Author name: Prasanna

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
संस्कृतेन उत्तरं दीयताम्-

(क) सुब्बणस्य सहजाभिलाषः कस्मिन् आसीत्?
उत्तर:
सुब्बणस्य सहजाभिलाष सङ्गीते आसीत्।

(ख) पुराणिकशास्त्री केन सह राजभवनम् अगच्छत्?
उत्तर:
पुराणिकशास्त्री पुत्रेण सह राजभवनम् अगच्छत्।

(ग) पुराणिकशास्त्री स्वपुत्रेण किं गापयामास?
उत्तर:
पुराणिकशास्त्री स्वपुत्रेण ‘शुक्लाम्बरधरम् ………’ इत्यादिश्लोक गापयामास।

(घ) पुराणप्रवचनं पृण्वन् सुब्बण्णः महाराजं कथं पश्यति स्म?
उत्तर:
पुराणप्रवचनं श्रृण्वन् सुब्बण्णः महाराजं। सविस्मयं पश्यति स्म।

(ङ) महाराजस्य विस्मयकारणं किम् आसीत्?
उत्तर:
महाराजस्य विस्मयकारणं तस्य सुन्दरं मुखम्, मुखे ब्रहत्तिलकालङ्कारः तत्रापि विशालस्य गण्डस्थलस्य शोभावहं श्मश्रुकूर्चम् इत्यादि आसीत्।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः

(च) राजा बाल कति वारम् अपश्यत्?
उत्तर:
राजा बाल द्वित्रिवारम् अपश्यत्।

(छ) राजा बालं किम् अपृच्छत्?
उत्तर:
राजा बालमपृच्छत् – किं भवानपि पितृवत् पुराणप्रवचनं करिष्यति।

(ज) स बालः राजानं किं व्याहरत्?
उत्तर:
स बालः राजानं व्याहरत् – ‘अहं पुराणप्रवचनं न करोमि। सङ्गीतं गायामि।

(झ) परितुष्टः राजा बालाय किम् अयच्छत्?
उत्तर:
परितुष्टः राजा बालाय सताम्बूलमुत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्।

(ज) राज्ञः कथनान्तरं शास्त्री तत्पुत्रः च कुत्र अगच्छताम्?
उत्तर:
राज्ञः कथनान्तरं शास्त्री तत्पुत्रः च स्वगृहम् अगच्छताम्।

प्रश्न 2.
रेखाकितानि पदानि आश्रित्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-

(क) सुब्बण्णस्य सङ्गीतेऽमिलाषः राजभवने संवृत्तया सङ्गत्या दृढीबभूव।
उत्तर:
सुब्बण्णस्य सङ्गीतेऽभिलाषः राजभवने संवृत्तया कया दृढीबभूव?

(ख) तच्छुत्वा तत्रत्याः सर्वे पर्यनन्दन्।
उत्तर:
तच्छुत्वा के सर्वे पर्यनन्दन?

(ग) सभागतो राजा पुराणम् आकर्णयति स्म।
उत्तर:
समागतो कः पुराणम् आकर्णयति स्म?

(घ) सुब्बणस्य पितुः पार्श्वे महाराजं सविस्मयं पश्यति स्म।
उत्तर:
सुब्बणस्य पितुः पार्वे महाराज कथ पश्यति स्म?

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(ङ) महाराजस्य मुखे तिलकालङ्कारः आसीत्।
उत्तर:
कस्य मुखे तिलकालङ्कारः आसीत्?

(च) राजा बालाय सताम्बूलम् उत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्।
उत्तर:
राजा कस्मै सताम्बूलम् उत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्?

प्रश्न 3.
विशेष्यैः सह विशेषणानि संयोज्य मेलयत-
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Q3

प्रश्न 4.
आशयं स्पष्टीकुरुत-
(क) अहं पुराणप्रवचनं न करोमि। सङ्गीतं गायामि।
उत्तर:
राजा सोच रहा था कि सुब्बण्ण अपने पिता की तरह पुराणकथा ही करता होगा, अतः उसने स्पष्ट रूप से पूछ ही लिया कि क्या तुम अपने पिता की तरह पुराण कथा ही करते हो। उसके प्रश्न का उत्तर देता हुआ निर्भीक बालक सुब्बण्ण कहता है-
मैं पुराणकथा नहीं करता अपितु मैं तो संगीत गाता हूँ।
इस प्रकार सुब्बण संगीत सुनाता है अन्य कुछ नहीं।

(ख) त्वं मेधावी असि सुष्ठु सङ्गीतं शिक्षित्वा सम्यक् गातुं भवान् अभ्यस्तु।
उत्तर:
संगीत में उसकी रुचि जानकर राजा सुब्बण्ण की संगीत क्षेत्र में योग्यतो को समझ लेते हैं। अतः उसे समझाते हुए कहते हैं-
तुम अत्यन्त निपुण हो। संगीत को तुम भली-भाँति समझ लो, फिर गाने का भी अच्छी तरह अभ्यास करो।
इस प्रकार इस पंक्ति में सुब्बण को गाने का भली भाँति अभ्यास करने के लिए ही प्रेरित किया गया है।

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प्रश्न 5.
कोष्ठकशब्दैः सह विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:

  1. एकस्मिन् दिने पुराणिकशास्त्री राजवभवनम् अगच्छत्। (एक)
  2. पितुः पार्श्वे उपविष्टः सुब्बण्णः महाराज सविस्मयं पश्यति स्म। (पित)
  3. राजा बालं सम्बोध्य पर्यपृच्छत्। (बाल)
  4. त्वं मेधावी असि। (मेधाविन्)
  5. पारितोषिकं भवते वयं दास्यामः। (भवत्)

प्रश्न 6.
अर्थ लिखित्वा संस्कृतवाक्येषु प्रयोग कुरुत-
उत्तर:

  1. साकम् (साथ में) – पुत्रः पित्रा साकं राजभवनम् आगच्छत्।
  2. पार्वे (पास में) – सुब्बण्णः पितुः पार्श्वे उपविष्टः आसीत्।
  3. पत्र (पत्ता) – राजा बालाय ताम्बूलपत्रम् अयच्छत्।
  4. सुष्ठु (उचित) – त्वं सुष्टु कथयसि।
  5. सम्यक (भली भाँति) – अस्य शिक्षण सम्यक क्रियताम्।
  6. पुनः (दुबारा) – अस्मिन् विषये पुनः विचार करोतु भवान्।

प्रश्न 7.
पाठात् विलोमपदानि चित्वा लिखत-
उत्तर:

  1. आगत्य = एत्य।
  2. अत्रतयाः = तत्रत्याः।
  3. परागतः = समागतः।
  4. दूरे = पार्वे।
  5. उदतरत् = पर्यपृच्छत्।
  6. प्रारब्धे = अवसिते।
  7. कदा = तदा।
  8. मूर्खः = मेधावी।
  9. असन्तोषः = सन्तोषः।
  10. अल्पम् = अधिकम्।

योग्यताविस्तारः
1. कस्तूरी तिलक ……………. गोपालचूडामणिः ।।
इस पाठ में उल्लिखित इस श्लोक को सस्वर गाने का सब छात्र अभ्यास करें।

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2 इस पाठ से राजा की संगीत के प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट प्रकट होती है। बालक सुब्बण्ण के संगीत अभ्यास से राजा अत्यन्त सन्तुष्ट होता है तथा उसे और अधिक अच्छी प्रकार से संगीत की शिक्षा को ग्रहण करने के लिए समझाता भी है। वह उसके पिता पुराणिकशास्त्री को भी उसे संगीत शास्त्र में निपुण बनाने के लिए कहता है।

इस प्रकार राजा के द्वारा किए गए बालक के सत्कार से राजा का संगीत के प्रति सम्मान स्पष्ट झलकता है। वह उस संगीतज्ञान को और अधिक उत्कृष्ट करने की सलाह भी देता है।

Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English

संकेत – सुब्बणस्य सङ्गीते ………… इत्यगदत्।।

शब्दार्थ (Word-meanings)-
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English 1Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English 2

हिन्दी-अनुवाद:
सङ्गीत में सुब्बण की जो स्वाभाविक इच्छा थी वह एक बार राजभवन में होने वाली सङ्गति से अत्यधिक दृढ़ हो गई। एक दिन अपने पुत्र के साथ पुराणिक शास्त्री ने राजभवन में आकर अंत पुर की स्त्रियों के सम्मुख पुराण की कथा के आरंभ में अपने पुत्र से ‘शुक्लाम्बरधरम् …… इत्यादि श्लोक को गवाया। उस श्लोक को सुनकर वहाँ उपस्थित सब लोग बहुत प्रसन्न हुए। तब कुछ समय पश्चात् राजा वहाँ आया और पुराण की कथा को सुनने लगा। पिता के पास में बैठा हुआ सुष्यण पुराणकथा को कौतुहलपूर्वक सुनता हुआ बीच में आश्चर्य के साथ महाराज की ओर देखने लगा। महाराज का सुंदर मुख, मुख पर विशाल तिलक, विशाल कपोलों को शोभा प्रदान करने वाली दाढ़ी और मूछे – ये सब उसके विस्मय का कारण थीं।

राजा ने भी बालक को दो तीन बार देखकर – यह बालक चतुर है- ऐसा समझ लिया। इस प्रकार पुराण कथा समाप्त हो जाने पर शास्त्री को लक्ष्य करके – ‘यह बालक आपका पुत्र है?” राजा ने उससे यह पूछा। शास्त्री ने उत्तर दिया- जी महाराज! पुनः मुस्कराते हुए राजा ने बालक को सम्बोधिक करके पूछा कया आप भी अपने पिता की तरह पुराण-कथा करेंगे? तब उस बालक ने कहा – नहीं, मैं पुराण-कथा नहीं करता, मैं तो संगीत गाता हूँ। तब राजा बोला – अहा, यह अच्छा है। तो एक गाना सुनते हैं। शीघ्र ही सुब्बण ने – श्री राघव दशरथात्मजम् …………… आदि श्लोक संगीत के साथ सुनाया और उसके अन्त में एक और श्लोक ‘कस्तूरीतिलकम् …. ………….. ‘आदि भी मुझे याद है’ उसने ऐसा कहा।

English Translation:
Subban’s natural desire towards music increased by his association with the king’s palace. Once a Puranik Shastri came with his son to the king’s palace and he started telling the story of Puranas to the queens. But before starting the story he asked his son to sing the shloka- ‘Suklambaradharam …………’ etc. People were very happy to hear that shloka. After some time, the king also came there and sat to hear the story of the Puranas. Subbam was sitting near his father and he was listening to that story anxiously. Meanwhile, he looked towards the king with great surprise. Beautiful face of the king, a big Tilak on his forehead, mustaches, and beard which were adding beauty to his big cheeks – all these things were making him surprised.

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः

The king also looked twice, thrice towards the boy, and understood that this is a clever boy. When the story came to an end, the king asked Shastri – ‘Is this boy your son?’ Shastri replied – ‘Yes, My Lord.’ Again, with a smile, the king asked that boy – will you also tell the story of Purana like your father? That boy replied then-No, sir. I don’t tell the Purana-Katha, I sing-song of music. Then the king said – Aha it’s good. Then we would like to hear a song. Immediately Subbam sang the verse with musical notes- ‘Shri Raghavam Dhasrathatmajam ………….’ etc. At the end of the verse he said I remember another shloka also i.e. “Kasturitilakam …………..’ etc.

संकेत – महाराजस्य ………………. संन्यवर्तेताम्।

शब्दार्थ (Word-meanings)-
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English 3

कया आप भी अपने पिता की तरह पुराण-कथा करेंगे? तब उस बालक ने कहा – नहीं, मैं पुराण-कथा नहीं करता, मैं तो संगीत गाता हूँ। तब राजा बोला – अहा, यह अच्छा है। तो एक गाना सुनते हैं। शीघ्र ही सुब्बण ने – ‘श्री राघव दशरथात्मजम् …………. आदि श्लोक संगीत के साथ सुनाया और उसके अन्त में एक और श्लोक कस्तूरीतिलकम् …. …………. ‘आदि भी मुझे याद है उसने ऐसा कहा।

English-Translation:
Subban’s natural desire towards music increased by his association with the king’s palace. Once a Puranik Shastri came with his son to the king’s palace and he started telling the story of Puranas to the queens. But before starting the story he asked his son to sing the shloka – “Suklambaradharam …………” etc. People were very happy to hear that shloka. After some time, the king also came there and sat to hear the story of the Puranas. Subbam was sitting near his father and he was listening to that story anxiously. Meanwhile, he looked towards the king with great surprise. Beautiful face of the king, a big Tilak on his forehead, mustaches, and beard which were adding beauty to his big cheeks – all these things were making him surprised.

The king also looked twice, thrice towards the boy, and understood that this is a clever boy. When the story came to an end, the king asked Shastri – ‘Is this boy your son?’ Shastri replied – ‘Yes, My Lord. Again, with a smile, the king asked that boy – will you also tell the story of Purana like your father? That boy replied then-No, sir. I don’t tell the Purana-Katha, I sing-song of music. Then the king said – Aha it’s good. Then we would like to hear a song. Immediately Subbam sang the verse with musical notes- ‘Shri Raghavam Dhasrathatmajam ………….’ etc. At the end of the verse he said I remember another shloka also i.e. ‘Kasturitilakam …………..’ etc.

