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NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 5 Field Surveys (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 5 Field Surveys (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 5 Field Surveys (Hindi Medium)

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अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से एकसही उत्तर का चुनाव कीजिए।
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण की योजना के लिए नीचे दी गयी विधियों में कौन-सी विधि सहायक है?
(क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ग) मापन
(घ) प्रयोग
(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के निष्कर्ष के लिए क्या किया जाना चाहिए।
(क) आंकड़ा प्रवेश एवं सारणीयन
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(ग) सूचकांकों का अभिकलन
(घ) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रांरभिक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण क्या है?
(क) उद्देश्यों का निर्धारण
(ख) द्वितीयक आंकड़ों का संग्रहण
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना
(घ) निदर्शन अभिकल्पना

उत्तर:
(i) (क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ii) (ग) सूचकांकों का अभिकलन
(iii) (ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं की परिभाषित करना

प्र० 2. निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर: क्षेत्रीय सर्वेक्षण स्थानीय स्तर पर स्थानिक वितरण के प्रारूपों, उनके साहचर्य तथा अंतर्संबंधों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाते हैं। इनके अलावा स्थानीय स्तर की सूचनाओं को एकत्रित करने में, जो कि द्वितीयक स्रोतों से उपलब्ध नहीं हैं, हमारी मदद करते हैं। इस तरह क्षेत्रीय सर्वेक्षणों का आयोजन वांछित सूचनाओं के एकत्रण में सहायक होते हैं।
(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर: क्षेत्रीय सर्वेक्षण के लिए कुछ जरूरी उपकरण पर्यवेक्षक के पास होने चाहिए जैसे-प्रश्नावली कागज अथवा नोट करने योग्य डायरी, पेन, पेंसिल, रबर, शार्पनर, फीता, ऊँचाई/गहराई मापने का यंत्र, मिट्टी की अम्लीयता/क्षारीयता मापने की सामग्री, प्रदूषण को मापने की किट, दिशामापी (दिक् सूचक) आंकड़ों के प्रक्रमण के लिए उचित सॉफ्टवेयर के साथ एक लैपटॉप, कैमरा, क्षेत्रीय मानचित्र यदि उपलब्ध है तो इत्यादि। इसके अलावा द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त आंकड़े व सूचनाएँ, भू-संपत्तियों का विवरण पत्रक एवं निर्वाचन सूची जिसमें परिवारों उनके मुखिया से संबंधित जानकारियाँ दी गई हों इत्यादि। साथ ही क्षेत्रीय सर्वेक्षण के उद्देश्य, प्रयोजन को सीमांकित करते हुए उपयुक्त समय का चुनाव किया जाना चाहिए ताकि वहाँ के अधिकांश निवासियों से आप सूचनाएँ प्राप्त कर सकें।
(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव के पहले किस प्रकार के व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर: अन्वेषक के लिए सर्वेक्षण क्षेत्र को चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण होता है साथ ही उसे यह निर्णय करना होता है कि सर्वेक्षण संपूर्ण जनसंख्या अथवा समग्र के लिए आयोजित किया जाना है अथवा चयनित प्रतिदर्श (चुने हुए सैंपलस) पर आधारित किया जाना है। यदि अध्ययन के लिए चुना गया क्षेत्र बहुत विस्तृत नहीं है। तब समग्र अथवा सभी घटकों का सर्वेक्षण किया जा सकता है। अन्यथा बृहत आकार की स्थिति में चयनित प्रतिदर्श तक ही सीमित रहना उपयुक्त होता है।
(iv) सर्वेक्षण अभिकल्पना को संक्षिप्त में समझाएँ।
उत्तर: सर्वेक्षण की अभिकल्पना को कार्यात्मक दृष्टि से निम्नलिखित चरणों में पूरा किया जाता है
प्रथम चरण – समस्या को परिभाषित करना-सर्वेक्षण के लिए चुनी गई समस्या को सुस्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए। समस्या की प्रकृति को इंगित करते हुए सर्वेक्षण के विषय के शीर्षक तथा उपशीर्षक में उसकी झलक दिखनी चाहिए।
दूसरा चरण-उद्देश्य – सर्वेक्षण के उद्देश्यों, विशिष्ट उद्देश्यों को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। उद्देश्य सर्वेक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। उनके अनुरूप ही आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है तथा उनके विश्लेषण की उपयुक्त विधियों का चयन किया जाता है।
तीसरा चरण-प्रयोजन – सर्वेक्षण हेतु चुने गए संदर्भित भौगोलिक क्षेत्र को सीमांकित करना, समय सीमा व प्रसंगों को सीमांकित करना ही प्रयोजन है।
चौथा चरण-विधियाँ एवं तकनीकें – चयनित समस्या से संबंधित सूचनाएँ प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित किए जाते हैं। सूचनाएँ अथवा आंकड़े किन स्रोतों से, किस विधि से प्राप्त हुए हैं। यह अति महत्त्वपूर्ण है साथ ही आंकड़ों के सारणीयन, प्रक्रमण, आरेखीय प्रदर्शन व मानचित्र विधियों/तकनीकों का चयन भी आवश्यक हैं।
पांचवाँ चरण-संकलन एवं परिकलन – अर्थपूर्ण विवेचन एवं विश्लेषण द्वारा ही सर्वेक्षण के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है। जितनी भी सूचनाएँ व आंकड़े सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त हुए हैं उनको विभिन्न सांख्यिकीय विधियों से प्रक्रमित व प्रदर्शित करके तुलनात्मक निष्कर्ष प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए मानचित्रकारी संबंधी अनुप्रयोगों व आरेख विधियों का भरपूर उपयोग किया जा सकता है।
छठा चरण-निष्कर्ष – उपरोक्त सभी चरणों के पूरा होने पर एक रिर्पार्ट तैयार की जाती है जिसमें सर्वेक्षण के परिणाम व निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाते हैं।
(v) क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: क्षेत्र सर्वेक्षण में व्यक्तिगत साक्षात्कार एक महत्त्वपूर्ण क्रियाकलाप है। क्षेत्र में जाकर पर्यवेक्षक व्यक्तिगत साक्षात्कार के माध्यम से सूचनाएँ/आंकड़े एकत्र करता है। सामाजिक मुद्दों से जुड़े क्षेत्रीय सर्वेक्षणों में व्यक्तिगत साक्षात्कारों द्वारा सूचनाएँ/आंकड़े प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवेश से बहुत कुछ सीखता है। यदि इन अनुभवों को कुशलतापूर्वक एकत्रित किया जाता है तो, ये सूचनाओं के महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकते हैं। व्यक्तिगत साक्षात्कार हेतु लोगों का चयन, अभिव्यक्ति के कौशल, सामाजिकता की अभिरुचि आदि से ये सूचनाएँ प्रभावित हो सकती हैं, इसलिए साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या सीमित, सुरुचिपूर्ण, तर्कसंगत विषय से संबंधित, कम शब्दों में अभिव्यक्ति से परिपूर्ण होनी चाहिए। प्रश्नों में असहजता नहीं होनी चाहिए। प्रश्न ऐसे होने चाहिए जिनका उत्तर बिना झिझक के दिए जा सके। प्रश्न पूछते समय उत्तरदाता यह महसूस करे कि जिस समस्या से वे लंबे समय से ग्रसित हैं, उसका निराकरण संभव है। और यह साक्षात्कार उसका एक हिस्सा है।
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की प्रश्नावली पहले से ही तैयार होनी चाहिए और उसके संभावित उत्तरों के लिए पर्याप्त स्थान प्रश्न के सामने दिया गया हो। ताकि प्रश्नकर्ता व उत्तर दाता अपना समय व्यर्थ न गवाएँ। टेक्नीकल प्रश्न उसमें शामिल नहीं होने चाहिए।

