NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 10 Traders, Kings and Pilgrims (Hindi Medium)
These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 6 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 10 Traders, Kings and Pilgrims.
पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न
1. क्या तुम बता सकती हो कि ये सिक्के भारत कैसे और क्यों पहुँचे होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-99)
उत्तर : रोम के व्यापारी समुद्री जहाज़ों तथा सड़क के रास्ते व्यापार करने के लिए दक्षिण भारत में आते थे और यहाँ | से काली मिर्च, कीमती पत्थर, सोना तथा मसाले आदि खरीदने के लिए रोम के सिक्कों का प्रयोग करते थे इस प्रकार रोम के सिक्के भारत पहुँचे।
2. कविता में उल्लिखित चीज़ों की एक सूची बनाओ। क्या तुम बता सकते हो कि इन चीज़ों का उपयोग किसलिए किया जाता होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-100)
उत्तर :
3. क्या तुम बता सकती हो कि श्री सातकर्णी तटों पर नियंत्रण क्यों करना चाहता था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-101)
उत्तर : श्री सातकर्णी तटों पर इसलिए नियंत्रण करना चाहता था क्योंकि तटों पर विदेशी व्यापारी आकर उतरते थे | और व्यापारियों कीमती उपहार लिए जाते थे तथा तटों के आसपास के इलाकों से भारी शुल्क वसूल किया जा सकता था जिसे राज्य की आय बढ़ सकती थी।
4. सिल्क रूट पर गाड़ियों का उपयोग क्यों कठिन होता होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-102)
उत्तर : सिल्क रूट पर गाड़ियों का उपयोग इसलिए कठिन होता होगा क्योंकि ये रास्ते दुर्गम पहाडी तथा रेगिस्तानी इलाके में स्थित थे।
5. चीन से समुद्र के रास्ते भी रेशम का निर्यात होता था। मानचित्र 6 ( पृष्ठ 84-85 ) में इसे ढूँढ़ो। समुद्र के रास्ते रेशम भेजने में क्या सुविधाएँ और क्या समस्याएँ आती होंगी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-102)
उत्तर : समुद्र के रास्ते रेशम भेजने में दुर्गम पहाड़ियाँ व रेगिस्तानी इलाके को पार करने परेशानियाँ नहीं होती थी, परंतु समुद्री रास्ते में तेज वर्षा तथा समुद्री तूफानी हवाओं के कारण समुद्री जहाज के रास्ता भूटकने या डूबने का खतरा रहता था।
6. बाएँ : मथुरा में बनी बुद्ध की एक प्रतिमा का चित्र। दाएँ : तक्षशिला में बनी बुद्ध की प्रतिमा का एक चित्र। इन चित्रों को देखकर बताओ कि इनके बीच क्या-क्या समानताएँ हैं और क्या-क्या भिन्नताएँ हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-104)
उत्तर : समानताएँ
- भगवान बुद्ध दोनों चित्रों में अभय मुद्रा में हैं।
- दोनों भगवान बुद्ध की उकेरी गई मूर्ति के चित्र हैं।
भिन्नताएँ
- एक चित्र में भगवान बुद्ध बैठे हुए हैं तथा दूसरे चित्र में भगवान बुद्ध खड़े हुए हैं।
- बैठी हुई मूर्ति में भगवान बुद्ध का शरीर कपड़ों से ढका हुआ है जबकि खड़ी हुई मूर्ति में भगवान बुद्ध की पीठ कपड़ों से ढकी हुई है।
7. पृष्ठ 100 को एक बार फिर पढ़ो। क्या तुम बता सकती हो कि बौद्ध धर्म इन इलाकों में कैसे फैला होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-105)
उत्तर : पृष्ठ 100 पर श्रीलंका और म्यांमार का वर्णन है। शायद यहाँ जो व्यापारी व्यापार करने के लिए आए होंगे। वे बौद्ध धर्म को मानते होंगे। श्रीलंका और म्यांमार के लोग व्यापारियों के विचारों से प्रभावित हुए होंगे। व्यापारिक संबंधों में वस्तुओं के आदान-प्रदान के साथ-साथ विचारों, भाषाओं, संस्कृति साहित्य, धर्म, खान-पान इत्यादि का भी आदान-प्रदान होता है इस प्रकार इन इलाकों में बौद्ध धर्म फैला होगा।
8. बताओ कि फा-शिएन अपनी पाण्डुलिपियों और मूर्तियों को क्यों नहीं फेंकना चाहता था। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-106)
