CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 1
These Sample Papers are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निदेश
* इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड हैं
खण्ड (क) : अपठित अंश 15 अंक
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण 15 अंक
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक 25 अंक
खण्ड (घ) : लेखन 25 अंक
* चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
* यथासंभव प्रत्येक खण्ड के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड (क) : अपठित अंश
प्र.1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [9]
‘पर्यावरण’ शब्द दो शब्दों ‘परि’ और ‘आवरण’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-हमारे चारों ओर का आवरण | वह आवरण, जिसमें ऐसे अनेक तत्व निहित हैं, जिनसे जीवन फलता-फूलता है। इन तत्वों का उचित संतुलन पर्यावरण को ऐसा रूप देता है, जिसमें धरती पर उपस्थित जीवधारियों को जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं, किंतु जब यही संतुलन बिगड़ता है, तब सभी जीवधारियों के लिए परिस्थितियाँ कठिन से कठिनतम होती चली जाती हैं | सच मानिए तो जीवनदायी तत्वों से भरा हमारा पर्यावरण हमारे प्राणों का आधार है । इसके संतुलन में ही हमारी भलाई है। इसका असंतुलित होना हमारे लिए प्राणघातक है, किंतु इसे मानव-जीवन की विडंबना ही कहा जाएगा कि बुद्धिजीवी होते हुए भी हम मनुष्य शायद ऐसी बातें भूल चुके हैं, तभी तो पर्यावरण की इस कदर अनदेखी कर रहे हैं कि जैसे उससे हमारे जीवन का कोई वास्ता ही न हो । आज विज्ञान की प्रगति के नाम पर किए जा रहे उचित-अनुचित परीक्षण, वैज्ञानिक आविष्कारों के अनुचित उपयोग, शहर व कारखानों की गंदगी से बेहाल होती नदियों व बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण का मानो दम घोंट दिया है। पर्यावरण कराह रहा है, प्रकृति आक्रोश में है । ग्लोबल वॉर्मिंग,ग्लेशियरों का पिघलना, मौसम-चक्रों का अव्यवस्थित होना, बादल फटना, बाढ़, तूफ़ान, भूकंप आदि का आना तथा नित्य नई-नई बीमारियों का बढ़ना प्रकृति के आक्रोश तथा मनुष्य के द्वारा किए जा रहे पर्यावरण की उपेक्षा के ही परिणाम हैं । सोचिए, क्या ऐसा करके मनुष्य अपनी कब्र अपने आप ही तैयार करने में नहीं जुट गया है। ऐसा करके हम अगली पीढ़ी को कैसा पर्यावरण सौंपने जा रहे हैं, क्या हमने इस पर विचार करना छोड़ दिया है। अच्छा होगा कि मनुष्य निजी स्वार्थ को छोड़कर पर्यावरण-संरक्षण का दायित्व निभाए, तभी भावी पीढ़ी उसे उसकी अच्छाइयों के लिए याद करेगी ।।
(i) पर्यावरण का जीवन के साथ क्या संबंध है? गद्यांश के आधार पर विचार करके लिखिए। [2]
(ii) गद्यांश में मानव-जीवन की विडंबना किसे बताया गया है? [2]
(iii) पर्यावरण की उपेक्षा के परिणामों को अपने शब्दों में लिखिए। [2]
(iv) भावी पीढ़ी आज की पीढ़ी को कब याद करेगी? [2]
(v) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए । [1]
प्र. 2. निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [6]
है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।
जीवन के काँटों में सुरभित सुमनों-सा खिल-खिल जाए जो ।।
दम तेज़ हवाओं का तोले, औ बाधाओं से टकराए
जब दुख की तेज़ धूप छाए, वो मेघों जैसा लहराए।
जीवन तरुवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।