संकेत – महाराजस्य …………………. संन्यवर्तेताम्।

शब्दार्थ (Word-meanings)-
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English 4 Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English 5

हिन्दी-अनुवाद:
महाराज को बहुत सन्तोष हुआ। इस प्रकार सन्तुष्ट राजा ने पारितोषिक के रूप में बालक को पान सहित उत्तरीय वस्त्र (कुर्ता या कमीज आदि) देकर कहा – हे पुत्र, तुम अत्यन्त कुशल हो, अच्छी प्रकार संगीत को सीख कर गाने का अभ्यास करो, हम तुम्हें इससे भी अधिक पारितोषिक देंगे। ऐसा कहकर पुनः शास्त्री को लक्ष्य करके कहा – अरे! शास्त्री का पुत्र अत्यन्त निपुण है। इसकी शिक्षा भली भाँति करो। यह अत्यन्त निपुण बनेगा। तत्पश्चात् शास्त्री और उसका पुत्र घर के लिए लौट गए।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः

English-Translation:
The king was very happy. Thus satisfied by his song. the king gave him a shirt and betel-leaf and said-Oh son! You are very clever. You learn the art of music properly and then practice singing. We will give you many more prizes. Ther’ he said to Shastri – ‘Oh! This son of Shastri is really very clever. His education should be properly organized. He will be an excellent singer.’ Then both Shastri and his son returned to their home.

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NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः

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Bhaswati Sanskrit Class 11 Solutions Chapter 2 सौवर्णो नकुलः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 1 अनुशासनम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया देयानि –

(क) नकुलः कीदृशः आसीत्?
उत्तर:
नकलः रुक्मपार्श्वः आसीत।

(ख) बिलान्निष्क्रम्य नकुलः किं कथयति?
उत्तर:
बिलान्निष्क्रम्य नकुलः कथयति – अयं वः यज्ञः सक्तुप्रस्थेन तुल्यः न।

(ग) उञ्छवृत्तिर्द्विजः कुत्र न्यवसत्?
उत्तर:
उञ्छवृत्तिर्द्विजः कुरुक्षेत्रे न्यवसत्।

(घ) कपोतधर्मी द्विजः द्रव्यहीनः कथम् अभवत्?
उत्तर:
कपोतधर्मी द्विजः दुर्भिक्षण द्रव्यहीनः अभवत्।

(ङ) यदा तस्य द्विजस्य परिवारः सक्तून् भोक्तुं प्रवृत्तः अभवत् तदा तत्र कः आगतः?
उत्तर:
यदा तस्य द्विजस्य परिवारः सक्तून् भोक्तुं प्रवृत्तः अभवत् तदा तत्र कश्चित् द्विजः आगच्छत्।

(च) द्विजः सक्तून् कस्मै प्रादात्?
उत्तर:
द्विजः सक्तून् अतिथये प्रादात्।

प्रश्न 2.
अधोऽङ्कितेषु सन्धिविच्छेदं दर्शयत –
उत्तर:
(क) महदार्चम् = महत् + आश्चर्यम्।
(ख) बिलान्निष्क्रम्य = बिलात् + निष्क्रम्य।
(ग) उञ्छवृत्तेर्वदान्यस्य = उञ्छवृत्तेः + वदान्यस्य।
(घ) भुङ्क्तेऽन्यस्मिन् = भुङ्क्ते + अन्यस्मिन्।
(ङ) क्षीणौषधिसमवायः = क्षीण + ओषधिसमवायः।

प्रश्न 3.
अधोन्यस्तेषु सन्धिं कुरुत –
उत्तर:
(क) तस्य + आहारः = तस्याहारः।
(ख) यत् + अभूत + विभो = यदभूद्विभो।
(ग) उञ्छवृत्तिः + द्विजः = उञ्छवृत्तिर्द्विजः।
(घ) नियत + इन्द्रियः = नियतेन्द्रियः।
(ङ) ततः + अहम् = ततोऽहम्।
(च) न्याय + उपात्तेन = न्यायोपात्तेन।

प्रश्न 4.
अधोऽङ्कितयोः श्लोकयोः स्वमातृभाषया अनुवादः कार्यः
उत्तर:
(क) सक्तुप्रस्थेन वो नायं यज्ञस्तुल्यो नराधिपाः।
उञ्छवृत्तेर्वदान्यस्य कुरुक्षेत्रनिवासिनः||
अनुवाद – हे राजाओ! तुम्हारा यज्ञ कुरुक्षेत्र में रहने वाले तथा खेत में गिरे हुए अनाज के दानों से जीवन-निर्वाह करने वाले दानी के एक सेर सत्तू के समान भी नहीं है।

(ख) दिव्यपुष्पावभर्दाच्च साधो नलवैश्च तैः।
विप्रस्य तपसा तस्य शिरो मे काञ्चनीकृतम् ||
अनुवाद – हे सज्जन! दिव्य पुष्पों को मसलने से, दान में दिए गए सत्तुओं के उन कणों से.तथा उस ब्राह्मण की तपस्या से मेरा सिर सोने का बना दिया गया।

भास्वती (प्रथमो भागः)

प्रश्न 5.
‘सौवर्णो नकुलः’ इत्यस्य पाठस्य सारांशः मातृभाषया लेखनीयः
उत्तर:
“सौवर्णों नकुलः’ सारांश – एक बार सुवर्णमय बगल वाला, बिल में रहने वाला अत्यन्त शक्तिशाली नेवला बिल से बाहर आकर मनुष्य की आवाज में इस प्रकार कहने लगा – प्राचीन समय में कुरुक्षेत्र में अत्यन्त निर्धन, इधर-उधर गिरे हुए अनाज के दानों से अपना जीवन निर्वाह करने वाला एक वृद्ध धर्मात्मा ब्राह्मण हुआ था। वह अपने पुत्र, पत्नी तथा पुत्रवधू के साथ कठोर तपस्या में लीन हो गया। उसे कभी भोजन के समय भोजन मिल जाता था, कभी नहीं मिल पाता था। एक बार वहाँ भयंकर अकाल पड़ा और उसके पास कुछ भी वस्तु या भोज्य पदार्थ नहीं रहा। तब छठा प्रहर बीत जाने पर उसने एक सेर जौ प्राप्त किए तथा उन तपस्वियों ने उस एक सेर जौ से सत्तू बनाए। नित्य जप कर्म, यज्ञ इत्यादि करने के पश्चात् उन चारों तपस्वियों ने आपस में एक-एक पाव सत्तू बाँट लिए। तभी वहाँ एक ब्राह्मण आ गया। उस अतिथि को देखकर वे अत्यन्त प्रसन्न हुए और उसे कुटिया में अन्दर लाकर, अर्घ्य, जल, आसन आदि देकर उस तपस्वी ने भूख से व्याकुल उस अतिथि को खाने के लिए सत्तू भी दे दिए। इस व्यवहार से अत्यन्त प्रसन्न उस ब्राह्मण ने उन तपस्वियों को स्वर्ग भेज दिया। उन सबके स्वर्ग चले जाने पर अंत में वह नेवला कहने लगा – यह यज्ञ एक सेर भर सत्तू के समान किसी भी प्रकार नहीं है।

प्रश्न 6.
रिक्तस्थानानि पूरयत –
उत्तर:
(क) राजशार्दूल! महत् उत्तमम् आश्चर्य श्रूयताम्।
(ख) अयं वः यज्ञः सक्तुप्रस्थेन तुल्यः नास्ति।
(ग) पुरा उञ्छवृत्तिर्द्विजः कश्चित् कापोतिः अभवत।
(घ) तदा क्षुधार्तम् अतिथिं ते कुटी प्रवेशयामासुः।
(ङ) तस्य विप्रस्य तपसा मे शिरः काञ्चनीकृतम्।
(च) सक्तुप्रस्थेनाय यज्ञः सर्वथा सम्मितो नास्ति।

योग्यताविस्तारः
(क) महाभारतम् – महर्षिव्यासप्रणीते ……………. क्वचित्।”
अनुवाद – महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत नामक इस महाकाव्य में एक लाख से अधिक श्लोक हैं। इस महाकाव्य में 18 पर्व (अध्याय) हैं आदिपर्व, सभापर्व, वनपर्व, विराटपर्व, उद्योगपर्व, भीष्मपर्व, द्रोणपर्व, कर्णपर्व,शल्यपर्व, सौप्तिकपर्व, स्त्रीपर्व, शान्तिपर्व, अनुशासनपर्व, आयवमेधिकपर्व, आश्रमवासिकपर्व, मौसलपर्व, महाप्रस्थानपर्व तथा स्वर्गारोहणपर्व।

Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः Summary Translation in Hindi and English

श्रूयतां राजशार्दूल महदाश्चर्यमुत्तमम्।
अश्वमेधे महायज्ञे निवृत्ते यदभूद्विभो!||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 1
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 2

सरलार्थ – हे नृपश्रेष्ठ! हे स्वामी! अश्वमेध यज्ञ के सम्पन्न हो जाने पर जो महान् उत्तम आश्चर्य हुआ उसे आप सुनें।

Meaning in English – Oh great king! Oh lord! Please listen to the great wonder which took place at the accomplishment of Ashwamedha’s sacrifice.

2. बिलान्निष्क्रम्य नकुलो रुक्मपार्श्वस्तदानघ!।
मानुषं वचनं प्राह धृष्टो बिलशयो महान्||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 3

सरलार्थ – हे पापरहित! सुवर्णमय बगल वाला, बिल में रहने वाला, अत्यन्त शक्तिशाली एक नेवला बिल से निकलकर मनुष्य की आवाज में इस प्रकार बोलने लगा –

Meaning in English – Oh sinless! Then a very strong mongoose which was having golden sides and which lived in the hole, came out of the hole and started speaking in human voice.

3. सक्तुप्रस्थेन वो नायं यज्ञस्तुल्यो नराधिपाः।
उच्छवृत्तेर्वदान्यस्य कुरुक्षेत्रनिवासिनः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 4
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 5

सरलार्थ – हे राजाओ! तुम्हारा यह यज्ञ कुरुक्षेत्र में रहने वाले तथा खेत में गिरे हुए . अनाज के दानों से जीवन-निर्वाह करने वाले दानी के एक सेर सत्तू के समान भी (मूल्यवान) नहीं है।

Meaning in English – Oh kings! Your this sacrifice (Yajna) is not equal to one kg. of Sattu (meal of parched grains) of the generous man who lives in Kurushetra and leads his life by grains which remain lying in the field.

4. धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे धर्मज्ञैर्बहुभिर्वृते।
उञ्छवृत्तिर्द्विजः कश्चित्कापोतिरभवत्पुरा||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 6

सरलार्थ – प्राचीन काल में धार्मिक स्थल कुरुक्षेत्र में अनेक धर्मज्ञों के साथ खेत में गिरे हुए अनाज से तथा कबूतर के समान इधर-उधर पड़े हुए दानों से जीवन निर्वाह करने वाला एक ब्राह्मण हुआ था।

Meaning in English – In ancient time, in the religiouis place of Kurushetra which was crowded with many people who knew religion, there was a Brahman who used to lead his life with the grains that were left in the field and also with the grains which were found lying here. and there (like a pigeon).

5. सभार्यः सह पुत्रेण सस्नुषस्तपसि स्थितः।
वधूचतुर्थो वृद्धः स धर्मात्मा नियतेन्द्रियः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 7

सरलार्थ – वहाँ अपनी पत्नी, पुत्र तथा पुत्र वधू के साथ चौथा वह धर्मात्मा तथा जितेन्द्रिय वृद्ध पुरुष तपस्या में लीन हो गया।

Meaning in English – There with his wife, son and daughter-in law an old man religious and with his senses under control was practising penance.

6. षष्ठे काले कदाचिच्च तस्याहारो न विद्यते।
भुङ्क्तेऽन्यस्मिन्कदाचित्स षष्ठे काले द्विजोत्तमः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 8
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 9

सरलार्थ – वह श्रेष्ठ ब्राह्मण कभी भोजन के समय कुछ भी आहार नहीं प्राप्त कर पाता था और कभी-कभी भोजन के समय उसे भोजन मिल भी जाता था।

Meaning in English – That great Brahmana sometimes could not get any food up till sixth prahara (or by the time of having meals) and sometimes he used to get food at proper time.

7. कपोतधर्मिणस्तस्य दुर्भिक्षे सति दारुणे।
क्षीणौषधिसमवायो द्रव्यहीनोऽभवत्तदा||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 10

सरलार्थ – तब वहाँ भयंकर अकाल पड़ जाने से कबूतर के समान वृत्ति वाला वह ब्राह्मण सभी औषधियों से तथा अन्य वस्तुओं से हीन हो गया।

Meaning in English – Then there was a serious famine and that brahmana, who led his life like a pigeon eating grains from here and there, had nothing to eat.

