लगते हैं और ये पत्थर को और अधिक तोड़ देते हैं। कभी-कभी बड़े पेड़ों की मूलें दरारों में चली जाती हैं जो इसे चौड़ा कर देती हैं।

प्र० 2. मृदा-अपरदन क्या है?
उत्तर- उपरि मृदा (Top soil) का वायु, जल द्वारा स्थानांतरित होना मृदा अपरदन कहलाता है। तेज़ हवाएँ – एक स्थान से दूसरे स्थान तक मृदा के कण ले जाती हैं। तेज बहता हुआ जल-मिट्टी में गड्ढे बना देते हैं जिसके कारण मृदा-अपरदन होता है। जंगलों की कटाई तथा पशुचारण द्वारा भी मृदा-अपरदन होता है।

प्र० 3. अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर- अपरदन को रोकने और कम करने के निम्न तरीके हैं-

  • घास एवं वनस्पति स्थल बढ़ाकर-इससे ऊपरी सतह की मिट्टी, जल या वायु द्वारा बहकर या उड़कर नहीं जा पाती है।
  • वृक्षारोपण-पौधों की जड़े मिट्टी को कसकर पकड़े रहती हैं जिससे अपरदन नहीं हो पाता है।
  • सोपानी खेती (Terrace farming)
  • पशुचारण को नियंत्रित कर (cheeking the overgrazing by animals)
  • नदियों के किनारे मजबूत बाँध बनाकर (Embankment)
  • खेतों में समुचित जल निकास व्यवस्था द्वारा (Drainage canals)
  • सघन खेती द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 227)

प्र० 1. जल-चक्र के क्रम में पानी की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं।
उत्तर- जल-चक्र के क्रम में पानी की निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं

  • द्रवीय अवस्था (जल) – विभिन्न जल स्रोतों; जैसे-झीलों में, नदियों में, भौम जल, समुद्रों में, तालाबों में आदि।
  • गैसीय अवस्था (जलवाष्प) – जल स्रोतों से वाष्पीकरण होता है तथा पत्तियों से वाष्पोत्सर्जन।
  • बादल – संघनित जलवाष्प बादलों में मौजूद होते।
  • ठोस (बर्फ) – ओले (हिमपात) बर्फबारी आदि के रूप में।

प्र० 2. जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं?
उत्तर- जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिक जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं; वे निम्न हैं :

  1. न्यूक्लिक अम्ल (DNA तथा RNA)
  2. प्रोटीन

प्र० 3. मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर- तीन क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं

  • जंतुओं द्वारा श्वसन प्रक्रिया में CO2 गैस मुक्त होती है।
  • जीवाश्म ईंधनों; जैसे-कोयला, पेट्रोल, डीजले आदि को जलाना।
  • पेड़ काटना (deforestation)

प्र० 4. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर- कुछ गैसै मुख्यत: CO2 और मेथेन पृथ्वी के वायुमंडल से उष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं। वायुमंडल में इस प्रकार की गैसों में वृद्धि से संसार का तापमान बढ़ जाता है। इस प्रकार के प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्र० 5. वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
(i) ऑक्सीजतन के अंणु : O2 (द्विपरमाण्विक अणु)
(ii) ओजोन : O3 (त्रिपरमाण्विक अणु)

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है?
उत्तर- जीवन के लिए वायुमंडल अनेक कारणों से आवश्यक हैं, उनमें से कुछ निम्न हैं :

  • ऑक्सीजन श्वसन ज्वलन (burning) एवं दहन (combustion) के लिए जरूरी होता है।
  • प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के लिए पौधों को CO2 वायुमंडल से मिलता है।
  • ओजोन परत हानिकारक U.V. किरणों से हमारी सुरक्षा करती है। यह परत इन किरणों को अवशोषित कर लेती है और पृथ्वी की सतह तक इसे पहुँचने से रोकती है।
  • इसमें O2, CO2, N2 आदि गैसें पाई जाती हैं जो विभिन्न जैव प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होता है।
  • जल में घुलनशील CO2 कार्बोनेट का निर्माण करती है जो जलीय जीवों के कवच (Shells) के निर्माण के लिए जरूरी होता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।