झोंका मलयानिल का बनकर, जो छू पीड़ा हर लेता है।
परहित में, परसेवा में ही सच जीवन को सुख पाए जो ।
है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।।
मुश्किल हालातों में जिसका, साहस दुगुना हो जाता है।
अँधियारों को हरने के हित- जो उजियारे नित बोता है ।
जो चट्टानों से टकराकर, नित राह निकाला करता है।
तूफ़ाँ लेकर बाधा जिसके, आगे आने से डरता है ।
हिम्मत के मस्त तरानों से, कष्टों को धूल चटाए जो ।
है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।।
(i) पद्यांश में सच्चा वीर किसे कहा गया है? अधिकतम चार विशेषताओं का उल्लेख करते हुए लिखिए। [2]
(ii) जीवन तरूवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।’ पंक्ति में जीवन के किस महान गुण की बात कही गई है? [2]
(iii) कष्टों व बाधाओं को धूल चटाने के लिए सच्चा वीर क्या करता है? [2]
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण
प्र. 3. (क) कोई शब्द पद कब बन जाता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। [2]
(ख) रचना के आधार पर निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए [3]
(i) उसके जाते ही शो का मज़ा किरकिरा हो गया। (मिश्र वाक्य में)
(ii) वर्षा होने पर उमस बहुत बढ़ जाती है। (संयुक्त वाक्य में)
(iii) ऐसा पहली बार हुआ है कि वह इतना विचलित दिखाई दिया है। (सरल वाक्य में)
प्र. 4. (क) किन्हीं दो का समास-विग्रह करके समास का नाम लिखिए [2]
जगबीती, नवरस, पीतांबर
(ख) किन्हीं दो का समस्तपद बनाकर समास का नाम लिखिए [2]
विद्या रूपी रल, रण के लिए क्षेत्र, दश (दस) अब्दों (वर्षों) का समूह
प्र. 5. (क) निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए – [4]
(i) वे पढ़ाए थे हमें हिंदी बड़े ही रोचक ढंग से ।
(ii) सूर्योदय की दृश्य बड़ी प्यारी होती है।
(iii) डाली में अनेकों चिड़ियाँ बैठी थीं।
(iv) आप यहाँ से अभी चले जाओ।
(ख) (i) रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरों द्वारा कीजिए
जब तक मनुष्य पर जिम्मेदारी नहीं आती तब तक उसे………पता नहीं चलता ।। [1]
(ii) बाट जोहना’ मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए। [1]
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक
प्र. 6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए [2+2+1= 5]
(i) आज जो बात थी वह निराली थी’ किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? ‘डायरी का एक पन्ना पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(ii) प्रकृति में आए परिवर्तन का क्या दुष्परिणाम हुआ?
(iii) वजीर अली कौन था?
प्र. 7. पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि गांधी जी समाज की नब्ज़ को पहचानते थे । [5]
अथवा
बड़े भाई साहब का चरित्र-चित्रण कीजिए।
प्र. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए [2+2+1 = 5]
(i) ‘कर चले हम फिदा’ इस गीत में गीतकार द्वारा क्या संदेश दिया गया है?
(ii) “मनुष्यता कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
(iii) माला का जाप, तिलक आदि लगाना प्रभु की भक्ति में सहायक क्यों नहीं है?
प्र. 9. “आत्मत्राण’ कविता को आप किन कारणों से सामान्य प्रार्थना कविताओं से अलग पाते हैं । विचार करके लिखिए। [5]
अथवा
‘तोप’ कविता के आधार पर बताइए कि धरोहरें कितने प्रकार की होती हैं और हम इनकी देखभाल किस कारण करते हैं?