प्र० 3. निम्नलिखित समस्याओं में से किसी एक के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण अभिकल्पना की रचना कीजिए|
(i) पर्यावरण प्रदूषण
(ii) मृदा अपघटन
(iii) बाढ़
(iv) सूखा
(v) आपदा विषयक
(vi) भूमि उपयोग में हो रहे परिवर्तन की पहचान।
उत्तर: छात्र स्वयं विषय का चयन करेंगे और अपनी इच्छानुसार क्षेत्रीय सर्वेक्षण में प्रयुक्त विधियों व तकनीकों का उपयोग करके चरनित समस्या का निराकरण करने के उपाय सुझाएँगे।

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NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 Spatial Information Technology (Hindi Medium)

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अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।
(i) स्थानिक आंकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं।
(क) अवस्थितिक
(ख) रैखिक
(ग) क्षेत्रीय
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में
(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक प्रचालन आवश्यक है?
(क) आंकड़ा संग्रहण
(ख) आंकड़ा प्रदर्शन
(ग) आंकड़ा निष्कर्षण
(घ) बफ़रिंग
(iii) चित्ररेखा पूँज (रैस्टर) आंकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है?
(क) सरल आंकड़ा संरचना
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिंब के लिए सक्षम
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण
(iv) भौगोलिक सूचना तंत्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है
(क) उपरिशायी प्रचालन
(ख) सामीप्य विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफ़रिंग

उत्तर:
(i) (ख) रैखिक
(ii) (घ) बफ़रिंग
(iii) (घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण
(iv) (ख) उपरिशायी प्रचालन