प्र० 2. जीवन के जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर-

  • पानी एक अद्भुत द्रव है जिसे सार्व-विलायक कहा जाता है। यह पौधों तथा जंतुओं के शरीर में सभी चीजों को घोल लेता है।
  • जीवों के शरीर के भीतर पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • लगभग सभी प्राणियों को जीवित रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है।
  • जल कुछ जंतुओं/पौधों हेतु आवास (Habitat) का कार्य करता है।
  • हमारे शरीर के अंदर सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • पौधों को सिंचाई के लिए पानी आवश्यक होता है। इसके कारण ही बीजों का अंकुरण संभव होता है।
  • हमारे शरीर के भार का 70% जल के कारण है।
  • पानी का उपयोग पीने, नहाने, धोने सफ़ाई करने, मछली संवर्धन, दवाई बनाने जैसे अनेक कार्यों में होता है।
  • जलीय जंतु; जैसे-मेंढक, मछली आदि जल में घुली हुई ऑक्सीजन द्वारा श्वसन क्रिया संपन्न करते हैं।
  • प्रकाशसंश्लेषण क्रिया के लिए भी जल आवश्यक होता है।

प्र० 3. जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर- मृदा खनिजों का मिश्रण है जिसमें खनिज, ह्युमस (Humus), जल तथा वायु होते हैं। पौधे अपना खनिज पोषक तत्व जल, वायु, मिट्टी से प्राप्त कर भोजन बनाते हैं। शाकाहारी जीव पौधों पर तथा मांसाहारी जीव शाकाहारी जीवों पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक जीव जैसे केंचुए, चीटियाँ, दीमक, बैक्टीरिया और फंजाई आदि भी पाए जाते हैं। जलीय जीव भी मृदा से पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं। वे भी मृदा पर निर्भर करते हैं। सूक्ष्मजीव (जैसे फंजाई बैक्टीरिया) जो समुद्र के निचले परत (bottom sedidonts) में पाए जाते हैं, सड़े-गले जीवों, कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर अकार्बनिक पदार्थों [खनिज (minerals)] में बदल देते हैं। ये खनिज जल में घुलकर जलीय पौधों के लिए पोषक तत्व प्रदान करती है और अप्रत्यक्ष रूप से जंतुओं को भी। इसके अलावा पोषक तत्व मृदा से बहकर भी जल में चले जाते हैं।

प्र० 4. आपने टेलीविज़न पर और समाचारपत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर- हाँ, हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं। वर्षा का पैटर्न पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है। इसलिए निम्न दाब तथा उच्च दाब के क्षेत्र का अध्ययन करके वर्षा का पूर्वानुमान कर सकते हैं।

अतः किसी स्थान के तापमान, आर्द्रता, वायु की गति (wind speed) तथा कंप्यूटर में संग्रहित पूर्व वर्षों के डाटा के आधार पर मौसम वैज्ञानिक (meteorologists) मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम होते हैं। इसमें सैटेलाइट भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्र० 5. हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में मदद मिलेगी?
उत्तर- हाँ, प्रदूषण के स्तर को घटाने में कुछ अंश तक सहायता मिलती है। इससे मृदा प्रदूषण को तो बिलकुल कम किया जा सकता है परंतु जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना कठिन होता है। जैसे वायु प्रदूषण के कारणः-

  • अम्लीय वर्षा
  • वैश्विक ऊष्मीकरण ग्रीन हाउस गैसों (CO2 मिथेन) के कारण होता है।
  • ओजोन परत में छिद्र (CFCs) के कारण।

उपर्युक्त सभी का प्रभाव पर्यावरण पर व्यापक रूप से होता है। इसी प्रकार, प्रदूषित जल नदियों, जलाशयों, समुद्रों में दूर-दूर तक बहकर चली जाती हैं भौम जल (Underground water) नालों, उद्योगों के कचरे (Industrial wastes), कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों, उर्वरकों द्वारा बड़े क्षेत्र को प्रभावित करती है।

प्र० 6. जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जंगल की भूमिका वायु

  • यह प्रदूषण को अवशोषित कर वायु का शुद्धीकरण करता है।
  • CO2 और O2 का समुचित अनुपात बनाए रखने में सहायता करता है (प्रकाश संश्लेषण द्वारा)।
  • यह वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा बादल निर्माण तथा आस-पास के परिवेश का तापमान कम करता है।

मिट्टी/मृदा

  • पौधों की जड़ें मिट्टी को मजबूती से जकड़े रखती है। फलतः ये मृदा अपरदन को नियंत्रित करती हैं।
  • मिट्टी की गुणवत्ता पौधों और जंतुओं के मृत अवशेषों के विघटन द्वारा ह्यूमस निर्माण से अच्छी होती है।
  • मृदा के ऊपर वनस्पति होने के कारण मिट्टी के अंदर जल रिसाव (Percolation) अच्छी तरह होता है। जिससे भौम जल के स्तर में वृद्धि होती है।
  • भूमि का खिसकना (land slides) नियंत्रित होता है।

जल

  • जंगल के कारण वर्षा अधिक होती है।
  • बाढ़ नियंत्रण में सहायता करता है।
  • भौम जल में वृद्धि करता है।
  • जल-चक्र और पृथ्वी के तापमान का नियमन करता है।