प्र. 10. ‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर शिक्षा-व्यवस्था की आलोचना कीजिए । उचित शिक्षा-व्यवस्था विद्यार्थियों के जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास करती है? विस्तार से लिखिए।[5]
अथवा
‘टोपी शुक्ला’ पाठ में निहित मित्रता के भाव को 50-60 शब्दों में लिखिए ।
खण्ड (घ) : लेखन
प्र. 11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए [5]
(क) परिश्रम ही जीवन है।
- परिश्रम का महत्व
- परिश्रम और जीवन एक-दूसरे के पूरक, सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक
- उपसंहार ।
(ख) सत्संगति का महत्व
- सत्संगति का तात्पर्य
- जीवन में महत्त्व
- गुणों की स्रोत
- महापुरुषों के उदाहरण सर्वदा सत्संगति का अनुसरणे ।
(ग) कंप्यूटर : लाभ या हानि
- विज्ञान की अनूठी देन
- इसका महत्व, सूचना क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका
- लाभ-हानि
- विवेकपूर्ण प्रयोग करने की सलाह ।
प्र. 12. आपके क्षेत्र में वर्षा के कारण सड़कों की स्थिति ख़राब हो गई है। इससे प्रतिदिन हजारों यात्रियों को कठिनाई हो रही है। पथनिर्माण विभाग के अधिकारियों की इस लापरवाही की सूचना देते हुए प्रभात ख़बर, अ-ब-स नगर के संपादक को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
थानाध्यक्ष को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में बढ़ती अराजकता और लूटपाट की घटनाओं पर रोक लगाने का अनुरोध कीजिए।
प्र. 13. विद्यालय के सूचनापट्ट पर अंतर्सदनीय (इंटरहाउस) वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए 20-30 शब्दों में एक सूचना लिखिए।। [5]
अथवा
आप रेजीडेंट्स वैलफेयर सोसाइटी, मानसरोवर अपार्टमेंट के अध्यक्ष हैं । सूचनापट्ट पर स्वास्थ्य-मेले के आयोजन की 20-30 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
प्र. 14. गर्मी के दिनों में पानी की कमी से परेशान दो महिलाओं की बातचीत पर आधारित संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए। [5]
अथवा
टी-20 क्रिकेट में भारतीय खिलाड़ियों के प्रशंसनीय प्रदर्शन पर दो क्रिकेट-प्रेमियों की बातचीत पर आधारित लगभग 50 शब्दों का संवाद-लेखन कीजिए।
प्र. 15. आपकी कंपनी ने सफेद होते बालों की रोकथाम के लिए केश-तेल बनाया है। लगभग 25-50 शब्दों में उसका एक विज्ञापन तैयार करें। [5]
अथवा
खेल-कूद और व्यायाम के प्रति लोगों को जागरूक बनाने हेतु लगभग 25-50 शब्दों में जनहित में जारी एक विज्ञापन बनाएँ।
उत्तरमाला
खण्ड (अ)
उत्तर 1. (i) पर्यावरण का जीवन के साथ गहरा संबंध है। पर्यावरण में जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व विद्यमान हैं और इसके संतुलन में ही सबकी भलाई है।
(ii) मानव जीवन के लिए पर्यावरण प्राणों का आधार है तथापि हम हर पल इसकी उपेक्षा करते रहते हैं। गद्यांश में इसे ही मानव-जीवन की विडंबना कहा गया है।
(iii) ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना, मौसम-चक्र का अव्यवस्थित होना, बादल फटना, बाढ़, तूफ़ान, भूकंप आदि का आनी तथा नित्य नई-नई बीमारियों का बढ़ना पर्यावरण की उपेक्षा के परिणाम हैं।
(iv) आज की पीढ़ी यदि पर्यावरण संरक्षण के दायित्व का निर्वाह अच्छे से करेगी तभी भावी पीढ़ी उसे याद रखेगी ।
(v) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक ‘पर्यावरण और हम’ होना चाहिए।
उत्तर 2. (i) पद्यांश के अनुसार हर मुश्किल परिस्थितियों में मुस्कराने वाला ही सच्चा वीर है । सच्चे वीर की निम्नलिखित चार विशेषताएँ हैं
- जीवन के कष्ट रूपी कॉटों में भी पुष्प के समान खिलते रहते हैं।
- वे विपत्ति रूपी आँधी से टकराने में भी घबराते नहीं हैं।
- दुख रूपी धूप के छाने पर भी बादल के समान शीतल बने रहते हैं।
