Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 28 पहला, दूसरा और तीसरा दिन

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 28 पहला, दूसरा और तीसरा दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 28

प्रश्न 1.
पहले दिन की लड़ाई का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर:
पहले दिन के युद्ध में भीष्म ने पांडव सेना की बड़ी दुर्गति की। युधिष्ठिर के मन में भय छा गया। घबराहट के मारे वे श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण ने उनको धीरज बँधाया।

प्रश्न 2.
दूसरे दिन के युद्ध के बारे में लिखिए।
उत्तर:
दूसरे दिन के युद्ध में अर्जुन ने बड़ी कुशलता से युद्ध किया। अर्जुन और भीष्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ, परंतु हार जीत का कोई परिणाम नहीं निकला। धृष्टद्युम्न और द्रोण में भी भयंकर युद्ध हुआ। सात्यकि द्वारा छोड़े एक बाण से भीष्म का सारथी मारा गया। भीष्म के रथ के घोड़े बेकाबू होकर दौड़े जिससे सेना में खलबली मच गई। दूसरे दिन के युद्ध का अंत होते-होते कौरव सेना में आतंक छा गया।

प्रश्न 3.
तीसरे दिन के युद्ध में भीमसेन का बाण दुर्योधन को लगने से क्या घटना घटी ?
उत्तर:
तीसरे दिन के युद्ध में भीमसेन का बाण लगने से दुर्योधन घायल होकर रथ में ही गिर पड़ा। सारथी दुर्योधन को युद्ध भूमि से ले जाना चाहता था जिससे सेना को दुर्योधन के घायल होने के बारे में पता न चले। परंतु सारथी ने जो सोचा ठीक उसका उलटा हुआ। अनुशासन के टूटने से सेना में खलबली मच गई। सेना बेकाबू हो गई।

प्रश्न 4.
भीष्म के हमले का पांडव सेना पर क्या असर हुआ ?
उत्तर:
अपनी बिखरी सेना देखकर भीष्म ने पांडव सेना पर जोरदार से आक्रमण किया इस कारण पांडव सेना के पैर उखड़ गए। श्रीकृष्ण, अर्जुन और शिखंडी के प्रयत्नों के बावजूद सेना अनुशासन में नहीं रही।

प्रश्न 5.
श्रीकृष्ण भीष्म पर आक्रमण करने के लिए क्यों दौड़े ?
उत्तर:
भीष्म के बाणों से श्रीकृष्ण भी घायल हो गए। श्रीकृष्ण को क्रोध आया तो वे स्वयं ही भीष्म को मारने उनकी ओर दौड़े। उनके पीछे किसी अनर्थ की आशंका के कारण अर्जुन भी दौड़े वे किसी तरह श्रीकृष्ण को समझा-बुझा कर वापिस ले आए।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 28 पहला, दूसरा और तीसरा दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 28

कौरवों की सेना के अग्रभाग पर प्रायः दुःशासन रहते थे और पांडवों की सेना के आगे भीमसेन। पहले दिन के युद्ध में कौरवों की सेना ने भारी तबाही मचाई। भीष्म के हमले से पांडव सेना थर्रा उठी। पांडव युद्ध समाप्त हो जाने के बाद श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण ने सबको धीरज बँधाया। पहले दिन के युद्ध से सबक लेकर पांडव सेना के नायक धृष्टद्युम्न ने बड़ी सतर्कता से व्यूह रचना की। सारी कौरव सेना में केवल भीष्म, द्रोण व कर्ण ही अर्जुन का मुकाबला कर सकते थे। अर्जुन ने कौरव सेना पर बड़ी कुशल रणनीति बनाकर आक्रमण किया। भीष्म और अर्जुन के बीच बड़ा भयंकर युद्ध हुआ परंतु हार-जीत का कोई परिणाम नहीं निकला। उधर जन्मजात बैरी धृष्टद्युम्न और द्रोण में भयंकर युद्ध हुआ। सात्यकि के एक बाण से भीष्म का सारथी मारा गया। भीष्म के रथ के घोड़े बेकाबू होकर दौड़ पड़े। कौरव सेना में भारी तबाही मची। सूर्यास्त के बाद जब युद्ध बंद हुआ तब जाकर कौरव सेना की तबाही रुकी।

तीसरे दिन व्यूह रचना होने के बाद दोनों पक्ष फिर से युद्ध में लग गए। भीमसेन द्वारा चलाए गए एक बाण से दुर्योधन मूर्छित होकर रथ में गिर पड़ा। सारथी दुर्योधन का चुपचाप युद्ध भूमि से दूर ले जाना चाहता था जिससे कौरव सेना को पता न चले परंतु जैसा सारथी ने सोचा था ठीक उसका उलटा हुआ। कौरव सेना में खलबली मच गई। सेना अनुशासन में नहीं रही। भीष्म के लिए सेना को संभालना मुश्किल हो गया। तभी भीष्म ने पांडव सेना पर ऐसा हमला किया कि उनके पैर उखड़ गए। श्रीकृष्ण अर्जुन शिखंडी के प्रयत्नों के बाद भी सेना अनुशासन में नहीं रही। भीष्म के कई बाण अर्जुन व श्रीकृष्ण को को भी लगे। श्रीकृष्ण को बहुत क्रोध आया। वे स्वयं ही रथ से उतरकर भीष्म को मारने दौड़े। अर्जुन भी श्रीकृष्ण को रोकने उनके पीछे दौड़े। अर्जुन उत्तेजित होकर कौरव सेना पर वज्र के समान गिरा। हारी थकी कौरव सेना अपने शिविर में लौट गई।

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