उत्तर : फा-शिएन बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने पाण्डुलिपियाँ तथा मूर्तियाँ अपनी भारत यात्रा के दौरान संकलित की थी यह सब उसने काफी मेहनत तथा कई वर्षों तक भारत में घूम-घूम कर इकट्ठा किया था जिसे वह | फिर से प्राप्त नहीं कर सकता था इसलिए वह पाण्डुलिपियों और मूर्तियों को नहीं फेंकना चाहता था।
9. श्वैन त्सांग नालंदा में क्यों पढ़ना चाहता था, कारण बताओ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-106)
उत्तर : उस समय का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विद्या केंद्र नालंदा में था। नालंदा बौद्ध विद्या केंद्र शिक्षक योग्यता तथा बुद्धि में सबसे आगे थे। बुद्ध के उपदेशों का वह पूरी ईमानदारी से पालन करते थे। पूरे दिन वाद-विवाद चलते | ही रहते थे जिसमें युवा और वृद्ध दोनों ही एक-दूसरे की मद्द करते थे।
10. कवि सामाजिक प्रतिष्ठा और भक्ति में किसको ज्यादा महत्त्व देते हैं? । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-108)
उत्तर : कवि सामाजिक प्रतिष्ठा और भक्ति दोनों में से भक्ति को ज्यादा महत्त्व देते थे।
11. मानचित्र 6 ( पृष्ठ 84-85) देखो और पता लगाओ कि किस रास्ते से ईसाई धर्म प्रचारक भारत आए होंगे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-109)
उत्तर : ईसाई धर्म प्रचारक समुद्री मार्ग से भारत आए होंगे।
अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक पेज-109)
करीब 2000 साल पहले पश्चिमी एशिया में ईसाई धर्म का उदय हुआ। ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ, जो उस समय रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। ईसा मसीह ने स्वयं को इस संसार को उद्धारक बताया। उन्होंने दूसरों को प्यार देने और उसी तरह दूसरों पर विश्वास करने का उपदेश दिया, जिस तरह हर व्यक्ति दूसरों से प्यार और विश्वास की उम्मीद करता है।
बाइबिल में ईसा मसीह के उपदेश की बातें लिखी हैं। यहाँ इसका एक अंश दिया गया है।
धन्य हैं वे लोग जो धर्म और न्याय के लिए भूखे प्यासे रहते हैं,
उनकी कामनाएँ पूरी होंगी।
जो दयालु हैं, वे धन्य हैं, क्योंकि उन्हें दया मिलेगी।
धन्य हैं वे जो दिल से पवित्र हैं,
क्योंकि वे ईश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
धन्य हैं वे जो शांति स्थापित करते हैं,
वही ईश्वर की संतान कहलाएँगे।
ईसा मसीह के उपदेश साधारण लोगों को बहुत पसंद आए और धीरे-धीरे यह पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप में फैल गए। ईसा मसीह की मृत्यु के सौ साल के अंदर ही भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहले ईसाई धर्म प्रचारक, पश्चिमी एशिया से आए।
केरल के ईसाईयों को ‘सिरियाई ईसाई’ कहा जाता है क्योंकि संभवत: वे पश्चिम एशिया से आए थे, वे विश्व के सबसे पुराने ईसाईयों में से हैं।
मानचित्र 6 ( पृष्ठ 84-85) देखो और पता लगाओ कि किस रास्ते से ईसाई धर्म प्रचारक भारत | आए होंगे?
उत्तर : ईसाई धर्म प्रचारक रोमन शासकों के नियंत्रण वाले मार्गों से भारत आए होंगे।
कल्पना करो।
तुम्हारे पास कोई पाण्डुलिपि है, जिसे एक चीनी तीर्थयात्री अपने साथ ले जाना चाहता है। उसके साथ अपनी बातचीत का वर्णन करो।
उत्तर : छात्र स्वयं करें।।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
आओ याद करें
1. निम्नलिखित के उपयुक्त जोड़े बनाओ
उत्तर :
2. राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे?
उत्तर : शासक कर के लाभ के लिए रेशम मार्ग पर नियंत्रण करना चाहते थे, क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे, व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफों के माध्यम से लाभ मिलता था।
3. व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए इतिहासकार किन-किन साक्ष्यों का उपयोग करते हैं?