- सच्चे वीर का जीवन उस वृक्ष के समान होता है जो सबको समान रूप से छाया और फल देता है।
(ii) जीवन तरुवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।’ पंक्ति में जीवन के महान गुण उदारता, समानता आदि गुणों की बात कही गई
(iii) कष्टों व बाधाओं को धूल चटाने के लिए सच्चा वीर हिम्मत से उसका सामना करता है। उसके हिम्मत और शौर्य के सामने कष्ट और सभी बाधाएँ स्वत: परास्त हो जाती हैं।
खण्ड (ख)
उत्तर 3. (क) जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त होता है तब वह शब्द पद बन जाता है। जैसे- पुस्तक, यहाँ एक शब्द है । पुस्तक हमारी अच्छी मित्र है। यहाँ ‘पुस्तक’ पद है।
(ख) (i) जैसे ही वह गया वैसे ही शो का मज़ा किरकिरा हो गया ।
(ii) वर्षा होती है और उमस बहुत बढ़ जाती है।
(iii) वह पहली बार इतना विचलित दिखाई दिया है।
उत्तर 4. (क) जगबीती – जग में या पर बीता हुआ, तत्पुरुष समास ।
नवरस – नव रसों का समूह, दविगु समास ।।
पीतांबर – पीला है वस्त्र जिनका अर्थात विष्णु, बहुव्रीहि समास ।
(ख) विद्या रूपी रत्न – विद्यारत्न, कर्मधारय समास ।
रण के लिए क्षेत्र – रणक्षेत्र, तत्पुरुष समास ।
दश (दस) अब्दों (वर्षों का समूह- देशाब्दी, दविगु समास ।
उत्तर 5. (क) (i) उन्होंने हमें बड़े ही रोचक ढंग से हिंदी पढ़ाई थी।
(ii) सूर्योदय का दृश्य बड़ा प्यारा होता है।
(iii) डाली पर अनेक चिड़ियाँ बैठी थीं ।।
(iv) आप यहाँ से अभी चले जाइए।
(ख) (i) दाल रोटी का भाव पता
(ii) बाट जोहना – रास्ता देखना
अँधेरा होने पर माँ अपने बेटे की बाट जोहती रहती है।
खण्ड (ग)
उत्तर 6. (i) 26 जनवरी, 1931 का दिन अपने आप में ही निराला था क्योंकि इस दिन को निराला बनाने के लिए कलकत्तावासी हर संभव प्रयास कर रहे थे । पुलिस की निषेधाज्ञा के बावजूद सैकड़ों लोग तीन बजे से ही पार्क में पहुँच रहे थे । पूरे कलकत्ता को वधू की तरह सजा दिया गया था। स्त्रियाँ भी जुलूस में बढ़चढ़कर भाग ले रही थीं। चारों ओर अदम्य उत्साह दिख रहा था।
(ii) प्रकृति में आए परिवर्तन के अनेक दुष्परिणाम हुए। गर्मी में ज़्यादा गर्मी, सर्दी में ज़्यादा सर्दी, बेवक्त की बरसातें, जलजले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोग ये सारे प्रकृति में आए असंतुलित परिवर्तन के ही परिणाम हैं।
(iii) वज़ीर अली की निर्भीकता को देखकर स्पष्ट होता है कि वह एक जाँबाज सिपाही था।
उत्तर 7. गाँधी जी में समाज की नब्ज़ पहचानने की क्षमता थी उन्होंने अपने सारे आंदोलनों को व्यावहारिकता के स्तर से आदर्शों के स्तर पर चढ़कर चलाया था । इसीलिए उनके सारे आन्दोलन भारत छोड़ो, सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडीमार्च आदि सफल हुए। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने आदर्शों का हथियार बनाया। इन्हीं सिद्धांतों के बलबूते पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली। उनके नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। उन्हें पता था कि समाज कभी भी हिंसा और असत्य का साथ नहीं देगा।
अथवा
कथा सम्राट प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी का मुख्य पात्र बड़े भाई साहब हैं। बड़े भाई साहब परिश्रमी विद्यार्थी थे | एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी पढ़ाई से उन्होंने अपना नाता नहीं तोड़ा था | उनका व्यक्तित्व गंभीर तथा संयमी था | अपने छोटे भाई के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए वे खेल-कूद से दूर और अध्ययनशील बने रहते थे। बड़े भाई साहब कुशल वक्ता थे। बड़ों के लिए उनके मन में सम्मान था, पैसों की फिजूलखर्ची को उचित नहीं समझते थे । इस प्रकार इस कहानी में उनका व्यक्तित्व आदर्श रूप में है।
