Author name: Raju

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
उत्तर
लेखिका के व्यक्तित्व पर दो लोगों का प्रभाव पड़ा-
उसके पिता जी का प्रभाव : लेखिका के जीवन में पिता जी का ऐसा प्रभाव पड़ा जिससे उसके मन में हीनता की ग्रंथि बन गई जिससे वह कभी उबर नहीं पाई। यह कुंठा लेखिका के मन को और आत्मविश्वास को हिलाकर रख देती थी। पिता जी ने ही उसमें देश-प्रेम की भावना जगाई थी।

प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव : शीला अग्रवाल ने साहित्य और अपनी जोशीली बातों से, लेखिका की अंकुरित देश-प्रेम की भावनाएँ विस्तृत शाखाओं के रूप में फैले विशाल वृक्ष जैसी बन गईं और चल पड़ी वह आंदोलन के रास्ते पर। परिणाम यह हुआ कि हड़ताल, भाषण आदि में उनका ही नेतृत्व रहने लगा।

प्रश्न 2.
इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?
उत्तर
पिता जी के विचार में रसोई तक लड़की को सीमित कर देना उसकी प्रतिभा को कुंठित कर देना है, जिसमें रहकर अपनी प्रतिभा के प्रयोग का अनुकूल समय नहीं मिलता है। इसलिए पिता जी नहीं चाहते थे लेखिका रसोई तक सीमित रहे। पिता जी की दृष्टि में रसोई एक ऐसा भटियारखाना है जहाँ भट्टी सुलगती ही रहती है, किसी-न-किसी के लिए कुछ बनता ही रहता है। वहाँ काम करते हुए योग्यता के अनुकूल कार्य करने, सोचने का समय नहीं मिलता है।

प्रश्न 3.
वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर
लेखिका के पिता को एक पत्र मिला जिसमें प्रिंसिपल ने मन्नू के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात लिखी थी। यह पढ़कर उसके पिता बहुत नाराज हुए। पिता

जी को जब पता चला कि कॉलेज में बेटी का बहुत प्रभाव है। सारी लड़कियों पर इतना रौब है कि उसके बिना लड़कियाँ क्लास में भी नहीं जातीं। प्रिंसिपल को कॉलेज चलाना मुश्किल हो गया है। यह जानकर पिता जी गौरवान्वित हो उठे। यह सब सुन लेखिका आश्चर्यचकित थी।

प्रश्न 4.
लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शों में लिखिए।
उत्तर
लेखिका के पिता जी लेखिका को घर की चारदीवारी में रखकर देश और समाज के प्रति जागरूक तो बनाना चाहते थे, किंतु एक निश्चित सीमा तक। वे नहीं चाहते थे। वह आंदोलनों में भाग ले, हड़ताल कराए या लड़कों के साथ सड़क नापती फिरे, किंतु लेखिका ने वह सब किया जो पिता जी नहीं चाहते थे। फलस्वरूप वैचारिक टकराहटें

बढ़ीं। लेखिका के लिए अब स्वीकार नहीं कि पिता जी उसकी स्वतंत्रता की सीमाओं को इतना संकुचित कर दें जिसमें घुटन हो। अतः दोनों में टकराहट बढ़ी।

प्रश्न 5.
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर
स्वाधीनता आंदोलन के समय लोगों में इतना उत्साह था कि ऐसे माहौल में घर में बैठना संभव नहीं हो रहा था। इसी समय प्राध्यापिका शीला अग्रवाल की जोशीली बातों से लेखिका को प्रेरणा मिली। देश-प्रेम की भावनाओं ने जो पिता जी की भागीदारी से स्थान बना लिया था वो भावनाएँ फूट पड़ीं और चल पड़ीं उसी आंदोलन की राह पर। सभी कॉलेजों, स्कूलों, दुकानों के लिए हड़ताल का आह्वान किया। जो-जो नहीं कर रहे थे, छात्रों का एक बहुत बड़ा समूह वहाँ-वहाँ जाकर हड़ताल करवाता। जगह-जगह भाषण देना, हाथ उठाकर नारे लगवाना, हड़ताले करवाना आदि में लेखिका अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर
यद्यपि लेखिका लड़कों वाले खेल खेलती थी, लड़कों के साथ खेलती थी तथापि उसका दायरा सीमित था। परिवार और परिवार से हटकर पड़ोस, जो परिवार का ही हिस्सा होता था। पड़ोस तक फैली हुई घर की चारदीवारी से बाहर नहीं।

आज परिस्थितियाँ पूर्णतः भिन्न हैं। पड़ोस से बिलकुल भिन्न हैं, कटी हुई हैं, हाँ, पड़ोस से दूर, माता-पिता की दृष्टि से दूर लड़कों के साथ खेलती हैं और खेल सकती हैं, पर गिल्ली-डंडा नहीं, अन्य खेल । ये खेल उस संस्कृति से भिन्न हैं। आज लड़कियों प्रतिस्पर्धात्मक खेल खेलती हैं जिसके लिए परिवार प्रोत्साहित करता है। परिणाम यह है कि लड़कियाँ खेल के क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं। टेबिल-टेनिस, हॉकी, दौड़ आदि खेलों में बिना किसी संकोच के रुचि ले रही हैं।

प्रश्न 7.
मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपना विचार लिखिए।
उत्तर
‘पड़ोस-कल्चर’ मनुष्य के जीवन में अहम भूमिका निभाता है। आदर्श के जितने मापदंड होते हैं वे प्रायः पड़ोस की देन होते हैं। परस्पर समूह का बोध पड़ोस से ही होता है। सहानुभूति और सहयोग की भावना का उदय पड़ोस से ही होता है। बड़ी-से-बड़ी विपन्नावस्था में मनुष्य धैर्य बनाए रखता है, क्योंकि पड़ोस उसे टूटने नहीं देता, निराश नहीं होने देता। कोई व्यक्ति अकेले होने का अनुभव नहीं करता है।

इसके विपरीत महानगरों की फ्लैट संस्कृति ने लोगों को पड़ोस की संस्कृति से अलग कर दिया है। वह अकेला है, असुरक्षित है। स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि फ्लैट में परिवार के साथ रहते हुए भी अपने बंद कनरे तक सीमित हो गया है। व्यस्तता इतनी है कि सामान्य बातें-कुशलता पूछने जैसी परंपरा को भी भूलता जा रहा है। अतः वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि पड़ोस संस्कृति अपेक्षाकृत फ्लैट संस्कृति से अच्छी थी। मनुष्य के सर्वांगीण विकास में पड़ोस की जितनी भूमिका होती है उतनी अन्य किसी की नहीं।

प्रश्न 8.
लेखिका दुवारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर
पाठ के अनुसार लेखिका दुवारा पढ़े गए उपन्यास निम्नलिखित हैं-

  1. सुनीता
  2. शेखर एक जीवनी
  3. नदी के द्वीप
  4. त्याग-पत्र
  5. चित्रलेखा।

छात्र अपने विद्यालय के पुस्तकालय से इन उपन्यासों को खोजें तथा पढ़े । साहित्य पढ़ने से साहित्य के प्रति रुचि बढ़ती है। साहित्यिक प्रतिभा का विकास होता है। अतः पठनीय पुस्तकें पढ़ें।

प्रश्न 9.
आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर
यद्यपि परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी नहीं है, किंतु अनुभवों को लिखकर लेखन-प्रवृत्ति में वृधि कर सकते हैं। अतः छात्र स्वयं अपने अनुभवों को लिखने की शुरूआत करें।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। | रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला।
उत्तर

  1. जब मैं फिल्म देखकर घर आया तो मेरे घर बैठे अध्यापक ने पिता जी के सामने अच्छी खासी लू उतारी।
  2. मेरा मित्र ऐसा है कि बात-बात पर पिता जी से शिकायत करता है, पिता जी गुस्सा होते हैं। फिर पता चलता है कि वह आग लगाकर खुश है।
  3. रमेश के फेल होने पर सब लोग थू-थू कर रहे थे।
  4. मोहन थोड़ी-सी मजाक करने पर आग-बबूला हो उठता है।

पाठेतर सक्रियता

• इस आत्मकथ्य से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे लेखिको का परिचय साहित्य की अच्छी पुस्तकों से हुआ। आप इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। कौन जानता है कि आप में से ही काई अच्छा पाठक बनने के साथ-साथ अच्छा रचनाकार भी बन जाए।
• लेखिका के बचपन के खेलों में लँगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो आदि शामिल थे। क्या आप भी यह खेल खेलते हैं। आपके परिवेश में इन खेलों के लिए कौन-से शब्द प्रचलन में हैं। इनके अतिरिक्त आप जो खेल खेलते हैं उन पर चर्चा कीजिए।
• स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और उनमें से किसी एक पर प्रोजेक्ट तैयार कीजिए।
उत्तर
छात्र स्वयं करें ।

