NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

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खानपान की बदलती तस्वीर NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14

Class 7 Hindi Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Questions and Answers

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. पिछले दस-पंद्रह वर्षों …………………… अजनबी नहीं रहे।

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत के व्यंजन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
इटली-डोसा-बड़ा-सांभर-रसम दक्षिण भारत के व्यंजन हैं।

प्रश्न 2.
ढाबा संस्कृति क्या है ?
उत्तर:
सड़कों के किनारे छोटे-छोटे रैस्टोरेंटनुमा खाने की दुकानों को ढाबा कहा जाता है। ढाबा अक्सर उत्तर भारत में होते हैं। लोग इन ढाबों पर खाना खाते हैं परन्तु आज ये पूरे भारत में फैल गए हैं।

प्रश्न 3.
फास्ट फूडं क्या है? इनका चलन क्यों बढ़ा है ?
उत्तर:
बहुत शीघ्रता से तैयार होने वाले व्यंजन जैसे बर्गर, नूडल्स आदि फास्टफूड की श्रेणी में आते हैं। आज भागम-भाग जीवन के कारण इन चीजों का चलन बढ़ गया है।

2. मुंबई की पाव-भाजी …………………… सचमुच दुःसाध्य है।

प्रश्न 1.
मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में किस प्रकार बड़ी हुई है?
उत्तर:
मुंबई की पाव-भाजी अब केवल मुंबई तक ही सीमित नहीं है वरन् सम्पूर्ण भारत में लोग पाव-भाजी खाने लगे हैं। इसी प्रकार दिल्ली के छोले कुलचे भी अब हर जगह मिल सकते हैं।

प्रश्न 2.
मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे में पहले वाली बात क्यों नहीं रही?
उत्तर:
अन्य वस्तुओं का महत्त्व बढ़ जाने के कारण और पहले जैसी शुद्ध चीज न मिलने के कारण इनकी गुणवत्ता में बहुतः . अंतर आ गया है। अब लोग पहले जितनी मेहनत नहीं करना चाहते।

प्रश्न 3.
महिलाओं के लिए अब क्या दुःसाध्य हो गया है?
उत्तर:
महिलाओं के लिए अब ऐसे कार्य दुःसाध्य हो गए हैं जिनमें मेहनत व समय अधिक लगता है और फल कम प्राप्त होता है। खरबूजे के बीज सुखाना और उनको-छीलना ऐसे ही कार्य हैं।

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3. आजादी के बाद ………………………. खानपान-विशेष से जुड़ी हुई है।

प्रश्न 1.
खानपान की चीजें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में किस प्रकार पहुँची हैं?
उत्तर:
उद्योग-धंधों और नौकरियों में तबादले के कारण एक स्थान का व्यक्ति दूसरे स्थान पर अपनी जीविका के लिए जाता है इस प्रकार उसके साथ उसका खान-पान भी दूसरी जगह पहुँच जाता है।

प्रश्न 2.
खानपान की यह संस्कृति राष्ट्रीय एकता में किस प्रकार सहायक हो सकती है?
उत्तर:
खानपान की यह संस्कृति तरह-तरह के लोगों को नज़दीक लाती है जैसे विद्यालयों में देखते हैं कि वहाँ सभी धर्म-जाति और क्षेत्रों के विद्यार्थी पढ़ते हैं वे सभी खान-पान के समय एक दूसरे के नज़दीक आते हैं। अब वे एक दूसरे को बड़ी नज़दीकी से समझ सकते हैं। भाषा और बोलचाल के द्वारा एक-दूसरे के नजदीक आयेंगे।

खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। हम अक्सर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेना चाहते हैं।

प्रश्न 1.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद क्यों नहीं ले पा रहे हैं?
उत्तर:
उत्तर जब हम किसी पार्टी या प्रीतिभोज में जाते हैं तो वहाँ अलग-अलग तरह की चीजें खाने के लिए रखी होती हैं। खाने वाला ठीक प्रकार से खाने की वस्तुओं का चयन ही नहीं कर पाता। सबका स्वाद आपस में गड्डमगड्ड हो जाता है।

प्रश्न 2.
खान-पान की संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है परन्तु हम उनका लाभ क्यों नहीं उठा पाते?
उत्तर:
जब हम किसी पार्टी आदि में भोजन करते हैं तो अक्सर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन एक साथ परोस लेना चाहते हैं। इस प्रकार हम उन व्यंजनों का लाभ नहीं उठा पाते।