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 91)

प्र० 1. हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं?
उत्तर- पृथ्वी पर जीवधारियों की संख्या विशाल है तथा उनके आकार, साइज तथा रूप में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। इसलिए प्रत्येक जीवों का अलग-अलग अध्ययन कर पाना बहुत ही मुश्किल कार्य है। अत: वर्गीकरण का उद्देश्य है पौधों और जंतुओं की विशाल संख्या को कुछ वर्गों में संगठित करना ताकि उनका नामकरण तथा अध्ययन आसानी से किया जा सके और याद रखा जा सके।

प्र० 2. अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर- (i) जहाँ सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले बैक्टीरिया हैं, जिनका आकार कुछ माइक्रोमीटर होता है, वहीं दूसरी ओर 30 मी० लंबे नीले ह्वेल (Whales) या 100 मी० लंबे रेडवुड पेड़ (कैलिफोर्निया में पाए। जाने वाले) भी है।
(ii) कुछ चीड़ के वृक्ष हज़ारों वर्ष तक जीवित रहते हैं जबकि कुछ कीट जैसे मच्छरों का जीवनकाल कुछ ही दिनों का होता है।
(iii) रंगहीन जीव, पारदर्शी कीटों और विभिन्न रंगों वाले पक्षियों और फूलों में भी विविधता पाई जाती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 92)

प्र० 1. जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है?
(d) उनका निवास स्थान
(b) उनकी कोशिका संरचना।
उत्तर-
(a) उनकी कोशिका संरचना।
कारणः क्योंकि जीवों को उनके निवास स्थान के आधार पर वर्गीकरण करना भ्रामक तरीका है। उदाहरण के लिए, समुद्रों में रहने वाले जीव; जैसे – प्रवाल (Coral), हवेल, ऑक्टोपस (Octopuses), स्टारफिश और शॉर्क। ये कई मायने में एक-दूसरे से काफी अलग हैं।

प्र० 2. जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल । लक्षण को आधार बनाया गया है?
उत्तर- जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए मूल लक्षण उनकी कोशिकाओं की प्रकृति-प्रोकैरियोटी और यूकैरियोटी को आधार बनाया गया है।

प्र० 3. किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है?
उत्तर- (i) पोषण विधि (स्पपोषी एवं विषम पोषी) के आधार पर
(ii) कोशिकीय संघटन के आधार पर
(iii) शारीरिक बनावट के आधार पर
(iv) कोशिकाभित्ति के आधार पर

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 93)

प्र० 1. आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर- वे जीव समूह जिनके शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है, आदिम जीव अथवा निम्न जीव कहलाते हैं। परंतु कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं, जिन्हें उन्नत जीव कहते हैं। उदाहरणः एककोशिक प्रोकैरियोटी बैक्टीरिया आदिम जीव हैं तथा बहुकोशिक यूकैरियोटी स्तनधारी (Mammalia) उन्नत जीव हैं।

प्र० 2. क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?
उत्तर- हाँ, चूँकि विकास के दौरान जीवों में जटिलता की संभावना बढ़ती है, इसलिए पुराने जीवों (आदिम जीवों) को साधारण और नए जीवों (उन्नत जीवों) को अपेक्षाकृत जटिल भी कहा जा सकता है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 96)

प्र० 1. मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का मापदंड क्या है?
उत्तर- जिन जीवों में संगठित केंद्रक और कोशिकांग नहीं होते (प्रोकैरीयोटी) और न ही उनके शरीर बहुकोशिक होते हैं, उन्हें मोनेरा जगत में रखा जाता है। इसके विपरीत प्रोटिस्टा के अंतर्गत वे एककोशिक जीव आते हैं, जिनमें संगठित केंद्रक और कोशिकांग होते हैं। इन्हें यूकैरियोटी जीव कहा जाता है।

प्र० 2. प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिक यूकैरियोटी जीव को आप किस जगत में रखेंगे?
उत्तर- प्रोटिस्टा।

प्र० 3. वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जाएगा?
उत्तर-
सर्वाधिक समान लक्षण वाले:
सबसे कम जीव-जाति (स्पीशीज) में।
सबसे ज्यादा जीव-जगत (किंगडम) में।

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 99)

प्र० 1. सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है?
उत्तर- थैलोफ़ाइटा।

प्र० 2. टेरिडोफ़ाइटा और फैनरोगैम में क्या अंतर है?
उत्तर- टेरिडोफाइटा बीज रहित होते हैं अर्थात् बीज उत्पन्न नहीं करते जबकि फैनरोगैम बीज उत्पन्न करते हैं।

प्र० 3. जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 1

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 105)