उत्तर 8. (i) प्रस्तुत गीत युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म हकीकत के लिए सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया था। कवि ने यहाँ अपने देश के सम्मान और रक्षा के लिए सैनिकों को हर चुनौतियों को स्वीकार करके अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार रहने के लिए भी संदेश दिया है।
(ii) मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य है कि हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए | परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें मृत्यु के बाद भी याद रखते हैं। कभी घमंड नहीं करना चाहिए। स्वयं आगे बढ़ने के साथ-साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। सभी को एक होकर चलना चाहिए और परस्पर भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए। सभी मनुष्य ईश्वर की संतान है । परस्पर विश्वास का भाव बनाए रखना चाहिए।
(iii) माला का जाप, तिलक आदि लगाना प्रभु की भक्ति में सहायक नहीं है क्योंकि कवि बाहरी आडंबरों का खंडन करके भगवान की सच्ची भक्ति करने पर बल दिया है। जो इन व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा देते हैं। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।
उत्तर 9. वास्तव में आत्मत्राण प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य प्रार्थना गीतों में दास्य भाव, आत्म समर्पण, समस्त दुखों से मुक्ति की प्रार्थना, ईश्वर सभी कार्य पूरे करें इत्यादि प्रार्थनाएँ होती हैं, परन्तु इस कविता में कष्टों से छुटकारा नहीं कष्टों को सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना की गई है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि कोई भी कष्ट हो, उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट धैर्य से सह ले । यहाँ ईश्वर के प्रति आस्था और कर्मशील बने रहने की प्रार्थना की गई है।
अथवा
‘तोप’ कविता के आधार पर पता चलता है कि धरोहरें दो प्रकार की होती हैं । एक वे जिन्हें देखकर अपनी गौरवशाली परंपरा की याद आ जाए, दूसरी वे जिन्हें देखकर पूर्वजों द्वारा जाने अनजाने में की गई गलतियों का पता चल जाए। इन चीजों को सँभालकर इसलिए रखा जाता है, क्योंकि वे हमारे पूर्वजों व बीते समय की होती हैं। इनसे हमारा भावनात्मक संबंध जुड़ा होता है। इसलिए इन्हें अमूल्य माना जाता है। ये तात्कालिक परिस्थितियों की जानकारी के साथ दिशानिर्देश भी देती हैं। इन्हें सँभालकर रखा जाता है ताकि हमारे बच्चों के भविष्य-निर्माण का आधार मजबूत बन सके और भविष्य की पीढ़ी गलतियों को दुहराए नहीं।
उत्तर 10. ‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर शिक्षा-व्यवस्था में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को कठोर यातनाएँ दी जाती थीं । उन पर पाठ्यक्रम का भारी दबाव रहता था । शिक्षा व्यवस्था रटंत प्रणाली पर आधारित थी। वर्तमान परिवेश में शिक्षकों को बच्चों को शारीरिक दंड देने का अधिकार नहीं दिया गया है। आजकल बच्चों के मनोविज्ञान को समझने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे बच्चे की भावनाओं को समझें, उनके दुर्व्यवहार के कारण को समझें, उन्हें उनकी गलती का एहसास कराएँ तथा उनके साथ मित्रता व ममता का व्यवहार किया जाए। इससे बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ेगी तथा विद्यालय आनंद की जगह बन जाएगी । इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था से बालकों के चरित्र में नैतिकता का विकास होगा।
अथवा