प्र० 2. निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) चित्र रेखा पूँज एवं सदिश (वेक्टर) आंकड़ा मॉडल के मध्य अंतर।
उत्तर: चित्ररेखा पूँज (रैस्टर) आंकड़ा फॉर्मेट में आंकड़ों को वर्गों के जाल के प्रारूप में ग्राफिक प्रदर्शन किया जाता है। जबकि सदिश (वैक्टर) आंकड़े वस्तुओं को विशिष्ट बिंदुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में | प्रदर्शित करते हैं।
(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर: अधिचित्रण विश्लेषण को उपरिशायी भी कहते हैं? भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रमाण चिह्न अधिचित्रण प्रचालन है। इस विधि का प्रयोग करके मानचित्रों के बहुगुणी स्तरों को समन्वय एक महत्त्वपूर्ण विश्लेषण क्रिया है। इसमें दो अथवा अधिक विषयक स्तरों का अधिचित्रण करके नया मानचित्र स्तर प्राप्त किया जा सकता है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 (Hindi Medium) 2
(iii) भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तचलित (हस्तेन) विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर: भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तेन निवेश की चार मुख्य अवस्थाएँ होती हैं
(i) स्थानिक आंकड़ों की प्रविष्टि
(ii) गुण न्यास की प्रविष्टि
(iii) स्थानिक और गुण न्यास का सत्यापन तथा संपादन
(iv) जहाँ आवश्यक हो स्थानिक का गुण न्यास से योजन करना।
आंकड़ा निवेश की हस्तेन विधियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि सूचनाधार की संस्थिति सदिश (वैक्टर) है। अथवा चित्र रेखापूँज वाली। भौगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक आंकड़ों के निवेश की सर्वाधिक प्रचलित विधियाँ अंकरूपण तथा क्रमवीक्षण हैं।
(iv) भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्त्वपूर्ण घटक क्या हैं?
उत्तर: भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्वपूर्ण घटक हैं-
(i) हार्डवेयर
(ii) सॉफ्टवेयर
(iii) आंकड़े
(iv) लोग
(v) प्रक्रिया
इन्हें चित्र के माध्यम से भी दर्शाया जा सकता है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 (Hindi Medium) 2.1
(v) भौगोलिक सूचनातंत्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या है?
उत्तर: भौगोलिक सूचना तंत्र के क्रोड में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यक वस्तु स्थानिक आंकड़े हैं जिन्हें भौगोलिक सूचनातंत्र के क्रोड में अनेक विधियों द्वारा संग्रहित किया जाता है। जैसे
(i) आंकड़ा आपूर्तिदाता से अंकित रूप में आंकड़े प्राप्त करना।
(ii) विद्यमान अनुरूप आंकड़ों का अंकीकरण
(iii) भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर: स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी का संबंध स्थानिक सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनर्घाप्ति, प्रदर्शन हेरफेर, प्रबंधन तथा विश्लेषण में प्रौद्योगिक निवेश के प्रयोग से है। वास्तव में यह सुदूर-संवेदन, वैश्विक स्थिति-निर्धारण तंत्र, भौगोलिक सूचना तंत्र, आंकिक मानचित्र कला और सूचनाधार प्रबंध प्रणालियों का सम्मिश्रण है।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए।
(i) चित्र रेखा पूँज (रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आंकड़ा फॉमेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर: स्थानिक आंकड़ों का प्रदर्शन चित्र रेखा पूँज (रैस्टर) और सदिश (वैक्टर) फार्मेटों द्वारा होता है,
चित्र रेखा पुँज आंकड़ा फॉर्मेट – यह वर्गों के जाल के रूप में आंकड़ों का ग्राफी प्रदर्शन है, इसमें स्तंभों व पंक्तियों का जाल होता है जिसे ग्रिड (Grid) कहते हैं। एक स्तंभ व एक पंक्ति के भेदन स्थल को सेल (cell) कहते हैं। प्रत्येक सेल को एक स्थान दिया जाता है तथा उसके आधार पर ही इसका मूल्य निर्धारित किया जाता है। इसकी पंक्तियों व स्तंभों के निर्देशांक किसी भी व्यक्तिगत पिक्सेल (Pixel) की पहचान कर सकते हैं। आंकड़ों का यह प्रदर्शन प्रयोक्ता की प्रतिबिंब के पुनर्गठन अथवा दृश्यांकन में, सहायता करता है। सेलों के आकार तथा उनकी संख्या के बीच संबंध को चित्र रेखा पूँज (रैस्टर) के विभेदन के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। रैस्टर फार्मेट में आंकड़ों पर जाल या वर्ग के आकार के प्रभाव को स्पष्ट किया जाता है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 (Hindi Medium) 3
चित्ररेखा पूँज (रैस्टर) फाइल फॉर्मेटों का प्रयोग प्रायः निम्नक्रियाओं के लिए किया जाता है
(i) वायव फ़ोटोग्राफों, उपग्रहीय प्रतिबिंबों, क्रमवीक्षित कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन के लिए।
(ii) जब लागत/कीमत को कम करना आवश्यक हो।
(iii) जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षणों का विश्लेषण आवश्यक हो।
(iv) जब ‘बैकड्राप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।
सदिश ( वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट – एक सदिश (वेक्टर) आंकड़ा फॉर्मेट अपने यथार्थ निर्देशांकों द्वारा भंडारित बिंदुओं का प्रयोग करता है। इसमें रेखाओं और क्षेत्रों का निर्माण बिंदुओं के अनुक्रम होता है। रेखाओं की दिशा बिंदुओं के क्रमण के अनुरूप होती हैं। बहुभुजों का निर्माण बिंदुओं अथवा रेखाओं द्वारा होता है। सदिश (वेक्टर) आंकड़ों के निवेश के लिए हस्तेन अंकीकरण सर्वोत्तम विधि है। सदिश आंकड़ा प्रदर्शन, केवल निर्देशांकों के आरंभिक तथा अंतिम बिंदुओं को अंकित कर रेखा की स्थिति स्पष्ट करके होगा। प्रत्येक बिंदु की अभिव्यक्ति दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होगी। यह इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि प्रदर्शन द्वि-आयामी है अथवा त्रि-आयामी। इन्हें प्रायः X, Y तथा X, Y, Z निर्देशांकों द्वारा निर्दिष्ट किया जाता हैं।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 (Hindi Medium) 3.1
(ii) भौगोलिक सूचना तंत्र से संबंधित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर: भौगोलिक सूचनातंत्र से संबंधित क्रियाओं को क्रमबद्ध रूप में करना होता है जैसे
(i) स्थानिक आंकड़ा निवेश – इसमें आंकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक आंकड़ा समुच्चय का प्रग्रहण करके, जो विभिन्न स्रोतों से प्राप्त हुए होते है, उनकी जाँच की जाती है कि आंकड़े अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं।
अथवा नहीं। याद ऐसा नहीं है तो उन्हें संगत बनाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
(ii) गुणन्यास की प्रविष्टि – इसमें प्रकाशित रिकार्डी, सरकारी जनगणनाओं, प्राथमिक सर्वेक्षणों अथवा स्प्रेडशीटों जैसे स्रोतों से उपार्जित गुण न्यास को GIS सूचनाधार में या तो हस्तेन अथवा मानक स्थानांतरण फार्मेट का प्रयोग करते हुए, आंकड़ों को प्राप्त करके निवेश किया जाता है।
(iii) आंकड़ों का सत्यापन तथा संपादन – इसमें आंकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित करने हेतु त्रुटियाँ की पहचान तथा उनमें आवश्यक संशोधन के लिए भौगोलिक सूचना तंत्र में प्रग्रहित आंकड़ों को सत्यापन की आवश्यकता होती है। स्थानिक और गुण-न्यास के प्रग्रहण, के दौरान उत्पन्न त्रुटियों को इस तरह वर्गीकृत किया जा सकता
(क) स्थानिक आंकड़े अपूर्ण अथवा दोहरे हैं।
(ख) स्थानिक आंकड़े गलत मापनी पर है।
(ग) स्थानिक आंकड़े विरुपित हैं।
(iv) स्थानिक और गुण न्यास आंकड़ों की सहलग्नता – इसमें आंकड़े एक-दूसरे से सुमेलित होने चाहिए।
(v) स्थानिक विश्लेषण-स्थानिक विश्लेषण की कई विधियाँ है जैसे
(क) अधिचित्रण विश्लेषण
(ख) ब्रफर विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) आंकिक भू-भाग मॉडल। भौगोलिक सूचना तंत्र में विश्लेषण के लिए ये सभी विधियाँ उपयोग में लाई
जाती हैं। कौन-सी विधि कहाँ उपयुक्त होगी यह निश्चित करके ही उसका उपयोग करना चाहिए।

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NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 Data Processing (Hindi Medium)

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अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. निम्नांकित चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए
(i) केंद्रीय प्रवृत्ति का जो माप चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होता है वह है
(क) माध्य
(ख) माध्य तथा बहुलक
(ग) बहुलक
(घ) माध्यिका
(ii) केंद्रीय प्रवृत्ति का वह माप जो किसी वितरण के उभरे भाग से हमेशा संपाती होगा वह है
(क) माध्यिका
(ख) माध्य तथा बहुलक
(ग) माध्य
(घ) बहुलक
(iii) ऋणात्मक सहसंबंध वाले प्रकीर्ण अंकन में अंकित मानों के वितरण की दिशा होगी
(क) ऊपर बाएँ से नीचे दाएँ
(ख) नीचे बाएँ से ऊपर दाएँ
(ग) बाएँ से दाएँ
(घ) ऊपर से दाँए से नीचे बाएँ