प्र० 1. पोरी.फेरा और सिलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 2
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 3

प्र० 2. एनीलिडा के जंतु आर्थोपोडा के जंतुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 4
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 5

प्र० 3. जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर है?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 6

प्र० 4. पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 7

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है?
उत्तर- जीवों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लाभ हैं
(i) विभिन्न समूह जीवों के महत्वपूर्ण लक्षण और उनके पारस्परिक संबंध को दर्शाते हैं।

(ii) वर्गीकरण करने पर हम आसानी से विशाल संख्या में पाए जाने वाले जीवों का नामकरण और अध्ययन कर सकते हैं तथा उन्हें याद भी रख सकते हैं।

(iii) यह जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं को अध्ययन का आधार प्रदान करती है; जैसे-वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, पारिस्थितिकी (Ecology), जंगल लगाने की कला (Forestry) आदि।

(iv) यह सभी जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता

प्र० 2. वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे?
उत्तर- दो लक्षणों में से सबसे पहले विशिष्ट लक्षण का चयन करेंगे जो उन जीवों में मौलिक अंतर पैदा करते हैं। इसके आधार पर मुख्य विस्तृत समूह निर्धारित होता है। तथा कम महत्वपूर्ण लक्षणों के आधार पर छोटे समूहों या उपसमूहों (Sub-group) निर्धारित किया जाता है; जैसे- प्रोकैरियोटी और यूकैरियोटी मुख्य विस्तृत समूह (broadest division) का आधार है।

प्र० 3. जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरणं के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- जीवों को पाँच जगत में वर्गीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है
(a) कोशिकीय संरचना-प्रोकैरियोटी अथवा यूकैरियोटी
(b) जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
(c) कोशिका भित्ति की उपस्थिति
(d) पोषण की विधि (अर्थात् स्वपोषण की क्षमता है या नहीं)|

प्र० 4. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर- पादप जगत के पाँच प्रमुख वर्ग हैं
1. थैलोफाइटा
2. ब्रायोफाइटा
3. टेरिडोफ़ाइटा
4. जिम्नोस्पर्म
5. एंजियोस्पर्म
इनके वर्गीकरण के आधार हैं
(a) पादपों की शारीरिक संरचना में कोई विभेदीकरण है अथवा नहीं।
(b) इनमें पादप शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक जल तथा दूसरी चीजों के संवहन के लिए विशिष्ट ऊतक है अथवा नहीं।
(c) पौधे बीज रहित हैं या बीज उत्पादित करने वाले हैं।
(d) पौधे नग्नबीजी हैं या फलों में बंद बीज वाले हैं।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 8

प्र० 5. जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 9
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 10

प्र० 6. वर्टीब्रेटा (कशेरुकी प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सभी कशेरुकी प्राणियों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं:
(i) नोटोकॉर्ड
(ii) पृष्ठनलीय कशेरुक दंड एवं मेरुरज्जु
(iii) त्रिकोरकी शरीर
(iv) युग्मित क्लोम थैली
(v) देहगुहा
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 11

वर्टिब्रेटा के निम्नलिखित पाँच वर्ग हैं:

  1. मत्स्यः ये जलवासी हैं। इनकी त्वचा पर शल्क पाए जाते हैं। ये क्लोम द्वारा श्वसन करते हैं। असमतापी (cold blooded) प्राणी हैं। ये अंडे देते हैं। इनका कंकाल उपास्थि/अस्थि का बना होता है।
    NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 7 (Hindi Medium) 12
  2. जल-स्थलचरः जल एवं थल दोनों में वास करते हैं। शल्कहीन, असमतापी, अंडप्रजक। इनमें श्वसन क्लोम द्वारा (लार्वा में) तथा फेफड़े द्वारा वयस्क में होता है।
  3. सरीसृपः त्वचा शल्कयुक्त, हृदय त्रिकक्षीय, परंतु मगरमच्छ में चार कक्षीय होता है। ये अंडे देने जल से बाहर आते हैं। इनमें अंडे कवच युक्त होते हैं।
  4. एविज ( पक्षी वर्ग): ये समतापी प्राणी हैं। ये अंडे देते हैं। इनका हृदय चार कक्षीय होता है। ये पंखों द्वारा उड़ान भरते हैं। इनका अग्रपाद पंखों में परिवर्तित हो जाता है। इनमें श्वसन फेफड़े द्वारा होता है। इनका शरीर पंखों से ढका होता है।
  5.  स्तनपायीः ये समतापी तथा बालयुक्त प्राणी हैं। इनका हृदय चार कक्षीय होता है। ये फेफड़े द्वारा श्वसन करते हैं। इनमें दुग्ध, स्वेद और तेल ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। ये शिशुओं को जन्म देती हैं।