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी मित्रता के अटूट बंधन में एक दूसरे से बंधे हुए थे । टोपी की दोस्ती पहले-पहल इफ्फ़न के साथ ही हुई थी । इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला की कहानी को समझा भी नहीं जा सकता है और यह कहानी भी अधूरी है। अत: दोनों का रिश्ता जाति और धर्म से परे मित्रता के धागे से बँधा था । यहाँ पर लेखक ने यह समझाने का प्रयास किया है कि जब रिश्ते प्रेम से बँधे होते हैं तो धर्म, मजहब सभी बेमानी हो जाते हैं । लेखक ने यहाँ मित्रता के भाव को निश्छल और सभी धर्मों से श्रेष्ठ बताया है।
खण्ड (घ)
उत्तर 11. (क) परिश्रम ही जीवन है।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन परिश्रम अथवा कर्म ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है। परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं। ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का उपाय ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते । दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं। उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन ईश्वर की इच्छा है। वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है। वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है, परंतु सुख किसी मृगतृष्णा के समान सदैव उससे दूर ही भागता रहता है। किसी विद्वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है। अमेरिका, चीन, जापान आदि विकसित देश यदि उन्नत देशों में हैं तो इसलिए कि वहाँ के नागरिकों ने अथक परिश्रम किया है। दवितीय विश्वयुद्ध में भारी नुकसान के बाद भी आज यदि जापान ने विश्व जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है तो उसका प्रमुख कारण यही है कि वहाँ के लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति व अथक परिश्रम की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है। किसी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता हैविश्वास करो, यह सबसे बड़ा देवत्व है कि-
तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो
और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका ।”
(ख) सत्संगति का महत्व
सत्संगति का अर्थ है-अच्छी संगति । वास्तव में ‘सत्संगति’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-‘सत्’ और ‘संगति’ अर्थात अच्छी संगति । अच्छी संगति का अर्थ है-ऐसे सत्पुरुषों के साथ निवास जिनके विचार अच्छी दिशा की ओर ले जाएँ। मनुष्य जिस वातावरण एवं संगति में अपना अधिक समय व्यतीत करता है उसका प्रभाव उस पर अनिवार्य रूप से पड़ता है। मनुष्य ही नहीं पशुओं एवं वनस्पतियों पर भी इसका असर होता है। मांसाहारी पशु को यदि शाकाहारी प्राणी के साथ रखा जाए तो उसकी आदतों में स्वयं ही परिवर्तन हो जाएगा । यही नहीं मनुष्य को भी यदि अधिक समय तक मानव से दूर पशु-संगति में रखा जाए तो वह भी शनै:-शनै: मनुष्य-स्वभाव छोड़कर पशु-प्रवृत्ति को ही अपना लेगा | सत्संगति के अनेक लाभ हैं। सत्संगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करती है। सत्संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है। विकास के लिए सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है। बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और सबसे बढ़कर व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। सत्संगति के प्रभाव से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी सदाचारी हो जाते हैं। ऋषियों की संगति के प्रभाव से ही वाल्मीकि जैसे भयानक डाकू महान कवि बन गए तथा अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आने से हत्या, लूटपाट के कार्य को छोड़कर सदाचार के मार्ग को अपनाया | सन्तों के प्रभाव से आत्मा के मलिन भाव दूर हो जाते हैं तथा वह निर्मल बन जाती है । सत्संगति एक प्राण वायु है जिसके संसर्ग मात्र से मनुष्य सदाचरण का पालक बन जाता है। दयावान, विनम्र, परोपकारी एवं ज्ञानवान बन जाता है। इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि सठ सुधरहिं सत्संगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई । इस प्रकार सत्संगति का अदवितीय महत्व है जो सचमुच हमारे जीवन को दिशा प्रदान करती है। सत्संगति एक पारस है जो जीवनरूपी लोहे को कंचन बना देती है। मानव-जीवन की सर्वांगीण उन्नति के लिए सत्संगति आवश्यक है।