8. अथ षष्ठे गते काले यवप्रस्थमुपार्जयत्।
यवप्रस्थं च ते स तपस्विनः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 11

सरलार्थ – तब छठा प्रहर बीत जाने पर उसने एक सेर जौ प्राप्त किया और उस एक सेर जौ से उन तपस्वियों ने सत्तू बनाए।

Meaning in English – Then after the sixth prahara (quite late after the time of having meals) those ascetics got one kg. of barley. They then prepared sattu with that one kg, of barley grains.

9. कृतजप्याहिकास्ते तु हुत्वा दहि यथाविधि।
कुडवं कुडवं सर्वे व्यभजन्त तपस्विनः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 12

सरलार्थ – तब जप एवं नित्यकर्म करके तथा विधिपूर्वक अग्नि में हवन करके उन सब तपस्वियों ने आपस में एक-एक पाव सत्तू बाँट लिया।

Meaning in English – Then all those ascetics practised their daily penance and worship. After that they distributed one quarter kg. of Sattu (meal of parched grains) to each one of them.

10. अयागच्छदिवजः कश्चिदतिथिर्भुजतां तदा।
ते त दृष्ट्वातिथिं तत्र प्रहृष्टमनसोऽभवन् ||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 13

सरलार्थ – तब वहाँ कोई ब्राह्मण आ गया। उस अतिथि को देखकर वे तपस्वी प्रवन्न हो गए और बोले – यह अतिथि पहले खा ले।

Meaning in English – Then some brahmana came there. Those ascetics became happy to see that guest and said – He may eat first.

11. कुटीं प्रवेशयामासुः क्षुधार्तमतिथिं तदा।
इदमयं च पाद्यं च बृसी चेयं तवानघ||
शुचयः सक्तवश्चेमे नियमोपार्जिताः प्रभो!!
प्रतिगृह्णीष्व भद्रं ते मया दत्ता द्विजोत्तम!||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 14

सरलार्थ – तब उस तपस्वी ने भूख से व्याकुल उस अतिथि को कुटिया के अन्दर प्रवेश कराया (और उससे कहा)– हे निर्दोष! यह आपके लिए अर्घ्य, पैर धोने के लिए जल तथा आसन है। ये नियमपूर्वक प्राप्त पवित्र सत्तू हैं। हे द्विजोत्तम! हे भद्रपुरुष! आप इन्हें स्वीकार करें। ये मेरे द्वारा आपको दिए गए हैं।

Meaning in English – Then that ascetic asked that guest who was very hungry to enter the cottage and said to him-Oh sinless one! This is the water for worship, this water is for washing the feet and this is a small carpet for sitting. These Sattus (meal of parched grains) have been achieved after following daily sacrifice. Oh great brahmana! Oh gentleman! Please accept these. These have been offered by me for you.

12. ‘इत्युक्त्वा तानुपादाय सक्तून्प्रादाद्विजातये।
ततस्तुष्टोऽभवद्विप्रस्तस्य साधोर्महात्मनः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 15

सरलार्थ – ऐसा कहकर उसने उन सत्तुओं को उस ब्राह्मण को दे दिया। तब वह ब्राह्मण उस सज्जन महात्मा से प्रसन्न हो गया।

Meaning in English – Having said so he gave away those sattus (meals) to that brahmana. Then that brahmana became happy with that geratle great man.

13. प्रीतात्मा स तु तं वाक्यमिदमाह द्विजर्षभम्।
वाग्मी तदा द्विजश्रेष्ठो धर्मः पुरुषविग्रहः||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 16

सरलार्थ – तब प्रसन्न मन वाले उस अतिथि ने उस ब्राह्मण से यह वाक्य कहा – तुम श्रेष्ठ ब्राह्मण और श्रेष्ठ वक्ता तथा साक्षात धर्म के शरीर को धारण करने वाले हो।

Meaning in English – Then that guest brahmana being happy said to that brahmana – You are a great brahmana and a good speaker also, moreover you possess human body also.

भास्वती (प्रथमो भागः)

14. शुद्धेन तव दानेन न्यायोपात्तेन यत्नतः।
यथाशक्ति विमुक्तेन प्रीतोऽस्मि द्विजसत्तम!||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 17

सरलार्थ – हे श्रेष्ठ ब्राह्मण! तुम्हारे द्वारा धर्मपूर्वक, प्रयत्नपूर्वक तथा शक्ति के अनुसार दिए गए शुद्ध दान से मैं प्रसन्न हूँ।

Meaning in English – Oh great Brahmana! I am happy by the sacred charity given by you which is just, which is given with effort and which is given according to your limits.

15. ब्रह्मचर्येण यज्ञेन दानेन तपसा तथा।
अगह्वरेण धर्मेण तस्माद्गच्छ दिवं द्विज||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 18

सरलार्थ – मैं तुम्हारे ब्रह्मचर्य से, यज्ञ से, दान से, तपस्या से तथा उत्तम धर्म से प्रसन्न हूँ अतः तुम स्वर्ग को जाओ।

Meaning in English – I am satisfied wth your brahmacharya, yajna, penance and best dharma; so you go to heaven now.

16. तस्मिन्विप्रे गते स्वर्ग ससुते सस्नुषे तदा।
भार्याचतुर्थे धर्मज्ञे ततोऽहं निःसृतो बिलात्||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 19

सरलार्थ – तब पुत्र, पुत्रवधू तथा पत्नी सहित धर्म के ज्ञाता उस ब्राह्मण के स्वर्ग चले जाने पर मैं बिल से बाहर निकल आया।

Meaning in English – Then when that brahmana who knew dharma very well went to heaven along with his son, daughter-in-law and his wife, I came out of the hole.

17. ततस्तु सक्तुगन्धेन क्लेदेन सलिलस्य च।
दिव्यपुष्पावमर्दाच्च साधोनलवैश्च तैः।
विप्रस्य तपसा तस्य शिरो मे काञ्चनीकृतम्||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 20

सरलार्थ – तब हे सज्जन! सत्तुओं की गन्ध से, पसीने से, जल से, दिव्य पुष्पों को मसलने से, दान दिए गए सत्तुओं के उन कणों से तथा उस ब्राह्मण की तपस्या से मेरा सिर सोने का बना दिया गया।

Meaning in English – Then oh gentleman! My head was made of gold by the penance of that brahmana, by the sweet smell of sattus (meal of parched-grains), by the sweet smell of crushing the divine flowers and by the grains which were given as charity.

18. ततो मयोक्तं तद्वाक्यं प्रहस्य द्विजसत्तमाः!!
सक्तुप्रस्थेन यज्ञोऽयं सम्मितो नेति सर्वथा||

शब्दार्थ (Word-meanings)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः 21

सरलार्थ – तब हँसकर मैंने वह वाक्य कहा – हे श्रेष्ठ ब्राह्मणो! यह यज्ञ एक सेर भर सत्तू के समान किसी भी प्रकार नहीं है।

Meaning in English – Then while laughing I said that sentence Oh great brahmanas! This yajna is not at all equl to one kg. of sattu (meals of parched grains).

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 10 प्रतीक्शा

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) का प्रतीक्षा करोति?
उत्तर
राधा।

(ख) प्रतीक्षा कीदृशी अस्ति?
उत्तर-
चांचल्यपरिपूरिता।

(ग) कः दर्शनं न ददाति?
उत्तर
श्रीकृष्णः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

(घ) ‘प्रतीक्षा’ पाठः कस्मात् ग्रन्थात् अनूदितः?
उत्तर
श्रीराधा।

प्रश्न 2.
पूर्ण वाक्येन उत्तरत

(क) अहं कथं प्रतीक्षे?
उत्तर
अहं दिनं दिनं रजनी रजनीं च प्रतीक्षे।

(ख) राधा पूर्णतया आत्मनः किं कुर्तं वाञ्छति?
उत्तर
राधा पूर्णतया आत्मनः एकमेव रूपं कुर्तं वाञ्छति।

(ग) एकदा कुत्र समुपस्थास्यसि?
उत्तर
एकदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि।

(घ) एकमेव रूपं भूत्वा कथं चिह्नितम्।
उत्तर
एकमेव रूपं भूत्वा नामान्तर-चिह्नितम् ।

(ङ) छायेव सः कुत्र दृश्यते?
उत्तर
छायेव सः स्फुरज्जलवक्षसि दृश्यते।

(च) यदा वा दृश्यते तदा कथं भूत्वा तिष्ठति?
उत्तर
यदा वा दृश्यते सदा लोचनविषयातीतं भूत्वा तिष्ठति।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) तथापि न भजति स्पष्टरूपताम्
उत्तर
तथापि न भजति काम्?

(ख) अथवा दृश्यते स्फुरज्जलवक्षसि
प्रश्न- अथवा दृश्यते कुत्र?

(ग) स्थाने तस्य उपजायमानं दृश्यते।
प्रश्न- स्थाने कस्य उपजायमानं दृश्यते?

(घ) निर्जनवेलायां मदन्तिके समुपस्थास्यसि।
प्रश्न- कदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि?

(ङ) युनः कालो वर्तते शेषः।
प्रश्न- पुनः कः वर्तते शेषः?

प्रश्न 4.
विशेषण-विशेष्यपदानां समुचितं मेलनं कुरुत
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) चाञ्चलपूरितायाम् – प्रतीक्षायाम्
(ख) उपकूलवर्तिनाम् – पादपानाम्
(ग) नामान्तरचिहितम् – रूपम् कालः
(ड) बहुविधैः – दृश्याभिलाषैः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु सन्धिविच्छेदं कुरुत
उत्तर
(क) अर्धाधिकम् . = अर्ध + अधिकम् ।।
(ख) छायेव = छाया + इव।
(ग) तस्योपजायमानम् = तस्य + उपजायमानम्
(घ) अन्यच्चन = अन्यत्+ च + न।
(ड) कस्यचिन्नाम्नः = . कस्यचित् + नाम्नः।
(च) तद्रूपतया = तत् + रूपतया।
(छ) प्रतीक्षेऽहम् . = प्रतीक्षे + अहम् ।
(ज) तावन्मे = तावत + मे।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानां पदानां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत
उत्तर-
(क) भूत्वा = एकाकिनी भूत्वा त्वं जीवनं कथं यापयिष्यसि?
(ख) स्थाने = सः निर्जने स्थाने वसति ।
(ग) दृश्यते = परमेश्वरः नेत्रैः न दृश्यते।
(घ) विद्यते । = ईश्वरः सर्वत्र विद्यते।
(ड) प्रतीक्षा = राधाकृष्णस्य आगमनस्य प्रतीक्षा करोति।
(च) दर्शनम् = ईश्वरस्य दर्शनं कथं सम्भवम् ?
(छ) अन्तिके = त्वं कदा मदन्तिके समुपस्थास्यसि ?

प्रश्न 7.
अधोलिखातानां पदपरिचयो देयः
उत्तर
(क) ददासि = दा धातु, लट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचन। ,
(ख) भूत्वा = भू धातु + क्त्वा प्रत्यय।
(ग) दृष्टे = दृश् धातु + क्त प्रत्यय, सप्तमी विभक्ति एकवचन।
(घ) वक्षसि = वक्षस् शब्द, नपुसंकलिंग, सप्तमी विभक्ति एकवचन ।
(ड) आयुषः = आयुष शब्द, नपुसंकलिंग, षष्ठी विभक्ति एकवचन।
(च) आत्मनः = आत्मन् शब्द, पुं., सप्तमी विभक्ति एकवचन ।
(छ) कर्तुम् = कृ धातु + तुमुन् प्रत्यय।
(ज) समाच्छन्नम् = सम् + आ उपसर्ग + छद् धातु + क्त प्रत्यय

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 10 प्रतीक्शा Summary Translation in Hindi and English

1. प्रतीक्षेऽहं तव कृते दिनं दिनम्
रजनी रजनीं च
न जातुदर्शनं ददासि मे,
किं तावन्मे सा प्रतीक्षा?
तस्यां मे चांचल्यपरिपूरितायां प्रतीक्षायाम्
कुत्र वा विद्यते स्थानम्
अवस्थानाय तव पूर्णतया?
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 1
हिन्दी सरलार्थ-मैं तुम्हारे लिए प्रतिदिन तथा प्रति रात्रि प्रतीक्षा करती हूँ किन्तु तम मझे कभी भी दर्शन नहीं देते हो। क्या मेरी वह प्रतीक्षा व्यर्थ है? अथवा उस चंचलतापर्ण प्रतीक्षा में मेरा स्थान कहाँ है जहाँ मैं पूर्णता के साथ अर्थात परी तरह से तम्हारे पास ठहर सकँ।

Meaning in English-I wait for you through out the day and night but you are never seen by me. Is that waiting for you of no use? Or where do I stand in thatúncertain waiting where I may stay with you completely

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

2. यदा वा दृश्यते,
रूपस्यार्धाधिकं तदा तव
लोचनविषयातीतं भूत्वा तिष्ठति।
यत् किंचिदपि दृश्यते
तथापि न भजति स्पष्टरूपताम्
यतस्तत् समाच्छन्नमेव भवति ।
अशान्ति प्रसूतैर्मे
स्मृति-दृश्याभिलाषैर्बहुविधैः,
अथवा दृश्यते स्फुरज्जलवक्षसि
छायेव पादपानामुपकूलवर्तिनाम्।
दृष्टे सति कस्यचिन्नाम्नो रूपे
स्थाने तस्योपजायमानं दृश्यते
अन्यच्चन किंचन रूपं नामान्तर-चिहितम् ।
एकमेव रूपं भूत्वा।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 2

