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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Bal Ram Katha (Chapter 1 to 12) बाल राम कथा

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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Bal Ram Katha (Chapter 1 to 12) बाल राम कथा

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तस्वीर प्रस्तुत की है। तुम भी अपने आस-पास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो। यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल-पहल, सड़क के नज़ारे आदि किसी का भी हो सकता है जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो।
उत्तर:
हमारे निवास स्थान से कुछ ही दूरी पर रोहिणी में ‘मैट्रो वाक’ नाम से एक मनोरंजन पार्क है। यह पार्क बहुत ही भव्य है। इस पार्क में विश्वस्तरीय झूले लगे हैं तथा विश्व के जाने-माने ब्रांड की वस्तुएँ यहाँ उपलब्ध हैं। जो भी इस स्थान पर जाता है, इसके सौंदर्य को देखकर चकित हो जाता है।

प्रश्न 2.
विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा, इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब-कब गुस्सा आता है? उसका क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
जब हमारी कोई उचित माँग नहीं मानी जाती या कोई अवांछित आरोप लगाया जाता तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। यदि कोई मुझे मेरी गलती पर डाँटता है तो मुझे बुरा नहीं लगता। बिना गलती के कोई कुछ कहता है तो वह सहन नहीं होता।

प्रश्न 3.
राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?
उत्तर:
राम और लक्ष्मण चाहते थे कि पिता की आज्ञा की अवमानना न हो। पिता ने जो वचन कैकेयी को दिए हैं, उनके पिता उस पर खरे उतरें। वे अपने पिता के वचनों को निभाना चाहते थे। वे नहीं चाहते थे कि कोई पिता पुत्र-मोह के कारण अपने वचनों का पालन न करे।

प्रश्न 4.
विश्वामित्र ने कहा, “ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं है।” उन्होंने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
जानवर और वनस्पतियों से ही जंगल की शोभा होती है। दोनों ही एक-दूसरे के आश्रित हैं। वनस्पतियों के बिना जानवर नहीं रह सकते और जानवरों के बिना वनस्पतियाँ सुरक्षित नहीं रह सकतीं। ये दोनों प्रकृति के आभूषण हैं। इनके कारण ही पर्यावरण शुद्ध रहता है और हमें तरह-तरह की मूल्यवान जड़ी-बूटियाँ व अन्य वस्तुएँ मिलती हैं।

प्रश्न 5.
लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था? अपने उत्तर का कारण बताओ।
उत्तर:
नाक-कान काटने के बजाय यदि शूर्पणखा को किसी और अन्य तरीके से समझाया जाता तो वह अधिक उचित होता। नाक-कान काटना शारीरिक हानि पहुँचाने से अधिक कष्टकर है। नाक-कान काटने से व्यक्ति का बहुत अधिक अपमान होता है। अपमानित व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। नाक-कान काटना ही युद्ध का कारण बना।

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प्रश्न 6.
विश्वामित्र और कैकेयी दोनों ही दशरथ को रघुकुल के वचन निभाने की प्रथा की याद दिलाते हैं। तुम अपने अनुभवों की मदद से बताओ कि क्या दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव होता है?
उत्तर:
दिया गया वचन निभाना हमेशा संभव नहीं होता, क्योंकि जब वचन दिया जाता है तब कुछ और परिस्थितियाँ होती हैं और जब वचन निभाने की समय आता है तो कभी-कभी परिस्थितियों में काफी बदलाव आ जाता है। वचन को निभाना आसान काम नहीं है। बहुत धैर्यवान लोग ही वचन को ठीक तरह निभा पाते हैं। साधारण आदमी तो विचलित हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
मान लो कि तुम्हारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्र की भूमिका निभाना चाहते हो जो तुम्हें सबसे ज़्यादा अच्छी, दिलचस्प या आकर्षक लगती है। वह पात्र कौन-सा है और क्यों?
उत्तर:
मुझे संपूर्ण रामायण में हनुमान का चरित्र सबसे अच्छा लगता है। अतः मैं हनुमान का चरित्र ही निभाना चाहूँगा। हनुमान में बुद्धि, बल, कर्तव्य-परायणता, सेवा आदि संपूर्ण गुण विद्यमान हैं। हनुमान कदम-कदम पर राम की सहायता करते हैं। यदि हनुमान न होते तो राम अपने को असहाय महसूस करते।

प्रश्न 8.
सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं; जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो-राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर:
दुष्टों का विनाश आवश्यक है अन्यथा वे सज्जन व्यक्तियों को कष्ट देते ही रहेंगे। जैसे-आजकल आतंकवादी बेकसूर लोगों की हत्या कर देते हैं। जो कसूरवार होते हैं, जिनके कारण आंतकवाद फैल रहा है, वहाँ तक उनकी पहुँच नहीं होती। अतः यह आवश्यक है दुष्टों का वध किया जाए, तभी सज्जन लोग सुरक्षित रह पायेंगे। मैं इस बात को लेकर राम की बात से सहमत हूँ।

प्रश्न 9.
रामकथा के तीसरे अध्याय में मंथरा कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है। इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।
उत्तर:
छात्र कक्षा में इस प्रसंग को नाटक के रूप में प्रस्तुत करें।