(ग) कम्प्यूटर : लाभ या हानि
आज का विश्व विज्ञान की नींव पर टिका है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा अनेक शक्तियाँ, सुख-सुविधाएँ तथा चमत्कारी उपकरणों का आविष्कार किया है जिसमें कम्प्यूटर अत्यधिक महत्वपूर्ण और अद्भुत है । यह ऐसा इलेक्ट्रॉनिक मस्तिष्क है जिसने अपनी अनगिनत विशेषताओं के बल पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दस्तक दी है। विज्ञान और इजीनियरिंग के क्षेत्र में गणित की जटिल तथा विस्तृत गिनतियाँ, विमानों, पनडुब्बियों, शत्रु के निश्चित ठिकानों पर सटीक हमला करने वाली मिसाइलें कम्प्यूटर द्वारा ही संचालित होती हैं। मूचनाएँ एकत्र करने में कम्प्यूटर का व्यापक रूप में प्रयोग हो रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटरीकृत मशीनों के द्वारा चिकित्सा विज्ञान नई ऊँचाइयों को छू रहा है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज कम्प्यूटर का उसकी उपयोगिता के कारण व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर कम्प्यूटर का प्रयोग आरक्षण आदि के लिए किया जा रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटरीकृत मशीनों के आने से रोगियों का रोग पहचानने और चिकित्सा करने में सहायता ली जा रही है। प्रकाशन के क्षेत्र में कम्प्यूटर के माध्यम से ग्राफिक के रूप में अनेक प्रयोग हो रहे हैं। मनोरंजन के रूप में कम्प्यूटर आज घर-घर में पहुँच चुका है । इतने सारे लाभ के साथ इसकी कुछ हानियाँ भी हैं। इसके अधिक प्रयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अन्तरिक्ष तथा दूर संचार के क्षेत्र में कम्प्यूटर ने क्रान्ति ला दी है। कम्प्यूटर पर इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध होने के साथ ही यह ज्ञान का भण्डार बन गया है। छात्रों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। कंप्यूटर के द्वारा वे सुगमता से गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। आज कम्प्यूटर के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । कम्प्यूटर के कारण प्रत्येक क्षेत्र में विकास की गति दस गुनी से लेकर हज़ार गुनी तक बढ़ी है। इन्हीं सब कारणों से कंप्यूटर को विज्ञान की अद्भुत देन माना जाता है ।
उत्तर 12. सेवा में।
मुख्य संपादक महोदय,
प्रभात खबर समाचारपत्र,
अ. ब. स. नगर ।
दिनांक: 20 मई, 20xx
विषय- सड़कों की खराब स्थिति के संदर्भ में ।
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में वर्षा के कारण सड़कों की ख़राब स्थिति और इससे प्रतिदिन हज़ारों यात्रियों को होने वाली कठिनाइयों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इससे सड़क पर घंटों जाम लगा रहता है। समय पर दफ्तर, विद्यालय या घर पहुँचना नामुमकिन
सा हो गया है। एक बीमार यात्री की दशा तो अत्यंत दयनीय हो गई थी। इसके बहुत देर तक गाड़ियों के रुकने से वातावरण में धुएँ और धूल के कारण प्रदूषण का ज़हर फैल रहा है।
अत: आपसे अनुरोध है कि हम निवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए इस समाचार को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र के मुखपृष्ठ पर जगह देकर संबंधित अधिकारी का ध्यान आकृष्ट करने की कृपा करें । इससे हम सबकी समस्या शीघ्र दूर हो सकेगी।
इसके लिए हम सब आभारी रहेंगे ।
धन्यवाद!