उत्तर:
(i) (घ) माध्यिका
(ii) (ख) माध्य तथा बहुलक ।
(iii) (क) ऊपर बाएँ से नीचे दाएँ

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) माध्य को परिभाषित कीजिए?
उत्तर: किसी चर/मद के विभिन्न मूल्यों का साधारण अंकगणितीय औसत माध्य कहलाता हैं। यह अधिकतम व न्यूनतम मूल्यों/ मानों के बीच एक स्थिर मूल्य होता है।
(ii) बहुलक के उपयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर: किसी श्रेणी में जिस मान/मूल्य की सबसे अधिक पुनरावृत्ति होती है वह मान बहुलक कहलाता है। बहुलक में वे मान महत्वपूर्ण होते हैं जिनकी पुनरावृत्ति सर्वाधिक बार हुई है। ये मान प्रायः श्रेणी के मध्य में होते हैं। अतः बहुलक पर श्रेणी के चरम मूल्यों/मानों का प्रभाव नहीं पड़ता।
(iii) प्रकीर्णन किसे कहते हैं?
उत्तर: दो चरों के बीच विशिष्ट सह संबंध अथवा साहचर्य को दर्शाने के लिए बनाए गए रेखा-चित्रों को प्रकीर्ण आरेख अथवा प्रकीर्ण अंकन कहते हैं। इस रेखाचित्र पर X तथा Y मानों का बिखराव प्रकीर्णन कहलाता है।
(iv) सहसंबंध को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: कुछ भौगोलिक परिघटनाओं के परिणाम ज्ञात करने के लिए दो या अधिक चरों के बीच साहचर्य अथवा पारस्परिक निर्भरता, उनकी प्रकृति, दिशा व गहनता का अध्ययन ही सहसंबंध है।
(v) पूर्ण सहसंबंध किसे कहते हैं?
उत्तर: सहसंबंध की दिशा व गहनता का विस्तार किसी भी परिस्थिति में ± 1 से अधिक नहीं हो सकता। सहसंबंध पूरी 1 (एक) होने पर (चाहे धनात्मक हो या ऋणात्मक) इसे पूर्ण सहसंबंध कहा जाता है।
(vi) सहसंबंध की अधिकतम सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर: सहसंबंध की अधिकतम सीमाएँ -1 से लेकर +1 के बीच कुछ भी हो सकती है। यह जितना शून्य (0) के समीप होगी सहसंबंध उतना ही कमजोर होगा तथा जितना ± 1 के पास होगी सहसंबंध उतना ही प्रगाढ अथवा संघन होगा।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए|
(i) आरेखों की सहायता से सामान्य तथा विषम वितरणों में माध्य, माध्यिका तथा बहुलक की सापेक्षिक स्थितियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सामान्य वितरण की विशेषता है कि इसमें माध्य, माध्यिका तथा बहुलक का मान समान होता है क्योंकि सामान्य वितरण सममित होता है। इसमें अधिकतम आवृत्ति का मान, वितरण के मध्य में होता है तथा इस बिंदू से आधी इकाईयाँ ऊपर व आधी नीचे होती हैं। अति उच्च तथा अति निम्न मूल्यों की बारंबारता बहुत ही कम होती हैं। देखें चित्र सामान्य वक्र आवृत्तियों को प्रदर्शित करने वाला रेखाचित्र घंटाकार वक्र कहलाता है। सामान्य वक्र में आंकड़ों की परिवर्तनशीलता कम अथवा अधिक हो सकती है। सामान्य वक्र का एक उदाहरण है-चित्र A में धनात्मक विषमता वाला वक्र दिखाया गया है जिसमें निम्न मूल्यों की आवृत्तियाँ अधिक तथा अधिक मूल्य की आवृत्तियाँ कम है। इस स्थिति में पहले बहुलक, फिर माध्यिका तथा अंत में माध्य आता है। जबकि चित्र B में ऋणात्मक विषमता वाला वक्र दिखाया गया है। इसमें कम मूल्य की आवृत्तियाँ कम तथा अधिक मूल्य की आवृत्तियाँ अधिक होती हैं। इस स्थिति में पहले माध्य, फिर माध्यिका तथा अंत में बहुलक आता है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3
यदि आंकड़े विषम अथवा विकृत हों तो माध्य, माध्यिका तथा बहुलक संपाती नहीं होंगे। विषम आंकड़ों के प्रभाव को A तथा B के द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.1
(ii) माध्य, माध्यिका तथा बहुलक की उपयोगिता का वर्णन उनके गुण व दोषों के आधार पर कीजिए।
उत्तर:

  1. सामान्य वितरण में माध्य, माध्यिका तथा बहुलक का मान समान होता है।
  2. अधिकतम आवृत्ति का मान वितरण के मध्य में होता है।
  3. मध्य बिंदू से आधी इकाइयाँ ऊपर तथा आधी नीचे होती हैं।
  4. अधिकतर इकाइयाँ वितरण के मध्य में अर्थात् माध्य के निकट होती हैं।
  5. अति उच्च तथा अति निम्न मूल्यों की बारंबारता का बंटन बहुत ही कम होता है।
  6. सामान्य वितरण वक्र की आकृति घंटाकार वक्र जैसी होती हैं क्योंकि यह वक्र सममित होती है।
  7. यदि आंकड़े विषम अथवा विकृत हों तो माध्य, माध्यिका तथा बहुलक संपाती नहीं होंगे।
  8. सामान्य वितरण वक्र की सहायता से केंद्रीय प्रवृत्ति के तीनों मापों की तुलना आसानी से की जा सकती है।