हिन्दी सरलार्थ-अथवा जब तुम्हारे रूप का आधे से अधिक भाग दिखाई पड़ता – है उस समय दृष्टि विषय से परे होकर ठहर-सी जाती है और जब रूप का कुछ ही भाग दिखाई पड़ता है तब भी दृष्टि स्पष्टरूपता को प्राप्त नहीं कर पाती क्योंकि उस समय अशान्ति से उत्पन्न मेरी अनेक प्रकार की स्मृतियों तथा दृश्याभिलाषाओं से वह आच्छादित हो जाती है। उसके पश्चात् यदि दिखाई भी पड़ता है तो वह हिलते हुए जल में दिखाई पड़ने वाले नदी के किनारे स्थित वृक्षों की छाया की तरह (दिखाई देता है)। किसी स्थान पर, किसी नाम से तथा किसी रूप में देखे जाने पर उसका प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ता है। अन्यत्र किसी भिन्न रूप और नाम से अंकित उसका एकाकार रूप दिखाई पड़ता है।

Meaning in English-Or, whern more than half protion of your structure is seen, the eye sight does not stay on the object and it does not attain clarity of form as no portion of the structure is seen beacause it is covered by my manifold rememberance and desires to see which arise from anxiety. After that, even if it is seen, it appears like the shadow of the trees in the unsteady water which are grown at ihn hank of the river. It’s shadow is seen every where when it is seen at some plaii . ith some name and some form. At some other place its similar form is seen with some different appearance and different name.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

3. हन्त नाहं भाजनमभवमेतावताऽपि कालेन
एकमेव रूपं कुर्तमात्मनः पूर्णतया।
कियान पुनः कालो वर्तते शेषः
यदहं चिन्तयिष्यामि
यदसि त्वं तद्रूपतयाऽऽगत्य
एकदा समुपस्थास्यसि मदन्तिके
निर्जनवेलायां मे परमायुषः?
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा 3
हिन्दी सरलार्थ-दुःख है कि इतना समय व्यतीत हो जाने पर भी मैं अपने का पूर्णता के साथ एकाकार रूप प्राप्त करने के योग्य नहीं हो पाईं जब पनः मैं सोचेंगी कि कितना समय शेष रह गया है तुम, मेरे परम आयुष के उसी रूप में आकर एक बार मेरे समीप निर्जन वेला में समुपस्थित हो जाओगे।

Meaning in English-Oh! It is very sad that after such a long time even I could not attain oneness with the complete one i.e. God. Now again I will think that how much time is left when you will come to me.. once at this lonely time in the form of that supreme one.

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 प्रतीक्शा

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NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

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Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया देयानि-

(क) अयं पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलितः कश्च तस्य प्रणेता?
उत्तर:
अयं पाठः भारतविजयनाटकस्य प्रथमाङ्कात् सङ्कलितः, पं० मथुराप्रसाद दीक्षितः चास्य प्रणेता।

(ख) वैदेशिको गौराङ्गः किं संदर्य श्रेष्ठिनौ तन्तुवायञ्च भर्त्सयति?
उत्तर:
वैदेशिको गौरागः राजमुद्राङ्कित प्रमाणपत्र संदर्घ्य श्रेष्ठिनौ तन्तुवायञ्च भर्त्सयति।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

(ग) तन्तुवायेन कथं पटः निष्पादितः?
उत्तर:
तन्तुवायेन षड्भिः मासैः रात्रिन्दिवं परिश्रम्य पटः निष्पादितः।

(घ) यन्मया निश्चिीयते दीयते च तदेव मूल्यमिति कथनं कस्यास्ति?
उत्तर:
यन्मया निश्चीयते दीयते च तदेव मूल्यमिति कथनं वैदेशिकगौरागस्य अस्ति।

(ङ) तन्तुवायाः कीदृशस्य पटस्य निर्माणमकुर्वन्?
उत्तर:
तन्तुवायाः अतिसूक्ष्मतरस्य अतीव सुन्दरस्य च पटस्य निर्माणमकुर्वन्।

(च) यूयं निर्मितान् पटान् मह्यं दत्त इति कः कान् प्रति कथयति?
उत्तर:
यूयं निर्मितान् पटान् महां दत्त इति वैदेशिकगौराङ्गः तन्तुवायान् प्रति कथयति।

(छ) गौराङ्गः तन्तुवायान् कथं निष्काशयति?
उत्तर:
गौरागः तन्तुवायान् गलहस्तेन निष्काशयति।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

(ज) वैदेशिको गौराङ्गः तन्तुवायान् कया ताडयितुं भर्त्सयति?
उत्तर:
वैदेशिको गौराङ्गः तन्तुवायान् कशया ताडयितुं भर्त्सयति।

प्रश्न 2.
रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:

  1. कथमेतेन मम कुटुम्बस्य भरणपोषणे भविष्यतः।
  2. अनिर्वचनीयम् एतत्पटयोः सौन्दर्यम्।
  3. कथमेत्समक्षमस्मद्देशीयानां पटानां विक्रयो भविष्यति।
  4. शोभनं पट निर्माय मह्यं दत्त, योग्यं मूल्यं भविष्यति।
  5. यूयं पटान् निर्माय श्रेष्ठिना सविधे विक्रीणीध्वे।

प्रश्न 3.
सप्रसङ्गं व्याख्यायन्ताम्-

(क) युष्मत्कुटुम्बरक्षायै ………………. जानीहि व्रजाधुना।
उत्तर:
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भास्वती – प्रथमो भागः’ के अध्याय ‘वस्त्रविक्रयः’ में से अवतरित है। यह अध्याय महामहोपाध्याय पं० मथुराप्रसाद दीक्षितकृत ‘भारतविजयनाटकम्’ के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में वस्त्र व्यापारियों के साथ जुलाहों का वस्त्र-विक्रय हेतु वार्तालाप होता है। उसी समय विदेशी गौराङ्ग का प्रवेश होता है। वह राजकीय मुद्रा से अंकित प्रमाण पत्र दिखाकर बहुत कम मूल्य देकर वस्त्र खरीदना चाहता है। इतने कम मूल्य से उसके परिवार का पालन-पोषण भी नहीं हो पाएगा – ऐसा कहने पर जुलाहे के प्रति क्रोध करता हुआ वह विदेशी गौराङ्ग कहता है-

अर्थ – तुम्हारे परिवार की रक्षा की मैंने प्रतिज्ञा नहीं की। कैसे रक्षा होगी – यह तुम जानो, अब जाओ।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

व्याख्या – इस प्रकार बहुत कम मूल्य देकर और साथ ही क्रोध भी दिखाकर वह विदेशी जुलाहे को वहाँ से जाने को कहता है। गरीबों के साथ इसी प्रकार से अन्याय होता है। उन्हें अपनी वस्तु कम कीमत पर भी बेचनी पड़ती है तथा कुछ भी बोलने पर बुरा-भला भी सुनना पड़ता है।

(ख) अनिर्वचनीयमेतत्पट्योः सौन्दर्यम्। अतिसूक्ष्मतरोऽयं पटः। पश्य,एतस्य पञ्चषैः पटलैः परिवेष्टितमप्यपटमेव प्रतीयतेऽङ्गम्।
उत्तर:
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो भागः’ के अध्याय ‘वस्त्रविक्रयः’ में से उद्धृत किया गया है। यह अध्याय महामहोपाध्याय पं० मथुराप्रसाद
दीक्षितकृत ‘भारतविजयनाटकम्’ के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में वस्त्र व्यापारियों के साथ जुलाहों का वस्त्र विक्रय हेतु वार्तालाप होता है। उसी समय विदेशी गौराग का प्रवेश होता है। वह राजकीय मुद्रा से अंकित प्रमाणपत्र दिखाकर बहुत कम मूल्य देकर वस्त्र खरीद लेता है और डाँट-डपट कर जुलाहे को वहाँ से जाने को कहता है। वस्त्र बहुत सुन्दर है, अतः उसकी प्रशंसा करता हुआ वह विदेशी गौराङ्ग कहता है

अर्थ – दोनों वस्त्रों की सुन्दरता अवर्णनीय है। यह वस्त्र अत्यन्त महीन है। देखो, इसकी पाँच-छ: परतों से ढका हुआ अंग भी वस्त्रहीन सा दिखाई देता है।

व्याख्या – वस्त्र इतना सुन्दर तथा महीन है कि इसकी पाँच-छ: परतों से भी यदि अंग ढका जाता है तब भी वह अंग वस्त्रहीन सा ही लगता है। इस प्रकार वह विदेशी अत्यन्त प्रसन्न है कि उसने बहुत कम मूल्य में इतना सुन्दर वस्त्र ले लिया है।

(ग) न वयमयोग्यमूल्यत्वात् पट निर्मामः।
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो भागः’ के अध्याय ‘वस्त्रविक्रयः’ में से उद्धृत किया गया है। यह अध्याय महामहोपाध्याय पं. मथुराप्रसाद दीक्षितकृत भारतविजयनाटकम् के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में व्यापारियों के साथ जुलाहों का वस्त्र विक्रय हेतु वार्तालाप होता है। उसी समय विदेशी गौराग का प्रवेश होता है। वह राजकीय मुद्रा से अंकित प्रमाणपत्र दिखाकर बहुत कम मूल्य देकर वस्त्र ले लेता है और डाँट-डपट कर जुलाहे को वहाँ से भगा देता है। वह जुलाहा उसे इतनी कम कीमत में वस्त्र देना ही नहीं चाहता, अतः वह बहाने लगता हुआ कहता है-

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

अर्थ – हम अनुचित मूल्य के कारण वस्त्र नहीं बनाते।

व्याख्या – इस पर वह विदेशी जुलाहे को अच्छी कीमत का लालच देकर उसे और वस्त्र देने को कहता है। वह इन जुलाहों से सारा वस्त्र लेकर, पैसे जबरदस्ती लेकर उनके व्यापार को ठप्प करना चाहता है। वस्त्र न बनाने की बात कहने पर विदेशी जुलाहे को डाँटता-डपटता है और उसे लालच भी देता है।

प्रश्न 4.
सन्धिविच्छेदं क्रियताम्-
उत्तर:

  1. विंशत्यधिकम् = विंशति + अधिकम्।
  2. मुद्राङ्कितम् = मुदा + अड्कितम्।
  3. विधेरुन्मूलम् = विधेः + उन्मूलम्।
  4. मोचयिष्याम्यतः = मोचयिष्यामि + अतः।
  5. सामर्षम् = स + अमर्षम्।
  6. मिथ्यैतत् = मिथ्या + एतत्।

प्रश्न 5.
‘एतत्सूक्ष्मपटस्येति’ श्लोकस्य स्वमातृभाषया अनुवादः कार्यः-
उत्तर:
इस महीन वस्त्र की निर्माण-विधि को नष्ट करने में मैं समर्थ हूँ। दण्ड देने तथा मारने में निपुण मैं अब उन वस्त्र निर्माण करने वालों को मुक्त करा लूँगा। इनकी वस्त्र निर्माण की निपुणता को तथा इनके इतने अधिक उन्नत व्यापार को भी छीन लो तथा इस देश की उन्नति अब केवल लोगों की बातों में ही रह जाए (जानी चाहिए)।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

प्रश्न 6.
अधोलिखितेषु पदेषु धातु प्रत्यय च पृथक्कृत्य लिखत-
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Q6

योग्यताविस्तारः
अग्नि से जली हुई शाहजहाँ की पुत्री की चिकित्सा गेबरियल वाऊटन के द्वारा की गई। कुछ ऐतिहासिकों के मत के अनुसार उसकी चिकित्सा सत्थामस महोदय के द्वारा की गई। बाद में वह स्वस्थ हो गई। बाद में बङ्ग (बंगाल) के राजा शाहजादा राजकुमारा शुज्जा की पत्नी की भी चिकित्सा सत्थामस महोदय के द्वारा ही की गई और वह भी स्वस्थ हो गई। तत्पश्चात् फरुखशियर सम्राट् की चिकित्सा सर्जन विलियम हेमिल्टन द्वारा की गई और वह भी स्वस्थ हो गए।

Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Summary Translation in Hindi and English

संकेत – (ततः प्रविशन्ति ………… लक्षयति।)

शब्दार्थ् (Word-meanings):
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Summary Translation in Hindi and English 1