यह भी जानें

डायरी : डायरी ऐसे लिखें। नमूना इस प्रकार है-
30 मार्च, 20xx शुक्रवार
आज सुबह पापा ने जल्दी से मुझे उठाया और कहा, “देखो-देखो, बारिश हो रही है, ओले गिर रहे हैं। बहुत ठंड पड़ रही है।” फिर मैं जल्दी से उठा और पापा से कहा, दीदी को भी उठाओ।” फिर हमने देखा कि हमारे घर के सामने वाले ग्राउंड में हरी-हरी घास पर सफेद-सफेद ओले गिर रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो किसी ने चमेली के फूल गिरा रखे हैं। बहुत अच्छा लग रहा था। ओले पड़ रहे थे। बारिश हो रही थी, चिड़िया भाग रही थी, कौए परेशान थे, पेड़ काँप रहे थे, बिजली चमक रही थी, बादल डरा रहे थे। एक चिड़िया हमारी खिड़की पर डरी-डरी बैठी थी। बहुत देर तक बैठी। रही। फिर उड़ गई। अभी तक कोई बच्चा खेलने नहीं निकला। इसलिए मैं आज जल्दी डायरी लिख रहा हूँ। सुबह के दस बजे हैं। मैं अपना सीरियल देखने जा रहा हूँ। आज मेरा न्यू इंक पेन और पेंसिल बॉक्स आया। आज दोपहर को धूप निकली, फिर हम खेलने निकले। आजकल हम लोग मिट्टी के गोले बना के सुख देते हैं फिर हम उनके ऊपर पेंटिंग करते हैं उसके बाद फिर उनसे खेलते हैं।

जानिए लँगड़ी की कुश्ती कैसे खेली जाती है-
एक स्थान में बीच की लाइन के बराबर फासले पर दो लाइनें खींची जाती हैं। दो खिलाड़ी बीच की लाइन पर आकर लँगड़ी बाँधकर अपने मुकाबले वाले को अपनी-अपनी लाइन के पार खींच ले जाने की कोशिश करते हैं। जिसकी लँगड़ी टूट जाती है अथवा जो खिंच जाता है उसकी हार होती है। यह खेल टोलियों में भी खेला जाता है। दिए हुए समय के अंदर जिस टोली के अधिक बच्चे लँगड़ी तोड़ देते हैं अथवा खिंच जाते हैं उस टोली की हार होती है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे ताकि वे वहाँ पर अपनी बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करके ढेर सारा धन कमा सकें।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था? ।
उत्तर
लेखक का घर ग्वालियर में था। अब वह मुंबई के वर्सावा में रहता है।

प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर
पहले लोग बड़े-बड़े घरों में संयुक्त परिवार के रूप में रहते थे किंतु अब सब लोग व्यक्तिवादी भावना से अभिभूत हैं इसलिए अब जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर
कबूतर परेशानी में इसलिए फड़फड़ा रहे थे क्योंकि उनके दोनों अंडे फूट गए थे। एक को बिल्ली ने खा लिया था तो दूसरा लेखक की माँ के हाथ से टूट गया था।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर
अरब में लशकर को नूह के नाम से इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वे सारी उम्र रोते रहे। उनके रोने का कारण एक जख्मी कुत्ता था जिसे उन्होंने दुत्कार दिया था।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं। उनका कहना था कि इससे पेड़ रोते हैं, बदुआ देते हैं।

प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर
प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम यह हुआ कि मौसम अनिश्चित हो गया। अब गरमी में ज्यादा गरमी पड़ने लगी है, बेवक्त की बरसातें होने लगी हैं, तूफ़ान, भूकंप, बाढ़, नए-नए रोगों का प्रकोप बढ़ चला है।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर
लेखक की माँ कबूतर के एक अंडे को बिल्ली की पहुँच से दूर करने के लिए स्टूल पर चढ़कर सुरक्षित रखने लगी, परंतु अंडा उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इसके प्रायश्चित में उन्होने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
समय के साथ लेखक ने अनेक बदलाव महसूस किए। जहाँ पहले हरियाली थी, पशु-पक्षी उन्मुक्त विचरण करते थे, उन जंगलों | को काटकर चौड़ी सड़कें और मानव बस्तियाँ बनी दी गईं। आज मनुष्य आत्मकेंद्रित हो गया है तथा भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं।

प्रश्न 6.
‘डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘डेरा डालने’ को आशय है-अस्थाई रूप से बसना । अकसर खानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर रहती हैं क्योंकि उनके स्थायी घर नहीं होते। पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बड़ी-बड़ी बस्तियाँ बनने के कारण पेड़ों के कटने से अनेक पशु-पक्षियों के आश्रय छिन गए। अब उन्होंने इधर-उधर डेरा डाल लिया अर्थात् रहने के लिए घोंसले बना लिए।”

प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता भोजन कर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। माँ दुद्वारा यह पूछने पर कि क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? वे बोले, यह बात नहीं है पर मैंने किसी घर वाले को बेघर कर दिया है। उसे उसके घर कुएँ पर छोड़ने जा रहा हूँ। इससे पता चलता है कि वे शीघ्र ही अपनी भूल का प्रायश्चित कर लेना चाहते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बढ़ती आबादी ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर रख दिया है। मानव ने समुद्र की लहरों को सीमित कर दिया है। समुद्र के रेतीले तटों पर भी मानवों ने बस्ती बसा दी। आसपास के जंगल काट डाले। पेड़ों को रास्तों से हटा दिया। परिणामस्वरूप पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर भाग गए। वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी। मौसम चक्र टूट गया। बरसातें बेवक्त होने लगीं। कभी तूफ़ान, कभी आँधियाँ, कहीं बाहें, तो कहीं नए-नए रोग पैदा होने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण दूषित हो गया।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर
कबूतर अपने बच्चों के रखवाली के लिए बार-बार लेखक के घर में चले आते थे जिससे लेखक का घर और पुस्तकालय गंदा होता था और आवश्यक सामान टूट जाते थे। इस समस्या से परेशान होकर लेखक की पत्नी ने कबूतर को घर में आने | से रोकने के लिए खिड़की में जाली लगवा दिया।

प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर
समुद्र के गुस्से की वजह यह थी कि उसे निरंतर सिमटते जाना पड़ रहा था। कई वर्षों से बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे। बेचारा समुद्र लगातारे अपना स्वरूप छोटा बनाते हुए सिमटता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी टाँगों को समेटा, फिर उकड़ें बैठ गया फिर वह खड़ा हो गया। यह प्रक्रिया निरंतर चलती ही रही तो समुद्र को गुस्सा आ गया। जब उसे गुस्सा आया तो उसने गुस्से में अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाज़ों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक वर्ली के समुद्र किनारे, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने और तीसरा गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर गिरा। जहाज़ों में सवार लोग बुरी तरह घायल हो गए।

प्रश्न 4.
मिट्टी से मिट्टी मिले, खो के सभी निशान, किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान’। इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि सभी प्राणियों का निर्माण एक ही मिट्टी से हुआ है। इस शरीर में न जाने कौन-कौन सी मिट्टी मिली हुई है। इसका बोध किसी को नहीं होता। सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नहीं है। पशु-पक्षियों को भी वही परमात्मा बनाता है जो मनुष्यों को बनाता है। जब सभी मनुष्यों में एक ही तत्त्व समाया हुआ है तो उनको अलग-अलग कर बताना उचित नहीं है। इसे पहचाने की कोशिश भी व्यर्थ है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर
इन पंक्तियों में लेखक का मत है कि प्रकृति का भी अपना नियम होता है। मनुष्य भले ही अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए उससे छेड़खानी करता है लेकिन उसके भी सहने की एक सीमा है। यदि हम आवश्यकता से अधिक प्रकृति को छेड़ें या अतिरिक्त बोझ उस पर डालें तो वह कुपित हो जाती है। इसका एक नमूना कुछ वर्षों पहले मुंबई में दिखाई दिया। जब मनुष्य ने समुद्र के किनारे पर बस्तियों का निर्माण कर डाला तो समुद्र ने भी कुपित होकर अपनी लहरों पर चलते हुए तीन जहाजों को गेंद की तरह हवा में उछाल दिया। ये तीनों जहाज़ अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे और इनमें सवार लोग इस प्रकार घायल हुए कि चलने-फिरने के काबिल न रहे।

प्रश्न 2.
जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर
उदार और महान मनुष्य क्रोध कम करते हैं। वे बहुत ही सहनशील होते हैं। लेखक का मत है कि जो बड़े होते हैं उन्हें कम गुस्सा आता है अर्थात् जिस व्यक्ति में बड़प्पन होता है वह उदार व समझदार होता है। लेकिन यदि उसे अत्यधिक परेशाने किया जाए तो कुपित होकर शांत नहीं रहता। इस पंक्ति का प्रयोग समुद्र के लिए हुआ है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए समुद्र को समेटकर रख दिया लेकिन जब वह क्रोधित हुआ तो उसने अपनी ही लहरों पर चलते जहाज़ों को इस तरह दूर फेंका कि उन पर सवार लोग चलने-फिरने के काबिल नहीं रहें।