प्रश्न 10.
तुमने ‘जंगल और जनकपुर’ तथा ‘दण्डक वन में दस वर्ष’ में राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी। राक्षस ऐसा क्यों करते थे? क्या यह संभव नहीं था कि दोनों शांतिपूर्वक वन में रहते? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर:
राक्षस नहीं चाहते कि कोई सज्जन व्यक्ति अच्छी प्रकार जीवन जी सके। राक्षसों का काम ही आतंक फैलाना है। यदि सभी लोग सद्विचारों का पालन करेंगे तो उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए वे ऋषि-मुनियों को परेशान करते थे। आजकल के आतंकवादी भी राक्षसों का ही एक रूप हैं। वे भी आराम से रह रहे लोगों को अपना निशाना बनाते हैं।

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प्रश्न 11.
हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका के बारे में क्या-क्या बताया होगा?
उत्तर:
हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को बताया कि लंका सोने से निर्मित है। लंका के चारों ओर परकोटा बनाया गया है। लंका के चार द्वार हैं। रावण का महल बहुत ही भव्य है। उसका रथ रत्न-जड़ित है। रावण बहुत ऊँचे सिंहासन पर बैठता है।

प्रश्न 12.
तुमने बहुत-सी पौराणिक कथाएँ और लोक-कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है? यह जानने के लिए पाँच-पाँच के समूह में कक्षा के बच्चे दो-दो पौराणिक कथाएँ और लोक-कथाएँ इकट्ठी करें। कथ्य (कहानी), भाषा आदि के अनुसार दोनों प्रकार की कहानियों का विश्लेषण करें और उनके अंतर लिखें।
उत्तर:
पौराणिक कथाएँ हमारी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी होती हैं। पौराणिक कथाओं के पात्रों में कोई न कोई पात्र देवी-देवता अवश्य होता है।

लोक-कथाएँ वे होती हैं जो लोक-जीवन में प्रचलित होती हैं। इनका संबंध किसी क्षेत्र-विशेष से जुड़ा रहता है। जैसे-जापान की लोक-कथाएँ, झारखंड की लोक-कथाएँ आदि।

प्रश्न 13.
क्या होता यदि-
(क) राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।
(ख) रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता।
उत्तर:
(क) यदि दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते तो-
(i) राम को वनवास न होता।
(ii) सीता का हरण न होता।
(iii) रावण का वध न होता।
(iv) विभीषण राजा न बनता।
(v) राम-हनुमान का मिलन न होता।
(vi) भरत को नंदीग्राम में न रहना पड़ता।
(vii) हम राम को इतनी अच्छी तरह न जानते। उनका नाम एक आम राजा की तरह अब तक लोग भूल चुके होते।

(ख) (i) रावण का राज्य सुरक्षित रहता।
(ii) विभीषण राजा न बनता।
(iii) इतने लोग युद्ध में न मारे जाते।
(iv) राक्षसों का संहार न होता।

प्रश्न 14.
नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो-
पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय और ज्ञानी।
राम …………….., सीता …………….., लक्ष्मण ………………, कैकेयी …………..,
रावण …………….., हनुमान ……………..,
विभीषण …………….., भरत ………….
उत्तर:
राम- पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, दीनबंधु, गंभीर, उदार, धैर्यवान, भक्त, न्यायप्रिय और ज्ञानी।
सीता- शांत, त्याग, उदार, धैर्यवान, अड़ियल।
लक्ष्मण- पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, त्यागी, दूरदर्शी।
रावण- पराक्रमी, साहसी, निडर, वीर, अज्ञानी, दुश्चरित्र, अड़ियल, कपटी।
हनुमान- पराक्रमी, साहसी, निडर, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, गंभीर, उदार, भक्त, न्यायप्रिय एवं ज्ञानी।
विभीषण- साहसी, निडर, वीर, त्यागी, गंभीर, भक्त, ज्ञानी।

प्रश्न 15.
तुमने अपने आसपास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या तुम्हें अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी रामायण की कहानी में कोई अंतर नज़र आया? यदि हाँ, तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।
उत्तर:
रामायण की कहानी सुनी जाती है और रामलीला को प्रत्यक्ष देखा जाता है। कुछ कलाकार रामायण के विभिन्न पात्रों का चरित्र निभाते हैं; जैसे-आज एन.डी.टी.वी.इमेजिन पर रामायण का धारावाहिक प्रस्तुत किया जा रहा है।

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प्रश्न 16.
रामकथा में कई नदियों और स्थानों के नाम आए हैं। इनकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन-सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम तुम चार-चार के समूह में कर सकते हो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 17.
यह राम-कथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे चार्ट पेपर पर लिखकर कक्षा में लगाओ।
जानकारी प्रस्तुत करने के निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं-

  • रामकथा का नाम – श्री रामचरितमानस
  • रचनाकार का नाम – गोस्वामी तुलसीदास
  • भाषा/प्रांत – अवधि/अवध क्षेत्र जो उत्तर प्रदेश में है।