हिन्दी-अनुवाद:
(तब वस्त्र बेचने और खरीदने के लिए कोई जुलाहा तथा दो सेठ प्रवेश करते हैं।)
सेठ – अरे जुलाहा! इस वस्त्र का मूल्य कितना है?
जुलाहा – एक सौ बीस रुपये।
सेठ – नहीं, नहीं। यह कुछ अधिक है। सौ रुपये ले लो।
(तब अपने सेवक के साथ विदेशी गौराङ्ग प्रवेश करता है। वह राजकीय मुद्रा से अंकित प्रमाणपत्र दिखाकर दोनों सेठों तथा जुलाहों को धमकी देता है।)
विदेशी गौराङ्ग – अरे जुलाहे! यह देख राजकीय मुद्रा से अंकित प्रमाण पत्र। तुम इसे नहीं बेच सकते।
जुलाहा – तो मैं इस वस्त्र का क्या करूँ।
विदेशी गौराग – इस वस्त्र को मुझे दे दो, मैं इस वस्त्र को बेचूँगा, ये लो पचास मुद्राएँ। (ऐसा कहकर पचास मुद्राएँ देता है।)
जुलाहा – (आश्चर्य के साथ देखते हुए) अरे यह क्या कर रहे हैं? इस (राशि) से मेरे परिवार का पालन पोषण कैसे होगा? छ: महीने किसी प्रकार दिन-रात परिश्रम करके यह वस्त्र बन पाया है।
विदेशी गौराग – ये मुद्राएँ लो, मैं कुछ नहीं जानता। चुप रहो, जाओ। दूसरा वस्त्र बनाकर मेरे पास ही लाना। तुम्हारे परिवार की रक्षा की मैंने प्रतिज्ञा नहीं की। कैसे रक्षा होगी – यह तुम जानो, अब जाओ।
(वह मुद्रा नहीं लेता तो दूसरा जुलाहा वस्त्र बेचने के लिए प्रवेश करता है और वस्त्र खरीदने के लिए सेठ को वस्त्र दिखाता है।)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

English-Translation:
(Then a weaver and two wealthy persons enter to sell and buy the cloth.)
Wealthy person-Oh weaver! What is the price of this cloth? Weaver-One twenty rupees. Wealthy person-No, no. This is too much. Take hundred rupees.
(Then a fair-complexioned foreigner enters with his attendant. He shows a certificate having govt. seal. He threatens both the wealthy men and the weaver.)
Fair-complexioned foreigner – Oh weaver! See this certificate stamped with the govt. seal. You cannot sell it. Weaver – What should I do with this cloth then?
Fair-complexioned foreigner – Give this cloth to me. I will sell it. Take fifty-coins (saying so he gives him fifty coins.)
Weaver – (Looks at them with surprise) what are you doing? How can I nourish my family with this amount? I have made this cloth with great difficulty by working hard continuously day and night for six months.
Foreign – Take these coins. I don’t know anything. Keep quiet and go. Make another cloth and bring it to me only. I have not promised to nourish your family. How will your family be nourished – this is your problem. Now go away.
(He does not take the coins. Then another weaver enters to sell the cloth. He shows the cloth to the wealthy men to buy that.)

संकेत – तन्तुवाप – श्रेष्ठिन्। गृहाण ………… प्रविशति।)

शब्दार्थ् (Word-meanings):
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Summary Translation in Hindi and English 2

हिन्दी-अनुवाद:
जुलाहा – हे सेठ! लो वस्त्र।
सेठ – (भौहे चढ़ाकर) यह खरीदेगा, मैं नहीं खरीद सकता।
जुलाहा – क्यों?
सेठ – इसके पास राजकीय प्रमाणपत्र है। यही खरीदेगा और कोई नहीं।
विदेशी गौराग – इधर आओ। (जुलाहे को बुलाता है और उसे प्रमाणपत्र दिखाता है वस्त्र ले लेता है) लो ये चालीस मुद्राएँ। (ऐसा कहकर मुद्रा देता है)
जुलाहा – महाराज! यह क्या कर रहे हैं? क्या यही न्याय है?

विदेशी गौराग – जाओ, जाओ। मैं न्याय या अन्याय नहीं जानता। जो मैंने निश्चय किया वही मूल्य दे रहा हूँ। (दोनों उसके द्वारा दिए गए मूलय को ले लेते हैं।)
दोनों जुलाहे – इसके बाद हम वस्त्र नहीं बनाएँगे। (ऐसा कहकर चले जाते हैं।) विदेशी गौराग – (सेवक की ओर संकेत करके) देखो। मैं इन दोनों से बहुत सारी मुद्राएँ ले लूँगा। दोनों वस्त्रों की सुंदरता अवर्णनीय है। यह वस्त्र अत्यंत महीन है। देखो, उसकी पाँच छः परतों से ढका हुआ भी अंग वस्त्रहीन ही दिखाई देता है। ओह! उसके सामने हमारे देश के वस्त्रों का विक्रय कैसे होगा – हमारे देश का तो व्यापार ही नष्ट हो जाएगा। (पुनः विचार करके)

इस महीन वस्त्र की निर्माणविधि को नष्ट करने में मैं समर्थ हूँ। दण्ड देने तथा मारने में निपुण मैं अब उन वस्त्र निर्माण करने वालों को मुक्त करा लूँगा। इनकी वस्त्रनिर्माण की निपुणता को और इनके इतने अधिक उन्नत व्यापार को भी छीन लो तथा इस देश की उन्नति अब केवल लोगों की बातों में ही रह जाए।
द्वारपाल – (प्रवेश करके) देव की जय हो, जय हो।
विदेशी गौराङ्ग – द्वारपाल । शीघ्र तीन-चार जुलाहे ले आओ।
द्वारपाल – जैसी देव की आज्ञा! (बाहर जाकर तीन जुलाहे लेकर प्रवेश करता है।)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

English-Translation:
Weaver – Oh richmen! Take the cloth.
Wealthy men – (Showing his eyebrows). He will buy, I cannot buy.
Weaver – Why?
Wealthy men – Because he has got a govt. certificate. He will buy, no one else.
Foreigner – Come here. (He calls that weaver and shows him the certificate. He takes the cloth) take these forty coins.
(Saying so he gives him those coins)
Weaver – Oh lord! What are you doing? Is this the judgment?
Foreigner – Go, go. I do not know what is just or what is unjust. I am giving you the decided cost.
(Both the weavers take the amount given by him.)
Both the weavers – We will not make the cloth after this.
(Saying so both of them go)
Foreigner – (Towards the attendant)
See. I shall take many coins from both of them. The beauty of both the clothes is indescribable. This cloth is very thin and fine. Just see, the body parts though covered by five or six folds of this cloth, seem to be uncovered. Oh! How shall the cloth made in our country be sold when this beautiful cloth is available? Our business will be ruined. (Thinking again.)

I am capable of destroying the means of producing this thin cloth. I am clever in punishing and killing the persons, so I will make them free who produced cloth for our country. Destroy their cleverness of producing good cloth as well as their highly developed business and the progress of this country may now remain in woods only.
Doorkeeper (Having entered) – May lord is victorious.
Foreigner – Oh gatekeeper. Bring three or four weavers quickly,
Doorkeeper – As the lord commands. (He goes out and again enters with three weavers.)

शब्दार्थ् (Word-meanings):
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Summary Translation in Hindi and English 3 Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 9 वस्त्रविक्रयः Summary Translation in Hindi and English 4

हिन्दी-अनुवाद:
वै० गौराग – (जुलाहों की ओर संकेत करके) अरे अरे! तुम तैयार वस्त्रों को मुझे दो।
जुलाहे – हम अनुचित मूल्य के कारण वस्त्र नहीं बनाते।
वै. गौराग – ठीक है, अच्छा वस्त्र बनाकर मुझे दो, अच्छी कीमत होगी। ये मुद्राएँ लो। (ऐसा कहकर पन्द्रह मुद्राएँ देता है, वे नहीं ग्रहण करते। जबरदस्ती उनके वस्त्र से बाँधकर गले से पकड़कर बाहर निकाल देता है।
जुलाहे – (द्वार पर स्थित) महाराज! हम सौ रुपये के मूल्य के वस्त्र को पन्द्रह मुद्राओं के लिए नहीं बनाएंगे।
वै० गौराग – (उलाहनापूर्वक) कौन शोर मचा रहा है? (द्वार पर जाकर क्रोधपूर्वक, कोड़े से उन्हें मारता है। जाओ, दूसरा सुन्दर वस्त्र बनाकर लाओ। (वे मुद्राएँ फेंककर चले जाते हैं।)
वै० गौराङ्ग – (सेवक की ओर) अरे! अरे! दूसरे तीन चार जुलाहे लाओ। (वह निकलकर दूसरे चार जुलाहे लाकर) महाराज! ये जुलाहे आ गए हैं।
वै० गौराङ्ग – (जुलाहों की ओर संकेत करके) बने हुए रेशमी वस्त्र मुझे दो।
जुलाहे – हम वस्त्र नहीं बनाते।
वै० गौराग – यह असत्य है। तुम सब वस्त्र बनाकर सेठों के सम्मुख बेचते हो। (सब को कोड़े से मारने की धमकी देता है।)
सब – हम नहीं बनाते वस्त्र। (इस प्रकार हाथ जोड़े हुए काँपते हैं।) (सब चले जाते हैं।)

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

English-Translation:
Foreigner – (Towards the weavers) You give the woven clothes to me. Weavers – We do not prepare cloth due to insufficient price.
Foreigner – O.K., Give me cloth of good quality. You will get a good price. Keep these coins. (Saying so he gives them fifteen coins. They do not accept. He ties those coins to their clothes forcibly and turns them out holding them with his neck.)
Weaver – (With objection) Who is making this noise?
(Goes to the door & angrily he beats them with the hunter) Go and bring another beautiful cloth.
(They throw the coins and go away.)
Foreigner – (Towards his attendant) Bring other three or four weavers. (He goes out and brings four other weavers.)
My lord! These weavers have come. Weavers – We do not weave cloth.
Foreigners – It is not true. You weave cloth and sell before the wealthy persons. (Threatens all of them to beat with the hunter.)
All the weavers – We do not weave. (Saying so they all tremble with their hands folded.) (All of them go away.)

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

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Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 9 मदालसा

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) उद्यानं कस्य आसीत् ?
उत्तर
गन्धर्वराजविश्वावसोः।

(ख) कः आम्रमञ्जरीणां शोभां दृष्ट्वा कूजति?
उत्तर
कोकिलः।

(ग) का विद्याध्ययने रता आसीत्?
उत्तर
मदालसा।

(घ) का विनयं ददाति?
उत्तर
विद्या।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

(ङ) का सर्वविद्यानिष्णाता आसीत्?
उत्तर
मदालसा।

(च) मदालसा. किं स्वीकर्तुं न इच्छति?
उत्तर
विवाहबन्धनम्।

(छ) शिशूनां चरित्रनिर्माणं कस्याः अधीनम्?
उत्तर
मातुः।

(ज) कः भार्यायां स्वाधिपत्यं स्थापयति?
उत्तर
पुरुषः।

(झ) युधिष्ठिरः कां छूते हारितवान् ?
उत्तर
द्रौपदीम्।

(ज) कः परिचर्चायां सम्मिलितः अभवत् ?
उत्तर
ऋतध्वजः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरं द्रदत

(क) कुलगुरुतुम्बरूः मदालसायाः विषये किं कथितवान् ?
उत्तर
कुलगुरुतुम्बरू: मदालसायाः विषये कथितवान् यत् तस्यै योग्यवरस्य अन्वेषणं कार्यम्।

(ख) मदालसा विवाहबंधनं तिरस्कृत्य किं कर्तुम् इच्छति?
उत्तर
मदालसा विवाहबंधनं तिरस्कृत्य ब्रह्मवादिनी भवितुम् इच्छति।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

(ग) ऋतध्वजः स्वपरिचयं कथं ददाति?
उत्तर
ऋतध्वजः आत्मानं शत्रुजितः पुत्रः ऋतध्वजः इति कथयति।

(घ) ऋतध्वजस्य नारी प्रति का धारणा आसीत्?
उत्तर
ऋतध्वंजः नारी समस्त सृष्टेः निर्मात्री इति मन्यते स्म।

(ङ) कस्याः रक्षार्थं पन्याः सहयोगः अनिवार्यः अस्ति?
उत्तर
लक्ष्म्याः रक्षार्थं पत्न्याः सहयोगः अनिवार्यः अस्ति।

(च) ऋतध्वजः लक्ष्म्याः वर्णनं कथं करोति?
उत्तर
ऋतध्वजः लक्ष्मी मदालसायाः दासी न तु सपत्नी इति कथयति स्म।

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) यूनोः हृदयं उद्यानस्य शोभां दृष्ट्वा उत्कठितं भवति।
प्रश्न – कस्य हृदयं उद्यानस्य शोभां दृष्ट्वा उत्कठितं भवति?

(ख) मदालसा ज्ञानस्य कतिपय बिन्दून् एव प्राप्तवती।
प्रश्न – मदालसा कस्य कतिपय बिन्दून एव प्राप्तवती?

(ग) कुलगुरुतुम्बरू महाभागैः गन्धर्वराजाय सूचितम् ।
प्रश्न- कुलगुरुतुम्बरू महाभागैः कस्मै सूचितम् ?

(घ) मदालसा शिष्यानु जीवनकला पाठयितुम् इच्छति।
प्रश्न – मदालसा कान् जीवनकला पाठयितुम् इच्छति?

(ङ) मदालसा जीवने सङ्केत्तैः नर्तितुं न इच्छति स्म।
प्रश्न – मदालसा जीवने कैः नर्तितुं न इच्छति स्म?

(च) पुरुषः भर्यायां स्वाधिपत्यं स्थापयति।
प्रश्न – पुरुषः कस्यां स्वाधिपत्यं स्थापयति?