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निबंध से

प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?
उत्तर:
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है एक ही स्थान पर तरह-तरह और अलग-अलग स्थानों के व्यंजनों का होना जैसे किसी परिवार में पाव-भाजी, छोले कुल्चे व चाइनिज फूड आदि का खाया जाना। ये सभी खाद्य पदार्थ अलग-अलग स्थानों एवं राज्यों के व्यंजन हैं। भारत में उत्तरी क्षेत्र में और तरह के व्यंजन होते हैं तथा दक्षिण में और तरह के। गुजरात का ढोकला और खांडवी भी आजकल हर जगह मिलते हैं और बंगाल का रसगुल्ला भी हर जगह मौजूद है।

प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है ?
उत्तर:
खानपान के बदलाव के अनेक फायदे हैं जैसे हम हर तरह एवं हर स्वाद का भोजन कर सकते हैं। एकतरह का भोजन . करने से हमें एक तरह के ही तत्त्वं भोजन से प्राप्त होते हैं। दूसरा फायदा यह है कि जब हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो आसानी से हम अपने को वहाँ के माहौल में ढाल लेते हैं।

लेखक इस बदलाव से इसलिए चिंतित है क्योंकि हम खाते समय परस्पर विरोधी प्रकृतिवाले व्यंजनों को एक साथ खाने लगते हैं। इस बदलाव के कारण हमारे स्थानीय व्यंजन लुप्त होते जा रहे हैं। साथ ही उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
स्थानीयता का अर्थ उन व्यंजनों से है जो किसी स्थान विशेष के परंपरागत व्यंजन हैं। जैसे दिल्ली के छोले-भटूरे, मथुरा के पेड़े और आगरा का पेठा तथा घरों में बनने वाले व्यंजन जैसे सब्जी-पूड़ी आदि। इन चीजों को विशेष अवसरों पर अवश्य बनाया जाता है परन्तु धीरे-धीरे इनका महत्त्व कम होता जा रहा है। बहुत-सी चीजें अब केवल पाँच सितारा होटलों तक ही सीमित रह गई हैं।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर:
घर में बनने वाली चीजें – दाल, सब्जी रोटी-पूड़ी, खीर, दलिया, खिचड़ी आदि
बाज़र से आने वाली चीजें – मिठाई, समोसे, पकोड़ी, जलेबी, आइसक्रीम आदि।

प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़
आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर 1
उत्तर:
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प्रश्न 4.
छौंक चावल कढ़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा-
सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव-भाजी
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
उत्तर:
सन् साठ का दशक – पतलून, कमीज, सलवार, साड़ी
सन् सत्तर का दशक – बैलबाटम, कुर्ता पाजामा
सन् अस्सी का दशक – पेंट, शर्ट, टाई, सूट, जींस
सन् नब्बे का दशक – जींस, पेंट, टी शर्ट

प्रश्न 6.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर:
हलवा, पूड़ी सब्जी
छोले-चावल
गाजर का हलवा
आलू गोभी की सब्जी और रोटी
प्याज, टमाटर, खीरे का सलाद
बूंदी, लौकी या आलू से बना रायता
बूंदी वाली छाछ
आम एवं नींबू का अचार

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फिल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होने वाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
खानपान में मिलावट अनेक रोगों को जन्म देती है। इस मिलावट के कारण हमारा पाचन तंत्र खराब हो जाता है जिसके कारण पेट की अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। गलत खान पान से नेत्र ज्योति भी कमजोर होती है तथा हृदय से जुड़ी अनेक बीमारियाँ पैदा होती हैं यहाँ तक कि कैंसर और टी.बी. जैसी बीमारियाँ गलत खान-पान के कारण ही होती हैं।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-
सीना-पिरोना भला-बुरा – चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा कहा-सुनी घास-फूस
उत्तर:
सामासिक शब्दों का वाक्य में प्रयोग

  • सीना-पिरोना – पहले लड़की के लिए सीना-पिरोना ही मुख्य काम माना जाता था।
  • भला-बुरा – समझदार व्यक्ति अपना भला-बुरा स्वयं देख लेता है।
  • चलना-फिरना – मरीज ने चलना-फिरना शुरू कर दिया है।
  • लंबा-चौड़ा – हमारे विद्यालय का मैदान लंबा-चौड़ा है।
  • कहा-सुनी – मेरी किसी बात को लेकर मोहन के साथ कहा-सुनी हो गई।
  • घास-फूस – मजदूर घास-फूस के घर बनाकर रहते हैं।

प्रश्न 2.
कई बार शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम…
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

कुछ करने को

उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है?