(iii) एक काल्पनिक उदाहरण की सहायता से मानक विचलन के गणना की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर: मानक विचलन, प्रकीर्णन का सर्वाधिक स्थिर भाप है। इसकी गणना हमेशा माध्य के परिपेक्ष्य में की जाती है। इसलिए इस वर्ग माध्यन्मूल विचलन भी कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर 6 से तथा अंग्रेजी अक्षर SD से अभिव्यक्त करते हैं।
इसका गणितीय सूत्र है-
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.2
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.3
(iv) प्रकीर्णन का कौन-सा माप सबसे अधिक अस्थिर है तथा क्यों?
उत्तर: प्रकीर्णन को मापने के लिए अनेक विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। जैसे-विस्तार, चतुर्थक विचलन, माध्य विचलन, मानक विचलन, विचरण गुणांक तथा लॉरेंज वक्र आदि। इनमें से प्रत्येक विधि के अपने विशेष गुण तथा सीमाएँ हैं। किंतु विस्तार अथवा परिसर द्वारा परिकलित माप सबसे अधिक अस्थिर है। क्योंकि इसे श्रेणी के सबसे । उच्चतम मान में से-न्यूनतम मान को घटाकर प्राप्त किया जाता है। जैसे-निम्नलिखित अवर्गीकृत आंकड़ों के आधार पर दैनिक मजदूरी के वितरण के लिए विस्तार की गणना कीजिए – रु० 80, 85, 95, 100, 110, 120, 200 है। विस्तार/परिसर की गणना के लिए सूत्र है- R = L – S, R = परिसर (Range), L = उच्चतम मान (Largest Value) S = निम्नतम मान (Smallest Value) यहाँ L = 200, तथा S = 200 हैअतः R= L – S अर्थात् R = 200 – 80 = 120 यदि इस श्रेणी में से अंतिम माने = 200 को हटा दें तब R = 120 – 80 = 40 इस तरह केवल एक मान को हटाने पर R का मान घटकर केवल एक-तिहाई रह गया है।
अतः दो चरम मानों पर आधारित परिणाम भ्रामक, अवास्तविक व अविश्वसनीय होते हैं।
(v) सहसंबंध की गहनता पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: सहसंबंध की गहनता का मापन दोनों चरों में अनुरूपता या साहचर्य की मात्रा पर निर्भर करता है। इस अनुरूपता
अथवा साहचर्य की गहनता की मात्रा गणितीय दृष्टि से -1 से शून्य की ओर बढ़ते हुए +1 तक हो सकती है। अतः इसका मान किसी भी परिस्थिति में ± 1 से अधिक नहीं हो सकता।। सह संबंध पूरा 1 (एक) होने पर (चाहे वह धनात्मक हो या ऋणात्मक) इसे पूर्ण सहसंबंध क़हते हैं। गहनतम सहसंबंध के दो विपरीत सिरों ± 1 के ठीक मध्य में (शून्य) 0 सहसंबंध की स्थिति होती है। इस बिंदू पर या उसके समीप चरों की उपस्थिति सहसंबंध के अभाव को दर्शाती है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.4
दो चरों के मध्य विशिष्ट साहचर्य को दर्शाने के लिए बनाए गए आरेख को प्रकीर्ण आरेख अथवा प्रकीर्ण अंकन कहते हैं। रेखाचित्र पर X तथा Y मानों का बिखराव अथवा प्रकीर्णन सहसंबंध की गहनता को दर्शाते हैं। प्रकीर्ण आरेख पर जब एक सरल रेखा निचले बाँए से ऊपरी दाएँ भाग की ओर अग्रसर होती हैं तो यह पूर्ण धनात्मक सहसंबंध (1.00) को दर्शाती है। इसके विपरीत जब यह रेखा ऊपरी बाएँ से निचले दाएँ भाग की ओर जाती है। तब पूर्ण ऋणात्मक सहसंबंध (-1.00) को दर्शाती है। सहसंबंध का अभाव होने पर या शून्य सहसंबंध होने पर X तथा Y चरों में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रकीर्ण आरेख पर X तथा Y चरों का बिखराव X तथा Y अक्ष के समान्तर होता है और समांतर सरल रेखाएँ दिखाई देती हैं।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.5
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 2 (Hindi Medium) 3.6
(vi) कोटि सहसंबंध की गणना के विभिन्न चरण कौन से हैं?
उत्तर: स्पीयर मैंन ने कोटियों के आधार पर सहसंबंध की गणना विधि प्रस्तुत की है। प्रचलित रूप में इसे स्पीयरमैन के कोटि सहसंबंध के नाम से जाना जाता है जिसे ग्रीक अक्षर P तथा उच्चारण रो (rho) से अभिव्यक्त किया जाता है। इसकी गणना के निम्न चरण हैं-
प्रथम चरण – दिए गए X तथा Y चरों के आंकड़ों को तालिका में क्रमशः प्रथम व द्वितीय स्तंभों में लिख दिया जाता है जैसे-
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NCERT Solutions for Class 12 Geography India People and Economy Chapter 10 Transport and Communication (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 12 Geography India: People and Economy Chapter 10 Transport and Communication (Hindi Medium)

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अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।
(i) भारतीय रेल प्रणाली को कितने मंडलों में विभाजित किया गया है?
(क) 9
(ख) 12
(ग) 16
(घ) 14
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय महामार्ग है?
(क) एन. एच-1
(ख) एन. एच-6
(ग) एन. एच-7
(घ) एन. एच-8
(iii) राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन दो स्थानों के बीच पड़ता है?
(क) ब्रह्मपुत्र-सादिया-धुबरी
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(ग) पश्चिमी तट नहर-कोट्टापुरम से कोल्लाम
(iv) निम्नलिखित में से किस वर्ष में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था?
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923

उत्तर:
(i) (ग) 16
(ii) (ख) एन. एच-7
(iii) (ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(iv) (घ) 1923