(छ) युधिष्ठिरः द्रौपदीं छूते हारितवान्।
प्रश्न – युधिष्ठिरः कां छूते हारितवान् ?

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(ज) हरिश्चन्द्रः पूत्रं जनसङ्घले आपणे विक्रीतवान्।
प्रश्न – हरिश्चन्द्रः कं जनसङ्कले आपणे विक्रीतवान् ?

(झ) अस्मिन् संसारे विभिन्नप्रकृतिकाः पुरुषाः वसन्ति।
प्रश्न- अस्मिन् संसारे विभिन्न प्रकृतिकाः के वसन्ति?

(ञ) लक्ष्म्याः रक्षार्थं पल्याः सहयोगः अनिवार्यः।
प्रश्न- कस्याः रक्षार्थं पल्याः सहयोगः अनिवार्यः?

प्रश्न 4.
विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) गम्भीरः – ज्ञानोदधिः
(ख) सर्वविद्यानिष्णाता – मदालसा
(ग) विभिन्नप्रकृतिकाः – पुरुषाः
(घ) निर्जीवम् – वस्तु
(ड) जनसङ्कले – आपणे
(च) शत्रुजितः – कृतध्वजः
(छ) अनुव्रतौ – पति पल्यौ
(ज) प्रभूतम् – धनम्

प्रश्न 5.
प्रकृतिप्रत्ययोः विभागं कुरुत
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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 10

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 11

प्रश्न 7.
हरिश्चन्द्रः समाजे कैः गुणैः प्रसिद्धः आसीत् ?
उत्तर
हरिश्चन्द्र एक राजा था जिसमें सत्यप्रियता, न्यायप्रियता, प्रजाप्रेम, सेवाभावना, दयाभाव आदि गुण थे जिनके कारण उसने अपनी पत्नी तारामती तथा पुत्र राहुल को भी बाजार में बेच दिया था। संस्कृत में-सत्यप्रियता, न्यायप्रियता, दयालुता, प्रजाप्रेम, सेवाभावना आदिभिः अनेकैः गुणैः हरिश्चन्द्रः एकः प्रसिद्धः राजा अभवत् । न्यायप्रियता इति गुणेन सः स्वपत्नी तारामतीं स्वपुत्रं राहुलं चापि आपणे विक्रीतवान्। .

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

प्रश्न 8.
नारी प्रति ऋतध्वजस्य का धारणा आसीत्?
उत्तर
नारी के प्रति ऋतध्वज अत्यन्त सम्मान प्रकट करते हैं। माता को वे प्रथम गुरु कहते हैं। उनके अनुसार नारी समस्त सृष्टि का निर्माण करने वाली है। इस प्रकार ऋतध्वज . की नारी के प्रति सम्मानपूर्ण धारणा थी। उसके वचनों से आदर्श नारी का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।

संस्कृत में-ऋतध्वजस्य कथनैः नारी प्रति सम्मानभावना दृश्यते। सः नारीम् समस्तसृष्टेः निर्मात्री इति मन्यते। अपि च-सः मातरं प्रथमा आचार्या इति मन्यते। एवं नारी प्रति तस्य अतीव सम्मानपूर्णा धारणा आसीत् । तस्य वचनैः आदर्शनार्याः उदाहरणं प्रस्तूयते स्म। .

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 9 मदालसा Summary Translation in Hindi and English

संकेत – (ततः प्रविशति ………… एकाकिनी एव।) पृ. 73
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 1
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 2
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 3

हिन्दी सरलार्थ – (तब प्रकृति के सौन्दर्य को देखता हुआ महाराज का शत्रुजित पुत्र ऋतध्वज प्रवेश करता है।)

ऋतध्वज – अहा! गन्धर्वराज विश्वावसु राजा का उद्यान कितना सुन्दर है। आम की मञ्जरियों की उत्कृष्ट सुन्दरता को देखकर तथा कोयों के मधुर वचनों को सुनकर किस युवक का हृदय अनायास उत्कण्ठित नहीं होगा? (बाईं ओर युवतियों का वार्तालाप सा सुनाई दे रहा है। यहीं रुककर सुनती हूँ।

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

कुण्डला – सखि मदालसा! तुम तो केवल विध्याध्ययन में ही तत्पर हो। कितने समय तक ब्रह्मचर्यव्रत को धारणा करोगी?

मदालसा – ज्ञान का सागर असीमित तथा अत्यन्त गम्भीर है। अभी तक मैंने सागर के तट पर खड़े होकर कुछ ही. अंश प्राप्त किए हैं।

कुण्डलाहे विनयशीला! विद्या विनम्रता प्रदान करती है। इसीलिए तुम ऐसा कह रही हो । कुल गुरु तुम्बरू महाभाग ने गन्धर्वराज को कुछ और ही सूचित किया है। मदालसा क्या तुमने सुना जो आदरणीय गुरु जी ने मेरे विषय में पिताजी से कहा?

कुण्डला – हाँ अवश्य । राजकुमारी मदालसा सभी विद्याओं में निपुण हो गई है किन्तु उसे स्वयंवर प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए उसके लिए योग्य वर की खोज करनी है-यही गुरुजी का विचार है।

मदालसा – (हँसकर) वे नहीं जानते कि मैं तो विवाह का बंधन स्वीकार करना नहीं चाहती। कुण्डला-तो क्या करोगी?

मदालसा – वेदान्त में निपुण होऊंगी। ‘आचार्य’ का पद प्राप्त करके शिष्यों को जीने की कला सिखाऊँगी।

कुण्डला – अध्ययन और अध्यापन में मैं तुम्हारी लगन जानती हूँ किन्तु जैसे यह लता आम का सहारा ले रही है उसी तरह स्त्री जीवन यात्रा में किसी साथी की आवश्यकता को अनुभव करती है जो उसका सहारा हो। मदालसा मेरे लिए सहारे की आवश्यकता नहीं है। मैं जीवनपथ पर चलने में स्वयं समर्थ हूँ और किसी के इशारों पर नाच नहीं सकती।

कुण्डला – तब तो अकेली ही नाचोगी।

Meaning in English-(Then enters Ritadhwaja, son of great king who has conquered his enemies and is watching the beauty of nature.)

Ritadhwaja-Aha! The garden of king Vishwavasu, the celestial king is very beautiful. Every young one is fascinated to see the beauty of the mango clusters and to hear the sweet chirping of cuckoos. (The conversation of the young-ladies is heard on the left side. So I stay here to listen to it.)

Kundala – Oh friend Madalasa! You are engaged in studies only. For how long will you follow the Brahmacharya-vrata or remain unmarried?

Madalsa – The ocean of knowledge is really endless and very deep. By now I have studied very few portions standing on the bank of the ocean.

Kundala – Oh polite one! ‘Knowledge provides modesty’ therefore you are saying so. But respectable Kulaguru Tumbaru has informed king of Gandharvas something else.

Madalsa – Did you hear what respectable Guruji tell father regarding me?

Kundala – Yes certainly. Princess Madalsa has become well versed in all the Vidyas but she did not obtain Svayamvara (husband of her choice.) So, a suitable match is to be found out for her this is the idea of Guruji.”

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा

Madalsa – (laughing) He does not know that I do not want to accept the relation of marriage.

Kundala – Then what will you do?

Madalsa – I will become well-versed in Vedanta. I’shall achieve the title of ‘Acharya’ and teach art of living to my students. Kundala-I know your keen attention towards studies and teaching but a woman also feels necessity of a companion in life as a support just as a creeper takes support of the mango-tree. …Madalsam do not need a support. I am capable of leading life alone and I can not do everything according to others will.

Kundala – Then you will have to dance alone.

संकेत – (विहस्य) यादि ……………. सखी विचार:  पृ .74

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NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 मदालसा 5

हिन्दी सरलार्थ … मदालसा-(हँसकर) यदि तुम शीघ्र ही पति के घर चली जाओगी तो मैं अकेली हो जाऊँगी. किन्तु एक उपाय भी सोच लिया है मैंने।

कुण्डला – कौन सा उपाय ?

मदालसा – मैं सङ्गीतसाहित्य के माध्यम से ब्रह्मविद्या को प्रिय सरस बनाकर बहुत सारे बच्चों को शिक्षण दूंगी।

कुण्डला – गृहस्थाश्रम में प्रवेश करके अपने बच्चों के चरित्र का निर्माण करना माता के अधीन होता है। उसमें क्या सोचना?

मदालसा – जहाँ तक मुझे लगता है पुरुष अपनी पत्नी पर अपना अधिकार स्थापित करता है। द्रौपदी को अपनी सम्पति मानते हुए युधिष्ठर उसे जुए में हार गए जैसे वह कोई निर्जीव वस्तु थी।

कुण्डला – निर्जीव वस्तु तो वह नहीं थी किन्तु युधिष्ठिर का सोचना इसी प्रकार का था-ऐसा प्रतीत होता है।

मदालसा – हरिश्चन्द्र ने अपनी पत्नी शैव्या तथा पुत्र रोहित को भीड़युक्त बाजार में बेच दिया। ऐसे पत्नी के पद को स्वीकार करने में मेरा कोई. मनोरथ नहीं है।

कुण्डला – यह तो कटु सत्य है किन्तु सखी! इस संसार में भिन्न-भिन्न स्वभाव वाले पुरुष रहते हैं। वे अपने-अपने स्वभाव के अनुसार वर भी प्राप्त कर लेते हैं। तुम तो नवनवोन्मेष शालिनी प्रतिभा से सम्पन्न नए प्रयोगों से हम सबको आश्चर्यचकित कराती रहती हो। गृहस्थाश्रम भी एक प्रयोगशाला है जिसमें तुम अपने ज्ञान-विज्ञान का प्रयोग कर सकोगी।

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मदालसा – हे कुण्डले । ऐसे लोग दुर्लभ होते हैं जो गृहस्थ की प्रयोगशाला में अपनी पत्नी को स्वतंत्रता देते हों।

ऋतध्वज – (अपने आप से) यह अपने को प्रकट करने का उचित अवसर है। (प्रकट रूप में) मैं शत्रुजित पुत्र ऋतध्वज उपस्थित हूँ, आज्ञा हो तो मैं इस परिचर्चा में सम्मिलित हो जाऊँ।

कुण्डला – अतिथि का स्वागत है। क्या आपने मेरी सखी के विचार सुन लिए?

Meaning in English : Madalsa – (With a smile) If you go very soon to your husband’s house, then I will remain alone but I have thought of a plan also.

Kundala – What is the plan?

Madalsa – I will make Brahmavidya (knowledge of vedanta) interesting and then teach it to many children.

Kundala – The formation of character depends on their mother after entering inte Grihasthashrama. There is nothing to think?

Madalsa: -As far as I see a man dominates his wife. Yudhishthira considered Drai padi to be his personal property and lost her in gambling as if she were an inanimate thing it appears that.

Kundala-She was not inanimate but Yudhishthira had that thinking only.

Madalsa-Harishchandra sold his wife Shaivya and his son Rohit in a crowded market. I do’nt want to accept such a post of wife.

Kundala-This is very harsh truth but my dear! men of various nature live in this world and the husband of similar nature is also achieved. You give us all a surprise by makling new experiments with your brilliant-mind. Grihasthashram is also a laboratory in which you can experiment your knowledge and scientific education

Madalsa – Kundle! Such a person is really rare who gives freedom to his wife in the household-laboratory.

Ritadhvaja – (To himself) This is the best time to present myself. (Before all) I, Ritdhwaja, a son who has conquered the enemies am present here. If you allow me then I will also join this discussion.

Kundala – Welcome to the guest. Did you hear what my friend hasil expressed?

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संकेत-ऋतध्वजः …………….=
आम् ! अत …………. क्षाव्याव
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हिन्दी सरलार्थ – ऋतध्वज-हाँ। इसीलिए मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आदरणीय गन्धर्वराज विश्वावसु अपनी पत्नी को युधिष्ठिर की तरह हार गए या उन्होंने उसे हरिश्चन्द्र की तरह बेच दिया? कुण्डला-मदालसा! तुम चुप क्यों हो? उत्तर दो।

ऋतध्वज – एक के अपराध से सम्पूर्ण जाति दण्डनीय होती है-यह तुम्हारी सखी का अनोखा न्याय है।

मदालसा-आप नारी-स्वाधीनता के बारे में क्या कहते हैं?