प्रश्न 18.
‘नगर में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। धूमधाम से।’ (पृ. 3)
‘एक दिन ऐसी ही चर्चा चल रही थी। गहन मंत्रणा।’ (पृ. 4)
‘पाँच दिन तक सब ठीक-ठाक चलता रहा। शांति से। निर्विघ्न।’ (पृ. 10)
राम-कथा की इन पंक्तियों में कुछ वाक्य केवल एक या दो शब्दों के हैं। ऐसा लेखक ने किसी बात पर बल देने के लिए, उसे प्रभावशाली बनाने के लिए या नाटकीय बनाने के लिए किया है। ऐसे कुछ और उदाहरण पुस्तक से छाँटो और देखो कि इन एक-दो शब्दों के वाक्य को पिछले वाक्य में जोड़कर लिखने से बात के असर में क्या फ़र्क पड़ता है। उदाहरण के लिए’-
पाँच दिन तक सब शांति से, निर्विघ्न और ठीक-ठाक चलता रहा।’

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NCERT Solutions for Class 6 Maths

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Class 6 Maths Chapter 2 Whole Numbers

Class 6 Maths Chapter 3 Playing With Numbers

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Class 6 Maths Chapter 6 Integers

Class 6 Maths Chapter 7 Fractions

Class 6 Maths Chapter 8 Decimals

Class 6 Maths Chapter 9 Data Handling

Class 6 Maths Chapter 10 Mensuration

Class 6 Maths Chapter 11 Algebra

Class 6 Maths Chapter 12 Ratio and Proportion

Class 6 Maths Chapter 13 Symmetry

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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 12 Question Answers Summary राम का राज्याभिषेक

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 12

प्रश्न 1.
विभीषण क्यों चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में ही रुकें?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन यहाँ रुककर युद्ध की थकान उतार लें और राम के सानिध्य में उसको भी कुछ रीति-नीति सीखने का अवसर मिले।

प्रश्न 2.
राम ने लंका में रुकने का विभीषण का आग्रह स्वीकार क्यों नहीं किया?
उत्तर:
राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला था। इस अवधि में उन्हें वन में ही वास करना था। वनवास की अवधि पूरी हो चुकी थी। उनको अयोध्या लौटने की जल्दी थी, क्योंकि भरत ने उनसे वचन लिया था कि यदि वे चौदह वर्ष के बाद भी नहीं आए तो वह अपने प्राण दे देगा।

प्रश्न 3.
पुष्पक विमान में कौन-कौन सवार हुए थे?
उत्तर:
पुष्पक विमान में राम, लक्ष्मण और सीता के अतिरिक्त हनुमान, सुग्रीव और विभीषण भी थे। किष्किंधा से उन्होंने सुग्रीव की पत्नी तारा और रूपा को भी साथ ले लिया।

प्रश्न 4.
राम विमान में सवार होकर सीता को मार्ग में क्या-क्या दिखाते हुए गए?
उत्तर:
राम सीता को प्रमुख स्थानों के बारे में बताते जा रहे थे। जब राम ने सीता को पंचवटी दिखानी चाही तो सीता ने अपनी आँखें बंद कर ली।

प्रश्न 5.
राम ने हनुमान को अयोध्या क्यों भेजा?
उत्तर:
राम सीधे अयोध्या नहीं जाना चाहते थे। उनके मन में एक प्रश्न था कि कहीं चौदह वर्ष की इस अवधि में भरत को सत्ता का मोह तो नहीं हो गया। हनुमान को पहले भेजकर राम भरत के हृदय की थाह लेना चाहते थे। उनका विचार था कि यदि मेरे अयोध्या लौटने की खबर से यदि भरत को प्रसन्नता नहीं हुई तो वे अयोध्या नहीं जायेंगे।

प्रश्न 6.
हनुमान को देखकर भरत की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:
हनुमान ने जब राम के लौटने की बात बताई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। यह शुभः समाचार उन तक पहुँचाने के लिए वे हनुमान को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे। उनके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव था।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

प्रश्न 7.
नंदीग्राम में राम का स्वागत किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
राम का विमान जब नंदीग्राम उतरा तो वहाँ राम का भव्य स्वागत हुआ। आकाश राम के जयघोष से गूंज उठा। राम ने विमान से उतरकर भरत को गले से लगाया, माताओं को प्रणाम किया। भरत भागते हुए आश्रम के भीतर गए और राम की खड़ाऊँ लेकर आए। झुककर अपने हाथों से राम के पैरों में खड़ाऊँ पहनाईं। सबकी आँखें खुशी के आँसुओं से नम थीं।

प्रश्न 8.
राम ने पुष्पक विमान कुबेर को क्यों लौटा दिया?
उत्तर:
यह पुष्पक विमान कुबेर का ही था। रावण ने इस विमान को कुबेर से बलात् छीना था।

प्रश्न 9.
अयोध्या नगरी राम के स्वागत में किस प्रकार सजी थी?
उत्तर:
पूरी अयोध्या नगरी को फूलों से सजाया गया था। नगर घी के दीपों से जगमगा रहा था। वाद्य-यंत्रों की झंकार सुनाई पड़ रही थी। नगरवासी प्रसन्न थे।