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 131)

प्र० 1. निम्न में किसका जड़त्व अधिक है?
(a) एक रबर की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर।
(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी।
(c) पाँच रुपये का एक सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर-
(a) उसी आकार का पत्थर।
(b) एक रेलगाड़ी।
(c) पाँच रुपये का एक सिक्का। क्योंकि किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। जितना अधिक द्रव्यमान होगा, जड़त्व भी उतना ही अधिक होगा।

प्र० 2. नीचे दिए गए उदाहरण में गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का प्रयास करें-
“फुटबाल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।”
इसके साथ ही उस कारक की भी पहचान करें जो प्रत्येक अवस्था में बल प्रदान करता है।
उत्तर-
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अतः गेंद का वेग 4 बार परिवर्तित होता है तथा वस्तु को गति प्रदान करने या गति में परिवर्तन लाने के लिए खींचना, धकेलना या ठोकर लगाना (Push) पड़ता है।

प्र० 3. किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं। क्यों?
उत्तर- जब पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाया जाता है तो शाखाएँ गति में आ जाती हैं, परंतु पत्तियाँ विरामावस्था में ही रहती हैं। विराम-जड़त्व के कारण पत्तियाँ अपनी इसी अवस्था में रहना चाहती हैं अर्थात् पत्तियाँ अवस्था परिवर्तन का विरोध करती हैं। जिसके फलस्वरूप पत्तियाँ झड़कर गिर जाती हैं।

प्र० 4. जब कोई गतिशील बस अचानक रुकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते हैं? क्यों?
उत्तर-
(a) प्रथम स्थिति में – जब गतिशील बस अचानक रुकती है, इस स्थिति में हमारा शरीर भी गतिशील होता है। हमारे शरीर का निचला हिस्सा जो बस के साथ-साथ गतिशील है, तुरंत रुक जाता है। परंतु ऊपरी हिस्सा गति के जड़त्व के कारण अभी भी गतिशील ही रहना चाहता है। अतः बस में सवार व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है।

(b) दूसरी स्थिति में – जब हम ठहरी हुई बस में बैठे हों और अचानक बस चल पड़े तो हमारे शरीर का निचला भाग बस की सतह (Floor) के संपर्क में होने के कारण तुरंत गतिशील हो जाता है, परंतु शरीर का ऊपरी भाग विराम- जड़त्व (Inertia of Rest) के कारण विरामावस्था में ही रहने की चेष्टा करता है जिसके परिणामस्वरूप हम पीछे की ओर हो जाते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 140 )

प्र० 1. यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है?
उत्तर- न्यूटन के गति के तीसरे नियमानुसार क्रिया तथा प्रतिक्रिया बराबर तथा विपरीत दिशा में लगते हैं, परंतु दो भिन्न वस्तुओं पर। यहाँ घोड़ा आगे की है ओर झुककर किसी कोण पर अपने पाँवों से जमीन को दबाता है तथा जमीन घोड़े क्षैतिज घटक पर प्रतिक्रियात्मक बल लगाता है जो दो। भागों में बँट जाता है। बल का ऊर्ध्वाधर घटक घोड़े को संतुलन देता है जबकि क्षैतिज घटक गाड़ी को आगे की ओर गति देता है। यदि घर्षण बल (पहिए और सड़क के बीच) का मान क्षैतिज घटक से कम होता है तो गाड़ी आगे बढ़ जाती है।
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प्र० 2. एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है? स्पष्ट करें।
उत्तर- क्रिया तथा प्रतिक्रिया सदैव समान और विपरीत दिशा में होती है। पानी की धारा तीव्र वेग से आगे निकलती है तथा पीछे की ओर प्रतिक्रिया बल पाइप (नली) पर लगाता है जिसके कारण नली पीछे खिसकने लगती है और फिसलती है। यही कारण है कि अग्निशमन कर्मचारी को नली पकड़ने में कठिनाई होती है।

प्र० 3. एक 50 g द्रव्यमान की गोली 4 kg द्रव्यमान की रायफल से 35 ms-1 के प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है। रायफल के प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।
उत्तर- राइफल का द्रव्यमान (M) = 4 kg
50 गोली का द्रव्यमान (m) = 50 g = \(\frac { 50 }{ 1000 }\) kg
गोली का वेग (v) = 35 ms-1
राइफल का प्रतिक्षेपित (Recoil) वेग (V) = ?
संवेग संरक्षण के नियम द्वारा
राइफल का संवेग = गोली का संवेग = MV = mv
⇒ (4 kg) (V) = [\(\frac { 50 }{ 1000 }\) kg] (35 m/s)
⇒ V = \(\frac { 50 x 35 }{ 1000 x 4 }\) m/s = 0.4375 ms-1
अतः राइफल का प्रतिक्षेपित वेग = 0.4375 ms-1