ऋतध्वज-माता ही प्रथम गुरु होती है-मेरा तो यही मानना है। नारी ही सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण करने वाली होती है। किन्तु कहने से क्या? आदरणीया आप परीक्षा करके ही जान पाएँगी। गृहस्थाश्रम की प्रयोगशाला में परीक्षा देने के लिए मैं तैयार हूँ।

मदालसा-तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। कुण्डला-तुम दोनों उन्नति करो। हे मित्र! गन्धर्वकन्या मदालसा गन्धर्वविवाहविधि से आपका वरण करती है। (पति के रूप में चुनती है।) मैं कुलगुरू तुम्बुरू को बुलाता हूँ। वह अग्नि के सम्मुख आशीर्वचन कहेंगे।

ऋतध्वज-पहले तो हम सखी की बात सुनेंगे। तत्पश्चात् हम दोनों स्वयं कुलगुरु तथा माता जी और पिताजी को सम्मानित करने जाएँगे। … कण्डला-परस्पर प्रेम यक्त आप दोनों के उपदेश के लिए कोई अवकाश नहीं है तो भी सखी के प्रति प्रेम मुझे बोलने के लिए प्रेरित कर रहा है

पति के द्वारा सदा पत्नी का भरण-पोषण तथा रक्षा की जानी चाहिए क्योंकि धर्म, अर्थ तथा काम की सिद्धि के लिए जैसे पत्नी पति की सहायिका होती है वैसे कोई दूसरा नहीं होता। एक दूसरे के प्रति अनुकूल रहते हुए पति और पत्नी धर्म-अर्थ तथा काम की सिद्धि कर लेते हैं । यदि पति बहुत अधिक धन कमाकर घर लाता है तो वह धन पत्नी के अभाव में कुपात्रों में दिया जाता हुआ नाश को प्राप्त करता है।

ऋतध्वज-लक्ष्मी की रक्षा के लिए पत्नी का सहयोग अनिवार्य है। – मदालसा-कुण्डला ! लक्ष्मी की पूजा में मेरी कोई रुचि नहीं है। यदि मेरे अतिथि को लक्ष्मी पूज्य और प्रिय है तो अभी से मेरा उसे प्रणाम है।

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ऋतध्वज-हे स्वाभिमानी प्रिया! तुम्हारे सम्मुख कोई सौत कैसे ठहर सकती है? लक्ष्मी तो तुम्हारी दासी होगी सौत नहीं। मेरी गृहस्थी तुम्हारे अधीन होगी और अपनी भावी सन्तान को
मैं ज्ञान-विज्ञान की खोज करने वाली तुम्हारे हाथ में सौंपना चाहता हूँ। (आओ। गुरु जी को , तथा माता-पिता को यह समाचार सुनाते हैं।)..

Meaning in English
kitadhwaja-Yes, That is why I want to ask whether respectable Gandharvaraja Vishwavasu lost his wife like Yudhisthira or he sold her like Harish Chandra?

Kundala-Oh Madalsa! Why are youquiet? Give me answer.

Ritadhwaja-Whole of the female-race is to be punished-this is the wonderful logic of your friend. .. ,

Madalsa – What do you say sir! regarding the freedom of women?

Ritadhwaja – I consider that only mother is the first teacher. Only a woman can produce the whole creation but what is the use of saying? You can know by examining only. I am ready to be examined in the laboratory of the Grihasthashrama.

Madalsa – I have accepted your proposal…

Kundala – May you both progress. Oh friend! A celestial girl Madalsa proposes you by the mode of love-marriage. I call our family priest Tumbru. He will offer blessings before fire-god.

Ritadhwaja – First we both will listen to our friend’s words. After that we both will go to respect our family-priest and our parents.” Kundala . There is no alternative for the advice of you both who love each other so much. Even then I am saying so due to the affection towards my friend.

A husband should always nourish and protect his wife because he has no other helper except his wife for the accomplishment of righteousness, wealth and desire. Remaining favourable to each other, husband and wife can establish righteousness, wealth and desire. If a husband earns lot of wealth and brings it to home then that wealth is destroyed by spending it among undeserving persons in the absence of a wife.

Ritadhwaja -The co-operation of the wife is compulsory for protecting the wealth. Madalsa-Oh Kundala! I am not at all interested in worshipping wealth. If wealth is respectable and lovable to my guest, then my salutations are for her since now.

Ritadhwaja – Oh dear self-respected one! Which other co-wife can stay in presence of you? Wealth will be your attendant and not a co-wife. My family life will depend on you and I wish to offer my coming generation to you who are a scientific-researcher. Come, let us tell this news to our teacher and parents.

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NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम्

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Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया देयानि-

(क) अस्याः कथायाः लेखकः कः अस्ति?
उत्तर:
अस्या कथायाः लेखकः आचार्यः केशवचन्द्रदाशः अस्ति।

(ख) पुष्करिण्याः नाम किमासीत्?
उत्तर:
पुष्करिण्याः नाम पदिमनी आसीत्।

(ग) मुनिः कैः कारणैः चिन्तितः आसीत्?
उत्तर:
पुष्करिण्याः जल प्रतिदिन प्रदूषितं भवति स्म, तत् प्रदूषित जल पीत्वा जनाः अपि रुग्णा भवन्ति। कथ पुष्करिणीत: पङ्कोधारः भवेत् – एभिः कारणैः मुनिः चिन्तितः आसीत।

(घ) मुनिः जनान् किम् अपृच्छत्?
उत्तर:
मुनिः जनान् अपृच्छत् – किम् अभवत? किमर्थ भवन्तः एनं ताडयन्ति।

(ङ) बालकः कृष्णः पुष्कारिण्याः विषये किम् अकथयत्?
उत्तर:
बालकः कृष्णः पुष्कारिण्याः विषये अकथयत् – अस्मिन् जलो एको महान् मत्स्यः अस्ति।

(च) महामत्स्यस्य सन्धानं कुत्र न प्राप्तम्?
उत्तर:
महामत्स्यस्य सन्धान पुष्करिण्या न प्राप्तम्।

(छ) वास्तविक सत्यं किमस्ति?
उत्तर:
यत् अत्यन्तं भूतहितम् तत् वास्तविक सत्यम्।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

प्रश्न 2.
मातृभाषया भावार्थ लिखत-

(क) पुष्करिणीतः पङ्कोद्धारो न भवति।
उत्तर:
इस पंक्ति का भावार्थ यही है कि जब जल में कीचड़ बढ़ने लगती है तो वह अशुद्ध हो जाता है और अशुद्ध जल पीने से अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं, अतः जल से कीचड़ निकालना और जल साफ करना अत्यन्त अनिवार्य हो जाता है। पुष्कारिणी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही – यही चिन्ता का विषय था मुनि का भी।

(ख) ग्राम्यजनाः जलशोधनार्थम् अवश्यं शिक्षयितव्याः।
उत्तर:
जल की शुद्धि अत्यन्त निवार्य होती है – यही चिन्ता मुनि को भी थी। अतः लोगों को जल की शुद्धि के विषय में अवश्य शिक्षित किया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
मातृभाषया आशयं स्पष्टीकुरुत-
“सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं भवेत् ।
यद्भूतहितमत्यन्तमेतत् सत्यं मतं मम।।”
उत्तर:
सत्यभाषण बहुत अच्छा होता है किन्तु सत्यभाषण से भी अधिक श्रेयस्कर होता है हितकारी वचन बोलना (चाहे वह सत्य न भी हो) और जो सब प्राणियों के लिए पूरी तरह हितकर हो – वास्तविक सत्य वही होता है। इस प्रकार सभी प्राणियों का हित जिस वचन में हो – वहीं वास्तविक सत्य है – यही आशय है इस श्लोक का।

प्रश्न 4.
अधोलिखिताना शब्दाना पदपरिचयं लिखत-
उत्तर:

  1. आनीय = आ उपसर्ग, नी धातु, ल्यप् प्रत्यय।
  2. असंतुष्टः = सम् उपसर्ग, तुष् धातु. क्त प्रत्यय = संतुष्टः, न संतुष्टः इति नञ तत्पुरुष समास।
  3. वारयित्वा = वृ धातु, णिच् + क्त्वा प्रत्यय
  4. प्रतारितवान् = प्र उपसर्ग, तृ धातु. णिच् + क्तवतु प्रत्यय।
  5. सम्यक् = अव्यय।
  6. आसीत् = अस् धातु, लङ् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन।
  7. प्रसन्नाः = प्र उपसर्ग, सद् धातु + क्त प्रत्यय।
  8. श्रेय = श्रि धातु, ईयसुन् प्रत्यय।
  9. परिष्करणम् = परि उपस’ कृ धातु, ल्युट् प्रत्यय।
  10.  प्रथमतः = प्रथम शब्द + तसिल् प्रत्यय।

प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:

  1. पुष्करिणीम् परितः नाना वृक्षाः सन्ति।
  2. केन प्रकारेण इमे जनाः बोधयितव्याः?
  3. प्रदूषित जलं पीत्वा जनाः अपि रुग्णाः भवन्ति।
  4. जलेऽस्मिन् एको महान् मत्स्यः अस्ति।
  5. श्वः प्रभाते बन्धच्छेदं कृत्वा जल निष्कासयत।

प्रश्न 6.
सन्धिच्छेदं कुरुत-
उत्तर:

  1. तत्रैव = तत्र + एव।
  2. सोऽपि = सः + अपि।
  3. पड्कोद्धारः = पङ्क + उद्धारः।
  4. अस्मिन्नवसरे = अस्मिन् + अवसरे।
  5. यथेच्छम् = यथा + इच्छम्। .
  6. तद्रात्री = तत् + रात्रौ।

प्रश्न 7.
संविग्रहं समासनाम लिखत-
उत्तर-

  1. तटसंलग्नाः = तटे सलग्नाः; सप्तमी तरुपुरुष समास।
  2. असंतुष्टः = न सुतुष्टः इति; नञ् तत्पुरुष समास।
  3. मिथ्यावादी मिथ्यां वदति यः सः, कर्मधारय समास।
  4. कम्पितकण्ठेन = कम्पितः कण्ठः यस्य सः, तेन बहुव्रीहि समास।
  5. ग्राम्यजनान् ग्राम्याः जनाः, तान्; कर्मधारय समास।
  6. बन्धच्छेदम् = बन्धस्य छेदम् : षष्ठी तत्पुरुष समास।
  7. निर्मलम् = निर्गत मलं यस्य तत्: बहुव्रीहि समास।

योग्यताविस्तारः
समानान्तरसूक्तयः
यहाँ पाठ में आई हुई सूक्ति के समान भाव वाली सूक्तियाँ उद्धृत की गई है। ये सूक्तियाँ विभिन्न ग्रन्थों से संकलित की गई हैं। जिन ग्रन्थों से ये ली गई हैं उन ग्रन्थों का नाम भी यहाँ अंकित है। इन सूक्तियों में सत्य के महत्त्व का वर्णन किया गया है। छात्र इन्हें याद करने का प्रयास करें तथा उचित अवसर पर इन्हें उद्धृत करने का भी प्रयत्न करें।
NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम्

Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम् Summary Translation in Hindi and English

संकेत – एकस्मिन् ………… प्रसारितवान्।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

शब्दार्थ (Word meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
ग्रामोपान्ते = गाँव के पास – Near the village
पुष्करिणी = बावड़ी – A lake
वसनम् = वस्त्र – Clothes
क्षालयन्ति = धोते हैं – Wash
पाकादिकर्म = भोजन पकाने का काम – Cooking food etc.
तस्याः एव = उससे ही – From that
तत्रैव = वहीं, उसमें ही – In that only
गोमेषच्छागादीनाम् = गाय, भेड़, बकरी आदि के – Of cows, rams, goats etc.
तत्संलग्नाः = किनारे पर लगे हुए – Grown up on its bank
अपरभागे = दूसरे किनारे पर – On its another part
सोऽपि = वह भी – He also
अनुनयति = विनती करता है – Requests
चिन्तामग्नः = चिन्ता में डूबा हुआ – Very worried
बोधयितव्याः = समझाया जाए – Can be advised
पङ्कोद्धारः = कीचड़ को चिकालना – To remove the mud
प्रतिदिनम् = प्रतिदिन – Daily
प्रदूषितम् = गन्दा – Impure
बर्हिरागत्य = बाहर आकर – After coming out
वारणीयाः = रोके जाएँ – Be prevented
कोलाहल. = शोर – Noise
सहसा = अचानक – Suddenly
ताडयन्ति = पीट रहे हैं, – Are beating
भर्त्सयन्ति = धमकी दे रहे हैं – Are threatening
वारयित्वा = रोक कर – Stopped
मिथ्यावादी = झूठ बोलने वाला – A liar
प्रतारयति = ठगता है – Cheats
सद्यः = शीघ्र – Just now

हिन्दी-अनुवाद:
एक गाँव के पास पद्मिनी नाम की एक बावड़ी थी। वहाँ गाँव के लोग स्नान करते थे, कपड़े धोते थे, उससे ही जल लाकर पीते थे तथा भोजन पकाने का काम करते थे। वहीं गाय, भेड़, बकरी आदि को स्नान कराते थे। पुष्करिणी के चारों ओर अनेक वृक्ष थे। कुछ वृक्ष बावड़ी के तट पर भी लगे हुए थे। बावड़ी के दूसरी ओर एक आश्रम था। वहाँ एक मुनि रहता था। वह भी तर्पण आदि का काम वहीं करता था। वह लोगों से विनती करता था, बार-बार उन्हें उपदेश देता था किन्तु कोई भी उसकी बात नहीं सुनता था।

एक बार मुनि चिन्ता में डूबा हुआ था – किस प्रकार इन लोगों को समझाया जाए? बावड़ी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही। प्रतिदिन जल प्रदूषित हो रहा है। उस प्रदूषित जल को पीकर लोग भी बीमार पड़ जाएँगे। कैसे उन्हें रोका जाए?