प्रश्न 3.
इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
उत्तर
इन पंक्तियों का आशय यह है कि मुंबई में समुद्र के किनारे मानवों की बस्ती बसाने के लिए अनेक पेड़ों को काटना पड़ा जिससे न जाने कितने ही पशु-पक्षियों को अपने घोंसले व आश्रय स्थल खोने पड़े। कुछ तो शहर छोड़कर चले गए जो शहर से बाहर नहीं गए उन्होंने इधर-उधर ही डेरा डाल लिया अर्थात् अस्थायी घर बनाकर रहने लगे। लेखक कहता है कि आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दूसरों को कष्ट देने से भी नहीं हिचकिचाता।

प्रश्न 4.
शेख अयाज़ के पिता बोले, नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ। इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता एक दयालु व परोपकारी व्यक्ति थे। वे किसी के साथ अन्याय नहीं कर सकते थे। एक बार वे अचानक भोजन छोड़कर उठकर खड़े हुए तो उनकी पत्नी ने इसका कारण पूछा तब वे बोले कि आज उनसे एक पाप हो गया है। उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया है। यह च्योंटा उनकी बाँह पर चढ़कर यहाँ तक चला आया है। अतः वे उसे उसके घर (कुएँ) पर छोड़ने जा रहे हैं। इससे पाप का प्रायश्चित हो सकेगा। इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की उदारता एवं स्पष्टवादिता की भावना छिपी हुई थी। वे अपनी भूल को तुरंत सुधारने में विश्वास रखते थे।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक-चिह्नों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 2

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 3

प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफ़ा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘दफ़ा’ जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 4
उत्तर
 इन शब्दों के अर्थगत अंतर समझने के लिए इन वाक्य प्रयोगों को देखते हैं
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 5
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 6

निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए-
(क) आजकल ……………. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को …………. दो। (सजा/सज़ा)
(ग) …………………. चीनी तो देना। (जरा/जरा)
(घ) माँ दही ………… भूल गई। (जमाना/जमाना)
(ङ) दोषी को …………………… दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर ………… था (तेज/तेज़)
उत्तर
(क) ज़माना
(ख) सजा
(ङ) सज़ा
(च) तेज।
(ग) ज़रा
(घ) जमाना

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए|

I.

प्रश्न 1.
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
उत्तर
शुद्ध सोना बिना किसी मिलावट के होता है। यह पूरी तरह शुद्ध होता है। गिन्नी के सोने में ताँबे की मिलावट होती है। इसी ताँबे के कारण गिन्नी का सोना ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने की तुलना में मजबूत भी अधिक होता है। औरतें अकसर गिन्नी के सोने के गहने बनवाती हैं।

प्रश्न 2.
प्रैक्टिकल आईडियालिस्ट किसे कहते हैं?
उत्तर
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट वे होते हैं जो आदर्शों का प्रयोग अपने व्यवहार में करते हैं तथा आदर्शों और व्यावहारिकता के मेल से उसे व्यवहार योग्य बनाता है।

प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
उत्तर
पाठ के आधार पर शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान है जिस प्रकार शुद्ध सोने में किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं होती उसी प्रकार शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

II.

प्रश्न 4.
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है? |
उत्तर
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात इसलिए कही है क्योंकि जापानी अपने काम को अत्यंत द्रुत गति से करते हैं। उन्हें देखकर लगता है कि वे महीने भर का काम एक ही दिन में निपटा देना चाहते हैं।

प्रश्न 5.
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर
जापानी में चाय पीने की विधि को “चा-नो-यू” कहते हैं, जिसका अर्थ है-‘टी-सेरेमनी’ और चाय पिलाने वाला ‘चाजीन कहलाता है।

प्रश्न 6.
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है वहाँ ऐसी शांति होती है जहाँ पानी का खदबदाना भी सुना जा सकता है। वह ‘चाजीन’ सारे कार्य अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से शांत वातावरण में करता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए|

I.

प्रश्न 1.
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? |
उत्तर
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से इसलिए की गई है क्योंकि शुद्ध आदर्श सोने की तरह शुद्ध होते हैं। जिस प्रकार शुद्ध | सोने में कोई मिलावट नहीं होती उसी प्रकार शुद्ध आदर्श भी व्यावहारिकता की मिलावट के बिना होते हैं। व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से इसलिए की गई है क्योंकि जिस प्रकार शुद्ध सोने में ताँबा मिलाकर उसकी गुणवत्ता को सुधारा जाता है और उसमें चमक उत्पन्न की जाती है, उसी प्रकार आदर्श का व्यवहारिकता से मेल करवाकर आदर्शों को मजबूत किया जाता है। जीवन केवल आदर्शों से नहीं चलता, जीवन में आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का होना भी आवश्यक है। इससे समाज का रूप भी निखर जाता है।

II.

प्रश्न 2.
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं? |
उत्तर
‘चाजीन’ ने टी-सेरेमनी में निम्नलिखित क्रियाएँ गरिमामय ढंग से की-

  • चाजीन ने कमर तक झुककर प्रणाम किया और बैठने की जगह दिखाई।
  • बिना खटपट किए अँगीठी जलाई और उस पर चायदानी रखा।
  • चाय के बर्तन लाकर तौलिए से साफ़ किए।
  • चाय कपों में डालकर गरिमापूर्ण ढंग से लेखक और उसके साथियों के सामने रखा।

प्रश्न 3.
‘टी-सेरेमनी में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर
‘टी सेरेमनी में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। क्योंकि एक तो यह स्थान बहुत छोटा होता है दूसरा इस सेरेमनी का उद्देश्य है-शांतिमय वातावरण । दौड़-धूप भरे जीवन से हटकर भूत और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान पल को शांति से बिताना ही ‘टी सेरेमनी’ का उद्देश्य होता है। अधिक आदमियों के आने से शांति के स्थान पर अशांति का माहौल बन जाता है, इसलिए तीन से अधिक आदमियों को यहाँ प्रवेश नहीं दिया जा सकता।

प्रश्न 4.
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर
चाय पीने के बाद लेखक ने अनुभव किया कि-

  • जैसे उसके दिमाग की शांति मंद पड़ गई हो।
  • उसका दिमाग धीरे-धीरे चलना बंद हो गया।
  • उसे सन्नाटे की आवाज़ भी सुनाई देने लगी।
  • वह भूतकाल एवं भविष्य को भूलकर वर्तमान में जीने लगा जो उसे लंबा प्रतीत होने लगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

I.

प्रश्न 1.
गांधी जी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
गांधी जी में नेतृत्व की अदभूत क्षमता थी। वे सभी लोगों को साथ लेकर चलते थे। वे अपने आदर्शों में व्यावहारिकता को नहीं मिलने देते थे, बल्कि व्यावहारिकता में आदर्श मिलाते थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने आदर्शों का हथियार बनाया। इन्हीं सिद्धांतों के बलबूते पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली। उनके नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। सभी उनका नेतृत्व स्वीकार करके गर्व का अनुभव करते थे। उनकी पहली प्राथमिकता लोक कल्याण थी। वे अपने स्वार्थों को किसी भी कार्य में बाधा नहीं बनने देते थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सारी जनता उनके पीछे हो जाती थी।

प्रश्न 2.
आपके विचार में कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मेरे विचार में सत्य अहिंसा, परोपकार त्याग, समानता, करुणा आदि शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में लोगों में स्वार्थपरता, आत्मकेंद्रितता, वैचारिक संकीर्णता, ऊँच-नीच की भावना आदि बढ़ी है। समता और समरसता की भावना कहीं खो-सी गई है। आज सत्य की जगह असत्य का अहिंसा की जगह हिंसा का, त्याग की जगह छीना-झपटी का बोलबाला है। सामाजिक समरसता कहीं खो-सी गई है। लोग एक दूसरे पर हावी होना चाहते हैं ऐसे में एक स्वस्थ और आदर्श समाज के निर्माण सत्य, अहिंसा, त्याग, परोपकार, विश्व बंधुत्व की भावना आदि मूल्यों की अत्यंत आवश्यकता है। ऐसे में इनकी प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब|
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर
(1) मेरे जीवन का आदर्श है कि मैं न तो रिश्वत लेता हूँ और न रिश्वत देता हूँ। यद्यपि इसकी वजह से मुझे कई बार हानि उठानी पड़ी है। मुझे नगर-निगम का प्रमाणपत्र इसलिए देर से मिला कि मैंने एक संबंधित अधिकारी को रिश्वत नहीं दी। वैसे इससे मुझे कोई विशेष हानि नहीं हुई पर निगम कार्यालय के दस चक्कर अवश्य लगाने पड़े।