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
(i) परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताएँ।
उत्तर: परिवहन आर्थिक क्रियाकलापों के तृतीयक वर्ग में सेवाओं के अंतर्गत आता है। जिसमें पदार्थों, वस्तुओं के लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाता है। परिवहन के तीन मुख्य प्रकार हैं – (i) स्थल-सड़क, रेल व पाइप लाइन परिवहन, (ii) जल-अंत:स्थलीय व महासागरीय, (iii) वायु अंतर्देशीय (घरेलू) व अंतर्राष्ट्रीय।
(ii) पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर: पाइप लाइनों के द्वारा द्रव एवं गैस जैसे-खनिज तेल, परिष्कृत पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा पेयजल आदि को परिवहन किया जाता है। एक बार पाइप लाइन बिछा देने के बाद इससे अबाधित प्रचालन होता रहता है। यह सस्ता व सुगम साधन है। इसे जल, थल, मरुस्थल, पर्वत, वन कहीं से भी निकाला जा सकता है। फिर भी कुछ हानियाँ भी इस परिवहन के प्रचालन में आती हैं। जैसे – (i) इसकी क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकती, (ii) भूमिगत होने के कारण मरम्मत कार्य में दिक्कतें आती हैं, (iii) सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं समझी जाती, (iv) रिसाव का पता लगाना कठिन होता है।
(iii) संचार’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: विचारों, दर्शन तथा संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने के लिए जिन माध्यमों व साधनों का उपयोग किया जाता है, वे संचार के साधन हैं। अर्थात संदेशों को पहुँचाना संचार है।
(iv) भारत में वायु परिवहन के क्षेत्र में ‘एयरइंडिया’ तथा ‘इंडियन’ के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर: भारत में वायु परिवहन की शुरुआत 1911 ई० में हुई थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में एयर अथॉरिटी ऑफ इंडिया वायु परिवहन का प्रबंधन व प्रचालन करता है। भारत में एयर इंडिया यात्रियों तथा नौभार परिवहन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाएँ प्रदान करती है जबकि इंडियन घरेलू अथवा अंतर्देशीय उड़ानों के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसे कुछ समय पहले तक इंडियन एयरलांइस कहा जाता था। वर्ष 2005 में एयर इंडिया ने 1.22 करोड़ यात्रियों तथा 4.8 लाख टन नौभार का वहन किया जबकि इंडियन ने घरेलू प्रचालन के द्वारा 24.3 मिलियन यात्रियों तथा 20 लाख टन नौभार को अपने गंतव्य तक पहुँचाया था

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
(i) भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।
उत्तर: भारत में परिवहन के प्रमुख साधनों को तीन वर्गों के अंतर्गत रखा गया है
(i) स्थल परिवहन जिसमें मुख्यः सड़क मार्गों से परिवहन, रेलमार्गों से परिवहन, पाइप लाइनों से परिवहन, केबिलों (रोपवे) से परिवहन को शामिल किया जाता है।
(ii) जल परिवहन इसके दो वर्ग हैं
(क) अंत:स्थलीय जलमार्गों से परिवहन,
(ख) महासागरीय जलमार्गों से परिवहन।
(ii) वायु परिवहन-इसके अंतर्गत दो तरह की सेवाएँ उपलब्ध हैं
(क) अंतर्देशीय (घरेलू सेवाएँ) तथा
(ख) अंतर्राष्ट्रीय सेवाएँ।
इनके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ सड़कें बनाना संभव नहीं होता वहाँ पदार्थों, वस्तुओं व लोगों के आवागमन के लिए रज्जू मार्गों, केबिल मार्गों (रोपवे) का प्रयोग परिवहन के लिए किया जाता है। परिवहन के साधनों के विकास को प्रभावित करने वाले कारक
(i) स्थलाकृति, उबड़ – खाबड़ पर्वतीय अथवा पठारी भागों में परिवहन के साधनों का विकास मैदानी समतल भागों की अपेक्षा कम होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारत के मैदानी भागों में सड़क व रेलवे मार्गों का जाल दुनिया के सबसे सघन जालों में से एक है जबकि हिमालय पर्वतीय भू-भाग, प्रायद्वीप पठार के अंतर्गत यह बहुत ही कम है।
(ii) विषम जलवायु जिन – क्षेत्रों की जलवायु विषम या मानवीय क्रियाओं के प्रतिकूल है वहाँ जनसंख्या का घनत्व व वितरण कम है। इसलिए वहाँ पर परिवहन के साधनों का विकास भी कम होता है।
(iii) संसाधनों की उपलब्धता – जिन प्रदेशों में संसाधनों की प्रचुरता है। वहाँ अनेक आर्थिक क्रियाओं का विकास स्वतः हो जाता है। औद्योगिकरण के विकास ने जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित किया है जिसके कारण वहाँ परिवहन के साधनों का भी तेजी से विकास हुआ है।
(iv) सरकारी नीतियाँ – सरकारी नीतियाँ भी किसी प्रदेश के विकास को प्रभावित करती हैं। औद्योगिक संकुलों के विकास से जनसंख्या आकर्षित होती है तथा उन्हें गति देने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का विकास किया जाता है।
(ii) पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर: प्र० 2. का (ii) देंखे।
(iii) भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर: भारत का सड़क जाल विश्व के विशालतम सड़क-जालों में से एक है। इसकी कुल लंबाई 33.1 लाख कि०मी० है। (2005 के अनुसार) जिस पर प्रतिवर्ष लगभग 85% यात्री एवं 70% भार यातायात का परिवहन किया जाता है। छोटी दूरियों की यात्रा के लिए सड़क परिवहन सबसे उपयुक्त व अनुकूल माना जाता है। ये सड़कें देश के प्रमुख नगरों, महानगरों, राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों, कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा सभी औद्योगिक व व्यापारिक केन्द्रों को, रेलवे जक्शनों व विमान पत्तनों व समुद्री पत्तनों को आपस में जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कृषि उत्पादन क्षेत्रों से लेकर लोगों के घरों तक पहुँच रखने वाला यह एकमात्र परिवहन व यातायात का साधन है।। निर्माण एवं रखरखाव के उद्देश्य से सड़कों को राष्ट्रीय महामार्गों, राज्य महामार्गों, जिला सड़कों तथा ग्रामीण सडकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कई बार इनको कच्ची एवं पक्की सड़कों के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है।
किसी देश के आर्थिक विकास का मापन वहाँ विकसित परिवहन एवं संचार जाल के आधार पर भी किया जाता है। क्योंकि, ये औद्योगिकीकरण व व्यापार एवं वाणिज्य के विकास के महत्त्वपूर्ण सेवा तंत्र उपलब्ध करवाते हैं।

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NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 1 Data Its Source and Compilation (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।
(i) एक संख्या अथवा लक्षण को जो मापन को प्रदर्शित करता है, करते हैं
(क) अंक
(ख) आँकड़े
(ग) संख्या
(घ) लक्षण
(ii) एकल आधार सामग्री एक मात्र माप है।
(क) तालिका
(ख) आवृत्ति
(ग) वास्तविक संसार
(घ) सूचना
(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एंड क्रासिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं
(क) फोर एंड क्रास विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति अंकित विधि
(घ) समावेश विधि
(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती है।
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है।
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती है।
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
(v) यदि वर्ग के दोनों अंत आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं।
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेश विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि