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खानपान की बदलती तस्वीर Summary

पाठ का सार

पिछले दस-पन्द्रह वर्षों में हमारे खानपान में बहुत बदलाव आया है। अब एक क्षेत्र के व्यंजन वहीं तक सीमित न रहकर सब जगह फैल गए हैं। अब दक्षिण के व्यंजन उत्तर में और उत्तर की ढाबा संस्कृति दक्षिण में नज़र आती है। अंग्रेजी राज तक ब्रेड साहबी ठिकानों तक ही सीमित थी। वह आज कस्बों, गाँवों तक पहुँचकर लाखों करोड़ों लोगों के घरों में नाश्ते के रूप में प्रयोग हो रही है। खान-पान के इस बदलाव से नई पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। स्थानीय व्यंजन घटकर अब कुछ चीज़ों तक सीमित रह गए हैं। बंबई की पाव भाजी और दिल्ली के छोले कुलचों की दुनिया बढ़ गई है परन्तु आगरे का पेठा और मथुरा के पेड़ों का दायरा घट गया है-क्वालिटी भी पहले वाली नहीं रही है। मौसमी व्यंजनों के बनाने का चलन भी अब उतना नहीं रहा। महिलाएँ भी अब इस प्रकार के व्यंजनों को दुःसाध्य समझने लगी हैं। जहाँ स्थानीय व्यंजनों में कमी आ रही है वहीं देशी-विदेशी व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिनको आसानी से बनाया जा सके। इसका कारण आज जीवन की भागम-भाग है। मँहगाई के कारण भी लोग कई चीजों से वंचित हो गए हैं।

अब खानपान की एक मिश्रित संस्कृति बन गई है। गृहिणियाँ और कामकाजी महिलाएँ जल्दी तैयार होने वाले व्यंजनों को बनाना पंसद करती हैं। नयी-पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है। आजादी के बाद उद्योग धंधों एवं दूर-दूर नौकरियों के कारण सभी संस्कृतियों के लोग आपस में मिल गए हैं। इनसे उनका खान-पान भी एक दूसरे लोगों ने अपना लिया है। विद्यालयों में हर क्षेत्र के लोगों के बच्चे पढ़ते हैं। उनके टिफिन में तरह-तरह के व्यंजन होते हैं। सभी बच्चे उनसे परिचित हो जाते हैं। स्थानीय व्यंजन धीरे-धीरे गायब होने लगे हैं। पाँच सितारा होटलों में वे कभी-कभार मिलते रहते हैं। जो चीजें उत्तर भारत में गली मुहल्ले में आम हुआ करती थीं वे अब खास दुकानों में ही उपलब्ध हैं। पश्चिम की नकल में हमने कई चीजें ऐसी अपना ली हैं जो स्वास्थ्य और स्वाद के मामले में हमारे अनुकूल नहीं हैं। प्रीतिभोज पार्टियों में इतने व्यंजन होते हैं कि किसी का ठीक से स्वाद भी नहीं ले सकते कभी -कभी तो विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेते हैं। आज लगता है खानपान की यही मिश्रित संस्कृति अधिक विकसित होने वाली है।

शब्दार्थ : चलन-रिवाज़; विज्ञापित-प्रचारित; गुणवत्ता-क्वालिटी (Quality); दुःसाध्य-जिसको साधना (करना) मुश्किल हो; व्यंजन-पकवान; निखालिस-शुद्ध; बोली-बानी-बोलचाल की भाषा; प्रचारार्थ-प्रचार के लिए; सरसता-रसीला/स्वादिष्ट; प्रीतिभोज-पार्टी आदि; गड्डमगड्-आपस में मिल जाना; मिश्रित-मिली-जुली; पुनरुद्वार-फिर से उद्धार करना, ऊपर उठाना; विनिहित-रखा हुआ।

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