(2) मेरा आदर्श है कि मैं अपने छात्रों को नकल नहीं करने देती। मैंने अपने इस आदर्श में व्यावहारिकता का पुट यह दिया है कि मैं अब नकल तो नहीं करने देती; पर नकल करनेवालों पर केस न बनाकर उनकी नकल की सामग्री फाड़ देती हूँ या उनकी कॉपी बदल देती हैं। इससे उनका साल खराब नहीं होता।

प्रश्न 4.
शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना, गाँधी जी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गांधी जी सच्चे आदर्शवादी थे। वे अपने आदर्शों को गिरने नहीं देते थे और न उनसे समझौता ही किया करते थे अर्थात् वे ताँबे में सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के नाम पर गिराते नहीं थे। दूसरे लोग व्यावहारिकता के नाम पर अपने आदर्शों से समझौता कर लेते हैं। ऐसा करके वे सोने में ताँबा मिलाते थे। इसके विपरीत गांधी जी ताँबे में सोना मिलाते थे।

प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी | देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?
उत्तर
‘गिरगिट कहानी में आदर्शवादिता का महत्त्व है। ‘व्यावहारिकता’ हमें अवसरवादिता का पाठ पढ़ती है। अवसरवादी व्यक्ति सदा अपना हित देखता है। वह प्रत्येक कार्य अपना लाभ-हानि देखकर ही करता है। व्यावहारिक लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी समझौता कर लेते हैं। ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। आज समाज में जितने भी शाश्वत मूल्य हैं, वे सभी आदर्शवादियों की देन हैं। व्यावहारिक लोगों ने तो समाज का अहित किया है। व्यावहारिक लोग अपने स्वार्थ के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।

II.

प्रश्न 6.
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
लेखक के मित्र ने जापानियों की मानसिक रुग्णता के निम्नलिखित कारण बताए हैं-

  • जापानी तेज़ गति से चिंतन-मनन करते हैं।
  • वे तेज़ सोचते हुए महीने का काम एक दिन में करना चाहते हैं।
  • वे अमेरिका की भाँति विकसित हो जाना चाहते हैं।
  • वे तेज़ चलने वाले दिमाग को और भी तेज़ करना चाहते हैं जिससे वह संतुलन खो बैठता है और लोग मानसिक रोगी हो जाते हैं।

मैं इन तथ्यों से पूर्णतया सहमत हूँ क्योंकि हर चीज़ की अति खराब होती है। मानव मस्तिष्क भी एक यंत्र की भाँति है। जिसके काम करने की एक सीमा है तथा उसे भी समय-समय पर आराम की आवश्यकता होती है। दिन-रात काम करने से मानसिक संतुलन बिगड़ना स्वाभाविक ही है।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, हमें उसी में जीना चाहिए क्योंकि केवल सत्य ही शाश्वत है। वर्तमान स्वयं ही
सत्य है। हम अकसर या तो गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सुखद सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यत् काल में। हम जब भूतकाल के अपने सुखों एवं दुखों पर गौर करते हैं तो हमारे दुख बढ़ जाते हैं। भविष्य की कल्पनाएँ भी हमें दुखी करती हैं। क्योंकि हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते। जो बीत गया वह सत्य नहीं हो सकता। जो अभी तक आया ही नहीं उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। वर्तमान ही सत्य, जो कुछ हमारे सामने घटित हो रहा है। इसमें कोई दुविधा नहीं है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

I.

प्रश्न 1.
समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों को ही दिया हुआ है।
उत्तर
आदर्श एवं मूल्यों को परस्पर घनिष्ठ संबंध होता है। आदर्श के बिना मूल्य और मूल्यों के बिना आदर्श की कल्पना करना संभव नहीं है। आदर्शवादी लोग ही समाज में मूल्यों की स्थापना करते हैं। जब समाज एक आदर्श स्थापित करता है। और जो सबके हित में सर्वमान्य हो जाता है वही आदर्श मूल्य बन जाता है। समाज में सत्य, अहिंसा, त्याग, परोपकार, समानता, व बंधुता ऐसे शाश्वत तत्त्व हैं जो आदर्शवादियों द्वारा प्रदान किए गए हैं, जिनका अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। उन्होंने बिना स्वार्थ अपने व्यवहार से आदर्शों को ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया है कभी उनके स्तर को गिरने नहीं दिया। इसके लिए उनका व्यक्तित्व ही प्रमाण है।

प्रश्न 2.
जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
उत्तर
जब आदर्श और व्यवहार में समन्वय की बात आती है तो लोग आदर्शों की उपेक्षा करने लगते हैं और व्यावहारिकता को अधिक महत्त्व देने लगते हैं। ऐसे में उनका आदर्श व्यवहार गिरने लगता है। वे व्यावहारिकता के कारण आदर्शों से समझौता करने लगते हैं। इन समझौतों से आदर्शों का लोप होने लगता है। लोग आदर्श की उपेक्षा करके व्यावहारिक सूझ-बूझ से काम लेने लगते हैं।

II.

प्रश्न 3.
हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
उत्तर
लेखक जापानियों की मनोदशा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जापान के लोगों के जीवन की गति इतनी तीव्र हो गई है कि यहाँ लोग सामान्य जीवन जीने की बजाए असामान्य होते जा रहे हैं। वे चलने की बजाए दौड़ने लगे हैं। वे बोलने की बजाए बकने लगे हैं। अकेले में बड़बड़ाते रहते हैं क्योंकि उनमें प्रत्येक कार्य में अमेरिका से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा की भावना घर कर गई है। इसी कारण वे तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।

प्रश्न 4.
सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर पूँज रहे हों।
उत्तर
लेखक और उसका मित्र टी-सेरेमनी में चाय पीने गए। वहाँ चाजीन द्वारा कमर झुकाकर स्वागत करना, बैठने की जगह की ओर इशारा करना, अँगीठी सुलगाना, बर्तन साफ़ करना, चाय बनाना आदि क्रियाएँ अत्यंत शांत वातावरण में अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से की गईं। ऐसा लगता था कि वहाँ की हर क्रिया में संगीत का स्वर पूँज रहा हो जिसे साफ़-साफ़ सुना। जा सकता है। इससे लेखक को असीम शांति की अनुभूति हुई।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत।।
उत्तर
व्यावहारिकता-आदर्शो की सार्थकता उसे व्यावहारिकता में लाने पर ही होती है।
आदर्श-हमें अपने व्यवहार को आदर्श बनाने का प्रयास करना चाहिए।
सूझबूझ-युवक ने अपनी सूझबूझ से सभी यात्रियों की जान बचाई।।
विलक्षण-रामानुजम की विलक्षण प्रतिभा से सभी लोग प्रभावित हो गए।
शाश्वत-सत्य शाश्वत रहता है, वह कभी नहीं मरता।

प्रश्न 2.
‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा-लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक-चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए वंद्व समास की विग्रह कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 2

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 4

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए-
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है-एक प्रकार की धातु यानी ‘स्वर्ण । दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है-‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भो में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के
लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर उत्तर, कर, अंक, नग।
उत्तर

1. इस प्रश्न का उत्तर कक्षा-कार्य पुस्तिका पर लिखो। (जवाब)
2. हिमालय भारत के उत्तर में प्रहरी का कार्य करता है। (दिशा)

कर

  1.  नेताजी ने अपने कर-कमलों द्वारा पुल का उद्घाटन किया। (हाथ)
  2. आयकर अधिकारियों ने कर निश्चित समय पर न देने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने का निश्चय किया है। (टैक्स)
  3.  बच्चा माँ की अंक में जाते ही हँसने लगा। (गोद)
  4.  बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक आने पर पिता जी ने पुत्र को साइकिल उपहारस्वरूप भेंट की। (नंबर)

नग

  1. अँगूठी में लगे कीमती नग ने सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। (चमकीला पत्थर)।
  2. ट्रक में 25 नग रखे हैं। (सामान)
  3. नग की बर्फ से ढकी चोटियों को देख सुमन पुलकित हो उठी (पर्वत)।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए-
(क)

  1. अँगीठी सुलगायी।
  2. उस पर चायदानी रखी।

(ख)

  1. चाय तैयार हुई।
  2. उसने वह प्यालों में भरी।

(ग)

  1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
  2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।

 

उत्तर
(क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने उसे प्यालों में भरी।
(ग) बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और उन्हें तौलिए से साफ किए।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 5
उत्तर
(क) चाय पीने की यह एक ऐसी विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर ऐसा बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जैसे ही चाय तैयार हुई वैसे ही उसने प्यालों में भरकर हमारे समाने रख दी।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को निम्न कारणों से याद किया जाता है