प्रश्न 10.
सीता ने अपना बहुमूल्य हार किसको दिया और क्यों?
उत्तर:
सीता ने अपना बहुमूल्य हार हनुमान को दिया। सीता हनुमान की भक्ति और उनके पराक्रम से बहुत खुश थीं।

प्रश्न 11.
राम कैसे राजा थे? उनका राज्य कैसा था?
उत्तर:
राम के राज्य में किसी को कष्ट नहीं था। सब सुखी थे। किसी के साथ किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं था। कोई बीमार नहीं पड़ता था। खेत हरे-भरे थे। पेड़ फलों से लदे रहते थे। राम न्यायप्रिय थे। गुणों के सागर थे। उनका राज्य राम-राज्य था।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 12 Summary

विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में रुकें जिससे उनके सानिध्य में रहकर उसको भी कुछ रीति-नीति सीखने का अवसर मिले। राम तो चौदह वर्ष के वनवास में थे। उन्होंने लंका में कदम तक भी न रखा था। सीता को संदेश भिजवाने के लिए भी हनुमान को ही भेजा था। राम ने विभीषणं से कहा कि मेरी चौदह वर्ष की वनवास की अवधि समाप्त होने वाली है। यदि मैं तत्काल नहीं लौटा तो भरत प्राण दे देंगे। मैंने भरत को वचन दिया था। विभीषण ने राम के सामने दूसरा प्रस्ताव रखा कि वह भी उनके साथ अयोध्या चलना चाहता है। राम ने विभीषण के इस प्रस्ताव को सहर्ष मान लिया। सुग्रीव और हुनमान को भी राम ने अयोध्या आमंत्रित किया। ये सभी पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या की ओर चल पड़े।

राम सीता के साथ ही विमान में बैठे थे। वे सीता को रास्ते में पड़ने वाले प्रमुख स्थानों को दिखाते जा रहे थे। सीता के आग्रह पर विमान किष्किंधा में उतारा। सीता अपने साथ सुग्रीव की रानियों-तारा और रूपा को भी साथ ले जाना चाहती थीं। रास्ते में पंचवटी आई तो राम ने पंचवटी की ओर इशारा किया तो सीता ने आँखें मूंद लीं। वह अब पंचवटी को देखना नहीं चाहती थीं। गंगा के संगम पर ऋषि भरद्वाज के आश्रम में विमान उतारा गया। वे लोग रात में वहीं रुके। राम ने वहीं से हनुमान को अयोध्या भेजा ताकि भरत को उनके आने की सूचना दी जा सके और भरत की प्रतिक्रिया भी जान सकें कि राम के लौटने पर वह प्रसन्न हैं या नहीं। राम ने सोच रखा था यदि भरत का मन बदल गया होगा तो वे अयोध्या नहीं जायेंगे। जैसे ही, हनुमान ने राम के आने की सूचना दी भरत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे यह शुभ समाचार देने के लिए हनुमान का बार-बार धन्यवाद कर रहे थे। हनुमान भरत से विदा लेकर राम के पास लौट आए।

अगले दिन विमान प्रयाग से श्रृंगवेरपुर होते हुए सरयू नदी के किनारे पहुँचा। सभी ने अयोध्या को प्रणाम किया। अयोध्या में राज्याभिषेक की तैयारियाँ चल रही थीं। शत्रुघ्न राज्याभिषेक की तैयारियों में लगे थे। महल से तीनों रानियाँ नंदीग्राम के लिए चल पड़ीं, क्योंकि राम को पहले भरत से मिलना था, जो नंदीग्राम में रहते थे। राम का विमान नंदीग्राम में उतरा। वहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया। राम ने भरत को गले से लगा लिया। माताओं को प्रणाम किया। भरत आश्रम के भीतर जाकर राम की खड़ाऊँ उठा लाए। भरत ने झुककर अपने हाथों से राम के पैरों में पहनायीं। राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में ही अपना तपस्वी बांना उतार दिया और राजसी वस्त्र धारण किए। जन-समूह उनकी जय-जयकार करते हुए अयोध्या की ओर चल दिया। राम ने पुष्पक विमान कुबेर को लौटा दिया। यह विमान रावण ने कुबेर से बलात् छीन लिया था।

सजी-धजी अयोध्या नगरी राम के दर्शन से आह्लादित थी। भरत ने अयोध्या का राज्य राम को नंदीग्राम में ही लौटा दिया था। राम के राज्याभिषेक के लिए पूरा नगर सुसज्जित था और दीपों से जगमगा रहा था। फूलों से सुवासित एवं वाद्य यंत्रों से झंकृत था। अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता दोनों रत्न-जटित सिंहासन पर बैठे हुए थे। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे थे। राम ने सीता को बहुमूल्य हार दिया। प्रजाजनों ने अनेक वस्तुएँ उपहार में दी। सीता ने अपने गले का हार उतारा। वे दुविधा में थीं कि किसे दें। राम ने सीता से कहा-जिस पर तुम सर्वाधिक प्रसन्न हो, उसे दे दो। सीता ने वह हार हनुमान को भेंट कर दिया। सीता हनुमान की भक्ति और पराक्रम से बहुत खुश थीं। कुछ ही दिनों में सारे अतिथि एक-एक कर चले गए। हनुमान कहीं नहीं गए। वे राम की सेवा के लिए राम-दरबार में ही रहे। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर राज किया। उनके राज्य में सभी सुखी थे। किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं था। उनका राज्य राम-राज्य कहलाया।