प्र० 4. 100 g और 200 g द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में क्रमशः 2 ms-1 और 1 ms-1 के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात् प्रथम वस्तु का वेग 1.67ms-1 हो जाता है, तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात करें।
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पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशून्य वेग (non-zero velocity) से गति करना संभव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्ते का उल्लेख करें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
उत्तर- हाँ, किसी वस्तु के लिए अशून्य वेग से गति करना संभव है। ऐसा निम्नलिखित स्थितियों (शर्ते) में संभव हो सकता है
(a) जब वस्तु एक सीधी सरल रेखा में एकसमान चाल से चल रही हो।
(b) जब चाल के परिमाण (Magnitude of Speed) में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा हो।
(c) जब गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं हो।
(d) वायु का प्रतिरोध (Air Resistance) अवश्य ही शून्य होना चाहिए।
(e) जब वस्तु की सतह तथा जमीन के बीच घर्षण बल का मान शून्य हो।

प्र० 2. जब किसी छड़ी से एक दरी (कार्पेट) को पीटा जाता है, तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।
उत्तर- प्रारंभ में दरी तथा धूल के कण विरामावस्था में होते हैं। जब इन्हें किसी छड़ी से पीटा जाता है तो दरी में कंपन गति होने लगती है, परंतु धूलकण विराम में ही रहना चाहते हैं। अतः विराम-जड़त्व के कारण धूलकण अपनी अवस्था को बनाए रखना चाहते हैं जबकि दरी (कार्पेट) में गति होती है जिसके परिणामस्वरूप धूलकण बाहर निकल जाते हैं।

प्र० 3. बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?
उत्तर- बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से इसलिए बाँधा जाता है ताकि अचानक ब्रेक लगने पर तथा बस के अचानक खुलने की स्थिति में सामान पीछे की ओर नीचे तथा आगे की ओर नीचे न गिर जाए। बस के मुड़ने की स्थिति में भी सामान किनारे से गिर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बस की गति में परिवर्तन होने की स्थिति में सामान जड़त्व के कारण अवस्था परिवर्तन का विरोध करता है; जैसे-ब्रेक लगने पर बस रुकती है परंतु सामान गति में ही रहना चाहता है जिससे आगे खिसककर गिर सकता है। इसी प्रकार बस के अचानक खुलने पर बस गति में आ जाती है, परंतु सामान विराम-जड़त्व में ही रहना चाहता है और पीछे खिसककर गिर सकता है।

प्र० 4. किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात् गेंद रुक जाती है। गेंद रुकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि
(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
(d) गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है,
अतः गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है।
(सही विकल्प का चयन करें।)
उत्तर- (c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

प्र० 5. एक ट्रक विरामावस्था से किसी पहाड़ी से नीचे की ओर नियत त्वरण से लुढ़कना शुरू करता है। यह 20 s में 400 m की दूरी तय करता है। इसका त्वरण ज्ञात करें। अगर इसका द्रव्यमान 7 टन है तो इस पर लगने वाले बल की गणना करें। (1 टन = 1000 kg)
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प्र० 6. 1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 20 ms-1 के वेग से झील की जमी हुई सतह पर फेंका जाता है। पत्थर 50 m की दूरी तय करने के बाद रुक जाता है। पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल की गणना करें।
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प्र० 7. एक 8000 kg द्रव्यमान का रेल इंजन प्रति 2000 kg द्रव्यमान वाले पाँच डिब्बों को सीधी पटरी पर खींचता है। यदि इंजन 40000 N का बल आरोपित करता है। तथा यदि पटरी 5000 N का घर्षण बल लगाती है, तो ज्ञात करें
(a) नेट त्वरण बल
(b) रेल का त्वरण तथा
(c) डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल।
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प्र० 8. एक गाड़ी का द्रव्यमान 1500 kg है। यदि गाड़ी को 1.7 ms-2 के ऋणात्मक त्वरण (अवमंदन) के साथ विरामावस्था में लाना है, तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल कितना होगा?
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प्र० 9. किसी m द्रव्यमान की वस्तु जिसका वेग ७ है, का संवेग क्या होगा?
(a) (mv)²
(b) mv²
(c) (\(\frac { 1 }{ 2 }\)) mv²
(d) mv
(उपरोक्त में से सही विकल्प चुनें।)
उत्तर- (d) mv; चूँकि संवेग = द्रव्यमान x वेग होता है।