  1. शहनाई की दुनिया में शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक बन गए।
  2. शहनाई बजाने के लिए जिस रीड का प्रयोग किया जाता है वह रीड नरकट (बेंत जाति का प्रसिद्ध पौधा) डुमराँव में सोन नदी के किनारे पर पाया जाता है।
  3. भारतरत्न, संगीत-रसिकों के हृदय और संगीत के नायक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?
उत्तर
शहनाई ऐसा वाद्य है जिसे मांगलिक अवसरों पर ही बजाया जाता है। मांगलिक अवसरों पर शहनाई बजाने की सदैव से परंपरा रही है। इस शहनाई बजाने की परंपरा में बिस्मिल्ला खाँ अपने सुर के कारण अब तक के इतिहास में सर्वोपरि रहे हैं। वे संगीत के नायक रहे हैं। उन्होंने सामान्य मांगलिक कार्यों से लेकर अनेक सुप्रसिद्ध मांगलिक कार्यों में शहनाई बजाई है। यही कारण है कि उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।

प्रश्न 3.
सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर-वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर
वैदिक इतिहास में शहनाई का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इसे संगीत शास्त्रों के अंतर्गत सुषिर-वाद्यों में गिना जाता है। सुषिर-वाद्य अर्थात् फेंककर बजाए जाने वाले वाय। ऐसे वाद्य जिनमें नाड़ी होती है उन्हें अरब में ‘नय’ बोलते हैं, जबकि शोहनये अर्थात शहनाई को सुषिर-वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) “फटा सुर न बख्शें । लुगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।
(ख) “मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ ।’
उत्तर

  1. आशय है कि खुदा सुर को अच्छा बनाए रखे। यदि सुर बिगड़ गया, फट गया तो. सब कुछ चला गया क्योंकि उस्ताद जानते थे उनकी पहचान, उनका सम्मान सुर शहनाई ही है। लुंगी को तो बदला जा सकता है, सिली जा सकती है। लुंगी से सुर का कोई ताल-मेल नहीं है। सुर यदि एक बार फट गया, बिगड़ गया तो उसे बदला नहीं जा सकता है। यही कारण है कि वे खुदा से सुर को बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं।
  2. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सज़दे करते हैं कि खुदा उनके सुर को इतना प्रभावशाली बना दे कि जिसे सुनकर श्रोताओं की आँखों से भावनाओं के आँसू सच्चे मोती की तरह स्वाभाविक रूप से बह निकलें । हृदय से उनके सुर की प्रशंसा में उद्गार निकल पड़े।

प्रश्न 5.
काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर
काशी की लुप्त होती परंपराएँ बिस्मिल्ला को व्यथित करती थीं। वे परंपराएँ हैं

  1. बिस्मिल्ला खाँ की पसंदीदा मलाई बरफ पक्का महल से गायब हो गई।
  2. संगीत-साहित्य और अदब की वे सारी परंपराएँ लुप्त होती जा रही थीं जो खाँ साहब के लिए महत्त्वपूर्ण थीं।
  3. कलकलाते घी में बनने वाली कुलसुम की कचौड़ी और जलेबी काशी में मिलना कठिन हो रही थीं।
  4. गायकों के मन में संगतकारों के प्रति समाप्त होता हुआ सम्मान खाँ को व्यथित कर रहा था।
  5. बिस्मिल्ला खाँ अपने व्यथित हृदय से कहते हैं कि घंटों रियाज़ को अब कौन पूछता है। कजली, चैती और अदब का जमाना कहाँ रहा है?

प्रश्न 6.
पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर कह सकते हैं कि
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इंसान थे।
उत्तर
(क) बिस्मिल्ला खाँ अपने मज़हब के प्रति समर्पित थे। वे अपने धर्म और उत्सवों के प्रति गंभीरता से आस्था रखते थे। दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर दूरी तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते थे। पाँचों वक्त की नमाज़ अदा करते थे। मुहर्रम-ताजिया में श्रद्धा से शिरकत करते थे।

वे काशी में विश्वनाथ और बालाजी के प्रति अपार श्रद्धा रखते हुए वहाँ शहनाई बजाते थे और काशी से बाहर होने पर थोड़ी देर काशी के मंदिरों की ओर मुँह करके शहनाई बजाकर सफलता की कामना करते थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि
बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी में रहते हुए काशी की उन सभी परंपराओं का निर्वाह करते थे जो वहाँ प्रचलित थीं, चाहे वे किसी भी संप्रदाय की रही हों। वे सभी परंपराएँ उनके जीवन की अंग बन चुकी थीं।

वे जिस श्रद्धा और आस्था से मुहर्रम और ताजिया के समय मातम वाली शहनाई की धुन बजाते थे, उसी श्रद्धा से बालाजी, विश्वनाथ के मंदिरों में शहनाई बजाया करते थे। वे भेदभाव से ऊपर उठकर थे। वे बनावटीपन पर विश्वास नहीं रखते थे। बिस्मिल्ला खाँ भारतरत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान पाकर भी साधारण जीवन व्यतीत करते थे। वे सामान्य और सरल जीवन जीने वाले, सबका सम्मान करने वाले,
सच्चे अर्थों में इंसान थे।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी घटनाएँ और वे व्यक्ति जिनसे प्रेरित होकर उनकी संगीत साधना समृद्ध हुई वे इस प्रकार हैं-

  1. बिस्मिल्ला खाँ के मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श-बिस्मिल्ला खाँ के दोनों मामा शहनाई वादक थे। उनसे ही उन्हें शहनाई बजाने की प्रेरणा मिली और शहनाई बजाने में रुचि लेने लगे।
  2. बिस्मिल्ला खाँ के नाना-बिस्मिल्ला खाँ के नाना भी शहनाई बजाते थे। जब वे रियाज़ करते थे तो वे छिपकर सुनते थे। उनके चले जाने पर उनकी शहनाई हूँढ़ते थे और बजाकर रख देते थे।
  3. रसूलन व बतूलन बाई-रियाज़ के लिए वे मंदिर उस रास्ते से जाते थे जिस रास्ते पर रसूलन और बतूलनबाई का घर पड़ता था। उनके द्वारा गाई गई ठुमरी, टप्पे, दादरा आदि को सुनकर उनके मन में संगीत के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।
  4. बिस्मिल्ला और कुलसुम की कचौड़ियों की दुकान-बिस्मिल्ला खाँ जब कुलसुम को कलकलाते देशी घी की कढ़ाई में छन्न से उठने वाली आवाज़ में संगीत के सारे आरोह-अवरोह दिखाई देते थे। उक्त व्यक्तियों घटनाओं से उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की संगीत साधना समृद्ध होती गई।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की ऐसी अनेक विशेषताएँ हैं जिनसे प्रभावित हुए बिना | नहीं रह सका। वे इस प्रकार हैं-

  1. कृत्रिमता से दूर सहजता-भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी उनके जीवन की सहजता और सरलता में कोई अंतर नहीं आया। वे कृत्रिमता से कोसों दूर थे।
  2. विनम्रता की पराकाष्ठा-वे विनम्रता की पराकाष्ठा थे। शहनाई वादक के रूप में इतिहास के सर्वोपरि शहनाई वादक रहे, फिर भी अपने को अपूर्ण मानते थे | और अपनी हर प्रार्थना में, सुर में तासीर पैदा करने की खुदा से याचना करते थे।
  3. धार्मिक उदारता-यद्यपि बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति संपूर्ण समर्पित थे और अपने नियम के अनुसार वे सच्चे मुसलमान की तरह पाँचों वक्त की नमाज़ अदा करते थे, तथापि बाबा विश्वनाथ के मंदिर और बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाया करते थे। गंगा को श्रद्धा से गंगा मइया ही पुकारते थे।
  4. काशी के प्रति श्रद्धा-उनकी काशी के प्रति अपार श्रद्धा थी। वे काशी को अपने लिए जन्नत मानते थे। शहनाई और काशी को कभी न छोड़ने वाली बात सबको बताया करते थे।
  5. अथक परिश्रम और बिस्मिल्ला खाँ-बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई वादक के रूप में सर्वोपरि स्थान पाने के बाद भी अस्सी वर्ष की उम्र तक अर्थात् जीवन-पर्यंत रियाज चलता रहा। यह उनके अदम्य उत्साह और आशा का प्रतीक रहा।
  6. धुन के पक्के बिस्मिल्ला खाँ-रियाज़ के लिए मंदिर जाते समय वे अपने प्रिय रास्ते से ही जाते थे। जिसमें उनकी प्रेरणास्रोत रसूलन और बतूलनबाई रहती थी। धुन के पक्के इरादों ने उन्हें शहनाई वादन में सर्वोपरि बना दिया।