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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 11 Question Answers Summary लंका विजय

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11

प्रश्न 1.
हनुमान द्वारा लंका जला दिए जाने पर लंकावासी क्या सोच रहे थे?
उत्तर:
लंका में खलबली मची हुई थी। उनके मन में डर बैठ गया था कि जिनका दूत लंका में आग लगा सकता है, उनका स्वामी कितना शक्तिशाली होगा।

प्रश्न 2.
विभीषण ने रावण को क्या सलाह दी?
उत्तर:
विभीषण ने रावण से कहा, “आप सीता को लौटा दें। सबका कल्याण इसी में है।” रावण ने विभीषण की बात अनसुनी कर दी और विभीषण को अपने कक्ष से अपमानित करके निकाल दिया।

प्रश्न 3.
विभीषण लंका से निकलकर कहाँ गए?
उत्तर:
विभीषण लंका से निकलकर राम की शरण में गए। विभीषण ने जाकर कहा कि मैंने रावण को बहुत समझाया, परन्तु उसने मुझे ही लंका से निर्वासित कर दिया। राम ने विभीषण से कहा कि राक्षसों को मार कर लंका का राज्य तुम्हें ही दिया जाएगा।

प्रश्न 4.
समुद्र ने रास्ता किस प्रकार दिया तथा समुद्र पर पुल किसने बनाया?
उत्तर:
राम तीन दिन तक समुद्र से अनुरोध करते रहे, परन्तु समुद्र ने रास्ता नहीं दिया। राम ने क्रोध में आकर समुद्र को सुखाने के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो समुद्र गिड़गिड़ाने लगा। समुद्र ने ही बताया कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है जो पुल बना सकता है।

प्रश्न 5.
राम ने अपनी सेना को चार भागों में क्यों बाँटा?
उत्तर:
लंका के चार द्वार थे। राम चाहते थे कि लंका पर चारों ओर से आक्रमण किया जाए।

प्रश्न 6.
राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?
उत्तर:
राम अब भी चाहते थे कि नर-संहार न हो और युद्ध रुक जाए। इसलिए राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। परन्तु अहंकार में चूर रावण पर राम के संदेश का कोई असर नहीं हुआ। अंगद ने आकर बताया कि अब युद्ध ही एकमात्र विकल्प है।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय

प्रश्न 7.
मेघनाद कैसा योद्धा था? वह किस प्रकार युद्ध करता था?
उत्तर:
मेघनाद बहुत ही पराक्रमी था। उसने इन्द्र को भी पराजित कर दिया था। मेघनाद छिपकर युद्ध करता था। वह मायावी था। वह किसी को दिखाई नहीं पड़ता था।

प्रश्न 8.
अपने बड़े-बड़े योद्धाओं के मारे जाने पर रावण ने क्या किया?
उत्तर:
रावण ने युद्ध की कमान स्वयं संभाली, परन्तु उसे लज्जित होकर युद्ध-भूमि से लौटना पड़ा। राम के बाणों ने उसका मुकुट भी धरती पर गिरा दिया था। रावण को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने कुंभकर्ण को जगाया। कुंभकर्ण को देखते ही वानर सेना में खलबली मच गई। कुंभकर्ण महाबली था। राम-लक्ष्मण के बाणों से कुंभकर्ण भी मारा गया।

प्रश्न 9.
मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण की कैसी दशा हुई?
उत्तर:
मेघनाद की मृत्यु से रावण एकदम टूट गया। वह विलाप करने लगा और कहने लगा-अब लंका अनाथ हो गई है। उसकी दशा पागलों जैसी हो गई। वह क्रोध से बिलबिलाने लगा।

प्रश्न 10.
वानर सेना ने महल में प्रवेश करने पर क्या किया?
उत्तर:
वानरों ने अपने हाथों में जलती मशालें लेकर जहाँ-तहाँ आग लगा दी। अन्न-भंडार फूंक दिए। शस्त्रागार जला दिए। जो भी सामने पड़ा, मारा गया। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई।

प्रश्न 11.
विभीषण दुखी क्यों था? राम ने उसे क्या समझाया?
उत्तर:
रावण की मृत्यु के बाद विभीषण उसके मृत शरीर के पास शोकाकुल खड़ा था। राम ने विभीषण को समझाया कि शोक मत करो। रावण महान योद्धा था। उसकी अंत्येष्टि महानता के अनुरूप ही होनी चाहिए। मृत्यु सत्य है। उसे स्वीकार करो।

प्रश्न 12.
राम ने हुनमान को अशोक वाटिका जाने का आदेश क्यों दिया? हुनमान ने आकर राम को क्या बताया?
उत्तर:
राम ने हनुमान से कहा कि तुरंत अशोक वाटिका जाओ और सीता को विजय का संदेश दो और उनका संदेश लेकर शीघ्र लौट आओ। हनुमान ने अशोक वाटिका पहुँचकर संदेश सुनाया। सीता संदेश सुनकर बहुत खुश हुई। वह राम से मिलने के लिए अधीर थी। हनुमान ने सीता का संदेश राम तक पहुँचा दिया।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 11 Summary