उत्तर : इतिहासकार, व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए बर्तनों का उपयोग करते हैं, ऐसा अनुमान
लगाया जाता है कि जहाँ ये बर्तन बनते थे, वहाँ से व्यापारी अलग-अलग जगहों पर ले गए होंगे।
4. भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर : भक्ति की मुख्य विशेषताएँ हैं|
- किसी देवी या देवता के प्रति श्रद्धा को ही भक्ति कहा जाता है। भक्ति का पथ सबके लिए खुला था, चाहे वह धनी हो या गरीब, ऊँची जाति का हो या नीची जाति का, स्त्री हो या पुरुष।
- भक्ति मार्ग अपनाने वाले लोग आडंबर के साथ पूजा-पाठ करने के बजाए ईश्वर के प्रति लगन और व्यक्तिगत पूजा पर जोर देते थे।
- भक्ति परंपरा ने चित्रकला, शिल्पकला और स्थापत्य कला के माध्यम से अभिव्यक्ति की प्रेरणा दी है।
आओ चर्चा करें।
5. चीनी तीर्थयात्री भारत क्यों आए? कारण बताओ।
उत्तर : चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फा-शिएन, इत्सिग और श्वैन त्सांग भारत की यात्रा पर आए थे। वे सब बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों और प्रसिद्ध मठों को देखने के लिए आए थे इसलिए वे सबसे पहले बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों से परिचित हुए। वे प्रसिद्ध मठों को देखने गए। उन्होंने किताबों और बुद्ध की मूर्तियों को इकट्ठा किया। श्वैन त्सांग तथा अन्य तीर्थयात्रियों ने उस समय के सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विद्या केंद्र नालंदा (बिहार) में अध्ययन किया। यह उस समय का प्रसिद्ध बौद्ध मठ था।
6. साधारण लोगों का भक्ति के प्रति आकर्षित होने का कौन-सा कारण होता है?
उत्तर : साधारण लोग भक्ति मार्ग या परंपरा की ओर इसलिए आकर्षित हुए, क्योंकि हमारी वैदिक परंपरा बहुत कठोर थी, इसमें जाति व वर्गों को ध्यान में रखा जाता था। यह कुछ लोगों को ही पूजा करने की अनुमति नहीं देता था। वे मंदिर में भी प्रवेश नहीं कर सकते थे, लेकिन भक्ति का पथ सबके लिए खुला था, चाहे वह धनी हो या गरीब, ऊँची जाति का हो या नीची जाति का, स्त्री हो या पुरुष। । आओ करके देखें
7. तुम बाज़ार से क्या-क्या सामान खरीदती हो उनकी एक सूची बनाओ। बताओ कि तुम जिस शहर या गाँव में रहती हो, वहाँ इनमें से कौन-कौन सी चीजें बनी थीं और किन चीजों को व्यापारी बाहर से लाए थे?
उत्तर :
बाजार से खरीदी गई वस्तुओं की सूची
1. कपड़े
2. मिट्टी से बनी वस्तुएँ।
3. चावल
4. जूते।
5. किताबें
ऊपर दी गयी वस्तुओं में किताबें, कपड़े तथा जूते व्यापारियों द्वारा बाहर से लाए जाते हैं, जबकि मिट्टी से बनी वस्तुएँ व चावल शहर या गाँव में ही उपलब्ध होते हैं।
8. आज भारत में लोग बहुत तीर्थयात्राएँ करते हैं। उनमें से एक के विषय में पता करो और एक संक्षिप्त विवरण दो। ( संकेत : तीर्थयात्रा में स्त्री, पुरुष या बच्चों में से कौन जा सकते हैं? इसमें कितना वक्त लगता है? लोग किस तरह यात्रा करते हैं? वे अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या ले जाते हैं? तीर्थ स्थानों पर पहुँचकर वे क्या करते हैं? क्या वे वापिस आते समय कुछ लाते हैं?)
उत्तर : लोग बहुत सारे स्थानों पर पूजा (तीर्थयात्राएँ) करते हैं, इनमें से एक स्थान हरिद्वार है। यह हिंदुओं के लिए बहुत प्रसिद्ध स्थान है, यहाँ हर कोई व्यक्ति जा सकता है। यह लोगों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ गंगा नदी पहाड़ों से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है और लोग इस स्थान पर धार्मिक स्नान कर सकते हैं। गंगा का उदगम हिमालय में हुआ है, यहाँ भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं के बहुत सारे मंदिर हैं। सावन के महीने में लोग यहाँ उत्साह के साथ घूमने आते हैं और गंगा जल के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। वे पवित्र गंगा जल लेकर विभिन्न स्थानों के लिए पैदल यात्रा करते हैं।
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