प्रश्न 9.
मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ अपने मज़हब की परंपराओं के प्रति शालीन और सजग थे। मुहर्रम पर्व के साथ बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई का संबंध गहरा रहा है। जब मुहर्रम का महीना होता था, जिसमें शिया मुसलमान हज़रत इमाम हुसैन और उनके वंशजों के प्रति अज़ादारी मानते हैं तो उनकी तरह बिस्मिल्ला खाँ भी पूरे दस दिनों तक शोक मनाते थे। इन दिनों में खाँ साहब या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति न तो शहनाई बजाता था और न किसी संगीत के कार्यक्रमों में शामिल होता था। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की होती थी। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे।

प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ अपनी शहनाई कला के प्रति पूर्णतया समर्पित थे। उन्हें एक ही जुनून था, एक ही धुन थी, खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे, पाँचों वक्त की नमाज सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती थी। वे नमाज के बाद सज़दे में यही गिड़गिड़ाते थे-मेरे मालिक एक सुर वख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।

वे अपने सुरों को पूर्ण नहीं मानते थे। उनका यही प्रयास रहता था कि सुर में और अधिक प्रभाव हो। इसलिए सुर को और सुधारने के लिए प्रयास करते थे, रियाज करते थे। अनथक रियाज करते थे और घंटों रियाज करके अपनी कला को सुधारने में लगे रहते थे। इससे स्पष्ट है कि वे अपनी कला के अनन्य उपासक थे।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए
(क) यह ज़रूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। ।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उप प्रदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णतया व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर
(क) उपवाक्य-शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। भेद-संज्ञा उपवाक्य।
(ख) उपवाक्य-जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। भेद-विशेषण उपवाक्य।
(ग) उपवाक्य-जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। भेद-विशेषण उपवाक्य ।
(घ) उपवाक्य-कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। भेद-संज्ञा उपवाक्य।
(ङ) उपवाक्य-जिसकी गमक उसी में समाई है। भेद-विशेषण उपवाक्य ।।
(च) उपवाक्य-पूरे अस्सी वर्ष उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने | की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। भेद-संज्ञा उपवाक्य।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं ।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर
(क) यह ऐसी बालसुलभ हँसी है जिसमें कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में जो संगीत समारोह आयोजन किए जाते हैं उनकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत् ! पगली ई जो भारतरत्न हमें मिला है ऊ शहनाई पे ही मिला है, लुंगिया पर नाहीं।
(घ) काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा है।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाई वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन
बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 10 अक्टूबर शनिवार को अपने विद्यालय के सभाकक्ष में लखनऊ के सुप्रसिद्ध शहनाई वादक श्री बादशाह खाँ तथा जलालुद्दीन का शहनाई वादन होगा। ये सुप्रसिद्ध कलाकार अपराहून 4 बजे से शहनाई वादन शुरू करेंगे।
इस अवसर पर विद्यालय परिवार के समस्त सदस्य तथा अभिभावकगण सादर आमंत्रित हैं तथा समय से सीटें ग्रहण कर लें। अयोजन समिति

प्रश्न 2.
आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर
उस्ताद उम्मेद अली ऐसे संगीतकार हैं जो अपने सुर से ऐसा समाँ बाँध देते हैं कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो झूम उठते हैं। अनायास ही वाह! वाह!! की सम्मिलित आवाज सुनाई पड़ती है। श्रोताओं की मस्ती से स्वयं उस्ताद उम्मेद अली पूरी तरह संगीत के सुरों में भाव-विभोर हो डूब जाते हैं।

वे सभी समुदाय के चहेते हैं। उनको सुनकर उस समय आश्चर्य होता है जब वे अपनी शुरुआत सरस्वती वंदना से करते हैं। उनकी वाणी में इतनी मधुरता है जिससे वे सबके लिए अपने हैं।

प्रश्न 3.
हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध बनाने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध बनाने में काशी का योगदान निम्नलिखित रूपों में रहा है ।

  1. विश्वविद्यालय-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का विश्वविद्यालयी संस्कृति में उसकी अपनी अलग पहचान है।
  2. बिस्मिल्ला खाँ-शहनाई वादन में बिस्मिल्ला खाँ जैसा शहनाई वादक न कोई हुआ और न होने की संभावना है।
  3. शहनाई वादन और अन्य कलाकार-शहनाई वादन में बिस्मिल्ला खाँ के अतिरिक्त सादिक हुसैन, अलीबख्श खाँ, उस्ताद सलार हुसैन खाँ जैसे शहनाई वादक काशी की देन हैं।
  4. शिक्षा का केंद्र काशी-काशी विविध संस्कृतियों के लिए तो प्रसिद्ध रही है। इसके साथ ही संस्कृत के अध्ययन और अध्यापन का केंद्र रही है जिसकी पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से पहचान है।
  5. पूजा स्थल-पौराणिक दृष्टि से काशी का विशेष महत्त्व है, जिसकी गाथा पुराणों में गाई गई है। यहाँ विश्वनाथ मंदिर के प्रति संपूर्ण देश की आस्था है। यह मंदिरों की नगरी है। यहाँ मृत्यु को पुण्य माना जाता है। इस प्रकार काशी ने संपूर्ण देश में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में अपनी विशिष्टता के आधार पर प्रभुत्व स्थापित किया है।

प्रश्न 4.
काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन-सी ?
उत्तर

  1. काशी का नाम आते ही सबसे पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छवि उभरने लगती है।
  2. काशी का नाम आते ही गंगा का स्नान-घाट याद आ जाता है, जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हुई दिखाई देती है।
  3. विश्वनाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, संकटमोचन मंदिरों पर आरती के समय में उनकी भव्यता हमारी आँखों के सामने उभरने लगती है।

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था?
उत्तर
कर्नल कालिंज का खेमा वज़ीर अली को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से जंगल में लगा हुआ था। कर्नल को संदेह था कि वज़ीर अली जंगल में ही कहीं छिपा होगा। बरसों से वह पूरी फौज़ की आँखों में धूल झोंक रहा था। जंगलों में अपने थोड़े से आदमियों के साथ भटक रहा था फिर भी वह फौज़ के हाथ नहीं आ रहा था।

प्रश्न 2.
वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे?
उत्तर
वज़ीर अली से सिपाही इसलिए तंग आ चुके थे क्योंकि जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए जंगल में हफ्तों से खेमा डाल रखा था, उसको पकड़ना तो दूर, उसका कहीं पता नहीं चल पा रहा था।

प्रश्न 3.
कर्नल ने सवार पर नज़र रखने के लिए क्यों कहा?
उत्तर
कर्नल ने सवार पर नज़र रखने थे लिए इसलिए कहा ताकि वह यह देख सके कि सवार किस दिशा की तरफ जा रहा है। | वह सवार वज़ीर अली का कोई दूत या जानकार या कोई साथी हो सकता था।

प्रश्न 4.
सवार ने यह क्यों कहा कि वज़ीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है?
उत्तर
घोड़े पर आया सवार कोई और नहीं, बल्कि स्वयं वज़ीर अली था जो अपनी जान की परवाह किए बिना कर्नल के कैंप तक आ धमका था। वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए जान ले सकता था और जान दे भी सकता था।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर कर्नल को रॉबिनहुड की याद क्यों आ जाती थी?
उत्तर
रॉबिनहुड एक साहसी वीर था, वह किसी को कहीं भी चकमा देने में माहिर था, उसी प्रकार वज़ीर अली भी साहसी, हिम्मती व वीर व्यक्ति था। उसके साहस के कारनामे लोगों की जुबान पर थे। वह अंग्रेज़ी सरकार की पकड़ में नहीं आ रहा था। कंपनी के वकील को उसने उसके घर जाकर मार डाला था। उसके बहादुरी भरे किस्सों के कारण ही कर्नल को वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड की याद आ जाती थी।

प्रश्न 2.
सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा?
उत्तर
सआदत अली आसिफउद्दौला का छोटा भाई और वज़ीर अली का चाचा था। आसिफउद्दौला के कोई संतान न होने से सआदत अली अवध का शासक बनने का सपना पाले हुए था। वज़ीर अली का जन्म होते ही सआदत अली को लगा कि अब वह कभी राजा नहीं बन पाएगा, इसलिए वज़ीर अली की पैदाइश को उसने अपनी मौत समझा।

प्रश्न 3.
सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था? 220 B हिंदी-X(कोर्स-‘B’) —-
उत्तर
सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का मकसद था-अवध की धन-संपत्ति पर अधिकार करना। सआदत । अली अंग्रेज़ों का मित्र था। सआदत अली ऐशोआराम पसंद व्यक्ति था। उसने आधी संपत्ति और दस लाख रुपये कर्नल को देकर उसका स्वार्थ सिद्ध करने के षडयंत्र को सफल बना दिया। अब सआदत अली को किसी प्रकार का खतरा नहीं था।