युद्ध की तैयारियाँ पूरे जोरों पर थीं। सुग्रीव ने वानर सेना को संबोधित किया। सेना किष्किंधा से उत्साह में भरी महेन्द्र पर्वत पर पहुँच गई। जामवंत और हनुमान सेना के पीछे चल रहे थे। हनुमान के लंका जला देने के बाद राक्षसों में खलबली मची हुई थी। रावण को समझाने का साहस किसी में भी नहीं था। विभीषण रावण के पास उसे समझाने के लिए गए, परन्तु रावण ने विभीषण की एक न मानी। रावण ने विभीषण का अपमान करके अपने कक्ष से बाहर निकाल दिया। विभीषण ने अपने चार साथियों के साथ लंका त्याग दी। वह वहाँ पहुँचा जहाँ राम की सेना डेरा डाले पड़ी थी। अपनी सेना में राक्षसों को आया देख वानरों में खलबली मच गई। विभीषण को सुग्रीव के सामने लाया गया। उसने रावण के साथ हुई सारी घटना का उल्लेख किया और राम से मिलने की इच्छा व्यक्त की। राम ने विभीषण को शरण दे दी। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि राक्षसों को मारकर लंका का राज्य तुम्हें सौंप दूंगा।

राम की सेना के सामने समुद्र को लाँघना सबसे बड़ी चुनौती थी। राम तीन दिन तक समुद्र से रास्ता माँगते रहे। परन्तु जब समुद्र नहीं माना तो राम ने क्रोध में आकर समुद्र को सुखाने के तीर को धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ा लिया। समुद्र हाथ जोड़कर उपस्थित हो गया और राम से बोला कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है। वह पुल बना सकता है। नल ने अगले दिन से ही पुल बनाना आरंभ कर दिया। पुल तैयार होने पर सेना समुद्र के पार पहुंच गई। रावण को जब पता चला तो वह क्रोध से चीख उठा। उसने सेना को तैयार होने की आज्ञा दी और समुद्र-तट पर पहुंच गए।

राम ने अपनी सेना को चार भागों में बाँटा जिससे लंका पर चारों ओर से आक्रमण किया जा सके। राम ने एक शिखर पर चढ़कर लंका का निरीक्षण किया। इसी बीच राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। रावण ने अंगद की कोई बात नहीं मानी। अंगद ने राम के पास आकर बता दिया कि रावण सुलह के लिए तैयार नहीं है। अब युद्ध के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है। युद्ध प्रारंभ हो गया। दोनों ओर के वीर मारे जा रहे थे। राक्षसी सेना के अनेक पराक्रमी राक्षस ढेर हो गए। मेघनाद के नागपाश बाण से घायल होकर राम-लक्ष्मण मूर्छित हो गए। मेघनाद मैदान छोड़कर रावण को संदेश देने महल की ओर गया। विभीषण ने दोनों का उपचार कराया। राम-लक्ष्मण की मूर्छा टूट गई। राक्षसी सेना के वीर धूम्राक्ष, वज्रद्रष्ट, अकंपन प्रहस्त आदि मारे गए। रावण ने स्वयं युद्ध की कमान संभाली। रावण भी पराजित होकर लौट गया। फिर रावण ने कुंभकर्ण को युद्ध के लिए भेजा। कुंभकर्ण ने बहुत भयंकर युद्ध किया। अंत में वह भी मारा गया। इसके बाद मेघनाद युद्ध के लिए आया। मेघनाद की शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। मूर्छा टूटने पर लक्ष्मण के हाथों मेघनाद भी मारा गया। मेघनाद की मृत्यु से रावण एकदम टूट गया। अब रावण स्वयं युद्ध के लिए आया। उधर वानर सेना महल में प्रवेश कर गई थी। उन्होंने वहाँ अनेक राक्षसों को मार दिया। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई। राम और रावण का बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ। विभीषण के कहने पर राम ने एक बाण रावण की नाभि में मारा। बाण के लगते ही रावण धराशायी हो गया।

लंका-विजय का अभियान पूरा हुआ। वानर सेना किलकारियाँ मार रही थी। विभीषण अपने भाई के मृत शरीर के पास खड़ा शोक में डूबा हुआ था। राम ने विभीषण को समझाया। राम ने एक-एक वानर का आभार माना और सुग्रीव को गले लगा लिया। विभीषण रावण की अंत्येष्टि के बाद ही राज्याभिषेक चाहते थे। राम ने हनुमान को अशोक वाटिका भेजा ताकि सीता को यह समाचार दिया जा सके।