उत्तर:
(i) (ख) आंकड़े
(ii) (ग) वास्तविक संसार को मापने की।
(iii) (क) तथा (ख) दोनों फोर एंड क्रांस विधि (इंगलिश), मिलान चिह्न विधि (हिंदी)
(iv) (घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
(v) (ख) समावेश विधि

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए|
(i) आंकड़ा और सूचना के बीच अंतर बताइए।
उत्तर: आंकड़ा, संख्यात्मक सूचना को कहते हैं। लेकिन प्रत्येक सूचना संख्यात्मक हो यह आवश्यक नहीं है। क्योंकि सूचना-गुणात्मक, मात्रात्मक अथवा विवरणात्मक भी हो सकती है।
(ii) आंकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: भौगोलिक परिघटनाओं, मानवीय क्रियाओं तथा उनके बीच अंतर्संबंधों का संख्यात्मक अथवी मात्रात्मक मापन आंकड़े कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में संख्यात्मक सूचनाएँ आंकड़े कहलाती हैं।
(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ है?
उत्तर: किसी भी तालिका के नीचे तालिका में प्रयुक्त आंकड़ों से संबंधित आवश्यक सूचना (foot note) लिखी जाती है। तथा तारे (*) का चिह्न लगाकर स्रोत की जानकारी दी जाती है।
(iv) आंकड़ों के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: जो आंकडे पहली बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा, किसी संस्था या संगठन द्वारा एकत्रित किए।
जाते हैं, उन्हें ‘आंकड़ों के प्राथमिक स्रोत’ कहते हैं।
(v) द्वितीयक आंकड़ों के पाँच स्रोत बताइए।
उत्तर: जो आंकड़े किसी प्रकाशित अथवा अप्रकाशित साधनों या स्रोतों जैसे-सरकारी, अर्धसरकारी, अंतर्राष्ट्रीय, निजी प्रकाशन, समाचार पत्र, गैर सरकारी प्रलेखों द्वारा एकत्र किए जाते हैं, उन्हें द्वितीयक स्रोत कहते हैं। भारतीय योजना आयोग, भारत का जनगणना विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, कृषि विभाग। प्रतिवर्ष अनेक प्रकार के आंकड़ों को प्रकाशित करते हैं।
(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधी क्या है?
उत्तर: आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधि में एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा होती है। जैसे – (10 – 20) वर्ग की उच्च सीमा-20 है लेकिन अगले वर्ग (20-30) में यही 20 निम्न सीमा पर है। अतः 20 को निम्न सीमा | पर प्रदर्शित किया जाता है न कि उच्च सीमा पर। इसलिए इस विधि को अपवर्ती विधि कहते हैं।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए।
(i) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आंकड़े एकत्र किए जा सकते हैं।
उत्तर: सरकारी संस्थानों से – भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों; राज्य सरकारों के प्रकाशन और जिलों के बुलेटिन द्वितीयक सूचनाओं के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनके अंतर्गत भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्ट, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्व रारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट सम्मिलित की जाती है।
अर्ध सरकारी संस्थान – इस श्रेणी में नगर विकास प्राधिकरणों विभिन्न नगर निगमों, नगर पालिकाओं व जिला परिषदों द्वारा जारी आंकड़े होते हैं जो विभिन्न प्रकाशनों व रिपोर्टों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय अभिकरण-अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में वार्षिक रिपोर्ट होती हैं। संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरणों जैसे-संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), खाद्य एवं कृषि परिषद (FAO), आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ शामिल किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित आवधिक प्रकाशन जैसे-डैमोग्राफिक इयर बुक, स्टेटिस्टीकल इयर बुक तथा मानव विकास रिपोर्ट आदि। अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट द्वितीयक आंकड़ों के एकत्रिकरण के प्रमुख स्रोत हैं।
(ii) सूचकांक का क्या महत्व है। सूचकांक को परिकलन को प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर: सूचकांक एक सांख्यिकीय माप है जिसका उपयोग समय के संदर्भ में विभिन्न चरों में हुए परिवर्तनों को उनकी भौगोलिक स्थिति तथा दूसरी विशेषताओं के आधार पर, मापने के लिए परिकलित किया जाता है। स्मरण रहे कि सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, नगरों, देशों में हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों, जनसंख्या संबंधि परिवर्तनों, व्यवसायिक गतिविधियों में हो रहे विकास व वृद्धि का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करता है। इसलिए सूचकांक का व्यापक उपयोग अर्थशास्त्र, व्यवसाय में लागत व मात्रा में आए परिवर्तनों को देखने के लिए होता है। सूचकांक परिकलन की विभिन्न विधियों में साधारण समुच्च विधि सबसे अधिक उपयोग में लाई जाती है। इसे निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात करते हैं।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 1 (Hindi Medium) 3
साधारणतया आधार वर्ष का मूल्य 100 के बराबर माना जाता है और उसी के आधार पर सूचकांक की गणना की जाती है। जैसे – दी गई सारणी में आधार वर्ष 1980-81 को माना गया है।
सारणी-भारत में लौह अयस्क के उत्पादन में हुए परिवर्तन को दर्शाया गया है।
NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 1 (Hindi Medium) 3.1
स्रोत – भारत-आर्थिक सर्वेक्षण, 2005

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NCERT Solutions for Class 12 Geography India People and Economy Chapter 11 International Trade (Hindi Medium)

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अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।
(i) दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है|
(क) अंतर्देशीय व्यापार
(ख) बाह्य व्यापार
(ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) स्थानीय व्यापार
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थ्लबद्ध पोताश्रय है?
(क) विशाखापट्टनम
(ख) मुंबई
(ग) एन्नोर
(घ) हल्दिया
(iii) भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार वहन होता है
(क) स्थल और समुद्री द्वारा
(ख) स्थल और वायु द्वारा
(ग) समुद्र और वायु द्वारा
(घ) समुद्र द्वारा
(iv) वर्ष 2010-11 में निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था
(क) यू०ए०ई०
(ख) चीन
(ग) जर्मनी ।
(घ) स०रा० अमेरिका