प्रश्न 4.
कंपनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफाज़त कैसे की?
उत्तर
कंपनी के वकील की हत्या करने के बाद वज़ीर अली काशी से आजमगढ़ आ गया। आजमगढ़ के शासकों ने वज़ीर अली और उनके सैनिकों को अपनी सुरक्षा में घाघरा तक पहुँचा दिया। यहाँ से वह गोरखपुर के जंगलों में छिपकर अपनी हिफ़ाज़त कर रहा है।

प्रश्न 5.
सवार के जाने के बाद कर्नल क्यों हक्का-बक्का रह गया?
उत्तर
सवार के जाने के बाद कर्नल इसलिए हक्का-बक्का रह गया क्योंकि उसे पता चल गया कि यह सवार ही वज़ीर अली था। जिस सवार को वह साधारण-सा सिपाही समझ रहा था और उसकी सहायता से वह वज़ीर अली को गिरफ्तार करने का सपना देख रहा था। वह ऐसी उम्मीद नहीं कर सकता था कि वज़ीर अली इतनी हिम्मत करके उसके खेमे में चला आएगा। कर्नल की नज़रों में वज़ीर अली बहुत खतरनाक व्यक्ति था। वह उसे मूर्ख बनाकर उससे दस करितूस भी ले गया था और कर्नल कुछ भी नहीं कर पाया। वह जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए वहाँ दल-बल सहित पड़ा था, वह वहाँ तक आया भी और फिर भी कर्नल उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
लेफ्टीनेंट को ऐसा क्यों लगा कि कंपनी के खिलाफ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है?
उत्तर
लेफ्टीनेंट को कर्नल से पता चला कि वज़ीर अली से पहले कई लोग इसी प्रकार विद्रोह कर चुके हैं। दक्षिण में टीपू सुल्तान और बंगाल के नवाब का भाई शमसुद्दौला भी उनके खिलाफ़ है। इन सबने कंपनी के विरूद्ध अफगानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मी को आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। ऐसा देखकर लेफ्टीनेंट को यह आभास हुआ कि कंपनी के खिलाफ़ पूरे हिंदुस्तान में लहर दौड़ गई है।

प्रश्न 2.
वजीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया?
उत्तर
वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर, चतुर और स्वाभिमानी व्यक्ति था। अंग्रेजों ने उसके चाचा सआदत अली को मिलाकर उसे अवध का शासक बना दिया और आधी संपत्ति हथिया लिया। इससे वज़ीर अली के मन में अंग्रेज़ों के प्रति घृणा भरी थी। वज़ीर अली जब कंपनी के वकील के पास अपनी शिकायत लेकर गया तो वकील ने उसकी बात न सुनकर उसे खरी-खोटी सुना दी। स्वाभिमानी वजीर अली को यह बात अपमानजनक लगी। अपने अपमान और अंग्रेजों के प्रति घृणा के कारण उसने कंपनी के वकील की हत्या कर दी।

प्रश्न 3.
सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए? ।
उत्तर
सवार स्वयं वज़ीर अली था। वह एक जाँबाज़ सिपाही था। जंगलों में धूल उड़ाता हुआ घोड़े पर सवार बिना किसी सिपाही के जाँबाज वज़ीर अली अकेला ही अंग्रेज़ी खेमे में आ पहुँचा। कर्नल और लेफ्टीनेंट ने समझा कि यह सवार उनके साथ मिलकर वज़ीर अली को गिरफ्तार करवाना चाहता है इसलिए उसे मिलने की आज्ञा दी गई। सवार ने आते ही एकांत की माँग की क्योंकि वह एकांत में कर्नल को वज़ीर अली के विषय में बताना चाहता था। उसने वज़ीर अली की गिरफ्तारी को मुश्किल बताया। उसने ऐसा दिखावा करना चाहा जैसे वह भी वजीर अली के खिलाफ है। फिर उसने कुछ कारतूसों की माँग की कर्नल ने बिना कोई प्रश्न पूछे उसे कारतूस दे दिए। इस प्रकार वज़ीर अली स्वयं ही घोड़े पर सवार होकर आया और कर्नल से कारतूस लेने में सफल रहा।

प्रश्न 4.
वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वजीर अली नि:संदेह बहादुर, साहसी एवं चतुर सिपाही था जो अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेज़ों का मुकाबला कर रहा था। जब से अवध की सत्ता से वह बेदखल हुआ है, तब से उसके मन में अपना लक्ष्य (अवध का शासन) पाने और अंग्रेजों को भारत से भगाने की भावना बलवती हो गई है। अंग्रेजों ने उसके चाचा सआदत अली को शासक बनाकर उसे काशी भेज दिया जब काशी से उसे कोलकाता बुलाया गया तो उसने कंपनी के वकील से शिकायत की। कंपनी के वकील द्वारा बात अनसुनी करने पर उसकी हत्याकर दी और गोरखपुर के जंगलों में आकर छिपकर रहने लगा। यहाँ उसे पकड़ने के लिए जब कर्नल ने खेमा लगाया तो वज़ीर अली ने साहस और जाँबाज़ी दिखाते हुए कर्नल से दस कारतूस ही नहीं लिया बल्कि अपना नाम बताते हुए उसकी जान बख्शने की बात कहकर वापस चला गया। वज़ीर अली के ऐसे कारनामों से पता चलता है कि वह सचमुच ही जाँबाज़ आदमी था।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
मुट्ठीभर आदमी और ये दमखम।
उत्तर
कर्नल कालिंज वज़ीर अली को पकड़ने के लिए गोरखपुर के जंगल में डेरा डाले हुए था। उसने अनेक बार वज़ीर अली को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह सफल न हुआ। वज़ीर अली की आज़ादी अंग्रेजों के लिए सबसे बड़ा खतरा था, क्योंकि चंद लोगों की ताकत लिए वह अंग्रेज़ों का सिरदर्द बन गया था। उसके इसी कारनामों के कारण कर्नल खींझता रहता है क्योंकि कम लोगों को अपने साथ लिए वज़ीर अली अंग्रेज़ों की एक बड़ी सेना से भिड़ने का कारनामा दिखा रहा था।

प्रश्न 2.
गर्द तो ऐसे उड़ रही है जैसे की पूरा एक काफिला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
उत्तर
कर्नल के खेमे की तरफ वज़ीर अली घोड़े पर सवार निडरतापूर्वक तूफ़ान की भाँति चला आ रहा था। उसके आने से उठती धूल से ऐसा लग रहा था मानो पूरी सेना ही चली आ रही हो। इतनी धूल तो पूरी सेना के चलने से उड़ती है, पर वज़ीर अली अकेले ही आ रहा था अर्थात् वज़ीर अली अकेले ही पूरी सेना के बराबर था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का एक-एक पर्याय लिखिए
(i) खिलाफ
(ii) पाक
(iii) उम्मीद
(iv) हासिल
(v) कामयाब
(vi) वज़ीफा
(vii) नफ़रत
(viii) हमला
(ix) इंतेज़ार
(x) मुमकिन
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए आँखों में धूल झोंकना, कूट-कूटकर भरना, काम तमाम कर देना, जान बख्श देना, हक्का-बक्का रह जाना।
उतर

  1. आँखों में धूल झोंकना-चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।
  2. कूट-कूटकर भरना-स्वतंत्रता सेनानियों में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी।
  3. काम तमाम कर देना-मौका पाते ही शिकारी ने शेर का काम तमाम कर दिया।
  4. जान बख्श देना-महात्मा अपने प्रति दुर्व्यवहार करने वालों की भी जान बख्श देते हैं।
  5. हक्का-बक्का रह जाना-भरत को शेर के साथ खेलते देखकर दुष्यंत हक्का-बक्का रह गए।

प्रश्न 3.
कारक वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध बताता है। निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम लिखिए
(क) जंगल की जिंदगी बड़ी खतरनाक होती है।
(ख) कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई।
(ग) वज़ीर को उसके पद से हटा दिया गया।
(घ) फ़ौज के लिए कारतूस की आवश्यकता थी।
(ङ) सिपाही घोड़े पर सवार था।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 2