विभीषण का राज्याभिषेक किया गया। हनुमान ने राम को संदेश दिया कि-“माता सीता लंका-विजय का समाचार सुनकर बहुत प्रसन्न हैं और आपसे मिलने के लिए अधीर हैं। राम ने विभीषण से कहा, “लंकापति सीता अब भी आपकी अशोक वाटिका में है। उसे यहाँ लाने का प्रबंध किया जाए। हनुमान के अतिरिक्त सीता को किसी ने नहीं देखा था। सीता को देखने की सभी वानरों को उत्सुकता थी। सीता आईं तो सबको अपनी कल्पनाओं से अधिक लगीं।

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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 10 लंका में हनुमान

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 10 Question Answers Summary लंका में हनुमान

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10

प्रश्न 1.
लंका जाते समय हनुमान के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ आईं ?
उत्तर:
लंका जाते समय हनुमान का मार्ग सुरसा नाम की राक्षसी ने रोक लिया। वह हनुमान को खा जाना चाहती थी। हनुमान उसे चकमा देकर निकल गए। सिंहिका नाम की राक्षसी ने हनुमान की परछाईं को पकड़ लिया। हनुमान ने उसका वध कर दिया।

प्रश्न 2.
हनुमान लंका नगरी को देखने के लिए कहाँ चढ़े?
उत्तर:
हनुमान लंका नगरी को ठीक से देखने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वे एक-एक चीज को ध्यानपूर्वक देख रहे थे ताकि सीता की खोज सुगम हो सके। लंका मगरी बहुत ही भव्य थी। ऐसा नगर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।

प्रश्न 3.
हनुमान ने रात होने पर सीता को कहाँ-कहाँ ढूँढा?
उत्तर:
हनुमान ने रात के समय लंका में घुसकर पूरा राजमहल छान मारा। उन्होंने एक-एक कर राक्षसों के सारे घर छान मारे। पशु शालाएँ भी देखीं, परन्तु सीता का कहीं पता न था। वे दुखी होकर सोचने लगे कि रावण ने सीता को अवश्य ही किसी गुप्त स्थान पर छिपा दिया है।

प्रश्न 4.
पेड़ पर छिपे हनुमान ने अशोक वाटिका के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों के बीच क्या देखा?
उत्तर:
हनुमान ने देखा कि अशोक के एक वृक्ष के नीचे राक्षसियों का झुंड था। वे किसी बात पर ठहाके लगा रही थीं। उन्होंने ध्यान से देखा कि राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी है। उसका चेहरा मुरझाया हुआ, उदास, शोकग्रस्त व दयनीय था। हनुमान को विश्वास हो गया कि यही सीता माँ हैं।

प्रश्न 5.
हनुमान ने सीता को अपना परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
हनुमान एक पेड़ पर छिपे बैठे थे। रावण और राक्षसियों के चले जाने पर हनुमान ने पेड़ पर बैठे-बैठे ही राम-कथा प्रारंभ कर दी। राम-कथा सुनकर सीता जी चौंकी। उन्होंने पूछा कि तुम कौन हो? हनुमान ने पेड़ से उतरकर सीता को प्रणाम किया और राम की दी हुई अँगूठी सीता को देते हुए बताया कि वह राम का सेवक है। आपका समाचार लेने के लिए उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 10 लंका में हनुमान

प्रश्न 6.
सीता से विदा लेकर हनुमान ने क्या किया?
उत्तर:
सीता से विदा लेकर हनुमान ने रावण के उपवन को तहस-नहस कर दिया। उपवन की देखभाल करने वाले राक्षसों को मार-मार कर भगा दिया। रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। फिर रावण का बड़ा पुत्र मेघनाद आया। वह हनुमान को बंदी बनाकर राज-दरबार में ले गया।

प्रश्न 7.
राज-दरबार में हनुमान ने रावण से क्या निवेदन किया?
उत्तर:
हनुमान ने रावण से निवेदन किया कि आप सीता को सम्मान सहित लौटा दें, इसी में आपका कुशल है। धनुर्धर राम से आप युद्ध नहीं जीत सकते।

प्रश्न 8.
रावण ने हनुमान को क्या सजा दी? उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
रावण ने राक्षसों को हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी। राक्षसों ने हनुमान को पूरे नगर में घुमाया। अचानक हनुमान अपने सारे बंधन तोड़कर एक भवन पर चढ़ गए। इस प्रकार एक भवन से दूसरे भवन पर कूदते हुए उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी।

प्रश्न 9.
लंका को जलाते समय अचानक हनुमान चिंतित क्यों हो उठे ?
उत्तर:
हनुमान को चिंता हुई कि कहीं सीता की अशोक वाटिका तो नहीं जल गई। वे उस ओर भागे। सीता पेड़ के नीचे सकुशल बैठी थीं। हनुमान ने उन्हें प्रणाम करके और आशीर्वाद लेकर उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान किया।

प्रश्न 10.
हनुमान ने सीता के बारे में राम को क्या-क्या बताया?
उत्तर:
हनुमान ने राम को बताया कि सीता व्याकुल हैं। वे हर समय राक्षसियों से घिरी रहती हैं। आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि श्रीराम दो माह में यहाँ नहीं आए तो पापी रावण मुझे मार डालेगा।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 10 लंका में हनुमान