प्र० 10. हम एक लकड़ी के बक्से को 200 N बल लगाकर उसे नियत वेग से फ़र्श पर धकेलते हैं। बक्से पर लगने वाला घर्षण बल क्या होगा?
उत्तर- चूँकि लकड़ी के बक्से को नियत वेग (Constant velocity) से फ़र्श पर धकेला जाता है।
अतः 200 N का बल, घर्षण बल को संतुलित करने में ही लग जाता है अर्थात् इस बल का कोई भी भाग लकड़ी के बक्से में त्वरण उत्पन्न करने में नहीं लगता है।
अतः घर्षण बल = आरोपित बल = 200 N

प्र० 11. दो वस्तुएँ, प्रत्येक का द्रव्यमान 1.5 kg है, एक ही सीधी रेखा में एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गति कर रही हैं। टकराने के पहले प्रत्येक का वेग 2.5 ms-1 है। टकराने के बाद यदि दोनों एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं, तब उनका सम्मिलित वेग क्या होगा?
उत्तर- मान लीजिए कि पहली वस्तु बाएँ से दाएँ जाती है।
तथा दूसरी वस्तु दाएँ से बाएँ।
पहली वस्तु के लिए
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प्र० 12. गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं, तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें भी विपरीत दिशा में धक्का देती है। यदि वह वस्तु एक ट्रक है जो सड़क के किनारे खड़ा है; संभवतः हमारे द्वारा बल आरोपित करने पर भी गतिशील नहीं हो पाएगा। एक विद्यार्थी इसे सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दें और बताएँ कि ट्रक गतिशील क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर- प्रश्नानुसार एक विद्यार्थी द्वारा यह साबित किया गया कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं, बिलकुल गलत है क्योंकि दोनों बल दो भिन्न वस्तुओं पर आरोपित होते हैं इसलिए एक-दूसरे को निरस्त (Cancel) करने का प्रश्न नहीं उठता। वास्तव में ट्रक का द्रव्यमान अत्यधिक होने के कारण इसका जड़त्व बहुत अधिक होता है तथा हमारे द्वारा आरोपित बल का मान कम होने के कारण यह सड़क तथा पहिए के बीच घर्षण बल को खत्म कर पाने में असमर्थ होता है। अतः ट्रक को गतिशील करने के लिए अत्यधिक असंतुलित बल की आवश्यकता होती है।

प्र० 13. 200 g द्रव्यमान की एक हॉकी की गेंद 10 ms-1 की वेग से सीधी रेखा में चलती हुई 5 kg द्रव्यमान के गुटके से संघट्ट करती है तथा उससे जुड़ जाती है। उसके बाद दोनों एक साथ उसी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट के पहले और संघट्ट के बाद के कुल संवेगों की गणना करें। दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग की गणना करें।
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प्र० 14. 10 g द्रव्यमान की एक गोली सीधी रेखा में 150 ms-1 के वेग से चलकर एक लकड़ी के गुटके से टकराती है और 0.03 s के बाद रुक जाती है। गोली लकड़ी रुक जाती है। गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी? लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाए गए बल के परिमाण की गणना करें।
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प्र० 15. एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 1 kg है, 10 ms-1 के वेग से एक सीधी रेखा में चलते हुए विरामावस्था में रखे 5 kg द्रव्यमान के एक लकड़ी के गुटके से टकराती है। उसके बाद दोनों साथ-साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट के पहले तथा बाद के कुल संवेगों की गणना करें। आपस में जुड़े हुए संयोजन के वेग की भी गणना करें।
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प्र० 16. 100 kg द्रव्यमान की एक वस्तु का वेग समान त्वरण से चलते हुए 6s में 5 ms-1 से 8 ms-1 हो जाता है। वस्तु के पहले और बाद के संवेगों की गणना करें। उस बल के परिमाण की गणना करें जो उस वस्तु पर आरोपित है।
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प्र० 17. अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत तीव्र गति से चलती हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा, गाड़ी के सामने के शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अख्तर और किरण इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है। (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है।) अख्तर ने कहा कि चूंकि कार का वेग बहुत अधिक था अतः कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिवर्तन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर-
(a) किरण का यह मानना कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है। यह तर्क गलत है।

(b) अख़्तर का तर्क भी गलत है।

(c) राहुल का तर्क सही है। दोनों पर समान बल लगेगा क्योंकि क्रिया तथा प्रतिक्रिया समान परंतु विपरीत दिशा में क्रियाशील होते हैं। साथ ही, संवेग में परिवर्तन का परिमाण भी समान ही रहता है।
प्रारंभिक संवेग (टक्कर के पूर्व) = अंतिम संवेग (टक्कर के बाद)
i.e., [m1u1 + m2u2 = m1v1 +m2v2]
संवेग संरक्षण के नियमानुसार
स्पष्टतः दोनों वस्तुओं (कीड़े एवं कार) पर समान बल आरोपित होगा तथा संवेग में परिवर्तन भी समान होगा। कीड़े का द्रव्यमान अत्यधिक कम होने के कारण उसके वेग में बहुत अधिक परिवर्तन होता है जिससे वह शीशे से चिपक जाता है।