प्रश्न 4.
क्रिया का लिंग और वचन सामान्यतः कर्ता और कर्म के लिंग और वचन के अनुसार निर्धारित होता है। वाक्य में कर्ता और कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार जब क्रिया के लिंग, वचन आदि में परिवर्तन होता है तो उसे अन्विति कहते हैं। क्रिया के लिंग, वचन में परिवर्तन तभी होता है जब कर्ता या कर्म परसर्ग रहित हों;
जैसे-सवार कारतूस माँग रहा था। (कर्ता के कारण)
सवार ने कारतूस माँगे। (कर्म के कारण)
कर्नल ने वज़ीर अली को नहीं पहचाना। (यहाँ क्रिया कर्ता और कर्म किसी के भी कारण प्रभावित नहीं है)
अतः कर्ता और कर्म के परसर्ग सहित होने पर क्रिया कर्ता और कर्म में से किसी के भी लिंग और वचन से प्रभावित नहीं होती और वह एकवचन पुल्लिंग में ही प्रयुक्त होती है। नीचे दिए गए वाक्यों में ‘ने लगाकर उन्हें दुबारा लिखिए-
(क) घोड़ा पानी पी रहा था।
(ख) बच्चे दशहरे का मेला देखने गए।
(ग) रॉबिनहुड गरीबों की मदद करता था।
(घ) देशभर के लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे।
उत्तर
(क) घोड़े ने पानी पीना जारी रखा।
(ख) बच्चों ने दशहरे का मेला देखने के लिए प्रस्थान किया।
(ग) रॉबिनहुड ने गरीबों की मदद की।
(घ) देशभर के लोगों ने उसकी प्रशंसा की।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए
(क) कर्नल ने कहा सिपाहियो इस पर नज़र रखो ये किस तरफ जा रहा है।
(ख) सवार ने पूछा आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डाला है इतने लावलश्कर की क्या ज़रूरत है।
(ग) खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बातें कर रहे थे चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे एक व्यक्ति कह रहा था दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है।
उत्तर
(क) कर्नल ने कहा-“सिपाहियो! इस पर नज़र रखो, ये किस तरफ जा रहा है?”
(ख) सवार ने पूछा-“आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डोला है? इतने लावलश्कर की क्या जरूरत है?”
(ग) खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बाते कर रहे थे। चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे। एक व्यक्ति कह रहा था-“दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है।”

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 संस्कृति

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर
‘सभ्यता और संस्कृति की सही समझ नहीं बनने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. लेखक के अनुसार हम सभ्यता और संस्कृति का अर्थ स्पष्ट किए बिना मनमाने ढंग से दोनों शब्दों का भरपूर प्रयोग करते हैं।
  2. इन शब्दों के आगे अनेक विशेषण भी लगा देते हैं; जैसे-भौतिक सभ्यता, आध्यात्मिक सभ्यता आदि। इस प्रकार के गलत-सलत प्रयोग करने की वजह से हम सभ्यता और संस्कृति के अंतर को समझने में हम आज भी अक्षम हैं।
  3. लोग अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत करते रहते हैं, अलग-अलग ढंग से परिभाषित करते हैं। अतः इन दोनों शब्दों में अर्थ की दृष्टि से सही समझ नहीं।
    बन पाई है।

प्रश्न 2.
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है जब आग का आविष्कार नहीं हुआ था तब आग की खोज मनुष्य के लिए सबसे बड़ी प्रसन्नता रही होगी। आग का महत्त्व और उपयोग सबसे अधिक है। अन्य बहुत से कार्यों में आग की सबसे अधिक उपयोगिता भोजन पकाने में है। ठंड से बचने के उपाय, अंधकार के भय को प्रकाश से दूर करना आदि-आदि अनेक कारण खोज के पीछे रहे होंगे।

प्रश्न 3.
वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति,’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर

  1. ऐसा व्यक्ति जो अपनी योग्यता के आधार पर नए तथ्य की खोज करता है वह व्यक्ति वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ कहा जा सकता है।
  2. न्यूटन ने अपनी योग्यता के आधार पर गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। यह सिद्धांत नया था, इसलिए उसे संस्कृत-व्यक्ति कहना उचित है।
  3. जिन्होंने भी अपनी योग्यता से आग या सुई-धागे का आविष्कार किया होगा, वे ‘संस्कृत व्यक्ति’ रहे होंगे।
  4. इसी प्रकार जनकल्याण की भावना से निहित व्यक्ति जन-कल्याण के सूत्र स्थापित करता है तो वह संस्कृत व्यक्ति कहलाता है।

प्रश्न 4.
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर
लेखक के अनुसार संस्कृत व्यक्ति वह है जो अपनी योग्यता के आधार पर नए तथ्यों का आविष्कार कर नए तथ्य के दर्शन किए हों। न्यूटन ने भी सर्वप्रथम गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। इसलिए वह संस्कृत मानव था। उसने अपने सिद्धांत से सुशिक्षितों को परिचित कराया।

दूसरी ओर न्यूटन के सिद्धांत से परिचित होने के बाद न्यूटन से भी अधिक ज्ञान रखने वाले उसी प्रकार संस्कृत व्यक्ति नहीं कहला सकते, जिस प्रकार पूर्वजों से प्राप्त वस्तु संतान को अनायास ही मिल जाती है तो संतान संस्कृत नहीं कहला सकती है।

अतः आविष्कर्ता, आविष्कार का जनक संस्कृत व्यक्ति होती है, अन्य नहीं। अतः लेखक की परिभाषा के अनुसार न्यूटन से भी अधिक बारीकियों का ज्ञान रखने वाले न्यूटन से अधिक सभ्य कहे जा सकते हैं, संस्कृत व्यक्ति नहीं ।

प्रश्न 5.
किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर
जिन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य ने सुई-धागे का आविष्कार किया वे निम्नलिखित रही होंगी-

  1. जब वह सर्दी-गर्मी को सहन करने में असमर्थ हो गया होगा । फिर शीतोष्ण से बचने के लिए उपाय ढूँढ़ते हुए सुई-धागे का आविष्कार किया होगा।
  2. आवश्यकतानुसार शरीर को सजाने की प्रवृत्ति ने जन्म लिया होगा और किस तरह कपड़ों के दो टुकड़े जोड़े जा सकते हैं। इस आवश्यकता से सुई-धागे का आविष्कार किया होगा।
  3. मनुष्य के मन में यह भी आया होगा कि किस तरह शरीर को अच्छी तरह ढका जा सकता है और सुई-धागे का आविष्कार कर लिया होगा।

प्रश्न 6.
“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है” किन्ही दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर

  1. भारत अनेक संस्कृतियों और संप्रदायों का देश है। यहाँ रहे रही मुख्य रूप से दो संस्कृतियों हिंदू और मुसलमानों के मध्य विद्वेष फैलाकर अंग्रेजों ने मानवे संस्कृति को विभाजित करने का प्रयास किया। हालाँकि फलस्वरूप हिंदू और मुसलमान के नाम पर भारत और पाकिस्तान का निर्माण तो हुआ किंतु दोनों देशों के जनमानस के सोचने-समझने का तरीका आज भी एक है। वे आज भी अपने-अपने सरहदों में मानव संस्कृति के वाहक हैं क्योंकि मानव संस्कृति के बीच में कोई लकीर नहीं खींची जा सकती।।
  2. जब-जब अमानवीय कृत्य से मनुष्य संत्रस्त हुए या दानवता ने अपने पैर पसारे हैं तो सभी भेद भुलाकर मानव-जाति मानवता के नाम पर उठ खड़ी हुई है। ऐतिहासिक दृष्टि से जापान में गिराए गए परमाणु बम के विनाश से संपूर्ण धरती काँप गई तो विश्व के लोगों ने एक होकर विरोध किया।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए-
मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर
मानव-संस्कृति अपनी सुरक्षा के प्रति सदैव से चिंतित रही है। मानव जब अपनी योग्यता से मानव-हित की दृष्टि से और आत्महित की दृष्टि से आविष्कार करता है। तभी दूसरी ओर आत्मरक्षा का चिंतन मनुष्य को विनाश की ओर प्रेरित करता है। फिर मानव उस आविष्कार का कल्याण से अलग दुरुपयोग करने लगता है और विनाश के साधनों को जुटाने लगता है। यह मनुष्य की असंस्कृति ही है। रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर
सभ्यता और संस्कृति एक ओर तो एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के अभाव में दूसरे को स्पष्ट करना कठिन है। सभ्यता दृश्य और स्थूल है तथा संस्कृति अदृश्य और सूक्ष्म है। संस्कृति एक विचार है। हमारे आदर्श पुरुषों ने, मनीषियों ने जो सूत्र अपने अनुभवों से स्थापित किए हैं, जो मानव-हित में हैं वे अनुकरणीय सूत्र संस्कृति हैं।

सभ्यता दृष्ट है, वह जीवन जीने की कला है। सभ्यती बदलती रहती है। एक ही पुरुष अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग सभ्यता को अपनाता है। जैसे एक पुरुष अपने घर जूते उतार कर कुश के आसन पर बैठकर पवित्रता से भोजन करता है वहीं दूसरे के घर उत्सव में बिना जूते उतारे, खड़े होकर भोजन करता है। ये दोनों उसकी सभ्यता हैं। अतः सभ्यता एक रीति है, रिवाज है। अलग-अलग स्थानों पर, अलग-अलग ऋतुओं में अलग-अलग वस्त्र पहनना उसकी सभ्यता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 2

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