उत्तर:
(i) (ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(ii) (क) विशाखापट्टनम
(iii) (ग) समुद्र और वायु द्वारा
(iv) (घ) स० रा० अमेरिका

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
(i) भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) भारत के व्यापारिक संबंध विश्व के अधिकांश देशों एवं प्रमुख व्यापारिक गुटों के साथ हैं।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण परंपरागत वस्तुओं के व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है।
(iii) भारत के निर्यात की तुलना में आयात को मूल्य अधिक होने से व्यापार घाटे में लगातार वृद्धि हो रही है।
(ii) पत्तने और पोताश्रय में अंतर बताइए।
उत्तर: पत्तन-समुद्रतट पर जलपोतों के ठहरने का वह स्थान जहाँ पर पानी के छोटे-बड़े जहाज़ों में सामान लादने तथा उतारने की सभी सुविधाएँ होती हैं। साथ ही सामान को सुरक्षित रखने के लिए गोदामों की भी सुविधा होती है। पत्तन व्यापार के द्वार होते हैं जो अपनी पृष्ठभूमि से सड़कों व रेलमार्गों से अच्छी तरह जुड़े होते हैं। जबकि पोताश्रय कटे-फटे समुद्रतट व खाड़ियों पर प्राकृतिक पोताश्रय स्थल होते हैं। जहाँ जहाज़ समुद्री लहरों व तूफानों से सुरक्षा प्राप्त करते हैं अथवा कुछ समय आराम करने की दृष्टि से लंगर डाल लेते हैं तथा अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ जाते हैं।
(iii) पृष्ठ प्रदेश का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पृष्ठ प्रदेश (hinter land) किसी पत्तन का वह प्रभाव क्षेत्र होता है जो रेल व सड़क मार्गों द्वारा पत्तन से अच्छी तरह जुड़ा होता है। इस क्षेत्र के उत्पाद निर्यात के लिए पत्तन तक भेजे जाते हैं तथा आयातित सामान विक्रय/उपभोग के लिए यहाँ वितरित कर दिया जाता है।
(iv) उन महत्त्वपूर्ण मदों के नाम बताइए जो भारत विदेशों से आयात करता है।
उत्तर: पेट्रोलियम व पेट्रोलियम उत्पाद भारत के प्रमुख आयात हैं। इनके अलावा मशीनरी, गैरधात्विक खनिज, अलौह धातुएँ, मोती व उपरत्न, सोना व चाँदी, उर्वरक तथा अन्य रसायनों का भी आयात किया जाता है।
(v) भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों के नाम बताइए।
उत्तर: भारत के पूर्वी तट अर्थात् बंगाल की खाड़ी के प्रमुख पत्तन हैं-कोलकाता, हल्दिया, पाराद्वीप, विशाखापट्टनम, एन्नौर, चेन्नई व तूतीकोरिन।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
(i) भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत के विदेशी व्यापार में अनेक वस्तुओं का निर्यात व आयात किया जाता है। भारत से निर्यात की वस्तुएँ हैं-कृषि एवं समवर्गी उत्पाद, अयस्क एवं खनिज, विनिर्मित वस्तुएँ, मणि-रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान वस्त्रादि, हस्तशिल्प, कालीन, चमड़े से बने उत्पाद तथा पेट्रोलियम उत्पाद आदि। जबकि प्रमुख आयातित वस्तुएँ हैं-पेट्रोलियम अपरिष्कृत एवं उत्पाद, व्यावसायिक उपस्कर आदि; स्वर्ण एवं चाँदी; मशीनरी; मोती, बहुमूल्य एवं अल्पमूल्य रत्न; गैर-धात्विक खनिज विनिर्माण; दालें, लोहा एवं स्टील; खाद्य तेल; धातुमयी अयस्क तथा छीजन; चिकित्सीय एवं फार्मा उत्पाद; अलौह धातुएँ; उर्वरक; लुगदी; अन्य वस्त्र धागे, कपड़े इत्यादि, रासायनिक उत्पाद; कोयला, कोक तथा इष्टिका आदि। भारत के आयात व निर्यात व्यापार संयोजन को इस दृष्टि से भी आकलन किया जा सकता है कि सन् 2004-05 में भारत का आयात मूल्य 4810.5 अरब रुपये का था जबकि निर्यात मूल्ये कुल 3560.5 अरब रुपये मूल्य का था। इस तरह भुगतान संतुलन बिल्कुल भी भारत के पक्ष में नहीं है।
(ii) भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रकृति में लगातार बदलाव महसूस किए जा रहे हैं जिन्हें निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट किया होता है
(1) भारत का कुल विदेशी व्यापार 1950-51 में 1, 214 करोड़ रुपये से बढ़कर 2004-05 में 8, 37, 133 करोड़ तथा 2006-07 में 13, 84, 368 करोड़ रुपये हो गया।
(2) निर्यात की तुलना में आयात में तेजी से वृद्धि हुई है। 1950-51 में आयात 608.8 करोड़ रुपये से बढ़कर 2004-05 में 4,81,064.0 करोड़ रुपये तथा 2006-07 में 820,568.0 करोड़ रुपये हो गया। जबकि निर्यात मूल्य 606.0 करोड़ रुपये से बढ़कर 2004-05 में 356,069.0 करोड़ रुपये तथा 2006-07 में 5,63,800.0 करोड़ रुपये हो गया।
(3) भारत के आयात तथा निर्यात के मूल्यों में लगातार अंतर बढ़ता ही जा रहा है जिससे व्यापार संतुलन विपरीत अर्थात् भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल है।
(4) विश्व के कुल निर्यात व्यापार में भारत की भागीदारी भी लगातार कम होती जा रही है। 1950 में यह 2.1% थी, अब घटकर मात्र 1% रह गयी है। इसके लिए अनेक कारणों को जिम्मेदार माना जाता है
(क) विश्व बाजार में रुपये का अवमूल्यन,
(ख) उत्पादन में धीमी प्रगति,
(ग) घरेलू उपभोग में वृद्धि,
(छ) विश्व बाज़ार में कड़ी प्रतिस्पर्धा आदि।

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