प्र० 18. एक 10 kg द्रव्यमान की घंटी 80 cm की ऊँचाई से फ़र्श पर गिरी। इस अवस्था में घंटी द्वारा फ़र्श पर स्थानांतरित संवेग के मान की गणना करें। परिकलन में सरलता हेतु नीचे की ओर दिष्ट त्वरण का मान 10 ms-2 लें।
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NCERT (पृष्ठ संख्या-144)

प्र० A1. एक वस्तु की गति की अवस्था में दूरी समय सारणी निम्नवत् है :
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(a) त्वरण के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? क्या यह नियत है? बढ़ रहा है? घट रहा है? या शून्य है?
(b) आप वस्तु पर लगने वाले बल के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर-
(a) जब समय t = 0, तो दूरी S = (0)3 = 0
जब t = 1, तो S = (1)3 = 1
जब t = 2, तो S = 23 = 8
इसी प्रकार, अन्य सभी मानों के लिए। अतः दी गई तालिका से स्पष्ट है कि [s ∝ t3]
अर्थात् दूरी ∝ (समय)3
चूँकि दूरी, समय के घन (Cube) के समानुपाती है अतः त्वरण समय के साथ एकसमान रूप से बढ़ रहा है।

(b) हम जानते हैं कि F = ma i.e., F ∝ a या a ∝ F चूँकि त्वरण का मान समय के साथ एकसमान रूप से बढ़ रहा है। अतः वस्तु पर आरोपित बल (लगने वाले बल) का मान भी समय के साथ एकसमान रूप से बढ़ेगा।

प्र० A2. 1200 kg द्रव्यमान की कार को एक समतल सड़क पर दो व्यक्ति समान वेग से धक्का देते हैं। उसी कार को तीन व्यक्तियों द्वारा धक्का देकर 0.2 ms-2 का त्वरण उत्पन्न किया जाता है। कितने बल के साथ प्रत्येक व्यक्ति कार को धकेल पाता है। (मान लें कि सभी व्यक्ति समान पेशीय बल के साथ कार को धक्का देते हैं।)
उत्तर- माना कि प्रत्येक व्यक्ति F बल लगाता है।
जब कार को दो व्यक्ति धक्का देते हैं तो कार में त्वरण उत्पन्न नहीं होता है अतः F + F = 2 F बल घर्षण बल (f) द्वारा संतुलित हो जाता है जो विपरीत दिशा से लगता है।
अतः f = 2F …(1)
वह बल जो कार में त्वरण उत्पन्न कर देता है।
= 3F – f
तीन व्यक्तियों द्वारा बल लगाने पर कार में त्वरण उत्पन्न होता है। i.e., F + F + F = 3 F
= 3F -2F [समी० 1 से मान रखने पर] = F
अत: F = m x a = 1200 kg x 0.2 ms-2 = 240 N

प्र० A3. 500 g द्रव्यमान के एक हथौड़े द्वारा 50 ms-1 वेग से एक कील पर प्रहार किया जाता है। कील द्वारा हथौड़े को बहुत कम समय 0.01 s में ही रोक दिया जाता है। कील के द्वारा हथौड़े पर लगाए गए बल का परिकलन करें।
उत्तर- हथौड़े का द्रव्यमान, m = 500 g = \(\frac { 500 }{ 1000 }\) = 0.5 kg
हथौड़े का प्रारंभिक वेग, u = 50 ms-1
अंतिम वेग, v = 0 (चूंकि हथौड़ा रुक जाता है)
समय, t = 0.01 s
त्वरण, g = ?
अब, गति के समीकरण v = u + at द्वारा
0 = 50 + a x 0.01 s
-50 = (0.01) a
a =- 5000 ms-2
हम जानते हैं कि F = m x a
⇒ F = (0.5 kg) x (-5000 ms-2) = – 2500 N
ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि कील के द्वारा लगाया
गया बल गति के विपरीत दिशा में होता है।

प्र० A4. एक 1200 kg द्रव्यमान की मोटरकार 90 km/h की वेग से एक सरल रेखा के अनुदिश चल रही है। उसका वेग बाहरी असंतुलित बल लगने के कारण 4 s में घटकर 18 km/h हो जाता है। त्वरण और संवेग में परिवर्तन का परिकलन करें। लगने वाले बल के परिमाण का भी परिकलन करें।
उत्तर-
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