भवदीय,
अ• ब• स•,
अ • ब. स. मोहल्ला ,
अ. ब. स. नगर,
अथवा
सेवा में,
थानाध्यक्ष महोदय,
अ. ब. स. थाना,
जयपुर
दिनांक: 02 मार्च 20xx
विषय: क्षेत्र में बढ़ती अराजकता और लूटपाट की घटनाओं पर रोक लगाने के सम्बन्ध में ।
मान्यवर,
विवश होकर कहना पड़ता है कि इन दिनों महानगर की प्रमुख गलियों से अकेले या रात में आना-जाना असहज हो गया है। कारण यह है कि जहाँ-तहाँ अराजक और अपराधी प्रवृत्ति वाले लोगों द्वारा लूटपाट और मार-पीट की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है ।
विगत माह में किसी अनजान अपराधी के द्वारा एक महिला के साथ मार-पीट की घटना भी संज्ञान में आई है। लोग भय के कारण शाम होते ही घर में बंद होने लगे हैं। बच्चों और महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है।
अत: आपसे नम्र निवेदन है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के साथ दंडात्मक कार्यवाही कर क्षेत्र में बढ़ती अराजकता और लूटपाट की घटनाओं पर रोक लगाने का प्रयास करें ताकि सभी लोग अमन-चैन से जीवन व्यतीत कर सकें।
इसके लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद ।
भवदीय,
अ. ब. स.,
अ • ब. स. थाना,
अ. ब. स. नगर ।
उत्तर 13.
अथवा
उत्तर 14.
राधा : श्यामा! कल रात तो पानी की कमी के कारण बुरा हाल था ।
श्यामा : हाँ, सुना है, इस बार वर्षा की कमी के कारण पानी की कमी हो जाएगी।
राधा : सही सुना है पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पशु-पक्षियों पर पड़ेगा, मनुष्य तो कहीं न कहीं से पानी की व्यवस्था कर ही लेते हैं।
श्यामा : हाँ राधा, सही कह रही हो, पर इसका सबसे बड़ा कारण क्या है?
राधा : मालूम है, इसका बड़ा कारण असंतुलित पर्यावरण है।
श्यामा : और हाँ, यह जो अवैध खुदाई हो रही है, वह भी इसके प्रमुख कारणों में से एक है।
राधा : इससे बचने का एकमात्र उपाय वृक्षारोपण है।
धन्यवाद (दोनों एक साथ जाती हैं।)
अथवा
अमित : भाई रमन! क्रिकेट के बदलते हुए रूप ने तो लोगों का मन मोह लिया है।
रमन : हाँ, 20 : 20 ने तो एक क्रिकेट की दुनिया में हलचल-सी ला दी है।
अमित : वास्तव में, आज जिस प्रकार लोगों के पास समय की कमी है। उस स्थिति में यह तो वरदान है।
रमन : इसीलिए इसका दूसरा नाम फटाफट मनोरंजन भी है।
अमित : यहीं पर प्रत्येक खिलाड़ी की प्रतिभा दिख जाती है।
रमन : हाँ! और जो टीम 20 ओवर तक टिक जाती है वह मैच जीत जाती है।
अमित : हाँ भाई! आजकल तो विराट कोहली क्रिकेट की दुनिया का बादशाह बना हुआ है।
रमन : यथार्थ में वह अकेले ही किसी टीम को हराने या जिताने के लिए पर्याप्त है।
अमितः : ठीक है, आज का मैच दोनों टीमों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
रमन : चलो ! चलकर मैच का आनंद उठाते हैं। धन्यवाद!
उत्तर 15.
अथवा
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