अचानक कोलाहल सुनाई दिया। मुनि ने बाहर आकर देखा । कुछ लोग एक बालक को मार रहे थे और उसे धमकी दे रहे थे। बालक भय से काँप रहा था और चिल्ला रहा था। मुनि वहाँ पहुँचा तथा लोगों को रोककर उनसे पूछा – क्या हुआ है? आप इसे क्यों मार रहे हैं? लोग बोले – यह झूठ बोलने वाला है। यह हमेशा ही झूठ बोलता है। व्यर्थ में सबको ठगता है। हमें भी इसने अभी धोखा दिया है।

English-Translation:
There was a lake, Padmini by name, near a village. The villagers used to take bath and wash their clothes there. They used to bring water from that lake to drink and to cook food also. They used to bring their cows, rams, goats also there for bathing. There were many trees around that lake. There were some trees on its bank also. On its other side, there was a hermitage. A sage lived there. He used to offer a libation of water to the deceased ancestors also there. He used to request people. He used to advise them again and again but no one listened to him.

Once the sage was very worried – how to advise these people? The mud is not removed from the lake. The water is becoming impure day by day. People will fall ill by drinking this impure water. How to prevent them………..?

Suddenly he heard a noise. The sage came out and saw. Some people were beating and threatening a boy. The boy was shivering with fear. He was shouting. The sage reached there. He stopped the people and asked them – What has happened? Why are you beating him? They said – He is a liar. He tells a lie always. He cheats people for no reason. He cheated us also just now.

संकेत – मुनिः बालकम् ………… मया दृष्टः।

शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
कम्पितकण्ठेन = कांपते हुए कण्ठ से – With shivering voice
आश्वासितवान् = आश्वासन दिया – Encouraged

एक बार मुनि चिन्ता में डूबा हुआ था – किस प्रकार इन लोगों को समझाया जाए? बावड़ी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही। प्रतिदिन जल प्रदूषित हो रहा है। उस प्रदूषित जल को पीकर लोग भी बीमार पड़ जाएँगे। कैसे उन्हें रोका जाए?

अचानक कोलाहल सुनाई दिया। मुनि ने बाहर आकर देखा। कुछ लोग एक बालक को मार रहे थे और उसे धमकी दे रहे थे। बालक भय से काँप रहा था और चिल्ला रहा था। मुनि वहाँ पहुँचा तथा लोगों को रोककर उनसे पूछा- क्या हुआ है? आप इसे क्यों मार रहे हैं? लोग बोले- यह झूठ बोलने वाला है। यह हमेशा ही झूठ बोलता है। व्यर्थ में सबको ठगता है। हमें भी इसने अभी धोखा दिया है।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

English-Translation:
There was a lake, Padmini by name, near a village. The villagers used to take bath and wash their clothes there. They used to bring water from that lake to drink and to cook food also. They used to bring their cows, rams, goats also there for bathing. There were many trees around that lake. There were some trees on its bank also. On its other side, there was a hermitage. A sage lived there. He used to offer a libation of water to the deceased ancestors also there. He used to request people. He used to advise them again and again but no one listened to him.

Once the sage was very worried – how to advise these people? The mud is not removed from the lake. The water is becoming impure day by day. People will fall ill by drinking this impure water. How to prevent them ………..?

Suddenly he heard a noise. The sage came out and saw. Some people were beating and threatening a boy. The boy was shivering with fear. He was shouting. The sage reached there. He stopped the people and asked them – What has happened? Why are you beating him? They said – He is a liar. He tells a lie always. He cheats people for no reason. He cheated us also just now.

संकेत – मुनिः बालकम् ………… मया दृष्टः।

शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
कम्पितकण्ठेन = काँपते हुए कण्ठ से – With shivering voice
आश्वासितवान् = आश्वासन दिया – Encouraged
करं धृत्वा = हाथ पकड़कर – Holding his hand
आनीतवान् = ले आया – Brought
समुचितः = उचित – Proper
अस्मिन्नवासरे = इस अवसर पर – On this occasion
ग्राम्यजनाः = गाँव के लोग – The villagers
शिक्षयितव्या = शिक्षित किए जाने चाहिए – Should be taught
यथेच्छम् = इच्छा के अनुसार – Willingly
नाम्ना = नाम से – By name
सञ्जातः = हो गया – Became
दृष्ट्वा = देखकर – On seeing
जलेऽस्मिन् = इस जल में – In this water
सहर्षम् = खुश होकर – Being happy
कुण्ठितः = दुःखी – Sad, unhappy
साक्षीकरिष्यसि = साक्षात् करोगे – You will make me a witness
प्रतिमार्गम् = प्रत्येक मार्ग में – In every direction

हिन्दी-अनुवाद:
मुनि ने बालक से पूछा – अरे, सच (क्यों नहीं बोलता?
बालक ने काँपते हुए स्वर में कहा – सच क्या है?
मुनि ने उसे आश्वासन दिया – नहीं जानते? तो मेरे साथ आओ। ऐसा कहकर उसका हाथ पकड़कर मुनि बालक को आश्रम की ओर ले आया। मुनि ने सोचा – यह उचित अवसर है। इस अवसर पर गाँव के लोगों को अवश्य शिक्षित करना चाहिए। तब मुनि ने बालक से पूछा-
तुम्हारा क्या नाम है?
नाम से मैं कृष्ण हूँ।
ठीक है, किस प्रकार से झूठ बोलते हो?
अपनी इच्छा से बोलता हूँ।
तो इस बावड़ी को देखकर कुछ भी कहो।
बालक कृष्ण प्रसन्न हो गया। खुश होकर (बावड़ी का) वर्णन करने लगा-
इस जल में एक बहुत बड़ी मछली है। अरे लोगों! आओ …………..देखो……… वह कैसे खेलती है?
मुनि ने कहा – शाबाश ………… ठीक सोचा है। तो कल सुबह गाँव के लोगों को ठीक इतना ही कहना।
कृष्ण कुछ दुःखी हो गया।
नहीं, वे मुझे मारेंगे।
अरे ……………. नहीं, नहीं ………. बाद में तुम मुझे ही साक्षी करोगे। अगले दिन सुबह कृष्ण गाँव के प्रत्येक मार्ग पर लोगों से कहने लगा – मैंने इस बावड़ी में एक महान् मछली देखी है।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 9 वस्त्रविक्रयः

English-Translation:
The sage asked the boy – Hey, why don’t you speak the truth? The boy said in a shivering voice – What is truth?
The sage encouraged him-If you do not know, then come with me. Saying so he held his hand and brought the boy towards the hermitage. The sage thought – This is the most appropriate occasion. The villagers should be definitely taught on this occasion. Then the sage asked the boy – What is your name?
My name is Krishna.
O.K., How do you tell a lie?
I tell a lie according to my own will. Then you tell something about this lake.
Krishna became happy. Being happy, he started describing the lake thus – There is a huge fish in this water. Oh, people! come ………. See, how does it play?
The sage said – Well done! ……….. You have thought in a proper way. So, you have to tell this much to the villagers tomorrow morning.
Krishna became a little sad.
No, they will beat me.
Oh! …….. No, no ……… You will make me a witness afterward.
The next day morning, Krishna started saying to the people going in every direction of the village-
I have seen a huge fish in this lake.

संकेत – केचन अवदन् …………. सौविध्यमनुभूतम्।

शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
उक्तवान् = कहा – Said
तत् क्षणम् = तुरन्त, उसी समय – Immediately
दृष्टवान् = देखी थी – Saw
सोऽपि = उन्होंने भी – He also
पृच्छ = पूछ लो – Ask (him)
साक्षिरूपेण = गवाह के रूप में – As a witness
मत्स्यान्वेषणम् = मछली को ढूँढना – In search of the fish
दिनपूर्णम् = दिन भर – Throughtout the whole day
विरक्ताः = निराश – Disappointed
सरोषम् = क्रोधपूर्वक – Angrily
धीरभावेन = धैर्यपूर्वक – With patience
धर्तुं शक्यते = पकड़ी जा सकती है – Can be caught
सरलतया = सरलता पूर्वक – Easily
बन्धच्छेदम् = बाँध तोड़कर – After tearing the string
निष्कासयत = निकाल दो – Bring out
छेदनं कृतवन्तः = काट दिया – Cut down
तटवर्तिवृक्षाणाम् = तट पर लगे वृक्षों को – Which were growing on the bank
शस्यक्षेत्रे = अनाज के खेत में – In the field of crops
प्रसारितवन्तः = फैला दिया – Spread
इत्थम् = इस तरह – Thus
विदाघकालः = ग्रीष्म ऋतु – Summer season
परिष्करणेन = सफाई से – By cleaning
सौविध्यम् = सुविधा – Convenient
अनुभूतम् = अनुभव की – Felt

हिन्दी-अनुवाद:
कुछ बोले- अरे! तुम असत्यवादी हो। तुम्हारी बात का क्या विश्वास?
कृष्ण ने तुरन्त कहा – उस समय मेरे साथ मुनि भी थे। उन्होंने भी (मछली को) देखा था। आओ वहाँ …………. पूछो उनसे ……………।

मुनि को गवाह के रूप में स्वीकार करके गाँव वालों ने अगले दिन मछली को ढूँढा । अन्त में सब मिलकर बावड़ी में घुस गए और मछलियों को पकड़ लिया। किन्तु महामछली नहीं मिली। पूरे दिन उन्होंने ढूँढा। सायंकाल में वे पूरी तरह निराश हो गए। मुनि के पास जाकर – वे क्रोधपूर्वक बोले – क्या आप भी हमें धोखा दे रहे हैं?

मुनि धैर्यपूर्वक बोला- अरे! महामछली क्या सरलता से पकड़ी जा सकती है? उसके लिए परिश्रम आवश्यक है। कल प्रातः बन्धन तोड़कर जल बाहर निकाल दो।

उस रात गाँव वालों के नेत्रों में नींद नहीं थी। उन्होंने सुबह आकर पहले तटवर्ती वृक्षों को काटा, फिर बन्धन काटकर जल बाहर निकाल कर बावड़ी को गम्भीर किया तथा कीचड़ को लाकर अनाज के खेतों में डाल दिया – तब तक ग्रीष्मकाल आ गया। सहसा वर्षा होने लगी तथा बावड़ी पूरी भर गई। पवित्र जल को देखकर सब प्रसन्न थे। तटों की सफाई होने से सब जगह सुविधा अनुभव हो रही थी।

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English-Translation:
A few of them said – Hey! You are a liar. Who will believe in your words? Krishna said immediately – The sage was also with me at that time. He also saw that great fish. Come ……….. There ……….. Ask them ………… Accepting the sage as a witness, the villagers searched for the fish the next day. In the end, they entered the lake and caught the fishes. But that great fish was not found. They searched for that fish the whole day. In the evening they were disappointed. They went near the sage and said angrily – Are you also cheating us?

The sage said with patience – Oh! Can that great fish be caught easily? Hard labour is required to catch that. After tearing the string. first, take out the water tomorrow morning.

That night the villagers could not sleep at all. In the morning, they came and cut the trees which grew on its bank first, then after tearing the string they brought the water out. Thus many days passed. After that, they threw out the mud and made the lake deeper. They then spread that mud in the green-fields – by that time it was summer season. It started raining suddenly and the lake was also full of water. All were happy to see clean water. The banks were also clean now, so people felt very convenient.

संकेत – इतः यदि ………… मतं मम।।

शब्दार्थ (Word-meanings)
संस्कृत – हिन्दी – English
दण्ड्यः = दण्डनीय – Punished
आकारितवान् = बुलाया – Called
कल्याणकरम् = कल्याणकारी – Which causes welfare, beneficial
पितामही = दादी – Grandmother
अबोधयत् = समझाया – Told
अन्यन्तम् = अत्यधिक, पूरी तरह से – Completely
भूतहितम् = प्राणियों के लिए हितकर – Useful for all the living beings

हिन्दी-अनुवाद:
अब यदि कोई जल को दूषित करेगा वह दण्डनीय होगा। एक बार मुनि ने तट पर कृष्ण को देखकर बुलाया। उसे आश्रम में लाकर मुनि ने उससे पूछा – अरे कृष्ण! क्या सच्चाई समझ में आई या नहीं?
नहीं समझ आई।
अरे! यत्य बोलने से ही केवल सत्य नहीं होता, जो वचन कल्याणकारी होता है वह भी सत्य होता है।
दादी ने पुलोमा की पुत्री (इन्द्र की पत्नी शची या इन्द्राणी) को बताया। इसी लिए हमारे शास्त्र में भी है – सत्य का वचन श्रेयस्कर है किन्तु सत्य से भी बढ़कर यह श्रेयस्कर है जो हितकर हो। और मेरे विचार में तो जो भी सभी प्राणियों के लिए अत्यन्त हितकारी हो वहीं वास्तविक सत्य है।

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English-Translation:
He will be punished for who pollutes the water now. Once the sage saw Krishna on the bank of the lake. He called and brought him in the hermitage. Then he asked him-Oh Krishna! Did you understand the reality or not?
No-he replied.
Oh! It is not good to speak the truth only, but that is also true which is beneficial (even if it is false).
Thus the grandmother told Puloma’s daughter (Indra’s wife). Therefore it is found in our shastra also – True words are good and that is better than the truth which is really beneficial. But I feel that that is really true which is completely beneficial for all living beings.

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