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 10 Summary

जामवंत ने हनुमान का बल याद दिलाया। हनुमान अँगड़ाई लेकर उठे। एक ही छलांग में वे महेन्द्र पर्वत पर पहुँच गए। महेन्द्र पर्वत से फिर उन्होंने छलांग लगाई और वे आकाश में उड़ने लगे। समुद्र के अंदर एक मैनाक नाम का पर्वत था। मैनाक चाहता था कि हनुमान कुछ देर के लिए यहाँ विश्राम करें। वह जल-राशि को चीरकर ऊपर उठा। हनुमान मैनाक से टकराते हुए आगे निकल गए। हनुमान के रास्ते में कई बाधाएँ आईं। सुरसा नाम की राक्षसी हनुमान को खा जाना चाहती थी। हनुमान उसे चकमा देकर निकल गए। आगे सिंहिका राक्षसी मिली। उसने हनुमान की परछाई पकड़ ली। हनुमान ने उसको मार डाला। थोड़ी. ही देर में हनुमान समुद्र के किनारे उतर गए।

लंका नगरी को ठीक से देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। राक्षसी नगरी की सुंदरता देखकर वे चकित हो गए। दिन के समय हनुमान को लंका में प्रवेश करना उचित नहीं लगा। उनके सामने सबसे पहला काम सीता कहाँ है-इसका पता लगाना था। वह नगर के मध्य में छिपते-छिपाते पहुँच गए। उन्होंने पूरा राजमहल छान मारा। एक-एक कर राक्षसों के घर छान मारे। अंतःपुर के बाहर हनुमान ने रत्नों से सजा हुआ रावण का रथ देखा। तभी उसने वृक्षों से घिरी हुई अशोक वाटिका को देखा, परन्तु सीता यहाँ क्यों होंगी। वह निराशा में डूब रहे थे। वह एक घने पेड़ पर छिपकर बैठ गए। रात हो गई। हनुमान को वाटिका के कोने में राक्षसियों का अट्टाहास सुनाई दिया। उसने देखा कि राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी है। उसकी दशा दयनीय है। उन्होंने समझ लिया कि यही सीता है।

हनुमान सीता से मिलने के लिए उतावले थे। परन्तु सीता के पास से राक्षसियाँ हट ही नहीं रही थीं। तभी उन्होंने रावण को आते देखा। हुनमान सांस रोककर डाल से चिपक गए और रावण के लौटने की प्रतीक्षा करने लगे। रावण सीता को तरह-तरह के प्रलोभन दे रहा था। सीता काँप रही थी। रावण ने सीता से कहा कि तुम्हारे पास दो महीने और बचे हैं। मेरी बात मान जाओ और सुख का भोग करो अन्यथा मैं तुम्हें तलवार से काट डालूँगा। सीता ने रावण का तिरस्कार करते हुए कहा- “मूर्ख राक्षस, तुम्हारा अंत निकट आ गया है। अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता।”

रावण क्रोध से पैर पटकता हुआ चला गया। देर रात राक्षसियाँ भी एक-एक कर चली गईं। सीता वाटिका में अकेली थी। हनुमान ने यह अच्छा अक्सर जानकर पेड़ पर बैठे-बैठे राम-कथा प्रारंभ कर दी। सीता ने पूछा कि कौन हो तुम? हनुमान पेड़ से नीचे उतर गए और राम की दी अंगूठी सीता को दे दी। हनुमान ने अपना परिचय दिया। सीता ने भी राम का कुशल-क्षेम पूछा। हनुमान सीता को कंधे पर बैठाकर राम तक ले जाना चाहते थे, परन्तु सीता ने कहा कि यह उचित नहीं है। पकड़े गए तो मेरा संदेश भी राम तक नहीं पहुँचेगा।

हनुमान राम के पास लौटना ही चाहते थे कि उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने रावण के उपवन को तहस-नहस कर दिया और विरोध करने वाले सभी राक्षसों को मार डाला। हनुमान से लड़ते हुए रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। राक्षसों ने यह सूचना रावण को दी। मेघनाद हनुमान को पकड़कर दरबार में ले गया। रावण के पूछने पर हनुमान ने बताया कि मैं श्रीराम का दास हूँ। सीता की खोज में आया था। उनसे मिल चुका हूँ। आपके दर्शन करना चाहता था, इसलिए उत्पात करना पड़ा।

क्रोध से रावण हुनमान को मारने उठे तो उसके छोटे भाई विभीषण ने उसे रोक लिया। हनुमान ने रावण से कहा कि आप सीता को सकुशल लौटा दें। इसी में आपकी भलाई है। रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी। जलती पूँछ के साथ उन्हें नगर में घुमाया। इसी बीच हनुमान बंधन तोड़कर एक भवन पर चढ़ गए और एक भवन से दूसरे भवन कूदकर पूरी लंका में आग लगा दी। हनुमान ने लंका को जलाकर समुद्र में छलांग लगाकर अपनी पूँछ की आग बुझाई। हनुमान ने समुद्र पार कर तट पर बैठे सभी वानरों को लंका का हाल सुनाया। फिर वे राम के पास पहुँचे। राम ने हनुमान को गले से लगा लिया। इसके बाद लंका पर चढ़ाई के लिए योजना बनाई जाने लगी।

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